आपका-अख्तर खान

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11 दिसंबर 2011

लोगों की आँखों में आंसू ... चेहरे पर याचना ..दिलों में अपनापन था मोलाना फजले हक के लियें

जी हाँ दोस्तों जो शख्स अपने साथ उठे बेठे गलियों में खेले कूड़े शेतानियाँ करे ऑफ़ वोह थोडा भी मुकामी आदमी बनने के बाद सादगी से अगर उन लोगों के बीच प्यार बांटने चला जाए तो लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता किसी की आँख में अपनेपन के आंसू होते हैं तो चेहरे पर कुछ देने की फरियाद और दिलों में प्यार रहता है कल जब राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन मोलाना फजले हक अपने लोगो के बीच में मिलें पहुंचे तो लोगों को यकीन नहीं था के उनके साथ उठने बेठने वाला आज राजस्थान सरकार में मदरसा चेयरमेन और मंत्री दर्जा रखें वाला नेता है ..... मोलाना फजले हक जिसकी बुनियादी तालीम कथुन कोटा के एक कस्बे से शुरू हुई और जब मोलाना फजले हक छ साल के थे तब से ही वोह कथुन पढने के लियें चले गये थे .... जहां उन्होंने नाक पोंछना सिक्खा .रोना और हंसना सीखा प्रारम्भिक शिक्षा के बारे में जानकारी ली तहज़ीब सीखी सडकों पर गुल्ली डंडा खेल किसी को जख्मी किया तो किसी की छेड़खानी कर भागते फिरे नहाने की तलब हुई तो नदी के किनारे जाकर नहा लिए फिर यही मोलाना फजले हक अपनी बुनियाद कोटा के कथुन से मजबूत करने के बाद जोधपुर मुफ्ती आज़म के यहाँ चले गये और आज उन्हें लोग मोलाना फजले हक के नाम से जान्ने लेगे है हालात यह है के उनकी काबलियत को देख कर राजस्थान के मदरसे और उनके हालात सूधारने के लियें राजस्थान के मुय्ख्यम्न्त्री अशोक गहलोत ने उन्हें राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयर में का ज़िम्मा देकर मंत्री दर्जा दिया है । मोलाना फजले हक का गृह जिला कोटा है लेकिन वोह पहले अपने गुरु नगर जोधपुर गये और फिर जोधपुर से कोटा कोंग्रेस कार्यालय आकर कथुन कस्बे में गये ॥ कथुन में मेला और जश्न का माहोल था हर मदरसे का बच्चा खुद को मोलाना फजले हक समझ कर सडकों पर निकल पढ़ा था मोलाना फजले हक के जो भी पुराने साथी थे वोह उनसे लिपट लिपट कर पुराणी यादें ताज़ा कर रहे थे तो उनके पहले उस्ताद सुलतान साहब खुद को गोरवान्वित महसूस कर रहे थे उनके उस्ताद की बीवी जिन्हें मोलाना फुप्पो कहते थे उनकी रुलाई इस तरक्की को देख कर रुकने का नाम नहीं ले रही थी । ख़ुशी और जश्न में सराबोर कथुन में कभी भी ऐसा माहोल नहीं था और मोलाना फजले हक ने भी अपना फर्ज़ खूब निभाया बढ़े और बुजुर्गों को सर माथे पर बिठाया तो दोस्तों को गले लगाया और बच्चों को गोद में उठाया ...बहुत कम लोग होते है जो किसी मुकाम पर पहुंचने के बाद अपनी पहली सीडी को याद रखते हैं और उसका सच बयान करते है लेकिन मोलाना तो उनसे अलग थलग निकले । मोलाना ने कथुन के सभी मदरसों को नवासा वहां एक एक लाख रूपये निर्माण की मदद ॥ पर टीचर ॥ कम्प्यूटर देने की अलग अलग कई घोषणाएं की ................................कथुन से रवानगी के बाद मोलाना फजले हक का सुल्तानपुर के प्रधान राईस खान नेव्ल्लाभ्पुरा में ऐतिहासिक स्वागत करवाया फिर तो पलायथा अंत ॥ नोतादा । बाल्दादा। बाराँ सहित कई स्थानों पर मोलाना का स्वागत ही स्वागत था ... मोलाना के इस स्वागत सत्कार के कार्यक्रम से सियासत से जुड़े लोग भी हेरान है के आखिर एक आलिम एक मोलवी में ऐसी कोनसी ताकत है के आज सियासी लोगों को छोड़ कर लोग मोलाना के पीछे खड़े हो गये है कल जो कोंग्रेसी कार्यकर्ता वर्षों से दरी पट्टी उठाने का काम कर रहा था आज मोलाना फजले हक से गले मिल कर खुद को महान महसूस कर रहा है ............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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