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भोपाल.मामला कोर्ट में था और वो चाहती थी कि उसका पायलट पति जेल चला जाए। जमानत पर सुनवाई के लिए केस डायरी नहीं थी, लिहाजा जज ने महिला की पूरी बात तफसील से सुनी।
जज को लगा कि यदि पति-पत्नी आपस में बात करें तो मामला सुलझ सकता है। बस, फिर क्या था, जज ने दोनों को साथ डिनर करने की सलाह दी। सलाह काम गई और एक कैंडल लाइट डिनर ने दोनों के सारे गिले-शिकवे दूर कर दिए। अब वे पुरानी बातों को भूलकर फिर नए सिरे से जिंदगी शुरू करना चाहते हैं।
मामले के अनुसार कोहेफिजा निवासी आयशा खान की शादी दिल्ली निवासी यासिर से हुई थी। यासिर पायलट हैं और भारतीय वायु सेना का फाइटर प्लेन जगुआर उड़ाते है। यासिर असम के डिब्रूगढ़ में पदस्थ हैं।
आयशा का आरोप था कि शादी के बाद से ही दहेज की मांग को लेकर उसे परेशान किया जाता रहा। इसके बाद उसने कोहेफिजा पुलिस में मामला दर्ज कराया।
इस मामले में अग्रिम जमानत की अर्जी नामंजूर होने के बाद यासिर ने नियमित जमानत के लिए मजिस्ट्रेट गंगाचरण दुबे की कोर्ट में अर्जी लगाई थी। आयशा अपने वकील के साथ जमानत पर आपत्ति दर्ज कराने कोर्ट पहुंचीं और कोर्ट में आपबीती सुनाते हुए यासिर को जेल भेजने की मांग की।
केस डायरी के अभाव में जमानत अर्जी पर सुनवाई तो नहीं हो सकी, लेकिन मजिस्ट्रेट ने दोनों को समझाइश दी। उन्होंने मतभेद का दूर करने के लिए दोनों ने डिनर पर जाने की सलाह दी। मजिस्ट्रेट ने पूछा कि दोनों को खाने में क्या पसंद है। इस पर दोनों ने एक साथ कहा, चिकन बिरयानी।
उन्होंने अदालत को बताया कि जब वे पहली बार मिले थे तो भोपाल के वीआईपी रोड स्थित सितारा होटल में बिरयानी खाई थी। इसके बाद दोनों शाम को अपने पसंदीदा होटल में कैंडल लाइट डिनर के लिए पहुंचे। वहां दोनों के बीच दो घंटे तक लंबी बातचीत चली।
इस बीच उनके सारे गिले-शिकवे दूर हो गए। अगले दिन उन्होंने यह बात अदालत को बताई। शनिवार को लोक अदालत में उपस्थित हुई आयशा ने कहा कि उसे अब यासिर से कोई शिकायत नहीं है और वह अब उसके साथ असम जाने के लिए तैयार है।