आपका-अख्तर खान

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02 दिसंबर 2011

मेरी कब्र पर

मेरी कब्र के
फूल चुनकर भी
तुम्हे तसल्ली ना हुई
एक में हूँ
के जिंदगी में
यूँ ही
कांटो को
गले लगाया करता था
आज मरने के बाद भी
देख लो
मेरी कब्र पर
लोगों ने केक्ट्स उगाये हैं ............... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जेसे प्यास से तडपते

देख लो
तुम खुद देख लो
हम है
केसे बदनसीब
इस जहां में ॥
तेरे पास होकर भी
ऐसे खड़े हैं
जेसे प्यास से तडपते
कोई खड़ा हो
समन्दर के पास ........ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सिर्फ तेरे लियें

दिल को कई बार
सिर्फ तेरे लियें
टूटने से बचाया है ।
कई बार
दिल का खून हुआ
लेकिन इसे फिर भी
मेने बचाया है
क्योंकि इस दिल में
तेरी याद जो बची है .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हकीक़त यही है

सोचता हूँ
आज फिर नई सुबह के साथ
मुझे नई
जिंदगी मिल गयी है
लेकिन
हकीक़त यही है
के यह जिंदगी
बेमानी है तेरे बगेर ॥ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

और भी गम हैं जमाने में हेलमेट के सिवा लेकिन एक अख़बार जी हैं के मानते ही नहीं .

जी हाँ कहावत है के और भी गम हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा इसी तर्ज़ पर कोटा के एक अख़बार जी द्वारा लगातार प्रकाशित किये जा रहे हेलमेट उवाच से तंग आकर लोग अब अख़बार के सम्पादकों से हाथ जोड़ कर कहने लगे हैं के और भी गम है जमाने में हेलमेट के सिवा लेकिन अख़बार जी हैं के दिल है की मानता ही नहीं की तर्ज़ पर मानते ही नहीं है ॥ दोस्तों कोटा में आज तक इतिहास हेई यहाँ बाहर से आये अफसर कभी भी चोबीस घंटे पानी आना चाह कर भी बंद नहीं कर सके ॥ यहाँ बाहर से आये लोग चाहे वोह अफसर हो चाहे बदमाश चाहे नेता हों चाहे पत्रकार यहाँ अराजकता नहीं फेला पाए । कोटा में कचोरी खाना लोगों ने कभी बंद नहीं किया ठीक इसी तरह से बाहर से आये पत्रकार और पुलिस ने पुल बना कर लोगों को लुटने के लियें हेलमेट नाम पर लुत्ट्स मचाई लेकिन कभी कामयाब नहीं हुए । पिछले दिनों से एक अख़बार में बाहर से आये पत्रकार जी ने संकल्प लिया के में कोटा के लोगों को हेलमेट पहना कर ही दम लूँगा लोगों ने उन्हें मोटर वाहन अधिनियम देकर इल्तिजा की के भाई इस कानून में कई दर्जन प्रावधान है बढ़े वाहनों के लियें ट्रकों के लियें बसों और जीपों कारों के लियें उन्हें पहले लागू करवाएं ताकि गरीबों की म़ोत सडक दुर्घटना में नहीं हो लेकिन जनाब कोटा में रोज़ लोग मर रहे हैं दुर्घटनाएं हो रही हैं और जनाब अख़बार जी है के हेलमेट के अलावा कुछ देख ही नहीं रहे ॥ मेने एक पुलिस जी से कहा के जनाब तदा इन अख़बार जी के दफ्तर के बाहर तो खड़े हो जाओ वहां कोन पत्रकार कर्मचारी कितने हेलमेट पहन कर आते हैं यकीन मानिए के खुद के दफ्तर के लोग काफी ऐसे मिले जिन्होंने हेलमेट नहीं पहन रखा था और जिन्होंने पहन रखा था उनमे से काफी लोगों के पास आई एस आई मार्का का हेलमेट नहीं था तो जनाब खुद अख़बार जी ने अपने गिरेबान में नहीं झाँका चिराग तले अँधेरा रखा और हेलमेट हेलमेट के पिच्छे पढ़ गये अब तो अख़बार जी के इस हेलमेट उवाच से जनता और अधिकारी उकता भी गये हैं लेकिन अख़बार जी हैं के समझते ही नहीं के और भी गम है जमाने में हेलमेट के सिवा ...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह है गीता का ज्ञान ...............

(सत्‌, रज, तम- तीनों गुणों का विषय)
सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः ।
निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम्‌ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुण -ये प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण अविनाशी जीवात्मा को शरीर में बाँधते हैं॥5॥
तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्प्रकाशकमनामयम्‌ ।
सुखसङ्‍गेन बध्नाति ज्ञानसङ्‍गेन चानघ ॥
भावार्थ : हे निष्पाप! उन तीनों गुणों में सत्त्वगुण तो निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला और विकार रहित है, वह सुख के सम्बन्ध से और ज्ञान के सम्बन्ध से अर्थात उसके अभिमान से बाँधता है॥6॥
रजो रागात्मकं विद्धि तृष्णासङ्‍गसमुद्भवम्‌ ।
तन्निबध्नाति कौन्तेय कर्मसङ्‍गेन देहिनम्‌ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! रागरूप रजोगुण को कामना और आसक्ति से उत्पन्न जान। वह इस जीवात्मा को कर्मों और उनके फल के सम्बन्ध में बाँधता है॥7॥
तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम्‌ ।
प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! सब देहाभिमानियों को मोहित करने वाले तमोगुण को तो अज्ञान से उत्पन्न जान। वह इस जीवात्मा को प्रमाद (इंद्रियों और अंतःकरण की व्यर्थ चेष्टाओं का नाम 'प्रमाद' है), आलस्य (कर्तव्य कर्म में अप्रवृत्तिरूप निरुद्यमता का नाम 'आलस्य' है) और निद्रा द्वारा बाँधता है॥8॥
सत्त्वं सुखे सञ्जयति रजः कर्मणि भारत ।
ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे सञ्जयत्युत ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! सत्त्वगुण सुख में लगाता है और रजोगुण कर्म में तथा तमोगुण तो ज्ञान को ढँककर प्रमाद में भी लगाता है॥9॥
रजस्तमश्चाभिभूय सत्त्वं भवति भारत ।
रजः सत्त्वं तमश्चैव तमः सत्त्वं रजस्तथा ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! रजोगुण और तमोगुण को दबाकर सत्त्वगुण, सत्त्वगुण और तमोगुण को दबाकर रजोगुण, वैसे ही सत्त्वगुण और रजोगुण को दबाकर तमोगुण होता है अर्थात बढ़ता है॥10॥
सर्वद्वारेषु देहेऽस्मिन्प्रकाश उपजायते ।
ज्ञानं यदा तदा विद्याद्विवृद्धं सत्त्वमित्युत ॥
भावार्थ : जिस समय इस देह में तथा अन्तःकरण और इन्द्रियों में चेतनता और विवेक शक्ति उत्पन्न होती है, उस समय ऐसा जानना चाहिए कि सत्त्वगुण बढ़ा है॥11॥
लोभः प्रवृत्तिरारम्भः कर्मणामशमः स्पृहा ।
रजस्येतानि जायन्ते विवृद्धे भरतर्षभ ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! रजोगुण के बढ़ने पर लोभ, प्रवृत्ति, स्वार्थबुद्धि से कर्मों का सकामभाव से आरम्भ, अशान्ति और विषय भोगों की लालसा- ये सब उत्पन्न होते हैं॥12॥
अप्रकाशोऽप्रवृत्तिश्च प्रमादो मोह एव च ।
तमस्येतानि जायन्ते विवृद्धे कुरुनन्दन ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! तमोगुण के बढ़ने पर अन्तःकरण और इंन्द्रियों में अप्रकाश, कर्तव्य-कर्मों में अप्रवृत्ति और प्रमाद अर्थात व्यर्थ चेष्टा और निद्रादि अन्तःकरण की मोहिनी वृत्तियाँ - ये सब ही उत्पन्न होते हैं॥13॥
यदा सत्त्वे प्रवृद्धे तु प्रलयं याति देहभृत्‌ ।
तदोत्तमविदां लोकानमलान्प्रतिपद्यते ॥
भावार्थ : जब यह मनुष्य सत्त्वगुण की वृद्धि में मृत्यु को प्राप्त होता है, तब तो उत्तम कर्म करने वालों के निर्मल दिव्य स्वर्गादि लोकों को प्राप्त होता है॥14॥
रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्‍गिषु जायते ।
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते ॥
भावार्थ : रजोगुण के बढ़ने पर मृत्यु को प्राप्त होकर कर्मों की आसक्ति वाले मनुष्यों में उत्पन्न होता है तथा तमोगुण के बढ़ने पर मरा हुआ मनुष्य कीट, पशु आदि मूढ़योनियों में उत्पन्न होता है॥15॥
कर्मणः सुकृतस्याहुः सात्त्विकं निर्मलं फलम्‌ ।
रजसस्तु फलं दुःखमज्ञानं तमसः फलम्‌ ॥
भावार्थ : श्रेष्ठ कर्म का तो सात्त्विक अर्थात् सुख, ज्ञान और वैराग्यादि निर्मल फल कहा है, राजस कर्म का फल दुःख एवं तामस कर्म का फल अज्ञान कहा है॥16॥
सत्त्वात्सञ्जायते ज्ञानं रजसो लोभ एव च ।
प्रमादमोहौ तमसो भवतोऽज्ञानमेव च ॥
भावार्थ : सत्त्वगुण से ज्ञान उत्पन्न होता है और रजोगुण से निःसन्देह लोभ तथा तमोगुण से प्रमाद (इसी अध्याय के श्लोक 13 में देखना चाहिए) और मोह (इसी अध्याय के श्लोक 13 में देखना चाहिए।) उत्पन्न होते हैं और अज्ञान भी होता है॥17॥
ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्था मध्ये तिष्ठन्ति राजसाः ।
जघन्यगुणवृत्तिस्था अधो गच्छन्ति तामसाः ॥
भावार्थ : सत्त्वगुण में स्थित पुरुष स्वर्गादि उच्च लोकों को जाते हैं, रजोगुण में स्थित राजस पुरुष मध्य में अर्थात मनुष्य लोक में ही रहते हैं और तमोगुण के कार्यरूप निद्रा, प्रमाद और आलस्यादि में स्थित तामस पुरुष अधोगति को अर्थात कीट, पशु आदि नीच योनियों को तथा नरकों को प्राप्त होते हैं॥18॥

कुरान का संदेश ...........

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जानिए कैसे बनता है सांप का भयंकर कालसर्प योग?


ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कई प्रकार के शुभ-अशुभ योग बनते हैं। सभी योगों का प्रभाव अलग-अलग होता है। इन सभी योगों में सर्वाधिक भय उत्पन्न करने वाला योग है कालसर्प योग। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ प्रभाव देने वाला कालसर्प योग हो तो उसका जीवन हमेशा ही परेशानियों से घिरा रहता है।

कालसर्प योग के प्रभाव से कड़ी मेहनत के बाद भी उचित प्रतिफल प्राप्त नहीं हो पाता है। घर-परिवार में समस्याएं बनी रहती हैं, जिससे मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। छोटी-छोटी सफलता के लिए भी अत्यधिक मेहनत करना पड़ता है। इसके विपरित यदि कालसर्प योग शुभ प्रभाव देने वाला हो तो व्यक्ति को राजा के समान सुविधाएं प्रदान करता है। जीवन में सबकुछ मिल जाता है।

ज्योतिष के अनुसार सौर मंडल में सात ग्रह है। सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि इसके अलावा दो छाया ग्रह है राहु और केतु। ज्येातिष की भाषा में राहु को सर्प का मुख माना जाता है एवं केतु को उस सर्प की पूंछ। जब किसी भी जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु-केतु के मध्य आ जाते हैं तो वह कुंडली कालसर्प ग्रस्त मानी जाती है।

कालसर्प योग हमेशा हानिकारक नहीं होता है। कुछ स्थिति में इसका दुष्प्रभाव होता है लेकिन किसी भी एक ग्रह के महायोग से इसका प्रभाव स्वत: खत्म हो जाता है। मूलत: काल सर्प योग केवल अनिर्णय या असमंजस की स्थिति पैदा करता है। इससे पीडि़त व्यक्ति महत्वपूर्ण मौकों पर निर्णय लेते समय गफलत की स्थिति में आ जाता है। जिससे उसका नुकसान हो जाता है। कई महापुरुषों की कुंडली में भी कालसर्प योग रहा लेकिन वे अपनी मंजिल पर पहुंचे। इसलिए कालसर्प भय या चिंता का विषय नहीं है, बल्कि विवेकपूर्ण बुद्धि के उपयोग का विषय है। कालसर्प के बारे में प्राचीन ग्रंथ में भी वर्णन मिलता है। महर्षि पाराशर, वराहमिहिर, आचार्य कल्याण वर्मा आदि कई विद्वानों ने अपने-अपने ग्रंथों में सर्प योग का उल्लेख किया है।


3 बार हवा में उछली, 100 फीट नीचे पेड़ों में फंसी और हो गया चमत्कार!

जयपुर.नाहरगढ़ पहाड़ी में सड़क के खतरनाक घुमावदार मोड़ों पर पर्यटकों के वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का सिलसिला थम नहीं रहा। शुक्रवार सुबह तेज रफ्तार में किले से लौट रही स्कार्पियो मोड़ से करीब सौ फीट गहरी खाई में जा गिरी, लेकिन किस्मत ने पिता-पुत्र को बचा लिया, उन्हें खरोंच तक नहीं आई। दुर्घटना थाना उत्तर ने मुकदमा दर्ज कर स्कॉर्पियो को जब्त कर लिया है।

सुबह करीब 11:15 बजे नाहरगढ़ पहाड़ी से नीचे आते वक्त छठे मोड़ पर स्कार्पियो खतरनाक घुमाव पर रफ्तार में होने से बेकाबू हो गई और पेड़ों व झाड़ियों के ऊपर हवा में उछाल लेकर पत्थरों से टकराई।

घबराहट में स्कार्पियो चला रहे भंवरलाल ने ब्रेक लगाए, तो संभवतया एक्सीलेटर दब गया। इससे कार रुकने की बजाय फिर से तीन बार हवा में उछलती हुई गहरी खाई में दो पेड़ों से टकराकर रुक गई। कुछ देर बाद बदहवास हालत में भंवरलाल व उनका बेटा स्कार्पियो से बाहर निकलकर आए। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि वे बच गए। उन्होंने पुलिस व रिश्तेदार को सूचना दी।

दो घंटे बाद निकाला जा सका

घटना का पता चलने पर दुर्घटना पुलिस मौके पर पहुंची और दो क्रेनों को बुलाया गया। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद क्रेन से स्कार्पियो को निकाला जा सका। इस दौरान वहां पर्यटकों के वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।

घाटी में तमाशबीन, लग गया जाम

इससे पहले स्कार्पियो को गहरी खाई में गिरा देखकर वहां से गुजर रहे पर्यटकों ने अपने वाहन को रास्ते में रोक दिया और खुद भी स्कार्पियो देखने नीचे घाटी में उतर गए। इस दौरान वहां एक पुलिसकर्मी भी मौजूद नहीं था, जो पर्यटकों को रोकता या फिर जाम की स्थिति को संभाल सके।

ऊंची जाति के व्यक्ति से मेल खाता रखा नाम, दे दी दर्दनाक मौत

.पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक दलित किशोर की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई क्योंकि उसका नाम एक ऊंची जाति के युवक का भी नाम था। पुलिस ने मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी की है, वहीं आरोपी अभी भी गिरफ्त से दूर हैं।

बस्ती पुलिस के अनुसार राधोपुर गांव में नीरज के पिता राम सुमेर पर काफी समय से दबाव डाला जा रहा था कि वह नीरज का नाम बदल लें क्योंकि गांव के ही जवाहर चौधीर के बेटे का भी यही नाम था। इसके बाद 23 नवम्बर को 14 साल के नीरज की लाश 23 नवम्बर को खेत में मिली थी। पुलिस ने चौधरी परिवार के दो दोस्तों को गिरफ्तार किया है।

बैक्टीरिया से रोशन होंगे घर

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घर की गंदगी को बतौर भोजन इस्तेमाल कर बैक्टीरिया घर को रोशन करने का भी काम करेंगे। यह तकनीक फिलिप्स अपने माइक्रोबियल होम कांसेप्ट में पेश कर रहा है।

वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को खोजने के लिए दुनिया भर में काम हो रहा है। लेकिन अगर फिलिप्स कंपनी की मानें तो भविष्य में घरों को रोशन करने में बैक्टीरिया भी काम आएंगे, जो घरों में निकलने वाली गंदगी से ऊर्जा लेकर इस काम को अंजाम देंगे। इन्हें बायोल्युमिनिसेंट लैंप नाम दिया गया है, जो फिलिप्स के माइक्रोबियल होम कांसेप्ट का एक हिस्सा हैं। इन घरों में मीथेन डाइजेस्टर लगाया जाएगा, जो गंदगी से बैक्टीरिया के लिए जरूरी भोजन रूपी ईंधन पैदा करेगा।

क्या है बायो लाइट

बायो लाइट तकनीक में शीशे के एक लैंप में ढेर सारे बैक्टीरिया रखे जाएंगे। इनके ही शरीर से हरे रंग का हल्का प्रकाश निकलेगा। ये लैंप दीवार पर लगाए जा सकते हैं या इन्हें कमरे के किसी कोने में रखा जा सकता है। ये लैंप सिलिकॉन ट्यूब से फूड सोर्स यानी मिथेन डाइजेस्टर से जुड़े होंगे। ये मिथेन डाइजेस्टर घर की गंदगी को तोड़ कर बैक्टीरिया को भोजन मुहैया कराएंगे। यह भोजन बैक्टीरिया के शरीर में क्रिया करके हल्के हरे रंग का प्रकाश उत्सर्जित करेगा।

जानें ल्युमिनिसेंस को

ल्युमिनिसेंस वह प्रक्रिया है, जिसमें कम तापमान पर बिजली पैदा होती है। इसके विपरीत इनकेंडिसेंस में बेहद उच्च तापमान पर बिजली पैदा होती है। बायोल्युमिनिसेंस जीवों में लुसीफेरेस नाम का एंजाइम पाया जाता है, जो लुसीफेरेन नाम के अणु से क्रिया कर प्रकाश का उत्सर्जन करता है।

सीमित है दायरा

चूंकि बायो लैंप बेहद हल्का प्रकाश छोड़ेंगे, जिस कारण इनका इस्तेमाल साइनबोर्ड, संकेत चिन्ह और बतौर नाइट लैंप की तरह हो सकेगा। चूंकि इस प्रकाश का उत्पादन रासायनिक क्रिया पर निर्भर होगा, तो यह परंपरागत प्रकाश की तुलना में हल्का ही रहेगा। लेकिन इस तकनीक में किसी किस्म के तार या इलेक्ट्रिक ग्रिड की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सबसे बड़ी बात इसका पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।

यहां हो सकेगा इस्तेमाल

- रात के समय सड़क के किनारे मार्किग के लिए। उदाहरण के तौर पर सड़क के किनारों को प्रदर्शित करने के लिए।

- सीढ़ियों पर वार्निग स्ट्रिप्स के काम आएगा।

- थिएटर, सिनेमाघर, नाइट क्लब जैसे स्थानों पर सूचना देने के काम आएगा। ञ्च बतौर इंडिकेटर्स उपयोग हो सकेगा। ञ्च डायबिटीज सरीखी बीमारी पर निगाह रखने में हो सकेगा। इस काम को बायो सेंसर की मदद से अंजाम दिया जा सकेगा।

क्रोम से पिटा फायरफॉक्‍स

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गूगल द्वारा बनाया गया इंटरनेट ब्राउज़र गूगल क्रोम यूजर्स के बीच तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है। मार्केट शेयर के लिहाज से गूगल क्रोम ने पहली बार मोजिला फायरफॉक्स को पीछे छोड़ दिया है।

नवंबर के आखिर में गूगल क्रोम का मार्केट शेयर 25.69% था प्रतिशत था जबकि मोजिला का 25.23% लेकिन यह दोनो ही ब्राउजर अभी भी माइक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर से काफी पीछे हैं जिसकी बाजार हिस्सेदारी 40.63% है।

गूगल क्रोम को साल 2008 में लांच किया गया था और अपनी लांचिग से ही यह यूजर्स के बीच में काफी लोकप्रिय हो रहा है। जबकि मोजिला फायरफोक्स 2004 में लांच हुआ था वहीं इंटरनेट एक्सप्लोरर 1995 और एप्पल का सफारी ब्राउजर 2003 में लांच किया गया था।

गूगल क्रोम इस साल जून में बाजार की 20% हिस्सेदारी पर कायम हो गया था। और अब इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 25% को पार गई है। जानकारों के मुताबिक यह आने वाले समय में माइक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर को भी पीछे छोड़ सकता है।

राहुल के इशारे पर दिया सरकार ने धोखाः अन्ना

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रालेगण सिद्धी. गांधीवादी अन्ना हजारे ने एक बार फिर कहा है कि प्रधानमंत्री और सरकार उनसे किए गए वादों से मुकर गए हैं। अन्ना ने यह भी आरोप लगाया कि संसद की स्थायी समिति कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के इशारों पर काम कर रही है। अन्ना हजारे ने यह भी कहा कि लोकपाल पूरी तरह से स्वतंत्र संस्था होनी चाहिए। यह सीबीआई की तरह सरकार के नियंत्रण में नहीं होना चाहिए।
अन्ना हजारे ने यह भी कहा कि यदि अनशन से उनका कुछ बुरा हुआ तो कांग्रेस पार्टी पर हमेशा के लिए काला धब्बा लग जाएगा। अन्ना ने एक बार फिर से दोहराया कि मजबूत लोकपाल न आने की स्थिति में वो चुनाव वाले पांच राज्यों का दौरा करके कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करेंगे।
अन्ना ने कहा कि समिति ने पहले तय किया था कि निचले स्तर के कर्मचारी भी लोकपाल के दायरे में आएंगे लेकिन अब राहुल गांधी के इशारे पर इस फैसले को वापस ले लिया गया है। अन्ना हजारे ने एक बार फिर सरकार को चेतावनी दी कि यदि मजबूत लोकपाल नहीं आया तो 27 दिसंबर से एक बड़ा आंदोलन होगा। अन्ना ने कहा कि उनके पास आठ दिन अनशन करने की इजाजत है जिसके बाद उन्हें प्रशासन बैठने नहीं देगा लेकिन वो रुकेंगे नहीं। चुनाव वाले पांच राज्यों में दौरा शुरु करे देंगे और जनता को बताएंगे कि सरकार उनके साथ धोखा कर रही है।

अन्ना हजारे की चेतावनी को एक बार फिर से दरकिनार करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि अन्ना अनशन करना चाहते हैं तो अनशन करें। उन्हें अन्ना की नहीं देश की चिंता है।
अन्ना हजारे से जब पूछा गया कि क्या उनके पास इस बात का कोई प्रमाण है कि राहुल गांधी के इशारों पर ही संसद की स्थायी समिति काम कर रही है अन्ना ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि जो भी हो रहा है वो अन्ना के कहने पर हो रहा है। अन्ना हजारे ने यह भी आरोप लगाया कि ग्रुप सी और ग्रुप डी के अधिकारियों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखकर नेता खुद को बचा रहे हैं।

अन्ना ने कहा कि बिना नेताओं के सहयोग के कोई भी अधिकारी भ्रष्टाचार नहीं कर सकता। भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए ही नेता जनलोकपाल को नहीं आने दे रहे हैं। हालांकि अन्ना हजारे ने यह भी स्पष्ट कहा कि उन्हें लोकपाल के संवैधानिक संस्था बनाए जाने पर कोई ऐतराज नहीं है लेकिन यह पूरी तरह स्वतंत्र और सरकार के नियंत्रण से बाहर होना चाहिए।


14-15 दिसंबर को बनेगी टीम अन्‍ना की रणनीति
लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिए जाने पर अन्ना हजारे को कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि उसके कामकाज में सरकार का दखल नहीं होना चाहिए। लेकिन टीम अन्ना का मानना है कि लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने की बात मामले को लटकाने के लिए की जा रही है। किरण बेदी ने इसे महज पेंच बताया था। लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने के लिए संसद में दो-तिहाई समर्थन की जरूरत होगी और यह मुश्किल काम होगा। गौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने लोकसभा में बहस के दौरान लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने की पेशकश की थी।

लोकपाल को संवैधानिक दर्जा दिए जाने को लेकर अन्‍ना और उनकी टीम की अलग-अलग राय के बीच आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए दिसंबर मध्‍य में टीम अन्‍ना की बैठक होगी। संभव है, दिल्‍ली में होने वाली इस बैठक में अन्‍ना हजारे भी शामिल हों। बैठक 14-15 दिसंबर को होगी। इसमें तय किया जाएगा कि टीम अन्‍ना जिस रूप में लोकपाल बिल चाहती है, उसे हासिल करने के लिए क्‍या किया जाए।

इस बीच अन्ना ने कहा कि करीब १० साल पहले चुनाव आयोग ने जन प्रतिनिधियों को खारिज करने के अधिकार (राइट टू रिजेक्ट) के बाबत सरकार को लिखा था। फैसला अब तक नहीं हो पाया है। अन्ना ने एक बार फिर प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ५० फीसदी सांसदों ने उनके जन लोकपाल को समर्थन का भरोसा दिलाया था। अन्ना ने 11 दिसंबर को जंतर-मंतर पर एक दिन के विरोध प्रदर्शन में सबको शामिल होने की अपील की।


लोकपाल पर कांग्रेस का यू-टर्न, ग्रुप सी कर्मी बाहर!

इससे पहले एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत गुरुवार को आनन-फानन में बुलाई गई स्थायी समिति की बैठक में कांग्रेस के सदस्यों ने ग्रुप सी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे से बाहर करने की मांग उठाई। विपक्ष के विरोध के बीच तय हुआ कि सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर (सीवीसी) ही इन कर्मियों के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करेगा। लोकपाल समिति की यह बैठक कांग्रेसी सदस्यों की मांग पर बुलाई गई थी। इसके पहले बुधवार की बैठक में तय किया गया था कि ग्रुप सी कर्मियों को लोकपाल के दायरे में शामिल किया जाएगा।

गुरुवार की इस बैठक में कांग्रेसी सांसदों की मांग थी कि लोकपाल को सीबीआई डायरेक्टर की चयन समिति से भी बाहर कर दिया जाए, जबकि बुधवार को इस बात पर सहमति हो गई थी कि लोकपाल इस तीन सदस्यीय चयन समिति का हिस्सा होगा। समिति में शामिल विपक्षी दल बीजेपी, सीपीएम, आरएसपी और सरकार की सहयोगी समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेसी सदस्यों के इस यू-टर्न की जमकर निंदा करते हुए इस पर डिसेंट नोट (असहमति पत्र) देने का फैसला किया। सूत्रों के मुताबिक, लोकपाल समिति में शामिल कांग्रेस के सांसद शांताराम नाईक और भालचंद्र मुंगेकर(मनोनीत) ने समिति के चेयरमैन अभिषेक मनु सिंघवी को पत्र लिखकर कुछ मुद्दों पर संशय दूर करने के मकसद से लोकपाल समिति की फिर से बैठक बुलाने की मांग की थी। इससे पहले बुधवार की बैठक को ही लोकपाल समिति की अंतिम बैठक करार दिया गया था।

समिति में शामिल कांग्रेस सदस्यों की दलील थी कि छठे वेतन आयोग की रोशनी में ग्रुप सी और डी का आपस में विलय हो चुका है, ऐसे में ग्रुप सी के कर्मियों को लोकपाल के दायरे में शामिल करने से लगभग 60 लाख कर्मचारी लोकपाल के दायरे में होंगे। इस तरह से शासन का एक समानांतर तंत्र खड़ा हो जाएगा। लोकपाल इतनी शिकायतों के निपटारे में बुरी तरह अक्षम भी साबित होगा। सीबीआई डायरेक्टर को लेकर कांग्रेसी सांसदों का तर्क था कि यह जांच एजेंसी दिल्ली पुलिस स्पेशल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट-1946 के दायरे में आती है, ऐसे में सीबीआई डायरेक्टर के चयन में लोकपाल का हस्तक्षेप नहीं हो सकता।

सूत्रों के मुताबिक लोकपाल समिति में संख्या के लिहाज से अव्वल कांग्रेसी सांसदों की मांग पर इन दोनों ही बातों को लोकपाल के अंतिम ड्राफ्ट में शामिल किया जाएगा।

भंवरी देवी सेक्स सीडी कांडः मदेरणा और बिश्नोई गिरफ्तार

जोधपुर।शुक्रवार को भंवरी देवी मामले में सीबीआई ने महिपाल मदेरणा को गिरफ्तार कर लिया। मदेरणा के बेहद करीबी रहे परसराम बिश्नोई को भी सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है।
शुक्रवार को ही सीबीआई ने भंवरी मामले में चार्चशीट भी दाखिल की जिसमें राजस्थान सरकार से निकाले गए मंत्री महिपाल मदेरणा समेत पांच लोगों का नाम है।
सीबीआई ने भंवरी अपहरण प्रकरण में चार्जशीट पेश करने से पहले पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और लूणी विधायक के भाई परसराम विश्नोई को पूछताछ के लिए बुलाया था। इस पूछताछ के बाद सीबीआ ने चार्जशीट दायर की और फिर मदेरणा और बिश्नोई को गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई ने मदेरणा से यह पांचवीं बार और पूर्व पीसीसी सदस्य परसराम विश्नोई से छठी बार पूछताछ की थी। दोनों को सुबह फोन कर सर्किट हाउस बुलाया गया था। परसराम सुबह करीब 11 बजे सर्किट हाउस पहुंच गए और दोपहर करीब साढ़े बारह बजे महिपाल मदेरणा भी आ गए। दोनों से अलग-अलग कमरे में पूछताछ हुई।
इसके अलावा सीबीआई-ने शुक्रवार को सोजत में जलदाय के एक एलडीसी और पाली में रहने वाले व्यवसायी अशोक गुप्ता से भी पूछताछ कर रही है। गुप्ता ने बताया कि सीबीआई उनसे अब तक पांच-छह बार पूछताछ कर चुकी है। वह मदेरणा का परिचित है इसलिए उससे पूछताछ की जा रही है।

हसन हुसेन की शहादत मोहर्रम के दिन अल्फ्लाह करेगी रक्तदान

अल्फ्लाह यानी सभी का कल्याण कर भला तो हो भला इसी तर्ज़ पर कोटा में कई वर्षों से समाज कल्याण ..चिकित्सा सेवा ..रक्तदान और शिक्षा प्रचार में लगी समाज सेवी संस्था अल्फ्लाह ने इस साल रिकोर्ड तोड़ कल्याणकारी कार्य किये हैं अल्फ्लाह के अध्यक्ष भाई रफीक बेलियम ने अपने सचिव जनाब सी ऐ इस्लाम कहां और पूरी टीम के साथ मिलकर कोटा सम्भाग के लोगों का दिल जीत लिया है और अपना कारवां बढा कर आज सभी समाज सेवकों और संस्थाओं को अपने साथ लगा लिया है ............. जी हाँ दोस्तों पीड़ित और गरीबों की मदद का अल्फ्लाह कोई भी मोका गवाना नहीं चाहती है और अल्फ्लाह की टीम हर मुस्लिम त्यौहार पर खून की कमी से पीड़ित लोगों की जान बचाने के लियें रक्तदान करती रही है ॥ अल्फ्लाह संस्था की तरफ से इसी क्रम में मोहर्रम योमे अशुरा के दिन चाँद की दस और अंग्रेजी छ तारीख को किशोरपुरा कोटा में एक बहुत बढा रक्तदान शिविर रखने जा रही है वेसे तो अल्फ्लाह के पास चलता फिरता ब्लड बेंक जाकिर रिज़वी मोजूद हैं जो कहीं भी किसी भी मोड़ पर जब भी किसी को खून की अगर जरूरत पढ़ जाये तो वोह हमेशा हाज़िर मिलते हैं ...... दोस्तों सभी जानते है के मोहर्रम के अवसर पर लोग ताजिये निकालते हैं, सबीलें लगाते हैं, शरबत पिलाते है, हलीम खिलाते हैं ,हाय हुसेन हम नहीं थे के नारे लगाते हैं और तो और कई लोग इस शहादत की याद को ताज़ा करने के लियें खुद को तकलीफ देने के लियें पेट हाथ बाजू और पेरों पर आर पार चाकू तलवारें भाले तीर घुसाते हैं लेकिन अलाफ्लाह के लोग जानते हैं के जिंदगी अनमोल है और उनका मानना है के इस अवसर पर शहादत का त्यौहार अपना खुद देकर किसी दुसरे की जिंदगी बचाकर जो आनन्द मिलेगा वोह आनन्द अभूतपूर्व रहेगा और इसीलियें अल्फ्लाह के सेकड़ों कार्यकर्ता इस अवसर पर चलते फिरते कोटा के ब्लड बेंक कहे जाने वाले जाकिर रिज़वी के साथ रक्तदान करेंगे ........ शायद रफ़ीक बेलियम के सदारत में चलाई जा रही संस्था अल्फ्लाह के इन कार्यों को ही सही मायनों में समाज सेवा कार्य कहते हैं जो अपने त्योहारों के लुत्फ़ को छोड़ कर इसी दिन भी लोगों की जिंदगियां बचाने के बारे में सोचते हैं ........ ऐसे अल्फ्लाह के अध्यक्ष भाई रफ़ीक बेलियम ॥ सचिव इस्लाम खान और चलते फिरते ब्लड बेंक जाकिर रिज़वी सहित सभी साथियों को मेरा सलाम मेरा सेल्यूट । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

घरेलु अमृत संजीवनी: कई जानलेवा लाइलाज बीमारियों की एक ग्यारंटेड दवा


कई बार बड़ी बीमारियों का इलाज करवाते हुए। हम थक जाते हैं लेकिन अच्छे से अच्छे और महंगा से महंगा इलाज करवाने पर भी बीमारी ठीक नहीं हो पाती। ऐसे में हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा आजमाएं हुए सौ-प्रतिशत कारगर नुस्खे ही एक मात्र उम्मीद होते हैं। वाकई में ये नुस्खे काम भी करते हैं इन्हें आयुर्वेद की भाषा में रासायन कहा जाता है। ऐसा ही एक योग है अमृत संजीवनी रासायन योग जिसे आप घर पर ही बनाकर कई जानलेवा बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।

बनाने की विधि और सामग्री - अमृता, खस, नीम की छाल, मछेली, अडूसा, गोबर मुदपर्णी, सेमल, मूसली, शतावर, सभी को अलग-अलग कर एक किलो लेकर जौकुट करके आठ गुने पानी में पकाएं। जब पानी 4 भाग शेष रह जाएं। तब एक किलो गुड़ (बिना मसाले का) अडूसा, शतावरी, आंवला, मछेली का कल्क प्रत्येक 160-160 ग्राम-काली गाय के घी में धीमी आंच पर पकाएं।

घी मात्र जब शेष रह जाए तो छानकर खस, चंदन, त्रिजातक, त्रिकुटा, त्रिफला, त्रिकेशर ( नागकेशर, कमल केशर) वंश लोचन, चोरक, सफेद मुसली, असगंध, पाषाण भेद, धनिया, अडूसा, अनारदाना, खजूर, मुलैठी, दाख, निलोफर, कपूर, शीलाजीत, गंधक सभी दस-दस ग्राम लेकर कपड़छन करके उपरोक्त घी में मिला दें।

मात्रा-सुबह खाली पेट 10 ग्राम घृत गौ- दूध में डालकर सेवन करें और एक घंटे तक कुछ भी ना खाएं।

गुण-सभी प्रकार के कैंसर में प्रथम व द्वितीय अवस्था तक के अलग-अलग अनुपान से, पुराना गठिया, घुटनो में सुजन व दर्द, साइटिका, अमाशय में पितरोग, नामर्दी, शुक्राणु का अभाव, शीघ्र पतन, पागलपन, अवसाद, बिगड़ी हुई खांसी, गलगंड, पीलिया, वात रोग, रक्तरोग, रसायन, वाजीकरण, श्वास रोग, गले के रोग, हृदय रोग, पिताशय की पथरी में लाभकारी। जो स्त्री रजोदोष से पीडि़त हो, जिस स्त्री के रजनोप्रवृति प्रारंभ ही न हुई हो, जो कष्ट पीडि़त हो तथा जिन स्त्रियों को बार-बार संतान होकर मर जाती हो, उन सभी को राहत मिलेगी। मासिक धर्म शुरू होकर बीच में ही बंद हो गया हो और अनेकों औषधी व मंत्रों के प्रयोग से संतान उत्पन्न न हुई हो उन्हें निश्चित ही संतान होगी।

सर्दी स्पेशल- हैरान रह जाएंगे ठंड में घी खाने के ये ढेरों फायदे जानकर


घी का नाम आते ही उसकी खुशबू ,स्वाद और न जाने क्या क्या हमारे दिलों दिमाग पर छा जाता है, हो भी क्यों न? हमने अपनी परम्परा से जो इसे पाया है। भले ही अंगरेजी में इसे क्लेरीफायडबटर के नाम से जाना जाता हो, पर देशी शुद्ध घी के अपने ही फायदे हैं। आयुर्वेद में भी घी को उदाहरण के रूप में दिया जाता है, जो संस्कारों द्वारा अपने गुणों को न छोडते हुए दूसरों के गुणों को भी अपने अन्दर समाहित कर लेता है। 16 वीं शताब्दी के ग्रन्थ भावप्रकाश पर यदि नजर डाला जाय तो इसे स्वाद को बढ़ाने वाला और ऊर्जा प्रदान करने वाला माना गया है।

शायद इसलिए हम इसे सदियों से अपने भोजन का अभिन्न हिस्सा मानते रहे हैं। घी केवल रसायन ही नहीं आपकी आँखों की ज्योति को भी बढाता है। ठंड में इसके सेवन को विशेष लाभदायी माना गया है। इसके अपने गुणों के कारण ही मक्खन की जगह हम इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। हमारे देश में बड़ी ही तसल्ली से मक्खन को धीमी आंच पर पिघलाते हुए पकाकर घी बनाया जाता है।

इससे इसके तीन लेयर बन जाते हैं ,पहला लेयर पानी से युक्त होता है, जिसे बाहर निकाल लिया जाता है ,इसके बाद दूध के ठोस भाग को निकाला जाता है, जो अपने पीछे एक सुनहरी सेचुरेटेड चर्बी को छोड़ जाता है ,जिसमें कंजुगेटेड लाईनोलीक एसिड पाया जाता है। यह कंजुगेटेड लाईनोलीक एसिड शरीर के संयोजी उतकों को लुब्रीकेट करने एवं वजन कम होने से रोकने में मददगार के रूप में जाना जाता है। यह भी एक सत्य है कि, घी एंटीआक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में घी को आतंरिक और बाह्य दोनों ही प्रयोगों में सदियों से लाया जाता रहा है।

जोड़ों का दर्द हो, या हो त्वचा का रूखापन, या कराना हो आयुर्वेदीय पंचकर्म में शोधन, हर जगह इसका प्रयोग निश्चित है । हम जानते हैं, कि हमारा शरीर अधिकांशतया पानी में घुलनशील हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालता है। लेकिन घी चर्बी में घुलनशील हानिकारक रसायनों को हमारे आहारनाल से बाहर निकालता है। घी को पचाना आसान होता है, साथ ही इसका शरीर में एल्कलाईन फार्म में होनेवाला परिवर्तन अत्यधिक एसिडिक खान-पान के कारण होनेवाले पेट की सूजन (गेस्ट्राईटीस ) को भी कम करता है।

चूँकि धीमी आंच पर गर्म करने से दूध के ठोस तत्व बाहर निकल जाते हैं, इसलिए यह लेकटोज फ्री होता है, और यह उन लोगों के लिए भी खाने योग्य है जिन्हें साधारण डेयरी प्रोडक्ट हजम नहीं होते हैं। घी मेध्य है ,अर्थात हमारी बुद्धिमता (आई.क्यू,) को बढाता है ,और तंत्रिकाओं को पोषण देता है।इन्ही गुणों के कारण आयुर्वेदिक चिकित्सक इसे अवसाद,एंजायटी,एपीलेप्सी आदि मानसिक स्थितियों में प्रयुक्त कराते हैं।इसे गर्भवती महिलाएं भी ले सकती हैं तथा अपनी आनेवाली संतान को गुणवान एवं बुद्धिमान प्राप्त कर सकती हैं।

अजब गीदड़ की गजब कहानी बब्बर शेर को खडे़ खडे़ पिला दिया पानी


तस्वीरें नामीबिया के ओंगावा गेम रिजर्व की हैं। यहां तालाब पर पानी पीने आया एक शेर जब गलती से अपने पीछे से गुजर रहे एक गीदड़ पर बैठ गया तो गीदड़ को गुस्सा आ गया।

वह एक बार तो पलटकर शेर के सामने खड़ा हो गया। इतना ही नहीं, उसने शेर के गले तक पहुंचने की गुस्ताखी कर डाली।

शेर शांत रहा, लेकिन जल्द ही गीदड़ को अपनी असलियत याद आ गई और वह पीछे हट गया और धीरे-धीरे वहां से निकल गया। यह फोटो ओंगावा रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉक्टर केन स्ट्रेटफोर्ड की टीम ने ली हैं।





लड़कियों की तरह लड़कों को भी छिदवाना चाहिए कान...

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शास्त्रों के अनुसार कई संस्कार बताए गए हैं जिनका निर्वहन करना धर्म और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण बहुत फायदेमंद रहता है। इन सभी संस्कारों को धर्म से जोड़ा गया है ताकि व्यक्ति धर्म के नाम इनका पालन करता रहे। इन्हीं महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है कर्णछेदन संस्कार।

सामान्यत: केवल लड़कियों के कान छिदवाने की परंपरा है लेकिन प्राचीन काल में लड़कों के भी कान छिदवाए जाते थे। आजकल काफी हद तक लड़कों के कान छिदवाने की परंपरा लगभग बंद ही हो गई है लेकिन कुछ लड़के फैशन के नाम पर जरूर कान छिदवाते हैं। पुराने समय में लड़कियों की तरह लड़कों के भी कान छिदवाते थे और उनके कानों में कुंडल भी पहनाए जाते थे।

इस परंपरा के पीछे स्वास्थ्य संबंधी कारण हैं। कान छिदवाने और कानों में बाली पहनने से मस्तिष्क के दोनों भागों के लिए एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर का काम होता है। दिमाग के कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही कानों में बाली पहनने से कई रोगों से लडऩे की शक्ति भी बढ़ती है।

इन स्वास्थ्य संबंधी कारणों के अतिरिक्त इसके धार्मिक महत्व भी है। मनुष्य जीवन के प्रमुख 16 संस्कारों में कणछेदन संस्कार भी शामिल है। अत: प्राचीन काल में इसका निर्वहन अवश्य किया जाता था।

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