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22 दिसंबर 2011

यह हिया गीता का ज्ञान


(ज्ञाननिष्ठा का विषय )
असक्तबुद्धिः सर्वत्र जितात्मा विगतस्पृहः।
नैष्कर्म्यसिद्धिं परमां सन्न्यासेनाधिगच्छति॥
भावार्थ : सर्वत्र आसक्तिरहित बुद्धिवाला, स्पृहारहित और जीते हुए अंतःकरण वाला पुरुष सांख्ययोग के द्वारा उस परम नैष्कर्म्यसिद्धि को प्राप्त होता है॥49॥
सिद्धिं प्राप्तो यथा ब्रह्म तथाप्नोति निबोध मे।
समासेनैव कौन्तेय निष्ठा ज्ञानस्य या परा॥
भावार्थ : जो कि ज्ञान योग की परानिष्ठा है, उस नैष्कर्म्य सिद्धि को जिस प्रकार से प्राप्त होकर मनुष्य ब्रह्म को प्राप्त होता है, उस प्रकार को हे कुन्तीपुत्र! तू संक्षेप में ही मुझसे समझ॥50॥
बुद्ध्‌या विशुद्धया युक्तो धृत्यात्मानं नियम्य च।
शब्दादीन्विषयांस्त्यक्त्वा रागद्वेषौ व्युदस्य च॥
विविक्तसेवी लघ्वाशी यतवाक्कायमानस।
ध्यानयोगपरो नित्यं वैराग्यं समुपाश्रितः॥
अहङकारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम्‌।
विमुच्य निर्ममः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते॥
भावार्थ : विशुद्ध बुद्धि से युक्त तथा हलका, सात्त्विक और नियमित भोजन करने वाला, शब्दादि विषयों का त्याग करके एकांत और शुद्ध देश का सेवन करने वाला, सात्त्विक धारण शक्ति के (इसी अध्याय के श्लोक 33 में जिसका विस्तार है) द्वारा अंतःकरण और इंद्रियों का संयम करके मन, वाणी और शरीर को वश में कर लेने वाला, राग-द्वेष को सर्वथा नष्ट करके भलीभाँति दृढ़ वैराग्य का आश्रय लेने वाला तथा अहंकार, बल, घमंड, काम, क्रोध और परिग्रह का त्याग करके निरंतर ध्यान योग के परायण रहने वाला, ममतारहित और शांतियुक्त पुरुष सच्चिदानन्दघन ब्रह्म में अभिन्नभाव से स्थित होने का पात्र होता है॥51-53॥
ब्रह्मभूतः प्रसन्नात्मा न शोचति न काङ्क्षति।
समः सर्वेषु भूतेषु मद्भक्तिं लभते पराम्‌॥
भावार्थ : फिर वह सच्चिदानन्दघन ब्रह्म में एकीभाव से स्थित, प्रसन्न मनवाला योगी न तो किसी के लिए शोक करता है और न किसी की आकांक्षा ही करता है। ऐसा समस्त प्राणियों में समभाव वाला (गीता अध्याय 6 श्लोक 29 में देखना चाहिए) योगी मेरी पराभक्ति को ( जो तत्त्व ज्ञान की पराकाष्ठा है तथा जिसको प्राप्त होकर और कुछ जानना बाकी नहीं रहता वही यहाँ पराभक्ति, ज्ञान की परानिष्ठा, परम नैष्कर्म्यसिद्धि और परमसिद्धि इत्यादि नामों से कही गई है) प्राप्त हो जाता है॥54॥
भक्त्या मामभिजानाति यावान्यश्चास्मि तत्त्वतः।
ततो मां तत्त्वतो ज्ञात्वा विशते तदनन्तरम्‌॥
भावार्थ : उस पराभक्ति के द्वारा वह मुझ परमात्मा को, मैं जो हूँ और जितना हूँ, ठीक वैसा-का-वैसा तत्त्व से जान लेता है तथा उस भक्ति से मुझको तत्त्व से जानकर तत्काल ही मुझमें प्रविष्ट हो जाता है॥55॥

कुरान का संदेश ,

दुनिया को प्रेम का संदेश देता है क्रिसमस

क्रिसमस ईसाई समुदाय के लोगों का महापर्व है। यह पर्व हर वर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है। ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था। ईसाई समुदाय के लोग ईसा मसीह की शिक्षा को ही अपने धर्म का मूल आधार मानाते हैं। ईसा मसीह को जीसस क्राइस्ट भी कहते हैं।

ईसाई मानते हैं की ईश्वर ने इस संसार की रचना की है तथा अपने दूतों के माध्यम से लोगों को संदेश देते हैं। ईश्वर के पुत्र जीसस इस धरती पर लोगों को जीवन की शिक्षा देने के लिये आये थे। जीसस ने कहा था कि ईश्वर सभी व्यक्तियों से प्यार करते हैं तथा हमें प्रेम को जीवन में अपनाकर ईश्वर की सेवा करनी चाहिए।

ईश्वर की सेवा का सबसे उत्तम मार्ग दीन-दुखियों की सेवा करना है। क्रिसमस का त्योहार सभी लोगों को भाईचारा, मानवता व परोपकार का पावन संदेश देता है। यह उत्सव सुख, शांति व समृद्धि का सूचक है।

शनिवार को तेल नहीं खरीदना चाहिए, क्योंकि...

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शनिदेव की आराधना का दिन है शनिवार। इस दिन शनिदेव के अशुभ फल को शांत करने एवं शुभ फल को बनाए रखने के लिए विभिन्न पूजन आदि कर्म किए जाते हैं। साथ ही इस दिन के लिए कई नियम भी बनाए गए हैं जिससे शनिदेव का बुरा प्रभाव हम पर न पड़े। इन्हीं नियमों में से एक है कि शनिवार के दिन घर में तेल खरीदकर नहीं लाना चाहिए।

शनि को न्यायधिश माना गया है। इसी वजह से यह काफी कठोर ग्रह है। इसकी क्रूरता से सभी भलीभांति परिचित हैं। इसी वजह से सभी का प्रयत्न रहता है कि शनि देव किसी भी प्रकार से रुष्ट ना हो। शनि गलत कार्य करने वालों को मॉफ नहीं करता। जिसका जैसा कार्य होगा उसे शनि वैसा ही फल प्रदान करता है। ज्योतिष के अनुसार शनि के कोप से बचने के लिए ऐसे कई कार्य मना किए गए हैं जो शनिवार के दिन हमें नहीं करने चाहिए। इन्हीं कार्यों में से एक कार्य यह वर्जित है कि शनिवार को घर में तेल लेकर नहीं आना चाहिए। क्योंकि तेल शनि को अतिप्रिय है और शनिवार को तेल का दान किया जाना चाहिए। इस दिन तेल घर लेकर आने से शनि का बुरा प्रभाव हम पर पड़ता है। यदि घर के किसी सदस्य पर शनि की अशुभ दृष्टि हो तो उसके लिए यह और भी अधिक बुरा फल देने वाला सिद्ध होगा। इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए शनिवार के दिन घर में तेल लेकर न आए बल्कि तेल का दान करें और शनि देव को तेल अर्पित करें।


सर्दी में जोड़ों के दर्द को कहें अलविदा सिर्फ चंद मिनटों में


जोड़ों में दर्द के अनेक कारण हो सकते हैं जाड़े के मौसम में जैसे-जैसे तापमान में कमी होती है, किसी जोड़ विशेष में रक्त वाहिनियों के संकुचित होने से उस हिस्से में रक्त का तापमान कम हो जाता है जिससे जोड़ में अकड़ाहट बढ़ती है तथा दर्द होने लगता है।
जबकि कई बार रक्त धमनियों की दीवार के तनाव में कमी आती है, जिस कारण धमनियां फैल जाती हैं तथा दर्द और सूजन बढ़ जाते हैं। इसके अलावा सर्दियों में बढ़ी हुई हयूमिडिटी के कारण तंत्रिकाओं में संवेदना की क्षमता निश्चित रूप से बढ़ जाती है।
जिससे जोड़ों में दर्द अधिक महसूस होता है जबकि गर्मियों में इसके उल्टे सिद्धान्त के कारण दर्द कम महसूस होता है। अगर आपको भी ठंड में जोड़ों का दर्द सता रहा है तो नीचे लिखे आसन को रोज कुछ मिनट करें शीघ्र ही जोड़ों के दर्द हो जाएगा ठीक।
गृद्धासन की विधि
- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर जमीन पर सीधा खड़े हो जाएं।
- फिर दाएं पैर को घुटनें से मोड़कर बाएं पैर में रस्सी की तरह लपेटकर खड़े हो जाएं तथा पूरे शरीर का भार एक पैर पर डालें।
- इस तरह दोनों हाथों को भी आपस में इस तरह से लपेटे की अंगुलियां गिद्ध की चोंच की तरह बन जाएं।
- हाथों को मुंह के सामने रखें।
- आसन की इस स्थिति में कुछ देर तक रहें और सामान्य स्थिति में आकर इस क्रिया को दूसरे पैरों से भी करें
- इसमें घुटनों को हमेशा मुड़े हुए रखें। इस आसन का अभ्यास शुरु में कठिन होता है।
- इस आसन को शुरु में करते समय किसी दूसरे की सहायता ले सकते हैं। बाद में बिना किसी की सहायता से ही करें। इस आसन में शरीर का पूर्ण भार एक पैर पर ही टिका होता है। इसमें शरीर का संतुलन बनाना आवश्यक है।
आसन से रोगों में लाभ
इससे पिण्डलियों की मांसपेशियां विकसित व सख्त बनती है। इस से पैरों व हाथों की हड्डियां मजबूत होती है तथा रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है। यह हाथ-पैरों को विकसित एवं पुष्ट करता है। यह गठिया तथा पुरानी वातरोग, साइटिका पेन को ठीक करता हैं।

सर्दी में जोड़ों के दर्द को कहें अलविदा सिर्फ चंद मिनटों में



जोड़ों में दर्द के अनेक कारण हो सकते हैं जाड़े के मौसम में जैसे-जैसे तापमान में कमी होती है, किसी जोड़ विशेष में रक्त वाहिनियों के संकुचित होने से उस हिस्से में रक्त का तापमान कम हो जाता है जिससे जोड़ में अकड़ाहट बढ़ती है तथा दर्द होने लगता है।
जबकि कई बार रक्त धमनियों की दीवार के तनाव में कमी आती है, जिस कारण धमनियां फैल जाती हैं तथा दर्द और सूजन बढ़ जाते हैं। इसके अलावा सर्दियों में बढ़ी हुई हयूमिडिटी के कारण तंत्रिकाओं में संवेदना की क्षमता निश्चित रूप से बढ़ जाती है।
जिससे जोड़ों में दर्द अधिक महसूस होता है जबकि गर्मियों में इसके उल्टे सिद्धान्त के कारण दर्द कम महसूस होता है। अगर आपको भी ठंड में जोड़ों का दर्द सता रहा है तो नीचे लिखे आसन को रोज कुछ मिनट करें शीघ्र ही जोड़ों के दर्द हो जाएगा ठीक।
गृद्धासन की विधि
- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर जमीन पर सीधा खड़े हो जाएं।
- फिर दाएं पैर को घुटनें से मोड़कर बाएं पैर में रस्सी की तरह लपेटकर खड़े हो जाएं तथा पूरे शरीर का भार एक पैर पर डालें।
- इस तरह दोनों हाथों को भी आपस में इस तरह से लपेटे की अंगुलियां गिद्ध की चोंच की तरह बन जाएं।
- हाथों को मुंह के सामने रखें।
- आसन की इस स्थिति में कुछ देर तक रहें और सामान्य स्थिति में आकर इस क्रिया को दूसरे पैरों से भी करें
- इसमें घुटनों को हमेशा मुड़े हुए रखें। इस आसन का अभ्यास शुरु में कठिन होता है।
- इस आसन को शुरु में करते समय किसी दूसरे की सहायता ले सकते हैं। बाद में बिना किसी की सहायता से ही करें। इस आसन में शरीर का पूर्ण भार एक पैर पर ही टिका होता है। इसमें शरीर का संतुलन बनाना आवश्यक है।
आसन से रोगों में लाभ
इससे पिण्डलियों की मांसपेशियां विकसित व सख्त बनती है। इस से पैरों व हाथों की हड्डियां मजबूत होती है तथा रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है। यह हाथ-पैरों को विकसित एवं पुष्ट करता है। यह गठिया तथा पुरानी वातरोग, साइटिका पेन को ठीक करता हैं।

आप तो सिर्फ सच लिखो, सरकार को बुरा लगता है तो लगने दो

जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि चैनलों के बढ़ते प्रसार के बावजूद आज भी छपे शब्द की उतनी ही अहमियत है, जितनी पहले थी। प्रिंट मीडिया को सच्चाई का साथ देना चाहिए।

सच लिखो, चाहे सरकार को बुरा लगे, किसी संस्था को बुरा लगे तभी आप लोकतंत्र में चौथे स्तंभ की भूमिका निभा पाएंगे। दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है। गहलोत गुरुवार को यहां बिड़ला ऑडिटोरियम में एक समाचार पत्र के कार्यक्रम में बोल रहे थे।

गहलोत ने कहा कि हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए महान नेताओं ने बलिदान दिए हैं। रूस जैसा मुल्क टुकड़ों में बंट गया। आज अमेरिका की क्या स्थिति हो गई है। अमेरिका अन्ना के आंदोलन के बारे में कह रहा है कि भारत इसे सही तरीके से हैंडल करे।

आज हमारे आंतरिक मामलों में अमेरिका की क्या पंचायती है? कार्यक्रम को सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री डॉ.जितेन्द्र सिंह, भाजपा सांसद रामदास अग्रवाल व महापौर ज्योति खंडेलवाल ने भी संबोधित किया।

अमेरिका ने खुद को माना पाकिस्तान का गुनहगार



काबुल. अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सेना ने स्वीकार किया है कि पिछले महीने पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर पाक चौकियों पर हुई नाटो की गोलीबारी में 24 पाक सैनिकों के मारे जाने की घटना अमेरिकी सैन्य कमांडरों की गंभीर गलती का नतीजा थी। 25 नवंबर को हुई इस घटना की एक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान और अमेरिकी सैन्य कमांडरों के बीच अपर्याप्त को ऑर्डिनेशन और नाटो द्वारा पाक सैन्य अधिकारियों को गलत नक्शा दिए जाना ही सीमा पर हुई इस भयानक भूल के मुख्य कारण थे। इस घटना के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं।

गुरुवार को जारी बयान में पेंटागन ने कहा, 'पाक-अमेरिकी सेना के बीच समन्वय में कमी और नाटो द्वारा गलत नक्शा उपलब्ध कराया जाना घटना के प्रमुख कारण है। इन भूलों के साथ ही दोनों देशों के बीच सेना की तैनाती संबंधी जानकारी की कमी इस दुखद घटना का कारण बनी।' पाकिस्तान सैनिकों की मौत के प्रति दुख जाहिर करते हुए पेंटागन ने अपने बयान में कहा, सैनिकों की मौत और घटना का कारण रहे पाक और अमेरिकी सेना के बीच कमजोर समन्वय के लिए हम गहरा दुख प्रकट करते हैं।

वॉशिंगटन में एक पत्रकार वार्ता में घटना की जांच कर रहे एयर फोर्स ब्रिगेडियर जनरल क्लॉर्क ने पाकिस्तान के इस दावे पर कि जिन चौकियों पर एसी 130 गनशिप और अपाचे हेलीकॉप्टरों ने बमबारी की वो अमेरिका और नाटो सेना के पास उपलब्ध नक्शे में प्रमुख्ता से दर्शाई गई थी, पर सवाल उठाए। जब अफगानिस्तान में मौजूद कमांड को पाकिस्तान से यह संदेश प्राप्त हुआ कि सीमा पर उसकी चौकियों पर हमला किया जा रहा है तो अमेरिकी कमांड ने पाकिस्तान को हमले के बारे में सिर्फ ऊपरी जानकारी ही उपलब्ध कराई। यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी थी। लेकिन पाकिस्तान को उपलब्ध कराई गई मूल जानकारी ही गलत थी क्योंकि अमेरिका ने जानकारी देते वक्त गलत नक्शे का इस्तेमाल किया था। क्लॉर्क ने कहा, 'घटना की जांच में पाकिस्तान का शामिल न होना दर्शाता है कि जांच में कुछ मूल कमियां हैं। किसी भी घटना में दो हमेशा दो पक्ष होते हैं और यदि पाकिस्तान जांच में शामिल हो पाता तो जांच सही दिशा में जाती और ठोस नतीजे निकल पाते।' क्लॉर्क ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान सेना द्वारा आयोजित की गईं कई सार्वजनिक बैठकों पर गौर नहीं किया क्योंकि उन्होंने घटना पर पाकिस्तानियों के बयानों के संबंध में आई मीडिया रिपोर्टों पर समय खर्च नहीं किया

नाटो की कार्रवाई में 24 पाकिस्तानियों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने अमेरिका से माफी मांगने के लिए कहा था लेकिन अमेरिका लगातार यह कहता रहा है कि वह तब तक माफी नहीं मांगेगा जब तक घटना से जुड़े तमाम तथ्य साफ नहीं हो जाएंगे। पेंटागन का घटना पर दुख प्रकट करना माफी मांगने जितना ही है। अमेरिकी डिफेंस सचिव लिओन पनेटा के प्रवक्ता और नेवी कैप्टेन जॉन किर्बी ने कहा कि अब घटना में मारे गए 24 पाकिस्तानी सैनिकों के परिजनों को मुआवजा देने की पेशकश करेगा। किर्बी ने कहा कि पनेटा को सोमवार को इस रिपोर्ट के संबंध में जानकारी दे दी गई थी।

पेंटागन के अधिकारियों ने यह भी कहा था कि ज्वांइट चीफ ऑफ स्टॉफ के चेयरमैन जनरल मार्टिन डिम्सी और सेंट्रल कमांड के मुखिया जनरल जेम्स एन मैटिस ने पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी को फोन करके नतीजों के सार्वजनिक किए जाने संबंधी जानकारी दे दी थी। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान को जब पाक चाहे तब इन नतीजों पर स्पष्टीकरण देने का प्रस्ताव दिया है।


देश में आरक्षण केवल धर्म आधारित और राष्ट्रपति ने आरक्षण से मुस्लिम धर्म को दूर रखते हुए केवल हिन्दू धर्म के लियें आरक्षण का सर्कुलर जारी किया

THE CONSTITUTION (SCHEDULED CASTES) 2[(UNION TERRITORIES)] ORDER 1951 CO. 32

In exercise of the powers conferred by clause (1) of article 341 of the Constitution of India, as amended by the Constitution (First Amendment) Act, 1951, the President is pleased to make the following Order, namely:-

1. This Order may be called the Constitution (Scheduled Castes) 2[(Union Territories)] Order, 1951.

2. Subject to the provisions of this Order, the castes, races or tribes or parts of, or groups within, castes or tribes, specified in 3[Parts I to III] of the Schedule to this Order shall, in relation to the 2[Union territories] to which those parts respectively relate, be deemed to be Scheduled Castes so far as regards members thereof resident in the localities specified in relation to them respectively in those Parts of that Schedule.

4[3. Notwithstanding anything contained in paragraph 2, no person who professes a religion different from the Hindu, 5[the Sikh or the Buddhist] religion shall be deemed to be a member of a Scheduled Caste.]

6[4- Any reference in this Order to a Union territory in Part I of the Schedule shall be construed as a reference to the territory constituted as a Union territory, as from the first day of November, 1956, any reference to a Union territory in Part II of the Schedule shall be construed as a reference to the territory constituted as a Union territory as from the first day of November, 1966 and any reference to a Union territory in Part III of the Schedule shall be construed as a reference to the territory constituted as a Union territory as from the day appointed under clause (A) of section 2 of the Goa, Daman and Diu Reorganisation Act, 1987.

दोस्तों हमारे देश में धर्म के आधार पर रियायतों और आरक्षण का खेल आज़ादी के तुरंत बाद से शुरू हो गया है सारा देश और संविधान विशेषग्य जानते है के भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है यहाँ जनता के साथ राजधर्म समान व्यवहार का है जाती और धर्म के आधार पर कोई आरक्षण या अतिरिक्त सुविधा का लाभ किसी को भी दिया जाना वर्जित है और भाजपा इस मामले में पुर जोर शब्दों में विरोध करती रही है के जातिगत या धार्मिक आधार पर आरक्षण की आलोचना की जाना चाहिए और ऐसा कोई भी आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए अभी हाल ही में मुस्लिमों को कथित तोर पर की गयी आरक्षण की घोषणा का भाजपा के नेताओं और खासकर सुप्रीम कोर्ट में वकालत का अनुभव रखने वाली श्रीमती सुषमा स्वराज ने कोंग्रेस द्वारा मुस्लिमों को धार्मिक आधार पर दिए जाने वाले आरक्षण की खुली आलोचना की है बात भी सही है के यहाँ धर्म का आरक्षण से कोई सम्बन्ध नहीं होना चाहिए हमारे देश में आज़ादी के बाद सबसे पहले जब दिन हीं लोगों के उत्थान के लियें काका केलकर आयोग ने सर्वे किया तो उन्होंने पाया के भारत में कपड़ें बुनने का व्यसाय करने वाले ..कपड़े धोने और रंगने वाले ..मिरासी ....सफाई करने वाले .मानस का व्यवसाय करने वाले ......चमड़े का व्यवसाय करने वाले और कई कर्मकार पिछड़े हुए है जिन्हें उत्थान के लियें विशेष पैकेज की जरूरत है तब विशिष्ठ लोगों को आरक्षण दिया गया लेकिन कोंग्रेस के इस शासन काल में संविधान की भावना के विपरीत गली निकल कर जो सर्कुलर निकाला गया उसमे केवल हिन्दू धर्म के लोगों के लियें ही आरक्षण था जो बाद में सिक्ख और बुद्धिस्ट के लियें भी क्या गया अब जनाब यह आरक्षण अगर धर्म के आधार पर नहीं होता केवल हिन्दुओं के लियें नहीं होता तो इस आरक्षण में कपड़ा बुनने वाले कोली समाज के लोगों के साथ अंसारी और जुलाहा समाज के लोग होते ..खटिक समाज के साथ कसाई होते ..धोबी और र्न्ग्रेस होते चमड़े का व्यवसाय करने वाले होते मिरासी होते हेला होते और भी कई काम करने वाले मुस्लिम लोग इस आरक्षण का लाभ उठाते लेकिन भाजपा सही कहती है के धर्म निरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर कोई आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए लेकिन अब तक आज़ादी के बाद से इतने सालों तक धर्म के नाम पर मुस्लिम आरक्षित कर्मकारों के साथ जो भेदभाव अत्याचार अनाचार हुआ है क्या उसे सूद सहित लोटाया जा सकेगा ......क्या मुस्लिम कोंग्रेसी इस सर्कुलर को संशोधित करा कर इसे सभी लोगों सभी धर्मों यानी भारतियों के लियें लागू करवाएंगे अरे कोंग्रेस तो दोगली निति वाली है भाजपा तो जो कहती है वोह करती है और वोह तो धर्म की राजनीति के खिलाफ है तो क्या सुषमा जी अडवानी जी सभी भाजपा नेता मिलकर आरक्षण केवल हिन्दुओं के लियें वाला सर्कुलर धर्म आधारित होने के कारण आरक्षण सभी भारतीयों के लियें करवा सकेंगे .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सरकारी नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण को मंजूरी

नई दिल्ली. केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को सरकारी नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण को मंजूरी दे दी। अब सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मुस्लमानों को 4.5 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। यह ओबीसी के 27 प्रतिशत कोटे में से मिलेगा।
इससे अब देशभर में केंद्रीय सरकार की नौकरियों और संस्थानों में मुसलमानों को आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया। यह आरक्षण केंद्र सरकार के गजट नोटिफिकेशन के बाद एक जनवरी 2012 से लागू हो जाएगा।

लालू प्रसाद यादव ने मुस्लिम आरक्षण को कांग्रेस की चालाकी बताते हुए इसका स्वागत किया है। भारतीय जनता पार्टी ने इसे रजनीति से प्रेरित बताया है वहीं मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने इसका स्वागत किया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने सरकार के इस फैसले पर टिप्पणी करते हु कहा कि मुस्लिम आरक्षण पर सरकार लंबे समय से काम कर रही थी। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के दौरान मुस्लिमों को आरक्षण पहले ही दिया जा चुका है। रंगनाथ मिश्रा कमीशन और जस्टिस सच्चर कमीशन की रिपोर्ट के बाद मुसलमानों को आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी। रीटा बहुगुणा जोशी ने यह भी कहा कि भारत में चुनाव होते रहते हैं, कभी न कभी किसी न किसी राज्य में चुनाव होता है ही है इसलिए इसे राजनीति से प्रेरित नहीं बताया सकता।

यीशु के जन्म की खुशियां मनाने का त्योहार है क्रिसमस


क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है। यह पर्व प्रभु यीशु के जन्म उत्सव के रूप में 25 से 31 दिसंबर तक मनाया जाता है, जो 24 दिसंबर की मध्यरात्रि से ही आरंभ हो जाता है। क्रिसमस शब्द का जन्म क्राईस्टेस माइसे अथवा क्राइस्टस् मास शब्द से हुआ माना जाता है।

24 दिसंबर की रात से ही नवयुवकों की टोली जिन्हें कैरल्स कहा जाता है, यीशु मसीह के जन्म से संबंधित गीतों को प्रत्येक मसीही के घर में जाकर गाते हैं।

इसी रात को गिरिजाघरों में प्रभु यीशु के जन्म से संबंधित झांकियां भी सजाई जाती है। इस अवसर पर ईसाई धर्मावलंबी बड़ी संख्या में गिरजाघरों में एकत्रित होकर एक-दूसरे को प्रभु के जन्म की बधाई देते हैं। 25 दिसंबर की सुबह गिरजाघरों में विशेष आराधना होती है, जिसे क्रिसमस सर्विस कहा जाता है। इस आराधना में ईसाई धर्मगुरु यीशु के जीवन से संबंधित प्रवचन कहते हैं। आराधना के बाद सभी लोग एक-दूसरे को क्रिसमस की बधाई देते हैं।

अगर आप हकलाते हैं तो यह उपाय करें

कुछ लोगों के साथ एक बड़ी समस्या होती है कि वह जब बोलते हैं कि बीच-बीच में अटकते हैं यानी शब्दों का उच्चारण ठीक से नहीं कर पाते तथा एक समान गति से अपनी बात नहीं कर पाते। इसे हकलाना कहते हैं। यह समस्या कई लोगों के साथ होती है। अगर आप भी बोलते समय हकलाते हैं तो नीचे लिखे साधारण उपाय करके देखें। संभव है आपकी यह समस्या दूर जाएं।

उपाय

- हकलाने से मुक्ति पाने के लिए विधि-विधानपूर्वक बुध यंत्र को निर्मित करवाकर उसके समक्ष बुध मंत्र का प्रतिदिन जप करें।

- हरे कपड़े में विधारा की जड़ लपेटकर अपनी दाईं भुजा में धारण करें। हकलाने की समस्या दूर हो जाएगी।

- हरा अकीक या एक्वामेरिन धारण करने से भी हकलाने की समस्या से छुटकारा मिलता है।

पानी पीते समय ये बातें याद रखें तो बीमारियां आपसे कोसों दूर रहेंगी


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पानी मनुष्य को भगवान के दिए सबसे अनमोल तोहफों में से एक है। स्वस्थ शरीर के लिए एक दिन में कम से कम 4 से 5 लीटर पानी पीना चाहिए। माना जाता है कि जो लोग पानी कम पीते हैं उन्हें कई तरह की बीमारियां हो सकती है।

ध्यान रखें कि आपका आधा पेट भोजन से एक चौथाई भाग पानी से और शेष 25 फीसदी भाग हवा से भरा होना चाहिए। पानी हमारे जीवन और सही स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसीलिए पानी पीते समय यदि कुछ बातों को ध्यान रखें तो बीमारियां आपसे दूर ही रहेंगी।

- सुबह उठकर खाली पेट अपनी क्षमता अनुसार 1-2 गिलास पानी पीना स्वास्थ्य के लिये बेहद फायदेमंद रहता है।

- कभी खड़े होकर न पीएं।

- बाहर का पानी पीने से यथा संभव बचें।

- जल से जहां हमारे शरीर के दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं वहीं यह हमारे चेहरे की कांति बनाए रखता है।

- अशुद्ध पानी से लीवर और गुर्दों का रोग हो जाता है इन दोनों में इंफेक्शन हुआ तो इसका असर दिल पर भी पड़ता है।

- लगभग 70 प्रतिशत रोग जल की अशुद्धता से ही होते हैं। तो जल को जीवन में महत्व दें।

- पानी पीते वक्त सावधानी रखेंगे तो भोजन और प्राण में इसका भरपूर लाभ मिलेगा।

- भोजन से पहले और तत्काल बाद में 1-2 घूंट से अधिक पानी न पीएं, क्योंकि ऐसा करने से भोजन के पचने में कठिनाई पैदा होती है।

उसने कभी रेलगाड़ियों की टक्कर नही देखी ना!!

संताः ट्रेन के लाइनमैन की नौकरी के लिए इन्टरव्यू देने गया। अफसर : मान लो तुम्हें पता चलता है कि तुम्हारे ट्रेक पर दो रेलगाडियां विपरीत दिशा से आ रही है और उन में टक्कर होने वाली है तो तुम क्या करोगे? संता: मैं किसी एक ट्रेन को दूसरी लाइन पर स्विच कर दूंगा। अफसर : अगर लीवर काम नही कर रहा हो तो? संता: तो मैं हाथ से लीवर को खींचने की कोशिश करूंगा।अफसर :अगर वो भी काम नही किया तो?संता: मैं दोनो तरफ़ के स्टेशन मास्टर को खबर करूंगा।अफसर :अगर फोन भी काम नहीं कर रहा हो तो?संता: मैं लाल कपड़ा लेकर ट्रेक पर खड़ा हो जाऊंगा।अफसर : अगर उस समय कोई लाल कपड़ा नही मिला तो?संता: फिर मैं अपनी बीबी प्रीतो, को बुलाऊंगा।अफसर :क्यों? क्या वो कोई इंजिनियर है?संता: नहीं, उसने कभी रेलगाड़ियों की टक्कर नही देखी ना!!

वोटिंग को लेकर असमंजस की स्थिति


नई दिल्‍ली. लोकसभा में गुरुवार को संविधान संशोधन पर वोटिंग को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। दरअसल, केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने 111वां संशोधन विधेयक ‘मूव’ किया। यह संविधान में नया अनुच्‍छेद 43-बी को शामिल किए जाने को लेकर था। यह संशोधन सहकारी समि‍तियों के गठन से जुड़ा है। इस पर सीपीएम के एक सांसद ने संशोधन पेश किया।

ऐसे समय में सत्‍ता पक्ष के सांसदों ने गलती से ‘ना’ की जगह ‘हां’ का बटन दबा दिया। इस तरह किसी विपक्षी सांसद के प्रस्‍ताव को 226 सांसदों का समर्थन मिल गया जबकि विरोध में केवल 36 वोट मिले। ऐसा होते ही पूरे सदन में सन्‍नाटा छा गया। सत्‍ता पक्ष को समझ नहीं आ रहा कि आखिर यह कैसे हुआ। शुरू में लगा कि लोकसभा में लगे वोटिंग के बटन ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। लेकिन गलत वोटिंग करने वाले सांसदों की थी।

शरद पवार ने दोबारा मत विभाजन की मांग की। लेकिन माकपा वोटिंग में गड़बड़ी के लिए सरकार को जिम्‍मेदार ठहरा रही है। लोकसभा स्‍पीकर ने ऐसे हालात में सदन के नियमों का अध्‍ययन किया और फिर से मत विभाजन की अनुमति दी। इस बार संविधान संशोधन 16 के मुकाबले 369 वोट से पारित हो गया।

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