तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 जनवरी 2012
सड़क सुरक्षा सप्ताह का सभी अधिकारी उड़ाते हैं मजाक ..जनता को लूट का सप्ताह न बनाये इसे अधिकारी और पत्रकार बंधू
बालकाण्ड श्री रामगुण और श्री रामचरित् की महिमा
राम सुस्वामि कुसेवकु मोसो। निज दिसि देखि दयानिधि पोसो॥2॥
गनी गरीब ग्राम नर नागर। पंडित मूढ़ मलीन उजागर॥3॥
साधु सुजान सुसील नृपाला। ईस अंस भव परम कृपाला॥4॥
यह प्राकृत महिपाल सुभाऊ। जान सिरोमनि कोसलराऊ॥5॥
उपल किए जलजान जेहिं सचिव सुमति कपि भालु॥28 क॥
साहिब सीतानाथ सो सेवक तुलसीदास॥28 ख॥
समुझि सहम मोहि अपडर अपनें। सो सुधि राम कीन्हि नहिं सपनें॥1॥
कहत नसाइ होइ हियँ नीकी। रीझत राम जानि जन जी की॥2॥
जेहिं अघ बधेउ ब्याध जिमि बाली। फिरि सुकंठ सोइ कीन्हि कुचाली॥3॥
ते भरतहि भेंटत सनमाने। राजसभाँ रघुबीर बखाने॥4॥
तुलसी कहूँ न राम से साहिब सील निधान॥29 क॥
जौं यह साँची है सदा तौ नीको तुलसीक॥29 ख॥
बरनउँ रघुबर बिसद जसु सुनि कलि कलुष नसाइ॥29 ग॥
कहिहउँ सोइ संबाद बखानी। सुनहुँ सकल सज्जन सुखु मानी॥1॥
सोइ सिव कागभुसुंडिहि दीन्हा। राम भगत अधिकारी चीन्हा॥2॥
ते श्रोता बकता समसीला। सवँदरसी जानहिं हरिलीला॥3॥
औरउ जे हरिभगत सुजाना। कहहिं सुनहिं समुझहिं बिधि नाना॥4॥
समुझी नहिं तसि बालपन तब अति रहेउँ अचेत॥30 क॥
किमि समुझौं मैं जीव जड़ कलि मल ग्रसित बिमूढ़॥30ख॥
भाषाबद्ध करबि मैं सोई। मोरें मन प्रबोध जेहिं होई॥1॥
निज संदेह मोह भ्रम हरनी। करउँ कथा भव सरिता तरनी॥2॥
रामकथा कलि पंनग भरनी। पुनि बिबेक पावक कहुँ अरनी॥3॥
सोइ बसुधातल सुधा तरंगिनि। भय भंजनि भ्रम भेक भुअंगिनि॥4॥
संत समाज पयोधि रमा सी। बिस्व भार भर अचल छमा सी॥5॥
रामहि प्रिय पावनि तुलसी सी। तुलसिदास हित हियँ हुलसी सी॥6॥
सदगुन सुरगन अंब अदिति सी। रघुबर भगति प्रेम परमिति सी॥7॥
तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुबीर बिहारु॥31॥
जग मंगल गुनग्राम राम के। दानि मुकुति धन धरम धाम के॥1॥
जननि जनक सिय राम प्रेम के। बीज सकल ब्रत धरम नेम के॥2॥
सचिव सुभट भूपति बिचार के। कुंभज लोभ उदधि अपार के॥3॥
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद घन दारिद दवारि के॥4॥
हरन मोह तम दिनकर कर से। सेवक सालि पाल जलधर से॥5॥
सुकबि सरद नभ मन उडगन से। रामभगत जन जीवन धन से॥6॥
सेवक मन मानस मराल से। पावन गंग तरंग माल से॥7॥
दहन राम गुन ग्राम जिमि इंधन अनल प्रचंड॥32 क॥
सज्जन कुमुद चकोर चित हित बिसेषि बड़ लाहु॥32 ख॥
सो सब हेतु कहब मैं गाई। कथा प्रबंध बिचित्र बनाई॥1॥
कथा अलौकिक सुनहिं जे ग्यानी। नहिं आचरजु करहिं अस जानी॥2॥
रामकथा कै मिति जग नाहीं। असि प्रतीति तिन्ह के मन माहीं॥
नाना भाँति राम अवतारा। रामायन सत कोटि अपारा॥3॥
करिअ न संसय अस उर आनी। सुनिअ कथा सादर रति मानी॥4॥
सुनि आचरजु न मानिहहिं जिन्ह कें बिमल बिचार॥33॥
पुनि सबही बिनवउँ कर जोरी। करत कथा जेहिं लाग न खोरी॥1॥
खजुराहो के बाहर बनीं नग्न मूर्तियों के पीछे का यह है 'सत्य
यहां का खजुराहो मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। इसकी विश्व प्रसिद्धि का कारण मंदिर के बाहर बनी नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां हैं। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिरों के बाहर बनी इन आकृतियों को काम साहित्य का नाम दिया गया है।
खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ई. से 1050 ई. के बीच हुआ है। इन मंदिरों में मूर्तियों का निर्माण इतनी बेहतरी से किया गया है कि इसे देखने के बाद किसी के मन में बुरा ख्याल नहीं आता, क्योंकि सभी मूर्तियों की खूबसूरती में खो जाते हैं। यह एक ऐसा स्थान है, जिसे पूरे परिवार के साथ पवित्र मन से देखा जा सकता है। ये मूर्तियां प्राचीन सभ्यता की विशेषता बताने के लिए काफी हैं।
हालांकि कई बार मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर मंदिर के बाहर इस तरह की मूर्तियां बनाने के पीछे राज क्या हो सकता है। इस बारे में एक राय नहीं मिलता। अलग-अगल विश्लेषकों ने अलग-अलग राय दी है। मुख्य रूप से चार कारण सामने आते हैं, जो इस प्रकार हैं।
पहली मान्यता
कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा भोग-विलाशिता में अधिक लिप्त रहते थे। वे काफी उत्तेजित रहते थे। इसी कारण खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां बनाई गई हैं।
दूसरी मान्यता
दूसरे समुदाय के विश्लेषकों का यह मानना है कि इसे प्राचीन काल में सेक्स की शिक्षा की दृष्टि से बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि उन अद्भुत आकृतियों को देखने के बाद लोगों को संभोग की सही शिक्षा मिलेगी। प्राचीन काल में मंदिर ही एक ऐसा स्थान था, जहां लगभग सभी लोग जाते थे। इसीलिए संभोग की सही शिक्षा देने के लिए मंदिरों को चुना गया।
तीसरी मान्यता
कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि मोक्ष के लिए हर इंसान को चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है - धर्म, अर्थ, योग और काम। ऐसा माना जाता है कि इसी दृष्टि से मंदिर के बाहर नग्न मूर्तियां लगाई गई हैं। क्योंकि यही काम है और इसके बाद सिर्फ और सिर्फ भगवान का शरण ही मिलता है। इसी कारण इसे देखने के बाद भगवान के शरण में जाने की कल्पना की गई।
चौथी मान्यता
कुछ और लोगों का इन सबके अलावा इसके पीछे हिंदू धर्म की रक्षा की बात बताई गई है। इन लोगों के अनुसार जब खजुराहो के मंदिरों का निर्माण हुआ, तब बौद्ध धर्म का प्रसार काफी तेजी के साथ हो रहा था। चंदेल शासकों ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने इसी मार्ग का सहारा लिया। उनके अनुसार प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि सेक्स की तरफ हर कोई खिंचा चला आता है।
इसीलिए यदि मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में मूर्तियां लगाई जाएंगी, तो लोग इसे देखने मंदिर आएंगे। फिर अंदर भगवान का दर्शन करने जाएंगे। इससे हिंदू धर्म को बढ़ावा मिलेगा।
मौत का था खौफ, पर खुद की कब्र बनाने का राज क्या है?
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उस पर अपहरण से लेकर फिरौती मांगने तक मुख्य अपहर्ता के संपर्क में रहने और साजिश में शामिल होने का आरोप है। पुलिस को अपहृत छात्र शेखर पांचाल और मुख्य आरोपी प्रदीपसिंह भाटी का कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। कोटा गया पुलिस दल सोमवार रात को उदयपुर के लिए रवाना हो गया।
उधर, सुविवि की छात्र संघर्ष समिति ने 36 घंटे में अपहृत छात्र व मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने पर बुधवार को संभागभर के शिक्षण संस्थान को बंद कराने व उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है। एएसपी सिटी तेजराज सिंह ने बताया कि कोटा में दादावाड़ी निवासी मुकेश पुत्र चंदालाल सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया है। बताया गया कि आरोपी ने कई लोगों से रुपए उधार ले रखे हैं।
यह मुख्य आरोपी प्रदीप सिंह भाटी और उसका पड़ोसी मुकेश पूरी योजना में शामिल रहा। भाटी द्वारा शेखर का अपहरण करने के बाद फिरौती की राशि एक करोड़ रुपए और 5 किलो सोना लेकर बुलाया गया था, तब मुकेश मौके पर मौजूद था और प्रदीपसिंह को सूचना दे रहा था।
मुकेश ने मुख्य आरोपी को बताया कि शेखर के माता-पिता के साथ कौन-कौन आया है? उसे पुलिस अफसरों के साथ होने की भी सूचना दी गई थी। मुकेश ने अपहरण में प्रयुक्त कार भी अपनी मित्र की सहायता से मुख्य आरोपी प्रदीप को उपलब्ध करवाई थी।
छात्र का सुराग नहीं : पुलिस को दसवें दिन सोमवार को भी शेखर पांचाल के बारे में पता नहीं चल सका। इसके लिए पुलिस मुख्य आरोपी प्रदीपसिंह भाटी की तलाश में जुटी है। इस संबंध में हिरासत में ली गई प्रदीप की पत्नी प्रीति, चचेरा भाई भगवान सिंह, ताऊ का लड़का बहादुर सिंह, साला सुमित, दोस्त पिंटू सहित सात जनों से पूछताछ जारी है।
उदयपुर और कोटा पुलिस के अलग-अलग दल ने मोबाइल कॉल लोकेशन के आधार पर सोमवार को फिर कोटा और आसपास के इलाकों में दबिश देकर मुख्य आरोपी तक पहुंचने का प्रयास किया। इसके अलावा उदयपुर में भी शेखर के मित्रों व परिचितों से पूछताछ कर अनुसंधान किया जा रहा है।
यह है मामला
31 दिसंबर को पेसिफिक कॉलेज के छात्र शेखर पांचाल का बोहरा गणेशजी क्षेत्र से उसके परिचित प्रदीप सिंह भाटी घूमाने के बहाने अपहरण कर ले गया था। मुख्य आरोपी प्रदीप सिंह द्वारा शेखर की मां को फोन कर एक करोड़ रुपए व पांच किलो सोने की फिरौती मांगी गई थी। कोटा में आरोपी की मिली कार में खून के आधार पर पुलिस का मानना है कि शेखर के साथ अनहोनी हुई है।
खुद की कब्र बनाने का राज क्या है?
शेखर पांचाल अपहरण कांड : अपहरण से पहले और बाद में शेखर ने फेसबुक पर खुद की कब्र की फोटो पोस्ट की
उदयपुर. शेखर पिछले कुछ दिनों से मौत के खौफ से गुजर रहा था, उसकी यह मनस्थिति उसका फेसबुक प्रोफाइल देखने से साफ प्रतीत होती है। पुलिस, आईटी एक्सपर्ट्स और साइक्लॉजिस्ट्स की मदद से पांचाल के फेसबुक प्रोफाइल पर की गई दो फोटोज के संकेत को समझने की कोशिश कर रही है।
पुलिस का मानना है कि अपहरण के एक दिन पहले और ठीक एक दिन बाद इस तरह की फोटोज पोस्ट करना इस बात का साफ संकेत था कि कुछ ऐसा चल रहा था, जिससे शेखर के मन में अनहोनी की आशंका जन्म ले चुकी थी।
शेखर के फेसबुक प्रोफाइल में अपहरण से एक दिन पूर्व 30 दिसम्बर को रात 10:50 बजे डेथ क्लॉक नाम से उसने एक कब्रिस्तान का फोटो पोस्ट किया था। जिसमें एक कब्र पर शेखर की फोटो ऐसे पोस्ट की गई थी, जैसे उसकी कब्र हो। उस फोटो पर क्लिक करने पर लिंक वेलकम टू डेथ क्लॉक पर खुल रहा है। जिसमें सैकंड स्टेप पर लिखा है, फाइन्ड माई डेथ डेट। इस लिंक पर क्लिक करने पर एरर की वजह से आगे नहीं जा सके।
फेसबुक पर शेखर के 251 दोस्त हैं, जिनमें से से ज्यादातर युवा और बड़ी संख्या में खूबसूरत क़ॉलेज गल्र्स हैं। मोट तौर पर प्रोफाइल और साथियों को जायजा लेने पर शेखर का जो व्यक्तित्व ऊभर कर सामने आता है, वह अल्हड़, मस्त, रंगीन दुनिया में जीने वाला है। फिर अचानक 30 दिसंबर को क्या हो गया जो वह मौत, कब्रिस्तान और डेथ टाइम के बीच उलझ गया। ऐसे कई रहस्य हैं जो पुलिस को सुलझाने हैं?
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक शेखर का अपहरण 31 दिसंबर को हुआ। आश्चर्य की उसने एक जनवरी को सुबह 7:12 बजे दोबारा 30 दिसंबर को पोस्ट की गई कब्रिस्तान की फोटो पोस्ट की, नाम दिया सेमेटरी (कब्रिस्तान)। वह एक जनवरी को अपहर्ताओं के कब्जे में था, ऐसे में सवाल उठता है कि उसे कंप्यूटर, इंटरनेट की सुविधा कैसे हासिल हुई ?
क्या वह उस वक्त अपहर्ताओं की निगरानी में उसे नेट की सुविधा हासिल थी। फेसबुक के जरिए दोस्तों को वह खुद के मौत के मुंह में फंसे होने का संकेत देना चाह रहा था। आईटी एक्सपर्ट्स फोटो पोस्ट करने के समय के मुताबिक फोटो लोड करने के लिए इस्तेमाल कंप्यूटर और उसकी लोकेशन पता कर सकते हैं।
पुलिस ऐसा कर भी रही होगी, यह बात अलग है कि इस मुद्दे पर सभी अधिकारी जरूरत से ज्यादा एहतियात बरत रहे हैं। अब तक मिले संकेत अनहोनी की ओर इशारा जरूर कर रहे हैं, मगर शेखर के परिजन, दोस्त, पुलिस अधिकारी और हर संवेदनशील व्यक्ति परमपिता से यही प्रार्थना कर रहा है, मिले संकेत गलत साबित हों। शेखर दीर्घजीवी हो, सकुशल लौटे। भास्कर परिवार की यही प्रार्थना है।
छात्रों ने दी आंदोलन की चेतावनी
दस दिन बाद भी शेखर पांचाल का पता नहीं चल पाने से विद्यार्थियों में रोष है। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिलीप जोशी के नेतृत्व में सोमवार को कार्यकर्ताओं ने शेखर पांचाल के अपहरणकर्ताओं की 36 घंटों में गिरफ्तार करने की मांग को लेकर जिला पुलिस अधीक्षक के नाम पर ज्ञापन दिया।
छात्रों ने 11 जनवरी को संभाग के सभी शिक्षण संस्थान बंद कराने व उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। इस दौरान सुविवि अध्यक्ष परमवीर सिंह, हरीश चौधरी, प्रवक्ता राहुल नागदा, दीपक मेघवाल, अमित पालीवाल, दीपक शर्मा, अनिल गारु सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।
इसी प्रकार सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अध्यक्ष विक्रम खटीक, पूर्व अध्यक्ष दिलीप सिंह सिसोदिया के प्रतिनिधि मंडल ने गिरफ्तारी की मांग को लेकर एडीएम प्रशासन बीआर भाटी को ज्ञापन पेश किया।
.और 12 को गिनीज बुक में यह शहर हो जाएगा शामिल!
सूर्य नमस्कार के लिए हर जिले को अलग-अलग लक्ष्य दिए गए हैं। ग्वालियर में इस आयोजन में तीन लाख बच्चों को शामिल कराने का लक्ष्य रखा गया है। सरकारी स्कूलों में कक्षा पांच से बारह तक के छात्रों की संख्या एक लाख 13 हजार है। इसलिए तीन लाख का लक्ष्य पूरा करने के लिए विभाग को मेहनत करनी होगी। छात्र संख्या बढ़ाने के लिए निजी स्कूलों की पद्मा विद्यालय में 10 जनवरी को सुबह 11 बजे बैठक आयोजित की गई है। सोमवार को कलेक्टोरेट में हुई बैठक में कलेक्टर पी. नरहरि ने इस आयोजन में सहयोग की अपील की है।
ये है आवाज करने वाला चमत्कारी बाउल जो आसानी से चमकाता है किस्मत
किस्मत चमकाने वाली कई प्राचीन चीजें हैं। इन चीजों को घर में रखने से आपका दुर्भाग्य खत्म हो जाता है और किस्मत बदलने लगती है।
घर में शंख रखना हिन्दू परम्परा में शुभ माना गया है। दक्षिणावर्ती शंख को हमारी परम्परा में लक्ष्मी का रूप और वामावर्ती शंख को नारायण माना गया है। दोनों को ही धन और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। इसी तरह फेंगशुई में भी मधुर ध्वनि उत्पन्न करने वाली विंडचाइम और सिंगिंग बाउल को भी घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने वाला माना जाता है।
सिंगिग बाऊल चीनी मान्यता के अनुसार घर के सदस्यों में सामंजस्य बढ़ाने में सहायक होता है। यह किसी भी धातु जैसे सोना, चांदी, लोहा, स्फटिक आदि से बना हो सकता है। यह सिंगिंग बाउल कटोरेनुमा होता है। इस बाउल को लकड़ी से बजाया जाता है जिसे मुंगरी कहा जाता है।
पहले मुंगरी से कटोरी को धीरे-धीरे बजाया जाता है। उसके बाद मुंगरी को दांये से बांये घुमाने पर एक विचित्र सी ध्वनि उत्पन्न होती है। इसके नियमित प्रयोग से यह लय में बोलने लगेगी और इसका संगीत आपके कानों को मधुर लगने लगेगा। इससे आपके घर में मौजुद नकारात्मक शक्ति खत्म हो जाती है और आपकी किस्मत पर पडऩे वाला बुरा असर खत्म हो जाता है। घर के सदस्यों में आपस में प्यार और सामंजस्य बढऩे लगेगा। ये चमत्कारी बाउल आपके घर में पैसों की बारिश कर सकता है।
रुश्दी की यात्रा के खिलाफ उलेमा
विवादास्पद लेखक सलमान रुश्दी की प्रस्तावित भारत यात्रा का मुस्लिम उलेमा विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से रुश्दी का वीजा रद्द करने की मांग भी उठाई है।
गौरतलब है कि मुस्लिमों के विरोध के चलते ही भारत समेत कई देशों ने ‘द सेटेनिक वर्सेज’ पर रोक लगा दी थी। फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम ने भी रुश्दी के वीजा को रद्द करने की मांग का समर्थन करते हुए चेतावनी दी कि अगर वे यहां आए तो इसके गंभीर परिणाम होंगे और सरकार को भी पछताना पड़ेगा।
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में इस्लामिक डिपार्टमेंट के प्रमुख अख्तर उल वासे कहते हैं कि रुश्दी और तसलीमा नसरीन जैसी लेखक को दावत देना किसी साहित्य की खिदमत नहीं है। ऐसे लोगों के आने से देश में अमन-चैन का माहौल खराब होता है। जल्द ही पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं जिसमें शरारती तत्व इसका फायदा उठाकर वहां भी हालात खराब कर सकते हैं। उन्होंने पूछा कि जब सलमान रुश्दी के विवादास्पद उपन्यास पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही प्रतिबंध लगाया था, तब अब कांग्रेस की सरकार ही उन्हें क्यों बुला रही है?
दारुल उलूम के पूर्व मोहतमिम मोहम्मद गुलाम रसूल वस्तानवी भी सलमान रुश्दी की यात्रा का विरोध कर रहे हैं। जमियत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि रुश्दी को बुलाना मुस्लिमों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। सरकार को मुस्लिमों की भावनाओं का खयाल रखते हुए उनका वीजा रद्द कर देना चाहिए।
अमेरिकी को सजा-ए-मौत, ईरान को धमकी
तेहरान. अमेरिका और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ईरान की एक अदालत ने अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के लिए जासूसी करने वाले एक ईरानी मूल के अमेरिकी को मौत की सज़ा सुनाई है। इस फैसले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंचने की आशंका है।
ईरान के खुफिया विभाग के मंत्री हैदर मोसलेही ने कहा है कि ईरान के कब्जे में अभी कई अमेरिकी जासूस हैं। मोसलेही ने कहा कि पकड़े गए जासूस एक-दूसरे से सोशल नेटवर्क के जरिए संपर्क में रहते थे। मोसलेही ने कहा कि यह मार्च में होने वाले संसदीय चुनाव में खलल डालने की साजिश है।
इस बीच, ईरान ने धमकी दी है कि वह होरमूज के समुद्री रास्ते को बंद कर देगा। गौरतलब है कि दुनिया का 20 फीसदी पेट्रोलियम पदार्थ इसी रास्ते से होकर गुजरता है। ईरान ने यह धमकी तब दी जब अमेरिका ने ईरान के केंद्रीय बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन अमेरिका के रक्षा मंत्री लियॉन पेनेटा ने भी ईरान को तीखा जवाब देते हुए कहा है कि अगर ईरान ने समुद्री रास्ता बंद किया तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।
इससे पहले ईरान की रिवॉल्यूशनरी कोर्ट ने ईरानी मूल के अमेरिकी नागरिक हेकमती को दुश्मन देश के साथ सहयोग करने और सीआईए के लिए जासूसी करने के आरोप में दोषी मानते हुए मौत की सज़ा सुनाई है। ईरान के सरकारी रेडियो ने यह खबर दी है।
18 दिसंबर को हेकमती ने ईरान के सरकारी टीवी पर अमेरिका के लिए जासूसी करने की बात कुबूली थी। हेकमती को दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। उसके पास ईरान का भी पासपोर्ट है।
आमिर मीरजई हेकमती नाम के इस शख्स पर पर यह आरोप लगाया गया था कि वह ईरान के खुफिया विभाग में तीन बार घुसा था। ईरान में हेकमती पर आरोप लगाया गया था कि हेकमती को अमेरिकी नौसैनिक के तौर पर प्रशिक्षित किया गया था और वह इराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य अड्डों पर ईरान आने से पहले काम कर चुका है। 28 साल के हेकमती का जन्म अमेरिका के एरिजोना में हुआ था। हेकमती के पिता का कहना है कि वह सीआईए का जासूस नहीं है। उनके मुताबिक हेकमती अपनी दादी को देखने ईरान गया था।
अप्रवासी भारतीय जो देश को सिर्फ चुग्गा खाना समझ कर चुगने आते है दर्द देकर एक मतलबी कर तरह छू हो जाते है उनका सम्मान होना चाहिए या अपमान बताइए जनाब
कभी भी वक्त का इंतजार नहीं करना चाहिए क्योंकि....
नारदजी कहते हैं कि उसे एक क्षण भी व्यर्थ नष्ट नहीं करना चाहिए। भक्त के जीवन में एक-एक क्षण का भी महत्व होता है। भक्त समय की कीमत जानता है। यह उसके भौतिक सुविधाओं की बहुमूल्य निधि है, जिसका उपयोग वह भक्ति के प्रति करता है। वह यह भी समझता है कि जो क्षण बीत गया, उसे कोई भी कीमत देकर भी वापस नहीं लाया जा सकता। इसलिए वह एक-एक क्षण का उपयोग भजन करने के प्रति ही करता है। यदि कोई भक्त ऐसा नहीं करता है तो उसे करना चाहिए, क्योंकि शुभ समय की केवल बाट ही देखते रहना, कुछ साधन नहीं करना यह कोई प्रतीक्षा नहीं है।
मनुष्य का जीवन अत्यंत अनिश्चित है, कितना समय उसके पास है, कहा नहीं जा सकता। अत: उसका एक-एक पल महत्वपूर्ण है। कार्य बहुत बड़ा है। इतना बड़ा कि अनेकों जन्मों की तपस्या एवं निरंतर साधना से भी पूर्ण हो पाएगा कि नहीं, कहा नहीं जा सकता। फिर भी यह सोचते रहना कि अमुक काम पूर्ण हो जाए, अमुक परिस्थिति आ जाए तो भजन करूंगा। अपने आप को धोखा देना तथा समय नष्ट करना है।
एक और महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि आज हम अच्छे सात्विक भगवद् भक्तों की संगत में हैं जिससे हमारे मन में भी प्रभु को प्राप्त करने के लिए परम-प्रेम-रूपा भक्ति जाग्रत करने की शुभ इच्छा जाग्रत है। किन्तु, यदि हम विचार ही करते रह गए, भजन कुछ किया नहीं, केवल अनुकूल समय का रास्ता ही देखा। जब अनुकूल समय प्राप्त हुआ तो हमारे मन का विचार ही बदल गया। इसलिए उत्तम यही है कि जो भी परिस्थितियां प्राप्त हों तथा जो भी समय उपलब्ध हो एवं जो कुछ आपके पास सुविधाएं हों, उनमें जैसा भी, जितना भी भजन सम्भव हो आरंभ कर दो। यह नियम जाग्रति से पूर्व एवं पश्चात दोनों अवस्थाओं में लागू होता है।
विशेषकर भजन का स्वभाव तथा भक्ति जाग्रति का उपर्युक्त समय युवावस्था ही होता है। बुढ़ापे में जब मन का स्वभाव पक जाता है, इन्द्रियों में शिथिलता आ जाती है, उठा-बैठा भी नहीं जाता, तब क्या साधन-भजन होगा। हां, यदि युवावस्था में ही ऐसा स्वभाव तथा परिस्थितियां बन जाएं तो बुढ़ापे में भी क्रम चलता रह सकता है। अत: आधा क्षण बिगाड़े बिना भी साधन में जुट जाओ। आयु तो देखते ही देखते निकली जा रही है। दिन पर दिन तथा रातों पर रातें व्यतीत होती जा रही हैं। सूर्य उदय होता है, सायं को ढल जाता है। यह क्रम घड़ीभर के लिए भी नहीं ठहरता। इसी के साथ व्यतीत हो जाता है मनुष्य का जीवन भी। सुविधा पूर्वक तथा अनुकूल समय का भजन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए प्रतीक्षा करना उचित नहीं।
शिव पूरी करे श्रीकृष्ण की तरह इंसान की भी ये 16 इच्छाएं!
भक्ति प्रेम, समर्पण और त्याग का ही रूप है। धार्मिक आस्था है कि जब ऐसी भक्ति से ईश्वर को याद किया जाता है, तो ईश्वर भी उस प्रेम के वशीभूत हो दृश्य या अदृश्य रूप से भक्त पर कृपा करते हैं।
भक्ति से कामनापूर्ति की बात हो तो भगवान शिव की भक्ति सबसे आसान और जल्द मुरादें पूरी करने वाली मानी जाती है। इसलिए भगवान शिव को भक्त आशुतोष, ओढरदानी या भोलेनाथ भी पुकारते हैं। पौराणिक प्रसंग बताते हैं कि शिव भक्ति से दानव, मानव ही नहीं बल्कि देवताओं ने भी अपने मनोरथ पूरे किए।
इसी कड़ी में महाभारत के मुताबिक भगवान शिव ने स्वयं कहा है - श्री कृष्ण मेरी भक्ति करते हैं, इसलिए मुझे श्रीकृष्ण सबसे प्रिय है। भगवान श्रीकृष्ण ने शिव की उपासना शिव के हजार नामों के उच्चारण और बिल्वपत्रों को अर्पित कर सात माह तक कठोर तप के साथ की। महाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि श्रीकृष्ण ने शिव की भक्ति से 16 कामनाओं को पूरा किया।
जानिए श्री कृष्ण की ही ये 16 मुरादें और इंसानी जीवन के नजरिए से इन इन इच्छाओं के मायने। जिनको हर इंसान शिव भक्ति द्वारा पूरा करने का प्रयास करें -
- धर्म में मेरी दृढ़ता रहे यानी सत्य, प्रेम परोपकार जैसा धर्म पालन।
- युद्ध में शत्रुघात यानी विरोधियों और जीवन के संघर्ष में विपरीत हालात पर काबू पा लेना।
- जगत में उत्तम यश यानी प्रसिद्धि, सम्मान,
- परम बल यानी हर तरह से शक्ति संपन्न
- योग बल यानी संयम और संतोष
- सर्व प्रियता यानी सबसे मधुर संबंध और व्यवहार
- शिव का सानिध्य यानी भगवान, धर्म और कर्म से जुड़े रहना।
- दस हजार पुत्र यानी संतान और कुटुंब सुख
- ब्राह्मणों में कोपाभाव यानी पवित्रता और शुचिता प्राप्त हो।
- पिता की प्रसन्नता यानी पिता का प्रेम और आशीर्वाद
- सैकड़ों पुत्र यानी दाम्पत्य सुख
- उत्कृष्ट वैभव योग यानी सुख-समृद्धि
- कुल में प्रीति यानी परिवार और संबंधियों में मेलजोल
- माता का प्रसाद या अनुग्रह यानी माता से प्रेम और आशीर्वाद
- शम प्राप्ति यानी हर तरह से शांति मिलना
- दक्षता यानी कार्य कुशलता या हुनरमंद होना।
आग के अक्षर उगलने वाले स्वतन्त्रता सेनानी राष्ट्रिय कवि पत्रकार भाई अजीत मधुकर आज मोन हो गये
ब्लोगिंग की दुनिया के हस्ताक्षर मासूम भाई की मासूमियत से वापसी
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मेरे बारे में
लिंग | पुरुष |
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राशि चिह्न | कन्या |
उद्योग | बैंकिंग |
स्थान | Mumbai, भारत |
लिंक | अभिलाषा सूची |
परिचय | BSc.(Chem) Retired Banker(Branch Manager),ब्यूरो चीफ देश की मर्यादा( HW) , ब्यूरो चीफ सना न्यूज़ मुंबई, उनका जो फ़र्ज़ है वो अहले सियासत जानें मेरा पैग़ाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे.'जिगर मुरादाबादी/ ब्लोगेर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है, इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिस से इंसानियत आप पे गर्व करे / यदि आप की कलम मैं ताक़त है तो इसका इस्तेमाल जनहित मैं करें. |
रुचि | पढना, घूमना फिरना, फोटोग्राफी, कविता, हास्य-व्यंग |
पसंदीदा मूवी्स | Carwan of Pride, Imam e Reza (a.s), Ten Comandments, Gandhi |
पसंदीदा संगीत | यदि आप की कलम मैं ताक़त है तो इसका इस्तेमाल जनहित मैं करें. |
पसंदीदा पुस्तकें | कुरान, हाउ तू विन् फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएंस पीपल बाई डेल कार्नेगी, नहजुल बलागा |