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11 नवंबर 2011

गजब संयोग : इन दादी मां का आज 111वां जन्मदिन

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अहमदाबाद। आज 11.11.11 का अनोखा संयोग है जो 100 साल में सिर्फ एक बार होता है। आज के दिन शुभ या यादगार काम करने का लोग बहाना तलाश रहे हैं। शादी का मुहुर्त न होने के बावजूद आज कई जोड़े विवाह-सूत्र में भी बंध रहे हैं।

लेकिन आज की तिथि में जिनका जन्मदिन है, उनके लिए तो यह सोने पर सुहागा ही है न। फिलहाल हम बात कर रहे हैं अहमदाबाद के धीकांटा इलाके में रहने वाली हीराबा केशवलाल चौहान की। हीराबा के घर में आज दीवाली सा माहौल है, क्योंकि आज उनका 111वां जन्मदिन है। सुबह से ही हीराबा के घर उन्हें जन्मदिन की बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

हीराबा के परिजन तो बताते हैं कि उनका शानदार बर्थडे मनाने के लिए उन्होंने तो दीवाली के पटाखे भी बचाकर रख लिए थे। तस्वीर में आपको हीराबा के साथ उनके छोटे बेटे अश्विनभाई और उनकी पत्नी मीनाबेन खुशी मनाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

कानून की नाक के नीचे लगता है हथियारों का मेला

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जशपुर नगर. जशपुर जिले से महज 45 किलोमीटर दूर है रामरेखा धाम। झारखंड के सिमडेगा जिले के इस गांव में हर साल लगता है हथियारों का मेला और होता है लाखों का अवैध कारोबार। इलाका सरहद का है, नक्सली है और घनघोर जंगल के बीच है। इसलिए अड़चने बहुत ज्यादा है इस अवैध व्यापार को रोकने में। हथियारों का यह कारोबार लंबे अरसे से चल रहा है।

हर साल यहां ५ से १क् लाख के अवैध हथियारों की बिक्री आसानी से हो जाती है। चूंकि यह इलाका नक्सल प्रभावित है, इस कारण इसे काफी संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। ऐसे में हथियारों की यह बिक्री प्रशासन के लिए चिंता का विषय भी बना हुआ है। पांच लोगों से हथियार बरामद भी किए गए हैं।

इस मेले में भाग लेने के लिए जिले से भी बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचते हैं। वापस आते समय वहां से अपने साथ कई हथियार भी साथ में लेकर आते हंै। शुक्रवार की सुबह ४.३क् बजे बालाछापर एवं बोकी चौक में मेले से आने वाले लोगों की चेकिंग की गई। इस दौरान वाहीद खान पिता सफीक खान निवासी सामरीपाठ सरगुजा, कृष्णा पिता चंदू निवासी रजला,अनुज पिता मगनाथ निवासी अलोरी,इंद्रकुमार पिता चैला राम निवासी कंडोरा एवं रितभजन सिंह पिता करमपाल के पास से दो तलवार, दो गुप्ती एवं १ बटन चाकू बरामद किया। उन्हें आर्म्स एक्ट में गिरफ्तार किया गया।

पुलिस की नाक के नीचे कारोबार
इस मेले में झारखण्ड, बिहार, ओड़िसा के लोग पंहुचते हैं। मेले में झारखण्ड पुलिस मौजूद रहती है पर उन्हें भनक तक नहीं लगती कि यहां मेले में लाखों के हथियारों का कारोबार हो रहा है। पड़ोसी राज्य मे लगने वाले मेले में वहां की पुलिस पंहुचती है लेकिन घनघोर जंगल के अंदर लगने वाले मेले के रास्ते में हथियारों के सौदागर इस मेले में आने वाले लोगों को गुपचुप तरीके से लाखों का हथियार बेच जाते है।

धर्म के नाम पर खरीदी
कुछ लोगों का मानना है कि इसे धर्म और पूजा-पाठ के नाम पर खरीदा-बेचा जाता है। लेकिन चिंता इस बात को लेकर रहती है कि इसका कोई प्रामाणिक मूल्यांकन किया जा सकता है कि किसने कितना हथियार खरीदा। चूंकि यह आपराधिक गढ़ भी माना जाता है, इस कारण संशय की स्थिति बनी रहती है। इस क्षेत्र में लूटपाट की घटनाएं भी अक्सर होती रहती है। जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ऐसे ही हथियारों का उपयोग इन घटनाओं में किया जा सकता है।

क्षेत्र में होने वाली बड़ी वारदातों में देसी कट्टा, तलवार, खुखरी जैसे हथियारों का ही प्रयोग होता है। अब तक की घटनाओं में ऐसे ही हथियार जब्त होते रहे हैं। हर वर्ष पड़ोसी राज्य के मेले से लोग हथियार लेकर आते हैं।
गोपाल वैश्य,थाना प्रभारी सिटी कोतवाली जशपुर


यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के दिन से तीन दिन तक चलता है। इसमें बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। १९४४-४५ में भगवान बलभद्र, सुभद्रा की प्रतिमा स्थापित की गई थी, जिसके बाद राजा निवास सिंह ने यहां कार्तिक मेला शुरू किया था। इसके बाद से अब तक कार्तिक पूर्णिमा पर यहां रात में मेला लगता है। दिन में मेला समाप्त हो जाता है।

॥चिंता का विषय है कि मेले में जाने वाले लोग खुलेआम हथियार लेकर जिले में पहुंच रहे हैं। पुलिस सतर्क है। पांच पाइंट लगाकर लगातार चेकिंग की जा रही है। अभी तक पांच लोगों से १क् हथियार मिले हैं, जिन पर कार्रवाई की गई है। मेले से आने वालों को कोई हथियार नहीं लाना चाहिए। पुलिस ने कड़ी नाकेबंदी की है। डॉ.संजीव शुक्ला, एसपी जशपुर

कैसे-कैसे हथियार
तलवार 1000 से 1500
फरसा 150 से 400
खुखरी 1000 से 1500
गुप्ती 550 से 600
चाकू 350 से 650
कट्टा 1000 से 5000
(आंकड़े रुपए में)


घना जंगल और नक्सल प्रभावित
यह झारखंड और छत्तीसगढ़ का सीमाई इलाका है। इसके अलावा नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। जिस स्थान पर मेला लगता है, उसके चारों ओर पहाड़ियां और घने जंगल हैं। इसके कारण पुलिस की टीमों को समन्वय की काफी परेशानी होती है।

कहां से आता है हथियार
ये हथियार झारखंड और बिहार के बार्डर इलाके चांदचाकी से यहां पहुंचते हैं। कट्टा बिहार के मुंगेर से यहां लाकर बेचा जाता है।

जनता दरबार में नेताओं ने दिखाया नंगा नाच: कुर्सी के लिए किया एक दूसरे को लहुलूहान

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ग्वालियर/भोपाल. नगर निगम द्वारा आयोजित एक शिलान्यास समारोह में मंच पर बैठने को लेकर हुए विवाद के बाद भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर पथराव हुआ। दोनों पक्षों के 35 कार्यकर्ता घायल हो गए, जिनमें से 6 की हालत गंभीर बताई गई है।

मारपीट, पथराव और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में पुलिस ने कांग्रेस के 50 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। पथराव भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा और कांग्रेस विधायक प्रद्युन सिंह तोमर की मौजूदगी में हुआ।

एमआईसी मेंबर जगतसिंह कौरव ने जैसे ही कार्यक्रम का संचालन शुरू किया, मंच पर मौजूद कांग्रेस पार्षद सुषमा चौहान ने उनसे माइक मांगा। श्री कौरव ने उन्हें माइक देने से मना कर दिया तो वहां मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ता भड़क गए। मंच पर मौजूद एक कांग्रेस नेता ने लात मारकर माइक स्टैंड को गिरा दिया।

भीड़ में मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कुर्सियां फेंकना शुरू कर दिया। हंगामा होता देख पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खदेड़ना शुरू कर दिया। इस बीच कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मैदान में पड़े पत्थर उठाकर भाजपाइयों पर फेंकना शुरू कर दिया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी जवाबी पथराव किया।

लगभग एक घंटे तक दोनों ओर से पथराव होता रहा। सबसे पहले भाजपा कार्यकर्ता शैली शर्मा के सिर में पत्थर लगा और खून की धार फूट पड़ी। उन्हें प्रभात झा ने मंच पर बुला लिया। कांग्रेस की पार्षद सुषमा चौहान के पति दीपक चौहान भी लहुलुहान हो गए।

ऐसी हो गृहस्थी तो भगवान को भी झुकना पड़ता है



आज के युवा वर्ग में अक्सर गृहस्थी की शुरुआत आकर्षण से शुरू हो, वासना से गुजरती हुई, अशांति पर आकर ठहर जाती है। लोग गृहस्थी को एक समझौता या दैहिक आवश्यकता मानकर रह जाते हैं। इसलिए कई बार ऐसा भी होता है कि शादी एक बंधन और गृहस्थी एक कैद सी महसूस होने लगती है।

हम चूक जाते हैं इस रिश्ते के रचनात्मक निर्माण में। अक्सर विवाह दैहिक होकर ही रह जाता है। उसमें वो दिव्यता नहीं आ पाती जो हमें परमात्मा की राह पर ले जाए। रामायण के एक प्रसंग में अत्रि ऋषि और अनुसुईया के दाम्पत्य में चलते हैं। अत्रि ऋषि और अनुसुईया दोनों पति-पत्नी होने के साथ ही बड़े तपस्वी भी थे।

उनके तप में इतना बल था कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं को उनके आगे नतमस्तक होना पड़ा। उनके रिश्ते में इतनी दिव्यता थी कि शरीर का भाव जाता रहा। एक बार तीनों देवताओं ने उनकी परीक्षा लेने की ठानी। तीनों साधु का वेश बनाकर भिक्षा मांगने आ गए। अनुसुईया भिक्षा देने आई तो तीनों ने शर्त रख दी कि भिक्षा तभी लेंगे जब अनुसुईया अपने शरीर के ऊपरी वस्त्र निकालकर आए।

यह एक कठिन समय था। कोई और स्त्री होती तो शायद तीनों को अपमानित कर भगा देती लेकिन अनुसुईया ने सोचा कि साधुओं को खाली हाथ लौटाने में अशुभ की आशंका है। पति के साथ कुछ अशुभ ना हो जाए। अनुसुईया ने मन ही मन परमात्मा का ध्यान किया। अपने ईष्ट का स्मरण करते हुए मन ही मन प्रार्थना की अगर मेरा पतिव्रत सच्चा है, मेरी तपस्या में पुण्य है तो ये तीनों साधु तत्काल बालक बन जाएं।

नन्हें अबोध बालकों के सामने इस अवस्था में जाना माता के लिए मुश्किल नहीं था। तीनों देवता, अनुसुईया के इस सतीत्व और पतिव्रत से प्रसन्न हुए। उन्होंने अनुसुईया से इसका रहस्य पूछा तो उसने तीनों देवों को बताया कि हमारे दाम्पत्य का आधार प्रेम और परमात्मा है। हमने आपसी प्रेम को एक डोर में पिरोकर उसे परमशक्ति को समर्पित कर दिया है। इस लिए हमारे दाम्पत्य में इतनी दिव्यता है। हम सिर्फ एक दूसरे से ही प्रेम और विश्वास नहीं रखते, हमने इस प्रेम और विश्वास को परमात्मा से जोड़ दिया है।

ये सुखा पौधा घर में न रखें वरना हो सकती है गड़बड़, क्योंकि...


अधिकांश हिंदू घरों में तुलसी का पौधा अवश्य ही होता है। तुलसी घर के आंगन में लगाने की प्रथा हजारों साल पुरानी है। तुलसी को दैवी का रूप माना जाता है। साथ ही मान्यता है कि तुलसी का पौधा घर में होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती और अन्य बुराइयां भी घर और घरवालों से दूर ही रहती है।

तुलसी का पौधा होने से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र और कीटाणुओं से मुक्त रहता है। कभी-कभी किसी कारण से यह पौध सूख भी जाता है ऐसे में इसे घर में नहीं रखना चाहिए बल्कि इसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करके दूसरा तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। सुखा हुआ तुलसी का पौधा घर में रखना कई परिस्थितियों में अशुभ माना जाता है। इससे विपरित परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं। घर की बरकत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसी वजह से घर में हमेशा पूरी तरह स्वस्थ तुलसी का पौधा ही लगाया जाना चाहिए।

तुलसी का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन विज्ञान के दृष्टिकोण से तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बुटि के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो बड़ी-बड़ी जटिल बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक है। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में मौजूद बीमारी के बैक्टेरिया आदि को नष्ट कर देती है। तुलसी की सुंगध हमें श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। साथ ही तुलसी की एक पत्ती रोज सेवन करने से हमें कभी बुखार नहीं आएगा और इस तरह के सभी रोग हमसे सदा दूर रहते हैं। तुलसी की पत्ती खाने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है।

पांच चीजें ऐसी जिन्हें खाएंगे तो याददाश्त हो जाएगी बहुत तेज

क्या आप भूलने की आदत से परेशान हैं? तो घबराइए ये नहीं ये परेशानी आजकल आम हो चूकी है। अच्छा खान-पान न होना भी याददाश्त कमजोर होने का एक बड़ा कारण है। लेकिन रोजमर्रा के जीवन में इन पांच चीजों का नियमित सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। ये पांच चीजें आपके स्नायुतंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही आपकी याददाश्त भी बढ़ाएंगी।

सेब- जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क और स्नायु कमजोर हों, वे अगर रोज सेब का सेवन करें तो स्मरण शक्ति बढ़ती है। इसके लिए रोज दो सेब बिना छिले खाना चाहिए।

आंवला- स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए रोज सुबह आंवले का मुरब्बा खाएं।

- प्रतिदिन अखरोट का सेवन करें। शहद को हर रोज किसी न किसी रूप में लेने से याददाश्त अच्छी रहती है।

- दस बादाम बादाम रात को भिगों दे। सुबह छिलका उतारकर बारह ग्राम मक्खन और मिश्री मिला कर एक दो माह तक खाने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है।

सौंफ- सौंफ को हल्की कूटकर ऊपर के छिलके उतारकर छान लें। इस तरह अंदर की मींगी निकाल कर एक चम्मच सुबह-शाम दो बार ठंडे पानी से या दूध से फंकी लें।

सावधान! भूल से भी ये गलतियां न करें वरना बरबाद हो सकते हैं


जाने अंजाने में कुछ गलतियां ऐसी भी हो जाती है जो आपको सिर्फ बरबादी की और मोड़ देती है। अगर आपने ध्यान नहीं दिया तो आपके काले दिन शुरू हो सकते हैं।
ज्योतिष की मानें तो कुछ काम ऐसे हैं जिनसे आपको बहुत बड़ा दोष लग सकता है।
अगर कोई व्यक्ति वस्त्रहीन होकर स्नान करता है तो ज्योतिष के अनुसार उसे पितृदोष लगता है।
- अगर कोई नदी में कचरा या पूजन सामग्री फेंकता है उसे ज्योतिष के अनुसार विषयोग बनाता है और धन का नुकसान उठाना पड़ता है।
- अगर घर की महिलाओं को परेशान करें या उनका अपमान कर दें तो स्त्री ऋण से परेशान होना पड़ सकता है। जिस घर में स्त्रियां दु:खी रहती हो वहां के सदस्यों को पितरों की कृपा प्राप्त नहीं होती।
- अगर आपने गलती से भी सांप मार दिया तो आपको कालसर्प दोष से पिड़ीत होना पड़ेगा।
शास्त्रों के अनुसार ऐसे काम करने वालों से पितर प्रसन्न नहीं होते हैं इसलिए देवी-देवता भी सुख और समृद्धि प्रदान नहीं करते। अत: ऐसे सभी कार्यों से बचना चाहिए है।

अंधविश्वास के नाम पर कैसे महिलाओं का उतारा गया भूत

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पटना। कार्तिक पूर्णिमा के दिन अंधविश्वास से पीड़ित लोग भगतों के शरण में आये। इस अवसर पर भगतों ने उनके भूत खूब झाड़े। अंधविश्वास की इतनी हद कि महिला पीडि़तों के बाल काटे गये। इतना ही नहीं इन्हें जंजीरों से पीटा गया। इस पूरे खेल के दौरान पुलिस तमाशवीन रही रही। अन्धविश्वास का खेल चलता रहा।

क्या है मामला :

तांत्रिक पूछता है.अगे बोल, तू पुतरिया के छोड़बही की ना. सुनैना जवाब देती है. ना छोड़बऊ, उ हमरा लांघलक है. लात से मारलक है. पूजा न देलकई है. तांत्रिक सोटा से मारता है.बोलता है. छोड़ देही, उ पूजा देतउ, ना छोड़बही त एईजे चमड़ी खींच लेबुक।

ऐसे संवाद डीएम कार्यालय के नीचे बिल्कुल आम थे। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भूत, प्रेत आदि से छुटकारा दिलाने के लिए दसियों ओझा और तांत्रिक मौजूद थे। सभी के आगे भूतों से पीड़ित औरतें, बच्चे और पुरुष बैठे हुए थे। भगत के पास ही उसका सटका, चमोटी, सिक्कड़ और अक्षत रखा हुआ था।

बात-बात में सटका का प्रयोग करता था। हवा में लहराता हुआ सटका औरतों और बच्चों पर पूरी गति से पड़ता। चीत्कार हवा में गूंजती। फिर ढोलक की थाप पर पूरी गति से भगत गाने लगता ‘‘पियर-पियर धोतिया, रंगइले गजमोतिया, मनुष देवता देवा खेलन शिकार, मनुष देवता..’’ इसी तरह देर शाम तक लोगों के शरीर पर सोटों की बारिश होती रही। वहां तथाकथित भूत से पीड़ित व्यक्ति के परिजन हाथ बांधे खड़े रहे। तमाशबीनों की संख्या हजारों में रही।

'रहस्मयी' है ये गंगा को जीवित रखने वाली 'ब्लू आइस'!

शुद्धता और पवित्रता की प्रतीक गंगा पूरे देश में पूज्यनीय है। इस सदानीरा गंगा नदी का उद्गगम स्थान गंगोत्री है। इसी गंगोत्री के चारों ओर बर्फ की बड़े बड़े पहाड़ हैं। जो पूरे साल गंगा को जीवन देते हैं। यहां जाने वाले लोगों को एक खास चीज हमेशा से आकर्षित करती रही है। वह है 'ब्लू आइस'। नीले रंग इन बर्फों को देख हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है। आपको यह जानकर और हैरानी होगी कि यब नीली बर्फ सदियों से अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं।
उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है गंगोत्री। यहां से 19 किलोमीटर दूर 3,892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौमुख गंगोत्री ग्लेशियर का मुहाना तथा भागीरथी नदी का उद्गम स्थल है। कहते हैं कि यहां के बर्फिले पानी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। 25 किलोमीटर लंबा, 4 किलोमीटर चौड़ा तथा लगभग 40 मीटर ऊंचा गौमुख अपने आप में एक परिपूर्ण माप है। इस गौमुख ग्लेशियर में भगीरथी एक छोटी गुफानुमा ढांचे से आती है।
पर्यावरण वैज्ञानिक तेजी पिघल रहे ग्लेशियर पर चिंता जता रहे हैं। बढ़ती गर्मी और बदलते मौसम के कारण पवित्र गंगा का उद्गम गंगोत्री हिमखंड औसतन 7.3 मीटर प्रतिवर्ष सिकुड़ रहा है। उत्तराखंड में 30.2 किलोमीटर लम्बा गंगोत्री ग्लेशियर प्रतिवर्ष औसतन 7.3 मीटर सिकुड़ रहा है। हिमखंडों के पिघलने की इस रफ्तार से कुछ ही समय में कई नदियां मौसमी नदियां बन कर रह जाएंगी।

हमेशा जवान रहने का ये है सबसे टेस्टी और आसान नुस्खा


आंवले को आयुर्वेद में गुणों का फल माना गया है। चाहे आवंला स्वाद में कड़वा और कसैला हो लेकिन आंवला विटामिन का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है। इसीलिए हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस फल को पुज्यनीय माना गया है। इसकी छांव में बैठकर खाने से भी अनेक रोग दूर होते हैं।

कहते हैं एक आंवले में 3 संतरों के बराबर विटामिन की मात्रा होती है। आवंला खाने से सबसे अच्छा प्रभाव बालों और त्वचा पर पड़ता है। आंवला खाने से लीवर को शक्ति मिलती है जिससे लीवर हमारे शरीर में से विषैले पदार्थों को शरीर में से आसानी से बाहर निकाल देता है।

आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है। साथ ही आंवले का स्वादिष्ट मुरब्बा ताकत देने वाला होता है। आंवले का चूर्ण मूली में भरकर खाने से मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है। जो लोग स्वस्थ रहना चाहते हैं वो ताजा आंवला का रस शहद में मिलाकर पीने के बाद ऊपर से दूध पियें इससे स्वास्थ अच्छा रहता है। दिन भर प्रसन्नता का अनुभव होता है। आंवले का जूस पीने के भी बहुत से फायदे हैं पेट से जुड़ी सारी समस्याएं मिट जाती हैं। इसके नियमित सेवन से कभी बुढ़ापा नहीं आता है।

यह है गीता का ज्ञान

( विज्ञान सहित ज्ञान का विषय )
श्रीभगवानुवाच
मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः ।
असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु ॥
भावार्थ : श्री भगवान बोले- हे पार्थ! अनन्य प्रेम से मुझमें आसक्त चित तथा अनन्य भाव से मेरे परायण होकर योग में लगा हुआ तू जिस प्रकार से सम्पूर्ण विभूति, बल, ऐश्वर्यादि गुणों से युक्त, सबके आत्मरूप मुझको संशयरहित जानेगा, उसको सुन॥1॥
ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः ।
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते ॥
भावार्थ : मैं तेरे लिए इस विज्ञान सहित तत्व ज्ञान को सम्पूर्णतया कहूँगा, जिसको जानकर संसार में फिर और कुछ भी जानने योग्य शेष नहीं रह जाता॥2॥
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये ।
यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्वतः ॥
भावार्थ : हजारों मनुष्यों में कोई एक मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करता है और उन यत्न करने वाले योगियों में भी कोई एक मेरे परायण होकर मुझको तत्व से अर्थात यथार्थ रूप से जानता है॥3॥
भूमिरापोऽनलो वायुः खं मनो बुद्धिरेव च ।
अहङ्‍कार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टधा ॥
अपरेयमितस्त्वन्यां प्रकृतिं विद्धि मे पराम्‌ ।
जीवभूतां महाबाहो ययेदं धार्यते जगत्‌ ॥
भावार्थ : पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार भी- इस प्रकार ये आठ प्रकार से विभाजित मेरी प्रकृति है। यह आठ प्रकार के भेदों वाली तो अपरा अर्थात मेरी जड़ प्रकृति है और हे महाबाहो! इससे दूसरी को, जिससे यह सम्पूर्ण जगत धारण किया जाता है, मेरी जीवरूपा परा अर्थात चेतन प्रकृति जान॥4-5॥
एतद्योनीनि भूतानि सर्वाणीत्युपधारय ।
अहं कृत्स्नस्य जगतः प्रभवः प्रलयस्तथा ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! तू ऐसा समझ कि सम्पूर्ण भूत इन दोनों प्रकृतियों से ही उत्पन्न होने वाले हैं और मैं सम्पूर्ण जगत का प्रभव तथा प्रलय हूँ अर्थात्‌ सम्पूर्ण जगत का मूल कारण हूँ॥6॥
मत्तः परतरं नान्यत्किञ्चिदस्ति धनञ्जय ।
मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव ॥
भावार्थ : हे धनंजय! मुझसे भिन्न दूसरा कोई भी परम कारण नहीं है। यह सम्पूर्ण जगत सूत्र में सूत्र के मणियों के सदृश मुझमें गुँथा हुआ है॥7॥
( संपूर्ण पदार्थों में कारण रूप से भगवान की व्यापकता का कथन )
रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययोः ।
प्रणवः सर्ववेदेषु शब्दः खे पौरुषं नृषु ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! मैं जल में रस हूँ, चन्द्रमा और सूर्य में प्रकाश हूँ, सम्पूर्ण वेदों में ओंकार हूँ, आकाश में शब्द और पुरुषों में पुरुषत्व हूँ॥8॥
पुण्यो गन्धः पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ ।
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु ॥
भावार्थ : मैं पृथ्वी में पवित्र (शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध से इस प्रसंग में इनके कारण रूप तन्मात्राओं का ग्रहण है, इस बात को स्पष्ट करने के लिए उनके साथ पवित्र शब्द जोड़ा गया है।) गंध और अग्नि में तेज हूँ तथा सम्पूर्ण भूतों में उनका जीवन हूँ और तपस्वियों में तप हूँ॥9॥
बीजं मां सर्वभूतानां विद्धि पार्थ सनातनम्‌ ।
बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्‌ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! तू सम्पूर्ण भूतों का सनातन बीज मुझको ही जान। मैं बुद्धिमानों की बुद्धि और तेजस्वियों का तेज हूँ॥10॥
बलं बलवतां चाहं कामरागविवर्जितम्‌ ।
धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ ॥
भावार्थ : हे भरतश्रेष्ठ! मैं बलवानों का आसक्ति और कामनाओं से रहित बल अर्थात सामर्थ्य हूँ और सब भूतों में धर्म के अनुकूल अर्थात शास्त्र के अनुकूल काम हूँ॥11॥
ये चैव सात्त्विका भावा राजसास्तामसाश्चये ।
मत्त एवेति तान्विद्धि न त्वहं तेषु ते मयि ॥
भावार्थ : और भी जो सत्त्व गुण से उत्पन्न होने वाले भाव हैं और जो रजो गुण से होने वाले भाव हैं, उन सबको तू 'मुझसे ही होने वाले हैं' ऐसा जान, परन्तु वास्तव में (गीता अ. 9 श्लोक 4-5 में देखना चाहिए) उनमें मैं और वे मुझमें नहीं हैं॥12॥


कुरान का संदेश

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किसी से संबंध, या उसके साथ सीडी होना गुनाह नहीं'


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जोधपुर.मदेरणा दोपहर करीब ढाई बजे सीबीआई ऑफिस जाने के लिए घर से निकले। सीबीआई ने मदेरणा और उनकी पत्नी लीला दोनों से अलग-अलग स्थानों पर पूछताछ की। लीला पूछताछ के लिए पहली बार पेश हुई। उनसे मदेरणा और भंवरी के रिश्तों को लेकर सवाल पूछे गए। महिपाल मदेरणा से एक दिन पहले भी करीब 6.30 घंटे पूछताछ की गई थी।

नाराज लीला ने कहा- सब मीडिया ने किया है, मैं लोगों से कहूंगी-न टीवी देखें, न अखबार पढ़ें, फिर भी ये आएं तो इनके कैमरे तोड़ दें

किसी की सीडी होना और किसी से संबंध होना कोई गुनाह नहीं है।

कोई महिला अपनी मर्जी से जा रही है तो पूछो उससे कि वह अपनी ही सीडी क्यों बना रही है? वह महिला कैसी है? पूरे मामले में मीडिया ही दोषी है।

मीडिया ने हमारा जितना नुकसान करना था, कर दिया। मैं तो लोगों से कहूंगी कि टीवी देखना बंद करो, अखबार पढ़ना बंद करो और इनके कैमरे तोड़ो।

मजार शरीफ की दीवारों पर होगी सोने की नक्काशी

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अजमेर.हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में मजार शरीफ की दीवारों के दोनों ओर सोने की नक्काशी होगी। यह काम मोहर्रम के बाद कराया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को दरगाह कमेटी, खादिमों की दोनों संस्थाएं अंजुमन सैयद जादगान व अंजुमन शेखजादगान तथा हफ्त बारीदारान के मुखियाओं की संयुक्त बैठक में इस प्रस्ताव को एकराय से मंजूरी दी गई।

नक्काशी के काम को दरगाह कमेटी मार्च में ही मंजूरी दे चुकी थी। चूंकि इसके लिए शेष तीनों संस्थाओं के अनुमति भी जरूरी थी। इसीलिए शुक्रवार को इस प्रस्ताव पर बैठक हुई। नक्काशी का काम सैयद मेहमूद नियाजी के जरिए गरीब नवाज के एक मुरीद करवा रहे हैं।

बाल ब्रह्मचारी हनुमान भी आकर्षित हो गए थे इसकी खूबसूरती से..

जाखू मंदिर- 2455 मीटर ऊपर चोटी पर स्थित यह भगवान हनुमान का प्राचीन मंदिर है। जहां से शिमला शहर का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। कहा जाता है कि लक्ष्मण के लिए बूटी लाते समय भगवान हनुमान ने कुछ देर यहां विश्राम किया था।
यहां के मंदिर में हनुमान जी की प्राचीन मनोहर प्रतिमा देखकर खुद ब खुद श्रद्धा से सिर झुक जाता है। इसके अलावा, यहां पिछले बनी हनुमान जी की 108 फुट ऊंची विशाल मूर्ति पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। माल रोड से पैदल या टैक्सी, खच्चर लेकर जाखू हिल स्थित इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
कब जाएं
यूं तो शिमला घूमने के लिए पूरा साल मुफीद है , क्योंकि हर मौसम का अपना ही आनंद है। क्रिसमस और नए साल के दिनों में यहां बर्फबारी का मजा है , तो मई - जून की भरी गर्मी के दौरान यहां हल्की ठंड का मजा लिया जा सकता है। अप्रैल से अगस्त और दिसंबर से जनवरी का मौसम शिमला के लिए बेस्ट माना जाता है।

इस विध्वंसकारी युद्ध की आग में हमेशा-हमेशा के लिए जल गया एक वंश

कुरुक्षेत्र हरियाणा राज्य का एक प्रमुख जिला है। यह राज्य के उत्तर में स्थित है तथा अम्बाला, यमुना नगर, करनाल और कैथल से घिरा हुआ है । माना जाता है कि यहीं महाभारत की लड़ाई हुई थी और भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश ज्योतीसर नामक स्थान पर दिया था । यह जिला बासमती चावल के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है।

इसके अतिरिक्त अनेक पुराणो, स्मृतियों और महर्षि वेद व्यास रचित महाभारत में इसका विस्तृत वर्णन किया गया हैं । विशेष तथ्य यह है कि कुरुक्षेत्र की पौराणिक सीमा 48 कोस की मानी गई है जिसमें कुरुक्षेत्र के अतिरिक्त कैथल , करनाल, पानीपत और जिंद का क्षेत्र सम्मिलित हैं ।

कुरुक्षेत्र युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य कुरु साम्राज्य के सिंहासन की प्राप्ति के लिए लड़ा गया था। महाभारत के अनुसार इस युद्ध में भारत के प्रायः सभी जनपदों ने भाग लिया। महाभारत व अन्य वैदिक साहित्यों के अनुसार यह प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था। इस युद्ध में लाखों क्षत्रिय योद्धा मारे गये जिसके परिणामस्वरूप वैदिक संस्कृति तथा सभ्यता का पतन हो गया।

यह युद्ध प्राचीन भारत के इतिहास का सबसे विध्वंसकारी और विनाशकारी युद्ध सिद्ध हुआ। युद्ध के बाद भारतवर्ष की भूमि लम्बे समय तक वीर क्षत्रियों से विहीन रही। गांधारी के शापवश यादवों के वंश का भी विनाश हो गया। लगभग सभी यादव आपसी युद्ध में मारे गये, जिसके बाद श्रीकृष्ण ने भी इस धरती से प्रयाण किया।

हमारा दावा है कि आपको इस पौधे की कीमत पर विश्वास नहीं होगा

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नई दिल्ली ओखला के एनएसआईसी ग्राउंड में शुक्रवार से 12वें नर्सरी एंड लैंडस्केप एक्सपो-2011 नामक प्रदर्शनी शुरू हुई, जो १३ नवंबर तक चलेगी। इस प्रदर्शनी का आयोजन १९ साल बाद किया गया है। इस मेले में विभिन्न राज्यों से नर्सरीमैन पौधे लेकर पहुंचे हैं, जिनकी कीमत पांच से नौ लाख रुपए तक है। इनमें जेड प्लांट नामक पौधा करीब दस दशक पुराना है। दो फुट के इस पौधे की कीमत नौ लाख रुपए है। दूसरा पौधा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अर्जुन द्वारा स्वर्ग से लौटने के बाद भगवान श्रीकृष्ण को भेंट किया गया कल्पवृक्ष है।

इस 12वें नर्सरी एंड लैंडस्केप एक्सपो में एक हजार से अधिक प्रजाति के पौधे उपलब्ध कराए गए हैं। इंडियन नर्सरीमैन एसोसिएशन और दिल्ली नर्सरीमैन एंड लैंडस्केप एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में इस एक्सपो का शुभारंभ नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के प्रमुख और मुख्य अतिथि बिजॉय कुमार ने किया। इंडियन नर्सरीमैन एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय वंश त्यागी ने बताया कि दिल्ली में करीब 19 साल बाद यह एक्सपो आयोजित किया गया है, जो 13 नवंबर तक जारी रहेगा।

इसमें देशभर के तमाम राज्यों से करीब सौ नर्सरी और संबंधित कंपनियां भाग ले रही हैं। एक्सपो में विभिन्न प्रकार के फूल और पौधे तो प्रदर्शित किए ही जा रहे हैं साथ ही गार्डनिंग के नए-नए तकनीक की जानकारी भी दी जा रही है। यहां वर्टिकल गार्डन, पौंड गार्डन, लावर गार्डन और बोंजाई गार्डन आदि भी प्रदर्शित किए गए हैं। खास बात यह है कि एक्सपो में दर्शक अपने पसंदीदा फूल और पौधे खरीद भी सकते हैं।

दो कारों से 3.64 करोड़ बरामद, कांग्रेस विधायक के लिए लाया जा रहा था पैसा?

पटियाला. पटियाला में दिल्ली की ओर से आ रही दो टाटा सफारी कारों से पुलिस ने 3.64 करोड़ रुपए बरामद किए। रूटीन चैकिंग के दौरान पुलिस ने यह पैसा बरामद किया।

पैसा लेकर पटियाला आ रहे लोगों ने पुलिस को बताया है कि यह कांग्रेस के स्थानीय विधायक सुखपाल सिंह खैरा का पैसा है जो जमीन खरीदने के लिए पटियाला लाया जा रहा था।

हालांकि पैसे के साथ पुलिस की हिरासत में आए लोगों ने अभी इस इस रकम का स्त्रोत पुलिस को नहीं बताया है। पुलिस के अनुसार शुरुआती पूछताछ में हिरासत में लिए गए लोगों ने बताया है कि यह पैसा कांग्रेस विधायक के एक जमीन के सौदे के लिए लाया जा रहा था।

हालांकि आयकर विभाग ने पैसा कांग्रेस विधायक का होने से इंकार किया है। अभी इस इतनी बड़ी रकम की गुत्थी नहीं सुलझ सकी है।

अजूबा बना दूसरी दुनिया का यह तिलिस्मी पत्थर!


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1872 में ब्रिटेन के न्यू हैंपशायर की विनिपीसाउकी झील में खुदाई के दौरान एक काले रंग का अंडाकार पत्थर मिला था। 4 इंच बाय 2.5 इंच के पत्थर को तराशकर बहुत से निशान भी इस पर बनाए गए हैं। काफी रिसर्च के बाद भी पता नहीं चलता कि इस पत्थर की उम्र कितनी है, इसे किसलिए बनाया गया और क्या ये इस दुनिया का है या फिर कहीं और से आया है।
न्यू हैंपशायर के बिजनेसमैन सेनेका लैड मजदूरों से यहां खुदाई करवा रहे थे। उन्हें ये पत्थर मिला था। 1892 में तक ये उनके पास रहा, फिर उनकी मौत के बाद उनकी बेटी ने इसे संभाला। 1927 में उनकी बेटी ने न्यू हैंपशायर हिस्टोरिकल सोसायटी को इसे दान कर दिया।

तभी से ये वहां म्यूजियम में प्रदर्शित है। इस पत्थर पर एक चेहरा, चंद्रमा, तीर, बहुत से बिंदु और कई तरह के निशान बने हैं। इसमें दोनों तरफ से आरपार छेद किए गए हैं। ये छेद भी अलग-अलग साइज के बिट्स से किए गए हैं।
ऊपर से नीचे छेद करने वाली ड्रिल बिट का साइज 1/8 इंच है। नीचे से ऊपर वाली का साइज 3/8 इंच है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस तरह के छेद करने की तकनीक 19वीं सदी के पॉवर टूल्स से संभव हुई है। फिर इतिहासपूर्व के इस पत्थर में ये छेद कैसे किए गए। 1872 में अमेरिकन नेचरलिस्ट ने कहा था ये दो आदिवासियों के बीच समझौते का प्रतीक है।
राज़ है गहरा
न्यू हैंपशायर में मिला पाषणयुग का ये पत्थर कहां से आया था। इस पर बने निशानों का क्या मतलब है और इसे क्यों बनाया गया। इतिहासपूर्व में बिना साधनों के इसमें इतने बारीक छेद कैसे किए गए ये आज भी राज़ है।

अन्ना का मुंह काला करने की साजिश? मेधा पर भी हमले की योजना!

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नई दिल्ली.टीम अन्ना के प्रमुख सदस्यों प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल पर हमलों के बाद अब खुद समाजसेवी अन्ना हजारे पर हमला करके उनका मुंह काला करने की योजना बनाई जा रही है। टीम अन्ना की प्रमुख सदस्य और समाज सेविका मेधा पाटकर पर भी हमले की योजना बनाई जा रही है। यह खुलासा इंडिया टीवी ने शुक्रवा रात को प्रसारित एक स्टिंग ऑपरेशन में किया।

प्रशांत भूषण पर हमला करने वाले तेजिंदर सिंह बग्गा और इंदर कुमार और अरविंद केजरीवाल पर लखनऊ में हमला करने वाले जितेंद्र पाठक के स्टिंग ऑपरेशन से खुलास हुआ है कि हमलावरों की अन्ना हजारे पर भी हमला करने की योजना है। प्रशांत भूषण के चैंबर में उन पर हमला करने वाले इंद्र कुमार ने कैमरे के सामने अन्ना हजारे के मुंह पर कालिख पोतने की साजिश की बात स्वीकारी। इंद्र ने शिवसेना नेता बाल ठाकरे और संजय राउत से भी नजदीकी की बात स्वीकारी। वहीं तेजिंदर सिंह बग्गा ने कैमरे के सामने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और संदीप पांडे पर भी हमले की साजिश की बात कही।

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