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01 दिसंबर 2011

यह है गीता का ज्ञान ...........

(संसार वृक्ष का कथन और भगवत्प्राप्ति का उपाय)
श्रीभगवानुवाच
ऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्‌ ।
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्‌ ॥
भावार्थ : श्री भगवान बोले- आदिपुरुष परमेश्वर रूप मूल वाले (आदिपुरुष नारायण वासुदेव भगवान ही नित्य और अनन्त तथा सबके आधार होने के कारण और सबसे ऊपर नित्यधाम में सगुणरूप से वास करने के कारण ऊर्ध्व नाम से कहे गए हैं और वे मायापति, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही इस संसाररूप वृक्ष के कारण हैं, इसलिए इस संसार वृक्ष को 'ऊर्ध्वमूलवाला' कहते हैं) और ब्रह्मारूप मुख्य शाखा वाले (उस आदिपुरुष परमेश्वर से उत्पत्ति वाला होने के कारण तथा नित्यधाम से नीचे ब्रह्मलोक में वास करने के कारण, हिरण्यगर्भरूप ब्रह्मा को परमेश्वर की अपेक्षा 'अधः' कहा है और वही इस संसार का विस्तार करने वाला होने से इसकी मुख्य शाखा है, इसलिए इस संसार वृक्ष को 'अधःशाखा वाला' कहते हैं) जिस संसार रूप पीपल वृक्ष को अविनाशी (इस वृक्ष का मूल कारण परमात्मा अविनाशी है तथा अनादिकाल से इसकी परम्परा चली आती है, इसलिए इस संसार वृक्ष को 'अविनाशी' कहते हैं) कहते हैं, तथा वेद जिसके पत्ते (इस वृक्ष की शाखा रूप ब्रह्मा से प्रकट होने वाले और यज्ञादि कर्मों द्वारा इस संसार वृक्ष की रक्षा और वृद्धि करने वाले एवं शोभा को बढ़ाने वाले होने से वेद 'पत्ते' कहे गए हैं) कहे गए हैं, उस संसार रूप वृक्ष को जो पुरुष मूलसहित सत्त्व से जानता है, वह वेद के तात्पर्य को जानने वाला है। (भगवान्‌ की योगमाया से उत्पन्न हुआ संसार क्षणभंगुर, नाशवान और दुःखरूप है, इसके चिन्तन को त्याग कर केवल परमेश्वर ही नित्य-निरन्तर, अनन्य प्रेम से चिन्तन करना 'वेद के तात्पर्य को जानना' है)॥1॥
अधश्चोर्ध्वं प्रसृतास्तस्य शाखा गुणप्रवृद्धा विषयप्रवालाः ।
अधश्च मूलान्यनुसन्ततानि कर्मानुबन्धीनि मनुष्यलोके ॥
भावार्थ : उस संसार वृक्ष की तीनों गुणोंरूप जल के द्वारा बढ़ी हुई एवं विषय-भोग रूप कोंपलोंवाली ( शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गन्ध -ये पाँचों स्थूलदेह और इन्द्रियों की अपेक्षा सूक्ष्म होने के कारण उन शाखाओं की 'कोंपलों' के रूप में कहे गए हैं।) देव, मनुष्य और तिर्यक्‌ आदि योनिरूप शाखाएँ (मुख्य शाखा रूप ब्रह्मा से सम्पूर्ण लोकों सहित देव, मनुष्य और तिर्यक्‌ आदि योनियों की उत्पत्ति और विस्तार हुआ है, इसलिए उनका यहाँ 'शाखाओं' के रूप में वर्णन किया है) नीचे और ऊपर सर्वत्र फैली हुई हैं तथा मनुष्य लोक में ( अहंता, ममता और वासनारूप मूलों को केवल मनुष्य योनि में कर्मों के अनुसार बाँधने वाली कहने का कारण यह है कि अन्य सब योनियों में तो केवल पूर्वकृत कर्मों के फल को भोगने का ही अधिकार है और मनुष्य योनि में नवीन कर्मों के करने का भी अधिकार है) कर्मों के अनुसार बाँधने वाली अहंता-ममता और वासना रूप जड़ें भी नीचे और ऊपर सभी लोकों में व्याप्त हो रही हैं। ॥2॥
न रूपमस्येह तथोपलभ्यते नान्तो न चादिर्न च सम्प्रतिष्ठा ।
अश्वत्थमेनं सुविरूढमूल मसङ्‍गशस्त्रेण दृढेन छित्त्वा ॥
भावार्थ : इस संसार वृक्ष का स्वरूप जैसा कहा है वैसा यहाँ विचार काल में नहीं पाया जाता (इस संसार का जैसा स्वरूप शास्त्रों में वर्णन किया गया है और जैसा देखा-सुना जाता है, वैसा तत्त्व ज्ञान होने के पश्चात नहीं पाया जाता, जिस प्रकार आँख खुलने के पश्चात स्वप्न का संसार नहीं पाया जाता) क्योंकि न तो इसका आदि है (इसका आदि नहीं है, यह कहने का प्रयोजन यह है कि इसकी परम्परा कब से चली आ रही है, इसका कोई पता नहीं है) और न अन्त है (इसका अन्त नहीं है, यह कहने का प्रयोजन यह है कि इसकी परम्परा कब तक चलती रहेगी, इसका कोई पता नहीं है) तथा न इसकी अच्छी प्रकार से स्थिति ही है (इसकी अच्छी प्रकार स्थिति भी नहीं है, यह कहने का प्रयोजन यह है कि वास्तव में यह क्षणभंगुर और नाशवान है) इसलिए इस अहंता, ममता और वासनारूप अति दृढ़ मूलों वाले संसार रूप पीपल के वृक्ष को दृढ़ वैराग्य रूप (ब्रह्मलोक तक के भोग क्षणिक और नाशवान हैं, ऐसा समझकर, इस संसार के समस्त विषयभोगों में सत्ता, सुख, प्रीति और रमणीयता का न भासना ही 'दृढ़ वैराग्यरूप शस्त्र' है) शस्त्र द्वारा काटकर (स्थावर, जंगमरूप यावन्मात्र संसार के चिन्तन का तथा अनादिकाल से अज्ञान द्वारा दृढ़ हुई अहंता, ममता और वासना रूप मूलों का त्याग करना ही संसार वृक्ष का अवान्तर 'मूलों के सहित काटना' है।)॥3॥
ततः पदं तत्परिमार्गितव्यं यस्मिन्गता न निवर्तन्ति भूयः ।
तमेव चाद्यं पुरुषं प्रपद्ये यतः प्रवृत्तिः प्रसृता पुराणी ॥
भावार्थ : उसके पश्चात उस परम-पदरूप परमेश्वर को भलीभाँति खोजना चाहिए, जिसमें गए हुए पुरुष फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिस परमेश्वर से इस पुरातन संसार वृक्ष की प्रवृत्ति विस्तार को प्राप्त हुई है, उसी आदिपुरुष नारायण के मैं शरण हूँ- इस प्रकार दृढ़ निश्चय करके उस परमेश्वर का मनन और निदिध्यासन करना चाहिए॥4॥
निर्मानमोहा जितसङ्गदोषाअध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः ।
द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसञ्ज्ञैर्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत्‌ ॥
भावार्थ : जिनका मान और मोह नष्ट हो गया है, जिन्होंने आसक्ति रूप दोष को जीत लिया है, जिनकी परमात्मा के स्वरूप में नित्य स्थिति है और जिनकी कामनाएँ पूर्ण रूप से नष्ट हो गई हैं- वे सुख-दुःख नामक द्वन्द्वों से विमुक्त ज्ञानीजन उस अविनाशी परम पद को प्राप्त होते हैं॥5॥
न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः ।
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥
भावार्थ : जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते उस स्वयं प्रकाश परम पद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और न अग्नि ही, वही मेरा परम धाम ('परम धाम' का अर्थ गीता अध्याय 8 श्लोक 21 में देखना चाहिए।) है॥6॥

कुरान का संदेश .....



ये तीन चीजें हमारे व्यक्तित्व को बना सकती हैं सौम्य और शांत


भगवान कृष्ण का पूरा जीवन लोक हितों के कामों में गुजरा, शांति का एक पल नहीं था उनके जीवन में। लेकिन फिर भी उनके चेहरे पर हमेशा एक स्थायी शांत भाव रहता था। मुस्कुराहट कभी उनके चेहरे से नहीं हटती थी।

ऐसा क्यों? कि इतने कामों और जिम्मेदारियों के बाद भी कृष्ण हमेशा तनाव मुक्त दिखाई देते हैं। उनके बचपन में चलते हैं। आज हमारी संतानें अशांत दिखती है लेकिन कृष्ण के बचपन पर इतने राक्षसों के आक्रमण के बाद भी उसमें शांति दिखाई दे रही है।

उनके जीवन में तीन चीजें ऐसी हैं जो आज हमारे बच्चों के जीवन में भी होनी चाहिए। हमें भी अब इनसे जुडऩा चाहिए। अगर शांति को जीवन में स्थायी भाव बनाना चाहते हैं तो जीवन को ऐसे संभालें जैसे कृष्ण ने संभाला है। उनके बचपन में तीन बातें बहुत अनुकरणीय हैं। पहला प्रकृति से निकटता। कृष्ण ने अपने बचपन का अधिकांश भाग बृज मंडल के जंगलों और यमुना के किनारे गुजारा। प्रकृति का शांत भाव उनके व्यक्तित्व में उतर गया। वे इससे गहरे से जुड़े थे, इसलिए अतिसंवेदनशील भी थे। दूसरों की भावनाओं को तत्काल समझ जाते थे।

दूसरा संगीत से जुड़ाव। बांसुरी कृष्ण का ही पर्याय बन गई। संगीत की स्वरलहरियां हमारे व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए आवश्यक हैं। अपने बच्चों को भी संगीत से जोड़ें। शास्त्रीय तानें मन को भीतर तक साफ कर देती हैं।

तीसरा माखन-मिश्री। यानी स्वस्थ्य आहार। मन आपका तभी स्वस्थ्य होगा जब आपका आहार अच्छा हो। माखन मिश्री के जरिए कृष्ण का संकेत अच्छे आहार की ओर है। अगर बचपन में इससे वंचित रहे हैं तो अब इन तीन चीजों को जीवन में उतारने का प्रयास करें। फिर आपको शांति की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा।

बीमारियों को दूर भगाने के कुछ सस्ते और अच्छे नुस्खे

Comment

क्या आप बार-बार बीमार हो जाते हैं? जब भी मौसम बदलता है तब आपके पल्ले कोई नई बीमारी पड़ जाती है? विज्ञान के अनुसार इसका कारण कमजोर इम्युनिटी पॉवर है। इम्युनिटी पॉवर कम होने का बड़ा कारण अंसतुलित खान-पान और सही समय पर खाना न खाना है। इन कारणों से बीमारियों के जल्दी घेरने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इससे निजात पाने के लिए निम्न उपाय अपनाएं-

- सब्जियां ज्यादा खाएं।

- फल या ज्यूस रोज लें।

-ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।

- खाने में मीठा कम करें बेसन से बनी चीजों का सेवन ज्यादा न करें।

- एक्सर्साइज और योगा करें। शारीरिक श्रम अधिक करें।

- मोटापा भी कई बीमारियों का कारण है वजन कम करने के लिए नियमित रूप से योगासन करें।

- तली-भुनी चीजों से परहेज करें।

- योगा से कम समय में ही शरीर को संतुलित किया जाता है अत: प्रतिदिन कुछ समय योगा अवश्य करें।

- अधिक कैलोरी वाले खाने का पूर्णत: त्याग करें।

- समय पर सोएं।

- दिनचर्या नियमित रखें।

-मौसमी फलों का सेवन जरूर करें।

मुहर्रम: रोजे भी रखते हैं इस पवित्र महीने में



इस्लाम में मुहर्रम का माह खुदा की इबादत व इमाम हुसैन की शहादत की याद करने का है। मुस्लिम धर्मावलंबी इस माह की नौ व दस तारीख को रोजे भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इन दिनों में रोजा रखने से बीते समय के सभी गुनाहों से छुटकारा मिलता है।

इस्लाम के मानने वाले मुहर्रम माह की दस तारीख को शहीदों की याद के रूप में तथा इस्लाम के प्रति अपने समर्पण को दर्शाते हैं और साथ ही यह दुआ भी करते हैं कि रब उन्हें भी नेकी, समर्पण व कुर्बानी के जज्बे से सराबोर रखे। जंग को हराम समझे जाने वाले इस माह को शहरूल्लाह व शहरूल अम्बिया भी कहा जाता है।

फारूक-ए-आजम के दौर से इस माह को हिजरी साल का पहला महीना मुकर्रर किया गया है। इस माह में अल्लाह तआला ने इन्सानियत को वजूद बख्शा है। इस्लामी ग्रंथों के अनुसार चार माह जिलकअदा, जिलहिज्जा, मुहर्रम व रजब को हुरमत वाले महीने कहा जाता है।


कुंवारों के लिए चमत्कारिक है यह वट-वृक्ष, हर मुराद होती है पूरी

मुंगेर.क्या 'पप्पू' की शादी के लिए कोई रिश्ता नहीं आ रहा है? लाख कोशिशों के बावजूद थक-हार गये हैं। पप्पू को लेकर पूरा कुनबा परेशान है। कोई हल नहीं निकल रहा है।

तब ऐसे में मुंगेर जिले के जमालपुर काली पहाड़ी पर मां काली की मंदिर के बगल वाली वट वृक्ष में कुंवारे लडक़े या लड़कियां ईंट बांध कर अपनी मन्नतें मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि कुंवारे लोगों के लिए वरदान है यह वट वृक्ष।

जी हां। यह वहीं वट वृक्ष मंदिर है जहां कुंवारे अपनी शादी के लिए पेड़ की टहनी में ईंट या उसका एक टुकड़ा एक लाल कपड़े में बांधकर उल्टें मुंह घर आता है और नब्बे दिनों में उसकी शादी निश्चित हो जाती है। यह कोई कहानी का हिस्सा नहीं है बल्कि इस प्रयोग को अपनाने वालों की संख्या दर्जनों में है। कई लोगों की मन्नत पूरा होने पर आज वे आराम से शादी शुदा जिन्दगी जी रहे हैं।

वट वृक्ष की ऐसी मान्यता है कि मांगें पूरी होने के बाद दाम्पत्य जोड़ा उस गांठ वाले ईंटों को वट वृक्ष से बांधे गये पत्थर को खोल देंगे। यहां ऐसा नहीं है कि कुंवारेपन की समस्या से लडक़ा ही ईंट बांध सकता हैं, लड़कियां भी ऐसा करती है। मंदिर के पुजारी भी अब मानने लगे हैं कि यह शादी के लिए यह चमात्कारी पेड़ है।

पुजारी ने बताया कि पहले तो एक-दो लोग ही यहां आते थे लेकिन अब इसकी संख्या सैकड़ों में है। इस बातों से इत्तेफाक रखने वाले लोग अपनी मन्नतें लेकर दूर-दूर से अब यहां आते हैं। इस इलाके में यह चमत्कारी पेड़ 'शादी वाला पेड़' के नाम से भी प्रसिद्ध है।

एक इंसान और नागिन की प्रेम कहानी सुन आश्चर्यचकित रह जाएंगे!

मथुरा। 21वीं सदी में हम पूर्वजन्म में यकीन करें या ना करें, लेकिन यह खबर हमें सोचने पर मजबूर जरूर कर देती है। मथुरा के पास अगरयाला गांव है। यहां हर साल नागपंचमी का दिन कुछ खास होता है। यहां रहने वाले एक शख्स के पास एक नागिन आती है। उसके गले से लिपट जाती है। उसके साथ काफी देर तक रहती है। फिर गायब हो जाती है।

यहां लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि गांव में रहने वाला लक्ष्मण इस नागिन का पूर्व जन्म में पति था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, नागिन युवक के घर आकर लिपट जाती है। इस अजूबे चमत्कार को देखने के लिए गांव में न केवल आसपास के लोगों का मेला लग जाता है, बल्कि दूर दराज से लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए गांव आते हैं।

लक्ष्मण का जन्म अगरयाला गांव में शंकर महाशय के यहां हुआ था। यह जब सात माह का था तो नागिन उसके सीने पर आकर बैठी थी। पर उसने काटा नहीं। बाद में उसका विवाह जब मथुरा के ही गांव मौरा में सूरजमल की पुत्री गंगा से हुआ तो नागिन उसे डसने लगी। नागिन ने उसे सात बार डसा पर वैद्य ने उसे ठीक कर दिया। तांत्रिकों से ढाक बजवाने पर पता चला कि नागिन पूर्व जन्म में लक्ष्मण की पत्नी थी।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, नागिन ने कहा कि वह लक्ष्मण के पास हमेशा रहना चाहती है, इसलिए गांव में एक मंदिर बनावाया जाए। यहां प्रत्येक नागपंचमी को नागिन लक्ष्मण से मिलने आया करेगी। पिछले आठ साल से वह नागपंचमी के एक दिन पहले आती है। अगले दिन वह चली जाती है।

8वीं पास शिवकुमार का कमाल, तीन अक्षरों से रचा पूरा रामायण


मेदिनीनगर.झारखण्ड के घोर नक्सल प्रभावित जिले मेदिनीनगर स्थित रेड़मा के शिवकुमार पांडेय तीन अक्षरी रामायण की रचना कर लिम्का और गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया में लगे है।

शिवकुमार ने "र, क और स"तीन अक्षरों से पूरी रामायण की रचना की है। शिवकुमार केवल आठवीं पास है। हालांकि उनके पिता एयरफोर्स में फ्लाइंग अफिसर थे। दो बड़े भाई हैं जो आस्ट्रेलिया और अमृतसर में रहते हैं।

फक्कड़ नुमा जिंदगी व्यतीत करने वाले 35 वर्षीय शिवकुमार का दिल न तो कभी स्कूली पढाई में लगा और न ही उन्हें जीवन में किसी सुख की कामना है। उनकी बस एक ही चाहत है कि वे अपनी रचना और अपने कर्म से देश, समाज और मानवता को सही रहा दिखा सकें। शिवकुमार कहते हैं कि एक प्रसंग ने उन्हें रामायण की रचना के लिए मजबूर कर दिया। वो थी कि महात्मा खुद को अगर इसलिए ईश्वर का अवतार बता दिया गया क्योंकि उन्होंने धार्मिक पुस्तक की रचना की थी तो वो भी अपनी रचनाओं के माध्यम से ईश्वर के अवतार बने पाखंडी धर्म गुरुओं और महात्माओं को चुनौती देने की चाहत रखते हैं।

लिमका ने बोला 'थैंक्स'

शिवकुमार ने इसी वर्ष जुलाई में अपनी रचना की जानकारी 'लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्डस' को भेजी। उनके मेल के जवाब में लिम्का बुक के संपादक विजय घोष ने शिवकुमार की काफी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई श्रेणी नहीं होने से वे उनकी प्रवृष्टि को शामिल नहीं कर पा रहे हैं। परंतु ऐसी विशिष्ट रचना के लिए लिम्का आपको थैंक्स करता है।

गिनीज बुक ने दिया आश्वासन

शिवकुमार ने लिम्का के बाद अगले महीने अगस्त में गिनीज बुक को भी अपनी तीन अक्षरी (र-क-स) रामायण की जानकारी दी और गिनीज बुक में जगह देने की बात कही। इसके बाद गिनीज बुक के गलोबल टैलेंट मैनेजर विन शर्मा ने व्यक्तिगत रूप से उनकी प्रशंसा की और कहा कि ऐसी अनोखी रचनाओं को जगह मिलनी चाहिए। उन्होने अधिक जानकारी और टीम को बताने के लिए अधिक समय लेने की बात कही।

नार्वे और शिकागो तक पहुंची बात

अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन कराने सहित कई पुस्तकों का संपादन करने वाले नवल अगिनहोत्री भी शिवकुमार की रचना से प्रभावित हैं। नवल शिकागो में रहते हैं. यहीं नहीं शिवकुमार की एक अन्य रचना 'पवित्र साम्यवाद का अर्थशास्त्र' की बात नार्वे नोबल संस्था तक पहुंची है। शिवकुमार ने इस रचना की जानकारी संस्था को दी। शिवकुमार की पहली रनचा 'हां, मैं सांप्रदायिक हूं' रही है।

तीन अक्षरी रामायण की एक चौपाई

"साधु रूप को सच्चा समझती स्त्री, कहो कहां की रहती कपटी राक्षस केवल साधु रूप रचे रहते, सीधी स्त्री सदा रोया करती संदेही समाज सदा संदेह किया करता, साजन से कटा रहती साधु रूप का सम्मान करती स्त्री, श्मशान की सूखी काठ सी रहती"

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दिसंबर में लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण जानिए.. क्या होगा असर

ग्वालियर। इस साल का आखिरी खग्रास चंद्रग्रहण दस दिसंबर को पड़ेगा, जो पूरे देश में दिखाई देगा। ज्योतिर्विदों के अनुसार, शनिवार को चंद्र ग्रहण होने के कारण महंगाई बढ़ेगी, खासतौर पर तेल, लोहा जैसी काली वस्तुओं में विशेष वृद्धि होगी। इसके अलावा सर्दी भी अधिक पड़ेगी तथा अंचल में फसल भी अच्छी होगी।

अगले साल यानी वर्ष 2012 में कोई भी ग्रहण देश में नहीं दिखेगा। चंद्रग्रहण के लिए सूतक सुबह 9:15 बजे से प्रारंभ हो जाएगा लेकिन शाम 7:36 बजे खग्रास प्रारंभ होते ही चंद्रमा दिखना बंद हो जाएगा फिर रात्रि 8:28 बजे से थोड़ा-थोड़ा दिखाई देने लगेगा।

देश की शांति पर पड़ेगा असर

ज्योतिर्विद डॉ. एचसी जैन के अनुसार, इस चंद्र ग्रहण के बाद सन् 2012 में कोई भी सूर्य व चंद्र ग्रहण देश में नहीं दिखाई देगा। ग्रहण के दौरान चंद्रमा वृषभ का होगा। इसी राशि में केतु, वृश्चिक में राहू और तुला में शनि होगा। इससे मानसून के आंशिक कमजोर होने और देश की शांति पर असर पड़ने की आशंका रहेगी।

ग्रहण में जन्मे बच्चे मानसिक रूप से होंगे कमजोर

ज्योतिषाचार्य विजयभूषण वेदार्थी के अनुसार इस दिन चंद्रमा भू मंडल निवासियों को शाम 7:36 बजे से 8:28 बजे तक नहीं दिखाई देगा। ग्रहण रोहिणी नक्षत्र में पड़ रहा है, इसलिए ग्रहण काल में रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने बालक शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर रहेंगे। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए इन जन्मे जातकों को जन्म के तुरंत बाद चांदी के चंद्र मोती का लॉकेट धारण कराएं।

इन राशियों पर पड़ेगा चंद्र ग्रहण का असर

खग्रास चंद्र ग्रहण का विभिन्न राशियों पर असर पड़ेगा। जिन जातकों के लिए ग्रहण कष्टकारी है, वे ग्रहण काल में तुला दान या अन्नदान करें। ऐसा करने से ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचा जा सका सकता है।

मेष- धन हानि।
वृष- कष्ट।
मिथुन- धन हानि।
कर्क - धन लाभ।
सिंह - सुख।
कन्या - अपमान, भय।
तुला - कष्ट।
वृश्चिक - स्त्री कष्ट।
धनु - सुख।
मकर - चिंता।
कुंभ - रोग, पीड़ा।
मीन - लाभ।

ग्रहण काल में सभी जल गंगा के समान

ग्रहण काल में सभी जल गंगा के समान होते हैं। गर्म जल से ठंडा जल श्रेष्ठ होता है। बहता पानी अधिक श्रेष्ठ है। सरोवर, गंगा, नदी के पानी में स्नान करना श्रेष्ठ है। ग्रहण में वस्त्रों सहित स्नान करना मुक्ति स्नान कहलाता है। ग्रहण के सूतक काल में बालक, वृद्ध और रोगी पर कोई नियम लागू नहीं होगा।

ऐसे लगता है ग्रहण

ज्योतिर्विद डॉ. एचसी जैन के अनुसार सूर्य क्रांति मंडल में व चंद्र विमंडल में अपनी- अपनी कक्षा में परिभ्रमण करते हैं और सूर्य से छह राशि के अंतर पर पृथ्वी की छाया में रहती है। पूर्णिमा को सूर्य और चंद्र में भी छह राशियों का अंतर रहेगा। अत: इस दिन सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा एक सीध में रहते हुए पृथ्वी की छाया चंद्रमा को धीरे -धीरे ढक लेगी तब चंद्र ग्रहण लेगा। जब चंद्रमा पूरा ढक जाएगा तो खग्रास चंद्र ग्रहण होगा।

कितने समय तक रहेगा ग्रहण का प्रभाव

सूतक: सुबह 9:15 बजे
ग्रहण काल: शाम 6:15 बजे से
खग्रास: शाम 7:36 बजे से
ग्रहण का मध्य: रात्रि 8:02 बजे होगा।
चंद्रदर्शन: रात्रि 8:28 बजे से शुरू हो जाएगा।
ग्रहण काल समाप्त: रात 9:49 बजे होगा।

दिसंबर में लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण जानिए.. क्या होगा असर


ग्वालियर। इस साल का आखिरी खग्रास चंद्रग्रहण दस दिसंबर को पड़ेगा, जो पूरे देश में दिखाई देगा। ज्योतिर्विदों के अनुसार, शनिवार को चंद्र ग्रहण होने के कारण महंगाई बढ़ेगी, खासतौर पर तेल, लोहा जैसी काली वस्तुओं में विशेष वृद्धि होगी। इसके अलावा सर्दी भी अधिक पड़ेगी तथा अंचल में फसल भी अच्छी होगी।

अगले साल यानी वर्ष 2012 में कोई भी ग्रहण देश में नहीं दिखेगा। चंद्रग्रहण के लिए सूतक सुबह 9:15 बजे से प्रारंभ हो जाएगा लेकिन शाम 7:36 बजे खग्रास प्रारंभ होते ही चंद्रमा दिखना बंद हो जाएगा फिर रात्रि 8:28 बजे से थोड़ा-थोड़ा दिखाई देने लगेगा।

देश की शांति पर पड़ेगा असर

ज्योतिर्विद डॉ. एचसी जैन के अनुसार, इस चंद्र ग्रहण के बाद सन् 2012 में कोई भी सूर्य व चंद्र ग्रहण देश में नहीं दिखाई देगा। ग्रहण के दौरान चंद्रमा वृषभ का होगा। इसी राशि में केतु, वृश्चिक में राहू और तुला में शनि होगा। इससे मानसून के आंशिक कमजोर होने और देश की शांति पर असर पड़ने की आशंका रहेगी।

ग्रहण में जन्मे बच्चे मानसिक रूप से होंगे कमजोर

ज्योतिषाचार्य विजयभूषण वेदार्थी के अनुसार इस दिन चंद्रमा भू मंडल निवासियों को शाम 7:36 बजे से 8:28 बजे तक नहीं दिखाई देगा। ग्रहण रोहिणी नक्षत्र में पड़ रहा है, इसलिए ग्रहण काल में रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने बालक शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर रहेंगे। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए इन जन्मे जातकों को जन्म के तुरंत बाद चांदी के चंद्र मोती का लॉकेट धारण कराएं।

इन राशियों पर पड़ेगा चंद्र ग्रहण का असर

खग्रास चंद्र ग्रहण का विभिन्न राशियों पर असर पड़ेगा। जिन जातकों के लिए ग्रहण कष्टकारी है, वे ग्रहण काल में तुला दान या अन्नदान करें। ऐसा करने से ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचा जा सका सकता है।

मेष- धन हानि।
वृष- कष्ट।
मिथुन- धन हानि।
कर्क - धन लाभ।
सिंह - सुख।
कन्या - अपमान, भय।
तुला - कष्ट।
वृश्चिक - स्त्री कष्ट।
धनु - सुख।
मकर - चिंता।
कुंभ - रोग, पीड़ा।
मीन - लाभ।

ग्रहण काल में सभी जल गंगा के समान

ग्रहण काल में सभी जल गंगा के समान होते हैं। गर्म जल से ठंडा जल श्रेष्ठ होता है। बहता पानी अधिक श्रेष्ठ है। सरोवर, गंगा, नदी के पानी में स्नान करना श्रेष्ठ है। ग्रहण में वस्त्रों सहित स्नान करना मुक्ति स्नान कहलाता है। ग्रहण के सूतक काल में बालक, वृद्ध और रोगी पर कोई नियम लागू नहीं होगा।

ऐसे लगता है ग्रहण

ज्योतिर्विद डॉ. एचसी जैन के अनुसार सूर्य क्रांति मंडल में व चंद्र विमंडल में अपनी- अपनी कक्षा में परिभ्रमण करते हैं और सूर्य से छह राशि के अंतर पर पृथ्वी की छाया में रहती है। पूर्णिमा को सूर्य और चंद्र में भी छह राशियों का अंतर रहेगा। अत: इस दिन सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा एक सीध में रहते हुए पृथ्वी की छाया चंद्रमा को धीरे -धीरे ढक लेगी तब चंद्र ग्रहण लेगा। जब चंद्रमा पूरा ढक जाएगा तो खग्रास चंद्र ग्रहण होगा।

कितने समय तक रहेगा ग्रहण का प्रभाव

सूतक: सुबह 9:15 बजे
ग्रहण काल: शाम 6:15 बजे से
खग्रास: शाम 7:36 बजे से
ग्रहण का मध्य: रात्रि 8:02 बजे होगा।
चंद्रदर्शन: रात्रि 8:28 बजे से शुरू हो जाएगा।
ग्रहण काल समाप्त: रात 9:49 बजे होगा।

500 साल पुरानी इस परंपरा मे एक-दूसरे के खून के प्यासे बन जाते हैं घोड़े


हजारों दर्शकों के सामने ये दो घोड़े एक-दूसरे को मारने के लिए गुस्से से पागल हो रहे हैं। इस तरह के खूनी संघर्ष में घोड़े काटने या फिर लातें मारने से घायल होकर मर जाते हैं या फिर इतना थककर गिरते हैं कि यूं ही उनकी मौत हो जाती है।

चीन के गुआंगज़ी ज़ूआंग प्रांत के लूइज़ोउ में एक त्योहार के मौके पर घोड़ों की यह लड़ाई आयोजित की जाती है। सदियों पहले एक धार्मिक व्यक्ति ने यह परंपरा शुरू की थी। एनिमल राइट्स ग्रुप वाले इसका विरोध कर रहे हैं, फिर भी अधिकारी उनके दबाव में नहीं आए और इस बार भी यह संघर्ष देखने को मिला।

लोगों का कहना है कि यह परंपरा पांच सौ साल से भी ज्यादा पुरानी है। इसके लिए घोड़ों को कई महीने पहले से ट्रेनिंग दी जाती है। रिंग में छोड़े जाने से पहले घोड़ों को उकसाया जाता है। इसके बाद वे एक- दूसरे के खून के प्यासे बन जाते हैं। अंत में खून से लथपथ एक घोड़ा जब जमीन पर गिरता है तो लोग हंसते हैं।

एक ट्रेनर ने कहा कि हम यह प्रतियोगिता कभी बंद नहीं करेंगे क्योंकि ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है। पेटा के एक प्रवक्ता के अनुसार मनोरंजन के नाम पर जानवरों को प्रताड़ित करना गलत है, परंपरा इसे कभी सही नहीं ठहराएगी और सभ्य समाज में इसकी कोई जगह नहीं है।

हॉर्स फाइटिंग लगभग दुनियाभर में बंद हो गई है, फिर भी चीन, इंडोनेशिया, फिलिपींस और साउथ कोरियो में यह जारी है। इस लड़ाई में भी पहले सफेद घोड़ा पिछड़ रहा था, बाद में उसने लाल घोड़े की आंख पर काटकर वापसी की फिर भी वह जीत नहीं सका और अंत में थककर गिर गया।

भारतीयों के पास इतना सोना है कि आपकी आंखे हैरत से फट जाएंगी !




भारतीयों के पास सोने की मात्रा केवल कुछ टन में नहीं बल्कि हजारों टन में है। आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 1996 से 2010 के बीच ही भारत ने 82,88,424 किलो सोना आयात किया है। इस सोने की मौजूदा कीमत तकरीबन 24 लाख करोड़ रुपए है। जो सरकार द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसे से दोगुना है। देश में सोने की सिर्फ तीन खदानें है जिसमें से देश की कुल जरुरत का सिर्फ 0.5 टन सोना ही निकलता है।


आपको बता दें कि दुनिया में सबसे ज्यादा सोना साउथ अफ्रीका में निकलता है लेकिन भारत के लिए सोना आयात का सबसे बड़ा सोर्स स्विट्जरलैंड है। पिछले पन्द्रह सालों के दौरान स्विट्जरलैंड से 6 लाख करोड़ कीमत का सोना खरीदा गया है। सोने की खपत दिनो दिन बढ़ रही है और भारतीय खानें इस मांग को पूरा कर पाने में असमर्थ है।


स्विट्जरलैंड के बाद भारत दक्षिण अफ्रीका और यूएई भारत को सोना निर्यात करने वालों की लिस्ट में शामिल हैं। आपको बता दें कि पन्द्रह सालों में सोने की कीमत चार गुना बढ़ चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि सोने के दाम अभी और बढ़ेंगे।

तुम्हारी मर्जी है जाकर खा लो।

मुर्गियों के फार्म में एक बार निरीक्षण के लिए इंस्पेक्टर आया। इंस्पेक्टर: तुम मुर्गियों को क्या खिलाते हो? पहला मालिक: बाजरा। इंस्पेक्टर: खराब खाना, इसे गिरफ्तार कर लो।दूसरा: चावल। इंस्पेक्टर: गलत खाना इसे भी गिरफ्तार कर लो। अब संता की बार आई, वह बहुत डर गया था। संता डरते-डरते बोला: हम तो जी मुर्गियों को 5-5 रुपए दे देते हैं कि जो तुम्हारी मर्जी है जाकर खा लो।

और बढ़ेगी तकरार? नाटो सैनिकों ने फिर मारे दो पाकिस्‍तानी



वॉशिंगटन. पाकिस्‍तान की सीमा से सटे अफगानिस्‍तान के बीबीजान इलाके में नाटो सैनिकों ने कथित तौर पर दो पाकिस्‍तानी नागरिकों की गोली मारकर हत्‍या कर दी है। बीबीजान इलाके की सीमा पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान प्रांत के चगाई जिले के सरहद से लगती है। बलूचिस्‍तान के स्‍थानीय पुलिस अधिकारियों ने इस घटना की पुष्टि की है। उन्‍होंने कहा कि गुरुवार तड़के अफगानिस्‍तान के हेलमंद प्रांत में दो पाकिस्‍तानी लोगों की गोली मारकर हत्‍या कर दी गई।

ताजा गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिजनों के मुताबिक, ‘ये लोग अफगानिस्‍तान में रहने वाले अपने रिश्‍तेदारों से मिलने गए थे कि नाटो सैनिकों ने इन पर गोलीबारी शुरू कर दी। इस घटना में दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।’ मृतकों की पहचान अब्‍दुल्‍ला और मोहम्‍मद उस्‍मान के तौर पर की गई है जो चगाई जिले के निवासी थे। परिजनों को अभी तक मृतकों के शव नहीं सौंपे गए हैं।

इससे पहले बीते शनिवार को तड़के पाकिस्‍तानी सीमा में घुसकर किए गए नाटो के हवाई हमले में 24 पाकिस्‍तानी सैनिकों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। पाकिस्‍तानी सैन्‍य चौकी पर हुए इस हमले से अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच पैदा हुआ तनाव और बढ़ने की आशंका है। अमेरिका ने साफ कर दिया है कि राष्‍ट्रपति बराक ओबामा नाटो हमले के लिए पाकिस्‍तान से माफी नहीं मांगेगे।

अमेरिकी राष्‍ट्रपति कार्यालय ने फैसला किया है कि नाटो में पाकिस्‍तानी सैनिकों की मौत पर ओबामा फिलहाल संवेदना जाहिर नहीं करेंगे। हालांकि बीते शनिवार को हुई नाटो हमले की इस घटना के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने शोक जाहिर कर दिया था। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा था कि ऐसी घटनाओं से अमेरिका से पाकिस्‍तान के रिश्‍तों पर असर पड़ेगा।
पाकिस्‍तान में अमेरिकी राजदूत कैमरन मंटर ने ह्वाइट हाउस के अधिकारियों से कहा था कि अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच रिश्‍तों पर कोई असर नहीं पड़े, इसके लिए वीडियो के जरिये ओबामा का औपचारिक बयान जारी करना चाहिए। इस्‍लामाबाद से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात करते हुए मंटर ने कहा कि नाटो हमले के बाद पाकिस्‍तान की अवाम में गुस्‍सा बढ़ता ही जा रहा है। इस पर काबू पाने के लिए अमेरिका को जल्‍द से जल्‍द कोई तरीका निकालने की जरूरत है।
लेकिन रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने अमेरिकी राजदूत के इस अनुरोध पर पानी फेर दिया है। उनका कहना है कि नाटो हमले के मामले में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन, रक्षा मंत्री लियोन पेनेटा और विभाग के कुछ सीनियर अधिकारियों की ओर से शोक जाहिर किया जाना काफी है जब तक अमेरिकी सेना की जांच पूरी नहीं हो जाती और यह तथ्‍य सामने नहीं निकल कर आता कि आखिरी गलती किसकी थी।
‘द न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स’ ने अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के हवाले से कहा है कि ओबामा प्रशासन के कुछ अधिकारी भी इस तर्क से सहमत नहीं हैं कि ओबामा पाकिस्‍तान से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें। उनका कहना है कि यदि ओबामा सेना की बात नहीं मानते हुए पाकिस्‍तान से माफी मांगेंगे तो आगामी राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्षी दल इस मुद्दे को ओबामा के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

मंटर ने पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री हिना रब्‍बानी खार से मुलाकात की है। इससे पहले वह राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी से भी मिले हैं। मंटेर की खार और जरदारी से हुई मुलाकात के दौरान बीते 26 नवंबर की घटना और बॉन सम्‍मेलन पर चर्चा हुई। अफगानिस्‍तान के भविष्‍य को लेकर होने वाले इस सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने से इनकार किया है। पाकिस्‍तान ने कहा है कि जब तक उसकी सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता को लेकर विश्‍व समुदाय से आश्‍वासन नहीं मिलता, वह इस सम्‍मेलन में हिस्‍सा नहीं लेगा। मंटर ने कहा कि अमेरिका को पाकिस्‍तान की लोकतांत्रिक सरकार, सेना और अन्‍य अहम संस्‍थानों से रिश्‍ते बनाकर रखने की जरूरत है।

जमात का विरोध जारी, तालिबानी मुल्‍क बनाने की धमकी

इस बीच, प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) का विरोध प्रदर्शन जारी है। संगठन ने पाकिस्‍तानी सैनिकों पर नाटो हमले के विरोधस्वरूप लाहौर में प्रदर्शन किया। संगठन के वरिष्ठ नेता अमीर हमजा ने कहा, ‘संगठन पाकिस्‍तानी सेना के साथ है। हम अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित लड़ाकों में तब्दील करेंगे। पंजाब यूनिवर्सिटी, सरकारी कॉलेजों, कृषि विश्वविद्यालय और हर जगह केवल तालिबान होगा।

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