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05 जनवरी 2012

हे भगवान, गाय का पेट है या कचरा पात्र

कोटा. पॉलिथीन का उपयोग रोकने की जिम्मेदारी भी निगम की है और निगम की गौशाला में जब पॉलिथीन खाकर गाय को मरते देखा तो खुद महापौर व समिति अध्यक्ष भावुक हो उठी। निगम आज तक इस पर सख्ती से प्रतिबंध नहीं लगा सकी। केवल शुरू में अभियान चलाए और फिर चुप्पी साध ली।

सख्ती हुई तो शहरवासी भी पालना करने लगे और सख्ती खत्म होते ही नियम तोड़ने लगे। निगम व जनता दोनों की लापरवाही का खामियाजा प्रकृति व मूक पशु भुगत रहे हैं। गुरुवार को एक गाय का पोस्टमार्टम किया तो उसके पेट से 20 किलो कचरे का ढेर निकला।

बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला में गायों को ठंड से बचाने के लिए लगाए गए तिरपाल देखने के लिए महापौर डॉ. रत्ना जैन, गौशाला समिति अध्यक्ष शीलू विजयवर्गीय व आयुक्त भवानीसिंह पालावत गुरुवार को वहां पहुंचे। वहां इंतजाम तो संतोषजनक थे, लेकिन वहां पर एक गाय मृत पड़ी थी जिसका डॉक्टर द्वारा पोस्टमार्टम किया जा रहा था। डॉक्टर ने बताया कि इसकी मौत पॉलीथिन खाने के कारण हुई है। जब पोस्टमार्टम किया गया तो उसके पेट में से कचरे का ढेर निकला। जिसमें पॉलीथिन, कपड़े, टायर, बोरी के टुकड़े शामिल थे।

इस औरत के पति को हिजड़ों ने दी ऐसी सजा कि सुन कांप जायेंगे आप!

पटना.राजधानी पटना के रूपसपुर थाना क्षेत्र स्थित जलालपुर की रहने वाली मुन्नी देवी (बदला हुआ नाम) की शिकायत ने बिहार राज्य महिला आयोग को सकते में डाल दिया है। मुन्नी देवी ने अपनी शिकायत में कहा है कि उनके देवर और इलाके के हिजड़ों ने मिलकर उसके पति का लिंग कटवा दिया है।

मुन्नी ने बताया कि 15 दिन पहले उसके पति को देवर मिथिलेश और हिजड़ा पार्टी में काम करने वाले चुहिया और बेबी अपने साथ ले गए थे। पूछने पर उसे बताया जाता था कि उसका पति काम पर गया हुआ है। रूपेश (बदला हुआ नाम) आर्केष्ट्रा में डांस करने का काम करता है। दो दिन पहले रूपेश जब वापस आया तो चुन्नी देवी को लिंग काटे जाने की जानकारी मिली। वो अपने पति से पूछताछ कर ही रही थी कि हिजड़ों की टोली उसे अपने साथ ले गई। रूपेश अब हिजड़ों के कब्जे में है।

गुरुवार शाम महिला आयोग पहुंची मुन्नी ने बताया कि उसकी चार साल की बेटी है। जलालपुर गांव में खरीदी गई जमीन पर कब्जा करने के लिए देवर ने इस तरह की करतूत की है।

थाने में उड़ाया मजाक

मुन्नी इस मामले को लेकर जब रूपसपुर थाने पहुंची तो उसका जमकर मजाक उड़ाया गया। पुलिस वालों के मजाक से मुन्नी अपमानित महसूस कर रही है। थानेदार समेत अन्य सभी पुलिसकर्मी मानने को तैयार नहीं हैं कि ऐसा भी हो सकता है। जबकि मुन्नी पिछले दो दिनों में तीन-चार बार थाने का चक्कर लगा चुकी है।

न्याय दिलाने की होगी कोशिश

महिला आयोग की सदस्य रेखा त्रिवेदी ने बताया कि हिजड़ा ग्रुप द्वारा अपनी संगठन शक्ति को बढ़ाने के लिए इस तरह का काम किया गया होगा। थाना में शिकायत नहीं लिये जाने पर आयोग ने कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया है। रेखा ने बताया कि आयोग पीडि़त महिला को न्याय दिलाने की कोशिश करेगा

गारंटीड देहाती नुस्खा: गंजे सिर पर भी आ जाएंगे बाल



जीवन शैली में तेजी से आ रहे बदलाव के कारण आजकल सिर्फ पुरुषों में ही नहीं महिलाओं में भी बाल टूटने और गंजेपन की समस्या होने लगी है। बढ़ते तनाव, नींद में आ रही कमी, संतुलित आहार नहीं लेने और अनियमित माहवारी के कारण महिलाओं में गंजेपन की बीमारी बढ़ रही है।

वहीं पुरुषों में थायरायड ग्रंथि में गडबड़ी के कारण थायराक्सिन नामक हार्मोन के अत्यधिक स्राव की वजह से गंजापन उत्पन्न होता है। अगर आप भी कम उम्र में गंजेपन की समस्या से परेशान हैं तो अपनाइए ये नीचे लिखा ग्यारंटेड आयुर्वेदिक नुस्खा।

नुस्खा-कल्मी शोरा 20 ग्राम लेकर छ: कागजी नींबू के रस को खरल में बारीक पीस लें। । इस मिश्रण को गंजेपन वाले स्थान पर लगाएं। दो घंटे बाद साबुन से धोकर नारियल का तेल लगा लें। यह सस्ता और सरल नुस्खा कभी फेल नहीं होता।

पुरुष व महिलाएं दोनों ही बाल कम होने की स्थिति में इसका उपयोग कर सकते हैं। इस मिश्रण को लगाने के साथ ही बाजार से आमलकी रासायन ले आएं। इसे 3-3 ग्राम से 5-5 ग्राम के बीच मात्रा में, आयु के अनुसार सुबह शाम सेवन करें। इसके साथ पानी या दूध ले सकते हैं।

जिसे करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई संसद, वो कर दिखाया एक अदालत ने

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मुंबई. मुंबई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डी.डी. सिन्हा की खंडपीठ ने महाराष्ट्र के निर्वाचन आयोग को ईवीएम मशीन में नकारात्मक वोट देने का बटन लगाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही अदालत ने नकारात्मक वोट देने वाले वोटर की गोपनीयता भी बनाये रखने की हिदायत आयोग को दी है।

ठाणो के डॉक्टर महेश बेडेकर ने मुंबई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर ईवीएम मशीन में नकारात्मक वोट देने का बटन लगाये जाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की दलील दी थी कि जिस तरह से जिस तरह से किस वोटर ने किस पार्टी के उम्मीदवार को वोट दिया है। यह बात गोपनीय रखी जाती है।

ठिक उसी तरह से यदि कोई वोटर नकारात्मक वोट देना चाहता है, तो उसकी पहचान गोपनीय रख कर उसे नकारात्मक वोट देने की सुविधा ईवीएम मशीन में करनी चाहिए। बेडेकर के वकील संजीव गोरवाडकर ने अदालत से 7 फरवरी को होने वाले 27 जिला परिषद और 16 फरवरी को होने वाले 10 महानगरपालिका के चुनाव में वोटरों को नकारात्मक वोट देने की सुविधा बहाल करने की मांग की।

चुनाव आयोग ने मांग खारिज की

अदालत में निर्वाचन आयोग के वकील सचिन शेटे ने साफ शब्दों में कहा कि फरवरी में होने वाले जिला परिषद और महानगरपालिका के चुनाव में ईवीएम मशीन में नकारात्मक वोट देने का बटन लगाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि आयोग की भी मंशा वोटरों को इस प्रकार की सुविधा प्रदान करने की है, मगर इस वक्त काफी देर हो गई है। शेटे की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने आयोग को दो सप्ताह के भीतर जवाब फाइल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई को जनवरी के अंत तक टाल दी।

कांग्रेस भवन में दिखा महिलाओं का रौद्र रूप चली जुबान, उछालीं कुर्सियां


नागपुर.मनपा चुनाव के ठीक पहले शहर महिला कांग्रेस नेतृत्व में परिवर्तन करने से देवड़िया कांग्रेस भवन में महिलाओं का रौद्र रूप देखने को मिला। निवर्तमान अध्यक्ष कांता पराते की समर्थक महिलाओं ने हंगामा कर हड़कंप मचा दिया।

कार्यकर्ताओं ने अश्लील शब्दों के साथ कुर्सियों को फेंकना शुरू कर दिया। कांग्रेस शहर महिला अध्यक्ष कांता पराते को हटा कर उनकी जगह पर मनपा स्थाई समिति की पूर्व अध्यक्ष आभा पांडे की नियुक्ति की गई है। जिससे कांता पराते के समर्थकों में भारी रोष है।

3 घंटे तक देवड़िया भवन पर कब्जा

नियुक्ति से नाराज कार्यकर्ता गुरुवार की दोपहर 4 बजे देवड़िया कांग्रेस भवन पहुंची। चुनाव सामने होने और आचार संहिता लगने के बाद कांता पराते को हटा कर आभा पांडे की नियुक्ति कैसे की? यह सवाल करते हुए समर्थकों ने खूब हंगामा मचाया। लगभग तीन घंटे तक नाराज महिला कार्यकर्ताओं ने देवड़िया भवन को कब्जे में रखा।

छाया निमकर निमसरकार नामक कार्यकर्ता ने सांसद विलास मुत्तेमवार के इशारों पर कांता पराते को हटाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अनीता वर्मा ने ऐसी कोई नियुक्ति नहीं की और न प्रदेशाध्यक्ष को ऐसा कोई पत्र भेजा है।

इसे लेकर महिला कार्यकर्ताओं ने अश्लील शब्दों का प्रयोग कर कुर्सियां फेंकी। कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि जब तक शहर अध्यक्ष जयप्रकाश गुप्ता आकर हमारे सवालों का जवाब नहीं देते, हम नहीं हटेंगे।

कार्यकर्ताओं से घिरे राऊत

लगभग 5 बजे राज्य के रोगायो मंत्री डॉ. नितिन राऊत देवड़िया भवन पहुंचे। उम्मीदवार आवेदन वितरण की परिस्थिति क्या है यह देखने वे आये थे। शायद उन्हें भी इसकी कल्पना नहीं थी, उन्हें इस परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा।

छाया निमसरकार व अन्य महिला कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेर लिया। डॉ. राऊत ने इस नियुक्ति के बारे में अनभिज्ञ होने की जानकारी दी, जिसके बाद शाम 5.30 बजे शहर अध्यक्ष जयप्रकाश गुप्ता पहुंचे। उन्होंने महिलाओं को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे कुछ सुनने को तैयार नहीं थीं।

कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम पार्टी हाईकमान से चर्चा कर जानकारी लेंगे। इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए शहर अध्यक्ष श्री गुप्ता ने कहा कि कांता पराते को हटाने का लिखित पत्र अब तक महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीता वर्मा की ओर से नहीं मिला है।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने भी कोई पत्र नहीं दिया है, जिससे नई नियुक्ति नहीं समझी जाएगी। जयप्रकाश गुप्ता ने आभा पांडे के पास भी कोई लिखित पत्र नहीं होने की जानकारी दी।

अचानक नहीं हुआ सब कुछ: आभा

पूर्व स्थाई समिति अध्यक्ष आभा बिज्जू पांडे ने कहा कि यह नियुक्ति चुनाव को मद्देनजर रखते हुए या अचानक नहीं हुई। पिछले 6 महीने से यह प्रक्रिया शुरू थी। सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीता वर्मा ने नियुक्ति की घोषणा की।

कांता पराते की कार्यप्रणाली पर निशाना साधते हुए श्रीमती पांडे ने कहा कि अगर वह निष्ठावान कार्यकर्ता रहतीं, तो यह हंगामा नहीं करतीं, न ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ खड़ी रहतीं।

उन्होंने कहा कि श्रीमती पराते पिछले 10 साल से महिला अध्यक्ष पद पर हैं। आखिर कब तक किसी एक पद पर बना रहा जा सकता है।

आखिर क्यों हैं बॉस ऑफ द ईयर:

साल 2011 सर्च इंजन गूगल के लिए एक बड़े बदलाव का साल रहा है और गूगल+ इस साल अपनी लांचिग के साथ फेसबुक से प्रतियोगिता कर रहा है।सोशल मीडिया में गूगल ने अपने आप को फेसबुक की टक्कर में जोरदार अंदाज में प्रस्तुत किया है और इस बात का क्रेडिट गूगल के युवा सीईओ लैरी पेज का जाता है। उनकी इस उपलब्धि को देखते हुए 2011 के लिए उनको बॉस ऑफ द ईयर घोषित किया गया है। इस संबंध में इनवेस्टर बिजनेस डेली ने आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी है।


आखिर क्यों हैं बॉस ऑफ द ईयर:

1. कंपनी के मैनजमेंट ढ़ाचे में व्यापक बदलाव के साथ सकारात्मक नए गूगल प्रोडक्ट की लांचिग और मोटोरोला मोबलिटी को साथ लाना।

2.गूगल के रेवेन्यू में ३२ से ३३ फीसदी की ग्रोथ ।


लैरी पेज गूगल के लिए रोजाना की गतिविधियों के अलावा कपंनी में न्यू प्रोडाक्ट डेवलपमेंट और तकनीकि रणनीति बनाने के लिए जाने जाते हैं। वे जब १९९८ में स्टेनफोर्ड विवि से पीएचडी कर रहे थे उसी समय उन्होंने अपने सहपाठी सर्गेई ब्रिन के साथ मिलकर गूगल की स्थापना की थी।

12 साल की उम्र में ही सोच लिया था एक दिन कपंनी खोलूगां

लैरी पेज के माता पिता कम्पयूटर विज्ञान में प्रोफेसर थे। पेज को भी कंप्यूटर के प्रति रुची ६ साल की उम्र से शुरु हो गई थी। उनके बारे में चर्चित है कि वे अपने प्राथमिक स्कूल के पहले ऐसे बच्चे थे जिन्होंने वर्ड प्रोसेसर से अपना नियत कार्य पूरा किया। लैरी बचपन में चीजों को खोलकर देखने की खास जिज्ञासा थी कि आखिर वो काम कैसे करती है? उनकी इस रुची में उनके बड़े भाई ने भी खूब मदद की और ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। लैरी पेज ने खुद अपने एक साक्षात्कार में कहा है कि बहुत कम उम्र मैं मैनें महसूस किया था कि मैं चीजों का अविष्कार करना चाहता हूं। इसलिए में प्रोद्योगिकी और व्यापार में दिलचस्पी लेने लगा। मैं जब १२ साल का था तब ऐसा लगा था कि एक दिन मैं एक कंपनी खोलूगां। दरअसल लैरी को एक ऐसा घर मिला था जहां कंप्यूटर और साइंस पत्रिकाएं घर के हर कोने में बिखरी हुई मिल जाती थी और लेरी का जुड़ाव इनसे बढ़ता गया।


एक महान गुरु की नेक सलाह

लैरी पेज जब पीएचडी के छात्र थे तो उनके प्रवेक्षक टेरी विनोग्राड ने उनको एक ऐसी सलाह दी जिसे वे अपनी जिंदगी की मिलने वाली सबसे बेहतरीन सलाह मानी है जिसके चलते उन दिनों वे अपने महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को जारी रख सके थे।



लैरी पेज : संक्षिप्त परिचय

गूगल को फाउंडर, गूगल और वर्तमान सीईओ

उम्र : 38

निवास : पालो आल्टो, सीए

नागरिकता : यूनाइटेड स्टेट

होम टाउन: ईस्ट लैंन्सिंग मिशिगन

शिक्षा : बैचलर ऑफ आर्ट / साइंस, मिशिगन विवि, मॉस्टरऑफसाइंस, स्टेनफोर्ड विवि

वैवाहिक स्थिति : विवाहित

बच्चे : 1

भारत की नागरिकता भारत के संविधान में

5. संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता--इस संविधान के प्रारंभ पर प्रत्येक व्यक्ति जिसका भारत के राज्यक्षेत्र में अधिवास है और—

(क) जो भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या
(ख) जिसके माता या पिता में से कोई भारत के राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या
(ग) जो ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले कम से कम पाँच वर्ष तक भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर से निवासी रहा है, भारत का नागरिक होगा।

6. पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार--अनुच्छेद 5 में किसी बात के होते हए भी, कोई व्यक्ति जिसने ऐसे राज्यक्षेत्र से जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है,

भारत के राज्यक्षेत्र को प्रव्रजन किया है, इस संविधान के प्रारंभ पर भारत का नागरिक समझा जाएगा--
(क) यदि वह अथवा उसके माता या पिता में से कोई अथवा उसके पितामह या पितामही या मातामह या मातामही में से कोई (मूल रूप में यथा अधिनियमित) भारत शासन अधिनियम, 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था; और
(ख) (i) जबकि वह व्यक्ति ऐसा है जिसने 19 जुलाई, 1948 से पहले इस प्रकार प्रव्रजन किया है तब यदि वह अपने प्रव्रजन की तारीख से भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर से निवासी रहा है; या
(ii) जबकि वह व्यक्ति ऐसा है जिसने 19 जुलाई, 1948 को या उसके पश्चात्‌ इस प्रकार प्रव्रजन किया है तब यदि वह नागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियन की सरकार द्वारा विहित प्ररूप में और रीति से उसके द्वारा इस संविधान के प्रारंभ से पहले ऐसे अधिकारी को, जिसे उस सरकार ने इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किया है, आवेदन किए जाने पर उस अधिकारी द्वारा भारत का नागरिक रजिस्ट्रीकृत कर लिया गया है :
परंतु यदि कोई व्यक्ति अपने आवेदन की तारीख से ठीक पहले कम से कम छह मास भारत के राज्यक्षेत्र में निवासी नहीं रहा है तो वह इस प्रकार रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा।
7. पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार--अनुच्छेद 5 और अनुच्छेद 6 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जिसने 1 मार्च, 1947 के पश्चात्‌ भारत के राज्यक्षेत्र से ऐसे राज्यक्षेत्र को, जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रव्रजन किया है, भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा :

परंतु इस अनुच्छेद की कोई बात ऐसे व्यक्ति को लागू नहीं होगी जो ऐसे राज्यक्षेत्र को, जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रव्रजन करने के पश्चात्‌ भारत के राज्यक्षेत्र को ऐसी अनुज्ञा के अधीन लौट आया है जो पुनर्वास के लिए या स्थायी रूप से लौटने के लिए किसी विधि के प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन दी गई है और प्रत्येक ऐसे व्यक्ति के बारे में अनुच्छेद 6 के खंड (ख) के प्रयोजनों के लिए यह समझा जाएगा कि उसने भारत के राज्यक्षेत्र को 19 जुलाई, 1948 के पश्चात्‌ प्रव्रजन किया है।

8. भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्‌भव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार--अनुच्छेद 5 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जो या जिसके माता या पिता में से कोई अथवा पितामह या पितामही या मातामह या मातामही में से कोई (मूल रूप में यथा अधिनियमित) भारत शासन अधिनियम, 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था और जो इस प्रकार परिभाषित भारत के बाहर किसी देश में मामूली तौर से निवास कर रहा है, भारत का नागरिक समझा जाएगा, यदि वह नागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियन की सरकार द्वारा या भारत सरकार द्वारा विहित प्ररूप में और रीति से अपने द्वारा उस देश में, जहाँ वह तत्समय निवास कर रहा है, भारत के राजनयिक या कौंसलीय प्रतिनिधि को इस संविधान के प्रारंभ से पहले या उसके पश्चात्‌ आवेदन किए जाने पर ऐसे राजनयिक या कौंसलीय प्रतिनिधि द्वारा भारत का नागरिक रजिस्ट्रीकृत कर लिया गया है।

9. विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना--यदि किसी व्यक्ति ने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली है तो वह अनुच्छेद 5 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा अथवा अनुच्छेद 6 या अनुच्छेद 8 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा।

10. नागरिकता के अधिकारों का बना रहना--प्रत्येक व्यक्ति, जो इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों में से किसी के अधीन भारत का नागरिक है या समझा जाता है, ऐसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, जो संसद द्वारा बनाई जाए, भारत का नागरिक बना रहेगा।
11. संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना--इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों की कोई बात नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी विषयों के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति का अल्पीकरण नहीं करेगी।

बालकाण्ड श्री सीताराम-धाम-परिकर वंदना चौपाई :



* बंदउँ अवध पुरी अति पावनि। सरजू सरि कलि कलुष नसावनि॥
प्रनवउँ पुर नर नारि बहोरी। ममता जिन्ह पर प्रभुहि न थोरी॥1॥
भावार्थ:-मैं अति पवित्र श्री अयोध्यापुरी और कलियुग के पापों का नाश करने वाली श्री सरयू नदी की वन्दना करता हूँ। फिर अवधपुरी के उन नर-नारियों को प्रणाम करता हूँ, जिन पर प्रभु श्री रामचन्द्रजी की ममता थोड़ी नहीं है (अर्थात्‌ बहुत है)॥1॥
* सिय निंदक अघ ओघ नसाए। लोक बिसोक बनाइ बसाए॥
बंदउँ कौसल्या दिसि प्राची। कीरति जासु सकल जग माची॥2॥
भावार्थ:-उन्होंने (अपनी पुरी में रहने वाले) सीताजी की निंदा करने वाले (धोबी और उसके समर्थक पुर-नर-नारियों) के पाप समूह को नाश कर उनको शोकरहित बनाकर अपने लोक (धाम) में बसा दिया। मैं कौशल्या रूपी पूर्व दिशा की वन्दना करता हूँ, जिसकी कीर्ति समस्त संसार में फैल रही है॥2॥
* प्रगटेउ जहँ रघुपति ससि चारू। बिस्व सुखद खल कमल तुसारू॥
दसरथ राउ सहित सब रानी। सुकृत सुमंगल मूरति मानी॥3॥
करउँ प्रनाम करम मन बानी। करहु कृपा सुत सेवक जानी॥
जिन्हहि बिरचि बड़ भयउ बिधाता। महिमा अवधि राम पितु माता॥4॥
भावार्थ:-जहाँ (कौशल्या रूपी पूर्व दिशा) से विश्व को सुख देने वाले और दुष्ट रूपी कमलों के लिए पाले के समान श्री रामचन्द्रजी रूपी सुंदर चंद्रमा प्रकट हुए। सब रानियों सहित राजा दशरथजी को पुण्य और सुंदर कल्याण की मूर्ति मानकर मैं मन, वचन और कर्म से प्रणाम करता हूँ। अपने पुत्र का सेवक जानकर वे मुझ पर कृपा करें, जिनको रचकर ब्रह्माजी ने भी बड़ाई पाई तथा जो श्री रामजी के माता और पिता होने के कारण महिमा की सीमा हैं॥3-4॥
सोरठा :
* बंदउँ अवध भुआल सत्य प्रेम जेहि राम पद।
बिछुरत दीनदयाल प्रिय तनु तृन इव परिहरेउ॥16॥
भावार्थ:-मैं अवध के राजा श्री दशरथजी की वन्दना करता हूँ, जिनका श्री रामजी के चरणों में सच्चा प्रेम था, जिन्होंने दीनदयालु प्रभु के बिछुड़ते ही अपने प्यारे शरीर को मामूली तिनके की तरह त्याग दिया॥16॥
चौपाई :
* प्रनवउँ परिजन सहित बिदेहू। जाहि राम पद गूढ़ सनेहू॥
जोग भोग महँ राखेउ गोई। राम बिलोकत प्रगटेउ सोई॥1॥
भावार्थ:-मैं परिवार सहित राजा जनकजी को प्रणाम करता हूँ, जिनका श्री रामजी के चरणों में गूढ़ प्रेम था, जिसको उन्होंने योग और भोग में छिपा रखा था, परन्तु श्री रामचन्द्रजी को देखते ही वह प्रकट हो गया॥1॥
* प्रनवउँ प्रथम भरत के चरना। जासु नेम ब्रत जाइ न बरना॥
राम चरन पंकज मन जासू। लुबुध मधुप इव तजइ न पासू॥2॥
भावार्थ:-(भाइयों में) सबसे पहले मैं श्री भरतजी के चरणों को प्रणाम करता हूँ, जिनका नियम और व्रत वर्णन नहीं किया जा सकता तथा जिनका मन श्री रामजी के चरणकमलों में भौंरे की तरह लुभाया हुआ है, कभी उनका पास नहीं छोड़ता॥2॥
* बंदउँ लछिमन पद जल जाता। सीतल सुभग भगत सुख दाता॥
रघुपति कीरति बिमल पताका। दंड समान भयउ जस जाका॥3॥
भावार्थ:-मैं श्री लक्ष्मणजी के चरण कमलों को प्रणाम करता हूँ, जो शीतल सुंदर और भक्तों को सुख देने वाले हैं। श्री रघुनाथजी की कीर्ति रूपी विमल पताका में जिनका (लक्ष्मणजी का) यश (पताका को ऊँचा करके फहराने वाले) दंड के समान हुआ॥3॥
* सेष सहस्रसीस जग कारन। जो अवतरेउ भूमि भय टारन॥
सदा सो सानुकूल रह मो पर। कृपासिन्धु सौमित्रि गुनाकर॥4॥
भावार्थ:-जो हजार सिर वाले और जगत के कारण (हजार सिरों पर जगत को धारण कर रखने वाले) शेषजी हैं, जिन्होंने पृथ्वी का भय दूर करने के लिए अवतार लिया, वे गुणों की खान कृपासिन्धु सुमित्रानंदन श्री लक्ष्मणजी मुझ पर सदा प्रसन्न रहें॥4॥
* रिपुसूदन पद कमल नमामी। सूर सुसील भरत अनुगामी॥
महाबीर बिनवउँ हनुमाना। राम जासु जस आप बखाना॥5॥
भावार्थ:-मैं श्री शत्रुघ्नजी के चरणकमलों को प्रणाम करता हूँ, जो बड़े वीर, सुशील और श्री भरतजी के पीछे चलने वाले हैं। मैं महावीर श्री हनुमानजी की विनती करता हूँ, जिनके यश का श्री रामचन्द्रजी ने स्वयं (अपने श्रीमुख से) वर्णन किया है॥5॥
सोरठा :
* प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥17॥
भावार्थ:-मैं पवनकुमार श्री हनुमान्‌जी को प्रणाम करता हूँ, जो दुष्ट रूपी वन को भस्म करने के लिए अग्निरूप हैं, जो ज्ञान की घनमूर्ति हैं और जिनके हृदय रूपी भवन में धनुष-बाण धारण किए श्री रामजी निवास करते हैं॥17॥
चौपाई :
* कपिपति रीछ निसाचर राजा। अंगदादि जे कीस समाजा॥
बंदउँ सब के चरन सुहाए। अधम सरीर राम जिन्ह पाए॥1॥
भावार्थ:-वानरों के राजा सुग्रीवजी, रीछों के राजा जाम्बवानजी, राक्षसों के राजा विभीषणजी और अंगदजी आदि जितना वानरों का समाज है, सबके सुंदर चरणों की मैं वदना करता हूँ, जिन्होंने अधम (पशु और राक्षस आदि) शरीर में भी श्री रामचन्द्रजी को प्राप्त कर लिया॥1॥
* रघुपति चरन उपासक जेते। खग मृग सुर नर असुर समेते॥
बंदउँ पद सरोज सब केरे। जे बिनु काम राम के चेरे॥2॥
भावार्थ:-पशु, पक्षी, देवता, मनुष्य, असुर समेत जितने श्री रामजी के चरणों के उपासक हैं, मैं उन सबके चरणकमलों की वंदना करता हूँ, जो श्री रामजी के निष्काम सेवक हैं॥2॥
* सुक सनकादि भगत मुनि नारद। जे मुनिबर बिग्यान बिसारद॥
प्रनवउँ सबहि धरनि धरि सीसा। करहु कृपा जन जानि मुनीसा॥3॥
भावार्थ:-शुकदेवजी, सनकादि, नारदमुनि आदि जितने भक्त और परम ज्ञानी श्रेष्ठ मुनि हैं, मैं धरती पर सिर टेककर उन सबको प्रणाम करता हूँ, हे मुनीश्वरों! आप सब मुझको अपना दास जानकर कृपा कीजिए॥3॥
* जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की॥
ताके जुग पद कमल मनावउँ। जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ॥4॥
भावार्थ:-राजा जनक की पुत्री, जगत की माता और करुणा निधान श्री रामचन्द्रजी की प्रियतमा श्री जानकीजी के दोनों चरण कमलों को मैं मनाता हूँ, जिनकी कृपा से निर्मल बुद्धि पाऊँ॥4॥
* पुनि मन बचन कर्म रघुनायक। चरन कमल बंदउँ सब लायक॥
राजीवनयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक॥5॥
भावार्थ:-फिर मैं मन, वचन और कर्म से कमलनयन, धनुष-बाणधारी, भक्तों की विपत्ति का नाश करने और उन्हें सुख देने वाले भगवान्‌ श्री रघुनाथजी के सर्व समर्थ चरण कमलों की वन्दना करता हूँ॥5॥
दोहा :
* गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न।
बंदउँ सीता राम पद जिन्हहि परम प्रिय खिन्न॥18॥
भावार्थ:-जो वाणी और उसके अर्थ तथा जल और जल की लहर के समान कहने में अलग-अलग हैं, परन्तु वास्तव में अभिन्न (एक) हैं, उन श्री सीतारामजी के चरणों की मैं वंदना करता हूँ, जिन्हें दीन-दुःखी बहुत ही प्रिय हैं॥18॥

कुरान का संदेश

जनवरी माह के त्योहार

जनवरी माह के त्योहार
दिऩांक प्रमुख त्योहार अन्य त्योहार हिंदी माह पक्ष तिथि
1 जनवरी ईसाई नववर्ष प्रारंभ पौष शुक्ल अष्टमी (8)
2 जनवरी पंचक समाप्त (दिन 04.16) पौष शुक्ल नवमी (9)
3 जनवरी पौष शुक्ल दशमी (10)
4 जनवरी पौष शुक्ल एकादशी (11)
5 जनवरी गुरु गोविंदसिंह ज. पुत्रदा एका. पौष शुक्ल एकादशी (11)
6 जनवरी प्रदोष व्रत पौष शुक्ल द्वादशी (12)
7 जनवरी चतुर्दशी व्रत पौष शुक्ल त्रयोदशी (13)
8 जनवरी पूर्णिमा व्रत पौष शुक्ल चतुर्दशी (14)
9 जनवरी माघ स्ना.दा.व.नि.प्रा. स्नानदान पूर्णिमा पौष शुक्ल पूर्णिमा (15)
10 जनवरी पोडषकारण व्रत प्रा. पुष्य नक्षत्र (प्रात:6.2 से रा.अं.6.11 तक) माघ कृष्ण एकम (1)
11 जनवरी लालबहादुर शास्त्री दि. माघ कृष्ण द्वितीया (2)
12 जनवरी संकष्टी गणेश चतुर्थी (चं.रा.8.46), तिल चौथ विवेकानंद, महर्षि योगी ज. माघ कृष्ण तृतीया (3)
13 जनवरी लोहड़ी उत्सव माघ कृष्ण चतुर्थी (4)
14 जनवरी मकर संक्रांति खरमास समाप्त माघ कृष्ण पंचमी-षष्ठी (5-6)
15 जनवरी पोंगल, संक्रांति पुण्यस्नान थलसेना दि., सौर माघ मास प्रा. माघ कृष्ण सप्तमी (7)
16 जनवरी साधू वासवानी दिवस माघ कृष्ण अष्टमी (8)
17 जनवरी रांगेय राघव जयंती माघ कृष्ण नवमी (9)
18 जनवरी माघ कृष्ण दशमी (10)
19 जनवरी षटतिला एका. माघ कृष्ण एकादशी (11)
20 जनवरी प्रदोष व्रत माघ कृष्ण द्वादशी (12)
21 जनवरी शिव चतुर्दशी रासबिहारी बोस दि. माघ कृष्ण त्रयोदशी (13)
22 जनवरी ऋषभनाथ नि.महो. माघ कृष्ण चतुर्दशी (14)
23 जनवरी सोमवती अमावस्या सुभाषचंद्र बोस ज. माघ कृष्ण अमावस्या (15)
24 जनवरी पंचक प्रारंभ (रा.अं.3.59) चंद्रदर्शन माघ शुक्ल एकम (1)
25 जनवरी रवि उल अव्वल मास प्रा. माघ शुक्ल द्वितीया (2)
26 जनवरी विनायकी चतुर्थी (चं.अ.रा.8.50) गणतंत्र दिवस माघ शुक्ल तृतीया (3)
27 जनवरी माघ शुक्ल चतुर्थी (4)
28 जनवरी बसंत पंचमी, सरस्वती ज. लाला लाजपतराय ज. माघ शुक्ल पंचमी (5)
29 जनवरी पंचक समाप्त (रात्रि 11.35) देव नारायण ज. माघ शुक्ल षष्ठी (6)
30 जनवरी नर्मदा ज., अचला रथ सप्तमी गाँधीजी पु., मौन दिवस माघ शुक्ल सप्तमी (7)
31 जनवरी भीमाष्टमी अवतार मेहेर बाबा पु. माघ शुक्ल अष्टमी (8)

जानिए, क्या है मौत की सच्चाई, कैसे होती है मृत्यु




मौत एक ऐसी सच्चाई जिसे कोई झूठला नहीं सकता। एक न एक दिन मौत सभी को आनी है। इस सच्चाई को जानते हुए भी हम मौत से घबराते हैं। आखिर क्या है मौत का राज? क्यों होती किसी की मृत्यु? यह वह सवाल है जो मानव मस्तिष्क को हमेशा परेशान करते आए हैं।

अगर आध्यात्मिक रूप से देखा जाए तो मौत का अर्थ है शरीर से प्राण अर्थात आत्मा का निकल जाना। इसके बिना शरीर सिर्फ भौतिक वस्तु रह जाता है। इसे ही मौत कहते हैं। जबकि विज्ञान की दृष्टि से मृत्यु का अर्थ कुछ अलग है। उसके अनुसार शरीर में दो तरह की तरंगे होती हैं भौतिक तरंग और मानसिक तरंग। जब किसी कारणवश इन दोनों का संपर्क टूट जाता है तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। साधारणत: मौत तीन प्रकार से होती है- भौतिक, मानसिक तथा अध्यात्मिक।

किसी दुर्घटना या बीमारी से मृत्यु का होना भौतिक कारण की श्रेणी में आता है। इस समय भौतिक तरंग अचानक मानसिक तरंगों का साथ छोड़ देती है और शरीर प्राण त्याग देता है। जब अचानक किसी ऐसी घटना-दुर्घटना के बारे में सुनकर, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती, मौत होती है तो ऐसे समय में भी भौतिक तरंगें मानसिक तरंगों से अलग हो जाती है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। यह मृत्यु का मानसिक कारण है।

मौत का तीसरा कारण आध्यात्मिक है। आध्यात्मिक साधना में मानसिक तरंग का प्रवाह जब आध्यात्मिक प्रवाह में समा जाता है तब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है क्योंकि भौतिक शरीर अर्थात भौतिक तरंग से मानसिक तरंग का तारतम्य टूट जाता है। ऋषि मुनियों ने इसे महामृत्यु कहा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार महामृत्यु के बाद नया जन्म नहीं होता और आत्मा जीवन-मरण के बंधन से मुक्त हो जाती है।

61 साल बाद मकर संक्रांति पर बनेगा ये महायोग



इस बार मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर कई विशेष योग बन रहे हैं, जिसके कारण इस पर्व का महत्व और भी अधिक हो गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार मकर संक्रांति(15 जनवरी) पर्व पर भानु सप्तमी का योग भी बन रहा है। यह योग इसके पहले सन 1951 में बना था।

ज्योतिषाविदों के अनुसार सप्तमी तिथि व रविवार को संक्रांति आने से भानु सप्तमी का योग बन रहा है। संक्रांति 14 जनवरी की रात 12:58 से लगेगी। इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी, रविवार को रहेगा। सूर्य का राशि परिवर्तन अद्र्धरात्रि में हो रहा है इसलिए सूर्योदय से पर्व काल शुरु होगा। इस दिन देव दर्शन, स्नान, दान के लिए 10 घंटे का पुण्यकाल रहेगा और सूर्य उपासना से सौ गुना अधिक फल मिलेगा। मकर संक्रांति पर्व से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।

इस बार क्यों खास है मकर संक्रांति?

जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण देवताओं का दिन माना गया है। इस दिन विशेष रूप से सूर्य की पूजा की जाती है। इस बार मकर संक्रांति के पर्व पर सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि के योग के साथ भानु सप्तमी होने से सूर्य की उपासना कर स्नान-दान पुण्य करने से सौगुना अधिक फल मिलेगा।

कितनी भी हो कमजोरी मिटा देगा उड़द और शहद का ये आसान तरीका


खाली दिमाग शैतान का घर, बनाने वाले ने बिल्कुल सही कहावत बनाई है, दरअसल खाली दिमाग सिर्फ तनाव ही नहीं बढ़ाता बल्कि स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा प्रभाव डालता है। इसके साथ ही अनियमित खान-पान भी शरीर के कमजोर होने में काफी हद तक उत्तरदायी है। अगर आपके साथ भी यही समस्या है अनियमित दिनचर्या, तनाव व अनियमित खान-पान के कारण आपको कमजोरी महसूस होती है तो नीचे लिखे योग को एक बाद जरुर आजमाएं।

धुली हुई उड़द की दाल और सिंघाड़े का पिसा हुआ चूर्ण 100-100 ग्राम। दाल को शुद्ध घी में अच्छी तरह सेंक कर पीसकर चूर्ण कर लें। दोनों चूर्ण मिला लें। दाल को शुद्ध घी में अच्छी तरह सेंक कर पीसकर चूर्ण मिला लें। इस चूर्ण को एक (चाय वाला) चम्मच मात्रा में लेकर आधा चम्मच शुद्ध घी और 2 चम्मच शहद में मिला कर प्रतिदिन चाट लें।

इसके 10-15 मिनट बाद रात को पानी में डाल कर गलाई हुई बादाम की 2 गिरियां छिलका हटाकर साफ पत्थर पर पानी के साथ चंदन की तरह घिस कर दूध में मिला लें। दूध में थोड़ी शक्कर मिला लें और धीरे-धीरे घूंट-घूंट करके यह दूध पी जाएं। इसके 3 घंटे बाद भोजन करें। यह बहुत ही पौष्टिक योग है जिसे अविवाहित एवं विवाहित युवक- युवतियां सेवन कर अपना शरीर सुडौल व बलवान बना सकते हैं। यह योग पचने में भारी है।

दिग्विजय आरएसएस-भाजपा के सबसे बड़े समर्थक


नई दिल्ली. संघ के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े अशोक सिंघल के साथ मंच पर बैठे हुए दिग्विजय सिंह की तस्वीर सामने आने के बाद टीम अन्ना ने हमला बोल दिया है। टीम अन्ना के सदस्य संजय सिंह ने गुरुवार को कहा है दिग्विजय सिंह के आरएसएस से घनिष्ठ संबंध हैं। संजय सिंह का कहना है कि दिग्विजय का बीजेपी और संघ से गहरा नाता है। वे बीजेपी और संघ का नाम नितिन गडकरी से ज़्यादा लेते हैं। संजय ने कहा, 'दिग्विजय सिंह कांग्रेस के भीतर आरएसएस और भाजपा के सबसे बड़े समर्थक हैं।'

लेकिन दिग्विजय सिंह ने तस्वीर सामने आने के बाद अपने बचाव में कहा है कि उस कार्यक्रम में वे कांची के शंकराचार्य के बुलावे पर गए थे और इसके लिए उन्होंने पार्टी से इजाजत ली थी। दिग्विजय सिंह ने कहा, 'आरएसएस से जुड़े लोगों ने अन्ना पर किताब लिखी। क्या उन्होंने मेरे ऊपर किताब लिखी? अन्ना को आरएसएस का समर्थन स्वीकार कर लेना चाहिए। अन्ना को लोगों को यह भी बताना चाहिए कि जनलोकपाल की जरूरत नहीं है, वे सभी बीजेपी में शामिल हों और उनका शुद्धिकरण हो।'

मजबूत लोकपाल की मांग कर रहे अन्ना हजारे को आरएसएस का एजेंट साबित करने में जुटी रही कांग्रेस को अब संघ जवाब देने की तैयारी की है। संघ के मुखपत्र पांचजन्य के अगले में अंक में संघ अन्ना और उनके सहयोगियों पर सबसे ज़्यादा हमला करने वाले दिग्विजय सिंह की पोल खोलने की तैयारी है।

अन्ना हजारे और समाजसेवी नानाजी देशमुख के रिश्तों का दावा कर टीम अन्ना को बैकफुट पर धकेलने की कोशिश कर चुके दिग्विजय सिंह की संघ और वीएचपी नेताओं के साथ मंच पर तस्वीर खोज निकाली गई है। इसमें कांग्रेस महासचिव हरिद्वार में आयोजित 1997 के विराट हिंदू सम्मेलन के दौरान संघ के तत्कालीन प्रमुख प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया और विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल के बीच बैठे नजर आ रहे हैं।

यूपी चुनाव के बीच रज्जू भैया और अशोक सिंघल के साथ दिग्विजय सिंह की करीबी कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के प्रभारी पर भारी पड़ सकती है। पांचजन्य के इस अंक में सिर्फ तस्वीर ही नहीं बल्कि लेख के जरिए भी दिग्विजय सिंह को जवाब देने की योजना है। ‘अपने गिरेबां में झांके दिग्विजय सिंह’ शीर्षक से लेख में आरएसएस की भारत के प्रति निष्ठा और समर्पण साबित करने के लिए बताया गया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1963 में आरएसएस के निवेदन के बाद संघ को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने की इजाजत दी थी।

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