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19 नवंबर 2011

यह है गीता का ज्ञान ......

( विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना )
अर्जुन उवाच
मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम्‌ ।
यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥
भावार्थ : अर्जुन बोले- मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आपने जो परम गोपनीय अध्यात्म विषयक वचन अर्थात उपदेश कहा, उससे मेरा यह अज्ञान नष्ट हो गया है॥1॥
भवाप्ययौ हि भूतानां श्रुतौ विस्तरशो मया ।
त्वतः कमलपत्राक्ष माहात्म्यमपि चाव्ययम्‌ ॥
भावार्थ : क्योंकि हे कमलनेत्र! मैंने आपसे भूतों की उत्पत्ति और प्रलय विस्तारपूर्वक सुने हैं तथा आपकी अविनाशी महिमा भी सुनी है॥2॥
एवमेतद्यथात्थ त्वमात्मानं परमेश्वर ।
द्रष्टुमिच्छामि ते रूपमैश्वरं पुरुषोत्तम ॥
भावार्थ : हे परमेश्वर! आप अपने को जैसा कहते हैं, यह ठीक ऐसा ही है, परन्तु हे पुरुषोत्तम! आपके ज्ञान, ऐश्वर्य, शक्ति, बल, वीर्य और तेज से युक्त ऐश्वर्य-रूप को मैं प्रत्यक्ष देखना चाहता हूँ॥3॥
मन्यसे यदि तच्छक्यं मया द्रष्टुमिति प्रभो ।
योगेश्वर ततो मे त्वं दर्शयात्मानमव्ययम्‌ ॥
भावार्थ : हे प्रभो! (उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय तथा अन्तर्यामी रूप से शासन करने वाला होने से भगवान का नाम 'प्रभु' है) यदि मेरे द्वारा आपका वह रूप देखा जाना शक्य है- ऐसा आप मानते हैं, तो हे योगेश्वर! उस अविनाशी स्वरूप का मुझे दर्शन कराइए॥4॥
भगवान द्वारा अपने विश्व रूप का वर्णन )
श्रीभगवानुवाच
पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रशः ।
नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च ॥
भावार्थ : श्री भगवान बोले- हे पार्थ! अब तू मेरे सैकड़ों-हजारों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा नाना आकृतिवाले अलौकिक रूपों को देख॥5॥
पश्यादित्यान्वसून्रुद्रानश्विनौ मरुतस्तथा ।
बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याश्चर्याणि भारत ॥
भावार्थ : हे भरतवंशी अर्जुन! तू मुझमें आदित्यों को अर्थात अदिति के द्वादश पुत्रों को, आठ वसुओं को, एकादश रुद्रों को, दोनों अश्विनीकुमारों को और उनचास मरुद्गणों को देख तथा और भी बहुत से पहले न देखे हुए आश्चर्यमय रूपों को देख॥6॥
इहैकस्थं जगत्कृत्स्नं पश्याद्य सचराचरम्‌ ।
मम देहे गुडाकेश यच्चान्यद्द्रष्टमिच्छसि ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! अब इस मेरे शरीर में एक जगह स्थित चराचर सहित सम्पूर्ण जगत को देख तथा और भी जो कुछ देखना चाहता हो सो देख॥7॥ (गुडाकेश- निद्रा को जीतने वाला होने से अर्जुन का नाम 'गुडाकेश' हुआ था)
न तु मां शक्यसे द्रष्टमनेनैव स्वचक्षुषा ।
दिव्यं ददामि ते चक्षुः पश्य मे योगमैश्वरम्‌ ॥
भावार्थ : परन्तु मुझको तू इन अपने प्राकृत नेत्रों द्वारा देखने में निःसंदेह समर्थ नहीं है, इसी से मैं तुझे दिव्य अर्थात अलौकिक चक्षु देता हूँ, इससे तू मेरी ईश्वरीय योग शक्ति को देख॥8॥

कुरान का संदेश ......







पुलिस ज्यादा प्रताड़ित करती है महिलाओं को

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कोटा में आज महिलाएं अगर थाने में रिपोर्ट लिखाने जाएँ तो हीं लिखी जाती है अगर अदालत से मुकदमा दर्ज करने के आदेश भेजें तो अदालतों के आदेश के बाद भी पुलिस हफ्तों चक्कर काटने के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं करती है और महिलाओं को प्रताड़ित भी करती है लेकिन हालात यह है के आज भी महिला राष्ट्रीय और राज्य आयोग द्वारा इस मामले में कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किये है और ना ही पुलिस कर्मियों को लताड़ पिलाई है ...............
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ बनाए गए कानून को सख्ती से लागू करने की जरूरत बताते हुए कहा कि महिलाओं को पुलिस से सर्वाधिक प्रताड़ित होना पड़ता है।

पुलिस थानों में महिलाओं की सुनवाई नहीं होती। उन्हें चक्कर लगवाए जाते हैं। केस दर्ज होने में ही दो से तीन माह लग जाते हैं।

वे शनिवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से शुरू किए गए ‘महिला अधिकार अभियान’ के तहत आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी।

बसंत विहार स्थित अकलंक विद्यालय के ऑडिटोरियम में हाड़ौती उत्सव आयोजन समिति की ओर से रखी गई संगोष्ठी में ममता शर्मा ने अभियान की शुरुआत की। अभियान 23 नवंबर तक चलेगा और इसमें महिला जागरूकता को लेकर कई कार्यक्रम होंगे।

अभियान देश के चार राज्यों राजस्थान, पंजाब, उत्तरांचल और केरल में चलाया जाएगा। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में महिलाएं और प्रबुद्धजन मौजूद थे।

शर्मा ने कहा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर इस अभियान की शुरुआत की गई है। वे कोटा की बेटी हैं और बूंदी उनका ससुराल है, इसलिए उन्होंने अभियान की शुरुआत इन दोनों जगह से की है।

उन्होंने कहा कि महिला आयोग के गठन के 19 साल के इतिहास में पहली बार इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए कानून तो बहुत बने।

महिला सशक्तिकरण की बहुत बात की जाती है, लेकिन बुनियादी रूप से यह काम नहीं हो पाता। इसके लिए महिलाओं को जागरूक होना पड़ेगा। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे हाड़ौती उत्सव समिति अध्यक्ष पूर्व शिक्षा मंत्री हरिकुमार औदिच्य, महामंत्री पंकज मेहता, महापौर डॉ. रत्ना जैन, आरके उपाध्याय, कल्पना शर्मा, शुचिता जैन, प्रीति जैन एवं राजेंद्र कुमार जैन ने भी विचार व्यक्त किए।

संचालन डॉ. एलके दाधीच ने किया। उद्धवदास मरचुनिया ने रचनात्मक सुझाव दिए।

‘पति ने निकाला, पुलिस सुनती नहीं’

संगोष्ठी में अपने ससुराल वालों से पीड़ित महिलाओं ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा को अपनी व्यथा-कथा सुनाते हुए कहा कि थाना-कचहरी के चक्कर लगाते-लगाते भी न्याय नहीं मिल पाता। कुछ महिलाओं का कहना था कि ससुराल वालों की ऊंची पहुंच होने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती। इन महिलाओं ने श्रीमती शर्मा को अर्जियां भी दी।

कोटा की आकाशवाणी कॉलोनी में रहने वाली बेनजीर खान का कहना था कि उनकी शादी अकरम बेग एडवोकेट से 1994 में हुई थी। वह जयपुर में वकालत करता है। उसे 30 जून को मारपीट कर घर से निकाल दिया।

बेटा 7वीं क्लास में पढ़ता है। वह आर्मी स्कूल में जॉब कर आजीविका चला रही है। पति के भाई की राजनीतिक पहुंच होने से कानूनी कार्रवाई नहीं होने देता।

केशवपुरा निवासी अरुणा वर्मा का कहना था कि उसका विवाह 12 दिसंबर 2006 को अजमेर निवासी पंकज गौड़ से हुआ था। पति सरकारी कॉलेज में लेक्चरर है तथा उसके पिता रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं।

तीन साल पूर्व उसे घर से निकाल दिया। वे लोग दहेज में कार नहीं देने पर नाराज थे। पति के पास लौटने के लिए उसने तीन साल इंतजार किया। इसके बाद कैथूनीपोल स्थित महिला पुलिस थाने में केस दर्ज कराया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। दहेज का पूरा सामान भी पुलिस ने बरामद नहीं किया।

हनुमानजी से सीखिए, कम समय और मेहनत में कैसे पाएं ज्यादा परिणाम




आज का दौर कम समय में अधिक काम करने का है, बिना ज्यादा थके अधिकतम परिणाम पाने की प्रतिस्पर्धा है। टाइम मैनेजमेंट आज के दौर की सबसे बड़ी मांग है। किसी भी कर्मचारी से कंपनी तभी खुश है जब वह कम प्रयासों और न्यूनतम समय में अधिकतम परिणाम देता है।

सुंदरकाण्ड में प्रसंग आता है हनुमानजी जैसे ही लंका के लिए चले सबसे पहले उड़ते हुए आंजनेय के सामने सुरसा नामक राक्षसी सामने आती है। इन्हें खाने के लिए उस राक्षसी ने अपना मुंह बड़ा करके खोला तो इन्होंने भी अपने रूप को बड़ा कर लिया। फिर छोटे बनकर उसके मुंह में प्रवेश किया और बाहर निकल गए।

सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा। अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा।

जैसे-जैसे सुरसा मुख का विस्तार बढ़ाती थी हनुमानजी इसका दुगुना रूप दिखलाते थे। उसने सो योजन (सौ कोस का) मुख किया। तब हनुमान ने बहुत ही छोटा रूप धारण कर लिया।

इस आचरण से उन्होंने बताया कि जीवन में किसी से बड़ा बनकर नहीं जीता जा सकता। लघुरूप होने का अर्थ है नम्रता! जो सदैव विजय दिलाएगी। इस प्रसंग में जीवन-प्रबंधन का एक और महत्वपूर्ण संकते है। हनुमानजी चाहते तो सुरसा से युद्ध कर सकते थे, लेकिन उन्होंने विचार किया मेरा लक्ष्य इससे युद्ध करना नहीं है, इसमें समय और ऊर्जा दोनों नष्ट होंगे, लक्ष्य है सीता शोध।

इसे कहते हैं सहजबुद्धि (कॉमनसेंस)। समय और ऊर्जा बचाने का एक माध्यम शब्द भी हैं इसलिए जीवन में मौन भी साधा जाए। हनुमानजी सुरसा के सामने मौन हो गए थे। एक संत हैं रविशंकर महाराज रावतपुरा सरकार, वे कम बोलने के लिए जाने जाते हैं। पूरी तरह मौनी भी नहीं हैं पर छानकर बोलने की कला भी जानते हैं। कम शब्द की वाणी भीतरी सद्भाव से पूरे व्यक्तित्व को सुगंधित कर देती है और इसीलिए जाते-जाते सुरसा हनुमानजी को आशीर्वाद दे गई

सिर्फ एक रोटी से चमक जाएगी आपकी किस्मत




कुछ लोग होते हैं जो हमेशा अपनी हर बात के लिए किस्मत को दोष देते हैं। कुछ भी हो इन्हें सिर्फ अपनी किस्मत पर ही रोना आता है। अगर आप भी यही समझते हैं कि आपकी किस्मत आपका साथ नहीं दे रही है तो प्रतिदिन यह उपाय करें। इस उपाय को करने से कुछ ही दिनों में निश्चित ही आपकी किस्मत चमक उठेगी।

उपाय

जब भी भोजन बनें, पहली रोटी को अलग निकालकर रख लें। इसके चार बराबर भाग कर लें। चारों भागों पर कुछ न कुछ मीठा जैसे- खीर, गुड़ या शक्कर आदि रख दें। इसका पहला भाग गाय को, दूसरा काले कुत्ते को, तीसरा कौए को और चौथा चौराहे पर रख दें। कुछ ही दिनों में आपको परिवर्तन दिखने लगेगा।

कोटा बैराज की कहानी उसी की जुबानी!

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मैं बैराज हूं। हां, वही जो चंबल के तेज प्रवाह को आपके विकास के खातिर रोके हुए है। मैं आज 51 साल का हो रहा हूं। मेरे जन्मदाता इंजीनियरों ने मुझे शतायु का आशीर्वाद दिया था। उम्मीद है इसी भरोसे मैं कम से कम 100 साल तो जीऊंगा ही..बशर्ते कोई बड़ा संकट नहीं आया तो।

मेरा जन्म जिस उद्देश्य से हुआ, मैं उसे पूरी शिद्दत के साथ पूरा कर रहा हूं। मेरे कदम अब बुढ़ापे की तरफ बढ़ने लगे हैं, बावजूद मैं कुछ नहीं भूला। भूल तो आप गए, और आपसे ज्यादा मुझे बनाने वाले, मेरे ही विभाग के कर्ता-धर्ता।

मेरा कलेजा बहुत बड़ा है, छोटे-मोटे जख्मों की तो मैं परवाह ही नहीं करता लेकिन इस अनदेखी के चलते कुछ बड़े घाव भी लग चुके हैं जो भविष्य में मेरे लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। फिर उम्र का तकाजा भी है। कई साल हो गए मेरे विभाग के लोगों ने मेरी सुध ही नहीं ली।

आज भी हाड़ौती में 2 लाख 29 हजार हैक्टेयर और मध्यप्रदेश में भी इतनी ही भूमि में प्राण फूंककर खेतों में लहलहाती फसलों का जनक हूं मैं। चंबल की दाईं व बांई मुख्य नहर में अथाह जलराशि पर जो लहरें मचलती हैं, वे मेरे खजाने से ही निकलकर आपका मन आल्हादित करती हैं। आपको अन्न धान मिलता है उनसे और हाड़ौती के बाजारों में सजता है लक्ष्मी का दरबार।

..लेकिन मेरी देह को एक तरफ चूहे जर्जर कर रहे हैं तो कबूतरों को दाना डालने वाले लोगों के पुण्य का भी मुझे ही चुकारा करना है। मैं नहीं चाहता कि वे मुझसे अलग हों। उनका इज्जत के साथ पुनर्वास हो तो मुझे मंजूर है।

मुझे गांव-देहात से आ रही उन खबरों से भी पीड़ा होती है कि वहां पानी नहीं पहुंच रहा। मेरी नहरों को मरम्मत की दरकार है। सरकार को अब इस बारे में गंभीरता से सोचना पड़ेगा।

मैं आपका ध्यान एक और बात पर आकर्षित करना चाहूंगा। मछली मारने वाले विस्फोट करके मेरे दिल के जख्मों को और गहरा कर रहे हैं तो सुरक्षा के बिना मैं भय से कांपता रहता हूं। उन्हें भी हटाना होगा। सोचो इस हालत में मुझे कभी कुछ हो गया तो क्या होगा। बहुत देर होने से पहले कोई मेरी सुध ले लें।

बैराज का बॉयोडेटा

>20 नवंबर,1960 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया उद्घाटन

>19 गेट, 40 गुणा 42 फीट चौड़ा, 122.50 फुट ऊंचा,1810 फुट लंबा

>7.50 लाख क्यूसेक डिस्चार्ज क्षमता

>4 करोड़ 24 लाख थी लागत

>854 फीट भराव क्षमता

आधी मिट्टी, आधा कांक्रीट से बना

स्वदेशी तकनीक से तैयार किया कोटा बैराज का आधा हिस्सा मिट्टी से एवं शेष आधा भाग कांक्रीट से बना है। 14 अगस्त,1986 को कोटा में बाढ़ आने पर इससे सर्वाधिक 19 गेट से 6 लाख 68 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था।

ढाई साल में बना डायवर्जन डेम

चंबल पर सबसे पहले गांधीसागर डेम बना (एमपी), फिर राणाप्रताप सागर डेम (रावतभाटा, चित्तौड़)। जवाहर सागर (बूंदी जिला) अंत में कोटा बैराज। सहायक अधीक्षण अभियंता कोटा बैराज ने बताया कि गांधीसागर व कोटा बैराज दोनों नवंबर 1960 में तैयार हुए थे।

अब ये मुसीबन बन चुके हैं

> इससे गुजरने वाले भारी ट्रैफिक ।

> अतिक्रमण कर रहे असामाजिक तत्व

> कबूतरों को दाना डालने से चूहे पनप गए और इसे खोखला कर रहे हैं।

> संवेदनशील होने के बावजूद इसकी सुरक्षा पर किसी का ध्यान नहीं

लाइफ लाइन है दो राज्यों की

> सिंचाई-नहरों में छोड़ने वाले पानी से राज.,एमपी में सिंचाई होती है।

> पेयजल-शहर के आवासीय क्षेत्रों में 24 घंटे जलापूर्ति होती है

बिजली उत्पादन

कोटा थर्मल और एनटीपीसी, अंता को बिजली उत्पादन के लिए पानी के साथ उद्योगों को करीब 18 हजार क्यूसेक पानी हर साल देता है।

मुख्यमंत्री की आगवानी पर गृह राज्यमंत्री को पीना पड़ा अपमान का घूंट

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ग्वालियर.प्रदेश के गृह राज्यमंत्री नारायण सिंह कुशवाह को अपने ही गृहनगर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगवानी के लिए एयरपोर्ट के अंदर नहीं जाने दिया गया। इस अपमान से नाराज श्री कुशवाह बाद में मुख्यमंत्री के दो कार्यक्रमों में मंच का बहिष्कार करते हुए जनता के बीच बैठे रहे। इस घटनाक्रम का पता चलने पर मुख्यमंत्री ने कलेक्टर आकाश त्रिपाठी से इस मसले पर बातचीत की और भविष्य में अपनी निगरानी में सूची भेजने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री शनिवार शाम को अल्प प्रवास पर ग्वालियर आए थे। विमानतल पर उनकी अगवानी के लिए स्थानीय विधायक और गृह राज्यमंत्री नारायण सिंह कुशवाह भी पहुंचे। वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने प्रशासन द्वारा सौंपी गई सूची में उनका नाम नहीं होने का हवाला देते हुए श्री कुशवाह को हवाई पट्टी तक जाने से रोक दिया। वहां मौजूद भाजपा नेताओं ने सुरक्षाकर्मियों को श्री कुशवाह का परिचय देते हुए उन्हें हवाई पट्टी तक जाने देने का आग्रह किया लेकिन रक्षाकर्मी नहीं माने। लिहाजा श्री कुशवाह एयरपोर्ट से नाराज होकर लौट गए।

इसके बाद श्री कुशवाह सीधे गुरुद्वारा चौराहे पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचकर भीड़ में बैठ गए। यहां भी कार्यक्रम की शुरुआत में उन्हें मंच पर आमंत्रित नहीं किया गया। कुछ देर बाद जब भीड़ में बैठे मंत्री पर अफसरों की नजर पड़ी तो वे उन्हें मनाने आए, लेकिन नाराज मंत्री मंच पर नहीं गए। इसके बाद लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल के सामने संस्कार भारती के वीरांगना सम्मान समारोह में भी श्री कुशवाह मंच पर नहीं बैठे और जनता के बीच बैठे रहे।

मामले की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने कलेक्टर आकाश त्रिपाठी से चर्चा कर सूची के मामले पर नाराजगी जाहिर की। याद रहे कि पूर्व में विमानतल पर प्रवेश न देने के मामले को लेकर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए धरना दिया था। महापौर समीक्षा गुप्ता सहित अन्य वरिष्ठ जनप्रतिनिधि भी यहां प्रशासनिक अनदेखी का शिकार हो चुके हैं।

इन नेताओं की कमाई का जरिया सिर्फ वेतन, फिर भी आप हैं 'करोड़पति'

भोपाल. मध्यप्रदेश के 11 में से 10 राज्यसभा सदस्यों के पास उनकी तनख्वाह के अलावा कमाई का कोई दूसरा जरिया नहीं है। बावजूद इनमें से कई लखपति और करोड़पति हैं। यह खुलासा एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिव रिफॉर्म (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच नामक दो गैर सरकारी संस्थाओं की रिपोर्ट में हुआ है।

प्रदेश से 11 राज्यसभा सदस्यों में से तीन करोड़पति और आठ लखपति हैं। इनमें एक करोड़पति चंदन मित्रा के अलावा किसी भी अन्य राज्यसभा सदस्य की आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है। इन १क् सदस्यों को न तो अन्य जगह से वेतन (सदन के सदस्य के तौर पर मिलने वाली तनख्वाह के अलावा) मिलता है, न शेयर आदि से आर्थिक लाभ होता है।

इन संस्थाओं के राष्ट्रीय संयोजक अनिल बैरवाल ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि सांसदों को सदन के सदस्य के तौर पर शपथ लेने के 90 दिन के भीतर एक घोषणा पत्र भरना होता है। राज्यसभा के पास फिलहाल 232 सदस्यों की जानकारी है। सांसदों से पूछा गया था कि उनकी आय का स्रोत क्या है?

करोड़ों की संपत्ति के मालिक : प्रदेश के तीन राज्यसभा सदस्य चंदन मित्रा, माया सिंह और विजयलक्ष्मी साधो करोड़पति हैं। भाजपा के चंदन मित्रा प्रदेश के सबसे धनवान राज्यसभा सदस्य हैं। वे 9.41 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं।

प्रदेश के ग्यारह राज्यसभा सदस्यों में से केवल चंदन मित्रा की ही आय का कोई स्रोत हैं। मित्रा को सीएमवाईके प्रिंटेक से सालाना 30 लाख रुपए की आय होती है।

किसकी कितनी मिल्कियत

विजयलक्ष्मी साधो 1.99 करोड़ रुपए
माया सिंह 1.48 करोड़
कप्तान सिंह सोलंकी 76.33 लाख
रघुनंदन शर्मा 66.30 लाख
विक्रम वर्मा 56.60 लाख
मेघराज जैन 50.00 लाख
प्रभात झा 25.55 लाख
नारायण सिंह केसरी 25.10 लाख
अनुसूइया उइके 21.67 लाख
अनिल माधव दवे 2.75 लाख
(एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच को सांसदों के चुनाव घोषणा पत्र से मिली जानकारी पर आधारित)

कोर्ट ने दिया अनोखा फैसला, कहा जाओ करो कैंडल लाईट डिनर!


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भोपाल.मामला कोर्ट में था और वो चाहती थी कि उसका पायलट पति जेल चला जाए। जमानत पर सुनवाई के लिए केस डायरी नहीं थी, लिहाजा जज ने महिला की पूरी बात तफसील से सुनी।

जज को लगा कि यदि पति-पत्नी आपस में बात करें तो मामला सुलझ सकता है। बस, फिर क्या था, जज ने दोनों को साथ डिनर करने की सलाह दी। सलाह काम गई और एक कैंडल लाइट डिनर ने दोनों के सारे गिले-शिकवे दूर कर दिए। अब वे पुरानी बातों को भूलकर फिर नए सिरे से जिंदगी शुरू करना चाहते हैं।

मामले के अनुसार कोहेफिजा निवासी आयशा खान की शादी दिल्ली निवासी यासिर से हुई थी। यासिर पायलट हैं और भारतीय वायु सेना का फाइटर प्लेन जगुआर उड़ाते है। यासिर असम के डिब्रूगढ़ में पदस्थ हैं।

आयशा का आरोप था कि शादी के बाद से ही दहेज की मांग को लेकर उसे परेशान किया जाता रहा। इसके बाद उसने कोहेफिजा पुलिस में मामला दर्ज कराया।

इस मामले में अग्रिम जमानत की अर्जी नामंजूर होने के बाद यासिर ने नियमित जमानत के लिए मजिस्ट्रेट गंगाचरण दुबे की कोर्ट में अर्जी लगाई थी। आयशा अपने वकील के साथ जमानत पर आपत्ति दर्ज कराने कोर्ट पहुंचीं और कोर्ट में आपबीती सुनाते हुए यासिर को जेल भेजने की मांग की।

केस डायरी के अभाव में जमानत अर्जी पर सुनवाई तो नहीं हो सकी, लेकिन मजिस्ट्रेट ने दोनों को समझाइश दी। उन्होंने मतभेद का दूर करने के लिए दोनों ने डिनर पर जाने की सलाह दी। मजिस्ट्रेट ने पूछा कि दोनों को खाने में क्या पसंद है। इस पर दोनों ने एक साथ कहा, चिकन बिरयानी।

उन्होंने अदालत को बताया कि जब वे पहली बार मिले थे तो भोपाल के वीआईपी रोड स्थित सितारा होटल में बिरयानी खाई थी। इसके बाद दोनों शाम को अपने पसंदीदा होटल में कैंडल लाइट डिनर के लिए पहुंचे। वहां दोनों के बीच दो घंटे तक लंबी बातचीत चली।

इस बीच उनके सारे गिले-शिकवे दूर हो गए। अगले दिन उन्होंने यह बात अदालत को बताई। शनिवार को लोक अदालत में उपस्थित हुई आयशा ने कहा कि उसे अब यासिर से कोई शिकायत नहीं है और वह अब उसके साथ असम जाने के लिए तैयार है।

ये कैसी श्रद्धा?...इस को देख शर्म से बंद हो जाएंगी आंखे!

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हमारा देश सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण है। हमारे लिए हर दिन महत्वपूर्ण होता है। हम हर दिन कोई ना कोई त्योहार या जयंती मनाते है। होली, दिपावली और ईद जैसे त्योहार हों या गांधी-नेहरू जैसी जयंती पूरा देश बड़ी सिद्दत से मनाता है। पर आधुनिक युग में त्योहार और जयंती मनाने का तरीका बदलता जा रहा है। पहले जहां हम त्योहारों में पूजा या अरदास करते थे, वहीं अब अधिकतर लोग ऐसे अवसरों पर अश्लील डांस करते हैं या इस तरह के आयोजन करते हैं। वीडियो कानपुर में आयोजित वाल्मीकि महोत्सव का है। इसका आयोजन अखिल भारतीय बाल्मीकी समाज विकास परिषद करता है। जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय से मान्यता प्राप्त होने का दावा भी करता है। इस कार्यक्रम का आयोजन हर साल वाल्मीकी जयंती पर किया जाता है। यह वीडियो पिछले साल आयोजित कार्यक्रम का है। आप खुद ही देखिए कि कैसे स्टेज पर पीछे महर्षि वाल्मीकी की तस्वीर लगी हुई थी। इसके आगे एक बार गर्ल अश्लील डांस कर रही थी। लोग इस अश्लील डांस का मजा ले रहे थे। किसी को जरा भी ख्याल नहीं था कि वो किसी महान व्यक्ति की जयंती मना रहे हैं। कौन थे महर्षि वाल्मीकी महर्षि वाल्मीकी आदिकवि के रुप में प्रसिद्ध हैं। उन्होने संस्कृत मे रामायण की रचना की। उनके द्वारा रची रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाई। रामायण एक महाकाव्य है जो कि श्रीराम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य से, कर्तव्य से, परिचित करवाता है। इनका जन्म नागा प्रजाति में हुआ था। महर्षि बनने के पहले वाल्मीकि रत्नाकर के नाम से जाने जाते थे। वे परिवार के पालन-पोषण हेतु दस्युकर्म करते थे। कालांतर ह्रदय परिवर्तन होने पर सन्यास ले लिया। महान ऋषि बने। बाद रामायण की रचना की। एक प्रश्न हम दिन प्रतिदिन सामाजिक मूल्यों को भूलते जा रहे हैं। इस वीडियो को देखने के बाद क्या आपको नहीं लगता कि हमारी श्रद्धा विकृत हो चुकी है। हम संस्कारों, परंपराओं और सामाजिक मूल्यों की तिलांजली दे रहे हैं। क्या यही हमारी श्रद्धा है? अपनी राय नीचे दिए गए कमेंट्य बॉक्स में लिखें। बेहतर प्रतिक्रिया को हम प्रकाशित करेंगे। हां, आपसे एक विनम्र निवेदन है कि अपनी राय मर्यादित भाषा में दें। यदि आपकी भाषा से कोई आहत होता है या कोई कानूनी कार्रवाही होती है, तो इसके लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे।

लाड कुमारी राज्य महिला आयोग और रणदीप आरटीडीसी के अध्यक्ष मनोनीत!

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जयपुर.राजनीतिक नियुक्तियों के सिलसिले के तहत शनिवार को राज्य सरकार ने आदेश जारी कर लाड कुमारी जैन को राजस्थान राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष और रणदीप धनखड़ को राजस्थान पर्यटन निगम के संचालक मंडल के अध्यक्ष पद पर मनोनीत किया है।

इनका कार्यकाल तीन साल होगा और इन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है। लाडकुमारी राजस्थान यूनिवर्सिटी वूमन एसोसिएशन की अध्यक्ष हैं। रणदीप झुंझुनूं जिले के रहने वाले हैं और जयपुर में कारोबार करते हैं।

वर्ल्ड रिमेम्बरेंस डे आज: अपनों को खोने के दर्द से बचें!


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जयपुर.आज रिमेम्बरेंस डे है। जिन्हें दुर्घटना में खो चुके हैं, उन्हें याद किया जाएगा। इस मौके पर सिटी रिपोर्टर ने ऐसे परिजनों से बातचीत की, जिन्होंने दुर्घटना में अपनों को खोया है।

अब वे उनकी याद में संस्था चला रहे हैं या फिर लोगों को यातायात के नियमों की जानकारी दे रहे हैं ताकि भविष्य में अपनों को खोने का दर्द सहना नहीं पड़े। वे संदेश देना चाहते हैं कि ड्राइव करते समय खुद के साथ-साथ परिजनों के बारे में भी सोचें।

याद रखें, कोई इंतजार कर रहा है

आज हर कोई तेज स्पीड में ड्राइव कर रहा है। जल्दबाजी में छोटी-सी चूक से बड़ा हादसा हो जाता है। हर व्यक्ति को अपनी स्पीड कंट्रोल करनी होगी। उसे जानना होगा, जब वह घर से निकलता है। वह अकेला नहीं है।

पीछे लोग उसका इंतजार कर रहे हैं। राजस्थान यूनिवर्सिटी में लॉ डिपार्टमेंट की लेक्चरर डॉ. सोनिया दत्त शर्मा कहती हैं, दुर्घटना में मां को खोने के बाद उन्हें यह ख्याल आता है। जब वे खुद ड्राइव कर रही होती हैं तो अपने डेढ़ साल के बेटे के बारे में जरूर सोचती हैं। ट्रैफिक रूल्स का पालन करती हैं ताकि जरा सी भूल से उनके बेटे को अपनी मां को खोना नहीं पड़े ।

उनकी मां की डेथ एक्सीडेंट में उस समय हुई थी जब वे पापा के साथ मैरिज एनिवर्सरी पर मंदिर से दर्शन करके लौट रही थीं। पीछे से उन्हें किसी ने हिट कर दिया। उनकी डेथ हो गई। रविवार को उनका जन्मदिन भी है। इस दिन ही यह डे सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस दिन वो मुझे बार-बार याद आएंगी।

बेटी के नाम पर खोली एकेडमी

7 जनवरी 2008 को बेटी इंजीनियरिंग कॉलेज से घर लौट रही थी। रिद्धि-सिद्धि चौराहे पर ट्रक ने पीछे से टक्कर मार दी। उसकी ऑन दि स्पॉट डेथ हो गई। गवर्नमेंट सड़कें चौड़ी करे साथ ही ट्रक चालकों को ट्रेंड किया जाए।

स्पीड लिमिट कंट्रोल हो। बिजनेसमैन सुनील भार्गव कहते हैं, बेटी को खोने का दर्द हमेशा सताता रहता है। वह चेस प्लेयर भी थी। उसके नाम पर चेस एकेडमी खोली है। इसमें हर रविवार सुबह 10 से 5 बजे तक चेस खेलना फ्री सिखाया जाता है। साल में एक बार साक्षी मेमोरियल टूर्नामेंट करवाते हैं।

लाइफ सेविंग कोर्स की ट्रेनिंग

जेके लोन से रिटायर डॉ. माया टंडन कहती हैं, आईसीयू में अधिकतर एक्सीडेंट वाले पेशेंट होते थे। उनकी देखरेख में पूरा समय गुजर जाता था। डेथ होने पर बहुत दुख होता था। पति को एक्सीडेंट के बारे में लोगों को अवेयर करने का शौक था।

उन्होंने रिटायरमेंट के बाद लोगों को ट्रैफिक रूल्स के प्रति अवेयर करने का मानस बनाया। पति के नाम पर डॉ. एमएन टंडन मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट भी बनाया। वे उसकी चेयरमैन हैं। इसके जरिए वे लोगों को लाइफ सेविंग कोर्स सिखाती हैं।

इसमें लोगों को एक्सीडेंट होने पर व्यक्ति की देखरेख करने के लिए ट्रेंड किया जाता है। लोगों को बताया जाता है, सुप्रीम कोर्ट के नियमानुसार जब तक पेशेंट के परिजन नहीं आ जाएं, तब तक हॉस्पिटल में उसकी देखरेख करें।

पेरेंट्स ही रोक सकते हैं यंग डेथ

11 साल पहले बेटी की एक्सीडेंट में डेथ हो गई। कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसका स्कूल टीचर आया और कहा, क्यों न रोड सेफ्टी के बारे में बच्चों को अवेयर करने के लिए एक संस्था खोली जाए। 1999 में एक्सीडेंट से कई बच्चों की डेथ हो चुकी थी।

बेटी की फ्रेंड्स ने भी उन्हें इस बारे में सलाह दी। मुस्कान संस्थान के मैनेजिंग ट्रस्टी प्रमोद भसीन कहते हैं, उनकी सलाह को मानते हुए 12 दिन में संस्था बना दी।

दस साल से लगातार बच्चों को अवेयर कर रही है। वे संदेश देना चाहते हैं, जब तक बच्चे मैच्योर और व्हीकल चलाने में परफेक्ट नहीं हो जाएं, उन्हें व्हीकल चलाने की परमिशन नहीं दें। तभी यंग डेथ को कंट्रोल किया जा सकता है।

राजस्थान के विकास और सोंद्र्यक्र्ण का शान्ति धारीवाल का सपना शीघ्र पूरा होगा

हाडोती की शान और राजस्थान के विकास की आन कोटा के विधायक शांति कुमार धारीवाल एक बार फिर अपनी पूरी ताकत के साथ राजस्थान के विकास कार्यों में लग गये हैं .... गोपालगढ़ की दुर्घटना का सहारा लेकर विरोधियों ने उनके खिलाफ खूब साजिशें रचीं लेकिन कहते हैं जिसे अल्लाह रखे उसे कोन चखे ..गृहमंत्रालय की तो कोई बात नहीं वोह खुद भी इस मंत्रालय से तंग थे और राजस्थान में जो विकास योजनायें ..पुल निर्माण ..बाईपास और सोंद्र्यक्र्ण की उन्होंने योजनायें तय्यार की थीं वोह सब आधी अधूरी पढ़ी थीं खुद उनके अपने कार्यक्षेत्र कोटा में वोह बहुत कुछ ध्यान नहीं दे पा रहे थे अब वोह पुनर्गठित मंत्रिमंडल में फिर से फ्री हेंड मंत्री बन कर उभरे है और राजस्थान के सोंद्र्यक्रण और विकास के लियें उन्होंने कमर कस ली है ..धारीवाल के विकास कार्यों की वजह से ही पिछले दिनों उनका अंतर्राष्ट्रीय ऍन आर आई संस्था राना ने सम्मान किया और अब कल रविवार को मीणा समाज उनका सम्मान कर रहा है जहाँ वोह घोषणाओं का पिटारा खोलेंगे इसके पहले वेश्य समाज ..जेन समाज..ब्राह्मण समाज । बंजारा समाज उनका सम्मान कर चूका है ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बारां के प्रमोद भाया को मंत्री पद से हटाने से सभी दुखी

राजस्थान में बार जिले में भाजपा को पटकनी देकर वहां कोंग्रेस को एक तरफा जीत दिलवाने वाले अन्ता विधायक प्रमोद भाया को उनकी क्षमता देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले तो सार्वजनिक निर्माण मंत्री बनाया ..भय ने अपने मंत्रित्व कल में पुराने जमाने के उन डकेतों की भूमिका निभायी जो अमीरों के लियें डकेत और गरीबों व् आम जनता के लियें धर्मात्मा होते थे ..कुछ ही दिनों में भाया ने अपनी छवि एक धर्मात्मा की बना डाली और अचानक जब अशोक गहलोत ने उन्हें मंत्रिमंडल पद से हटाया तो पक्ष विपक्ष सार्थक और विरोधियों में एक दम शोक की लहर दोड़ गयी ..भय को मंत्री पद से हटाने पर सभी स्तब्ध है ,,,,लोग कहते हैं के उनके ओ एस डी खुलेआम चोरी करने लगे थे और उनके नोकरी में रहते जो रीको कोटा से प्लाट आवंटित करवाकर वोह एश फ्लाई के नाम पर धमाचोकड़ी मचा रहे थे उससे वोह एक्सपोज़ हुए और उन्हें अचानक बिना कुछ करे धरे घर बेठना पढ़ा ..लोग कहते है के भाया उनकी ताकत और समर्थन के बल पर एक बार फिर जल्दी ही पूरी ताकत के साथ महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री बनकर वापस लोटेंगे देखते हैं सियासत में आगे क्या होता है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सर्दी स्पेशल: रोज इनमें से कुछ भी खाएं तो सालभर बीमारियां छू भी नहीं पाएगी

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सर्दियों में अपनी आयु और शारीरिक अवस्था को ध्यान में रख कर उचित और आवश्यक मात्रा में, पौष्टिक शक्तिवर्धक चीजों को लेना हमारे शरीर को सालभर के लिए एनर्जी देता है। आयु और शारीरिक अवस्था के मान से अलग-अलग पदार्थ सेवन करने योग्य होते हैं। लेकिन ठंड में पौष्टिक पदार्थों का सेवन शुरू करने से पहले पेट शुद्धि यानी कब्ज दूर करना आवश्यक है।
क्योंकि इन्हें पचाने के लिए अच्छी पाचन शक्ति होना जरूरी है। वरना पौष्टिक पदार्थों या औषधियों का सेवन करने से लाभ ही नहीं होगा। ऐसी तैयारी करके, सुबह शौच जाने के नियम का पालन करते हुए, हर व्यक्ति को अपना पेट साफ रखना चाहिए। ठीक समय 32 बार चबा चबा कर भोजन करना चाहिए।अब हम पहले ऐसे पौष्टिक पदार्थों की जानकारी दे रहे हैं। जो किशोरवस्था से लेकर प्रोढ़ावस्था तक के स्त्री-पुरुष सेवन कर अपने शरीर को पुष्ट, सुडौल, व बलवान बना सकते हैं।
क्या खाएं सर्दियों में-
- सोते समय एक गिलास मीठे कुनकुने गर्म दूध में एक चम्मच शुद्ध घी डालकर पीना चाहिए।
- दूध में मलाई और पिसी मिश्री मिलाकर पीना चाहिए।
- एक बादाम पत्थर घिस कर दूध में मिला कर उसमें पीसी हुई मिश्री मिलाकर पीना चाहिए।
- सप्ताह में दो दिन अंजीर का दूध लें।
- तालमखाना।
- सफेद मुसली।
- ठंडे दूध में एक केला और एक चम्मच शहद।
- उड़द की दाल दूध पका कर बनाई हुई खीर।
- प्याज का रस।
- असगंध चूर्ण
- उड़द की दाल।
- रोज सेवफल खाएं।
- कच्चे नारियल की सफेद गरी।
-प्याज का रस दो चम्मच, शहद एक चम्मच, घी पाव चम्मच।

यह है दुनिया का सबसे महंगा स्कूल

दुनिया के सबसे महंगे स्कूल स्विट्जलैंड में है। सच तो यह है कि दुनिया के शीर्ष दस महंगे स्कूलों मेंसभी इसी देश में है। यहां स्कूलों में पढ़ाई इतनी महंगी हैकि उतने में आप अपने बच्चे हावर्ड में पढ़ा सकते हैं।जी हां, यहां औसतन यह एक लाख डॉलर प्रति वर्ष है। यह स्कूल मूल रुप से बोर्डिंग स्कूल है।

यहां का स्कूल ला रोसी स्कूलों का शहंशाह है। इसे दुनिया का शंहशाह है। इसे दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित स्कूल होने का स्म्मान प्राप्त है। यह स्कूल सन 1880 में बना था। इस स्कूल में फाइव स्टार फेसिलिटी है। यहां 10 टेनिस कोर्ट, ओपन एयर थिएटर,सर्कस, शूटिंग रेंज, स्टेडियम, स्विमिंग पूल, वगैरह सभी है। इस स्कूल में दुनिया भर की नामी गिरावमी हस्तियों के बच्चे पढ़ते हैं।

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