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07 जनवरी 2012

रविवार व्रत से पाएं सूर्य भगवान की कृपा पौष में रविवार व्रत से होती हैं मनोकामना पूर्ण



- आचार्य गोविन्द बल्लभ जोशी


भारतीय उपासना पद्धति बड़ी विराट एवं मनोवैज्ञानिक है। इसमें तिथि, वार, नक्षत्र, संक्रांति के साथ-साथ हर महीने अलग-अलग देवी-देवताओं की उपासना से जुड़े हुए हैं। पौष का महीना प्रचंड शीत ऋतु का होता है। इस महीने सूर्य की उपासना वह भी विशेष कर रविवार को करने से उपासक का तन-मन और भाव तीनों की शुद्धता हो जाती है।

पौष के रविवार को सूर्य की उपासना के लिए सूर्योदय से पहले जागना चाहिए। स्नान एवं संध्या वंदन के बाद तांबे के कलश अथवा किसी भी धातु के पात्र में जल भरकर उसमें रोली, अक्षत और लाल रंग के फूलों को डालकर इस प्रकार से अर्घ्य देना चाहिए कि जल की धारा के बीच से उगते हुए सूर्य का दर्शन करना चाहिए। दिनभर व्रत रखकर सायंकाल अग्निहोत्र आदि कर बिना नमक का भोजन करना चाहिए। इस प्रकार इस महीने प्रत्येक रविवार को सूर्य की उपासना करने से दैविक, दैहिक और भौतिक तीनों कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। उपासक की बुद्धि सूर्य के प्रकाश की तरह प्रखर हो जाती है।

वस्तुतः चराचर के प्रकाशक देवता होने से सूर्य को सविता कहते हैं। गायत्री मंत्र इसी 'सविता' की उपासना का मंत्र है। साक्षात्‌ सृष्टिकर्ता विधाता जो न केवल पृथ्वी, अंतरिक्ष और द्युलोक को प्रकाशित करते हैं अपितु चराचर जगत्‌ को नियंत्रित भी करते हैं। समस्त देवताओं के मुखिया भगवान भास्कर अपने धाता स्वरूप से संपूर्ण जगत को धारण करने तथा सबको कर्म जगत में प्रेरित करने के लिए वंदनीय हैं।


जगत की समस्त घटनाएं तो सूर्य देव की ही लीला विलास हैं। एक ओर जहां भगवान सूर्य अपनी कर्म सृष्टि सर्जना की लीला से प्रातः काल में जगत को संजीवनी प्रदानकर प्रफुल्लित करते हैं तो वहीं दूसरी ओर मध्या-काल में स्वयं ही अपने महेश्वर स्वरूप से तमोगुणी लीला करते हैं। मध्या-काल में आप अपनी ही प्रचंड रश्मियों के द्वारा शिवरूप से संपूर्ण दैनिक कर्म सृष्टि की रजोगुण रूपी कालिमा का शोषण करते हैं।

जिस प्रकार परमात्मा अपनी ही बनायी सृष्टि का आवश्यकतानुसार यथा समय अपने में ही विलय करता है। ठीक उसी प्रकार भगवान आदित्य मध्या-काल में अपनी ही रश्मियों द्वारा महेश्वरूप में दैनिक सृष्टि के विकारों को शोषित कर कर्म जगत को हष्ट पुष्ट स्वस्थ और नीरोग बनाते हैं। जगत कल्याण के लिए भगवान सूर्य की यह दैनिक विकार शोषण की लीला ही भगवान नीलकण्ठ के हलाहल पान का प्रतीक है।

संत प्रह्लाद ब्रह्मचारी के शब्दों में दिन भर सारे जगत में प्रकाश और आनंद बिखेरकर सायंकाल अस्ताचल की ओर जाने वाले भगवान भास्कर का सौंदर्य भी अद्भुत है। सायं संध्या योगियों के ब्रह्म साक्षात्कार का सोपान है। इसमें संध्या वंदन करने वाले भक्तजन ऐसे जान पड़ते हैं मानो अबाधरूप से आगे बढ़ते हुए इस अंतकाररूप समुद्र में शीघ्र ही लुप्त हुए हजार किरणों के धारक सूर्यरूपी रत्न को प्राप्त करने के लिए उपाय ही सोच रहे हैं।

निःसंदेह सांध्य बेला प्राणिमात्र के लिए मन के उपरांत विश्राम का संदेश लेकर आती है। ऐसा लगता है मानो संध्या सुंदरी का संदेश पालन करते हुए स्वयं भगवान सूर्य अपनी किरणों को भी समेटते हुए विष्णुरूप से पूरी सृष्टि के पालन की लीला करने की तैयारी कर रहे हैं।

प्रगाढ़ निद्रा मग्न सारा संसार ऐसा प्रतीत होता है मानो विष्णु सूर्य स्वयं लीलामय तमस्वरूप परम प्रशांत सिंधु में समस्त सृष्टि को अपने ही साथ लेकर विश्रम कर रहे हैं। सतोगुणी विष्णु सूर्य का पश्चिम दिशा में छिप जाना एक अखंड योग का परिचालक है। भगवान प्राणिमात्र को निद्रा देवी के अधीनकर सारे संसार की विस्मृति जीव जगत को दिलाकर विश्राम योग के द्वारा असीम सामर्थ्य, अखंड योग, नित नव प्रेम की योग्यता प्रदान करते हैं।

इस प्रकार एक-एक क्षण और एक-एक कण को अपनी लीला से नियंत्रित करने वाले भगवान सूर्य न केवल प्रातः मध्याह्न, सायं के कारण से रज, तम, सत का प्रतिनिधित्व करते हैं अपितु उन गुणों के धारक ब्रह्मा, महेश एवं विष्णु के रूप में नित्य निरंतर जीव जगत का कल्याण करते हैं। सूर्य की कृपा बिना किसी भेदभाव के सब पर समान रूप से होती है। भगवान सूर्य इतने दयालु हैं कि अर्घ्य एवं नमस्कार मात्र से ही अपने भक्तों के वश में हो जाते हैं।

अपने-अपने ईष्ट देवों गणेश, शिव, विष्णु आदि का ध्यान भी सूर्यमंडल में करने का शास्त्रीय विधान है। 'उदये ब्रह्मणो रूपं मध्याह्ने तु महेश्वरः। अस्तकाले स्वयं विष्णुस्त्रिमूतिश्च दिवाकरः॥' इस उपासना में सूर्य के विविध रूपों का ध्यान और पूजन का फल मिलता है जिसमें धाता सूर्य, अर्यमा सूर्य, मित्र सूर्य, वरुण सूर्य, इन्द्र सूर्य, विवस्वान्‌ सूर्य, पूषा सूर्य, पर्जन्य सूर्य, अंशुमान्‌ सूर्य, भग सूर्य, त्वष्टा सूर्य, विष्णु सूर्य के साथ समस्त चराचर को भाषित करने वाले 'प्रभाकर नमोस्तुते' से प्रणाम करना चाहिए।

गंगा किनारे विराजे काशी विश्वनाथ


ॐ नमः शिवाय...शिव-शंभु...

'वाराणसीतु भुवनत्रया सारभूत
रम्या नृनाम सुगतिदाखिल सेव्यामना
अत्रगाता विविधा दुष्कृतकारिणोपि
पापाक्ष्ये वृजासहा सुमनाप्रकाशशः'
- नारद पुराण
गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित वाराणसी नगर विश्व के प्राचीनतम शहरों में से एक माना जाता है तथा यह भारत की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में सुशोभित है। इस नगर के हृदय में बसा है भगवान काशी विश्वनाथ का मंदिर जो प्रभु शिव, विश्वेश्वर या विश्वनाथ के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। स्त्री हो या पुरुष, युवा हो या प्रौढ़, हर कोई यहाँ पर मोक्ष की प्राप्ति के लिए जीवन में एक बार अवश्य आता है। ऐसा मानते हैं कि यहाँ पर आने वाला हर श्रद्धालु भगवान विश्वनाथ को अपनी ईष्ट इच्छा समर्पित करता है।
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गर्भगृह के भीतर चाँदी से मढ़ा भगवान विश्वनाथ का 60 सेंटीमीटर ऊँचा शिवलिंग विद्यमान है। यह शिवलिंग काले पत्थर से निर्मित है। हालाँकि मंदिर का भीतरी परिसर इतना व्यापक नहीं है, परंतु वातावरण पूरी तरह से शिवमय है।

धार्मिक महत्व-
ऐसा माना जाता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था तब प्रकाश की पहली किरण काशी की धरती पर पड़ी थी। तभी से काशी ज्ञान तथा आध्यात्म का केंद्र माना जाता है।

यह भी माना जाता है कि निर्वासन में कई साल बिताने के पश्चात भगवान शिव इस स्थान पर आए थे और कुछ समय तक काशी में निवास किया था। ब्रह्माजी ने उनका स्वागत दस घोड़ों के रथ को दशाश्वमेघ घाट पर भेजकर किया था।

काशी विश्वनाथ मंदिर-
गंगा तट पर सँकरी विश्वनाथ गली में स्थित विश्वनाथ मंदिर कई मंदिरों और पीठों से घिरा हुआ है। यहाँ पर एक कुआँ भी है, जिसे 'ज्ञानवापी' की संज्ञा दी जाती है, जो मंदिर के उत्तर में स्थित हैविश्वनाथ मंदिर के अंदर एक मंडप व गर्भगृह विद्यमान है। गर्भगृह के भीतर चाँदी से मढ़ा भगवान विश्वनाथ का 60 सेंटीमीटर ऊँचा शिवलिंग विद्यमान है। यह शिवलिंग काले पत्थर से निर्मित है। हालाँकि मंदिर का भीतरी परिसर इतना व्यापक नहीं है, परंतु वातावरण पूरी तरह से शिवमय है।



ऐतिहासिक महत्व-
ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर प्राक्-ऐतिहासिक काल में निर्मित हुआ था। सन् 1776 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने इस मंदिर के पुनर्निमाण के लिए काफी धनराशि दान की थी। यह भी माना जाता है कि लाहौर के महाराजा रंजीतसिंह ने इस मंदिर के शिखर के पुनर्निमाण के लिए एक हजार किलो सोने का दान किया था। 1983 में उत्तरप्रदेश सरकार ने इसका प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया और पूर्व काशी नरेश विभूति सिंह को इसके ट्रस्टी के रूप में नियुक्त किया।

पूजा-अर्चना -
यह मंदिर प्रतिदिन 2.30 बजे भोर में मंगल आरती के लिए खोला जाता है जो सुबह 3 से 4 बजे तक होती है। दर्शनार्थी टिकट लेकर इस आरती में भाग ले सकते हैं। तत्पश्चात 4 बजे से सुबह 11 बजे तक सभी के लिए मंदिर के द्वार खुले होते हैं। 11.30 बजे से दोपहर 12 बजे तक भोग आरती का आयोजन होता है। 12 बजे से शाम के 7 बजे तक पुनः इस मंदिर में सार्वजनिक दर्शन की व्यवस्था है।




शाम 7 से 8.30 बजे तक सप्तऋषि आरती के पश्चात रात के 9 बजे तक सभी दर्शनार्थी मंदिर के भीतर दर्शन कर सकते हैं। 9 बजे के पश्चात मंदिर परिसर के बाहर ही दर्शन संभव होते हैं। अंत में 10.30 बजे रात्रि से शयन आरती प्रारंभ होती है, जो 11 बजे तक संपन्न होती है। चढ़ावे में चढ़ा प्रसाद, दूध, कपड़े व अन्य वस्तुएँ गरीबों व जरूरतमंदों में बाँट दी जाती हैं।

नष्ट होगी धरती, मंगल पर होगा नया आशियाना!


वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस का दावा

अक्सर चर्चा होती है कि धरती पर प्रलय आएगा और सब कुछ नष्ट हो जाएगा। सवाल उठता है कि मनुष्य के लिए रहने का नया ठिकाना क्या होगा? इस सवाल का जवाब प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस ने खोज लिया है। उनका दावा है कि अब मनुष्य अपनी दुनिया मंगल ग्रह पर बसाएगा।

ब्रह्मांड के कई रहस्यों को सुलझाने वाले इस वैज्ञानिक का कहना है कि मनुष्य के लिए जरूरी है कि वह पूरे ब्रह्मांड में फैले ताकि धरती के नष्ट होने की सूरत में हमारे पास विकल्प मौजूद हो। हॉकिंस का कहना है कि लगभग तय है कि करीब सौ साल में परमाणु युद्घ या ग्लोबल वार्मिंग धरती को नष्ट कर देंगे, इसलिए आवश्यक है कि हम अंतरिक्ष में कहीं अपना ठिकाना खोज लें।

उन्होंने कहा कि मेरा विश्वास है कि हम धीरे-धीरे मंगल ग्रह या ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों पर बस जाएंगे, लेकिन यह सौ वर्षों के बाद ही होगा। माना जाता है कि मंगल ग्रह का वायुमंडल धरती से काफी मिलता-जुलता है। अंतरिक्ष एजेंसियों ने वहां इंसानों को भेजने का कार्यक्रम काफी पहले ही शुरू कर दिया है।

हॉकिंस ने कहा कि विज्ञान और तकनीक धीरे-धीरे इंसान को इतना सक्षम बना देंगे कि पूरा ब्रह्मांड उसकी जद में होगा। ब्रह्मांड में कहीं और जीवन की खोज कर पाना विज्ञान की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।

माघ मास 10 से, पापों से मुक्ति दिलाता है यह महीना



भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास व दसवां सौरमास माघ कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा। धार्मिक दृष्टिकोण से इस मास का बहुत अधिक महत्व है। इस बार माघ मास का प्रारंभ 10 जनवरी, मंगलवार से हो रहा है। इस मास में पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य पापमुक्त हो स्वर्गलोक में स्थान पाता है-

माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।।

माघ मास में प्रयाग में स्नान, दान, भगवान विष्णु के पूजन व हरिकीर्तन के महत्व का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस में लिखा है-

माघ मकरगत रबि जब होई। तीरतपतिहिं आव सब कोई।।

देव दनुज किन्नर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।।

पूजहिं माधव पद जलजाता। परसि अखय बटु हरषहिं गाता।

पद्मपुराण के उत्तरखण्ड में माघमास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है-

व्रतैर्दानैस्तपोभिश्च न तथा प्रीयते हरि:।

माघमज्जनमात्रेण यथा प्रीणाति केशव:।।

प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापापनुक्तये।

माघस्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानव:।।

अर्थात व्रत, दान और तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नानमात्र से होती है, इसलिए स्वर्गलाभ, सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान अवश्य करना चाहिए।

तुलसी का अनोखा इस्तेमाल, सुन दंग रह जाएंगे!



भुवनेश्वर। सर्दी, खांसी के घरेलू उपचार में इस्तेमाल होने वाली तुलसी का इस्तेमाल परमाणु विकिरण की चपेट में आए लोगों के इलाज में भी किया जा सकता है।

वैज्ञानिक इस दिशा में खोज कर रहे हैं और शुरुआती परिणाम उत्सावर्धक रहे हैं। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वैज्ञानिकों ने विकिरण प्रभावित लोगों के इलाज के लिए तुलसी से एक औषधि का विकास किया है। इस पर दूसरे चरण का प्रयोग चल रहा है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक तुलसी में ऑक्सीकरण रोधी गुण पाया जाता है, जिसका उपयोग विकिरण से क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत में किया जा सकता है। डीआरडीओ के मुख्य नियंत्रक (शोध एवं विकास) डब्ल्यू. सेल्वामूर्ति ने से कहा, "वाणिज्यिक उत्पादन से पहले औषधि पर कुछ और प्रयोग होगा।"

वह यहां 99वें राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में बोल रहे थे। परमाणु विकिरण से बचाने वाले औषधि के निर्माण में दो और पौधों का इस्तेमाल हो रहा है। वे हैं सी-बकथोर्न और पोडोफाइलम हेक्सांड्रम।

उन्होंने कहा कि दुनिया में तुलसी का इस कार्य में पहली बार प्रयोग हो रहा है। इससे बनने वाली औषधि का इस्तेमाल मनुष्य और जानवर दोनों पर किया जा सकेगा। इस परियोजना पर सात करोड़ रुपये खर्च होंगे। अब तक विकिरण से बचाने वाली औषधियां जहरीली हुआ करती थीं, तुलसी से बनी औषधि अपेक्षाकृत सुरक्षित होगी।

चार राज्य, 4000 करोड़ के घोटाले, वसूली शून्य

नई दिल्ली/रांची/जयपुर लखनऊ/भोपाल. झारखंड, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में हुए आठ बड़े घोटालों में भ्रष्टाचारियों की 4000 करोड़ रुपए से अधिक बेनामी संपत्ति का पता चला। इन सब मामलों में आरोपी नेता, अफसर और बाबू को मामूली जेल या पूछताछ का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी काली कमाई सरकार वसूल नहीं पाई है। आखिर, ऐसा क्यों... भास्कर ने की पड़ताल।

झारखंड में मधु कोड़ा सहित उनकी सरकार के आधा दर्जन मंत्री जेल में हैं। पूर्व सीएम कोड़ा पर 3300 करोड़ की अघोषित संपत्ति अर्जित करने की बात आयकर के असेसमेंट में उजागर हुई है। 31 अक्टूबर 2009 को आयकर की छापेमारी के वक्त जितने बैंक एकाउंट और संपत्ति जब्त किए गए थे, उतना ही जब्त है, बाकी का पता ही नहीं चला। उन्हें 1300 करोड़ का टैक्स जमा कराने के लिए कहा गया है। यदि उन्होंने आयकर आयुक्त (अपील) के पास एक माह के भीतर अपील दायर नहीं की और टैक्स का भुगतान भी नहीं किया, तो विभाग उनकी जब्त संपत्ति को नीलाम कर सकता है। इससे प्राप्त राशि भारत सरकार के खाते में जमा करा दी जाएगी। लेकिन ऐसा होने की उम्मीद कम ही है। बताया रहा है कि कोड़ा अपील कर अपनी संपत्ति का आकलन गलत ढंग से करने और ज्यादा टैक्स लगाने की दलीलें दे सकते हैं।

राजस्थान में अगस्त 2010 को मारे गए छापे में अजमेर डेयरी के असिस्टेंट मैनेजर एसके शर्मा के पास 4.98 करोड़ रुपए नकद, 11 किलो सोना और करोड़ों रुपए की अचल संपत्ति मिली। मामला अभी कोर्ट में है। इस प्रकरण में उनकी पत्नी और बेटा-बेटी भी अभियुक्त हैं। पत्नी ओर बेटा-बेटी को अभियुक्त इसलिए बनाया गया है, क्योंकि उन्होंने रिश्वत की कमाई को सफेद करने में मदद की थी। पति के रिश्वत के पैसे को पत्नी की कमाई बताकर रिटर्न भरी गई। कुछ पैसा बेटी के खाते में भी गया। बेटा उस पैसे से जमीनें खरीद रहा था। अब तक सिर्फ रिश्वतखोर का ही चालान होता था, लेकिन यह संभवत: पहला मामला है जिसमें परिवार के बाकी लोगों का भी चालान किया गया है। शर्मा खुद शुरू से ही जेल में हैं। पत्नी अरुणा शर्मा और बेटे गौरव शर्मा ने दो दिन पहले ही समर्पण किया है। बेटी गरिमा शर्मा की गिरतारी 21 नवंबर 2011 को हुई। ये सभी जेल में हंै। इन्होंने हाईकोर्ट से भी पहले अग्रिम और अब जमानत की कोशिश की है, लेकिन ये कोशिशें विफल रहीं।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव 1967 बैच के आईएएस एपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति जुटाने का मामला मार्च 2005 में दर्ज किया गया था। सीबीआई जांच में अखंड प्रताप सिंह के पास 84 अचल संपत्तिायों का खुलासा हुआ था जिनकी कीमत 200 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई थी। यह मामला आज भी कोर्ट में विचाराधीन है। उप्र के आईएएस अधिकारियों के एक्शन ग्रुप ने ही सिंह को महाभ्रष्ट अफसर करार दिया था। सिंह के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले पत्रकार शरत प्रधान कहते हैं कि सिंह के विदेशों के खातों की जांच ही नही की गई। वरना संपत्ति का आंकड़ा कहीं ज्यादा होता।

भोपाल में फरवरी 2010 में आयकर छापे में तीन करोड़ से अधिक नकद राशि मिलने के बाद मप्र के आईएएस दंपती अरविंद-टीनू जोशी की संपत्ति को एक तरफ आयकर विभाग ने और दूसरी तरफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अटैच कर रखा है। बाद में हुई जांच में उनकी संपत्ति का आंकड़ा 450 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। आयकर विभाग ने हाल ही में नोटिस देकर उन्हें 135 करोड़ रुपए आयकर जमा करने का नोटिस दिया है। जोशी के पास अभी अपील करने से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जान के रास्ते खुले हैं। लोकायुक्त और ईडी में उनके मामले लंबित हैं।

छापे के बाद से ही अरविंद-टीनू जोशी निलंबित हैं। राज्य सरकार ने दोनों दागी अफसरों की जांच के लिए पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच की एकल सदस्यीय समिति का गठन किया। लेकिन इसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आ पाई है। लेकिन छापे के बाद से वे सामाजिक बहिष्कार झेल रहे हैं। राजधानी के प्रतिष्ठित भोजपुर क्लब से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई है।

ऐसा ही मामला पूर्व स्वास्थ्य संचालक डॉ. योगीराज शर्मा का है। चार साल पहले उनके पास मिली बेनामी संपत्ति के एवज में उनसे 12.5 करोड़ रुपए का आयकर जमा करने को कहा गया। लेकिन मामला कोर्ट में चला गया। निलंबन के बाद शर्मा वल्र्ड बैंक और अन्य संस्थाओं के लिए कंसल्टेंट का काम कर रहे हैं। इन मामलों के अलावा हाल ही में इंदौर के आरटीओ ऑफिस में पदस्थ क्लर्क से 40 करोड़ रुपए और उज्जैन नगर निगम में चपरासी के पास से 10 करोड़ रुपए की संपत्ति के प्रमाण मिले। इन केस की जांच शुरू हो गई है। नतीजा कब आएगा, जांच करने वाले भी नहीं जानते।

राज्य के निति निदेशक तत्व देश के संविधान में

36. परिभाषा--इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, ''राज्य'' का वही अर्थ है जो भाग 3 में है।
37. इस भाग में अंतर्विष्ट तत्त्वों का लागू होना--इस भाग में अंतर्विष्ट उपबंध किसी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे किंतु फिर भी इनमें अधिकथित तत्त्व देश के शासन में मूलभूत हैं और विधि बनाने में इन तत्त्वों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा।

38. राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा— 1(1)] राज्य ऐसी सामाजिक व्यवस्था की, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय राष्ट्रीय जीवन की सभी संस्थाओं को अनुप्राणित करे, भरसक प्रभावी रूप में स्थापना और संरक्षण करके लोक कल्याण की अभिवृद्धि का प्रयास करेगा।

2[(2) राज्य, विशिष्टतया, आय की असमानताओं को कम करने का प्रयास करेगा और न केवल व्यष्टियों के बीच बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले और विभिन्न व्यवसायों में लगे हुए लोगों के समूहों के बीच भी प्रतिष्ठा, सुविधाओं और अवसरों की असमानता समाप्त करने का प्रयास करेगा।]

39. राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्त्व-राज्य अपनी नीति का, विशिष्टतया, इस प्रकार संचालन करेगा कि सुनिश्चित रूप से--
(क) पुरुष और स्त्री सभी नागरिकों को समान रूप से जीविका के पर्याप्त साधन प्राप्त करने का अधिकार हो;
(ख) समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार बंटा हो जिससे सामूहिक हित का सर्वोत्तम रूप से साधन हो;
(ग) आर्थिक व्यवस्था इस प्रकार चले जिससे धन और उत्पादन-साधनों का सर्वसाधारण के लिए अहितकारी संक्रेंद्रण न हो;
(घ) पुरुषों और स्त्रियों दोनों का समान कार्य के लिए समान वेतन हो;
(ङ) पुरुष और स्त्री कर्मकारों के स्वास्नय और शक्ति का तथा बालकों की सुकुमार अवस्था का दुरुपयोग न हो और आर्थिक आवश्यकता से विवश होकर नागरिकों को ऐसे रोजगारों में न जाना पड़े जो उनकी आयु या शक्ति के अनुकूल न हों;
3(च) बालकों को स्वतंत्र और गरिमामय वातावरण में स्वस्थ विकास के अवसर और सुविधाएँ दी जाएँ और बालकों और अल्पवय व्यक्तियों की शोषण से तथा नैतिक और आर्थिक परित्याग से रक्षा की जाए।]

439क. समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता--राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि विधिक तंत्र इस प्रकार काम करे कि समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ हो और वह, विशिष्टतया, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आर्थिक या किसी अन्य निर्योषयता के कारण कोई नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए, उपयुक्त विधान या स्कीम द्वारा या किसी अन्य रीति से निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा।

40. ग्राम पंचायतों का संगठन--राज्य ग्राम पंचायतों का संगठन करने के लिए कदम उठाएगा और उनको ऐसी शक्तियां और प्राधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने योषय बनाने के लिए आवश्यक हों।

41. कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार --राज्य अपनी आर्थिक सामनर्य और विकास की सीमाओं के भीतर, काम पाने के, शिक्षा पाने के और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी और निःशक्तता तथा अन्य अनर्ह अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा।
42. काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध--राज्य काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिए और प्रसूति सहायता के लिए उपबंध करेगा।
43. कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि--राज्य, उपयुक्त विधान या आर्थिक संगठन द्वारा या किसी अन्य रीति से कृषि के, उद्योग के या अन्य प्रकार के सभी कर्मकारों को काम, निर्वाह मजदूरी, शिष्ट जीवनस्तर और अवकाश का संपूर्ण उपभोग सुनिश्चित करने वाली काम की दशाएं तथा सामाजिक और सांस्कृतिक अवसर प्राप्त कराने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया ग्रामों में कुटीर उद्योगों को वैयक्तिक या सहकारी आधार पर बढ़ाने का प्रयास करेगा।

1 संविधान (चवालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 9 द्वारा (20-6-1979 से) अनुच्छेद 38 को उसके खंड (1) के रूप में पुनःसंख्‍यांकित किया गया।
2 संविधान (चवालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 9 द्वारा (20-6-1979 से) अंतःस्थापित।
3 संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 7 द्वारा (3-1-1977 से) खंड (च) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
4 संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 8 द्वारा (3-1-1977 से) अंतःस्थापित।

143क. उद्योगों के प्रबंध में कर्मकारों का भाग लेना--राज्य किसी उद्योग में लगे हुए उपक्रमों, स्थापनों या अन्य संगठनों के प्रबंध में कर्मकारों का भाग लेना सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त विधान द्वारा या किसी अन्य रीति से कदम उठाएगा।]
44. नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता--राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।
245. बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध--राज्य, इस संविधान के प्रारंभ से दस वर्ष की अवधि के भीतर सभी बालकों को चौदह वर्ष की आयु पूरी करने तक, निःशुल्क और ओंनवार्य शिक्षा देने के लिए उपबंध करने का प्रयास करेगा।
46. अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि -- राज्य, जनता के दुर्बल वर्गों के, विशिष्टतया, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की विशेष सावधानी से अभिवृद्धि करेगा और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से उसकी संरक्षा करेगा।

47. पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्नय का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य--राज्य, अपने लोगों के पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने और लोक स्वास्नय के सुधार को अपने प्राथमिक कर्तव्यों में मानेगा और राज्य, विशिष्टतया, मादक पेयों और स्वास्नय के लिए हानिकर ओषधियों के, औषधीय प्रयोजनों से भिन्न, उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा।
48. कृषि और पशुपालन का संगठन--राज्य, कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित करने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया गायों और बछड़ों तथा अन्य दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परिरक्षण और सुधार के लिए और उनके वध का प्रतिषेध करने के लिए कदम उठाएगा।

348क. पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्धन और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा--राज्य, देश के पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन का और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।]
49. राष्ट्रीय महत्व के संस्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण— 4[संसद‌ द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन] राष्ट्रीय महत्व वाले [घोषित किए गए] कलात्मक या ऐतिहासिक अभिरुचि वाले प्रत्येक संस्मारक या स्थान या वस्तु का, यथास्थिति, लुंठन, विरूपण, विनाश, अपसारण, व्ययन या निर्यात से संरक्षण करना राज्य की बाध्यता होगी।
50. कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण--राज्य की लोक सेवाओं में, न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक्‌ करने के लिए राज्य कदम उठाएगा।

51. अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि --राज्य,--
(क) अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि का,
(ख) राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाए रखने का,
(ग) संगठित लोगों के एक दूसरे से व्यवहारों में अंतरराष्ट्रीय विधि और संधि-बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने का, और
(घ) अंतरराष्ट्रीय विवादों के माध्य स्थम्‌‌ द्वारा निपटारे के लिए प्रोत्साहन देने का,
प्रयास करेगा।

1 संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 9 द्वारा (3-1-1977 से) अंतःस्थापित।
2 संविधान (छियासीवाँ संशोधन) अधिनियम, 2002 की धारा 3 के प्रवर्तित होने पर अनुच्छेद 45 के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जाएग:
''45. छह वर्ष से कम आयु के बालकों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा का उपबंध--राज्य सभी बालकों के लिए छह वर्ष की आयु पूरी करने तक, प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा देने के लिए उपबंध करने का प्रयास करेगा।'' ।
3 संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 10 द्वारा (3-1-1977 से) अंतःस्थापित।
4 संविधान (सातवाँ संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 27 द्वारा ''संसद‌ द्वारा विधि द्वारा घोषित'' के स्थान पर प्रतिस्थापित।

बालकाण्ड कवि वंदना




* चरन कमल बंदउँ तिन्ह केरे। पुरवहुँ सकल मनोरथ मेरे॥
कलि के कबिन्ह करउँ परनामा। जिन्ह बरने रघुपति गुन ग्रामा॥2॥
भावार्थ:-मैं उन सब (श्रेष्ठ कवियों) के चरणकमलों में प्रणाम करता हूँ, वे मेरे सब मनोरथों को पूरा करें। कलियुग के भी उन कवियों को मैं प्रणाम करता हूँ, जिन्होंने श्री रघुनाथजी के गुण समूहों का वर्णन किया है॥2॥
* जे प्राकृत कबि परम सयाने। भाषाँ जिन्ह हरि चरित बखाने॥
भए जे अहहिं जे होइहहिं आगें। प्रनवउँ सबहि कपट सब त्यागें॥3॥
भावार्थ:-जो बड़े बुद्धिमान प्राकृत कवि हैं, जिन्होंने भाषा में हरि चरित्रों का वर्णन किया है, जो ऐसे कवि पहले हो चुके हैं, जो इस समय वर्तमान हैं और जो आगे होंगे, उन सबको मैं सारा कपट त्यागकर प्रणाम करता हूँ॥3॥
* होहु प्रसन्न देहु बरदानू। साधु समाज भनिति सनमानू॥
जो प्रबंध बुध नहिं आदरहीं। सो श्रम बादि बाल कबि करहीं॥4॥
भावार्थ:-आप सब प्रसन्न होकर यह वरदान दीजिए कि साधु समाज में मेरी कविता का सम्मान हो, क्योंकि बुद्धिमान लोग जिस कविता का आदर नहीं करते, मूर्ख कवि ही उसकी रचना का व्यर्थ परिश्रम करते हैं॥4॥
* कीरति भनिति भूति भलि सोई। सुरसरि सम सब कहँ हित होई॥
राम सुकीरति भनिति भदेसा। असमंजस अस मोहि अँदेसा॥5॥
भावार्थ:-कीर्ति, कविता और सम्पत्ति वही उत्तम है, जो गंगाजी की तरह सबका हित करने वाली हो। श्री रामचन्द्रजी की कीर्ति तो बड़ी सुंदर (सबका अनन्त कल्याण करने वाली ही) है, परन्तु मेरी कविता भद्दी है। यह असामंजस्य है (अर्थात इन दोनों का मेल नहीं मिलता), इसी की मुझे चिन्ता है॥5॥
* तुम्हरी कृपाँ सुलभ सोउ मोरे। सिअनि सुहावनि टाट पटोरे॥6॥
भावार्थ:-परन्तु हे कवियों! आपकी कृपा से यह बात भी मेरे लिए सुलभ हो सकती है। रेशम की सिलाई टाट पर भी सुहावनी लगती है॥6॥
दोहा :
* सरल कबित कीरति बिमल सोइ आदरहिं सुजान।
सहज बयर बिसराइ रिपु जो सुनि करहिं बखान॥14 क॥
भावार्थ:-चतुर पुरुष उसी कविता का आदर करते हैं, जो सरल हो और जिसमें निर्मल चरित्र का वर्णन हो तथा जिसे सुनकर शत्रु भी स्वाभाविक बैर को भूलकर सराहना करने लगें॥14 (क)॥
सो न होई बिनु बिमल मति मोहि मति बल अति थोर।
करहु कृपा हरि जस कहउँ पुनि पुनि करउँ निहोर॥14 ख॥
भावार्थ:-ऐसी कविता बिना निर्मल बुद्धि के होती नहीं और मेरी बुद्धि का बल बहुत ही थोड़ा है, इसलिए बार-बार निहोरा करता हूँ कि हे कवियों! आप कृपा करें, जिससे मैं हरि यश का वर्णन कर सकूँ॥14 (ख)॥
* कबि कोबिद रघुबर चरित मानस मंजु मराल।
बालबिनय सुनि सुरुचि लखि मो पर होहु कृपाल॥14 ग॥
भावार्थ:-कवि और पण्डितगण! आप जो रामचरित्र रूपी मानसरोवर के सुंदर हंस हैं, मुझ बालक की विनती सुनकर और सुंदर रुचि देखकर मुझ पर कृपा करें॥14 (ग)॥

कुरान का संदेश



भ्रष्टाचार के घटाटोप अँधेरे में एक रौशनी की किरण को हमे सर्चलाईट बनाना है ..वोह बीमार है तो क्या हमे भी तो कुछ करना है

अभी हाल ही में मिडिया और फेस बुक सहित सोशल साईट पर अन्ना की बिमारी और दिग्विजय सिंह का आर एस एस नेताओं के साथ फोटू को लेकर काफी गर्म गर्म खबरें है ...लोग कहते हैं के अन्ना बीमार है तो अब भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन का क्या होगा ..कुछ कहते हैं के अन्ना का कोंग्रेस से मेच फिक्सिंग है और वोह इसीलियें किनारा कर बेठ गये है तो कुछ आरोप लगाते है के अन्ना अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रचार करते हैं तो जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है वहां भाजपा को नुकसान होने की सम्भावना है और वोह अन्ना नहीं चाहते ..हजार मुंह लाखों बातें ..दिग्विजय सिंह को लोग आर एस एस का समर्थक प्रचारक बता रहे है तो पुश्तेनी पिता के वक्त से दिगिव्जय सिंह को संघ का कार्यकर्ता बताया जा रहा है ॥ दोस्तों एक अन्ना जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम उठाई जान लोकपाल की बात करी और लोकपाल कोंग्रेस का संसद में पेश हुआ जा अधमरा सा घायल सा आज भी सांसदों को कोस रहा है । अकेले अन्ना की ज़िम्मेदारी देश से भ्रष्टाचार खत्म करने की नहीं है कुछ जिम्मेदारियां हमारी भी है और फिर देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के अँधेरे में उनकी यह रौशनी ऊंट के मुंह में ज़रा यानी घटाटोप अंधरे में जीरो वाट का बल्ब है लेकिन दोस्तों एक रौशनी की किरण तो अन्ना ने पैदा की है जिसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सर्च लाईट हम और आप ही मिलकर बना सकते है अब अगर अन्ना बीमारी या मेच फिक्सिंग की वजह से इस प्रचार में नहीं भी आयें तो चुनाव में हम लोक्न्त्र की बागडोर किस पार्टी और केसे प्रत्याक्षी को दें यह तो हमे ही तय करना होगा ..रहा दिग्विजय सिंह जी के आर एस एस का सवाल तो आर एस एस से ही नर्सिम्मा राव थे और आज भी कोंग्रेस के कई नेता हेमंत बाघेला और दुसरे लोग आर एस एस से जुड़े हैं जिसे कोंग्रेस हाईकमान जानता है तो कोई भी व्यक्ति किसी से भी जुड़ा हो बस देश को बचा कर रखे हमे और क्या चाहिए वरना देश की जनता सरे आम थप्पड़ मारने और टोपी साफा उछलने में भी देरी नहीं करती है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

चुनाव आयोग की घोर लापरवाही के कारण ही देश में लंगडा लोकतंत्र और भ्रष्टाचार है

भारत के चुनाव आयोग को भी अजीब से बिमारी लग गयी है ..टी ऍन शेषन को अगर छोड़ दें तो अभी तक का चुनाव आयोग केसा रहा है सारा देश जानता है भारतीय लोकतंत्र की नींव को बनाने वाला चुनाव आयोग सरकार का खिलौना और देश में लोकतंत्र स्थापित करने के प्रति बेपरवाह नज़र आता है अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में मायावती की मूर्तियाँ और हाथी को ढकने के मामले में तो चुनाव आयोग ने हद ही पार कर दी है ............ दोस्तों आपको पता होना चाहिए के देश में एक अकेला चुनाव आयोग ऐसा मजबूत है जिसके इशारे पर पुरे साल किसी न किसी तरह से सभी कर्मचारी नाचते रहते हैं पुरे साल वोटों की लिस्टें बनना ..फोटो परिचय पत्र बनना चलता रहता है लेकिन आप जानते है हर बार चुनाव आयोग की लापरवाही से हजारों लाखों लोग वोट डालने से वंचित सिर्फ इसीलियें रह जाते हैं के उनके नाम सूचि में दर्ज नहीं किये जाते या फिर गलत दर्ज कर लिए जाते है ...फोटू गलत होते है तो पता नाम गलत होता है ..कई लोगों के नाम दो बार होते हैं कई के फर्जी होते हैं लेकिन ऐसी गलती करने वाले के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं होती ..दोस्तों निर्वाचन नियम है के आयोग उसी पार्टी को मान्यता देगा जो देश के विधान पर भरोसा रखते हुए खुद पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र रखेगी और पार्टी के चुनाव करवाएगी लेकिन आप जानते हैं के गुप्त मतदान पार्टी के विधान के मुताबिक आज तक न तो कोंग्रेस का देखा है और न ही भाजपा का देखा गया है दूसरी पार्टियों की तो बात ही कुछ और है बस एक प्रर्किया की नोटंकी की और मनमाने व्यक्ति ने खुद को अध्यक्ष घोषित करवा दिया ब्लोक से लेकर राष्ट्रिय स्तर पर यही मनमानी है लेकिन चुनाव आयोग खामोश इन मर्तियों को मान्यता दे रहा है इनकी किसी कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप नहीं कर रहा .......चुनाव आयोग की खर्च सीमा प्रति प्रत्याक्षी कितनी है सब जानते हैं लेकिन खर्च करोड़ों करोड़ रूपये होता है हिसाब बेईमानी का होता है तो फिर ऐसा चुनाव आयोग किस काम का खर्च पर खबरों पर विज्ञापनों पर कोई निगरानी नहीं है हालत यह है के निर्वाचन के प्रति जाग्रति पैदा करना अधिकतम मतदान हो इसके लियें व्यवस्था करना सभी मतदाताओं को मतदान में सहायता उपलब्ध कराना चुनाव आयोग का काम है और इस हिसाब से सभी मतदाताओं को उनके घर पर पर्चियां भिजवाने का काम चुनाव आयोग का होना चाहिए ..मतदान स्थल पर चुनाव आयोग के कर्मचारी मदद के लियें तेनात होना चाहिए लेकिन यह सारा काम चुनाव आयोग नहीं करता इसलियें बेचारे प्रत्याक्षी और पार्टी के कार्यकर्ताओं को करना पढ़ते हैं और फिर चुनाव प्रभावित होना तो मामूली बात है ..चुनाव का एजेंडा होता है सरकार चुनाव जीतती है एजेंडा गायब हो जाता है कोंग्रेस भाजपा के साथ तो ना जाने कोन कोन सी प्रति आपस में तालमेल कर सरकार बना लेती है अनचाहे व्यक्ति जनता की मर्जी के बगेर सरकार में भागीदार बनते है और फिर लोकतंत्र देश और जनता के साथ खुलेआम टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले की तरह बलात्कार होता है ........ जनाब यह तो रही चुनाव आयोग की कमजोरियां अरबों खरबों रूपये खर्च करने के बाद भी अगर ऐसा होता है तो फिर देश में चुनाव आयोग नाम का दफ्तर किस काम का जनाब .......अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में हाथी और मायावती की मूर्तियों को ढकने का आदेश हुआ चुनाव आयोग का कहना है के यह सब पार्टी का चुनाव चिन्ह है और नेता की मूर्ति है ........... देश में कई स्थानों पर कोंग्रेस और भाजपा के दिवंगत नेताओं की मूर्तियाँ लगी है ...........वेसे तो चुनाव आयोग ने नियम बनाया था के जानवरों को चुनाव चिन्ह नहीं बनाया जाएगा लेकिन राष्ट्रीय पुष्प कमल ..जानवर हाथी और शेर .............एक कटा हाथ या पंजा ..ऐसे न जाने कितने चुनाव चिन्ह दे दिए गये है अब अगर चुनाव आयोग सही दिशा में निष्पक्ष काम करने की बात करे तो जेसे हाथी और माया वती की मूर्तियों पर पर्दे लगवाये है ऐसे ही कमल जहाँ जहाँ भी खिले हैं वहां तालाबों से कमल की खेती रुकवाना पढ़ेगी और जहाँ जहाँ मस्जिद और दरगाहों पर हाथ का पंजा लगा हे उसे भी चुनाव की निष्पक्षता को देखते हुए हटवाना पढ़ेंगे या फिर पर्दे लगवाकर उन्हें छुपाना पढ़ेंगे तो जनाब ऐसे चुनाव आयोग का क्या करे कोई जो अरबों रूपये खर्च करवाने के बाद भी ढीला बे मतलब का ऐसा निर्वाचन करवाए जहाँ एक तो दागी लोग जीत कर आयें और जो जीतें वोह दल बदल कर या निर्द्लियें होने पर सोदेबाज़ी कर सरकार में घुस जाए और देश को लुटने में लग जाए ..इतना ही नहनी जो वायदा जो घोषणा पत्र चुनाव का हो सरकार बनने के बाद उस घोषणा पत्र को सरकार या जीती हुई पार्टी ठंडे बसते में डाल दे और चुनाव आयोग है के इन्तिज़ार करे के कब एक आयुक्त रिटायर हो और हम अपनी पसंद के आदमी को सरकार से सिफारिश कराकर चुनाव आयुक्त बनवाएं तो दोस्तों यह लंगड़ा लोकतंत्र जो बना है इसका दोष चुनाव आयुक्त का भी है जिसे सुधारना होगा ...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

संसद और राष्ट्रपति भवन पर भी डाल दो पर्दाः बसपा


लखनऊ. उत्तर प्रदेश में चुनाव करीब हैं। लेकिन सूबे की मुख्यमंत्री मायावती और उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां जल्द ही लोगों को नहीं दिखेंगीं।

दरअसल, चुनाव आयोग ने सैद्धांतिक तौर पर यह निर्णय लिया है कि प्रदेश में कई जगहों पर लगीं मायावती और हाथी की मूर्तियों को ढंका जाएगा। इन मूर्तियों को ढंकने का फैसला मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और आयोग के उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिया गया।
कुरैशी ने शुक्रवार को उन जिलों के जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की, जहां राज्य में पहले दौर के लिए मतदान होने हैं।
शनिवार को एक प्रैस कांफ्रैंस में मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि चुनावों के मद्देनजर मायावती और उनके चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियों को ढकने का फैसला लिया गया है।

चुनाव आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बसपा ने कहा कि यह दलित विरोधी पार्टियों के कहने पर हुआ है। बसपा ने निर्णय को चुनौती ने देने का फैसला किया है। लखनऊ में प्रैस कांफ्रैंस में पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि इस फैसले का जवाब बसपा नहीं प्रदेश की जनता देगी। हालांकि बसपा ने चुनाव आयोग के फैसले पर कई सवाल भी खड़े किए।

बसका की ओर से कहा गया कि मायावती और हाथियों को ढकने का आदेश तो दे दिया गया है लेकिन क्या दिल्ली में संसद और राष्ट्रपति भवन को भी चुनावों के दौरान ढका जाएगा क्योंकि वहां भी हाथी लगे हैं।

बसपा ने चुनाव आयोग से यह सवाल भी किया कि क्या चुनावों के दौरान प्रदेश में साइकिल पर चलने पर रोक लगाई जाएगी और तालाबों में खिलने वाले कमल के फूलों को भी ढका जाएगा। पार्टी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या चुनाव आयोग तमाम लोगों से अपने हाथ को ढकने या काटने को कहेगा क्योंकि यह कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हैं?
चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मायावती ने प्रदेश की जनता के धन का दुरुपयोग करके अपने मूर्तियां लगवाईं हैं फिलहाल तो इन्हें ढका जा रहा है लेकिन इनका क्या होगा यह चुनाव के बाद तय किया जाएगा। भाजपा ने चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत किया है।
चुनाव आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बसपा के संभल से सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान ने कहा कि मायावती की मूर्तियां को ढकने का आदेश तो दिया जा सकता है लेकिन मायावती जी जिंदा हैं उन्हें अपने वोटरों के बीच जाने से कैसे रोका जा सकता है? मायावती जी से इतना ही डर है तो क्या उन्हें बुर्का पहनाने का आदेश भी दिलवाया जाएगा?
फैसले की आलोचना करते हुए डॉ. बर्क ने कहा, चौराहों पर कांग्रेस के नेताओं की भी तस्वीरें लगी हुई हैं उन्हें भी ढकवाया जाए। यह फैसला दिखाता है कि कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी से कितना डरी हुई है। हतोत्साहित केंद्र सरकार बसपा के कार्यकर्ताओं का हौसला कम करना चाहती है।

मिला भंवरी का दांत, घड़ी, लॉकेट और कानों की बाली!



जोधपुर.जालोड़ा गांव के पास बहने वाली राजीव गांधी लिफ्ट नहर ने भंवरी की मौत के रहस्य से पर्दा उठा दिया है। शनिवार को इस नहर से गोताखोरों ने एक हाथ घड़ी, पैरों की बिछिया, कानों के लौंग (बाली), मंगलसूत्र का लॉकेट, कुछ जली हड्डियां और एक दांत भी बरामद किया है।

दांत और हड्डियों के अलावा अन्य वस्तुओं को भंवरी के परिवार वालों को दिखाकर पहचान कराई जाएगी ताकि यह साफ हो सके ये सामान भंवरी देवी के थे या नहीं। मौके पर मौजूद सीबीआई के डीआईजी अशोक तिवारी, रेंज आईजी उमेश मिश्रा और ग्रामीण एसपी नवज्योति गोगोई ने इन वस्तुओं को देख कर सीलबंद करवा दिया है।

सीबीआई पिछले तीन दिन से नहर की छानबीन कर रही है। हालांकि उस खड्डे से भी साक्ष्य जुटाने का प्रयास किया जहां भंवरी को जलाया गया था। शुक्रवार को तैराकों ने बेस बॉल का बल्ला, छुरा, कट्टे और हड्डियों के टुकड़े निकाले थे। हड्डियों को सीएफएएसएल की टीम जांच के लिए दिल्ली ले गई। शनिवार को यह सिलसिला जारी रहा तो नहर ने भंवरी की मौत के और सबूत उगल दिए।

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