इमली एक ऐसा फल है जिसका नाम सुनते ही उसका स्वाद दिमाग में आ जाता है और मुंह में ना पानी आने लगता है। वैसे इमली का स्वाद तो बूढों से लेकर बच्चों तक सभी को भाता है। लेकिन आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि बार-बार इमली के पेड़ के नीचे से नहीं गुजरना चाहिए या इमली के पेड़ के नीचे नहीं जाना चाहिए। उसके नीचे खाना न खाएं या इमली के नीचे न सोएं। पहले के जमाने में यह एक मान्यता थी। लेकिन आजकल लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं। अगर आयुर्वेद की मानें तो ये अंधविश्वास नहीं इसके पीछे कारण है।
आयुर्वेद के अनुसार दक्षिण के एक वैद्य अपने शिष्य को बनारस भेजते है। अब पहले तो पैदल यात्रा होती थी और महिनों लम्बी यात्रा होती थी। दक्षिण के वैद्य ने शिष्य से कहा कि दिन मे जो खाना या करना है, करना पर रात को इमली के पेड के नीचे सोते हुये जाना। हर रात इमली के नीचे सोना- वह तैयार हो गया। कई महिनो बाद जब वह बनारस पहुँचा तो उसके सारे शरीर मे नाना प्रकार के रोग हो गये। चेहरे की कांति चली गयी और वह बीमार हो गया। बनारस के वैद्य समझ गये कि उनकी परीक्षा ली जा रही है।
उन्होने उसे जब वापस दक्षिण भेजा तो कहा कि दिन मे जो खाना या करना है, करना पर हर रात नीम के पेड के नीचे सोना। और जैसा आप सोच रहे है वैसा ही हुआ। दक्षिण पहुंचते तक शिष्य फिर से ठीक हो गया। इसलिए माना जाता है कि इमली के पेड़ के नीचे से निकलना खतरनाक होता है हो सकता है इस पेड़ के नीचे से निकलने से आपको भी कोई बीमारी सताने लगे।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 नवंबर 2011
मानो या न मानो: इमली के पेड़ के नीचे से निकलना हो सकता है खतरानाक
इन खतरनाक बीमारियों को उखाड़ फेकेंगा ये चमत्कारी पौधा
एलोवेरा ऐसा पौधा है जिसमें अनेक रोगों का निदान छिपा है। इसीलिए पहले के समय में एलोवेरा का उपयोग साधारण लोगों ज्यादा बहुत अधिक नहीं किया जाता था। लेकिन अब इसका उपयोग सबसे अधिक औषधी निर्माण किया जा रहा है।माना जाता है कि इसके औषधीय गुणों के कारण व्यक्ति को फिट रखने में एलोवेरा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं।एलोवेरा के पौधे को घृतकुमारी, कुमारी, घी-ग्वार भी कहा जाता है। एलोवेरा का जीवन देने वाली यानी संजीवनी आयुर्वेदिक औषधी भी मानी जाती है। घी ग्वार को पेट के लिए अमृत माना गया है। जिन लोगों को अक्सर कब्ज की समस्या रहती है उन्हें नियमित रुप से इसका सेवन करना चाहिए।
ऐलोवेरा में बहुत तरह के खनिज तत्व और अमीनो अम्ल भी मिलता है।ये दोनों ही शरीर के लिए जरूरी है इन तत्वों को निरंतर शरीर की जरूरत रहती है जिसे पूरी करना भी जरूरी है। एलोवेरा बढिय़ा एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है। दिल से जुड़ी कोई बीमारी या मधुमेह हो तो ये इन दोनों ही रोगों के रोगियों के लिए बहुत अच्छा माना गया है। जोड़ों का दर्द भी गायब हो जाता है एलोवेरा दवाई के रूप में हर उम्र के लोग इस्तेमाल कर सकते है और यह शरीर में जाकर खराब सिस्टम को ठीक करता है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। यह बैक्टीरिया नाशक है साथ ही मेटाबॉलिक क्रिया को ठीक करता है। त्वचा की देखभाल और बालों की मजबूती व बालों की समस्या से निजात पाने के लिए एलोवेरा एक संजीवनी का काम करती है। इसके प्रयोग से बीमारियों से मुक्त रहकर लंबी उम्र तक स्वस्थ और रहा जा सकता है।
जब सताए डरावने सपने तो क्या करें?
सपनों का हमारे जीवन में बहुत गहरा संबंध है। स्वप्न ज्योतिष के अनुसार सपने हमें हमारे जीवन में होने वाली अच्छी व बुरी घटनाओं की जानकारी पहले ही दे देते हैं। कोई सपना शुभ होता है तो कोई डरावना भी होता है। यदि लगातार कोई डरावना सपना देखता है तो उसके साथ कुछ बुरा होने वाला होता है। इन डरावने सपनों का अशुभ फल ऐसे नष्ट किया जा सकता है-
- यदि कोई बुरा या डरावना सपना दिखाई दे तो उसी समय जागकर इस सपने के बारे में किसी को बता देना चाहिए इससे डरावना सपने का अशुभ फल नहीं मिलता।
- रात में यदि बुरा सपना देखा हो तो सुबह उठकर भगवान शंकर को नमस्कार कर स्वप्न फल निवृत्ति के लिए प्रार्थना कर तुलसी के पौधे को जल देकर उसके सम्मुख सपने को कह दें।
- डरावना सपना दिखाई देने पर सुबह उठकर अपने गुरु का स्मरण करें। इससे भी उस सपने का अशुभ पल नष्ट हो जाता है।
- रात को सोने से पहले भगवान विष्णु, शंकर, महर्षि अगस्त्य तथा भगवान कपिल का स्मरण करने से बुरे सपने नहीं आते।
बाथरूम में गए विधायक जी को लगा करेंट, पहुंचे अस्पताल
नजदीकी सूत्रों के अनुसार बिड़ला सुबह करीब साढ़े नौ बजे बाथरूम में नहा रहे थे। तभी उनका शरीर किसी खुले तार से छू गया। वे वहीं गिर गए और जैसे तैसे बाहर आए तो चक्कर आने लगे। कमर दर्द महसूस होने पर वे ड्राइवर को साथ लेकर अस्पताल पहुंचे। सूत्रों के अनुसार अब ब्लड प्रेशर में सुधार है।
इस 'छत' के बनते ही दुनिया ने कहा 'चमत्कार'!
गिनीज बुक में दर्ज इस 119 फिट लम्बे और 114 फिट चौड़ी इस छत के बीच में एक भी खम्भा नहीं है,इस छत के नीचे एक साथ 5000 लोग बैठ सकते हैं इस छत को बनाने में लगभग दो साल का समय लगा तथा इस सत्संग भवन को बनाने में तीन करोड़ रूपये का खर्च आया।
भवन कारीगरी की अनूठी मशाल पेश करने वाले इस भवन का निर्माण इंजीनियरों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था इस भवन का निर्माण एन एम डिजायनर्स लिमिटेड ने किया था 25 जुलाई 2009 वह ऐतिहासिक तारीख है जब गोविन्द देव जी के इस सत्संग भवन का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में बतौर दुनिया के सबसे विस्तृत भवन के रूप में दर्ज हुआ।
एक सपना जो सच हुआ!
जयपुर के सेबायत और न्यासी श्री अंजन कुमार गोस्वामी के पिता स्वर्गीय श्री प्रद्युम्न कुमार गोस्वामी ने यह स्वप्न देखा था कि श्रद्धालुओं के धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ के लिए उनको पर्याप्त आवास की सुविधा के साथ एक ऐसा स्थान हो जहां वे सांस्कृतिक और भक्ति से परिपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन कर सकें,लेकिन उनका यह स्वप्न उनके जीवनकाल में अधूरा रह गया।
उसके बाद उनके पुत्र और एकमात्र न्यासी श्री अंजन कुमार जी ने गोविन्द देवजी परिसर में इस तरह के भवन की कल्पना की जहां एक ही छत के नीचे लगभग 5000 लोग एक साथ बैठकर धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों का लाभ उठा सकें।
उन्होंने इस सम्बन्ध में सम्बंधित पक्षों से सलाह मशविरा किया,उनके इस काम में उनके उत्तराधिकारी श्री मानस गोस्वामी जी ने उनका भरपूर सहयोग किया,हालांकि कार्य चुनौतीपूर्ण और हर कदम पर जोखिम भरा था फिर भी दोनों ने मिलकर रात दिन की मेहनत से अपने इस कार्य को अंजाम देना शुरू कर दिया।
भारतीय वास्तुविद श्री राजेश खन्ना ने इस सत्संग भवन का खाका तैयार किया और इस भवन का ठेका राजस्थान राज्य सड़क विकास निगम (RSRDC) को दे दिया गया और काम शुरू हो गया। 7 जुलाई 2007 को शुरू होकर इस सत्संग भवन ने 383 दिनों की अवधि पूर्ण करते हुए 25 जुलाई 2009 को यह सत्संग भवन आम जनता के लिए समर्पित हो गया।
फाउंडेशन: मीटर गहरी, लंबाई: 119 फीट, चौड़ाई: 124 फीट जमीन से ऊँचाई: 24 फीट, रूफ क्षेत्र: 15,827 वर्ग फुट।
बूढी मां को घर में किया कैद, लगाई आग और फरार हो गई बेटी!
पुलिस ने उसकी बेटी कल्पना को गिरफ्तार कर लिया है। कल्पना ने कबूल कर लिया है कि उसने अपनी मां संध्या रानी को पहले घर में बंद किया और बाद में आग लगाकर उदयपुर चली गई। मां के अस्पताल में भर्ती होने की सूचना दिए जाने के बाद भी वह उदयपुर से नहीं लौटीं। शुक्रवार को मां की सांसें उखड़ते ही वह जोधपुर आ गई।
घर में आग लगाने के बाद कल्पना को बाहर निकलते हुए पड़ोसियों ने देख लिया था। कल्पना अपने पति प्रवीण शर्मा से सात साल से अलग रह रही है। उसकी बड़ी बहन विदेश में रहती है।
सामने आई सनसनीखेज सीडी- पैसे नहीं मिले तो सबकी पोल खोल दूंगी
भंवरी: कब तक पैसे मिलेंगे?
सोहनलाल: मैंने बात की है (मदेरणा से) और वो तैयार हैं।
भंवरी: पर..पैसे लेकर कौन आएगा?
सोहनलाल: आप इन सबमें मत पड़ो। मैं खुद उनसे पैसे लूंगा और लाकर दूंगा। अगर कोई और बीच में आएगा तो वो भी फायदा उठाएगा। कोई भी इतना सारा पैसा बिना किसी मकसद के नहीं देगा। चुनाव का वक्त भी नहीं है कि लगे फंड का पैसा है। एकाध लाख की बात हो तो समझ में आता है। इतनी बड़ी रकम नहीं।
भंवरी: कोई गड़बड़ ना हो, दो-तीन लोगों को शामिल करना चाहिए।
सोहनलाल: ठीक है। एक आदमी मेरी, एक आपकी तरफ से।
भंवरी: पर मेरे भरोसे के आदमी तो सिर्फ आप हो।
सोहनलाल: ठीक है। पैसे की बातचीत हम दोनों के बीच में ही रहेगी। बाद में मैं कुछ पैसे ले लूंगा।
भंवरी: ये दूसरी बात है।
सोहनलाल: अच्छा.. मुझे गांव जाना है। नौ बजे फोन करूंगा।
भंवरी: ठीक है। देसी घी लेते आना।
सोहनलाल: पक्का। छह-सात किलो घी अगले दिन भिजवा दूंगा।
भंवरी: वो इंद्रा है ना, मलखान की बहन, वो मुझे बदनाम कर रही है कि मैंने मलखान से पैसे लिए हैं। वो मेरा परिवार बर्बाद करवा देगी। वो ओसियां वाला एसएचओ लाखाराम कहां है आजकल?
सोहनलाल: लेकिन मैं उसे नहीं जानता..
भंवरी: लखाराम भरोसे का आदमी है..और बोरुंदा में है..
सोहनलाल: ठीक है। लाखाराम को बोलना कि वो बनिए, कैलाश महेश्वरी..को इस खेल में मत मिलाना..वो मदेरणा का करीबी है..
भंवरी: ठीक है..लेकिन मैं 7 सितंबर के खेजड़ली मेले से पहले सबकी पोल खोल दूंगी..इतना बदनाम कर दिया है मुझे..
सोहनलाल: मैंने तो सुना है कि तुमने डेढ़ करोड़ रुपए लिए हैं..
भंवरी: नहीं मैंने तो अभी तक एक पैसा भी नहीं लिया है
सोहनलाल: इलाके में तो खबर है कि तुमने काफी पैसा लिया है..
भंवरी: नहीं..पर वो मदेरणा जी नहीं आ रहे हैं..
सोहनलाल: मैंने उनसे बात की थी..उनको जोधपुर आना है..वो अन्ना के अनशन की वजह से मीटिंग कर रहे हैं..
भंवरी: ठीक है उनको दो दिन का वक्त दे देते हैं..मैं आपको कुछ बताना चाहती हूं पर भूल गई..
सोहनलाल: क्या कुछ जरूरी था..
भंवरी: याद आएगा तो बता दूंगी.. सोहनलाल: मेरा गैंग पावरफुल होता जा रहा है..
भंवरी: कौन सा गैंग..
सोहनलाल: बंटी गैंग।
भंवरी: मैं लीला (मदेरणा की पत्नी) और कुसुम (मलखान के भाई की पत्नी) से मिली थी..मैंने उनको बताया कि मेरी कोई गलती नहीं है..
सोहनलाल: अच्छा। पर अकेले किसी से मिलने मत जाया करो..पीछे बच्चे अकेले होते हैं..दूसरा ये भरोसे के आदमी नहीं हैं..अच्छा तुम बाबू को उनके जयपुर वाले पते पर एक चिट्ठी और सीडी की एक कॉपी भेजो..बाबू अभी जयपुर में हैं..इसमें मुझे भी बदनाम किया जा रहा है क्योंकि मेरा काफी पैसे का नुकसान हुआ है..
भंवरी: ये सब इंद्रा का किया-धरा है..पर आप चिन्ता ना करो..
सोहनलाल: नहीं। मुझे कोई चिंता नहीं है..कितनी सीडी हैं? चार?
भंवरी: सिर्फ दो सीडी हैं..दोनों अजमेर के लॉकर में हैं..मैं लॉकर का कोड बता दूंगी। मुझे कुछ हो जाए तो वो सीडी निकाल लेना..
सोहनलाल: पर राजू भाई कह रहे थे कि चार सीडी हैं?
भंवरी: नहीं। सिर्फ दो ही है..और अगर वो समझौते के लिए तैयार हो जाते हैं तो दोनों सीडी उन्हें सौंप दूंगी..नहीं तो एक, दो, तीन..अगर वो दोनों (मदेरणा और मलखान) हाथ मिला रहे हैं तो मैं क्यों ना फायदा उठाऊं..
सोहनलाल: हां ये ठीक है..मैं या तो आज शाम को या फिर कल सुबह तुमसे मिलने आऊंगा...
कौन है सोहनलाल
सोहनलाल विश्नोई पीएचईडी में ठेकेदार है। बिलाड़ा तहसील के तिलवासनी गांव में रहने वाले सोहनलाल को लापता एएनएम भंवरी देवी ने धर्म भाई बना रखा था। सोहनलाल राज्य के बर्खास्त मंत्री महिपाल मदेरणा का करीबी और लूणी विधायक मलखानसिंह का फुफेरा भाई है।
बताया जाता है कि महिपाल मदेरणा का करीबी होने के कारण ही वह भंवरी देवी का मदेरणा से समझौता करवाना चाहता था। वह करीब तीन साल से भंवरी देवी के संपर्क में था। भंवरी अपहरण मामले में उसे सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था। वह अभी जेल में है।
अगर हाथ छूटा, पांव फिसला तो फिर राम ही राखा
हिसार .अगर हाथ छूटा, पांव फिसला तो फिर राम ही राखा। ऐसे खतरों से हमारे बच्चे रोजाना खेलते हैं। शहर में छात्रों के लिए स्पेशल बसों का टोटा है। रोजाना ऑटो रिक्शा का खर्च उठा नहीं सकते। फिर क्या करें? ट्रैक्टर ट्राली पर लटकते हैं। बसों के पीछे दौड़ते हैं। सीट मिलने की उम्मीद बिलकुल नहीं है तो छत पर जगह पाने की होड़।
पांव रखने की जगह मिल जाए तो लटक कर पहुंचेंगे पहले शिक्षण संस्थान और फिर शाम को सफर शुरू होगा घर का। शहर के तमाम चौराहों पर ऐसे दृश्य आम हैं। ऐसे खौफनाक दृश्यों को दैनिक भास्कर के फोटो जर्नलिस्ट प्रवीन वर्मा ने जिंदल चौक पर अपने कैमरे में कैद किया।
दूर से आती दिखी बस
और भाग पड़े छात्र
छत पर चढ़ो...
खतरों भरा सफर शुरू
'मैं निर्दोष हूं, क्षमा करना'..लिख थाना प्रभारी ने खुद को किया मौत के हवाले
मुझे दो दिन पहले एडिशनल डीजीपी के चालक कमल सिंह ने टेलीफोन पर धमकी दी थी। उसी के द्वारा यह कार्रवाई कराई गई है। मैं निर्दोष हूं, मुझे क्षमा करना। मन्नू के परिजनों को आशंका है कि या तो उनकी हत्या की गई है या कमल द्वारा परेशान करने के बाद उन्होंने यह कदम उठाया।
उधर, कमल के बारे में पुलिस कोई जानकारी नहीं दे पाई। एसीबी ने बूढ़ीबावल के बिचौलिया अजय को कार छुड़वाने के लिए 1.20 लाख रु. लेते गुरुवार शाम पकड़ा था। उसने कहा था कि उसने मन्नू के लिए यह राशि ली।
पुलिस के लिए जी का जंजाल बन गई सिर्फ एक भूल!
शिमला पहले जुब्बल की युवती फिर यूनिवर्सिटी की छात्रा। साइबर क्राइम के शातिरों ने अब शिमला पुलिस को भी निशाना बना दिया है। इन शातिरों ने शिमला ट्रैफिक पुलिस का ही फर्जी फेसबुक अकाउंट बना डाला है। शातिर पिछले कई महीनों से इस अकाउंट को चला रहा है।
यही नहीं, इसने अकाउंट के जरिए अब तक 76 लोगों को अपना दोस्त भी बना रखा है। शिमला की ट्रैफिक पुलिस तो अपना अकाउंट नहीं बना सकी, लेकिन किसी शातिर ने पुलिस का अकाउंट जरूर चला रखा है। इस फेसबुक अकाउंट में शातिर ने अपनी जन्मतिथि 16 अक्टूबर 1997 डाल रखी है। जो लोग इस अकाउंट से जुड़े हैं, उन्हें इस अकाउंट से दीवाली आदि त्योहारों के मैसेज भी भेजे गए हैं।
पुलिस महकमा बेखबर है। यहां तक आलाधिकारियों को भी इसकी सूचना नहीं है। ट्रैफिक सिस्टम में सुधार के लिए लोगों के सुझाव लेने के लिए दिल्ली और पंजाब पुलिस ने अपने फेसबुक अकाउंट बना रखे हैं। इसके माध्यम से लोग इन शहरों की यातायात समस्या से ट्रैफिक पुलिस को अवगत करवाते हैं। डीएसपी ट्रैफिक पुनीत रघु का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस का कोई अकाउंट अभी नहीं बना है। उन्होंने कहा कि इस जाली अकाउंट को जल्द ही बंद कर दिया जाएगा।
पहले पासवर्ड भूल गई थी पुलिस
ट्रैफिक पुलिस ने इस साल के शुरुआत में अपना फेसबुक अकाउंट बनाया था लेकिन पासवर्ड याद न रहने से यह अकाउंट पुलिस के लिए जी का जंजाल बन गया। अब इस अकाउंट को हैक कर नया अकाउंट बनाने की योजना बन रही थी लेकिन शातिरों ने पहले ही फर्जी अकाउंट बना डाला।
आप भी अगर लेते हैं दर्द निवारक दवा तो हो जाएं सावधान क्योंकि...
इनमें से 75 प्रतिशत ऐसे होते हैं जो डॉक्टर की सलाह के बिना पुरानी पर्ची के आधार पर या सीधे केमिस्ट वाले से दवा ले लेते हैं। यह सोचे बिना कि इन दवाओं से लिवर, किडनी और अन्य हिस्सों पर साइड इफेक्ट हो सकता है। डॉक्टरों की मानें तो डॉक्टरी सलाह के बिना लंबे समय तक दर्द निवारक दवाओं का एक जैसा डोज लेने से इनका असर नहीं होता है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग ने एक अध्ययन किया। इसमें 15 से 30 साल तक के इंजीनियरिंग, मेडिकल, कोचिंग क्लास के 80 छात्र और बीपीओ कॉल सेंटर के 20 कर्मचारियों को शामिल किया गया। ये वे लोग थे जो मामूली सिर, पेट, जोड़ों या अन्य प्रकार का दर्द होने पर तुरंत दर्दनिवारक गोलियां खाने लगते हैं। इनमें से कुछ को इसकी जरूरत भी नहीं होती है।
इनमें से 10 फीसदी ने बताया कि दवा का असर नहीं होने पर वे खुद डोज बढ़ा देते हैं। कुछ लोग परिजन, केमिस्ट वाले और दोस्तों के कहने पर ये दवा ले लेते हैं। वहीं कुछ लोग पुरानी पर्ची लेकर मेडिकल स्टोर से दवा ले लेते हैं। इनमें से आठ फीसदी ने माना कि दवा खाने के बुरे असर के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ा।
मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. संजय दीक्षित के अनुसार सिरदर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे तनाव, गैस, पेट दर्द आदि। अकारण ही दर्द निवारक दवाओं की बिक्री रोकने के लिए सत कानून बनाया जाए। डॉक्टरी सलाह के बिना ये दवाएं न दी जाएं।
इनका उपयोग
डिस्प्रिन 57 प्रतिशत, कॉम्बिफ्लेम 28, क्रोसिन सात और अन्य दवाएं आठ फीसद
ये हैं साइड इफेक्ट
उल्टी, खुजलाहट, किडनी, लिवर की खराबी, गंभीर सिरदर्द।
मोहब्बत में अपनों ने खड़ी की दीवार, और इश्क हुआ कुर्बान!
भाई और उसके साथ बाइक पर बैठी लड़की बाइक से उतरकर तेज दौड़ लगाते हुए करीब साढ़े चार फीट की रैलिंग फांदकर नर्मदा में कूद गए। गहरे पानी में एक बार तो वह फड़फड़ाते हुए बाहर आए लेकिन बाद में पानी की सतह पर केवल बुलबुले ही दिखे। रूदनभरे स्वर में गणपुर के इम्तियाज ने यह बात कही।
इम्तियाज ने बताया उसके बड़े पापा का लड़का अजरुद्दीन पिता नूर मोहम्मद मंगलवार से जिला धार की अवलदा निवासी ज्योति पिता केरिया के साथ घर से गायब था। परिजनों को पता चला कि दोनों राजपुर में रह रहे हैं तो इम्तियाज उन्हें लेने शुक्रवार को राजपुर पहुंचा। यहां से दोनों को बाइक पर बैठाकर वह घर (गणपुर) ले जा रहा था।
इस दौरान दोनों ने बड़े पुल पर आकर योजनाबद्ध तरीके से बाइक रुकवाई और गहरे पानी में कूदकर मौत को गले लगा लिया। मामले की जांच कर रहे बड़वानी थाने के एएसआई कमल पंवार व आरक्षक कृष्णकुमार आर्य ने बताया मामला प्रेमप्रसंग का लग रहा है। पुलिस जांच में जुटी है। शाम करीब 6 बजे से स्थानीय गोताखोरों को बुलाकर शवों की खोजबीन जारी कर दी थी।
अपडाउन करती थी लड़की
पुलिस ने बताया अजरुद्दीन बस पर क्लिनर था। इसी बस से ज्योति मनावर से बड़वानी अपडाउन करती थी। ज्योति आशाग्राम में नर्स की ट्रेनिंग कर रही थी। इस दौरान दोनों की नजदीकियां बढ़ गई और मंगलवार को दोनों ने साथ रहने का निर्णय लेकर परिजनों को छोड़कर राजपुर में रहने लगे।
LIVE मौत का दर्दनाक हादसा,बेबस रह गए चश्मदीद!
रींगस.वह तेज गति से बाइक लेकर आया, पटरियों के पास बाइक को रोका। फाटक खुलने के इंतजार में खड़े लोग कुछ समझ पाते इससे पहले ही वह पटरियों पर लेट गया। कुछ ही पल में मालगाड़ी आ गई और शरीर दो हिस्सों में बंट गया। यह दिल दहलाने वाली घटना शुक्रवार दोपहर कस्बे में भीड़भाड़ वाले रेलवे क्रॉसिंग के पास हुई। मरने वाला नौजवान अजीतगढ़ क्षेत्र का रहने वाला था।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दोपहर करीब 12 बजे मालगाड़ी आने की वजह से कस्बे के बीच में स्थित फाटक संख्या 108 बंद था। इस दौरान वहां एक युवक बाइक से पहुंचा और फाटक से करीब 500 मीटर दूर जाकर पटरियों के पास खड़ा हो गया।
कुछ पल में वह पटरियों के बीच लेट गया। फाटक के पास खड़े लोग कुछ कर पाते इससे पहले ही मालगाड़ी उसके ऊपर से गुजर गई। बाद में लोग वहां दौड़कर पहुंचे, लेकिन वह दम तोड़ चुका था। मौके पर पहुंची पुलिस को उसकी जेब से एक पर्ची मिली।
इसके आधार पर उसकी शिनाख्त बलदेव उर्फ जगदीश प्रसाद (26) पुत्र भगवान सहाय यादव निवासी रायपुर जागीर अजीतगढ़ के रूप में हुई। बाद में परिजनों के पहुंचने पर शव का पोस्टमार्टम करवाकर उनके सुपुर्द कर दिया गया। पुलिस ने मर्ग दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
उसके रिश्तेदारों ने पुलिस को बताया कि वह सुबह करीब 9.30 बजे घर से निकला था। उसने घर में किसी को कुछ नहीं बताया था। बलदेव शादीशुदा था और उसके दो बच्चे हैं। वह खेती का कार्य करता था।
इधर, हादसे की वजह से फुलेरा से रेवाड़ी जाने वाली यात्री गाड़ी करीब 25 मिनट विलंब से रेलवे स्टेशन पहुंची। इससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। बाद में सफाई कर्मियों को बुलाकर ट्रैक की सफाई करवाई गई। इसके बाद गाड़ी को पास किया गया।
पुजारी ने किया चमत्कार, गोमूत्र से चला दी घड़ी
शहर की शिवाजी कॉलोनी स्थित शिव मंदिर के पुजारी पंडित संदीप पाठक ने करीब दो साल की मेहनत के बाद यह सफलता हासिल की है। उन्होंने करीब डेढ़ लीटर गोमूत्र एकत्रित किया। उन्हें तीन अलग-अलग जग में रखा। इसके बाद उसमें जिंक व कॉपर प्लेट की मदद से सर्किट तैयार किया। इससे करीब 1.5 वाट की एनर्जी पैदा हुई, जिससे घड़ी चलने लगी। जिंक व कॉपर गोमूत्र में से इलेक्ट्रॉड निकाल लेता है।
उनके अनुसार डेढ़ लीटर गो मूत्र से करीब 40 दिन तक घड़ी चलाई जा सकती है। वैसे एक बैटरी से घड़ी आमतौर पर करीब नौ से 12 माह तक चलती है। पंडित संदीप बताते हैं कि घड़ी चलाने के बाद अगला लक्ष्य ट्रांजिस्टर चलाना है। अगर ट्रांजिस्टर में सफलता मिली तो वे बल्ब जलाने के लिए प्रयोग करेंगे। उनका मकसद लोगों को गोमूत्र की शक्ति से रूबरू कराना है। आज लोग गो माता को भूलते जा रहे हैं।
मां तीन साल तक दूध पिलाकर अपने बच्चों को बड़ा करती है, लेकिन गोमाता ताउम्र दूध पिलाती है। भैंस का कटड़ा जन्म लेता है तो वह सुस्त रहता है। जब गाय बछड़े को जन्म देती है तो वह कुछ क्षण बाद ही खड़ा हो जाता है। इससे पता चलता है कि गो माता कितनी शक्तिशाली है।पंडित संदीप बताते हैं कि पिछले साल गोपाष्टमी पर इसका प्रयोग किया था, लेकिन तब सफलता नहीं मिल पाई थी। अब तीन अक्टूबर को गोपाष्टमी पर्व था, जो कि भगवान कृष्ण से जुड़ा है।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने बछड़ों की जगह गोमाता को चराना शुरू किया था। यह दिन काफी पवित्र है, इसलिए मेरा लक्ष्य था कि गोपाष्टमी के दिन गोमूत्र से नया आविष्कार किया जाए। पिछले करीब दो साल की मेहनत अब रंग लाई है।
एमडीयू के बायोकेमेस्ट्री डिपार्टमेंट की प्राध्यापिका डॉ. रितु पसरीजा के अनुसार वैसे हर लिक्विड में सॉल्यूशन होता है, लेकिन इस शोध में गोमूत्र से जो घड़ी चलाई है, उसमें बिजली की क्षमता, स्टोर करने और कितनी देर तक काम करने जैसे सवालों की गहराई में जाना पड़ेगा। जहां तक गो माता के दूध व गोमूत्र की बात है, वह कई मामलों में सिद्ध हो चुकी है।
में तो अकेला चला था जानिबे मंजिल ................
आतंकवादियों सावधान! 65 हजार फीट से मौत बरसाएगा नया अमेरिकी ड्रोन
द फैंटम आई नामक इस ड्रोन को बोइंग की फैंटम वक्र्स डिवीजन ने तैयार किया है। फैंटम आई से अत्यधिक ऊंचाई से निगरानी और सर्वेक्षण किया जा सकेगा। सोमवार को कैलिफोर्निया के एडवड्र्स एयर बेस से फैंटम आई ने पहली उड़ान भरी।
यही नहीं बोइंग एक ऐसा मानवरहित विमान विकसित कर रहा है जो 10 दिन तक उड़ान भर सकेगा। फैंटम रे नामक यह ड्रोन अप्रैल में अपनी पहली उड़ान भरेगा। बोइंग फैंटम वक्र्स के प्रेसिडेंट डेरिल डेविस के मुताबिक, ‘फैंटम आई अपनी तरह का पहला ड्रोन है। सूचनाएं और जानकारी इकट्ठा करने के मामले में यह नए रास्ते खोलेगा। इसमें मौजूद नई तकनीक सेना, नागरिक और व्यवसायिक उपयोग के लिए खासी महत्वपूर्ण साबित होंगी।’
ओसामा की मौत में भी था घोटाला, पूर्व कमांडर ने खोली पोल
पहले दावा किया गया था कि 45 मिनट की गोलीबारी के बाद लादेन को मारा गया था।
द टेलीग्राफ अखबार ने पूर्व कमांडर चक पीफैरर के हवाले से यह जानकारी दी। पीफैरर ने कार्रवाई का जो ब्योरा दिया है वह सील के आधिकारिक बयान से बिल्कुल अलग है। सील की टीम लादेन के आवास पर कैसे उतरी और उसका ब्लैक हाक हेलीकाप्टर कैसे दुर्घटनाग्रस्त हुआ इन सबके बारे में पीफैरर का ब्योरा बिल्कुल अलग है।
पीफैरर ने कहा, लादेन कार्रवाई शुरू होने के 90 सेंकड के भीतर ही मारा गया था। इसके लिए कार्रवाई लम्बी नहीं चली थी। सिर्फ चार राउंड गोलियों में ही उसका काम तमाम हो गया था। सील के जवान हेलीकाप्टर के जरिये पहले जमीन पर नहीं बल्कि लादेन के मकान की छत पर इकट्ठा हुए थे।
उन्होंने बताया कि लादेन के मारे जाने के बाद जब हेलीकाप्टर ने वापसी की उडान भरी तभी वह मुख्य आवास की पूर्वी चहारदीवारी में गिर पडा। उन्होंने कहा कि आधिकारिक जानकारी में बताया गया था कि सील के जवान पहले नीचे उतरे फिर वे सीढियों से होते हुए लादेन तक पहुंचे थे। पूर्व कमांडर ने कहा कि यदि ऐसा करने की भूल की गयी होती तो लादेन को खुद का बचाव करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता।
सऊदी अरब में जन्मे लादेन पर 11 सितंबर 2001 में अमेरिका के न्यूयार्क और वाशिंगटन में आतंकवादी हमले का आरोप था। वह अमेरिका के सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों की सूची में शीर्ष पर था। सील के जवानों ने दो मई को उसे ऐबटाबाद में मार गिराया था।
जानिए , किन लोगों को नरक में जाना पड़ता है?
हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद के जीवन पर एक पूरा पुराण लिखा गया है।इसे गरुड़ पुराण कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि गरुड़ पुराण उचित और अनुचित का ज्ञान करवाकर मनुष्य को धर्म और नीति के अनुसार जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा देता है। ये मनुष्य के शुभ-अशुभ कर्मों का विश्लेषण कर उन्हें सत्कर्म करने को प्रेरित करता है और दुष्कर्म करने से रोकता है।
इसी पुराण में उल्लेख मिलता है कि कौन लोग नर्क में जाते हैं। इसमें उल्लेख के अनुसार गरुड़ भगवान विष्णु से पूछते हैं कि भगवान किन पापों के कारण इंसान नर्क में जाता है तो भगवान उत्तर देते हैं- यमदूत कैसे पापियों को प्रताडि़त कर नरक में गिराते हैं उन्हें तुमसे कहता हूं।
- जो स्त्रियों, बालकों, नौकरों, गुरु को बिना भोजन कराये अकेला भोजन करे।
- विष्णु भगवान को बिना नैवेद्य लगाए भोजन करे।
- जो शंकु, काष्ट, पत्थरों, कांटों से मार्ग रोकते हैं।
- जो शिव, शिवा की, विष्णु, सूर्य , गणेश, सदगुरु व पंडित की पूजा नहीं करते वे नरक में जाते हैं।
- जो कामांध होकर राजस्वला स्त्री का सेवन करे।
- अपने शस्त्र बेचने वाले नरक में जाते हैं।
- अनाथ पर दया नहीं करने वाले।
- अपराध के बिना किसी को दण्ड देने वाले सब नरक में जाते हैं।
- किसी भी जरूरतमंद को भोजन की आशा बंधाकर भोजन न करवाने वाले।
- दया न करने वाले और सबसे कपट रखने वाले भी नरक में जाते हैं।
- दोस्त को धोखा देने वाले, आशा भंग करने वाले सब नरक में जाते हैं।
- विवाह, यात्रा आदि पर जाने वाले को लुटने वाला नरक में जाता है।
मंगलवार को सावधान !! धरती के पास से गुजर रहा है 'कोई'
एमपी बिरला प्लेनेटेरियम के निदेशक डीपी दुआरी ने बताया कि हालांकि क्षुद्र-ग्रह को खतरनाक वस्तु माना जाता है, लेकिन 2005 वाय यू-55 क्षुद्र-ग्रह से पृथ्वी को अगले 100 सालों तक कोई खतरा नहीं है। यह क्षुद्र-ग्रह 1.22 साल में सूरज की एक परिक्रमा करता है। 200 सालों में पहली बार 2005 वाय यू-55 क्षुद्र-ग्रह धरती के सबसे करीब होगा। यह घटना 2028 में फिर होगी। तब यह धरती से 2.48 लाख किलोमीटर की दूरी पर होगा।
इन लोगों को दिखाई देतें है भूत प्रेत और एहसास होता है रूहानी ताकत का..
ये सच है कि रूहानी ताकतें या मृत आत्माएं दिखती हैं। इनके होने का एहसास भी होता है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनको तीसरी दुनिया की ताकत या किसी आत्मा के होने का इहसास होता जाता है। ज्योतिष के अनुसार कुछ लोगों के जन्म के समय सितारों की ऐसी विशेष स्थिति होती जिनके कारण उनको भूत-प्रेत, रूहानी ताकतें या मृत आत्माएं दिखाइ देती हैं और उनके होने का एहसास भी होता है।
पढि़ए किन लोगों को दिखती है ऐसी ताकतें
अ इ उ ए- जिन लोगों के नाम की शुरुआत इन अक्षरों से होती है ऐसे लोगों को मृत आत्माएं दिखती है या इनके होने का एहसास होता है।
डी डू डे डो- इन अक्षरों से शुरू होने वाले नाम के लोग यानि कर्र्क राशि वालों को आत्मा दिखाई दे सकती है । इन लोगों को ऐसी ताकत के होने का एहसास भी होता है।
मा मी मू मे- इन अक्षरों से शुरू होने वाले नाम के लोगों को भी रूहानी ताकत के होने का एहसास हो जाता है।
पे पो रा री- इन अक्षरों के नाम वाले लोगों को आत्मा और रूहानी ताकतों का साथ मिलता है।
ती तू ते तो- अगर आपका नाम इन अक्षरों से शुरू होता है तो आपको भी मृत आत्मा या रूहानी ताकतें दिखती है।
नो या यी यू- वृश्चिक और धनु राशि के लोग जिनका नाम इन अक्षरों से शुरू होता है ऐसे लोगों को इन ताकतों का इहसास होने लग जाता है।
ये यो भ भी- अगर आपका नाम भी इन अक्षरों से शुरू होता है तो आपको मृत आत्मा या भूत प्रेत जैसी ताकतों का एहसास होने लगेगा।
गा गी गू गे- अगर ये आपके नाम के शुुरुआती अक्षर हैं तो आपको रूहानी ताकतों का एहसास होगा और ये ताकतें आपको दिखेगी भी सही
गो सा सी सू- कुंभ राशि के इन अक्षरों से शुरू होने वाले नाम के लोगों को भी मृत आत्माएं दिखती है और इन लोगों को ऐसा एहसास भी होने लगता है।
महंगाई को मातः यहां आज भी 10 रुपए किलो मिलती है चीनी!
सरकार के पास भले ही महंगाई पर लगाम कसने के लिए कोई नुस्खा ना हो लेकिन दिल्ली में बुजुर्गों के एक समूह के पास इसका तोड़ मौजूद है। यह ग्रुप हर शनिवार को दाल, चावल, चीनी, आटा, बेसन तथा रसोई में इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को बेहद सस्ते में उपलब्ध करवाता है। आपको जानकर हैरानी होगी की इस अनोखे स्टोर में आपको आज भी चीनी 10 रुपए प्रति किलो और आटा 12 रुपए प्रति किलो जैसी सस्ती कीमत पर उपलब्ध हो जाएगा।
पूर्वी दिल्ली के जगतपुर इलाके के इस ग्रुप के ज्यादातर सदस्य सेवानिवृत कर्मचारी हैं। इस कार्य का संचालन करने वाले जी आर मल्होत्रा (78 साल) खुद लोक निर्माण विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर हैं। अपने इस अभियान के बारे में मल्होत्रा बताते हैं, 'मैंने बाबा लाल सिंह की प्रेरणा से 1971 में सस्ती दरों पर राशन देने का फैसला लिया था। उस समय भारत-पाकिस्तान युद्ध के चलते महंगाई आसमान छू रही थी। हमारा यह प्रयास आम लोगों के लिए था।'
उनका कहना है कि शुरू में यह काम 10-10 किलोग्राम दाल और चावल से शुरू किया गया था। लेकिन सस्ते राशन का यह काम आज टनों में पहुंच गया है। राशन वितरण का यह काम हर शनिवार सुबह साढ़े पांच बजे से रात के आठ बजे तक किया जाता है। खास बात यह है कि इस काम के लिए कोई सरकारी मदद भी नहीं ली जाती है।
आप सोच रहे होंगे कि इतना बड़ा अभियान बिना की सरकारी मदद के कैसे चल रहा है? तो जनाब हम आपको बता दें कि यह पूरा काम दान में मिली रकम के सहारे किया जाता है। दान में मिले पैसों से हर बुधवार को दिल्ली के थोक बाजारों से दालें, चावल और अन्य घरेलू सामान खरीदा जाता है। फिर इनके एक-एक किलो के पैकेट बनाए जाते हैं।
जी आर मल्होत्रा बताते हैं कि कई बार जब दान में ज्यादा बड़ी रकम मिल जाती है तो चीनी की कीमत मात्र 5 रुपए प्रति किलो भी कर दी जाती है और इसी तरह अन्य वस्तुओं की कीमत भी घटा दी जाती है। एक और अच्छी बात यह भी है कि यहां कोई भी आकर खरीददारी कर सकता है। इस काम में फिलहाल 45 लोग जुड़े हुए हैं जो निःस्वार्थ भाव से सेवा के तौर पर इस काम में हाथ बंटाते हैं।
चीन को संदेश, जापानियों से साथ मिलकर हिंदुस्तान करेगा सैन्य अभ्यास
नई दिल्ली. हिंदुस्तान और भारत के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत और जापान परस्पर सामरिक संबंधों का दायरा बढ़ाएंगी। इसके लिए वे सशस्त्र बलों के साझा प्रशिक्षण के अलावा नियमित सैन्य अभ्यास पर सहमत हो गए हैं।
दोनों देशों के बीच अगले साल से द्विपक्षीय रक्षा नीति संवाद भी शुरू होने जा रहा है। इसके लिए 2012 के आरंभ में जापानी रक्षा मंत्री यासुवो इचिकावा भारत आएंगे। इस आशय की सहमति दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच टोक्यो में हुई बातचीत के दौरान बनी।
सूत्रों के मुताबिक अगले साल दोनों देशों की सेना और वायु सेना के बीच सैन्य संवाद के कार्यक्रम को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। रक्षा मंत्री एके एंटनी व उनके जापानी समकक्ष इचिकावा की बातचीत के दौरान समुद्री सुरक्षा, डकैती निरोधक उपाय, निर्बाधित नौ वहन की स्वतंत्रता और समुद्री संचार की सुरक्षा जैसे मसले छाए रहे।
समुद्री डकैतों का जिक्र करते हुए एंटनी ने कहा कि उन्हें दंडित करने के लिए कानूनी ढांचे के साथ-साथ इसमें प्रयुक्त होने वाले धन पर निगरानी की भी जरूरत है ताकि उसे आतंकी गुटों के हाथों तक पहुंचने से रोका जा सके।
दोनों देशों ने इस समस्या से पार पाने के लिए किए जा रहे संयुक्त उपायों पर भी चर्चा की। साथ ही क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मसलों पर खुलकर बात हुई। एंटनी के साथ गए प्रतिनिधिमंडल में रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा, जापान में भारत के राजदूत आलोक प्रसाद, नौसेना उप प्रमुख वाईएस एडमिरल आरके दीवान और सेना की मध्य कमान के प्रमुख ले. जन वीके आहलूवालिया भी शामिल थे।