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05 नवंबर 2011

11.11.11 अद्भुत संयोग: बेटा होगा पुरुषार्थी, बेटी शक्ति की अवतार


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धनबाद । ऋतु चक्रवर्ती मां बनने वाली हैं। वह और उनका परिवार नन्हे मेहमान के इंतजार में पलक पांवड़े बिछाए है। लेकिन उनकी इच्छा है कि बच्चा सदी की खास तारीख 11-11-11 को इस दुनिया में आए। ऋतु सुरक्षित प्रसव के मद्देनजर शुक्रवार को नर्सिंग होम में एडमिट भी हो गईं। वह रेलवे में कार्यरत है।

ऐश भी बनेंगी मां : ऐश्वर्या भी इसी दिन मां बनेंगी। डिलिवरी डेट १४ नवंबर को है। चूंकि अमिताभ बच्चन का जन्मदिन ११ को पड़ता है और 11.11 का संयोग है, इसलिए नन्हा बच्चन भी ११ को आएगा।

इस दिन सिजेरियन भी चलेगा

इस खास तारीख का क्रेज कुछ ऐसा है कि लोग सिजेरियन के लिए भी तैयार हैं। जिनके बच्चे का जन्म इस तारीख के पहले संभावित है, वे 11 तक टालने का आग्रह डॉक्टर से कर रहे हैं।


एडवांस बुकिंग शुरू

इस खास तारीख को संतान को जन्म देने की इच्छा रखने वाली महिलाओं ने नर्सिंग होमों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। कइयों ने तो एडवांस बुकिंग भी करा ली है। जिनके बच्चे का जन्म इस खास तारीख के दो-चार दिन आगे-पीछे संभावित है, वे भी इसी तारीख को मां बनना चाहती हैं।

सर्वगुण संपन्न बच्चा

रेलकर्मी ऋतु भी 11.11.11 को ही मां बनना चाहती है। ऋतु ने कहा कि उनकी कामना स्वस्थ और सर्वगुण संपन्न बच्चे की है। ज्योतिष के अनुसार ११.११.११ को जन्म लेने वाले बच्चों में ये गुण मौजूद होंगे।

एक्सपर्ट व्यू

जन्म को ले अनुमानित तिथि में एक-दो दिनों का अंतर होना आम बात है। ऐसे में एक-दो दिनों के अंतर वाले गर्भवती महिलाओं को 11.11.11 को प्रसव करवाने में कोई खतरा नहीं है। बशर्ते की मां और बच्चे के स्वास्थ्य की जांच अच्छी तरह कर ली जाए। मान्यताओं के अनुसार यह दिन काफी शुभ बताया जाता है। डॉ संगीता करण, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ

बेटा हुआ तो

धनवान और राजयोग

ईमानदार, ऊर्जावान

कुशल नेतृत्वकर्ता

पुरुषार्थी होगा

बेटी हुई तो

शक्ति का अवतार

संगीत से लगाव

धर्मपरायण होगी

लेखनी में निपुण

जानिए, क्‍या है 'केबीसी' के पुराने करोड़पतियों का हाल?


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नई दिल्‍ली.‘कौन बनेगा करोड़पति’ शो में पांच करोड़ रुपए जीतने वाले सुशील कुमार ने मोतिहारी में अपने घर पहुंचते ही नया घर बनवाने की बात की। इसी तरह गेम शो पर पहले करोड़पति बन चुके हर्षवर्धन नवाथे और राहत तस्लीम की जिंदगी में भी बहुत बदलाव आए। राहत का घर बन रहा है। हर्षवर्धन ने इंग्लैंड जाकर एमबीए किया। और क्या-कुछ नया हुआ इनके जीवन में भास्कर ने पता लगाया:

पति की नौकरी छुड़वा ली है, अब मिलकर करेंगे कपड़ों का कारोबार
अमित राजा. गिरिडीह
‘कौन बनेगा करोड़पति’ शो पर देश की पहली महिला करोड़पति बनीं राहत तस्लीम का गिरिडीह में तिमंजिला मकान बन रहा है। पहले यहां दो हॉल और दो कमरे ही थे। महंगे टाइल्स ने घर को भव्य बना दिया है। घर में अच्छे फर्नीचर आ गए हैं। दिवाली पर उन्होंने माइक्रोवेव ओवन खरीदा है और एलसीडी टीवी बुक कराया है। उन्होंने कोच्चि में 8000 रुपए की नौकरी करने वाले पति को भी अपने पास बुला लिया है। वे राहत की योजनाओं को पूरा करने में मदद कर रहे हैं। 27 नवंबर 2010 को करोड़पति बनने से पहले राहत सिलाई करके अपने परिवार का गुजर-बसर कर रही थीं। अब वे बिजनेस की नई योजना बना रही हैं।

राहत के मुताबिक ‘मैं बुटीक खोलना चाहती थी। मगर गिरिडीह में इस कारोबार का भविष्य न देखकर अब कपड़े का व्यवसाय करने का फैसला लिया है। पांच लाख रुपए घर पर खर्च करने के बाद बाकी पैसे बिजनेस में लगाऊंगी। घर का काम पूरा होते ही बिजनेस में जुट जाऊंगी।’ पहले बेटा-बेटी की पढ़ाई का भार उठाना मुश्किल हो रहा था, मगर अब बच्चे उसी बीएनएस डीएवी में पढ़ रहे हैं। उनकी नियमित फीस जमा हो रही है। तस्लीम ने बेटी की शादी और बेटे की उच्च शिक्षा के लिए भी निवेश किया है।

आईएएस नहीं बन पाए लेकिन एमएनसी में पाया बड़ा ओहदा
विनोद यादव. मुंबई
‘कौन बनेगा करोड़पति’ शो के पहले विजेता हर्षवर्धन नवाथे ने करोड़पति बनने के बाद इंग्लैंड जाकर एमबीए किया। वे आज बहुराष्ट्रीय कंपनी के मार्केटिंग विभाग में कार्यरत हैं। हालांकि, गेम शो में जब वे शामिल होने गए थे तब वे आईएएस बनना चाहते थे। लेकिन करोड़पति बनते ही उनका जीवन बदल गया। ग्लैमर की चकाचौंध से उनका लक्ष्य भटका। जब वे यूपीएससी की परीक्षा देने पहुंचे तो उम्र चार-पांच दिन अधिक हो चुकी थी। वे अपात्र घोषित कर दिए गए। 11 अक्टूबर 2000 को 26 साल के हर्षवर्धन को गेम शो के जरिए देश के पहले करोड़पति बनने का खिताब मिला था। वे आज सायन-प्रतिक्षानगर (मुंबई) स्थित म्हाडा की इमारत में रहते हैं।

सीबीआई अधिकारी रहे हर्षवर्धन के पिता विनायक नवाथे स्वीकार करते हैं कि उनके बेटे के जीवन में केबीसी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। हर्षवर्धन ने मराठी टीवी सीरियल की अभिनेत्री से विवाह किया है। हालांकि, उनका रहन-सहन अब भी मध्यवर्गीय परिवारों की तरह ही है। हर्षवर्धन के पिता आज भी मुंबई के पूर्वी उपनगर के घाटकोपर इलाके की मध्यमवर्गीय सोसायटी में रहते हैं। करोड़पति बनने के बाद उनके बेटे से मिलने वालों का हुजूम यहीं उमड़ा था।

अभी भी वक्त है ना समझे तो कोंग्रेस को तलाशते रह जाओगे

दोस्तों हम राजस्थान के कोंग्रेसी वोटर हैं यहाँ हमे भेड़ चाल चलने वाला वोटर कहा जाता है और सच यही है के हमारे कार्यकर्ताओं और वोट के बल पर यहाँ कोंग्रेस की सरकार बनती है ..हमारे मुस्लिम लोग जो दुसरे समाजों के मुकाबले में काम अकाल माने जाते है और बिना बुद्धी का इस्तेमाल किये कोंग्रेस सिर्फ कोंग्रेस को ही वोट देने वाले गुलाम कहे जाते है ..किसी भी चुनाव में अगर हमारे समाज का कोई भी नेता बगावत कर खड़ा हो जाए तो हम कोंग्रेस के समर्थन में उनके कपड़े फाड़ने के लियें निकल पढ़ते है और उन पर भाजपा से रूपये लेकर चुनाव में खड़े होने के खुले आरोप लगाते हैं .आज केंद्र और राजस्थान में हमारी अपनी यानी हमारे वोट पर बनी सरकार है ..इनके मंत्री हमे एक बुलाते हैं हम हजारों की तादाद में अपना सब कुछ छोड़ कर चले जाते हैं कोंग्रेस के इशारे पर हम हमारे भाई ..धर्म गुरु का अपमान ही नहीं करते बलके उनसे सडकों पर भी निपट लेते हैं नेता और मंत्रियों के पास जाकर हम एक दुसरे मुस्लिम भाई की बुराई कर मुखबिरी करते है और आज देख लोग सरकार है तो हम कहां खड़े है राजस्थान में मंत्री कितने है मुस्लिम इदारों में नियुक्तियों का क्या हाल है कहां कितने मुस्लिम नियुक्त हुए ..गोपालगढ़ ..मोडक...सरवाड़ में क्या हाल है ..आज कोनसे ऐसे हालात बने के कोटा सहित राजस्थान के मुसलमानों को ईद जेसे त्यौहार पर काली पट्टी बांध कर प्रदर्शन करना पढ़ रहा है ................ दोस्तों हम अधिकतम कोंग्रेसी हैं हमे कमसे कम इस मामले में सोचना चाहिए और हमारे जो कोंग्रेस के नेता हैं उनकी आँखों में आँखें डाल कर उनसे इन हालातों पर जवाब तलब करना चाहिए हम जो मंत्रियों और नेताओं के चमचे कहलाते हैं अगर ऐसा नहीं कर सके तो हम कोंग्रेस का ही नुकसान कर रहे है क्योंकि कोंग्रेस इन्साफ सिखाती है कोंग्रेस लोकतंत्र सिखाती है कोंग्रेस एक खुशनुमा आज़ादी सिखाती है और अगर मुसलमान नेता यूँ ही निजी लाभों के लियें खुद भी शोषित होता रहा और मुसल्मानों पर हो रहे ज़ुल्मों को सहता रहा तो एक दिन राजस्थान बीहार..उड़ीसा..उत्तरप्रदेश..पश्चिमी बंगाल हो जाएगा जहां कोंग्रेस का नाम लेवा भी नहीं मिलेगा लेकिन इसके लियें ज़िम्मेदार हम और आप और हमारे नेता जो निजी लाभों के लियें स्वार्थ सिद्धि कर नेताओं के तलवे चाहते है तो दोस्तों उठों कोंग्रेस को बचाने के लियें ऐसे नेताओं के खिलाफ संघर्ष करो जो लोग कोंग्रेस को डुबो रहे हैं कोंग्रेस के परम्परागत वोटों को कोंग्रेस से दूर कर रहे हैं ..मुसलमानों को कोंग्रेस से दूर करने के लियें षड्यंत्र के हालात बना रहे हैं ना मुस्लिम इदारों में नियुक्तियां होती हैं ना ही उन्हें उचित प्रतिनिधित्व मिलता है और जब कोंग्रेस के शासन में कोई ज़ुल्म होता है तो इन्साफ नहीं होता ..क्या इस शिकायत को हम और कोंग्रेस को बचाने के समर्थक नेता हाईकमान तक पहुंचा कर कोंग्रेस में रहकर कोंग्रेस की जड़े काटने वाले नेताओं की यह राम कहानी उन तक पहुंचा कर कोंग्रेस को बचा पायेंगे देख लो अभी भी वक्त है ना समझे तो कोंग्रेस को तलाशते रह जाओगे ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अमन का पैग़ाम अब करने है लगा दिलों पे असर



जी हाँ अमन का पैग़ाम है ही ऐसी चीज़ जिसका असर सीधे दिलों पे हुआ करता है. इस ब्लॉग ने पिछले १६ महीनो मैं इस समाज मैं अशांति फैलाने वाले हर संभव कारणों पे नज़र डाली और लेखों के ज़रिये उनका हल तलाशने कि कोशिश की. एक इंसान दुसरे इंसान से दो तरह के रिश्ते काएम कर सकता है. की होती है एक नफरत का जो दिलों को बांटता है और दूसरा मुहब्बत का जो दिलों को जोड़ता है. आप सभी के सहयोग से अमन का पैग़ाम ब्लॉग ने मुहब्बत के रिश्ते रखने और नफरत के रिश्तों को ख़त्म करने की हमेशा कोशिश की है और करता रहेगा.

जब यह ब्लॉग शुरू किया था तो इस ब्लॉगजगत मैं जाति धर्म के नाम पे नफरत भरी पोस्ट और टिप्पणिओं का बोलबाला था. मित्रों ने कहा बड़ा मुश्किल होगा ब्लॉगजगत के ऐसे माहोल मैं अमन और शांति की बात करना.
मैं भी जानता था कि
"यह इश्क नहीं आसान बस इतना समझ लीजे ,एक आग का दरिया है और तैर के जाना है."

आज १६ महीनो बाद ब्लॉगजगत को देखें सहमती और असहमति अपनी जगह पे मौजूद है लेकिन ना वो धर्म के नाम पे नफरत भरे लेख हैं और ना ही वो भड़कती टिप्पणियां और सभी को यह समझ मैं आने लगा है कि यह अमन और शांति का रास्ता कि सबसे सही रास्ता है.

मैं उन लोगों का भी शुक्रगुज़ार हूं जो अमन का पैग़ाम ब्लॉग से हमेशा इस कारण से दूर रहे क्यों कि उनका मानना है कि यह अमन और शांति कि बातें केवल अच्छे लगने वाले उपदेश हैं और समझते हैं कि इन उपदेशों का कोई असर समाज पे नहीं पड़ने वाला. शुक्रगुजा इस लिए क्यों कि उन्होंने असहमति के बाद भी कभी अमन का पैग़ाम के खिलाफ काम नहीं किया और यह भी एक प्रकार का बड़ा सहयोग रहा.
हाँ मेरा मानना यही है कि यह उपदेश नफरत के अँधेरे मैं एक जलते हुए दिए काम काम करते हैं और जिनके दिलों मैं एक इंसान कि तरह मोहब्बत मजूद है उन्हें भटकने पे रास्ता यही उपदेश दिखाते हैं. इन उपदेशों कि मौजूदगी एक आशा कि किरण कि तरह से काम किया करती हैं.

मैं उन सभी लोगों से फिर से एक बार निवेदन करूँगा जो किसी कारणवश यहाँ आ के लेखकों का उत्साह नहीं बढ़ाते अरे भाई हम सब एक जैसे इंसान हैं . वही शरीर वही खून और इस दुनिया में एक जैसे ही दुःख और सुख के बीच ज़िंदगी गुज़ारने वाले इंसान हैं. एक बार धर्म जाती , नस्ल, इलाका और सहमती असहमति कि दीवारें गिरा के तो देखो तुम्हे भी यकीन हो जाएगा यह दुनिया बहुत ही सुंदर है . यहाँ नफरतों का कोई स्थान नहीं है क्यों कि इंसान कि फितरत ही एक दुसरे से प्रेम करने ,एक दुसरे को सहयोग देने और एक दुसरे के दुःख सुख मैं साथ देने कि हुआ करती है.

amnकल मैंने . एक पोस्ट लगी देखी डॉ अनवर जमाल साहब के ब्लॉग पे जहां उन्होंने अपने बेटे " अमन खान " की तसवीरें लगाई हुए थी . एक बाप के दिल मैं अपनी ओलाद का प्यार देख मुझे हमेशा ख़ुशी होती रही है क्यों कि यह सच्चा प्यार होता है. उनके बेटे का नाम "अमन" देख के भी ख़ुशी हुई और जब मैंने उनसे पूछा भाई यह नाम कहाँ से याद आया ? तो जवाब था आपका अमन का पैग़ाम अब ब्लोगर्स के दिलो दिमाग मैं बस चुका है. बस जब नाम रखने की बारी आयी तो यही नाम याद आ गया .
मैंने भी दुआ की अल्लाह से कि यह बच्चा बड़ा हो के इस समाज के लिए नेक काम करें, बलंद तकदीर हो और समाज मैं अमन और शांति कि कोशिशें करता रहे.
ATT00006.याद रहे जब भी कोई ग़लत काम करने उठोगे तो साथी बहुत मिलेंगे और ऐसे कामो मैं साथ देने और लेने कि लिए ना आप से आप कि जाति पूछेंगे ना धर्म ना शहर का पता लेकिन जब कोई अच्छा काम करोगे तो तुम्हारे खिलाफ भी लोग हो जाएंगे , तुम्हारी कमियां भी निकलेंगी और ज़रा ज़रा से अंतर जाति धर्म इलाका इत्यादि के नाम पे लोगों को तुमसे दूर किया जाएगा. भ्रष्ट लोगों को देखिये , शराबी और चोरों को देखिये यहाँ कोई नहीं पूछता अपने साथी से कि किस धर्म के हो लेकिन आप किसी को दान के लिए समाज मैं शांति के लिए अपना साथी बनाना चाहें तो आप को उसके बहुत से कहे या अनकहे सवालों का जवाब देना होगा और धर्म जाति का अंतर आप को एक साथ नेकी करने नहीं देगा. कोई अगर आप के साथ आ भी गया तो उसी तीसरा भड़काने कि कोशिश करेगा.


कम अक्ल या बेवकूफ तो इन गुमराह करने वालों के चक्कर मैं आ जाते हैं लेकिन समझदार हमेशा खुद से सवाल करता है क्यों पाप के रास्ते पे इंसान एक होता है और नेकी के रास्ते पे बंट जाया करता है? और इस सवाल का जवाब पाते ही वो गुमराह करने वालों कि बातों को अनसुना करते हुए समाज की बेहतरी के लिए काम करने वालों का साथ देता रहता है.

poojaपूजा जी का आज का एक लेख मुझे बहुत भा गया देखिये इतनी कम उम्र मैं कितनी बड़ी बात कह गयी और बता गयी divide and Rule पोलिसी हम को बाँट के हमारी ताक़त कम करके हम पे राज करने के लिए दुश्मनों की साज़िश रही है. आज अँगरेज़ नहीं रहे लेकिन समाज के भ्रष्ट लोग नेक इंसानों कि ताक़त को आज भी इसी पोलिसी को अपना के कमज़ोर कर रहे हैं.
क्या हम १०० साल गुलाम रहने और ज़ुल्म सहने के बाद अब भी आज़ाद होने को तैयार नहीं?

अच्छाईयाँ और बुराईयाँ तो हर इंसान मैं हुआ करती हैं. हम ग़लती यह कर जाते हैं कि किसी भी इंसान कि बुराईयाँ और कमियां पहले तलाशने लगते है और अच्चीयों को नज़रंदाज़ कर दिया करते हैं.बस एक बार खुद को बदल के देखो और हर इंसान कि अच्छाईयों पे पहले नज़र डालो फिर पाओगे कि सब तरफ प्रेम ही प्रेम फैला हुआ है.हम सभी को इस समाज के लिए अपने धर्म जाति ,भाषा इत्यादि के अंतर को भूल के एक साथ काम करना चाहिए तब कहीं जा के भ्रष्टाचार भी ख़त्म हो सकेगा और समाज मैं अमन और शांति काएम होगी.

अनवर भाई के इस "अमन" का पैग़ाम का जन्म १ अगस्त २०११ को हुआ. हमारी तरफ से उनको मुबारकबाद

कल खोला जाएगा जन्नती दरवाजा

अजमेर। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह स्थित जन्नती दरवाजा सोमवार तड़के खोला जाएगा। ईदुलजुहा के मौके पर इस दरवाजे से गुजर कर जियारत की जा सकेगी। जन्नती दरवाजा साल में चार बार विशेष मौकों पर ही खोला जाता है। ईदुलजुहा पर यह दरवाजा तड़के पांच बजे खोला जाएगा। जौहर की नमाज के बाद दोपहर दो बजे फिर से बंद कर दिया जाएगा।

उधार देकर लुटाया 'घर' कोटा थर्मल ने



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कोटा। प्रदेश के बिजलीघरों में रिकॉर्ड विद्युत उत्पादन के बावजूद राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम (आरवीयूएनएल) उत्पादित बिजली का दाम नहीं मिलने से कंगाली के कगार परपहुंच गया है। ऎसे हालात पर भी राज्य सरकार के दबाव के चलते वितरण कंपनियों को 'उधार' में विद्युत आपूर्ति जारी है। उधार देने से बिजली उत्पादन निगम की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल है।

हालत यह है कि उत्पादन निगम को कोयले और रेल परिवहन की राशि चुकाना भी भारी पड़ रहा है। पिछले दिनों उधार में कोयले देने के लिए कोल इण्डिया के सामने भी हाथ फैलाए, लेकिन निराशा हाथ लगी। अग्रिम राशि के बगैर कोल इण्डिया ने कोयला देने से इनकार कर दिया। विषम हालात के चलते राज्य के बिजलीघर सुपर क्रिटिकल स्थिति में हैं। कहीं एक दिन का तो कहीं तीन दिन का कोयला बचा है। यदि ऎसा ही चलता रहा तो बिजलीघरों में उत्पादन ठप हो सकता है।

हर माह चुकाने हैं 415 करोड़
आरवीयूएनएल पर हर माह 1 व 11 तारीख को 135-135 करोड़ रूपए कोल इण्डिया को अग्रिम चुकाने का दायित्व है। इसके बाद 21 तारीख को पूरे माह के कोयले का हिसाब होता है, जिसका भुगतान भी 21 तारीख को ही करना होता है। यह राशि करीब 415 करोड़ प्रतिमाह बैठती है।

बंद हो चुकी है आपूर्ति
आरवीयूएनएल गत माह कोल इण्डिया को पूरा भुगतान नहीं कर पाया। ऎसे में कोल इण्डिया ने 27 व 28 अक्टूबर को कोयले की आपूर्ति रोक दी थी। पूरी राशि चुकाने पर आपूर्ति शुरू हो सकी।

कर्मचारी भी बजा चुके हैं बिगुल
विद्युत कर्मचारियों के मेडिकल, इनसेन्टिव, अवार्ड व अन्य मदों की राशि का भुगतान लंबे समय से अटका है। कई बिजलीघरों के कर्मचारी तो आंदोलन का बिगुल भी बजा चुके हैं।

कहां कितना कोयला
कोटा थर्मल : प्रतिदिन 20.8 हजार टन कोयले की जरूरत, अभी 33 हजार टन है स्टॉक, जो डेढ़ दिन ही चल पाएगा।
सूरतगढ़ थर्मल : प्रतिदिन 20.8 हजार टन कोयले की जरूरत, 24 हजार टन स्टॉक, जो एक दिन ही चलेगा।
छबड़ा थर्मल : प्रतिदिन 6.4 हजार टन कोयले की जरूरत, 18 हजार टन है स्टॉक, जो तीन दिन चल पाएगा।

यह है गीता का ज्ञान

( ज्ञानवान और भगवान के लिए भी लोकसंग्रहार्थ कर्मों की आवश्यकता )
यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्च मानवः ।
आत्मन्येव च सन्तुष्टस्तस्य कार्यं न विद्यते ॥
भावार्थ : परन्तु जो मनुष्य आत्मा में ही रमण करने वाला और आत्मा में ही तृप्त तथा आत्मा में ही सन्तुष्ट हो, उसके लिए कोई कर्तव्य नहीं है॥17॥
संजय उवाच:
नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्चन ।
न चास्य सर्वभूतेषु कश्चिदर्थव्यपाश्रयः ॥
भावार्थ : उस महापुरुष का इस विश्व में न तो कर्म करने से कोई प्रयोजन रहता है और न कर्मों के न करने से ही कोई प्रयोजन रहता है तथा सम्पूर्ण प्राणियों में भी इसका किञ्चिन्मात्र भी स्वार्थ का संबंध नहीं रहता॥18॥
तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर ।
असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पुरुषः ॥
भावार्थ : इसलिए तू निरन्तर आसक्ति से रहित होकर सदा कर्तव्यकर्म को भलीभाँति करता रह क्योंकि आसक्ति से रहित होकर कर्म करता हुआ मनुष्य परमात्मा को प्राप्त हो जाता है॥19॥
कर्मणैव हि संसिद्धिमास्थिता जनकादयः ।
लोकसंग्रहमेवापि सम्पश्यन्कर्तुमर्हसि ॥
भावार्थ : जनकादि ज्ञानीजन भी आसक्ति रहित कर्मद्वारा ही परम सिद्धि को प्राप्त हुए थे, इसलिए तथा लोकसंग्रह को देखते हुए भी तू कर्म करने के ही योग्य है अर्थात तुझे कर्म करना ही उचित है॥20॥
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः ।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥
भावार्थ : श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण करता है, अन्य पुरुष भी वैसा-वैसा ही आचरण करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण कर देता है, समस्त मनुष्य-समुदाय उसी के अनुसार बरतने लग जाता है (यहाँ क्रिया में एकवचन है, परन्तु 'लोक' शब्द समुदायवाचक होने से भाषा में बहुवचन की क्रिया लिखी गई है।)॥21॥
न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन ।
नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! मुझे इन तीनों लोकों में न तो कुछ कर्तव्य है और न कोई भी प्राप्त करने योग्य वस्तु अप्राप्त है, तो भी मैं कर्म में ही बरतता हूँ॥22॥
यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः ।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥
भावार्थ : क्योंकि हे पार्थ! यदि कदाचित्‌ मैं सावधान होकर कर्मों में न बरतूँ तो बड़ी हानि हो जाए क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं॥23॥
यदि उत्सीदेयुरिमे लोका न कुर्यां कर्म चेदहम्‌ ।
संकरस्य च कर्ता स्यामुपहन्यामिमाः प्रजाः ॥
भावार्थ : इसलिए यदि मैं कर्म न करूँ तो ये सब मनुष्य नष्ट-भ्रष्ट हो जाएँ और मैं संकरता का करने वाला होऊँ तथा इस समस्त प्रजा को नष्ट करने वाला बनूँ॥24॥

इस्लाम में हज का ज़िक्र ............


गुस्से में पटरी पर पहुंचा पति, बचाने गई पत्नी भी आ गई चपेट में!




लाखेरी/इंद्रगढ़.गुस्से में ट्रेन से कटकर आत्महत्या करने जा रहे पति को बचाने के चक्कर में पत्नी की भी मौत हो गई। मामला लाखेरी-इंद्रगढ़ के पास अणघोरा गांव का है।

पुलिस के अनुसार जगदीश गुर्जर (35) शुक्रवार रात लाखेरी से अणघोरा स्थित अपनी ससुराल जाने की बात कहकर घर से निकला था, लेकिन वह अणघोरा न जाकर अणघोरा के पास रेल पटरी पर जा पहुंचा।

कुछ अनहोनी के अंदेशे के चलते उसकी पत्नी फोरंती बाई भी वहां पहुंच गई। उसने जगदीश को पटरी पर देखा, तो उसका हाथ पकड़कर पटरी से एक ओर खींचने लगी।

इसी दौरान दोनों डाउन लाइन पर कोटा की ओर से आ रही ट्रेन की चपेट में आ गए। हादसे में फोरंती बाई की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। ट्रेन चालक ने इंद्रगढ़ रेलवे स्टेशन पर हादसे की सूचना दी।

इसके बाद पुलिस वहां पहुंची और घायल जगदीश को सवाईमाधोपुर अस्पताल के लिए रवाना किया, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। पुलिस ने मामला गृहक्लेश का बताया गया है। मृतक ट्रैक्टर चालक था।

तथा पति—पत्नी के बीच शादी के बाद से ही विवाद हो गया था। कुछ माह पहले ही समझाइश से दोनों साथ रहने लगे थे। पोस्टमार्टम कर जगदीश का शव उसके परिजनों तथा पत्नी फोरंती का शव उसके पीहर पक्ष के सुपुर्द किया है।

बकरामंडी में 1.62 लाख में बिका अरबाज,‘दबंग’-‘रा-वन’ का दबदबा!

जयपुर .शहर में इन दिनों जहां ‘सलमान’ अपनी दबंगई के बल पर मोर्चा संभाले हुए है, तो ‘शाहरुख’ रा-वन के रूप में मैदान में है। कुर्बानी के पर्व बकरीद के लिए राजाबाबू भी अपना दमखम दिखाने से पीछे नहीं है। भले ही अभी ‘शाहरुख’ और ‘सलमान’ को खरीदार नहीं मिले। फिलहाल इनका दबदबा चरम पर है।

कुर्बानी के लिए जहां ‘शाहरुख, सलमान और अरबाज’ तैयार बैठे हैं, वहीं ‘राजाबाबू और मुन्नाबाबू’ भी तैयार हैं। इनमें ‘शाहरुख, सलमान और अरबाज’ की कीमत सवा पांच लाख रखी गई थी, इनमें से अरबाज 1.62 लाख में बिका। इस बार यहां दुंभों की भरमार है।

कई घरों में तुर्क से लाए दुंभे भी लोकप्रिय हैं, मगर दुंभों की कीमत अधिक होने से बकरों की कुर्बानी अधिक होती है। कुर्बानी के लिए तैयार बकरों की तंदुरुस्ती के लिए खुराक भी दुरुस्त दी जा रही है। इसी कारण राजाबाबू और मुन्ना बाबू का वजन 380 और 280 किलो है।

घाटगेट के मोहल्ला सिपाहियान निवासी असलम भाई बताते हैं कि राजाबाबू की लंबाई 5 फुट, ऊंचाई 3.5 फुट है। बकरा मंडी में टोंक से आए शाहरुख, सलमान व अरबाज के मालिक उमर मियां बताते हैं कि प्रत्येक बकरे की खुराक में दो सौ रुपए खर्च हो जाते हैं।

जिलहिज्जा का माह शुरू होते ही दिल्ली रोड पर बकरा मंडी शुरू हो जाती है। अब तक यहां करीब एक लाख बकरे बिक चुके हैं। वहीं मुस्लिम घरों 50 हजार बकरों की कुर्बानी होगी। रविवार को भी लगभग 25 हजार बकरों की बिक्री की संभावना है।

वकील चाहता है केस लंबा चले..खत्म न हो'

जयपुर.‘सस्ता और सुलभ न्याय आज भी आम आदमी के लिए दूर है। 1955 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि आम आदमी को सस्ता व जल्द न्याय मिले। प्रदेश के मुख्यमंत्री भी आज यही कह रहे हैं, कितना लंबा समय हो गया, लेकिन आज भी लोगों को सस्ता व सुलभ न्याय नहीं मिल पाया।

वकील चाहता है कि उसका केस लंबा चले और खत्म नहीं हो, लेकिन जब न्याय मिलता है तब तक जिंदगी का सब कुछ खत्म हो जाता है।’ ये टिप्पणी है सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की। वह शनिवार को हाईकोर्ट में पार्किग व चैंबर्स के विस्तार भवन के शिलान्यास एवं मध्यस्थता केन्द्र के शुभारंभ समारोह में बोल रहे थे।


उन्होंने कहा कि वे कॉरपोरेट मामलों की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन पारिवारिक व छोटे मुकदमों को मध्यस्थता के जरिए पारस्परिक सहमति से निपटाया जा सकता है। मध्यस्थता करने वाला व्यक्ति प्रशिक्षित व निष्पक्ष होने के साथ विश्वसनीय हो और इसके लिए रिटायर लोगों व युवा वकीलों को साथ में जोड़ा जा सकता है।

न्याय न तो जटिल हो और न ही लंबा, मुकदमों का अंबार लग रहा है और लोग इस सिस्टम से परेशान हैं, ऐसे में हमें लोगों को सरल व निष्पक्ष न्याय प्रणाली मुहैया करानी चाहिए। संविधान में लोगों को जल्द निशुल्क विधिक सहायता देने का उल्लेख है, लिहाजा सभी स्वयं में बदलाव कर इस सिस्टम को बदलें।

अमेरिका में मध्यस्थता से निपटते हैं 94 प्रतिशत मुकदमे : समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दलवीर भंडारी ने कहा कि अमेरिका में पर 94 प्रतिशत मुकदमे मध्यस्थता से निपटते हैं और लोग अदालतों में नहीं जाते, जबकि यहां पर अधीनस्थ अदालतों में 2 करोड़ 74 लाख मुकदमे, हाईकोर्ट में 42 लाख से ज्यादा व सुप्रीम कोर्ट में 56 हजार से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं।

इनमें से एक करोड़ पच्चीस लाख मुकदमे तो चेक बाउंस के ही ही हैं। इस समस्या को मध्यस्थता के जरिए निपटाया जा सकता है, क्योंकि इसमें पक्षकार मौजूद रहता है और पक्षकारों के संबंधों में सुधार होता है। इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने भी मध्यस्थता पर जोर देते हुए कहा कि इससे मुकदमों की संख्या को कम किया जा सकता है।

प्रदेश में लंबित मुकदमे

>हाईकोर्ट में : 3 लाख से ज्यादा

>अधीनस्थ अदालतों में : 11 लाख

>जयपुर शहर व जिले में : 3.5 लाख

प्रोजेक्ट एक नजर में

>लागत : 16 करोड़ रुपए

>निर्माण कार्य होगा : दो बेसमेंट एवं तीन मंजिला भवन। लोअर व अपर में पार्किग और तीन मंजिलों में चैंबर्स बनेंगे।

>पार्किग : लोअर व अपर बेसमेंट सहित स्टैंड फ्लोर पर कार व दो पहिया वाहनों के लिए पार्किग होगी।

>चैंबर्स बनेंगे : 215, इनमें दो हजार वकील बैठ सकेंगे।

>निर्माण पूरा होगा : दो साल में

धरती के इस 'स्वर्ग' पर ऋषि ने दी थी राक्षस 'नाग' को मौत!


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कश्मीर. विवाद ने जम्मू-कश्मीर ही नहीं पूरे देश के लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है। आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सभी तरह से देश और जम्मू-कश्मीर के अवाम को इस विवाद ने बर्बाद कर दिया है। हम अपने पाठकों के लिए जम्मू-कश्मीर के इतिहास, विवाद, वहां के रीति रिवाज सब कुछ बताने का सीरिज चला रहे हैं। इसके तहत आज हम आपको बता रहे हैं कि क्या है कश्मीर का इतिहास?


प्राचीनकाल में कश्मीर हिन्दू और बौद्ध संस्कृतियों का पालना रहा है। माना जाता है कि यहाँ पर भगवान शिव की पत्नी देवी सती रहा करती थीं, और उस समय ये वादी पूरी पानी से ढकी हुई थी। यहां एक राक्षस नाग भी रहता था, जिसे वैदिक ऋषि कश्यप और देवी सती ने मिलकर हरा दिया और ज़्यादातर पानी वितस्ता (झेलम) नदी के रास्ते बहा दिया।

इस तरह इस जगह का नाम सतीसर से कश्मीर पड़ा। इससे अधिक तर्कसंगत प्रसंग यह है कि इसका वास्तविक नाम कश्यपमर (अथवा कछुओं की झील) था। इसी से कश्मीर नाम निकला।

कश्मीर का अच्छा-ख़ासा इतिहास कल्हण (और बाद के अन्य लेखकों) के ग्रंथ राजतरंगिणी से मिलता है । प्राचीन काल में यहाँ हिन्दू आर्य राजाओं का राज था ।

मौर्य सम्राट अशोक और कुषाण सम्राट कनिष्क के समय कश्मीर बौद्ध धर्म और संस्कृति का मुख्य केन्द्र बन गया । पूर्व-मध्ययुग में यहाँ के चक्रवर्ती सम्राट ललितादित्य ने एक विशाल साम्राज्य क़ायम कर लिया था। कश्मीर संस्कृत विद्या का विख्यात केन्द्र रहा।

कश्मीर शैवदर्शन भी यहीं पैदा हुआ और पनपा। यहां के महान मनीषीयों में पतञ्जलि, दृढबल, वसुगुप्त, आनन्दवर्धन, अभिनवगुप्त, कल्हण, क्षेमराज आदि हैं। यह धारणा है कि विष्णुधर्मोत्तर पुराण एवं योग वासिष्ठ यहीं लिखे गये।

कंप्रोमाइज नहीं किया तो सरगना बता कर पुलिस ने की हत्या!


पानीपत .
मेरे बेटे शेखर को लूट गिरोह का सरगना बताकर पुलिस ने उसकी हत्या कर दी है। पुलिस ने उसका, उसकी बड़ी बेटी रश्मि, छोटी बेटी रीपा व छोटे बेटे सौरभ का सात दिन से जीना मुहाल कर रखा था। हम दहशत में जी रहे थे। ऐसा सलूक तो किसी कुख्यात अपराधी के परिवार के साथ भी नहीं किया जाता। मेरा बेटा सेक्टर-25 में एक्सपोर्ट हाउस में काम करके घर का गुजारा चला रहा था, लेकिन पुलिस ने उसका लूट के झूठे केस में फंसा कर कत्ल कर दिया।

अनाज मंडी के सामने पटरियों पर शव डाल कर हादसा दिखा दिया। यह दास्तां लघु सचिवालय परिसर में शनिवार को बिलखते हुए राज नगर निवासी नमो त्यागी पत्नी राम कुमार ने मीडिया को सुनाया। इसके बाद यही दुखड़ा उन्होंने एसपी पंकज नैन को उसके कार्यालय में सुनाया। उसके साथ उसकी दो बेटी व छोटा बेटा था। एसपी ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस मामले की जांच करवाई जाएगी। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

मामले पर पर्दा तो नहीं डाला जा रहा

शेखर व सम्मी की मौत हादसा है या हत्या यह कहा नहीं जा सकता, लेकिन दाल में जरूर कुछ काला है। इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। वहीं जीआरपी के एएसआई व इस केस के जांच अधिकारी राजबीर सिंह ने क्लीन चीट दे दी है कि दोनों युवकों की मौत ट्रेन हादसे में हुई है। वहीं सीआईए इंचार्ज दीपक कुमार का कहना है कि उस पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।

गिरफ्तारी 31 को, शेखर के घर छापा 27 को

पुलिस ने लूट गिरोह के सदस्य अमित व अश्विनी की फिल्मी अंदाज में 31 अक्टूबर को पत्थरगढ़ गांव के पास गिरफ्तारी दिखाई थी। एसपी पंकज नैन ने प्रेसवार्ता में बताया था कि आरोपी अमित ने सीआईए प्रभारी दीपक कुमार पर गोली भी चलाई है। इस लूट गिरोह ने पानीपत, दिल्ली व सोनीपत में लूट, छीना झपटी की 22 वारदात की हैं।

वहीं मृतक शेखर की बहन रश्मि का कहना है कि पुलिस 27 अक्टूबर से उनके घर छापे मार रही है। सवाल ये है कि अगर लुटेरे 31 को पकड़े गए तो फिर पुलिस ने पहले ही शेखर के घर छापे क्यों मारे, क्योंकि लुटेरों ने गिरफ्तारी के बाद ही पुलिस पूछताछ में शेखर को उनका सरगना बताया होगा। सवाल ये है कि परिजन झूठ बोल रहे हैं या फिर पुलिस कुछ छिपा रही है।

कब-कब हुई पुलिस की फजीहत

ञ्च26 फरवरी 2011 को रिफाइनरी के अधिकारी के घर चोरी हो गई। बोहली चौकी पुलिस ने दो महिलाओं की पिटाई कर दी, जबकि वे निदरेष थीं। इस केस में चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

ञ्चसेक्टर 29 निवासी हैंडलूम व्यवसायी प्रताप सिंह को दुष्कर्म के मामले में फंसाने के आरोप में 28 सितंबर 2011 को तत्कालीन सेक्टर-29 चौकी प्रभारी प्रताप को गिरफ्तार किया गया।

ञ्च14 सितंबर 2011 को राजीव कालोनी निवासी अमरजीत की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया था। इस संबंध में थाना शहर में चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया।

कंप्रोमाइज कर ले तेरे भाई को छोड़ दूंगा

शेखर की बड़ी बहन रश्मि दिल्ली के काल सेंटर में काम करती है। घर का गुजारा चलाने का दारोमदार उस पर व छोटे भाई शेखर पर था। वह भाई को याद करके बेहोश हो जाती है। रश्मि ने बताया कि उसके पिता रामकुमार की 2003 में मौत हो गई थी। उसका भाई लुटेरा कतई नहीं था। वह 27 अक्टूबर की सुबह रेलवे स्टेशन पर उसकी बुआ सविता त्यागी को लेने गया था जो कि सहारनपुर यूपी से आ रही थी। इसके बाद वह घर नहीं लौटा। पुलिस ने घर पर यह कहकर छापा मारा कि शेखर लूट गिरोह का सरगना है। रश्मि का गंभीर आरोप है कि सीआईए प्रभारी दीपक कुमार ने उसे कहा कि मेरे साथ कंप्रोमाइज कर ले शेखर को छोड़ दूंगा। मैंने मना कर दिया। इसके बाद उसके भाई की हत्या कर दी।

8.30 बजे आई थी अंतिम कॉल

रश्मि ने बताया कि शेखर ने अपने दोस्त राज नगर निवासी सम्मी के सेलफोन से उसे 2 नवंबर की रात 8.30 बजे अंतिम कॉल की थी। वह कह रहा था कि बेबे मुझे झूठे केस में फंसाया जा रहा है। मेरी जान को खतरा है। पुलिस वाले मेरे पीछे पड़े हैं। पीछे से ट्रेन व कई लोगों की आवाज सुनाई दे रही थी। इसके बाद मोबाइल स्विच आफ हो गया। 3 नवंबर की सुबह शेखर व सम्मी का शव रेल की पटरी पर मिला।

लूट मामले में फरार था शेखर : सीआईए पानीपत इंचार्ज दीपक कुमार की टीम ने 31 अक्टूबर को पत्थरगढ़ गांव के पास अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्य अमित उर्फ बबलू निवासी गढ़ सराय नामदार खां, सोनीपत व अश्विनी निवासी खटकड़ सोनीपत को गिरफ्तार किया था। इसी गिरोह के सदस्य शेखर हिम्मत नगर सहारनपुर यूपी हाल निवासी राजनगर पानीपत, रवि उर्फ गुंडा व संदीप उर्फ गंजा निवासी मनौटा यूपी की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। एसपी पंकज नैन ने प्रेसवार्ता करके पानीपत, सोनीपत व दिल्ली की 21 लूट, हत्या का प्रयास व छीनाझपटी की वारदातों का खुलासा करने का दावा किया था।

3 मंत्रियों,3 आईएएस अफसरों से हैं भंवरी के रिश्ते!

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जोधपुर.करीब दो माह के अनुसंधान एवं चर्चाओं से यह साफ हो रहा है कि पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा के अलावा तीन और मंत्रियों, तीन आईएएस अधिकारियों, परसराम विश्नोई सहित कांग्रेस के दो पूर्व पदाधिकारियों तथा दो पूर्व विधायकों का भंवरी से संबंध रहा है।

हालांकि, सीबीआई सूत्रों ने इसकी पुष्टि नहीं की है। यह अलग बात है कि अब अनुसंधान इसी ओर बढ़ रहा है कि भंवरी को फाइनेंस करने वाले बड़े लोग कौन थे और एएनएम के अपहरण में उनकी क्या भूमिका रही?

पुलिस और सीबीआई के अनुसंधान में यह सामने आ चुका है कि मलखान, महिपाल, परसराम विश्नोई, पूर्व उपजिला प्रमुख सहीराम विश्नोई, मलखान की बहन इन्द्रा विश्नोई, ठेकेदार सोहनलाल, बिलाड़ा प्रधान कुसुम और शहाबुद्दीन का भंवरी से नजदीकी रिश्ता रहा है।

एएनएम से रिश्ता रखने वालों में तीन आईएएस अफसर, दो और मंत्रियों, कांग्रेस के पूर्व पदाधिकारी और दो पूर्व विधायकों के नाम भी चर्चा में हैं, लेकिन ये हैं कौन? इसके बारे में न पुलिस ने आज तक खुलासा किया न ही अब सीबीआई कर रही है।

चर्चा यह भी है कि भंवरी को गायब करवाने में किसी बड़े नेता का तो हाथ नहीं है। संदेह की सुई इस वजह से भी इन बड़े लोगों की तरफ है कि अब तक भंवरी से जुड़े तीन ऑडियो बाहर आए हैं जिनमें साफ लग रहा है कि भंवरी की महत्वाकांक्षा बहुत बढ़ गई थी। इनमें एक जगह यह बात सामने आई है कि नई दिल्ली की एक पार्टी से भंवरी व सोहनलाल को सात करोड़ रुपए मिलने वाले थे?

सीबीआई के साथ सब जानना चाहते हैं कि ये पैसे दे कौन रहा था और क्यों? यह साफ है कि इतनी बड़ी रकम देने वाला कोई साधारण आदमी नहीं हो सकता।

भंवरी को कौन-कौन करता रहा फाइनेंस

एएनएम की नौकरी और करोड़ों की चल-अचल संपत्ति, बोरुंदा में आलीशान मकान। अजमेर में 70 लाख की कीमत का भूखंड। दो कार और जोधपुर में प्रोपर्टी। सीबीआई अब इसकी पड़ताल कर रही है कि आखिर एएनएम भंवरी देवी के पास इतनी संपत्ति आई कैसे? उसे फाइनेंस करने वालों में कौन-कौन बड़े लोग शामिल रहे हैं? अथवा इसके स्रोत क्या है?

इसकी तहकीकात के पीछे वजह यह बताई जा रही है कि भंवरी से ताल्लुकात रखने वाले किसी नेता का ही साथ उसे गायब करने में तो नहीं है। इसके लिए जोधपुर एवं अजमेर में भंवरी की संपत्ति के बारे में पूरी छानबीन की जा रही है।

शहाबुद्दीन को जेल, सहीराम भगोड़ा घोषित

लापता एएनएम भंवरी देवी के मामले में 22 अक्टूबर को अदालत में आत्मसमर्पण करने वाले आरोपी शहाबुद्दीन को अपर मुख्य मजिस्ट्रेट जोधपुर महानगर (सीबीआई मामलात) जगदीश प्रसाद जाणी ने शनिवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

वह समर्पण किए जाने के बाद से ही रिमांड पर था। रिमांड अवधि पूरी होने पर शनिवार को उसे अदालत में पेश किया गया था। इसके साथ ही इस मामले में फरार एक अन्य आरोपी पूर्व जिला प्रमुख सहीराम को भगोड़ा घोषित करने का आवेदन न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।

एएनएम की नौकरी, पर करोड़ों की संपत्ति कैसे?

भंवरी एएनएम थी, लेकिन उसके पास करोड़ों की चल-अचल संपत्ति है। बोरुंदा में आलीशान मकान, अजमेर में 70 लाख की कीमत का भूखंड। दो कार और जोधपुर में प्रॉपर्टी।

सीबीआई अब इसकी पड़ताल कर रही है कि आखिर उसके पास इतनी संपत्ति आई कैसे? उसे फाइनेंस करने वालों में कौन-कौन बड़े लोग हैं या इसके स्रोत क्या हैं? इसकी तहकीकात के पीछे वजह यह बताई जा रही है कि भंवरी से ताल्लुकात रखने वाले किसी नेता का ही साथ उसे गायब करने में तो नहीं है। इसके लिए जोधपुर एवं अजमेर में भंवरी की संपत्ति के बारे में पूरी छानबीन की जा रही है।

50 वर्ष से इलाके की पुरोहित हैं 70 वर्षीय शांति!

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कोटा ‘मैं महिला हूं तो क्या हुआ? कर्मकांड में दक्ष पंडित भी हूं। सात फेरों समेत सभी धार्मिक अनुष्ठानों का जिम्मा मेरे पिता ने ही मुझे सौंपा। इसकी शिक्षा-दीक्षा मुझे मिली।’ निगम क्षेत्र में बसे रियासतकालीन गांव उम्मेदगंज की 70 वर्षीय पंडित शांतिबाई शर्मा आत्मविश्वास से भरकर कहती हैं कि गांव में शादी समारोह में जाती हूं तो यह भूल जाती हूं कि मैं महिला हूं।

अनुष्ठानों में मैं सिर्फ पुरोहित की भूमिका में होती हूं। जब वे 20 वर्ष की थीं, तो उनके पिता का निधन हो गया। यानी करीब 50 वर्ष से इलाके में पुरोहित के सारे काम संपन्न कर रही हैं।

हौसले से मिली हिम्मत :

शांतिबाई ने बताया कि उनके पिता बचपन से ही शादी-विवाह तथा अन्य धार्मिक आयोजनों में साथ ले जाते थे। इसी दौरान कर्मकांड की सभी बारीकियां उन्होंने सीखीं। परिवार में तीन बहनें हैं। शादी के बाद दो ससुराल जा बसीं और पिता की जगह वे पुरोहित हो गईं। गांव वालों ने भी उन्हें इस रूप में न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि हमेशा हिम्मत बंधाई।

धर्म-कर्म के हर मामले शांतिबाई के दरवाजे:

शांतिबाई की दिनचर्या भी एक पक्के पुरोहित की है। सुबह से पूजा-पाठ। तीज-त्योहारों पर विशेष अनुष्ठान। गांव वालों के सिर्फ सात फेरे ही नहीं, जन्म कुंडली के मिलान और बच्चों के नामकरण से लेकर गांव में मवेशी गुम होने से जुड़े सवाल लेकर भी गांव के लोग उनका ही दरवाजा खटखटाते हैं। गांव वालों का कहना है कि इनके बिना आज भी गांव में फेरे नहीं होते। हमारे लिए वे एक दक्ष पंडित हैं।

लथपथ हो गया घर का आंगन, नफरत की खेती में कटी अपराध की फसल

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लडभड़ोल (मंडी). क्षेत्र की ऊटपुर पंचायत के कुटला गांव के दो परिवारों की जमीन को लेकर पुरानी रंजिश के चलते शुक्रवार की रात दो भाइयों की हत्या कर दी गई। 40 वर्षीय ओंकार सिंह और 28 वर्षीय अनिल कुमार की मौके पर ही मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल दोनों की मां मीरा देवी, सुनील कुमार और कल्याण सिंह को टांडा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है।

सात पर केस दर्ज

मृतक ओंकार सिंह की पत्नी श्रेष्ठा देवी की शिकायत पर जोगेंद्रनगर पुलिस ने 7 के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर 4 को गिरफ्तार कर लिया गया है। सरकाघाट डीएसपी केडी शर्मा ने बताया कि दोनों परिवारों में वर्षो से जमीन को लेकर रंजिश थी। आरोपियों के घर में शुक्रवार कुछ कार्यक्रम था। हमलावर गाड़ी में आए और मीरा देवी के घर के पास डीजे लगा दिया।

इसके बाद उन्होंने सोए हुए परिवार पर हथियारों से हमला कर दिया। दो की मौके पर ही मौत हो गई। टांडा में भर्ती संतराम की पत्नी मीरा देवी, उसके दो बेटों कल्याण और सुनील को आईसीयू में भर्ती किया गया है। तीनों की हालत गंभीर बनी हुई हैं। संघर्ष में घायल एक अन्य भूपल ठाकुर को पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया गया है।

आरोपियों में चार भाई हैं जबकि अन्य तीन उनके संबंधी बताए जा रहे हैं। एसएचओ श्रेष्ठा ठाकुर ने बताया कि इस डबल मर्डर में वीरेंद्र, सुरेंद्र, भोपाल सिंह, सतीश, राजेश, फुलगर सिंह और कुलभूषण पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है। इस हत्याकांड की साजिश रचने के आरोपियों में से तीन खुद भी गंभीर रूप से घायल हैं। आरोपियों वीरेंद्र, सुरेंद्र, भोपाल की गंभीर हालत को देखते हुए टांडा मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया है।

भोपाल की बिगड़ती हालत को देखते हुए उसे पीजीआई रेफर कर दिया गया है। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।पुलिस ने इस हत्याकांड में शामिल बोलेरो गाड़ी को कब्जे में ले लिया है। मौके पर पहुंचे डीएसपी केडी शर्मा ने बताया कि पुलिस जल्द ही इस हत्याकांड की गुत्थी को सुलझा लेगी। इस बीच एसपी मंडी पीडी प्रसाद ने मौका ए वारदात पर पहुंच कर घटना का जायजा लिया।

भाई बन गए कसाई

पीड़ित और आरोपी परिवार एक ही खानदान से हैं, लेकिन पुरानी दुश्मनी के चलते एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए । जो सामने आया, उसी पर हमला हो गया। न औरतों को बख्शा गया न बुजुर्ग मीरा देवी पर तरस खाया गया। मीरा देवी की बहुओं श्रेष्ठा और बीनू को भी गंभीर चोटें आई है। एक दूसरे के भाई लगने वाले परिवार कसाई बन गए।

मर्डर और म्यूजिक

पुलिस सूत्रों के अनुसार रात 11 बजे के करीब आरोपियों ने पीड़ित परिवार के घर के पास गाड़ी खड़ीकर जोर-जोर से संगीत बजाना शुरू कर दिया। जब संगीत से पीड़ित परिवार की नींद में खलल पड़ा तो उन्होंने इसका विरोध किया। यह विरोध ही पीड़ित परिवार पर भारी पड़ गया।

रामदेव बोले-कांग्रेस डूबता जहाज, दिग्विजय बोले- पिता पर कुछ कहा तो बर्दाश्‍त नहीं

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मोगा/लुधियाना. योग गुरु बाबा रामदेव ने शनिवार को कांग्रेस पर फिर से हमला बोलते हुए कहा है कि कांग्रेस अब डूबता जहाज है। बाबा रामदेव ने कहा, 'यूपीए में जितने भी घटक दल हैं, उसमें कांग्रेस को छोड़कर बाकी सब पार्टियां सोच रही हैं कि कांग्रेस डूबता जहाज है, उन्हें लग गया है कि इस जहाज को छोड़ देना चाहिए। इसलिए अब समझदार दल इस गठबंधन से बाहर आ जाएंगे।'

इससे पहले योग और राजनीति के बाद बाबा रामदेव खेल के मैदान में भी उतर पड़े। योग गुरु ने पंजाब के मोगा में भारतीय कबड्डी टीम के खिलाड़ियों के साथ दो-दो हाथ किए। करीब 10 मिनट तक उन्होंने खिलाड़ियों को जमकर छकाया। इस दौरान एक भी खिलाड़ी उन्हें छू तक नहीं पाया।

वहीं उन्होंने कबड्डी-कबड्डी करते हुए चारों खिलाड़ियों को मैदान से बाहर कर दिया। जब खिलाड़ियों ने उनसे उनके दम का राज पूछा तो बाबा ने कहा कि यह योग का कमाल है।

उन्होंने कहा कि कबड्डी सांस को साधने का खेल है और लगातार कपाल भाती, अनुलोम विलोम और अन्य प्राणायाम के साथ योग करते रहने पर आपको कोई भी टीम पराजित नहीं कर सकती।

शुक्रवार को रामदेव से इंग्लिश टीम ने योग क्रिया और उनके लाभ की जानकारी हासिल की। इन दिनों पंजाब में मोगा के ढुढीके में विश्व कबड्डी कप का आयोजन चल रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम से थोड़ा फुर्सत निकाल कर रामदेव खुद कबड्डी के मैदान में उतर गए।

बाबा ने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को भी निशाना बनाया। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अभियान चलाने वालों के विरोध में सिंह के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए बाबा ने कहा, 'वह बेवकूफ है, बदतमीज है।' इससे पहले बाबा उन्‍हें 'राक्षसपुत्र' कह चुके हैं। इस पर दिग्विजय सिंह भड़क गए हैं। उन्‍होंने शनिवार को कहा कि बाबा रामदेव उनके खिलाफ कुछ भी बोल सकते हैं लेकिन यदि उनके पिता के बारे में कुछ बोलेंगे तो यह बर्दाश्त के बाहर होगा

शाहरुख खान रा..वन में रावण की सोच वाले बन गये हैं उन्होंने सीता के तरह जनता के सुकून का हरण क्या है

शाहरुख खान इतने जीनियस समझदार और फिल्मों की पहचान और कहानी की जानकारी रखने वाले एक्टर होने के बावजूद उन्होंने अपनी रा..वन जेसी फिल्म को निम्न स्तरीय बना कर अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया है जो हास्यास्पद है .इस तरह का करेक्टर निभाने से पहले और लगभग डेढ़ अरब रूपये खर्च करने से पहले उनको लाखों बार सोचना चाहिए था की वोह एक इन्त्र्नेश्नल एक्टर हैं जिनका विश्व में पूरा नाम और सम्मान है ..लेकिन अब उनकेबारे में ऐसा सोचना बचकानी बात है क्योंकि हमारे नईम भाई ने उसे रिजेक्ट कर दिया है करते भी क्यूँ नहीं क्योंकि वोह तो खुद शाहरुख कहां से अच्छे एक्टर है और आबिद भाई के साथ मिलकर रोज़ नये नये रोल अदा करते हैं यहाँ तक के वोह घर में सेंडविच तो दफ्तर क्रीम रोल बन जाते है अब भाई नईम को कोन समझाये के ये एक्टर है इंसान नहीं यह रोबोट की तरह होते हैं इनके सीने में ना तो दिल होता है और ना ही इनके जज़्बात होते है इसलियें बालठाकरे जिसकी यह चमचागिरी करते रहे है उन्होंने इन्हें अमिताभ के सामने बच्चा कहा है और कहा है केजो इस रा..वन फिल्म को पूरी देखने का साहस करता है उसे पचास हजार रूपये सांत्वना राशी के रूप में दिया जाना चाहिए जो बात सही है मेरी ना मानों तो आबिद भाई से पूंछ लो वोह सईद भाई या मुनव्वर भाई से पूंछ कर बता देंगे .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

19 बरस पहले भी एक भंवरी के साथ हुआ था गैंग रेप, आज भी लड़ रही है न्याय के लिए



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भंवरी आज न सिर्फ अपने गांव की बल्कि पूरी दुनिया की औरतों के लिए एक मिसाल हैं। अपने गांव में उन्होंने न सिर्फ बाल विवाह जैसी कुरीतियों को बंद करवाया बल्कि लगातार कई मोर्चो पर आज भी लड़ रही हैं। भंवरी का कहना है कि अब उनके गांव में बाल विवाह नहीं होता है। गांव में कोई भ्रूण हत्या करवाने की कोशिश करता है तो भंवरी उसे समझाती हैं। यदि कोई सफाई करवाने की कोशिश करता है तो वह उसे जेल भेजने की धमकी देती हैं।भंवरी की जिंदगी पर बनी फिल्म देखने के बाद दुनियाभर की महिलाओं ने उसकी मदद की थी। लंदन की औरतों ने दो लाख रुपए भेजे थे, तो चीन में यूनाईटेड नेशन की फोर्थ वर्ल्ड कांफ्रेस ऑन वुमेन में उसे बुलाया गया था। इसी प्रकार १९९४ में नीरजा भनोट मेमोरियल अवार्ड से भी उसे सम्मानित किया गया

जयपुर. भंवरी देवी के कारण आज पूरी राजस्थान सरकार मुसीबत में है तो बरसों पहले एक और भंवरी देवी के कारण राजस्थान सरकार की पूरी दुनिया में बदनामी हो चुकी है। यह भंवरी देवी आज भी न्याय के लिए लड़ रही हैं।

19 साल पहले खुद पर हुए जुल्म के लिए भले ही भंवरी देवी को न्याय नहीं मिला हो, लेकिन वह लोगों को न्याय दिलाने के लिए लगातार लड़ रही हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर से 52 किलोमीटर दूर भटेरी गांव की भंवरी देवी के साथ 22 सितंबर 1992 को गांव के ही गुर्जरों ने सामूहिक बलात्कार किया। लेकिन आज तक उसे अंतिम इंसाफ नहीं मिल पाया। जबकि पांच आरोपियों में से तीन की मौत हो चुकी है।

भंवरी कहती हैं, ‘भले ही कितने साल बीत गए हों, लेकिन मैं अंतिम सांस तक लड़ती रहूंगी। मैं नहीं चाहती हूं कि अब और कोई महिला मेरी तरह न्याय के इंतजार में भटके। मैं तो बस इतना चाहती हूं इस तरह की दुर्घटना से आहत स्त्री को तुरंत न्याय मिले। सरकार कानून तो बहुत बनाती हे लेकिन उसका पालन भी करे। यदि पालन नहीं कर सकती, तो उसे कानून बनाना बंद कर देना चाहिए।’

भंवरी का बड़ा बेटा कई साल पहले अपनी पत्नी के साथ गांव छोड़कर चला गया, क्योंकि उसे लगता था कि उसकी मां की वजह से उसकी बदनामी हो रही है। बचे हुए परिवार की चिंता करते हुए वह कहती हैं, ‘मुझे और मेरे परिवार को हमेशा खतरा बना रहता है।’ दरअसल गांव के लोग कभी उसे, तो कभी उसके बेटे बहू को तंग करते रहते हैं। ऐसे में उसे समझ में नहीं आ रहा है कि वह जाए तो जाए कहां?

बॉलीवुड में भले ही उसे लेकर बवंडर जैसी फिल्म बन गई हो, लेकिन उसकी जिंदगी का बवंडर आज भी नहीं थमा है। फिल्म बनाने के दौरान नंदिता दास और फिल्म के निर्देशक जगमोहन मूंदड़ा उसके गांव भी गए थे। दोनों ने उसे अपनी बहन मानकर हमेशा मदद का वादा किया था, लेकिन फिल्म बनने के बाद कभी किसी ने उसकी जिंदगी में पलटकर नहीं देखा। भंवरी कहती हैं कि नंदिता ने मुझे बहन माना था। कहा था कि आगे हमेशा मिलती रहूंगी लेकिन आज तक दर्शन नहीं दिए और ना ही कभी कोई मदद ही की।

खुद पर बनी फिल्म को भी भंवरी नहीं देख पाईं। वह कहती हैं कि थोड़ी देर की फिल्म देखी फिर दिमाग खराब हो गया। फिल्म तो बन गई लेकिन कोई बदलाव नहीं आया

विदेश से आई मद

मिसाल बन चुकी हैं

दूसरे के लिए लड़ने वाली भंवरी आज खुद न्याय की मोहताज हैं। अपने दर्द को बयां करती हुई वह कहती हैं कि मैं अब किससे कहूं। न तो सरकार सुनती है और न गांव के लोग। आए दिन गांववाले उन्हें व उनके परिवार को पीटने के लिए आते हैं। पुलिस के पास शिकायत ले जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती। कानून को गवाह चाहिए। लेकिन जिस समाज से वह ताल्लुक रखती हैं वह, जब साथ खड़े होने को तैयार नहीं तो भला गवाही कौन देगा?

उम्मीद की कोई किरण नजर ना आने के बावजूद, उनके अंदर कुछ ऐसा जज्बा है जो उन्हें निरंतर लड़ने की क्षमता और प्रेरणा देता है। उनका प्रण है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता, वे इस लड़ाई को जारी रखेंगी।

आंखों में पैदा हो जाएगा जादूई सम्मोहन इन आसान नुस्खों से


आंखों पर वैसे तो कई कहावतें और फिल्मी गाने बनाए गए हैं। अक्सर फिल्मों के गानों में आंखों का जिक्र सबसे ज्यादा होता है क्योंकि माना जाता है कि आंखे दिल का आइना होती है। आंखें देखकर आप किसी भी व्यक्ति के मन के भाव और उसकी सोच जान सकते हो। इसलिए आंखें इंसान के व्यक्तित्व को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। आंखें और चेहरा दोनों ही व्यक्तित्व के सर्वाधिक संवेदनशील केन्द्र होते हैं।

सामान्य कद-काठी वाले व्यक्ति में भी कई बार गजब का आकर्षण देखा गया है। यह अद्भुत आकर्षण उनकी आंखों के कारण ही होता है। आंखो की इसी चमत्कारी सम्मोहन शक्ति के दम पर अकेला व्यक्ति हजारों-लाखों की भीड़ को प्रभावित ही नहीं अपनी मर्जी के मुताबिक चला भी सकता है।

नीचे दिये जा रहे इन नुस्खों से आंखों में जादूई चमक पैदा कर सकते हैं

- त्राटक या दीप त्राटक का अभ्यास करें।

- किसी मार्गदर्शक के सहयोग से शीर्षासन या सर्वांगासन का नियमित अभ्यास करें।

- ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं, दिन में कई बार आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें।

- शुद्ध और प्राकृतिक आहार-विहार करें। बाजारू खाने से यथा संभव बचें।

- आंखों का काम करते समय बीच-बीच में कुछ समय के लिये आंखें बंद करके खोई हुई ऊर्जा को फिर से प्राप्त करें।

- किसी योग विशेषज्ञ से सीखकर या मार्गदर्शन में प्रतिदिन रात्रि के प्रथम और अंतिम पहर में 25 से 30 मिनिट तक बिन्दु पर ध्यान केंद्रित करें।

- सम्मोहन मंत्र ऊं शं सम्मोहनाय फट् का जप आज्ञाचक्र यानी दोनों भौंहों के बीच ध्यान केंद्रित करते हुए जपें।

बात अजीब है पर सच है, डॉक्टर का काम करते हैं ये ड्रायफ्रूटस



हमारे मन में अक्सर पिस्ता बादाम एवं अखरोट खाने को लेकर कुछ भ्रांतियां रहती हैं,जैसे यह रक्त में कोलेस्ट्रोल ,ट्राईग्लीस्राइड आदि को बढ़ाकर हृदय रोगों की संभावना को बढ़ा देता होगा,पर ऐसा नहीं है। इन सूखे फलों के कई फायदे हैं, इनका निश्चित मात्रा में सेवन मस्तिष्क के लिए ही नहीं ,अपितु कई रोगों में बचाव का साधन है। हाल में ही शोधकर्ताओं ने पिस्ता बादाम एवं अखरोट खाने वाले मेटाबोलिक सिंड्रोम से पीडि़त रोगियों, जिनमे हृदय से सम्बंधित रोगों की प्रबल संभावना थी ,इसे कम होते देखा है।

पिस्ता बादाम एवं अखरोट खाने वालों में सेरेटोनिन नामक रसायन का स्तर बढ़ जाता है, जो तंत्रिका संवेदनाओं का ले जाने का काम करता है ,परिणाम स्वरुप व्यक्ति में भूख मिट जाती है, एवं एक खुशनुमा एहसास हृदय के लिए फायदेमंद होता है।बस ध्यान रहे, कि पिस्ता बादाम एवं अखरोट की नियमित मात्रा एक आउंस से अधिक न हो। यह शोधपत्र ए. सी .एस .के जर्नल आफ प्रोटीओम रिसर्च में प्रकाशित हुआ है।युनिवर्सिटी ऑफ बारसिलोना के शोधकर्ताओं का भी मानना है, कि विश्व में मोटापे से पीडि़त रोगियों का बढऩा, मेटाबोलिक सिंड्रोम से सीधे सम्बंधित है, जिसमें पेट के पास की चर्बी में बढ़ोत्तरी ,हाई ब्लड -शुगर और हाई ब्लड -प्रेशर मिलना तय है।

अत: खान-पान में परिवर्तन लाकर, वजन को नियंत्रित कर, शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है ,इनमें नियमित पिस्ता बादाम एवं अखरोट का निश्चित मात्रा में सेवन भी सम्मिलित है। आपको शायद मालूम होगा, ये सूखे फल पोषक तत्वों से भरे पड़े हैं, इनमें अच्छी चर्बी (अनसेचुरेटेड फेटी- एसिड ) एवं एंटी-ओक्सिडेंट (पोलीफेनोल ) पाए जाते हैं ,जो मेटाबोलिक सिंड्रोम से लडऩे में मददगार होते है। तो आज से ही खाना शुरू करें अखरोट ,पिस्ता और बादाम और हृदय रोगों को करें ना ना ....!

कश्मीरियों की सभा में परवेज मुशर्रफ पर चला जूता

लंदन.लंदन के लुटन इलाके में कश्मीरी समुदाय के लोगों के समक्ष भाषण दे रहे पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर जूते से हमला किया गया। जूता मुशर्रफ को नहीं लगा और हमलावर को पकड़कर हाल से बाहर कर दिया गया। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब परवेज मुशर्रफ पर जूता चला हो। इससे पहले भी वो ऐसी ही हरकत का निशाना बन चुके हैं। इसी साल फरवरी में भी एक व्यक्ति ने ब्रिटेन में ही मुशर्रफ पर जूता फेंका था।
नया नहीं है जूते से हमला
नेताओं को जूते मारना कोई नई बात नहीं है। बगदाद में एक पत्रकार वार्ता के दौरान अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश पर एक पत्रकार मुंतजर अली जैदी ने दिसंबर 2008 में जूता फेंककर आक्रोश क्या जताया, तब से अब तक लोगों में जूता चलाने की होड़-सी मच गई है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ, मौजूदा राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, चीनी प्रीमियर वेन जियाबाओ समेत कितने ही सूरमाओं की जूतमपैजार के प्रयास हो चुके हैं। अपने देश में भी तो यही कहानी चल रही है। जरनैल को गुस्सा आया तो चिदंबरम पर उछाल दिया जूता। हाल ही की तो बात है, जब दिल्ली में जनार्दन द्विवेदी के साथ भी ऐसा ही होते-होते बचा।

केजरीवाल, बेदी, सिसोदिया, प्रशांत से तंग आए अन्‍ना? ब्लॉग बंद करने का ऐलान


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नई दिल्‍ली. अन्‍ना हजारे टीम अन्‍ना के चार सदस्‍यों से तंग आ चुके हैं। ये चार सदस्‍य हैं अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, मनीष सिसोदिया और प्रशांत भूषण। और, यह दावा किया है अन्‍ना के ब्लॉगर राजू पारुलेकर ने। राजू ने एक चिट्ठी सार्वजनिक की है। अन्‍ना के दस्‍तखत वाली इस चिट्ठी में कहा गया है कि मैं जल्‍द से जल्‍द अपनी कोर कमेटी भंग कर नई कमेटी बनाना चाहता हूं।
लेकिन अन्ना ने शनिवार को राजू परुलेकर के आरोपों पर जवाब देते हुए ऐलान किया, 'मैं अपना ब्लॉग अब बंद कर दूंगा। अगर चिट्ठी पर दस्तखत होंगे तो वह सही चिट्ठी है। मैं अपने विचार कभी कभी लिखता रहता हूं। लेकिन अंतिम तौर पर उसे तभी फाइनल माना जाएगा जब उस पर मेरे हस्ताक्षर होंगे। मेरी टीम पर आरोप लग रहे हैं। आरोप लगने के बाद मैं सोच रहा था क्या टीम में बदलाव लाया जाना चाहिए? मुझे लगता है कि हमें बदनाम करने की साजिश है।'
राजू ने कुछ दिन पहले भी दावा किया था कि जल्द ही टीम अन्ना का विस्तार होगा। उनके मुताबिक, 'नए लोगों को जगह मिलेगी। अपने स्वार्थ से परे हटकर लोग इस आंदोलन से जुड़ना चाहते हैं। इसमें सेना के रिटायर्ड अधिकारी, पूर्व जज शामिल होंगे। अन्ना चाहते हैं कि देश भर में 20 से 45 साल के युवा स्वयंसेवकों की टीम बने।' तब राजू के विचारों को उनके निजी विचार करार देते हुए अन्ना हजारे के प्रवक्ता और निजी सचिव सुरेश पठारे ने कहा कि इस बारे में अन्ना हजारे ने अभी तक कोई अधिकारिक घोषणा नहीं की है।
शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में अन्‍ना से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्‍होंने कहा कि मैंने कोर कमेटी भंग करने की कभी बात नहीं की। अन्‍ना ने राजू से कभी बात-मुलाकात होने तक से इनकार कर दिया। उल्‍टे उन पर निशाना साधते हुए कहा- हवा में बात क्‍यों करते हैं? इससे आहत राजू ने खुद को सही साबित करने के लिए 23 अक्‍टूबर, 2011 को लिखी अन्‍ना की चिट्ठी उनके ब्‍लॉग पर डाल दी। इस चिट्ठी में कथित तौर पर अन्‍ना ने टीम के चारों सदस्‍यों को अलोकतांत्रिक, अवसरवादी तक कहा है।

राजू अन्‍ना के ब्‍लॉगर हैं। अन्‍ना ब्‍लॉग के लिए मराठी में अपनी बात लिख कर राजू को देते थे। वह उसका अनुवाद कर उसे अन्‍ना के ब्‍लॉग पर डालते थे। राजू का कहना है कि अन्‍ना ने 23 अक्‍टूबर को लिखी यह चिट्ठी भी उन्‍हें इंटरनेट पर डालने के लिए दी थी, लेकिन अन्‍ना के निजी सचिव सुरेश पठारे ने कुछ दिनों के लिए उसे सार्वजनिक नहीं करने के लिए कहा था।

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