आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

25 नवंबर 2011

राजस्थान में राजनितिक नियुक्तियां चोरों की तरह से ....

जी हाँ दोस्तों आप माने या ना माने राजस्थान में कोंग्रेस हाईकमान की टेडी नज़र के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री को मिले अभयदान और राजस्थान के मुख्यमंत्री और उनके समर्थकों द्वारा दी गयी राहुल को पटकनी के बाद यहाँ राजनितिक नियुक्तियों का दोर शुरू हुआ है लेकिन सभी नियुक्तियां अप्रत्याशित और चोरों की तरह से की जा रही है जिनको देख कर राजस्थान की जनता हेरान है .......राजस्थान में मुस्लिम इदारों में मुस्लिम प्रतिनिधियों की नियुक्ति के बारे में तो लोगों का स्पष्ट आरोप है के गोपालगढ़ भरतपुर में मुस्लिमों के नरसंहार पर सरकार के बचाने के प्रयासों में जुटे मुस्लिम गद्दार पर मुख्यमंत्री के चमचों को इनाम दिया गया है लेकिन सरकार ने फिर भी अल्पसंख्यक विरोधी अपनी मुहीम को बंद नहीं किया है मुस्लिम इदारों के आलावा और दुसरे इदारों में मुस्लिम प्रतिनिधियों की नियुक्ति नहीं की गयी है क्रिश्चियन की नियुक्ति भी दिखावटी है जबकि सभी अकादमियों के अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद केवल पंजाबी एकेडमी की नियुक्ति नहीं की गयी है ..सरकार ने जो कोई भी बोर्ड की नियुक्ति की है वोह आधी रात को चोरों की तरह से नियुक्ति हुई है और मजेदार बात तो यह है के किसी भी बोर्ड निगम में सदस्यों की नियुक्ति नहीं की गयी है जेसे आवासन मंडल सदस्य नहीं ...... स्माज्क्ल्याँ बोर्ड सदस्य नहीं .उर्दू..संस्क्रत..हिंदी और दूसरी एकेद्मियाँ अध्यक्ष है लेकिन सदस्य नहीं .मदरसा बोर्ड ..अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति है लेकिन सदस्यों की नियुक्ति नहीं ऐसे में इदारे तो बन गये लेकिन उन्हें कोई भी काम करने का सदस्यों की नियुक्ति नहीं होने से अधिकार नहीं मिल पाया है इसलियें कहते हैं के राजस्थान सरकार चोरों की तरह से राजनितिक नियुक्तियां कर रही है और ऐसे लोगों की नियुक्ति कर रही है जिससे सरकार के पक्ष में हवा बनने के स्थान पर सरकार विरोधी हवा बन रही है पंजाबी एकेडमी के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से सिक्ख समाज में नाराज़गी नहीं है ........ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह है गीता का ज्ञान ............

(साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय और भगवत्प्राप्ति के उपाय का विषय)
अर्जुन उवाच
एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते ।
ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥
भावार्थ : अर्जुन बोले- जो अनन्य प्रेमी भक्तजन पूर्वोक्त प्रकार से निरन्तर आपके भजन-ध्यान में लगे रहकर आप सगुण रूप परमेश्वर को और दूसरे जो केवल अविनाशी सच्चिदानन्दघन निराकार ब्रह्म को ही अतिश्रेष्ठ भाव से भजते हैं- उन दोनों प्रकार के उपासकों में अति उत्तम योगवेत्ता कौन हैं?॥1॥
श्रीभगवानुवाच
मय्यावेश्य मनो ये मां नित्ययुक्ता उपासते ।
श्रद्धया परयोपेतास्ते मे युक्ततमा मताः ॥
भावार्थ : श्री भगवान बोले- मुझमें मन को एकाग्र करके निरंतर मेरे भजन-ध्यान में लगे हुए (अर्थात गीता अध्याय 11 श्लोक 55 में लिखे हुए प्रकार से निरन्तर मेरे में लगे हुए) जो भक्तजन अतिशय श्रेष्ठ श्रद्धा से युक्त होकर मुझ सगुणरूप परमेश्वर को भजते हैं, वे मुझको योगियों में अति उत्तम योगी मान्य हैं॥2॥
ये त्वक्षरमनिर्देश्यमव्यक्तं पर्युपासते।
सर्वत्रगमचिन्त्यं च कूटस्थमचलं ध्रुवम्‌ ॥
सन्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः ।
ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहिते रताः ॥
भावार्थ : परन्तु जो पुरुष इन्द्रियों के समुदाय को भली प्रकार वश में करके मन-बुद्धि से परे, सर्वव्यापी, अकथनीय स्वरूप और सदा एकरस रहने वाले, नित्य, अचल, निराकार, अविनाशी, सच्चिदानन्दघन ब्रह्म को निरन्तर एकीभाव से ध्यान करते हुए भजते हैं, वे सम्पूर्ण भूतों के हित में रत और सबमें समान भाववाले योगी मुझको ही प्राप्त होते हैं॥3-4॥
क्लेशोऽधिकतरस्तेषामव्यक्तासक्तचेतसाम्‌ ।
अव्यक्ता हि गतिर्दुःखं देहवद्भिरवाप्यते ॥
भावार्थ : उन सच्चिदानन्दघन निराकार ब्रह्म में आसक्त चित्तवाले पुरुषों के साधन में परिश्रम विशेष है क्योंकि देहाभिमानियों द्वारा अव्यक्तविषयक गति दुःखपूर्वक प्राप्त की जाती है॥5॥
ये तु सर्वाणि कर्माणि मयि सन्नयस्य मत्पराः ।
अनन्येनैव योगेन मां ध्यायन्त उपासते ॥
भावार्थ : परन्तु जो मेरे परायण रहने वाले भक्तजन सम्पूर्ण कर्मों को मुझमें अर्पण करके मुझ सगुणरूप परमेश्वर को ही अनन्य भक्तियोग से निरन्तर चिन्तन करते हुए भजते हैं। (इस श्लोक का विशेष भाव जानने के लिए गीता अध्याय 11 श्लोक 55 देखना चाहिए)॥6॥
तेषामहं समुद्धर्ता मृत्युसंसारसागरात्‌ ।
भवामि नचिरात्पार्थ मय्यावेशितचेतसाम्‌ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! उन मुझमें चित्त लगाने वाले प्रेमी भक्तों का मैं शीघ्र ही मृत्यु रूप संसार-समुद्र से उद्धार करने वाला होता हूँ॥7॥
मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय ।
निवसिष्यसि मय्येव अत ऊर्ध्वं न संशयः ॥
भावार्थ : मुझमें मन को लगा और मुझमें ही बुद्धि को लगा, इसके उपरान्त तू मुझमें ही निवास करेगा, इसमें कुछ भी संशय नहीं है॥8॥
अथ चित्तं समाधातुं न शक्रोषि मयि स्थिरम्‌ ।
अभ्यासयोगेन ततो मामिच्छाप्तुं धनञ्जय ॥
भावार्थ : यदि तू मन को मुझमें अचल स्थापन करने के लिए समर्थ नहीं है, तो हे अर्जुन! अभ्यासरूप (भगवान के नाम और गुणों का श्रवण, कीर्तन, मनन तथा श्वास द्वारा जप और भगवत्प्राप्तिविषयक शास्त्रों का पठन-पाठन इत्यादि चेष्टाएँ भगवत्प्राप्ति के लिए बारंबार करने का नाम 'अभ्यास' है) योग द्वारा मुझको प्राप्त होने के लिए इच्छा कर॥9॥
अभ्यासेऽप्यसमर्थोऽसि मत्कर्मपरमो भव ।
मदर्थमपि कर्माणि कुर्वन्सिद्धिमवाप्स्यसि ॥
भावार्थ : यदि तू उपर्युक्त अभ्यास में भी असमर्थ है, तो केवल मेरे लिए कर्म करने के ही परायण (स्वार्थ को त्यागकर तथा परमेश्वर को ही परम आश्रय और परम गति समझकर, निष्काम प्रेमभाव से सती-शिरोमणि, पतिव्रता स्त्री की भाँति मन, वाणी और शरीर द्वारा परमेश्वर के ही लिए यज्ञ, दान और तपादि सम्पूर्ण कर्तव्यकर्मों के करने का नाम 'भगवदर्थ कर्म करने के परायण होना' है) हो जा। इस प्रकार मेरे निमित्त कर्मों को करता हुआ भी मेरी प्राप्ति रूप सिद्धि को ही प्राप्त होगा॥10॥
अथैतदप्यशक्तोऽसि कर्तुं मद्योगमाश्रितः ।
सर्वकर्मफलत्यागं ततः कुरु यतात्मवान्‌ ॥
भावार्थ : यदि मेरी प्राप्ति रूप योग के आश्रित होकर उपर्युक्त साधन को करने में भी तू असमर्थ है, तो मन-बुद्धि आदि पर विजय प्राप्त करने वाला होकर सब कर्मों के फल का त्याग (गीता अध्याय 9 श्लोक 27 में विस्तार देखना चाहिए) कर॥11॥
श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाद्धयानं विशिष्यते ।
ध्यानात्कर्मफलत्यागस्त्यागाच्छान्तिरनन्तरम्‌ ॥
भावार्थ : मर्म को न जानकर किए हुए अभ्यास से ज्ञान श्रेष्ठ है, ज्ञान से मुझ परमेश्वर के स्वरूप का ध्यान श्रेष्ठ है और ध्यान से सब कर्मों के फल का त्याग (केवल भगवदर्थ कर्म करने वाले पुरुष का भगवान में प्रेम और श्रद्धा तथा भगवान का चिन्तन भी बना रहता है, इसलिए ध्यान से 'कर्मफल का त्याग' श्रेष्ठ कहा है) श्रेष्ठ है, क्योंकि त्याग से तत्काल ही परम शान्ति होती है॥12॥
भगवत्‌-प्राप्त पुरुषों के लक्षण)
अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च ।
निर्ममो निरहङ्‍कारः समदुःखसुखः क्षमी ॥
संतुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढ़निश्चयः।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः॥
भावार्थ : जो पुरुष सब भूतों में द्वेष भाव से रहित, स्वार्थ रहित सबका प्रेमी और हेतु रहित दयालु है तथा ममता से रहित, अहंकार से रहित, सुख-दुःखों की प्राप्ति में सम और क्षमावान है अर्थात अपराध करने वाले को भी अभय देने वाला है तथा जो योगी निरन्तर संतुष्ट है, मन-इन्द्रियों सहित शरीर को वश में किए हुए है और मुझमें दृढ़ निश्चय वाला है- वह मुझमें अर्पण किए हुए मन-बुद्धिवाला मेरा भक्त मुझको प्रिय है॥13-14॥
यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च यः।
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो यः स च मे प्रियः॥
भावार्थ : जिससे कोई भी जीव उद्वेग को प्राप्त नहीं होता और जो स्वयं भी किसी जीव से उद्वेग को प्राप्त नहीं होता तथा जो हर्ष, अमर्ष (दूसरे की उन्नति को देखकर संताप होने का नाम 'अमर्ष' है), भय और उद्वेगादि से रहित है वह भक्त मुझको प्रिय है॥15॥
अनपेक्षः शुचिर्दक्ष उदासीनो गतव्यथः।
सर्वारम्भपरित्यागी यो मद्भक्तः स मे प्रियः॥
भावार्थ : जो पुरुष आकांक्षा से रहित, बाहर-भीतर से शुद्ध (गीता अध्याय 13 श्लोक 7 की टिप्पणी में इसका विस्तार देखना चाहिए) चतुर, पक्षपात से रहित और दुःखों से छूटा हुआ है- वह सब आरम्भों का त्यागी मेरा भक्त मुझको प्रिय है॥16॥
यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्‍क्षति।
शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः॥
भावार्थ : जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है- वह भक्तियुक्त पुरुष मुझको प्रिय है॥17॥
समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु समः सङ्‍गविवर्जितः॥
भावार्थ : जो शत्रु-मित्र में और मान-अपमान में सम है तथा सर्दी, गर्मी और सुख-दुःखादि द्वंद्वों में सम है और आसक्ति से रहित है॥18॥
तुल्यनिन्दास्तुतिर्मौनी सन्तुष्टो येन केनचित्‌।
अनिकेतः स्थिरमतिर्भक्तिमान्मे प्रियो नरः॥
भावार्थ : जो निंदा-स्तुति को समान समझने वाला, मननशील और जिस किसी प्रकार से भी शरीर का निर्वाह होने में सदा ही संतुष्ट है और रहने के स्थान में ममता और आसक्ति से रहित है- वह स्थिरबुद्धि भक्तिमान पुरुष मुझको प्रिय है॥19॥
ये तु धर्म्यामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते।
श्रद्धाना मत्परमा भक्तास्तेऽतीव मे प्रियाः॥
भावार्थ : परन्तु जो श्रद्धायुक्त (वेद, शास्त्र, महात्मा और गुरुजनों के तथा परमेश्वर के वचनों में प्रत्यक्ष के सदृश विश्वास का नाम 'श्रद्धा' है) पुरुष मेरे परायण होकर इस ऊपर कहे हुए धर्ममय अमृत को निष्काम प्रेमभाव से सेवन करते हैं, वे भक्त मुझको अतिशय प्रिय हैं॥20॥
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायांयोगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे भक्तियोगो नाम द्वादशोऽध्यायः ॥12॥

कुरान का संदेश ............


HOME

अनोखी ट्रिक: बस हाथ मिलाएं और जान जाएं किससे मिलेगा आपको फायदा


| Email Print Comment

अगर आपको बिजनेस या कार्यक्षेत्र में फायदा चाहिए तो आपके लिए ये ट्रिक बहुत काम की है इससे पता चलेगा कि कौन सा आदमी आपके लिए फायदेमंद है?

इसके लिए आपको बस किसी से भी हाथ मिलना होगा और आपको पता चल जाएगा कि आपके लिए कौन फायदेमंद होगा और किससे आपको नुकसान हो सकता है।



जानिए तरकीब-



- जिन लोगों की हथेली सुखी और कड़क होती है। वे लोग किसी काम के नहीं होते। इन लोगों को जो भी सलाह दी जाती है। ये उसी तरह काम करने लगते हैं।


- कड़क हाथ वाले लोग दूसरों की बातों में बहुत जल्दी आ जाते हैं। ये अस्थिर स्वभाव के होते हैं।


- जिन लोगों के हाथ छोटे होते हैं ऐसे लोग आपके काम के हैं। ये लोग आपको पैसों से जूड़ा फायदा दे सकते है।


- जिनका हाथ बहुत ज्यादा ही कड़क होता है ऐसे लोग बुद्धिहीन होते हैं। दूसरों को दुखी देखकर बहुत खुश होते हैं। अक्सर ऐसे हाथ अपराधी लोगों के होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का जीवन रुखा व कठोर होता है।


- जिन लोगों के हाथ नरम और लालिमा लिए होते हैं ऐसे लोग आपके बिजनेस और कार्यक्षेत्र के लिए फायदा देने वाले होते हैं।


- कड़क और रूखे हाथ वाले लोग लव लाइफ में भी कठोर होते हैं। ऐसे लोग कुछ अपराधिक प्रवृत्ति के भी होते हैं।

अनोखी ट्रिक: बस हाथ मिलाएं और जान जाएं किससे मिलेगा आपको फायदा


| Email Print Comment

अगर आपको बिजनेस या कार्यक्षेत्र में फायदा चाहिए तो आपके लिए ये ट्रिक बहुत काम की है इससे पता चलेगा कि कौन सा आदमी आपके लिए फायदेमंद है?

इसके लिए आपको बस किसी से भी हाथ मिलना होगा और आपको पता चल जाएगा कि आपके लिए कौन फायदेमंद होगा और किससे आपको नुकसान हो सकता है।



जानिए तरकीब-



- जिन लोगों की हथेली सुखी और कड़क होती है। वे लोग किसी काम के नहीं होते। इन लोगों को जो भी सलाह दी जाती है। ये उसी तरह काम करने लगते हैं।


- कड़क हाथ वाले लोग दूसरों की बातों में बहुत जल्दी आ जाते हैं। ये अस्थिर स्वभाव के होते हैं।


- जिन लोगों के हाथ छोटे होते हैं ऐसे लोग आपके काम के हैं। ये लोग आपको पैसों से जूड़ा फायदा दे सकते है।


- जिनका हाथ बहुत ज्यादा ही कड़क होता है ऐसे लोग बुद्धिहीन होते हैं। दूसरों को दुखी देखकर बहुत खुश होते हैं। अक्सर ऐसे हाथ अपराधी लोगों के होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का जीवन रुखा व कठोर होता है।


- जिन लोगों के हाथ नरम और लालिमा लिए होते हैं ऐसे लोग आपके बिजनेस और कार्यक्षेत्र के लिए फायदा देने वाले होते हैं।


- कड़क और रूखे हाथ वाले लोग लव लाइफ में भी कठोर होते हैं। ऐसे लोग कुछ अपराधिक प्रवृत्ति के भी होते हैं।

क्या सचमुच कुत्तों को दिखाई देते हैं यमराज और आत्माएं?



अक्सर रात के समय कुत्तों के रोने और भौंकने की आवाज आती हैं। रात के समय सुनसान रोड पर कुत्ते रोते हैं या भौंकते हैं तो ऐसा माना जाता है कि उन्हें यमराज या आत्माएं दिखाई देती हैं। कुत्तों को नकारात्मक शक्तियां महसूस होती हैं।

अधिकतर बुजुर्ग लोग ऐसा कहते हैं कि कुत्ते जब रात के समय सुनसान रोड पर रोते हैं क्योंकि उन्हें या तो यमराज दिखाई देते हैं या यमदूत या कोई अदृश्य शक्ति दिखाई देती है। अदृश्य शक्तियों में नकारात्मक शक्तिया, आत्माएं आदि को शामिल किया जाता है। कुत्तों के रोने को भयंकर अपशकुन समझा जाता है।

जब भी रात के समय कोई स्वस्थ कुत्ता रोता दिखाई दे तो उसे अपने आसपास से भगा देना चाहिए। कुत्ता ऐसा जीव है जो कि वातावरण में होने वाली छोटी-छोटी हलचलों को भी पहले से समझ लेता है। यदि भविष्य में कुछ बुरा होने की संभावना होती है तो कुत्ते रो-रोकर इसकी चेतावनी देते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन्हें पहले से ही मालुम हो जाता है कि आने वाले कल में क्या होगा? यहां तक ही इन्हें स्वयं की मृत्यु से पहले भी यह आभास हो जाता है कि इनकी मौत का समय आ गया है। इसलिए भी ये जोर-जोर से रोते हैं।

यदि इन्हें कोई संदिग्ध व्यक्ति जैसे कोई चोर या अन्य बुरे चरित्र का व्यक्ति या वस्तु दिखाई देती हैं तो ये भौंक-भौंककर सभी को सचेत करते हैं। अत: रात के समय कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनकर हमें भी सचेत हो जाना चाहिए।


इस्लामी नव वर्ष 27 से, जानें किस धर्म में कब मनाया जाता है नया साल?


दुनिया के विभिन्न धर्मों में नया साल एक उत्सव की अलग-अलग समय पर विभिन्न परंपराओं के साथ मनाया जाता है। किसी धर्म में नाच-गाकर नए साल का स्वागत किया जाता है तो कहीं पूजा-पाठ व ईश्वर की आराधना कर। इस्लाम धर्म में नए साल की शुरुआत खुदा की इबादत से की जाती है।

इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को मुस्लिम समाज का नया साल हिजरी शुरू होता है। इस्लामी या हिजरी कैलेंडर चंद्र आधारित है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में इस्तेमाल होता है, बल्कि दुनियाभर के मुस्लिम भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं। इस बार इस्लामिक नव वर्ष हिजरी सन् 1433 का प्रारंभ 27 नवंबर, रविवार से हो रहा है। जानते हैं किन-किन धर्मों में नव वर्ष कब मनाए जाने की परंपरा है।

हिंदू नव वर्ष

हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल का आरंभ भी होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अप्रैल में आती है। इसे गुड़ी पड़वा, उगादि आदि नामों से भारत के अनेक क्षेत्रों में मनाया जाता है।

ईसाई नव वर्ष

ईसाई समाज 1 जनवरी को नव वर्ष मनाता है। करीब 4000 वर्ष पहले बेबीलोन में नया वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी। तब रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। तब से आज तक ईसाई धर्म के लोग इसी दिन नया साल मनाते हैं। यह सबसे ज्यादा प्रचलित नव वर्ष है।

सिंधी नव वर्ष

सिंधी नव वर्ष चेटीचंड उत्सव से शुरू होता है, जो चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है। सिंधी मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था जो वरुणदेव के अवतार थे।

सिक्ख नव वर्ष

पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो अप्रैल में आती है। सिक्ख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होला मोहल्ला (होली के दूसरे दिन) नया साल होता है।

जैन नव वर्ष

जैन नववर्ष दीपावली से अगले दिन होता है। भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन यह शुरू होता है. इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं।

पारसी नव वर्ष

पारसी धर्म का नया वर्ष नवरोज के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव पारसी लोग मनाते हैं। लगभग 3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की। नव अर्थात् नया और रोज यानि दिन।

हिब्रू नव वर्ष

हिब्रू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे । इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है। यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक 5 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच आता है।



भारत के विभिन्न क्षेत्रों में नव वर्ष

भारत के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है । प्राय: ये तिथि मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है।

- तेलगु नया साल मार्च-अप्रैल के बीच आता है।

- आंध्रप्रदेश में इसे उगादी (युगादि=युग+आदि का अपभ्रंश) के रूप में मनाते हैं। यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है।

- तमिल नया साल विशु 13 या 14 अप्रैल को तमिलनाडु और केरल में मनाया जाता है।

- तमिलनाडु में पोंगल 15 जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर मनाया जाता है।

- महाराष्ट्र में नया वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है।

- कन्नड नया वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मानते हैं।

- मारवाड़ी नया साल दीपावली के दिन होता है।

- गुजराती नया साल दीपावली के दिन होता है।

- बंगाली नया साल पोहेला बैसाखी 14 या 15 अप्रैल को आता है।

- पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में इसी दिन नया साल होता है।

अन्ना के घर तक तमाचे की गूंजः पीटकर खदेड़े एनसीपी समर्थक, फिर मांग ली माफी


रालेगण सिद्धी.शरद पवार को थप्‍पड़ मारे जाने के बाद अन्‍ना हजारे की पहली प्रतिक्रिया के विरोध में एनसीपी कार्यकर्ताओं का गुस्‍सा भड़क गया है। शुक्रवार को वे अन्‍ना के गांव में ही हंगामे पर उतर आए और अनशन पर बैठ गए।
लेकिन अन्ना के गांववालों ने पीटकर खदेड़ दिया। देर शाम अन्ना के सहयोगी सुरेश पठारे ने एनसीपी समर्थकों की पिटाई पर माफी मांग ली।
पवार को तमाचा जड़े जाने पर अन्ना ने पहली प्रतिक्रिया देते हए कहा था कि क्या थप्पड़ मारा? बस एक ही मारा? अन्ना के इसी बयान के बाद से ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी समर्थक भड़के हुए हैं।
गुरुवार को कई शहरों में विरोध प्रदर्शन और अन्ना का पुतला फूंके जाने के बाद शुक्रवार को रालेगण सिद्धी में भी जमकर हंगामा हुआ। अन्ना समर्थकों और एनसीपी कार्यकर्ताओं में जमकर झड़प हुई और गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की गई। एनसीपी कार्यकर्ता पूरे महाराष्‍ट्र में सड़कों पर उतर गए। मुंबई में अन्‍ना हजारे का पुतला भी फूंका गया और पुणे बंद का आयोजन किया गया। कई स्थानों पर जबरन दुकानें भी बंद करवाई गईं।


यह रहा घटनाक्रम
अन्ना की पवार को लगे तमाचे पर प्रतिक्रिया के बाद गुरुवार शाम को एनसीपी कार्यकर्ता उनसे मिलने पहुंचे थे और अपनी नाराजगी जाहिर की थी। अन्ना के जिले अहमदनगर में भी उनका पुतला फूंका गया था। लेकिन शुक्रवार सुबह करीब 11.30 बजे एनसीपी कार्यकर्ता रालेगण सिद्धी पहुंच गए और गांव की सड़कों पर घूमकर शरद पवार के समर्थन और अन्ना हजारे के विरोध में जमकर नारेबाजी की।

एनसीपी कार्यकर्ता यहीं नहीं रुके। वो अन्ना के गांव में अनशन करने पर डट गए। अन्ना के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कई एनसीपी कार्यकर्ता सड़क पर ही धरने पर बैठ गया। अन्ना के खिलाफ नारेबाजी होने से गांववालों का भी गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और दोनों पक्षों में झड़प हो गई। अन्ना के निजी सचिव और करीबी सहयोगी सुरेश पठारे ने धरने पर बैठे एनसीपी समर्थकों से सवाल किया कि जब महाराष्ट्र में किसानों पर गोली चलती है तब एनसीपी सड़क पर नहीं उतरती लेकिन पवार को थप्पड़ पड़ जाता है तो हंगामा करती है।


रालेगण में अनशन पर डटे एनसीपी कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों में झड़प की भी खबर है। अन्‍ना के स्‍कूल के कुछ बच्‍चों ने पत्‍थर भी फेंके, जिसमें कई गाड़ियों के शीशे टूट गए। इस बारे में रालेगण के ग्राम प्रधान जय सिंह मापारी का कहना है कि एक साजिश के तहत अन्ना का विरोध किया जा रहा है। यह सब अन्ना की छवि धूमिल करने के लिए हो रहा है। किसी भी ग्रामीण ने कोई हिंसा नहीं की है। एनसीपी कार्यकर्ता स्वयं ही अपनी कारों में पत्थर रख कर लाए थे और उन्होंने खुद ही अपनी गाड़ियों के शीशे तोड़े। मापारी ने यह भी कहा कि अन्ना के खिलाफ नारेबाजी सुनकर स्कूल के कुछ छात्र भड़क गए और उन्होंने कुछ पत्थर फेंक दिए जो किसी को नहीं लगे। पुलिस ने मामला ज्‍यादा बढ़ने से रोक दिया। घटना के बाद अन्‍ना की सुरक्षा बढ़ाए जाने की खबर है।
हालांकि टीवी चैनलों की फुटेज में साफ दिख रहा है कि अन्ना के गांव में एनसीपी कार्यकर्ताओं को जबरन खदेड़ा गया और उनके साथ मारपीट हुई। देर शाम अन्ना की ओर से इस पूरे घटनाक्रम की निंदा की गई और एनसीपी समर्थकों से माफी मांग ली गई।
अन्ना ने फिर की पवार को थप्पड़ मारे जाने की निंदा
हंगामा होता देख अन्ना हजारे भी बाहर निकल आए और एनसीपी समर्थकों से कहा कि पवार के साथ जो भी हुआ वो निंदनीय हैं लेकिन जब किसानों पर गोली चलती है तब एनसीपी विरोध नहीं करती और पवार को थप्पड़ मारे जाने पर हंगामा कर रही है।

पत्रकारिता पेशे पर दूसरा बड़ा कलंक: 2G के बाद अब हत्या में शामिल महिला पत्रकार!


मुंबई.मुंबई के पत्रकार ज्‍योतिर्मय डे (जेडे) की हत्‍या के मामले में पुलिस ने एक महिला पत्रकार को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार पत्रकार जिगना वोहरा को आज कोर्ट में पेश‍ किया जाएगा। पुलिस वोहरा के मोबाइल फोन से हुई बातचीत का ब्‍यौरा जुटाने में लगी है।

पुलिस के मुताबिक वोहरा भी जेडे की हत्‍या की साजिश में शामिल रही है। वोहरा को अंडरवर्ल्‍ड सरगना छोटा राजन का करीबी बताया जा रहा है। आरोप है कि वोहरा ने जेडे के पवई स्थित घर का पता और उसके बाइक का रजिस्‍ट्रेशन नंबर छोटा राजन को मुहैया कराया था।

वोहरा भी जेडे की तरह क्राइम रिपोर्टर है और अंग्रेजी अखबार 'एशियन एज' में वरिष्‍ठ संवाददाता के पद पर कार्यरत है। इससे पहले वोहरा ‘मुंबई मिरर (2005 से 2007 तक) में काम कर चुकी है और शायद उसी दौरान जेडे से उनकी मुलाकात हुई।

जेडे ‘मिड डे’ में काम करते थे। वोहरा को अबु सलेम और मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्‍पेशलिस्‍ट दया नायक का करीबी भी बताया जाता है। जेडे की हत्‍या के सिलसिले में इससे पहले तीन जुलाई को मुंबई से एक बिल्डर विनोद असरानी को गिरफ्तार किया गया था। विनोद पर छोटा राजन और जेडे की हत्या करने वालों के बीच बिचौलिए की भूमिका निभाने का आरोप है।

इस साल 11 जून को पत्रकार जे डे की हत्या कर दी गई थी। पुलिस के मुताबिक छोटा राजन ने इस बिल्डर के जरिए ही जेडे की सुपारी लेने वाले सतीश कालिया को पैसे सौंपे थे। विनोद ही वो शख्स है जिसने हत्यारों के लिए जेडे की पहचान की थी।

थप्पड़ का बदला थप्पड़ से ...

जी हाँ दोस्तों मिडिया के सामने सूरमा बनकर केन्द्रीय मंत्री शरद पंवार के मुंह पर थप्पड़ जड़ कर खुद को हीरो समझने वाले मानसिक रोगी अपराधी की उस वक्त घिग्घी बन गयी जब उस पर शरद पंवार समर्थक ने अदालत में ही थप्पड़ का बदला थप्पड़ से लेकर एक धमाकेदार चांटा उसके गल पर जड़ दिया .... शरद पंवार के गाल पर चांटा और हरविन्द्र हमलावर के गाल पर शरद पंवार समर्थक का चांटा दोनों ही गलत हैं लेकिन मर्यादाएं लांघने वाले को खुद को अंतिम बहादुर या गुंडा नहीं समझ लेना चाहिए हमने और आपने बड़े बड़े सूरमाओं को पजामे गिले करते देखा है बड़ी बड़ी बातें करने वालों को सरहदों से डर कर भागते देखा है आन्दोलन कारियों को घरों में छुपते देखा है तो फिर यह जनाब नोसिखिये किस खेत की मूली है अगर नेताओं और समाज सेवकों पर हमला करने वाले लोगों के साथ उनके समर्थकों ने वेसा ही व्यवहार शुरू कर दिया तो ऐसे लोगों की एक बोटी एक हड्डी भी बचना मुश्किल है और अगर ऐसा होने लगा तो फिर इस देश बहुत गलत परम्परा पढ़ जायेगी ..इन दिनों लगातार बढ़ रही इन हरकतों पर रोक के लियें हमे कानून ..सुरक्षा और मर्यादा के बारे में भी कुछ चिन्तन मंथन करना होगा और देश को इस होने वाली नई हिंसा नई अराजकता से बचना होगा .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कुरान का संदेश

यह है गीता का ज्ञान ....

(भगवान द्वारा अपने विश्वरूप के दर्शन की महिमा का कथन तथा चतुर्भुज और सौम्य रूप का दिखाया जाना)
श्रीभगवानुवाच
मया प्रसन्नेन तवार्जुनेदंरूपं परं दर्शितमात्मयोगात्‌ ।
तेजोमयं विश्वमनन्तमाद्यंयन्मे त्वदन्येन न दृष्टपूर्वम्‌ ॥
भावार्थ : श्री भगवान बोले- हे अर्जुन! अनुग्रहपूर्वक मैंने अपनी योगशक्ति के प्रभाव से यह मेरे परम तेजोमय, सबका आदि और सीमारहित विराट् रूप तुझको दिखाया है, जिसे तेरे अतिरिक्त दूसरे किसी ने पहले नहीं देखा था॥47॥
न वेदयज्ञाध्ययनैर्न दानैर्न च क्रियाभिर्न तपोभिरुग्रैः।
एवं रूपः शक्य अहं नृलोके द्रष्टुं त्वदन्येन कुरुप्रवीर ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! मनुष्य लोक में इस प्रकार विश्व रूप वाला मैं न वेद और यज्ञों के अध्ययन से, न दान से, न क्रियाओं से और न उग्र तपों से ही तेरे अतिरिक्त दूसरे द्वारा देखा जा सकता हूँ।48॥
मा ते व्यथा मा च विमूढभावोदृष्ट्वा रूपं घोरमीदृङ्‍ममेदम्‌।
व्यतेपभीः प्रीतमनाः पुनस्त्वंतदेव मे रूपमिदं प्रपश्य ॥
भावार्थ : मेरे इस प्रकार के इस विकराल रूप को देखकर तुझको व्याकुलता नहीं होनी चाहिए और मूढ़भाव भी नहीं होना चाहिए। तू भयरहित और प्रीतियुक्त मनवाला होकर उसी मेरे इस शंख-चक्र-गदा-पद्मयुक्त चतुर्भुज रूप को फिर देख॥49॥
संजय उवाच
इत्यर्जुनं वासुदेवस्तथोक्त्वा स्वकं रूपं दर्शयामास भूयः ।
आश्वासयामास च भीतमेनंभूत्वा पुनः सौम्यवपुर्महात्मा ॥
भावार्थ : संजय बोले- वासुदेव भगवान ने अर्जुन के प्रति इस प्रकार कहकर फिर वैसे ही अपने चतुर्भुज रूप को दिखाया और फिर महात्मा श्रीकृष्ण ने सौम्यमूर्ति होकर इस भयभीत अर्जुन को धीरज दिया॥50॥
बिना अनन्य भक्ति के चतुर्भुज रूप के दर्शन की दुर्लभता का और फलसहित अनन्य भक्ति का कथन) )
अर्जुन उवाच
दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तव सौम्यं जनार्दन।
इदानीमस्मि संवृत्तः सचेताः प्रकृतिं गतः॥
भावार्थ : अर्जुन बोले- हे जनार्दन! आपके इस अतिशांत मनुष्य रूप को देखकर अब मैं स्थिरचित्त हो गया हूँ और अपनी स्वाभाविक स्थिति को प्राप्त हो गया हूँ॥51॥
श्रीभगवानुवाच
सुदुर्दर्शमिदं रूपं दृष्टवानसि यन्मम।
देवा अप्यस्य रूपस्य नित्यं दर्शनकाङ्‍क्षिणः॥
भावार्थ : श्री भगवान बोले- मेरा जो चतुर्भज रूप तुमने देखा है, वह सुदुर्दर्श है अर्थात्‌ इसके दर्शन बड़े ही दुर्लभ हैं। देवता भी सदा इस रूप के दर्शन की आकांक्षा करते रहते हैं॥52॥
नाहं वेदैर्न तपसा न दानेन न चेज्यया।
शक्य एवं विधो द्रष्टुं दृष्ट्वानसि मां यथा ॥
भावार्थ : जिस प्रकार तुमने मुझको देखा है- इस प्रकार चतुर्भुज रूप वाला मैं न वेदों से, न तप से, न दान से और न यज्ञ से ही देखा जा सकता हूँ॥53॥
भक्त्या त्वनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन ।
ज्ञातुं द्रष्टुं च तत्वेन प्रवेष्टुं च परन्तप ॥
भावार्थ : परन्तु हे परंतप अर्जुन! अनन्य भक्ति (अनन्यभक्ति का भाव अगले श्लोक में विस्तारपूर्वक कहा है।) के द्वारा इस प्रकार चतुर्भुज रूपवाला मैं प्रत्यक्ष देखने के लिए, तत्व से जानने के लिए तथा प्रवेश करने के लिए अर्थात एकीभाव से प्राप्त होने के लिए भी शक्य हूँ॥54॥
मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्तः सङ्‍गवर्जितः ।
निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स मामेति पाण्डव ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! जो पुरुष केवल मेरे ही लिए सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को करने वाला है, मेरे परायण है, मेरा भक्त है, आसक्तिरहित है और सम्पूर्ण भूतप्राणियों में वैरभाव से रहित है (सर्वत्र भगवद्बुद्धि हो जाने से उस पुरुष का अति अपराध करने वाले में भी वैरभाव नहीं होता है, फिर औरों में तो कहना ही क्या है), वह अनन्यभक्तियुक्त पुरुष मुझको ही प्राप्त होता है॥55॥
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायांयोगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे विश्वरूपदर्शनयोगो नामैकादशोऽध्यायः ॥11॥

इस एक किलो पालक की कीमत आपके रौंगटे खड़े कर देगी



जी हां आप बाजार से पालक खरीदने जाते हैं तो उसके लिए कितनी कीमत अदा करेंगे ज्यादा से ज्यादा 30-40 रुपए लेकिन जर्मन वैज्ञानिक एक ऐसी पालक की पैदावार में लगे हैं जिसकी एक किलो की कीमत तकरीबन 35 लाख रुपए होगी। जर्मनी के वैज्ञानिक कुछ खास तरह की सब्जियां उगाने में लगे हैं जिसमें खास तरह के तत्व होंगे जो बिमारियों से लड़ने में सक्षम होंगे।

आमतौर पर सब्जियों में पाया जाने वाला फअलैवोनोइड तत्व रक्तसंचार को काबू में रखने के साथ दिल की बिमारियों और कैंसर से लड़ने में भी काफी कारगार होता है लेकिन जर्मन वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की जा रही इन सब्जियों में यह तत्व ज्यादा मात्रा में होगा। इसके लिए वैज्ञानिकों ने पुदीने और पालक के पौधे को चुना है।

आपको बता दें कि सामान्यत सब्जियां उगाने के लिए कार्बनडाईऑक्साइड की जरुरत होती है सामान्य वातावरण में यह 12सी होती है लेकिन इन खास तरह की सब्जियों के लिए 13सी कार्बन डाईऑक्साइड की जरुरत होती है जिसकी चार हजार लीटर की एक बोतल कीमत 70 लाख रुपए होती है इसलिए यह सब्जियां भी महंगी होंगी।

कहाँ से सूझा ?”

आठ साल के एक बालक ने एक दिन अपने पिता से पूछा—”पापा-पापा, कॉल-गर्ल किसे कहते हैं ? सवाल सुनकर पिताजी चकरा गये. हडबड़ा कर बोले–”बेटा वो……..वो ऐसा है, टेलीफ़ोन के जो कॉल सेंटर होते हैं ना, उन पर काम करने वाली लड़कियों को कॉल-गर्ल कहते हैं. लेकिन ये तो बताओ तुम्हे ये अनोखा सवाल कहाँ से सूझा ?” पुत्र ने पलट कर कहा –”पिताजी, पहले आप बताइए, आप को ये अनोखा जवाब कहाँ से सूझा ?”

हनुमानगढ़ः बुजुर्ग ससुर ने मारी दो बहुओं को गोली


हनुमानगढ़. संगरिया तहसील में एक व्यक्ति ने शुक्रवार सुबह अपनी दोनों पुत्रवधुओं को गोली मार दी। वार्ड पांच में रहने वाले अस्सी वर्षीय निरंजन सिंह ने इस वारदात को तब अंजाम दिया जब घर में दोनों पुत्रवधु सतवंत कौर (43)पत्नी स्वर्गीय इंद्रजीत सिंह तथा जसबीर कौर (35)पत्नी अमरजीत के अलावा कोई नहीं था। जानकारों का कहना है कि किसी बात पर निरंजनसिंह तैश में आ गया और अपनी लाइसेंसी राइफल से दोनों को गोली मार दी।

पड़ोसियों ने दोनों महिलाओं को स्थानीय राजकीय अस्पताल पहुंचाया जहां से उन्हें हनुमानगढ़ के लिए रेफर कर दिया गया। हनुमानगढ़ टाउन के चिकित्सालय ने भी दोनों को बीकानेर के लिए रेफर कर दिया। महिलाओं की हालत नाजुक बनी हुई है। जानकारी के अनुसार दोनों महिलाएं रिश्ते में बुआ-भतीजी भी हैं। बड़ी बहू के पति का देहांत हो चुका है तथा दूसरी बहू का पति पेशे से अध्यापक है। वारदात के समय परिवार का कोई सदस्य घर में मौजूद नहीं था।

कोर्ट में हरविंदर को जड़ा चांटा, फूंका अन्‍ना का पुतला: पवार समर्थकों के हंगामे पर भड़के अन्‍ना


| Email

नई दिल्‍ली. केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के गाल पर थप्‍पड़ पड़ने के बाद से दिल्‍ली से लेकर महाराष्‍ट्र तक में गुस्‍सा है। उन्‍हें थप्‍पड़ मारने वाले ह‍रविंदर सिंह को शुक्रवार को पवार के एक समर्थक ने थप्‍पड़ मार कर बदला लिया। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के दौरान यह वाकय हुआ।

हरविंदर सिंह ने जज से कहा कि यदि उसे छोड़ दिया गया तो वह फिर नेताओं पर हमला करेगा। इस पर न्यायालय ने उसे लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

पेशी के दौरान हरविंदर को थप्‍पड़ मारने वाले राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की हरियाणा युवा इकाई के कार्यकर्ता दिनेश कुमार जोशी ने कहा कि जेल से बाहर निकलने पर उसे फिर मारा जाएगा। जोशी ने कहा कि उसने हमारे बॉस को मारा है। उन्‍होंने मीडिया से बातचीत में खुली चुनौती देते हुए कहा कि नेताओं पर हमला करने वाले ऐसे लोगों को खोज खोज कर पीटा जाएगा।

एनसीपी के कार्यकर्ता महाराष्‍ट्र में भी खूब हंगामा कर रहे हैं। पार्टी ने शुक्रवार को पुणे बंद का आह्वाण किया है। अन्‍ना के गांव में पवार समर्थकों ने जम कर उनका विरोध किया। उनकी अन्‍ना के समर्थकों से झड़प भी हुई। एनसीपी कार्यकर्ताओं ने अन्‍ना हजारे का पुतला भी फूंका। इसके बाद अन्‍ना की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

अन्‍ना ने कहा है कि जब पुणे में पुलिस फायरिंग में कई किसान मारे गए थे तब एनसीपी के कार्यकर्ता सड़कों पर नहीं उतरे थे और पवार को एक थप्‍पड़ पड़ने पर वे हंगामा मचा रहे हैं।
एनसीपी ने शुक्रवार को यह मुद्दा संसद में भी उठाया। संसद ने पवार पर हुए हमले की निंदा की। लोकसभा की कार्यवाही एक बार स्‍थगित होने के बाद 12 बजे दोबारा शुरू हुई तो तमाम पार्टियों के सांसदों ने एक सुर में इस घटना की निंदा की और इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। खास बात यह रही कि इस दौरान सदन में शांति बनी रही। शीतकालीन सत्र शुरू (22 नवंबर) होने के बाद से पहली बार सदन में इस तरह की शांति दिखी और नेताओं ने अपनी बात कही। इस मुद्दे पर उनकी बात खत्‍म होते ही फिर से हंगामा शुरू हुआ और करीब एक बजे सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्‍थगित करनी पड़ी। इस बार हंगामा रीटेल सेक्‍टर में एफडीआई की मंजूरी को लेकर था। राज्‍यसभा की कार्यवाही इसी मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के चलते पहले ही सोमवार तक के लिए स्‍थगित की जा चुकी थी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...