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18 नवंबर 2011

दो पहिया वाहन चालकों के साथ पुलिस और प्रेस का अत्याचार

दोस्तों कहावत है के गरीब की जोरू सबकी भाभी होती है यानि उसके साथ जो चाहे मनमानी कर ले कोई सार संभाल करने वाला नहीं होता ठीक इसी तरह से हमारे राजस्थान और खासकर कोटा शहर में दो पहिया वाहन चालकों के साथ हो रहा है .ट्रेफिक पुलिस और चार पी है के मानते ही नहीं ट्रेफिक पुलिस व्यवस्था के नाम पर केवल और केवल दो पहिया वाहन चालकों के हाथ धोकर पीछे पढ़ जाते है दुर्घटनाएं निरंतर बढती रहती है लेकिन यह चार पी है के केवल दो पहिया वाहन चालकों को ही अपना शिकार बनाना चाहते है क्योंकि दुसरे सडकों पर दुर्घटना का आतंक फेलाने वाले तो इनके .................लगते है ..जी हाँ दोस्तों आप सोच रहे होंगे के यह चार पी का क्या मामला है पहला प्रेस दूसरा प्लीडर यानि वकील तीसरा पुलिस यानि ट्रेफिक पुलिस और यातायात विभाग चोथा पोलिटिक्स यानी सरकार के निकम्मे मंत्री .यह सब राजस्थान खासकर कोटा की तार तार सडकों पर दुर्घटना नियन्त्रण के नाम पर केवल हेलमेट और दो पहिया वाहन चालकों की जांच तक ही अपना अभियान सिमित कर देते है .सारा देश और कानून के जानकर जानते है के सडक दुर्घटना के मूल कारण टूटी फूटी सदके ..सडकों का अतिक्रमण ..आवारा जानवरों का उत्पात ..ट्रक.मिनीबस..टेम्पो का अवेध संचालन , ओवर लोड वाहन ..सडकों पर द्रष्टि भ्रम के विज्ञापन , राष्ट्रिय और राजमर नियमों का उलन्न्घन ...ट्रेफिक संचालन ..वर्दी नियम किराया सूचि ..मंजिली गाड़ियों का ठहराव ..अवेध वाहन संचालन ..वगेरा वगेरा ......सभी जानते है के कोटा की टूटी फूटी घायल तार तार सडकों पर कोई सा भी वाहन बीस की स्पीड से भी चलाना मुश्किल है फिर यहाँ केवल एक ही बड़ी सडक है बाकी तो छोटी छोटी सडकें और गलियाँ पुराना शहर है जहां स्पीड कंट्रोल ही रहती है ऐसे में वहां हेलमेट का कानून अपने आप में मजाक लगता है ......मोटर वहन नियमों में वाहनों के आगे नाम पट लगाना वाहन पर नाम लिखवाना पार्टी का सिम्बल या कलर पुतवाना ..हेलोजन लाइटों का इस्तेमाल होर्न का इस्तेमाल नो एंट्री नो पार्किंग का इस्तेमाल हेलमेट ..कार सीट बेल्ट ..स्पीड ब्रेकर ..अतिक्रमण आवारा जानवर ..किराया सूचि .गति सीमा .प्रदूषण ..विज्ञापन बोर्ड ...शराब पीकर वहन चालान बीमार द्वारा वाहन चलाना मनमाना किराया या टिकिट वसूली ..परमिट शर्तों का उलन्न्घन कर वाहनों को रोडवेस समानांतर सर्विस के रूप में चलाना सड़क पर उत्पात शोर मचाना ओवर लोड वाहन लेजाना बार बार वाहन चलाना सभी तो अपराध है और इन सभी अपराधों से सडक दुर्घटनाएं होती है फिर केवल दो पहिया वाहनों के चालकों के पीछे और खासकर हेलमेट के पीछे पढना क्या अत्याचार अनाचार पक्षपात नहीं है कार चालक ..ट्रक मालिक ..जीप मालिक ..प्राइवेट बस मालिक अगर सरकार के रिश्तेदार अवेध चोट वसूली देने वाले हो गये है तो इसमें जनता का क्या दोष हो जनता को तो न्याय चाहिए लेकिन अब बताओ दो पहिया वाहन चालक इस एक तरफा अत्याचार के मामले में प्रेस..पोलिटिक्स..पुलिस..प्लीडर में से किस के पास जाएँ क्योंकि उनकी उपेक्षा और अनदेखी के कारण ही तो यह एक तरफा अत्याचार खुलेआम हो रहा है अब तो दो पहिया वाहन चालकों को खुदा से दुआ करना होगी के केसे हम लोग इन चार पी का जमीर अंतर आत्मा जगाएं जो यह इन्साफ की इस लड़ाई में जनता का साथ देने के लियें सच और सिर्फ सच छाप कर दोपहिया वाहन चालकों को शोषण और लूट परेशानी से बचाएं देखो खुदा इन चार पी को सद्बुद्धि दे ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दसवें अध्याय में गीता का संदेश ....

( अर्जुन द्वारा भगवान की स्तुति तथा विभूति और योगशक्ति को कहने के लिए प्रार्थना )
अर्जुन उवाच
परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान्‌ ।
पुरुषं शाश्वतं दिव्यमादिदेवमजं विभुम्‌ ॥
आहुस्त्वामृषयः सर्वे देवर्षिर्नारदस्तथा ।
असितो देवलो व्यासः स्वयं चैव ब्रवीषि मे ॥
भावार्थ : अर्जुन बोले- आप परम ब्रह्म, परम धाम और परम पवित्र हैं, क्योंकि आपको सब ऋषिगण सनातन, दिव्य पुरुष एवं देवों का भी आदिदेव, अजन्मा और सर्वव्यापी कहते हैं। वैसे ही देवर्षि नारद तथा असित और देवल ऋषि तथा महर्षि व्यास भी कहते हैं और आप भी मेरे प्रति कहते हैं॥12-13॥
सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव ।
न हि ते भगवन्व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवाः ॥
भावार्थ : हे केशव! जो कुछ भी मेरे प्रति आप कहते हैं, इस सबको मैं सत्य मानता हूँ। हे भगवन्‌! आपके लीलामय (गीता अध्याय 4 श्लोक 6 में इसका विस्तार देखना चाहिए) स्वरूप को न तो दानव जानते हैं और न देवता ही॥14॥
स्वयमेवात्मनात्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम ।
भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते ॥
भावार्थ : हे भूतों को उत्पन्न करने वाले! हे भूतों के ईश्वर! हे देवों के देव! हे जगत्‌ के स्वामी! हे पुरुषोत्तम! आप स्वयं ही अपने से अपने को जानते हैं॥15॥
वक्तुमर्हस्यशेषेण दिव्या ह्यात्मविभूतयः ।
याभिर्विभूतिभिर्लोकानिमांस्त्वं व्याप्य तिष्ठसि ॥
भावार्थ : इसलिए आप ही उन अपनी दिव्य विभूतियों को संपूर्णता से कहने में समर्थ हैं, जिन विभूतियों द्वारा आप इन सब लोकों को व्याप्त करके स्थित हैं॥16॥
कथं विद्यामहं योगिंस्त्वां सदा परिचिन्तयन्‌ ।
केषु केषु च भावेषु चिन्त्योऽसि भगवन्मया ॥
भावार्थ : हे योगेश्वर! मैं किस प्रकार निरंतर चिंतन करता हुआ आपको जानूँ और हे भगवन्‌! आप किन-किन भावों में मेरे द्वारा चिंतन करने योग्य हैं?॥17॥
विस्तरेणात्मनो योगं विभूतिं च जनार्दन ।
भूयः कथय तृप्तिर्हि श्रृण्वतो नास्ति मेऽमृतम्‌ ॥
भावार्थ : हे जनार्दन! अपनी योगशक्ति को और विभूति को फिर भी विस्तारपूर्वक कहिए, क्योंकि आपके अमृतमय वचनों को सुनते हुए मेरी तृप्ति नहीं होती अर्थात्‌ सुनने की उत्कंठा बनी ही रहती है॥18॥
(भगवान द्वारा अपनी विभूतियों और योगशक्ति का कथन)
श्रीभगवानुवाच
हन्त ते कथयिष्यामि दिव्या ह्यात्मविभूतयः ।
प्राधान्यतः कुरुश्रेष्ठ नास्त्यन्तो विस्तरस्य मे ॥
भावार्थ : श्री भगवान बोले- हे कुरुश्रेष्ठ! अब मैं जो मेरी दिव्य विभूतियाँ हैं, उनको तेरे लिए प्रधानता से कहूँगा; क्योंकि मेरे विस्तार का अंत नहीं है॥19॥
अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः ।
अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! मैं सब भूतों के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ तथा संपूर्ण भूतों का आदि, मध्य और अंत भी मैं ही हूँ॥20॥
आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान्‌ ।
मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी ॥
भावार्थ : मैं अदिति के बारह पुत्रों में विष्णु और ज्योतियों में किरणों वाला सूर्य हूँ तथा मैं उनचास वायुदेवताओं का तेज और नक्षत्रों का अधिपति चंद्रमा हूँ॥21॥
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः ।
इंद्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना ॥
भावार्थ : मैं वेदों में सामवेद हूँ, देवों में इंद्र हूँ, इंद्रियों में मन हूँ और भूत प्राणियों की चेतना अर्थात्‌ जीवन-शक्ति हूँ॥22॥
रुद्राणां शङ्‍करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्‌ ।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम्‌ ॥
भावार्थ : मैं एकादश रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूँ। मैं आठ वसुओं में अग्नि हूँ और शिखरवाले पर्वतों में सुमेरु पर्वत हूँ॥23॥
पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्‌ ।
सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः ॥
भावार्थ : पुरोहितों में मुखिया बृहस्पति मुझको जान। हे पार्थ! मैं सेनापतियों में स्कंद और जलाशयों में समुद्र हूँ॥24॥
महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम्‌ ।
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि स्थावराणां हिमालयः ॥
भावार्थ : मैं महर्षियों में भृगु और शब्दों में एक अक्षर अर्थात्‌‌ ओंकार हूँ। सब प्रकार के यज्ञों में जपयज्ञ और स्थिर रहने वालों में हिमालय पहाड़ हूँ॥25॥
अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः ।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः ॥
भावार्थ : मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष, देवर्षियों में नारद मुनि, गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि हूँ॥26॥
उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्धवम्‌ ।
एरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम्‌ ॥
भावार्थ : घोड़ों में अमृत के साथ उत्पन्न होने वाला उच्चैःश्रवा नामक घोड़ा, श्रेष्ठ हाथियों में ऐरावत नामक हाथी और मनुष्यों में राजा मुझको जान॥27॥
आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक्‌ ।
प्रजनश्चास्मि कन्दर्पः सर्पाणामस्मि वासुकिः ॥
भावार्थ : मैं शस्त्रों में वज्र और गौओं में कामधेनु हूँ। शास्त्रोक्त रीति से सन्तान की उत्पत्ति का हेतु कामदेव हूँ और सर्पों में सर्पराज वासुकि हूँ॥28॥
अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्‌ ।
पितॄणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम्‌ ॥
भावार्थ : मैं नागों में (नाग और सर्प ये दो प्रकार की सर्पों की ही जाति है।) शेषनाग और जलचरों का अधिपति वरुण देवता हूँ और पितरों में अर्यमा नामक पितर तथा शासन करने वालों में यमराज मैं हूँ॥29॥
प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्‌ ।
मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्‌ ॥
भावार्थ : मैं दैत्यों में प्रह्लाद और गणना करने वालों का समय (क्षण, घड़ी, दिन, पक्ष, मास आदि में जो समय है वह मैं हूँ) हूँ तथा पशुओं में मृगराज सिंह और पक्षियों में गरुड़ हूँ॥30॥
पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम्‌ ।
झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी ॥
भावार्थ : मैं पवित्र करने वालों में वायु और शस्त्रधारियों में श्रीराम हूँ तथा मछलियों में मगर हूँ और नदियों में श्री भागीरथी गंगाजी हूँ॥31॥
सर्गाणामादिरन्तश्च मध्यं चैवाहमर्जुन ।
अध्यात्मविद्या विद्यानां वादः प्रवदतामहम्‌ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! सृष्टियों का आदि और अंत तथा मध्य भी मैं ही हूँ। मैं विद्याओं में अध्यात्मविद्या अर्थात्‌ ब्रह्मविद्या और परस्पर विवाद करने वालों का तत्व-निर्णय के लिए किया जाने वाला वाद हूँ॥32॥
अक्षराणामकारोऽस्मि द्वंद्वः सामासिकस्य च ।
अहमेवाक्षयः कालो धाताहं विश्वतोमुखः ॥
भावार्थ : मैं अक्षरों में अकार हूँ और समासों में द्वंद्व नामक समास हूँ। अक्षयकाल अर्थात्‌ काल का भी महाकाल तथा सब ओर मुखवाला, विराट्स्वरूप, सबका धारण-पोषण करने वाला भी मैं ही हूँ॥33॥
मृत्युः सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च भविष्यताम्‌ ।
कीर्तिः श्रीर्वाक्च नारीणां स्मृतिर्मेधा धृतिः क्षमा ॥
भावार्थ : मैं सबका नाश करने वाला मृत्यु और उत्पन्न होने वालों का उत्पत्ति हेतु हूँ तथा स्त्रियों में कीर्ति (कीर्ति आदि ये सात देवताओं की स्त्रियाँ और स्त्रीवाचक नाम वाले गुण भी प्रसिद्ध हैं, इसलिए दोनों प्रकार से ही भगवान की विभूतियाँ हैं), श्री, वाक्‌, स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा हूँ॥34॥
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम्‌ ।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः॥
भावार्थ : तथा गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम और छंदों में गायत्री छंद हूँ तथा महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में वसंत मैं हूँ॥35॥
द्यूतं छलयतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्‌ ।
जयोऽस्मि व्यवसायोऽस्मि सत्त्वं सत्त्ववतामहम्‌ ॥
भावार्थ : मैं छल करने वालों में जूआ और प्रभावशाली पुरुषों का प्रभाव हूँ। मैं जीतने वालों का विजय हूँ, निश्चय करने वालों का निश्चय और सात्त्विक पुरुषों का सात्त्विक भाव हूँ॥36॥
वृष्णीनां वासुदेवोऽस्मि पाण्डवानां धनञ्जयः ।
मुनीनामप्यहं व्यासः कवीनामुशना कविः ॥
भावार्थ : वृष्णिवंशियों में (यादवों के अंतर्गत एक वृष्णि वंश भी था) वासुदेव अर्थात्‌ मैं स्वयं तेरा सखा, पाण्डवों में धनञ्जय अर्थात्‌ तू, मुनियों में वेदव्यास और कवियों में शुक्राचार्य कवि भी मैं ही हूँ॥37॥
दण्डो दमयतामस्मि नीतिरस्मि जिगीषताम्‌ ।
मौनं चैवास्मि गुह्यानां ज्ञानं ज्ञानवतामहम्‌ ॥
भावार्थ : मैं दमन करने वालों का दंड अर्थात्‌ दमन करने की शक्ति हूँ, जीतने की इच्छावालों की नीति हूँ, गुप्त रखने योग्य भावों का रक्षक मौन हूँ और ज्ञानवानों का तत्त्वज्ञान मैं ही हूँ॥38॥
यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन ।
न तदस्ति विना यत्स्यान्मया भूतं चराचरम्‌ ॥
भावार्थ : और हे अर्जुन! जो सब भूतों की उत्पत्ति का कारण है, वह भी मैं ही हूँ, क्योंकि ऐसा चर और अचर कोई भी भूत नहीं है, जो मुझसे रहित हो॥39॥
नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥
भावार्थ : हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥40॥
यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा ।
तत्तदेवावगच्छ त्वं मम तेजोंऽशसम्भवम्‌ ॥
भावार्थ : जो-जो भी विभूतियुक्त अर्थात्‌ ऐश्वर्ययुक्त, कांतियुक्त और शक्तियुक्त वस्तु है, उस-उस को तू मेरे तेज के अंश की ही अभिव्यक्ति जान॥41॥
अथवा बहुनैतेन किं ज्ञातेन तवार्जुन ।
विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमेकांशेन स्थितो जगत्‌ ॥
भावार्थ : अथवा हे अर्जुन! इस बहुत जानने से तेरा क्या प्रायोजन है। मैं इस संपूर्ण जगत्‌ को अपनी योगशक्ति के एक अंश मात्र से धारण करके स्थित हूँ॥42॥
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायांयोगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे विभूतियोगो नाम दशमोऽध्यायः ॥10।

कुरान का संदेश .......

चमत्कार: यहां भगवान कालभैरव सचमुच शराब पीते हैं

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उज्जैन को देवताओं की नगरी कहते हैं। यहां अनेक चमत्कारिक मंदिर हैं। ऐसा ही एक मंदिर है भगवान कालभैरव का। यहां भगवान कालभैरव की प्रतिमा को शराब का भोग लगाया जाता है और आश्चर्य की बात यह है कि देखते ही देखते वह पात्र जिसमें शराब का भोग लगाया जाता है, खाली हो जाता है। यहां रोज श्रृद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और इस चमत्कार को अपनी आंखों से देखती है।

महाकाल के कोतवाल हैं कालभैरव

भगवान काल भैरव का मंदिर मुख्य शहर से कुछ दूरी पर बना है। यह स्थान भैरवगढ़ के नाम से प्रसिद्ध है। काल भैरव का मंदिर एक ऊंचे टीले पर बना हुआ है जिसके चारों ओर परकोटा बना हुआ है। धर्म शास्त्रों के अनुसार काल भैरव भगवान शंकर को कोतवाल हैं उसी मान्यता के अनुसार उज्जैन में भी कालभैरव को शहर का रक्षक या कोतवाल माना जाता है।मंदिर में काल भैरव की मूर्ति बहुत भव्य एवं प्रभावोत्पादक है। कहा जाता है कि यह मंदिर राजा भद्रसेन द्वारा निर्मित है। मंदिर की शोभा देखते ही बनती है। मंदिर पर भैरव अष्टमी को यात्रा होती है जिसमें सवारी भी निकलती है। पुराणों में जिन अष्टभैरव का वर्णन है, उनमें ये प्रमुख हैं।

घर पर बनाएं ये आयुर्वेदिक चूर्ण वैवाहिक जीवन भर जाएगा आनंद से


आज की व्यस्ततम जीवनशैली ,तनावभरी दिनचर्या और भौतिक सुख सुविधायें जुटाने की लालसा ने खुशहाल वैवाहिक जीवन को एक सपने की तरह बना दिया है। काम ने इस पवित्र कर्म के मूल में निहित भाव एवं उद्देश्य को समाप्त कर दिया है। काम आज दाम्पत्य जीवन की औपचारिकता भर रह गया है ,इन्ही कारणों से यौन संबंधों को लेकर असंतुष्ट युगलों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। अगर आपके साथ भी यही समस्या है आपको कमजोरी व क्षीणता महसूस होती है। अपने साथी को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं तो नीचे लिखे आयुर्वेदिक नुस्खे को जरूर अपनाएं निश्चित ही फायदा होगा।

सामग्री-
सकाकुल मिश्री, सालम मिश्री, काली मूसली और शतावर सभी 40-40 ग्राम। बहमन सफेद बहमन लाल तोदरी छोटी, तोदरी बड़ी सभी 20-20ग्राम। सुरवारी के बीज, इंद्र जौ मीठे, जावित्री, जायफल, सौंठ, कुलींजन सभी 10-10 ग्राम।


निर्माण विधि-
सारी औषधियों को अलग-अलग कुट पीसकर बाद में उक्त अनुपात में मिलाकर साफ सूखी शीशी में भरकर रखें।

सेवन विधि-
पांच ग्राम की मात्रा लेकर इस चूर्ण को 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाट लें। दूध के साथ न लें। उसी से दवा खानी चाहिए। इस मदनानंद चूर्ण के सेवन से धातु क्षीणता, नामर्दी की शिकायत भी कुछ दिनों मिट जाती है। वास्तव में यह चूर्ण कामोत्तेजना जाग्रत करने का बहुत अच्छा उपाय है। अगर स्त्री प्रसंग से परहेज करके इस दवा का सेवन छ: महीने तक कर लिया जाए तो बहुत ही अच्छा है।

आसान फंडे: घंटों काम करने के बाद भी महसूस नहीं होगी थकान



भागती-दौड़ती जिंदगी में लगातार काम के बढ़ते दबाव से थकान महसूस होना एक आम समस्या है। काम की वजह से मानसिक तनाव बढ़ता जाता है। टेंशन के चलते अच्छे स्वास्थ्य के बारे में सोच भी नहीं सकते। ऐसे में दिमागी शांति और सुकुन महसूस करने का वक्त ही नहीं मिलता।आज के दौर में दिमाग को शांति मिलना लगभग असंभव सा ही है। फिर भी प्रयत्न करने पर आप कुछ हद तक मानसिक तनाव को दूर कर सकते हैं-
- कार्य को समय पर पूरा करें और योजना बनाकर कार्य करें।
- एक साथ कई कार्य करने में उलझे, एक-एक कार्य निपटाएं।
- प्रतिदिन कम से कम 6-8 घंटे की सुकुन की नींद अवश्य लें।
- खाना-पीना समय पर खाएं।
- लगातार लंबे समय पर कार्य न करें। थोड़ी-थोड़ी देर में शरीर और दिमाग को विश्राम अवश्य दें।
- दिन की शुरूआत योग, व्यायाम, ध्यान से आदि से करें।
- मानसिक तनाव की सबसे बड़ी वजह होती है पैसा। पैसे जुड़ी समस्याओं जल्द से जल्द सुलझा लें।
- अपने जीवन साथी या अविवाहित अपने प्रेमी के साथ कुछ समय प्रतिदिन अवश्य बिताएं।

अब सूर्य ने छोड़ा शनि का साथ, क्या पैसा और तकदीर होंगी आपके हाथ

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अब सूर्य ने अपनी नीच राशि बदल दी है। पिछले दो दिनों से शनि के साथ रह रहें सूर्य ने अब शनि का साथ छोड़ दिया है। कल से वृश्चिक में आया सूर्य 16 दिसंबर तक इस राशि में ही रहेगा। जानें लगभग इस एक महीने में आप पर क्या असर पड़ेगा।


मेष- आपकी राशि से अष्टम राशि में सूर्य है इसलिए धन को जोखिम में डालने से बचें। आकस्मिक दुघर्टना या शारिरीक कष्ट हो सकता है।

वृष- साझेदारी के कार्यों में कुछ बाधाओं के बाद सफलता प्राप्त होगी। गैर पारंपरिक क्षेत्र इस समय आपको लाभ दे सकते है।


मिथुन- सूर्य, वृश्चिक राशि में होने से आपको कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होगी। इस राशि के विद्यार्थियों के लिए वृश्चिक राशि का सूर्य सफलता दायक रहेगा।

कर्क- निर्णयों में जल्दबाजी होने से धन हानि के योग बनेंगे। व्यर्थ विवाद में पड़ सकते है। वाणी पर नियंत्रण रखें।

सिंह- भूमि, भवन संपत्ति से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य पूरे होने का योग है। व्यवसायिक ऋण प्राप्ति की संभावना बन रही है।

कन्या- वृश्चिक राशि के सूर्य में कन्या राशि वाले अविवाहितों का विवाह होने के योग बन रहे है। कार्यक्षेत्र में सफलता पाप्त होगी।


तुला- आपके लिए समय अच्छा रहेगा। मान सम्मान बढ़ेगा। नए व्यवसाय या कार्यक्षेत्र में बदलाव होने के योग बन रहे है।


वृश्चिक- आपकी राशि में सूर्य का प्रवेश सामान्य फल देने वाला रहेगा। व्यवसायिक क्षेत्र में उन्नति के योग बनेंगे।

धनु- वृश्चिक राशि का सूर्य कुछ नकारात्मक समय लेकर आया है। इस समय में कोई नया कार्य शुरू न करें। व्यर्थ के विवादों से बचें।

मकर- सूर्य का राशि परिवर्तन आपके लिए अच्छा रहेगा। अचानक धन लाभ के योग बन रहे है साथ ही रूका हुआ धन भी प्राप्त होगा। व्यवसाय में लाभ होगा और कार्यक्षेत्र में पदोन्नती होगी।


कुंभ- वृश्चिक राशि का सूर्य आपके महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए अनुकूल समय लेकर आया है। धन संबंधी सभी रूकावटें दूर होंगी। कार्यक्षेत्र में नई जिम्मेदारियां मिलेगी।

मीन- लंबी दूरी की यात्राओं का योग बनेगा, यात्राएं धार्मिक भी हो सकती है। खर्चा बढ़ेगा। प्रेम संबंधों में कष्ट या तनाव बनेगा।

21 दिन बाद होगा साल का आखिरी ग्रहण, क्या करें क्या न करें?


शनिवार 10 दिसंबर को चंद्र ग्रहण आने वाला है। ये ग्रहण आखिरी ग्रहण होगा। जी हां ये ग्रहण इस साल का आखिरी ग्रहण होगा। ये ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। इसका असर सभी पर होगा। यह ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र, वृषभ राशि में होगा।
भारत में चंद्रग्रहण का पूरा असर होगा इसलिए धार्मिक दृष्टि से सूतक काल में स्नान, दान, पूजा पाठ करने से दोष लगेगा। ग्रहण काल और सूतक काल का पालन करना चाहिए। ग्रहण का मोक्ष होने के बाद स्नान,दान और पूजा-पाठ करना चाहिए। हिन्दू धर्म में ग्रहण को अशुभ माना जाता है साथ ही ज्योतिष शास्त्र में भी माना गया है कि ग्रहण का सभी राशियों पर शुभ-अशुभ प्रभाव होता है।
क्या करें, क्या न करें ग्रहण में
चंद्रग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले और सूर्यग्रहण शुरू होने के 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक काल में खाना खाना, सोना और सांसारिक सुखों का त्याग कर देना चाहिए। सूतक काल में बच्चे, बूढ़े और रोगी रियायत के तौर पर आवश्यक मात्रा में शुद्ध भोजन पदार्थ ले सकते है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ हो या शत्रु राशि में है उन्हे चंद्रग्रहण नही देखना चाहिए।
इस मंत्र का जाप करें
चंद्रग्रहण के समय चंद्र देव के मंत्र श्रांश्रींश्रौं स: सोमाय नम: का जप करना चाहिए।
क्या होता है सूतक काल
दरअसल सूतक काल वह समय होता है जब से ग्रहण का असर शुरू होता है। यह वैज्ञानिक तथ्य है कि ग्रहण लगने के कुछ घंटों पूर्व ही सूर्य और चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अपना दुष्प्रभाव फैलाना शुरू कर देती हैं। इन किरणों में अल्ट्रावाइलेट की मात्रा ज्यादा होती है। जो कि हर तरह की चीजों पर अपना असर डालती है। हिंदू धर्म में इसी कारण सूर्य ग्रहण के 12 और चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले से सूतक काल का नियम बनाया है। इस समय में हर तरह का खान-पान आदी की मनाही होती है, इस काल में एक स्थान पर बैठकर कोई मंत्र जाप कर सकते हैं।

जब आपकी हथेली में खुजली चले तो अचानक मिलेगा पैसा, क्योंकि...


पैसा या धन की आवश्यकता सभी को हमेशा से ही रही है। अधिक से अधिक पैसा कमाने के लिए कई प्रकार के जतन करते हैं। कड़ी मेहनत के बाद जब भी आपको उम्मीद से अधिक धन प्राप्त होने वाला होता है तो कुछ शुभ शकुन होते हैं।

शास्त्रों के अनुसार कई प्रकार के शकुन और अपशकुन बताए गए हैं। जिनका हमारे भविष्य से गहरा संबंध होता है। किसी भी शुभ या अशुभ कार्य से पहले कुछ घटनाएं होती हैं। इन छोटी-छोटी घटनाओं को समझने के बाद हम समझ सकते हैं कि निकट भविष्य में कैसा समय आने वाला है। इसी प्रकार के शुभ शकुन में से एक है दाएं हाथ की हथेली में खुजली चलना।

यदि किसी व्यक्ति के हाथ की हथेली में खुजली चलती है तो ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति अचानक ही ज्यादा पैसा प्राप्त होने वाला है। इस प्रकार की खुजली अचानक से ही चलती है। यदि किसी व्यक्ति को बिना किसी बीमारी या एलर्जी के ऐसी खुजली चलती है तो इसे शुभ शकुन माना जाता है।

शकुन-अपशकुन को लेकर सभी लोगों के विचार अलग-अलग होते हैं। कुछ लोग इन्हें अंधविश्वास मानते हैं तो कुछ लोग इन्हें भविष्य से जोड़ कर देखते हैं।

महंगे पेट्रोल से छुटकारा दिलाएगी इलेक्ट्रिक कार

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चंडीगढ़. पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच अगर आपको 50 पैसे प्रति किलोमीटर खर्च पर गाड़ी चलाने को मिल जाए तो। शहर की एक कंपनी ग्रीन इंडिया इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल ने एक नई तकनीक इजाद कर कार से लेकर ट्रक तक सभी को इलेक्ट्रिक बैटरी से चलाने का दावा किया है। यह किट लगाकर आप 70, 90 और 120 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से गाड़ी चला सकते हैं। कंपनी का दावा है कि देशभर में यह पहला बिजली चलित कार उपकरण है, जो उन्होंने बनाया है।

कंपनी के एमडी प्रवीन गोयल के अनुसार बैटरी से गाड़ी चलाने पर आप पांच साल में तेल के लगभग 7.5 लाख रुपये बचा सकते हैं। बैटरी किट की शुरुआती कीमत करीब 1.25 लाख रुपये है। आगे गाड़ी का साइज व मॉडल के अनुसार बैटरी की कीमत भी बढ़ती जाती है। एक ट्रक में करीब 4.5 लाख रुपये की बैटरी लगेगी।

चार घंटे की चार्जिग में 400 किलोमीटर: गोयल ने बताया कि वे यूनाइटेड स्टेट से बैटरी इंपोर्ट कर रहे हैं। बैटरी को 4 घंटे चार्ज करते हैं जिससे आप 400 किलोमीटर गाड़ी चला सकते हैं।

मारुति 800 कार में सवा लाख की बैटरी: मारुति 800 कार में 1.25 लाख रुपये, मारुति जेन में 1.60 लाख रुपये व होंडा सिटी में 2.60 लाख की किट लगाकर पांच साल में 6 से 8 लाख के बीच रुपये बचा सकते हैं।

250 रुपये में आरसी चेंजः गोयल कहते हकि आप रजिस्ट्रार लाइसेंसिंग अथॉरिटी में 250 रुपये फीस जमा करवाकर गाड़ी को पेट्रोल से इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करवा सकते हैं। पंजाब-हरियाणा में करीब 60 डिस्ट्रीब्यूटर उनका उत्पाद बेचने के लिए तैयार हो गए हैं। बैंकों ने भी रुचि दिखाई है। किट को फाइनेंस भी करवा सकते हैं।

24 घंटे में 33 कमरों वाला स्कूल खड़ा कर रच दिया इतिहास!

तारानगर (चूरू).डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों का तारानगर कस्बे में 24 घंटे में 33 कमरों वाला सतनाम गर्ल्स स्कूल के भवन के निर्माण लक्ष्य लगभग पूरा कर लिया गया है।

इस कार्य को अंजाम देने के लिए राजस्थान के अलावा, हरियाणा, पंजाब व अन्य प्रांतों के सेवादार शुक्रवार को जुटे रहे। हालांकि स्कूल की चारदीवारी व अन्य कार्य को एक सप्ताह में पूरा करने की योजना है।

गुरुवार शाम चार-पांच बजे शुरू किया गया निर्माण कार्य दूसरे दिन शुक्रवार को शाम सात बजे तक लगभग पूरा हुआ। इसमें 33 कमरों को पूर्ण रूप से खड़ा कर दिया गया, वहीं 22 कमरों की छतें भी डाल दी गई।

बचे कुछ काम को सेवादार शुक्रवार रात तक अंतिम रूप देने में जुटे रहे। सेवादारों ने अपनी मजबूत इच्छा शक्ति से सेवा कर 46,782 वर्ग फीट में 24 घंटे काम कर एक इतिहास रच दिया। सेवादारों के इस अनूठे कार्य को देखने के लिए दिनभर क्षेत्रवासियों का हुजूम उमड़ा रहा।

दूसरे दिन हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश व राजस्थान सहित अन्य प्रांतों से भी सेवादार पहुंचे। शुक्रवार को सेवादारों की संख्या करीब एक लाख तक आंकी गई।

यहां होता है 'चमत्कार', नहीं रहता कोई बेरोजगार, कुंवारा और निसंतान!


आगरा।यूपी के आगरा के पास बसे फतेहपुर सिकरी एक ऐतिहासिक शहर है। यहां के किले और दरगाह विश्व प्रसिद्ध हैं। इसका निर्माण महान मुगल शासक अकबर द्वारा संत शेख सलीम चिश्‍ती के सम्‍मान में कराया था। यहां स्थित मजार के बारे में कहा जाता है कि, बेरोजगारों, कुंवारों और निसंतान लोगों की दुआएं पूरी होती हैं। जिन लोगों के पास नौकरी नहीं है, जिनकी शादी नहीं हो रही है और जिन शादी-शुदा लोगों के बच्चे नहीं हो रहे हैं, वो लोग सिकरी में स्थित दरगाह पर सजदा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन लोगों की मुरादें पूरी हो जाती हैं। इस बारे में एक दंत कथा है। अकबर को काफी दिनों तक कोई संतान पैदा नहीं हुई। संतान प्राप्ति के सभी उपाय असफल होने पर उसने सूफी संत शेख सलीम चिश्‍ती से प्रार्थना की। इसके बाद पुत्र जन्‍म से खुश और उत्‍साहित अकबर ने यहां अपनी राजधानी बनाने का निश्‍चय किया। लेकिन यहां पानी की बहुत कमी थी। इसलिए केवल 15 साल बाद ही राजधानी को पुन: आगरा ले जाना पड़ा। वास्तुकला का अद्भुत नमूनाफतेहपुर सीकरी हिंदू और मुस्लिम वास्‍तुशिल्‍प के मिश्रण का सबसे अच्‍छा उदाहरण है। फतेहपुर सीकरी मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह मक्‍का की मस्जिद की नकल है। इसके डिजाइन हिंदू और पारसी वास्‍तुशिल्‍प से लिए गए हैं। मस्जिद का प्रवेश द्वार 54 मीटर ऊंचा बुलंद दरवाजा है। इसका निर्माण 1570 ई० में किया गया था। मस्जिद के उत्तर में शेख सलीम चिश्‍ती की दरगाह है। यहां सजदा करते हैं बड़े फिल्म स्टार और राजनीतिक हस्तियांफतेहपुर सिकरी में वास्तुकला का अद्भुत नमूना देखने और दरगाह पर सर सजदा करने के लिए बड़े-बड़े फिल्म स्टार और विश्व की जानी मानी हस्तियां पहंचती हैं। पिछले साल फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और उनकी पत्नी कार्ला ब्रूनी सारकोजी सूफी संत शेख सलीम चिश्ती की मजार पर पहुंचे थे। वहीं कैटरीना, सलमान और अक्षय जैसी फिल्मी हस्तियां भी यहां जा चुकी हैं।

मै अभी जिंदा हूं, ये है मेरा प्रमाण पत्र, अब तो दे दो मेरा पेंशन

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कोटा शासकीय सेवा से रिटायर लोगों को पेंशन समय पर मिले इसके लिए पिछले कुछ सालों से लाख परेशानियों के बाद भी हर साल नवंबर माह में जिंदा रहने का सर्टिफिकेट देना पड़ रहा है। जिसके लिए उन्हें बैंक में आने के साथ घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ रहा है।

सबसे अधिक मुसीबत उन पेंशनरों की है जो सही ढंग से चलने फिरने लायक नहीं हैं और ग्रामीण इलाके से शहर आना पड़ता है। पेंशनरों के लिए शासन स्तर पर राष्ट्रीयकृत बैंकों में यह सुविधा उपलब्ध करवाई गई है जो नाकाफी है। इसके अलावा फार्म में दिए गए सभी शर्तो जिसमें पुनर्विवाह नहीं किया है के साथ ही वे किसी शासकीय सेवा में कार्य नहीं कर रहे हैं और कई सारी जानकारी देनी पड़ती है जो उनके लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।
लोगों के मुताबिक यदि किसी पेंशनर ने इस माह में फार्म जमा नहीं किया तो उसकी पेंशन आगामी माह में नहीं मिलेगी। इसके कारण न चाहते हुए भी लोगों को दूसरों की सहायता लेना और बैंकों में जाना मजबूरी बना हुआ है।

फिक्‍स था 1996 सेमीफाइनल? क्‍यूरेटर ने भी उठाए सवाल, कैसे टर्न करने लगी पिच?|

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नई दिल्‍ली. क्रिकेट विश्वकप 1996 के सेमीफाइनल में श्रीलंका के हाथों भारतीय टीम की नाटकीय ढंग से हार का मामला तूल पकड़ने लगा है। उस वक्‍त ईडन गार्डन पर हुए इस मैच के पिच क्‍यूरेटर ने ताजा खुलासा किया है। क्‍यूरेटर कल्‍याण मित्रा ने कहा है कि अगर वह कप्‍तान होते तो पहले बल्‍लेबाजी चुनते लेकिन इस बारे में कोई भी फैसला कप्‍तान का होता है। तत्‍कालीन पिच क्‍यूरेटर कल्‍याण मित्रा ने कहा, ‘मेरे विचार से टॉस जीतकर पहले बल्‍लेबाजी करनी चाहिए थी हालांकि मैंने अजहर को कुछ नहीं बताया था। लेकिन एक बात समझ नहीं आ रही कि सचिन के आउट होने के बाद पिच क्‍यों टर्न लेने लगी?’

तत्‍कालीन भारतीय टीम के कप्तान और मुरादाबाद से कांग्रेस के सांसद मोहम्मद अजहरूद्दीन शुक्रवार को पूर्व क्रिकेटर विनोद कांबली पर बरस पड़े। अजहर ने कांबली के उस बयान पर सख्त ऐतराज जताया जिसमें कांबली ने कहा था कि उन्हें शक है कि 1996 विश्वकप सेमीफाइनल का मैच फिक्स था।

अजहर ने कहा कि कांबली ने उस समय की टीम के सदस्‍यों की बेइज्‍जती की है। पूर्व कप्‍तान ने कहा कि उन्‍हें पहले गेंदबाजी करने के अपने फैसले पर अफसोस नहीं है। कांबली ने अजहर के इसी फैसले पर सवाल उठाए हैं।

अजहर ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘हमने गेंदबाजी का फैसला किया। इस बारे में चर्चा हुई थी और यह पूरी टीम का फैसला था। विनोद जो कह रहे हैं वो बिल्‍कुल बकवास है। वह जरूर टीम की मीटिंग के वक्‍त सो रहे होंगे।’

अजहर ने कहा, ‘हम पहले गेंदबाजी करना और श्रीलंका के लक्ष्‍य का पीछा करना चाहते थे। हम इस मैच में कुछ अलग करना चाहते थे। यह बेहद दुखद है कि लोग मेरे उस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। कांबली झूठ बोल रहे हैं और इससे उनकी क्‍लास का पता चलता है। कांबली ने कई मौकों पर कहा कि मैं सर्वश्रेष्‍ठ कप्‍तान था। मैच फिक्सिंग का मामला हाईकोर्ट गया था। जब मेरा नाम इस मामले से हटा तो सभी को सच्‍चाई का पता चल जाएगा। मुझ पर इन आरोपों का असर नहीं हो रहा है।’
कांबली ने कहा कि 1996 वर्ल्‍ड कप सेमीफाइनल के मैच के बाद उनका कॅरियर खत्‍म हो गया। हालांकि अजहर ने उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांबली उस मैच के बाद भी क्रिकेट खेले थे। कांबली खुद मूर्ख बन रहे हैं।

अजहर बोले, 'कांबली का बयान तीसरे दर्जे का है। कांबली को अपने मुंह पर टेप लगा लेना चाहिए। मुझे इस पर सफाई नहीं देनी है। अब बोलने का क्या मतलब है। मेरी कप्तानी में कैसे खेलते थे कांबली, उन्हें पता है।' अजहर यहीं नहीं रुके। उन्होंने कांबली के खेल और उनकी प्रतिभा पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि एक-दो टेस्ट मैच खेलने वाले भी आजकल टीवी पर एक्सपर्ट बनकर कमेंट दे रहे हैं।

अजहर के बयान पर विनोद कांबली ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि पूर्व कप्तान मेरा चरित्र हनन कर रहे हैं। विनोद का कहना है कि वह अजहर पर मुकदमा करेंगे। कांबली ने कहा, 'जहां तक बात मेरे क्रिकेट करियर की है तो उन्होंने रनों के अंबार लगाए हैं। मैंने दो दोहरे शतक लगाए हैं। उनके आंकड़े दुनिया के सामने हैं।' इस मामले पर तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने कहा कि विनोद ने यह मुद्दा उस समय क्यों नहीं उठाया। उन्होंने पूछा कि वह 15 साल बाद क्यों बोल रहे हैं?

1996 का विश्‍व कप सेमीफाइनल खेलने वाले पूर्व क्रिकेटर वेंकटपति राजू ने भी कांबली के आरोपों को सिरे से नकार दिया है, जबकि नवजोत सिंह सिद्धू, नयन मोंगिया और मनोज प्रभाकर ने इस बारे में बात करने से इंकार कर दिया है।


तत्‍कालीन कप्‍तान अजहर के फैसले का समर्थन करते हुए वेंकटपति राजू ने कहा है कि यह टीम मीटिंग में पहले ही तय हो गया था कि भारत पहले फील्डिंग ही करेगा। श्रीलंका स्कोर का पीछा ज्यादा आसानी से कर सकता था इसलिए टीम ने तय किया था कि यदि टॉस जीते तो पहले फील्डिंग करें। राजू ने कहा है कि मैच से पहले टीम मीटिंग हुई थी और सिद्धू ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी की बात की थी, लेकिन उससे पहले दिल्ली में खेले गए मैच में जयसूर्या और कालूवितर्ना ने जबरदस्त फॉर्म का प्रदर्शन किया। श्रीलंका की योजना पहले 15 ओवर में 120 रन स्कोर करने की थी। भारत की ओर से पहले फील्डिंग करने का फैसला पूरी टीम का था, सिर्फ कप्तान ने यह फैसला नहीं लिया था। हमने शुरुआती ओवरों में ही श्रीलंका के दो विकेट गिरा दिए थे लेकिन अरविंद डिसिल्वा और रणतुंगा ने जबरदस्त गेम खेला।


कांबली के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए तत्कालीन टीम मैनेजर अजित वाडेकर ने कहा कि मैच से पिछली रात में हुई टीम मीटिंग में फैसला लिया गया था कि भारत पहले फील्डिंग करेगा। वाडेकर ने कहा है कि श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को भी हराया था और वे सच में चैंपियन थे। अजित वाडेकर ने कहा कि उन्हें इस मैच पर कोई शक नहीं है। हालांकि पूर्व क्रिकेटर सिद्धू, मोंगिया और प्रभाकर ने इस बारे में बात करने से इंकार कर दिया है।
टीम इंडिया के पूर्व ओपनर चेतन चौहान का मानना है कि बीसीसीआई को इस मामले को गंभीरता लेना चाहिए। चौहान के मुताबिक चूंकि कांबली उस वक्‍त टीम के सदस्‍य थे इसलिए उनके दावों की जांच की जानी चाहिए और दोषियों को सजा दी जानी चाहिए।

श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर और तत्‍कालीन वर्ल्‍ड कप के मैन ऑफ द सीरीज रहे सनत जयसूर्या ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, 'कांबली के बयान से निराश हूं। 1996 वर्ल्‍डकप का सेमीफाइनल मुकाबला बिल्‍कुल साफ-सुथरा था।'

दिल्‍ली पुलिस का क्‍या है कहना?

यह पूछे जाने पर कि क्‍या दिल्‍ली पुलिस ने अदालत की कार्यवाही और पाकिस्‍तान के क्रिकेटरों के कबूलनामें के आलोक में इस मामले की जांच फिर से शुरू करने की तैयारी है, स्‍पेशल ब्रांच में डिप्‍टी कमिश्‍नर अशोक चांद ने कहा कि इंग्‍लैंड में दर्ज मैच फिक्सिंग के मामले का दिल्‍ली पुलिस की ओर से दर्ज मामले से कोई लेना-देना नहीं है। चांद ने कहा, ‘हम जांच के दौरान इकट्ठा किए गए आवाज के नमूनों की फॉरेंसिक रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं। इस मामले की जांच फिर से करने का कोई मतलब नहीं है क्‍योंकि हमने अपने सिरे से जांच कर ली और सीबीआई ने अपने तरीके से जांच की है।’
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