दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्॥
दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम्॥
भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत॥
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम्॥
मा शुचः सम्पदं दैवीमभिजातोऽसि पाण्डव॥
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
मार्गशीर्ष(अगहन) मास की पूर्णिमा को दत्त जयंती का पर्व मनाया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी तिथि को भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। दत्तात्रेय भगवान विष्णु के ही अवतार माने गए हैं। इस बार दत्त जयंती का पर्व 10 दिसंबर, शनिवार को है।
भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को प्रदोषकाल में हुआ था। ऐसी मान्यता है कि भक्त के स्मरण करते ही भगवान दत्तात्रेय उसकी हर समस्या का निदान कर देते हैं इसलिए इन्हें स्मृतिगामी व स्मृतिमात्रानुगन्ता कहा जाता है। श्रीमद्भगावत आदि ग्रंथों के अनुसार इन्होंने चौबीस गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी। भगवान दत्त के नाम पर दत्त संप्रदाय का उदय हुआ।
गिरनारक्षेत्र श्रीदत्तात्रेय भगवान की सिद्धपीठ है। इनकी गुरुचरणपादुकाएं वाराणसी तथा आबू पर्वत आदि कई स्थानों पर हैं। दक्षिण भारत में इनके अनेक प्रसिद्ध मंदिर भी हैं। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय के निमित्त व्रत करने एवं उनके मंदिर में जाकर दर्शन-पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
तनाव, सही डाइट न लेने, खराब रुटीन, नींद पूरी न होने की वजह से अक्सर कब्ज की शिकायत हो जाती है। इससे शरीर में आलस रहता है और पेट व सिर में भी जोरों का दर्द होता है। इसके अलावा, और भी दूसरी बीमारियां शरीर में घर कर जाती हैं। अगर आप भी सालों पुरानी कब्ज की बीमारी से परेशान हैं तो इससे बचने के लिए इस नीचे लिखा नुस्खा जरूर अपनाएं:
नुस्खा- कब्ज की शिकायत आमतौर पर देखी जाती है। बच्चों से लेकर वृद्ध तक इससे पीडि़त रहते हैं। मार्केट में जो भी कब्ज निवारक मिलते हैं। उनका बार-बार सेवन करना बहुत नुकसान पहुंचाता है। लोग कब्जनाशक चूर्ण खाने की आदत सी बना लेते हैं। रोज चूर्ण खाने वालों की आंते अपनी कार्यक्षमता गवां बैठती हैं। फिर बिना चूर्ण खाए उनका पेट ठीक नहीं रहता।
जो लोग कब्ज से ज्यादा परेशान रहते हैं, जिन्हें लंबे समय से कब्ज बना रहता है। जो बार-बार कब्ज रहने से दुखी हैं, उनके लिए बादाम का तेल बेहतर रहता है। इससे आंत की कार्यक्षमता बढ़ती है। रात के समय गरम दूध में बादाम तेल की 3 ग्राम मात्रा मिलाकर सेवन करें। प्रतिदिन तेल की मात्रा थोड़ी-थोड़ी बढ़ाकर 5-6 ग्राम तक ले जाएं। कुछ दिनों तक इसका सेवन करते रहने से बरसों बरस से परेशान कर रहा कब्ज भी खत्म हो जाता है।
भगवान विष्णु को सभी देवताओं में प्रधान माना गया है। विष्णु ही वे भगवान है जिनके सबसे ज्यादा अवतार लिए जाने का वर्णन हमारे धर्मशास्त्रों में मिलता है। भगवान विष्णु के भयानक और कालस्वरूप शेषनाग पर आनंद मुद्रा में शयन करते हुए भी दर्शन किए जा सकते हैं। भगवान विष्णु के इसी स्वरूप के लिए शास्त्रों में लिखा गया है
- शान्ताकारं भुजगशयनं यानि शांतिस्वरूप और भुजंग यानि शेषनाग पर शयन करने वाले देवता भगवान विष्णु।
साधारण नजरिए से यह अनूठा देव स्वरूप अचंभित करता है कि काल के साये में रहकर भी देवता बिना किसी बैचेनी के शयन करते हैं। किंतु भगवान विष्णु के इस रूप में मानव जीवन से जुड़ा छुपा संदेश है - जिंदगी का हर पल कर्तव्य और जिम्मेदारियों से जुड़ा होता है। इनमें पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक दायित्व अहम होते हैं। किंतु इन दायित्वों को पूरा करने के साथ ही अनेक समस्याओं, परेशानियों, कष्ट, मुसीबतों का सिलसिला भी चलता रहता है, जो कालरूपी नाग की तरह भय, बेचैनी और चिन्ताएं पैदा करता है।
जिनसे कईं मौकों पर व्यक्ति टूटकर बिखर भी जाता है। भगवान विष्णु का शांत स्वरूप यही कहता है कि ऐसे बुरे वक्त में संयम, धीरज के साथ मजबूत दिल और ठंडा दिमाग रखकर जिंदगी की तमाम मुश्किलों पर काबू पाया जा सकता है। तभी विपरीत समय भी आपके अनुकूल हो जाएगा। ऐसा व्यक्ति सही मायनों में पुरूषार्थी कहलाएगा। इस तरह विपरीत हालातों में भी शांत, स्थिर, निर्भय व निश्चिंत मन और मस्तिष्क के साथ अपने धर्म का पालन यानि जिम्मेदारियों को पूरा करना ही विष्णु के भुजंग या शेषनाग पर शयन का प्रतीक है।
हमारे धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि देवी-देवताओं के दर्शन मात्र से हमारे सभी पाप अक्षय पुण्य में बदल जाते हैं। फिर भी श्री गणेश और विष्णु की पीठ के दर्शन वर्जित किए गए हैं।
गणेशजी और भगवान विष्णु दोनों ही सभी सुखों को देने वाले माने गए हैं। अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर करते हैं और उनकी शत्रुओं से रक्षा करते हैं। इनके नित्य दर्शन से हमारा मन शांत रहता है और सभी कार्य सफल होते हैं।
गणेशजी को रिद्धि-सिद्धि का दाता माना गया है। इनकी पीठ के दर्शन करना वर्जित किया गया है। गणेशजी के शरीर पर जीवन और ब्रह्मांड से जुड़े अंग निवास करते हैं। गणेशजी की सूंड पर धर्म विद्यमान है तो कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है। गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर उपरोक्त सभी सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो जाती है। ऐसा माना जाता है इनकी पीठ पर दरिद्रता का निवास होता है। गणेशजी की पीठ के दर्शन करने वाला व्यक्ति यदि बहुत धनवान भी हो तो उसके घर पर दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता है। इसी वजह से इनकी पीठ नहीं देखना चाहिए। जाने-अनजाने पीठ देख ले तो श्री गणेश से क्षमा याचना कर उनका पूजन करें। तब बुरा प्रभाव नष्ट होगा।
वहीं भगवान विष्णु की पीठ पर अधर्म का वास माना जाता है। शास्त्रों में लिखा है जो व्यक्ति इनकी पीठ के दर्शन करता है उसके पुण्य खत्म होते जाते हैं और धर्म बढ़ता जाता है।
इन्हीं कारणों से श्री गणेश और विष्णु की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए।
खाने के चीजों को सुगंधित बनाने वाली और उनका स्वाद बदलने के वाली इलाइची का उपयोग हमारे देश में सबसे अधिक किया जाता है। इलायची छोटी और बड़ी दो प्रकार की होती हैं। बड़ी इलायची हल्की रूखी गर्म है। कफ पित्त, रक्तविकार खुजली, श्चास मूत्राशय के रोगों को दूर करती है। लेकिन ज्यादातर छोटी इलायची का उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है। प्यास, शमन, पाचन आदि में छोटी इलाइची बहुत उपयोगी है।
इसके दानों को महीन पीस कर से छींके आकर सिर की पीड़ा दूर होती है। केले का अर्जीण दूर करने के लिए एक इलाइची खा लेना काफी है। इसके 20 ग्राम छिलके आधा लीटर पानी में उबाल कर काढ़ा बनाएं। चौथाई जल शेष बचे तब ठंडा कर एक-एक चम्मच विसूचिका के रोगी को पिलाने से आराम मिलता है। नकसीर फूटने पर नाक में से खून गिरता है, इस स्थिति में इलाइची के अर्क की 2-3 बूंदे बताशे में डालकर 2-2 घंटे से खिलाने पर नकसीर ठीक हो जाती है। इलायची के 5 तोला बीज, बादाम और पिस्ता के साथ भिगोकर महीन पीस लें।
इसे दूध में पकाएं जब गाढ़ा हो जाए तो 3 पाव मिश्री मिलाकर धीमी आंच में पकने दें। जब हलवा जैसा हो जाए तो सेवन करें। इससे आंखों की कमजोरी दूर होती है। स्मरण शक्ति बढ़ती है।ककड़ी के बीज और इलायची के दाने समान मात्रा में मिलाकर 5-10 ग्राम मात्रा लेकर खूब चबाकर खाने या दूध में घोंट छान कर पीने से पथरी व मूत्रदाह में लाभ होता है।इलायची बीज का चूर्ण और इसबगोल की भूसी समभाग में मिलाएं और आंवले के रस में यह मिश्रण डालकर बैर जैसी गोलियां बना लें।
एक-एक गोली सुबह-शाम गाय के दूध से लें। इसके सेवन से स्वप्नदोष की समस्या दूर होती है।छोटी इलायची सुगंध से भरपूर होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है।कैफीन से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने में यह छोटी इलायची बड़े काम की चीज होती है। यह शरीर के शुध्दीकरण के लिए इस्तेमाल होने वाला अद्भुत मसाला होती है।यह शरीर में कफ बनने से रोकती है, इसके अलावा यह कफ, वात, पित्त तीनों के दुष्प्रभावों को रोकने में मददगार होती है।शरीर में श्वांस संबंधी रोगों को दूर करने में यह सहायक होती है।
यदि आप अस्थमा या खांसी से परेशान हैं तो थोड़ी सी इलायची का पाउडर शहद के साथ खाएं।छोटी इलायची शरीर में गैस उत्पन्न करने वाले रसायनों के प्रभाव को कम करती है और शरीर में एसिड के स्तर को नियंत्रित करती है।यह मसूड़ों और दांतों संबंधी इंफेक्शन से बचाव करने में भी सहायक होती है।छोटी इलायची से शरीर में होने वाली अशुध्दियों में कमी आती है।यदि आप मूत्र संक्रमण संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो थोड़ी सी छोटी इलायची को आंवला, दही या शहद के साथ मिलाकर खाएं।
एसीडिटी होने पर कच्चे दूध पानी की लस्सी में इलाइची घोंट पीसकर प्रतिदिन पीने से लाभ होता है। गर्मी से सिर चढऩे,दुखने और भारी होने पर इलायची के दाने पानी में पीस कर माथे पर लेप करने और इसका चूर्ण सूंघने से आराम होता है।इलायची का चूर्ण एक माह तक या इसके तेल की 5 बूँद अनार के शर्बत के साथ पीने से जी घबराने और उल्टियाँ होने जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। यह इलाज हैजा में भी लाभकारी है।
16 दिसंबर, शुक्रवार से मलमास लग रहा है, जो 15 जनवरी, रविवार तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा। मलमास समाप्त होते ही शादियों के लिए शुभ मुहूर्तों की झड़ी लग जाएगी।
पंडितों के अनुसार अगले माह 5 महीनों में विवाह के 22 मुहूर्त आएंगे। ये सभी मुहूर्त श्रेष्ठ होने से इनमें जमकर शादियां होंगी और खूब शहनाइयां बजेंगी। लग्न के लिए इस महीने में 4 दिसंबर को अंतिम सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त होने के बाद अब विवाह के लिए लोगों को मलमास समाप्त होने यानी एक महीने इंतजार करना होगा। मलमास 16 दिसंबर से शुरु होकर 15 जनवरी को समाप्त होगा। शादी के लिए शुभ मुहूर्त की शुरुआत 18 जनवरी से हो जाएगी।
अगले 5 माह में शादी के लिए शुभ मुहूर्त
जनवरी- 18 से 21, 27 से 29
फरवरी- 8 से 10, 17 व 24
मार्च- 1, 2, 6, 7
अप्रैल- 18, 24, 25
जून- 24, 27, 29
इनमें शादी नहीं
- 14 मार्च से मीन संक्रांति का मलमास लगेगा।
- 14 अप्रैल तक विवाह के लिए मुहूर्त नहीं है।
- 3 मई को गुरु अस्त, 18 मई को उदय होंगे।
- 1 जून को शुक्र अस्त, 11 जून को पुन: उदय होंगे।