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26 नवंबर 2011

इसे कोंग्रेस की लापरवाही कहें या मानसिकता

दोस्तों कोंग्रेस पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों के नाम पर वोटों की राजनीति के आरोप लगते रहे हैं और मुसलमान वोटर भेड़ चाल की तरह चुनाव के दिन बिना कुछ सोचे समझे घर से निकलता है और वापस घर में जाकर सो जाता है यह सच भी सारा देश जानता है नहीं जानती तो केवल कोंग्रेस और उसके नेता ॥ राजस्थान सरकार ने हाल ही में राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन पद पर हाडोती सम्भाग कोटा के मोलाना फजले हक को नियुक्त किया अपनी नियुक्ति के बाद वोह पहली बार कोटा आये उनके आने का पुरे कोटा में प्रचार प्रसार था और जब स्टेशन पर उन्हें लेने पहुंचे तो उनके ही समाज के लोग वहां मोजूद थे सरकार के प्रतिनिधि के रूप में सुरक्षा कर्मी तो थे लेकिन कोंग्रेस पार्टी के रूप में वहां एक भी प्रतिनिधि नहीं था केवल संसद इजय्राज समर्थक हिम्मत सिंह हाडा ही वहां पहुंचे थे ॥ शहर के मुसलमानों ने जब स्टेशन पर कोंग्रेस की इस उपेक्षा को देखा तो उनका सर चकरा गया खेर कोई बात नहीं सोचा अब कोंग्रेस कार्यालय में ही कार्यवाही होना है वहां मोलाना फजले हक का स्वागत होगा मोलाना फजले हक ने कोंग्रेस के अध्यक्ष गोविन्द शर्मा को फोन कर दिया था गोविन्द शर्मा केठुनिपोल के है और अधिकतम दोस्त उनके मुस्लिम समाज के है उनकी इस समाज में बहतरीन विशवास वाली छवि है इसलियें उन्हें तो जाना ही था वोह कोंग्रेस कार्यालय गये वहां कार्यक्रम भी हुआ स्वागत भी हुआ लेकिन कोंग्रेस के दुसरे पदाधिकारी और कार्यकर्ता गायब थे केवल नरेश विजय वर्गीय संतोष और गोविन्द जी बावी मोलाना फजले हक के साथ आये हुए लोग थे एक सलीम भाई गुड्डा भाई और थे अब एक राज्य स्तरीय मंत्री का दर्जा लेकर कोई सरकार कोई संगठन से जुडा आदमी पहली बार कोटा आये और उसकी ऐसी उपेक्षा क्या साबित करती है या तो वोह कोंग्रेस के मिजाज़ के नहीं या फिर कोंग्रेस के कोटा के लोग उनसे खुश नहीं या फिर वोह एक ऐसे वोटर तबके के है जिनके बारे में कोंग्रेस जानती है कितनी ही उपेक्षा करो वोह आखिर जायेंगे कहा ॥ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह है गीता का ज्ञान ......

(ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय)
श्रीभगवानुवाच
इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते।
एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः॥
भावार्थ : श्री भगवान बोले- हे अर्जुन! यह शरीर 'क्षेत्र' (जैसे खेत में बोए हुए बीजों का उनके अनुरूप फल समय पर प्रकट होता है, वैसे ही इसमें बोए हुए कर्मों के संस्कार रूप बीजों का फल समय पर प्रकट होता है, इसलिए इसका नाम 'क्षेत्र' ऐसा कहा है) इस नाम से कहा जाता है और इसको जो जानता है, उसको 'क्षेत्रज्ञ' इस नाम से उनके तत्व को जानने वाले ज्ञानीजन कहते हैं॥1॥
क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत।
क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोर्ज्ञानं यत्तज्ज्ञानं मतं मम॥
भावार्थ : हे अर्जुन! तू सब क्षेत्रों में क्षेत्रज्ञ अर्थात जीवात्मा भी मुझे ही जान (गीता अध्याय 15 श्लोक 7 और उसकी टिप्पणी देखनी चाहिए) और क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ को अर्थात विकार सहित प्रकृति और पुरुष का जो तत्व से जानना है (गीता अध्याय 13 श्लोक 23 और उसकी टिप्पणी देखनी चाहिए) वह ज्ञान है- ऐसा मेरा मत है॥2॥
तत्क्षेत्रं यच्च यादृक्च यद्विकारि यतश्च यत्‌।
स च यो यत्प्रभावश्च तत्समासेन मे श्रृणु॥
भावार्थ : वह क्षेत्र जो और जैसा है तथा जिन विकारों वाला है और जिस कारण से जो हुआ है तथा वह क्षेत्रज्ञ भी जो और जिस प्रभाववाला है- वह सब संक्षेप में मुझसे सुन॥3॥
ऋषिभिर्बहुधा गीतं छन्दोभिर्विविधैः पृथक्‌ ।
ब्रह्मसूत्रपदैश्चैव हेतुमद्भिर्विनिश्चितैः ॥
भावार्थ : यह क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ का तत्व ऋषियों द्वारा बहुत प्रकार से कहा गया है और विविध वेदमन्त्रों द्वारा भी विभागपूर्वक कहा गया है तथा भलीभाँति निश्चय किए हुए युक्तियुक्त ब्रह्मसूत्र के पदों द्वारा भी कहा गया है॥4॥
महाभूतान्यहङ्‍कारो बुद्धिरव्यक्तमेव च ।
इन्द्रियाणि दशैकं च पञ्च चेन्द्रियगोचराः ॥
भावार्थ : पाँच महाभूत, अहंकार, बुद्धि और मूल प्रकृति भी तथा दस इन्द्रियाँ, एक मन और पाँच इन्द्रियों के विषय अर्थात शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध॥5॥
इच्छा द्वेषः सुखं दुःखं सङ्‍घातश्चेतना धृतिः ।
एतत्क्षेत्रं समासेन सविकारमुदाहृतम्‌ ॥
भावार्थ : तथा इच्छा, द्वेष, सुख, दुःख, स्थूल देहका पिण्ड, चेतना (शरीर और अन्तःकरण की एक प्रकार की चेतन-शक्ति।) और धृति (गीता अध्याय 18 श्लोक 34 व 35 तक देखना चाहिए।)-- इस प्रकार विकारों (पाँचवें श्लोक में कहा हुआ तो क्षेत्र का स्वरूप समझना चाहिए और इस श्लोक में कहे हुए इच्छादि क्षेत्र के विकार समझने चाहिए।) के सहित यह क्षेत्र संक्षेप में कहा गया॥6॥
अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम्‌ ।
आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्मविनिग्रहः ॥
भावार्थ : श्रेष्ठता के अभिमान का अभाव, दम्भाचरण का अभाव, किसी भी प्राणी को किसी प्रकार भी न सताना, क्षमाभाव, मन-वाणी आदि की सरलता, श्रद्धा-भक्ति सहित गुरु की सेवा, बाहर-भीतर की शुद्धि (सत्यतापूर्वक शुद्ध व्यवहार से द्रव्य की और उसके अन्न से आहार की तथा यथायोग्य बर्ताव से आचरणों की और जल-मृत्तिकादि से शरीर की शुद्धि को बाहर की शुद्धि कहते हैं तथा राग, द्वेष और कपट आदि विकारों का नाश होकर अन्तःकरण का स्वच्छ हो जाना भीतर की शुद्धि कही जाती है।) अन्तःकरण की स्थिरता और मन-इन्द्रियों सहित शरीर का निग्रह॥7॥
इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहङ्‍कार एव च ।
जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम्‌ ॥
भावार्थ : इस लोक और परलोक के सम्पूर्ण भोगों में आसक्ति का अभाव और अहंकार का भी अभाव, जन्म, मृत्यु, जरा और रोग आदि में दुःख और दोषों का बार-बार विचार करना॥8॥
असक्तिरनभिष्वङ्‍ग: पुत्रदारगृहादिषु ।
नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु ॥
भावार्थ : पुत्र, स्त्री, घर और धन आदि में आसक्ति का अभाव, ममता का न होना तथा प्रिय और अप्रिय की प्राप्ति में सदा ही चित्त का सम रहना॥9॥
मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी ।
विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि ॥
भावार्थ : मुझ परमेश्वर में अनन्य योग द्वारा अव्यभिचारिणी भक्ति (केवल एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर को ही अपना स्वामी मानते हुए स्वार्थ और अभिमान का त्याग करके, श्रद्धा और भाव सहित परमप्रेम से भगवान का निरन्तर चिन्तन करना 'अव्यभिचारिणी' भक्ति है) तथा एकान्त और शुद्ध देश में रहने का स्वभाव और विषयासक्त मनुष्यों के समुदाय में प्रेम का न होना॥10॥
अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्वज्ञानार्थदर्शनम्‌ ।
एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा ॥
भावार्थ : अध्यात्म ज्ञान में (जिस ज्ञान द्वारा आत्मवस्तु और अनात्मवस्तु जानी जाए, उस ज्ञान का नाम 'अध्यात्म ज्ञान' है) नित्य स्थिति और तत्वज्ञान के अर्थरूप परमात्मा को ही देखना- यह सब ज्ञान (इस अध्याय के श्लोक 7 से लेकर यहाँ तक जो साधन कहे हैं, वे सब तत्वज्ञान की प्राप्ति में हेतु होने से 'ज्ञान' नाम से कहे गए हैं) है और जो इसके विपरीत है वह अज्ञान (ऊपर कहे हुए ज्ञान के साधनों से विपरीत तो मान, दम्भ, हिंसा आदि हैं, वे अज्ञान की वृद्धि में हेतु होने से 'अज्ञान' नाम से कहे गए हैं) है- ऐसा कहा है॥11॥
ज्ञेयं यत्तत्वप्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वामृतमश्नुते ।
अनादिमत्परं ब्रह्म न सत्तन्नासदुच्यते ॥
भावार्थ : जो जानने योग्य है तथा जिसको जानकर मनुष्य परमानन्द को प्राप्त होता है, उसको भलीभाँति कहूँगा। वह अनादिवाला परमब्रह्म न सत्‌ ही कहा जाता है, न असत्‌ ही॥12॥
सर्वतः पाणिपादं तत्सर्वतोऽक्षिशिरोमुखम्‌ ।
सर्वतः श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति ॥
भावार्थ : वह सब ओर हाथ-पैर वाला, सब ओर नेत्र, सिर और मुख वाला तथा सब ओर कान वाला है, क्योंकि वह संसार में सबको व्याप्त करके स्थित है। (आकाश जिस प्रकार वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी का कारण रूप होने से उनको व्याप्त करके स्थित है, वैसे ही परमात्मा भी सबका कारण रूप होने से सम्पूर्ण चराचर जगत को व्याप्त करके स्थित है) ॥13॥
सर्वेन्द्रियगुणाभासं सर्वेन्द्रियविवर्जितम्‌ ।
असक्तं सर्वभृच्चैव निर्गुणं गुणभोक्तृ च ॥
भावार्थ : वह सम्पूर्ण इन्द्रियों के विषयों को जानने वाला है, परन्तु वास्तव में सब इन्द्रियों से रहित है तथा आसक्ति रहित होने पर भी सबका धारण-पोषण करने वाला और निर्गुण होने पर भी गुणों को भोगने वाला है॥14॥
बहिरन्तश्च भूतानामचरं चरमेव च ।
सूक्ष्मत्वात्तदविज्ञयं दूरस्थं चान्तिके च तत्‌ ॥
भावार्थ : वह चराचर सब भूतों के बाहर-भीतर परिपूर्ण है और चर-अचर भी वही है। और वह सूक्ष्म होने से अविज्ञेय (जैसे सूर्य की किरणों में स्थित हुआ जल सूक्ष्म होने से साधारण मनुष्यों के जानने में नहीं आता है, वैसे ही सर्वव्यापी परमात्मा भी सूक्ष्म होने से साधारण मनुष्यों के जानने में नहीं आता है) है तथा अति समीप में (वह परमात्मा सर्वत्र परिपूर्ण और सबका आत्मा होने से अत्यन्त समीप है) और दूर में (श्रद्धारहित, अज्ञानी पुरुषों के लिए न जानने के कारण बहुत दूर है) भी स्थित वही है॥15॥
अविभक्तं च भूतेषु विभक्तमिव च स्थितम्‌ ।
भूतभर्तृ च तज्ज्ञेयं ग्रसिष्णु प्रभविष्णु च ॥
भावार्थ : वह परमात्मा विभागरहित एक रूप से आकाश के सदृश परिपूर्ण होने पर भी चराचर सम्पूर्ण भूतों में विभक्त-सा स्थित प्रतीत होता है (जैसे महाकाश विभागरहित स्थित हुआ भी घड़ों में पृथक-पृथक के सदृश प्रतीत होता है, वैसे ही परमात्मा सब भूतों में एक रूप से स्थित हुआ भी पृथक-पृथक की भाँति प्रतीत होता है) तथा वह जानने योग्य परमात्मा विष्णुरूप से भूतों को धारण-पोषण करने वाला और रुद्ररूप से संहार करने वाला तथा ब्रह्मारूप से सबको उत्पन्न करने वाला है॥16॥
ज्योतिषामपि तज्ज्योतिस्तमसः परमुच्यते ।
ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यं हृदि सर्वस्य विष्ठितम्‌ ॥
भावार्थ : वह परब्रह्म ज्योतियों का भी ज्योति (गीता अध्याय 15 श्लोक 12 में देखना चाहिए) एवं माया से अत्यन्त परे कहा जाता है। वह परमात्मा बोधस्वरूप, जानने के योग्य एवं तत्वज्ञान से प्राप्त करने योग्य है और सबके हृदय में विशेष रूप से स्थित है॥17॥
इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासतः ।
मद्भक्त एतद्विज्ञाय मद्भावायोपपद्यते ॥
भावार्थ : इस प्रकार क्षेत्र (श्लोक 5-6 में विकार सहित क्षेत्र का स्वरूप कहा है) तथा ज्ञान (श्लोक 7 से 11 तक ज्ञान अर्थात ज्ञान का साधन कहा है।) और जानने योग्य परमात्मा का स्वरूप (श्लोक 12 से 17 तक ज्ञेय का स्वरूप कहा है) संक्षेप में कहा गया। मेरा भक्त इसको तत्व से जानकर मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है॥18॥

कुरान का संदेश .....

नानी के नुस्खे- सर्द मौसम में...फटे होंठों के दर्द से मिलेगा छुटकारा



ठंड के मौसम में होंठों का फटना एक आम समस्या हो जाती है। इस मौसम में होंठ कुम्हला जाते हैं, फटने लगते हैं। ऐसे में होंठों की सुंदरता खत्म होने लगती है। अगर आप भी अपने होठों के फटने या कालेपन से परेशान हैं तो टेंशन न लें, नीचे दिए जा रहे कुछ आसान नानी के नुस्खों से आप अपने होठों की सुन्दरता को चार चांद लगा सकते हैं....

मूंगफली- नहाने से पहले हथेली में चौथाई चम्मच मूंगफली का तेल लेकर अंगुली से हथेली में रगड़े। फिर होंठो पर इसकी मालिश करें। होंठो के लिए यह लाभप्रद है।

सरसो तेल- सोने से पहले सरसों का तेल नाभि पर लगाने से होंठ नहीं फटते।

घी- घी में जरा सा नमक मिलाकर होंठों व नाभि पर लगाने से होंठ फटना बंद हो जाते हैं।

बादाम-पांच बादाम रोज सुबह-शाम खाने से होंठ नहीं फटते।

ग्लिसरीन - नित्य दो बार होंठों पर ग्लिसरीन लगाने से लाभ होता है।

इलायची- इलायची पीस कर मक्खन में मिलाकर रोज दिन में दो बार कम से कम सात दिन लगाएं।

गुलाब- गुलाब के फूल को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई या दूध मिलाकर होंठों पर लेप करें।

सिर्फ किसी को आकर्षित करने के लिए नहीं होता है श्रंगार....


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सुंदरता भगवान की विभूति है। सौंदर्य और श्रंगार परमात्मा को पसंद हैं। सामान्य तौर पर श्रंगार को शरीर से जोड़कर देखा और समझा गया है और इसीलिए श्रंगार वासना के लिए सेतु बन जाता है। सौंदर्य का संबंध जब तक शरीर से रहेगा, यह भोग का विषय होगा।

लेकिन सुंदरता ईश्वर से जुड़ते ही अनुभूति हो जाती है। सौंदर्य को केवल संसार से जोड़ेंगे तो श्रंगार केवल रूप संयोजन होगा और यदि यह भगवान से जुड़ता है तो इसमें पवित्रता आ जाती है। भगवान की दुनिया में पवित्रता सबसे अच्छा श्रंगार और सौंदर्य है। यदि पवित्रता हो तो सादगी भी गजब का श्रंगार बन जाएगी। श्रंगार में यदि स्वरूपता न हो तो वह भी अभद्रता ही है।

अब तो श्रंगार का अर्थ एक-दूसरे को आकर्षित करना ही रह गया है। श्रंगार को शस्त्र बनाकर शरीर के आक्रमण हो रहे हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने श्रंगार के लिए एक साधन बताया है, इसे संसार तप के नाम से जानता है। तप एकांत की घटना है, इसमें प्रदर्शन नहीं होता। तप से जो सौंदर्य प्राप्त होता है, वह ईश्वर का ही सौंदर्य है।

केवल शरीर को ही न संवारा जाए, संवारने के लिए जीवन में और भी कई उपाय हैं। बहुत कम लोग समझ पाते हैं कि समय को भी संवारा जाता है। समय का सदुपयोग करें, यह एक बड़ी शिक्षा है, लेकिन खाली समय में क्या करें, यह उससे भी अधिक समझ का मामला है। खाली समय का सदुपयोग कैसे करें, यह समय का श्रंगार है। अपने लोगों के साथ खाली समय प्रेम से बिताया जाए, यह भी एक श्रंगार है और पारिवारिक जीवन को सौंदर्य प्रदान करता है।

शक्ति का सही उपयोग कैसे किया जाए, सीखिए भगवान राम से...

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रामायण में चलते हैं। भगवान राम ने अपने तीनों भाइयों के साथ गुरु वशिष्ठ से सारी शिक्षा ली। वे राजकुमार तो थे ही, धनुर्विद्या के भी निपुण योद्धा थे। शक्ति भी थी और सामथ्र्य भी। पूरे राजसी ठाठ से जीवन गुजर रहा था। तभी एक दिन ऋषि विश्वामित्र आ पहुंचे। उन्होंने दशरथ से राम और लक्ष्मण मांग लिए।

रावण की राक्षस सेना का आतंक बढ़ रहा था और वे ऋषियों के हवन-यज्ञों को बंद करा रहे थे। राक्षसों के संहार के लिए विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को चुना। दशरथ पहले डरे लेकिन फिर गुरुओं की बात को मानकर राम-लक्ष्मण को उनके साथ भेज दिया।

राम शक्तिशाली राक्षसों का मारकर ऋषियों को भयमुक्त कर दिया। यहां राम का काम पूरा हो चुका था लेकिन उन्होंने ऋषि विश्वामित्र का साथ ततकाल नहीं छोड़ा। उनके साथ जंगल-जंगल और कई नगरों में घूमते रहे। राम का कहना था कि और भी कहीं कोई राक्षस ब्राह्मणों, ऋषियों, निर्बलों या गौओं का नष्ट कर रहे हों या उनके कार्यों में बाधा डाल रहे हों तो मैं उनका नाश करने के लिए तैयार हूं।

शक्ति है तो उसका पहला उपयोग निर्बलों की सहायता, समाज की सेवा और विश्व के उत्थान में लगाना चाहता हूं। इस पूरे अभियान में राम ने कई राक्षसों को मार गिराया। विश्वामित्र ने राम को प्रसन्न होकर कई दिव्यास्त्र भी दिए, जो बाद में रावण से युद्ध में काम आए।

शक्ति का सबसे श्रेष्ठ उपयोग जनहित में ही हो सकता है। परमात्मा अगर शक्ति देता है तो वो सिर्फ उसका उपहार नहीं होती। वो एक जिम्मेदारी भी है। हमें धन, बल, बुद्धि या विद्या कोई भी शक्ति मिले तो उसका उपयोग सबसे पहले लोक हित में किया जाना चाहिए। तभी वो सफल और सुफल होगी।

कहा जाता है जिसे अपने सामथ्र्य का उपयोग करना आ गया, वो सारा संसार जीत सकता है। शक्तिशाली होना कोई उपलब्धि नहीं है, लेकिन अपनी शक्ति का सदुपयोग बहुत बड़ी उपलब्धि है। अगर अपनी शक्ति का, सामथ्र्य का सम्मान चाहते हैं तो दूसरों के लिए जीने की आदत डालनी होगी। मुश्किल में पड़े लोगों की सहायता से ही ताकत को सलाम मिलता है।

ताजा रिसर्च: नमक का ऐसा प्रयोग ले सकता है आपकी जान



नमक को कितना लें? ज्यादा लें ,कम लें ,नहीं लें, इस बारे में बड़ी भ्रांतियां बनी रहती हैं। लेकिन यह बात सत्य है, कि नमक को किसी भी रूप में ज्यादा या कम लेना नुकसानदायक होता है। आपके लिए नमक की औसत 24 घंटे की मात्रा आधा चम्मच (2.5 ग्राम ) से अधिक नहीं होनी चाहिए।

हाल ही में मैक मास्टर विश्वविद्यालय में किये गए एक अध्ययन से यह निष्कर्ष सामने आया है, कि नमक का ज्यादा या कम मात्रा में सेवन दिल के लिए खतरनाक हो सकता है।

दिल के रोगों से पीडि़त रोगियों के लिए नमक का कम या अधिक मात्रा में सेवन हार्ट फेल ,हार्ट अटेक,स्ट्रोक आदि से मौत का कारण बन सकता है। वैज्ञानिकों ने तीस हजार दिल के रोगियों के पेशाब के सेम्पल लेकर उनके सोडियम आउटपुट को मोनीटर किया। वैसे रोगी जो ज्यादा सोडियम ( आठ ग्राम से अधिक ) उत्सर्जित कर रहे थे।

उनमें कम सोडियम( चार से छह ग्राम ) उत्सर्जित कर रहे रोगियों की अपेक्षा 50 से 70 प्रतिशत हृदय रोगों से मृत्यु की संभावना देखी गयी। वैसे रोगी जिन्होंने मूत्र से कम सोडियम (दो ग्राम से कम ) उत्सर्जित किया। उनमें दिल के रोगों का प्रतिशत 37 पाया गया और इससे मौत का प्रतिशत 29 था। इस अध्ययन को जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित किया गया है।

सर, एक बार चुहिया भी बदल कर देख लेते।

प्रोफेसर ने अपनी खोज के बारे में बताया: मैंने एक चूहे के एक तरफ केक और दूसरी तरफ चुहिया रख दी। चूहा फौरन केक की तरफ लपका। दूसरी बार केक को बदल कर रोटी रख दी। चूहा रोटी की तरफ लपका। इस तरह कई बार फूड आइटम बदले। चूहा हर बार फूड आइटम की तरफ ही भागा। इससे यह साबित हो गया कि भूख में ही सबसे बड़ी ताकत है। इतने में पीछे से एक आवाज आई: सर, एक बार चुहिया भी बदल कर देख लेते।

'68 के हो गए हैं धारीवालजी, जुबान फिसल जाती है'


जयपुर.जयपुर महापौर ज्योति खंडेलवाल ने शनिवार को स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल पर बेबाक टिप्पणी करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियों को अन्यथा नहीं लेना चाहिए। वे अब 68 साल के हो चुके हैं और उनकी जुबान फिसल ही जाती है। इसे वे खुद भी स्वीकार कर चुके हैं। उधर स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि माफ कीजिए, मुझे इस मामले में कुछ भी नहीं कहना।

महापौर निगम के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में पत्रकारों के सवाल का जवाब दे रही थीं। जब उनसे धारीवाल द्वारा नगर निगम को ‘नरक निगम’ बताए जाने संबंधी मसले पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने यह टिप्पणी की। हालांकि मंत्री पर बेबाक टिप्पणी के बाद मेयर ने अपनी बात को संभालते हुए कहा कि वे हमारे मुखिया हैं।

उनको लगता है कि नगर निगम में काम गलत हो रहा है तो उसमें सुधार के लिए भी बताएं। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि मेयर भले ही सीधे चुनी गई हो, लेकिन जिस हिसाब से जिम्मेदारी बढ़ी उस हिसाब से सरकार अधिकार नहीं दे रही है।

सरकार से भी पूरा सहयोग मिले तो वे बेहतर काम करके दिखा सकते हैं। यह भी कहा कि अधिकारियों के कई बार अधिकार बढ़ाए गए जबकि मेयर के अधिकारों में कटौती हुई। अपने अधिकार मांगना कोई गलत तो नहीं, यह तो हक है।

इस्लामिक नया साल मुबारक हो


दोस्तों सभी भाइयों और बहनों ब्लोगर्स को इस्लामिक नया साल मुबारक हो । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सूर्य पूजा के असर से मिलती हैं ये अनूठी शक्तियां व गुण

धर्म की नजरिए से सूर्य जगत की आत्मा है। वहीं विज्ञान की दृष्टि से भी सूर्य ऊर्जा व बल का भण्डार और कालगणना का आधार है। इसलिए धार्मिक उपायों से सूर्य पूजा हो या वैज्ञानिक तरीकों से सूर्य की रोशनी या ऊर्जा को प्राप्त करना, यह तन व मन को पुष्ट कर स्वास्थ रूपी धन द्वारा द्रव्य रूपी धन (रुपया-पैसा) पाने की राह आसान बनाने वाली मानी गई है।

बहरहाल, धार्मिक नजरिए से सूर्य पूजा से जुड़े लाभ देखें तो भविष्य पुराण के मुताबिक नियमित रूप से श्रद्धा व आस्था से सूर्य पूजा के शुभ प्रभाव से सूर्य भक्त अनेक शक्तियों व गुणों का स्वामी बन जाता है। जिससे सांसारिक जीवन में बेजोड़ सफलता व प्रतिष्ठा मिलती है। सूर्य पूजा के लिए विशेष घड़ियां रविवार व सप्तमी तिथि हैं। जानते हैं सूर्य पूजा से कैसी शक्तियां व गुण प्राप्त होते हैं?

- सूर्य भक्त अद्भुत सहनशीलता पाकर हर मानसिक, शारीरिक व व्यावहारिक द्वंद्व पर विजय पाता है।

- सूर्य भक्ति निर्भय व वीर बनाकर नीति और ज्ञान संपन्न भी बनाती है।

- सूर्य पूजा सेवा भावी और परोपकारी बनाती है।

- सूर्य उपासना विद्वान, सारगर्भित व प्रभावी वाणी का स्वामी, बुद्धिमान बनाती है।

- सूर्य स्मरण आचरण पवित्र करने के साथ भद्र व प्रसन्नात्मा बनाती है।

- सूर्य भक्ति अहं, क्रोध, लालच, कामना, कपट और बुरे विचारों का भी अंत कर देती है।

10 को चंद्र ग्रहण इसलिए 15 दिन पहले से शुरु करें ये काम क्योंकि


10 दिसंबर को चंद्र ग्रहण है। इस ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए कल के शुभ मुहूर्त से उपाय करना शुरू कर दें। कल चंद्रमा की तिथि द्वितिया है। इस तिथि से चंद्रमा का कोई भी उपाय शुरू करें तो ग्रहण के बुरे असर से बच जाएंगे। इस ग्रहण का विशेष प्रभाव मेष, मिथुन वृष, सिंह, कन्या और मकर राशि वालों पर पड़ेगा। ज्योतिष के अनुसार इन राशि वालों को ग्रहण नहीं देखना चाहिए क्योंकि यह ग्रहण वृष राशि में ही होगा और इससे इन राशि वालों पर भी असर पड़ेगा।

इस ग्रहण पर इन राशि वालों को रोग, दुर्घटना, मानसिक रोग और तनाव से बचने के लिए राहु से संबंधित उपाय करने चाहिए।

लाल किताब के अनुसार कुछ उपाय ऐसे हैं जिनको करें तो राहु के प्रकोप से बच सकते हैं। इस ग्रहण पर राहु-चंद्र की युति के लिए अगर उपाय किए जाएं तो कई तरह के रोगों से बचा जा सकता है। मानसिक भय और तनाव राहु के प्रकोप से ही होते हैं इनसे भी बचा जा सकता है।

ये करें उपाय

- समान आकार के चांदी के दो छोटे टूकड़े लें और उनमें से एक को नदी में बहा दें और एक अपने पास रख लें।

- हर शनिवार को एक कोयला या काला नमक बहती में बहा दें।

- अपने सिर सेे सात बार श्रीफल घुमा कर बहती नदी में छोड़ दें।

- 43 दिन तक तांबे क सिक्का बहते पानी में प्रवाहित करें।

- चांदी का सांप बना कर उसकी पूजा करें और पानी में बहा दें।

- हर बुधवार को चार सौ ग्राम धनिया पानी में बहाएं।

- लाल चिटियों को चीनी खिलाएं।

- अपने घर के वायु कोण (पश्चिम-उत्तर) में एक लाल झंडा लगाएं।

रोज खाएं प्याज तो नहीं होंगी ये घातक बीमारियां...होंगे इतने सारे फायदे

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प्याज को वैसे तो हिन्दू धर्म के अनुसार तामसिक भोजन माना गया है। मान्यता है कि इसे खाने से ज्यादा गुस्सा आता है। लेकिन हम आयुर्वेद व चिकित्सा शास्त्र की माने तो प्याज के सेवन का एक नुकसान सही पर इसके अनेकों फायदे हैं। प्याज के सेवन से हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स का खतरा कम हो जाता है।

गौरतलब है कि शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढऩे से ही हार्ट अटैक आता है। रोज प्याज का सेवन करने से शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है। प्याज का रस बालों में लगाकर बाल झडऩे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। प्याज के टुकड़ों को बार-बार सूंघने से भी जमा हुआ कफ पानी बनकर बाहर निकल जाता है।

प्याज का पेस्ट लगाने से फटी ऐडिय़ों से राहत मिलती है। प्याज पर नींबू व नमक डालकर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।प्याज के सेवन से आँखों की ज्योति बढ़ती है।सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है। प्याज ब्लडप्रेशर कम करता है। प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से खून की कमी दूर होती है।

इस 400 साल पुरानी दुर्लभ ‘अंबर स्टोन’ से मिलेगा बच्चा!

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अगर आपने करामाती ‘अंबर स्टोन’ के बारे में सुना है तो व्यापार मेले के अंतिम शेष दो दिनों में इस दुर्लभ ‘अंबर स्टोन’ का दर्शन भारत सरकार के हॉल नम्बर 7 के एक नम्बर स्टोर पर करें। स्टॉल पर प्रदर्शित किए गए दुर्लभ ‘अंबर स्टोन’ को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। प्रसिद्ध वास्तु एक्सपर्ट डा. अनिल कथूरिया के अनुसार ‘अंबर स्टोन’ किसी भी प्रकार के निगेटिव ऊर्जा से बचाने में बेजोड़ है।
इसकी खासियत है कि अगर असली अंबर स्टोन हो तो जिस महिला का गर्भ बार-बार गिर जाता है वह ‘अंबर स्टोन’ की माला पहन ले या एक पत्थर भी गले में पहन ले तो असमय गर्भपात नहीं होगा और मातृत्व सुख आसानी से हासिल कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त इस स्टोन को पानी में डालकर उसका पानी पीने से आदमी का हृदय रोग व किसी भी प्रकार के रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
डा. कथूरिया ने बताया कि ‘अंबर स्टोन’ का निर्माण रूस के बाल्टिक सागर में पाईन ट्री के रिजन में निर्माण होता है और इसके बनने में ४ सौ से ५ सौ साल लगते हैं। कहा जाता है कि इस पत्थर के निर्माण के दौरान समुद्री जीवों, मकोड़ों पत्थर के अंदर ही रह जाते हैं जो ‘अंबर स्टोन’ धारण करने वाले इंसान का विपरित शक्तियों से बचाता है।

पाक में घुसकर नाटो ने मारे 28 सैनिक, माहौल तनावपूर्ण, नाटो सप्लाई रोकी गई



इस्‍लामाबाद. अफगानिस्‍तान में तैनात नाटो के सैनिकों ने शनिवार तड़के से थोड़ा पहले (दो बजे) पाकिस्‍तान की सीमा में घुसकर हमले किए। पाकिस्‍तानी सुरक्षा बल की एक चौकी पर हुए इस हमले में मारे गए सैनिकों की तादाद बढ़कर 28हो गई है। इस हमले में 14 सैनिकों के घायल होने की भी खबर है। नाटो के इस हमले से पाकिस्‍तान सरकार की बौखलाहट बढ़ गई है। प्रधानमंत्री सैयद यूसुफ रजा गिलानी ने नाटो सैनिकों के हमले की कड़ी निंदा की है। गिलानी ने इस हमले के बाद पैदा हुए हालात को लेकर वरिष्‍ठ अधिकारियों से चर्चा की है।

पाकिस्‍तान की सरकार ने इस मामले पर अमेरिका से विरोध दर्ज करा दिया है। यूरोपीय संघ के लिए पाकिस्‍तान के राजदूत जलील अब्‍बास जिलानी ने भी नाटो से इस मामले में कड़ा विरोध जताया है। हमले के विरोध में स्‍थानीय प्रशासन ने अफगानिस्‍तान स्थित नाटो सैनिकों के लिए जरूरी सामानों की पाकिस्‍तान के रास्‍ते की जाने वाली सप्‍लाई रोक दी है

पाकिस्‍तानी सेना के एक प्रवक्‍ता ने इस हमले की पुष्टि करते हुए बताया कि अफगानिस्‍तान के कुनार प्रांत की सीमा से लगते मोहमंद कबायली इलाके में नाटो के सैनिकों ने हवाई हमले किए। हमले के बाद नाटो के हेलीकॉप्‍टर फिर से अफगानिस्‍तान की ओर चले गए। नाटो का कहा है कि उसे भी ‘घटना’ की जानकारी है और इसकी पूरी सूचना जुटाई जा रही है। अमेरिका की अगुवाई वाली गठबंधन सेना का कहना है कि घटना की जांच की जा रही है। अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि नाटो के सैनिकों ने किन परिस्थितियों में हवाई हमले किए।

नाटो के हेलीकॉप्‍टरों ने यह हमला अफगानिस्‍तान की सीमा से महज ढाई किलोमीटर दूर स्थित सलाला चेकपोस्‍ट पर किया, जो मोहमंद प्रांत के बयजाई तहसील का हिस्‍सा है। हमले के वक्‍त स्‍थानीय समयानुसार करीब दो बजे थे। ‘जियो न्‍यूज’ के मुताबिक मरने वालों में पाकिस्‍तानी सेना के मेजर मुजाहिद और कैप्‍टन उस्‍मान शामिल हैं। इस घटना के बाद सुरक्षा बलों ने मोहमंद प्रांत स्थित सभी चौकियों पर सुरक्षा बढ़ा दी है।

स्‍थानीय मीडिया ने सेना के एक सीनियर अधिकारी के हवाले से कहा कि इस हमले के गंभीर नतीजे होंगे क्‍योंकि नाटो ने बिना किसी वजह के हमला कर दिया और सैनिकों को मार डाला जब वे गहरी नींद में थे। घायल सैनिकों को पेशावर ले जाया गया है। जबकि मारे गए सैनिक घलनई स्‍थित मिलिट्री हेडक्‍वार्टर शिफ्ट‍ किए जा सकते हैं।

ताजा हमले में सैनिकों के मारे जाने के बाद पाकिस्‍तान और अमेरिका के संबंधों में तनाव बढ़ने की आशंका है। गौरतलब है कि यह हमला ऐसे समय हुआ है जब पाकिस्‍तानी सेना के प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने अफगानिस्‍तान स्थित गठबंधन सेना के कमांडर जनरल एलन जोंस से मुलाकात कर सीमा पर सुरक्षा नियंत्रण मजबूत करने पर चर्चा की। कयानी और जोंस की यह मुलाकात शुक्रवार को रावलपिंडी में हुई।

पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान की सीमा पर स्थित कबायली इलाके तालिबान सहित कई आतंकी गुटों की शरणगाह हैं। अमेरिका की अगुवाई वाली नाटो के सैनिक इन इलाकों में पिछले कई महीने से हमले करते रहे हैं। पिछले साल अफगान सीमा के नजदीक अमेरिकी हेलीकॉप्‍टरों के हमले में दो पाकिस्‍तानी सैनिक मारे गए थे। पाकिस्‍तान की सरकार इसे अपनी संप्रभुता पर हमला करार देती है। बीते मई में एबटाबाद में अमेरिकी सैनिकों की कार्रवाई में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अमेरिका और पाकिस्‍तान के रिश्‍तों में कड़वाहट आई है।

राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन मोलाना फजले हक का कोटा में ज़ोरदार स्वागत

राजस्थान सरकार में हाल ही में नामज़द राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन मोलाना फजले हक का कोटा आगमन पर आज उनका ज़ोरदार स्वागत हुआ ..स्टेशन पर वक्फ बोर्ड के चेयरमेन अज़ीज़ अन्जारी सचिव आबिद हुसेन अब्बासी । सभी मदरसों और मस्जिदों के इमाम समितियों के अध्यक्ष मोजूद थे उनका आज कोंग्रेस कार्यालय में भी जिला कोंग्रेस अध्यक्ष गोविन्द शर्मा ने स्वागत किया ......... मोलाना फजले हक का आज कोटा प्रेस क्लब में भी पत्रकारों ने मीट द प्रेस कार्यक्रम में ज़ोरदार स्वागत किया और ख्वाजा साहब की तस्वीर भेंट कर उन्हें सम्मान दिया ........... मोलाना फजले हक कल ही जोधपुर से वापस लोटे हैं उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा के वोह गृह नगर कोटा से पहले अपने गुरुनगर जोधपुर इसीलियें गये के गुरु का सम्मान पहले होता है ॥ ग्यारह मार्च उन्नीस सो छियान्स्थ में जन्मे मोलाना फजले हक ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा केथुन से शुरू की और फिर जोधपुर से अदीब कामिल आलिम फाजिल की डिग्री प्राप्त कर मोलाना बन गये वोह प्रखर वक्ता होने के कारण कोंग्रेस के मुख्य प्रचारकों में गिने जाने लगे ..उन्होंने जयपुर में कार्यभार सम्भालते ही सबसे पहले मदरसों को एक एक लाख बिल्डिंग फंड में दिलवाने के आदेश जारी करवाए और मदरसों में ही उच्च शिक्षा के लियें कोचिंग का एलान भी किया ..मदरसा शिक्षा को नये आयाम देकर आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लियें मोलाना शीघ्र ही देश के दुसरे राज्यों का भी दोरा करेंगे ॥ मोलाना ने कहा के उनका पुराना कोंग्रेस समर्थक का परिचय रहा है और दिनी तालीम के मूल स्वभाव को जिंदा रखते हुए मदरसों में आधुनिक शिक्षा का अभियान चलाएंगे । प्रेस क्लब में कय्यूम अली ॥ धीरज गुप्ता ॥ ओमेन्द्र सक्सेना । हरिमोहन शर्मा । अख्तर खान अकेला नरेश विजय वर्गीय सहित सभी साथियों ने उनका स्वागत किया । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुझे शर्म आती है के में देश का कमजोर नागरिक और कमजोर वकील हूँ

जी हाँ दोस्तों में पेशे से वकील हूँ इसके पहले पत्रकारिता से भी लगातार जुडा रहा हूँ खुद को कुछ क्रांतिकारी खबरें और आलेख लिखने के बाद में तीस मारखां समझता रहा हूँ ..मुझे गलत फहमी थी के में एक राष्ट्रवादी हूँ और देश की एकता अखंडता के लियें सब कुछ कुर्बान कर सकता हूँ लेकिन मेने जब देश में भाषा ... क्षेत्रवाद ..पार्टियाँ ..जातियां और धर्म अधर्म के विवाद देखे तो में थोड़ा ठिठका और सोचा चलो इस मामले में सरकार पर दबाव बनाते रहे आज नहीं तो कल सरकार को अकाल आएगी और देश को तोड़ने वाले तथा कथित राष्ट्रभक्तों को जेल में डाल कर देश की एकता और अखंडता की सुरक्षा की जायेगी ..फिर में देश के और राज्यों के सभी कानूनों को पढने लगा मेने संविधान पढ़ा देश के सभी कानून पढ़े और मेरा मन आहत होता गया होता गया हमारे देश का नारा है कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक है कश्मीर के सांसद हमारी सरकार बनाते हैं ..केंद्र में मंत्री बनते है दिल्ली की लोकसभा में नारे बाज़ी की जाती है दिल्ली सरकार ही कश्मीर का निजाम देखती है ... लेकिन देश के हर कानून में जब देखते है के यह कानून जम्मू कश्मीर के सिवाय पुरे भारत में लागू होगा तो मेरा मन तडप उठता है शुरू में में पत्रकार था कई लेख लिखे फिर वकील और समाजसेवक बना तो प्रधानमन्त्री ..राष्ट्रपति ..कोंग्रेस भाजपा के नेताओं को पत्र लिखे लेकिन एक पत्र का भी जवाब नहीं आया कितनी अजीब बात है के एक तरफ देश के वकीलों ने पत्रकारों ने आज़ादी के आन्दोलन में विशिष्ठ भूमिका निभाकर पुरे देश को अंग्रेजों के चंगुल से आज़ाद करा दिया था और आज छ से भी अधिक दशक गुजरने के बाद कश्मीर को हम अपना अभिन्न अंग नहीं बना सके है अमेरिका हे के अक्सर भारत के नक्शे से कश्मीर को उड़ा देता है और देश का कानून है के जब कानून बनाता है तो कानून की पहली धारा में लिखता है के यह कानून जम्मू और कश्मीर के सिवाय पुरे भारत में लागू होगा बस यही पंक्तियाँ मुझे खून के आंसू रुलाती है में चाहता हूँ के देश के हर कानून से यह पंक्तियाँ हटा दी जाएँ और देश का कानून पुरे देश में यानी कश्मीर में भी एक साथ लागू किया जाए इसके लियें मेने कई किलों पत्र लिखे है ॥ कई बार प्रयास किये हैं लेकिन सभी रद्दी टोकरी में गये है और अब में खुद को असफल असहाय समझने लगा हूँ मुझे खुद के इस तरह से कमजोर नागरिक और कमजोर वकील होने पर शर्म सी आने लगी है क्या आप मेरी मदद करोगे ........ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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