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09 जनवरी 2012

सड़क सुरक्षा सप्ताह का सभी अधिकारी उड़ाते हैं मजाक ..जनता को लूट का सप्ताह न बनाये इसे अधिकारी और पत्रकार बंधू

दोस्तों सडक दुर्घटनाओं और हाथ पर हाथ धरे बेठे रहने वाली सरकार और अधिकारीयों पत्रकारों के लियें सडक सुरक्षा सप्ताह के नाम पर लूट का महिना आ गया है ..सभी जानते है के किस तरह से सडक सुरक्षा सप्ताह को यातायात चालान और लूट सप्ताह बना दिया जाता है खासकर कोटा की हालत तो इस मामले में बद से बदतर होती जा रही है ........दोस्तों आज से करीब तेईस वर्ष पूर्व भारतीय सड़क सुरक्षा निति के तहत देश की सडको को आम आदमी की आवाजाही के लियें सुरक्षित बनाने के लियें एक विशेष अभियान चलाया गया था जिसमे किस तरह से सडकों को मरम्मत कर आम आदमी की आवाजाही के लियें बनाया जाएगा .सडकों से अवरोध अतिक्रमण हटाए जायेंगे ..सडकों पर विधि अनुसार स्पीड ब्रेकर बनेंगे तो सांकेतिक चिन्ह लगाये जायेंगे ट्रेफिक पॉइंट सांकेतिक बोर्ड और चोराहों पर बत्तियां लगाई जायेंगी .ट्रेफिक में बाधा बने आवारा जानवरों को हटाया जायेगा जबकि बीच सडक या किनारे जो लोगों और वाहन चालकों के ध्यान बंटता है ऐसे विज्ञापन बोर्डों को हटाया जायेगा ॥ कुल मिलाकर सड़क सुरक्षा सप्ताह में आम आदमी की आवाजाही के लियें सडक को सुरक्षित करने का प्रावधान रहा है ..इसीलियें पुरे सप्ताह सार्वजनिक निर्माण विभाग .नगर निगम ..पंचायत ..नगर विकास न्यास ...पुलिस कलेक्टर यातायात विभाग सभी मिलकर इस व्यवस्था को करते है ................... दोस्तों यह तो है सडक सुरक्षा सप्ताह बनाने का तरीका लेकिन अब आज जो यह सप्ताह प्रशासन अपनी सरकारी जिम्मेदारियां भुला कर मना रहा है वोह सिर्फ और सिर्फ जनता को परेशान करने का एक मात्र जरिया है इस कथित सडक सुरक्षा सप्ताह के आते ही यातायात पुलिस और अख़बारों के कुछ पत्रकारों की बांछें खिल जाती है क्योंकि लूट का एक सप्ताह शुरू हो जाता है छोटे छोटे स्कूली बच्चों को सडकों पर लाया जाता है सड़कें मरम्मत करने की जगह स्कूटर मोटर साइकिलों के कागजात के नाम पर चलन बनाये जाते है ..दोस्तों बारह महीने पुलिस और यातायात विभाग की ज़िम्मेदारी है के शहर में यातायात नियम लागू हो कागज़ात चेक हों ..स्पीड कंट्रोल हो ...कारों की सीट बेल्ट काले कांच ..रात्रि लाइटों के हेलोजें बंद हों ...मिनी बस निजी बसें क्न्दक्त्र और ड्राइवर युनिफोर्म पहने ..टिकिट कितना कहाँ से लगेगा इसकी सूचि बस में चस्पा हो .केवल स्टेशन पर ही ठहराव हो परमिट हो ..इन वाहनों को खड़ा करने के लियें स्टेंड हो ..स्टेज केरिज और कोंतरेक्त केरिज परमिट के नियमों की सख्ती से पालना हो ..सडकों पर ट्रेक्टर और त्रोलियाँ क्रषि सामन के आलावा नहीं चलें ट्रक और ट्रोले नो एंट्री में प्रवेश नहीं करें ..ओवर लोडेड वहन नहीं हों ..सड़कों पर आवारा जानवर और अतिक्रमण न हो चोराहों और सडकों के किनारे विज्ञापन बोर्ड न हो स्पीड कंट्रोल हो ..स्पीड ब्रेकर हो सभी वाहनों की तकनीकी जान्च हो इन नियमों की पालना लगातार कराना होती है लेकिन पुलिस और प्रशासन अख़बारों के बहकावे में आकर केवल दिखावा करते है सड़कें ठीक नहीं करते ..अआवारा जानवर नहीं हटाते और बस दो पहिया वाहन चालक जो गरीब की जोरू की तरह सबकी भाभी समझी जाती है उसे सबक सीखने के लियें उनसे लूट शुरू हो जाती है कल कोटा के प्रशासन की बैठक में हेलमेट नहीं पहनने वाले पर आत्महत्या करने के अपराध दर्ज करने पर चर्चा हुई तो जनाब जो लोग वाहन तेज़ गति से चलाते है उन पर हत्या के मुकदमा दर्ज करवाने पर चर्चा क्यूँ नहीं हुई जो लोग परमिट की शर्तों का उलन्न्ग्घन कर वाहन चलाते है उन पर धोखा धड़ी का मुकदमा दर्ज क्यूँ नहीं हो लेकिन यह सब नोटंकी है जो अख़बारों और मिडिया के कुछ लोगों के निजी स्वार्थों के लियें होता है और चोराहों पर उन पुलिस वालों को तेनात किया जाता है जो अधिकारीयों की दूध देती गाये होती हैं वरना क्या मजाल के शहर में समानांतर रोडवेज़ की तरह निजी बसें विधि विरुद्ध टिकिट काटकर वाहन चलाने लगें और सडकों पर शर्तों का उलन्न्घन कर जीपें और करें चले ओवर लोडेड वाहन चलें । खेर कभी तो कोई अधिकारी कोई पत्रकार ऐसा आएगा जो ऐसे मामलों में सड़क सुरक्षा सप्ताह को सही तरह से मनाने के लियें जनता को राहत पहुंचाएगा और सड़कें आम आदमी की आवाजाही के लियें सभी बाधाओं से मुक्त करवाएगा .... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बालकाण्ड श्री रामगुण और श्री रामचरित्‌ की महिमा




* मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥
राम सुस्वामि कुसेवकु मोसो। निज दिसि देखि दयानिधि पोसो॥2॥
भावार्थ:-वे (श्री रामजी) मेरी (बिगड़ी) सब तरह से सुधार लेंगे, जिनकी कृपा कृपा करने से नहीं अघाती। राम से उत्तम स्वामी और मुझ सरीखा बुरा सेवक! इतने पर भी उन दयानिधि ने अपनी ओर देखकर मेरा पालन किया है॥2॥
* लोकहुँ बेद सुसाहिब रीती। बिनय सुनत पहिचानत प्रीती॥
गनी गरीब ग्राम नर नागर। पंडित मूढ़ मलीन उजागर॥3॥
भावार्थ:-लोक और वेद में भी अच्छे स्वामी की यही रीति प्रसिद्ध है कि वह विनय सुनते ही प्रेम को पहचान लेता है। अमीर-गरीब, गँवार-नगर निवासी, पण्डित-मूर्ख, बदनाम-यशस्वी॥3॥
* सुकबि कुकबि निज मति अनुहारी। नृपहि सराहत सब नर नारी॥
साधु सुजान सुसील नृपाला। ईस अंस भव परम कृपाला॥4॥
भावार्थ:-सुकवि-कुकवि, सभी नर-नारी अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार राजा की सराहना करते हैं और साधु, बुद्धिमान, सुशील, ईश्वर के अंश से उत्पन्न कृपालु राजा-॥4॥
* सुनि सनमानहिं सबहि सुबानी। भनिति भगति नति गति पहिचानी॥
यह प्राकृत महिपाल सुभाऊ। जान सिरोमनि कोसलराऊ॥5॥
भावार्थ:-सबकी सुनकर और उनकी वाणी, भक्ति, विनय और चाल को पहचानकर सुंदर (मीठी) वाणी से सबका यथायोग्य सम्मान करते हैं। यह स्वभाव तो संसारी राजाओं का है, कोसलनाथ श्री रामचन्द्रजी तो चतुरशिरोमणि हैं॥5॥
* रीझत राम सनेह निसोतें। को जग मंद मलिनमति मोतें॥6॥
भावार्थ:-श्री रामजी तो विशुद्ध प्रेम से ही रीझते हैं, पर जगत में मुझसे बढ़कर मूर्ख और मलिन बुद्धि और कौन होगा?॥6॥
दोहा :
* सठ सेवक की प्रीति रुचि रखिहहिं राम कृपालु।
उपल किए जलजान जेहिं सचिव सुमति कपि भालु॥28 क॥
भावार्थ:-तथापि कृपालु श्री रामचन्द्रजी मुझ दुष्ट सेवक की प्रीति और रुचि को अवश्य रखेंगे, जिन्होंने पत्थरों को जहाज और बंदर-भालुओं को बुद्धिमान मंत्री बना लिया॥28 (क)॥
* हौंहु कहावत सबु कहत राम सहत उपहास।
साहिब सीतानाथ सो सेवक तुलसीदास॥28 ख॥
भावार्थ:-सब लोग मुझे श्री रामजी का सेवक कहते हैं और मैं भी (बिना लज्जा-संकोच के) कहलाता हूँ (कहने वालों का विरोध नहीं करता), कृपालु श्री रामजी इस निन्दा को सहते हैं कि श्री सीतानाथजी, जैसे स्वामी का तुलसीदास सा सेवक है॥28 (ख)॥
चौपाई :
* अति बड़ि मोरि ढिठाई खोरी। सुनि अघ नरकहुँ नाक सकोरी॥
समुझि सहम मोहि अपडर अपनें। सो सुधि राम कीन्हि नहिं सपनें॥1॥
भावार्थ:-यह मेरी बहुत बड़ी ढिठाई और दोष है, मेरे पाप को सुनकर नरक ने भी नाक सिकोड़ ली है (अर्थात नरक में भी मेरे लिए ठौर नहीं है)। यह समझकर मुझे अपने ही कल्पित डर से डर हो रहा है, किन्तु भगवान श्री रामचन्द्रजी ने तो स्वप्न में भी इस पर (मेरी इस ढिठाई और दोष पर) ध्यान नहीं दिया॥1॥
* सुनि अवलोकि सुचित चख चाही। भगति मोरि मति स्वामि सराही॥
कहत नसाइ होइ हियँ नीकी। रीझत राम जानि जन जी की॥2॥
भावार्थ:-वरन मेरे प्रभु श्री रामचन्द्रजी ने तो इस बात को सुनकर, देखकर और अपने सुचित्त रूपी चक्षु से निरीक्षण कर मेरी भक्ति और बुद्धि की (उलटे) सराहना की, क्योंकि कहने में चाहे बिगड़ जाए (अर्थात्‌ मैं चाहे अपने को भगवान का सेवक कहता-कहलाता रहूँ), परन्तु हृदय में अच्छापन होना चाहिए। (हृदय में तो अपने को उनका सेवक बनने योग्य नहीं मानकर पापी और दीन ही मानता हूँ, यह अच्छापन है।) श्री रामचन्द्रजी भी दास के हृदय की (अच्छी) स्थिति जानकर रीझ जाते हैं॥2॥
* रहति न प्रभु चित चूक किए की। करत सुरति सय बार हिए की॥
जेहिं अघ बधेउ ब्याध जिमि बाली। फिरि सुकंठ सोइ कीन्हि कुचाली॥3॥
भावार्थ:-प्रभु के चित्त में अपने भक्तों की हुई भूल-चूक याद नहीं रहती (वे उसे भूल जाते हैं) और उनके हृदय (की अच्छाई-नेकी) को सौ-सौ बार याद करते रहते हैं। जिस पाप के कारण उन्होंने बालि को व्याध की तरह मारा था, वैसी ही कुचाल फिर सुग्रीव ने चली॥3॥
* सोइ करतूति बिभीषन केरी। सपनेहूँ सो न राम हियँ हेरी॥
ते भरतहि भेंटत सनमाने। राजसभाँ रघुबीर बखाने॥4॥
भावार्थ:-वही करनी विभीषण की थी, परन्तु श्री रामचन्द्रजी ने स्वप्न में भी उसका मन में विचार नहीं किया। उलटे भरतजी से मिलने के समय श्री रघुनाथजी ने उनका सम्मान किया और राजसभा में भी उनके गुणों का बखान किया॥4॥
दोहा :
* प्रभु तरु तर कपि डार पर ते किए आपु समान।
तुलसी कहूँ न राम से साहिब सील निधान॥29 क॥
भावार्थ:-प्रभु (श्री रामचन्द्रजी) तो वृक्ष के नीचे और बंदर डाली पर (अर्थात कहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम सच्चिदानन्दघन परमात्मा श्री रामजी और कहाँ पेड़ों की शाखाओं पर कूदने वाले बंदर), परन्तु ऐसे बंदरों को भी उन्होंने अपने समान बना लिया। तुलसीदासजी कहते हैं कि श्री रामचन्द्रजी सरीखे शीलनिधान स्वामी कहीं भी नहीं हैं॥29 (क)॥
* राम निकाईं रावरी है सबही को नीक।
जौं यह साँची है सदा तौ नीको तुलसीक॥29 ख॥
भावार्थ:-हे श्री रामजी! आपकी अच्छाई से सभी का भला है (अर्थात आपका कल्याणमय स्वभाव सभी का कल्याण करने वाला है) यदि यह बात सच है तो तुलसीदास का भी सदा कल्याण ही होगा॥29 (ख)॥
* एहि बिधि निज गुन दोष कहि सबहि बहुरि सिरु नाइ।
बरनउँ रघुबर बिसद जसु सुनि कलि कलुष नसाइ॥29 ग॥
भावार्थ:-इस प्रकार अपने गुण-दोषों को कहकर और सबको फिर सिर नवाकर मैं श्री रघुनाथजी का निर्मल यश वर्णन करता हूँ, जिसके सुनने से कलियुग के पाप नष्ट हो जाते हैं॥29 (ग)॥
चौपाई :
* जागबलिक जो कथा सुहाई। भरद्वाज मुनिबरहि सुनाई॥
कहिहउँ सोइ संबाद बखानी। सुनहुँ सकल सज्जन सुखु मानी॥1॥
भावार्थ:-मुनि याज्ञवल्क्यजी ने जो सुहावनी कथा मुनिश्रेष्ठ भरद्वाजजी को सुनाई थी, उसी संवाद को मैं बखानकर कहूँगा, सब सज्जन सुख का अनुभव करते हुए उसे सुनें॥1॥
* संभु कीन्ह यह चरित सुहावा। बहुरि कृपा करि उमहि सुनावा॥
सोइ सिव कागभुसुंडिहि दीन्हा। राम भगत अधिकारी चीन्हा॥2॥
भावार्थ:-शिवजी ने पहले इस सुहावने चरित्र को रचा, फिर कृपा करके पार्वतीजी को सुनाया। वही चरित्र शिवजी ने काकभुशुण्डिजी को रामभक्त और अधिकारी पहचानकर दिया॥2॥
* तेहि सन जागबलिक पुनि पावा। तिन्ह पुनि भरद्वाज प्रति गावा॥
ते श्रोता बकता समसीला। सवँदरसी जानहिं हरिलीला॥3॥
भावार्थ:-उन काकभुशुण्डिजी से फिर याज्ञवल्क्यजी ने पाया और उन्होंने फिर उसे भरद्वाजजी को गाकर सुनाया। वे दोनों वक्ता और श्रोता (याज्ञवल्क्य और भरद्वाज) समान शील वाले और समदर्शी हैं और श्री हरि की लीला को जानते हैं॥3॥
* जानहिं तीनि काल निज ग्याना। करतल गत आमलक समाना॥
औरउ जे हरिभगत सुजाना। कहहिं सुनहिं समुझहिं बिधि नाना॥4॥
भावार्थ:-वे अपने ज्ञान से तीनों कालों की बातों को हथेली पर रखे हुए आँवले के समान (प्रत्यक्ष) जानते हैं। और भी जो सुजान (भगवान की लीलाओं का रहस्य जानने वाले) हरि भक्त हैं, वे इस चरित्र को नाना प्रकार से कहते, सुनते और समझते हैं॥4॥
दोहा :
* मैं पुनि निज गुर सन सुनी कथा सो सूकरखेत।
समुझी नहिं तसि बालपन तब अति रहेउँ अचेत॥30 क॥
भावार्थ:-फिर वही कथा मैंने वाराह क्षेत्र में अपने गुरुजी से सुनी, परन्तु उस समय मैं लड़कपन के कारण बहुत बेसमझ था, इससे उसको उस प्रकार (अच्छी तरह) समझा नहीं॥30 (क)॥
* श्रोता बकता ग्याननिधि कथा राम कै गूढ़।
किमि समुझौं मैं जीव जड़ कलि मल ग्रसित बिमूढ़॥30ख॥
भावार्थ:-श्री रामजी की गूढ़ कथा के वक्ता (कहने वाले) और श्रोता (सुनने वाले) दोनों ज्ञान के खजाने (पूरे ज्ञानी) होते हैं। मैं कलियुग के पापों से ग्रसा हुआ महामूढ़ जड़ जीव भला उसको कैसे समझ सकता था?॥30 ख॥
चौपाई :
* तदपि कही गुर बारहिं बारा। समुझि परी कछु मति अनुसारा॥
भाषाबद्ध करबि मैं सोई। मोरें मन प्रबोध जेहिं होई॥1॥
भावार्थ:-तो भी गुरुजी ने जब बार-बार कथा कही, तब बुद्धि के अनुसार कुछ समझ में आई। वही अब मेरे द्वारा भाषा में रची जाएगी, जिससे मेरे मन को संतोष हो॥1॥
* जस कछु बुधि बिबेक बल मेरें। तस कहिहउँ हियँ हरि के प्रेरें॥
निज संदेह मोह भ्रम हरनी। करउँ कथा भव सरिता तरनी॥2॥
भावार्थ:-जैसा कुछ मुझमें बुद्धि और विवेक का बल है, मैं हृदय में हरि की प्रेरणा से उसी के अनुसार कहूँगा। मैं अपने संदेह, अज्ञान और भ्रम को हरने वाली कथा रचता हूँ, जो संसार रूपी नदी के पार करने के लिए नाव है॥2॥
* बुध बिश्राम सकल जन रंजनि। रामकथा कलि कलुष बिभंजनि॥
रामकथा कलि पंनग भरनी। पुनि बिबेक पावक कहुँ अरनी॥3॥
भावार्थ:-रामकथा पण्डितों को विश्राम देने वाली, सब मनुष्यों को प्रसन्न करने वाली और कलियुग के पापों का नाश करने वाली है। रामकथा कलियुग रूपी साँप के लिए मोरनी है और विवेक रूपी अग्नि के प्रकट करने के लिए अरणि (मंथन की जाने वाली लकड़ी) है, (अर्थात इस कथा से ज्ञान की प्राप्ति होती है)॥3॥
* रामकथा कलि कामद गाई। सुजन सजीवनि मूरि सुहाई॥
सोइ बसुधातल सुधा तरंगिनि। भय भंजनि भ्रम भेक भुअंगिनि॥4॥
भावार्थ:-रामकथा कलियुग में सब मनोरथों को पूर्ण करने वाली कामधेनु गौ है और सज्जनों के लिए सुंदर संजीवनी जड़ी है। पृथ्वी पर यही अमृत की नदी है, जन्म-मरण रूपी भय का नाश करने वाली और भ्रम रूपी मेंढकों को खाने के लिए सर्पिणी है॥4॥
* असुर सेन सम नरक निकंदिनि। साधु बिबुध कुल हित गिरिनंदिनि॥
संत समाज पयोधि रमा सी। बिस्व भार भर अचल छमा सी॥5॥
भावार्थ:-यह रामकथा असुरों की सेना के समान नरकों का नाश करने वाली और साधु रूप देवताओं के कुल का हित करने वाली पार्वती (दुर्गा) है। यह संत-समाज रूपी क्षीर समुद्र के लिए लक्ष्मीजी के समान है और सम्पूर्ण विश्व का भार उठाने में अचल पृथ्वी के समान है॥5॥
* जम गन मुहँ मसि जग जमुना सी। जीवन मुकुति हेतु जनु कासी॥
रामहि प्रिय पावनि तुलसी सी। तुलसिदास हित हियँ हुलसी सी॥6॥
भावार्थ:-यमदूतों के मुख पर कालिख लगाने के लिए यह जगत में यमुनाजी के समान है और जीवों को मुक्ति देने के लिए मानो काशी ही है। यह श्री रामजी को पवित्र तुलसी के समान प्रिय है और तुलसीदास के लिए हुलसी (तुलसीदासजी की माता) के समान हृदय से हित करने वाली है॥6॥
* सिवप्रिय मेकल सैल सुता सी। सकल सिद्धि सुख संपति रासी॥
सदगुन सुरगन अंब अदिति सी। रघुबर भगति प्रेम परमिति सी॥7॥
भावार्थ:-यह रामकथा शिवजी को नर्मदाजी के समान प्यारी है, यह सब सिद्धियों की तथा सुख-सम्पत्ति की राशि है। सद्गुण रूपी देवताओं के उत्पन्न और पालन-पोषण करने के लिए माता अदिति के समान है। श्री रघुनाथजी की भक्ति और प्रेम की परम सीमा सी है॥7॥
दोहा :
* रामकथा मंदाकिनी चित्रकूट चित चारु।
तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुबीर बिहारु॥31॥
भावार्थ:-तुलसीदासजी कहते हैं कि रामकथा मंदाकिनी नदी है, सुंदर (निर्मल) चित्त चित्रकूट है और सुंदर स्नेह ही वन है, जिसमें श्री सीतारामजी विहार करते हैं॥31॥
चौपाई :
* रामचरित चिंतामति चारू। संत सुमति तिय सुभग सिंगारू॥
जग मंगल गुनग्राम राम के। दानि मुकुति धन धरम धाम के॥1॥
भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी का चरित्र सुंदर चिन्तामणि है और संतों की सुबुद्धि रूपी स्त्री का सुंदर श्रंगार है। श्री रामचन्द्रजी के गुण-समूह जगत्‌ का कल्याण करने वाले और मुक्ति, धन, धर्म और परमधाम के देने वाले हैं॥1॥
* सदगुर ग्यान बिराग जोग के। बिबुध बैद भव भीम रोग के॥
जननि जनक सिय राम प्रेम के। बीज सकल ब्रत धरम नेम के॥2॥
भावार्थ:-ज्ञान, वैराग्य और योग के लिए सद्गुरु हैं और संसार रूपी भयंकर रोग का नाश करने के लिए देवताओं के वैद्य (अश्विनीकुमार) के समान हैं। ये श्री सीतारामजी के प्रेम के उत्पन्न करने के लिए माता-पिता हैं और सम्पूर्ण व्रत, धर्म और नियमों के बीज हैं॥2॥
* समन पाप संताप सोक के। प्रिय पालक परलोक लोक के॥
सचिव सुभट भूपति बिचार के। कुंभज लोभ उदधि अपार के॥3॥
भावार्थ:-पाप, संताप और शोक का नाश करने वाले तथा इस लोक और परलोक के प्रिय पालन करने वाले हैं। विचार (ज्ञान) रूपी राजा के शूरवीर मंत्री और लोभ रूपी अपार समुद्र के सोखने के लिए अगस्त्य मुनि हैं॥3॥
* काम कोह कलिमल करिगन के। केहरि सावक जन मन बन के॥
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद घन दारिद दवारि के॥4॥
भावार्थ:-भक्तों के मन रूपी वन में बसने वाले काम, क्रोध और कलियुग के पाप रूपी हाथियों को मारने के लिए सिंह के बच्चे हैं। शिवजी के पूज्य और प्रियतम अतिथि हैं और दरिद्रता रूपी दावानल के बुझाने के लिए कामना पूर्ण करने वाले मेघ हैं॥4॥
* मंत्र महामनि बिषय ब्याल के। मेटत कठिन कुअंक भाल के॥
हरन मोह तम दिनकर कर से। सेवक सालि पाल जलधर से॥5॥
भावार्थ:-विषय रूपी साँप का जहर उतारने के लिए मन्त्र और महामणि हैं। ये ललाट पर लिखे हुए कठिनता से मिटने वाले बुरे लेखों (मंद प्रारब्ध) को मिटा देने वाले हैं। अज्ञान रूपी अन्धकार को हरण करने के लिए सूर्य किरणों के समान और सेवक रूपी धान के पालन करने में मेघ के समान हैं॥5॥
* अभिमत दानि देवतरु बर से। सेवत सुलभ सुखद हरि हर से॥
सुकबि सरद नभ मन उडगन से। रामभगत जन जीवन धन से॥6॥
भावार्थ:-मनोवांछित वस्तु देने में श्रेष्ठ कल्पवृक्ष के समान हैं और सेवा करने में हरि-हर के समान सुलभ और सुख देने वाले हैं। सुकवि रूपी शरद् ऋतु के मन रूपी आकाश को सुशोभित करने के लिए तारागण के समान और श्री रामजी के भक्तों के तो जीवन धन ही हैं॥6॥
* सकल सुकृत फल भूरि भोग से। जग हित निरुपधि साधु लोग से॥
सेवक मन मानस मराल से। पावन गंग तरंग माल से॥7॥
भावार्थ:-सम्पूर्ण पुण्यों के फल महान भोगों के समान हैं। जगत का छलरहित (यथार्थ) हित करने में साधु-संतों के समान हैं। सेवकों के मन रूपी मानसरोवर के लिए हंस के समान और पवित्र करने में गंगाजी की तरंगमालाओं के समान हैं॥7॥
दोहा :
* कुपथ कुतरक कुचालि कलि कपट दंभ पाषंड।
दहन राम गुन ग्राम जिमि इंधन अनल प्रचंड॥32 क॥
भावार्थ:-श्री रामजी के गुणों के समूह कुमार्ग, कुतर्क, कुचाल और कलियुग के कपट, दम्भ और पाखण्ड को जलाने के लिए वैसे ही हैं, जैसे ईंधन के लिए प्रचण्ड अग्नि॥32 (क)॥
* रामचरित राकेस कर सरिस सुखद सब काहु।
सज्जन कुमुद चकोर चित हित बिसेषि बड़ लाहु॥32 ख॥
भावार्थ:-रामचरित्र पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणों के समान सभी को सुख देने वाले हैं, परन्तु सज्जन रूपी कुमुदिनी और चकोर के चित्त के लिए तो विशेष हितकारी और महान लाभदायक हैं॥32 (ख)॥
चौपाई :
* कीन्हि प्रस्न जेहि भाँति भवानी। जेहि बिधि संकर कहा बखानी॥
सो सब हेतु कहब मैं गाई। कथा प्रबंध बिचित्र बनाई॥1॥
भावार्थ:-जिस प्रकार श्री पार्वतीजी ने श्री शिवजी से प्रश्न किया और जिस प्रकार से श्री शिवजी ने विस्तार से उसका उत्तर कहा, वह सब कारण मैं विचित्र कथा की रचना करके गाकर कहूँगा॥1॥
* जेहिं यह कथा सुनी नहिं होई। जनि आचरजु करै सुनि सोई॥
कथा अलौकिक सुनहिं जे ग्यानी। नहिं आचरजु करहिं अस जानी॥2॥
रामकथा कै मिति जग नाहीं। असि प्रतीति तिन्ह के मन माहीं॥
नाना भाँति राम अवतारा। रामायन सत कोटि अपारा॥3॥
भावार्थ:-जिसने यह कथा पहले न सुनी हो, वह इसे सुनकर आश्चर्य न करे। जो ज्ञानी इस विचित्र कथा को सुनते हैं, वे यह जानकर आश्चर्य नहीं करते कि संसार में रामकथा की कोई सीमा नहीं है (रामकथा अनंत है)। उनके मन में ऐसा विश्वास रहता है। नाना प्रकार से श्री रामचन्द्रजी के अवतार हुए हैं और सौ करोड़ तथा अपार रामायण हैं॥2-3॥
* कलपभेद हरिचरित सुहाए। भाँति अनेक मुनीसन्ह गाए॥
करिअ न संसय अस उर आनी। सुनिअ कथा सादर रति मानी॥4॥
भावार्थ:-कल्पभेद के अनुसार श्री हरि के सुंदर चरित्रों को मुनीश्वरों ने अनेकों प्रकार से गया है। हृदय में ऐसा विचार कर संदेह न कीजिए और आदर सहित प्रेम से इस कथा को सुनिए॥4॥
दोहा :
* राम अनंत अनंत गुन अमित कथा बिस्तार।
सुनि आचरजु न मानिहहिं जिन्ह कें बिमल बिचार॥33॥
भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी अनन्त हैं, उनके गुण भी अनन्त हैं और उनकी कथाओं का विस्तार भी असीम है। अतएव जिनके विचार निर्मल हैं, वे इस कथा को सुनकर आश्चर्य नहीं मानेंगे॥3॥
चौपाई :
* एहि बिधि सब संसय करि दूरी। सिर धरि गुर पद पंकज धूरी॥
पुनि सबही बिनवउँ कर जोरी। करत कथा जेहिं लाग न खोरी॥1॥
भावार्थ:-इस प्रकार सब संदेहों को दूर करके और श्री गुरुजी के चरणकमलों की रज को सिर पर धारण करके मैं पुनः हाथ जोड़कर सबकी विनती करता हूँ, जिससे कथा की रचना में कोई दोष स्पर्श न करने पावे॥1॥

कुरान का संदेश


खजुराहो के बाहर बनीं नग्न मूर्तियों के पीछे का यह है 'सत्य

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भोपाल। नॉलेज पैकेज के अंतर्गत आज हम आपको खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न और संभोग की मुद्रा में बनी मूर्तियों का कारण बता रहे हैं। भारत का दिल कहे जाने वाला मध्यप्रदेश प्रांत अपने प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है।

यहां का खजुराहो मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। इसकी विश्व प्रसिद्धि का कारण मंदिर के बाहर बनी नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां हैं। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिरों के बाहर बनी इन आकृतियों को काम साहित्य का नाम दिया गया है।

खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ई. से 1050 ई. के बीच हुआ है। इन मंदिरों में मूर्तियों का निर्माण इतनी बेहतरी से किया गया है कि इसे देखने के बाद किसी के मन में बुरा ख्याल नहीं आता, क्योंकि सभी मूर्तियों की खूबसूरती में खो जाते हैं। यह एक ऐसा स्थान है, जिसे पूरे परिवार के साथ पवित्र मन से देखा जा सकता है। ये मूर्तियां प्राचीन सभ्यता की विशेषता बताने के लिए काफी हैं।

हालांकि कई बार मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर मंदिर के बाहर इस तरह की मूर्तियां बनाने के पीछे राज क्या हो सकता है। इस बारे में एक राय नहीं मिलता। अलग-अगल विश्लेषकों ने अलग-अलग राय दी है। मुख्य रूप से चार कारण सामने आते हैं, जो इस प्रकार हैं।

पहली मान्यता

कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा भोग-विलाशिता में अधिक लिप्त रहते थे। वे काफी उत्तेजित रहते थे। इसी कारण खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां बनाई गई हैं।

दूसरी मान्यता

दूसरे समुदाय के विश्लेषकों का यह मानना है कि इसे प्राचीन काल में सेक्स की शिक्षा की दृष्टि से बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि उन अद्भुत आकृतियों को देखने के बाद लोगों को संभोग की सही शिक्षा मिलेगी। प्राचीन काल में मंदिर ही एक ऐसा स्थान था, जहां लगभग सभी लोग जाते थे। इसीलिए संभोग की सही शिक्षा देने के लिए मंदिरों को चुना गया।

तीसरी मान्यता

कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि मोक्ष के लिए हर इंसान को चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है - धर्म, अर्थ, योग और काम। ऐसा माना जाता है कि इसी दृष्टि से मंदिर के बाहर नग्न मूर्तियां लगाई गई हैं। क्योंकि यही काम है और इसके बाद सिर्फ और सिर्फ भगवान का शरण ही मिलता है। इसी कारण इसे देखने के बाद भगवान के शरण में जाने की कल्पना की गई।

चौथी मान्यता

कुछ और लोगों का इन सबके अलावा इसके पीछे हिंदू धर्म की रक्षा की बात बताई गई है। इन लोगों के अनुसार जब खजुराहो के मंदिरों का निर्माण हुआ, तब बौद्ध धर्म का प्रसार काफी तेजी के साथ हो रहा था। चंदेल शासकों ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने इसी मार्ग का सहारा लिया। उनके अनुसार प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि सेक्स की तरफ हर कोई खिंचा चला आता है।

इसीलिए यदि मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में मूर्तियां लगाई जाएंगी, तो लोग इसे देखने मंदिर आएंगे। फिर अंदर भगवान का दर्शन करने जाएंगे। इससे हिंदू धर्म को बढ़ावा मिलेगा।

मौत का था खौफ, पर खुद की कब्र बनाने का राज क्या है?

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उदयपुर. पेसिफिक कॉलेज के छात्र शेखर पांचाल के अपहरण और फिरौती मांगने के मामले में पुलिस ने सोमवार को मुख्य आरोपी के दोस्त मुकेश सोनी को कोटा से गिरफ्तार कर लिया है।

उस पर अपहरण से लेकर फिरौती मांगने तक मुख्य अपहर्ता के संपर्क में रहने और साजिश में शामिल होने का आरोप है। पुलिस को अपहृत छात्र शेखर पांचाल और मुख्य आरोपी प्रदीपसिंह भाटी का कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। कोटा गया पुलिस दल सोमवार रात को उदयपुर के लिए रवाना हो गया।

उधर, सुविवि की छात्र संघर्ष समिति ने 36 घंटे में अपहृत छात्र व मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने पर बुधवार को संभागभर के शिक्षण संस्थान को बंद कराने व उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है। एएसपी सिटी तेजराज सिंह ने बताया कि कोटा में दादावाड़ी निवासी मुकेश पुत्र चंदालाल सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया है। बताया गया कि आरोपी ने कई लोगों से रुपए उधार ले रखे हैं।

यह मुख्य आरोपी प्रदीप सिंह भाटी और उसका पड़ोसी मुकेश पूरी योजना में शामिल रहा। भाटी द्वारा शेखर का अपहरण करने के बाद फिरौती की राशि एक करोड़ रुपए और 5 किलो सोना लेकर बुलाया गया था, तब मुकेश मौके पर मौजूद था और प्रदीपसिंह को सूचना दे रहा था।

मुकेश ने मुख्य आरोपी को बताया कि शेखर के माता-पिता के साथ कौन-कौन आया है? उसे पुलिस अफसरों के साथ होने की भी सूचना दी गई थी। मुकेश ने अपहरण में प्रयुक्त कार भी अपनी मित्र की सहायता से मुख्य आरोपी प्रदीप को उपलब्ध करवाई थी।

छात्र का सुराग नहीं : पुलिस को दसवें दिन सोमवार को भी शेखर पांचाल के बारे में पता नहीं चल सका। इसके लिए पुलिस मुख्य आरोपी प्रदीपसिंह भाटी की तलाश में जुटी है। इस संबंध में हिरासत में ली गई प्रदीप की पत्नी प्रीति, चचेरा भाई भगवान सिंह, ताऊ का लड़का बहादुर सिंह, साला सुमित, दोस्त पिंटू सहित सात जनों से पूछताछ जारी है।

उदयपुर और कोटा पुलिस के अलग-अलग दल ने मोबाइल कॉल लोकेशन के आधार पर सोमवार को फिर कोटा और आसपास के इलाकों में दबिश देकर मुख्य आरोपी तक पहुंचने का प्रयास किया। इसके अलावा उदयपुर में भी शेखर के मित्रों व परिचितों से पूछताछ कर अनुसंधान किया जा रहा है।

यह है मामला

31 दिसंबर को पेसिफिक कॉलेज के छात्र शेखर पांचाल का बोहरा गणेशजी क्षेत्र से उसके परिचित प्रदीप सिंह भाटी घूमाने के बहाने अपहरण कर ले गया था। मुख्य आरोपी प्रदीप सिंह द्वारा शेखर की मां को फोन कर एक करोड़ रुपए व पांच किलो सोने की फिरौती मांगी गई थी। कोटा में आरोपी की मिली कार में खून के आधार पर पुलिस का मानना है कि शेखर के साथ अनहोनी हुई है।

खुद की कब्र बनाने का राज क्या है?

शेखर पांचाल अपहरण कांड : अपहरण से पहले और बाद में शेखर ने फेसबुक पर खुद की कब्र की फोटो पोस्ट की

उदयपुर. शेखर पिछले कुछ दिनों से मौत के खौफ से गुजर रहा था, उसकी यह मनस्थिति उसका फेसबुक प्रोफाइल देखने से साफ प्रतीत होती है। पुलिस, आईटी एक्सपर्ट्स और साइक्लॉजिस्ट्स की मदद से पांचाल के फेसबुक प्रोफाइल पर की गई दो फोटोज के संकेत को समझने की कोशिश कर रही है।

पुलिस का मानना है कि अपहरण के एक दिन पहले और ठीक एक दिन बाद इस तरह की फोटोज पोस्ट करना इस बात का साफ संकेत था कि कुछ ऐसा चल रहा था, जिससे शेखर के मन में अनहोनी की आशंका जन्म ले चुकी थी।

शेखर के फेसबुक प्रोफाइल में अपहरण से एक दिन पूर्व 30 दिसम्बर को रात 10:50 बजे डेथ क्लॉक नाम से उसने एक कब्रिस्तान का फोटो पोस्ट किया था। जिसमें एक कब्र पर शेखर की फोटो ऐसे पोस्ट की गई थी, जैसे उसकी कब्र हो। उस फोटो पर क्लिक करने पर लिंक वेलकम टू डेथ क्लॉक पर खुल रहा है। जिसमें सैकंड स्टेप पर लिखा है, फाइन्ड माई डेथ डेट। इस लिंक पर क्लिक करने पर एरर की वजह से आगे नहीं जा सके।

फेसबुक पर शेखर के 251 दोस्त हैं, जिनमें से से ज्यादातर युवा और बड़ी संख्या में खूबसूरत क़ॉलेज गल्र्स हैं। मोट तौर पर प्रोफाइल और साथियों को जायजा लेने पर शेखर का जो व्यक्तित्व ऊभर कर सामने आता है, वह अल्हड़, मस्त, रंगीन दुनिया में जीने वाला है। फिर अचानक 30 दिसंबर को क्या हो गया जो वह मौत, कब्रिस्तान और डेथ टाइम के बीच उलझ गया। ऐसे कई रहस्य हैं जो पुलिस को सुलझाने हैं?

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक शेखर का अपहरण 31 दिसंबर को हुआ। आश्चर्य की उसने एक जनवरी को सुबह 7:12 बजे दोबारा 30 दिसंबर को पोस्ट की गई कब्रिस्तान की फोटो पोस्ट की, नाम दिया सेमेटरी (कब्रिस्तान)। वह एक जनवरी को अपहर्ताओं के कब्जे में था, ऐसे में सवाल उठता है कि उसे कंप्यूटर, इंटरनेट की सुविधा कैसे हासिल हुई ?

क्या वह उस वक्त अपहर्ताओं की निगरानी में उसे नेट की सुविधा हासिल थी। फेसबुक के जरिए दोस्तों को वह खुद के मौत के मुंह में फंसे होने का संकेत देना चाह रहा था। आईटी एक्सपर्ट्स फोटो पोस्ट करने के समय के मुताबिक फोटो लोड करने के लिए इस्तेमाल कंप्यूटर और उसकी लोकेशन पता कर सकते हैं।

पुलिस ऐसा कर भी रही होगी, यह बात अलग है कि इस मुद्दे पर सभी अधिकारी जरूरत से ज्यादा एहतियात बरत रहे हैं। अब तक मिले संकेत अनहोनी की ओर इशारा जरूर कर रहे हैं, मगर शेखर के परिजन, दोस्त, पुलिस अधिकारी और हर संवेदनशील व्यक्ति परमपिता से यही प्रार्थना कर रहा है, मिले संकेत गलत साबित हों। शेखर दीर्घजीवी हो, सकुशल लौटे। भास्कर परिवार की यही प्रार्थना है।

छात्रों ने दी आंदोलन की चेतावनी

दस दिन बाद भी शेखर पांचाल का पता नहीं चल पाने से विद्यार्थियों में रोष है। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिलीप जोशी के नेतृत्व में सोमवार को कार्यकर्ताओं ने शेखर पांचाल के अपहरणकर्ताओं की 36 घंटों में गिरफ्तार करने की मांग को लेकर जिला पुलिस अधीक्षक के नाम पर ज्ञापन दिया।

छात्रों ने 11 जनवरी को संभाग के सभी शिक्षण संस्थान बंद कराने व उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। इस दौरान सुविवि अध्यक्ष परमवीर सिंह, हरीश चौधरी, प्रवक्ता राहुल नागदा, दीपक मेघवाल, अमित पालीवाल, दीपक शर्मा, अनिल गारु सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।

इसी प्रकार सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अध्यक्ष विक्रम खटीक, पूर्व अध्यक्ष दिलीप सिंह सिसोदिया के प्रतिनिधि मंडल ने गिरफ्तारी की मांग को लेकर एडीएम प्रशासन बीआर भाटी को ज्ञापन पेश किया।

.और 12 को गिनीज बुक में यह शहर हो जाएगा शामिल!


ग्वालियर। सरकार चाहती है कि 12 जनवरी को आयोजित सूर्य नमस्कार को इस बार भी गिनीज बुक में स्थान मिले। इसको लेकर प्रदेशभर में होमवर्क प्रारंभ हो गया है। स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे छात्र संख्या 25 से कम होने पर आसपास के लोग या जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित करें। इस आयोजन में निजी स्कूलों की भागीदारी को लेकर मंगलवार सुबह 11 बजे पद्मा विद्यालय में बैठक आयोजित की गई है।

सूर्य नमस्कार के लिए हर जिले को अलग-अलग लक्ष्य दिए गए हैं। ग्वालियर में इस आयोजन में तीन लाख बच्चों को शामिल कराने का लक्ष्य रखा गया है। सरकारी स्कूलों में कक्षा पांच से बारह तक के छात्रों की संख्या एक लाख 13 हजार है। इसलिए तीन लाख का लक्ष्य पूरा करने के लिए विभाग को मेहनत करनी होगी। छात्र संख्या बढ़ाने के लिए निजी स्कूलों की पद्मा विद्यालय में 10 जनवरी को सुबह 11 बजे बैठक आयोजित की गई है। सोमवार को कलेक्टोरेट में हुई बैठक में कलेक्टर पी. नरहरि ने इस आयोजन में सहयोग की अपील की है।

ये है आवाज करने वाला चमत्कारी बाउल जो आसानी से चमकाता है किस्मत


किस्मत चमकाने वाली कई प्राचीन चीजें हैं। इन चीजों को घर में रखने से आपका दुर्भाग्य खत्म हो जाता है और किस्मत बदलने लगती है।

घर में शंख रखना हिन्दू परम्परा में शुभ माना गया है। दक्षिणावर्ती शंख को हमारी परम्परा में लक्ष्मी का रूप और वामावर्ती शंख को नारायण माना गया है। दोनों को ही धन और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। इसी तरह फेंगशुई में भी मधुर ध्वनि उत्पन्न करने वाली विंडचाइम और सिंगिंग बाउल को भी घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने वाला माना जाता है।

सिंगिग बाऊल चीनी मान्यता के अनुसार घर के सदस्यों में सामंजस्य बढ़ाने में सहायक होता है। यह किसी भी धातु जैसे सोना, चांदी, लोहा, स्फटिक आदि से बना हो सकता है। यह सिंगिंग बाउल कटोरेनुमा होता है। इस बाउल को लकड़ी से बजाया जाता है जिसे मुंगरी कहा जाता है।

पहले मुंगरी से कटोरी को धीरे-धीरे बजाया जाता है। उसके बाद मुंगरी को दांये से बांये घुमाने पर एक विचित्र सी ध्वनि उत्पन्न होती है। इसके नियमित प्रयोग से यह लय में बोलने लगेगी और इसका संगीत आपके कानों को मधुर लगने लगेगा। इससे आपके घर में मौजुद नकारात्मक शक्ति खत्म हो जाती है और आपकी किस्मत पर पडऩे वाला बुरा असर खत्म हो जाता है। घर के सदस्यों में आपस में प्यार और सामंजस्य बढऩे लगेगा। ये चमत्कारी बाउल आपके घर में पैसों की बारिश कर सकता है।

रुश्दी की यात्रा के खिलाफ उलेमा

‘द सेटेनिक वर्सेज’ उपन्यास को लेकर विवादों में घिरे सलमान रुश्दी इस माह के अंत में जयपुर में होने वाले साहित्य समारोह में शरीक होने आ रहे हैं। मुस्लिम जगत में उनकी प्रस्तावित यात्रा को लेकर अभी से विरोध शुरू हो गया है। उत्तर भारत के प्रमुख मदरसे दारुल उलूम देवबंद के कुलपति (मोहतमिम) मौलाना अबुल कासिम नौमानी ने सरकार से रुश्दी के वीजा को रद्द करने की मांग की है। उन्होंने रुश्दी पर पैगंबर की शान में गुस्ताखी करने और मुस्लिमों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।

विवादास्पद लेखक सलमान रुश्दी की प्रस्तावित भारत यात्रा का मुस्लिम उलेमा विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से रुश्दी का वीजा रद्द करने की मांग भी उठाई है।


गौरतलब है कि मुस्लिमों के विरोध के चलते ही भारत समेत कई देशों ने ‘द सेटेनिक वर्सेज’ पर रोक लगा दी थी। फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम ने भी रुश्दी के वीजा को रद्द करने की मांग का समर्थन करते हुए चेतावनी दी कि अगर वे यहां आए तो इसके गंभीर परिणाम होंगे और सरकार को भी पछताना पड़ेगा।

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में इस्लामिक डिपार्टमेंट के प्रमुख अख्तर उल वासे कहते हैं कि रुश्दी और तसलीमा नसरीन जैसी लेखक को दावत देना किसी साहित्य की खिदमत नहीं है। ऐसे लोगों के आने से देश में अमन-चैन का माहौल खराब होता है। जल्द ही पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं जिसमें शरारती तत्व इसका फायदा उठाकर वहां भी हालात खराब कर सकते हैं। उन्होंने पूछा कि जब सलमान रुश्दी के विवादास्पद उपन्यास पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही प्रतिबंध लगाया था, तब अब कांग्रेस की सरकार ही उन्हें क्यों बुला रही है?
दारुल उलूम के पूर्व मोहतमिम मोहम्मद गुलाम रसूल वस्तानवी भी सलमान रुश्दी की यात्रा का विरोध कर रहे हैं। जमियत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि रुश्दी को बुलाना मुस्लिमों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। सरकार को मुस्लिमों की भावनाओं का खयाल रखते हुए उनका वीजा रद्द कर देना चाहिए।

अमेरिकी को सजा-ए-मौत, ईरान को धमकी

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तेहरान. अमेरिका और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ईरान की एक अदालत ने अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के लिए जासूसी करने वाले एक ईरानी मूल के अमेरिकी को मौत की सज़ा सुनाई है। इस फैसले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंचने की आशंका है।

ईरान के खुफिया विभाग के मंत्री हैदर मोसलेही ने कहा है कि ईरान के कब्जे में अभी कई अमेरिकी जासूस हैं। मोसलेही ने कहा कि पकड़े गए जासूस एक-दूसरे से सोशल नेटवर्क के जरिए संपर्क में रहते थे। मोसलेही ने कहा कि यह मार्च में होने वाले संसदीय चुनाव में खलल डालने की साजिश है।

इस बीच, ईरान ने धमकी दी है कि वह होरमूज के समुद्री रास्ते को बंद कर देगा। गौरतलब है कि दुनिया का 20 फीसदी पेट्रोलियम पदार्थ इसी रास्ते से होकर गुजरता है। ईरान ने यह धमकी तब दी जब अमेरिका ने ईरान के केंद्रीय बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन अमेरिका के रक्षा मंत्री लियॉन पेनेटा ने भी ईरान को तीखा जवाब देते हुए कहा है कि अगर ईरान ने समुद्री रास्ता बंद किया तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।

इससे पहले ईरान की रिवॉल्यूशनरी कोर्ट ने ईरानी मूल के अमेरिकी नागरिक हेकमती को दुश्मन देश के साथ सहयोग करने और सीआईए के लिए जासूसी करने के आरोप में दोषी मानते हुए मौत की सज़ा सुनाई है। ईरान के सरकारी रेडियो ने यह खबर दी है।

18 दिसंबर को हेकमती ने ईरान के सरकारी टीवी पर अमेरिका के लिए जासूसी करने की बात कुबूली थी। हेकमती को दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। उसके पास ईरान का भी पासपोर्ट है।

आमिर मीरजई हेकमती नाम के इस शख्स पर पर यह आरोप लगाया गया था कि वह ईरान के खुफिया विभाग में तीन बार घुसा था। ईरान में हेकमती पर आरोप लगाया गया था कि हेकमती को अमेरिकी नौसैनिक के तौर पर प्रशिक्षित किया गया था और वह इराक और अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य अड्डों पर ईरान आने से पहले काम कर चुका है। 28 साल के हेकमती का जन्म अमेरिका के एरिजोना में हुआ था। हेकमती के पिता का कहना है कि वह सीआईए का जासूस नहीं है। उनके मुताबिक हेकमती अपनी दादी को देखने ईरान गया था।

अप्रवासी भारतीय जो देश को सिर्फ चुग्गा खाना समझ कर चुगने आते है दर्द देकर एक मतलबी कर तरह छू हो जाते है उनका सम्मान होना चाहिए या अपमान बताइए जनाब

राजस्थान में इन दिनों राजधानी जयपुर में अप्रवासी भारतियों का मेला लगा है ..जी हाँ इन अप्रवासी भारतियों को केंद्र और राजस्थान सरकार ने अपनी मेजबानी में इन्हें माई बाप का सत्कार देकर काफी रियायतें दी है ..लोग खुश है और राजस्थान में इन लोगों को बहतरीन इज्ज़त के साथ सुविधाएँ दी गयी हैं .......... दोस्तों इन अप्रवासी भारतियों के लियें आप क्या सोचते है मुझे पता नहीं लेकिन जो लोग चंद रुपयों के लालच में अपना देश छोड़ कर अपनी प्रतिभा को विदेशों में बेच कर रुपया कमाते हैं में तो कतई ऐसे लोगों को इज्ज्ज़त के लायक नहीं समझता हम देश वासी भूख गरीबी तकलीफों के बाद भी हमारे इस देश में इस देश के निवासियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मुसीबतों से लड़ते है हम मुकाबला करते हैं लेकिन देश छोड़ कर नहीं जाते ..लेकिन कुछ लोग हैं जो रुपयों के लालच में हमारे देश में पलते हैं ..बढ़ते हैं और जब हमारे देश को इन लोगों की जरूरत होती है इनकी प्रतिभा की जरूरत होती है तो यही लोग महंगे दामों में सोदेबजी कर देश के प्रति अपनी निष्ठां अपना मान सम्मान सब नीलाम कर विदेश चले जाते हैं ...एक इंजीनियर जिसे हमारा देश इंजिनियर बनता है वोह हमारे देश में कोई चमत्कार नहीं बताता लेकिन विदेशों में जाकर चंद रुपयों के खातिर अपनी प्रतिभा विदेश में जाकर बेचता है एक डॉक्टर हमारे देश में पढ़ता है लेकिन विदेश में जाकर मरीजों का इलाज करता है एक वैज्ञानिक भी हमारे देश के साथ यही करता है और फिर व्यापारियों का तो कहना ही क्या वोह भी ऐसा ही करते हैं ....हमारा भारत देश है के इन भगोड़ों को वापस देश में लाने के लियें लालच देते हैं इन्हें कथित रूप से अप्रवासी भारतीय का दर्जा देकर भारत से जोड़े रखते हैं इन्हें रुपयों के मामले लालच दिया जाता है टेक्स की छुट दी जाती है ..शहर में रहने के लियें रियायती दरो पर जमीन देकर कोलोनियाँ बनाई जाती है इन्हें रहने खाने पीने की विशेष रियायत दी जाती है और अब राजस्थान में इनके आगमन पर इनके नाम से अप्रवासी दिवस जो रखा गया है उसे उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है राजस्थान सरकार इनकी गुलाम बन गयी है इन कथित अप्रवासियों ने देश और राजस्थान को क्या दिया यह तो पता नहीं लेकिन राजस्थान सरकार के अतिथि सत्कार और आयोजनों के अलावा विज्ञापनों में करोड़ों करोड़ रूपये खर्च हो गये है यही खर्च सरकार अगर गरीबों पर खर्च करती तो वोह सरकार का एहसान मानते लेकिन जनाब यह तो अप्रवासी है देश में फिर दाना चुगने आयेंगे देश और देश की संस्क्रती को बुरा बतायेंगे और फिर वापस विदेश में जाकर अपनी संस्क्रती को बिगाडेंगे ..इनके दिलों में अगर राजस्थानी या हिन्दुस्तानी होने का जज्बा होता तो यह यूँ देश छोड़ कर नही जाते यह तो व्यापारी है और इनका ईमान व्यापर है इसलियें यह तो बस देश और देश वासियों के साथ व्यापार करेंगे और व्यापार तो ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भी हमारे साथ क्या था अब बहु राष्ट्रिय कम्पनियां हमारे साथ व्यापार कर रही है लेकिन दोस्तों यह अप्रवासी हमारे साथ व्यापार भी कर रहे है .हम पर एहसान भी कर रहे है और हमारे देश की राजनीति पर माफिया दोन की तरह काबिज़ भी है यह हमारे देश में किसे किस पार्टी से टिकिट मिले कोन मंत्री बने कोन मुख्यमंत्री बने इसका निर्धारण भी करने लगे हैं क्योंकि हमारे देश के मंत्री और नेता विदेश में जाकर इनकी महमान नवाजी के आगे देश और देश की संस्क्रती को भूल कर सिर्फ इन्हें केसे फायदा पहुंचाया जाए इस बारे में सोचने लगते है ................ इसलियें जनाब अप्रवासी तो वोह पंछी है जो देश को सिर्फ चुग्गा खाना समझते है और यहाँ दर्द छोड़ कर सिर्फ दर्द देकर ही जाते है आपका क्या कहना है जनाब ..... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कभी भी वक्त का इंतजार नहीं करना चाहिए क्योंकि....

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नारदजी कहते हैं कि उसे एक क्षण भी व्यर्थ नष्ट नहीं करना चाहिए। भक्त के जीवन में एक-एक क्षण का भी महत्व होता है। भक्त समय की कीमत जानता है। यह उसके भौतिक सुविधाओं की बहुमूल्य निधि है, जिसका उपयोग वह भक्ति के प्रति करता है। वह यह भी समझता है कि जो क्षण बीत गया, उसे कोई भी कीमत देकर भी वापस नहीं लाया जा सकता। इसलिए वह एक-एक क्षण का उपयोग भजन करने के प्रति ही करता है। यदि कोई भक्त ऐसा नहीं करता है तो उसे करना चाहिए, क्योंकि शुभ समय की केवल बाट ही देखते रहना, कुछ साधन नहीं करना यह कोई प्रतीक्षा नहीं है।

मनुष्य का जीवन अत्यंत अनिश्चित है, कितना समय उसके पास है, कहा नहीं जा सकता। अत: उसका एक-एक पल महत्वपूर्ण है। कार्य बहुत बड़ा है। इतना बड़ा कि अनेकों जन्मों की तपस्या एवं निरंतर साधना से भी पूर्ण हो पाएगा कि नहीं, कहा नहीं जा सकता। फिर भी यह सोचते रहना कि अमुक काम पूर्ण हो जाए, अमुक परिस्थिति आ जाए तो भजन करूंगा। अपने आप को धोखा देना तथा समय नष्ट करना है।

एक और महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि आज हम अच्छे सात्विक भगवद् भक्तों की संगत में हैं जिससे हमारे मन में भी प्रभु को प्राप्त करने के लिए परम-प्रेम-रूपा भक्ति जाग्रत करने की शुभ इच्छा जाग्रत है। किन्तु, यदि हम विचार ही करते रह गए, भजन कुछ किया नहीं, केवल अनुकूल समय का रास्ता ही देखा। जब अनुकूल समय प्राप्त हुआ तो हमारे मन का विचार ही बदल गया। इसलिए उत्तम यही है कि जो भी परिस्थितियां प्राप्त हों तथा जो भी समय उपलब्ध हो एवं जो कुछ आपके पास सुविधाएं हों, उनमें जैसा भी, जितना भी भजन सम्भव हो आरंभ कर दो। यह नियम जाग्रति से पूर्व एवं पश्चात दोनों अवस्थाओं में लागू होता है।

विशेषकर भजन का स्वभाव तथा भक्ति जाग्रति का उपर्युक्त समय युवावस्था ही होता है। बुढ़ापे में जब मन का स्वभाव पक जाता है, इन्द्रियों में शिथिलता आ जाती है, उठा-बैठा भी नहीं जाता, तब क्या साधन-भजन होगा। हां, यदि युवावस्था में ही ऐसा स्वभाव तथा परिस्थितियां बन जाएं तो बुढ़ापे में भी क्रम चलता रह सकता है। अत: आधा क्षण बिगाड़े बिना भी साधन में जुट जाओ। आयु तो देखते ही देखते निकली जा रही है। दिन पर दिन तथा रातों पर रातें व्यतीत होती जा रही हैं। सूर्य उदय होता है, सायं को ढल जाता है। यह क्रम घड़ीभर के लिए भी नहीं ठहरता। इसी के साथ व्यतीत हो जाता है मनुष्य का जीवन भी। सुविधा पूर्वक तथा अनुकूल समय का भजन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए प्रतीक्षा करना उचित नहीं।

शिव पूरी करे श्रीकृष्ण की तरह इंसान की भी ये 16 इच्छाएं!


भक्ति प्रेम, समर्पण और त्याग का ही रूप है। धार्मिक आस्था है कि जब ऐसी भक्ति से ईश्वर को याद किया जाता है, तो ईश्वर भी उस प्रेम के वशीभूत हो दृश्य या अदृश्य रूप से भक्त पर कृपा करते हैं।

भक्ति से कामनापूर्ति की बात हो तो भगवान शिव की भक्ति सबसे आसान और जल्द मुरादें पूरी करने वाली मानी जाती है। इसलिए भगवान शिव को भक्त आशुतोष, ओढरदानी या भोलेनाथ भी पुकारते हैं। पौराणिक प्रसंग बताते हैं कि शिव भक्ति से दानव, मानव ही नहीं बल्कि देवताओं ने भी अपने मनोरथ पूरे किए।

इसी कड़ी में महाभारत के मुताबिक भगवान शिव ने स्वयं कहा है - श्री कृष्ण मेरी भक्ति करते हैं, इसलिए मुझे श्रीकृष्ण सबसे प्रिय है। भगवान श्रीकृष्ण ने शिव की उपासना शिव के हजार नामों के उच्चारण और बिल्वपत्रों को अर्पित कर सात माह तक कठोर तप के साथ की। महाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि श्रीकृष्ण ने शिव की भक्ति से 16 कामनाओं को पूरा किया।

जानिए श्री कृष्ण की ही ये 16 मुरादें और इंसानी जीवन के नजरिए से इन इन इच्छाओं के मायने। जिनको हर इंसान शिव भक्ति द्वारा पूरा करने का प्रयास करें -

- धर्म में मेरी दृढ़ता रहे यानी सत्य, प्रेम परोपकार जैसा धर्म पालन।

- युद्ध में शत्रुघात यानी विरोधियों और जीवन के संघर्ष में विपरीत हालात पर काबू पा लेना।

- जगत में उत्तम यश यानी प्रसिद्धि, सम्मान,

- परम बल यानी हर तरह से शक्ति संपन्न

- योग बल यानी संयम और संतोष

- सर्व प्रियता यानी सबसे मधुर संबंध और व्यवहार

- शिव का सानिध्य यानी भगवान, धर्म और कर्म से जुड़े रहना।

- दस हजार पुत्र यानी संतान और कुटुंब सुख

- ब्राह्मणों में कोपाभाव यानी पवित्रता और शुचिता प्राप्त हो।

- पिता की प्रसन्नता यानी पिता का प्रेम और आशीर्वाद

- सैकड़ों पुत्र यानी दाम्पत्य सुख

- उत्कृष्ट वैभव योग यानी सुख-समृद्धि

- कुल में प्रीति यानी परिवार और संबंधियों में मेलजोल

- माता का प्रसाद या अनुग्रह यानी माता से प्रेम और आशीर्वाद

- शम प्राप्ति यानी हर तरह से शांति मिलना

- दक्षता यानी कार्य कुशलता या हुनरमंद होना।

आग के अक्षर उगलने वाले स्वतन्त्रता सेनानी राष्ट्रिय कवि पत्रकार भाई अजीत मधुकर आज मोन हो गये

आग के अक्षर उगलने वाले स्वतन्त्रता सेनानी राष्ट्रिय कवि पत्रकार भाई अजीत मधुकर आज मोन हो गये उनके आग के अक्षर उनके शरीर के साथ पंच तत्व में विलीन हो गये लेकिन जो अक्षर उन्होंने कोटा के लोगों के दिल और दिमाग पर छाप दिए हैं वोह यादों के पटल पर आज भी जीवंत साँसें ले रहे है .......दोस्तों अजीत मधुकर कोटा के पत्रकार और स्वतन्त्रता सेनानी की तरह एक अपनी सादगी की पहचान रखते थे कभी उन्होंने झुकना नहीं सिक्ख बिकना तो दूर की बात वोह रोज़ सुबह एक थेला लियें सडकों पर पैदल या फिर अपनी चिर परिचित साइकल से निकल पढ़ते थे उनके ठेले में उनके खुद की कलम से लिखा अख़बार आग के अक्षर होता था जो सरकार की काली करतूतों को उजागर करने का काम कर रहा था .....वोह एक ऐसे कवि थे जिनके हर अलफ़ाज़ में दिल की धडकन थी ..कोटा प्रेस क्लब के सदस्य बाही अजित सिंह मधुकर की बुलंद आवाज़ निर्भीकता और सच्चाई के सभी कायल रहे है एक अकेला अख़बार जो आज़ादी की लड़ाई में शामिल रहा ..और देश के आज़ाद होने के बाद भी उस अख़बार ने कभी सरकार से कोई मान्यता नहीं ली कभी सरकार से कोई विज्ञापन नहीं लिया बस सरकार को सूधारने सरकार की गलतियाँ पकड़ कर सरकार के कान उमेठने का काम उन्होंने किया है ..हाल ही में उनकी एक पुस्तक जिसमे जीवंत कविताएँ थीं उनका विमोचन करवाने के लियें प्रेस क्लब कोटा में निमन्त्रण दिया गया था लेकिन अचानक उनकी तबियत खराब हुई उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया और कल रात्रि काल के इन क्रूर हाथों ने उन्हें हमसे छीन लिया .आज कोटा छावनी स्थित श्मशान में सभी पत्रकारों साहित्यकारों ने उन्हें अश्रुपूर्ण विदाई दी ....सच की लड़ाई में खुद को हवन करने वाले इस योद्धा की आखरी विदाई ने लोगों को सच की लड़ाई से तोबा तो करवा दी हे लेकिन एक सबक भी दिया है के बेदाग़ न्रिभिकता का जीवन अगर जिया जाए तो ऐसे शख्स को कभी किसी के आगे नतमस्तक नहीं होना पढ़ता वोह शेर की तरह से दहाड़ता है और शेर की तरह से ही अकेले सडक पर मदमस्त होकर चलता है जमाना उससे होता है वोह जमाने से नहीं ............ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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उद्योग बैंकिंग
स्थान Mumbai, भारत
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परिचय BSc.(Chem) Retired Banker(Branch Manager),ब्यूरो चीफ देश की मर्यादा( HW) , ब्यूरो चीफ सना न्यूज़ मुंबई, उनका जो फ़र्ज़ है वो अहले सियासत जानें मेरा पैग़ाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचे.'जिगर मुरादाबादी/ ब्लोगेर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है, इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिस से इंसानियत आप पे गर्व करे / यदि आप की कलम मैं ताक़त है तो इसका इस्तेमाल जनहित मैं करें.
रुचि पढना, घूमना फिरना, फोटोग्राफी, कविता, हास्य-व्यंग
पसंदीदा मूवी्स Carwan of Pride, Imam e Reza (a.s), Ten Comandments, Gandhi
पसंदीदा संगीत यदि आप की कलम मैं ताक़त है तो इसका इस्तेमाल जनहित मैं करें.
पसंदीदा पुस्तकें कुरान, हाउ तू विन् फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएंस पीपल बाई डेल कार्नेगी, नहजुल बलागा
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