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30 दिसंबर 2011

बालकाण्ड खल वंदना चौपाई :



* बहुरि बंदि खल गन सतिभाएँ। जे बिनु काज दाहिनेहु बाएँ॥
पर हित हानि लाभ जिन्ह केरें। उजरें हरष बिषाद बसेरें॥1॥
भावार्थ:-अब मैं सच्चे भाव से दुष्टों को प्रणाम करता हूँ, जो बिना ही प्रयोजन, अपना हित करने वाले के भी प्रतिकूल आचरण करते हैं। दूसरों के हित की हानि ही जिनकी दृष्टि में लाभ है, जिनको दूसरों के उजड़ने में हर्ष और बसने में विषाद होता है॥1॥
* हरि हर जस राकेस राहु से। पर अकाज भट सहसबाहु से॥
जे पर दोष लखहिं सहसाखी। पर हित घृत जिन्ह के मन माखी॥2॥
भावार्थ:-जो हरि और हर के यश रूपी पूर्णिमा के चन्द्रमा के लिए राहु के समान हैं (अर्थात जहाँ कहीं भगवान विष्णु या शंकर के यश का वर्णन होता है, उसी में वे बाधा देते हैं) और दूसरों की बुराई करने में सहस्रबाहु के समान वीर हैं। जो दूसरों के दोषों को हजार आँखों से देखते हैं और दूसरों के हित रूपी घी के लिए जिनका मन मक्खी के समान है (अर्थात्‌ जिस प्रकार मक्खी घी में गिरकर उसे खराब कर देती है और स्वयं भी मर जाती है, उसी प्रकार दुष्ट लोग दूसरों के बने-बनाए काम को अपनी हानि करके भी बिगाड़ देते हैं)॥2॥
*तेज कृसानु रोष महिषेसा। अघ अवगुन धन धनी धनेसा॥
उदय केत सम हित सबही के। कुंभकरन सम सोवत नीके॥3॥
भावार्थ:-जो तेज (दूसरों को जलाने वाले ताप) में अग्नि और क्रोध में यमराज के समान हैं, पाप और अवगुण रूपी धन में कुबेर के समान धनी हैं, जिनकी बढ़ती सभी के हित का नाश करने के लिए केतु (पुच्छल तारे) के समान है और जिनके कुम्भकर्ण की तरह सोते रहने में ही भलाई है॥3॥
* पर अकाजु लगि तनु परिहरहीं। जिमि हिम उपल कृषी दलि गरहीं॥
बंदउँ खल जस सेष सरोषा। सहस बदन बरनइ पर दोषा॥4॥
भावार्थ:-जैसे ओले खेती का नाश करके आप भी गल जाते हैं, वैसे ही वे दूसरों का काम बिगाड़ने के लिए अपना शरीर तक छोड़ देते हैं। मैं दुष्टों को (हजार मुख वाले) शेषजी के समान समझकर प्रणाम करता हूँ, जो पराए दोषों का हजार मुखों से बड़े रोष के साथ वर्णन करते हैं॥4॥
* पुनि प्रनवउँ पृथुराज समाना। पर अघ सुनइ सहस दस काना॥
बहुरि सक्र सम बिनवउँ तेही। संतत सुरानीक हित जेही॥5॥
भावार्थ:-पुनः उनको राजा पृथु (जिन्होंने भगवान का यश सुनने के लिए दस हजार कान माँगे थे) के समान जानकर प्रणाम करता हूँ, जो दस हजार कानों से दूसरों के पापों को सुनते हैं। फिर इन्द्र के समान मानकर उनकी विनय करता हूँ, जिनको सुरा (मदिरा) नीकी और हितकारी मालूम देती है (इन्द्र के लिए भी सुरानीक अर्थात्‌ देवताओं की सेना हितकारी है)॥5॥
* बचन बज्र जेहि सदा पिआरा। सहस नयन पर दोष निहारा॥6॥
भावार्थ:-जिनको कठोर वचन रूपी वज्र सदा प्यारा लगता है और जो हजार आँखों से दूसरों के दोषों को देखते हैं॥6॥
दोहा :
* उदासीन अरि मीत हित सुनत जरहिं खल रीति।
जानि पानि जुग जोरि जन बिनती करइ सप्रीति॥4॥
भावार्थ:-दुष्टों की यह रीति है कि वे उदासीन, शत्रु अथवा मित्र, किसी का भी हित सुनकर जलते हैं। यह जानकर दोनों हाथ जोड़कर यह जन प्रेमपूर्वक उनसे विनय करता है॥4॥
चौपाई :
* मैं अपनी दिसि कीन्ह निहोरा। तिन्ह निज ओर न लाउब भोरा॥
बायस पलिअहिं अति अनुरागा। होहिं निरामिष कबहुँ कि कागा॥1॥
भावार्थ:-मैंने अपनी ओर से विनती की है, परन्तु वे अपनी ओर से कभी नहीं चूकेंगे। कौओं को बड़े प्रेम से पालिए, परन्तु वे क्या कभी मांस के त्यागी हो सकते हैं?॥1॥

जानिए हिन्दू धर्म को-1



।ॐ।।पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।- ईश उपनिष


ऋग्वेद को संसार की सबसे प्राचीन और प्रथम पुस्तक माना है। इसी पुस्तक पर आधारित है हिंदू धर्म। इस पुस्तक में उल्लेखित 'दर्शन' संसार की प्रत्येक पुस्तक में मिल जाएगा। माना जाता है कि इसी पुस्तक को आधार बनाकर बाद में यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की रचना हुई। दरअसल यह ऋग्वेद के भिन्न-भिन्न विषयों का विभाजन और विस्तार था।

विश्व की प्रथम पुस्तक : वेद मानव सभ्यता के सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। वेदों की 28 हजार पांडुलिपियाँ भारत में पुणे के 'भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट' में रखी हुई हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है।

हिन्दू शब्द की उत्पत्ति : हिन्दू धर्म को सनातन, वैदिक या आर्य धर्म भी कहते हैं। हिन्दू एक अप्रभंश शब्द है। हिंदुत्व या हिंदू धर्म को प्राचीनकाल में सनातन धर्म कहा जाता था। एक हजार वर्ष पूर्व हिंदू शब्द का प्रचलन नहीं था। ऋग्वेद में कई बार सप्त सिंधु का उल्लेख मिलता है। सिंधु शब्द का अर्थ नदी या जलराशि होता है इसी आधार पर एक नदी का नाम सिंधु नदी रखा गया, जो लद्दाख और पाक से बहती है।

भाषाविदों का मानना है कि हिंद-आर्य भाषाओं की 'स' ध्वनि ईरानी भाषाओं की 'ह' ध्वनि में बदल जाती है। आज भी भारत के कई इलाकों में 'स' को 'ह' उच्चारित किया जाता है। इसलिए सप्त सिंधु अवेस्तन भाषा (पारसियों की भाषा) में जाकर हप्त हिंदू में परिवर्तित हो गया। इसी कारण ईरानियों ने सिंधु नदी के पूर्व में रहने वालों को हिंदू नाम दिया। किंतु पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लोगों को आज भी सिंधू या सिंधी कहा जाता है।

ईरानी अर्थात पारस्य देश के पारसियों की धर्म पुस्तक 'अवेस्ता' में 'हिन्दू' और 'आर्य' शब्द का उल्लेख मिलता है। दूसरी ओर अन्य इतिहासकारों का मानना है कि चीनी यात्री हुएनसांग के समय में हिंदू शब्द की उत्पत्ति ‍इंदु से हुई थी। इंदु शब्द चंद्रमा का पर्यायवाची है। भारतीय ज्योतिषीय गणना का आधार चंद्रमास ही है। अत: चीन के लोग भारतीयों को 'इन्तु' या 'हिंदू' कहने लगे।

आर्य शब्द का अर्थ : आर्य समाज के लोग इसे आर्य धर्म कहते हैं, जबकि आर्य किसी जाति या धर्म का नाम न होकर इसका अर्थ सिर्फ श्रेष्ठ ही माना जाता है। अर्थात जो मन, वचन और कर्म से श्रेष्ठ है वही आर्य है। इस प्रकार आर्य धर्म का अर्थ श्रेष्ठ समाज का धर्म ही होता है। प्राचीन भारत को आर्यावर्त भी कहा जाता था जिसका तात्पर्य श्रेष्ठ जनों के निवास की भूमि था।

हिन्दू इतिहास की भूमिका : जब हम इतिहास की बात करते हैं तो वेदों की रचना किसी एक काल में नहीं हुई। विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल की शुरुआत 4500 ई.पू. से मानी है। अर्थात यह धीरे-धीरे रचे गए और अंतत: कृष्ण के समय में वेद व्यास द्वारा पूरी तरह से वेद को चार भाग में विभाजित कर दिया। इस मान से लिखित रूप में आज से 6508 वर्ष पूर्व पुराने हैं वेद। यह भी तथ्‍य नहीं नकारा जा सकता कि कृष्ण के आज से 5500 वर्ष पूर्व होने के तथ्‍य ढूँढ लिए गए।

हिंदू और जैन धर्म की उत्पत्ति पूर्व आर्यों की अवधारणा में है जो 4500 ई.पू. (आज से 6500 वर्ष पूर्व) मध्य एशिया से हिमालय तक फैले थे। कहते हैं कि आर्यों की ही एक शाखा ने पारसी धर्म की स्थापना भी की। इसके बाद क्रमश: यहूदी धर्म 2 हजार ई.पू.। बौद्ध धर्म 500 ई.पू.। ईसाई धर्म सिर्फ 2000 वर्ष पूर्व। इस्लाम धर्म 14 सौ साल पहले हुए।

लेकिन धार्मिक साहित्य अनुसार हिंदू धर्म की कुछ और धारणाएँ भी हैं। मान्यता यह भी है कि 90 हजार वर्ष पूर्व इसकी शुरुआत हुई थी। दरअसल हिंदुओं ने अपने इतिहास को गाकर, रटकर और सूत्रों के आधार पर मुखाग्र जिंदा बनाए रखा। यही कारण रहा कि वह इतिहास धीरे-धीरे काव्यमय और श्रंगारिक होता गया। वह दौर ऐसा था जबकि कागज और कलम नहीं होते थे। इतिहास लिखा जाता था शिलाओं पर, पत्थरों पर और मन पर।

जब हम हिंदू धर्म के इतिहास ग्रंथ पढ़ते हैं तो ऋषि-मुनियों की परम्परा के पूर्व मनुओं की परम्परा का उल्लेख मिलता है जिन्हें जैन धर्म में कुलकर कहा गया है। ऐसे क्रमश: 14 मनु माने गए हैं जिन्होंने समाज को सभ्य और तकनीकी सम्पन्न बनाने के लिए अथक प्रयास किए। धरती के प्रथम मानव का नाम स्वायंभव मनु था और प्रथम ‍स्त्री थी शतरूपा।

पुराणों में हिंदू इतिहास की शुरुआत सृष्टि उत्पत्ति से ही मानी जाती है, ऐसा कहना की यहाँ से शुरुआत हुई यह ‍शायद उचित न होगा फिर भी वेद-पुराणों में मनु (प्रथम मानव) से और भगवान कृष्ण की पीढ़ी तक का इसमें उल्लेख मिलता है।-

वेद बुलाते हैं तुम्हें


'हे अर्जुन! मुझे छोड़कर जो अन्य में मन रमाता है, अनंत जन्मों के भटकाव के बाद वह मेरी ओर ही आता है।'- कृष्

WD
1.वेद को छोड़ने का दुष्परिणाम :
पिछले 10-15 वर्षों में हिंदुत्व को लेकर व्यावसायिक संतों, ज्योतिषियों और धर्म के तथाकथित संगठनों और राजनीतिज्ञों ने हिंदू धर्म के लोगों को पूरी तरह से गफलत में डालने का जाने-अनजाने भरपूर प्रयास किया, जो आज भी जारी है। हिंदू धर्म की मनमानी व्याख्या और मनमाने नीति-नियमों के चलते खुद को व्यक्ति एक चौराहे पर खड़ा पाता है। समझ में नहीं आता कि इधर जाऊँ या उधर।

भ्रमित समाज लक्ष्यहीन हो जाता है। लक्ष्यहीन समाज में मनमाने तरीके से परम्परा का जन्म और विकास होता है, जोकि होता आया है। मनमाने मंदिर बनते हैं, मनमाने देवता जन्म लेते हैं और पूजे जाते हैं। मनमानी पूजा पद्धति, चालीसाएँ, प्रार्थनाएँ विकसित होती है। व्यक्ति पूजा का प्रचलन जोरों से पनपता है। भगवान को छोड़कर संत, कथावाचक या पोंगा पंडितों को पूजने का प्रचलन बढ़ता है।

2.धर्म का अपमान :
आए दिन धर्म का मजाक उड़ाया जाता है, मसलन कि किसी ने लिख दी लालू चालीसा, किसी ने बना दिया अमिताभ का मंदिर। रामलीला करते हैं और राम के साथ हनुमानजी का भी मजाक उड़ाया जाता है। राम के बारे में कुतर्क किया है, कृष्ण पर चुटकुले बनते हैं। दुर्गोत्सव के दौरान दुर्गा की मूर्ति के पीछे बैठकर शराब पी जाती हैं आदि अनेकों ऐसे उदाहरण है तो रोज देखने को मिलते हैं।

भगवत गीता को पढ़ने के अपने नियम और समय हैं किंतु अब तो कथावाचक चौराहों पर हर माह भागवत कथा का आयोजन करते हैं। यज्ञ के महत्व को समझे बगैर वेद विरुद्ध यज्ञ किए जाते हैं और अब तमाम वह सारे उपक्रम नजर आने लगे हैं जिनका सनातन हिंदू धर्म से कोई वास्ता नहीं है।

3 .बाबाओं के चमचे :
'अनुयायी होना दूसरी आत्महत्या है।'- वेद

रुद्राक्ष या ॐ को छोड़कर आज का युवा अपने-अपने बाबाओं के लॉकेट को गले में लटकाकर घुमते रहते हैं। उसे लटकाकर वे क्या घोषित करना चाहते हैं यह तो हम नहीं जानते। हो सकता है कि वे किसी कथित महान हस्ती से जुड़कर खुद को भी महान-बुद्धिमान घोषित करने की जुगत में हो।

लेकिन कुछ युवा तो नौकरी या व्यावसायिक हितों के चलते उक्त संत या बाबाओं से जुड़ते हैं तो कुछ के जीवन में इतने दुख और भय हैं कि हाथ में चार-चार अँगूठी, गले में लॉकेट, ताबीज और न जाने क्या-क्या। गुरु को भी पूजो, भगवान को भी पूजो और ज्योतिष जो कहे उसको भी, सब तरह के उपक्रम कर लो...धर्म के विरुद्ध जाकर भी कोई कार्य करना पड़े तो वह भी कर लो।

4.धर्म या जीवन पद्धति :
हिन्दुत्व कोई धर्म नहीं, बल्कि जीवन पद्धति है- ये वाक्य बहुत सालों से बहुत से लोग और संगठन प्रचारित करते रहे हैं। उक्त वाक्य से यह प्रतिध्वनित होता है कि इस्लाम, ईसाई, बौद्ध और जैन सभी धर्म है। धर्म अर्थात आध्यात्मिक मार्ग, मोक्ष मार्ग। धर्म अर्थात जो सबको धारण किए हुए हो, अस्तित्व और ईश्वर है, लेकिन हिंदुत्व तो धर्म नहीं है। जब धर्म नहीं है तो उसके कोई पैगंबर और अवतारी भी नहीं हो सकते। उसके धर्मग्रंथों को फिर धर्मग्रंथ कहना छोड़ो, उन्हें जीवन ग्रंथ कहो। गीता को धर्मग्रंथ मानना छोड़ दें? भगवान कृष्ण ने धर्म के लिए युद्ध लड़ा था कि जीवन के लिए?

जहाँ तक हम सभी धर्मों के धर्मग्रंथों को पढ़ते हैं तो पता चलता है कि सभी धर्म जीवन जीने की पद्धति बताते हैं। यह बात अलग है कि वह पद्धति अलग-अलग है। फिर हिंदू धर्म कैसे धर्म नहीं हुआ? धर्म ही लोगों को जीवन जीने की पद्धति बताता है, अधर्म नहीं। क्यों संत-महात्मा गीताभवन में लोगों के समक्ष कहते हैं कि 'धर्म की जय हो-अधर्म का नाश हो'?

4.मनमानी व्याख्‍या के संगठन :
पहले ही भ्रम का जाल था कुछ संगठनों ने और भ्रम फैला रखा है उनके अनुसार ब्रह्म सत्य नहीं है शिव सत्य है और शंकर अलग है। आज आप जहाँ खड़े हैं अगले कलयुग में भी इसी स्थान पर इसी नाम और वेशभूषा में खड़े रहेंगे- यही तो सांसारिक चक्र है। इनके अनुसार समय सीधा नहीं चलता गोलगोल ही चलता है।

इन लोगों ने वैदिक विकासवाद के सारे सिद्धांत और समय व गणित की धारणा को ताक में रख दिया है। एक संत या संगठन गीता के बारे में कुछ कहता है, तो दूसरा कुछ ओर। एक राम को भगवान मानता है तो दूसरा साधारण इंसान। हालाँकि राम और कृष्ण को छोड़कर अब लोग शनि की शरण में रहने लगे हैं।

वेद, पुराण और गीता की मनमानी व्याख्‍याओं के दौर से मनमाने रीति-रिवाज और पूजा-पाठ विकसित होते गए। लोग अनेकों संप्रदाय में बँटते गए और बँटते जा रहे हैं। संत निरंकारी संप्रदाय, ब्रह्माकुमारी संगठन, जय गुरुदेव, गायत्री परिवार, कबिर पंथ, साँई पंथ, राधास्वामी मत आदि अनेकों संगठन और सम्प्रदाय में बँटा हिंदू समाज वेद को छोड़कर भ्रम की स्थिति में नहीं है तो क्या है?

संप्रदाय तो सिर्फ दो ही थे- शैव और वैष्णव। फिर इतने सारे संप्रदाय कैसे और क्यूँ हो गए। प्रत्येक संत अपना नया संप्रदाय बनाना क्यूँ चाहता है? क्या भ्रमित नहीं है आज का हिंदू?

वेद बुलाते हैं तुम्हें : विद्वानों अनुसार 'वेद' ही है हिंदुओं के धर्मग्रंथ। वेदों में दुनिया की हर बातें हैं। वेदों में धर्म, योग, विज्ञान, जीवन, समाज और ब्रह्मांड की उत्पत्ति, पालन और संहार का विस्तृत उल्लेख है। वेदों का सार है उपनिषद् और उपनिषदों का सार है गीता। सार का अर्थ होता है संक्षिप्त।

- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

कुरान का संदेश

ड्रोन पर ओबामा और सांसदों में ठनी


वाशिंगटन. पाकिस्‍तान और यमन में ड्रोन के इस्‍तेमाल से जुड़ी संवेदनशील सरकारी सूचनाओं तक पहुंच को लेकर अमेरिकी राष्‍ट्रपति कार्यालय ह्वाइट हाउस और संसद के कुछ सदस्‍यों के बीच तनाव बढ़ते जा रहे हैं। ‘वॉल स्‍ट्रीट जर्नल’ ने राष्‍ट्रपति कार्यालय के अधिकारियों के हवाले से यह दावा किया है।

ह्वाइट हाउस ने सूचनाएं हासिल करने के सांसदों के अनुरोध को ठुकरा दिया है। सांसदों का तर्क है कि सीआईए और सेना के संयुक्‍त कमान के ऑपरेशन का अमेरिकी नीति पर व्‍यापक असर पड़ता है।

बराक ओबामा ने जब से अमेरिकी राष्‍ट्रपति का पद संभाला है तब से सीआईए के ड्रोन हमले में पाकिस्‍तान में 1500 से ज्‍यादा संदिग्‍ध आतंकवादी मारे गए हैं। खुफिया एजेंसी के इतिहास में यह सबसे घातक कार्यक्रम है।

अमेरिकी सेना ड्रोन जैसे एक नए हेलीकॉप्टर को अफगानिस्तान में तैनात करने वाला है। यह हेलीकॉप्टर विस्तृत क्षेत्र टोही संवेदक उपकरणों से लैस होगा जो अपने आसपास के क्षेत्र की ज्यादा साफ और बेहतर गुणवत्ता वाली तस्वीरें भेज सकेगा।

सेना ने कहा कि बोइंग द्वारा निर्मित नई ‘ए-160 हमिंगबर्ड’ (तस्‍वीर में) अमेरिकी सैनिकों को ‘जमीन पर चल रही गतिविधियों को और बेहतर तरीके से जानने में सक्षम बनाएगा।’ यूएएस मॉडर्नाइजेशन के उत्पाद प्रबंधक लेफ्टिनेंट कर्नल मैथ्यू मुंस्टर का कहना है कि सेना अफगानिस्तान में ‘क्विक रिएक्शन कैपेबिलिटी’ के अंतर्गत तीन ‘ए-160 हमिंगबर्ड वर्टिकल-टेक-ऑफ-एंड-लैंडिंग’ अनाम हवाई प्रणाली को या फिर ‘वीटीओएल - यूएएस’ तैनात करेगा।

यह कार्य मई से जून 2012 के बीच होगा। मुंस्टर ने एक बयान में कहा कि इन्हें करीब एक साल के लिए तैनात किया जाएगा। सेना के ‘वीटीओएल - यूएएस’ कार्यक्रम के विकासकर्ता और इंजीनियर ए-160 में वायरिंग का काम खत्म कर रहे हैं और एआरजीयूएस संवेदक उपकरण के साथ भूमि पर परीक्षण कर रहे हैं। सीआईएस फिलहाल पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए ‘प्रीडेटर’ और ‘रिपर’ ड्रोन का उपयोग करती है।

'मेरे सामने छोटे से बड़े हुए-मुख्यमंत्री बने और मेरी ही दुकान हटवा दी'

जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए गुरुवार को शहर के दौरे पर निकले। मुख्यमंत्री ने करीब तीन घंटे के दौरे में बस से शहर का जायजा लिया।

सचिवालय से एयरपोर्ट, एयरपोर्ट से टोंक रोड होते हुए अजमेरी गेट, त्रिपोलिया बाजार, बड़ी चौपड़, जौहरी बाजार, न्यूगेट, घाट की गूणी होते हुए सिसोदिया रानी गार्डन और यहां से सीधे खासा कोठी पर आकर सीएम का दौरा खत्म हो गया।

गहलोत ने तैयारियों की खामियों को दूर करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री जहां-जहां गए बड़ी संख्या में सफाईकर्मी नजर आए। उनके मुंह फेरते ही काम बंद हो गया।

हमारा बुरा करोगे तो हारोगे

मुख्यमंत्री जब बड़ी चौपड़ पहुंचे, फूल वाले खंदे पर उनका सामना लाडबाई फूलवाली से हुआ। सुरक्षाकर्मी लाडबाई को दूर भगा रहे थे तभी मुख्यमंत्री ने उसे बुला लिया। लाडबाई ने मुख्यमंत्री से कहा, हमारा बुरा करोगे तो हारोगे। मेरे सामने छोटे से बड़े हुए हो। सीएम बने हो। मेरी दुकान हटा दी।

मेयर ज्योति खंडेलवाल ने मुख्यमंत्री से कहा, सर यहां से 40 लोगों को हटाया गया था। इन्हें चौगान स्टेडियम में जगह दी है। मेयर की बात काटते हुए लाडबाई ने फिर कहा, मैं तो यहीं मरूंगी।

40 साल पहले पांच रु. की रसीद काटकर चौपड़ पर जगह दी थी। रसीद मेरे पास है। हालांकि फूलवालों को हटाने से चौपड़ और चौड़ी हुई है। लोगों को भी सहूलियत हुई है। लेकिन दर्द तो दर्द है, कभी भी सामने आ सकता है।

अजमेरी गेट

गहलोत अजमेरी गेट पर बस से उतर कर यादगार के पास रुके । मुख्यमंत्री ने यादगार के भवन का मूल परंपरागत स्वरूप बनाए रखने के निर्देश दिए। अजमेरी गेट पर मरम्मत और पुताई के काम का भी देखा।

सिसोदिया रानी गार्डन और खासाकोठी

मुख्यमंत्री ने बड़ी चौपड़ के पास लक्ष्मीनारायण जी के मंदिर में दर्शन किए। इसके बाद वे सिसोदिया रानी गार्डन गए। इसके बाद खासाकोठी में प्रवासी भारतीयों के ठहरने की व्यवस्था का जायजा लिया।

महापौर रत्ना जैन केंद्रीय सुपरवाइजरी बोर्ड की सदस्य मनोनीत!

कोटा.केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने महापौर डॉ. रत्ना जैन को मंत्रालय की केंद्रीय सुपरवाइजरी बोर्ड का विशेष आमंत्रित सदस्य मनोनीत किया हैं। महापौर डॉ. जैन राजस्थान की एक मात्र जनप्रतिनिधि है जिन्हें इस समिति में मनोनीत किया गया है।

पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के तहत गठित केंद्रीय सुपरवाइजरी बोर्ड, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सर्वोच्च तथा सबसे सशक्त नीति निर्धारक समिति होती है।

यह समिति प्रसव पूर्व निदान तकनीक, लिंग चयन तकनीक तथा इन तकनीकों के दुरुपयोग के खिलाफ अपनी सिफारिशें सीधे केंद्र सरकार को भेजती है। देश भर में यह कानून इसी केंद्रीय सुपरवाइजरी बोर्ड के माध्यम से ही क्रियान्वित किया जाता है।
महापौर डॉ. जैन को मुंबई में 14 जनवरी को आयोजित होने वाली बोर्ड की 18 वीं बैठक में भी आमंत्रित किया गया है। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद करेंगे। बैठक में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ भी उपस्थित रहेंगी। इस उपलब्धि के लिए स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने फोन पर महापौर को बधाई दी है।

अल्पसंख्यकों को वर्ष २००७ में आरक्षण के सिफारिश के चार साल बाद आरक्षण अचानक देने के पीछे मंशा क्या है पहली साम्प्रदायिक अधिसूचना रद्द क्यूँ नहीं करते



दोस्तों यह अल्पसंख्यकों को दिए जाने वाले आरक्षण की अधिसूचना है इसमें वर्ष १९९३ में जब इन्द्र साहनी मामले में मुस्लिमों को भी धर्म के आधार से अलग हटकर आरक्षण की सूचि में शामिल करने के आदेश के बाद अधिसूचना निकाली गयी थी उसका हवाला है ..फिर १० मई २००७ की रिपोर्ट का हवाला है तो दोस्तों देखलो यह आरक्षण का लाभ अल्पसंख्यकों को वर्ष २००७ में मिलना था लेकिन यह लाभ वर्ष २०११ यानी पुरे चार साल बाद क्यूँ मिला किसी के पास जवाब नहीं है .......दोस्तों यह तो इस अधिसूचना की बात है लेकिन आरक्षण के १९५१ की अधिसूचना आप देखेंगे तो भाजपा की बात आप को याद आएगी के आरक्षण धर्म के नाम पर नहीं होना चाहिए केवल आवश्यकता और पिछड़े आधार पर होना चाहिए जी हाँ दोस्तों इस अधिसूचना में अधिसूचित जातियों को जोड़ कर विशेष नोट अंकित किया गया है के यह आरक्षण केवल हिन्दुओं के लियें है जिसमे बाद में सिक्ख ओर्बोद्ध शब्द जोड़ा गया है तो दोस्तों अगर केवल हिन्दुओं के लियें आरक्षण है तो फिर मांस का व्यसाय करने वाले खटिक और कसाई अलग अलग हो जाते हैं कपड़ा बुनने वाले बुनकर और कोली समाज अलग अलग हो जाता है और भी कई जातियां कई दस्तकार है जो केवल इस अधिसूचना से मुसलमान होने के कारण पिछड़ गये है तो जनाब धर्म के आधार पर जारी इस अधिसूचना को इस धर्म निरपेक्ष देश में अब तो खत्म करवा दो ताकि सभी पात्र भारतियों को इसका लाभ मिल सके क्या ऐसा करवा सकोगे अगर नहीं तो भाई यह आरक्षण किस काम का फिर तो काबलियत के आधार पर लोगों को आगे आने तो आरक्षण के नाम पर राजनीति बंद कर समान देश की बुनियाद मजबूत करो भाई ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में तो पुराना हूँ

में तो पुराना हूँ
हाँ
तेरे लियें
में तो पुराना हूँ
पल दो पल या फिर कल
चला जाऊँगा ॥
फिर नया आयेगा
तेरा क्या
तू तो मुझे
भूलकर
उसके साथ हो जाएगा
हाँ मुझे भूल जाना ही
तेरे लियें ठीक रहेगा
कुछ मुझ में रही हो अगर मधुरता मिठास
तभी तू मुझे करना याद
अगर रही हो मुझे कडवाहट ..परेशानियाँ
तो जनाब भूल जाना मुझे
मेरा क्या में तो गुज़रा कल हूँ
इतिहास समझो तो तुम्हे सूधारने काम आऊंगा
कल समझो तो याद नहीं आऊंगा
बस तुम्हे क्या कहूँ ।
तुम्हारा क्या
तुम तो हर बार इन दिनों
नये के इन्तिज़ार में जश्न मनाते हो
एक में ही हूँ
जिसे जाता हुआ देख कर भी तुम मुझे रोक नहीं पाते हो
खेर कोई बात नहीं जो हे साथ तुम्हारे जो आ रहा है साथ तुम्हारे
खुदा करे तुम्हे वोह सब दे जो में न दे सका
खुशिया..अपनापन..रोज़गार.हिम्मत इन्साफ प्यार दुलार भाईचारा सद्भावना
हाँ धन दोलत का क्या वोह तो तुम्हे मिल ही जाएगा
दोलत शोहरत का क्या वोह तो तुम्हे मिल ही जाएगा
लेकिन में जो गया तो फिर वापस नहीं आऊंगा
इसलिए कहता हूँ कुछ ऐसा तो कर डालो
के यादगार बनुन में तुम्हारे लियें
लोग कहें के मेरे काल में मेरे वक्त में
हाँ मेरे वक्त में अपने यह क्या था आपने वोह क्या था ..... नया साल मुबारक हो जनाब .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अपने पिछले सफ़र

अपने पिछले सफ़र

अपने पिछले हमसफ़र कि कोई तो पहचान रख
कुछ नहीं तो मेज़ पर काँटों भरा गुलदान रख

तपते रेगिस्तान का लम्बा सफ़र कट जाएगा
अपनी आँखों में मगर छोटा-सा नाख्लिस्तान रख

दोस्ती, नेकी, शराफत, आदमियत और वफ़ा
अपनी छोटी नाव में इतना भी मत सामान रख

सरकशी पे आ गई हैं मेरी लहरें ए खुदा!
मैं समुन्दर हूँ मेरे सीने में भी चट्टान रख

घर के बाहर की फिजा का कुछ तो अंदाज़ा लगे
खोल कर सारे दरीचे और रौशनदान रख

नंगे पाँव घास पर चलने में भी इक लुत्फ़ है
ओस के कतरों से आलम खुद को मत अंजन रख

सपनों का सौदागर

सपनों का सौदागर

सूरज फिर
से हुआ लाल है

बहुप्रतीक्षित सपनों का सौदागर आया
पाहुन बनकर नया वर्ष
सबके घर आया
1
आँगन आँगन
अभिनंदन के, चौक सजाए
सबको ऐसा लगे, कोई अपने घर आए
जीवन में फिर कोई स्वर्णिम
अवसर आया
1
नए वर्ष का
सूरज, सबको बाँटे सोना
हर बच्चे को मिले खेलने नया खिलौना
नया समय अब पहले से
कुछ बेहतर आया
1
बुझी हुई
आँखों में, सपने जाग उठे हैं
गहन तिमिर में जैसे दीपक राग उठे हैं
प्यासों के अधरों तक चलकर
सरवर आया
1
समय समंदर
में हम सब, बहते जाते हैं
गहराई में गए वही, मोती पाते हैं
समय पृष्ठ पर सूरज कर
हस्ताक्षर आया
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-सजीवन मयंक

सिमी के नाम पर बंद कर उनका जीवन बर्बाद करने वाले पीड़ित निर्दोषों को मुआवजा और उन्हें झूंठा फंसाने वालों को सजा कोन और केसे देगा

जो दिए हैं जख्म सरकार के इन अधिकारियों ने आज खोल के हमने बता भी दिए तो इन पर मलहम कोन लगाएगा और अगर मलहम मिल भी गया तो इस दर्द से जो तडपे हैं हम आज उसका मुआवजा कोन हमे दिलाएगा.... जी हाँ दोस्तों यही दर्द तलाशने सीमी के मामले में हाल ही में बा इज्ज़त बरी हुए सहमे डरे हुए आधा दर्जन लोगो के परिवार के पास दिल्ली की समाज सेवी संस्था के एक पदाधिकारी बहन मनीषा जब आयीं तो कई पीड़ितों और उनके परिजनों की आँखों से आंसू बह निकले उनके दर्द की कराहट उनके चेहरे पर पीड़ा बन कर चस्पा थी जो हर शख्स को दिखती है लेकिन बेदर्द सरकार और सरकार के बेठे अधिकारीयों को नज़र नहीं आ रही है .....दोस्तों एक इत्तिफाक था के जयपुर में बम विस्फोट हुआ और इसकी तलाश में जुटे पुलिस अधिकारीयों ने इसका जाल कोटा में तलाशना शुरू किया कोटा में इस मामले में विशेष पुलिस टीम को यूँ तो कुछ नहीं मिला लेकिन मुस्लिम बच्चों को पढ़ने लिखाने और उन्हें रोज़गार दिलाने के लियें संघर्ष कर रहे लोगों को पुलिस ने तीन साल पहले उन ला फूल एक्टिविटी में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जेल भी ऐसा भेजा के पहले दो हफ्ते सभी को नाजायज़ हिरासत में रखा टॉर्चर कर पुन्छ्तांच की हर रिपोर्ट अख़बारों में लीक की गयी और फिर दो हफ्ते बाद अखबारों की कटिंग पर जयपुर एस ओ जी थाने में पुलिस एफ आई आर दर्ज करवाई गयी आधा दर्जन लोग पर उनके परिजन चीखते रहे चिल्लाते रहे बिलखते रहे अपनी बेगुनाही के सबूत देते रहे लेकिन पुलिस थी के टस से मस नहीं हो रही थी .......मुस्लिम नेता जो कोंग्रेस के वोटर हैं चीखे चिल्लाए आरोप लगाया राजस्थान में भाजपा की सरकार है भाजपा मुस्लिमों से सोतेला व्यवहार करती है इसलियें निर्दोष लोगों को फंसाया गया है चुनाव में कोंग्रेस को जिताओ सभी लोगों को रिहा करवा देंगे शहर काजी कोटा और कई लोगों की उपस्थिति में कोंग्रेस के नेताओं ने संकल्प लिया कसम खायी पहले मुझे जिताओ कोंग्रेस की सरकार आने दो सभी को रिहा करवा देंगे कहा गया के भाजपा सरकार ने सभी को निर्दोष फंसाया है ..किस्मत पल्टी राजस्थान में भाजपा हरी कोंग्रेस की सरकार आ गयी और अजमेर बम ब्लास्ट में माना गया के इन्द्रेश जी और दुसरे लोग आरोपी हैं इन्द्रेश जी को बिना गिरफ्तार किये चार्ज शीट पेश की गयी ......इधर कोटा के कोंग्रेसी नेता जो चुनाव जीते थे मंत्री बने बुलंद आवाज़ हुई जोधपुर के मुसल्मानों की मदद से अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने सभी ने पीड़ितों की तरफ से उन्हें रिहा करने का वायदा याद दिलाया लेकिन वही राजनितिक जवाब केसा वायदा केसी रिहाई अदालत जाने तुम जानो काफी दिक्कतों के बाद तीन साल के लम्बे खतरनाक सफर के बाद सिमी के आरोप में बंद किये गये कोटा के लोगों को जयपुर की अदालत ने बरी कर दिया बरी लोगों के चेहरे पर ख़ुशी नहीं डर और खोफ का माहोल था उनकी निगाहें कहती है के फिर से कहीं कोई भी झूंठा मामला बनाकर पुलिस हमे फंसा ना दे या फिर किसी हमारे बेगुनाह भाई को न फंसा डाले ..बस इसी दर्द को तलाशने दिल्ली की समाज सेवी संस्था से जुडी बहन मनीषा जब कोटा आयीं तो पीड़ित प्रेषण लोगों को थोड़ी उम्मीद जगी लेकिन जब उन्हें मेने बताया के जिस कानून में यह बंद थे वोह तो काला कानून है उस कानून में तो झूंठा फंसाने वाले के खिलाफ भी कोई कार्यवाही नहीं करने की पाबंदी है और ऐसे अधिकारियों या सरकार के खिलाफ क्षतिपूर्ति इस कानून में लेने का कोई प्रावधान नहीं है यानि कोई भी अधिकारी दुश्मनी निकालने के लियें संदेह को सुबूत बताकर अगर किसी को भी गिरफ्तार कर ले तो समाज में तो उसकी इज्जत और अस्मत का फलूदा निकल ही गया वोह समाज में तो अछूत हो ही गया लेकिन जेल में विशेष बंदी की पीड़ा छोटी सी बेरक जहाँ उठने और बेठने की भी जगह नहीं है .जेलर की मार सभी सहने के बाद तीन साल बाद अगर कोई छूटे अदालत उसे बरी कर दे और झूंठा मामला बना कर किसी व्यक्ति और उसके परिवार का जीवन बर्बाद कर देने वाले अधिकारी और सरकार के खिलाफ कोई कार्यवाही न ह तो ऐसा कानून तो काला कानून अंग्रेजो से भी बुरा कानून गुलामी का कानून कहलाता है ..मनीषा बहन और उनके साथ आये पदाधिकारियों ने इस मामले को गम्भीरता से लिया और दिल्ली में एक विशेष रिपोर्ट तय्यार कर ऐसे कानूनों के खिलाफ जंग लड़ने का एलन किया है आज आयोजित कोटा की इस बैठक में ह्युमन रिलीफ सोसाइटी के अख्तर खान अकेला .आबिद हुसेन अब्बासी ..कोंग्रेस मानवाधिकार प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष प्रोफेसर मुमताज़ आलम वक्फ कमेटी कोटा के नायब सदर नसरुद्दीन अंसारी ..अल्फ्लाह सोसाइटी के भाई रफ़ीक बेलियम ..अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट के अध्यक्ष एजाज़ कहां उर्फ़ अज्जू भाई सहित कई दर्जन लोगों के आलावा पीड़ित और उनके परिवार के सदस्य थे जिनके चेहरे पर डर और खोफ का माहोल था आँखों के आंसू सुख चुके थे और आँखे मानो कह रही हो के हमारे वोह जवानी के तीन साल उन तकलीफों और दुःख दर्द का मुआवजा कोन देगा और केसे मिलेगा ..इस दर्द को देख कर सभी ने तय किया के ऐसे मामलों में सरकार को खुद के पुनर्वास योजना तय्यार करना चाहिए जो ऐसे पीड़ितों को पुनर्वासित करने के लियें सरकारी मदद दे और बेदर्द पुलिसकर्मी जो फर्जी मुकदमे बनाते है उन्हें सजा देने के लियें कार्यवाही करे ताकि भविष्य में कोई पुलिस कर्मी फर्जी कार्यवाही कर किसी के परिवार को बर्बाद नहीं कर सके दोस्तों अगर मेरी मांग सही है तो प्लीज़ सपोर्ट मी और सभी राष्ट्रपति जी को पत्र लिखिए मुझे और मेरे शहर के पीड़ित लोगों और उनके परिजनों जेसे लाखों हिन्दुस्तानियों को आपकी मदद का इन्तिज़ार है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

द्रौपदी का चीरहरण होता रहा धृतराष्ट्र बैठे रहे

नई दिल्‍ली. गुरुवार रात राज्यसभा में लोकपाल बिल पर मतदान से पीछे हटी कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार पर शुक्रवार को हमले तेज हो गए हैं। एक तरफ से मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार से इस्तीफा मांगा है तो वहीं, टीम अन्ना ने अब सिर्फ लोकपाल के लिए नहीं बल्कि लोकतंत्र को बचाने के लिए आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। टीम अन्ना के वरिष्ठ सदस्य शांति भूषण ने गुरुवार रात राज्यसभा में प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि गुरुवार रात जितने लोग भी टीवी देख रहे थे, उन्होंने देखा कि द्रौपदी का चीरहरण होता रहा और धृतराष्ट्र बैठे रहे।

टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'सरकार का मजबूत लोकपाल लाने का दावा खोखला साबित हुआ। लोकसभा के अंदर जो कानून आया, वह बहुत कमजोर था। उसका कोई फायदा नहीं था। बहुमत का गलत इस्तेमाल करके गलत बिल पास करवा लिया गया। लेकिन सरकार का राज्यसभा में बहुमत नहीं है। विपक्ष ने187 संशोधन दिए। लेकिन मोटे तौर पर 3 संशोधनों पर आम राय थी। इसमें सीबीआई को लोकपाल के दायरे में लाना, लोकपाल का चयन और हटाना और लोकायुक्त को इस कानून से बाहर रखा जाए। अगर गुरुवार को वोटिंग होती तो तीनों पास हो जाते। अगर ऐसा होता तो एक ऐसा लोकपाल निकल सकता था, जो शुरुआत करने लायक लोकपाल होता। लेकिन सरकार की मंशा कुछ और थी। लालू प्रसाद यादव और आरजेडी को सामने किया गया। शाम से ही टीवी चैनलों पर आने लगा कि सदन की कार्यवाही बाधित की जाएगी। बयानों को लंबा खींचा गया और सदन की कार्यवाही होते-होते 12 बज गए। संसदीय प्रावधानों का गलत इस्तेमाल करके संसद की कार्यवाही बाधित की। यह पूरी तरह से सरकार की साजिश थी। यह संसद और इस देश की जनता के साथ साजिश है।'
दूसरी तरफ, बीजेपी ने राज्‍यसभा की कार्यवाही स्‍थगित होने के लिए सरकार को जिम्‍मेदार ठहराया है। अरुण जेटली ने कहा कि मजबूत लोकपाल बिल पारित करना सरकार का वादा था लेकिन कांग्रेस और यूपीए ने देश को एक मजबूत लोकपाल से वंचित किया। जेटली ने कहा, 'बीजेपी ने सरकार के कमजोर बिल का समर्थन नहीं किया और कहा था कि इसमें संशोधन कर पारित करेंगे। बीजेपी ने अपनी रणनीति पहले ही तय कर दी थी। तीन मुद्दों पर पूरा सदन एकमत था। जब सरकार के वरिष्‍ठ नेता यानी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी संसद में मौजूद थे, ऐसे में सरकार लोकपाल पर वोटिंग से भागने का प्रयास करती है। यह विचित्र स्थिति है। सरकार ने रुकावट पैदा कर खुद को बचाया है।'
सुषमा स्‍वराज ने कहा कि सदन का सत्र खत्‍म होने के बाद दोनों सदनों के नेताओं के संयुक्‍त प्रेस कांफ्रेंस की परंपरा है लेकिन इस सत्र में सरकार की किरकिरी हुई और जाते जाते यह सरकार की मुंह पर कालिख पोत गया। उन्‍होंने राज्‍यसभा में गुरुवार की रात हुई घटना को ‘लोकतंत्र का चीरहरण’ करार दिया। मैं तो यहां तक कहता हूं कि इस साजिश में प्रधानमंत्री भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि सरकार के पास तीन विकल्‍प थे। सबसे सहज यह कि ज्‍यादा संशोधन आए तो सेलेक्‍ट कमेटी के पास भेजने का विकल्‍प है। सरकार इस बिल को लाना ही नहीं चाहती है। सरकार को तुरंत इस्‍तीफा देना चाहिए और नए चुनाव कराने चाहिए।

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