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26 दिसंबर 2011

सर्दी स्पेशल: घर में बनाकर खाएं च्यवनप्राश बनाएं


सर्दी में शरीर स्वस्थ व सुडौल बनाने के लिए पौष्टिक आहार के साथ ही अधिकतर लोग बाजार का बना च्यवनप्राश का भी सेवन करते हैं। लेकिन बाजार के बने च्यवनप्राश में कई तरह के प्रिजर्वेटिव्स होते हैं जो कि शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं। इसीलिए आज हम बताने जा रहे हैं कि किस तरह आप घर पर ही आयुर्वेदिक च्यवनप्राश बना सकते हैं।

कैसे बनाएं च्यवनप्राश- च्यवनप्राश में मुख्य सामग्री आवंला सहित निम्न प्रकार की सामग्री प्रयोग की जाती है। ये अधिकतर इस तरह की दवाएं बेचने वाले पंसारी के पास आराम से मिल जातीं है। च्यवनप्राश को बनाते समय मिलाने वाली जड़ी बूटियों में यदि कुछ न भी मिले तो जो उपलब्ध हैं आप उन्हीं से च्यवनप्राश बना सकते हैं। इनमें निम्न पांच तरह की सामग्री प्रयोग होती है।

प्रधान सामग्री

आवंला - 5 किलो

संसाधन सामग्री

(50 ग्राम) प्रत्येक औषधि

पाटला, अरणी,गंभारी,विल्व ,श्योनक(अरलु) (-इनकी छाल)7 गोखरू,शालपर्णी, प्रष्टपर्णी, छोटी कटेली,बड़ी कटेली- इनका पंचांग (अर्थात जड़ समेत पूरा पोधा),पीपल, काकड़ासिंघी, मुनक्का,गिलोय,हरड,खरेंटी,भूमिआवला,अडूसा,जीवन्ती,कचूर,नागरमोथा,पुष्करमुल,कोआठाडी,मुंगपर्णी, माषपर्णी, विदारीकंद,सांठी,कमलगट्टा,छोटीइलायची,अगर,चन्दन,अष्टवर्ग(ॠद्धि, वृधि, मेदा, महामेदा, जीवक, ॠषभक, काकोली, क्षीरकाकोली) या इनके नहीं मिलने पर प्रतिनिधि द्रव्य (खरेंटी,पंजासालब,शकाकुल छोटी, शकाकुल बड़ी,लम्बासालब,काली मुसली, सफेद मुसली, और सफेद बहमन), (50 ग्राम) प्रत्येक (ये अधिकतर इस तरह की दवायें बेचने वाले पंसारी के पास आराम से मिल जातीं है। च्यवनप्राश को बनाते समय मिलाने वाली जड़ी बूटियों में यदि कुछ न भी मिले तो जो उपलब्ध हैं आप उन्हीं से च्यवनप्राश बना सकते हैं।

यमक सामग्री-

घी 250 ग्राम, तिल का तेल-250 ग्राम

संवाहक सामग्री -

चीनी - तीन किलो

प्रेक्षप सामग्री पिप्पली - 100 ग्राम, बंशलोचन - 150 ग्राम, दालचीनी - 50 ग्राम, तेजपत्र - 20 ग्राम, नागकेशर - 20 ग्राम, छोटी इलायची - 20 ग्राम, केशर - 2 ग्राम, शहद - 250 ग्राम।

बनाने की विधि -आंवले को धो लीजिए। धुले आंवले को कपड़े की पोटली में बांध लीजिए। किसी बड़े स्टील के भगोने में 12 लीटर पानी भरिए। संसाधन सामग्री की जड़ी बूटियां डालिए और बंधे हुए आंवले की पोटली डाल दीजिए।

भगोने को तेज आग पर रखिए, उबाल आने के बाद आग धीमी कर दीजिए, आंवले और जड़ी बूटियों को धीमी आग पर एक से डेढ़ घंटे तक उबलने दीजिए, जब आंवले बिल्कुल नरम हो जायें तब आग बन्द कर दीजिए। आंवले और जड़ी बूटियों को उसी तरह भगोने में उसी पानी में रातभर या 10 -12 घंटे ढककर पड़े रहने दीजिए।अब आंवले की पोटली निकाल कर जड़ी बूटियों से अलग कीजिए, आप देखेंगे कि आंवले सांवले हो गये हैं, आंवलों ने जड़ी बूटियों का रस अपने अन्दर तक सोख लिया है।सारे आंवले से गुठली निकाल कर अलग कर लीजिए।जड़ी बूटियां का खादी के कपडे या वेस्ट छलनी से छान कर अलग कर दीजिए।

जड़ी बूटियों का पानी अपने पास छान कर सभाल कर रख लीजिये यह च्यवनप्राश बनाने के काम आएगा।जड़ी बूटियों के साथ उबाले हुये आंवलों को, जड़ी बूटियों से निकला थोड़ा थोड़ा पानी मिलाकर मिक्सर से एकदम बारीक पीस लीजिए और बड़ी छलनी में डालकर, चम्मचे से दबा दबा कर छान कर रेशे अलग कर लीजिए। सारे आंवले इसी तरह पीस कर छान लीजिए। आंवले के सारे रेशे छलनी के ऊपर रह जाएगे जो वेस्ट है फैंक देंगे। (पहले समय में आंवलों को कपड़े पर घिसकर कपड छन करके छाना जाता था ताकि आंवले से रेशे दूर हो सके। लेकिन इसमें समय और श्रम अधिक लगता था) यदि जड़ी बूटी से छाना हुआ पानी बचा हुआ है तो इसे भी इसी पल्प में मिला दें। जड़ी बूटियों के रस और आवंले के पल्प के मिश्रण को हम च्यवनप्राश बनाने के काम लेंगे।

मोटे तले की कढ़ाई कलाई वाली पीतल की हो तो ठीक स्टील की कड़ाई में चिपक कर जल जाने का खतरा होता है। जिसमें पल्प आसानी से भूना जा सके, आग पर गरम करने के लिये रखिए।(लोहे का बर्तन च्यवनप्राश को काला कर देता है)कढ़ाई में तिल का तेल डाल कर गरम कीजिए।, गरम तेल में घी डाल कर घी पिघलने तक गरम कीजिए। जब तिल का तेल अच्छी तरह गरम हो जाय तब आंवले का छाना हुआ पल्प डालिए और चमचे से चलाते हुये पकाइए। मिश्रण में उबाल आने के बाद चीनी डालिए और लगातार चमचे से चलाते हुए। मिश्रण को एकदम गाड़ा होने तक घी छोडऩे तक, पका लीजिए। आप कढाई की उपलब्धतानुसार इसे 1 या दो बार में पका सकते हैं।

जब मिश्रण एकदम गाड़ा हो जाय तो गैस से उतार इस मिश्रण को 5-6 घंटे तक कढ़ाई में ही ढककर रहने दीजिए(पीतल के बर्तन में अधिक देर न रखे), पांच या 6 घंटे बाद इस मिश्रण को आप स्टील के बर्तन में निकाल कर रख सकते हैं।प्रेक्षप द्रव्य में दी गई लिस्ट में से छोटी इलायची को छील लीजिए। इसके बाद छिली हुई छोटी इलायची के दानो में पिप्पली, बंशलोचन, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर को मिक्सी में एकदम बारीक पीस लीजिए।

अब इस पिसी सामग्री को शहद और केसर में मिलाकर आंवले के मिश्रण में अच्छी तरह से मिला दीजिए। आपका च्यवनप्राश तैयार है।

इस च्यवनप्राश को एअर टाइट कांच या प्लास्टिक कन्टेनर में भर कर रख लीजिए और साल भर प्रयोग कीजिए।बाजार के विज्ञापन में सोने व चाँदी की बात की जाती है। यह मूल च्यवनप्राश में नहीं है। इनकी भस्मे मिली जाती हैं। यदि मिलाना हो तो आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह करके ही मिलाए।

उपयोग मात्रा और विधि - खाली पेट ,10से 15 ग्राम खाकर आधे घंटे बाद दूध पीएं।भोजन के तुरंत बाद नहीं लेना चाहिए,तीन से चार घंटे बाद लिया जा सकता है।यदि च्यवनप्राश अच्छी तरह से पक गया हो तो कभी खराब नहीं होता। अधिक पकने पर चिठा हो सकता है। फ्रि ज में भी रखा जा सकता है पर उपयोग के पूर्व थोडा गरम करना ठीक रहेगा। एसीडिटी के रोगी न खाए। एसीडिटी बाद जाएगी। पहले जुलाब लेकर पेट साफ करना अधिक लाभ देगा।

क्यों किया हनुमानजी ने समुद्र पार जाने का फैसला?

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त्रेतायुग में साक्षात भगवान मनुष्यशरीर धारण करेंगे। उनकी स्त्री को राक्षसों का राजा हर ले जाएगा।उसकी खोज में प्रभु दूत भेजेंगे। उनसे मिलने पर तू पवित्र हो जाएगा। तेरे पंख उग आएंगे चिंता न करें। उन्हें तू सीताजी को दिखा देना। मुनि की वह वाणी आज सत्य हुई। अब मेरे वचन सुनकर तुम प्रभु का कार्य करो। त्रिकूट पर्वत पर लंका बसी हुई है। वहां स्वभाव ही से निडर रावण रहता है। वहां अशोक नाम का उपवन बगीचा है, जहां सीताजी रहती है। वे सोच में मग्र बैठी हैं। मैं उन्हें देख रहा हूं, तुम नहीं देख सकते क्योंकि गिद्ध हूं। गिद्ध को बहुत दूर तक का सपष्ट दिखाई देता है अब आगे....

जो सौ योजन का समुद्र लांघ सकेगा और बुद्धिनिधान होगा वही श्रीरामजी का कार्य कर सकेगा। मुझे देखकर मन में धीरज धरो। देखो मैं बिना पंख के कैसा बेहाल था। पंख उगने से मैं कितना सुंदर हो गया। पापी भी जिनका स्मरण करके भवसागर तर जाते हैं। तुम उनके दूत हो कायर मत बनो। यह बात कहकर जब गिद्ध चला गया, तब उन के मन में बहुत विस्मय हुआ।

सब किसी ने अपना-अपना बल प्रकट किया लेकिन समुद्र के पार जाने में सभी ने संदेह प्रकट किया। इस प्रकार कहकर गिद्ध चला गया, तब उन के मन में बहुत विस्मय हुआ। सभी ने अपने-अपने बल का बखान किया, पर समुद्र के पार जाने में सभी ने संदेह प्रकट किया। ऋक्षराज जाम्बवान कहने लगे-मैं अब बूढ़ा हो गया हूं। शरीर में पहले वाले बल का लेश भी नहीं रहा। अंगद ने कहा मैं तो पार चला जाऊंगा लेकिन लौटते समय के लिए हृद में कुछ संदेह है।

जाम्बवान ने कहा-तुम सब प्रकार से योग्य हो। तुम सबके नेता हो तुम्हे कैसे भेजा जाए। जाम्बवान ने हनुमान से कहा सुनो तुमने यह क्या चुप्पी साध रखी है। तुम तो पवन पुत्र हो। जगत में ऐसा कौन सा काम है जो तुम नहीं कर सकते यह सुनते ही हनुमानजी पर्वत के समान आकार के हो गए। हनुमानजी गरजते हुए बोले में इस समुद्र को लांघ सकता हूं। सहायको सहित उस रावण को मारकर त्रिकू ट पर्वत से उखाड़कर यहां ला सकता हूं। जांबवान में तुमसे पूछता हूं मुझे क्या करना चाहिए। तुम जाकर सिर्फ इतना ही काम करो कि सीताजी को देखकर लौट आओ और उनकी खबर कह दो।

सलमान की जिंदगी की अनदेखी तस्वीरें देखने के लिए क्लिक कीजिए


बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान का आज 46वां जन्मदिन है| इस मौके पर हम लेकर आए हैं उनकी जिंदगी का सफ़र कुछ खास तस्वीरों में| यहां आप देखेंगे बचपन से लेकर अभी तक की सलमान की कुछ चुनिंदा तस्वीरें| हमारी ओर से सलमान को जन्मदिन बहुत-बहुत मुबारक।





आपकी राय: आप भी सलमान को जन्मदिन की शुभकामनाएं दे सकते हैं|नीचे दिए कमेन्ट बॉक्स में जाकर अपने बधाई संदेश लिखिए|


2012 में होगी राहुल की समझदारी की परीक्षा



कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और सोनिया-राजीव गांधी के पुत्र राहुल गांधी के लिए 2011 काफी मुश्किलों वाला रहा। उनकी मुश्किलें 2012 में भी उनका पीछा छोड़ती नजर नहीं आ रही हैं। अगर यह कहा जाए कि आने वाला समय राहुल की परीक्षा का समय है, तो गलत नहीं होगा।

राहुल गांधी जन्म 9 जून 1070 को हुआ। इनकी कुंडली मिथुन लग्न की है। इनके केंद्र स्थान पर सूर्य और मंगल विराजमान है, जो इनके राजयोग में सहायक हैं और इसी युति के कारण ही राहुल का राजनीति अपने परिवार से विरासत में मिली है।

कैसा रहेगा 2012?

राहुल गांधी की कुंडली के अनुसार उनके लिए सन् 2012 का समय काफी परेशानियों वाला रहेगा। विरोधी इन्हें विवादों में घसीटने का प्रयास करेंगे। इस समय राहलु की सुझ-बुझ व धैर्य की परीक्षा होगी। व्यक्तिगत रूप से उनका प्रभाव अवश्य थोड़ा बढ़ेगा। पार्टी में चल रही अंतर्कलह का निपटारा करने में अहम भूमिका निभाएंगे।


कुरान का संदेश

जन-गण-मन के शताब्दी साल को भूली सरकार

रायपुर। राष्ट्रगान जन-गण-मन को मंगलवार को 100 साल पूरे हो रहे हैं। इस ऐतिहासिक अवसर को राज्य सरकार ने भुला दिया है। संस्कृति विभाग को तो यह भी नहीं पता कि जन-गण-मन का यह शताब्दी साल है।
शासन की ओर से सौवीं वर्षगांठ पर कोई आयोजन नहीं किए जा रहे, जबकि राज्य स्थापना की 11वीं वर्षगांठ पर 1 नवंबर से प्रदेश के 55 सिनेमाघरों में राष्ट्रगान गाने की परंपरा शुरू की गई है। टॉकीजों में दिखाए जा रहे राष्ट्रगान में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने राज्य के धार्मिक और पर्यटन स्थलों व पहचान से जुड़े लोगों को भी दिखाया गया है। संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल राज्य को देश में प्रदर्शित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम मानते हैं। लेकिन संस्कृति विभाग ही मंगलवार को कोई आयोजन नहीं कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में 27 जनवरी 1911 को पहली बार कविवर रविंद्रनाथ टैगोर रचित जन-गण-मन गाया गया था।
जन-गण-मन की खास बातें --
0 इंडियन नेशनल कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में 27 दिसंबर 1911 को पहली बार गाया।
0 महान संगीतकार पंकज कुमार मलिक ने संगीत तैयार किया।
0 24 जनवरी 1950 को संसद ने एडाप्ट किया।
0 सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी ने 1946 में इसे नेशनल एंथम स्वीकार कर लिया था।
0 ब्रम्हो स्टाइल में लिखा गया गीत है।
0 100 सालों में देश को जागृत किया। बार्डर पर सेना में जोश भरने वाला इससे अच्छा गीत नहीं।
नहीं हो रहा कोई आयोजन : सचिव
संस्कृति विभाग के सचिव मनोहर पांडेय ने स्वीकार किया कि उन्हें राष्ट्रगान के 100 साल पूरे होने की जानकारी नहीं है। इस वजह से कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा रहे। हालांकि उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान को टॉकीजों में प्रारंभ कर गौरवशाली काम किया गया है।

ये प्यार न होगा कम...जब इस श्मशान यात्रा में खिंचे चले आए लोग


जितेश चौहान, पोरबंदर।यह दृश्य है गुजरात के पोरबंदर शहर का, जहां कार्यरत श्रीराम गौशाला पिछले 20 वर्षो से अपंग गाय-भैंसों के उपचार और उनकी सेवा-चाकरी का कार्य करती आ रही है। रविवार को यहां मधु नामक गाय की मौत हो गई। इस गाय से यहां के लोगों का इतना लगाव था कि उसकी मौत की खबर से लोग गमगीन हो उठे।

गौशाला के कर्मचारियों ने मधु की पूरी शास्त्र-विधि के बाद उसकी शव यात्रा निकाली और अंतिम संस्कार किया। पशु प्रेम का अनोखा दृश्य तब देखने को मिला जब इस शवयात्रा में गौशाला के कर्मचारी ही नहीं, बल्कि शहर के लोग भी जुड़ते चले गए और उसे कंधा दिया।

गौशाला के कर्मचारी बताते हैं कि मधु नामक यह गाय इतनी शालीन थी कि जब इसे चारा डाला जाता था और इसी बीच अगर कोई दूसरी गाय इसका चारा खाना आ जाती थी, तब वह खुद-ब-खुद वहां से हट जाती थी। गौशाला का हरेक कर्मचारी इससे बहुत प्रेम करता था।

'जनता अपनी पर आ गई तो घर से नहीं निकल पाएंगे डॉक्टर'



उदयपुर.सरकार की ओर से सख्त रुख अख्तियार किए जाने के बावजूद डॉक्टरों का रुख नरम नहीं पड़ा। वे छठे दिन भी सोमवार को हड़ताल पर रहे। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि डॉक्टरों की हड़ताल से कानून व्यवस्था बिगड़ने की पूरी आशंका है। उन्होंने कहा-अगर जनता ने कानून हाथ में ले लिया तो डॉक्टरों का घर से निकलना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें डॉक्टरों की भी चिंता है, उनके साथ कोई अप्रिय घटना न हो।

इसलिए डॉक्टरों को हड़ताल छोड़कर काम पर लौट जाना चाहिए। मुख्यमंत्री गहलोत ने उदयपुर में एयरपोर्ट पर मीडियाकर्मियों से बातचीत में यह आशंका जताई। उन्होंने कहा कि अगर डॉक्टरों की मांगें नहीं मानी जा रही हैं तो उन्हें चाहिए कि वो काली पट्टी बांधकर विरोध करें या कोई और तरीका अपनाएं, लेकिन हड़ताल का यह तरीका गलत है। गौरतलब है कि सरकार ने रविवार देर रात 2 सीएमएचओ व 10 पीएमओ को बर्खास्त कर दिया था।

जयपुर के लिए: बच्चे की मौत मामले में सीएमओ ने मांगी रिपोर्ट

रविवार को लोसल निवासी 13 वर्षीय शाकिर की मौत के मामले में सीएमओ कार्यालय ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। सोमवार को प्रशासनिक एवं स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी संबंधित निजी अस्पतालों में पहुंचे और पूरी रिपोर्ट ली गई। साथ ही एसके अस्पताल के पीएमओ डॉ जीडी नाटाणी ने भी अस्पताल में उसके आने से लेकर निजी अस्पताल में रैफर किए जाने तक की रिपोर्ट बनाकर कलेक्टर धर्मेंद्र भटनागर को सौंपी है। उधर, सीकर में रेस्मा के तहत पुलिस ने सामूहिक अवकाश पर चल रहे डॉक्टरों की गिरफ्तारी के लिए दबिश तेज कर दी है।

सोमवार को एसके अस्पताल के सर्जन डॉ जितेंद्र कचौलिया को गिरफ्तार कर लिया है। जिले में स्वास्थ्य सेवा बदहाल है। मरीज परेशान हैं। एसके अस्पताल के ब्लड बैंक में रखे 174 यूनिट ब्लड में 16 यूनिट अवधिपार हो चुका है, जिसे अलग से निकाल कर रख दिया है। जयपुर से गिरफ्तार किए गए आठ डॉक्टरों को सीकर एवं सात डॉक्टरों को झुंझुनूं जेल में लाया गया है। चूरू में पहले से न्यायिक हिरासत में चल रहे चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ अभिनव सरीन की तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

8 और मरे, अब तक 59 की मौत, 425 डॉक्टर अब तक गिरफ्तार।

क्या यह शपथ भूल गए डॉक्टर

चिकित्सा पेशे से जुड़े लोग पिछले 2400 साल से हिपोक्रैटिक ऑथ लेते रहे हैं। हर डॉक्टर दवा लिखने से पहले आरएक्स लिखकर इसी शपथ को दुहराता है : मैं अपोलो, पीड़ा हरने वाले, आंसुओं को पोंछने वाले, तत्काल निरोगी करने वाले और रामबाण औषधि सृजित करने वाले की शपथ लेता हूं कि अपनी संपूर्ण क्षमताओं के साथ रोगी के कष्ट हरने के लिए तत्पर रहूंगा।

मैं जिस किसी भी घर में प्रवेश करता हूं, या कोई मेरे पास आता है तो इसका मकसद मेरे रोगियों की भलाई ही होगी। मैं शपथ लेता हूं कि मैं अपने आपको सभी तरह की दुरेच्छाओं से दूर रखूंगा और कभी किसी रोगी का बुरा न तो सोचूंगा और न ही, जहां तक मेरा सामथ्र्य है, होने दूंगा।

और क्या बोले मुख्यमंत्री

डाक्टरों की अधिकतर मांगें मान ली गई हैं। इसके बावजूद वे हड़ताल कर रहे हैं, जिसका कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है।

डाक्टरों का हड़ताल करना अमानवीय और उनके पेशे के भी खिलाफ है।

प्रशासनिक पदों पर आसीन डॉक्टरों ने अन्य डॉक्टरों को भड़काने का काम किया, इसलिए उन्हें बर्खास्त किया गया।

हड़ताल से गांव, कस्बे और शहरों में बीमार तकलीफ पा रहे हैं और लोगों की जानें जा रही हैं।

एनआरएचएम कर्मियों की हड़ताल खत्म

आठ दिन से हड़ताल पर चल रहे 18 हजार एनआरएचएम कर्मियों ने रविवार को हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दी। वे मंगलवार से काम पर लौटेंगे। चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा के साथ बैठक में मांगों पर सैद्धांतिक सहमति के बाद यह निर्णय लिया गया।

बैठक के दौरान चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है और सभी माने जाने योग्य मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक फैसला कर रही है। राजस्थान एनआरएचएम कर्मचारी महासंघ के प्रवक्ता ने भी हड़ताल समाप्त करने की पुष्टि की।

समझौता वार्ता में मिशन निदेशक गायत्री राठौड़, अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) बी.के. दोसी, परियोजना निदेशक बी. एस. बांकावत और संविदा कर्मियों की ओर से डॉ. एच.एस. गौरा, देवाराम चौधरी, अजय पूनिया, सुनिल सैन, हेमपाल सिंह जादौन, मनफूल पुनिया, मुकेश खंडेलवाल, विकास वैष्णव, डॉ. रिड़ मल सिंह राठौड़ और उमाशंकर गोचर मौजूद थे।

इन पर बनी सहमति :

- संविदा नर्सिग कर्मियों और अन्य वर्गो के लिए पर्याप्त पद सृजित करने के लिए प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजे जाएंगे।

- पद सृजित होते ही सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर विज्ञप्ति जारी की जाएगी। इसमें आंध्र प्रदेश सरकार की तर्ज पर एनआरएचएम कर्मियों को 20 प्रतिशत बोनस अंक दिए जाएंगे। फार्मासिस्टों को भी 10 के स्थान पर 20 प्रतिशत बोनस अंक दिए जाने का प्रावधान किया जाएगा। इसके लिए संशोधित विज्ञप्ति जारी की जाएगी।

- मध्यप्रदेश और बिहार में एनआरएचएम कर्मियों को दिए जा रहे मानदेय व्यवस्था का अध्ययन कर राजस्थान में भी मानदेय बढ़ाने के प्रावधान किए जाएंगे।

- संविदा कर्मियों के काम मूल्यांकन के लिए जारी आदेश दिनांक 28 नवंबर, 2011 का पुन: परीक्षण कर सरलीकरण किया जाएगा।

- आयुष डॉक्टरों का दिनांक 18 अक्टूबर, 2010 को जारी पत्र का फिर से परीक्षण करवा कर दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे। इस पत्र पर कार्रवाई तुरंत प्रभाव से रोक दी जाएगी।

- हड़ताल पर गए कर्मियों के 27 दिसंबर, 2012 तक काम पर लौट आने की दशा में 19 से 26 दिसंबर, 2011 तक की अवधि का आकस्मिक अवकाश मंजूर किया जाएगा। जिनके खाते में आकस्मिक अवकाश बाकी नहीं है, उनके अवैतनिक अवकाश माने जाएंगे।

डॉक्टर और मरीज के परिजनों में नोक-झोंक

बालोतरा (बाड़मेर) के नाहटा अस्पताल में सोमवार को एक प्रसूता को लेकर पहुंचे परिजनों की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अंजलि अग्रवाल (बाएं) से झड़प हो गई। वहीं इस महिला डॉक्टर के पति भी बैठे थे। नोक-झोंक बढ़ी तो वे भी बीच में बोले। इस पर प्रसूता के परिजनों ने उनका कॉलर पकड़ लिया।

डॉक्टरों को दूध नहीं देंगे गुर्जर

कोटा दुग्ध विक्रेता संघ व राजस्थान गुर्जर महासभा ने घोषणा की है कि आगामी १२ घंटे में डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म नहीं की तो वे उन्हें दूध की सप्लाई नहीं करेंगे।

कुरआन की आयत पर पेन रखते ही उसमें से आने लगती है 'आवाज'


रांची. बाजार में एक ऐसा पेन आ गया है, जिसे पवित्र ईश्वरीय धर्मग्रंथ कुरआन की आयत पर रखते ही उसमें से आवाज आने लगती है। इस अजूबे को संभव किया है आज के विज्ञान ने। कुरआन पढऩे की आवाज को इच्छानुसार बदला भी जा सकता है। बल्कि उसकी गति को भी आप नियंत्रित कर सकते हैं।

इस पेन से कुरआन की पूरी 114 सूरतें दुनिया की 23 प्रमुख भाषाओं में सुनी जा सकती हैं। मलेशिया के एक इस्लामी संगठन अकेडियन ने पेन को इस्तेमाल करने की स्वीकृति दे दी है

रांची विवि के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष्य शाहिद हसन ने कहा कि पवित्र कुरआन पर हजारों वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे हैं। कुरआन रीड पेन का इस्तेमाल काफी आसान है। यह इस्लाम के अनुयायियों के लिए उपयोगी है। इस्लाम के वास्तविक रूप को गहराई से समझने और जानने वालों के लिए भी यह पेन अच्छा माध्यम बन सकता है। इसके अलावा इससे अरबी भाषा भी सीखी जा सकती है।

रांची इमाम ईदगाह के मौलाना असगर मिसबाही ने कहा कि पवित्र कुरआन की पहली आयत जब अवतरित हुई, तो उसका पहला शब्द था, इकरा अर्थात पढ़ो। दुनिया में यह किताब अकीदत के साथ पढ़ी जा रही है। इस पवित्र ग्रंथ के सभी अक्षर और शब्द उसी रूप में सुरक्षित हैं। करोड़ों हाफिज हैं, जिन्हें कुरआन कंठस्थ है। पेन का बजा इस्तेमाल हो।

2014 तक बनकर तैयार हो जाएगा सौ करोड़ की लागत से राममंदिर

रायपुर। यह है रायपुर के वीआईपी रोड पर बनने वाले राममंदिर का प्रतिरूप। अयोध्या में रामलला के प्रस्तावित मंदिर की तर्ज पर सौ करोड़ रुपए में प्रस्तावित इस मंदिर निर्माण की सारी बाधाएं अब दूर हो गई हैं। यह मंदिर आस्था के साथ ही शिक्षा और संस्कार का केंद्र भी होगा।
खास बात यह भी है कि इसके निर्माण में सीमेंट और लोहे के स्थान पर चूना, गुड़ और बेल के गूदे का उपयोग किया जाएगा। वर्ष 2006 में मंदिर के शिलान्यास के बाद से रोजाना यहां भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना होती है।
110 फीट लंबाई
109 फीट ऊंचाई
60 फीट चौड़ाई
शिक्षा व संस्कार भी
सामुदायिक भवन भोजनालय: 10000 वर्ग फीट
पुजारियों के लिए आवास : 45 हजार वर्गफीट
विद्यालय : संस्कृत शिक्षा, ज्योतिष और व्याकरण
छात्रावास : सौ बालक और सौ बालिका (दो मंजिला)
संत आवास : सौ बिस्तरों वाला
कोचिंग केंद्र : पीएससी, आईएएस और आईपीएस
अस्पताल : एलोपैथी, आयुर्वेद और होम्योपैथी

आपके फोन, ई-मेल पर नजर रखने के लिए 800 करोड़ खर्च करेगी सरकार!

नई दिल्ली. अगले पांच साल में सरकार को फोन, ई मेल और एसएमएस-एमएमएस की निगरानी के लिए 800 करोड़ रुपए का तंत्र स्थापित करने की सलाह देते हुए एक उच्चस्तरीय समिति ने कहा है कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर समझौता नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही इस समिति ने अपनी रपट में कहा है कि दूरसंचार क्षेत्र के माध्यम से उपकरणों के सहारे देश की सुरक्षा को संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए अगली पंचवर्षीय योजना काल में 100 करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित टेलीकॉम टेस्टिंग एंड सिक्यूरिटी सर्टिफिकेशन सेंटर स्थापित करना भी आवश्यक है।

‘रिपोर्ट ऑफ द वर्किंग ग्रुप ऑन द टेलीकॉम सेक्टर फॉर द ट्वेल्थ फाइव ईयर प्लान (2012-17)’ में दूरसंचार नेटवर्क और देश की सुरक्षा को महत्वपूर्ण मानते हुए कहा गया है कि सरकारी संचार के लिए भी एक ऐसा सुरक्षित तंत्र बनाने की जरूरत है, जो चूक रहित हो। केंद्रीय दूरसंचार सचिव आर चंद्रशेखर की अध्यक्षता में गठित हुए इस वर्किंग ग्रुप ने सरकारी तंत्र के बीच होने वाले संवाद को सुरक्षित बनाने के लिए विशेष व्यवस्था करने की सलाह देते हुए इस पर 450 करोड़ रुपए खर्च करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि इससे देश व्यापी ऐसा तंत्र बनाया जाए जिससे सरकारी सेवा के लिए उपयोग किए जाने वाले ई-मेल, वीओआईपी और मोबाइल कम्युनिकेशन पूरी तरह सुरक्षित हो।

आपदा के लिए हर ऑपरेटर उपलब्ध कराए 100 लाइन

समिति ने अपनी रपट में आपदा के समय बाधा रहित संचार तंत्र उपलब्ध कराने के लिए हर ऑपरेटर को आपदा में लगी एजेंसी को न्यूनतम 100 मोबाइल-लैंड लाइन उपलब्ध कराने की वकालत की है। समिति ने कहा है कि इनमें हॉट लाइन भी हो और यह गारंटी हो कि आपदा के समय यह लाइन काम करेगी। समिति ने यह भी कहा है कि ऐसी इंडोर तकनीक विकसित करनी चाहिए जिससे आपदा के समय किसी भवन या परिसर के अंदर कार्य करने वाले हर कर्मी की तैनाती-पोजिशनिंग (तैनाती का स्थान) कुछ सेंटीमीटर से भी पहचानी जा सके। समिति ने दूरसंचार मंत्रालय के अंदर भी आपदा के लिए कर्मियों को तैनात करने की सलाह दी है।

कर्नाटक की कोलार में बोल्ड हुआ गोल्ड, एमपी में मिला सोने का भंडार!

भोपाल. देश में सोना उत्पादन करने वाली कर्नाटक की कोलार गोल्ड माइन में सोने का भंडार खत्म होने के बाद बड़ी मात्रा में इस मूल्यवान पीली धातु की खोज में प्रदेश को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। प्रदेश में खनिजों की तलाश करने वाली जियो मैसूर सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को सिंगरौली जिले के गुरहर पहाड़ में सोने का यह भंडार मिला है।
सेटेलाइट सर्वे में जमीन के नीचे सोना होने के संकेत के बाद कंपनी ने प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस लेकर ड्रिलिंग के जरिए जमीन के नीचे इस धातु का पता लगाया। कंपनी द्वारा 21 वर्ग किमी के जिस क्षेत्र के लिए पूर्वेक्षण अनुमति ली, उसमें से तीन किलोमीटर लंबी पट्टी में सोने का भंडार मिला है।
अब तक करीब दो हजार मीटर तक कंपनी खुदाई कर चुकी है, जिसमें 17 मीट्रिक टन सोना मिलने का अनुमान लगाया गया है। अगले एक साल में यहां दस हजार मीटर खुदाई की जाएगी। 17 हजार किलो हीरे के बाद अब मध्यप्रदेश की धरती सोना भी उगलेगी। सिंगरौली जिले के तीन किमी लंबे क्षेत्र में लगभग 17 हजार किलो सोने का भंडार मिला है। जबकि चार स्थानों पर खोज जारी है।
नहीं बनानी पड़ेंगी कोलार जैसी सुरंगें : उम्मीद की जा रही है कि इस खुदाई में सोने का भंडार और बढ़ सकता है। खास बात यह है कि टीलेनुमा गुरहर पहाड़ से सोना निकालने के लिए कोलार की तरह सुरंगें नहीं बनानी पड़ेंगी।
यहां कम गहराई पर ही यह धातु होने से खुली खदान के जरिए उत्खनन होगा, जिससे सोना निकालने की लागत भी कम आएगी। जियो मैसूर ने यहां सोने की खदान के लिए राज्य सरकार के साथ एमओयू भी किया है। खनिज विभाग के सचिव एसके मिश्र के अनुसार, पूर्वेक्षण का काम पूरा होने के बाद यहां सोना उत्खनन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
हीरा उत्खनन पर केंद्र सहमत : केंद्र सरकार ने रियो टिंटो को प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में हीरे की खदान लगाने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। रियो टिंटो ने यहां 270 लाख कैरेट हीरे के भंडार का पता लगाया है। कंपनी बंडर डायमंड माइन का काम 2016 तक शुरू करने की तैयारी कर रही है।

राजस्थान में मोलाना फजले हक के प्रबन्धन से बदलने लगे हैं मदरसों के हालात

राजस्थान में मदरसा बोर्ड के चेयरमेन जनाब मोलाना फजले हक ने एक माह पूर्व ही कार्यभार ग्रहण किया है लेकिन उनके कार्यभार सम्भालते ही राजस्थान के मदरसों की तस्वीर बदलने लगी है ..मदरसों में पेरा टीचर्स ..कम्प्यूटर और बिल्डिंग फंड की घोषणा से सभी मदरसे से जुड़े लोग खुशियाँ मना रहे हैं और पैरा टीचर्स भी अब खुद को सुरक्षित महसूस करने लगे हैं ....... मोलाना फजले हक ने राजस्थान सरकार में मदरसा बोर्ड का कार्यभार ग्रहण करते ही सबसे पहले टोंक फिर बाड़मेर और जालोर..अलवर..जयपुर..कोटा बारां झालावार उदैपुर चित्तोड़ सहित कई जिलों के दोरे किये अच्छे मदरसों को एक लाख रूपये और बिल्डिंग फंड दिया जबकि खराब मदरसों को हालात सूधारने की हिदायत और मदद का आश्वासन दिया ..राजस्थान के तीन हजार से भी अधिक मदरसों में पेरा टीचर्स कम्प्यूटर टीचर्स लगवाये और दो करोड़ रूपये का फंड मदरसों पर खर्च करने के प्रयास तेज़ हो गये हैं ....मदरसा बोर्ड की कार्य भाषा उर्दू की तय्यार की गयी है ॥ जिला स्तर पर कोई भी मुस्लिम बच्चा निरक्षर न रहे उसे दीनी और दुनयावी तालीम मिले इसके लियें उन्होंने आवश्यक निर्देश जारी किये हैं ..मोलाना फजले हक ने करीब एक हजार मदरसों के रजिस्ट्रेशन की पेंडिंग फायलों के निस्तारण के लियें नियमों का सरलीकरण किया है और दो हजार से भी अधिक रिक्त पढ़े पैरा टीचर्स के पदों की स्वीक्रति राजस्थान सरकार से मनागी गयी हैं ......यह सब इसलिए सम्भव हो रहा है के खुद मोलाना फजले हक का बचपन मदरसों में गुजरा है वोह मदरसा शिक्षा व्यवस्था अव्यवस्था का सच जानते हैं और मदरसों को क्या जरूरत है उसकी नब्ज़ पहचानते है ..मदरसा शिक्षा से जुड़े होने ..बहतरीन वक्ता और पत्रकार सम्पादक का गुण उनमे होने के कारण ही उन्होंने कोंग्रेस की कई कमजोर सीटों पर कोंग्रेस के पक्ष में तकरीर कर कोंग्रेस की हारी हुई बाज़ी जीत में बदल डाली है ...तो जनाब यह है राजस्थान में मदरसों की तस्वीर बदलने काय कल्प होने की शुरुआत का सच .... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

डोक्टर हडताल के लियें सरकार की वायदा खिलाफी और लापरवाही तो ज़िम्मेदार नहीं

राजस्थान में डोक्टर इस शासन काल में कई बार हडताल पर गये हैं उन्हें कई बार आश्वासन मिले हैं और इस बार भी पहले चेताक्र वार्ता कर हडताल पर गये हैं आखिर बार बार वार्ता बार बार वायदे फिर जब वायदा पूरा नहीं होता तो बताओ डॉक्टरों की हडताल के पीछे कोन गेर ज़िम्मेदार है किसकी ज़िम्मेदारी थी जो डॉक्टरों से क्या गया वायदा वक्त पूरा करती ...... अब जब डॉक्टर हडताल पर हैं ..तो सरकार तो असफल ही कहलाएंगी ना जनता का क्या जनता तो रोज़ मरती है सरकार को इससे क्या लेना देना .वेसे भी सरकारी अस्पतालों की हालत आप खुद ने तो देखी ही होगी वहां सरकार की क्या व्यवस्था और क्या निगरानी है ..सभी निजी चिकित्सालयों के सहारे हैं अब बताइए डॉक्टरों की हडताल के पीछे ज़िम्मेदार खुद चिकित्सक या वायदा खिलाफी सरकार है .अगर आप सरकार को इसके पीछे ज़िम्मेदार मानते है तो देख लेना आगे गुर्जर आन्दोलन की गूंज चल रही है तो पंच सरपंच प्रतिनिधियों की आवाज़ आन्दोलन की है और वकील भी हडताल की ताल थोक रहे हैं इसीलियें कहते हैं के सरकार में बेठो मत और अगर बेठो तो फिर जनता या हडताली लोगों से जो वायदा करो वोह वक्त पर पूरा करो ..... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अगले साल 21 दिसंबर को दुनिया हो जाएगी खत्म?


सभी धर्मों में प्रलय या कयामत के संबंध में उल्लेख मिलता है। प्रयल या कयामत का अर्थ है दुनिया का विनाश। हिंदू धर्म के अनुसार कलयुग की समाप्ति के बाद प्रलय आएगा, जब पूरी दुनिया का विनाश हो जाएगा। दुनिया के अंत के संबंध में समय-समय पर कई प्रकार की भविष्यवाणियां होती रही हैं। अभी 21 मई 2011 को भी दुनिया के विनाश का दिन बताया जा रहा था लेकिन यह बात झूठी साबित हो गई। हजारों साल पहले बनाए माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के बाद की तारीख नहीं दी गई हैं, इसका अर्थ यही समझा जा रहा है कि इस दिन दुनिया पर खतरा मंडरा सकता है।

जो लोग 21 मई को धरती के विनाश को लेकर डरे-सहमे थे वे अब राहत की सांस ले रहे हैं। कयामत के दिन या प्रलय को लेकर अलग-अलग धर्मों ने अपनी घोषणाएं की हैं। साउथ ईस्ट मेक्सिको की माया सभ्यता ने भी धरती के विनाश के दिन की घोषणा की है। माया कैलेंडर ने प्रलय के लिए 21 दिसंबर 2012 का दिन घोषित किया गया है।

21 मई 2011 गुजरने के बाद अब इंतजार है 21 दिसंबर 2012 का। माया कैलेंडर भी कुछ ऐसी ही भविष्यवाणी कर रहा है। इस कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के बाद की तिथि का वर्णन नहीं है। इस अर्थ यही समझा जा रहा है कि 21 दिसंबर 2012 के बाद दुनिया समाप्त हो जाएगी। माया कैलेंडर के मुताबिक 21 दिसंबर 2012 में एक ग्रह पृथ्वी से टकराएगा, जिससे सारी धरती खत्म हो जाएगी। करीब 250 से 900 ईसा पूर्व माया नामक एक प्राचीन सभ्यता स्थापित थी। ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में इस सभ्यता के अवशेष खोजकर्ताओं को मिले हैं।

प्राचीन माया सभ्यता के काल में गणित और खगोल के क्षेत्र उल्लेखनीय विकास हुआ। अपने ज्ञान के आधार पर माया लोगों ने एक कैलेंडर बनाया था। कहा जाता है कि उनके द्वारा बनाया गया कैलेंडर इतना सटीक निकला है कि आज के सुपर कम्प्यूटर भी उसकी गणनाओं में 0.06 तक का ही फर्क निकाल सके और माया कैलेंडर के अनेक आकलन, जिनकी गणना हजारों सालों पहले की गई थी, सही साबित हुए हैं।

जानें, कैसी है शिव के 11 रुद्रों की अद्भुत शक्ति?


वेदों का ज्ञान कुदरत के कण-कण में शिव के अनेक रूपों का दर्शन कराता है। इन रूपों में ही एक हैं - रुद्र। रुद्र का शाब्दिक अर्थ होता है - रुत यानी दु:खों को अंत करने वाला। यही कारण है कि शिव को दु:खों का नाश करने वाले देवता के रुप में पूजा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक शिव ग्यारह अलग-अलग रुद्र रूपों में दु:खों का नाश करते हैं। यह ग्यारह रूप एकादश रुद्र के नाम से जाने जाते हैं।

व्यावहारिक जीवन में भी कोई दु:खों को तभी भोगता है, जब तन, मन या कर्म किसी न किसी रूप में अपवित्र होते हैं। इसी कारण धर्म और आध्यात्म के धरातल पर दस इन्द्रियों और मन को मिलाकर ग्यारह यानी एकादश रुद्र माने गए है। जिनमें शुभ भाव और ऊर्जा का होना ही शिवत्व को पाने के समान है। शिव के रुद्र रूप की आराधना का महत्व यही है कि इससे व्यक्ति का चित्त पवित्र रहता है और वह ऐसे कर्म और विचारों से दूर होता है, जो मन में बुरे भाव पैदा करे। जानते हैं ऐसे ही ग्यारह रूद्र रूपों को–

शम्भू - शास्त्रों के मुताबिक यह रुद्र रूप साक्षात ब्रह्म है। इस रूप में ही वह जगत की रचना, पालन और संहार करते हैं।

पिनाकी - ज्ञान शक्ति रूपी चारों वेदों के स्वरूप माने जाने वाले पिनाकी रुद्र दु:खों का अंत करते हैं।

गिरीश - कैलाशवासी होने से रुद्र का तीसरा रुप गिरीश कहलाता है। इस रुप में रुद्र सुख और आनंद देने वाले माने गए हैं।

स्थाणु - समाधि, तप और आत्मलीन होने से रुद्र का चौथा अवतार स्थाणु कहलाता है। इस रुप में पार्वती रूप शक्ति बाएं भाग में विराजित होती है।

भर्ग - भगवान रुद्र का यह रुप बहुत तेजोमयी है। इस रुप में रुद्र हर भय और पीड़ा का नाश करने वाले होते हैं।

भव - रुद्र का भव रुप ज्ञान बल, योग बल और भगवत प्रेम के रुप में सुख देने वाला माना जाता है।

सदाशिव - रुद्र का यह स्वरुप निराकार ब्रह्म का साकार रूप माना जाता है। जो सभी वैभव, सुख और आनंद देने वाला माना जाता है।

शिव - यह रुद्र रूप अंतहीन सुख देने वाला यानी कल्याण करने वाला माना जाता है। मोक्ष प्राप्ति के लिए शिव आराधना महत्वपूर्ण मानी जाती है।

हर - इस रुप में नाग धारण करने वाले रुद्र शारीरिक, मानसिक और सांसारिक दु:खों को हर लेते हैं। नाग रूपी काल पर इन का नियंत्रण होता है।

शर्व - काल को भी काबू में रखने वाला यह रुद्र रूप शर्व कहलाता है।

कपाली - कपाल रखने के कारण रुद्र का यह रूप कपाली कहलाता है। इस रुप में ही दक्ष का दंभ नष्ट किया। किंतु प्राणीमात्र के लिए रुद्र का यही रूप समस्त सुख देने वाला माना जाता है।

मां नहीं बन पा रही हैं तो एक बार जरूर आजमाएं ये नायाब नुस्खे

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दुनिया की चालीस प्रतिशत महिलाएं फेलोपीयन टयूब के ब्लाक होने के कारण इन्फर्टीलीटी से सफर करती हैं। इसे टयूबल फेक्टर इन्फर्टीलीटी भी कहा जाता है। इस कारण हर महीने ओवुलेसन के कारण आने वाला अंडाणु फेलोपीयन टयूब के ब्लाक हो जाने के कारण गर्भाशय में नहीं आ पाता,जिस कारण निषेचित होने का प्रश्न ही नहीं होता ,यही इन्फर्टीलीटी का कारण बन जाता है। यदि यह टयूब आंशिक रूप से ब्लाक होती है, तो टयूबल प्रेगनेंसी का खतरा बढ़ जाता है ,जिसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहते हैं।

कभी-कभी एक विशेष प्रकार का ब्लाक भी देखने में आता है ,जिसमें फेलोपीयन टयूब फ्ल्यूड के भर जाने के कारण चौड़ी हो जाती है , जिस कारण अंडाणु,शुक्राणु को निश्चित नहीं कर पाता है ,इस स्थिति को हाइड्रोसाल्पिन्क्स कहा जाता है। हाँ यदि एक ओर की फेलोपीयन टयूब ब्लाक हो और दूसरी ठीकठाक हो तो भी प्रेगनेंसी हो सकती है ,पर यह उस ओर की ओवरी की कार्य क्षमता पर निर्भर करता है।

ब्लाक्ड फेलोपीयन टयूब के लक्षणों को कैसे पहचानें?

-मासिक चक्र की अनियमितता इस ओर इशारा करती है।

-हाइड्रोसाल्पिन्क्स क़ी स्थिति में पेट की निचले हिस्से में अक्सर दर्द बना रहता है और योनि से लगातार स्राव बना रहता है।

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से इस ओर इशारा करते हैं :

-पेल्विक इन्फ्लेमट्री डीजीज -यह फेलोपीयन टयूब के ब्लाक होने का सबसे सामान्य कारण है।

- इंडोमेट्रीयोसिस के कारण मासिक स्राव में वेदना बढ़ जाती है-सेक्सुअली ट्रांसमीटेडडीजी।

-मिस्केरेज के कारण हुआ यूटेराइन संक्रमण।

-पूर्व में हुई एक्टोपिक प्रेगनेंसी।

- ब्लाक्ड फेलोपीयन टयूब को एक विशेष प्रकार के एक्स-रे हिस्टेरोसाल्पिन्जीयोग्राम से जाना जाता है इसके अलावा अल्ट्रासाउंड भी इसमें सहायक होता है।

आयुर्वेद में इसके कई कामयाब उपचार बताये गयें हैं इनमें से कुछ चुनिन्दा हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं :-

- एरंड मूल के चूर्ण को मासिक स्राव से एक दिन पूर्व लगभग 3 से पांच ग्राम क़ी मात्रा में स्रवण नक्षत्र में लक्ष्मणा मूल (श्वेत कंटकारी की जड़ ) की समान मात्रा के साथ गाय के दूध से तीन दिन तक देना हितकारी होता है ।

- गोक्षुर चूर्ण -1.5ग्राम,अशोक चूर्ण -1.5 ग्राम,लोध्र चूर्ण-1.5ग्राम एवं शतावरी चूर्ण -1.5 ग्राम क़ी मात्रा में गोदुग्ध के साथ इसके साथ में रज: प्रवर्तीनीवटी को दो दो गोली की मात्रा में देना भी हाइड्रोसाल्पिन्क्स की स्थिति में फायदेमंद होता है।

- आयर्वेद की शोधन चिकित्सा के भी चमत्कारिक फायदे देखे गए हैं जो बंद ट्यूब को खोलने में कारगर हैं जिसमें स्नेह्पान,स्वेदन,विरेचन ,कसाय बस्ति,स्नेह बस्ति एवं उतर बस्ति को पंचकर्म चिकित्सक के निर्देशन में ही लिया जाना चाहिए।

- फेलोपीयन टयूब के ब्लाक को खोलने हेतु योग आसनों के चमत्कारिक प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता इसमें अध्र्यमत्स्येन्द्रआस,मंडूकासन,पश्चिमोत्तानासन,ताड़ासन आदि सम्मिलित हैं।कई शोध इस बात को सिद्ध कर चुके हैं कि योग के आसनों एवं ध्यान का नियमित अभ्यास तथा उचित आहार इस समस्या को दूर कर देता है।

इस मंदिर की दौलत के बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे आप!

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नागपुरः यह मंदिर कुछ सालों में तेजी से समृद्ध हो रहा है और इसकी संपत्ति में इज़ाफा हो रहा है। अब पता चला है कि इसके पास अरबों रुपए रुपए की एफडी और सरकारी बांड हैं।

यह मंदिर है साईं बाबा का शिरडी स्थित मंदिर और इसने बड़े पैमाने पर पैसा निवेश किया है। महाराष्ट्र असेंबली में पेश इसके वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि मंदिर के पास 31 मार्च 2011 तक 500 करोड़ रुपए के फिक्स्ड डिपॉजिट और सरकारी बांड थे।

शिरडी के साईं बाबा मंदिर में हर साल लाखों भक्त आते हैं और यहां अब बड़े पैमाने पर चढ़ावा चढ़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर के पास 466 करोड़ रुपए के फिक्स्ड डिपॉडिट और 40.84 करोड़ रुपए के किसान विकास पत्र तथा 22 करोड़ रुपए के सरकारी बांड हैं। यानी कुल 529 करोड़ रुपए की रकम।

मंदिर के पास 28 करोड़ रुपए का सोना और 4 करोड़ रुपए की चांदी है। इनके अलावा कई तरह के रत्न वगैरह भी हैं। मंदिर का प्रबंधन यहां से प्राप्त धन को कल्याणकारी कार्यों में लगाता रहता है।

शॉर्टकट : सिगरेट छूट जाएगी, वो भी बिना मशक्कत



कहते हैं किसी चीज की आदत हो जाए, तो उसे छोडऩे के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। फिर आदत अच्छी हो या बुरी यह बात दोनों के लिए लागू होती है। किसी कार्य का बार-बार किया जाना या अभ्यास आदत का रूप ले लेती है।
इस आदत या अभ्यास को विपरीत आदत द्वारा बदला जा सकता है। विज्ञान के अनुसार शरीर एक मशीन है। और उस मशीन में आपने जो आदतें डाली हैं, उन आदतों को आपको नई आदतों से बदलना पड़ेगा नई बातें सुनकर नहीं।
अगर आपको सिगरेट पीना छोडऩा है तो आपको ताजगी पैदा करने की दूसरी आदतें डालना पड़ेंगी। नहीं तो आप कभी नहीं छोड़ पाएँगे। जब भी आपको सिगरेट पीने का खयाल हो तब गहरी दस सांस लें, जिनसे ऑक्सीजन ज्यादा भीतर चला जाएगा। तो ताजगी ज्यादा देर रुकेगी, जितनी देर निकोटिन से रुकती है, और ज्यादा स्वाभाविक होगी। यह एक नई आदत है।

जब भी सिगरेट पीने का खयाल आए, गहरी दस सांस लें। और सांस लेने से शुरू मत करें, सांस निकालने से शुरू करें। जब भी सिगरेट पीने का खयाल आए एक्झेल करें, जोर से साँस को बाहर फेंक दें, ताकि भीतर जितना कार्बन डाइआक्साइड है, बाहर चला जाए। फिर जोर से साँस लें, ताकि जितना कार्बन डाइआक्साइड की जगह थी उतनी ऑक्सीजन ले ले। आपके खून में ताजगी दौड़ जाएगी। इस तरह सांस लेने की आदत आपको धीरे-धीरे डालनी होगी। साथ ही जब भी स्मोकिंग की इच्छा हो सौंफ का सेवन भी कर सकते हैं। इस तरह सांस लेने की क्रिया जैसे-जैसे आपकी आदत बनती जाएगी। आपकी सिगरेट की आदत कम होती जाएगी और धीरे-धीरे छूट जाएगी। सिगरेट पीने वाले एक बात का और ध्यान रखें एक दम सिगरेट छोडऩे की कोशिश न करें वरना आप शायद कभी सिगरेट नहीं छोड़ पाएंगे।

अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट में एजाज़ एहमद खान अध्यक्ष अख्तर खान अकेला संयोजक नियुक्त

कोटा में अल्पसंख्यकों की समस्या सुनवाई कारण और निवारण की कोशिशों के मामले को लेकर आज यहाँ आयोजित एक बैठक में अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट का गठन किया गया जो गेर राजनितिक रहेगा और सभी तबके के अल्पसंख्यकों का सरकार के प्रतिनिधि मंत्री और सम्बन्धित अधिकारीयों और जनप्रतिनिधियों तक अल्पसंख्यकों की शिकायते इकट्ठी कर उनके निराकरण के लियें दबाव बनाएगा और इन शिकायतों के अंतिम निस्तारण होने तक इसकी मोनिटरिंग करेगा इस मामले में अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट के अध्यक्ष एजाज़ एहमद खान उर्फ़ अज्जू भाई होंगे जबकि संयोजक एडवोकेट अख्तर खान अकेला रहेंगे इस फ्रंट में कोटा के सभी समाज सेवियों और संस्थाओं को जोड़ कर उनसे इस कार्य में मदद ली जायेगी और शीघ्र ही इनकी समस्या निराकरण को लेकर एक जन अदालत भी लगाई जाएगी जिसमे सरकार के प्रतिनिधियों मंत्रियों और अधिकारीयों को भी निमंत्रित किया जाने की कार्य योजना तय्यार की गयी है साथ ही इस फ्रंट में मस्जिद..मदरसे..कब्रिस्तान..चर्च..गुरुद्वारे से जुड़े लोगों को भी जो कर उनसे उनकी समस्याओं के बारे में बात कर उनके निराकरण के भी प्रयास किये जायेंगे ..... जिला वक्फ कमेटी कोटा इसकी नोडल एजेंसी का काम करेगी अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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