तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 दिसंबर 2011
एक सवाल सभी जानवरों में केवल कुत्ता ही क्यूँ टांग ऊँची कर के सू सु करता है
दोस्तों कोंग्रेस को नर्सिम्मा राव के चमचों .नोकरों ..और विदेशियों के लुटेरों से बचाओं कोंग्रेस बचाओ मंच बनाओं कोंग्रेस और देश बचाओं
यह है गीता का ज्ञान
मत्प्रसादादवाप्नोति शाश्वतं पदमव्ययम्॥
बुद्धियोगमुपाश्रित्य मच्चित्तः सततं भव॥
अथ चेत्वमहाङ्कारान्न श्रोष्यसि विनङ्क्ष्यसि॥
मिथ्यैष व्यवसायस्ते प्रकृतिस्त्वां नियोक्ष्यति ॥
कर्तुं नेच्छसि यन्मोहात्करिष्यस्यवशोऽपि तत् ॥
भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारुढानि मायया॥
तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्॥
विमृश्यैतदशेषेण यथेच्छसि तथा कुरु ॥
इष्टोऽसि मे दृढमिति ततो वक्ष्यामि ते हितम् ॥
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ॥
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥
अनशन से पहले अन्ना बीमार
रालेगण सिद्धि. मजबूत लोकपाल के लिए अनशन से पहले अन्ना हजारे की तबीयत खराब हो गई है। शुक्रवार पूरी रात अन्ना को खांसी होती रही और वह ठीक से सो भी नहीं सके।
अन्ना 27 दिसंबर से अनशन करने पर अड़े हुए हैं। उनके विरोधी उनके इस ऐलान पर यह कहते हुए चुटकी लेते रहे हैं कि अन्ना को अपनी सेहत पर ध्यान देना चाहिए।
अन्ना का अनशन मुंबई के एमएमआरडीए मैदान में होगा। बांबे हाईकोर्ट ने अन्ना के अनशन के लिए रियायती दर पर मुंबई का एमएमआरडीए मैदान मुहैया कराने की मांग ठुकरा दी है। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि ‘यह हिसाब लगाना मुश्किल है कि लोकपाल बिल के खिलाफ अनशन जनहित में है या राजनीति से प्रेरित।’ इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जब बिल पर संसद में चर्चा तय है तो फिर समानांतर बहस की इजाजत नहीं दी जा सकती।’
कोर्ट के फैसले के फौरन बाद अन्ना ने कहा कि उनका अनशन एमएमआरडीए मैदान में ही होगा। मैदान का किराया लोगों से चंदा लेकर जमा किया जाएगा। हालांकि उन्होंने कहा कि साथियों को कोर्ट नहीं जाना चाहिए था। इस बीच, टीम अन्ना को एमएमआरडीए रियायत देने पर राजी हो गया है। एमएमआरडीए ने 4.50 लाख रुपए की रियायत दी है। संस्था को अब 6.80 लाख ही देने होंगे। मैदान का रोजाना किराया 3.80 लाख रुपए है। इसके आधार पर पहले 11,31,678 रुपए की मांग की गई थी।
जस्टिस पीबी मजुमदार और मृदुला भाटकर की बेंच ने कहा, ‘पक्ष में हमारे आदेश देने का मतलब होगा कि हम संसद की कार्यवाही में दखल दे रहे हैं।’ साथ ही बेंच ने कहा कि आंदोलन आपके लिए सत्याग्रह हो सकता है, लेकिन बाकी के लिए मुसीबत होगी। कोर्ट ने तीन दिन के लिए पूरा आजाद मैदान मुहैया कराने के निर्देश देने से भी मना कर दिया।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि खेल विभाग आजाद मैदान का पूरा हिस्सा देने को राजी नहीं है। मैदान में क्रिकेट के 22 पिच हैं। इनके खराब होने का खतरा है। टीम अन्ना ने अनशन की जगह का दूसरा विकल्प आजाद मैदान चुना था। कोर्ट ने जागरूक नागरिक मंच की अर्जी खारिज कर दी। मंच ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) की ओर से अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने कहा कि अपील करने वाली संस्था पंजीकृत संगठन नहीं है।
इन महाशय को नहीं मिला 'दातून' तो जिद में खड़ा कर दिया जंगल
महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा से सटे गंडग जिले में करीब 60 किलोमीटर कपोतगिरी पहाड़ियों के समूह पर बने नंदीवर मठ का उन्हें प्रमुख बनाया गया।
मठ पहुंचने के बाद जब सुबह स्वामी नीम की दातून तलाश करने लगे तो उन्हें दातून ही नहीं मिली। बस फिर क्या था नीम और औषधीय पौधों के वृक्षारोपण का ऐसा अभियान चलाया कि आज पूरी पहाड़ी पर जंगल है। जो इलाका शहरीकरण की भेंट चढ़ गया था, इस समय प्रकृति की विविध नजारे हैं। स्वामी शिवकुमार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के दो दिवसीय किसान वैज्ञानिक सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे हैं।
स्वामी शिव कुमार बताते हैं कि उन्होंने 13 साल की आयु में घर छोड़ दिया था। इसके बाद वह युवाओं को राष्ट्र के लिए तैयार करने में लग गए। वह मठ के स्वामी बनने से पहले युवाओं का सात्विक व्यक्तित्व विकास कराते थे। इसके लिए उन्होंने बाकायदा एक प्रोग्राम भी बना रखा था। इसके अलावा शुरू से ही युवाओं के माध्यम से जल संग्रहण अभियान चलाते रहे, जो अभी भी जारी है।
नंदीवर मठ सेवा फाउंडेशन की तरफ से इलाके में 40 चेक डैम, मृदा क्षरण रोकने के लिए 80 हजार स्लोप्स और 25 हजार गड्ढे सहित पांच लाख पौधे लगाए गए हैं। इनमें नीम, तपसी, बेल, टमरनीड, बांस सहित आदि शामिल हैं। स्वामी को कपोतगिरी इलाके की जैव विविधता के संरक्षण से पारिस्थितिकी बदलने के लिए जेनोम सेवियर समुदाय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं कर्नाटक सरकार ने चीन में हुए प्रोग्रेसिव फार्मिग एंड एन्वायरमेंटल स्टडी पर हुए सेमिनार में भी इन्हें भेजा था।
55 औषधीय पौधे, 210 लुप्त प्राय : किस्मों का संग्रहण
स्वामी शिवकुमार ने औषधीय पौधों में दिलचस्पी दिखाते हुए 55 औषधीय पौधों की 210 लुप्त प्राय: किस्मों का संग्रहण किया है। इसमें चिकनगुनिया से लेकर शुगर तक को मात देने वाली पौधे शामिल हैं। इसमें भूनिंबा है जो चिकनगुनिया से राहत देती है तो अमृत बेल है जो दिल रोग से बचाती है। मधुनशानी नाम के पौधे भी इनके पास उपलब्ध है जो मस्तिष्क के विकारों में दवा के रूप में इस्तेमाल होता है।
दिनभर में 5 बार ठगा जाता है एक भारतीय, जानें आखिर कैसे...
तय रेट से ज्यादा वसूली- इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉपरेरेशन लिमिटेड द्वारा शाकाहारी- मांसाहारी नाश्ता व भोजन के लिए देशभर में एक ही दर तय है लेकिन अधिकांश ट्रेनों में इससे अधिक राशि ली जा रही है। शिकायतों के मुताबिक शाकाहारी थाली में 22 रुपए की जगह औसतन 40 और शाकाहारी भोजन में 30 की जगह 45 रुपए वसूले जा रहे हैं। पश्चिमी रेलवे सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य नागेश नामजोशी का तो कहना है खाने की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ भी एक तरह की ठगी है। इसमें ढेरों शिकायतें आती हैं।
50 करोड़ के ठगी का गणित! एक ट्रेन में 16 से 24 बोगी होती हैं। एक बोगी में 78 सीट। इस मान से एक ट्रेन में औसतन 1872 यात्री सफर करते हैं। इंदौर सहित देशभर में लगभग 5000 ट्रेन ऐसी हैं जिसमें पैंट्रीकार है। एक ट्रेन में 1000 यात्री भी पैंट्रीकार का इस्तेमाल करते हैं और उनसे नाश्ता, दो बार भोजन, एक पेय पदार्थ और मिनरल वॉटर के नाम पर 100 रुपए अधिक लिए जाते हैं तो 5000 ट्रेनों में यह आंकड़ा एक दिन में 50 करोड़ रुपए हो जाता है।
ये हैं खाने-नाश्ते की दरें और मात्रा
इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉपरेरेशन लिमिटेड द्वारा शाकाहारी और मांसाहारी नाश्ता व भोजन की दरें देशभर में एक समान है।
शाकाहारी नाश्ता : 17 रु.
1. ब्रेड स्लाइस - 2 नग, 10 ग्राम बटर के साथ
टमाटर कैचप - 15 ग्राम का सैशे (पैकेट), नमक व काली मिर्च
शाकाहारी कटलेट- 2 नग - 100 ग्राम
2. इडली : (4 नग)- 200 ग्राम एवं उड़द बड़ा (4 नग)- 120 ग्राम,
चटनी- 50 ग्राम
3. उपमा - 100 ग्राम व उड़द बड़ा (4 नग)- 120 ग्राम, चटनी-50 ग्राम
4. पोंगल - 200 ग्राम और उड़द बड़ा (4 नग)- 120 ग्राम, चटनी -50 ग्राम
(तय दर किसी भी एक किस्म का नाश्ता)
शाकाहारी भोजन 22 रु. थाली (कैसे रोल - 30रु.)
मिश्रित सब्जी (मौसम की) 100 ग्राम दाल -सांभर (गाढ़ी)- 150 ग्राम
सादा चावल, पुलाव या जीरा चावल -150 ग्राम, पराठा (2 नग) या चपाती (4 नग), पूरी (5 नग)- 100 ग्राम
दही-100 ग्राम या मिठाई-40 ग्राम
(मांसाहारी नाश्ते में सामान्य मेन्यू के साथ दो अंडों का ऑमलेट -90 ग्राम का और भोजन में दो अंडे की करी 200 ग्राम का। इसकी कीमत क्रमश: 20 और 35 रुपए तय है। )
यात्री पहले मांगें मैन्यू कार्ड
ट्रेन में एक ही दिन में यात्रियों के साथ 50 करोड़ तक की ठगी हो रही है। मामले सामने आने पर पश्चिम रेलवे मुंबई में को शिकायत की गई। उसके बाद पश्चिम एक्सप्रेस की ट्रेन के पैंट्रीकार ठेकेदार को हटा दिया गया। इससे पहले देशभर में 6 पैंट्रीकार को हटाया गया है। ठगी से बचने के लिए यात्री भोजन ऑर्डर करने से पहले मैन्यू कार्ड मांगना चाहिए।
- अरुण सक्सेना, अध्यक्ष, इंटरनेशनल कंज्यूमर राइट्स प्रोटेक्शन काउंसिल
रतलाम मंडल के अधीन चलने वाली ट्रेनों में पैंट्रीकार तो नहीं मिली लेकिन प्लेटफार्म के दुकानों में ज्यादा कीमत में सामान बेचने की शिकायत मिली थी। इस पर हमने 6-7 दुकानें बंद कर दी।
- रविमोहन शर्मा, सीनि. डीसीएम प.रे.
यहां क्रोधित होकर पार्वती ने किया था तप, शिव ने दिया नाम 'गौरी पहाड़'
शिव ने काली कह कर पुकारा तो पार्वती हो गईं गुस्सा
वामण पुराण के एक प्रसंग में चर्चा है कि जब भगवान शिव पार्वती के साथ दिव्य रमणीय पुरी मंदराचल पर रहते थे, उसी दौरान एक बार भगवान शिव ने पार्वती को काली कहकर पुकारा। पार्वती को काली कहने पर भगवती पार्वती क्रुद्ध होकर मंदराचंल से अकेली ही तपस्या करने पश्चिमी घाटी में निकल पड़ी। इतना ही नहीं पार्वती ने यह भी मन में ठान लिया कि जब तक वे गोरी नहीं बन जायेंगी, तब तक वे लौट कर मंदराचल नहीं आयेंगी।
इस तरह पार्वती वषों तपस्या करती रहीं। शिव उन्हें खोजते रहे। एक बार जब भगवान शिव ने पार्वती को वहां देखा तो चकित रह गए। पार्वती काली से गोरी हो गयी थीं। इसके बाद भगवान शिव प्रसन्न हो गए। कहा, प्रिये अब तुम गोरी हो गयी हो इसलिए आज से तुम गौरी के नाम से जानी जाओगी। इतना ही नहीं जहां तुमने तप किया वह गौरी पहाड़ के नाम से जाना जायेगा। उसी दिन से बांका का यह पर्वत गौरी पहाड़ के नाम से जाना जा रहा है।
हालाँकि, इसकी जानकारी बहुत ही कम लोगों को है। लेकिन धार्मिक ग्रंथ शिव पुराण में इसका जिक्र है।
मौत के शहर' में लोग कब्रिस्तान में बैठकर करते थे अपनी मौत का इंतज़ार
कहते हैं कि यहां से कोई भी जिंदा नहीं लौटता है। इस कारण यहां पर्यटक भी नहीं आते हैं। डरगव्स पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं है। तेज हवाएं, बादल और कोहरे वाला मौसम भी किसी तरह की मदद नहीं करता।
यहां पहुंचने पर पहाड़ों पर बने छोटे-छोटे घर नजर आते हैं। ये घर दरअसल कब्रें हैं। स्थानीय लोग अपने प्रियजन को यहां दफनाते हैं। यहां पर 16वीं सदी तक की पुरानी कब्रें देखी जा सकती हैं। पुरातत्वशास्त्रियों ने यहां रिसर्च की तो पता चला कि पुरानी कब्रों में लोगों को लकड़ी की नाव जैसे स्ट्रक्चर में दफनाया गया है।
सवाल ये उठता है कि यहां नदी का नामोनिशान नहीं है, वहां नाव का क्या काम था? कहा जाता है कि आदमी की आत्मा इस नाव से स्वर्ग तक का सफर तय करती है। इन घरों के सामने एक कुआं भी खोदा जाता है। परिवार वाले कुएं में सिक्का फेंकते हैं, सिक्का अगर तल में जाकर पत्थर से टकराता है तो समझा जाता है व्यक्ति की आत्म स्वर्ग पहुंच गई।
इलाके की सीमा के बाहर जो कब्रें बनी हैं वे अपराधियों की हैं। बताया जाता है कि जब प्लेग फैला था, तब जिनका कोई नहीं होता था वे अपने परिवार के कब्रिस्तान में बैठकर अपनी मौत का इंतजार करते थे।
जब दुश्मन हो आपसे ताकतवर तो क्या करें?
एक बार की बात है श्रीकृष्ण ने अपने ऊपर रणछोड़ होने का आक्षेप भी स्वीकार कर लिया। जब महाबली मगधराज जरासन्ध ने देखा कि श्रीकृष्ण और बलराम तो भाग रहे हैं, तब वह हंसने लगा। उसे भगवान् श्रीकृष्ण और बलरामजी के ऐश्वर्य, प्रभाव आदि का ज्ञान न था। बहुत दूर तक दौडऩे के कारण दोनों भाई कुछ थक से गए। अब वे बहुत ऊंचे प्रवर्शण पर्वत पर चढ़ गए। उस पर्वत का प्रवर्षण नाम इसलिए पड़ा था कि वहां सदा ही मेघ वर्षा किया करते थे।
जब जरासन्ध ने देखा कि वे दोनों पहाड़ में छिप गए और बहुत ढूंढने पर भी पता न चला, तब उसने ईंधन से भरे हुए प्रवर्शण पर्वत के चारों ओर आग लगवा कर उसे जला दिया। जब भगवान् ने देखा कि पर्वत के छोर जलने लगे हैं, तब दोनों भाई जरासन्ध की सेना के घेरे को लांघते हुए बड़े वेग से उस ग्यारह योजन (44 कोस) ऊंचे पर्वत से एकदम नीचे धरती पर कूद आए। उन्हें जरासन्ध ने अथवा उसके किसी सैनिक ने देखा नहीं और वे दोनों भाई वहां से चलकर फिर अपनी समुद्र से घिरी हुई द्वारकापुरी में चले आए।
जरासन्ध ने ऐसा मान लिया कि श्रीकृष्ण और बलराम तो जल गए और फिर वह अपनी बहुत बड़ी सेना लौटाकर मगध देश को चला गया।इस बात की बड़ी चर्चा होती है कि भगवान युद्ध से भागे थे। आईए इस फिलॉसाफी पर चर्चा करें....। इस कहानी के माध्यम से कृष्ण हमें कूटनीति सीखा रहे हैं। वे तो भगवान थे क्या वे जरासंध से हार जाते ,नहीं? लेकिन उनका एकमात्र संदेश यह है कि जब दुश्मन आपसे अधिक बलशाली हो तो पहले अपने आप को इतना मजबूत बनाएं कि उससे लड़ सकें। उसके बाद ही दुश्मन को ललकारें। अगर आप उसका सामना करने के लायक नहीं है तो मैदान छोडऩे में कोई बुराई नहीं है।
गाल का डिंपल खोल देता है आपके हर राज, ये है जानने का आसान तरीका
अगर आप जानना चाहते हैं कि कौन कैसा है? किसके दिल में क्या चल रहा है तो आपको सिर्फ किसी के गालों में बनने वाले डिंपल और गालों पर गौर करना चाहिए। इससे आप आसानी से पता कर सकते हैं कि कौन कैसा है?
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार गालों के आकार-प्रकार, रंग, चिकनाई एवं कांति के अनुसार किसी के स्वभाव, चरित्र और कार्यक्षमता का पता लगाया जा सकता है। जिन लोगों के गालों में गड्ढा पड़ता है वे अध्ययनशील, विवेकी, उदारमन, सुदंर तथा सौंदर्यप्रेमी होते हैं।
अलग-अलग तरह के गालों में पडऩे वाले गड्ढों का फल अलग होता है।
ज्यादा ही गौरे गालों में डिम्पल बनना अशुभ माना जाता है। क्योंकि सफेद रंग के गाल अस्वस्थता का प्रतीक होते हैं। ऐसे लोग निराशावादी, आलसी, हीनभावना से ग्रसित, अनिश्चितता की भावना से भरे होते हैं और हर कार्य को अपने ही ढंग से करते हैं।
हल्के लालीमा लिए गालों का गढ्डा जातक के क्रोधी, साहसी, युद्धप्रिय व उत्तेजित होने का संकेत देता है साथ ही ऐसे लोगों में कई विशेषताएं होती है।
गुलाबी गालों में पडऩे वाला डिम्पल शुभ फल देने वाला माना जाता है। ऐसे गालों में पडऩे वाले गड्ढे जातक की संतुलित मानसिकता को प्रदर्शित करते हैं।
मांसल (भरे) गालों को सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार भोगी, समृद्ध तथा विलासी माना गया है। ऐसे गालों में पडऩे वाले गड्ढे बताते हैं कि ऐसे लोगों का मानसिक विकास शरीर के अपेक्षा कम होता है। यदि जातक के गाल सामान्य मांसल, चिकने एवं तेज लिए हुए हो तो जातक में शारीरिक व मानसिक शक्ति संतुलित होती है। उनमें आकर्षण, प्रभाव व व्यावहारिकता के गुण भी होते हैं।
इंटरनेट पर अश्लीलता, फेसबुक-गूगल पर चलेगा आपराधिक मामला?
नई दिल्ली.सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर अश्लील सामग्री के प्रसार के खिलाफ दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आज दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों को समन जारी किया है। याचिका में इन वेबसाइटों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने फेसबुक, गूगल समेत कुल 21 वेबसाइटों को समन जारी करके अगली सुनवाई के दौरान इन वेबसाइटों के अधिकारियों को प्रस्तुत रहने के लिए कहा गया है। इससे पहले रोहिणी की एक अदालत ने भी ऐसे ही एक मामले में समन जारी किया था लेकिन वो सिविल मामला था।
कोर्ट के आदेश के बाद इंटरनेट कंपनियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 292 (अश्लील सामग्री बेचना), 293 (नाबालिगों को अश्लील सामग्री बेचना) और 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत मामला चल सकता है।
गौरतलब है कि सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर अश्लीलता काफी बढ़ गई है। फेसबुक पर तो स्पैम हमला करके लोगों के प्रोफाइल पर ही ब्लू फिल्में पोस्ट कर दी गई थी।
भारतीय यूजर्स की प्राइवेसी को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए फेसबुक ने अभी तक स्पैम हमले के मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में कोर्ट का यह समन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। फेसबुक पर अश्लीलता के कारण करोड़ों लोगों को शर्मिंदगी उठा नी पड़ी थी।
आओ मुसलमान मुसलमान खेलें ..............कोंग्रेस और भाजपा के मुस्लिम नेता जर खरीद गुलाब बनकर मुसलमानों के लियें यज़ीद बन गये हैं
कोटा हेंगिंग बिज के गुनाहगारों को दो साल में भी सज़ा नहीं मिल सकी
भरी कोर्ट में व्यापारी की करतूत ने जज साब को किया हैरान! कोटा की तो एक अदालत को छोड़ कर सभी अदालतों में होता है ऐसा रोज़
लुधियाना. दुगरी के रहने वाले कोयला व्यापारी राजिंदर कुमार मेहता ने भरी अदालत में मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में उनके रीडर को रिश्वत देने की कोशिश की। कोयला व्यापारी की यह हरकत मजिस्ट्रेट ने पकड़ ली।
पकड़े जाने से बचने के लिए आरोपी ने यहां से फरार होने की कोशिश की। शोर मचने पर मौजूद लोगों और कर्मचारियों ने आरोपी को दबोच लिया। आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया गया है। थाना डिवीजन नंबर पांच पुलिस ने आरोपी के खिलाफ सरकारी ड्यूटी में विघ्न डालने और रिश्वत देने के आरोप में केस दर्ज कर लिया है।
आरोपी राजिंदर की कार से कुचलने से तीन वर्ष पहले माडल टाउन में एक बच्चे की मौत हो गई थी। इस केस की तारीख भुगतने के लिए आरोपी वीरवार को मजिस्ट्रेट जरनैल सिंह की अदालत में आया हुआ था। अगली तारीख जल्द डलवाने के लिए आरोपी ने जेब से एक सौ रुपये का नोट निकाल कर मजिस्ट्रेट के रीडर परमजीत सिंह को रिश्वत देने की कोशिश की। उसकी हरकत से रीडर भी हक्का-बक्का रह गया।
मजिस्ट्रेट साब भी व्यापारी की इस घटिया हरकत को देखकर सन्न रह गए, उन्होंने तत्काल आरोपी को काबू करने के आदेश दिए। थाना डिवीजन नंबर पांच के एसएचओ इंस्पेक्टर मनिंदर बेदी के अनुसार आरोपी के खिलाफ पहले भी थाना सदर व थाना दुगरी में मारपीट के मामले दर्ज हैं। उसे शुक्रवार को अदालत में पेश किया जाएगा।
अल्पसंख्यकों को आरक्षण मिला तो सिविल वॉर’
नई दिल्ली. बीजेपी ने अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने के फैसले को 'खतरनाक' करार देते हुए चेतावनी दी है कि ऐसा करने से ‘सिविल वॉर’ के हालात पैदा हो सकते हैं। बीजेपी के वाइस प्रेसिडेंट मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को कहा, ‘कोटे के भीतर कोटे का प्रावधान करना कांग्रेस पार्टी का खतरनाक राजनीतिक खेल है। इससे विभिन्न समुदायों और जातियों के बीच सिविल वॉर के हालात पैदा हो जाएंगे।’
बीजेपी नेता ने कहा कि उनकी पार्टी मुसलमानों के सामाजिक-आर्थिक विकास के पक्ष में है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर पिछले 60 सालों से अपने राजनीतिक फायदे के लिए मुसलमानों का शोषण करने का आरोप लगाया।
बीजेपी नेता ने कहा कि कोटे के भीतर कोटे का लॉलीपॉप कांग्रेस के सियासी अभियान का एक हिस्सा है। यह कांग्रेस का सबसे बड़ा धोखा है। एक तरफ तो यह संवैधानिक तौर पर गलत है वहीं दूसरी तरफ मुसलमानों को इससे कोई फायदा नहीं होने जा रहा है।’ नकवी ने कहा, ‘आरक्षण का कोकीन देकर कांग्रेस मुस्लिम वोट को हाइजैक करने की साजिश रच रही है। हम उनके इस गंदे और खतरनाक खेल को कामयाब नहीं होने देंगे।’
कांग्रेस की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया है। इस बारे में लिए गए कैबिनेट के फैसले के मुताबिक यह आरक्षण 27 फीसदी के ओबीसी कोटे में से ही दिया जाएगा। आरक्षण एक जनवरी से लागू होगा। बीजेपी के साथ साथ समाजवादी पार्टी ने भी इसका विरोध किया है। सपा नेता कमाल फारुकी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने मुसलमानों के साथ ज्यादती की है।
यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विरोधी दल केंद्र सरकार के इस फैसले को कांग्रेस की चुनावी चाल कह रहे हैं। यूपी में 18.5 मुस्लिम वोटर हैं। देश में 59.1 फीसदी मुसलमान साक्षर हैं। शहरों में इनकी तादाद 70 फीसदी है जबकि गावों में 62 फीसदी मुसलमान पढ़े-लिखे हैं।