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27 नवंबर 2011

यह है गीता का ज्ञान ..........

(भगवत्‌-प्राप्त पुरुषों के लक्षण)
अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च ।
निर्ममो निरहङ्‍कारः समदुःखसुखः क्षमी ॥
संतुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढ़निश्चयः।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः॥
भावार्थ : जो पुरुष सब भूतों में द्वेष भाव से रहित, स्वार्थ रहित सबका प्रेमी और हेतु रहित दयालु है तथा ममता से रहित, अहंकार से रहित, सुख-दुःखों की प्राप्ति में सम और क्षमावान है अर्थात अपराध करने वाले को भी अभय देने वाला है तथा जो योगी निरन्तर संतुष्ट है, मन-इन्द्रियों सहित शरीर को वश में किए हुए है और मुझमें दृढ़ निश्चय वाला है- वह मुझमें अर्पण किए हुए मन-बुद्धिवाला मेरा भक्त मुझको प्रिय है॥13-14॥
यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च यः।
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो यः स च मे प्रियः॥
भावार्थ : जिससे कोई भी जीव उद्वेग को प्राप्त नहीं होता और जो स्वयं भी किसी जीव से उद्वेग को प्राप्त नहीं होता तथा जो हर्ष, अमर्ष (दूसरे की उन्नति को देखकर संताप होने का नाम 'अमर्ष' है), भय और उद्वेगादि से रहित है वह भक्त मुझको प्रिय है॥15॥
अनपेक्षः शुचिर्दक्ष उदासीनो गतव्यथः।
सर्वारम्भपरित्यागी यो मद्भक्तः स मे प्रियः॥
भावार्थ : जो पुरुष आकांक्षा से रहित, बाहर-भीतर से शुद्ध (गीता अध्याय 13 श्लोक 7 की टिप्पणी में इसका विस्तार देखना चाहिए) चतुर, पक्षपात से रहित और दुःखों से छूटा हुआ है- वह सब आरम्भों का त्यागी मेरा भक्त मुझको प्रिय है॥16॥
यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्‍क्षति।
शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः॥
भावार्थ : जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है- वह भक्तियुक्त पुरुष मुझको प्रिय है॥17॥
समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु समः सङ्‍गविवर्जितः॥
भावार्थ : जो शत्रु-मित्र में और मान-अपमान में सम है तथा सर्दी, गर्मी और सुख-दुःखादि द्वंद्वों में सम है और आसक्ति से रहित है॥18॥
तुल्यनिन्दास्तुतिर्मौनी सन्तुष्टो येन केनचित्‌।
अनिकेतः स्थिरमतिर्भक्तिमान्मे प्रियो नरः॥
भावार्थ : जो निंदा-स्तुति को समान समझने वाला, मननशील और जिस किसी प्रकार से भी शरीर का निर्वाह होने में सदा ही संतुष्ट है और रहने के स्थान में ममता और आसक्ति से रहित है- वह स्थिरबुद्धि भक्तिमान पुरुष मुझको प्रिय है॥19॥
ये तु धर्म्यामृतमिदं यथोक्तं पर्युपासते।
श्रद्धाना मत्परमा भक्तास्तेऽतीव मे प्रियाः॥
भावार्थ : परन्तु जो श्रद्धायुक्त (वेद, शास्त्र, महात्मा और गुरुजनों के तथा परमेश्वर के वचनों में प्रत्यक्ष के सदृश विश्वास का नाम 'श्रद्धा' है) पुरुष मेरे परायण होकर इस ऊपर कहे हुए धर्ममय अमृत को निष्काम प्रेमभाव से सेवन करते हैं, वे भक्त मुझको अतिशय प्रिय हैं॥20॥
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायांयोगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे भक्तियोगो नाम द्वादशोऽध्यायः ॥12॥

कुरान का संदेश .............


खुला आसमां-कड़कती ठंड़ में रात भर जिंदगी और मौत से लड़ता रहा मासूम!

भोपालगढ़/जोधपुर.एक नाबालिग बच्चे को जन्म देने के बाद बिना बताए अस्पताल से नवजात के साथ निकल गई। उसने शिशु को खेत में छोड़ दिया और खुद अपनी बुआ के यहां चली गई।

रात भर वह नवजात सर्दी में बिलखता रहा। सुबह दस बजे जब खेत की मालकिन आई तो उसे रोता देखा। इस पर महिला ने एक शिक्षक की मदद से उसे अस्पताल में भर्ती करवाया और पुलिस को सूचना दी।

मामले के अनुसार शुक्रवार रात इस अविवाहित किशोरी ने अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। समाज में बदनामी के डर से किशोरी अस्पताल से बिन बताए नवजात को लेकर निकल गई। उसने बच्चे को कस्बे के एक खेत में कपड़े में लपेट कर छोड़ दिया और खुद अपने रिश्तेदार के यहां चली गई।

शनिवार को सुबह 10 बजे खेत की मालकिन पहुंची तो उसे रोने की आवाज सुनाई दी। खेत की मालकिन महिला ने एक शिक्षक की मदद से बच्चे को अस्पताल पहुंचाया। वह करीब आठ घंटे जिंदगी और मौत से सर्दी में लड़ता रहा

सोलंकियों की ढाणी स्थित स्कूल में कार्यरत शिक्षक चेतन राम देवड़ा रोज की तरह शनिवार को सुबह 10 बजे बाइक से स्कूल जा रहा था। अचानक सड़क के पास खेत से महिला चिल्लाई कि बच्चा पड़ा है। शिक्षक ने पास जाकर देखा तो बच्चा जीवित मिला और रो रहा था ।

शिक्षक ने बच्चे को गोदी में उठाया और उस महिला को साथ लेकर अस्पताल में भर्ती करवा दिया। इस बीच पुलिस को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही थानाधिकारी प्रदीप शर्मा, घेवरसिंह राजपुरोहित मौके पर पहुंचे।

अस्पताल के लेबल से हुई पहचान :

इलाज के दौरान डॉ. एमके जैन ने बच्चे के शरीर पर अस्पताल का लगा लेबल देखकर पहचान कर ली। उन्होंने बताया कि रात में तीन प्रसव हुए थे। एक भर्ती है और दो केस बिन बनाए यहां से रात में चले गए, जिनमें एक के बच्ची हुई थी और दूसरी के बच्चा हुआ है। यह बच्चा वही है।

विवाह पंचमी 29 को, राम-सीता का विवाह हुआ था


मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को विवाह पचंमी का पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस तिथि को भगवान राम ने जनकनंदिनी सीता से विवाह किया था। इस बार यह पर्व 29 नवंबर, मंगलवार को है। इस दिन प्रमुख राम मंदिरों में विशेष उत्सव मनाया जाता है। तुलसीदासजी ने राम-सीता विवाह का वर्णन बड़ी ही सुंदरता से श्रीरामचरितमानस में किया है। उसके अनुसार-

सीता के स्वयंवर में आए सभी राजा-महाराजा जब भगवान शिव का धनुष नहीं उठा सके तब ऋषि विश्वामित्र ने राम से कहा- हे राम। उठो, शिवजी का धनुष तोड़ो और जनक का संताप मिटाओ। गुरु के वचन सुनकर श्रीराम उठे और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए बढ़े। यह दृश्य देखकर सीता के मन में उल्लास छा गया। प्रभु की ओर देखकर सीताजी ने निश्चय किया कि यह शरीर इन्हीं का होकर रहेगा या रहेगा ही नहीं।

सीता के मन की बात श्रीराम जान गए और उन्होंने देखते ही देखते भगवान शिव का महान धनुष उठाया। इसके बाद उस पर प्रत्यंचा चढ़ाते व खींचते किसी ने नहीं देखा और एक भयंकर ध्वनि के साथ धनुष टूट गया। यह देखकर सीता के मन को संतोष हुआ। सीताजी बालहंसिनी की चाल से श्रीराम के निकट आईं। सखियों के बीच में सीताजी ऐसी शोभित हो रही हैं जैसे बहुत सी छबियों के बीच में महाछबि हो। तब एक सखी ने सीता से जयमाला पहनाने को कहा। उस समय उनके हाथ ऐसे सुशोभित हो रहे हैं मानो डंडियों सहित दो कमल चंद्रमा को डरते हुए जयमाला दे रहे हों।

तब सीताजी ने श्रीराम के गले में जयमाला पहना दी। यह दृश्य देखकर देवता फूल बरसाने लगे। नगर और आकाश में बाजे बजने लगे। श्रीसीता-राम की जोड़ी इस प्रकार सुशोभित हो रही है मानो सुंदरता और श्रृंगाररस एकत्र हो गए हों। पृथ्वी, पाताल और स्वर्ग में यश फैल गया कि श्रीराम ने धनुष तोड़ दिया और सीताजी का वरण कर लिया।

मंगल के बारे में अधिक जानकारियां जुटाने रवाना हुआ क्यूरियोसिटी

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केप केनेवरल. मंगल ग्रह के रहस्यों और उसके अतीत को गहराई से खंगालने के इरादे से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा)ने परमाणु चालित अपने क्यूरियोसिटी रोवर को 35.4 करोड़ मील की मंगल ग्रह की यात्ना पर शनिवार को रवाना किया।
नासा की ओर से जारी बयान में बताया गया कि भीमकाय क्यूरियोसिटी रोवरअगले वर्ष की गर्मियों में मंगल ग्रह पर पहुंचेगा।
क्यूरियोसिटी दस फ्टु लंबा एवं नौ फुट चौड़ा है और इसकी ऊंचाई सात फुट है।इस रोवर का वजन एक टन है। क्यूरियोसिटी का प्रक्षेपण देखने के लिये यहां स्थित कैनेडी अंतरिक्ष केन्द्र में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे।
क्यूरियोसिटी को ऐसे समय पर मंगल के लिए रवाना किया गया है जब कुछ सप्ताह पहले ही मंगल के चंद्रमा फोबोस पर जाने वाला एक रूसी अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में ही कहीं खो गया। क्यूरियोसिटी को कभी भी मौसम की वजह से ऊर्जा समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि इसे हमेशा 10.6 पाउंड वजन के परमाणु ईंधन (प्लूटोनियम) से ऊर्जा मिलती रहेगी।
क्यूरियोसिटी में कुल मिलाकर 10 वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं। इस छह पहियों वाले रोवर पर एक विशेष रोबोटिक बांह भी लगाई गई है जो अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से लैस है। इस पर लगी ड्रिल मशीन की मदद से यह मंगल की कठोर सतह के भी अंदर झांकने में सक्षम है। इसके अलावा इसे लेजर किरण से भी सुसज्जित किया गया है जो वैज्ञानिक अध्ययन के लिए चट्टानों को गलाकर उनका अध्ययन करने का काम करेगी।
इस मिशन का लक्ष्य मंगल ग्रह पर जीवन के विभिन्न आयामों से जुड़ी जानकारियां जुटाने का है। क्यूरियोसिटी पता लगाने की कोशिश करेगा कि क्या मंगल पर किसी समय में एक कोशिकीय जीवों के लिए अनुकूल पर्यावरर्णीय परिस्थितियां रही थीं अथवा नहीं। इसके अलावा यह रोवर मौजूदा समय में मंगल पर जीवन के लिए पर्याप्त अवसरों को तलाशने का भी प्रयत्न करेगा।
यह पहली बार है जब मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए इतना अत्याधुनिक मिशन भेजा जा रहा हो। क्यूरियोसिटी मिशन की कुल लागत 2.5 अरब डालर है। इस रोवर को मंगल के मौसम की भविष्यवाणियां करने का भी काम सौंपा गया है१ इसमें एक विशेष साफ्टवेयर लगाया गया है जो रोजाना के स्तर पर लाल ग्रह के तापमान् हवाओं की गति और आद्रता के स्तर को दर्ज करने का काम करेगा।
इसके अलावा क्यूरियोसिटी मंगल के विकीरण के स्तर को भी मापने का काम करेगा। क्यूरियोसिटी मंगल की उबड खाबड सतह पर लैं¨डग करने के लिए भी जेट प्रक्षेपण और टेथर केबलों के सिद्धांत का इस्तेमाल करेगा१ रोवर की लैंडिंग के लिए पहले से ही 'गेल क्रेटर' की जगह को चुना जा चुका है। एक बार लैंडिंग स्थल की सीध में पहुंचने के बाद यह टेथर केबल जमीन की ओर छोड़ेगा जो मंगल की कठोर सतह में जाकर अटक जाएगी। इसके बाद रोवर धीरे-धीरे जेट बूस्टरों के प्रक्षेपणों की मदद से आसानी से सतह पर उतर जाएगी।
लैंडिग का यह तरीका इस मायने में भी खास है कि भविष्य में मंगल पर जाने वाली मानवयुक्त उड़ानों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पहले वर्ष 2004 में मंगल के लिए रवाना किए गए स्पिरिट और आपरचुनिटी रोवर आकार में बेहद छोटे और वजन में हल्के थे जिसकी वजह से उन्हें एयर बैग के कवच की मदद से सतह पर उतारा गया था लेकिन इसकी वजह से वे लैं¨डग के अपने मूल स्थान से कुछ दूर उतर पाए थे।
उल्लेखनीय है कि लाल ग्रह के नाम से प्रसिद्ध मंगल सदियों से मानव की उत्सुकता के केन्द्र में रहा है। ज्योतिष में इसे धरती का पुत्न कहा गया है और मंगल के बारे में अधिक जानकारी नहीं होने से पुरातन मानव ने इसे अनिष्टकारी भी माना है।
सोवियत संघ ने मंगल पर 60 के दशक में पहली बार खोजी अभियान भेजे। इसके बाद तो रूस और अमेरिका में मंगल के बारे में अधिक से अधिक जानकारियां जुटाने के लिए एक होड़ शुरु हो गई।
हालांकि मंगल के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने में बाजी अमेरिका ने मार ली लेकिन रूस भी अधिक पीछे नहीं है और उसने हाल में ही 'मार्स 500' नामक एक प्रयोग पूरा किया है जिसका लक्ष्य मंगल पर जाने वाली भविष्य की मानवयुक्त उड़ानों में अंतरिक्ष यात्नियों की मनोस्थिति का अध्ययन करना था।

मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को!

जयपुर.इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। ज्योतिषविदों व खगोलविदों की राय में ऐसा पृथ्वी और सूर्य की गति में परिवर्तन के कारण होगा।

हालांकि 2012 (लीप ईयर) के बाद संक्रांति अगले दो साल तक 14 जनवरी को ही मनेगी। इसके बाद इसी क्रम में दो साल तक 15 जनवरी और फिर दो साल 14 जनवरी को मनाई जाएगी। ज्योतिषविदों के मुताबिक शास्त्रों में 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति होने का कोई उल्लेख नहीं है, ये तो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ जुड़ा हुआ पर्व है।

ऐसा क्यों ?

पं. बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता पं. दामोदर प्रसाद शर्मा व ज्योतिषाचार्य चन्द्रमोहन दाधीच के मुताबिक, 14 जनवरी को सूर्य निकल जाने के बाद रात्रि 12 बजकर 58 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगा, इसलिए मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी। उसी दिन पुण्यकाल होगा, जो सूर्योदय से सायंकाल 4. 58 बजे तक रहेगा।

सूर्यास्त से एक घंटे 12 मिनट बाद यदि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करे तो मकर संक्रांति अगले दिन ही मनाई जाती है एवं पुण्यकाल भी उसी दिन रहता है।

पिछली शताब्दियों में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश अलग-अलग तारीखों में होता रहा है लेकिन 19वीं व 20वीं शताब्दी के बाद ये दूसरा मौका है जब सूर्य 15 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। इससे पहले 2008 में यह स्थित बनी थी।

तब 14 जनवरी की अर्धरात्रि बाद 12 बजकर 09 मिनट पर सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया था, लेकिन इस बार 2008 के संयोग से भी 49 मिनट बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। दो सदी के बाद यह पहला संयोग है।

अब तक यूं मनाई गई मकर संक्रांति

16वीं व 17वीं शताब्दी 9 व 10 जनवरी को

17वीं व 18वीं शताब्दी 11 व 12 जनवरी

18वीं व 19वीं शताब्दी 13 व 14 जनवरी

19वीं व 20वीं शताब्दी 14 व 15 जनवरी

आगे ऐसे मनेगी संक्रांति

21वीं व 22 शताब्दी 14, 15 व 16 जनवरी

इन 3 मीठी बातों के जादू से जीवनभर पाएं सुखद नतीजे


वाणी या बोल का महत्व धर्मशास्त्रों के नजरिए से जाने तो यह इंद्रिय संयम के द्वारा सुखी जीवन पाने का अहम सूत्र है। यह वाचिक तप भी कहलाता है। कहा गया है कि सांसारिक जीवन में मीठी वाणी के अभाव में तो पूजन, दान या अध्ययन भी निरर्थक हो जाते हैं। क्योंकि कड़वे बोल हृदय, प्राण, मर्म और अस्थि को गहरा दु:ख पहुंचाते हैं।

इस बात पर व्यावहारिक रूप से भी गौर करें तो मिठासभरे शब्दों से न केवल व्यक्तिगत सुकून प्राप्त होता है, बल्कि यह दूसरों का मन भी मोह या जीत लेते हैं। इस तरह मीठी वाणी का जादू भी सफलता का सूत्र है। लेकिन वाणी के सदुपयोग करते हुए वे मीठे शब्द कैसे होने चाहिए? और क्या ऐसे खास शब्द हैं, जिनका हर इंसान जीवनभर मेल-मिलाप या व्यवहार के दौरान उपयोग कर जीवनभर सुख बंटोर सके या मुश्किलों से पार पाए?

इन सवालों का जवाब भविष्यपुराण में बताई वाणी की अहमियत व मिठास से जुड़ी इन बातों में मिल सकता है -

लिखा गया है कि -

न हीदृक् स्वर्गयानाय यथा लोके प्रियं वच:।

इहामुत्र सुखं तेषां वाग्येषां मधुरा भवेत्।।

अमृतस्यनन्दिनीं वाचं चन्दनस्पर्शशीतलाम्।

धर्माविरोधिनीमुक्त्वा सुखमक्षय्यमाप्रुयात्।।

सरल शब्दों में सार है कि मीठी वाणी चंदन की भांति ठंडक देती है, जो लोक-परलोक यानी जीवन और मृत्यु के बाद भी सुख देने वाली होती है। जिसके लिए तीन खास बातों को अपनाना जरूरी है -

- पहली अतिथि के आने पर कुशलक्षेम यानी खैरियत पूछना चाहिए और जाने पर - यात्रा व कार्य मंङ्गलमय हो ऐसा बोलना चाहिए।

- दूसरे किसी से मिलने, अभिवादन या स्वागत के वक्त स्वस्ति यानी शुभ कामनाओं व प्रसन्नता से भरे वचन व शब्द बोलें।

- किसी भी कार्य के संबंध में शब्दों से यही भावना व्यक्त करें कि - आपका नित्य कल्याण हो। जिससे व्यावहारिक रूप से समझे तो किसी को भी किसी कार्य के संबंध में सकारात्मक टिप्पणी, विचार या सलाह ही दें।

क्यूबा में बनाया गया सबसे लंबा सिगार, लंबाई इतनी कि यकीन न हो


क्यूबा में बनाए गए एक सिगार को गिनिज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने दुनिया का सबसे लंबा सिगार माना है। इसे जोस कास्टलर ने बनाया है।

इस अद्भुत सिगार की लंबाई 268.4 फीट (81.8 मीटर) है।

इसे बनाने वाले 67 वर्षीय जोस कास्टलर ने बताया कि 'क्यूबा दुनिया का ऐसा देश है, जहां सबसे अच्छे तंबाकू का उत्पादन होता है और अब दुनिया के सबसे लंबे सिगार का खिताब भी क्यूबा के पास ही होगा।"

उन्होंने बताया कि इसे 25 अप्रैल से बना रहे हैं और इसके लिए वे हर दिन लगभग 8 घण्टे काम करते थे।

विनायकी चतुर्थी व्रत 28 को, श्रीगणेश को प्रसन्न करें ऐसी पूजा से


भगवान गणेश सभी दु:खों को हरने वाले हैं। इनकी कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश के निमित्त व्रत किया जाता है, इसे विनायकी चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार यह व्रत 28 नवंबर, सोमवार को है। विनायकी चतुर्थी का व्रत इस प्रकार करें-

- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्म से शीघ्र ही निवृत्त हों।

- दोपहर के समय अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दुर्वा दल चढ़ाएं।

- गुड़ या बूंदी के 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।

- पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।

-ब्राह्मण भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करने के पश्चात् संध्या के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें। संभव हो तो उपवास करें।

व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर श्री गणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।

नाटो हमले पर जवाबी कार्रवाई को तैयार पाक, मिली धमकी तो अमेरिका ने मांगी माफी


इस्‍लामाबाद. पाकिस्‍तान की सीमा में नाटो के हमले के बाद अमेरिका से उसकी तनातनी बढ़ गई है। कबायली इलाके में नाटो के हवाई हमले से बौखलाए पाकिस्‍तान ने अमेरिका को अपने यहां स्थित उसका एक महत्‍वपूर्ण एयरबेस खाली करने को कहा है। पाकिस्‍तान ने अमेरिका को इसके लिए 15 दिनों की मोहलत दी है।

कैबिनेट की रक्षा मामलों की समिति की बैठक के बाद पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि वो अमरीका, नैटो और अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के साथ सभी कार्यक्रमों पर जारी सहयोग पर दोबारा विचार करेगी जिसमें कूटनीतिक, राजनीतिक, सैन्य सहयोग शामिल है। समिति ने यह भी कहा है कि अमरीका को शम्सी हवाई अड्डा 15 दिन में खाली करना होगा। अमरीका यहां से ड्रोन हमले करता है। पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री हिना रब्‍बानी खार ने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से फोन पर बात कर शम्‍सी हवाई अड्डा खाली करने की मियाद रखी।

खार ने ब्रिटिश विदेश मंत्री विलियम हेग से भी बात की और कैबिनेट कमेटी के फैसले से उन्‍हें अवगत करा दिया। हेग ने नाटो हमले में पाकिस्‍तानी सैनिकों की मौत पर गहरा दुख जताया है। पाकिस्‍तान ने इस मामले में अफगानिस्‍तान से भी अपना विरोध दर्ज करा दिया है। पाकिस्‍तानी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक नाटो या गठबंधन सेना द्वारा पाकिस्‍तान के खिलाफ अफगानिस्‍तान की जमीन का इस्‍तेमाल गठबंधन सेना के नियमों का भी उल्‍लंघन है। अफगानिस्‍तान की सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी जमीन से ऐसे हमलों को अंजाम देने से रोका जाए।
हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने नाटो हमले में मारे गए सैनिकों के प्रति संवेदना जाहिर की है। हिलेरी क्लिंटन और रक्षा मंत्री लियोन पेनेटा ने संयुक्‍त बयान जारी कर इस हमले पर अफसोस जाहिर किया और इस घटना के लिए माफी मांगी। अमेरिका ने कहा है कि इस पूरे मामले की जांच की जाएगी और पाकिस्‍तान की ओर से की जारी जांच में पूरा सहयोग किया जाएगा। गौरतलब है कि अफगानिस्‍तान की सीमा से सटे पाकिस्‍तान के मोहमंद इलाके में शनिवार तड़के हुए हवाई हमले में दो अफसरों समेत पाक सेना के 28 लोग मारे गए (पूरी खबर पढ़ने के लिए रिलेटेड पर क्लिक करें)।

अमेरिकी और नाटो सेनाओं को सभी तरह की सप्लाई रोकने के बाद पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने सेना को जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहने को कहा है। पाकिस्तान के विदेश सचिव सलमान बशीर ने पाकिस्‍तान में अमेरिकी राजदूत कैमरॉन मुंटेर को बुलाकर विरोध जताया। मुंटेर ने अफसोस जताते हुए जांच में सहयोग की पेशकश की है।

नाटो के प्रवक्ता ने माना है कि इस बात की आशंका काफी ज्‍यादा है कि अफगान सीमा पर हुए हमले के लिए नैटो जिम्मेदार है। ब्रिगेडियर जनरल कार्स्टन जैकबसन ने पाकिस्तान को शोक संदेश भेजा है और कहा कि नैटो इस बात की जांच कर रहा है कि यह घटना कैसे हुई।

पाकिस्तान ने अमरीका और नाटो के साथ सहयोग की नीति पर फिर से विचार करने के आदेश दिए हैं। प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी की अध्यक्षता में बनी समिति ने अफगानिस्‍तान में नाटो के लिए खाद्य और अन्य सामग्री ले जाने वाले रास्ते बंद कर दिए हैं गिलानी ने इस हमले को पाकिस्तान की संप्रभुता में दखल बताया है।

पाकिस्‍तान की अवाम में भी नाटो हमले को लेकर गुस्‍सा है। शनिवार को लाहौर में प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका विरोधी रैली निकाली। कराची के व्‍यापारियों ने अमेरिकी सामानों का बहिष्‍कार करने का ऐलान किया है। लाहौर में वकीलों ने इस हमले के विरोध में हड़ताल करने का फैसला किया है

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