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04 जनवरी 2012

भारत अर्थात इण्डिया

1. संघ का नाम और राज्यक्षेत्र--(1) भारत, अर्थात्‌ इंडिया, राज्यों का संघ होगा।
1[ (2) राज्य और उनके राज्यक्षेत्र वे होंगे जो पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं।
(3) भारत के राज्यक्षेत्र में,
(क) राज्यों के राज्यक्षेत्र,
2[(ख) पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट संघ राज्यक्षेत्र, और
(ग) ऐसे अन्य राज्यक्षेत्र जो अर्जित किए जाएँ, समाविष्ट होंगे।

2. नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना--संसद, विधि द्वारा, ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी।
32क. [सिक्किम का संघ के साथ सहयुक्त किया जाना। --संविधान (छत्तीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1975 की धारा 5 द्वारा (26-4-1975 से) निरसित।

3. नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन--संसद, विधि द्वारा--
(क) किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी;
(ख) किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सकेगी;
(ग) किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी;
(घ) किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी;
(ङ) किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी:

4[परंतु इस प्रयोजन के लिए कोई विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना और जहाँ विधेयक में अंतर्विष्ट प्रस्थापना का प्रभाव 5राज्यों में से किसी के क्षेत्र, सीमाओं या नाम पर पड़ता है वहाँ जब तक उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा उस पर अपने विचार, ऐसी अवधि के भीतर जो निर्देश में विनिर्दिष्ट की जाए या ऐसी ‍अतिरिक्त अवधि के भीतर जो राष्ट्रपति द्वारा अनुज्ञात की जाए, प्रकट किए जाने के लिए वह विधेयक राष्ट्रपति द्वारा उसे निर्देशित नहीं कर दिया गया है और इस प्रकार विनिर्दिष्ट या अनुज्ञात अवधि समाप्त नहीं हो गई है, संसद के किसी सदन में पुरःस्थापित नहीं किया जाएगा।

6[स्पष्टीकरण 1 – इस अनुच्छेद के खंड (क) से खंड (ङ) में, ''राज्य'' के अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र है, किंतु परंतुक में ''राज्य’’ अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र नहीं है।

स्पष्टीकरण 2
--खंड (क) द्वारा संसद को प्रदत्त शक्ति के अंतर्गत किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के किसी भाग को किसी अन्य राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के साथ मिलाकर नए राज्य या संघ राज्यक्षेत्र का निर्माण करना है।

4. पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई गई विधियाँ --(1) अनुच्छेद 2 या अनुच्छेद 3 में निर्दिष्ट किसी विधि में पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन के लिए ऐसे उपबंध अंतर्विष्ट होंगे जो उस विधि के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक हों तथा ऐसे अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक उपबंध भी (जिनके अंतर्गत ऐसी विधि से प्रभावित राज्य या राज्यों के संसद में और विधान-मंडल या विधान-मंडलों में प्रतिनिधित्व के बारे में उपबंध हैं) अंतर्विष्ट हो सकेंगे जिन्हें संसद आवश्यक समझे।

(2) पूर्वोक्त प्रकार की कोई विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी।

1 संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 2 द्वारा खंड (2) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
2 संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 2 द्वारा उपखंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
3 संविधान (पैंतीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1974 की धारा 2 द्वारा (1-3-1975 से) अंतःस्थापित।
4 संविधान (पाँचवाँ संशोधन) अधिनियम, 1955 की धारा 2 द्वारा परंतुक के स्थान पर प्रतिस्थापित।
5 संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा ''पहली अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट'' शब्दों और अक्षरों का लोप किया गया।
6 संविधान (अठारहवाँ संशोधन) अधिनियम, 1966 की धारा 2 द्वारा अंतःस्थापित।

विवाह के लिए खरीदा जाता है कन्या को बुक्सा जनजाति की अजीब परंपरा

उत्तराखंड के नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल और देहरादून की ग्रामीण बस्तियों में निवास करने वाली बुक्सा जनजाति में विवाह करने के लिए आज भी कन्या को खरीदा जाता है। इसका कारण यह है कि इस जनजाति में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या काफी कम है।


बुक्सा जनजाति की कन्या विवाह से पहले परिवार के आर्थिक उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है, लेकिन विवाह के बाद कन्या पक्ष कन्या के सहयोग से मिलने वाले लाभ से वंचित हो जाता है जिसकी भरपाई के रूप में कन्या का पिता कन्या का मूल्य पाने का अधिकारी माना जाता है। यह राशि विवाह से पहले वर पक्ष कन्या पक्ष को देता है, जिसे 'मालगति' कहा जाता है।

इस जनजाति में पुरुष का विवाह तभी संभव है, जब उसके पास खेती के लिए इतनी भूमि हो कि वह अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके। यह भी महत्वपूर्ण बात है कि इस जनजाति में विवाह अपेक्षाकृत अधिक उम्र में किए जाते हैं। कन्या के विवाह की उम्र अमूमन 18-20 और वर की उम्र 20-24 वर्ष होती है।

अंतरजातीय और बहिर्गोत्रीय विवाह की प्रथा इस आदिवासी समाज में प्रचलित है। इनमें रक्त संबंधियों के बीच विवाह नहीं होता और एक ही गाँव में भी विवाह निषिद्ध है। इनमें दहेज प्रथा भी प्रचलित है, जो साधारणतः वस्त्राभूषण आदि के रूप में दिया जाता है।

बुक्सा जनजाति में विवाह विच्छेद की सुविधा या छूट है, लेकिन विवाह विच्छेद नहीं के बराबर है। इसकी कई वजहें हैं। क्रय विवाह में जिस कन्या को धन देकर खरीदा जाता है, उसे छोड़ने का मतलब प्रत्यक्ष आर्थिक क्षति है। इसलिए कोई भी पति आसानी से अपनी विवाहिता को तलाक नहीं दे सकता।

इस जनजाति में बहुपत्नी प्रथा का प्रचलन भी नहीं है। इसकी एक वजह यह हो सकती है कि इस समाज में पुरुषों की संख्या स्त्रियों से काफी अधिक है। इसलिए विवाह विच्छेद के बाद पुरुष का विवाह कठिन हो जाता है। इनमें विधवा का विवाह तो आसानी से हो जाता है, लेकिन विधुर का विवाह सरलता से नहीं हो पाता है। पत्नी के संबंध तोड़ने पर पूर्व पति उसके पिता या नए पति से क्षतिपूर्ति की माँग कर सकता है और यदि पत्नी पति को छोड़े दे तो उसके पिता को 'मालगति' वापस करनी पड़ती है।

सन् 1991 की जनगणना के अनुसार बुक्सा जनजाति की कुल आबादी 42027 है और इसका 60 प्रतिशत भाग नैनीताल जिले के विभिन्न विकासखंडों में निवास करता है। जिन क्षेत्रों में यह जनजाति बसी है, उसे 'भोक्सार' कहते हैं। इनकी भाषा हिन्दी और कुमाउंनी का सम्मिश्रण है, लेकिन जो लोग पढ़ना-लिखना जानते हैं। वे देवनागरी लिपि का ही प्रयोग करते हैं।

बुक्सा जनजाति की उत्पत्ति के विषय में ब्रिटिश इतिहासकार विलियम क्रुक ने बताया है कि यह अपने को राजपूतों का वंशज मानती है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि इस जनजाति के लोग दक्षिण से आए हैं जबकि कुछ का मत है कि ये उज्जैन में धारानगरी के मूल निवासी थे। कुछ इतिहासकारों का अनुमान है कि देश पर मुगलों के आक्रमण के समय चितौड़ की राजपूत जाति की अनेक स्त्रियाँ निम्न वर्ग के अनुचरों के साथ भाग आईं और उन्होंने तराई क्षेत्र में शरण ली। बुक्सा जनजाति के लोग उन्हीं के वंशज हैं। शायद इसीलिए इस जनजाति की पारिवारिक योजना में स्त्रियों की प्रधानता है और पुरुषों को अब भी घर के बाहर भोजन करना पड़ता है।

बुक्सा जनजाति में पिता के नाम पर वंश चलता है। परिवार का ज्येष्ठ पुरुष मुखिया होता है और असीमित अधिकारों के साथ एक निरंकुश शासक की तरह काम करता है। उसके आदेश का परिवार के सभी लोगों को पालन करना पड़ता है। परिवार की समस्त आमदनी उसी को सौंपी जाती है, जिसे वह उचित समय पर व्यय करता है। इस आदिवासी समाज में संयुक्त और वैयक्तिक दोनों प्रकार के परिवार पाए जाते हैं। परिवार के सभी सदस्य खेती करते हैं और खेती पर सभी का अधिकार माना जाता है।

बदलते दौर में अब बुक्सा जनजाति में भी संयुक्त परिवारों का स्थान एकल परिवार लेते जा रहे हैं। हालाँकि इन परिवारों में पुरुषों की प्रधानता है, लेकिन स्त्रियाँ भी कम महत्वपूर्ण स्थान नहीं रखती है। परिवार में उनकी बात अधिक मानी जाती है। अशिक्षित होते हुए इस जनजाति की महिलाओं में पर्दा प्रथा बिल्कुल नहीं है। बुक्सा स्त्रियाँ पुरुषों की न तो दासियाँ हैं और न ही स्वामिनी बल्कि वह बराबरी का स्थान हासिल किए हुए हैं।

इस जनजाति में रिश्तेदारी संबंधी प्रथाओं का भी बड़ा महत्व है। परिवार की पुत्रवधू अपने ससुर और जेठ को न तो देख सकती है, न बात कर सकती है और न ही उनके सामने चारपाई पर बैठ सकती है। जेठ और ससुर से वह सास या ननद के माध्यम से अपनी बात कह सकती है। इन लोगों में भी जीजा-साली और देवर-भाभी के बीच परिहास प्रचलित है। इसलिए इस जनजाति में देवर-भाभी के बीच पति-पत्नी संबंध संभावित माना गया है, लेकिन देवर-भाभी और जीजा-साली में विवाह से पहले यौन संबंध अवैध माना जाता है।

शादी, तलाक और आपसी झगड़े बिरादरी की पंचायत तय करती है। दस-बीस गाँवों के बीच इस प्रकार की एक बिरादरी पंचायत होती है, लेकिन अब इस तरह की पंचायत का महत्व कम होने लगा है। इनके स्थान पर नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में पंचायती राज और बुक्सा परिषद् की स्थापना की गई है जो महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।

बुक्सा जनजाति का धर्म हिन्दू है। उसकी ईश्वर में आस्था है जिसकी पूजा कई देवी-देवताओं के रूप में की जाती है। शंकर, काली माई, दुर्गा, लक्ष्मी, राम और कृष्ण की इस आदिवासी समाज में पूजा की जाती है। होली, दीपावली, दशहरा और जन्माष्टमी उनके मुख्य त्योहार हैं, लेकिन 25 दिसम्बर को ईसाइयों के समान बड़ा दिन भी वह मनाते हैं। इसकी वजह यह है कि बुक्सा जनजाति के लोग बहुत दिनों तक अंग्रेज अधिकारियों के सम्पर्क में रहे थे।

इस जनजाति में कई प्रकार के जादू, टोने और अंधविश्वास भी प्रचलित हैं। इनमें यह धारणा है कि झाड़, फूँक से रोग ठीक हो जाते हैं। वैद्य या चिकित्सक से परामर्श करने से पहले इस जनजाति के लोग रोगी को 'स्थाने', स्थानीय भाषा में 'भंडारे' को दिखाते हैं, जो उसकी नब्ज देखकर तंत्र-मंत्र से झाड़-फूँक करता है। स्थाने के आदेश पर देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मुर्गे या बकरे की भेंट चढ़ाई जाती है।

इस जनजाति के लोग कोई काम बिगड़ने, दुर्घटना होने या रोग होने का कारण भूत-प्रेत की अप्रसन्नता को मानते हैं और उसे खुश करने के लिए मुर्गा, वस्त्रादि निश्चित एकांत स्थान पर रखे जाते हैं। उनका विश्वास है कि प्रेतात्माएँ उसे ग्रहण करने वहाँ जाती हैं। बकरे की बलि चढ़ाकर उसे देवी या आत्मा के प्रसाद के रूप में वितरित और स्वयं ग्रहण किया जाता है। बुक्सा लोग शक्ति के प्रतीक के रूप में पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं।

बुक्सा जनजाति के लोगों की अर्थव्यवस्था जंगलों पर आधारित है, लेकिन धीरे-धीरे जंगलों के कटने से अब वे केवल खेती या खेतों में मजदूरी करने के लिए बाध्य हो गए हैं। उनके पास खेती योग्य भूमि की कोई कमी नहीं थी, लेकिन आलस्य, उधार, कर्ज तथा नशे की आदत और अशिक्षित होने के कारण उनकी अधिकतर भूमि पहाड़ियों और पंजाबी शरणार्थियों ने हथिया ली।

बुक्सा चावल और मछली बड़े चाव से खाते हैं और अपने भोजन में दाल, रोटी और सब्जी का प्रचुरता से इस्तेमाल करते हैं। नशीले पदार्थों और द्रव्यों में पुरुष देसी हुक्के, बीडी, सिगरेट, शराब, कच्ची ताड़ी और सुल्फे का प्रयोग अधिक करते हैं।

'बालिका वधु' ने रचाया नाग देवता से विवाह!


- रिजवान कुरैशी


छिंदवाड़ा में एक बालिका द्वारा नाग देवता से ब्याह किए जाने की अनोखी घटना हाल ही में सामने आई है। मामला शहर से करीब आठ किमी दूर स्थित ग्राम रोहना कलां का है। इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन हकीकत तो यही है। रोहना कलां में रहने वाले संपत भलावी की 13 वर्षीय पुत्री अंजलि की शादी 3 सितंबर, शनिवार को पूरे धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ नाग देव से कराई गई। इस अनोखे विवाह के प्रत्यक्षदर्शी बने रोहना कलां के सैकड़ों ग्रामवासी।

बुजुर्गों के मशविरे से विवाह :- स्थानीय बुजुर्गों के मशविरे के मुताबिक ऋषि पंचमी पर अंजलि का श्रृंगार दुल्हन की तरह किया गया। अंजलि तैयार होकर घर से निकली और गांव में स्थित नाग देवता के मंदिर में पहुंची। उसने नाग देव की प्रतिमा पर पानी चढ़ाया, अगरबत्ती लगाई और पुष्प अर्पित किए। फिर शादी के लिए तैयार अग्नि कुंड के आसपास नाग देव की प्रतिमा के साथ सात फेरे लिए।

अंजलि के भाई व भाभी ने उसके पैर धुलाए। इसके बाद अंजलि ने घर जाने की इच्छा व्यक्त की। थोड़ी देर बाद अंजलि घर से लौटकर आई, तब उसे ग्रामीणों ने कहा कि वह अपने असली रूप के दर्शन दें। ग्रामीणों की मांग पर अंजलि ने एक कटोरी में दूध बुलवाया और उस कटोरी का आधा दूध पी लिया। आधे दूध से भरी कटोरी को वहीं सामने रख दिया। कुछ ही देर में इस कटोरी के दूध में नाग देव की प्रतिमा का हल्का-सा प्रतिबिंब दिखाई देने लगा।

बताया जाता है कि कक्षा 8वीं की छात्रा अंजलि को गहरी नींद के दौरान कुछ सपने आया करते थे। इन सपनों में एक नाग देव अंजलि से कहा करते थे कि तुम जनम-जनम से मेरी ही पत्नी हो, इस जनम में भी तुम्हें मुझसे ही ब्याह करना होगा। यह ब्याह ऋषि पंचमी पर होगा।

ऋषि पंचमी पर जब यह शादी नहीं हुई तो इसी रात अंजलि को सपने में फिर से नाग देव ने दर्शन देकर शादी की बात दोहराई। अंजलि ने यह बात जब अपने घर वालों को बताई तो वे सुनकर अवाक रह गए। उन्होंने गांव के बुजुर्गों से इस संबंध में सलाह मश्वरा कर इस शादी को संपन्न कराया।

गंदे नाले में नहाओ, भूत-प्रेत भगाओ!


- श्रुति अग्रवाल
Believe-it-or-not/jawra-husain-hill


घुटी-घुटी चीखें, हर तरफ सिसकियों की आवाज, रोना-कलपना, चीखना-चिल्लाना। यह भयावह मंजर है जावरा की हुसैन टैकरी का। इस टेकरी के बारे में हमने काफी कुछ सुन रखा था।

सोचा, क्यों न सबसे पहले जायजा लिया जाए इस टेकरी का, जहां भूत-प्रेत भगाने के नाम पर लोगों से नाना प्रकार के खटकर्म कराए जाते हैं। टेकरी पर जाने के लिए हमने सुबह का वक्त चुना। हमारी घड़ी में सुबह के सात बज रहे थे और हम अपनी मंजिल हुसैन टेकरी पर पहुंच चुके थे।

टेकरी का मुख्य द्वार आया ही था कि हमें पागलों की तरह झूमती दो औरतें मिलीं। जमुनाबाई और कौसर बी नामक ये औरतें लगातार अरे बाबा रे... कहते हुए अजीब-अजीब आवाजें निकाल रही थीं। इनकी चीखें सुन अच्छे-अच्छों की घिग्घी बंध जाना स्वाभाविक था।

इनके बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने साथ आए लोगों से बातचीत की। जमुनाबाई के पति ने बताया कि पिछले कई दिनों से जमुना का व्यवहार बदल गया था। वह पागलों की तरह हरकतें करती थी। तब गांव के फकीर ने बताया कि जमुना पर डायन का साया है। उसे हुसैन टेकरी ले जाओ।

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हम दो हफ्ते पहले उसे यहां लेकर आए हैं। यहां धागा बांधते ही जमुना को हाजिरी (कथित तौर पर उसके अंदर की बला बात करने लगी) आने लगी है (जमुना ने अजीब तरह से चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया)। हमें लगता है कि यहां पांच जुम्मे बिताने के बाद वह ठीक हो जाएगी।

इनसे बातचीत कर हम हजरत इमाम हुसैन के रोजे में दाखिल हुए। वहां का मंजर देख हम भौंचक रह गए। हर तरफ औरतें चीख-चिल्ला रही थीं, अपना सिर पटक रही थीं, धूप से तपते फर्श पर लोट लगा रही थीं, बेड़ियों से जकड़े आदमी सिसक रहे थे।

इन्सानों से जानवरों की तरह व्यवहार? क्या यहां ऐसा ही होता है। बात की तह तक पहुंचने के लिए हमने टेकरी के कार्यकारी अधिकारी तैमूरी साहब से संपर्क किया।

तैमूरी साहब ने बताया कि किसी भी तरह की प्रेत-बाधा से पीड़ित व्यक्ति को यहां के पानी से नहलाया जाता है। उसके बाद वह एक धागा यहां बनी जालियों पर बांधता है और दूसरा अपने गले में। कहते हैं, धागा बांधने के कुछ समय बाद पीड़ित लोग झूमने लगते हैं। ऐसे लोगों को यहां पास बने तालाब में नहाने की हिदायत दी जाती है।

यह सुनकर हमारे कदम खुद-ब-खुद तालाब की तरफ उठ गए। तालाब का मंजर देख हमारी रूह कांप गई। तालाब के नाम पर यहां गंदे पानी का नाला था, जिसमें यहां बनी सराय का मल-मूत्र लगातार आकर मिल रहा था। मानसिक रोगियों की तरह नजर आने वाले ये लोग लगातार इस पानी में नहा रहे थे, कुछ तो कुल्ला तक कर रहे थे।

खुदा जाने इस गंदगी में नहाने से ये लोग ठीक होंगे या बीमार, लेकिन यह सोचने का वक्त किसके पास है। हमने गंदे पानी में खेल रही एक बच्ची सकीना से पूछा बेटा आपको क्या तकलीफ है, आप यहां क्यों नहा रही हो। बच्ची ने मासूमियत से जवाब दिया मेरी मां पर डायन का साया है। मां का असर मुझे भी आ जाएगा, इसलिए नहाती हूं। इतना कहकर बच्ची नाले में कूद गई।

फिर हम सकीना की मां शहबानो से मुखातिब हुए। हमने पूछा सक्कू बीमार पड़ गई तो, मां ने जवाब दिया पिछले चार सालों से तो नहीं पड़ी। चार साल? हमें यह शब्द हथौड़े की तरह लगे।

तभी पता चला कि सुबह का पहला लोबान होने वाला है। यह सुनते ही सभी लोगों ने रोजे की तरफ दौड़ लगा दी। रोजा लोगों से ठसाठस भरा था। हर तरफ ऐसे लोग, जिन पर ऊपरी हवा या जादू-टोने का असर था, झूम रहे थे। अजीबोगरीब आवाजें निकाल रहे थे। तभी लोबान शुरू हुआ। लोबान का धुआं लेते ही झूमते हुए लोग एकाएक गिरने लगे। हमें बताया गया कि ऐसे ही इन लोगों का इलाज होता है। ऊपरी हवा से पीड़ित लोगों को सुबह-शाम लोबान लेना बेहद जरूरी है।

इलाज की इस अजीबोगरीब प्रकिया को जानने के बाद हमने यहां के मुतवल्ली नवाब सरवर अली से मुलाकात की। नवाब साहब का कहना था कि हमारे यहां कोई मौलवी, तांत्रिक या पुजारी नहीं हैं। जो कुछ भी होता है, हुसैन साहब की रज़ा से होता है। गंदे पानी से गुसल करने, लोगों को जंजीर से बांधने को वो खुदा की ओर से गंदी हवाओं को मिलने वाली सजा बताते हैं। कहते हैं इससें आम इनसान को कोई तकलीफ नहीं होती, सिर्फ गंदी ताकतों को तकलीफ होती है।


हमने हुसैन टेकरी पर पूरा दिन बिताया। यहां सजदा करने वाले कई लोगों से बातचीत की। कइयों ने बताया कि हुसैन टेकरी पर उनकी अटूट आस्था है। इन लोगों में हिंदू और मुसलमान दोनों ही शामिल थे। कई लोग ऐसे भी थे जो मन्नत पूरी हो जाने के बाद मनौती के लिए तुलादान कर रहे थे। ऐसे ही एक शख्स पवन ने बताया वे आज जो कुछ भी हैं बाबा साहब के ही कारण हैं। बाबा ने ही उन्हें धन-दौलत-शोहरत से नवाजा है। अब वे अपनी बीमार औलाद पर बाबा का करम चाहते हैं।

टेकरी पर पूरा दिन बिताने के बाद हमने महसूस किया कि यहां आने वाले रोगियों में से अस्सी प्रतिशत महिलाएं हैं और ये सभी निम्न वर्ग से संबंधित हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो ऊंची तालीमयाफ्ता होने के बाद भी मानते हैं कि उन पर जादू-टोना किया गया है, बदरूहों का साया है। ऐसे ही एक छात्र हैं इरफान, जो अमेरिका में पढ़ाई करते हैं, लेकिन जादू-टोने के कारण लंबे समय से यहा की सराय में रह रहे हैं। ये दिन-रात रोजों में दुआ मांगते और हुसैन साहब का मातम मनाते हैं। इनका मानना है कि यहां आने के बाद रूहानी सुकून मिलता है।

हुसैन टेकरी के अजीबोगरीब मंजर ने हमारी रात की नींद उड़ा दी। अगले दिन हमने मनोचिकित्सिकों से संपर्क किया और यह जानने की कोशिश की कि कोई खुद-ब-खुद अपने शरीर को इतनी तकलीफ कैसे दे सकता है। इस बात पर मनोचिकित्सक डॉ. दीपक मंशारमानी का कहना था कि दे सकता है, यदि वह व्यक्ति मानसिक संतुलन खो दे।

डॉ. मंशारमानी बताते हैं 'बदरूहें लगना' को हम मेडिकल भाषा में 'हिस्टीरिया' का दौरा कहते हैं, जिसमें इन्सान पागलों की तरह लगातार झूमता रहता है। इसके साथ ही 'सीडोसीरस' नामक एक बीमारी होती है, जिसमें मिर्गी के दौरे के समान दौरे पड़ते हैं। इसी तरह कुछ लोग गुमसुम हो जाते हैं। हम ऐसी बीमारियों का इलाज मरीज से बातचीत करके उसकी मानसिक स्थिति खराब होने के पीछे का कारण जान कर करते हैं।

ऐसे मरीजों का इलाज बेहद आसानी से किया जा सकता है। भूत-प्रेत, ऊपरी हवा की मान्यताएं निचले तबके के लोगों में ज्यादा हैं। ये लोग अभी तक सौ साल पुराने युग में जी रहे हैं। जरूरी है इन तक चिकित्सकीय सुविधाएं पहुंचाना। इस तरह के नीम-हकीमी इलाज अपनाने से हलके दौरे से शुरू हुई बीमारी पूरी तरह पागलपन में भी बदल सकती है।

एक तरफ विज्ञान का ज्ञान तो दूसरी तरफ लोगों का अटूट विश्वास, दोनों ही हमें सिक्के के दो पहलुओं की तरह लगे, लेकिन जावरा की हुसैन टेकरी के प्रति प्रशासन की उदासीनता सचमुच चिंता का विषय है।

बालकाण्ड वाल्मीकि, वेद, ब्रह्मा, देवता, शिव, पार्वती आदि की वंदना




सोरठा :
* बंदउँ मुनि पद कंजु रामायन जेहिं निरमयउ।
सखर सुकोमल मंजु दोष रहित दूषन सहित॥14 घ॥
भावार्थ:-मैं उन वाल्मीकि मुनि के चरण कमलों की वंदना करता हूँ, जिन्होंने रामायण की रचना की है, जो खर (राक्षस) सहित होने पर भी (खर (कठोर) से विपरीत) बड़ी कोमल और सुंदर है तथा जो दूषण (राक्षस) सहित होने पर भी दूषण अर्थात्‌ दोष से रहित है॥14 (घ)॥
* बंदउँ चारिउ बेद भव बारिधि बोहित सरिस।
जिन्हहि न सपनेहुँ खेद बरनत रघुबर बिसद जसु॥14 ङ॥
भावार्थ:-मैं चारों वेदों की वन्दना करता हूँ, जो संसार समुद्र के पार होने के लिए जहाज के समान हैं तथा जिन्हें श्री रघुनाथजी का निर्मल यश वर्णन करते स्वप्न में भी खेद (थकावट) नहीं होता॥14 (ङ)॥
* बंदउँ बिधि पद रेनु भव सागर जेहिं कीन्ह जहँ।
संत सुधा ससि धेनु प्रगटे खल बिष बारुनी॥14च॥
भावार्थ:-मैं ब्रह्माजी के चरण रज की वन्दना करता हूँ, जिन्होंने भवसागर बनाया है, जहाँ से एक ओर संतरूपी अमृत, चन्द्रमा और कामधेनु निकले और दूसरी ओर दुष्ट मनुष्य रूपी विष और मदिरा उत्पन्न हुए॥14 (च)॥
दोहा :
* बिबुध बिप्र बुध ग्रह चरन बंदि कहउँ कर जोरि।
होइ प्रसन्न पुरवहु सकल मंजु मनोरथ मोरि॥14 छ॥
भावार्थ:-देवता, ब्राह्मण, पंडित, ग्रह- इन सबके चरणों की वंदना करके हाथ जोड़कर कहता हूँ कि आप प्रसन्न होकर मेरे सारे सुंदर मनोरथों को पूरा करें॥14 (छ)॥
चौपाई :
* पुनि बंदउँ सारद सुरसरिता। जुगल पुनीत मनोहर चरिता॥
मज्जन पान पाप हर एका। कहत सुनत एक हर अबिबेका॥1॥
भावार्थ:-फिर मैं सरस्वती और देवनदी गंगाजी की वंदना करता हूँ। दोनों पवित्र और मनोहर चरित्र वाली हैं। एक (गंगाजी) स्नान करने और जल पीने से पापों को हरती है और दूसरी (सरस्वतीजी) गुण और यश कहने और सुनने से अज्ञान का नाश कर देती है॥1॥
* गुर पितु मातु महेस भवानी। प्रनवउँ दीनबंधु दिन दानी॥
सेवक स्वामि सखा सिय पी के। हित निरुपधि सब बिधि तुलसी के॥2॥
भावार्थ:-श्री महेश और पार्वती को मैं प्रणाम करता हूँ, जो मेरे गुरु और माता-पिता हैं, जो दीनबन्धु और नित्य दान करने वाले हैं, जो सीतापति श्री रामचन्द्रजी के सेवक, स्वामी और सखा हैं तथा मुझ तुलसीदास का सब प्रकार से कपटरहित (सच्चा) हित करने वाले हैं॥2॥
* कलि बिलोकि जग हित हर गिरिजा। साबर मंत्र जाल जिन्ह सिरिजा॥
अनमिल आखर अरथ न जापू। प्रगट प्रभाउ महेस प्रतापू॥3॥
भावार्थ:-जिन शिव-पार्वती ने कलियुग को देखकर, जगत के हित के लिए, शाबर मन्त्र समूह की रचना की, जिन मंत्रों के अक्षर बेमेल हैं, जिनका न कोई ठीक अर्थ होता है और न जप ही होता है, तथापि श्री शिवजी के प्रताप से जिनका प्रभाव प्रत्यक्ष है॥3॥
* सो उमेस मोहि पर अनुकूला। करिहिं कथा मुद मंगल मूला॥
सुमिरि सिवा सिव पाइ पसाऊ। बस्नउँ रामचरित चित चाऊ॥4॥
भावार्थ:-वे उमापति शिवजी मुझ पर प्रसन्न होकर (श्री रामजी की) इस कथा को आनन्द और मंगल की मूल (उत्पन्न करने वाली) बनाएँगे। इस प्रकार पार्वतीजी और शिवजी दोनों का स्मरण करके और उनका प्रसाद पाकर मैं चाव भरे चित्त से श्री रामचरित्र का वर्णन करता हूँ॥4॥
* भनिति मोरि सिव कृपाँ बिभाती। ससि समाज मिलि मनहुँ सुराती॥
जे एहि कथहि सनेह समेता। कहिहहिं सुनिहहिं समुझि सचेता॥5॥
होइहहिं राम चरन अनुरागी। कलि मल रहित सुमंगल भागी॥6॥
भावार्थ:-मेरी कविता श्री शिवजी की कृपा से ऐसी सुशोभित होगी, जैसी तारागणों के सहित चन्द्रमा के साथ रात्रि शोभित होती है, जो इस कथा को प्रेम सहित एवं सावधानी के साथ समझ-बूझकर कहें-सुनेंगे, वे कलियुग के पापों से रहित और सुंदर कल्याण के भागी होकर श्री रामचन्द्रजी के चरणों के प्रेमी बन जाएँगे॥5-6॥
दोहा :
* सपनेहुँ साचेहुँ मोहि पर जौं हर गौरि पसाउ।
तौ फुर होउ जो कहेउँ सब भाषा भनिति प्रभाउ॥15॥
भावार्थ:-यदि मु्‌झ पर श्री शिवजी और पार्वतीजी की स्वप्न में भी सचमुच प्रसन्नता हो, तो मैंने इस भाषा कविता का जो प्रभाव कहा है, वह सब सच हो॥15॥

कुरान का संदेश

कश्मीर ही नहीं यहां आकर भी आप पा सकते हैं वैसा ही एहसास!

उदयपुर.अपनी खूबसूरती से सारी दुनिया में एक अलग पहचान बनाने वाला यह शहर 'राजस्थान का कश्मीर' है, यहां आने वाला हर सैलानी इस शहर की तारीफ़ करने से नहीं थकता, यहां की खूबसूरत बादियां सहसा ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं, यहां की झीलें शहर की सुन्दरता में चार चंद लगा देती हैं शायद यही कारण है कि इस शहर को झीलों की नगरी भी कहा जाता है, यह शहर है उदयपुर|

राजस्थान का यह शहर दुनिया में वेनिस ऑफ़ एशिया के नाम से भी जाना जाता है| यह शहर राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में आता है जो कभी महाराणा प्रताप की राजधानी है, 8वीं से 16वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र पर रावल वंश का एक छत्र राज्य रहा है तभी से यह मेवाड़ के नाम से जाना जाता है, उदयपुर की स्थापना भी रावल वंश के राजा उदय सिंह ने कराई थी|

कहा जाता है रोडियार्ड किपलिंग की प्रसिद्द पुस्तक 'द जंगल बुक' (जिस पर कि मोगली नामक धारावाहिक बनाया गया) के बघीरा का निवास स्थान उदेपुर ,झीलों की नगरी उदयपुर के नाम पर ही रखा गया था|


शहर के प्रमुख दर्शनीय स्थल:

पिछोला झील, फतहसागर, सिटी पैलेस,जगमंदिर, शिल्पग्राम, फतह सागर, मोती नगरी सहेलियों की बाड़ी आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं!

यहां चमगादड़ करते हैं लोगों की रक्षा : न होती है चोरी, न घटते हैं पैसे

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वैशाली. आमतौर पर चमगादड़ों का नाम आते ही मन में अशुभ आशंकाएं उभरने लगती हैं लेकिन बिहार के वैशाली जिले के सरसई गांव व ऐतिहासिक वैशाली गढ़ में चमगादड़ों की न केवल पूजा होती है बल्कि लोग मानते हैं कि चमगादड़ उनकी रक्षा भी करते हैं।

ऐतिहासिक स्थल वैशाली गढ़ पर इन चमगादड़ों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहां लोगों की मान्यता है कि चमगादड़ समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं।

'चमगादड़ है तो कभी नहीं होगी धन की कमी'

सरसई गांव के बुजुर्ग कमेश्वर यादव का दावा है कि यह भ्रम है कि चमगादड़ अशुभ हैं। उनका दावा है कि चमगादड़ का जहां वास होता है वहां कभी धन की कमी नहीं होती।

उन्होंने कहा, "आज हमारे गांव में लोग घरों में ताले नहीं लगाते, फिर भी किसी के घर में चोरी नहीं होती। ये चमगादड़ यहां कब से हैं, इसकी सही जानकारी किसी को भी नहीं है।"

इतिहास विषय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे छात्र नीरज ने बताया, "मध्यकाल में वैशाली में महामारी फैली थी जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान गई। इसी दौरान बड़ी संख्या में यहां चमगादड़ आए और फिर ये यहीं के होकर रह गए। इसके बाद से यहां किसी प्रकार की महामारी कभी नहीं आई।"

सरसई के पीपलों के पेड़ों पर अपना बसेरा बना चुके इन चमगादड़ों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। गांव के लोग न केवल इनकी पूजा करते हैं बल्कि इन चमगादड़ों की सुरक्षा भी करते हैं। यहां ग्रामीणों का शुभकार्य इन चमगादड़ों की पूजा के बगैर पूरा नहीं माना जाता।

वैज्ञानिकों का भी कहना है कि चमगादड़ों के शरीर से जो गंध निकलती है वह उन विषाणुओं को नष्ट कर देती है जो मनुष्य के शरीर के लिए नुकसानदेह माने जाते हैं।

यहां के ग्रामीण इस बात से खफा हैं कि चमगादड़ों को देखने के लिए यहां सैकड़ों पर्यटक प्रतिदिन आते हैं लेकिन सरकार ने उनकी सुविधा के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।

सूख गया था तालाब और मर गए थे 200 चमगादड़

ग्रामीणों ने बताया कि पिछले वर्ष वैशाली गढ़ पर स्थित एक तालाब सूख गया था जिस कारण 200 से ज्यादा चमगादड़ मर गए, तब क्षेत्र के समाजसेवियों ने यहां के तालाब में पानी भरवाया जिससे चमगादड़ों की जान बच सकी।

पर्यटक जैन धर्मावलम्बी डॉ जे.के. प्रसाद ने बताया कि पीपल के चार पेड़ों पर इतनी बड़ी संख्या में चमगादड़ों का वास न केवल अभूतपूर्व है बल्कि मनमोहक भी है लेकिन यहां साफ -सफाई और सौंदर्यीकरण की जरूरत है।

हाजीपुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमार पटेल ने कहा कि इस स्थल की साफ -सफाई और सौंदर्यीकरण के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पत्राचार किया गया है।

भंवरी को तड़पाया, हत्या की और जलाकर नहर में बहा दी राख!


जोधपुर.बहुचर्चित भंवरी अपहरण प्रकरण के लगभग सारे राज अब खुल चुके हैं। भंवरी के अपहरण और उसकी हत्या में पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और लूणी विधायक मलखानसिंह विश्नोई, दोनों की भूमिका सामने आ रही है। सोहनलाल व शहाबुद्दीन ने एक सितंबर को भंवरी का अपहरण कर उसे लोहावट के हिस्ट्रीशीटर विशनाराम की गैंग को सुपुर्द किया था।

इस गैंग ने जालोड़ा में नहर के किनारे एक गड्ढे में उसका शव जला कर राख व हड्डियां राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल में बहा दी। सीबीआई ने बुधवार दोपहर उस जगह की पहचान कर वहां सशस्त्र गार्ड तैनात कर दिए हैं। उधर बुधवार दोपहर बाद पुणे में हिस्ट्रीशीटर विशनाराम भी पकड़ा गया, उसे जोधपुर लाया जा रहा है।

सीबीआई ने विशनाराम के भाई ओमप्रकाश से गहन पूछताछ की तो उसने भंवरी का शव जलाने की बात कबूल कर ली और अपने साथियों अशोक, कैलाश और रामनिवास के नाम बताए हैं। ओमप्रकाश की सूचना पर मंगलवार देर रात ब्यावर के पास कैलाश को भी पकड़ लिया गया, उसने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया है। कैलाश ने विशनाराम के पुणे में होना बताया।

इस पर सीबीआई ने महाराष्ट्र सीबीआई और पुलिस से संपर्क कर एक गैस एजेंसी पर दबिश देकर विशनाराम को भी पकड़ लिया। इधर सीबीआई टीम ओमप्रकाश का रिमांड 9 जनवरी तक बढ़वा कर सीधे जालोड़ा गांव ले गई।

ओमप्रकाश की निशानदेही पर सीबीआई नहर के पास पहुंची और घटनास्थल का मुआयना किया।वहां ओमप्रकाश ने मुरड़ का बड़ा गड्ढा दिखाते हुए कहा कि भंवरी को यहां जलाया था, फिर उसकी राख और मुरड़ खोद कर नहर के पानी में बहा दी।

"सीबीआई ने महाराष्ट्र पुलिस की मदद से पुणे में विशनाराम विश्नोई नाम के व्यक्ति को पकड़ा है। उसे जोधपुर में भंवरी प्रकरण की जांच कर रही सीबीआई टीम के भेजा जा रहा है।"

-आरके गौड़, प्रवक्ता, सीबीआ

मदेरणा और मलखान का क्या रहेगा?

आपराधिक मामलों के वकील भंवरसिंह चौहान के अनुसार मदेरणा और मलखानसिंह की भूमिका का खुलासा तो सीबीआई की चार्जशीट से ही होगा। अब तक की जानकारी के अनुसार दोनों आपराधिक षड़यंत्र के आरोपी माने जा सकते हैं।

धारा 120 बी के तहत उतनी ही सजा हो सकती जो मुख्य अपराध में होगी।अगर हत्या के आरोप में किसी को आजीवन कारावास होता है तो इसमें भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है।

यूपी: कांग्रेस के अंदरूनी सर्वे में भाजपा को फायदा


यदि सर्वे के नतीजे सही साबित होते हैं तो लंबे वक्त बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच में सीधी टक्कर देखने को मिलेगी क्योंकि लंबे वक्त से बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज रहीं हैं।कांग्रेस के पास पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी छवि सुधारने के लिए मात्र एक महीना ही बचा है लेकिन पार्टी के सामने परेशानी यह है कि इस क्षेत्र में उनके पास कोई बड़ा भूमिहार या ब्राह्मण नेता नहीं है।यह भी कहा गया है कि प्रदेश में बरेलवी मुसलमानों ने कांग्रेस के पक्षमें फतवा भी जारी किया है जिसका असर भी चुनाव नतीजों में दिखेगा।कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने हाल ही में बरेलवी धर्मगुरुओं से मुलाकात भी की थी।

नई दिल्‍ली. कांग्रेस पार्टी द्वारा कराए गए एक सर्वे के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन प्रदेश में सबसे ज्यादा सीटेंजीतेगा। इस सर्वे के मुताबिक कांग्रेस-रालोद गठबंधन को 127 सीटें मिलेंगी, जिनमें से 12 सीटें रालोद को और 115 सीटें कांग्रेस को मिलेंगी।

इस सर्वे में यह भी कहा गया है कि प्रदेश में लड़ाई भाजपा और कांग्रेस केबीच में होगी और भाजपा को भी चुनाव में अच्छा फायदा होगा। सर्वे के नतीजों में कहा गया है कि 403 सीटों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा को भी 113 सीटें मिलेंगी।

अमेरिका की एजेंसी मोड (एमओईडी) द्वारा किए गए इस सर्वे में सबसे ज्यादा नुकसान मायावती को बताया गया है। सर्वे में कहा गया है कि बहुमत में सरकार चला रही मायावती को 2012 चुनाव में सिर्फ 92 सीटें मिलेंगी जबकिमुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी को मात्र 69 सीटें ही मिलेंगी।

सर्वे में यह भी कहा गया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सबसे शानदार नतीजे मिलेंगे और पार्टी 75 सीटें जीतेगी। गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई मुस्लिम बाहुल्य इलाके हैं। यहां कांग्रेस को सर्वाधिक समर्थन मिलेगा। सर्वे में कहा गया है कि 2012 का उत्तर प्रदेश चुनाव मुसलमानों के कांग्रेस की ओर लौटने का गवाह भी बनेगा।

सर्वे में दावा किया गया है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश खास कर बनारस और गोरखपुर इलाके में भाजपा को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे लेकिन यहां भी कांग्रेस दूसरे नंबर पर रहेगी।

राजपूत, बनिया और कई अन्य अग्रणी जातियां भाजपा को मजबूत समर्थन दे रही हैं। यह प्रदेश में वोटों के ध्रुवीकरण का नतीजा माना जा रहा है। प्रदेशमें मुसलमानों के कांग्रेस के समर्थन में आने से अन्य अग्रणी हिंदू जातियां भाजपा की ओर जा रहीं हैं।

सूत्रों के मुताबिक सर्वे के नतीजों ने कांग्रेस नेताओं में बैचेनी पैदाकर दी है क्योंकि यह पहला सर्वे है जो यूपी में भाजपा को 100 से अधिक सीटों पर जीतता हुआ बता रहा है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं, सर्वे केनतीजों और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक के बाद पार्टी कई सीटों पर अपने उम्मीदवार भी बदल सकती है।

कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता दावा कर रहे हैं कि कुर्मी समुदाय काझुकाव भी पार्टी की ओर हुआ है लेकिन सर्वे कहता है कि कुर्मी कांग्रेस कोवोट नहीं करेंगे। कई सीटों पर जहां कुर्मी वोट बड़ी संख्या में हैं,जिनमें फैजाबाद डिविजन भी शामिल हैं, में भाजपा उम्मीदवार जीतते दिखाई दे रहे हैं। सर्वे के मुताबिक यादव और कुर्मी समुदाय कांग्रेस को वोट नहीं करेगा।

सर्वे के नतीजों के बाद कांग्रेस के नेताओं में इस बात को लेकर उत्साह हैकि उनकी पार्टी प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है लेकिनवरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पूर्वी और केंद्रीय उत्तर प्रदेश मेंकांग्रेस को और मेहनत करने की जरूरत है नहीं तो भाजपा और कांग्रेस के बीचका फासला और भी कम हो जाएगा।


अपनी शक्ति को पहचानें, कई काम आसान हो जाएंगे


कई लोग अपनी शक्ति को नहीं पहचान पाते। वे क्या कर सकते हैं, वे खुद नहीं जानते। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो खुद किसी कमजोरी को पकड़े रहते हैं लेकिन सोचते हैं कि कमजोरी ने उन्हें जकड़ रखा है।

हम अपनी शक्ति से चाहें तो किसी भी परेशानी से खुद ही मुक्ति पा सकते हैं। जरूरत सिर्फ दृढ़ इच्छाशक्ति की है। लेकिन अक्सर हम मात खा जाते हैं। परेशानियां तो दूर की बात है, कई बार हम अपनी आदतों से ही पीछा नहीं छुड़वा पाते।

किस्सा महान विनोबा भावे का है। वे अक्सर लोगों को अच्छी सलाह देते थे। परेशान लोगों की मदद किया करते थे। उन्हें संत माना जाता था। वे अपने व्यवहार से संत थे। एक दिन एक नौजवान उनके पास पहुंचा। वह बहुत परेशान था। संत विनोबा भाावे ने उससे पूछा कि परेशानी का कारण क्या है?

युवक ने बताया कि वह खुद की शराबखोरी से परेशान है। रोजाना शराब पीता है। उसका तो बुरा हो ही रहा है, उसके कारण परिवार भी परेशान है। वो शराब छोडऩा चाहता है लेकिन शराब की लत उसे छोड़ नहीं रही है। वो कितनी भी कोशिश करे, उसके कदम अपनेआप शराब खाने की ओर मुड़ जाते हैं।

विनोबा भावे ने उसकी बातें गौर से सुनीं। उन्होंने युवक से कहा कि वो कल आकर फिर मिले। अगले दिन युवक फिर घर पहुंचा। वे भीतर थे। युवक ने आवाज लगाई। कोई जवाब नहीं मिला। कुछ ही पलों में विनोबा भावे के चिल्लाने की आवाज आई। वे चिल्ला रहे थे छोड़ दो मुझे, छोड़ दो। युवक उनकी मदद करने भीतर की ओर दौड़ा।

उसने देखा विनोबा भावे एक खंभा पकड़कर खड़े हैं और चिल्ला रहे हैं। युवक बोला खंभे ने आपको नहीं, आपने खंभे को पकड़ रखा है। जब तक आप उसे नहीं छोडेंगे, वो नहीं छूटेगा। विनोबा बोले बस ऐसे ही तुमने शराब को पकड़ रखा है, शराब ने तुम्हें नहीं। तुम मन से कोशिश करोगे तो ये छूट जाएगी। युवक को बात समझ में आ गई।

विनोबा ने कहा ये शक्ति तुम में है कि तुम किसी को पकड़ या छोड़ सकते हो। शराब तो निर्जीव है, वो तुम्हें कैसे पकड़ सकती है। अपनी शक्ति को पहचानो और उसे अच्छे काम में लगाओ।

पत्नी की मौत से गुस्‍साए पति ने किया डॉक्‍टर का कत्‍ल


तूतीकोरन.तमिलनाडु में अपनी गर्भवती पत्नी की मौत से गुस्साए एक व्यक्ति ने पत्नी के इलाज में लापरवाही बरतने वाली महिला डॉक्टर की हत्या कर दी।
पुलिस के मुताबिक 6 माह की गर्भवती महिला को गंभीर हालत में 30 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में महिला की दिक्कत बढ़ी तो उसे दूसरे अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।


महिला की मौत से दुखी उसका पति 2 जनवरी को साढ़े दस बजे दोबारा अस्पताल गया और वहां पत्नी का इलाज करने वाली डॉक्टर की हत्या कर दी। उसके तीन साथी क्लिनिक के बाहर खड़े रहे।


प्रदेशभर में सरकारी और निजी डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने आरोपी हत्यारे को उसके तीन साथियों समेत गिरफ्तार कर लिया। घटना के विरोध में इंडियन मेडिकल एशोसिएसन ने तमिलानाडु में कल हड़ताल की चेतावनी दी है। आईएमए के मुताबिक हड़ताल के दौरान आपात मेडिकल सेवाओं पर कोई असर नहीं होगा।

बालकाण्ड कवि वंदना




* चरन कमल बंदउँ तिन्ह केरे। पुरवहुँ सकल मनोरथ मेरे॥
कलि के कबिन्ह करउँ परनामा। जिन्ह बरने रघुपति गुन ग्रामा॥2॥
भावार्थ:-मैं उन सब (श्रेष्ठ कवियों) के चरणकमलों में प्रणाम करता हूँ, वे मेरे सब मनोरथों को पूरा करें। कलियुग के भी उन कवियों को मैं प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने श्री रघुनाथजी के गुण समूहों का वर्णन किया है॥2॥
* जे प्राकृत कबि परम सयाने। भाषाँ जिन्ह हरि चरित बखाने॥
भए जे अहहिं जे होइहहिं आगें। प्रनवउँ सबहि कपट सब त्यागें॥3॥
भावार्थ:-जो बड़े बुद्धिमान प्राकृत कवि हैं, जिन्होंने भाषा में हरि चरित्रों का वर्णन किया है, जो ऐसे कवि पहले हो चुके हैं, जो इस समय वर्तमान हैं और जो आगे होंगे, उन सबको मैं सारा कपट त्यागकर प्रणाम करता हूँ॥3॥
* होहु प्रसन्न देहु बरदानू। साधु समाज भनिति सनमानू॥
जो प्रबंध बुध नहिं आदरहीं। सो श्रम बादि बाल कबि करहीं॥4॥
भावार्थ:-आप सब प्रसन्न होकर यह वरदान दीजिए कि साधु समाज में मेरी कविता का सम्मान हो, क्योंकि बुद्धिमान लोग जिस कविता का आदर नहीं करते, मूर्ख कवि ही उसकी रचना का व्यर्थ परिश्रम करते हैं॥4॥
* कीरति भनिति भूति भलि सोई। सुरसरि सम सब कहँ हित होई॥
राम सुकीरति भनिति भदेसा। असमंजस अस मोहि अँदेसा॥5॥
भावार्थ:-कीर्ति, कविता और सम्पत्ति वही उत्तम है, जो गंगाजी की तरह सबका हित करने वाली हो। श्री रामचन्द्रजी की कीर्ति तो बड़ी सुंदर (सबका अनन्त कल्याण करने वाली ही) है, परन्तु मेरी कविता भद्दी है। यह असामंजस्य है (अर्थात इन दोनों का मेल नहीं मिलता), इसी की मुझे चिन्ता है॥5॥
* तुम्हरी कृपाँ सुलभ सोउ मोरे। सिअनि सुहावनि टाट पटोरे॥6॥
भावार्थ:-परन्तु हे कवियों! आपकी कृपा से यह बात भी मेरे लिए सुलभ हो सकती है। रेशम की सिलाई टाट पर भी सुहावनी लगती है॥6॥
दोहा :
* सरल कबित कीरति बिमल सोइ आदरहिं सुजान।
सहज बयर बिसराइ रिपु जो सुनि करहिं बखान॥14 क॥
भावार्थ:-चतुर पुरुष उसी कविता का आदर करते हैं, जो सरल हो और जिसमें निर्मल चरित्र का वर्णन हो तथा जिसे सुनकर शत्रु भी स्वाभाविक बैर को भूलकर सराहना करने लगें॥14 (क)॥
सो न होई बिनु बिमल मति मोहि मति बल अति थोर।
करहु कृपा हरि जस कहउँ पुनि पुनि करउँ निहोर॥14 ख॥
भावार्थ:-ऐसी कविता बिना निर्मल बुद्धि के होती नहीं और मेरी बुद्धि का बल बहुत ही थोड़ा है, इसलिए बार-बार निहोरा करता हूँ कि हे कवियों! आप कृपा करें, जिससे मैं हरि यश का वर्णन कर सकूँ॥14 (ख)॥
* कबि कोबिद रघुबर चरित मानस मंजु मराल।
बालबिनय सुनि सुरुचि लखि मो पर होहु कृपाल॥14 ग॥
भावार्थ:-कवि और पण्डितगण! आप जो रामचरित्र रूपी मानसरोवर के सुंदर हंस हैं, मुझ बालक की विनती सुनकर और सुंदर रुचि देखकर मुझ पर कृपा करें॥14 (ग)॥

कुरान का संदेश ...........

टमाटर का जादू: ठंड में सेहत बनाने का ये है अनोखा इलाज


टमाटर देखने में ही लाल नहीं होता बल्कि इसका नियमित सेवन करने वाले के गाल भी लाल कर देता है। लिहाजा टमाटर खाइए सेहत बनाइए! आइए हम आपको बताते हैं टमाटर के ऐसे गुण जिन्हें जानकर शायद आप भी टमाटर का रोजाना सेवन करना चाहेंगे।


टमाटर खून बढ़ाने वाला और त्वचा का रंग निखारने वाला होता है। इसमें लोह तत्व की मात्रा दूध की अपेक्षा दुगुनी और अण्डे की अपेक्षा पांच गुनी होती है। विटामिन ए, बी, सी, के अतिरिक्त इसमें पोटाश, सोडियम चूना, व तांबा भी पाए जाते हैं। लोह तत्व की दृष्टि से अन्य सभी फलों में सर्वश्रेष्ठ होता है। खून की कमी दूर कर शरीर को पुष्ट, सुडौल, और फुर्तीला रखने के लिए इसका सेवन उत्तम है।

माना जाता है कि टमाटर इतने पौष्टिक होते हैं कि सुबह नाश्ते में केवल दो टमाटर संपूर्ण भोजन के बराबर होते हैं इनसे आपके वजन में जरा भी वृद्धि नहीं होगी इसके साथ-साथ यह पूरे शरीर के छोटे-मोटे विकारों को दूर करता है

दस्त साफ और दांत व मसुड़ों की खराबी व कमजोरी दूर करने, चेहरे की कांति बढऩे और शरीर की निर्बलता दूर करने के लिए इसका नियमित सेवन किया जाना चाहिए। बच्चों में सूखारोग को दूर करने के लिए पके लाल टमाटर का रस ही बच्चों को पिलाना बहुत लाभदायक है। सुबह खाली पेट पके हुए 3-4 टमाटर कच्चे ही खाना या इनका रस पीना और बाद में एक घंटे तक कुछ ना खाना पीना इसे सेवन करने का अच्छा तरीका है। खाने से पहले पके लाल टमाटर काटकर इन पर सेंधा नमक व कालीमिर्च बारीक कतरी हुई अदरक के साथ लें फिर भोजन करें। इसके नियमित सेवन से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। कब्ज का नाश होता है।

पेट के रोग, मूत्र विकार, मधुमेह और आंखों की कमजोरी आदि रोग टमाटर के सेवन से दूर होते हैं। छोटे बच्चों को टमाटर का रस अवश्य पिलाना चाहिए ताकि उनके शरीर का पूरा विकास हो सके। गर्भवती स्त्री और बूढ़े लोगों को भी नियमित सुबह सेवन करना टानिक का काम करेगा। पूरी ठंड 3-4 लाल टमाटर सुबह कच्चे ही खाइए और अपने आप को स्वस्थ और बलवान बनाएं।

पुणे में पकड़ा गया भंवरी का एक और 'गुनहगार'

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जयपुर. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बुधवार को दावा किया कि भंवरी देवी का केस सुलझा लिया गया है। सीबीआई से जुड़े सूत्रों के मुताबिक भंवरी देवी की हत्या की साजिश राजस्थान के मंत्री महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान सिंह विश्नोई ने रची थी क्योंकि भंवरी इन दोनों को धमका रही थी।

इस मामले के अहम आरोपी कैलाश जाखड़ (तस्‍वीर में) को सीबीआई ने मंगलवार देर रात गिरफ्तार किया। कैलाश नागौर रोड पर पुलिस की घेराबंदी में पकड़ा गया। बताया जाता है कि कैलाश ने पूछताछ में कुबूल किया है कि उन्होंने भंवरी को जालोड़ा गांव के नहरी एरिया में जलाकर खत्म कर दिया है। यह वही एरिया है जहां चार दिन पहले सीबीआई ने रिमोट संचालित मिनी हेलीकॉप्टर से भूमिगत तस्वीरें उतारी थी। कहा यह भी जा रहा है कि सीबीआई को भंवरी की लाश के टुकड़े भी मिले हैं। अब सीबीआई कैलाश को साथ लेकर भंवरी के अवशेष ढूंढने के लिए जालौड़ा पहुंच गई है।
भंवरी की गुमशुदगी के मामले में सामने आए दूसरे गैंग के सदस्‍यों के रूप में विशनाराम, कैलाश, अशोक, ओमप्रकाश आदि के नाम सीबीआई के सामने आए थे। कैलाश जाखड़ की निशानदेही पर विशनाराम को बुधवार दोपहर को पुणे में पुलिस ने गिरफ्तार किया, जबकि ओमप्रकाश पांच दिन पहले बाड़मेर में पकड़ा गया था। बुधवार को उसकी रिमांड अवधि 9 जनवरी तक बढ़ा दी गई। अब सीबीआई को सभी आरोपी मिल चुके हैं और पूरी वारदात से पर्दा उठने में थोड़ा ही समय बचा है।

सीबीआई के हाथ पांच दिन पहले जब विशनाराम का भाई ओमप्रकाश लगा तो उसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा था। सीबीआई के लिए ओमाराम वास्तव में बड़ी सफलता के रूप में मिला और उसने गैंग के दूसरे साथी कैलाश जाखड़ को मंगलवार देर रात ब्यावर में पकड़वा दिया। कैलाश ने पूछताछ के दौरान बताया कि विशनाराम पूना में छुपा हुआ है। इस पर सीबीआई ने महाराष्ट्र सीबीआई और पुलिस से संपर्क साधा और विशनाराम को दबोच लिया।

सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक भंवरी के पति अमरचंद को भंवरी के अपहरण की जानकारी पहले से ही थी। मलखान ने अमरचंद से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि भंवरी अकेले बिलाड़ा तक आए। वे भंवरी का अपहरण करना चाहते थे ताकि वह 8 सितंबर, 2011 को हुई महापंचायत से दूर रहे। मलखान सिंह ने इसके एवज में अमरचंद को 10 लाख रुपये दिए थे। भंवरी देवी पिछले साल 1 सितंबर से लापता थी। 11 अक्टूबर से राजस्थान सरकार के कहने पर सीबीआई ने जांच शुरू की थी।

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