वर्तमान समय में गलत खान-पान और टेन्शन भरी जिन्दगी के कारण,हर उम्र के लोगों में दिल की बीमारी और कोलेस्ट्रोल रोगी बढ़ते जा रहे हैं। कोलेस्ट्रोल जब सामान्य स्तर से अधिक हो जाता है तो वह रक्त वाहिनियों में जम जाता है। जिसके कारण हृदय रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है। अगर आपके साथ भी बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल या दिल की बीमारी की समस्या है तो नीचे लिखे उपाय बहुत लाभदायक सिद्ध होंगे।
- प्याज कोलेस्ट्रोल के रोगियों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। रोज सुबह 5 मि. लि. प्याज का रस खाली पेट सेवन करना चाहिये। इससे खून में बढे हुए कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने भी मदद मिलती है।
- दिल के रोगियों के लिए लहसुन बहुत फायदेमंद है। लहसुन में खून को पतला रखने का गुण होता है । इसके नियमित उपयोग से खून की नलियों में कोलेस्टरोल नहीं जमता है। लहसुन की 4 कली चाकू से बारीक काटें,इसे 75 ग्राम दूध में उबालें। मामूली गरम हालत में पी जाएं। भोजन पदार्थों में भी लहसुन प्रचुरता से इस्तेमाल करें।
- एक गिलास मामूली गरम जल में एक नींबू निचोडें,इसमें दो चम्मच शहद भी मिलाएं और पी जाएं। यह प्रयोग सुबह के वक्त करना चाहिये। यह प्रयोग कोलेस्ट्रोल व दिल के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
08 जनवरी 2012
लहसुन-प्याज का अचूक नुस्खा: दिल और कोलेस्ट्रोल हमेशा रहेंगे कंट्रोल में
क्यों है मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का महत्व?
भारत में समय-समय पर हर पर्व को श्रृद्धा व आस्था के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर्व का हमारे देश में विशेष महत्व है। मकर संक्रांति पर्व के संबंध में गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में लिखा है-
माघ मकरगत रबि जब होई।
तीरथपतिहिं आव सब कोई।।
(रा.च.मा. 1/44/3)
ऐसा कहा जाता है कि गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर प्रयाग में मकर संक्रांति पर्व के दिन सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान के लिए आते हैं। इसलिए वहां मकर-संक्रांति पर्व के दिन स्नान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
उत्तर भारत में गंगा-यमुना के किनारे बसे गांवों व नगरों में मेलों का अयोजन होता है। भारत में मकर संक्रांति के पर्व पर सबसे प्रसिद्ध मेला बंगाल में गंगासागर में लगता है। गंगासागर के मेले के पीछे पौराणिक कथा है कि मकर संक्रांति के दिन गंगाजी स्वर्ग के उतरकर भगीरथ के पीछे -पीछे चलकर कपिलमुनि के आश्रम में जाकर सागर में मिल गई। गंगा के पावन जल से ही राजा सगर के साठ हजार श्रापित पुत्रों का उद्धार हुआ था।
यहां सब्जी के भाव पर बिक रहा है 'मुर्गा'
इसलिए ट्रक चालक इन्हें सस्ते दाम पर बेच रहे हैं। 80 से 90 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाला मुर्गा 30 रुपए में बिक रहा है। वहीं भेड़-बकरियां भी सस्ते दामों पर बिक रही हैं। हालांकि फल सब्जियों के ट्रकों पर इसका कोई असर नहीं। इनको ऐसा तापमान मिल रहा है जो सिर्फ फ्रिज में ही मिलता है।
नोटों से भरी रजाई ओढ़ता था एसआई, इतना ही नहीं...!
बताया जाता है कि किसी को शक न हो इसीलिए सब इंस्पेक्टर ने रजाई को लॉकर बना रखा था और नोटों से भरी रजाई ओढ़ता था।
हालांकि उसका कहना है कि यह राशि विभाग की है, लेकिन इसका अभी तक कोई ब्यौरा नहीं दिया है। इससे यह माना जा रहा है कि बरामद की गई राशि रिश्वत की है। श्रीगंगानगर ब्यूरो के सीआई आनंद स्वामी ने बताया कि रजाई के अंदर से चार लाख रु. बरामद हुए। इसके अलावा कुछ कागजात भी जब्त किए गए हैं।
..नहीं शुरु हो पाया मूर्तियों को ढकने का काम
राजधानी लखनऊ में इन मूर्तियों के ढकने का काम इनका रखरखाव करने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण आदि संस्थाओं के जरिए किया जाने वाला है, मगर इसके वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘फिलहाल हमे इस संबंध में कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है और जैसे ही आदेश मिलता है उस पर अमल किया जाएगा।’
इस बीच लखनऊ के जिलाधिकारी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी अनिल कुमार सागर ने बताया है कि अभी तक उनके कार्यालय को चुनाव आयोग से इस संबंध में कोई औपचारिक आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।
उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश में विधानसभा के चुनाव 4 फरवरी से शुरु होकर सात चरणों में 28 फरवरी तक चलने वाला है। प्रदेश की राजधानी एवं अन्य भागों में लगायी गई बसपा मुखिया मायावती और उनके दल के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां लगे होने के बारे में विपक्षी दलों की आपत्तियों को देखते हुए चुनाव आयोग ने चुनाव पूरा हो जाने तक इन मूर्तियों को परदे में ढकने के आदेश दिए है।
इसी बीत मूर्तियों को ढकने को लेकर नई राजनीति शुरु हो गई। कहा जा रहा है कि हाथियों को ढकने के विवाद से सीधे मायावती को लाभ पहुंचेगा क्योंकि पूरे उत्तरप्रदेश में हाथी ही इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं।
बसपा ने इस मामले में पलटवार करते हुए कहा कि भविष्य में दिल्ली से लेकर पूरे देश में 'कमल' को भी ढकना होगा क्योंकि यह भाजपा का चुनाव चिन्ह है। इसके बाद आपको सपा की साइकिल पर भी रोक लगानी पड़ेगी क्योंकि यही पार्टी का चुनाव चिन्ह है।
हाथियों और मायावती की मूर्तियों को ढकने के लिए पैसा कौन देगा, इस पर भी अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।
संविधान में मूल कर्तव्य जिन्हें हम नहीं निभाते हैं
51क. मूल कर्तव्य--भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह--
(क) संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे;
(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्र्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे;
(ग) भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे;
(घ) देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे;
(ङ) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है;
(च) हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे;
(छ) प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे;
(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे;
(झ) सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे;
(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले;
(]) यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे।]
1 संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 11 द्वारा (3-1-1977 से) अंतःस्थापित।
2 संविधान (छियासीवाँ संशोधन) अधिनियम, की धारा 4 द्वारा (अधिसूचना की तारीख से) अंतःस्थापित किया जाएगा।
बालकाण्ड श्री नाम वंदना और नाम महिमा
बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो। अगुन अनूपम गुन निधान सो॥1॥
महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ॥2॥
सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेईं पिय संग भवानी॥3॥
नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को॥4॥
राम नाम बर बरन जुग सावन भादव मास॥19॥
ससुमिरत सुलभ सुखद सब काहू। लोक लाहु परलोक निबाहू॥1॥
बरनत बरन प्रीति बिलगाती। ब्रह्म जीव सम सहज सँघाती॥2॥
भगति सुतिय कल करन बिभूषन। जग हित हेतु बिमल बिधु पूषन॥3॥
जन मन मंजु कंज मधुकर से। जीह जसोमति हरि हलधर से॥4॥
तुलसी रघुबर नाम के बरन बिराजत दोउ॥20॥
नाम रूप दुइ ईस उपाधी। अकथ अनादि सुसामुझि साधी॥1॥
देखिअहिं रूप नाम आधीना। रूप ग्यान नहिं नाम बिहीना॥2॥
सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखें। आवत हृदयँ सनेह बिसेषें॥3॥
अगुन सगुन बिच नाम सुसाखी। उभय प्रबोधक चतुर दुभाषी॥4॥
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर॥21॥
ब्रह्मसुखहि अनुभवहिं अनूपा। अकथ अनामय नाम न रूपा॥1॥
साधक नाम जपहिं लय लाएँ। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएँ॥2॥
राम भगत जग चारि प्रकारा। सुकृती चारिउ अनघ उदारा॥3॥
चहुँ जुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊ। कलि बिसेषि नहिं आन उपाऊ॥4॥
नाम सुप्रेम पियूष ह्रद तिन्हहुँ किए मन मीन॥22॥
मोरें मत बड़ नामु दुहू तें। किए जेहिं जुग िनज बस निज बूतें॥1॥
एकु दारुगत देखिअ एकू। पावक सम जुग ब्रह्म बिबेकू॥2॥
उभय अगम जुग सुगम नाम तें। कहेउँ नामु बड़ ब्रह्म राम तें॥
ब्यापकु एकु ब्रह्म अबिनासी। सत चेतन घन आनँद रासी॥3॥
(तत्त्वतः दोनों एक ही हैं, केवल प्रकट-अप्रकट के भेद से भिन्न मालूम होती हैं। इसी प्रकार निर्गुण और सगुण तत्त्वतः एक ही हैं। इतना होने पर भी) दोनों ही जानने में बड़े कठिन हैं, परन्तु नाम से दोनों सुगम हो जाते हैं। इसी से मैंने नाम को (निर्गुण) ब्रह्म से और (सगुण) राम से बड़ा कहा है, ब्रह्म व्यापक है, एक है, अविनाशी है, सत्ता, चैतन्य और आनन्द की घन राशि है॥2-3॥
नाम निरूपन नाम जतन तें। सोउ प्रगटत जिमि मोल रतन तें॥4॥
कहउँ नामु बड़ राम तें निज बिचार अनुसार॥23॥
नामु सप्रेम जपत अनयासा। भगत होहिं मुद मंगल बासा॥1॥
रिषि हित राम सुकेतुसुता की। सहित सेन सुत कीन्हि बिबाकी॥2॥
सहित दोष दुख दास दुरासा। दलइ नामु जिमि रबि निसि नासा॥
भंजेउ राम आपु भव चापू। भव भय भंजन नाम प्रतापू॥3॥
निसिचर निकर दले रघुनंदन। नामु सकल कलि कलुष निकंदन॥4॥
नाम उधारे अमित खल बेद बिदित गुन गाथ॥24॥
नाम गरीब अनेक नेवाजे। लोक बेद बर बिरिद बिराजे॥1॥
नामु लेत भवसिन्धु सुखाहीं। करहु बिचारु सुजन मन माहीं॥2॥
राजा रामु अवध रजधानी। गावत गुन सुर मुनि बर बानी॥3॥
सेवक सुमिरत नामु सप्रीती। बिनु श्रम प्रबल मोह दलु जीती॥
फिरत सनेहँ मगन सुख अपनें। नाम प्रसाद सोच नहिं सपनें॥4॥
रामचरित सत कोटि महँ लिय महेस जियँ जानि॥25॥
मासपारायण, पहला विश्राम
सुक सनकादि सिद्ध मुनि जोगी। नाम प्रसाद ब्रह्मसुख भोगी॥1॥
नामु जपत प्रभु कीन्ह प्रसादू। भगत सिरोमनि भे प्रहलादू॥2॥
सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपने बस करि राखे रामू॥3॥
कहौं कहाँ लगि नाम बड़ाई। रामु न सकहिं नाम गुन गाई॥4॥
जो सुमिरत भयो भाँग तें तुलसी तुलसीदासु॥26॥
बेद पुरान संत मत एहू। सकल सुकृत फल राम सनेहू॥1॥
कलि केवल मल मूल मलीना। पाप पयोनिधि जन मन मीना॥2॥
राम नाम कलि अभिमत दाता। हित परलोक लोक पितु माता॥3॥
कालनेमि कलि कपट निधानू। नाम सुमति समरथ हनुमानू॥4॥
जापक जन प्रहलाद जिमि पालिहि दलि सुरसाल॥27॥
सुमिरि सो नाम राम गुन गाथा। करउँ नाइ रघुनाथहि माथा॥1॥॥
विश्व के दबंग', अन्ना के गांव आकर हैं दंग
लोकपाल आंदोलन के बाद चर्चा में आए इस गांव के बारे में जानने के लिए कैलिफोर्निया (अमेरिका) के क्लेयरमोंट मैककेना कॉलेज के छात्र शांतनु गर्ग भारत आ रहे थे। तो उनके साथ बेन फेल्डमैन और एंडी विलिस भी हो लिए हैं। शांतनु मूल रूप से भोपाल के हैं।
शांतनु के पश्चिमी दोस्तों को आते ही तब आश्चर्य हुआ, जब उन के गाइड ने गांव में उनका रहना सुखद बनाने के लिए अपना स्टीरियो देने की पेशकश की। जिसे उसने उसी दिन खरीदा था। शांतनु बताते हैं, अमेरिका में शेयरिंग की भावना कम है। वहां मेरी चीज मेरी है और आपकी चीज आपकी। सम्मान करेंगे पर शेयर नहीं।
इसलिए बेन व एंड्रयू को गाइड की सदाशयता पर अचरज हुआ। बेन अन्ना के वॉटरशेड प्लान से चकित है। वे कहते हैं उन्होंने इसे लंबी अवधि तक चलाने के लिए फंड भी बनाए हैं। इसका फायदा लेने वाले हर किसान से फंड के लिए नियमित पैसा लिया जाता है। अभी फंड इतना बड़ा है कि अगले सौ साल तक वॉटरशेड की देखभाल हो सके।
बेन के मुताबिक पश्चिम में लीडर के पास फॉर्मल अथॉरिटी होती है। मतलब उसके पास पद होता है, जिससे उसे लोगों को नियंत्रण करने के अधिकार मिलते हैं। अन्ना के पास कोई फार्मल अथॉरिटी नहीं है। उनके पास मॉरल अथॉरिटी है, जो नि:स्वार्थ काम करने से आई है।
फेल विद्यार्थियों का स्कूल
बेन व एंड्रयू को रालेगण सिद्धि में फेल विद्यार्थियों का स्कूल देखकर ताज्जूब हुआ। वहां तीन-तीन बार फेल हुए विद्यार्थी पढ़कर एक ही बार में पास हो जाते हैं। 1985 से चल रहे स्कूल का रिजल्ट 99 फीसदी रहता है। पाठ्यक्रम में किताबी ज्ञान के साथ नैतिक शिक्षा, बॉडी बिल्डिंग, देशभक्ति, मानसिक व शारीरिक सेहत के गुर भी दिए जाते हैं।
गले की फांस बने कुशवाहा, भाजपा ने किया किनारा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में घोटाले के आरोपी पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को पार्टी में प्रवेश देने के लिए चौतरफा आलोचना का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को कहा कि उनकी सदस्यता निलम्बित कर दी गई है।
पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने बताया कि कुशवाहा ने ग्रामीण स्वास्थ्य घोटाले में निर्दोष साबित होने तक अपनी सदस्यता निलम्बित करने का निवेदन किया था। कुशवाहा के निवेदन को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने स्वीकार कर लिया।
हुसैन ने कहा, "कुशवाहा जी ने पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखकर निर्दोष सिद्ध होने तक सदस्यता निलम्बित करने का निवेदन किया था। अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया।" मायावती सरकार में परिवार कल्याण मंत्री रहे कुशवाहा पिछड़े समुदाय से सम्बंधित हैं उन्हें उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों को ध्यान में रखकर मंगलवार को भाजपा में शामिल किया गया था।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले में कथित संलिप्तता को लेकर कुशवाहा के भाजपा में शामिल होने के बाद से पार्टी को अंदर विरोध के स्वर मुखर हो गए। सूत्रों के अनुसार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचना कर रहे लाल कृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता कुशवाहा का विरोध कर रहे थे।