तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
27 दिसंबर 2011
संसद में लोकपाल और जनता की भावनाओं के साथ बलात्कार होता रहा अब सजा दिलवाने की तय्यारी
रामचरित माँनस का बल काण्ड
श्लोक :
मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥1॥
याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाः स्वान्तःस्थमीश्वरम्॥2॥
यमाश्रितो हि वक्रोऽपि चन्द्रः सर्वत्र वन्द्यते॥3॥
वन्दे विशुद्धविज्ञानौ कवीश्वरकपीश्वरौ॥4॥
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम्॥5॥
यत्सत्त्वादमृषैव भाति सकलं रज्जौ यथाहेर्भ्रमः।
यत्पादप्लवमेकमेव हि भवाम्भोधेस्तितीर्षावतां
वन्देऽहं तमशेषकारणपरं रामाख्यमीशं हरिम्॥6॥
रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोऽपि।
स्वान्तःसुखाय तुलसी रघुनाथगाथा
भाषानिबन्धमतिमंजुलमातनोति॥7॥
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥1॥
जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलिमल दहन॥2॥
करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन॥3॥
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन॥4॥
आत्मा सब कुछ है, इसे पहचानो आत्मा पंच महाभूतों की अधिपति
आत्मा पंच महाभूतों की अधिपति है। सब प्राणियों का राजा है। यह अनंत अपार आत्मा प्राणियों के साथ ऐसे घुल-मिल जाता है जैसे जल में नमक घुल जाता है। आत्मा जब तक प्राणियों में रहता है तभी तक उसकी संज्ञा है। आत्मा इंद्रियों में सब कुछ करता है। बिना इंद्रियों के कुछ भी नहीं कर सकता।
आत्मा इंद्रियों को पीट कर तमोगुण, रजोगुण व सतोगुण उत्पन्न करता है जैसे कलाकार ढोल को पीट कर तमोगुण, शंख को फूंककर रजोगुण और वीणा को बजाकर सतोगुण के सुर पैदा करता है। यह तीनों गुण सभी जीवों में विद्यमान रहते हैं। किसी में तमोगुण अधिक तो किसी में रजोगुण अधिक एवं सतोगुण कम या अधिक होता है।
ब्रह्मवेत्ता याज्ञवल्क्य के पास प्रचुर संपत्ति थी। मैत्रेयी और गार्गी उनकी दो पत्नी थीं। मैत्रेयी तो ब्रह्मवादिनी थीं और गार्गी साधारण स्त्री प्रज्ञा थी अर्थात् पतिव्रता होने के साथ गृहस्थ के सभी कार्यों में निपुण थीं।
याज्ञवल्क्य ने मैत्रेयी से कहा- अब मैं गृहस्थ में पड़े रहना नहीं चाहता। आओ, मैं तुम्हारा गार्गी के साथ धन का निपटारा करा दूं।
मैत्रेयी बोली- यदि सारी पृथ्वी धन-धान्य से परिपूर्ण होकर मेरी हो जाए तो मैं कैसे उससे अमर हो जाऊंगी?
मैत्रेयी बोली, भगवन्। जिससे मैं अमर न हो सकूं उसे लेकर मैं क्या करूंगी? मुझे तो अमर होने का रहस्य, जो आप जानते हैं, उसी का उपदेश दीजिए। ऋषि ने अपना उपदेश प्रारंभ किया, मैत्रेयी! इस संसार में कोई भी व्यक्ति किसी से प्रेम करता है तो वह अपनी आत्मा की कामना पूर्ण करने के लिए ही करता है। पति-पत्नी परस्पर प्यार अपनी आत्मा को संतुष्ट करने के लिए करते हैं। ब्रह्म शक्ति से प्रेम करने वाले अपनी आत्मा की कामना पूर्ण करने के लिए करते हैं। पुत्र से प्यार करने से आत्मा को शांति प्राप्त होती है क्योंकि मां अपना ही अंश उसमें देखती है।
मानव जब अन्य लोगों के लिए कार्य करता है वह वास्तव में उन लोगों के लिए नहीं करता बल्कि लोक में यश प्राप्त करने के लिए करता है जिससे उसे सुखद अनुभूति होती है, आत्मा प्रसन्न हो जाती है। वास्तव में न कोई किसी से प्यार करता है और न कोई किसी का कार्य करता है, सभी आत्मातुष्टि के लिए ही व्यवहार करते हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि मानव जिसके लिए कार्य कर रहा है, प्यार कर रहा है, बलिदान कर रहा है, कष्ट झेल रहा है वह आत्मा न दिखाई देती है, न सुनाई देती है पर सब उसकी सत्ता को मानते हैं इसलिए वह माननीय है। उसका ही चिंतन मनन करना चाहिए। उसे देखने, सुनने, समझने और जानने से सब गांठें खुल जाती हैं।
मानव को इस संसार में सभी वस्तुएं मीठी व मधुर लगती हैं इसीलिए इसे मधु विद्या भी कहते हैं। ब्रह्म विद्या भी यही है। जैसे पृथ्वी, जल, विद्युत, बादल, आकाश, चंद्रमा, आदित्य, वायु, अग्नि, दिशाएं, धर्म, सत्य, अहंभाव आदि सबको मधु के समान प्रिय लगते हैं। भिन्न-भिन्न जीवों में, व्यक्तियों में, तेजोमय अमृतमय जो आत्मा है वही अमृत है।
आत्मा के कारण ही पंचमहाभूतों अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी व आकाश की स्थिति है। उसके कारण ही उनका विकास होता है, ह्रास भी होता है। आत्मा सब कुछ है। इसे जानो, पहचानो।
पैरों तले कुचलती हुई भारतभूमि और एकता के प्रतीक चिन्ह!
अहमदाबाद।गुजरात के कांकरिया कार्निवल में इन दिनों एडवेंचर फेस्टीवल की धूम है। पैराग्लाइडिंग और पैरासेलिंग जैसे साहसी खेलों का लुत्फ उठाने के लिए देश और विदेश से लोग यहां पहुंचे हैं। यह गुजरात का एक मात्र पर्वतीय क्षेत्र है।
रविवार से शुरू हुए इस फैस्स्टीवल में स्कूली बच्चों ने दिन भर की कड़ी मेहनत करते हुए तालाब किनारे कई रंग-बिरंगी आकृतियां और रंगोली बनाई। तालाब किनारे फर्श पर भारत के नक्शे के साथ ही मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर की आकृतियां बनाकर भारतीय एकता को भी चित्रित किया। लेकिन दूसरे दिन यानी की सोमवार को यह देश और देश की एकता अधिकारियों-कर्मचारियों के पैरों तले कुचलती दिखाई दी।
तस्वीर में दिखाई दे रहे इन महानुभाव को यह भी होश नहीं कि वे भारत के नक्शे और उसमें बने ध्वज के चक्र पर ही पैर रखते हुए गुजर रहे हैं। अधिकारी बच्चों की भावनाओं का सम्मान नहीं कर सकते थे तो कम से कम भारतभूमि और एकता के प्रतीक चिन्हों का ही सम्मान कर लेते..!
लाश की जेब-अंडरवियर-जुराब-कपड़ों से हुई नोटों की बारिश, चौंके लोग!
दौरा पड़ने पर उन्हें जीएमएसएच ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत लाया घोषित कर दिया। सर्च मैमो बनाने के लिए कांस्टेबल राजबीर ने जब जांच की तो मोहनलाल की जेब, जुराबों, अंडरवियर और कपड़ों से करीब 19.5 लाख कैश मिला। इतनी राशि देख पीसीआर कर्मी और डॉक्टर हैरान रह गए।
आईजी प्रदीप श्रीवास्तव ने पीसीआर के ड्राइवर गंगा प्रसाद, लेडी कांस्टेबल मोनिका और सुमन को क्लास वन सर्टिफिकेट देकर और पांच हजार नकद इनाम देकर सम्मानित किया। सर्च मैमो बनाने वाले अस्पताल के कांस्टेबल राजबीर को भी सम्मानित किया जाएगा।
रानी को खुश करने सिर पर लगाया बकरे का सींग, और घूमा गांव| Email
नग्गर में गनेड़ उत्सव शुरू
धरोहर गांव नग्गर में गनेड़ उत्सव शुरू हो गया है। इस मौके पर गांव के एक व्यक्ति के सिर पर रणका नाम बकरे के सींग लगाकर उसे पूरे गांव में घुमाया जाता है। माता त्रिपुरा सुंदरी के कारदार जोगिंद्र आचार्य ने बताया कि त्योहार सदियों से मनाया जा रहा है।
क्या है मान्यता
मान्यता है कि पुराने समय में राजा के आदेश पर रानी को खुश करने के लिए गांव के एक व्यक्ति के सिर पर बकरे के सींग लगाकर उसे गांव में घुमाया जाता था। इसी परंपरा का आज भी निर्वहन किया जाता है। उत्सव में सैकड़ों लोग शामिल हुए।
बुरी शक्तियों को गालियां
इस माह अश्लील गालियों बोल कर बुरी शक्तियों को भगाया जाता है। आचार्य ने बताया कि इस मौके पर लोगों ने गांव की परिक्रमा की और हर घर में अखरोट फेंके गए। उत्सव में रस्सा-कशी का आयोजन भी किया गया। इसमें नग्गर और जाणा के लोगों ने हिस्सा लिया।
फिर लक्ष्मी देवी को मार दी ठोकर, कितने पत्थर दिल होंगे वो मां-बाप!
- मुनव्वर राना
उदयपुर.कोख से दुनिया में आते ही अपनों द्वारा मरने के लिए छोड़ दी गई एक नवजात को परायों ने संभाला और पालने में रखने के बाद बाल चिकित्सालय की नर्सरी तक भी पहुंचाया। उसका कसूर शायद सिर्फ इतना था कि उसने बेटी के रूप में जन्म लिया था।
डॉक्टरों ने भी बचाने की लाख कोशिश की, लेकिन उसकी जिंदगी बचाई नहीं जा सकी। मंगलवार को जन्म के चंद घंटों बाद फेंक दी गई थी यह बच्ची दोपहर दो बजे के आसपास नर्सरी तक पहुंचा दी गई थी, लेकिन रात पौने 10 बजे उसने दम तोड़ दिया।
गौरतलब है कि दैनिक भास्कर ने 8 दिसंबर को गर्ल चाइल्ड डे पर बालिकाओं को बचाने की मुहिम छेड़ी थी। इसका नतीजा यह हुआ कि महेशाश्रम में पल रही मासूम बच्चियों की मदद के लिए सैकड़ों हाथ उठे।
कई लोगों ने बच्चियों को गोद लेने का प्रस्ताव दे दिया जो विचाराधीन है। इसके अलावा लोगों ने इन बच्चियों के लिए कपड़े, खिलौने, दवाइयों सहित अन्य उपकरण भी भेंट किए।
कितने पत्थर दिल होंगे वो मां-बाप
वो जन्मदाता कितने पत्थरदिल थे, जिन्होंने दुनिया में आए कुछ ही घंटों बाद इस नवजात बेटी को मरने के लिए छोड़ दिया था।छोड़ा भी कहां बड़े (एमबी) अस्पताल के सुलभ घर में। टपकते नल के नीचे अखबार में लपेटकर। इस ठंड में जब ऊनी कपड़े भी नाकाम हो चले हैं तब यह बच्ची कागज के आवरण में थी और पास ही टपक रही थी ठंडी बूंदें।
..एक चोट और लग गई
वो तो गनीमत थी कि रोने की मद्धम सी आवाज एक मरीज के परिजन तक पहुंच गई थी, जिसने उसे पालनाघर के पालने तक पहुंचा दिया था। दुर्भाग्य ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा और नर्सरी में ले जाने की कोशिश के दौरान गार्ड नीचे गिर गया था और नवजात गिरकर चोटिल हो गई थी। गंभीर हालत में उसे नर्सरी के आईसीयू में रखा गया था।
सुलभघर में टपकते नल के नीचे मिली थी
मानवीयता को झकझोर देने वाली यह घटना बड़े अस्पताल में वार्ड 6 के पास बने सुलभ घर में हुई। वार्ड 5 में भर्ती गुरुपाल की सेवा में लगी उनकी बेटी सेक्टर 5 निवासी हंसा जैन ने नवजात को सुलभ घर से उठाकर जनाना अस्पताल के बाहर लगे पालने तक पहुंचाया था।
हंसा ने पालनाघर के गार्ड और समाजसेवी देवेंद्र अग्रवाल से मिलकर इलाज की व्यवस्था करवाई थी। उसे नर्सरी में ऑक्सीजन पर रखा गया। इलाज करने वाले डॉ. विवेक अरोड़ा के मुताबिक जन्म के तीन से चार घंटे बाद ही परिजन उसे छोड़ गए थे। नल के नीचे रखने से शरीर नीला पड़ चुका था। फेंफड़ों से खून आने लगा था।
लोकपाल की असली परीक्षा आज
नई दिल्ली. लोकसभा में हुई फजीहत के बाद अब विधेयक राज्यसभा में फंसता नजर आ रहा है। सरकार के रणनीतिकारों को बुधवार को राज्यसभा में नंबर जुटाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। वहां यूपीए पहले से अल्पमत में है। मुश्किल यह भी है कि राज्यसभा में अगर कोई नया संशोधन आता है तो विधेयक फिर से लोकसभा में लाना होगा।
इससे पहले लोकपाल बिल दिनभर की बहस के बाद मंगलवार रात को लोकसभा में पास हो गया। हालांकि उसे संवैधानिक दर्जा नहीं मिल पाया। संवैधानिक दर्जे के मोर्चे पर सरकार की हार के चलते विपक्ष ने उससे इस्तीफा मांगा।
इससे पहले बहस में विपक्ष ने इसे कमजोर विधेयक बताते हुए संशोधन पर जोर दिया। रात दस बजे हुई वोटिंग (ध्वनिमत) में विपक्ष के सभी संशोधन खारिज हो गए। सपा और बसपा ने वोटिंग के दौरान वॉकआउट कर दिया। अब इस विधेयक की राज्यसभा में कड़ी परीक्षा होगी।
लोकायुक्त नियुक्ति की अनिवार्यता से भी पीछे हटना पड़ा सरकार को
पूरे 43 साल बाद। लोकसभा ने मंगलवार को लोकपाल बिल को मंजूरी दे दी। यह नौवां लोकपाल बिल है। हालांकि इस बार सरकार पूरी कोशिश के बावजूद लोकपाल को संवैधानिक दर्जा नहीं दिला सकी।
उसे राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति के मामले में भी पीछे हटना पड़ा। विपक्ष ने इस पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इस्तीफा मांगा। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि सरकार को बने रहने का नैतिक रूप से कोई अधिकार नहीं है। इस बीच विपक्ष के सभी संशोधन गिर गए।
सदन में सरकार के पास दो-तिहाई बहुमत नहीं होने की वजह से लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक गिर गया। कांग्रेस महासचिव ने लोकपाल को यह दर्जा देने की मांग की थी। सदन में मंगलवार को इसके साथ ही भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को सुरक्षा मुहैया कराने संबंधी विधेयक (लोकहित प्रकटन और प्रकट करने वाले व्यक्तियों का संरक्षण विधेयक, 2010) को भी मंजूरी मिल गई। सरकार ने विधेयक में करीब दस संशोधन किए।
इनमें राज्यों के लिए लोकायुक्तों की नियुक्ति को अनिवार्य किए जाने के प्रावधान को हटा लिया गया है। सरकार ने कहा कि वह सभी मुख्यमंत्रियों की राय के बाद ही इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगी। सेना और कोस्ट गार्ड को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है।
साथ ही संसद के सदस्य कार्यकाल पूरा होने के सात साल बाद इसके दायरे में आएंगे। पहले यह अवधि पांच साल थी। विपक्षी पार्टियों ने कॉपरेरेट्स, मीडिया और विदेशी चंदा प्राप्त करने वाले एनजीओ को इसके दायरे में लाने की मांग करते हुए संशोधन प्रस्तुत किए थे। ये अस्वीकृत हो गए।
कौन जाने भविष्य क्या होगा?
संशोधनों और संवैधानिक दर्जे पर हार के मायने..
सरकार को पता था कि संवैधानिक दर्जे के लिए दो-तिहाई बहुमत उसके पास नहीं है। इसके बावजूद इसकी कोशिश की गई। उसका सोचना था कि यदि भाजपा ने साथ दिया तो राहुल गांधी प्रमोट होंगे। यदि भाजपा ने साथ नहीं दिया तो हमदर्दी लेकर उसे कठघरे में खड़ा किया जाएगा।
सरकार लोकायुक्तों के मसले पर सहयोगी दलों को मना नहीं सकी। संवैधानिक दर्जे को लेकर विपक्षी दलों से बात नहीं हुई। सो शर्मिदगी उठानी पड़ी।
‘कभी-कभी ऐसा होता है।’
मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री (संवैधानिक दर्जा नहीं मिलने की बात पर)
‘दो-तिहाई बहुमत नहीं होने से हारे। इसके लिए भाजपा जिम्मेदार।’
- प्रणब मुखर्ज
1968 में पहली बार तैयार हुआ था बिल
पहली बार 1968 में यह बिल तैयार हुआ था। लोकसभा ने पारित भी किया। लेकिन लोकसभा भंग होने से यह रद्द हो गया। इसके बाद सात बार विधेयक पेश हुआ। पारित नहीं हो पाया। एक बार सरकार ने इसे वापस ले लिया।
यूं चली बहs विभाजन का नया बीज...
‘धर्म आधारित आरक्षण के जरिए यह बिल विभाजन का नया बीज बोने का काम करेगा। विपक्ष आखों देखी मक्खी नहीं निगल सकता। केंद्र सरकार देशभर में हो रहे आंदोलन की बला को अपने सिर से टालने के लिए आनन-फानन में विधेयक को पारित कराना चाहती है।’
- सुषमा स्वराज, विपक्ष की नेता, लोकसभा
यह षड्यंत्र है
‘यह राजनीतिक षड्यंत्र है। विपक्ष की मंशा है कि यह विधेयक पारित हो ही नहीं। पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में जनता के बीच उलटे सरकार के खिलाफ प्रचार किया जाए। मुस्लिमों को आरक्षण का भाजपा क्यों विरोध कर रही है?
- कपिल सिब्बल, मानव संसाधन मंत्री
फांसी का घर है लोकपाल
‘द्रोपदी के पांच पति थे, सीबीआई के नौ पति होने जा रहे हैं। इससे पूरा तंत्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा। लोकपाल सांसद, अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के लिए फांसी घर है।’
- लालू प्रसाद यादव, राजद प्रमुख
‘सरकार को आलोचनाओं पर नाराज होने के बजाय उचित राय मान लेनी चाहिए।’
- मुलायम सिंह यादव, अध्यक्ष, सप
कितने कानून बनाओगे, हाथ-पांव बांधकर किसी से कैसे काम कराओगे।’
- शरद यादव, अध्यक्ष, जनता दल (यू)
लोकपाल की अपनी जांच एजेंसी होना चाहिए अन्यथा यह बेअसर हो जाएगा।’
बासुदेव आचार्य, माकपा
विश्व की सबसे बढ़ी लोकतांत्रिक पार्टी है इंडियन नेशनल कोंग्रेस ...विश्व की एक अकेली पार्टी जिसके नेता देश के लियें शहीद हुए
आज प्रतियोगिता के दौर में इंसान सफलता, तरक्की, पद, प्रतिष्ठा और यश पाने के लिए रोजमर्रा की ज़िंदगी में परिवार, समाज या कार्यक्षेत्र में उठते-बैठते न चाहकर भी हम स्वभाव, विचार के न मिलने या स्वार्थ के चलते एक-दूसरों के हित की अनदेखी करने से नहीं चूकता। जिससे चाहे-अनचाहे ही एक-दूसरे के प्रति ईष्र्या, द्वेष और बुराई के भाव पैदा होता है।
ऐसी बुरी भावनाएं व्यावहारिक जीवन में बाधा ही नहीं बनती, बल्कि धर्मशास्त्रों के नजरिए से जाने-अनजाने दूसरों को दु:खी करने से हुए पाप के बुरे फल दु:ख के रूप में ही मिलते हैं।
हिन्दू धर्म में भगवान गणेश विघ्र विनाशक देवता माने जाते हैं। जिनकी उपासना से पैदा बुद्धि और विवेक का संतुलन ऐसे ही अनचाहे दु:खों से छुटकारा देने के साथ ही रक्षा भी करता है। बुधवार का दिन भगवान गणेश की उपासना के लिए नियत है। खासतौर पर बुधवार और चतुर्थी के योग में तो अनचाही विघ्र, बाधाओं को दूर रखने के लिए गणेश गायत्री मंत्र का जप बहुत ही शुभ और प्रभावकारी माना गया है।
बुधवार, चतुर्थी तिथि या संभव हो तो हर रोज भगवान श्री गणेश की कम से कम गंध, अक्षत, फूल, दूर्वा, सिंदूर चढ़ाकर मोदक का भोग लगाएं और धूप, दीप से पूजा करें। इस पूजा के बाद इस गणेश गायत्री मंत्र की यथासंभव एक माला यानी 108 बार जप न केवल संकट, विपत्ति, आपदाओं, शत्रु बाधासे रक्षा करता है, बल्कि तन, मन व धन की हर कमी जैसे भय, दरिदता, रोग आदि को दूर करता है। यह गणेश गायत्री मंत्र है-
एकदंताय विद्महे।
वक्रतुंडाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात।।