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01 जनवरी 2012

योग क्या है? योग के प्रकार


योग की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है जिसका अर्थ जोड़ना है। योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। पहला है- जोड़ और दूसरा है समाधि। जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, समाधि तक पहुंचना असंभव होगा। योग का अर्थ परमात्मा से मिलन है।

छह भारतीय दर्शन : (six philosophies of hindu India) भारत के छह दर्शनों में से एक है योग। ये छह दर्शन हैं- 1.न्याय 2.वैशेषिक 3.मीमांसा 4.सांख्य 5.वेदांत और 6.योग।

योग का महत्व : (yoga benefits) योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ्य किया जा सकता है। तीन को स्वस्थ्य रहने से आत्मा स्वत: की स्वस्थ्‍य महसूस करती है। लंबी आयु, सिद्धि और समाधि के लिए योग किया जाता रहा है। सभी धर्मों का महत्वपूर्ण अंग है योग।

योग के प्रकार : (types of yoga) : वेद, पुराण आदि ग्रन्थों में योग के अनेक प्रकार बताए गए हैं। भगवान कृष्ण ने योग के तीन प्रकार बताए हैं- ज्ञान योग, कर्म योग और भक्ति योग। जबकि योग प्रदीप में योग के दस प्रकार बताए गए हैं- 1.राज योग, 2.अष्टांग योग, 3.हठ योग, 4.लय योग, 5.ध्यान योग, 6.भक्ति योग, 7.क्रिया योग, 8.मंत्र योग, 9.कर्म योग और 10.ज्ञान योग। इसके अलावा होते हैं- धर्म योग, तंत्र योग, नाद योग आदि।

आष्टांग योग (Ashtanga yoga) : आष्टांग योग का सर्वाधिक प्रचलन और महत्व है। आष्टांग योग अर्थात योग के आठ अंग। यह आठ अंग सभी धर्मों का सार है। उक्त आठ अंगों से बाहर धर्म, योग, दर्शन, मनोविज्ञान आदि तत्वों की कल्पना नहीं की जा सकती।

यह आठ अंग हैं- (1)यम (2)नियम (3)आसन (4)प्राणायम (5)प्रत्याहार (6)धारणा (7)ध्यान और (8)समाधि। उक्त आठ अंगों के अपने-अपने उप अंग भी हैं। वर्तमान में योग के तीन ही अंग प्रचलन में हैं- आसन, प्राणायाम और ध्यान, जो कि योगभ्रष्ट मार्ग है। योग को प्रथम यम से ही सिखना होता है।

1.यम- (yama) सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अस्तेय और अपरिग्रह।
2.नियम- (niyama) शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर प्रणिधान।
3.आसन- (asana) आसनों के अनेक प्रकार हैं। आसन के संबंध में हठयोग प्रदीपिका, घरेण्ड संहिता तथा योगाशिखोपनिषद् में विस्तार से वर्णन मिलता है।
4.प्राणायाम- (pranayama) नाड़ी शोधन और जागरण के लिए किया जाने वाला श्वास और प्रश्वास का नियमन प्राणायाम है। प्राणायम के भी अनेकों प्रकार हैं।
5.प्रत्याहार- (pratyahara)इंद्रियों को विषयों से हटाकर अंतरमुख करने का नाम ही प्रत्याहार है।
6.धारणा- (dharana) चित्त को एक स्थान विशेष पर केंद्रित करना ही धारणा है।
7.ध्यान- (dhyana yoga) ध्यान का अर्थ है सदा जाग्रत या साक्षी भाव में रहना अर्थात भूत और भविष्य की कल्पना तथा विचार से परे पूर्णत: वर्तमान में जीना।
8.समाधि- (samadhi yoga) समाधि के दो प्रकार है- संप्रज्ञात और असंप्रज्ञात। समाधि मोक्ष है। मोक्ष प्राप्त करने के लिए उपरोक्त सात कदम क्रमश: चलना होता है।

योग का संक्षिप्त इतिहा (History of Yoga) : योग का उपदेश सर्वप्रथम हिरण्यगर्भ ब्रह्मा ने सनकादिकों को, पश्चात विवस्वान (सूर्य) को दिया। बाद में यह दो शखाओं में विभक्त हो गया। एक ब्रह्मयोग और दूसरा कर्मयोग। ब्रह्मयोग की परम्परा सनक, सनन्दन, सनातन, कपिल, आसुर‍ि, वोढु और पच्चंशिख नारद-शुकादिकों ने शुरू की थी। यह ब्रह्मयोग लोगों के बीच में ज्ञान, अध्यात्म और सांख्‍य योग नाम से प्रसिद्ध हुआ।

दूसरी कर्मयोग की परम्परा विवस्वान की है। विवस्वान ने मनु को, मनु ने इक्ष्वाकु को, इक्ष्वाकु ने राजर्षियों एवं प्रजाओं को योग का उपदेश दिया। उक्त सभी बातों का वेद और पुराणों में उल्लेख मिलता है। वेद को संसार की प्रथम पुस्तक माना जाता है जिसका उत्पत्ति काल लगभग 10000 वर्ष पूर्व का माना जाता है। पुरातत्ववेत्ताओं अनुसार योग की उत्पत्ति 5000 ई.पू. में हुई। गुरु-शिष्य परम्परा के द्वारा योग का ज्ञान परम्परागत तौर पर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलता रहा।

भारतीय योग जानकारों के अनुसार योग की उत्पत्ति भारत में लगभग 5000 वर्ष से भी अधिक समय पहले हुई थी। योग की सबसे आश्चर्यजनक खोज 1920 के शुरुआत में हुई। 1920 में पुरातत्व वैज्ञानिकों ने 'सिंधु सरस्वती सभ्यता' को खोजा था जिसमें प्राचीन हिंदू धर्म और योग की परंपरा होने के सबूत मिलते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता को 3300-1700 बी.सी.ई. पूराना माना जाता है।

योग ग्रंथ योग सूत्र (Yoga Sutras Books) : वेद, उपनिषद्, भगवद गीता, हठ योग प्रदीपिका, योग दर्शन, शिव संहिता और विभिन्न तंत्र ग्रंथों में योग विद्या का उल्लेख मिलता है। सभी को आधार बनाकर पतंजलि ने योग सूत्र लिखा। योग पर लिखा गया सर्वप्रथम सुव्यव्यवस्थित ग्रंथ है- योगसूत्र। योगसूत्र को पांतजलि ने 200 ई.पूर्व लिखा था। इस ग्रंथ पर अब तक हजारों भाष्य (yoga bhashya) लिखे गए हैं, लेकिन कुछ खास भाष्यों का यहां उल्लेख लिखते हैं।

व्यास भाष्य (vyasa bhashya) : व्यास भाष्य का रचना काल 200-400 ईसा पूर्व का माना जाता है। महर्षि पतंजलि का ग्रंथ योग सूत्र योग की सभी विद्याओं का ठीक-ठीक संग्रह माना जाता है। इसी रचना पर व्यासजी के 'व्यास भाष्य' को योग सूत्र पर लिखा प्रथम प्रामाणिक भाष्य माना जाता है। व्यास द्वारा महर्षि पतंजलि के योग सूत्र पर दी गई विस्तृत लेकिन सुव्यवस्थित व्याख्या।

तत्त्ववैशारदी (tattvavaisharadi) : पतंजलि योगसूत्र के व्यास भाष्य के प्रामाणिक व्याख्याकार के रूप में वाचस्पति मिश्र का 'तत्त्ववैशारदी' प्रमुख ग्रंथ माना जाता है। वाचस्पति मिश्र ने योगसूत्र एवं व्यास भाष्य दोनों पर ही अपनी व्याख्या दी है। तत्त्ववैशारदी का रचना काल 841 ईसा पश्चात माना जाता है।

योगवार्तिक (yoga varttika vijnana bhiksu) : विज्ञानभिक्षु का समय विद्वानों के द्वारा 16वीं शताब्दी के मध्य में माना जाता है। योगसूत्र पर महत्वपूर्ण व्याख्या विज्ञानभिक्षु की प्राप्त होती है जिसका नाम ‘योगवार्तिक’ है।

भोजवृत्ति (bhoja vritti) : भोज के राज्य का समय 1075-1110 विक्रम संवत माना जाता है। धरेश्वर भोज के नाम से प्रसिद्ध व्यक्ति ने योग सूत्र पर जो 'भोजवृत्ति नामक ग्रंथ लिखा है वह भोजवृत्ति योगविद्वजनों के बीच समादरणीय एवं प्रसिद्ध माना जाता है। कुछ इतिहासकार इसे 16वीं सदी का ग्रंथ मानते हैं।

फेंफड़ा मजबूत तो दिमाग तेज





फेंफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं, जिन्हें अंग्रेजी में लंग्स (Lung) कहते हैं। इसके खराब होने से अस्थमा, टीबी, दमा या फेंफड़े से संबंधित अन्य कोई भी गंभीर रोग हो सकता है।

फेंफड़ों के स्वस्थ्य रहने से जहां संपूर्ण शरीर स्वस्थ्य रहता है वहीं यह दिमाग को भी सेहतमंद बनाए रखता है। एक शोध से पता चला है कि फेंफड़ों का स्वास्थ्य का असर दिमाग पर पड़ता है। फेंफड़ों में भरपूर शुद्ध हवा से दिमाग में ऑक्सिजन की पूर्ति होती रहती है।

कैसे होता है फेंफड़ा खराब : फेंफड़े मुख्यत: धूम्रपान, तम्बाकू और वायु प्रदूषण के अलावा फंगस, ठंडी हवा, भोजन में कुछ पदार्थ, ठंडे पेय, धुएँ, मानसिक तनाव, इत्र और रजोनिवृत्ति जैसे अनेक कारणों से फेंफड़ा रोग ग्रस्त हो सकता है। व्यक्ति की नाक, गला, त्वचा आदि पर इसका परिणाम एलर्जी कहलाता है।

कैसे बनाएं फेंफड़े को स्वस्थ : फेंफड़ों को स्वस्थ्य और मजबूत बनाए रखने के लिए अनुलोम-विलोम का अभ्यास करने के ‍बाद कपालभाति, भस्त्रिका और कुम्भक प्राणायाम करने चाहिए। इसके बाद त्रिबंधासन का अभ्यास करें। त्रिबंधासन में तीनों बंध (उड्डीयान, जालंधर और मूलबंध) को एक साथ लगाकर अभ्यास किया जाता है। बस इतना पर्याप्त है।

एक्ट्रा एफर्ट : इसके बाद यदि आप करना चाहें तो ब्रह्ममुद्रा 10 बार, कन्धसंचालन 10 बार (सीधे-उल्टे), मार्जगसन 10 बार, शशकासन 2 बार (10 श्वास-प्रश्वास के लिए), वक्रासन 10 श्वास के लिए, भुजंगासन 3 बार (10 श्वास के लिए), धनुरासन 2 बार (10 श्वास-प्रश्वास के लिए), पाश्चात्य प्राणायाम (10 बार गहरी श्वास के साथ), उत्तानपादासन 2 बार, 10 सामान्य श्वास के लिए, शवासन 5 मिनट, नाड़ीसांधन प्राणायाम 10-10 बार एक स्वर से, कपालभाति 50 बार, भस्त्रिका कुम्भक 10 बार, जल्दी-जल्दी श्वास-प्रश्वास के बाद कुम्भक यथाशक्ति 3 बार दोहराना था।

सावधानी- सभी प्राणायाम, बंध या आसन का अभ्यास स्वच्छ व हवायुक्त स्थान पर करना चाहिए। पेट, फेंफड़े, गुदा और गले में किसी भी प्रकार का गंभीर रोग हो तो योग चिकित्सक की सलाह लें।

इसके लाभ- फेंफड़े के अलावा इससे गले, गुदा, पेशाब और पेट संबंधी रोग भी दूर होते हैं। इसके अभ्यास से दमा, अति अमल्ता, अर्जीण, कब्ज, अपच आदि रोग दूर होते हैं। इससे चेहरे की चमक बढ़ती है। अल्सर कोलाईटिस रोग ठीक होता है और फेफड़े की दूषित वायु निकलने से हृदय की कार्यक्षमता भी बढ़ती है।

लोकपाल पर समझौता नहीं करेगी तुन्मुल



लोकपाल के प्रावधानों के बारे में अपने सख्त रूख पर कायम रहते हुए तृणमूल कांग्रेस ने लोकायुक्त प्रावधानों पर किसी भी प्रकार के समझौते से इनकार करते हुए कहा है कि सरकार को राज्यसभा में मत विभाजन का सामना करना चाहिए था।

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव एवं सांसद मुकुल राय ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सविधान के संघीय ढांचे से कोई समझौता नहीं करेगी और पार्टी की ओर से पेश किए गए संशोधन को स्वीकार करना होगा। वे गृहमंत्री पी. चिदंबरम के उस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे, जिसमें गृहमंत्री ने कहा था कि लोकायुक्त के प्रावधान को पूरी तरह से समाप्त करने की तृणमूल की मांग को पूरा करना आसान नहीं होगा और सरकार एक या दो संशोधनों को स्वीकार कर सकती है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सरकार को मतविभाजन का सामना करना चाहिए था। राय ने दावा किया कि पार्टी सांसदों ने लोकपाल विधेयक में लोकायुक्त के प्रावधानों पर आपत्ति व्यक्त की थी क्योंकि तृणमूल कांग्रेस की यह समझ थी कि राज्यसभा में विधेयक पेश करते समय उसके सुझावों को ध्यान में रखा जाएगा।

राय ने कहा कि इस आश्वासन को नहीं निभाया गया। ममता बनर्जी की आवाज देश के अन्य मुख्यमंत्रियों की ओर से व्यक्त किए गए विचार की अभिव्यक्ति है। राय ने कहा कि जिस तरह से राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई, वह लोकतंत्र के लिहाज से ठीक नहीं है।

भारत के राज्यों का संघ होने का उल्लेख करते हुए राय ने कहा कि केंद्र सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में इन विषयों को पूरी तरह से स्पष्ट किया गया है, इसमें भ्रम की स्थिति नहीं है। पार्टी के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि लोकपाल पर पार्टी का रूख स्पष्ट है और अब यह राष्ट्रीय मत बन गया है

।तुलसीदासजी की दीनता और राम भक्तिमयी कविता की महिमा


तुलसीदासजी की दीनता और राम भक्तिमयी कविता की महिमा
* जानि कृपाकर किंकर मोहू। सब मिलि करहु छाड़ि छल छोहू॥
निज बुधि बल भरोस मोहि नाहीं। तातें बिनय करउँ सब पाहीं॥2॥
भावार्थ:-मुझको अपना दास जानकर कृपा की खान आप सब लोग मिलकर छल छोड़कर कृपा कीजिए। मुझे अपने बुद्धि-बल का भरोसा नहीं है, इसीलिए मैं सबसे विनती करता हूँ॥2॥
* करन चहउँ रघुपति गुन गाहा। लघु मति मोरि चरित अवगाहा॥
सूझ न एकउ अंग उपाऊ। मन मति रंक मनोरथ राउ॥3॥
भावार्थ:-मैं श्री रघुनाथजी के गुणों का वर्णन करना चाहता हूँ, परन्तु मेरी बुद्धि छोटी है और श्री रामजी का चरित्र अथाह है। इसके लिए मुझे उपाय का एक भी अंग अर्थात्‌ कुछ (लेशमात्र) भी उपाय नहीं सूझता। मेरे मन और बुद्धि कंगाल हैं, किन्तु मनोरथ राजा है॥3॥
* मति अति नीच ऊँचि रुचि आछी। चहिअ अमिअ जग जुरइ न छाछी॥
छमिहहिं सज्जन मोरि ढिठाई। सुनिहहिं बालबचन मन लाई॥4॥
भावार्थ:-मेरी बुद्धि तो अत्यन्त नीची है और चाह बड़ी ऊँची है, चाह तो अमृत पाने की है, पर जगत में जुड़ती छाछ भी नहीं। सज्जन मेरी ढिठाई को क्षमा करेंगे और मेरे बाल वचनों को मन लगाकर (प्रेमपूर्वक) सुनेंगे॥4॥
* जौं बालक कह तोतरि बाता। सुनहिं मुदित मन पितु अरु माता॥
हँसिहहिं कूर कुटिल कुबिचारी। जे पर दूषन भूषनधारी॥5॥
भावार्थ:-जैसे बालक जब तोतले वचन बोलता है, तो उसके माता-पिता उन्हें प्रसन्न मन से सुनते हैं, किन्तु क्रूर, कुटिल और बुरे विचार वाले लोग जो दूसरों के दोषों को ही भूषण रूप से धारण किए रहते हैं (अर्थात्‌ जिन्हें पराए दोष ही प्यारे लगते हैं), हँसेंगे॥5॥
* निज कबित्त केहि लाग न नीका। सरस होउ अथवा अति फीका॥
जे पर भनिति सुनत हरषाहीं। ते बर पुरुष बहुत जग नाहीं॥6॥
भावार्थ:-रसीली हो या अत्यन्त फीकी, अपनी कविता किसे अच्छी नहीं लगती? किन्तु जो दूसरे की रचना को सुनकर हर्षित होते हैं, ऐसे उत्तम पुरुष जगत में बहुत नहीं हैं॥6॥
* जग बहु नर सर सरि सम भाई। जे निज बाढ़ि बढ़हि जल पाई॥
सज्जन सकृत सिंधु सम कोई। देखि पूर बिधु बाढ़इ जोई॥7॥
भावार्थ:-हे भाई! जगत में तालाबों और नदियों के समान मनुष्य ही अधिक हैं, जो जल पाकर अपनी ही बाढ़ से बढ़ते हैं (अर्थात्‌ अपनी ही उन्नति से प्रसन्न होते हैं)। समुद्र सा तो कोई एक बिरला ही सज्जन होता है, जो चन्द्रमा को पूर्ण देखकर (दूसरों का उत्कर्ष देखकर) उमड़ पड़ता है॥7॥
दोहा :
* भाग छोट अभिलाषु बड़ करउँ एक बिस्वास।
पैहहिं सुख सुनि सुजन सब खल करिहहिं उपहास॥8॥
भावार्थ:-मेरा भाग्य छोटा है और इच्छा बहुत बड़ी है, परन्तु मुझे एक विश्वास है कि इसे सुनकर सज्जन सभी सुख पावेंगे और दुष्ट हँसी उड़ावेंगे॥8॥
चौपाई :
* खल परिहास होइ हित मोरा। काक कहहिं कलकंठ कठोरा॥
हंसहि बक दादुर चातकही। हँसहिं मलिन खल बिमल बतकही॥1॥
भावार्थ:-किन्तु दुष्टों के हँसने से मेरा हित ही होगा। मधुर कण्ठ वाली कोयल को कौए तो कठोर ही कहा करते हैं। जैसे बगुले हंस को और मेंढक पपीहे को हँसते हैं, वैसे ही मलिन मन वाले दुष्ट निर्मल वाणी को हँसते हैं॥1॥
* कबित रसिक न राम पद नेहू। तिन्ह कहँ सुखद हास रस एहू॥
भाषा भनिति भोरि मति मोरी। हँसिबे जो हँसें नहिं खोरी॥2॥
भावार्थ:-जो न तो कविता के रसिक हैं और न जिनका श्री रामचन्द्रजी के चरणों में प्रेम है, उनके लिए भी यह कविता सुखद हास्यरस का काम देगी। प्रथम तो यह भाषा की रचना है, दूसरे मेरी बुद्धि भोली है, इससे यह हँसने के योग्य ही है, हँसने में उन्हें कोई दोष नहीं॥2॥
* प्रभु पद प्रीति न सामुझि नीकी। तिन्हहि कथा सुनि लागिहि फीकी॥
हरि हर पद रति मति न कुतर की। तिन्ह कहँ मधुर कथा रघुबर की॥3॥
भावार्थ:-जिन्हें न तो प्रभु के चरणों में प्रेम है और न अच्छी समझ ही है, उनको यह कथा सुनने में फीकी लगेगी। जिनकी श्री हरि (भगवान विष्णु) और श्री हर (भगवान शिव) के चरणों में प्रीति है और जिनकी बुद्धि कुतर्क करने वाली नहीं है (जो श्री हरि-हर में भेद की या ऊँच-नीच की कल्पना नहीं करते), उन्हें श्री रघुनाथजी की यह कथा मीठी लगेगी॥3॥
* राम भगति भूषित जियँ जानी। सुनिहहिं सुजन सराहि सुबानी॥
कबि न होउँ नहिं बचन प्रबीनू। सकल कला सब बिद्या हीनू॥4॥
भावार्थ:-सज्जनगण इस कथा को अपने जी में श्री रामजी की भक्ति से भूषित जानकर सुंदर वाणी से सराहना करते हुए सुनेंगे। मैं न तो कवि हूँ, न वाक्य रचना में ही कुशल हूँ, मैं तो सब कलाओं तथा सब विद्याओं से रहित हूँ॥4॥
* आखर अरथ अलंकृति नाना। छंद प्रबंध अनेक बिधाना॥
भाव भेद रस भेद अपारा। कबित दोष गुन बिबिध प्रकारा॥5॥
भावार्थ:-नाना प्रकार के अक्षर, अर्थ और अलंकार, अनेक प्रकार की छंद रचना, भावों और रसों के अपार भेद और कविता के भाँति-भाँति के गुण-दोष होते हैं॥5॥
* कबित बिबेक एक नहिं मोरें। सत्य कहउँ लिखि कागद कोरें॥6॥
भावार्थ:-इनमें से काव्य सम्बन्धी एक भी बात का ज्ञान मुझमें नहीं है, यह मैं कोरे कागज पर लिखकर (शपथपूर्वक) सत्य-सत्य कहता हूँ॥6॥
दोहा :
* भनिति मोरि सब गुन रहित बिस्व बिदित गुन एक।
सो बिचारि सुनिहहिं सुमति जिन्ह कें बिमल बिबेक॥9॥
भावार्थ:-मेरी रचना सब गुणों से रहित है, इसमें बस, जगत्प्रसिद्ध एक गुण है। उसे विचारकर अच्छी बुद्धिवाले पुरुष, जिनके निर्मल ज्ञान है, इसको सुनेंगे॥9॥
चौपाई :
* एहि महँ रघुपति नाम उदारा। अति पावन पुरान श्रुति सारा॥
मंगल भवन अमंगल हारी। उमा सहित जेहि जपत पुरारी॥1॥
भावार्थ:-इसमें श्री रघुनाथजी का उदार नाम है, जो अत्यन्त पवित्र है, वेद-पुराणों का सार है, कल्याण का भवन है और अमंगलों को हरने वाला है, जिसे पार्वतीजी सहित भगवान शिवजी सदा जपा करते हैं॥1॥
* भनिति बिचित्र सुकबि कृत जोऊ। राम नाम बिनु सोह न सोउ॥
बिधुबदनी सब भाँति सँवारी। सोह न बसन बिना बर नारी॥2॥
भावार्थ:-जो अच्छे कवि के द्वारा रची हुई बड़ी अनूठी कविता है, वह भी राम नाम के बिना शोभा नहीं पाती। जैसे चन्द्रमा के समान मुख वाली सुंदर स्त्री सब प्रकार से सुसज्जित होने पर भी वस्त्र के बिना शोभा नहीं देती॥2॥
*सब गुन रहित कुकबि कृत बानी। राम नाम जस अंकित जानी॥
सादर कहहिं सुनहिं बुध ताही। मधुकर सरिस संत गुनग्राही॥3॥
भावार्थ:-इसके विपरीत, कुकवि की रची हुई सब गुणों से रहित कविता को भी, राम के नाम एवं यश से अंकित जानकर, बुद्धिमान लोग आदरपूर्वक कहते और सुनते हैं, क्योंकि संतजन भौंरे की भाँति गुण ही को ग्रहण करने वाले होते हैं॥3॥
*जदपि कबित रस एकउ नाहीं। राम प्रताप प्रगट एहि माहीं॥
सोइ भरोस मोरें मन आवा। केहिं न सुसंग बड़प्पनु पावा॥4॥
भावार्थ:-यद्यपि मेरी इस रचना में कविता का एक भी रस नहीं है, तथापि इसमें श्री रामजी का प्रताप प्रकट है। मेरे मन में यही एक भरोसा है। भले संग से भला, किसने बड़प्पन नहीं पाया?॥4॥
*धूमउ तजइ सहज करुआई। अगरु प्रसंग सुगंध बसाई॥
भनिति भदेस बस्तु भलि बरनी। राम कथा जग मंगल करनी॥5॥
भावार्थ:-धुआँ भी अगर के संग से सुगंधित होकर अपने स्वाभाविक कड़ुवेपन को छोड़ देता है। मेरी कविता अवश्य भद्दी है, परन्तु इसमें जगत का कल्याण करने वाली रामकथा रूपी उत्तम वस्तु का वर्णन किया गया है। (इससे यह भी अच्छी ही समझी जाएगी।)॥5॥
छंद :
*मंगल करनि कलिमल हरनि तुलसी कथा रघुनाथ की।
गति कूर कबिता सरित की ज्यों सरित पावन पाथ की॥
प्रभु सुजस संगति भनिति भलि होइहि सुजन मन भावनी
भव अंग भूति मसान की सुमिरत सुहावनि पावनी॥
भावार्थ:-तुलसीदासजी कहते हैं कि श्री रघुनाथजी की कथा कल्याण करने वाली और कलियुग के पापों को हरने वाली है। मेरी इस भद्दी कविता रूपी नदी की चाल पवित्र जल वाली नदी (गंगाजी) की चाल की भाँति टेढ़ी है। प्रभु श्री रघुनाथजी के सुंदर यश के संग से यह कविता सुंदर तथा सज्जनों के मन को भाने वाली हो जाएगी। श्मशान की अपवित्र राख भी श्री महादेवजी के अंग के संग से सुहावनी लगती है और स्मरण करते ही पवित्र करने वाली होती है।
दोहाः
*प्रिय लागिहि अति सबहि मम भनिति राम जस संग।
दारु बिचारु कि करइ कोउ बंदिअ मलय प्रसंग॥10 क॥
भावार्थ:-श्री रामजी के यश के संग से मेरी कविता सभी को अत्यन्त प्रिय लगेगी। जैसे मलय पर्वत के संग से काष्ठमात्र (चंदन बनकर) वंदनीय हो जाता है, फिर क्या कोई काठ (की तुच्छता) का विचार करता है?॥10 (क)॥
*स्याम सुरभि पय बिसद अति गुनद करहिं सब पान।
गिरा ग्राम्य सिय राम जस गावहिं सुनहिं सुजान ॥10 ख॥
भावार्थ:-श्यामा गो काली होने पर भी उसका दूध उज्ज्वल और बहुत गुणकारी होता है। यही समझकर सब लोग उसे पीते हैं। इसी तरह गँवारू भाषा में होने पर भी श्री सीतारामजी के यश को बुद्धिमान लोग बड़े चाव से गाते और सुनते हैं॥10 (ख)॥
चौपाई :
*मनि मानिक मुकुता छबि जैसी। अहि गिरि गज सिर सोह न तैसी॥
नृप किरीट तरुनी तनु पाई। लहहिं सकल सोभा अधिकाई॥1॥
भावार्थ:-मणि, माणिक और मोती की जैसी सुंदर छबि है, वह साँप, पर्वत और हाथी के मस्तक पर वैसी शोभा नहीं पाती। राजा के मुकुट और नवयुवती स्त्री के शरीर को पाकर ही ये सब अधिक शोभा को प्राप्त होते हैं॥1॥
*तैसेहिं सुकबि कबित बुध कहहीं। उपजहिं अनत अनत छबि लहहीं॥
भगति हेतु बिधि भवन बिहाई। सुमिरत सारद आवति धाई॥2॥
भावार्थ:-इसी तरह, बुद्धिमान लोग कहते हैं कि सुकवि की कविता भी उत्पन्न और कहीं होती है और शोभा अन्यत्र कहीं पाती है (अर्थात कवि की वाणी से उत्पन्न हुई कविता वहाँ शोभा पाती है, जहाँ उसका विचार, प्रचार तथा उसमें कथित आदर्श का ग्रहण और अनुसरण होता है)। कवि के स्मरण करते ही उसकी भक्ति के कारण सरस्वतीजी ब्रह्मलोक को छोड़कर दौड़ी आती हैं॥2॥
*राम चरित सर बिनु अन्हवाएँ। सो श्रम जाइ न कोटि उपाएँ॥
कबि कोबिद अस हृदयँ बिचारी। गावहिं हरि जस कलि मल हारी॥3॥
भावार्थ:-सरस्वतीजी की दौड़ी आने की वह थकावट रामचरित रूपी सरोवर में उन्हें नहलाए बिना दूसरे करोड़ों उपायों से भी दूर नहीं होती। कवि और पण्डित अपने हृदय में ऐसा विचारकर कलियुग के पापों को हरने वाले श्री हरि के यश का ही गान करते हैं॥3॥
*कीन्हें प्राकृत जन गुन गाना। सिर धुनि गिरा लगत पछिताना॥
हृदय सिंधु मति सीप समाना। स्वाति सारदा कहहिं सुजाना॥4॥
भावार्थ:-संसारी मनुष्यों का गुणगान करने से सरस्वतीजी सिर धुनकर पछताने लगती हैं (कि मैं क्यों इसके बुलाने पर आई)। बुद्धिमान लोग हृदय को समुद्र, बुद्धि को सीप और सरस्वती को स्वाति नक्षत्र के समान कहते हैं॥4॥
*जौं बरषइ बर बारि बिचारू। हो हिं कबित मुकुतामनि चारू॥5॥
भावार्थ:-इसमें यदि श्रेष्ठ विचार रूपी जल बरसता है तो मुक्ता मणि के समान सुंदर कविता होती है॥5॥
दोहा :
*जुगुति बेधि पुनि पोहिअहिं रामचरित बर ताग।
पहिरहिं सज्जन बिमल उर सोभा अति अनुराग॥11॥
भावार्थ:-उन कविता रूपी मुक्तामणियों को युक्ति से बेधकर फिर रामचरित्र रूपी सुंदर तागे में पिरोकर सज्जन लोग अपने निर्मल हृदय में धारण करते हैं, जिससे अत्यन्त अनुराग रूपी शोभा होती है (वे आत्यन्तिक प्रेम को प्राप्त होते हैं)॥11॥
चौपाई :
*जे जनमे कलिकाल कराला। करतब बायस बेष मराला॥
चलत कुपंथ बेद मग छाँड़े। कपट कलेवर कलि मल भाँड़े॥1॥
भावार्थ:-जो कराल कलियुग में जन्मे हैं, जिनकी करनी कौए के समान है और वेष हंस का सा है, जो वेदमार्ग को छोड़कर कुमार्ग पर चलते हैं, जो कपट की मूर्ति और कलियुग के पापों के भाँड़ें हैं॥1॥
*बंचक भगत कहाइ राम के। किंकर कंचन कोह काम के॥
तिन्ह महँ प्रथम रेख जग मोरी। धींग धरम ध्वज धंधक धोरी॥2॥
भावार्थ:-जो श्री रामजी के भक्त कहलाकर लोगों को ठगते हैं, जो धन (लोभ), क्रोध और काम के गुलाम हैं और जो धींगाधींगी करने वाले, धर्मध्वजी (धर्म की झूठी ध्वजा फहराने वाले दम्भी) और कपट के धन्धों का बोझ ढोने वाले हैं, संसार के ऐसे लोगों में सबसे पहले मेरी गिनती है॥2॥
*जौं अपने अवगुन सब कहऊँ। बाढ़इ कथा पार नहिं लहऊँ ॥
ताते मैं अति अलप बखाने। थोरे महुँ जानिहहिं सयाने ॥3॥
भावार्थ:-यदि मैं अपने सब अवगुणों को कहने लगूँ तो कथा बहुत बढ़ जाएगी और मैं पार नहीं पाऊँगा। इससे मैंने बहुत कम अवगुणों का वर्णन किया है। बुद्धिमान लोग थोड़े ही में समझ लेंगे॥3॥
*समुझि बिबिधि बिधि बिनती मोरी। कोउ न कथा सुनि देइहि खोरी॥
एतेहु पर करिहहिं जे असंका। मोहि ते अधिक ते जड़ मति रंका॥4॥
भावार्थ:-मेरी अनेकों प्रकार की विनती को समझकर, कोई भी इस कथा को सुनकर दोष नहीं देगा। इतने पर भी जो शंका करेंगे, वे तो मुझसे भी अधिक मूर्ख और बुद्धि के कंगाल हैं॥4॥
*कबि न होउँ नहिं चतुर कहावउँ। मति अनुरूप राम गुन गावउँ॥
कहँ रघुपति के चरित अपारा। कहँ मति मोरि निरत संसारा॥5॥
भावार्थ:-मैं न तो कवि हूँ, न चतुर कहलाता हूँ, अपनी बुद्धि के अनुसार श्री रामजी के गुण गाता हूँ। कहाँ तो श्री रघुनाथजी के अपार चरित्र, कहाँ संसार में आसक्त मेरी बुद्धि !॥5॥।
*जेहिं मारुत गिरि मेरु उड़ाहीं। कहहु तूल केहि लेखे माहीं॥
समुझत अमित राम प्रभुताई। करत कथा मन अति कदराई॥6॥
भावार्थ:-जिस हवा से सुमेरु जैसे पहाड़ उड़ जाते हैं, कहिए तो, उसके सामने रूई किस गिनती में है। श्री रामजी की असीम प्रभुता को समझकर कथा रचने में मेरा मन बहुत हिचकता है-॥6॥
दोहा :
*सारद सेस महेस बिधि आगम निगम पुरान।
नेति नेति कहि जासु गुन करहिं निरंतर गान॥12॥
भावार्थ:-सरस्वतीजी, शेषजी, शिवजी, ब्रह्माजी, शास्त्र, वेद और पुराण- ये सब 'नेति-नेति' कहकर (पार नहीं पाकर 'ऐसा नहीं', ऐसा नहीं कहते हुए) सदा जिनका गुणगान किया करते हैं॥12॥
चौपाई :
*सब जानत प्रभु प्रभुता सोई। तदपि कहें बिनु रहा न कोई॥
तहाँ बेद अस कारन राखा। भजन प्रभाउ भाँति बहु भाषा॥1॥
भावार्थ:-यद्यपि प्रभु श्री रामचन्द्रजी की प्रभुता को सब ऐसी (अकथनीय) ही जानते हैं, तथापि कहे बिना कोई नहीं रहा। इसमें वेद ने ऐसा कारण बताया है कि भजन का प्रभाव बहुत तरह से कहा गया है। (अर्थात भगवान की महिमा का पूरा वर्णन तो कोई कर नहीं सकता, परन्तु जिससे जितना बन पड़े उतना भगवान का गुणगान करना चाहिए, क्योंकि भगवान के गुणगान रूपी भजन का प्रभाव बहुत ही अनोखा है, उसका नाना प्रकार से शास्त्रों में वर्णन है। थोड़ा सा भी भगवान का भजन मनुष्य को सहज ही भवसागर से तार देता है)॥1॥
*एक अनीह अरूप अनामा। अज सच्चिदानंद पर धामा॥
ब्यापक बिस्वरूप भगवाना। तेहिं धरि देह चरित कृत नाना॥2॥
भावार्थ:-जो परमेश्वर एक है, जिनके कोई इच्छा नहीं है, जिनका कोई रूप और नाम नहीं है, जो अजन्मा, सच्चिदानन्द और परमधाम है और जो सबमें व्यापक एवं विश्व रूप हैं, उन्हीं भगवान ने दिव्य शरीर धारण करके नाना प्रकार की लीला की है॥2॥
*सो केवल भगतन हित लागी। परम कृपाल प्रनत अनुरागी॥
जेहि जन पर ममता अति छोहू। जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू॥3॥
भावार्थ:-वह लीला केवल भक्तों के हित के लिए ही है, क्योंकि भगवान परम कृपालु हैं और शरणागत के बड़े प्रेमी हैं। जिनकी भक्तों पर बड़ी ममता और कृपा है, जिन्होंने एक बार जिस पर कृपा कर दी, उस पर फिर कभी क्रोध नहीं किया॥3॥
*गई बहोर गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू॥
बुध बरनहिं हरि जस अस जानी। करहिं पुनीत सुफल निज बानी॥4॥
भावार्थ:-वे प्रभु श्री रघुनाथजी गई हुई वस्तु को फिर प्राप्त कराने वाले, गरीब नवाज (दीनबन्धु), सरल स्वभाव, सर्वशक्तिमान और सबके स्वामी हैं। यही समझकर बुद्धिमान लोग उन श्री हरि का यश वर्णन करके अपनी वाणी को पवित्र और उत्तम फल (मोक्ष और दुर्लभ भगवत्प्रेम) देने वाली बनाते हैं॥4॥
*तेहिं बल मैं रघुपति गुन गाथा। कहिहउँ नाइ राम पद माथा॥
मुनिन्ह प्रथम हरि कीरति गाई। तेहिं मग चलत सुगम मोहि भाई॥5॥
भावार्थ:-उसी बल से (महिमा का यथार्थ वर्णन नहीं, परन्तु महान फल देने वाला भजन समझकर भगवत्कृपा के बल पर ही) मैं श्री रामचन्द्रजी के चरणों में सिर नवाकर श्री रघुनाथजी के गुणों की कथा कहूँगा। इसी विचार से (वाल्मीकि, व्यास आदि) मुनियों ने पहले हरि की कीर्ति गाई है। भाई! उसी मार्ग पर चलना मेरे लिए सुगम होगा॥5॥
दोहा :
*अति अपार जे सरित बर जौं नृप सेतु कराहिं।
चढ़ि पिपीलिकउ परम लघु बिनु श्रम पारहि जाहिं॥13॥
भावार्थ:-जो अत्यन्त बड़ी श्रेष्ठ नदियाँ हैं, यदि राजा उन पर पुल बँधा देता है, तो अत्यन्त छोटी चींटियाँ भी उन पर चढ़कर बिना ही परिश्रम के पार चली जाती हैं। (इसी प्रकार मुनियों के वर्णन के सहारे मैं भी श्री रामचरित्र का वर्णन सहज ही कर सकूँगा)॥13॥
चौपाई :
*एहि प्रकार बल मनहि देखाई। करिहउँ रघुपति कथा सुहाई॥
ब्यास आदि कबि पुंगव नाना। जिन्ह सादर हरि सुजस बखाना॥1॥
भावार्थ:-इस प्रकार मन को बल दिखलाकर मैं श्री रघुनाथजी की सुहावनी कथा की रचना करूँगा। व्यास आदि जो अनेकों श्रेष्ठ कवि हो गए हैं, जिन्होंने बड़े आदर से श्री हरि का सुयश वर्णन किया है॥1॥

वेदों का ज्ञान

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कुरान का संदेश


मस्त नींद चाहिए तो पलंग के नीचे रखें उल्टा तवा, क्योंकि...

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अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है पर्याप्त नींद। स्वस्थ जीवन के कम से कम 6 घंटे की प्रतिदिन लेना आवश्यक है। अन्यथा आलस्य बना रहता है और बीमारियां होने की संभावनाएं बनती हैं। नींद पूरी न होने के पीछे कारण हो सकते हैं। इन कारणों में से एक है बुरे या डरावने सपने आना।

यदि किसी व्यक्ति को बुरे या भयानक सपने दिखाई देते हैं जिनकी वजह से नींद खुल जाती है तो निश्चित ही यह स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इस अवस्था से बचने के लिए ज्योतिष के अनुसार एक टोटका या उपाय बताया गया है। इसके अनुसार रात को सोते समय या नींद में सपने देखकर यदि भय लगता हो तो पंलग के नीचे रोटी बनाने के तवा को उल्टा करके रख दें। इस उपाय से निश्चित ही बुरे सपने आना बंद हो जाएंगे। पलंग के नीचे तवा रखने से हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा निष्क्रिय हो जाती है। इसी नकारात्मक ऊर्जा की वजह से बुरे सपने दिखाई देते हैं। इन बुरी शक्तियां के प्रभाव में होने से हमारा दिमाग इस प्रकार की बातों को ही सोचता है। पलंग के नीचे तवा रखने पर इन विचारों पर विराम लगता है और नींद अच्छी आती है।

इसके साथ ही रात को सोते समय भगवान या इष्ट देवता का नाम लेकर सोना चाहिए। इस उपाय से भी बुरे सपने आना बंद हो जाते हैं और नींद अच्छी आती है।

आंवले की करामात: ये है लंबी उम्र और जवान बने रहने का राज



आयुर्वेद में दवाइयों, च्यवन प्राश, ब्राह्म रसायन, धात्री रसायन, अनोशदारू , त्रिफला रसायन, आमलकी रसायन, त्रिफला चूर्ण, धात्र्यरिष्ट, त्रिफलारिष्ट, त्रिफला घृत आदि के साथ मुरब्बे, शर्बत, केश तेल आदि निर्माण में आंवला प्रयुक्त होता है। दरअसल आंवले को आयुर्वेद में गुणों की खान माना गया है। यह कई बीमारियों को दूर करता है। इसका अपना पौष्टिक महत्व भी है। संतरे से बीस गुना ज्यादा विटामिन सी इसमें पाया जाता हैं। आंवले को गूजबेरी के नाम से भी जाना जाता हैं। आंवले का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसे पकाने के बाद भी इसमें मौजूद विटामिन सी खत्म नहीं होता।



- आंवले के जूस में शहद मिलाकर पीएं। यह मोतियाबिंद की परेशानी में भी फायदेमंद रहता है।

- आंवला बॉडी की इम्युनिटी पावर बढ़ाकर उसे इंफेक्शंस से लडऩे की स्ट्रेंथ देता हैं।

- सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाने से आप स्वस्थ बने रह सकते हैं।

- आंवला हमारी आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।

- आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता है।

- आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है।

- आंवला हमारे शरीर की त्वचा और हमारे बालों के लिए बहुत लाभकारी होता है।

- आंवला खाने से सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।

- दिल को सेहतमंद रखने के लिए रोजा आंवला खाने की आदत डालें। इससे आपके दिल की मांसपेशियां मजबूत होंगी, जिससे दिल शरीर को ज्यादा व साफ खून सप्लाई कर पाएगा। बेशक इससे आप सेहतमंद रहेंगे।

- आंवला बालों को मजबूत बनाता है, इनकी जड़ों को मजबूत करता है और बालों का झडऩा भी काफी हद तक रोकता है।

- आंवला खाने से कब्ज दूर होती है। यह डायरिया जैसी परेशानियों को दूर करने में बहुत फायदेमंद है।

- खाना खाने से पहले आंवले का पाउडर, शहद और मक्खन मिलाकर खाने से भूख अच्छी लगती है।

- एसीडिटी की समस्या है, तो एक ग्राम आंवला पाउडर और थोड़ी-सी चीनी को एक गिलास पानी या दूध में मिलाकर लें।

- आंवला खाने को अच्छी तरह पचाने में मदद करता है, जिससे आपको खाने के तमाम न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं।

चेहरे पर क्रीम लगाने वाले हो जाएं सवाधान, इसे पढ़ें

राजधानी के जनरल स्टोर्स पर अमानक स्तर के कॉस्मेटिक उत्पादों की बिक्री बेरोकटोक हो रही है। बावजूद इसके ड्रग इंस्पेक्टर्स ने इन स्टोर्स पर बिक रहे उत्पादों की जांच और नमूने लेने की कार्रवाई नहीं की है। यह स्थिति तब है, जब नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन ड्रग इंस्पेक्टर्स को कॉस्मेटिक उत्पादों की जांच करने के निर्देश दे चुके हैं।

यह निर्देश जनरल स्टोर्स पर नकली और अमानक स्तर की सौंदर्य प्रसाधन सामग्री की बिक्री की शिकायतों के मिलने के बाद जारी किए गए थे। राजधानी के जनरल स्टोर्स पर नकली और अमानक स्तर की सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बिकने की पुष्टि औषधि परीक्षण प्रयोगशाला की रिपोर्ट भी कर रही है। लैब में इस साल सौंदर्य प्रशासन में उपयोग होने वाली पांच क्रीम के नमूने जांच के लिए भेजे गए थे, जिनमें से दो नमूने अमानक स्तर के निकले हैं। इसके बाद भी दुकानों पर बिक रहे कॉस्मेटिक सामानों की जांच न होने से ड्रग इंस्पेक्टर्स की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

इंतजार रिपोर्ट का

ड्रग इंस्पेक्टर हेमंत श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले तीन माह में कॉस्मेटिक सामान के 12 नमूने लिए गए हैं। इनकी जांच रिपोर्ट औषधि पदार्थ परीक्षण प्रयोगशाला से नहीं मिली है। इसके अलावा अन्य ड्रग इंस्पेक्टर्स ने भी जनरल स्टोर्स पर बिक रहे कॉस्मेटिक सामान के नमूने लिए हैं। जांच में अमानक स्तर का सामान बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

31 के जिम्मे, 65 का काम

प्रदेश में नकली व अमानक स्तर की दवाओं की बिक्री रोकने के लिए राज्य सरकार ने नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन में ड्रग इंस्पेक्टर्स के 65 पद स्वीकृत किए हैं। इन पदों पर 31 ड्रग इंस्पेक्टर ही काम कर रहे हैं। स्थिति यह है कि एक-एक ड्रग इंस्पेक्टर को दो से चार जिलों के निरीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस कारण ड्रग इंस्पेक्टर्स मेडिकल स्टोर्स का निरीक्षण ही कर पा रहे हैं।

अमन- चैन के लिए ख्वाजा को पेश की जाएगी 786 फीट लंबी चादर!


जोधपुर. देश में कौमी एकता और अमन चैन की दुआ के साथ जोधपुर से सुलेमानी दरबार-ए-चिश्तिया कमेटी के सदस्य ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में चढ़ाने के लिए 786 फीट लंबी चादर लेकर रवाना हुए।


चादर सोमवार को अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में चढ़ाई जाएगी। रवाना होने से पूर्व चादर का जुलूस भी निकाला गया। नई सड़क से गुजरता जुलूस।

यहां सजती है मानवीय अंगों की 'मंडी', 35 हजार दो और किडनी लो

लखनऊ। लाओ चालीस दोगे... किडनी लेना है। मगर एडवांस देना होगा। उधारी, बेरोजगारी से परेशान और नशेड़ी लड़के तो 35 हजार रुपये लेकर से डेढ़ लाख रुपये तक में किडनी बेचने को तैयार है। यह बात बेबाक तरीके से किडनी गंवा चुके पांच में से ज्यादातर युवक कबूलते है। उनका कहना है कि पकड़े गए गिरोह का नेटवर्क बहुत मजबूत है।

अस्पताल में किडनी की जांच करा कर वापस जा रहे राजेन्द्र , कल्लू, पप्पू , अनिल व अभिषेक मुखर्जी इस गिरोह को पकड़ाना चाहते हैं। उनका मानना है कि किडनी बेचना इनका बिजनेस है। पप्पू बाल्मीकि ने बताया कि शराबी लड़कों के अलावा उधारी बेरोजगारी से परेशान युवकों को भी यह निशाना बनाते है। उनके नेटवर्क में खून के ग्रुप के अनुसार लड़के रखे जाते हैं।

अनिल का कहना है कि यह लोग किसी प्रकार लालच देकर खून व अन्य जांच करा लेते है। इसके बाद यह लोग चंडीगढ़ में अस्पताल को बता देते हैं कि इस ग्रुप के खून व अन्य जांच के अनुसार किडनी मौजूद है। इसके बाद जैसे ही अस्पताल से किडनी लेने का आर्डर आता है वैसे ही लालच के जाल में फंसे युवकों को मांग के अनुसार एडवांस में चालीस से एक लाख रुपये देकर चंडीगढ़ ले जाते हैं।

यह लोग उधारी से परेशान युवकों की उधारी चुकाते हैं। उसके बाद उन्हें घेरा बंदी करके किडनी बेचने के लिए मजबूर कर देते है। यह लोग चंडीगड़ में किडनी निकलने से पहले तो खूब खातिरदारी करते है। किडनी निकलते ही यह उपेक्षित कर देते हैं और जल्द से जल्द लखनऊ भेज देते हैं।

प्रधानमन्त्री जी को उनके अपने समाज के लोगों द्वारा उनके अपने घर में काले झंडे दिखाने का मतलब

आज अमृतसर जो सिक्खों का गढ़ है सरदारों की पवित्र भूमि है वहा देश के सरदार बने प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह जब जाते है तो आज उन्हें वहां अन्ना के मामले में काले झंडे दिखाए जाते हैं यह काले झंडे किसी और शहर में दिखाए जाते तो बात थी लेकिन जब घर में अपने ही समाज अपनी ही जाती के लोगों द्वारा विरोध दर्ज कराया जाए तो बस यही सोचना चाहिए के आपकी किसी कार्यशेली से देश तो दूर आपके अपने भी खुश नहीं है ........... दोस्तों अंग्रेजों के वक्त अंग्रेजी कानून ..अंग्रेजी अधिकारीयों की कारगुजारियों के खिलाफ भारतीय देशभक्त काले झंडे दिखा कर उनकी नीतियों का विरोध करते थे अँगरेज़ समझ जाते थे के उनकी नीतियों से भारतीय खुश नहीं है ..कई बार आर पार की ठोका ठाकी वाली लड़ाई भी हो जाया करती थी गिरफ्तारियां होती थी ..दोस्तों फिर देश आज़ाद हुआ सोचा जनता के लियें जनता का शासन है जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि सरकार में बेठेगा तो वोह जनता की सोचेगा जन हित के काम करेगा जनता की भावना समझेगा और जनसुनवाई करेगा ..किसे पता था के निर्वाचित होने के बाद चुनाव में वोट मांगते वक्त जिसकी छवि राम की होती है वोह चुनाव जीतते ही रावण बन जाता है और जनता अगर कोई बात कहती है तो कहता है के हम बढ़े हैं संसद में हम चाहेंगे वोह होगा जनता कोन होती जनता तो जाये भाड़ में ..कुछ लोग अगर सच कहते है तो सांसद इतना बुरा मान जाते है के उन्हें जेल पहुँचने की त्य्यारियों में जुट जाते है तो दोस्तों यह आधुनिक लोकतंत्र स्व निर्मित है जिसे सांसदों ने खुद ने निर्मित कर दिया है सरकार ने खुद ने ऐसा लोकतंत्र बना दिया है जो किताबों में जो लोकतंत्र की परिभाषा है उससे कोसों और कोसों दूर है ...दोस्तों आज आप और हम देखते है जब भी हम देश के बिगड़े हालातों को देख कर उस मामले में सरकार और सरकार के मंत्रियों या फिर अधिकारीयों को सजग सतर्क करना चाहते है और वोह नहीं सुनते तो सार्वजनिक रूप से वोह सही नहीं है वोह जो कर रहे है गलत कर रहे हैं और जनता उनसे खुश नहीं है यह प्रदर्शित करने के लियें काले झंडे दिखाने की योजना बनाते है यह प्रदर्शन कहने को तो प्रतीकात्मक होता है लेकिन दोस्तों जमीर जगाने की एक कोशिश होती है .अब यह तो आधुनिक लोकतंत्र है यहाँ इन दिनों इन हालातों में सरकारी अधिकारी है के काले झंडे का नाम आते ही काले झंडे दिखने की योजना बनाने वालों को या तो गिरफ्तार कर लेते है या फिर पीट पीट कर अधमरा कर देते है तो दोस्तों काले झंडे दिखाने में वहीं कामयाबी मिलती है जहाँ नेता यह समझता है के सब लोग मेरे ही तो हैं कुछ बिगड़ेगा नहीं इसलियें आज प्रधानमन्त्री जी को जो काले झंडे उनेक घर में उनके अपने समाज के अपने लोगों ने दिखाए है उसे वोह गम्भीरता से ले अपने जमीर को जगाएं देश और देश के लोकतंत्र को बचाने के लियें गुलामी छोड़े और अंतर्रात्मा की आवाज़ पर एक बार फिर आर्थिक नीतियों और लोकपाल के बारे में पुनर्विचार करें नहीं तो खुद को अगर वोह बेबस समझते हैं तो फिर पद छोड़ कर घर बेठें या फिर गुरुद्वारे में जाकर प्रायश्चित के रूप में कर सेवा करें ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अग्नि पुराण

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टार्गेट फिफ्टीन को लेकर अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट का अभियान कोटा में १९ से

टार्गेट फिफ्टीन को लेकर अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट का अभियान कोटा में १९ से सम्भाग स्तर पर शुरू होगा जिसमे अल्पसंख्यक मामलों को लेकर अधिकारीयों को दिए गये टार्गेट पूरा नहीं करने के मामले में और अल्पसंख्यकों के काम अनावश्यक अटकाने वाले अधिकारीयों से जवाब तलब होगा ..............उक्त निर्णय आज यहाँ कोटा में आयोजित अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट के नव वर्ष स्नेह मिलन और चिन्तन शिविर में फ्रंट के अध्यक्ष एजाज़ अहमद अज्जू भाई की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में लिया गया ..कोटा में आज आयोजित फ्रंट के शिविर में संयोजक अख्तर खान अकेला ने बताया के केंद्र और राज्य सरकार ने पन्द्रह सूत्रीय कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यकों को विभिन्न मामलों में विशेष योजनाओं की सुविधाएं दी है साथ ही .राजस्थान सरकार ने सभी योजनाओं में विभाग्यध्य्क्षों को पन्द्रह फीसदी अल्पसंख्यकों को लाभ देने के भी निर्देश दिए हैं ......अख्तर खान अकेला ने आंकड़ों पर ध्यान दिलाते हुए बताया के कोटा में महिला विकास ग्रामीण अभिकरण सहित विभिन्न ऋण योजनाओं और अन्य योजनाओं में टार्गेट फिफ्टीन की पूर्ति नहीं की गयी है यहाँ तक के पन्द्रह सूत्रीय कार्यक्रमों में भी विशेष उपलब्धि नहीं दिखाई गयी है ............. बैठक में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एजाज अहमद ने कहा के अल्पसंख्यक मामलात विभाग की तरफ से कोटा में स्वीक्रत हज डेस्क में कोटा वक्फ कमेटी नोडल एजेंसी बन कर सम्पूर्ण सहयोग करेगी जबकि रोज़गार के लियें ..शेक्षणिक ऋण और छात्र्वर्त्तियों के लियें ..उर्दू जुबां के उत्थान ..मदरसों के आधुनिकीकरण के लियें जिला उद्ध्योग विभाग से आयोजित प्रशिक्षण शिविर के लियें कम्प्यूटर प्रशिक्षण और अन्य सभी योजनाओं के लियें फ्रंट के पदाधिकारी और इनके द्वारा नियुक्त कर्मचारी कोटा सहित सभी जिलों में जाकर जाग्रति अभियान चलाएंगे और सभी जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ क्षेत्रीय अल्पसंख्यक समस्याओं को अधिकारीयों को लिखित में देंगे और फिर अगर समय बद्ध कार्यक्रम के तहत उन शिकायतों पर विचार नहीं किया जाता है तो राज्यसरकार में तेनात मंत्रियों ..अयोगों के अध्यक्षों से ऐसे अधिकारीयों की शिकायत की जायेगी ताके उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करवाई जा सके .......... कार्यक्रम में बोलते हुए फ्रंट के उपाध्यक्ष पूर्व नगरपालिका चेयरमेन केथुन नसरुद्दीन अंसारी ने कहा के आज अल्पसंख्यकों को सुविधाएँ देने वाले कार्यालयों में भी कोटा सहित अन्य जिलों में पर्याप्त स्टाफ और भवन की व्यवस्था नहीं है उन्होंने कहा के कोटा के कार्यालय में अल्पसंख्यक आवेदकों के बेठने के स्थान की बात तो दूर कर्मचारियों के बेठने की भी व्यवस्था नहीं है यही हाल अन्य जिलों का भी है उन्होंने कहा के सभी जिलों में कार्यालय व्यस्थित रूप से अपना कार्य करें और पीड़ित आवेदकों तक सभी योजनाओं का लाभ प्रचार प्रसार कर पहुंचाए इस पर विशेष निगरानी की जरूरत है .........कार्यक्रम में बोलते हुए जिला वक्फ कमेटी कोटा के चेयरमेन हाजी अज़ीज़ अंसारी ने कहा के अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट को कार्यालय के लिए वक्फ कमेटी जगह उपलब्ध कराएगी उन्होंने कहा के आगामी १९ जनवरी को आयोजित इस कार्यक्रम की त्य्यारियों के लियें कोटा , बूंदी, बारां ,झालावाड की सभी वक्फ कमेटियों मदरसा को ओर्दिनेटरों , मस्जिद कमेटियों ..समाज की तंजीमों को इसकी सुचना दे दी गयी है इस कार्यक्रम की सरपरस्ती के लियें शहर काजी अनवर अहमद का नाम प्रस्तावित किया गया जिसे सभी ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया .....बैठक में फ्रंट का विस्तार करते हुए कोमरेड करीम , अब्दुल सलाम जर्रा ... रईस अहमद अनंतपुरा ...अरब अली अफगान ....बशीर अहमद ...को कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया .... बैठक में मुस्लिम माइनिरिती फ्रंट ..मोमिन कोंफ्रेंस ॥ फातेहान । ॥ अब्बासी वेलफेयर सोसाइटी ..सलमान पंचायत..राहीन पंचायत ... आल मुस्लिम संघ ..अंसारी वेलफेयर सोसाइटी ..ब्राद्राने कुरैशी .....अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी ..सभी मुस्लिम पार्षद जिला परिषद सदस्य .पंच ..सरपंच ..सर्वोदय स्कुल के हाजी गफ्फार मिर्ज़ा ..सहारा स्कुल के लियाकत अंसारी ..चिल्ड्रन स्कुल के शफी खान ..कोंग्रेस के प्रदेश महासचिव डोक्टर जफर ॥ हाजी बुन्दू ..इरफ़ान गोरी ..कोमरेड गफ्फार सदर अंजुमन भीमगंज मंडी ॥ हशमत अली ..... अब्दुल रजाक बाबा ...अब्दुल माजिद विज्ञान नगर ..वफाती खान ..अब्दुल सलाम अंसारी सहित सभी मुस्लिम तंजीमों अन्जुमानों समितियों मदरसा समितियों अल्पसंख्यक कर्मचारी संघ को आयोजन समिति में लेने का निर्णय लिया गया ...... फ्रंट के अध्यक्ष एजाज़ खान ने बताया के इस सम्बन्ध में शीघ्र ही आयोजन समिति से जुड़े लोगों की बैठक आयोजित कर फ्रंट का विस्तार भी किया जाएगा .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हैरतअंगेज विमान : हवा में उड़ेगा, पानी में तैरेगा और सड़क पर दौड़ेगा


कैलिफोर्निया स्थित आईकॉन कंपनी ने आईकॉन ए-5 नाम का एक फोल्डिंग प्लेन बनाया है। यह प्लेन पानी में तैर सकता है। हवा में उड़ सकता है। जमीन पर चल सकता है। दो सीट वाले इस विमान के पंख फोल्ड भी हो सकते हैं। इसे गैरेज में भी रखा जा सकता है।

2012 के मध्य में इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसे उड़ाने के लिए अलग लाइसेंस लेना होगा। हालांकि इसके लिए विशेष ट्रेनिंग की जरूरत नहीं है। 10 हजार फीट की ऊंचाई पर उडऩे वाले इस विमान की गति 192 किमी प्रति घंटे की है। कीमत 73.67 लाख रुपए है।

दुनिया में एक तिहाई तलाक फेसबुक के कारण

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लंदन.पूरी दुनिया में होने तलाकों में से एक तिहाई सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के कारण हो रहे हैं। एक क़ानूनी फर्म 'डाइवोर्स ऑनलाइन' के मुताबिक फेसबुक को तलाक के मामलों में सबूत के तौर पर पेश करने की संख्या में इजाफा हुआ है।

फर्म के मुताबिक 'व्यवहार सम्बन्धी' तलाक आवेदनों में फेसबुक शब्द के इस्तेमाल में पिछले 2 सालों में 50 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।


पिछले एक साल के दौरान फर्म में दाखिल तालाक के 5000 आवेदनों में से करीब 33 फीसदी ने फेसबुक वेबसाइट का नाम जिक्र किया।

'डाइवोर्स ऑनलाइन' के प्रबंधक मार्क कीनन ने बताया "कई लोगों के लिए फेसबुक अपने दोस्तों के साथ संवाद का मुख्य जरिया बन गया है। लोग अनजाने में अपने पूर्व साथियों को मेसेज भेजते हैं लेकिन यही बाद में मुसीबत का कारण बन जाता है। अगर कोई किसी के साथ प्रेम सम्बन्ध या फ्लर्ट करना चाहता है तो यह सबसे आसन जगह है।"

फेसबुक से होने वाली समस्याओं में सबसे आम कारण, पति या पत्नी द्वारा फ्लर्टी मेसेज का पाया जाना,साथी के पार्टी की तस्वीरें जिसके बारे में वे नहीं जानते या ऐसे किसी के साथ पाया जाना जिसके साथ उन्हें नहीं होना चाहिए।

डॉसन कॉर्नवेल में कानूनी सलाह देने वाले अन्ने मारी हचिंसन कहते है "अगर आप अपने साथी से चीजें छुपाते हैं तो फेसबुक इसे खोजने में आसन बना देता है।"


कीनन ने बताया कि वे अपने मुवक्किलों को तलाक की कार्रवाई के दौरान फेसबुक से दूर रहने की सलाह देते हैं।

उन्होंने कहा "लोगों को फेसबुक पर कुछ भी डालने के दौरान सावधान रहना चाहिए क्योंकि अदालतों में आजकल लोगों के फेसबुक वाल्स और पोस्टिंग को वित्तीय और बच्चों से सम्बंधित विवादों में बतौर सबूत पेश किया जा रहा है।"

यहां श्मशान में जलती लाशों के बीच नाचती हैं बार बालायें

किसी व्यक्ति की मौत होने पर वहां मातम का माहौल होता है। सगे-संबंधी और रिश्तेदार उसकी मौत पर आंसू बहाते हैं। पर आपने कभी किसी की मौत पर और उसकी जलती हुई लाश के बीच बार-बालाओं को नाचते हुए देखा या सुना है? यदि नहीं तो हम आपको बताते हैं। यूपी की धार्मिक नगरी वाराणसी में कुछ ऐसा ही होता है।

यहां बाबा महाश्मशान नाग मंदिर में एक तरफ लाशे जलती हैं और दूसरी तरफ लड़कियां नाचती हैं। इनका नाच देखने के लिए पूरा शहर उमड़ता है। क्या आम, क्या खास सब इस नाच के सुरूर में झूमते नजर आते हैं। पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी जिनके उपर व्यवस्था करने की जिम्मेदारी होती है, वो खुद ही इस नाच में शरीक होते है। यह शमां पूरी रात चलता है। जिसमें पूरा शहर जलता है।

यह सब कुछ होता है परंपरा के नाम पर। इसकी दुहाई देकर वो भी बच निकलते है, जिनके कंधों पर समाज सुधारने की जिम्मेदारी होती है। यहां का दृश्य देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। एक तरफ लाश जलाई जा रही है, दूसरी तरफ 'मुन्नी बदनाम हुई' और 'टिंकू जिया' जैसे गानों पर ठुमके लगते हैं।

स्थानीय रानू सिंह के मुताबिक, नवरात्र में यह कार्यक्रम होता है। पुरानी मान्यताओं के मुताबिक अकबर के मंत्री मानसिंह ने इस परंपरा की शुरूआत की थी। यहां स्थित शिव मंदिर में लोग मन्नत मांगते थे। इसे पूरा होने पर इस श्मशान के बीच घर की वधूयें नाचती थीं। चूंकि इस समय ऐसा होना संभव नहीं है, इसलिए लोग अपनी मन्नत पूरा करने के लिए कलकत्ता और मुंबई से बार बालायें बुलाते हैं।

कैसे बनी परंपरा

काशी के राजा मानसिंह ने इस पौराणिक घाट पर भूत भावन भगवान् शिव के मंदिर का निर्माण कराया। वह यहां संगीत का कार्यक्रम भी कार्यक्रम कराना चाहते थे। ऐसे स्थान जहां चिताए ज़लती हों वहां संगीत का कार्यक्रम करने की हिम्मत किसी में नहीं होती थी। इसलिए राजा ने तवायफें को इस आयोजान में शामिल किया। यही धीरे-धीरे परंपरा में बदल गई। लोग बाबा भूत भावन की आराधना नृत्य के माध्यम से करने से अगले जन्म को सुधारने लगे। इस तरह धर्म की इस नगरी में सेक्स वर्कर को नचा कर मोक्ष का ख्वाब पाला जाने लगा।

जेल में बंद नेता जी की संपत्ति सुन दंग रह जाएंगे!

जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद मधु कोड़ा और उनके ग्रुप के लोगों के पास करीब 33 सौ करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति है। आयकर विभाग के असेसमेंट विंग ने साल के अंतिम दिन कर निर्धारण का काम पूरा कर लिया।

इसकी रिपोर्ट भी सौंप दी गई, जिसमें कहा गया है कि कोड़ा ग्रुप ने 33 सौ करोड़ रुपए की प्रोपर्टी बनाई है। इस पर 13 सौ करोड़ रुपए टैक्स और जुर्माना लगाया गया है, जो कोड़ा एवं उनके सहयोगियों को भरना होगा।

146 ठिकानों पर हुई थी छापेमारी

आयकर विभाग ने 31 अक्टूबर 2009 और 16 फरवरी 2010 को कोड़ा ग्रुप के 146 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमें कई महत्वपूर्ण कागजात जब्त किए गए थे। इसे सेंट्रल सर्किल के सुपुर्द कर दिया गया था। सेंट्रल सर्किल के आयकर आयुक्त उज्ज्वल चौधरी के निर्देशन में कोड़ा ग्रुप के पिछले सात साल के असेसमेंट का काम शनिवार को समाप्त हुआ। गौरतलब है कि छापेमारी का नेतृत्व भी उज्ज्वल चौधरी ने आयकर निदेशक के रूप में किया था।

30 नवंबर से जेल में हैं बंद

मधु कोड़ा 30 नवंबर 2009 से बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार में बंद हैं। जेल के भीतर कैदियों ने उनके साथ मारपीट की, जिससे हाथ की हड्डी टूट गई है। वह रिम्स में इलाजरत थे। हाईकोर्ट के आदेश पर सेना के डॉक्टरों ने उनकी जांच की, जिसके बाद फिर से उन्हें जेल भेज दिया गया।

आगे क्या

आयकर असेसमेंट के बाद संबंधित व्यक्ति अपील दायर कर सकता है। वहां वह दलील दे सकता है कि असेसमेंट गलत किया गया है। यहां उसे आय का स्रोत बताना होगा। अपीलीय अधिकारी उसके तर्कों से संतुष्ट हुआ, तो टैक्स और पेनाल्टी की रकम कम की जा सकती है।

बीमारी की हालत में अन्ना पर दिग्विजय का वार क्या भारतीय सभ्यता के खिलाफ नहीं

सावधान में दिग्गी राजा हूँ ..में मध्यप्रदेश से कोंग्रेस को पूरी तरह पलीता लगाकर अब राष्ट्रिय स्तर पर कोंग्रेस को बर्बाद करने की कोशिशों में जुटा हूँ ..आपको याद होगा पिछले साल २०११ में मेरे बयानों के कारण मुझे पागल का खिताब दिया गया .में बदतमीज़ भी कहा गया और ऐसा सब कुछ करते हुए मुझे किसी कोंग्रेसी ने नहीं रोका क्योंकि वोह सब भी मेरे साथ कोंग्रेस की आन बान शान इसदेश से मिटा देना चाहते है लेकिन इस मामले में में तो अव्वल रहने वाला हूँ और इसके लियें में भारतीय संस्क्रती के खिलाफ जाकर मुंबई के अस्पताल में बीमार पढ़े अन्ना को भी नहीं बख्शता हूँ मुझे उनके बुढापे ..देश के लियें दी गयी कुर्बानियों की भी कोई प्रवाह नहीं है में उन्हें बीमारी के हालत में भी नहीं छोड़ना चाहता और उन पर व्यंग्य के बाण छोड़ रहा हूँ तो जनाब अन्ना बीमार होंगे मुझे क्या मुझे उनकी तबियत नहीं पूंछना है मुझे उनकी सह्त्याबी की दुआ नहीं करना हैं मुझे तो इस हालत में भी उनका अपमान करना है लेकिन भाई दिग्विजय आपकी इन कलाई करतूतों की सजा तो आपको शीघ्र ही जनता दे डालेगी और कोंग्रेस को तबाह और बर्बाद करने का सपना भी आपका पूरा नहीं हो पायेगा आप देश की जनता को कोंग्रेस के लियें प्रचार कर कोंग्रेस से क्या जोड़ पायेंगे आपने तो अपने भाई जो आपका खून है उन्हें भाजपा में भेज दिया है तो जनाब जब आपके भाई ही कोंग्रेस विचारधारा के मामले में आपके विचारों से सहमत नहीं हो सके है तो फिर देश और देश की जनता तो आपके विचारों से क्यूँ सहमत होगी वोह तो शुक्र करो कोंग्रेस को भी एक जोकर की जरूरत है इसलियें वोह तुम्हारे मजे ले रही है लेकिन प्यारे देश की संस्क्रती समझो पिता के बराबर अन्ना की सहत खराब होने पर उनके स्वास्थ्य सुधार के लियें दुआ करो उनका मजाक मत बनाओ क्योंकि आने वाली पीडी फिर आपके साथ भी ऐसा ही व्यवहार करेंगी हम भी तो बीमार हो सकते हैं तब हमारा कोई उपहास कोई मजाक उडाये तो केसा लगेगा तो जनाब दिग्गी राजा जी अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है अपने किये पापों का प्रायश्चित्त कर लो कभी आप अच्छे थे हीरो थे लेकिन यकीन मानो अन्ना की बीमारी की हालत में मजाक उढ़ाने से आप जीरो बन गये है .अब जनाब चाहो तो माफ़ी मांगो देश की मर्यादाओं को पुनर्जीवित करो और कोशिश करो के कोंग्रेस का प्रचार अभियान अपने घर परिवार से अपने भाई और भतीजों भाभी को कोंग्रेस में शामिल कर शुरू करो अगर आप ऐसा करने में असफल रहते है तो आपको कोंग्रेसी कहलाने का हक भी नहीं है फिर तो यह समझेंगे के आप देश के साथ राजनीति कर रहे हो के कोंग्रेस का शासन हो तो में पावर में भाजपा हो तो भाई पावर में ..... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

भारतीय का कमाल: बनाई हवा से चलने वाली बाईक



जी हां, यह हैरतअंगेज बाइक पेट्रोल या बिजली से नहीं बल्कि हवा से चलती है एक भारतीय ने यह कल्पना सच कर दिखाई है गौतम बुद्ध प्रविधिक विश्वविद्यालय से प पीएचडी करने वाले प्रोफेसर भरतराज सिंह ने हवा सेचलने वाला इंजन बनाया है जिसमें पहियो में भरी हवा का इस्तेमाल इंजन को चलाने में किया जाता है।

इस मोटरसाइकल में एयर पावर्ड मोटरसाइकिल का इंजन लगा होता जिसमें पेट्रोल टैंक की जगह एयर टैंक लगाया जाएगा इसमें हवा बिजली से चलने वाले कंप्रेशर से आसानी से भरी जा सकेगी। इस बाइक का इंजन एयर टरबाइन मॉडल पर विकसित किया गया है जिसकी मोटर टैंक में भरी कंप्रेस्ड एयर से चलेगी। टैंक मेंएक बार आयतन के बीस गुना हवा भरने के बाद यह चालीस किलोमीटर तक का सफर आसानी से कर सकेगी जिसका खर्च मुश्किल से 5 रुपए आएगा।

एसएमएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजॉजी के डायरेक्टर प्रोफेसर भरतराज सिंह ने इस तकनीक को पेटेंट करवा लिया है और आने वाले समय में हवा से चलने वाली बाइक को हकीकत में बदल जाएगी। भरत राज सिंह ने बताया कि वातावरण में 77.8 फीसदी प्रदूषण ट्रांसपोर्टेशन वाहनो की वजह से होता है और इस तकनीक से 50-60 फीसदी प्रदूषण पर लगाम लगाने में कामयाबी मिलेगी।

प्रोफेसर भरतराज को थाईलैंड और कनाडा की कंपनियों से निर्माण का प्रस्ताव मिल रहा है लेकिन अभी उन्होंने इस पर कोई विचार नहीं किया है

सरकारों को सबक सिखाने की इस कदर है बेचैनी



देश में 18 से 25 साल के करीब 12 करोड़ वोटरों का ताकतवर तबका पहले से कहीं ज्यादा संजीदा है। राजनीतिक समझ तो ज्यादा है ही, वे काफी आक्रामक भी हैं। यही वजह है कि चुनाव आयोग वोटिंग की उम्र घटाकर 16 साल करने के पक्ष में है।

पहली बार वोट डालते वक्त अलवर के 21 वर्षीय दीपक अवस्थी को लगा कि लीडरों को चुनने में अब वे भी निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं। उनकी राय है कि ‘वोटिंग सबके लिए अनिवार्य होनी चाहिए। अगर कोई वोटिंग में शामिल नहीं होता है तो उसे हर तरह के सरकारी फायदे से महरूम किया जाना चाहिए।’

इंदौर में एमबीए कर रहे शिवपुरी के कुणाल दंडोतिया को सात साल पहले वोट करने का अधिकार मिला। तब से तीन बड़े चुनाव हुए, लेकिन चाहकर भी मतदान नहीं कर पाए। उनकी मांग है कि ‘यदि हमारे यहां बैंकिंग सेवा ऑनलाइन है तो वोटिंग में क्या दिक्कत है और क्यों? हम छुट्टी लेकर वोट देने नहीं जा सकते।’

1988 में 18 साल के युवाओं को वोट का अधिकार मिला, लेकिन वोट डालने वाले युवा 20-25 फीसदी ही हैं। वे पुरानी पीढ़ी के वोटरों की तरह जाति, धर्म या इलाके की भावुक सोच से बाहर हैं। शहरी इलाकों में वे मोबाइल फोन व इंटरनेट से सुसज्जित, सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर एक-दूसरे के सीधे संपर्क में और देश-दुनिया की हर हलचल से वाकिफ हैं।

उत्तरप्रदेश में आइए। लखनऊ में इंजीनियरिंग के विद्यार्थी हैं 21 वर्षीय मोहम्मद आमिर। इस वक्त उन्हें इन्फोसिस का यूपी में आने से इंकार सबसे ज्यादा अखर रहा है। वे इसे आंबेडकर पार्कों में अरबों रुपए पानी की तरह बहाने वाली मायावती सरकार की सबसे बड़ी नाकामी मानते हैं। आमिर ने गुस्से में कहा, ‘पढ़े-लिखे युवाओं के मन में ऐसी सरकारों को सबक सिखाने की बैचेनी है।’

आईआईटी चेन्नई से एमटेक जासमीन शाह का उदाहरण, जिन्होंने कभी वोट नहीं दिया था। बेंगलुरू की संस्था ‘जन आग्रह’ से जुडऩे के बाद 2009 में वे युवा वोटरों के लिए चर्चित रॉक बैंड कैंपेन ‘शट अप एंड वोट’ का आइडिया लेकर आए। 15 युवा साथियों के साथ इस रॉक टूर ने दिल्ली व मुंबई समेत पांच बड़े शहरों में जबर्दस्त धूम मचाई।

इस मुहिम का मकसद है पांच साल में मतदाता सूचियों में सबके नाम शामिल करना और युवाओं के वोटिंग का प्रतिशत बढ़ाना। शाह कहते हैं, ‘आज पहले से ज्यादा युवा लोकतंत्र के सबसे प्रमुख निर्णायक हैं। उन्हें पोलिंग बूथ तक प्रेरित करने के लिए संगीत से बेहतर और क्या माध्यम हो सकता था?’

किसी को ताज्जुब नहीं हुआ जब अन्ना हजारे के आंदोलन में देश के कोने-कोने में सबसे ज्यादा युवा चेहरे दिखे। आक्रामक लेकिन अनुशासित। अहमदाबाद में रिसर्च फाउंडेशन ऑफ गवर्नेंस इन इंडिया (आरएफजीआई) की कार्यकर्ता कानन ध्रू कहती हैं, ‘युवा वोटर स्वच्छ राजनीति और साफ-सुथरे नेता चाहते हैं, जो कुशल लीडर्स की तरह असरदार बदलाव ला सकें। कोरे भाषण व आश्वासन नहीं चाहिए।’

ऐसा भी नहीं है कि जो सामने हो, युवा उसे अंधे जोश में अपना रहे हों। पिछले विधानसभा चुनावों में कोलकाता में वामपंथी झुकाव वाली संस्था ‘तुनीर’ ने युवाओं को टारगेट कर नौ गीतों का एलबम जारी किया। इसमें कम्युनिस्ट सरकार की ‘कामयाबियों’ के गुण गाए गए। हुगली में खेतीबाड़ी से जुड़े 20 साल के मुजीब एहसान ने कहा, ‘तुनीर वालों ने हमें नासमझ मानकर यह प्रयोग किया। हमने फैसला एवीएम के बटन दबाकर सुनाया।’

तेजतर्रार युवाओं के ये तेवर देख मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाय कुरैशी कहते हैं, ‘वोटिंग की उम्र 16 साल हो जानी चाहिए। हम तो सरकार से सिफारिश करने को तैयार हैं।’

चेहरा देख लॉक होगा फोन, 8 सेकेंड में स्टार्ट होगा लैपटॉप


नया एंड्रॉइड-4 अब स्मार्ट फोन और टेबलेट के लिए कॉमन रहेगा। इससे पहले के वर्जन हनीकॉम्ब का प्रयोग सिर्फ टेबलेट के लिए होता था। एंड्रॉइड-4 में विजेट्स के साइज को कम या ज्यादा किया जा सकेगा। अपने पसंदीदा एप्स को ढूंढना आसान होगा।

आईफोन की ही तरह एप्लीकेशंस को फोल्डर में सेव किया जा सकेगा। इसमें चेहरे की पहचान से भी फोन लॉक हो सकेगा। इसके अलावा इनकमिंग कॉल के वक्त फोन को अनलॉक किए बिना भी मेसेज भेज सकेंगे। ओपन माइक की मदद से आसानी से बोलकर कंटेट लिखा जा सकेगा। ऑफलाइन सर्च से 30 दिन तक पुराने मेल चेक किए जा सकते हैं। इसी तरह से लैपटॉप 8 सेकेंड में स्टार्ट होगा और अब आपका माउस स्कैन भी करेगा

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