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15 नवंबर 2011

साइबर हमे इश्वर ने एक नियामत दी है इसका सदुपयोग करें

साइबर शब्द हमारे जीवन में इतनी तेज़ी से घुल मिल गया है जिसका प्रयोग आम बोलचाल की भाषा में इंटरनेट के रूप में किया जाने लगा है ....गाँव ,शहर ,कसमे और महानगरों में साइबर केफे की भरमार होने लगी है ..घर घर लोगों के पास लेब्तोप और इंटरनेट कनेक्शन है .लोग मोबाइल से भी इस सेवा का लाभ उठा रहे हैं ...व्यक्ति के पैदा होने से लेकर मरने तक की सभी जानकारियाँ ..खरीददारियां ..टिकिट बुकिंग ..परीक्षाओं के आवेदन और रिजल्ट के अलावा संदेशों का आदान प्रदान इसी सेवा के जरिये हो रहा है इतना ही नहीं विश्व की समस्त जानकारियाँ भी इसी माध्यम से हो रही हैं ....एक माउस किली कीजिये और पलक झपकते ही सारी जानकारियाँ हाज़िर हैं .....वैज्ञानिक भाषा में साइबर को एक काल्पनिक माध्यम माना गया है जिसके माध्यम से सारी जानकारियाँ जिसकी हम कल्पना करते हैं वोह हम इंटरनेट से प्राप्त कर सकते हैं .इसी काल्पनिक जगह को हम साइबर स्पेस बोलते हैं .यही वोह खाली जगह या मार्ग है जहां से गुज़र कर सारी जानकारियाँ हम तक पहुंचती है और यह सब सेटेलाईट से सम्भव हो सकता है .इसी सुविधा का जिसे इश्वर ने एक नियामत बना कर हमे दिया है अगर दुरूपयोग होता है तो इसे साइबर क्राइम कहा जाता है .और इसे रोकथाम के लियें जो निति नियम बनाये जाते हैं उसे साइबर कानून कहा जाता है जबकि जिस माध्यम से यह तन्त्र संचालित होता है उसे साइबर नेटिक्स कहा जाता है ....इसी तकनीक से इस विदध्या का अध्ययन भी किया जाता है ....कम्प्यूटर इंटरनेट व् अन्य उपकरणों की सम्मिश्रण तकनीक को सुचना प्रोद्ध्योगिकी कहा जाता है तो दोस्तों जिस तकनीक को खुदा ने भगवान ने इश्वर ने एक ऐसा जादुई जरिया बनाकर हमारे पास भेजा हो जिससे हमारी कई समस्याएं मिनटों में दूर होती हों तो फिर इसका हम केवल उपयोग ही करे और दुरूपयोग से बचें ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक जरूरी सीक्ख ...

दोस्तों आजकल मोबाइल और इंटरनेट का युग है ,,इन दिनों सावधानी बरतते हुए चुगलखोर दोस्तों से मोबाइल पर कोई भी सीक्रेट शेयर न करें इतना ही नहीं उनके सामने किसी अन्य व्यक्ति के बारे में कोई भी ऐसी बात न करे जिसे टेप करके या फिर स्पीकर ओन कर किसी को सुनाया जा सके ..इन दिनों भरोसे से भी ज्यादा भरोसे जे लोगों के द्वारा भी यह विश्वासघात किये जा रहे हैं इसलियें इस सुझाव को सुक्खी रहने का फार्मूला समझे और सावधानी बरतें ,,... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह है गीता का ज्ञान ..............

( सर्वात्म रूप से प्रभाव सहित भगवान के स्वरूप का वर्णन )
अहं क्रतुरहं यज्ञः स्वधाहमहमौषधम्‌ ।
मंत्रोऽहमहमेवाज्यमहमग्निरहं हुतम्‌ ॥
भावार्थ : क्रतु मैं हूँ, यज्ञ मैं हूँ, स्वधा मैं हूँ, औषधि मैं हूँ, मंत्र मैं हूँ, घृत मैं हूँ, अग्नि मैं हूँ और हवनरूप क्रिया भी मैं ही हूँ॥16॥
पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामहः ।
वेद्यं पवित्रमोङ्कार ऋक्साम यजुरेव च ॥
भावार्थ : इस संपूर्ण जगत्‌ का धाता अर्थात्‌ धारण करने वाला एवं कर्मों के फल को देने वाला, पिता, माता, पितामह, जानने योग्य, (गीता अध्याय 13 श्लोक 12 से 17 तक में देखना चाहिए) पवित्र ओंकार तथा ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ॥17॥
गतिर्भर्ता प्रभुः साक्षी निवासः शरणं सुहृत्‌ ।
प्रभवः प्रलयः स्थानं निधानं बीजमव्ययम्‌॥
भावार्थ : प्राप्त होने योग्य परम धाम, भरण-पोषण करने वाला, सबका स्वामी, शुभाशुभ का देखने वाला, सबका वासस्थान, शरण लेने योग्य, प्रत्युपकार न चाहकर हित करने वाला, सबकी उत्पत्ति-प्रलय का हेतु, स्थिति का आधार, निधान (प्रलयकाल में संपूर्ण भूत सूक्ष्म रूप से जिसमें लय होते हैं उसका नाम 'निधान' है) और अविनाशी कारण भी मैं ही हूँ॥18॥
तपाम्यहमहं वर्षं निगृह्‌णाम्युत्सृजामि च ।
अमृतं चैव मृत्युश्च सदसच्चाहमर्जुन ॥
भावार्थ : मैं ही सूर्यरूप से तपता हूँ, वर्षा का आकर्षण करता हूँ और उसे बरसाता हूँ। हे अर्जुन! मैं ही अमृत और मृत्यु हूँ और सत्‌-असत्‌ भी मैं ही हूँ॥19॥
( सकाम और निष्काम उपासना का फल)
त्रैविद्या मां सोमपाः पूतपापायज्ञैरिष्ट्‍वा स्वर्गतिं प्रार्थयन्ते।
ते पुण्यमासाद्य सुरेन्द्रलोकमश्नन्ति दिव्यान्दिवि देवभोगान्‌ ॥
भावार्थ : तीनों वेदों में विधान किए हुए सकाम कर्मों को करने वाले, सोम रस को पीने वाले, पापरहित पुरुष (यहाँ स्वर्ग प्राप्ति के प्रतिबंधक देव ऋणरूप पाप से पवित्र होना समझना चाहिए) मुझको यज्ञों के द्वारा पूजकर स्वर्ग की प्राप्ति चाहते हैं, वे पुरुष अपने पुण्यों के फलरूप स्वर्गलोक को प्राप्त होकर स्वर्ग में दिव्य देवताओं के भोगों को भोगते हैं॥20॥
ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालंक्षीणे पुण्य मर्त्यलोकं विशन्ति।
एवं त्रयीधर्ममनुप्रपन्ना गतागतं कामकामा लभन्ते ॥
भावार्थ : वे उस विशाल स्वर्गलोक को भोगकर पुण्य क्षीण होने पर मृत्यु लोक को प्राप्त होते हैं। इस प्रकार स्वर्ग के साधनरूप तीनों वेदों में कहे हुए सकामकर्म का आश्रय लेने वाले और भोगों की कामना वाले पुरुष बार-बार आवागमन को प्राप्त होते हैं, अर्थात्‌ पुण्य के प्रभाव से स्वर्ग में जाते हैं और पुण्य क्षीण होने पर मृत्युलोक में आते हैं॥21॥
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते ।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्‌ ॥
भावार्थ : जो अनन्यप्रेमी भक्तजन मुझ परमेश्वर को निरंतर चिंतन करते हुए निष्कामभाव से भजते हैं, उन नित्य-निरंतर मेरा चिंतन करने वाले पुरुषों का योगक्षेम (भगवत्‌स्वरूप की प्राप्ति का नाम 'योग' है और भगवत्‌प्राप्ति के निमित्त किए हुए साधन की रक्षा का नाम 'क्षेम' है) मैं स्वयं प्राप्त कर देता हूँ॥22॥
येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयान्विताः ।
तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम्‌ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! यद्यपि श्रद्धा से युक्त जो सकाम भक्त दूसरे देवताओं को पूजते हैं, वे भी मुझको ही पूजते हैं, किंतु उनका वह पूजन अविधिपूर्वक अर्थात्‌ अज्ञानपूर्वक है॥23॥
अहं हि सर्वयज्ञानां भोक्ता च प्रभुरेव च ।
न तु मामभिजानन्ति तत्त्वेनातश्च्यवन्ति ते ॥
भावार्थ : क्योंकि संपूर्ण यज्ञों का भोक्ता और स्वामी भी मैं ही हूँ, परंतु वे मुझ परमेश्वर को तत्त्व से नहीं जानते, इसी से गिरते हैं अर्थात्‌ पुनर्जन्म को प्राप्त होते हैं॥24॥
यान्ति देवव्रता देवान्पितृन्यान्ति पितृव्रताः ।
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्‌ ॥
भावार्थ : देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करने वाले भक्त मुझको ही प्राप्त होते हैं। इसीलिए मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता (गीता अध्याय 8 श्लोक 16 में देखना चाहिए)॥25॥
( निष्काम भगवद् भक्ति की महिमा )
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति ।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः ॥
भावार्थ : जो कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्धबुद्धि निष्काम प्रेमी भक्त का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं सगुणरूप से प्रकट होकर प्रीतिसहित खाता हूँ॥26॥
यत्करोषि यदश्नासि यज्जुहोषि ददासि यत्‌ ।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम्‌ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! तू जो कर्म करता है, जो खाता है, जो हवन करता है, जो दान देता है और जो तप करता है, वह सब मेरे अर्पण कर॥27॥
शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्य से कर्मबंधनैः ।
सन्न्यासयोगमुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ॥
भावार्थ : इस प्रकार, जिसमें समस्त कर्म मुझ भगवान के अर्पण होते हैं- ऐसे संन्यासयोग से युक्त चित्तवाला तू शुभाशुभ फलरूप कर्मबंधन से मुक्त हो जाएगा और उनसे मुक्त होकर मुझको ही प्राप्त होगा। ॥28॥
समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रियः ।
ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम्‌ ॥
भावार्थ : मैं सब भूतों में समभाव से व्यापक हूँ, न कोई मेरा अप्रिय है और न प्रिय है, परंतु जो भक्त मुझको प्रेम से भजते हैं, वे मुझमें हैं और मैं भी उनमें प्रत्यक्ष प्रकट (जैसे सूक्ष्म रूप से सब जगह व्यापक हुआ भी अग्नि साधनों द्वारा प्रकट करने से ही प्रत्यक्ष होता है, वैसे ही सब जगह स्थित हुआ भी परमेश्वर भक्ति से भजने वाले के ही अंतःकरण में प्रत्यक्ष रूप से प्रकट होता है) हूँ॥29॥
अपि चेत्सुदुराचारो भजते मामनन्यभाक्‌ ।
साधुरेव स मन्तव्यः सम्यग्व्यवसितो हि सः ॥
भावार्थ : यदि कोई अतिशय दुराचारी भी अनन्य भाव से मेरा भक्त होकर मुझको भजता है तो वह साधु ही मानने योग्य है, क्योंकि वह यथार्थ निश्चय वाला है। अर्थात्‌ उसने भली भाँति निश्चय कर लिया है कि परमेश्वर के भजन के समान अन्य कुछ भी नहीं है॥30॥
क्षिप्रं भवति धर्मात्मा शश्वच्छान्तिं निगच्छति ।
कौन्तेय प्रतिजानीहि न मे भक्तः प्रणश्यति ॥
भावार्थ : वह शीघ्र ही धर्मात्मा हो जाता है और सदा रहने वाली परम शान्ति को प्राप्त होता है। हे अर्जुन! तू निश्चयपूर्वक सत्य जान कि मेरा भक्त नष्ट नहीं होता॥31॥
मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्यु पापयोनयः ।
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम्‌ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयोनि चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरे शरण होकर परमगति को ही प्राप्त होते हैं॥32॥
किं पुनर्ब्राह्मणाः पुण्या भक्ता राजर्षयस्तथा ।
अनित्यमसुखं लोकमिमं प्राप्य भजस्व माम्‌ ॥
भावार्थ : फिर इसमें कहना ही क्या है, जो पुण्यशील ब्राह्मण था राजर्षि भक्तजन मेरी शरण होकर परम गति को प्राप्त होते हैं। इसलिए तू सुखरहित और क्षणभंगुर इस मनुष्य शरीर को प्राप्त होकर निरंतर मेरा ही भजन कर॥33॥
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।
मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायण: ॥
भावार्थ : मुझमें मन वाला हो, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन करने वाला हो, मुझको प्रणाम कर। इस प्रकार आत्मा को मुझमें नियुक्त करके मेरे परायण होकर तू मुझको ही प्राप्त होगा॥34॥
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्री कृष्णार्जुनसंवादे राजविद्याराजगुह्ययोगो नाम नवमोऽध्यायः ॥9॥


कुरान का संदेश

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जिद करके ही बदली जा सकती है दुनिया क्योंकि.....



कहते हैं जिद करना अच्छी बात नहीं है। लेकिन क्या ये बात पूरी तरह से सही है? नहीं क्योंकि सही चीज या सही कारण की गई जिद गलत नहीं होती। उसी को दृढ़ संकल्प कहा जाता है और जब ऐसी जिद की जाती है तब ही दूनिया बदली जा सकती है। तब ही लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है। दृढ़संकल्प में वो शक्ति है जो मृत व्यक्ति में भी प्राण फूंक सकती है। ऐसी ही एक कथा हमारे धर्मशास्त्र में भी है वह है सत्यवान और सावित्री की कथा। महाभारत में अब तक आपने पढ़ा.... तब सावित्री ने कहा पिताजी कन्यादान एकबार ही किया जाता है जिसे मैंने एक बार वरण कर लिया है। मैं उसी से विवाह करूंगी आप उसे कन्यादान कर दें। उसके बाद सावित्री के द्वारा चुने हुए वर सत्यवान से धुमधाम और पूरे विधि-विधान से विवाह करवा दिया गया अब आगे....

सत्यवान व सावित्री के विवाह को बहुत समय बीत गया। जिस दिन सत्यवान मरने वाला था वह करीब था। सावित्री एक-एक दिन गिनती रहती थी। उसके दिल में नारदजी वचन सदा ही बना रहता था। जब उसने देखा कि अब इन्हें चौथे दिन मरना है। उसने तीन दिन व्रत धारण किया। जब सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने गया तो सावित्री ने उससे कहा कि मैं भी साथ चलुंगी। तब सत्यवान ने सावित्री से कहा तुम व्रत के कारण कमजोर हो रही हो। जंगल का रास्ता बहुत कठिन और परेशानियों भरा है। इसलिए आप यहीं रहें। लेकिन सावित्री नहीं मानी उसने जिद पकड़ ली और सत्यवान के साथ जंगल की ओर चल दी।

सत्यवान जब लकड़ी काटने लगा तो अचानक उसकी तबीयत बिगडऩे लगी। वह सावित्री से बोला मैं स्वस्थ महसूस नही कर रहा हूं सावित्री मुझमें यहा बैठने की भी हिम्मत नहीं है। तब सावित्री ने सत्यवान का सिर अपनी गोद में रख लिया। फिर वह नारदजी की बात याद करके दिन व समय का विचार करने लगी। इतने में ही उसे वहां एक बहुत भयानक पुरुष दिखाई दिया। जिसके हाथ में पाश था। वे यमराज थे। उन्होंने सावित्री से कहा तू पतिव्रता स्त्री है। इसलिए मैं तुझसे संभाषण कर लूंगा। सावित्री ने कहा आप कौन है तब यमराज ने कहा मैं यमराज हूं। इसके बाद यमराज सत्यवान के शरीर में से प्राण निकालकर उसे पाश में बांधकर दक्षिण दिशा की ओर चल दिए। सावित्री बोली मेरे पतिदेव को जहां भी ले जाया जाएगा मैं भी वहां जाऊंगी। तब यमराज ने उसे समझाते हुए कहा मैं उसके प्राण नहीं लौटा सकता तू मनचाहा वर मांग ले।

तब सावित्री ने वर में अपने श्वसुर के आंखे मांग ली। यमराज ने कहा तथास्तु लेकिन वह फिर उनके पीछे चलने लगी। तब यमराज ने उसे फिर समझाया और वर मांगने को कहा उसने दूसरा वर मांगा कि मेरे श्वसुर को उनका राज्य वापस मिल जाए। उसके बाद तीसरा वर मांगा मेरे पिता जिन्हें कोई पुत्र नहीं हैं उन्हें सौ पुत्र हों। यमराज ने फिर कहा सावित्री तुम वापस लौट जाओ चाहो तो मुझसे कोई और वर मांग लो। तब सावित्री ने कहा मुझे सत्यवान से सौ यशस्वी पुत्र हों। यमराज ने कहा तथास्तु। यमराज फिर सत्यवान के प्राणों को अपने पाश में जकड़े आगे बढऩे लगे। सावित्री ने फिर भी हार नहीं मानी तब यमराज ने कहा तुम वापस लौट जाओ तो सावित्री ने कहा मैं कैसे वापस लौट जाऊं । आपने ही मुझे सत्यवान से सौ यशस्वी पुत्र उत्पन्न करने का आर्शीवाद दिया है। तब यमराज ने सत्यवान को पुन: जीवित कर दिया। उसके बाद सावित्री सत्यवान के शव के पास पहुंची और थोड़ी ही देर में सत्यवान के शव में चेतना आ गई।

अनोखा प्राणायाम: ये होता है आधी रात में, मिलती है जादुई ताकत

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आमतौर पर आपने सुना होगा कि प्राणयाम सुबह जल्दी उठ कर किया जाना चाहिए लेकिन हम आपको ऐसे प्राणायाम के बारे मेंबता रहे हैं जो आधी रात में करना चाहिए।
ये पढ़ कर आपको आश्र्चय तो होगा कि क्या ये सच है? जी हां ये सच है। हम आपको रात में होने वाले ऐसे प्राणायाम के बारें में बता रहे हैं जिससे आपको आसानी से जादूई ताकत मिल सकती है और आपको भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में पहले से ही पता चल जाएगा। योगसूत्रों के अनुसार प्राणायाम मन को शांत रखने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। साथ ही इससे किसी भी कार्य को करने की एकाग्रता बढ़ती है।
भ्रामरी प्राणायाम एक ऐसा प्राणयाम है जिसे आप सिर्फ रात को ही कर सकते हैं। इसके रोजाना करने से दिमाग में ऐसे न्यूरोंस एक्टीव हो जाते हैं जिससे आपको भविष्य में होने वाली अच्छी और बुरी घटनाओं का पहले ही पुता चल जाता हेै।
कैसे करें ये चमत्कारी प्राणायाम की विधि
योगियों के अनुसार यह प्राणायाम रात्रि के समय किया जाना चाहिए। जब आधी रात बीत जाए और किसी भी जीव-जंतु की कोई आवाज सुनाई ना दे। उस समय किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठकर दोनों हाथों की उंगलियों को दोनों कानों में लगाकर सांस अंदर खींचे और कुंभक द्वारा सांस को रोकें। इसमें कान बंद होने पर भौरों के समान शब्द सुनाई देने लगता है। यह शब्द दाएं कान में अनुभव होता है।
क्या चमत्कार होता है इस प्राणायाम से
योगियों के अनुसार इस आसन से मन की चंचलता आपका दिमाग भटकता बंद हो जाता है। सिर के बीच में होने वाले सहस्त्रार चक्र पर कंपन होती है। इससे भविष्य में होने वाली घटनाओं का आसानी से पता चल जाता है। अगर कुछ अच्छा या बुरा होने वाला है तो पहले ही पता चल जाता है। लगातार ये प्राणायाम करने से तनाव दूर होता है और दैवीय शक्ति मिलती है।

हमारे धर्मग्रंथों में गंगा स्नान को जरूरी क्यों माना गया है?

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गुरु ज्ञान होता है और ज्ञान ही गुरु होता है। गुरु सब कर्म करता हुआ इस अहंकार से शून्य होता है कि ''मैं कर्म कर रहा हूं। वह यह भली प्रकार जानता है कि मैं जो कर रहा हूं उसका नियन्ता अथवा कराने वाला कोई और है जिसने इस देह को माध्यम बना दिया है। जिससे वह कोई नियति-विरुद्ध कार्य में संलग्न नहीं होता। महाराज जनक इसके प्रतीक थे। महाराज जनक ने ज्ञान की व्याख्या आरंभ की-परिपक्व ज्ञान से निर्वाण रूपी परम शान्ति प्राप्त होती है। वासनाओं का सम्पूर्ण त्याग ही श्रेष्ठ है, वहीं विशुद्ध अवस्था है और वही मोक्ष है। इस तत्व का ज्ञान जीवन्मुख बनाता है। उसके लक्षण हैं- सुखों तथा दु:खों से अनासक्त और हर्ष-क्रोध, काम एवं शोक आदि से अन्त:करण का मुक्त होना। दृष्टि का अनायास ही अन्तर्मुखी हो जाना। आकांक्षारहित तथा अपेक्षारहित मान-अभिमान सभी स्थितियों में एक समान न तो मैं का भाव होना और न ही पराया भाव। इन गुणों से युक्त तुम बाहर और अन्त:करण में उसे परब्रह्म को देखते हुए पूर्ण मुक्तावस्था में साक्षी भर रहते हो, तुम मुक्त हो।

तात्पर्य यह है कि स्व-स्वरूप को जानने वाला स्वयं का साक्षी होता है, किन्तु इस सोपान तक पहुंचने के लिए आधार हैं शम, आत्मचिंतन और सत्संग आदि। इन्द्रियों का दमन करना शम, आत्मचिंतन और सत्संग आदि। इन्द्रियों का दमन करना शम है। आत्मानुभव, सदग्रंथ (शास्त्र) तथा गुरु के वचनों में श्रद्धा और ऐक्यभाव से अभ्यास द्वारा आत्मचिंतन होता है। आत्मचिंतन में यह दृढ़ विश्वास होता है कि यह दृश्य-अदृश्य उस विराट की समग्र क्रिया है, चित्त की धड़कन उसका अंश मात्र है। यह आत्मदृष्टि है।

इसकी प्राप्ति गुरु कृपा या सत्संग से होती है। अन्त:करण की शुद्धि-सत्संग की गंगा में स्नान करने से ही होती है। वास्तव में गंगा स्नान का अर्थ है परमात्मा में डूबना, शरीर व मन को पवित्र करना। जब तन पवित्र होगा तो मन में पवित्र विचार आएंगे। जब मन में विचार अच्छे होंगे तो हमारे भीतर ज्ञान का उदय होगा। ज्ञान किसी भी व्यक्ति को कभी भी मिल सकता है। शर्त यह है कि हम इनके लिए तैयार रहें। अगर तैयार न रहें तो ज्ञान के कई अवसर हमारे हाथों से निकल जाएंगे। गंगा शिव के मस्तक से शुरू होकर सागर तक जाती है। वह निरंतर बहती है, कहीं ठहरी नहीं है। इसलिए उसका स्नान सबसे ज्यादा पुण्यकारी है। बहती नदी, प्रतीक है कि ज्ञान भी हमेशा प्रवाह मान होना चाहिए। अगर ज्ञान ठहर जाए तो हमारी तरक्की रुक जाती है। इसलिए परमात्मा चाहिए तो अपने भीतर ज्ञान का उदय करें, फिर उस ज्ञान को प्रवाह मान बनाएं।

वसुंधरा ने चूमी ख्वाजा की चौखट और कहा प्रदेश को परीक्षा से निकालो!

अजमेर.पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मंगलवार शाम सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की चौखट चूमने पहुंचीं। उन्होंने गरीब नवाज की मजार पर मखमल की चादर और अकीदत के फूल पेश कर राजस्थान को कठिन परीक्षा से उबरने और सबकी खुशहाली की मन्नत मांगी।

पूर्व मुख्यमंत्री राजे शाम करीब 5.30 बजे दरगाह पहुंची। उन्होंने मजार शरीफ पर अकीदत का नजराना पेश किया। खादिम सैयद अफशान चिश्ती ने उन्हें जियारत कराई, दस्तारबंदी की और तबरुक भेंट किया। जियारत के बाद राजे ने कहा कि वे ख्वाजा बाबा के दर्शन के लिए आई हैं। ख्वाजा साहब सबको सुखी रखें और खुश रखें। साथ ही राजस्थान जिस कठिन परीक्षा से गुजर रहा है, उससे उबारें।


तस्वीर भेंट की :

इधर सूफी कल्चर फाउंडेशन की ओर से सैयद अफशान चिश्ती ने राजे को दरगाह की तस्वीर भेंट की।

ब्रह्मा मंदिर के किए दर्शन :

पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने बूढ़ा पुष्कर के बाद पुष्कर पहुंचकर सृष्टि रचयिता ब्रह्मा मंदिर के दर्शन किए तथा मंदिर महंत स्वामी लहरपुरी के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया।

पुष्कर में पूर्व पालिकाध्यक्ष व मौजूदा पार्षद भिड़े

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुष्कर आगमन पर पुष्कर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता व पार्टी के पार्षद आपस में उलझ गए। दोनों के बीच जमकर तू-तू-मैं-मैं हुई तथा आपस में गाली-गलौज करने लगे।

विवाद बढ़ता इससे पहले मौके पर मौजूद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बीच में हस्तक्षेप कर मामला शांत करवा दिया। हुआं यूं कि पूर्व पालिकाध्यक्ष गोपाल लाल शर्मा वसुंधरा के स्वागत के लिए ब्रह्मा मंदिर के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच खड़े थे।

इसी बीच वसुंधरा के साथ बूढ़ा पुष्कर से भाजपा के पार्षद शक्तिसिंह शेखावत भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने टिप्पणी करते हुए पूर्व पालिकाध्यक्ष शर्मा से कहा कि आप कब से भाजपा में शामिल हो गए। यह बात शर्मा को नागवार लगी और वे भड़क गए। इससे दोनों के बीच जमकर विवाद छिड़ गया। दोनों में जमकर तकरार और गाली-गलौज होने लगी।

मदेरणा प्रकरण से झुका प्रदेश का सिर

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भंवरी देवी व पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा प्रकरण का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं से पूरे राजस्थान का सिर शर्म से झुक गया है। ऐसे में सिर्फ मंत्रिमंडल का इस्तीफा ही काफी नहीं है, बल्कि राजस्थान की पूरी सरकार को इस्तीफा देना चाहिए।

पुष्कर यात्रा के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि गहलोत सरकार के मंत्री पिछले तीन सालों से क्या-क्या कर रहे थे अब सब घटनाएं एक-एक करके जनता के सामने आ रही हैं। ऐसी घटनाओं से जनता का गहलोत सरकार से विश्वास उठता जा रहा है।

उन्होंने भंवरी प्रकरण एवं पत्रकारों पर हमले के संबंध में पूछे गए सवालों का यह कहते हुए जवाब देने से इंकार कर दिया कि वे इस संबंध में पहले कई बार बोल चुकी हैं।

चेयरमैन को महंगा पड़ा स्वागत :

मेड़ता नगर पालिका के चेयरमैन अनिल थानवी को बूढ़ा पुष्कर में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का स्वागत करना उस वक्त महंगा पड़ गया जब अज्ञात जेबतराश ने उनकी जेब से 26 सौ रुपए पर हाथ साफ कर दिया। इसके अलावा रावत नेता मोहन सिंह रावत की जेब में रखे 13 सौ रुपए पर अज्ञात चोरों ने हाथ साफ कर दिया

इन चमत्कारिक 'पिण्डियों' के दर्शन से जो चाहोगे वो मिलेगा



भारत के जम्मू और कश्मीर प्रदेश में स्थित मां वैष्णव का धाम शक्ति आराधना का जाग्रत स्थल माना जाता है। यहां पर अन्य देवी मंदिरों की भांति देवी की साकार और श्रृंगारित प्रतिमा न होकर मां वैष्णवी तीन पिण्डियों के सामूहिक स्वरुप में दर्शन देती है। अनेक श्रद्धालुओं की जिज्ञासा का विषय है कि आखिर माँ वैष्णवी एक हैं तो फिर उनकी यहां तीन पिण्डियों के रुप में क्यों पूजा की जाती है। जानते हैं माता की इन्हीं तीन दिव्य पिण्डियों के धार्मिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पक्ष को।

धार्मिक मान्यता है कि माता वैष्णवी अधर्म और दुष्टों का नाश कर जगत कल्याण के लिए आज भी माँ वैष्णव धाम में वास करती है। माता की तीन पिण्डियों के संबंध में पुराण कथा अनुसार -

राक्षस महिषासुर के दुष्टता और आंतक से पीडि़त इन्द्र सहित सभी देवता ब्रह्मा और शिव के साथ जाकर वैकुण्ठ में विष्णु भगवान से मिले। देवताओं ने विष्णु भगवान से इस संकट से छुटकारा दिलाने की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने दिव्य-दृष्टि से जानकर बताया कि महिषासुर की मृत्यु केवल एक नारी के द्वारा ही संभव है, देवताओं द्वारा नहीं। इसके बाद देवताओं द्वारा स्तुति करने पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव के सामुहिक तेज से एक नारी स्वरुप शक्ति की उत्पत्ति हुई। इस शक्ति में ब्रह्मा के अंश से महासरस्वती, विष्णु के अंश से महालक्ष्मी और शिव के अंश से महाकाली पैदा हुई। गुफा में तीन पिण्डियां इन तीन देवी रुपों का प्रतीक है। इनका सामूहिक स्वरुप ही मॉं वैष्णवी है। बाहरी रुप से अलग-अलग दिखाई देने पर भी इन तीन रुपों में कोई भेद नहीं है।

माना जाता है कि वैज्ञानिकों ने भी इन पिण्डियों के रहस्य को जानना चाहा। उनके द्वारा वैज्ञानिक निष्कर्षों में भी यह पाया कि गुफा में यह तीन पिण्डियाँ बिना आधार के स्थित है यानि दिव्य पिण्डियां बिना किसी सहारे के हवा में खड़ी है, जो अद्भुत है।

आध्यात्मिक दृष्टि से अलौकिक शक्ति का रुपयह तीन पिण्डियां इच्छाशक्ति, ज्ञान शक्ति और क्रियाशक्ति की प्रतीक है। इस तथ्य को व्यावहारिक जीवन से जोड़े तो पाते है कि जीवन में इच्छा, विद्या और कर्म के अभाव में किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती है। शाक्त ग्रंथों में भी आदिशक्ति वैष्णवी ने शक्ति के इन अवतारों का मुख्य उद्देश्य देवताओं की रक्षा, मानव-कल्याण, दानवों का नाश, भक्तों को निर्भय करना और धर्म की रक्षा बताया है।

माता वैष्णवी की चमत्कारिक पिण्डियों की भांति ही वैष्णव मां की पवित्र गुफा में बहने वाला जल भी रहस्य का विषय है। इस जल का स्त्रोत वैज्ञानिकों को भी नहीं मिला। यही कारण है कि माता के दरबार से धर्मावलंबी भक्तों का अटूट आस्था और विश्वास है। इस बहते जल को भी वह मां का आशीर्वाद और उसका सेवन समस्त पापों को नष्ट करने वाला मानते हैं।

नाती-पोतों से बात करने के लिए सीनियर सिटीजन सीख रहे हैं कंप्यूटर!

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कोटा.देश-विदेश में पल-बढ़ रहे नाती-पोतों को देखने व इंटरनेट की दुनिया को जानने के लिए शहर के 20 सीनियर सिटीजन ‘नेटीजन’ बन रहे हैं। मेल, चेटिंग और गूगल पर सर्च के संसार ने इनकी जिंदगी ही बदल कर रख दी है। नेट पर सर्फिग में कब 2 घंटे बीत जाते हैं इन्हें पता ही नहीं चलता।


एयरपोर्ट के सामने करणी नगर विकास समिति के आश्रय भवन में हर दिन बुजुर्गो को कम्प्यूटर ज्ञान देने के लिए क्लास लग रही है। क्लास में टीचर इन्हें ईमेल खोलना, गूगल पर सर्च करना, डिक्शनरी से अर्थ तलाशना सहित कई जानकारी दे रहे हैं।

बुजुर्गो ने बताया कि संसार में मौजूद ज्ञान के खजाने को वो अब नेट के माध्यम से जान रहे हैं। विकास समिति के महावीर भंडारी बताते हैं कि अभी छठा बैच चल रहा है।राजस्थान यूनिवर्सिटी का प्रमाण पत्र भी दिया जाता है।

हर रोज बच्चों से ऑनलाइन बात करता हूं

छावनी निवासी पॉलीटिकल साइंस के एचओडी रह चुके 82 वर्षीय डॉ. केएस राजोरा बताते हैं कि बेटा यूएसए में और बेटी रायपुर में रहती है। अपनों से दूर नहीं रहा जाता।

ऐसे में इंटरनेट पर वेब केम की सहायता से वे उनको कंप्यूटर स्क्रीन पर देखसुन सकते हैं। बच्चों से हर रोज ऑनलाइन बात करता हूं। सच पूछो तो मैंने बच्चों को स्क्रीन पर बोलते, खेलते हुए देखने व बात करने के लिए कम्प्यूटर सीखा।

ज्ञान का खजाना है इंटरनेट:

वल्लभ बाड़ी निवासी रिटायर्ड एडिशनल एसपी चंद्र भानसिंह बताते हैं कि पुलिस सेवा में रहते हुए तो इतना वक्त मिलता नहीं था। इंटरनेट वाकई विशाल लाइब्रेरी है। जिसमें हर क्षेत्र के ज्ञान का खजाना भरा पड़ा है। 1 घंटे इंटरनेट पर ऑनलाइन रहता हूं।

कुछ भी आसानी से मिल जाता है

रिटायर्ड सिविल इंजीनियर विज्ञान नगर निवासी 71 वर्षीय सीएम सक्सेना बताते हैं कि इंजीनियरिंग से संबंधित कई विषयों की बुक बाजार में आसानी से नहीं मिलती। लेकिन नेट पर ऑनलाइन हर विषय की सभी जानकारी सुगमता से मिल जाती है।

अब बदल गया हूं मैं:

न्यू आकाशवाणी कॉलोनी निवासी रिटायर्ड सिविल इंजीनियर पर्वतसिंह पंवार (72) बताते हैं कि घर में बच्चों को कंप्यूटर पर बैठे देखता हूं और वे मुझे तरह-तरह की जानकारियां बताते थे तो मुझे काफी अच्छा लगा। फिर मैंने भी कम्प्यूटर सीखने की ठानी। क्लास ज्वॉइन की और अब तो नेट का यूज करना भी सीख लिया। ऑनलाइन ही देश विदेश के समाचार पढ़ता हूं।

ऑनलाइन कमेंट भी करता हूं। जमाना बदल गया तो मैंने भी खुद को बदल दिया।

साढ़े तीन किलो के ट्यूमर के साथ जन्मा दो किलो

हिसार .हांसी. एक प्राइवेट अस्पताल में सोमवार शाम एक बड़े ट्यूमर के साथ एक बच्चे ने जन्म लिया। बच्चे का वजन 5 किलोग्राम है जिसमें 3.5 किलोग्राम अकेले ट्यूमर का वजन शामिल हैं। इतने बड़े ट्यूमर के चलते फिलहाल यह पता नहीं चल सका है कि वह लड़का है या लड़की। इस बीमारी को चिकित्सीय भाषा में सैकरोकोक्सीजील टैराटोमा कहा जाता है। बच्चे को सर्जरी के लिए रोहतक मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। बच्चे की हालत फिलहाल नाजुक बनी हुई है।

बलियाली की कंचन की शादी अलवर के राजकुमार के साथ हुई थी। दूसरी डिलीवरी के चलते वह अपने मायके आई हुई थी। विडंबना कहेंगे कि डिलीवरी से तीन दिन पूर्व ही कंचन का दो वर्षीय बेटा भी हादसे में चल बसा। सोमवार को उसे प्रसव पीड़ा हुई। गांव में ही दाई ने प्रसव करवाने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो सकी।

घरवाले उसे बवानीखेड़ा के एक चिकित्सक के पास लाया गया लेकिन उसने भी डिलीवरी करवा पाने में असमर्थता जाहिर कर दी। आनन फानन में उसे हांसी के हिसार चुंगी स्थित एक निजी अस्पताल में लाया गया। यहां डॉ. उर्मिल धत्तरवाल ने कंचन की डिलीवरी करवाई। इसी दौरान पता चला कि बच्चे को सैकरोकोक्सीजील टैराटोमा है।

चमत्कारी 'इंद्राक्षी' की कीमत सुनकर दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे आप!

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लखनऊ। यह माला न तो बेशकीमती हीरों से जड़ी है और न ही सोने से गढ़ी गई है, फिर भी इसकी कीमत दो करोड़ रुपये है। रत्नों के राजा कहलाने वाले रूद्राक्ष से बनी इस माला को इंद्राक्षी माला कहते हैं।

इंद्राक्षी माला एक मुखी से लेकर 21 मुखी जैसे अतिदुर्लभ रूद्राक्षों से निर्मित है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर तनय सीथा ने इसे बनाया है। सीथा मुम्बई स्थित रूद्राक्ष की बिक्री करने वाली संस्था रूद्रलाइफ के संस्थापक हैं। रूद्रलाइफ की ओर से कानपुर में आयोजित प्रदर्शनी में इंद्राक्षी माला सबके आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

सीथा ने बताया, "इंद्राक्षी माला में कुल 28 रूद्राक्ष हैं। इनमें एक से लेकर 21 मुखी तक के रूद्राक्षों के अलावा गौरीशंकर रूद्राक्ष, गणेश रूद्राक्ष जैसे अतिदुर्लभ रूद्राक्ष भी हैं।" मुम्बई विश्वविद्यालय के साथ रूद्राक्ष पर कई शोध कर चुके सीथा कहते हैं, "इंद्राक्षी माला की कीमत दो करोड़ रुपये होने के पीछे इसमें अतिदुर्लभ रूद्राक्षों का होना है, जो बहुत महंगे होते हैं। 21 मुखी रूद्राक्ष को कुबेर भी कहा जाता है। यह सबसे ज्यादा दुर्लभ होता। अकेले कुबेर रूद्राक्ष की कीमत 70 लाख रुपये होती है।"

सीथा ने कहा, "आज हमारे पास कई वैज्ञानिक अध्ययन हैं जो रूद्राक्ष का महत्व और प्रभाव बताते हैं। इन प्रभावों का शिव पुराण सहित 18 पुराणों में भी उल्लेख मिलता है।" उन्होंने दावा किया, "इंद्राक्षी माला नेपाल के जंगलों में पाए जाने वाले पेड़ों से निर्मित है। इसे धारण करने वाले के आस-पास सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बन जाता है, जिससे अच्छा स्वास्थ्य, आंतरिक प्रसन्नता, समृद्धि, रचनात्मकता, और मानसिक प्रबलता आती है। उन्होंने कहा कि रूद्राक्ष के अध्यात्मिक गुणों के कारण ही सदियों से ऋषि-मुनि इसे धारण करते आए हैं।"

सीथा ने कहा कि वैसे तो देश में भी रूद्राक्ष की करीब 25 से ज्यादा किस्में पाई जातीं हैं लेकिन नेपाल के जंगलों में पाए जाने वाले रूद्राक्ष के पेड़ सबसे अच्छी गुणवत्ता के होते हैं और वैदिक ग्रंथों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है।

देश-विदेश में 400 से ज्यादा प्रदर्शनियां लगा चुके सीथा ने नकली रू द्राक्ष की बिक्री पर चिंता जताते हुए कहा कि रूदाक्ष का एक संग्रहालय खोलकर लोगों को जागरूक करना होगा। उन्होंने कहा कि नकली रूद्राक्ष की बिक्री देशभर में होती है। लोगों की कम जानकारी के कारण यह धंधा फलफूल रहा है। उन्होंने बताया कि देशभर में सड़कों के किनारे दुकानें लगाकर बैठे कुछ लोग सुपारी को रूद्राक्ष की शक्ल देकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं।

सीथा ने कहा, "ऐसे ठगों से बचाने के लिए हम महाराष्ट्र के त्रयंबकेश्वर में रूद्राक्ष का संग्रहालय स्थापित कर लोगों को जागरूक करेंगे ताकी लोग असली व नकली रूद्राक्ष का फर्क समझ सकें।

रंगरेलिया मनाती पकड़ी गई तो पेटीकोट के नाड़े से भाई का दबा दिया गला!


कानपुर। इटावा जिले में प्रेम प्रसंग में हुई हत्या में आखिरकार मासूम को न्याय मिल ही गया। कोर्ट ने हत्यारोपी को प्रेमी संग उम्रकैद की सजा सुना दी है। अपर सत्र न्यायाधीश दोनों को आजीवन कारावास तथा 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाया है।

बता दें कि प्रेमी के साथ रासलीला कर रही बहन ने भाई द्वारा देख लिए जाने पर पेटीकोट के नाड़े से गला दबा कर उसकी हत्या कर दी। घटना कुंअरा गांव में विगत 24 अप्रैल 2010 की शाम को घटी थी। यह घटना पूरे गांव में आग की तरह फैल गई थी।

जानकारी के मुताबिक, रमेशचंद्र की विवाहिता लड़की ललिता उसके पड़ोसी भोले से अवैध संबंध थे। एक दिन ललिता का भाई राम खेलावन घर के बाहर खेल रहा था। उसी समय भोला घर आ गया। दोनों रंगरेलियां मनाने में मस्त हो गए। तभी मासूम बच्चे ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया। भांडा फूटने के डर से ललिता ने पेटीकोट के नाड़े से भाई का गला कसकर हत्या कर दी।

इस्लामी नया साल 27 या 28 से!


जयपुर.इस्लामी नया साल यानी हिजरी सन् 1433 का आरंभ 27 या 28 नवंबर से हो जाएगा। यदि 26 नवंबर को चांद दिखाई देता है तो 27 नवंबर को मोहर्रम से इस्लामी नए साल की शुरुआत हो जाएगी। चांद नहीं दिखाई देने पर मोहर्रम 28 नवंबर से शुरू होगा।

इस्लाम में वर्ष के चार महीने मोहर्रम, रमजान, शव्वाल और जिलहिज्जा इबादत और बरकत के माने जाते हैं। जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के पूर्व सचिव हाजी अनवर शाह के अनुसार मोहर्रम के महीने की शुरुआत को यौम—ए—आसुरा का दिन माना जाता है।

हदीस के अनुसार आसुरा का दिन पवित्र माना गया है। इस दिन सृष्टि की रचना हुई थी और आसमान से बारिश की पहली बूंद गिरी थी। साल के आखिरी दिन और नए साल की पहली तारीख को अकीदतमंद नफली रोजा रखेंगे।

अकीदतमंद गरीबों को भोजन खिलाएंगे। रमजान को फर्ज रोजों का महीना व शव्वाल को रमजान की समाप्ति पर पहली तारीख को ईद की खुशियां मनाई जाती हैं। जिलहिज्जा के महीने की दस तारीख को कुर्बानी का पर्व ईद-उल-अजहा मनाया जाता है।

मोहर्रम की दस तारीख को निकलेंगे ताजिये

मोहर्रम के महीने की दस तारीख को इमाम हुसैन की याद में शहादत दिवस मनाया जाएगा। बरकत के इस महीने में हुसैन के नाम के फ़ातिहा पढ़े जाएंगे।

पहली तारीख को पैगंबर मोहम्मद साहब के बयान होंगे। इसके बाद मोहर्रम की सात तारीख से छोटे—छोटे ताजिए निकालना शुरू हो जाएंगे। दस तारीख को ताजियों का जुलूस निकलेगा।

इस्लामी महीने


1. मोहर्रम,

2. सफर,

3. रवि उल अव्वल,

4. रवि-उल-आखिर,

5. जमादी-उल अव्वल,

6. जमादीउल,

7. रज्जब,

8. साबान,

9. रमजान,

10. शव्वाल,

11. जिकादा,

12. जिलहिज्जा

फूलपुर से फंसी कांग्रेस? केंद्रीय मंत्रियों पर एफआईआर, राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला

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इलाहाबाद.राहुल गांधी की सभा में छात्रसंघ चुनावों की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे युवक की पिटाई करने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। मुंबई के बांद्रा कोर्ट में राहुल गांधी के यूपी के लोगों को महाराष्ट्र में भीख मांगने संबंधी बयान के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

गौरतलब है कि कल राहुल गांधी ने फूलपुर के झुंसी में सभा करके उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की शुरुआत की थी। राहुल जब हेलीकॉप्टर से उतर रहे थे तब समाजवादी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने उन्हें काले झंडे दिखाए थे जिनमें अभिषेक यादव नाम के छात्रनेता की कांग्रेसी नेताओं ने कैमरे के सामने ही जमकर धुनाई की थी।

अभिषेक ने कल थाना झुंसी में केंद्रिय मंत्रियों जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह, सांसद प्रमोद तिवारी और एमएलसी सदस्य नसीब पठान के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के लिए तहरीर दी थी। अभिषेक की तहरीर पर इन चारों नेताओं के खिलाफ यूपी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एलएलबी प्रथम वर्ष के छात्र अभिषेक यादव ने पुलिस को दी गई अपनी तहरीर में लिखा है कि वो इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ बहाली के लिए राहुल गांधी को एक ज्ञापन देना चाहता थे, लेकिन उनसे मिलने की कोशिश में केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री जितिन प्रसाद, केंद्रीय पैट्रोलियम राज्य मंत्री आर.पी.एन. सिंह, कांग्रेस विधान मण्डल दल के नेता प्रमोद तिवारी, कांग्रेस विधायक नसीब पठान तथा इनके सुरक्षा कर्मियों समेत कई लोगों ने उन्हें जमकर लात-घूंसों से मारा-पीटा। तहरीर में अभिषेक ने कांग्रेसी नेताओं पर फर्जी मुकदमें में फंसाने की धमकी देने का भी आरोप लगाया है।
दैनिक भास्कर डॉट कॉम से बातचीत में अभिषेक ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार होता है लेकिन कांग्रेसी नेताओं ने राहुल गांधी के सामने नंबर बढ़ाने के लिए देश के कानून और संविधान को किनारे रखकर उनके साथ हिंसा की जिससे कांग्रेस की काफी फजीहत हुई। गौरतलब है कि अभिषेक यादव इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनावों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। वो इसके लिए अनशन पर भी बैठे थे। झुंसी थानाध्यक्ष के मुताबिक कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (पांच से अधिक लोगों का बलवा करने के उद्देश्य से एकत्र होना)/149 (हथियार का इस्तेमाल), 323 (मारपीट), 504 (गाली-गलौज) तथा 7 क्रिमिनल लॉ एमेण्डमेन्ट एक्ट (डर पैदा करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
14 नवंबर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस के अवसर पर कांग्रेस ने उनके संसदीय क्षेत्र रहे फूलपुर में राहुल गांधी की विशाल सभा करके उत्तर प्रदेश में अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की। लेकिन सभा के दौरान कांग्रेसी नेताओं द्वारा समाजवादी पार्टी के छात्रनेता को पीटने की घटना और राहुल के यूपी के लोगों के भीख मांगने संबंधी बयान ने सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या फूलपुर से कांग्रेस फंस गई है?

राजस्थान के सभी मंत्रियों का इस्तीफा, मदेरणा से अशोक गहलोत ने की मुलाकात

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जोधपुर. राजस्थान में लापता नर्स भंवरी देवी के प्रकरण के चलते राजनीतिक भंवर में फंसी अशोक गहलोत सरकार के सभी मंत्रियों ने आज सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया। मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री गहलोत ने सभी मंत्रियों को इस्‍तीफे के लिए राजी किया। अब गहलोत नए सिरे से मंत्रिमंडल का गठन करेंगे। यह कवायद इसलिए की गई है, ताकि दागदार लोगों को इस बार मंत्रिमंडल से दूर रखा जा सके..

जोधपुर पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ भंवरी देवी प्रकरण में बुरी तरह फंसे पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा से भी मुलाकात की।


इस बीच,भंवरी देवी गुमशुदगी मामले में हाईकोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई ने जांच में तेजी ला दी है। सीबीआई ने भंवरी का सुराग देने पर दी जाने वाली इनामी राशि बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने का ऐलान किया है। जांच एजेंसी के अधिकारियों ने सोमवार को इस मामले में जोधपुर के समीप कई जगहों पर छापे मारे। ये छापे भंवरी देवी की रहस्‍यमय गुमशुदगी मामले में और सबूत जुटाने के लिए मारे गए। हाईकोर्ट ने सीबीआई को 24 नवंबर तक स्‍टेटस रिपोर्ट देने को कहा है।

आरोपी कांग्रेसी विधायक मलखान सिंह के भाई के घर जब सीबीआई ने छापे मारे तो जांच एजेंसी के अधिकारियों पर कुछ लोगों ने पत्‍थर फेंके। विधायक की बहन इंद्रा बिश्‍नोई के जोधपुर स्थित घर से एक कम्‍प्‍यूटर बरामद हुआ है। सीबीआई ने इसे जब्‍त कर जांच के लिए अपने कब्‍जे में ले‍ लिया है। जांच एजेंसी को इसके जरिये उस सीडी के बारे में कुछ सबूत हाथ लगने की उम्‍मीद है जिसमें मदेरणा और भंवरी को आपत्तिजनक अवस्‍था में दिखाया गया है।

भंवरी मामले में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान सोमवार को हाईकोर्ट ने सीबीआई से कहा कि इस मामले की जांच अनंतकाल तक जारी नहीं रखी जा सकती। अदालत ने इस बात को लेकर चिंता जताई कि इस प्रकरण का हश्र भी कहीं नोएडा के आरुषि मामले जैसा नहीं हो जाए। कोर्ट ने सीबीआई से यह पता लगाने को कहा है कि भंवरी देवी जिंदा है या मर गई।


सीबीआई भंवरी गुमशुदगी मामले में आरोपी पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की पत्‍नी लीला मदेरणा के अलावा लूणी से विधायक मलखान सिंह के परिवार के अन्य सदस्यों से पूछताछ की। सीबीआई ने इंद्रा बिश्‍नोई और राजेश परिहार के अलावा भंवरी के पति अमरचंद से भी पूछताछ की। इस मामले के मुख्य आरोपियों के ब्रेन मैपिंग टेस्ट की इजाजत नहीं मिली है। सीबीआई की विशेष अदालत ने जांच एजेंसी को अभियुक्‍तों की ब्रेन मैपिंग की इजाजत नहीं दी।
उधर, भंवरी देवी के साथ कथित तौर पर अश्‍लील सीडी में दिखने वाले पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की पत्‍नी लीला मदेरणा ने जब यह पूछा गया कि इस मामले का बतौर पत्नी या मां उन पर क्या असर पड़ा है, तो उन्होंने कहा कि इससे उन पर कोई असर नहीं पड़ा है। उनके मुताबिक यह सब तो राजा महाराजाओं के दौर से चल रहा है
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