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13 नवंबर 2011

यह गीता का ज्ञान

( ब्रह्म, अध्यात्म और कर्मादि के विषय में अर्जुन के सात प्रश्न और उनका उत्तर )
अर्जुन उवाच
किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं पुरुषोत्तम ।
अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते ॥
भावार्थ : अर्जुन ने कहा- हे पुरुषोत्तम! वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है? कर्म क्या है? अधिभूत नाम से क्या कहा गया है और अधिदैव किसको कहते हैं॥1॥
अधियज्ञः कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन ।
प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभिः ॥
भावार्थ : हे मधुसूदन! यहाँ अधियज्ञ कौन है? और वह इस शरीर में कैसे है? तथा युक्त चित्त वाले पुरुषों द्वारा अंत समय में आप किस प्रकार जानने में आते हैं॥2॥
श्रीभगवानुवाच
अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते ।
भूतभावोद्भवकरो विसर्गः कर्मसंज्ञितः ॥
भावार्थ : श्री भगवान ने कहा- परम अक्षर 'ब्रह्म' है, अपना स्वरूप अर्थात जीवात्मा 'अध्यात्म' नाम से कहा जाता है तथा भूतों के भाव को उत्पन्न करने वाला जो त्याग है, वह 'कर्म' नाम से कहा गया है॥3॥
अधिभूतं क्षरो भावः पुरुषश्चाधिदैवतम्‌ ।
अधियज्ञोऽहमेवात्र देहे देहभृतां वर ॥
भावार्थ : उत्पत्ति-विनाश धर्म वाले सब पदार्थ अधिभूत हैं, हिरण्यमय पुरुष (जिसको शास्त्रों में सूत्रात्मा, हिरण्यगर्भ, प्रजापति, ब्रह्मा इत्यादि नामों से कहा गया है) अधिदैव है और हे देहधारियों में श्रेष्ठ अर्जुन! इस शरीर में मैं वासुदेव ही अन्तर्यामी रूप से अधियज्ञ हूँ॥4॥
अंतकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्‌ ।
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः ॥
भावार्थ : जो पुरुष अंतकाल में भी मुझको ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है, वह मेरे साक्षात स्वरूप को प्राप्त होता है- इसमें कुछ भी संशय नहीं है॥5॥
यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम्‌ ।
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः ॥
भावार्थ : हे कुन्ती पुत्र अर्जुन! यह मनुष्य अंतकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्याग करता है, उस-उसको ही प्राप्त होता है क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है॥6॥
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युद्ध च ।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्‌ ॥
भावार्थ : इसलिए हे अर्जुन! तू सब समय में निरंतर मेरा स्मरण कर और युद्ध भी कर। इस प्रकार मुझमें अर्पण
( भक्ति योग का विषय )
अभ्यासयोगयुक्तेन चेतसा नान्यगामिना ।
परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन्‌ ॥
भावार्थ : हे पार्थ! यह नियम है कि परमेश्वर के ध्यान के अभ्यास रूप योग से युक्त, दूसरी ओर न जाने वाले चित्त से निरंतर चिंतन करता हुआ मनुष्य परम प्रकाश रूप दिव्य पुरुष को अर्थात परमेश्वर को ही प्राप्त होता है॥8॥
कविं पुराणमनुशासितार-मणोरणीयांसमनुस्मरेद्यः ।
सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूप-मादित्यवर्णं तमसः परस्तात्‌ ॥
भावार्थ : जो पुरुष सर्वज्ञ, अनादि, सबके नियंता (अंतर्यामी रूप से सब प्राणियों के शुभ और अशुभ कर्म के अनुसार शासन करने वाला) सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म, सबके धारण-पोषण करने वाले अचिन्त्य-स्वरूप, सूर्य के सदृश नित्य चेतन प्रकाश रूप और अविद्या से अति परे, शुद्ध सच्चिदानन्दघन परमेश्वर का स्मरण करता है॥9॥
प्रयाण काले मनसाचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव ।
भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक्‌- स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम्‌ ।
भावार्थ : वह भक्ति युक्त पुरुष अन्तकाल में भी योगबल से भृकुटी के मध्य में प्राण को अच्छी प्रकार स्थापित करके, फिर निश्चल मन से स्मरण करता हुआ उस दिव्य रूप परम पुरुष परमात्मा को ही प्राप्त होता है॥10॥
यदक्षरं वेदविदो वदन्ति विशन्ति यद्यतयो वीतरागाः ।
यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये ॥
भावार्थ : वेद के जानने वाले विद्वान जिस सच्चिदानन्दघनरूप परम पद को अविनाश कहते हैं, आसक्ति रहित यत्नशील संन्यासी महात्माजन, जिसमें प्रवेश करते हैं और जिस परम पद को चाहने वाले ब्रह्मचारी लोग ब्रह्मचर्य का आचरण करते हैं, उस परम पद को मैं तेरे लिए संक्षेप में कहूँगा॥11॥
सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च ।
मूर्ध्न्याधायात्मनः प्राणमास्थितो योगधारणाम्‌ ॥
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्‌ ।
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्‌ ॥
भावार्थ : सब इंद्रियों के द्वारों को रोककर तथा मन को हृद्देश में स्थिर करके, फिर उस जीते हुए मन द्वारा प्राण को मस्तक में स्थापित करके, परमात्म संबंधी योगधारणा में स्थित होकर जो पुरुष 'ॐ' इस एक अक्षर रूप ब्रह्म को उच्चारण करता हुआ और उसके अर्थस्वरूप मुझ निर्गुण ब्रह्म का चिंतन करता हुआ शरीर को त्यागकर जाता है, वह पुरुष परम गति को प्राप्त होता है॥12-13॥
अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः ।
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनीः ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! जो पुरुष मुझमें अनन्य-चित्त होकर सदा ही निरंतर मुझ पुरुषोत्तम को स्मरण करता है, उस नित्य-निरंतर मुझमें युक्त हुए योगी के लिए मैं सुलभ हूँ, अर्थात उसे सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ॥14॥
मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्‌ ।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः ॥
भावार्थ : परम सिद्धि को प्राप्त महात्माजन मुझको प्राप्त होकर दुःखों के घर एवं क्षणभंगुर पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होते॥15॥
आब्रह्मभुवनाल्लोकाः पुनरावर्तिनोऽर्जुन ।
मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! ब्रह्मलोकपर्यंत सब लोक पुनरावर्ती हैं, परन्तु हे कुन्तीपुत्र! मुझको प्राप्त होकर पुनर्जन्म नहीं होता, क्योंकि मैं कालातीत हूँ और ये सब ब्रह्मादि के लोक काल द्वारा सीमित होने से अनित्य हैं॥16॥
सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः ।
रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः ॥
भावार्थ : ब्रह्मा का जो एक दिन है, उसको एक हजार चतुर्युगी तक की अवधि वाला और रात्रि को भी एक हजार चतुर्युगी तक की अवधि वाला जो पुरुष तत्व से जानते हैं, वे योगीजन काल के तत्व को जानने वाले हैं॥17॥
अव्यक्ताद्व्यक्तयः सर्वाः प्रभवन्त्यहरागमे ।
रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके ॥
भावार्थ : संपूर्ण चराचर भूतगण ब्रह्मा के दिन के प्रवेश काल में अव्यक्त से अर्थात ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर से उत्पन्न होते हैं और ब्रह्मा की रात्रि के प्रवेशकाल में उस अव्यक्त नामक ब्रह्मा के सूक्ष्म शरीर में ही लीन हो जाते हैं॥18॥
भूतग्रामः स एवायं भूत्वा भूत्वा प्रलीयते ।
रात्र्यागमेऽवशः पार्थ प्रभवत्यहरागमे ॥
भावार्थ : हे पार्थ! वही यह भूतसमुदाय उत्पन्न हो-होकर प्रकृति वश में हुआ रात्रि के प्रवेश काल में लीन होता है और दिन के प्रवेश काल में फिर उत्पन्न होता है॥19॥
परस्तस्मात्तु भावोऽन्योऽव्यक्तोऽव्यक्तात्सनातनः ।
यः स सर्वेषु भूतेषु नश्यत्सु न विनश्यति ॥
भावार्थ : उस अव्यक्त से भी अति परे दूसरा अर्थात विलक्षण जो सनातन अव्यक्त भाव है, वह परम दिव्य पुरुष सब भूतों के नष्ट होने पर भी नष्ट नहीं होता॥20॥
अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहुः परमां गतिम्‌ ।
यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥
भावार्थ : जो अव्यक्त 'अक्षर' इस नाम से कहा गया है, उसी अक्षर नामक अव्यक्त भाव को परमगति कहते हैं तथा जिस सनातन अव्यक्त भाव को प्राप्त होकर मनुष्य वापस नहीं आते, वह मेरा परम धाम है॥21॥
पुरुषः स परः पार्थ भक्त्या लभ्यस्त्वनन्यया ।
यस्यान्तः स्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम्‌ ॥
भावार्थ : हे पार्थ! जिस परमात्मा के अंतर्गत सर्वभूत है और जिस सच्चिदानन्दघन परमात्मा से यह समस्त जगत परिपूर्ण है (गीता अध्याय 9 श्लोक 4 में देखना चाहिए), वह सनातन अव्यक्त परम पुरुष तो अनन्य (गीता अध्याय 11 श्लोक 55 में इसका विस्तार देखना चाहिए) भक्ति से ही प्राप्त होने योग्य है ॥22॥
किए हुए मन-बुद्धि से युक्त होकर तू निःसंदेह मुझको ही प्राप्त होगा॥7॥
शुक्ल और कृष्ण मार्ग का विषय )
यत्र काले त्वनावत्तिमावृत्तिं चैव योगिनः ।
प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! जिस काल में (यहाँ काल शब्द से मार्ग समझना चाहिए, क्योंकि आगे के श्लोकों में भगवान ने इसका नाम 'सृति', 'गति' ऐसा कहा है।) शरीर त्याग कर गए हुए योगीजन तो वापस न लौटने वाली गति को और जिस काल में गए हुए वापस लौटने वाली गति को ही प्राप्त होते हैं, उस काल को अर्थात दोनों मार्गों को कहूँगा॥23॥
अग्निर्ज्योतिरहः शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम्‌ ।
तत्र प्रयाता गच्छन्ति ब्रह्म ब्रह्मविदो जनाः ॥
भावार्थ : जिस मार्ग में ज्योतिर्मय अग्नि-अभिमानी देवता हैं, दिन का अभिमानी देवता है, शुक्ल पक्ष का अभिमानी देवता है और उत्तरायण के छः महीनों का अभिमानी देवता है, उस मार्ग में मरकर गए हुए ब्रह्मवेत्ता योगीजन उपयुक्त देवताओं द्वारा क्रम से ले जाए जाकर ब्रह्म को प्राप्त होते हैं। ॥24॥
धूमो रात्रिस्तथा कृष्ण षण्मासा दक्षिणायनम्‌ ।
तत्र चान्द्रमसं ज्योतिर्योगी प्राप्य निवर्तते ॥
भावार्थ : जिस मार्ग में धूमाभिमानी देवता है, रात्रि अभिमानी देवता है तथा कृष्ण पक्ष का अभिमानी देवता है और दक्षिणायन के छः महीनों का अभिमानी देवता है, उस मार्ग में मरकर गया हुआ सकाम कर्म करने वाला योगी उपयुक्त देवताओं द्वारा क्रम से ले गया हुआ चंद्रमा की ज्योत को प्राप्त होकर स्वर्ग में अपने शुभ कर्मों का फल भोगकर वापस आता है॥25॥
शुक्ल कृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते ।
एकया यात्यनावृत्ति मन्ययावर्तते पुनः ॥
भावार्थ : क्योंकि जगत के ये दो प्रकार के- शुक्ल और कृष्ण अर्थात देवयान और पितृयान मार्ग सनातन माने गए हैं। इनमें एक द्वारा गया हुआ (अर्थात इसी अध्याय के श्लोक 24 के अनुसार अर्चिमार्ग से गया हुआ योगी।)-- जिससे वापस नहीं लौटना पड़ता, उस परमगति को प्राप्त होता है और दूसरे के द्वारा गया हुआ ( अर्थात इसी अध्याय के श्लोक 25 के अनुसार धूममार्ग से गया हुआ सकाम कर्मयोगी।) फिर वापस आता है अर्थात्‌ जन्म-मृत्यु को प्राप्त होता है॥26॥
नैते सृती पार्थ जानन्योगी मुह्यति कश्चन ।
तस्मात्सर्वेषु कालेषु योगयुक्तो भवार्जुन ॥
भावार्थ : हे पार्थ! इस प्रकार इन दोनों मार्गों को तत्त्व से जानकर कोई भी योगी मोहित नहीं होता। इस कारण हे अर्जुन! तू सब काल में समबुद्धि रूप से योग से युक्त हो अर्थात निरंतर मेरी प्राप्ति के लिए साधन करने वाला हो॥27॥
वेदेषु यज्ञेषु तपःसु चैव दानेषु यत्पुण्यफलं प्रदिष्टम्‌ ।
अत्येत तत्सर्वमिदं विदित्वा योगी परं स्थानमुपैति चाद्यम्‌ ॥
भावार्थ : योगी पुरुष इस रहस्य को तत्त्व से जानकर वेदों के पढ़ने में तथा यज्ञ, तप और दानादि के करने में जो पुण्यफल कहा है, उन सबको निःसंदेह उल्लंघन कर जाता है और सनातन परम पद को प्राप्त होता है॥28॥
ॐ तत्सदिति श्री मद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्री कृष्णार्जुनसंवादे अक्षर ब्रह्मयोगो नामाष्टमोऽध्यायः ॥8॥



कुरान में इकरार नामे का संदेश ............


सांप दिख जाए तो डरे नहीं फायदेमंद हो सकता है सांप देखना क्योंकि

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वैसे तो माना जाता है कि सांप देखना या मारना शुभ नहीं होता लेकिन कई बार सांप देखना फायदेमंद होता है।
ज्योतिष के अनुसार सांप उन लोगों को भी दिखते हैं जिनको पैसा और फायदा मिलने वाला होता है। वैसे आम लोगों के मन में धारणा है कि सांप देखना दोष होता है या जिसको पितृदोष होता है उनको सांप दिखाई देते हैं।
जानें कैसे हो सकता है फायदा
- अगर आपको सफेद सांप दिख जाए तो आपको धन लाभ होगा।।
- भूरा सांप अगर उत्तर दिशा की और जाता हुआ दिख जाए तो बिजनेस में फायदा होने का योग बनता है।
- अगर कोई भी सांप फन फैलाए हुए हो ओर आप उसको पिछे कि ओर से देखें तो आपके लिए शुभ फल देने वाला रहेगा। आपके साथ नाग देवता का आशिर्वाद रहेगा।
- अगर आपको ज्यादातर सफेद सांप दिखे तो समझना चाहिए आप पर पितृ देव और नाग देवता की कृपा रहेगी। आपके हर काम पूरे होंगे।
- अगर सपने में सफेद सांप अपने पैतृक स्थान पर दिखें तो समझें आपको उस जगह से धन मिलने वाला है।
- अगर सोमवार और पंचमी को आपको सांप दिखे तो समझना चाहिए आपको अपनों से लाभ और पैसा मिलेगा।

अगर टूटता तारा देखा तो क्या होगा? पैसा मिलेगा या होगा नुकसान खुद जानें


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वैसे तो टूटता तारा देख आप खुश हो जाते हैं क्योंकि वो आपकी गुड विश पूरी करता हैं लेकिन आपको ये नहीं पता की उसका इशारा आपके पैसों की तरफ भी होता है। जी हां ज्योतिष के अनुसार टूटता तारा आपके पैसों की तरफ इशारा करता है।

ज्योतिष के अनुसार तारा टूटना यानि उल्का पात अशुभ होता है साथ ही शुभ भी होता है। जानें किस दिन क्या फल देता है टूटता तारा
सोमवार- अगर आपको सोमवार को कोई तारा टूटता देखें तो अपने काम को लेकर सावधान हो जाएं नहीं तो पैसों से संबंधित आपका कोई काम बिगड़ सकता है।
मंगलवार- पैसों से संबंधित काम में विवाद होने के योग बनेंगे।
बुधवार- बिजनेस में फायदा होगा। पैसों से संबंधित बड़े निर्णय लें।
गुरुवार- गुरुवार को टूटता तारा आपको पैसो से संबंधित कुछ खास फायदा तो नहीं देगा। लेकिन इसका नुकसान भी नहीं होगा।
शुक्रवार- अगर आपको शुक्रवार को कोई टूटता तारा दिखता है तो समझ लें अचानक पैसा मिलने वाला है।
शनिवार- इस दिन टूटता तारा देखें तो आपको बिजनेस में नए लोगों से पैसा मिलेगा।
रविवार- इस दिन टूटता तारा देखें तो पैसों का नुकसान हो सकता है। पैसों से संबंधित जोखीम न लें

गणेश चतुर्थी व्रत आज, ऐसे करें पूजन


प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चंद्रोदयव्यापिनी चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत किया जाता है। इसे गणेश चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार गणेश चतुर्थी का व्रत 14 नवंबर, सोमवार को है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश के साथ चंद्र दर्शन कर पूजन करने का विधान है। व्रत की विधि इस प्रकार है-

- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्यकर्म से शीघ्र निवृत्त हों।

- शाम के समय अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दुर्वा दल चढ़ाएं।

- गुड़ या बूंदी के 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास ही रखें और 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।

- पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।

- चंद्रमा के उदय होने पर पंचोपचार पूजा करें व अध्र्य दें तत्पश्चात भोजन करें।

व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर श्री गणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।

समझो तब मौत आ गई जब माथे पर चंदन जल्दी ना सूखे, क्योंकि...


शास्त्रों में जीवन का अंतिम और अटल सत्य मृत्यु को ही बताया गया है। किसी भी व्यक्ति के लिए मृत्यु ही अंतिम चरण है। इसके बाद व्यक्ति की आत्मा देह त्याग देती है, आजाद हो जाती है। सभी ये बात जानते है लेकिन फिर भी मौत का डर सदैव बना ही रहता है।

मृत्यु कब और कैसे होगी? यह बता पाना किसी भी इंसान के अधिकार में नहीं है। ज्योतिष के माध्यम से भी केवल संभावनाएं व्यक्त की जा सकती हैं। कई विद्वानों ने ऐसी बातें बताई गई हैं जो मृत्यु के आने सूचना दे देती हैं। इन्हीं बातों में से एक है यदि कोई व्यक्ति मरणासन में है तो उसके माथे पर यदि चंदन लगाया जाए तो वह जल्दी नहीं सूखेगा।

चंदन को बहुत ही पवित्र माना जाता है इसी वजह से सभी प्रकार के पूजन में इसका विशेष स्थान है। जब भी भगवान की आराधना की जाती है तो श्रद्धालु के मस्तक पर इसका तिलक लगाया जाता है। प्राय: चंदन का तिलक लगाने के बाद तुरंत ही सूख जाता है।

कई बार लोगों के साथ ऐसा होता है कि डॉक्टर्स द्वारा किसी व्यक्ति के लिए बोल दिया जाता है कि अब उसका जीवन कुछ ही समय का शेष है। ऐसे में कुछ विद्वानों के अनुसार जब किसी व्यक्ति का मृत्यु का समय निकट आ जाता है तो उसके माथे पर चंदन का तिलक लगाना चाहिए। यदि यह तिलक जल्दी सूख जाता है तब तो समझना चाहिए कि उस व्यक्ति का जीवन अभी शेष है। इसके विपरित यदि वह तिलक जल्दी नहीं सूखता है तो दुर्भाग्यवश विपरित परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। यानि व्यक्ति की मृत्यु की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं क्योंकि मृत्यु के समय व्यक्ति के माथे की गर्मी सबसे पहले समाप्त हो जाती है, मस्तक एकदम ठंडा हो जाता है। इस वजह से चंदन जल्दी नहीं सूख पाता। यदि ऐसा होता है तो संबंधित व्यक्ति के स्वास्थ्य के संबंध में पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। डॉक्टर्स आदि की सलाह लेकर बीमार व्यक्ति का उचित ध्यान रखें। इसके पश्चात अनहोनी टल सकती है।

‘कुल्लू-मनाली में आज भी ताजा है चाचा की यादें’

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शिमला.कुल्लू. आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का कुल्लू-मनाली से खास नाता था। नेहरू ने एकांतवास और विश्राम करने के लिए भी कुल्लू-मनाली को ही चुना था। नेहरू कुंड और वन विहार आज भी उनकी यादों को ताजा करते हैं। उन्होंने भारत-चीन के बीच हुए पंचशील के सिद्धांतों की योजना भी यहीं तैयार की थी। इसका वर्णन उन्होंने ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ किया है। इसमें उन्होंने लिखा है-‘मैं पहाड़ों का दिलदादा हूं.. और हिमाचल के कुल्लू-मनाली में एक खामोश हकीकत का एहसास होता है।’ यही कारण रहा कि अपने जीवन में सुकून की तलाश में नेहरू 1942 और 1958 में कुल्लू-मनाली आए।

नग्गर से भी जुड़ाव

पं. नेहरू 9 मई, 1942 में मनाली में आए। यहां एक महीने तक आराम किया। वे विश्वप्रसिद्ध चित्रकार निकोलस रोरिख की साधना स्थली में भी रहे। उन्होंने देश के लिए नग्गर और मनाली में ऐसे आधार रखे, जो बाद में देश के लिए ऐतिहासिक आईना साबित हुए। इस दौरान चाचा नेहरू जिला कुल्लू के दूरदराज क्षेत्र आनी के कुंगश विश्राम गृह में भी ठहरे थे। क्षेत्रों के लोगों को नेहरू का कुल्लू मनाली और आनी प्रवास आज भी याद है।

तब सुर्खियों में रहा था कुल्लू

आत्मकथा पर आधारित पुस्तक ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में नेहरू ने जिक्र किया है कि जब 1958 के शुरू में ही समाचार पत्रों और रेडियो में अटकलों का दौर शुरू हो गया कि नेहरू कुछ आराम करना चाहते हैं। वे किस स्थान को आराम के लिए चुनेंगे और कितना आराम करेंगे। लेकिन जब राज खुला तो कुल्लू-मनाली उनकी विश्राम स्थली के रूप में पूरे विश्व में उभरकर सामने आई।
जंग का खाका किया तैयार
देश की आजादी की अंतिम जंग का खाका भी नेहरू ने यहीं बनाया था। कुल्लू प्रवास के बाद 9 अगस्त, 1942 को ‘हिंदुस्तान छोड़ दो’ प्रस्ताव पास किया गया। नेहरू का मानना था कि कुल्लू-मनाली की एकांत वादियों में कोई भी योजना बनाई जाए उसे अमलीजामा जरूर पहनाया जाता है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आते हैं।

फिल्मी फॉर्मूला आया काम, एक मासूम ने बचाई दूसरे की जान

धमतरी/रायपुर। मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है। इसे एक 8 वर्षीय बालक ने सही साबित कर दिखाया। तालाब में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रही ३ साल की नन्हीं बालिका को अपनी जान पर खेल अदम्य साहस का परिचय देते हुए नई जिंदगी दी। बच्चे के इस साहस से शहरवासी स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।



कोष्टापारा निवासी संदीप यादव की पुत्री पवनी (3)अपने दादा-दादी के साथ वार्ड के ही सामुदायिक भवन में कार्यक्रम में गई थी। खेलते खेलते वह कठौली तालाब पचरी तक पहुंच गई। शाम पांच बजे के लगभग पवनी अचानक तालाब मंे गिर गई। पास ही वार्ड का उत्तम (8) पिता बीरेन्द्र सार्वा खेल रहा था, जिसकी नजर पवनी पर पड़ी। उत्तम ने एक पल भी देरी नहीं की, डूब रही बालिका को बचाने तालाब में छलांग लगा दी। तैरते हुए बालिका तक पहुंचा और उसे किनारे खींच लाया। फिर पचरी पर लिटाकर एवं पेट दबाकर बालिका के शरीर का पानी बाहर निकाला। उत्तम उसे सामुदायिक भवन ले गया और उसके परिजनों के बारे में पूछताछ की। पवनी के दादा-दादी को घटना की जानकारी लगी तो होश उड़ गए। आसपास के लोग भी उत्तम के इस अदम्य साहस को लेकर आश्चर्य जाहिर करते रहे।
फिल्म से मिली तरकीब
बालिका को नई जिंदगी देने वाले उत्तम नाथूराम मोतीलाल संस्कृत पाठशाला में कक्षा तीसरी का छात्र है। उत्तम ने बताया कि पेट से पानी निकालने का तरीका उसने फिल्मों में देखा था और वैसे ही बालिका के पेट से पानी निकाला। उत्तम ने बताया कि वह तालाब में घंटों तैर सकता है। अक्सर कठौली तालाब में ही नहाता है। घटना के समय वह सामुदायिक भवन के पास ही खड़ा था और बच्ची को तालाब में गिरते देख लिया।

नक्सलियों के पास मिला इतना विस्फोटक कि दहल जाता 'छुरिया'


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राजनांदगांव/रायपुर। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की संयुक्त पार्टी ने रविवार को नक्सलियों की बड़ी वारदात के मंसूबे को नाकाम कर दिया। नक्सलियों द्वारा छुरिया इलाके में आधा दर्जन जगहों पर डंप कर रखे गए भारी मात्रा में विस्फोटक, माइंस और बंदूकें बरामद की गई हैं। इतनी बड़ी मात्रा में गोला-बारूद बरामद होने की जिले में यह पहली घटना है। इस कार्रवाई के लिए महाराष्ट्र से विशेष पार्टी सी-60 की दो पार्टियां भी पहुंची थीं। दुर्ग रेंज आईजी आरके विज ने बताया कि छुरिया इलाके में संयुक्त पार्टियों को रवाना किया गया था। यहां माओवादियों ने ग्वालदंड और मालडोंगरी के जंगलों में विस्फोटकों को जमा किया था। एसपी बीएन मीणा ने बताया कि ग्राम झाड़ीखैरी में कार्बाइन गन भी मिली हैं, जो पुलिस और सीआरपीएफ के जवान उपयोग में लाते हैं।

नक्सलियों के हथियार और गोला-बारूद जब्त

कार्बाइन गन, 3 बारह बोर की बंदूकें, 42 कारतूस, 368 जिलेटिन राड, 19 हैंड ग्रेनेड, 944 कारतूस (303 राइफल के), 6 क्लेमोर माइंस, 100 कारतूस (315 बोर के), 31 डेटोनेटर, 70 किलो यूरिया, 1 डब्ल्यूटी फोन, एक डीटीएच सेट बैटरी, 850 मीटर बिजली तार, 30 ग्रेनेड हूक व अन्य।

ऐसे मिली सफलता

जिले में सरेंडर और गिरफ्तार नक्सलियों ने पूछताछ में अपना मुंह खोला है। इसके बाद ये कार्रवाई की गई है। इसी साल मई में भी छुरिया इलाके के ग्राम बेंदाड़ी में 400 डेटोनेटर, भारी मात्रा में विस्फोटक और राइफल बरामद की गई थी।
टल गया संकट
बरामद सामान से राजनांदगांव जिले में जुलाई 2009 में कोरकोट्टी में हुई नक्सली वारदात जैसी आधा दर्जन घटनाओं को अंजाम दिया जा सकता था। पुलिस ने क्लेमोर माइंस और जिलेटिन राड की बड़ी खेप भी जब्त की है। उनके साथ डेटोनेटर भी मिला ।

स्कूलों में हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ ‘गीता’ का ज्ञान जरूर दिया जाएगा'


इंदौर/भोपाल. प्रदेश में शिक्षा के कथित भगवाकरण को लेकर होने वाले विरोध की परवाह न करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्कूलों में हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ ‘गीता’ का ज्ञान जरूर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने संघ परिवार से जुड़े ‘सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान’ के रजत जयंती समारोह में यह बात कही।

उन्होंने अपने संबोधन के दौरान किसी का नाम लिए बगैर कहा कि ‘जब भी हम स्कूलों में गीता पढ़ाने की बात करते हैं, तो कुछ लोगों को बड़ी तकलीफ होती है। अगर इससे उन लोगों को तकलीफ होती है तो होती रही, हम स्कूलों में बच्चों को गीता का ज्ञान हर हाल में देकर रहेंगे। मुख्यमंत्री के इस बयान पर टिप्पणी करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने कहा कि शिक्षा में धर्म के घालमेल का हम विरोध करते हैं।

भाजपा और संघ इस तरह की बात कर अपना एजेंडा थोप रहे हैं।

यह भी बोले मुख्यमंत्री

- न तो शिक्षा धर्मनिरपेक्ष हो सकती है, न ही देश। बात सर्वधर्म समभाव और सभी धमोर्ं के आदर की होनी चाहिए। कोरी धर्मनिरपेक्षता की नहीं।
- क्या गीता कोई सांप्रदायिक ग्रंथ है? कर्म करो, फल की चिंता मत करो, इस वाक्य में कौन सी सांप्रदायिकता है और क्या इसे बच्चों को पढ़ाना अपराध है?
- प्रदेश सरकार विद्यार्थियों को हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ ‘गीता’ के साथ दूसरे मजहबों की अच्छी बातें भी पढ़ाएगी।
- जब भी हम पाठच्यक्रम में बदलाव की बात करते हैं, हम पर उंगलियां उठने लगती हैं। लेकिन, प्रदेश के स्कूली विद्यार्थियों को न तो अधूरा इतिहास पढ़ाया जाएगा, न ही अधकचरा ज्ञान दिया जाएगा।’

सूर्य नमस्कार और प्राणायम

प्रदेश सरकार को स्कूली शिक्षा के गलियारों में ‘सूर्य नमस्कार’ और ‘प्राणायाम’ लागू करते वक्त विवादों और विरोध का सामना करना पड़ा था।

अमेरिका हर बार देश का अपमान करता है ..जो अमेरिका अपमानित होकर आये उसे भारत में जूतों की माला पहनाना चाहिए

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हमारे देश के नेता बार बार अमेरिका जाते हैं और वहां देश की इज्ज़त तलाशी के नाम पर नीलाम करके आते है ..भारत का विदेश मंत्रालय और प्रधानमन्त्री मंत्रालय इतना कमजोर है के वोह कभी भी इस मामले में कोई सख्त निर्णय नहीं लेता ......यह केसी भारतीयता है केसी राष्ट्रीयता है के आपको अमेरिका में नंगा किया जाता है कपड़े उतरवाए जाते है आप पर अमेरिका विश्वास नहीं करता और आप हैं के मुंह उठाया और अमेरिका अपनी और भारत देश की बेईज्ज़ती करने चले जाते है .....अटल बिहारी वाजपयी ..मनमोहन सिंह ..जोर्ज फर्नाडीज से लेकर सभी लोग वहां लगातार बे इज्ज़त होते रहे हैं फिल्म स्टार तो रोज़ ही बेईज्ज़त होते रहते है ..अब हमारे देश की गरिमा का ध्यान तो इन नेताओं को ही रखना होगा अगर यह सभी नेता ठान लें के उन्हें सभी अमेरिकी यात्राओं का बहिष्कार करना है उन्हें कभी अमेरिका नहीं जाना और जो भी अमेरिका से आये उनकी भी सख्ती से तलाशी लेना है जेसे को तेसा करना है तब कहीं अमेरिका की अकाल ठिकाने आएगी बलके अमेरिका तलाशी और बदसलूकी मामले में देश में एक सख्त कानून बनना चाहिए जिसमे सभी की अमेरिका जाने पर पाबंदी लगा दी जाये और जो अमेरिका से आये उसकी भी सख्ती से नंगा कर तलाशी ली जाए ..लेकिन दोस्तों हमारे नेताओं को ना जाने अमेरिका में क्या दिख्ता है जो घर से उठते है और एयरपोर्ट पर जाकर नंगे होकर देश का अपमान करवा डालते है ..एक अमेरिका के राष्ट्रपति हैं के वोह जब आते हैं तो हमारे प्रधानमन्त्री के भी तलाशी लेकर उनसे मिलते है उनकी तलाशी नहीं ली जाती है और ना ही उनके सेकड़ों कुत्तों और सुरक्षा कर्मियों की तलाशी होती है अगर कुत्तो को कुत्ता कह दिया जाए तो उनके ट्रेनर नाराज़ हो जाते है आखिर यह गुलामी मानसिकता कब तक चलती रहेगी इसके लियें क्यूँ कोई नहीं बोलता अगर नेताओं को अमेरिका जाकर अपमानित होने में मजा आता है तो उनका अपमानित होने की ख्वाहिश तो हम इसी देश में पूरी कर सकते है ...... अगर यह नेता अब अमेरिका जाएँ और वहां से अपमानित होकर आयें तो इनका सम्मान वापसी में इन्हें जूतों की माला पहना कर करना चाहिए .
भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति ए पी जे अब्‍दुल कलाम के साथ अमेरिका में एक बार फिर बदसलूकी का मामला सामने आया है। घटना पिछले दिनों जॉन एफ केनेडी एयरपोर्ट की है जहां डॉ. कलाम की दोबारा चेकिंग की गई। सुरक्षा अधिकारी सुरक्षा जांच के नाम पर प्‍लेन में बैठे भारतीय पूर्व राष्‍ट्रपति के जूते और जैकेट तक ले गए। इससे पहले जुलाई 2009 में कॉंटिनेंटल एयरलाइंस के अधिकारियों ने भारत के ही एयरपोर्ट पर बदसलूकी की थी।


ताजा मामला बीते 29 सितंबर का है जब अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों ने पहले न्‍यूयार्क स्थित केनेडी एयरपोर्ट पर कलाम की तलाशी ली। इसके बाद जब वह प्‍लेन में बैठ गए तो सुरक्षा अधिकारी उनके जैकेट और जूते जांच के लिए लेकर चले गए।

कलाम के नजदीकी सूत्र ने बताया कि ऐसी चीजों को कभी मुद्दा नहीं बनाया जाता और बात बढ़ाए बिना सुरक्षा एजेंसियों के साथ हमेशा सहयोग करते हैं। जेएफके एयरपोर्ट पर लगभग 2 बजे फ्लाइट उडा़न भरने के लिए तैयार थी। सुरक्षाकर्मियों ने तलाशी का हवाला देकर क्रू को प्लेन का दरवाजा खोलने के लिए मजबूर कर दिया।

उन्‍होंने प्‍लेन के भीतर कहा कि वे कलाम की तलाशी लेना चाहते है तब एयर इंडिया के अधिकारियों ने उन्‍हें बताया कि वह भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति हैं। उसके बाद उन्‍होंने थोड़ी नरमी दिखाई लेकिल कलाम के जूते और जैकेट लेकर चले गए। जांच के बाद उनका सामान लौटा दिया गया। हालांकि एयरपोर्ट पर पहले ही कलाम की स्क्रीनिंग हो चुकी थी इसके बादजूद भी अमेरिकी अधिकारियों ने ऐसा किया।....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भंवरी सीडी कांड: पार्टी से निकाले गए मदेरणा, गहलोत की कुर्सी पर भी खतरा?

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जयपुर/नई दिल्‍ली. भंवरी देवी मामले में पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा को पार्टी से निकाल दिया गया है वहीं सूबे के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत की भी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान गहलोत से खुश नहीं है और उनका विकल्‍प तलाशा जा रहा है। मदेरणा पर लग रहे आरोपों और एक मंत्री की ओर से इस्‍तीफे की पेशकश के बाद विपक्षी दल भाजपा ने भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे ने 'नैतिक आधार' पर गहलोत का इस्‍तीफा मांगा है।

सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक भरतपुर हिंसा से सही तरीके से नहीं निपटने को लेकर कांग्रेस आलाकमान गहलोत से नाराज है। गहलोत से कहा गया है कि वो कैबिनेट में फेरबदल के बाद राज्‍य के हालात सुधारें और यदि ऐसा नहीं होता है उनके विकल्‍प की तलाश तेज कर दी जाएगी। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्‍यक्ष्‍ा सोनिया गांधी ने हाल में गहलोत को दिल्‍ली तलब कर मामले की जानकारी ली थी।

इससे पहले राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने शनिवार शाम महिपाल मदेरणा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। उनके निलंबन के साथ ही विधानसभा में कांग्रेस का एक विधायक कम हो गया।

इस बीच, सीबीआई ने शनिवार को महिपाल मदेरणा और इंद्रा विश्नोई को पूछताछ के लिए बुलाया। दोनों बीमार होने के कारण नहीं पहुंचे। मदेरणा को देर रात सीने में दर्द की शिकायत पर जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उधर, लूणी विधायक मलखान सिंह विश्नोई से पूछताछ की गई। यह भी पता चला है कि मदेरणा सोहराबुद्दीन के संपर्क में थे।

गहलोत का किया बचाव

दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बचाव करते हुए कहा कि गोपालगढ़ मामले में गहलोत और उनकी सरकार को जो जरूरी कदम उठाने चाहिए थे, वे उठा चुके हैं। इस मामले में जो भी दोषी है, उनको सजा मिलनी चाहिए। निजी समारोह में भाग लेने के लिए आए दिग्विजय सिंह ने शनिवार को यहां मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि भाजपा से जुड़े लोग गोपालगढ़ के मामले को तूल दे रहे हैं।

नेतृत्व परिवर्तन मुझे नहीं पता

प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन और मुख्यमंत्री गहलोत के बार-बार दिल्ली जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर सिंह ने कहा कि उन्हें पता नहीं। वे न तो हाई कमान हैं और न ही इस राज्य के प्रभारी, इसलिए इस परिदृश्य के बारे में वे कुछ नहीं कह सकते। उन्होंने प्रति प्रश्न करते हुए कहा कि वसुंधरा राजे बार-बार नई दिल्ली और लंदन चली जाती हैं, उनसे तो आप लोग पूछताछ नहीं करते?

कांग्रेस को धमकी

पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की पत्नी एवं अपैक्स बैंक की चेयरपर्सन लीला मदेरणा शनिवार को पूछताछ के लिए दूसरी बार सीबीआई के सामने पेश हुईं। इसके बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने भंवरी प्रकरण को राजनीतिक साजिश तो नहीं बताया, मगर उन लोगों पर शक जरूर जाहिर किया जो मदेरणा परिवार के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्याय नहीं मिला तो अगले चुनाव में कांग्रेस को भी परिणाम भुगतना होगा। उन्होंने कहा- पार्टी से निष्कासन का कोई असर नहीं होगा। हमें जनता का साथ चाहिए और वह मिल रहा है।

नारी , NAARI: शोषण - एक दुधारी तलवार हैं

रचना जी में सहमत हूँ आपकी इस बात से .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में जब भी कोटा की गाडी देखता हूँ उसे रोक लेता हूँ ..गोतम सचिव मध्यप्रदेश सुचना आयोग

पूर्व छात्र परिषद राजकीय महाविध्यालय कोटा में आज स्नेह मिलन और वार्षिक समारोह आयोजित किया गया ..समारोह में मध्य प्रदेश सरकार के सुचना आयोग के सचिव क्रष्ण मोहन गोतम मुख्यातिथि थे ........कर्ष मोहन गोतम ने कहा के में कोटा के इसी महाविद्ध्याली में पढ़ा और यहीं से मेने हिंदी में एम ऐ किया ..उन्होंने कहा के इन्दोर उज्जेन और भोपाल में जब भी कोटा के कोई भी लोग आयें तो उनका स्वागत है ......गोतम ने कहा के में जब भी दुसरे राज्यों में चुनाव या अन्य कार्यों से जाता हूँ और कोटा कोचिंग का बोर्ड लगा देखता हूँ तो मेरा सीना गर्व से ऊँचा हो जाता है .... उनका कहना था के मध्यप्रदेश में वोह जब भी आर जे ट्वंटी नम्बर की कोई भी गाड़ी देखते हैं तो उससे कोटा का होने के नाते उसे रोककर जरुर बात करते है ...कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट भगवती बल्लभ शर्मा ने किया जबकि अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य जी एल वर्मा ने की ............... । पूर्व छात्र परिषद का गठन १९८० में किया गया था और आज इस परिषद का तीसवा अधिवेशन था परिषद के ८० ० से भी अधिक सक्रिय सदस्य है जो देश विदेश में महत्वपूर्ण पदों पर तेनात है ............... इस अवसर पर प्रतिभावान छात्र छात्राओं को पुरस्कार मेडल और छात्रवृत्तियाँ भी वितरित की गयीं .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आखिर भंवरी के भंवर में फंसना पढ़ा मीडिया को .........

जी हाँ दोस्तों भंवरी देवी के साथ डंके की चोट पर नाजायज़ सम्बंद्ध बनाने वाले अय्याश मंत्री महिपाल मदेरणा सभी नेताओं की तरह से पूंछतांछ के डर से बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो गये है और मिडिया जिसने उनके खिलाफ दी गयी सीडी को दो महीने तक दबा रखा था पोल खुलने के बाद जान जनता को खबर देने के लियें निष्पक्षता का अनावरण ओड़ जोधपुर अस्पताल पहुंचा तो बस महिपाल मदेरणा के समर्थकों और उनकी पत्नी बच्चों ने मिडिया कर्मियों पर ताबड़ तोड़ हमला बोल दिया उनके कमरे तोड़ दिए उनकी वें तोड़ दी और अचानक हुए इस हमले से राजस्थान के संतरी से लेकर मुख्यमंत्री तक सदमे और सकते में हैं .....मिडिया जब महिपाल जी का दोस्त था तब दूसरी बात थी और इसी लियें भंवरी की सीडी उनके पास होने के बाद भी मामला उन्होंने दो माह तक दबाए रखा लेकिन अब जनता मिडिया ..कोंग्रेस और भाजपा का गठ्बन्धन इस मामले में जब जान गयी तो फिर मिडिया को खुद को दूध का धुला तो साबित करना ही था इसलियें मदेरणा क्या सचमुच में बीमार है या फिर बहाना कर रहे हैं उनकी बीमारी का क्या मेडिकल बोर्ड से मुआयना करवाया गया है क्या डोक्टर फर्जीवाड़ा तो नहीं कर रहे है यह सब जांचने परखने जब मिडिया कर्मी पहुंचे तो उन्हें पत्थर लात और घूंसे मिले ..मिडिया भी अजीब है मुकदमा दर्ज नहीं करवाएगा मुकदमा दर्ज अगर हो भी गया तो माफ़ी मांगने पर उन्हें माफ़ कर दिया जाएगा उन्हें सजा दिलवाने का अपना कर्तव्य नहीं निभाएगा अभी तक के हमलों में यही हुआ है समझोता हुआ दिखावटी खेद प्रकट किया गया और टूटे फूटे कमरे और दुसरे नुकसान चोटों की भरपाई की गयी मीडिया मस्त इसीलियें नेताओं ने जान लिया है के एक चोट का मीडिया को कितना रुपया देना है और सजा से बचना है बस इस बार भी शायद ऐसा न होजाए मुकदमा दर्ज अज्ञात के खिलाफ दर्ज हो सही अभियुक्तों को पहचाना न जाए और फिर माफ़ कर उन्हें छोड़ दिया जाए अगर ऐसा हुआ और दोषी लोगों को दंडित करवाने के स्थान पर मीडिया ने उनसे हाथ मिलाया तो मिडिया के लियें चुल्लू भर पानी में डूब मरने के अलावा और कोई दुसरा रास्ता नहीं बचेगा .............देखते हैं आगे क्या होता है ............... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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