आपका-अख्तर खान

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23 दिसंबर 2011

एक सवाल सभी जानवरों में केवल कुत्ता ही क्यूँ टांग ऊँची कर के सू सु करता है

दोस्तों कल अदालत में एक वकील साहब जिनकों सभी लोग सलाम जाट के नाम से सम्बोधित करते है जाट इसलियें के वोह जो सोचते हैं बस वही वोह करते हैं और इसीलियें उनकी मनमानी एक तरफा सोच के चलते उन्हें जाट कहा जाने लगा है ...............वकीलों के घेरे में अचानक वोह आये और उन्होंने एक वकील वाहिद खान जो विज्ञान के छात्र थे उनसे सवाल दागा के तुम तो विज्ञानं के छात्र रहे हो मुझे यह बताओं के कुत्ता टांग ऊँची कर पेशाब क्यूँ करता है ..सवाल हास्यास्पद था चोंकाने वाला था सब चोक गये हंसी ठिठोली का माहोल हो गया लेकिन जवाब किसी के पास नहीं था ..आखिर मेने भी बहुत सोचा इसकी खोज की ..सोचा गूगल से जवाब मांगू नहीं मिला सोचा जूलोजी के प्रोफेसरों से पूंछूं नहीं बताया ..बस इस सवाल का जवाब मुझे साइंस ब्लोगर्स या किसी के भी जरिये मिले इसलियें भाइयों यह सवाल में आप सभी साथियों के बीच में छोड़ रहा हूँ अगर वैज्ञानिक और तार्किक जवाब हो तो प्लीज़ जरुर लिख कर बताइए में आभारी रहूँगा क्योंकि एक सवाल अगर अनुत्तरित है तो वोह हमारे और आपके लियें दुःख दाई है तो जनाब जवाब का इन्तिज़ार है इस खादिम को इस बंदे को ................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दोस्तों कोंग्रेस को नर्सिम्मा राव के चमचों .नोकरों ..और विदेशियों के लुटेरों से बचाओं कोंग्रेस बचाओ मंच बनाओं कोंग्रेस और देश बचाओं

दोस्तों जिस कोंग्रेस ने राष्ट्रभक्ति दिखा कर ..कुर्बानियां देकर इस देश को अंग्रेजों के चंगुल से छुडाया आज वही कोंग्रेस इस देश की जनता के लियें विलेन गद्दार साबित हो रही है .आप हो या चाहे जो भी हो सभी इस बात से हेरान है ने आखिर कोंग्रेस का विधान कोंग्रेस की नीतियाँ जो किताबों में पढ़ी जाती है वोह सिद्धांत अलग हैं और वर्तमान में कोंग्रेस देश के साथ जो सुलूक कर रही है वोह अलग है ..दोस्तों आप लोगों का तो पता नहीं लेकिन में मुस्लिम तबके से जुडा हूँ सभी जानते हैं हम लोग तो भेड़ चाल वाले हैं दिमाग से सोचते नहीं इसलियें नफे नुकसान के बारे में जानकारी नहीं केवल और केवल दिल से सोचते हैं इसलियें कोंग्रेस के परम्परागत वोटर है पहले भी कोंग्रेस के वोटर थे आज भी कोंग्रेस के वोटर हैं फर्क इतना है के पहले कुछ और बात थी लेकिन अब कोंग्रेस को वोट देकर कोंग्रेस की करतूतों से पुरे पांच साल खुद को कोसते हैं खुद खून के आंसू रोते हैं और फिर यही सिलसिला अगले पांच सालों के लियें चल निकलता है ॥ दोस्तों यह तो एक हकीकत है लेकिन अब एक हकीक़त और है के कोंग्रेस के विधि विधान और सिद्धांतों पर चलने वाले गिनती के लोगों ने अगर आँखें नहीं खोलीं तो देश के नक्शे से देश की राजनीति से कोंग्रेस का नाम हमेशां हमेशां के लियें मिट जाएगा ..दोस्तों कोंग्रेस की यह दुर्दशा आज जो हो रही है वोह कोंग्रेस का उसकी नीतियों और सिद्धांतों से दूर होना है कोंग्रेस पर कोंग्रेसियों का नहीं बलके दूसरी पार्टी से आये दलबदलुओं ..नोकर्शाहों ...बेंक में नोकरी करने वाले नोकारों .गद्दारों ..मोकाप्रस्तों एक दिन पहले कोंग्रेस में आये लोगों या फिर जो कोंग्रेस में कभी थे ही नहीं जिसने कोंग्रेस का विधान ही नहीं पढ़ा उन लोगों का कब्जा है नतीजा आज आपके सामने है जो कोंग्रेस देश में शेर की तरह दहाड़ती थी पूरी ५४४ सीटों पर चुनाव लद कर बहुमत लाती थी सभी राज्यों में कोंग्रेस की सरकार थी आज उसी कोंग्रेस को दो कोडी के लोगों से मदद मांगना पढ़ रही है अजीत सिंह जेसे लोगों से जिसके पिता ने इंदिरा जी का अपमान कर उन्हें जेल दिखाई थी उससे समझोता करना पढ़ रहा है राज्यों में कभी कोंग्रेस हुआ करती थी इस तर्ज़ पर कोंग्रेज़ को म्यूजियम में रखा गया है यानि कोंग्रेस इन राज्यों में एक इतिहास एक कहानी बन कर रह गयी है ...दोस्तों इसके लियें हम जिमेदार है यह सच है के कोंग्रेस का विधान आज भी विश्व की सभी राजनितिक पार्टियों से बहतर है राष्ट्र हित का कोई विधान है तो वोह सिर्फ और सिर्फ कोंग्रेस का विधान है लेकिन जब जब भी कोंग्रेस डूबी है गाँधी परिवार बली पर चढा है और कभी गाँधी ..कभी इंदिरा ..कभ राजिव के बलिदान ने कोंग्रेस को पुनर्जीवित कर दिया है लेकिन ऐसा आखिर कब तक होगा अब तो हमे खुद को कोंग्रेस की बर्बादी राष्ट्रविरोधी कार्यवाहियों के पीछे छुपे लोगों को खोजना होगा कोंग्रेस को बचाने के लियें उन्हें बेनकाब करना होगा कोंग्रेस को बचाना होगा क्योंकि सब जानते है के कोंग्रेस बचेगी तो देश बचेगा एक कोंग्रेस ही ऐसी है जो देश को मजबूत सरकार दे सकती है लेकिन इसके लियें कोंग्रेस का शुद्धिकरण जरूरी है और इसके लिए सबसे पहले कोंग्रेस को बर्बाद करने की कसम खाकर आये पूर्व प्रधानमन्त्री नर्सिम्मा राव के वफादारों को कोंग्रेसे से बाहर का रास्ता दिखाना होगा क्योंकि वोह नहीं चाहते के कोंग्रेस और सोनिया या राहुल मजबूत बने वोह मिट्ठा ज़हर बनकर कोंग्रेस और देश तबाह कर रहे हैं जो थोड़ी बहुत कोंग्रेस राहुल और सोनिया ने सम्भाली है उसे वोह मिटटी में मिला देना चाहते है इसलियें आज हमे और आपको एक सच्चा देश भक्त एक सच्चा कोंग्रेसी बन कर सामने आना पढ़ेगा और इस देश को इस कोंग्रेस को बचाने के लियें कोंग्रेस बचाओं मंच बनाकर एक संकल्प लेना होगा के हमे फिर से कोंग्रेस को बर्बाद करने वाले नर्सिम्मा राव के चमचों को हटाकर कोंग्रेस को बचाना होगा इस देश को आर एस एस के समर्थक कोंग्रेसी नेताओं और विदेश के चमचों या विदेश में नोकरी कर चुके नोकरों से बचाना होगा क्या ऐसा हम कर सकेंगे नहीं ना लेकिन दोस्तों में तो अकेला हूँ अकेला ही यह कोशिश करता रहूँगा चाहे यह एक सपना ही सही लेकिन इसे पूरा करूं इसकी कोशिश करता रहूँगा ........... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

यह है गीता का ज्ञान


( भक्ति सहित कर्मयोग का विषय )
सर्वकर्माण्यपि सदा कुर्वाणो मद्व्यपाश्रयः।
मत्प्रसादादवाप्नोति शाश्वतं पदमव्ययम्‌॥
भावार्थ : मेरे परायण हुआ कर्मयोगी तो संपूर्ण कर्मों को सदा करता हुआ भी मेरी कृपा से सनातन अविनाशी परमपद को प्राप्त हो जाता है॥56॥
चेतसा सर्वकर्माणि मयि सन्न्यस्य मत्परः।
बुद्धियोगमुपाश्रित्य मच्चित्तः सततं भव॥
भावार्थ : सब कर्मों को मन से मुझमें अर्पण करके (गीता अध्याय 9 श्लोक 27 में जिसकी विधि कही है) तथा समबुद्धि रूप योग को अवलंबन करके मेरे परायण और निरंतर मुझमें चित्तवाला हो॥57॥
मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि।
अथ चेत्वमहाङ्‍कारान्न श्रोष्यसि विनङ्क्ष्यसि॥
भावार्थ : उपर्युक्त प्रकार से मुझमें चित्तवाला होकर तू मेरी कृपा से समस्त संकटों को अनायास ही पार कर जाएगा और यदि अहंकार के कारण मेरे वचनों को न सुनेगा तो नष्ट हो जाएगा अर्थात परमार्थ से भ्रष्ट हो जाएगा॥58॥
यदहङ्‍कारमाश्रित्य न योत्स्य इति मन्यसे ।
मिथ्यैष व्यवसायस्ते प्रकृतिस्त्वां नियोक्ष्यति ॥
भावार्थ : जो तू अहंकार का आश्रय लेकर यह मान रहा है कि 'मैं युद्ध नहीं करूँगा' तो तेरा यह निश्चय मिथ्या है, क्योंकि तेरा स्वभाव तुझे जबर्दस्ती युद्ध में लगा देगा॥59॥
स्वभावजेन कौन्तेय निबद्धः स्वेन कर्मणा ।
कर्तुं नेच्छसि यन्मोहात्करिष्यस्यवशोऽपि तत्‌ ॥
भावार्थ : हे कुन्तीपुत्र! जिस कर्म को तू मोह के कारण करना नहीं चाहता, उसको भी अपने पूर्वकृत स्वाभाविक कर्म से बँधा हुआ परवश होकर करेगा॥60॥
ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽजुर्न तिष्ठति।
भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारुढानि मायया॥
भावार्थ : हे अर्जुन! शरीर रूप यंत्र में आरूढ़ हुए संपूर्ण प्राणियों को अन्तर्यामी परमेश्वर अपनी माया से उनके कर्मों के अनुसार भ्रमण कराता हुआ सब प्राणियों के हृदय में स्थित है॥61॥
तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत।
तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्‌॥
भावार्थ : हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में (लज्जा, भय, मान, बड़ाई और आसक्ति को त्यागकर एवं शरीर और संसार में अहंता, ममता से रहित होकर एक परमात्मा को ही परम आश्रय, परम गति और सर्वस्व समझना तथा अनन्य भाव से अतिशय श्रद्धा, भक्ति और प्रेमपूर्वक निरंतर भगवान के नाम, गुण, प्रभाव और स्वरूप का चिंतन करते रहना एवं भगवान का भजन, स्मरण करते हुए ही उनके आज्ञा अनुसार कर्तव्य कर्मों का निःस्वार्थ भाव से केवल परमेश्वर के लिए आचरण करना यह 'सब प्रकार से परमात्मा के ही शरण' होना है) जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परमधाम को प्राप्त होगा॥62॥
इति ते ज्ञानमाख्यातं गुह्याद्‍गुह्यतरं मया ।
विमृश्यैतदशेषेण यथेच्छसि तथा कुरु ॥
भावार्थ : इस प्रकार यह गोपनीय से भी अति गोपनीय ज्ञान मैंने तुमसे कह दिया। अब तू इस रहस्ययुक्त ज्ञान को पूर्णतया भलीभाँति विचार कर, जैसे चाहता है वैसे ही कर॥63॥
सर्वगुह्यतमं भूतः श्रृणु मे परमं वचः ।
इष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम्‌ ॥
भावार्थ : संपूर्ण गोपनीयों से अति गोपनीय मेरे परम रहस्ययुक्त वचन को तू फिर भी सुन। तू मेरा अतिशय प्रिय है, इससे यह परम हितकारक वचन मैं तुझसे कहूँगा॥64॥
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु ।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ॥
भावार्थ : हे अर्जुन! तू मुझमें मनवाला हो, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन करने वाला हो और मुझको प्रणाम कर। ऐसा करने से तू मुझे ही प्राप्त होगा, यह मैं तुझसे सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ क्योंकि तू मेरा अत्यंत प्रिय है॥65॥
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥
भावार्थ : संपूर्ण धर्मों को अर्थात संपूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें त्यागकर तू केवल एक मुझ सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण (इसी अध्याय के श्लोक 62 की टिप्पणी में शरण का भाव देखना चाहिए।) में आ जा। मैं तुझे संपूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा, तू शोक मत कर॥66॥

कुरान का संदेश




अनशन से पहले अन्‍ना बीमार


रालेगण सिद्धि. मजबूत लोकपाल के लिए अनशन से पहले अन्‍ना हजारे की तबीयत खराब हो गई है। शुक्रवार पूरी रात अन्‍ना को खांसी होती रही और वह ठीक से सो भी नहीं सके।

अन्‍ना 27 दिसंबर से अनशन करने पर अड़े हुए हैं। उनके विरोधी उनके इस ऐलान पर यह कहते हुए चुटकी लेते रहे हैं कि अन्‍ना को अपनी सेहत पर ध्‍यान देना चाहिए।

अन्‍ना का अनशन मुंबई के एमएमआरडीए मैदान में होगा। बांबे हाईकोर्ट ने अन्ना के अनशन के लिए रियायती दर पर मुंबई का एमएमआरडीए मैदान मुहैया कराने की मांग ठुकरा दी है। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि ‘यह हिसाब लगाना मुश्किल है कि लोकपाल बिल के खिलाफ अनशन जनहित में है या राजनीति से प्रेरित।’ इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जब बिल पर संसद में चर्चा तय है तो फिर समानांतर बहस की इजाजत नहीं दी जा सकती।’

कोर्ट के फैसले के फौरन बाद अन्ना ने कहा कि उनका अनशन एमएमआरडीए मैदान में ही होगा। मैदान का किराया लोगों से चंदा लेकर जमा किया जाएगा। हालांकि उन्होंने कहा कि साथियों को कोर्ट नहीं जाना चाहिए था। इस बीच, टीम अन्ना को एमएमआरडीए रियायत देने पर राजी हो गया है। एमएमआरडीए ने 4.50 लाख रुपए की रियायत दी है। संस्था को अब 6.80 लाख ही देने होंगे। मैदान का रोजाना किराया 3.80 लाख रुपए है। इसके आधार पर पहले 11,31,678 रुपए की मांग की गई थी।


जस्टिस पीबी मजुमदार और मृदुला भाटकर की बेंच ने कहा, ‘पक्ष में हमारे आदेश देने का मतलब होगा कि हम संसद की कार्यवाही में दखल दे रहे हैं।’ साथ ही बेंच ने कहा कि आंदोलन आपके लिए सत्याग्रह हो सकता है, लेकिन बाकी के लिए मुसीबत होगी। कोर्ट ने तीन दिन के लिए पूरा आजाद मैदान मुहैया कराने के निर्देश देने से भी मना कर दिया।

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि खेल विभाग आजाद मैदान का पूरा हिस्सा देने को राजी नहीं है। मैदान में क्रिकेट के 22 पिच हैं। इनके खराब होने का खतरा है। टीम अन्ना ने अनशन की जगह का दूसरा विकल्प आजाद मैदान चुना था। कोर्ट ने जागरूक नागरिक मंच की अर्जी खारिज कर दी। मंच ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) की ओर से अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने कहा कि अपील करने वाली संस्था पंजीकृत संगठन नहीं है।

इन महाशय को नहीं मिला 'दातून' तो जिद में खड़ा कर दिया जंगल

हिसार. कर्नाटक के कपोतगिरी मठ के स्वामी शिवकुमार अन्य बाबाओं से काफी अलग हैं। यह ऊं नम: शिवाय की जगह ऊं नम: जलाय का मंत्र तो अपने शिष्यों को देते हैं, साथ ही प्रकृति के बड़े उपासक हैं। महज एक दातून न मिली तो जंगल ही खड़ा कर दिया। बात 2003 की है।

महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा से सटे गंडग जिले में करीब 60 किलोमीटर कपोतगिरी पहाड़ियों के समूह पर बने नंदीवर मठ का उन्हें प्रमुख बनाया गया।

मठ पहुंचने के बाद जब सुबह स्वामी नीम की दातून तलाश करने लगे तो उन्हें दातून ही नहीं मिली। बस फिर क्या था नीम और औषधीय पौधों के वृक्षारोपण का ऐसा अभियान चलाया कि आज पूरी पहाड़ी पर जंगल है। जो इलाका शहरीकरण की भेंट चढ़ गया था, इस समय प्रकृति की विविध नजारे हैं। स्वामी शिवकुमार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के दो दिवसीय किसान वैज्ञानिक सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे हैं।

स्वामी शिव कुमार बताते हैं कि उन्होंने 13 साल की आयु में घर छोड़ दिया था। इसके बाद वह युवाओं को राष्ट्र के लिए तैयार करने में लग गए। वह मठ के स्वामी बनने से पहले युवाओं का सात्विक व्यक्तित्व विकास कराते थे। इसके लिए उन्होंने बाकायदा एक प्रोग्राम भी बना रखा था। इसके अलावा शुरू से ही युवाओं के माध्यम से जल संग्रहण अभियान चलाते रहे, जो अभी भी जारी है।

नंदीवर मठ सेवा फाउंडेशन की तरफ से इलाके में 40 चेक डैम, मृदा क्षरण रोकने के लिए 80 हजार स्लोप्स और 25 हजार गड्ढे सहित पांच लाख पौधे लगाए गए हैं। इनमें नीम, तपसी, बेल, टमरनीड, बांस सहित आदि शामिल हैं। स्वामी को कपोतगिरी इलाके की जैव विविधता के संरक्षण से पारिस्थितिकी बदलने के लिए जेनोम सेवियर समुदाय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं कर्नाटक सरकार ने चीन में हुए प्रोग्रेसिव फार्मिग एंड एन्वायरमेंटल स्टडी पर हुए सेमिनार में भी इन्हें भेजा था।

55 औषधीय पौधे, 210 लुप्त प्राय : किस्मों का संग्रहण

स्वामी शिवकुमार ने औषधीय पौधों में दिलचस्पी दिखाते हुए 55 औषधीय पौधों की 210 लुप्त प्राय: किस्मों का संग्रहण किया है। इसमें चिकनगुनिया से लेकर शुगर तक को मात देने वाली पौधे शामिल हैं। इसमें भूनिंबा है जो चिकनगुनिया से राहत देती है तो अमृत बेल है जो दिल रोग से बचाती है। मधुनशानी नाम के पौधे भी इनके पास उपलब्ध है जो मस्तिष्क के विकारों में दवा के रूप में इस्तेमाल होता है।

दिनभर में 5 बार ठगा जाता है एक भारतीय, जानें आखिर कैसे...


इंदौर. एक औसत भारतीय घर के बाहर निकलने से लेकर लौटने तक औसतन 5 बार ठगा जाता है। यह बात इंटरनेशनल कंज्यूमर राईट प्रोटेक्शन काउंसिल के एक सर्वे में उजागर हुई है। रोजमर्रा की ठगी में संभवत: सबसे बड़ा आंकड़ा (करीब 50 करोड़) ट्रेनों की पैंट्रीकार का है। शिकायतों के बाद रेलवे के सात पैंट्रीकार ठेकेदारों को बदला गया।


तय रेट से ज्यादा वसूली- इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉपरेरेशन लिमिटेड द्वारा शाकाहारी- मांसाहारी नाश्ता व भोजन के लिए देशभर में एक ही दर तय है लेकिन अधिकांश ट्रेनों में इससे अधिक राशि ली जा रही है। शिकायतों के मुताबिक शाकाहारी थाली में 22 रुपए की जगह औसतन 40 और शाकाहारी भोजन में 30 की जगह 45 रुपए वसूले जा रहे हैं। पश्चिमी रेलवे सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य नागेश नामजोशी का तो कहना है खाने की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ भी एक तरह की ठगी है। इसमें ढेरों शिकायतें आती हैं।


50 करोड़ के ठगी का गणित! एक ट्रेन में 16 से 24 बोगी होती हैं। एक बोगी में 78 सीट। इस मान से एक ट्रेन में औसतन 1872 यात्री सफर करते हैं। इंदौर सहित देशभर में लगभग 5000 ट्रेन ऐसी हैं जिसमें पैंट्रीकार है। एक ट्रेन में 1000 यात्री भी पैंट्रीकार का इस्तेमाल करते हैं और उनसे नाश्ता, दो बार भोजन, एक पेय पदार्थ और मिनरल वॉटर के नाम पर 100 रुपए अधिक लिए जाते हैं तो 5000 ट्रेनों में यह आंकड़ा एक दिन में 50 करोड़ रुपए हो जाता है।

ये हैं खाने-नाश्ते की दरें और मात्रा

इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉपरेरेशन लिमिटेड द्वारा शाकाहारी और मांसाहारी नाश्ता व भोजन की दरें देशभर में एक समान है।

शाकाहारी नाश्ता : 17 रु.
1. ब्रेड स्लाइस - 2 नग, 10 ग्राम बटर के साथ
टमाटर कैचप - 15 ग्राम का सैशे (पैकेट), नमक व काली मिर्च
शाकाहारी कटलेट- 2 नग - 100 ग्राम

2. इडली : (4 नग)- 200 ग्राम एवं उड़द बड़ा (4 नग)- 120 ग्राम,
चटनी- 50 ग्राम

3. उपमा - 100 ग्राम व उड़द बड़ा (4 नग)- 120 ग्राम, चटनी-50 ग्राम

4. पोंगल - 200 ग्राम और उड़द बड़ा (4 नग)- 120 ग्राम, चटनी -50 ग्राम
(तय दर किसी भी एक किस्म का नाश्ता)

शाकाहारी भोजन 22 रु. थाली (कैसे रोल - 30रु.)

मिश्रित सब्जी (मौसम की) 100 ग्राम दाल -सांभर (गाढ़ी)- 150 ग्राम

सादा चावल, पुलाव या जीरा चावल -150 ग्राम, पराठा (2 नग) या चपाती (4 नग), पूरी (5 नग)- 100 ग्राम

दही-100 ग्राम या मिठाई-40 ग्राम

(मांसाहारी नाश्ते में सामान्य मेन्यू के साथ दो अंडों का ऑमलेट -90 ग्राम का और भोजन में दो अंडे की करी 200 ग्राम का। इसकी कीमत क्रमश: 20 और 35 रुपए तय है। )

यात्री पहले मांगें मैन्यू कार्ड

ट्रेन में एक ही दिन में यात्रियों के साथ 50 करोड़ तक की ठगी हो रही है। मामले सामने आने पर पश्चिम रेलवे मुंबई में को शिकायत की गई। उसके बाद पश्चिम एक्सप्रेस की ट्रेन के पैंट्रीकार ठेकेदार को हटा दिया गया। इससे पहले देशभर में 6 पैंट्रीकार को हटाया गया है। ठगी से बचने के लिए यात्री भोजन ऑर्डर करने से पहले मैन्यू कार्ड मांगना चाहिए।

- अरुण सक्सेना, अध्यक्ष, इंटरनेशनल कंज्यूमर राइट्स प्रोटेक्शन काउंसिल

रतलाम मंडल के अधीन चलने वाली ट्रेनों में पैंट्रीकार तो नहीं मिली लेकिन प्लेटफार्म के दुकानों में ज्यादा कीमत में सामान बेचने की शिकायत मिली थी। इस पर हमने 6-7 दुकानें बंद कर दी।

- रविमोहन शर्मा, सीनि. डीसीएम प.रे.

यहां क्रोधित होकर पार्वती ने किया था तप, शिव ने दिया नाम 'गौरी पहाड़'

बांका. बिहार के बांका जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर शंभूगंज क्षेत्र स्थित जो पहाड़ आज 'गौरीपुर पहाड़' के नाम से जाना जाता है वहीँ कभी देवी पार्वती के साधना की थी। साधना के बाद से यह स्थल एतिहासिक हो गया। आज तो यहां श्रधालुओं की भारी भीड़ पूजा-अर्चना में लगी रहती है। सावन माह के प्रत्येक सोमवार को तो यहां भगवान शिव व देवी पार्वती की पूजा करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

शिव ने काली कह कर पुकारा तो पार्वती हो गईं गुस्सा

वामण पुराण के एक प्रसंग में चर्चा है कि जब भगवान शिव पार्वती के साथ दिव्य रमणीय पुरी मंदराचल पर रहते थे, उसी दौरान एक बार भगवान शिव ने पार्वती को काली कहकर पुकारा। पार्वती को काली कहने पर भगवती पार्वती क्रुद्ध होकर मंदराचंल से अकेली ही तपस्या करने पश्चिमी घाटी में निकल पड़ी। इतना ही नहीं पार्वती ने यह भी मन में ठान लिया कि जब तक वे गोरी नहीं बन जायेंगी, तब तक वे लौट कर मंदराचल नहीं आयेंगी।

इस तरह पार्वती वषों तपस्या करती रहीं। शिव उन्हें खोजते रहे। एक बार जब भगवान शिव ने पार्वती को वहां देखा तो चकित रह गए। पार्वती काली से गोरी हो गयी थीं। इसके बाद भगवान शिव प्रसन्न हो गए। कहा, प्रिये अब तुम गोरी हो गयी हो इसलिए आज से तुम गौरी के नाम से जानी जाओगी। इतना ही नहीं जहां तुमने तप किया वह गौरी पहाड़ के नाम से जाना जायेगा। उसी दिन से बांका का यह पर्वत गौरी पहाड़ के नाम से जाना जा रहा है।

हालाँकि, इसकी जानकारी बहुत ही कम लोगों को है। लेकिन धार्मिक ग्रंथ शिव पुराण में इसका जिक्र है।

मौत के शहर' में लोग कब्रिस्तान में बैठकर करते थे अपनी मौत का इंतज़ार


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इस गांव के बारे में पढ़ते ही कबीर दास का गीत ‘साधौ ये मुर्दो का गांव’ याद आ जाता है। रूस के उत्तरी ओसेटिया में पांच पहाड़ी घाटियों में घिरी ये जगह है ‘डरगव्स’ जिसे ‘सिटी ऑफ डेड’ भी कहा जाता है। इस रहस्यमयी जगह के बारे में स्थानीय लोगों में कई किस्से और धारणाएं मशहूर हैं।

कहते हैं कि यहां से कोई भी जिंदा नहीं लौटता है। इस कारण यहां पर्यटक भी नहीं आते हैं। डरगव्स पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं है। तेज हवाएं, बादल और कोहरे वाला मौसम भी किसी तरह की मदद नहीं करता।
यहां पहुंचने पर पहाड़ों पर बने छोटे-छोटे घर नजर आते हैं। ये घर दरअसल कब्रें हैं। स्थानीय लोग अपने प्रियजन को यहां दफनाते हैं। यहां पर 16वीं सदी तक की पुरानी कब्रें देखी जा सकती हैं। पुरातत्वशास्त्रियों ने यहां रिसर्च की तो पता चला कि पुरानी कब्रों में लोगों को लकड़ी की नाव जैसे स्ट्रक्चर में दफनाया गया है।

सवाल ये उठता है कि यहां नदी का नामोनिशान नहीं है, वहां नाव का क्या काम था? कहा जाता है कि आदमी की आत्मा इस नाव से स्वर्ग तक का सफर तय करती है। इन घरों के सामने एक कुआं भी खोदा जाता है। परिवार वाले कुएं में सिक्का फेंकते हैं, सिक्का अगर तल में जाकर पत्थर से टकराता है तो समझा जाता है व्यक्ति की आत्म स्वर्ग पहुंच गई।
इलाके की सीमा के बाहर जो कब्रें बनी हैं वे अपराधियों की हैं। बताया जाता है कि जब प्लेग फैला था, तब जिनका कोई नहीं होता था वे अपने परिवार के कब्रिस्तान में बैठकर अपनी मौत का इंतजार करते थे।

जब दुश्मन हो आपसे ताकतवर तो क्या करें?



एक बार की बात है श्रीकृष्ण ने अपने ऊपर रणछोड़ होने का आक्षेप भी स्वीकार कर लिया। जब महाबली मगधराज जरासन्ध ने देखा कि श्रीकृष्ण और बलराम तो भाग रहे हैं, तब वह हंसने लगा। उसे भगवान् श्रीकृष्ण और बलरामजी के ऐश्वर्य, प्रभाव आदि का ज्ञान न था। बहुत दूर तक दौडऩे के कारण दोनों भाई कुछ थक से गए। अब वे बहुत ऊंचे प्रवर्शण पर्वत पर चढ़ गए। उस पर्वत का प्रवर्षण नाम इसलिए पड़ा था कि वहां सदा ही मेघ वर्षा किया करते थे।

जब जरासन्ध ने देखा कि वे दोनों पहाड़ में छिप गए और बहुत ढूंढने पर भी पता न चला, तब उसने ईंधन से भरे हुए प्रवर्शण पर्वत के चारों ओर आग लगवा कर उसे जला दिया। जब भगवान् ने देखा कि पर्वत के छोर जलने लगे हैं, तब दोनों भाई जरासन्ध की सेना के घेरे को लांघते हुए बड़े वेग से उस ग्यारह योजन (44 कोस) ऊंचे पर्वत से एकदम नीचे धरती पर कूद आए। उन्हें जरासन्ध ने अथवा उसके किसी सैनिक ने देखा नहीं और वे दोनों भाई वहां से चलकर फिर अपनी समुद्र से घिरी हुई द्वारकापुरी में चले आए।

जरासन्ध ने ऐसा मान लिया कि श्रीकृष्ण और बलराम तो जल गए और फिर वह अपनी बहुत बड़ी सेना लौटाकर मगध देश को चला गया।इस बात की बड़ी चर्चा होती है कि भगवान युद्ध से भागे थे। आईए इस फिलॉसाफी पर चर्चा करें....। इस कहानी के माध्यम से कृष्ण हमें कूटनीति सीखा रहे हैं। वे तो भगवान थे क्या वे जरासंध से हार जाते ,नहीं? लेकिन उनका एकमात्र संदेश यह है कि जब दुश्मन आपसे अधिक बलशाली हो तो पहले अपने आप को इतना मजबूत बनाएं कि उससे लड़ सकें। उसके बाद ही दुश्मन को ललकारें। अगर आप उसका सामना करने के लायक नहीं है तो मैदान छोडऩे में कोई बुराई नहीं है।

गाल का डिंपल खोल देता है आपके हर राज, ये है जानने का आसान तरीका


अगर आप जानना चाहते हैं कि कौन कैसा है? किसके दिल में क्या चल रहा है तो आपको सिर्फ किसी के गालों में बनने वाले डिंपल और गालों पर गौर करना चाहिए। इससे आप आसानी से पता कर सकते हैं कि कौन कैसा है?

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार गालों के आकार-प्रकार, रंग, चिकनाई एवं कांति के अनुसार किसी के स्वभाव, चरित्र और कार्यक्षमता का पता लगाया जा सकता है। जिन लोगों के गालों में गड्ढा पड़ता है वे अध्ययनशील, विवेकी, उदारमन, सुदंर तथा सौंदर्यप्रेमी होते हैं।
अलग-अलग तरह के गालों में पडऩे वाले गड्ढों का फल अलग होता है।
ज्यादा ही गौरे गालों में डिम्पल बनना अशुभ माना जाता है। क्योंकि सफेद रंग के गाल अस्वस्थता का प्रतीक होते हैं। ऐसे लोग निराशावादी, आलसी, हीनभावना से ग्रसित, अनिश्चितता की भावना से भरे होते हैं और हर कार्य को अपने ही ढंग से करते हैं।

हल्के लालीमा लिए गालों का गढ्डा जातक के क्रोधी, साहसी, युद्धप्रिय व उत्तेजित होने का संकेत देता है साथ ही ऐसे लोगों में कई विशेषताएं होती है।

गुलाबी गालों में पडऩे वाला डिम्पल शुभ फल देने वाला माना जाता है। ऐसे गालों में पडऩे वाले गड्ढे जातक की संतुलित मानसिकता को प्रदर्शित करते हैं।

मांसल (भरे) गालों को सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार भोगी, समृद्ध तथा विलासी माना गया है। ऐसे गालों में पडऩे वाले गड्ढे बताते हैं कि ऐसे लोगों का मानसिक विकास शरीर के अपेक्षा कम होता है। यदि जातक के गाल सामान्य मांसल, चिकने एवं तेज लिए हुए हो तो जातक में शारीरिक व मानसिक शक्ति संतुलित होती है। उनमें आकर्षण, प्रभाव व व्यावहारिकता के गुण भी होते हैं।

इंटरनेट पर अश्लीलता, फेसबुक-गूगल पर चलेगा आपराधिक मामला?

नई दिल्ली.सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर अश्लील सामग्री के प्रसार के खिलाफ दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आज दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों को समन जारी किया है। याचिका में इन वेबसाइटों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गई थी।

कोर्ट ने फेसबुक, गूगल समेत कुल 21 वेबसाइटों को समन जारी करके अगली सुनवाई के दौरान इन वेबसाइटों के अधिकारियों को प्रस्तुत रहने के लिए कहा गया है। इससे पहले रोहिणी की एक अदालत ने भी ऐसे ही एक मामले में समन जारी किया था लेकिन वो सिविल मामला था।

कोर्ट के आदेश के बाद इंटरनेट कंपनियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 292 (अश्लील सामग्री बेचना), 293 (नाबालिगों को अश्लील सामग्री बेचना) और 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत मामला चल सकता है।

गौरतलब है कि सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर अश्लीलता काफी बढ़ गई है। फेसबुक पर तो स्पैम हमला करके लोगों के प्रोफाइल पर ही ब्लू फिल्में पोस्ट कर दी गई थी।

भारतीय यूजर्स की प्राइवेसी को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए फेसबुक ने अभी तक स्पैम हमले के मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में कोर्ट का यह समन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। फेसबुक पर अश्लीलता के कारण करोड़ों लोगों को शर्मिंदगी उठा नी पड़ी थी।

आओ मुसलमान मुसलमान खेलें ..............कोंग्रेस और भाजपा के मुस्लिम नेता जर खरीद गुलाब बनकर मुसलमानों के लियें यज़ीद बन गये हैं

दोस्तों आओ मेरे इस भारत महान में मुसलमान मुसलमान खेलें कोंग्रेस मुसलमान को अपना ख़ास बताकर सुविधाएँ देने की नोटंकी करती है तो भाजपा मुसलमानों को अछूत और गद्दार समझ कर उनसे सुविधाएं छिनने की बात करती है ..हालत यह है के देश में मुसलमानों की सही स्थिति का आंकलन न तो किसी अख़बार ने क्या है और न ही राजनितिक दल ने सभी देश में लोकतंत्र के इस चुनाव का मजाक उड़ाने के लियें बस मुसलमान मुसलमान खेल रहे है नतीजा देश का माहोल दिन बा दिन बढ़ता जा रहा है कोंग्रेस है के काका केलकर की मुसलमानों की रिपोर्ट आने पर जब आरक्षण देने की बात करती है तो मुस्लिम पिछड़ों को आरक्षण से दूर रखने के लियें अपने पहले और आखरी तक की सभी अधिसूचनाओं में केवल हिन्दुओं के लियें और फिर बोद्ध सिक्खों के लियें जोड़ कर मुसलमानों को इस लाभ से दूर कर देती है नतीजा आज मुसलमानों की हालत यह है के उनकी बस्तियों में स्कूलों के स्थान और चोकी और थाने है ..उनके पास रोज़गार के स्थान पर मुकदमों की एक फहरिस्त है और पढ़े लिखे बच्चों के पास बेरोज़गारी है .............इन्द्र साहनी मामले में अगर सुप्रीम कोर्ट सख्त रवय्या नहीं अपनाती और आरक्षण का आधार धर्म और जाती के नाम पर देने पर ऊँगली नहीं उठाती तो शायद आज मुसलमानों को अन्य पिछड़ा वर्ग का लाभ भी नहीं मिल पाता .......इंदिरा जी ने मुसलमानों के लियें पन्द्रह सूत्रीय कार्यक्रम बनाये थे उनके बाद राजिव ने ध्यान दिया आज वोह कार्यक्रम कहाँ है कोई नहीं जानता ..प्रधानमन्त्री मनोहन जी उसके अध्यक्ष है लेकिन राज्यों और जिलों में इसकी समितियां निगरानी कार्यक्रम नहीं है अल्पसंख्यक आयोग तमाशा बना है ... करोड़ों के खर्च पर देश में मुसलमानों के हालात जान्ने के लियें सच्चर आयोग रंगनाथ मिश्र आयोग और वेंक्तच्ल्य्या समितियां बनी उनकी रिपोर्ट आई लेकिन उन पर संसद में विचार तक नहीं हुआ अब देश में जब उत्तर प्रदेश में कोंग्रेस खत्म हो गयी है वहन उसे पुनर्जीवित करने के लियें मुस्लिम आरक्षण का शगूफा वोह भी गेर कानूनी तरीके से अगर कोंग्रेस की नियत साफ़ थी तो आरक्षण की अधिसूचना में जो हिन्दुओं के लियें अंकित है उस शब्द को हटा कर सभी भारतियों के लियें विधि अनुसार कर दिया जाए तो देश में तस्वीर ही बदल जायेगी लेकिन मुस्लिमों के नाम पर विवाद पैदा करना उन्हें सुविधाओं से दूर रखना कोंग्रेस के आदत बन गयी है जबकि भाजपा तो मुस्लिमों की दुश्मन बन कर सत्ता हथियाना चाहती है इसलियें बिना सोचे समझे उसे तो हर योजना का विरोध करना जरूरी है ..इसमें कोंग्रेस या भाजपा का कोई दोष नहीं है हमारे अपने नेता हैं जिनके सीने में मुसलमान का दिल हटा कर कोंग्रेस का दिल और भाजपा का दिल लगा दिया गया है वोह अपने आकाओं की चमचागिरी में इतने मशगुल है के उन्हें अपने भाइयों के साथ हो रही ना इंसाफी नेताओं को बताने में डर लगता है शर्म आती है और वो सरकारी खर्चों पर चापलूसी से पद प्राप्त कर कोंग्रेस और भाजपा के गुणगान करते फिरते है ऐसे सभी लोग देश के तो दुश्मन तो हैं ही सही लेकिन मुसलमानों के लियें तो वोह यज़ीद बने है .......... आज मुस्लिम आरक्षण मामले में कोटा के कई मुसलमान कोंग्रेस के तारीफ़ करते देखे गये और भाजपा के कई मुसलमान आलोचना करते देखे गये एक मुस्लिम कोंग्रेसी वकील जनाब हैं जो कहते है के में सरकार से नहीं डरता कोंग्रेस के नेताओं से नहीं डरता जो सच है वोह कहता हूँ पहले मेरे लियें कोम का दर्द है बाद में पार्टी है और इसी नाम पर वोह कोंग्रेस के शासन में रस मलाई कहा रहे है महत्वपूर्ण पदों पर है आज उनसे जब टीवी और अख़बार वालों ने आरक्षण में कोंग्रेस के इस नये पासे के बारे में जानना चाह तो वोह मुंह छुपा कर भागते फिरे और छुपते रहे ऐसे डरपोक मुस्लिम नेता केवल आस्तीन के सांप है जिनकी वजह से ही आज परेशान आप है वोह तो भला हो देश के कुछ धर्म निरपेक्ष लोगों और अदालतों का के आज मुसलमान मुसलमान खेलने वाले इन राजनेताओं का सच जनता के सामने आने लगा है और मुस्लिमों का साक्षर ग्राफ बढने से वोह कोंग्रेस और भाजपा की चाल समझने लगा है ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा हेंगिंग बिज के गुनाहगारों को दो साल में भी सज़ा नहीं मिल सकी

राजस्थान के कोटा में देश के बढ़े हादसों में से एक हेंगिंग ब्रिज हादसा दो साल गुजरने के बाद भी आज लोगों के जहन में उसका डर और खोफ बेठा है ... दुर्घटनाएं होती है लेकिन सरकारें इसके लियें ज़िम्मेदार लोगों को दंडित कर ऐसा सबक सिखाती हैं के दुसरे लोग फिर से ऐसी हरकत न कर स्केन .कोटा में गृह मंत्री शांति कुमार धारीवाल के प्रयासों से हेंगिंग ब्रिज के गुनाहगार पुलिस पकड़ में तो आये लेकिन इसमें पुलिस ने कई मुलजिमान को छोड़ दिया और जिन्हें पकड़ा उनके खिलाफ केस ऑफीसर नियुक्त होने पर भी दो वर्षों में कोई कारगर कार्यवाही नहीं हो सकी सभी मुलजिम बाहर ही और हालत यह है के अदालत की पाबंदी के बाद भी विदेशी मुलजिम देश छोड़ कर बाहर चले गये हैं जिनके कोटा अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किये है इस मुकदमे की सुनवाई फास्टर ट्रेक में शुरू हुई थी फास्ट ट्रेक में ही है लेकिन अब तक सुनवाई और सुनवाई ही चल रही है सेशन ट्राइल मामला जेसे प्रतिदिन सुनवाई का होता है इस तरह से इसे प्राथमिकता के आधार पर नहीं लिया गया है कोटा का बाई पास इस पुल गिरने के वजह से पांच साल पीछे हो गया कोटा का विकास रुक गया है शक के दायरे में सार्वजनिक निर्माण मंत्री प्रमोद भाया को घर बिठा दिया गया है .सरकारी जान्च ठंडे बसते में है अपराधियों को बचाया गया है बक्सों में सरकारी जाँच ताले में केद है और पुल दुबारा निर्माण एक सपना बनता जा रहा है कागजों में तो कम्पनी काम कर रही है लेकिन वही अपराधी कम्पनी वही अराधि अधिकारी इस काम को देख रहे है मोके से अब तक दो वर्षों में मलवा तक नहीं हटाया गया है तो ऐसे गुज़रे हैं पुल हादसे के दो साल हादसे में मरे चार दर्जन से भी अधिक लोगों को श्रद्धांजली और उनके परिजनों के प्रति संवेदना .... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भरी कोर्ट में व्यापारी की करतूत ने जज साब को किया हैरान! कोटा की तो एक अदालत को छोड़ कर सभी अदालतों में होता है ऐसा रोज़

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लुधियाना. दुगरी के रहने वाले कोयला व्यापारी राजिंदर कुमार मेहता ने भरी अदालत में मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में उनके रीडर को रिश्वत देने की कोशिश की। कोयला व्यापारी की यह हरकत मजिस्ट्रेट ने पकड़ ली।

पकड़े जाने से बचने के लिए आरोपी ने यहां से फरार होने की कोशिश की। शोर मचने पर मौजूद लोगों और कर्मचारियों ने आरोपी को दबोच लिया। आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया गया है। थाना डिवीजन नंबर पांच पुलिस ने आरोपी के खिलाफ सरकारी ड्यूटी में विघ्न डालने और रिश्वत देने के आरोप में केस दर्ज कर लिया है।

आरोपी राजिंदर की कार से कुचलने से तीन वर्ष पहले माडल टाउन में एक बच्चे की मौत हो गई थी। इस केस की तारीख भुगतने के लिए आरोपी वीरवार को मजिस्ट्रेट जरनैल सिंह की अदालत में आया हुआ था। अगली तारीख जल्द डलवाने के लिए आरोपी ने जेब से एक सौ रुपये का नोट निकाल कर मजिस्ट्रेट के रीडर परमजीत सिंह को रिश्वत देने की कोशिश की। उसकी हरकत से रीडर भी हक्का-बक्का रह गया।

मजिस्ट्रेट साब भी व्यापारी की इस घटिया हरकत को देखकर सन्न रह गए, उन्होंने तत्काल आरोपी को काबू करने के आदेश दिए। थाना डिवीजन नंबर पांच के एसएचओ इंस्पेक्टर मनिंदर बेदी के अनुसार आरोपी के खिलाफ पहले भी थाना सदर व थाना दुगरी में मारपीट के मामले दर्ज हैं। उसे शुक्रवार को अदालत में पेश किया जाएगा।

अल्‍पसंख्‍यकों को आरक्षण मिला तो सिविल वॉर’


नई दिल्‍ली. बीजेपी ने अल्‍पसंख्‍यकों को आरक्षण देने के फैसले को 'खतरनाक' करार देते हुए चेतावनी दी है कि ऐसा करने से ‘सिविल वॉर’ के हालात पैदा हो सकते हैं। बीजेपी के वाइस प्रेसिडेंट मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने शुक्रवार को कहा, ‘कोटे के भीतर कोटे का प्रावधान करना कांग्रेस पार्टी का खतरनाक राजनीतिक खेल है। इससे विभिन्‍न समुदायों और जातियों के बीच सिविल वॉर के हालात पैदा हो जाएंगे।’

बीजेपी नेता ने कहा कि उनकी पार्टी मुसलमानों के सामाजिक-आर्थिक विकास के पक्ष में है। उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी पर पिछले 60 सालों से अपने राजनीतिक फायदे के लिए मुसलमानों का शोषण करने का आरोप लगाया।

बीजेपी नेता ने कहा कि कोटे के भीतर कोटे का लॉलीपॉप कांग्रेस के सियासी अभियान का एक हिस्‍सा है। यह कांग्रेस का सबसे बड़ा धोखा है। एक तरफ तो यह संवैधानिक तौर पर गलत है वहीं दूसरी तरफ मुसलमानों को इससे कोई फायदा नहीं होने जा रहा है।’ नकवी ने कहा, ‘आरक्षण का कोकीन देकर कांग्रेस मुस्लिम वोट को हाइजैक करने की साजिश रच रही है। हम उनके इस गंदे और खतरनाक खेल को कामयाब नहीं होने देंगे।’

कांग्रेस की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्‍थानों में अल्‍पसंख्‍यकों को 4.5 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया है। इस बारे में लिए गए कैबिनेट के फैसले के मुताबिक यह आरक्षण 27 फीसदी के ओबीसी कोटे में से ही दिया जाएगा। आरक्षण एक जनवरी से लागू होगा। बीजेपी के साथ साथ समाजवादी पार्टी ने भी इसका विरोध किया है। सपा नेता कमाल फारुकी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने मुसलमानों के साथ ज्‍यादती की है।
यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विरोधी दल केंद्र सरकार के इस फैसले को कांग्रेस की चुनावी चाल कह रहे हैं। यूपी में 18.5 मुस्लिम वोटर हैं। देश में 59.1 फीसदी मुसलमान साक्षर हैं। शहरों में इनकी तादाद 70 फीसदी है जबकि गावों में 62 फीसदी मुसलमान पढ़े-लिखे हैं।

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