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17 नवंबर 2011

यह है गीता का ज्ञान

( अर्जुन द्वारा भगवान की स्तुति तथा विभूति और योगशक्ति को कहने के लिए प्रार्थना )
अर्जुन उवाच
परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान्‌ ।
पुरुषं शाश्वतं दिव्यमादिदेवमजं विभुम्‌ ॥
आहुस्त्वामृषयः सर्वे देवर्षिर्नारदस्तथा ।
असितो देवलो व्यासः स्वयं चैव ब्रवीषि मे ॥
भावार्थ : अर्जुन बोले- आप परम ब्रह्म, परम धाम और परम पवित्र हैं, क्योंकि आपको सब ऋषिगण सनातन, दिव्य पुरुष एवं देवों का भी आदिदेव, अजन्मा और सर्वव्यापी कहते हैं। वैसे ही देवर्षि नारद तथा असित और देवल ऋषि तथा महर्षि व्यास भी कहते हैं और आप भी मेरे प्रति कहते हैं॥12-13॥
सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव ।
न हि ते भगवन्व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवाः ॥
भावार्थ : हे केशव! जो कुछ भी मेरे प्रति आप कहते हैं, इस सबको मैं सत्य मानता हूँ। हे भगवन्‌! आपके लीलामय (गीता अध्याय 4 श्लोक 6 में इसका विस्तार देखना चाहिए) स्वरूप को न तो दानव जानते हैं और न देवता ही॥14॥
स्वयमेवात्मनात्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम ।
भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते ॥
भावार्थ : हे भूतों को उत्पन्न करने वाले! हे भूतों के ईश्वर! हे देवों के देव! हे जगत्‌ के स्वामी! हे पुरुषोत्तम! आप स्वयं ही अपने से अपने को जानते हैं॥15॥
वक्तुमर्हस्यशेषेण दिव्या ह्यात्मविभूतयः ।
याभिर्विभूतिभिर्लोकानिमांस्त्वं व्याप्य तिष्ठसि ॥
भावार्थ : इसलिए आप ही उन अपनी दिव्य विभूतियों को संपूर्णता से कहने में समर्थ हैं, जिन विभूतियों द्वारा आप इन सब लोकों को व्याप्त करके स्थित हैं॥16॥
कथं विद्यामहं योगिंस्त्वां सदा परिचिन्तयन्‌ ।
केषु केषु च भावेषु चिन्त्योऽसि भगवन्मया ॥
भावार्थ : हे योगेश्वर! मैं किस प्रकार निरंतर चिंतन करता हुआ आपको जानूँ और हे भगवन्‌! आप किन-किन भावों में मेरे द्वारा चिंतन करने योग्य हैं?॥17॥
विस्तरेणात्मनो योगं विभूतिं च जनार्दन ।
भूयः कथय तृप्तिर्हि श्रृण्वतो नास्ति मेऽमृतम्‌ ॥
भावार्थ : हे जनार्दन! अपनी योगशक्ति को और विभूति को फिर भी विस्तारपूर्वक कहिए, क्योंकि आपके अमृतमय वचनों को सुनते हुए मेरी तृप्ति नहीं होती अर्थात्‌ सुनने की उत्कंठा बनी ही रहती है॥18॥
(भगवान द्वारा अपनी विभूतियों और योगशक्ति का कथन)
श्रीभगवानुवाच
हन्त ते कथयिष्यामि दिव्या ह्यात्मविभूतयः ।
प्राधान्यतः कुरुश्रेष्ठ नास्त्यन्तो विस्तरस्य मे ॥
भावार्थ : श्री भगवान बोले- हे कुरुश्रेष्ठ! अब मैं जो मेरी दिव्य विभूतियाँ हैं, उनको तेरे लिए प्रधानता से कहूँगा; क्योंकि मेरे विस्तार का अंत नहीं है॥19॥
अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः ।
अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! मैं सब भूतों के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ तथा संपूर्ण भूतों का आदि, मध्य और अंत भी मैं ही हूँ॥20॥
आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान्‌ ।
मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी ॥
भावार्थ : मैं अदिति के बारह पुत्रों में विष्णु और ज्योतियों में किरणों वाला सूर्य हूँ तथा मैं उनचास वायुदेवताओं का तेज और नक्षत्रों का अधिपति चंद्रमा हूँ॥21॥
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः ।
इंद्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना ॥
भावार्थ : मैं वेदों में सामवेद हूँ, देवों में इंद्र हूँ, इंद्रियों में मन हूँ और भूत प्राणियों की चेतना अर्थात्‌ जीवन-शक्ति हूँ॥22॥
रुद्राणां शङ्‍करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्‌ ।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्‌ ॥
भावार्थ : मैं एकादश रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूँ। मैं आठ वसुओं में अग्नि हूँ और शिखरवाले पर्वतों में सुमेरु पर्वत हूँ॥23॥
पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्‌ ।
सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः ॥
भावार्थ : पुरोहितों में मुखिया बृहस्पति मुझको जान। हे पार्थ! मैं सेनापतियों में स्कंद और जलाशयों में समुद्र हूँ॥24॥
महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम्‌ ।
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः ॥
भावार्थ : मैं महर्षियों में भृगु और शब्दों में एक अक्षर अर्थात्‌‌ ओंकार हूँ। सब प्रकार के यज्ञों में जपयज्ञ और स्थिर रहने वालों में हिमालय पहाड़ हूँ॥25॥
अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः ।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः ॥
भावार्थ : मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष, देवर्षियों में नारद मुनि, गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि हूँ॥26॥
उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्धवम्‌ ।
एरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम्‌ ॥
भावार्थ : घोड़ों में अमृत के साथ उत्पन्न होने वाला उच्चैःश्रवा नामक घोड़ा, श्रेष्ठ हाथियों में ऐरावत नामक हाथी और मनुष्यों में राजा मुझको जान॥27॥
आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक्‌ ।
प्रजनश्चास्मि कन्दर्पः सर्पाणामस्मि वासुकिः ॥
भावार्थ : मैं शस्त्रों में वज्र और गौओं में कामधेनु हूँ। शास्त्रोक्त रीति से सन्तान की उत्पत्ति का हेतु कामदेव हूँ और सर्पों में सर्पराज वासुकि हूँ॥28॥
अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्‌ ।
पितॄणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम्‌ ॥
भावार्थ : मैं नागों में (नाग और सर्प ये दो प्रकार की सर्पों की ही जाति है।) शेषनाग और जलचरों का अधिपति वरुण देवता हूँ और पितरों में अर्यमा नामक पितर तथा शासन करने वालों में यमराज मैं हूँ॥29॥
प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्‌ ।
मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्‌ ॥
भावार्थ : मैं दैत्यों में प्रह्लाद और गणना करने वालों का समय (क्षण, घड़ी, दिन, पक्ष, मास आदि में जो समय है वह मैं हूँ) हूँ तथा पशुओं में मृगराज सिंह और पक्षियों में गरुड़ हूँ॥30॥
पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम्‌ ।
झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी ॥
भावार्थ : मैं पवित्र करने वालों में वायु और शस्त्रधारियों में श्रीराम हूँ तथा मछलियों में मगर हूँ और नदियों में श्री भागीरथी गंगाजी हूँ॥31॥
सर्गाणामादिरन्तश्च मध्यं चैवाहमर्जुन ।
अध्यात्मविद्या विद्यानां वादः प्रवदतामहम्‌ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! सृष्टियों का आदि और अंत तथा मध्य भी मैं ही हूँ। मैं विद्याओं में अध्यात्मविद्या अर्थात्‌ ब्रह्मविद्या और परस्पर विवाद करने वालों का तत्व-निर्णय के लिए किया जाने वाला वाद हूँ॥32॥
अक्षराणामकारोऽस्मि द्वंद्वः सामासिकस्य च ।
अहमेवाक्षयः कालो धाताहं विश्वतोमुखः ॥
भावार्थ : मैं अक्षरों में अकार हूँ और समासों में द्वंद्व नामक समास हूँ। अक्षयकाल अर्थात्‌ काल का भी महाकाल तथा सब ओर मुखवाला, विराट्स्वरूप, सबका धारण-पोषण करने वाला भी मैं ही हूँ॥33॥
मृत्युः सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च भविष्यताम्‌ ।
कीर्तिः श्रीर्वाक्च नारीणां स्मृतिर्मेधा धृतिः क्षमा ॥
भावार्थ : मैं सबका नाश करने वाला मृत्यु और उत्पन्न होने वालों का उत्पत्ति हेतु हूँ तथा स्त्रियों में कीर्ति (कीर्ति आदि ये सात देवताओं की स्त्रियाँ और स्त्रीवाचक नाम वाले गुण भी प्रसिद्ध हैं, इसलिए दोनों प्रकार से ही भगवान की विभूतियाँ हैं), श्री, वाक्‌, स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा हूँ॥34॥
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्‌ ।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः॥
भावार्थ : तथा गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम और छंदों में गायत्री छंद हूँ तथा महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में वसंत मैं हूँ॥35॥
द्यूतं छलयतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्‌ ।
जयोऽस्मि व्यवसायोऽस्मि सत्त्वं सत्त्ववतामहम्‌ ॥
भावार्थ : मैं छल करने वालों में जूआ और प्रभावशाली पुरुषों का प्रभाव हूँ। मैं जीतने वालों का विजय हूँ, निश्चय करने वालों का निश्चय और सात्त्विक पुरुषों का सात्त्विक भाव हूँ॥36॥
वृष्णीनां वासुदेवोऽस्मि पाण्डवानां धनञ्जयः ।
मुनीनामप्यहं व्यासः कवीनामुशना कविः ॥
भावार्थ : वृष्णिवंशियों में (यादवों के अंतर्गत एक वृष्णि वंश भी था) वासुदेव अर्थात्‌ मैं स्वयं तेरा सखा, पाण्डवों में धनञ्जय अर्थात्‌ तू, मुनियों में वेदव्यास और कवियों में शुक्राचार्य कवि भी मैं ही हूँ॥37॥
दण्डो दमयतामस्मि नीतिरस्मि जिगीषताम्‌ ।
मौनं चैवास्मि गुह्यानां ज्ञानं ज्ञानवतामहम्‌ ॥
भावार्थ : मैं दमन करने वालों का दंड अर्थात्‌ दमन करने की शक्ति हूँ, जीतने की इच्छावालों की नीति हूँ, गुप्त रखने योग्य भावों का रक्षक मौन हूँ और ज्ञानवानों का तत्त्वज्ञान मैं ही हूँ॥38॥
यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन ।
न तदस्ति विना यत्स्यान्मया भूतं चराचरम्‌ ॥
भावार्थ : और हे अर्जुन! जो सब भूतों की उत्पत्ति का कारण है, वह भी मैं ही हूँ, क्योंकि ऐसा चर और अचर कोई भी भूत नहीं है, जो मुझसे रहित हो॥39॥
नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥
भावार्थ : हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥40॥
यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा ।
तत्तदेवावगच्छ त्वं मम तेजोंऽशसम्भवम्‌ ॥
भावार्थ : जो-जो भी विभूतियुक्त अर्थात्‌ ऐश्वर्ययुक्त, कांतियुक्त और शक्तियुक्त वस्तु है, उस-उस को तू मेरे तेज के अंश की ही अभिव्यक्ति जान॥41॥
अथवा बहुनैतेन किं ज्ञातेन तवार्जुन ।
विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमेकांशेन स्थितो जगत्‌ ॥
भावार्थ : अथवा हे अर्जुन! इस बहुत जानने से तेरा क्या प्रायोजन है। मैं इस संपूर्ण जगत्‌ को अपनी योगशक्ति के एक अंश मात्र से धारण करके स्थित हूँ॥42॥
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायांयोगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे विभूतियोगो नाम दशमोऽध्यायः ॥10।

संदेश कुरान का ............

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गांधीगिरी की मिशाल, बापू के भजन से होती है दफ्तर की शुरुआत

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रायपुर। राजधानी में एक दफ्तर ऐसा है जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने की कोशिश कर रहा है। यहां के अधिकारी-कर्मचारी अपने दिन की शुरूआत बापू के प्रिय भजन-वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीर परायी जाणे रे से करते हैं।

अनुपम नगर स्थित रजिस्ट्रार फम्र्स एंड सोसायटीज के इस दफ्तर में सुबह ठीक 10.20 बजे पूरा स्टाफ पहुंच जाता है। सभी रजिस्ट्रार संजीव बख्शी के चैंबर में जमा होते हैं। बख्शी समेत सभी लोग एक-एक कर गांधी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हैं। इसके बाद गूंजने लगता है बापू का भजन।

कर्मचारी हाथ जोड़े भक्ति में लीन हो जाते हैं। भजन के बाद शुरू होती है सकारात्मक चर्चा। दिलचस्प यह है कि कभी-कभी पड़ोसी भी इसमें शामिल होते हैं। दफ्तर में आने वाला फरियादी, पड़ोसी या किसी स्टाफ का परिचित यदि इस दौरान मौजूद रहता है तो उसे उस दिन का अतिथि बनाया जाता है। चर्चा स्टाफ के परिवार के सुख-दुख, खेत-खलिहान, गांवों की अच्छाइयों से लेकर जनहित की बातों और समाज के सुधार के मुद्दे पर होती है। कार्यालय के सभी कमरों में गांधी जी के नीति वाक्य जैसे-‘आत्मा का आहार प्रार्थना’ लगे हैं।

यह सिलसिला 8 अगस्त 2010 से चल रहा है। अतिथि के रूप में विधायक डमरूधर पुजारी, साहित्यकार विनोद शंकर शुक्ल, सतीश जायसवाल, डॉ. तपेश गुप्ता, नरेश गुप्ता, हरिभाई जोशी आदि शामिल हो चुके हैं। डिप्टी पंजीयक डी.डी. महंत कहते हैं कि डिवोशन के समय बड़े-छोटे का भेद नहीं रहता।

मोबाइल पर गाना सुनने में ऐसे खोए डॉक्टर कि चीर दिया दूसरा हाथ

अहमदाबाद।यहां चिकित्सकों ने एक बच्चे के दाएं हाथ के स्थान पर बाएं हाथ का ऑपरेशन कर दिया। इतना ही जिस हाथ में फैक्चर ही नहीं था उसमें सरिया आदि भी डाल दिया। पीड़ित बच्चे को सोमवार देर रात ऑपरेशन थिएटर से वॉर्ड में लाए जाने पर मामला प्रकाश में आया। वाकया अहमदाबाद महानगर पालिका संचालित एल.जी. अस्पताल का है। नौ वर्षीय कौशिक दो सप्ताह पहले गिर गया था जिससे उसके हाथ में चोट पहुंची थी। सोमवार शाम उसे एल.जी. अस्पताल में भर्ती करवाया गया। आवश्यक परीक्षण-रिपोर्ट के बाद देर शाम ही चिकित्सकों ने ऑपरेशन कर दिया।

मामले के तूल पकड़ने के बाद तीन चिकित्सकों को निलंबित कर दिया गया है। ऑथरेपैडिक विभाग के यूनिट हैड को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है।

ऑपरेशन के वक्त सुन रहे थे म्युजिक

कौशिक के पिता मनोजभाई लोधा ने चिकित्सकों पर म्युजिक सुनते हुए ऑपरेशन करने का आरोप लगाया है। लोधा का कहना है कि हाथ में पट्टी बंधे होने की वजह से निरक्षर व्यक्ति भी समझ सकता था किस हाथ में चोट है अथवा शल्य क्रिया की जरूरत है। चिकित्सक होकर भी इन लोगों ने गंभीर भूल की है। इसलिए इन्हें सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए ताकि अन्य किसी के साथ ऐसा न हो।

मनोजभाई ने यह भी कहा कि जब कौशिक के ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जा रहा था, मैं वहां था। चिकित्सक ऑपरेशन को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नजर नहीं आ रहे थे। ऑपरेशन के दौरान मोबाइल पर म्युजिक सुनते हुए हंसी-ठिठोली कर रहे थे।

जरूरत नहीं थी, बताया तत्काल करना होगा ऑपरेशन

बकौल, लोधा वे 10 दिन से हाडवैद्य के यहां कौशिक का उपचार करवा रहे थे किन्तु दर्द बंद नहीं हो रहा था। इसलिए सोमवार रात 10 बजे अस्पताल में ले गए,जहां चिकित्सकों ने जरूरत न होने पर भी कहा तत्काल ऑपरेशन करना होगा।

विश्व प्रसिद्ध दरगाह की सुरक्षा में लगी सेंध, लेकिन टला बड़ा हादसा

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अजमेर. ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की विश्व प्रसिद्ध दरगाह की सुरक्षा में बुधवार शाम तीन युवकों ने सेंध लगा दी। बैग आदि सहित झालरे की ओर बनी दीवार फांद कर दरगाह में घुसे इन युवकों को सुरक्षा के लिए तैनात प्रहरियों ने पकड़ कर दरगाह थाना पुलिस के हवाले कर दिया। जहां पुलिस ने बारीकी से जांच-पड़ताल और नाम-पतों की तस्दीक के बाद उन्हें छोड़ दिया।

जांच में पता चला कि दरगाह गेट पर जांच के दौरान इन लोगों को बैग और अन्य सामान भीतर ले जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। लिहाजा तीनों ने दीवार फांदकर बैग भीतर पहुंचाने की जुगत भिड़ाई। हालांकि उनके सामान में कोई आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली, लेकिन इस घटना को दरगाह की सुरक्षा में गंभीर खामी माना जा रहा है। सुरक्षा जाप्ते के प्रभारी ने मामले को चिंताजनक बताते हुए आला अफसरों को रिपोर्ट दी है।

पहले रोक दिया था

दरगाह परिसर में सुरक्षा जाप्ते के प्रभारी एसआई सूरज सिंह राठौड़ ने बताया कि बुधवार को दोपहर में जांच के दौरान जायरीन परिवार के लोगों को बैग और अन्य सामान भीतर ले जाने से रोक दिया गया था। सुरक्षा कारणों से कई तरह का सामान दरगाह के भीतर ले जाने पर रोक है।

लेकिन तीनों जने झालरा के निकट बनी दीवार फांदकर दरगाह के भीतर पहुंच गए। झालरा की ओर बने गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की इन पर नजर पड़ने से तीनों को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक थाने पर की गई पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि दीवार फांदकर सामान लाने का रास्ता उन्हें दरगाह से जुड़े व्यक्तियों ने ही बताया।

एसआई सूरज सिंह राठौड़ ने बताया कि ख्वाजा साहब की दरगाह में सुरक्षा के लिए यह चिंता का विषय है।

कालभैरव ने ही काटा था ब्रह्मा का पांचवा सिर

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धर्म शास्त्रों के अनुसार भैरव ने ब्रह्मा का पांचवा सिर काटा था। जहां वह सिर गिरा वह स्थान काशी में कपाल मोचन तीर्थ के नाम से विख्यात है। जो प्राणी इस तीर्थ का स्मरण करता है, उसके इस जन्म एवं पर जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। यहां आकर सविधि स्नानपूर्वक पितरों एवं देवताओं का तर्पण करके मानव ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाता है।

कपाल मोचन तीर्थ के समीप ही भक्तों के सुखदायक भगवान भैरव स्थित हैं। सज्जनों के प्रिय भैरव का प्रादुर्भाव मार्गशीर्ष की कृष्णाष्टमी को हुआ था। उसी दिन को उपवासपूर्वक जो प्राणी कालभैरव के समीप जागरण करता है, वह संपूर्ण महापापों से मुक्ति प्राप्त कर लेता है। यदि कोई व्यक्ति भगवान विश्वेश्वर का भक्त होते हुए भी कालभैरव का भक्त नहीं है, तो उसे बड़े-बड़े दु:ख भोगने पड़ते हैं। यह बात काशी में विशेष रूप से चरितार्थ होती है। काशीवासियों के लिए भैरव की भक्ति अनिवार्य बताई गई है।


क्यों पश्चिम की ओर चेहरा कर अदा करते हैं नमाज?



इस्लाम धर्म की नींव है - नमाज। इस्लाम धर्म को मानने वाले हर इंसान के लिए जरूरी पांच फर्ज में से नमाज भी एक है। जिसके लिये पांव वक्त की नमाज जरूरी बताई गई है। इस्लाम धर्मग्रंथों के मुताबिक पांच वक्त की नमाज से जाने-अनजाने हुए सभी गुनाह मिट जाते हैं। साथ ही उस नमाजी के लिए जन्नत यानी स्वर्ग के दरवाजे खुल जाते हैं। इस तरह नमाज खुदा की रहमत पाने का पवित्र कर्म है और फ़र्ज भी।

क्या आप जानते हैं कि खुदा की रहमत पाने के लिए की जाने वाली नमाज खासतौर पर भारत में पश्चिम दिशा की ओर चेहरा कर क्यों अदा की जाती है? जानते हैं इससे जुड़ी खास वजह -

दरअसल इस्लाम धर्म में नमाज अदायगी की भी कुछ अहम शर्ते बताई गई हैं। जिनके पालन के बिना नमाज पवित्र नहीं मानी जाती। इनमे से एक शर्त है - इस्तकबाल किब्ला। जिसका अर्थ है - किब्ले की तरफ मुंह करना। इसको सरल शब्दों में समझें तो हर नमाजी के लिये यह जरूरी है कि नमाज के वक्त उसका मुंह काबा की ओर रखे। अन्यथा नमाज सही नहीं मानी जाती।

इसके मुताबिक ही हिन्दुस्तान से काबा की स्थिति पश्चिम दिशा की ओर होने से इस दिशा में मुंह कर नमाज पढ़ी जाती है। वहीं दुनिया के हर देश में काबा की स्थिति के मुताबिक ही उस दिशा में मुंह कर नमाज अदा की जाती है। इस्लामी धर्मग्रंथों में किसी विशेष हालात, दिशा की अज्ञानता या शारीरिक विवशता में नमाज की इस शर्त के पालन के लिए जरूरी समाधान भी बताए गए हैं।

नहीं होगा कोई रोग, मैथी का ये अचूक प्रयोग ठंड में बना देगा आपकी सेहत

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ठंड में आने वाली सारी हरे पत्तेदार सब्जियों को स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। अगर बात मेथी की हो तो मेथी तो वो सब्जी है जो खाने के स्वाद को और ज्यादा बड़ा देती है। मसालों, सब्जियों के बघार में,अचार में, पत्तियों की सब्जी और मेथी के पराठे बहुत चाव से खाए जाते हैं। मेथी का दवाई के रूप में उपयोग हजारों सालों से किया जाता रहा है। कमर दर्द, गठिया दर्द, प्रसव के बाद, डाइबिटीज के साथ ही जोड़ों के दर्द, आंखों की कमजोरी, शारीरिक दुर्बलता, मूत्र संबंधी विकार ये सब दूर होते हैं। इसका सेवन हर साल करते रहना चाहिए।

स्त्रियां भी इसका सेवन करके सदैव स्वस्थ रह सकती हैं एवं चिरयौवन प्राप्त कर सकती हैं। हर साल सर्दियों के मौसम में इसे लाग के रूप में खाया जाता है। माना जाता है ठंड में इसका सेवन करने से शरीर स्वस्थ व निरोगी रहता है।

सामग्री- मेथीदाने- 500 ग्राम, सोंठ का बारीक पाउडर 250 ग्राम, दूध चार लीटर, घी 500 ग्राम, चीनी 1.5 किलो, सोंठ, छोटी पीपलामूल, अजवाइन, जीरा, कलौंजी, सौंफ, धनिया, तेजपत्ता, कचूर, दालचीनी, जायफल और नागरमोथा ये सब 10-10 ग्राम।

बनाने की विधि- उक्त सभी कूट पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। अब दूध को एक साफ कड़ाई में डालकर आग पर चढ़ाएं। औटाने पर जब दूध आधा रह जाए, तब इसमें मेथी का पिसा चूर्ण तथा सोंठ का पिसा हुआ चूर्ण डाल दें। हिलाते रहें और मावा बना दें। अब घी डालकर इसकी सिकाई करें। गुलाबी रंग का होने तक सेकें । अब इसमें मावा और बाकी की सब पिसी हुई दवाईयां मिलाकर चलाएं। जब कुछ गाढ़ा सा हो जाए, तब नीचे उतार लें तथा या तो जमाकर बर्फी जैसी चक्की काट लें अथवा लगभग 10-10 ग्राम वजन के लड्डू बांध दें।

सेवन कैसे करें- इस लड्डू को सुबह के समय 200 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से दूध पीएं। इससे सभी तरह के वायु विकार समाप्त होते हैं। शरीर हष्ट-पुष्ट होता है। प्रसव के बाद स्त्रियां इस पाक का सेवन करें। उनका शरीर कांतिमान हो जाता है। जिन व्यक्तियों के जोड़ों में सून दर्द, घुटनों में दर्द, थकान सी महसूस होना, पैरों के तलवों में अत्याधिक पसीना आना, बायंटे आना व गैस संबंधित सभी बीमारियों में फायदा होता है।

ये क्या बोल गए नेताजी...महिला मंत्रियों को ही बता दिया नाचनेवाली


भोपाल/झाबुआ. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष क्रांतिलाल भूरिया की जुबान ऐसी फिसली कि उन्होंने शिवराज सरकार की दो महिला मंत्रियों को नाचनेवाली कह दिया। भूरिया के इस बयान के बाद से प्रदेश की राजनीति में बवाल मचा हुआ है। भाजपा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि कांग्रेस का असली चेहरा धीरे-धीरे जनता के सामने आ रहा है।

झाबुआ जिले के भांवरा का नाम चंद्रशेखर आजाद नगर किए जाने पर भूरिया बुधवार को आयोजित एक रैली में शिरकत करने पहुंचे थे। भूरिया ने कहा कि सरकार में शामिल दो महिला मंत्री को नाचने वालीं हैं। हालांकि, उन्होंने किसी का नाम लिया। जब सभा में इन मंत्रियों का नाम पूछा गया तो उन्होंने नाम नहीं दिया।


भूरिया की जुबान से भाजपा के लिए कई ऐसे शब्द निकले जो कि आपत्तिजनक थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी भाजपाईयों के बाप है। इतना ही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष यह कहने से भी नहीं चूके कि भाजपाई तो उल्लू हैं, उन्हें रात में दिखता है और दिन में छिपे बैठे रहते हैं। भूरिया ने सभा को संबोधित करते हुए कहा मैं १६ नवंबर को आने वाला हूं, यह पता लगते ही भाजपा ने श्रेय लेने के लिए ताबड़तोड़ कार्यक्रम करवा लिया। वे कहते हैं प्रयास उन्होंने किया जबकि १९९७ में तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत द्वारा इच्छा जाहिर करने के बाद तत्कालीन दिग्विजयसिंह सरकार ने प्रस्ताव बनाकर भाजपा की केंद्र सरकार को दिया था वहां प्रस्ताव उठाकर फेंक दिया था, अब श्रेय लेने आ रहे हैं।

केंद्र की यूपीए सरकार ने भाबरा का नाम चंद्रशेखर आजाद नगर करने को गजट नोटिफिकेशन किया है। भूरिया ने कहा हमारे आदिवासी भाई भाजपा के कार्यक्रम में नहीं आए तो प्रशासन पर दबाव डालकर छात्रावास में पढ़ने वाले बच्चों को उठा लाए। उन्हें भूखे-प्यासे यहां घंटों बैठाए रखा। क्या यही भाजपा का राजनीति करने का तरीका है। भूरिया के बयानों का जवाब देते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने कहा कि भूरिया ने जो बोला है, उस पर मुझे शर्म आती है। इस पर प्रतिक्रिया देना भी मुझे उचित नहीं लगता है।

तिरंगे का अपमानः सुषमा और शिवराज सहित चार के गैर जमानती वारंट



भोपाल/सीहोर । नसरुल्लागंज की एक अदालत ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तथा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के खिलाफ राष्ट्रध्वज के अपमान के मामले में गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। इनके साथ तत्कालीन कलेक्टर संदीप यादव (वर्तमान में कलेक्टर गुना) सहित सीहोर भाजपा जिलाध्यक्ष रघुनाथसिंह भाटी के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। इन्हें 9 दिसंबर को कोर्ट में पेश करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

यह था मामला
विदिशा लोकसभा सीट से नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज जीती थीं । 31 मार्च 2010 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने विधानसभा क्षेत्र बुदनी के नसरुल्लागंज में अभिनंदन समारोह आयोजित किया था। इसमें एक बालिका को भारत माता का स्वरूप दिया गया था। उसके हाथ में राष्ट्रीय ध्वज थमाया गया था, जो उल्टा था। बालिका को इसी स्थिति में हेलीपेड से ही मुख्यमंत्री के काफिले से आगे लगभग आधा किमी पैदल चलते हुए सभा स्थल तक ले जाया गया था। यहां चौहान, स्वराज, भाजपा जिलाध्यक्ष रघुनाथ सिंह भाटी, तत्कालीन जिला कलेक्टर संदीप यादव सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत : फरियादी द्वारका जाट ने कोर्ट में परिवाद दायर किया। इसमें सुबूत के तौर पर फोटोग्राफ व कार्यक्रम की सीडी उपलब्ध कराई थी।

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