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24 दिसंबर 2011

यह है गीता का ज्ञान


( श्रीगीताजी का माहात्म्य )
इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन ।
न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥
भावार्थ : तुझे यह गीत रूप रहस्यमय उपदेश किसी भी काल में न तो तपरहित मनुष्य से कहना चाहिए, न भक्ति-(वेद, शास्त्र और परमेश्वर तथा महात्मा और गुरुजनों में श्रद्धा, प्रेम और पूज्य भाव का नाम 'भक्ति' है।)-रहित से और न बिना सुनने की इच्छा वाले से ही कहना चाहिए तथा जो मुझमें दोषदृष्टि रखता है, उससे तो कभी भी नहीं कहना चाहिए॥67॥
य इमं परमं गुह्यं मद्भक्तेष्वभिधास्यति ।
भक्तिं मयि परां कृत्वा मामेवैष्यत्यसंशयः ॥
भावार्थ : जो पुरुष मुझमें परम प्रेम करके इस परम रहस्ययुक्त गीताशास्त्र को मेरे भक्तों में कहेगा, वह मुझको ही प्राप्त होगा- इसमें कोई संदेह नहीं है॥68॥
न च तस्मान्मनुष्येषु कश्चिन्मे प्रियकृत्तमः ।
भविता न च मे तस्मादन्यः प्रियतरो भुवि ॥
भावार्थ : उससे बढ़कर मेरा प्रिय कार्य करने वाला मनुष्यों में कोई भी नहीं है तथा पृथ्वीभर में उससे बढ़कर मेरा प्रिय दूसरा कोई भविष्य में होगा भी नहीं॥69॥
अध्येष्यते च य इमं धर्म्यं संवादमावयोः ।
ज्ञानयज्ञेन तेनाहमिष्टः स्यामिति मे मतिः ॥
भावार्थ : जो पुरुष इस धर्ममय हम दोनों के संवाद रूप गीताशास्त्र को पढ़ेगा, उसके द्वारा भी मैं ज्ञानयज्ञ (गीता अध्याय 4 श्लोक 33 का अर्थ देखना चाहिए।) से पूजित होऊँगा- ऐसा मेरा मत है॥70॥
श्रद्धावाननसूयश्च श्रृणुयादपि यो नरः ।
सोऽपि मुक्तः शुभाँल्लोकान्प्राप्नुयात्पुण्यकर्मणाम्‌ ॥
भावार्थ : जो मनुष्य श्रद्धायुक्त और दोषदृष्टि से रहित होकर इस गीताशास्त्र का श्रवण भी करेगा, वह भी पापों से मुक्त होकर उत्तम कर्म करने वालों के श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त होगा॥71॥
कच्चिदेतच्छ्रुतं पार्थ त्वयैकाग्रेण चेतसा ।
कच्चिदज्ञानसम्मोहः प्रनष्टस्ते धनञ्जय ॥
भावार्थ : हे पार्थ! क्या इस (गीताशास्त्र) को तूने एकाग्रचित्त से श्रवण किया? और हे धनञ्जय! क्या तेरा अज्ञानजनित मोह नष्ट हो गया?॥72॥
अर्जुन उवाच
नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वप्रसादान्मयाच्युत ।
स्थितोऽस्मि गतसंदेहः करिष्ये वचनं तव ॥
भावार्थ : अर्जुन बोले- हे अच्युत! आपकी कृपा से मेरा मोह नष्ट हो गया और मैंने स्मृति प्राप्त कर ली है, अब मैं संशयरहित होकर स्थिर हूँ, अतः आपकी आज्ञा का पालन करूँगा॥73॥
संजय उवाच
इत्यहं वासुदेवस्य पार्थस्य च महात्मनः ।
संवादमिममश्रौषमद्भुतं रोमहर्षणम्‌ ॥
भावार्थ : संजय बोले- इस प्रकार मैंने श्री वासुदेव के और महात्मा अर्जुन के इस अद्‍भुत रहस्ययुक्त, रोमांचकारक संवाद को सुना॥74॥
व्यासप्रसादाच्छ्रुतवानेतद्‍गुह्यमहं परम्‌ ।
योगं योगेश्वरात्कृष्णात्साक्षात्कथयतः स्वयम्‌॥
भावार्थ : श्री व्यासजी की कृपा से दिव्य दृष्टि पाकर मैंने इस परम गोपनीय योग को अर्जुन के प्रति कहते हुए स्वयं योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण से प्रत्यक्ष सुना॥75॥
राजन्संस्मृत्य संस्मृत्य संवादमिममद्भुतम्‌ ।
केशवार्जुनयोः पुण्यं हृष्यामि च मुहुर्मुहुः ॥
भावार्थ : हे राजन! भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के इस रहस्ययुक्त, कल्याणकारक और अद्‍भुत संवाद को पुनः-पुनः स्मरण करके मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ॥76॥
तच्च संस्मृत्य संस्मृत्य रूपमत्यद्भुतं हरेः ।
विस्मयो मे महान्‌ राजन्हृष्यामि च पुनः पुनः ॥
भावार्थ : हे राजन्‌! श्रीहरि (जिसका स्मरण करने से पापों का नाश होता है उसका नाम 'हरि' है) के उस अत्यंत विलक्षण रूप को भी पुनः-पुनः स्मरण करके मेरे चित्त में महान आश्चर्य होता है और मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ॥77॥
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः ।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ॥
भावार्थ : हे राजन! जहाँ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण हैं और जहाँ गाण्डीव-धनुषधारी अर्जुन है, वहीं पर श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है- ऐसा मेरा मत है॥78॥
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे मोक्षसन्न्यासयोगो नामाष्टादशोऽध्यायः॥18॥

कुरान का संदेश


आपकी किस्मत के दरवाजे खोल देगा यह फूल

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तंत्र क्रियाओं के अंतर्गत कई प्रकार की वनस्पतियों का उपयोग भी किया जाता है। नागकेसर के फूल का उपयोग भी तांत्रिक क्रियाओं में किया जाता है। नागकेसर को तंत्र के अनुसार एक बहुत ही शुभ वनस्पति माना गया है। यह फूल किस्मत दरवाजे भी खोल सकता है। काली मिर्च के समान गोल या कबाब चीनी की भांति दाने में डंडी लगी हुई गेरू के रंग का यह गोल फूल होता है। इसकी गिनती पूजा-पाठ के लिए पवित्र पदार्थों में की जाती है। तंत्र के अनुसार नागकेसर एक धनदायक वस्तु है। नीचे लिखे इस धन प्राप्ति के प्रयोग को अपनाकर आप भी धनवान बन सकते हैं-

- किसी पूर्णिमा को सोमवार हो उस दिन यह प्रयोग करें।

- किसी मन्दिर के शिवलिंग पर पांच बिल्वपत्रों के साथ यह फूल भी चढ़ाएं। इससे पूर्व शिवलिंग को कच्चे दूध, दही, शक्कर, घी, गंगाजल, आदि से धोकर पवित्र करें।

- पांच बिल्व पत्र और नागकेशर के फूल की संख्या हर बार एक ही रखना चाहिए।

- यह क्रिया अगली पूर्णिमा तक निरंतर रखें।

- आखिरी दिन चढ़ाए गये फूल तथा बिल्व पत्रों में से एक अपने घर ले आएं। यह सिद्ध नागकेसर का फूल आपकी किस्मत बदल देगा तथा धन संबंधी आपकी जितनी भी समस्याएं हैं, वह सभी समाप्त हो जाएंगी।

जानिए, कौन है बच्चों का प्यारा सांता


क्रिसमस का त्योहार हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार प्रेम व मानवता का संदेश तो देता ही है साथ ही यह भी बताता है कि खुशियां बांटना ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। सांता क्लॉज द्वारा बच्चों को गिफ्ट्स बांटना इसी बात का प्रतीक है। सांता क्लॉज का नाम सभी बच्चे विशेष रूप से जानते हैं। लाल रंग की वेशभूषा और सफेद दाड़ी वाले सांता क्लॉज बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। ये बच्चों को गिफ्ट बांटते हैं। आईए जानते हैं सांता क्लॉज कौन थे और इनका इतिहास क्या है-

लगभग डेढ़ हजार वर्ष पहले एक ईसाई संत हुए जिनका नाम था निकोलस। ऐसा माना जाता है कि वे ईसाई पादरी थे। निकोलस बहुत ही दयालु और परोपकारी थे। जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। संत निकोलस को बच्चों से खास लगाव था वे उन्हें बहुत प्रेम करते थे इसी वजह से बच्चों को हमेशा उपहार दिया करते थे। ऐसी मान्यता है कि संत निकोलस ने एक बार तीन गरीब लड़कियों की मदद की थी।

घर के बाहर इन तीन गरीब लड़कियों के मौजे लटक रहे थे। तभी संत निकोलस ने उन मौजों में सोने के सिक्के डाल दिए। इन सिक्कों से ही उन लड़कियों की शादी अच्छे से हो गई। तभी से दुनियाभर के बच्चों में क्रिसमस पर घर के बाहर मौजे लटकाने की परंपरा है। बच्चों का ऐसा मानना है कि संत निकोलस यानी सांता क्लॉज उन्हें बहुत सारे उपहार देंगे।

अचानक उठे खून के फब्बारे, चीख पुकार और फिर भगवान बन दौड़ पड़े वो!

जयपुर के जज्बे पर बच्चों ने कहा थेंक्यू

हड़ताली डॉक्टर घरों में सो रहे थे, लेकिन मेट्रोकर्मियों ने आधी रात को डॉक्टर की भूमिका निभाई और खून से लथपथ बच्चों को सवा घंटे में ही सलामत निकालकर असली हीरो का रोल अदा किया, उनकी जांबाजी को सलाम..

जयपुर.किसान धर्म कांटे के पास दिल्ली से टूर पर आए बच्चे शुक्रवार आधी रात के समय गाना गा रहे थे, अंत्याक्षरी में मशगूल थे। कुछ उनींदे थे कि बारह-बारह टन के पाइप बस को फाड़ कर अंदर घुस गए।

खून के फव्वारे छूट पड़े, चीखों के बीच पास ही काम कर रहे मेट्रो साइट के इंजीनियर बच्चों के लिए भगवान बनकर उभरे। हड़ताली डॉक्टर जहां मरीजों को छोड़ घरों में सो रहे थे, उस समय इंजीनियरों ने सवा घंटे में ही धैर्य और जांबाजी का परिचय देते हुए पाइपों को सूत भर भी बच्चों की तरफ खिसकने नहीं दिया और देखते ही देखते सभी बच्चों को सकुशल बाहर निकाल लिया।

इतने बड़े हादसे के बावजूद सभी की जान बचने पर आधी रात को सारे बच्चों ने भागने की बजाय इंजीनियरों को समूह में कांपते होठों से कहा- मैनी मैनी थैंक्स अंकल। जैसे ही थैंक यू जयपुर कहा तो इंजीनियरों की आंखें भर आईं और कुछ बच्चों को अपने लाड़लों की तरह गले लगा दिया।

मौत पर जिंदगी की जीत के जज्बे से भरे इस माहौल को जिस किसी ने देखा, वाह वाह कर उठा। घटनास्थल पर पहुंचते ही 30 मेट्रोकर्मियों के दल ने ठंड देखी ना रात और युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया।

कुछ इंजीनियर बस के अंदर घुसे तो कुछ ने बच्चों को बिना नुकसान पहुंचाए भारी पाइपों को किस तरह हटाया जाए इसकी रणनीति बनाई। पूरे दल ने आधी रात में सटीक रणनीति से बड़े काम को आसान कर दिया, जिससे सब बच्चों की जान बच गई।

सबसे पहले जांबाज इंजीनियर ऋषिकेश जोशी बस में घुसे और घायल बच्चों पर आए पाइपों का खतरा भांपा, बशीर अहमद ने तुरंत चार क्रेन मंगवा पाइप को बच्चों की तरफ खिसकने से रुकवाया।

बाहर निर्मल अग्रवाल व विशाल सिंह ने चार अन्य क्रेनों से पाइपों को बस से बाहर निकालने का काम शुरू कर दिया। इस दौरान जोशी और अहमद घायल बच्चों का हौसला बंधाते हुए उन्हें बाहर निकालते रहे।

बशीर बोले डरो मत बच्चों, हम आ गए हैं

जब बशीर अहमद (52) ने पाइप में घुसकर बच्चों की हालत देखी तो बच्चे और घबरा गए और पाइप का धक्का लगने से चीखने लगे। इस पर बशीर ने कहा डरो मत बच्चों मेट्रो वाले आ गए हैं। हादसे की सूचना मिलते ही बशीर मेट्रो वर्क छोड़, तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने बच्चों से कहा कि आप चिल्लाना बंद करो और हमारी मदद करो तभी आप को निकाल पाएंगे। इन्होंने आखिरी में फंसे छह बच्चों सकुशल निकाला।

श्वेता ने परिजनों को बताया, उन्हें जयपुर वालों ने कैसे बचाया

अस्पताल में भर्ती छात्रा श्वेता गुप्ता के पैरों में प्लास्टर बंधा है। दुर्घटना के दौरान जब लोग उसे बस से निकाल रहे थे तो वह बेहोश हो गई थी। उसे सिर्फ इतना पता था कि कोई अनजान व्यक्ति उसे गोदी में लेकर दौड़ रहा है और एंबुलेंस में लिटाया है। अस्पताल में रात को उसे होश आया तब रात डेढ़ बजे दिल्ली में मम्मी-पापा से बात की।

श्वेता अब उस क्षण को याद कर रही है जब उसे बस से निकालकर अस्पताल पहुंचाया। अब दिल्ली से उसके मम्मी-पापा भी आ गए हैं। सुबह उस अनजान व्यक्ति ने श्वेता को उसका मोबाइल भी अस्पताल में आकर दिया और कुशलता पूछकर चला गया।

श्वेता ने बताया उसके पैरों पर बड़ा पाइप गिर गया था। उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह पाइप कहां से आया। उसके पैर पूरी तरह से सुन्न हो गए थे। बचाने वालों के हाथ उस तक पहुंच गए थे, लेकिन वे निकाल नहीं पा रहे थे।

बस के बाहर से आवाज आ रही थी बेटी. चिंता मत करो। अभी निकाल लेते हैं। पापा अजय उन लोगों को धन्यवाद दे रहे हैं जिन्होंने बेटी को समय पर अस्पताल पहुंचाया।


साथी ने की सेवा

गगन साउथ दिल्ली पब्लिक स्कूल का नवीं कक्षा का छात्र है। वह आगे की सीट पर बैठा था। उसने बताया कि तेज आवाज के साथ झटका लगा और उसकी सीट टूट गई। पीछे से तेज तेज आवाजें आनी शुरू हो गई।

बस के ऊपर लगा लगेज का एक हिस्सा टूटकर उसके सिर पर आ पड़ा और सिर से खून बह निकला। कुछ ही देर में बेहोश हो गया। अस्पताल में होश आया। उसके सिर पर चोट लगी है। स्कूल प्रबंधन ने घर वालों से बात की तथा हालात सामान्य होने तथा जयपुर नहीं आने की बात कही।

गगन ने बताया कि उसका दोस्त अमन और स्कूल के टीचर उसकी देखभाल कर रहे हैं। शाम को गगन अन्य साथियों के साथ दिल्ली चला गया।

परिजन आए और लाड़लों को ले गए

इधर दुर्घटना की सूचना के बाद रात्रि को ही कई छात्रों के परिजन जयपुर पहुंच गए और साथ लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गए। कई छात्र जो अस्पताल में भर्ती थे और उनकी हालत सामान्य थी। उनको भी परिजन एंबुलेंस से अपने साथ ले गए।

जान बचाने का जुनून

मेट्रो साइट पर हाइड्रोलिक क्रेन को ऑपरेट करने वाले आजमगढ़ उत्तर प्रदेश निवासी अजय राज को फोन पर जैसे ही सूचना मिली, वे किसान धर्म कांटे के पास कार्य कर रही क्रेन को 15 मिनट में आपातकालीन शटडाउन कर मौके पर पहुंचे।

अजय राज ने बताया कि सामान्यतया यह क्रेन 1 घंटे में शट डाउन की जाती है लेकिन बच्चों की बस के हादसे की सूचना मिलने पर उनकी जान बचाने के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था।
अजय राज दिल्ली में लक्ष्मीनगर में हुए मेट्रो हादसे के समय भी रेस्क्यू ऑपरेशन कर चुके हैं।

जल्दबाजी करते तो बचाने के बजाय जान चली जाती

मैकेनिकल इंजीनियर दौसा में बांदीकुई निवासी ऋषिकेश ने बताया कि बस में जैसे ही घुसा तो बच्चों की चीख पुकार देखकर कुछ करने का सूझ नहीं रहा था।

आपातकालीन खिड़की को खोलकर बच्चों को अपने साथी अजीत सिंह की मदद से निकालना शुरू किया। आखिर में फंसे बच्चों को निकालने के बाद ही ऋषि बस से नीचे आए। उन्होंने बताया कि पाइपों को निकालने में थोड़ी सी भी जल्दबाजी कर देते तो जान बचाने के प्रयास में जान जा सकती थी।

खाना छोड़ घटनास्थल पर पहुंचे

मेट्रो में नाइट इंचार्ज विशाल सिंह ने बताया कि उन्होंने खाने के लिए टिफिन खोला ही था कि मोबाइल फोन पर हादसे का सूचना मिली। कार्य कर रहे सभी कर्मचारियों व क्रेन ऑपरेटरों को तुरंत घटनास्थल पर पहुंचने को कहा। पांच मिनट में जब तक मै वहां पहुंचा तब तक रेस्क्यू कार्य शुरू हो चुका था।

विशाल ने ही 108 बुलाई व पूरे ऑपरेशन को बखूबी कॉआर्डिनेट किया, जिससे न तो जाम लगा और न ही कोई अनहोनी हुई। सवा घंटे में सभी बच्चों को सकुशल बाहर निकाला।

थैंक्स जयपुर

निशांत छाबड़ा के पैर में फ्रैक्चर हो गया था, जिसे शनिवार दोपहर में छुट्टी मिल गई। निशांत के जहन में रह-रहकर रात को अनजान लोगों द्वारा भगवान की तरह आकर उन्हें बचाने का दृश्य चल रहा था और उसके मुंह से एक ही शब्द निकल रहा था थैंक्स जयपुर। बेटे की घायल होने की सूचना मिलते ही दिल्ली से मां रात तीन बजे रवाना हो गई। अस्पताल में मां को लिपटकर सकुशल होने के बारे में बताया।

परिवार वालों को सूचना दे दी थी, लेकिन घने कोहरे के कारण स्कूल प्रबंधन ने यही कहा कि बेटे की हालत सामान्य है। सवेरा होने पर ही जयपुर के लिए रवाना हों, लेकिन मम्मी बेटे से मिलने को आतुर थी। रात तीन बजे दिल्ली से कोहरे में ही रवाना हो गए। सुबह बेटे को देखा तो राहत की सांस ली।

जयपुराइट्स के हाथों का जादू हर चीज़ में डाल देता है जान!

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कहते हैं जयपुराइट्स के हाथों में जादू है। चाहे पत्थर हो, धातु हो, मिट्टी या फिर लैदर, ये जिसे भी छूते हैं, आकार लेने लगता है, जान आ जाती है.. और फिर इनके हाथ बन जाते हैं हमारी जिंदगी, हमारा घर, हमारी खुशी

जयपुर ऐसा शहर है, जिसकी विविध हस्तकलाओं की बहुरंगी छटा राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। फिर बात चाहे सतरंगी बंधेज की हो, या फिर पंचरंगी लहरिया, मंदिर में बोलती संगमरमर की मूर्तियों, कुंदन की जड़ाई वाले रत्नाभूषणों, सुहाग का प्रतीक लाख के चूड़े या फिर ट्रेडिशनल कशीदे की जूतियों की हो, सभी अपने आप में राजस्थान की शान और संस्कृति को दर्शाते हैं।

शहर में होने वाली रंगाई-छपाई और बंधेज का कार्य सांगानेरी प्रिंट की बेडशीट छोटी-छोटी बुंदकियों के जाल में कल्पना के धागों से बंधी जयपुरी बंधेज की साड़ियां और ओढ़नियां युवतियों की चाहत के अलावा फैशन का भी प्रमुख अंग बन गई हैं। यहां का क्राफ्ट देश भर में भेजा किया जा रहा है।

ट्रेडिशनल डिजाइन्स को अब कंटम्परेरी डिजाइन में बनाया जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट डिजाइनर मनोज यादव ने बताया कि पिछले 15 सालों के मुकाबले अब लैदर क्राफ्ट 50 गुना बढ़ गया है। मनिहारों का रास्ता जयपुर का ऐसा मोहल्ला है, जहां नगीनों की जड़ाई के हिसाब से चूड़ो की कीमत अलग-अलग होती है।

मेटल वर्क

बीटन मेटल को ठठेरा क्राफ्ट भी कहा जाता है। किशनपोल बाजार में ठठेरों का मोहल्ला है, जहां इस क्राफ्ट का काम दिनभर होता है। शुरुआत में यह क्राफ्ट मंदिरों के शिखर बनाने के काम आता था, लेकिन अब यही क्राफ्ट मंदिरों से निकलकर होम डेकोरेशन के प्रोडक्ट बन गए हैं।

घर और होटलों में बीटन मेटल का क्राफ्ट पॉट और बाउल्स व लाइट्स में इस्तेमाल किया जा रहा है। इस व्यवसाय ने करीब 90 प्रतिशत तक ग्रोथ की है। डेकोरेशन के लिए इनमें चिताई, कार्विग और बीटन जाली डिजाइन में बनाया जा रहा है। इस क्राफ्ट में डिजाइनर नए एक्सपेरिमेंट्स कर रहे हैं।

विदेशों में है लाख की डिमांड

लाख क्राफ्ट की देश में ही नहीं, विदेशों में भी खासी डिमांड है। जयपुर में जहां लाख का उपयोग 2 से 3 प्रतिशत चूड़े बनाने में किया जा रहा है, वहीं अब 95 प्रतिशत लाख विदेशों में एक्सपोर्ट की जा रही है।

डवलप कंट्रीज में दवा के रूप में लाख का प्रयोग किया जा रहा है। पीपल, बेरी, बड़, पलाश और कुमकुम के पेड़ों से लाख प्राप्त की जाती है। इसकी चूड़ी बनाने से पहले उसका रंग तैयार करना, कुटाई, नग लगाना, चूड़ी काटना और सेंकना आदि के जरिए बनाया जाता है।

लैदर आर्ट का बदला स्टाइल


जो लैदर सिर्फ जूतियों तक ही सीमित था अब लाइफ स्टाइल प्रोडक्ट्स में अपनी पहचान बना रहा है। बैग, पर्स, बेल्ट और ज्वैलरी जैसे प्रॉडक्ट्स में इसका इस्तेमाल हो रहा है। प्रोडक्शन से लेकर एक्सपोर्ट करने के तरीकों में भी खासा बदलाव आया है। लैदर क्राफ्ट डिजाइनर जितेंद्र यादव ने बताया कि जयपुर के करीब पांच हजार लोग लेदर क्राफ्ट से जुड़े हैं।


ब्लू पॉटरी में जयपुर का सिग्नेचर स्टाइल

जयपुर में ब्लू पॉटरी का जन्म महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय के जमाने में ही हो गया था

जयपुर की ब्लू पॉटरी की इंटरनेशनल लेवल पर अपनी अलग ही पहचान है। यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ब्लू पॉटरी में जयपुर का अपना स्टाइल सिग्नेचर है। जयपुर में ब्लू पॉटरी का जन्म महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय के जमाने में ही हो गया था।

अगर हम पिछले पंद्रह साल में जयपुर में ब्लू पॉटरी के व्यवसाय की बात करें, तो इसमें तेजी से बदलाव आया है। इससे न केवल एम्प्लॉयमेंट बढ़ा है, बल्कि आधुनिकता की चमक को देखते हुए इसकी बनावट में भी काफी बदलाव आया है।

शुरू-शुरू में तो ब्लू पॉटरी मार्केट में सादगी के साथ उपलब्ध थी, लेकिन इसमें छुपे एक्सपोजर को देखते हुए कई ब्लू पॉटरी एंटरप्रिन्योर्स ने समय के साथ डिजाइन और स्टाइल में बदलाव किए। यही वजह है कि जयपुर की ब्लू पॉटरी की इंटरनेशनल लेवल पर अपनी अलग पहचान है।

ब्लू पॉटरी के बारे में विस्तार से बताते हुए ब्लू पॉटरी एक्सपोर्टर लीला बोरड़िया कहती हैं, ब्लू पॉटरी को एक आधुनिक रूप देने के लिए बीड्स ज्वैलरी को काम में लिया।

इस तरह का प्रयोग सबसे पहले जयपुर मे ही हुआ, बाद में हर जगह इसका प्रयोग किया जाने लगा। अभी हम लोग ब्लू पॉटरी के साथ ब्रास, वुड और रॉट ऑयरन का भी प्रयोग कर रहे हैं। ताकि खूबसूरती के साथ फंक्शनल वैल्यू भी बढ़ जाए।

वेडिंग्स में छाया पपेट शो

शहर में होने वाली रॉयल वेडिंग्स में हॉलीवुड और बॉलीवुड सेलिब्रिटीज तो शान बढ़ाती ही हैं। आजकल जयपुर की कला को एक नई पहचान देने के लिए इन वेडिंग में पपेट शो ने भी जगह बना ली है। वजह साफ है बड़ी सेलिब्रिटीज के साथ ही अंगुलियों पर नाचती कठपुतलियां रंग जमाने में कम नहीं हैं। हर किसी को इनकी प्रस्तुति शर्तिया पसंद आती है।


पिछले कुछ सालों पर गौर किया जाए तो हम पाते हैं कि शहर में हर महीने होने वाली अनेक शादियों में कठपुतली का खेल देखने को मिल रहा है। इस बारे में पपेट शो दिखाने वाले राजेश भाट नागौरी बताते हैं, शुरू - शुरू में पपेट शो शादियों में कम पसंद किए जाते थे, लेकिन कठपुतलियों की स्टाइल और नई थीम से अब वेडिंग्स में पपेट शो की मांग बढ़ी है।

आम तौर पर पपेट शो में राजा अमर सिंह राठौड़ की कहानी को बयां किया जाता है, लेकिन अब वक्त की मांग को देखते हुए हमने पपेट शो में नये कॉन्सेप्ट ईजाद किए हैं। शो की कीमत की बात करूं, तो 5 से 10 हजार तक है।

वर्चुअल आर्ट गैलेरी


आज इंटरनेट आर्ट गैलरी तक भी पहुंच चुका है। जयपुर के हुनर को दुनिया में हर कोई पहचान सके, इसलिए यहां के कलाकार अब खुद की वेबसाइट और वर्चुअल गैलरी डवलप कर रहे हैं। इससे न केवल हैंडीक्राफ्ट का मार्केट बढ़ा है, बल्कि कलाकारों का भी बायर्स से संपर्क ज्यादा हुआ है।


यही वजह है कि ऑनलाइन एग्जीबिट्स का मार्केट साल दर साल 20 से 30 परसेंट डवलप हो रहा है। आज लाखों रुपए के हैंडीक्राफ्ट आइटम्स ऑनलाइन सेल किए जा रहे हैं। इनमें खास तौर पर राजस्थानी और मुगल शैली के साथ कंटम्परेरी आर्ट का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है।

पर्यटकों को लुभाएगी


लैदर ज्वैलरी

ट्रेडिशनल हैंडीक्राफ्ट को मार्केट में बनाए रखने के लिए हैंडी क्राफ्ट्स में नित नए एक्सपेरिमेंट किए जा रहे हैं। हाल ही में रूडा (रूरल नॉन फर्म डवलपमेंट एजेंसी) की ओर से उदयपुरिया में एक प्रोजेक्ट में पहली बार लैदर ज्वैलरी बनाई गई है। लाइफ स्टाइल के इस प्रोडक्ट को बनाने में ट्रेडिशनल और मॉडर्न लुक का खास ध्यान रखा गया है।


करीब 40 से 50 क्राफ्ट डिजाइनर्स ने मिलकर लैदर ज्वैलरी कॉन्सेप्ट को तैयार किया। इस ज्वैलरी की खास बात ये है कि ये पर्यटक, हाई क्लास सोसायटी, फैशन स्टोर्स और मॉल में सप्लाई की जाएगी। करीब 6 महीने में बनकर तैयार हुई इस ज्वैलरी प्रोडक्ट से आर्टिजन के लिए रोजगार बढ़ने की संभावनाएं हैं। सैम्पल जल्द ही स्टोर्स और मॉल्स में डिसप्ले किए जाएंगे।

सॉफ्ट लैदर का हार

सॉफ्ट लैदर से ज्वैलरी में हार बनाया गया है। सॉफ्ट लैदर में स्मेल नहीं आती है इस कारण इसका इस्तेमाल ज्वैलरी बनाने में किया जा रहा है। डवलपमेंट कमिश्नर ऑफ हैंडीक्राफ्ट के ए.डी. शंकर डंगायच ने बताया कि, ट्रेडिशनल टच को बरकरार रखने के लिए लैदर हार में जैम स्टोन का इस्तेमाल किया गया है।

स्टोन को टाई करने के लिए पटवा और एम्ब्रॉयडरी का इस्तेमाल किया गया है। पीतल की एसेसरीज का इस्तेमाल कर हार को एंटीक लुक देने की कोशिश की गई है। पर्यटकों के लिए ये ज्वैलरी खास आकर्षण का केन्द्र होगी।

स्टोन में बना ताज

फैशन स्टोर्स के लिए डिजाइनर्स ने पूरा सेट तैयार किया है। इसमें ताज,नेकलेस, बाजूबंद,बैल्ट और फुट वेयर्स शामिल है। लैदर की बनी इन एंटीक ज्वैलरी को कंटम्परेरी डिजाइन में बनाया गया है। स्टोन, थ्रेड और ब्रास वर्क के साथ इनके डिजाइन बनाए गए हैं। मॉडल्स जब मॉडर्न ड्रैस पर ये ट्रेडिशनल ज्वैलरी पहनेगी तो एक नया कॉम्बिनेशन नजर आएगा। गल्र्स को ध्यान में रखते हुए बैल्ट स्टाइल का कमरबंद भी बनाया गया है।

लैदर पर हैंड प्रिंटिंग

लैदर की क्वालिटी को बरकरार रखते हुए लैदर प्रोडक्ट्स पर टाई एंड डाई ब्लॉक प्रिंट और ट्रेडिशनल प्रिंटिंग की गई है। लैदर ज्वैलरी में भी कुछ ऐसी ज्वैलरी है जिन पर सिर्फ प्रिंट करके उन्हें ट्रेडिशनल लुक दिया गया है।

रंगों में भी नयापन

अब तक लैदर के प्रॉडक्ट में सिर्फ दो ही रंग ब्लैक और ब्राउन देखने को मिलते थे, लेकिन क्राफ्ट डिजाइनर ने ज्वैलरी करीब 6 से 7 रंगों में बनाई है। फिरोजी, रानी, लाल और ब्लू आदि रंगों से लैदर ज्वैलरी बनाई गई है।

प्राइजत्न25 रुपए से 5 हजार रुपए

हैंडमेड पेपर में डिजाइन इनोवेशन

कागज के बारे में सोचते ही सांगानेर का नाम जुबान पर आना लाजिमी है, क्योंकि हाथ कागज का पर्याय सांगानेर को ही माना जाता है। सांगानेर एक ओर छपाई के लिए प्रसिद्ध है, वहीं हाथ कागज का पर्याय भी बन चुका है। पिछले पंद्रह सालों की बात करें, तो सांगानेर कागज से बने आइटम्स न केवल पूरे भारत में, बल्कि यूएसए जैसे देशों में भी अपने पैर जमा चुके हैं।

दुनियाभर में सांगानेरी कागज से बने आइटम्स की मांग इतनी है कि पिछले कुछ सालों में इसके व्यवसाय में दस गुना तक बढ़ोतरी हुई है। हैंडमेड पेपर के लिए सलीम पेपर का कागज में अपना सिग्नेचर है। सलीम कागजी कहते हैं, हमारे डिस्ट्रीब्यूटर यूएसए में भी हैं।

मार्केट में हम बने रहें, इसके लिए जरूरत पड़ने पर हम बदलाव भी ला रहे हैं। फिलहाल सिल्क स्क्रीन कागज का प्रयोग डिजाइनर शॉपिंग बैग्स, डेकोरेटिव प्रिंटेड पेपर गिफ्ट के लिए तैयार कर रहे हैं। इस कागज को हम कॉटन वेस्टेज और होजरी से रॉ मेटेरियल से तैयार कर रहे हैं, ताकि इनका ड्यूरेशन टाइम लंबा हो।

जयपुर हस्तकला में समृद्ध है, लेकिन इस अनमोल कला के साथ तकनीक शामिल होगी तो कला बच पाएगी। लोक कलाओं को बचाने के लिए हस्तशिल्प को तकनीक से मिलाना होगा।

6 फरवरी तक अपमानजनक कंटेंट हटाएं फेसबुक-गूगलः कोर्टं



नई दिल्‍ली. 21 सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स को यहां की एक अदालत ने अगली 6 फरवरी तक अपनी वेबसाइट से अपमानजनक कंटेंट हटाने के लिए कहा है। इन वेबसाइट्स में फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, याहू, यूट्यूब भी शामिल हैं। शनिवार को दिए आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित वेबसाइट के प्रतिनिधि अदालत के आदेश पर अमल सुनिश्चित करने की सूचना भी दें।

इससे पहले अदालत ने फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट समेत 21 सोशल नेटवर्किंग साइटों को आपत्तिजनक विषय वस्तु प्रदर्शित करने के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए समन जारी किया है। अदालत ने एक निजी शिकायत पर संज्ञान लेते हुए ये आदेश दिए। इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह इस संदर्भ में तत्काल उपयुक्त कदम उठाए और 13 जनवरी तक रिपोर्ट दाखिल करे।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार ने कहा कि दस्तावेजों को देखने से प्रथम दृष्ट्या प्रतीत होता है कि आरोपी एक-दूसरे से मिले हुए हैं और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ ऐसी अभद्र सामग्रियों को बेच रहे थे या सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित कर रहे थे। ऐसा प्रतीत होता है कि इसे देखने, पढऩे और सुनने वाले लोगों को विकृत बनाने के लिए किया गया। मजिस्ट्रेट ने कहा कि यह भी स्पष्ट है कि ऐसी सामग्री लगातार खुलेआम और आजादी से हर व्यक्ति को उपलब्ध है, जो इस नेटवर्क का प्रयोग कर रह है। चाहे उसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो या उससे ऊपर। अदालत ने उक्त कंपनियों को आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने), 292 (अश्लील पुस्तकों का विक्रय आदि) और 293 (युवा व्यक्ति को अश्लील वस्तुओं का विक्रय आदि) के तहत अपराध करने पर मुकदमे का सामना करने के लिए समन जारी किया है।

अदालत ने मामले के शिकायतकर्ता और पत्रकार विनय राय द्वारा प्रेषित वेबसाइट सामग्री, जिसमें पैगम्बर मोहम्मद, ईसा मसीह और कई हिंदू देवी-देवताओं से संबंधित अश्लील चित्र और अपमानजनक लेख मौजूद थे, पर भी गौर किया। मजिस्ट्रेट ने कहा कि अदालत के रखे गए रिकार्ड में कई भारतीय राजनेताओं से संबंधित मानहानिकारक और अश्लील लेख भी मौजूद हैं।

मजिस्ट्रेट ने कहा कि ऐसी सामग्री हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोगो की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाती है और उनके प्रति असम्मान प्रदर्शित करती है। लिहाजा प्रथम दृष्ट्या पाते हुए आरोपियों को आईपीसी की धारा 153 ए (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने), 153 बी (राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन व प्राख्यान) और 295 (धर्म और धार्मिक आस्था का अपमान) के तहत भी तलब किया जा सकता है।

मेरी क्रिसमस: जाने क्या महत्त्व है,स्टार, मोमबत्ती और बेल का!




क्रिसमस का पर्व रविवार को मनाया जाएगा। पर्व की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है। सांता घर-घर जाकर गिफ्ट बांटेंगे। घरों में पकवान भी बनेंगे।

वहीं घरों को शानदार ढंग से सजाया जा चुका है। घर की सजावट के लिए स्टार, बेल्स, लाइट्स का उपयोग किया गया है। जिलेभर के गिरजाघरों में भी प्रार्थना होंगी। गिरजाघरों को भी सजाया गया है।
खुशी का संकेत देते हैं स्टार
स्टार :
कहा जाता है कि जब प्रभु यीशु ने जन्म लिया था तो एक सितारा आसमान में नजर आया जिसे देखकर राजा भी हैरान रह गए, लेकिन वह समझ गए कि दुनिया में कोई मसीहा जन्मा है। यानी कि स्टार खुशी का संकेत देता है।
मोमबत्ती :
क्रिसमस पर मोमबत्ती जलाने का चलन है। मानना है कि इसकी लौ सीधी रहती है।
बेल्स :
कोई भी काम शुरू करने से पहले घंटी बजाना शुभ माना जाता है। प्रभु यीशु के जन्म पर भी घंटी बजाई गई थी, इसलिए क्रिसमस के दिन घंटियां सजाई जाती हैं।

मेरे पीछे लट्ठ लेकर पड़े हैं मुख्यमंत्री, मुझे चापलूसी मंजूर नहीं'

अखिल भारतीय आदर्श जाट महासभा की ओर से शुक्रवार को चौधरी चरण सिंह जयंती के मौके पर यहां रावण का चबूतरा मैदान पर आयोजित किसान स्वाभिमान रैली में वक्ताओं ने कांग्रेस पार्टी, सीबीआई और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधा।

बायतू विधायक कर्नल सोनाराम ने कहा कि भंवरी मामले को चंद दिन बाद ही सीबीआई को सौंपना एक साजिश है। क्या राज्य सरकार के पास कोई एजेंसी नहीं है? हमें यह पता लगाना है कि पर्दे के पीछे कौन काम कर रहा है।

रैली में कर्नल सोनाराम ने कहा कि मुख्यमंत्री उनके पीछे लट्ठ लेकर पड़े हुए हैं। जो भी मेरी खिलाफत करने वाला था, उसे ‘यह’ किसी न किसी पद का तोहफा दे रहा है।

मंत्री बनने के लिए मुझे किसी की चापलूसी मंजूर नहीं है। उन्होंने भंवरी प्रकरण में 139 सीडी होने का खुलासा करते हुए कहा कि इसमें कई अफसरों के नाम हैं। कांग्रेस का एक बड़ा नेता भी है।
खबरों में उसका नाम आ रहा है। अब तक उसने चैनल के खिलाफ मानहानि का दावा क्यों नहीं किया। रामलाल जाट को मंत्री पद से हटाए जाने के संबंध में उन्होंने कहा कि जब उनकी कोई गलती नहीं थी तो उन्हें क्यों हटाया गया।

घर बैठे-बैठे अमेरिका तक को मार गिराने की तैयारी कर रहा है यह देश

मॉस्को. रूस की सेना ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम तथा अन्य महाद्वीपों में जाकर दुश्मन के ठिकाने को नेस्तनाबूद करने की क्षमता वाली दो मिसाइलों का सफल प्रक्षेपण किया है।

रिया नोवोस्ती संवाद समिति ने रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल आइगोर कोनाशेनकोव के हवाले से बताया कि रूस के पश्चिमोत्तर तट के पास श्वेत सागर में एक पनडुब्बी से बुलावा नाम के इन प्रक्षेपाणों का परीक्षण किया गया है और पूरी प्रक्रिया योजना के मुताबिक संचालित हुई। मिसाइल ने प्रशान्त महासागर में कामचात्का प्रायद्वीप में अपने-अपने निशानों पर अचूक वार किया। यह इस श्रृंखला का चौथा सफल परीक्षण है।

रूस ने वर्ष 2005 से अब तक कुल 18 बुलावा मिसाइलों का परीक्षण किया है जिनमें से 11 सफल रहीं हैं। सबसे अंत में जिन मिसाइलों का परीक्षण किया गया है वे कम से कम 8000 किलोमीटर की दूरी का सफर तय करके दुश्मन के ठिकाने को नेस्तनाबूद करने में सक्षम हैं साथ ही वे कई तरह के वॉरहेड को ले जाने की भी क्षमता रखती हैं और अलग-अलग लक्ष्यों को भेद सकती हैं।

बुलावा मिसाइलें सोवियत संघ के जमाने की मिसाइलों का स्थान लेंगी। पुरानी होने तथा अमेरिका के साथ समझौते के कारण रूस पुरानी मिसाइलों को हटा रहा है। बुलावा मिसाइलों को मेस या एसएस-एनएक्स-30 नाम से भी जाना जाता है।

चुनावों की घोषणा, यूपी में 4 फरवरी से मतदान



लखनऊ/नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव तारीखों की घोषणा कर दी है। देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में चुनाव 4 फरवरी से होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने बताया कि पांचों राज्यों में चुनाव एक साथ होंगे। आज से चुनाव आचार संहिता लागू कर दी गई है।
यूपी में 403 विधान सभा सीटों पर विधान सभा चुनाव होने हैं। यूपी में 85 सीटें एससी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रखी गई हैं। उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होंगे। चुनाव 4 फरवरी, 8 फरवरी, 11 फरवरी, 15 फरवरी, 19 फरवरी, 23 फरवरी, 28 फरवरी को होंगे।

उत्तर प्रदेश में कुल 128112 बूथों पर सात चरणों में मतदान होगा। मणिपुर में चुनाव 28 जनवरी जबकि उत्तराखंड और पंजाब में 30 जनवरी को होंगे। गोवा में चुनाव 3 मार्च को होंगे। 4 मार्च को सभी राज्यों के चुनावों के नतीजों की घोषणा कर दी जाएगी। चुनावों के दौरान मतदाताओं को पहचान पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। सभी जगह चुनावों इवीएम मशीन के जरिए होंगे।

अच्छा हुआ तुम आ गई

एक रात पत्नी शॉपिंग करके घर आई। बेडरूम में जाकर देखा तो रजा़ई में उसे चार पैर नज़र आए। वह गुस्से से आग बबूला हो गई। उसने क्रिकेट बैट उठाया और बिस्तर पर कूद पड़ी। जबरदस्त पिटाई करने के बाद जब वह खुशी मन से रसोई में जा रही थी तभी अचानक उसकी नज़र पति पर पड़ी। उसका पति बाथरूम से नहाकर निकल रहा था। पति ने पत्नी को देखकर मुस्कुराते हुए कहा: अच्छा हुआ तुम आ गई। तुम्हारे मम्मी-पापा आ गए हैं। मैंने उन्हें अपने कमरे में सुला दिया है।

जानें, यीशु की वह 1 बात! जिससे अधूरा नहीं रहता कोई काम या सपना

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क्रिसमस का दिन ईसा मसीह के जन्म की शुभ घड़ी मानी जाती है। यह घड़ी उत्साह, उमंग, उल्लास, स्नेह से भरपूर होती है। इस दिन क्रिसमस ट्री के दमकते सितारे हो या सेंटा क्लॉज के उपहार उम्मीदों की रोशनी से जीवन की राह आसान बनाने वाले होते हैं।

जीवन के सकारात्मक पक्ष से जोडऩे वाली इन सभी भावनाओं के उजागर होने के पीछे मन का ही एक भाव अहम होता है। यह भाव है - क्षमा। प्रभु ईसा ने इसी भाव को न केवल उपदेशों द्वारा बल्कि स्वभाव, व्यवहार में अपनाकर वास्तविक सुख व शांति पाने का श्रेष्ठ व अहम सूत्र बताया।

दरअसल, व्यावहारिक रूप से क्षमा भाव तभी संभव होता है, जब मन, वचन, विचार या स्वभाव में प्रेम का भाव समाया हो। जिसके लिये भी सत्य से जुडऩा जरूरी है। प्रभु यीशु के द्वारा जीवन को खुशहाल बनाने के लिये दी गई ऐसी ही एक सीख में इंसान या ईश्वर से रिश्ता बनाने में क्षमा के साथ प्रेम और सत्य की अहमियत भी उजागर होती है।

जीसस के उपदेशों के एक बेहतरीन ग्रंथ सर्मन आन दी माऊण्ट में क्षमा कहा गया है कि -

अगर तू ईश्वर के सामने अर्पण हेतु कुछ लाता है और वहां पर तुझे अपने भाई से विरोध और वैमनस्यता का स्मरण होता है तो तू वापस लौट जा और पहले अपने भाई से विरोध समाप्त कर ले, घृणा समाप्त कर ले, वैमनस्यता कर ले, क्षमा करना सीख ले और जब ऐसा कर सके तब ईश्वर के समक्ष आ, तभी तेरा अर्पण ईश्वर को स्वीकार होगा।

इस बात से साफ है कि जीवन में किसी भी लक्ष्य या सपना को पूरा करने के लिए क्षमा भाव से मन को नियंत्रित रखें। मन में दूसरों के प्रति दुर्भावना या कटुता को बिल्कुल जगह न दें। संबंधों को विनम्रता और क्षमाशीलता द्वारा सहज, सरल और सुगम बनाये रखें। जिससे मन स्वस्थ रहेगा और सुख, सफलता व शांति की आस पूरी होगी। इसलिये ईसा को याद कर बस, क्षमा करना सीखें।

हिमालय में नजर आए वह दिव्य पुरुष थे ईसा मसीह..!

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ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथ बाइबल के मुताबिक प्रेम ही ईश्वर का स्वरूप है। प्रभु यीशु भी प्रेम की साक्षात् मूर्ति माने जाते हैं। प्रभु यीशु का यही सबक था कि शांति व हर प्राणी में बसे प्रेम रूपी इसी ईश्वर से जुड़े बिना किसी भी धर्म का पालन करना संभव नहीं। उनका जन्मदिवस क्रिसमस डे भी प्रेम और शांति का ऐसा ही पैगाम लेकर आता है।

प्रभु यीशु यानी ईसा मसीह द्वारा सिखाए गए मानव धर्म और प्रेम के संदेशों से जुड़ा प्रसंग हिन्दू धर्मग्रंथों में भी मिलता है। जिसके मुताबिक ईसा मसीह हिमालय के शिखरों पर दिखाई दिए व धर्म व प्रेम से जुड़ी बातों को उजागर किया।

जी हां, हिन्दू धर्मग्रंथ भविष्य पुराण की कथा के मुताबिक प्रतापी राजा विक्रमादित्य के बाद जब बाहरी शासक हिमालय के रास्ते भारत में आकर आर्य संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट करने लगे। उस वक्त विक्रमादित्य के पौत्र शालिवाहन ने उनको पराजित किया। साथ ही रोम, कामरूप आदि देशों के अत्याचारियों को पकड़ दण्डित भी किया। राजा ने ऐसे दुराचारियों यानी म्लेच्छों के लिये सिन्धु नदी के उस पार का क्षेत्र नियत किया। वहीं, आर्यों के लिये सिंधु प्रदेश।

इसी दौरान एक बार जब राजा शालिवाहन हिमालय क्षेत्र में पहुंचे तो वहां उन्हें एक गोरा, सुन्दर, सफेद वस्त्र पहनें दिव्य पुरुष दिखाई दिया। उनसे परिचय पूछने पर उन्होंने स्वयं को ईश्वर का पुत्र बताया। साथ ही बताया कि वह कुंवारी मां के गर्भ से जन्मे धर्म प्रचारक व सत्य व्रत का पालन करने वाले हैं।

राजा द्वारा उनका धर्म पूछने पर ईशपुत्र ने बताया कि मैं म्लेच्छ प्रदेश में सत्य व मर्यादा का नाश हो जाने से धर्म स्थापना के लिए आया हूं। यही नहीं, उस दिव्यात्मा ने धर्म पालन के लिए मन और तन की मलीनता को दूर करने, सत्य व न्याय को अपनाने व ईश्वर प्रेम को जरूरी बताया।

इस पौराणिक कथा के मुताबिक धर्म, सत्य और प्रेम से भरे आचरण से ही उस दिव्य पुरुष के हृदय में ईश्वर का वास हुआ। जिससे वह ईसा मसीह के रूप में प्रसिद्ध हुए। राजा शालिवाहन ने धर्म संदेश सुन उनको प्रणाम किया, म्लेच्छों के कल्याण के लिए स्थान बताया और अपने राज्य में आकर अश्वमेध यज्ञ किया।

जानिए, कैसे हुआ था प्रभु यीशु का जन्म



प्रभु यीशु के जन्म के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। यीशु के जन्म के संबंध में ईसाई धर्म में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। उसके अनुसार-

यूसुफ तथा उसकी मंगेतर मरियम नजरेन में रहते थे। मरियम को स्वप्न में भविष्यवाणी हुई कि उसे देवशिशु के जन्म के लिए चुना गया है। इसी बीच सम्राट ने नए कर लगाने हेतु लोगों के पंजीकरण की घोषणा की, जिसके लिए यूसुफ और मरियम को अपने गांव बेथलहम जाना पड़ा। मरियम गर्भवती थी।

कई दिनों की यात्रा के बाद वह बेथलहम पहुँची। तब तक रात हो चुकी थी। उसे सराय में विश्राम के लिए कोई स्थान न मिल सका। जब यूसुफ ने विश्रामघर के रक्षक को बताया कि मरियम गर्भवती है और उसका प्रसव समय निकट है तो उसने पास के अस्पबल के विषय में बताया। यूसुफ और मरियम उस अस्तबल में पहुँचे। अगले दिन सुबह मरियम ने उसी अस्तबल में एक शिशु को जन्म दिया। बारह वर्ष की उम्र ने यीशु ने ही धर्मचर्या में श्रोताओं को मुग्ध कर लिया।

यीशु के धर्म प्रचारों के कारण यहूदी शासक और कट्टरपंथी उनके विरोधी बन गए। उन पर अनेक अपराध थोपे गये। कोड़े मारे गए। सूली पर लटकाया गया। मृत्युदंड दिया गया। क्रिसमस का त्योहार यीशु के जन्मदिन यानी मुक्तिदाता मसीहा के धरती पर लिए गए अवतार के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

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