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13 जनवरी 2012

माहिर आज़ाद ने निर्दोषों को फंसने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ संज्ञान लिया और पीड़ितों को मुआवजा देने की सिफारिश की

Mohd Mahir Azadराजस्थान सरकार में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जनाब मोहम्मद माहिर आज़ाद की रिपोर्ट अगर राजस्थान सरकार मान ले तो आम आदमी को झूंठे मुकदमों में फंसा कर उनका जीवन बर्बाद करने वाले पुलिस कर्मियों को सख्त सज़ा मिल सकेगी और पीड़ित परिवार वालों के जख्मों पर मुआवज़े का मरहम लग सकेगा ....मोहम्मद माहिर आज़ाद पिछले तीन कार्यकाले में दबंग राजस्थान विधान सभा में विधायक की भूमिका निभा चुके है ..वोह इन दिनों अल्प संख्यक आयोग में मंत्री दर्जा लेकर मुस्लिम और सभी अल्पसंख्यक जातियों के उत्थान और सुरक्षा को लेकर चिंतित है ..........जयपुर में उनसे मुलाक़ात के दोरान उन्होंने राजस्थान में अल्पसंख्यकों की वर्तमान स्थिति पर काफी चिंता ज़ाहिर की वेसे तो वोह पुरे राजस्थान में घूम घूम कर जिला स्तर पर जनसुनवाई कार्यक्रमों में काफी हद तक अल्पसंख्यकों के अटके कामों के लियें प्रशासन को लताड़ पिला रहे है ........मोहम्मद माहिर आज़ाद ने कोटा के जिन निर्दोष लोगों को सीम्मी संगठन का सदस्य बता कर आतंकवादी बताया था और कोटा की जनता के सामने उनकी और उनके परिवार की छवि धूमिल की थी जिन लोगों ने अपने ढाई तीन साल से भी अधिक समय को जेल की काल कोठरी में गुज़ारा है उन लोगों की पीड़ा को सुना समझा और प्रारम्भिक तोर पर यही मन के अदालत ने जिन ग्यारह लोगों को निर्दोष करार दिया है उससे पुलिस की भूमिका संदिग्ध और इन लोगों को झुन्ठा फंसाने वाली है ॥ माहिर आज़ाद ने इस मामले में अल्पसंख्यक आयोग के अपने संवेधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए स्वत प्रसंज्ञान लिया और इस मामले में निर्दोषों को फंसाने वाले पुलिस अधिकारीयों को नोटिस जारी किया है ..इतना ही नहीं माहिर आज़ाद ने आंध्र प्रदेश की तर्ज़ पर ऐसे पीड़ित लोगों को क्षतिपूर्ति के रूप में उनको आर्थिक सम्बल प्राप्त करने के लियें मुआवजा देने की सिफारिश भी की है ..फिलहाल तो सरकार के पास माहिर आज़ाद की यह सिफारिशें ठंडे बसते में बंद है लेकिन सब जानते है के माहिर आज़ाद जो कहते है वोह करते है और जब यह दहाड़ते है तो दोषियों के रोंगटे खड़े हो जाते है ..माहिर आज़ाद की इस कार्यवाही से निर्दोष मुस्लिमों को झूंठे मुकदमों में फंसा कर प्रेषण करने वाले पुलिस कर्मियों में हडकम्प मचा हुआ है और सरकार भी इस मामले में स्तब्ध है क्योंकि सिम्मी के नाम पर कोटा के मुसलमानों को जब पकड़ा गया था तो राजस्थान में भाजपा का शासन था और सरकार जाने के पहले ही राजस्थान के गृहमंत्री गुलाम कटारिया और वसुंधरा सिंधिया ने इन लोगों को निर्दोष बताया था ..खुद कोंग्रेस के नेताओं ने भी चुनाव के दोरान जेल में बंद लोगों को निर्दोष मानकर सार्वजनिक रूप से वायदे किये थे के अगर कोंग्रेस सरकार आती है तो सभी के साथ न्याय होगा लेकिन कोटा के मुसलमान इस वायदे को लेकर निर्दोष लोगों को जेल से रिहा करने के लियें संघर्ष करते रहे लेकिन सियासत के अलावा उनके दुक्ख दर्द पर कुछ नहीं हो सका ..सभी लोग जेल में तड़पते रहे उनके परिजन दर दर भटकते रहे आंसू बहाते रहे लेकिन सब बेकार रहा इन पीड़ित और उनके परिजनों को माहिर आज़ाद की इस सिफारिश के बाद उम्मीद की एक किरण नज़र आई है और खुदा से दुआ है के माहिर आजाद की इस रिपोर्ट को राजस्थान सरकार स्वीकार कर ले निर्दोषों को फंसाने वाले दोषी पुलिस कर्मियों को सज़ा मिले और पीड़ितों को मुआवजा मिले ................. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हनुमानजी से सीखें कम समय में कैसे प्राप्त करें मुश्किल लक्ष्य...


व्यवसायिक जीवन का सबसे बड़ा सच है कि हमें व्यवहारिक होना पड़ता है। व्यवसाय भावनाओं से नहीं किया जा सकता। हम काम-धंधे में जितने भावुक होंगे, सफलता उतनी ही देरी से मिलेगी। अक्सर लोगों के साथ होता यही है, वे जैसे ही अपनी मंजिल की ओर निकलते हैं, बाधाएं उन्हें रोकने लगती हैं। सबसे पहले अपनों की ही रोक-टोक से बाधाओं का सिलसिला शुरू होता है। अपने भले ही हमें हमारे हित के लिए ही रोकते हैं लेकिन अगर रुक गए एक बात हमेशा याद रखें कि सफलता किसी के लिए नहीं ठहरती।

जब भी हम किसी अभियान के लिए निकलते हैं तो सबसे पहले हमारे प्रिय लोग ही हमें देखकर प्रेमवश रोकते है, थोड़ा आराम करने की सलाह देते हैं। अक्सर लोग अपनों की बातों में ही आकर अपने अभियान में ढीले पड़ जाते हैं। फिर लक्ष्य नहीं पाया जा सकता क्योंकि वक्त तो गुजर ही रहा है। थोड़ा सा विश्राम भी मन में कई तरह के विचार ले आता है, व्यक्ति लक्ष्य से हट भी सकता है। कई लोग सिर्फ इसीलिए सफल नहीं हो पाते हैं क्योंकि वे अपने लक्ष्य के पहले ही थक कर आराम करने बैठ जाते हैं। एक बार आराम किया, तो शरीर और मन दोनों थोड़ी-थोड़ी दूरी पर आराम की मांग करने लगते हैं।

अभ्यास कीजिए, लगातार अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढऩे का। जब तक मंजिल ना मिल जाए, विश्राम ना करें। अपने स्वभाव में इस व्यवहारिक गुण को बैठा लें। हमें अपनों को इंकार करना भी आना चाहिए। कई बार सिर्फ लोगों की बात रखने के लिए ही हम अपने काम में थोड़ा ठहराव ले आते हैं। संभव है क्षणभर का यह ठहराव भी आपको भारी पड़ जाए।

हनुमान से सीखिए, कैसे लक्ष्य तक बिना रुके पहुंचा जाए। रामचरित मानस के सुंदरकांड में चलते हैं। जामवंत से प्रेरित हनुमान पूरे वेग से समुद्र लांघने के लिए चल पड़े हैं। समुद्र के दूसरे छोर पर बसी रावण की नगरी लंका में सीता की खोज करने के लिए हनुमान पूरी ताकत से जुट गए हैं। लक्ष्य बहुत मुश्किल है और समय भी कम। हनुमान तेजी से आकाश में उड़ रहे हैं। तभी समुद्र ने सोचा कि हनुमान बहुत लंबी यात्रा पर निकले हैं, थक गए होंगे, उसने अपने भीतर रह रहे मैनाक पर्वत को कहा कि तुम हनुमान को विश्राम दो।

मैनाक तुरंत उठा, उसने हनुमान से कहा कि हनुमान तुम थक गए होंगे, थोड़ी देर मुझ पर विश्राम कर लो, मुझ पर लगे पेड़ों से स्वादिष्ट फल खा लो। हनुमान ने मैनाक के निमंत्रण का मान रखते हुए सिर्फ उसे छूभर लिया। और कहा कि राम काज किन्हें बिना मोहि कहां विश्राम। रामजी का काम किए बगैर मैं विश्राम नहीं कर सकता। मैनाक का मान भी रह गया। हनुमान आगे चल दिए। रुके नहीं, लक्ष्य नहीं भूले।

पति-पत्नी ध्यान रखें ये दो जरूरी बातें, तभी मिलेगा सुख

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अगर हम ये मानें कि गृहस्थी एक वृक्ष है तो इसके फल क्या हैं। गृहस्थी के वृक्ष के दो ही फल हो सकते हैं संतुष्टि और शांति। अगर दाम्पत्य में ये दोनों फल नहीं हैं तो गृहस्थी बंजर है। ये दो फल ही तय करते हैं कि आपका दाम्पत्य कितना सफल है।

जिस घर में संतुष्टि और शांति नहीं हो, वो असफल है। परिवार के वृक्ष पर ये फल तब ही लगेंगे, जब जड़ें गहरी और मजबूत होंगी। जड़ों में जब पर्याप्त जल और खाद डाली जाती है, तब वृक्ष फलता-फूलता है। यही प्राकृतिक समीकरण गृहस्थी पर भी लागू होता है। जैसे वृक्ष हमसे मांगते कम हैं और हमें देते ज्यादा हैं, यही सिद्धांत जब परिवार के सदस्यों में उतरता है तो गृहस्थी यहीं वैकुंठ बन जाती है। समर्पण का भाव जितना अधिक होगा, देने की वृत्ति उतनी ही प्रबल होगी।

स्त्री और पुरुष दोनों के धर्म का मूल स्रोत समर्पण में है। इस प्रवृत्ति को अधिकार द्वारा लोग समाप्त कर लेते हैं। घर-परिवार में हम जितना अधिक अधिकार बताएंगे, विघटन उतना अधिक बढ़ जाएगा। प्रेम गायब हो जाएगा और भोग घरभर में फैल जाएगा। एक-दूसरे को सुख पहुंचाने, प्रसन्न रखने के इरादे खत्म होने लगते हैं और मेरे लिए ही सबकुछ किया जाए, यह विचार प्रधान बन जाता है। स्वच्छंदता यहीं से शुरू होती है, जो परिवार के अनुशासन को लील लेती है।

भागवत में चलते हैं, ऋषि कश्यप और दिति के दाम्पत्य में। ऋषि कश्यप की कई पत्नियां थी, वे सभी बहनें थी और प्रजापति दक्ष की पुत्रियां थी। धरती के सारे जीव, देवता और दानव इन्हीं की संतानें मानी जाती हैं। अदिति से सारे देवताओं का जन्म हुआ, जबकि दिति से दानवों का। पिता एक ही है लेकिन संतानें एकदम अलग-अलग। सिर्फ दाम्पत्य में संतुष्टि और शांति का फर्क है। अदिति और कश्यम के दाम्पत्य में ये दोनों बातें थीं लेकिन दिति ने अपने भोग और वासना के आगे, शांति और संतुष्टि दोनों को त्याग दिया।

जिस समय ऋषि कश्यप संध्या-पूजन के लिए जा रहे थे, दिति ने कामवश होकर उसी समय उनसे रतिदान मांग लिया। देव पूजन के समय भी संयम नहीं बरता गया। कश्यम ने पत्नी की इच्छा तो पूरी कर दी लेकिन उसे ये भी बता दिया इस रतिदान से जो संतानें उत्पन्न होंगी वे सब दुराचारी होंगी।

गृहस्थी में वासना और देह ही सब कुछ नहीं होते। इसमें संतुष्टि और अनुशासन को भी स्थान देना होता है।

सर्दी स्पेशल: घी-बादाम के इस प्रयोग से याददाश्त हो जाएगी तीन-गुना



अच्छा व नियमित खान-पान न होना भी याददाश्त कमजोर होने का बड़ा कारण है। इसीलिए लोग ठंड में घी और बादाम का सेवन करते हैं। लेकिन अगर घी व बादाम का सेवन आयुर्वेदिक तरीके से किया जाए तो किसी की भी याददाश्त तीन गुना बढ़ सकती है।

कैसे बनाएं बादाम घृत- बादाम का छिलका रहित गिरी और नारियल की गिरी 50-50 ग्राम खसखस व मगज 70-70 ग्राम, खरबूजे की गिरी 5 ग्राम, चिरौंजी 5 ग्राम और पिस्ता 5 ग्राम इन सबको कूट पीसकर रखें। फिर 400 ग्राम घी लालिमायुक्त होने तक गर्म करें और उक्त मिश्रण को डाल दें। तब घी का रंग बदलने लगे तब नीचे उतारकर छानकर सुरक्षित रखें।

इस प्रकार तैयार इस घृत बादाम को दूध में मिलाकर सेवन करें। मस्तिष्क और तलुवों पर इस घी की मालिश भी उपयोगी है। इस घी के उपरोक्त प्रकार सेवन से दिमाग की निर्बलता, शुष्कता , आंखो की ज्योति बढ़ती है व मानसिक कार्य करने वालों के लिए बादाम घृत बहुत अधिक लाभदायक है।

नोट- घी को छानने के बाद शेष पदार्थ को आटे में भूनकर मिलाकर और थोड़ी चीनी डालकर पंजीरी बनाकर सुबह नाश्ते के रुप में सेवन करें। बहुत उत्तम रहेगा।

पंचायत का तालिबानी फरमान, बाल काटा और मारे पांच-पांच जूते

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सरूरपुर/मेरठ।खिवाई गांव से दो माह पूर्व युवती को भगा ले जाने के मामले में आरोपियों के खिलाफ पंचायत ने तुगलकी फरमान जारी किया है। पंचायत में आरोपियों के सिर के बाल काटने के साथ ही पांच-पांच जूते मार फैसला कर दिया गया। पंचायत का यह फैसला आसपास के क्षेत्र में भी चर्चा का विषय बना है। हालांकि पुलिस ने ऐसी किसी जानकारी से इंकार किया है। वहीं ग्राम प्रधान ने मामले की पुष्टि की है।

खिवाई गांव में बुधवार देर रात हुई पंचायत में अजीबोगरीब फैसला हुआ। दरअसल, गांव से दो माह पूर्व एक युवती गांव से संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गई थी। जिसमें परिजनों ने गांव के युवकों के साथ भामौरी गांव (सरधना थाना क्षेत्र) के युवकों के खिलाफ चौकी में तहरीर दी थी।

दबाव बढ़ता देख युवती कुछ दिन बाद गांव लौट आई थी, मगर दोनों पक्षों में रंजिश बनी थी। ग्रामीणों की मानें तो दोनों ओर से कई बार समझौते के प्रयास भी किये गए, मगर बात नहीं बनी। इसी मामले को लेकर बुधवार की देर रात गांव में एक पंचायत हुई, जिसमें दोनों ओर से दो दर्जन से अधिक लोग मौजूद थे।

चुने गए पंचों ने आरोपी युवकों के सिर के बाल काटकर उन्हें पांच-पांच जूते मारने का फरमान जारी कर दिया। जिस पर पीडि़त पक्ष भी राजी हो गया। आरोपी युवकों के सिर के बाल काट कर उन्हें पंचायत में पांच-पांच जूते मार कर सजा दी गई।

पंचायत का यह फैसला गांव में ही नहीं, आस-पास के क्षेत्र में भी चर्चा का विषय बना है। वहीं पुलिस ने भी मामले की जानकारी से इंकार किया है। हालांकि ग्राम प्रधान सलमूद्दीन ने गांव में पंचायत होने और उसमें तुगलकी फरमान सुनाए जाने की पुष्टि की है।

एक डोर से एक साथ बाबू खान उड़ाता है सौ पतंग



आंख बरेली शहर में खोली, जहां पतंग की आसमान से कुछ ज्यादा ही दोस्ती है। इस शहर का मांझा तो देश की हर जगह पर जाता है। जब बहुत छोटा था तो आसमान में इन पतंगों की कलाबाजियां देखा करता था। कभी सबसे आगे निकलने की होड़ तो कभी आसमानी बिसात पर हार और जीत का दिलचस्प खेल।

और न जाने कब मैंने पतंग उड़ाना भी सीख लिया। बहुत छोटा था तभी मां-बाप गुजर गए और दो वक्त की रोटी के जुगाड़ के लिए पड़ोस में रहने वाले साहबजादे मियां की दुकान पर पतंगें बनाने लगा। कह सकता हूं कि साहबजादे मियां ही मेरे उस्ताद थे। हालांकि उन्होंने मुझे पतंगबाजी करना नहीं सिखाया, लेकिन पतंग बनाने का हुनर तो दिया ही है।

बरेली की जिस दुकान पर मैं काम करता था, वहां अलग-अलग शहरों से लोग आते थे। ऐसे ही एक बार जयपुर से कोई व्यापारी आया और मुझे अपने साथ जयपुर ले आया। आज तो सत्तर साल का हो चला हूं। जब जयपुर आया था उस वक्त उम्र सोलह के करीब थी। यहां आने के बाद तो किस्मत ने भी मेरा हाथ पकड़ लिया।

पहली बार मैंने अहमदाबाद के पतंगोत्सव में हिस्सा लिया। उसके बाद लगातार छह साल अच्छी पतंग बनाने के लिए फर्स्ट प्राइज भी मिला। मैंने उस वक्त कागज की कतरन से पतंग बनाई थी। ऐसे ही कागज की कतरनों से दिलीप कुमार साहब, ज्योति बसु और जयपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह की फोटो वाली पतंगें भी बनाई हैं। दिलीप साहब ने मुझे इस पतंग के लिए एक तारीफाना खत भी लिखा था।

पतंगोत्सव की बात की जाए तो मैं फ्रांस, कनाडा, ताइवान, हांगकांग और भारत में लगभग हर जगह पतंगोत्सव में हिस्सा ले चुका हूं। हां, एक डोर से एकसाथ सौ पतंगें उड़ाने का हुनर तो बस खुदा की देन है। पिछले दस सालों से मैं इस तरह से पतंग उड़ा रहा हूं। चार साल पहले गोवा में हुए फेस्टिवल में मैंने एक डोर से पांच सौ पतंगें उड़ाई थीं।

अब बूढ़ा हो चला हूं। हौसला तो वही है, लेकिन तबीयत साथ नहीं देती। अब बाहर होने वाली प्रदर्शनियों और उत्सवों में कम ही जा पाता हूं, लेकिन शहर में होने वाले आयोजनों के लिए हर वक्त तैयार हूं। अपनी विरासत आगे सौंपना चाहता हूं। मेरे दोनों बेटे फिरोज और फरीद भी पतंगबाजी में हैं। पोतों को भी सिखा रहा हूं।

भारत में सबसे अजीबो-गरीब है यह 'सब्जी मंड़ी'


श्रीनगर. क्या आपने कभी ऐसे बाजार से खरीददारी की है, जहां आपको नावों की मदद लेनी पड़ती हो। क्या कभी आपने ऐसी मंडी के बारे में सुना है, जो पानी के ऊपर लगती है।

कश्मीर की राजधानी श्रीनगर की डल झील के बारे में आपने खूब सुना होगा, जो अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यहां सब्जी खरीदने के लिए नाव की मदद से झील पर लगी सब्जी मंडी पर जाना होगा।


यह अजीबो-गरीब सब्जी मंडी श्रीनगर की थोक सब्जी मंडी है, जो तड़के सुबह खुलती है, वो भी 5 से 7 बजे तक। सभी दुकानदार अपनी-अपनी कश्तियों पर सब्जियां लादकर यहां बेचने आते हैं। सिर्फ दो घंटे के अंतराल में ही सारी ताजी सब्जी बिक जाती है और श्रीनगर के बाजारों में बिकने के लिए पहुंच जाती है।

इतना ही नहीं खरीददारों से ज्यादा यहां देश-विदेश से आए सैलानियों की भीड़ लगती है, जो बस इस सब्जी मंडी को कैमरे में कैद करने के लिए आते हैं और देखने आते हैं कि झील के ऊपर लगने वाली मंडी का व्यापार कैसे होता है।

सोशल साइटों पर अब अराजकता फेलाई तो जेल जाने के लियें तय्यार रहे लोग

जी हाँ दोस्तों देश के अमन पसंद लोगों के लियें एक खुश खबरी है अब हमारे इस शांत प्रिय देश में सोशल साईट के नाम पर कोई किसी को अकारण ही अभद्रता कर गाली नहीं दे सकेगा और अगर ऐसी गाली दी गयी तो उस सोशल साईट के खातेदार की खेर नहीं यदि ऐसी सामग्री का प्रकाशन हुआ तो सोशल साइट्स को भी नहीं बख्सा जाएगा .......दोस्तों आपको ध्यान होगा के इस लड़ाई में में शुरू से आप लोगों के साथ रहा हूँ एक वकील एक पत्रकार और एक समाज सेवक होने के नाते मेरे लियें यह एक दर्द भरी दास्ताँ थी के मेरे इस कानून के राज वाले देश में विदेशों में बेठे लोग यहाँ की संस्क्रती यहाँ की सुक्ख शांति बिगड़ने के लियें योजना बद्ध तरीके से काम कर रहे थे और हमारे देश के कुछ अपराधी लोग इसमें शामिल होकर एक दुसरे के धर्मों को आह़त कर भावनाए भड़का रहे थे तो एक दुसरे की पार्टी और नेताओं की नग्न तस्वीरें पेश कर खिल्ली उड़ा रहे थे पहले तो कई बार मन करता था के सोशल साईट और ब्लॉग बंद कर दूँ लेकिन मेने साबर क्राइम कानून के तहत इस मामले में माननीय राष्ट्रपति महोदय को शिकायत की जिसे दर्ज कर आवश्यक निर्देश केंद्र सकरार को जारी किये गये मेरी इस कार्यवाही को खुद कोंग्रेस के संसद और महासचिव राहुल गाँधी ने सराहा और मुझे धन्यवाद पत्र भी भेजा ..दोस्तों देश के ९९ फीसदी लोग सोशल साइटों के नाम पर नग्नता और नफरत फेलाने वालों के खिलाफ है केवल एक प्रतिशत लोग इस गंदगी को फेला रहे है ऐसे में उन्हें सजा तो मिलना ही चाहिए और फिर इस देश में किसी को भी किसी अन्य व्यक्ति ..धर्म ..पार्टी को गली देने का अधिकार देकर यहाँ जंगल राज की अराजकता पैदा नहीं की जा सकती इसलियें मेरे इस देश में मानवीय धर्म के तहत सोशल साइटों पर गेर कानूनी कामों के लियें रोक लगी है और अच्छे लेखन और अच्छे विचार का तो यहाँ हमेशा स्वागत रहा है यह साइटें प्यार बाँटने दुक्ख दर्द बाँटने विचार बांटने के लियें है किसी को अपमानित करने नफरत फेलाने या गाली देने के लियें नहीं है .......दोस्तों लेकिन कुछ लोग ढीठ होते है देश में अभी भी कई लोग फर्जी आई डी से यह अपराध कर रहे है लेकिन जब भी वोह कानून के जाल में फंसे तो बस उनका जीवन बर्बाद हो जायेगा इसका अहसास अगर उन्हें पहले ही हो जाये तो वोह अपनी भूल सुधार कर अपने जीवन को बर्बाद होने से बचा सकते है एक व्यक्ति के जीवन को तो हमारे कोटा की पुलिस ने मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं कर अभयदान दे रखा है लेकिन आप जानते है के जब पुलिस के अधिकारीयों के खिलाफ इस लापरवाही मामले में गाज गिरेगी तो उन्हें भी कोई वकील ही बचाने आगे आएगा ..तो दोस्तों अभी हमारी जीत नहीं हुई है अभी इन साइटों पर गंदे लोगों को चुन चुन कर पहले समझाना है और अगर नहीं समझे तो फिर इन्हें जेल भिजवाना है तब ही हमारा और आप अमन पसंद साथियों का लक्ष्य पूरा हो सकेगा ......................
पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार को फेसबुक, गूगल और यू-ट्यूब जैसी कई विदेशी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स और अन्य पोर्टलों को आपराधिक मामले में समन जारी किया। इन साइटों पर आपत्तिजनक सामग्री को स्थान देने का आरोप है। इन्हें 13 मार्च को अदालत में हाजिर होने को कहा गया है।


सरकार ने इन कंपनियों के खिलाफ मुकदमे की स्वीकृति दे दी है। इन कंपनियों को समन विदेश मंत्रालय के जरिए भेजा जाएगा। शुक्रवार को ही फेसबुक, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और याहू इंडिया ने दिल्ली की निचली अदालत से यह कहते हुए राहत मांगी थी कि यह मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है।

फेसबुक इंडिया के वकील ने अदालत से कहा, 'इस मामले में पार्टी बनाई गई 21 कंपनियों में से 10 कंपनि‍यां विदेशी हैं। ऐसे में कोर्ट को समन तामील कराने का तरीका बताना चाहिए।' विनय राय ने इन कंपनियों पर आपत्तिजनक सामग्री को स्थान देने के आरोप में आपराधिक मामला दायर किया है। दिल्ली के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 मार्च को होगी, लेकिन कोर्ट ने सरकार से इस मामले में आज ही जवाब दाखिल करने को कहा है।

केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय आज शाम तक हलफनामा दायर करेगा। निचली अदालत ने वेबसाइट्स पर आपत्तिजनक सामग्री के मामले में समन किया है। इससे पहले कल दिल्ली हाईकोर्ट ने गूगल और फेसबुक को चेतावनी देते हुए कहा कि था कि अगर उन्होंने अपने वेब पेज से आपत्तिजनक सामग्री हटाने के लिए कदम नहीं उठाए तो अदालत उन्हें ब्लॉक करने का आदेश दे सकती है।
गूगल इंडिया और फेसबुक की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस सुरेश कैट ने गुरुवार को अपनी मौखिक टिप्पणी में नेटवर्किंग साइट्स से कहा था कि अगर आपने आपत्तिजनक सामग्री को चेक करने और उसे हटाने के लिए तरीके नहीं बनाए, तो चीन की तरह यहां भी ऐसी वेबसाइट्स को ब्लॉक किया जा सकता है।

पतंग हमें परवाज का सबक सिखाती है

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आकाश में तैरती रंग-बिरंगी पतंगें भला किसे अच्छी नहीं लगतीं? एक डोर से बंधी हवा में हिचकोले खाती पतंग कई अर्थो में हमें अनुशासन सिखाती है। जरा उसकी हरकतों पर ध्यान तो दीजिए, समझ जाएंगे कि मात्र एक डोर से वह किस तरह से हमें अनुशासन सिखाती है।

अनुशासन कई लोगों को एक बंधन लग सकता है। सच यह है कि यह अपने आप में एक मुक्त व्यवस्था है, जो जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए अतिआवश्यक है। बरसों बाद जब मां अपने बेटे से मिलती है, तब उसे वह कसकर अपनी बांहों में भींच लेती है। क्या थोड़े ही पलों का वह बंधन सचमुच बंधन है? क्या आप बार-बार इस बंधन में नहीं बंधना चाहेंगे? यहां यह कहा जा सकता है कि कितना सुख है बंधन में! यही है अनुशासन।

अनुशासन को यदि दूसरे ढंग से समझना हो, तो हमारे सामने पतंग का उदाहरण है। पतंग काफी ऊपर होती है, डोर ही होती है, जो उसे संभालती है। कभी पतंग को आपने आकाश में मुक्त रूप से उड़ान भरते देखा है! क्या कभी सोचा है कि इससे जीवन जीने की कला सीखी जा सकती है। पतंग का यह त्योहार अपनी संस्कृति की विशेषता ही नहीं, वरन आदर्श व्यक्तित्व का संदेश भी देता है। आइए जानें पतंग से जीवन जीने की कला किस तरह सीखी जा सकती है। पतंग का आशय है अपार संतुलन, नियमबद्ध नियंत्रण, सफल होने की ललक और हालात के अनुकूल होने की अद्भुत जिजीविषा। वास्तव में तीव्र स्पर्धा के इस युग में पतंग जैसा व्यक्तित्व ही उपयोगी साबित हो सकता है।

पतंग मुक्त आकाश में विचरने की मानव की सुषुप्त इच्छाओं की प्रतीक है, परंतु वह आक्रामक एवं जोशीले व्यक्तित्व की भी प्रतीक है। पतंग का कन्ना संतुलन की कला सिखाता है। इसमें थोड़ी-सी लापरवाही होने पर पतंग यहां-वहां डोलती है। यानी सही संतुलन नहीं रह पाता। इसी तरह हमारे व्यक्तित्व में भी संतुलन न होने पर जीवन गोते खाने लगता है। व्यक्तित्व में भी संतुलन होना परम आवश्यक है।

पतंग से सीखने लायक दूसरा गुण है नियंत्रण। खुले आकाश में उड़ने वाली पतंग को देखकर लगता है कि वह अपने-आप ही उड़ रही है। लेकिन उसका नियंत्रण डोर के माध्यम से उड़ाने वाले के हाथ में होता है। डोर का नियंत्रण ही पतंग को भटकने से रोकता है। हमारे व्यक्तित्व के लिए भी एक ऐसी ही लगाम की आवश्यकता है। निश्चित लक्ष्य से दूर ले जाने वाले अनेक प्रलोभनरूपी व्यवधान हमारे सामने आते हैं।

इस समय स्वैच्छिक नियंत्रण और अनुशासन ही हमारी पतंग को निरंकुश बनने से रोक सकता है। पतंग की उड़ान भी तभी सफल होती है, जब प्रतिस्पर्धा में दूसरी पतंग के साथ उसके पेंच लड़ाए जाते हैं। पतंग के पेंच में हार-जीत की जो भावना देखने में आती है, वह शायद ही कहीं और देखने को मिले। पतंग किसी की भी कटे, खुशी दोनों को ही होती है।

पतंग का आकार भी उसे एक अलग ही महत्व देता है। हवा को तिरछा काटने वाली पतंग हवा के रुख के अनुसार अपने आपको संभालती है। आकाश में अपनी उड़ान को कायम रखने के लिए सतत प्रयत्नशील रहने वाली पतंग हवा की गति के साथ मुड़ने में जरा भी देर नहीं करती। हवा की दिशा बदलते ही वह भी अपनी दिशा तुरंत बदल देती है। इसी तरह मनुष्य को परिस्थितियों के अनुसार ढलना आना चाहिए।

जो अपने आप को हालात के अनुसार नहीं ढाल पाते, वे आउटडेटेड बन जाते हैं और हमेशा गतिशील रहने वाले एवरग्रीन होते हैं। यह सीख हमें पतंग से ही मिलती है। पतंग हमें परवाज का सबक सिखाती है।

रुश्दी अगर जयपुर आए तो सरकार अंजाम के लिए तैयार रहे'


जयपुर. जयपुर में सलमान रुश्दी के आने को लेकर विरोध तेज हो गया है। शहर में शुक्रवार को जगह-जगह मुस्लिम संगठनों की ओर से विरोध प्रदर्शन व बैठकों का दौर जारी रहा। इस बीच मुस्लिम संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि रुश्दी जयपुर आए तो सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

जमीयत उलमा-ए-राजस्थान सहित विभिन्न संगठनों ने कहा है कि अगले जुमे पर जामा मस्जिद में प्रदेशभर के मुस्लिम एकत्र होंगे व नमाज अदायगी के पश्चात धरना देंगे। मोतीडूंगरी रोड स्थित मुस्लिम मुसाफिर खाने में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जमीयत उलमा-ए-हिंद के हबीबुल्लाह ने कहा कि ऐसा शख्स जो गुस्ताखे रसूल हो, वह हमारे देश में प्रवेश नहीं करना चाहिए।

उसके यहां आने से शांति भंग हो जाएगी। मुख्यमंत्री से हमारे संगठन मिले हैं। यदि फिर भी वह जयपुर में आता है सरकार को इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा। सारी तंजीमें सड़कों पर उतर आएंगी। मुस्लिम फोरम के कन्वीनर कारी मुइनुद्दीन ने कहा कि मुसलमान किसी भी हालत में रुश्दी के जयपुर आने को राजी नहीं हैं।

देश के पच्चीस करोड़ मुस्लिमों के लिए सरकार को रुश्दी के जयपुर आने का फैसला रद्द करना होगा। मंसूरी पंचायत के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ आरको ने कहा कि रूस में गीता की पाबंदी का विरोध भी मुस्लिम संगठनों ने किया था। हम हर धर्म की इज्जत करते हैं।

उनके अलावा मुफ्ती अखलाकुर्रहमान, बहदते इस्लामी के मोहम्मद खालिद, मोहम्मद शौकत कुरैशी, मौलाना फारुख, पैकर फारुख, डॉ. इजहार के अलावा जमाते इस्लामी हिंद, ऑल इंडिया इमाम्स कौंसिल, ऑल इंडिया मिल्ली कौंसिल, सुन्नी सेंटर, मुस्लिम फोरम, वहदते इस्लामी, मुस्लिम मुसाफिर खाना कमेटी व जामा मस्जिद कमेटी के कार्यकर्ताओं ने विचार व्यक्त किए।

विरोध जुलूस निकला

वाहिद मेमोरियल सोसायटी के तत्वावधान में सूरजपोल के पहाड़गंज में सलमान रुश्दी के विरोध में जुलूस निकाला गया। मोहम्मद सैयद कादरी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में मुस्लिम संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सलमान रुश्दी के जयपुर आने का विरोध किया।

इस दौरान सलमान रुश्दी मुर्दाबाद और सलमान रुश्दी वापस जाओ के नारों के साथ विरोध जुलूस सूरजपोल गेट पहुंचा। यहां करीब दस मिनट तक सभी मुस्लिम संगठनों ने रास्ता जाम रखा। इस मौके पर सिकंदर नियाजी, गजफ्फर खान, सईद अहमद अलवी सहित अहले सुन्नत वल जमात, सुन्नी विकास समिति और बज्मे फैजाने गोश-ए-आजम व अन्य संगठनों के कार्यकर्ता शामिल हुए।

याज्ञवल्क्य-भरद्वाज संवाद तथा प्रयाग माहात्म्य





* अब रघुपति पद पंकरुह हियँ धरि पाइ प्रसाद।
कहउँ जुगल मुनिबर्य कर मिलन सुभग संबाद ॥43 ख॥
भावार्थ:-मैं अब श्री रघुनाथजी के चरण कमलों को हृदय में धारण कर और उनका प्रसाद पाकर दोनों श्रेष्ठ मुनियों के मिलन का सुंदर संवाद वर्णन करता हूँ॥43 (ख)॥
चौपाई :
* भरद्वाज मुनि बसहिं प्रयागा। तिन्हहि राम पद अति अनुरागा॥
तापस सम दम दया निधाना। परमारथ पथ परम सुजाना॥1॥
भावार्थ:-भरद्वाज मुनि प्रयाग में बसते हैं, उनका श्री रामजी के चरणों में अत्यंत प्रेम है। वे तपस्वी, निगृहीत चित्त, जितेन्द्रिय, दया के निधान और परमार्थ के मार्ग में बड़े ही चतुर हैं॥1॥
* माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई॥
देव दनुज किंनर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं॥2॥
भावार्थ:-माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं, तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं॥।2॥
* पूजहिं माधव पद जलजाता। परसि अखय बटु हरषहिं गाता॥
भरद्वाज आश्रम अति पावन। परम रम्य मुनिबर मन भावन॥3॥
भावार्थ:-श्री वेणीमाधवजी के चरणकमलों को पूजते हैं और अक्षयवट का स्पर्श कर उनके शरीर पुलकित होते हैं। भरद्वाजजी का आश्रम बहुत ही पवित्र, परम रमणीय और श्रेष्ठ मुनियों के मन को भाने वाला है॥3॥
* तहाँ होइ मुनि रिषय समाजा। जाहिं जे मज्जन तीरथराजा॥
मज्जहिं प्रात समेत उछाहा। कहहिं परसपर हरि गुन गाहा॥4॥
भावार्थ:-तीर्थराज प्रयाग में जो स्नान करने जाते हैं, उन ऋषि-मुनियों का समाज वहाँ (भरद्वाज के आश्रम में) जुटता है। प्रातःकाल सब उत्साहपूर्वक स्नान करते हैं और फिर परस्पर भगवान्‌ के गुणों की कथाएँ कहते हैं॥4॥
दोहा :
* ब्रह्म निरूपन धरम बिधि बरनहिं तत्त्व बिभाग।
ककहिं भगति भगवंत कै संजुत ग्यान बिराग॥44॥
भावार्थ:-ब्रह्म का निरूपण, धर्म का विधान और तत्त्वों के विभाग का वर्णन करते हैं तथा ज्ञान-वैराग्य से युक्त भगवान्‌ की भक्ति का कथन करते हैं॥44॥
चौपाई :
* एहि प्रकार भरि माघ नहाहीं। पुनि सब निज निज आश्रम जाहीं॥
प्रति संबत अति होइ अनंदा। मकर मज्जि गवनहिं मुनिबृंदा॥1॥
भावार्थ:-इसी प्रकार माघ के महीनेभर स्नान करते हैं और फिर सब अपने-अपने आश्रमों को चले जाते हैं। हर साल वहाँ इसी तरह बड़ा आनंद होता है। मकर में स्नान करके मुनिगण चले जाते हैं॥1॥
* एक बार भरि मकर नहाए। सब मुनीस आश्रमन्ह सिधाए॥
जागबलिक मुनि परम बिबेकी। भरद्वाज राखे पद टेकी॥2॥
भावार्थ:-एक बार पूरे मकरभर स्नान करके सब मुनीश्वर अपने-अपने आश्रमों को लौट गए। परम ज्ञानी याज्ञवल्क्य मुनि को चरण पकड़कर भरद्वाजजी ने रख लिया॥2॥
* सादर चरन सरोज पखारे। अति पुनीत आसन बैठारे॥
करि पूजा मुनि सुजसु बखानी। बोले अति पुनीत मृदु बानी॥3॥
भावार्थ:-आदरपूर्वक उनके चरण कमल धोए और बड़े ही पवित्र आसन पर उन्हें बैठाया। पूजा करके मुनि याज्ञवल्क्यजी के सुयश का वर्णन किया और फिर अत्यंत पवित्र और कोमल वाणी से बोले-॥3॥
* नाथ एक संसउ बड़ मोरें। करगत बेदतत्त्व सबु तोरें॥
कहत सो मोहि लागत भय लाजा। जौं न कहउँ बड़ होइ अकाजा॥4॥
भावार्थ:-हे नाथ! मेरे मन में एक बड़ा संदेह है, वेदों का तत्त्व सब आपकी मुट्ठी में है (अर्थात्‌ आप ही वेद का तत्त्व जानने वाले होने के कारण मेरा संदेह निवारण कर सकते हैं) पर उस संदेह को कहते मुझे भय और लाज आती है (भय इसलिए कि कहीं आप यह न समझें कि मेरी परीक्षा ले रहा है, लाज इसलिए कि इतनी आयु बीत गई, अब तक ज्ञान न हुआ) और यदि नहीं कहता तो बड़ी हानि होती है (क्योंकि अज्ञानी बना रहता हूँ)॥4॥
दोहा :
* संत कहहिं असि नीति प्रभु श्रुति पुरान मुनि गाव।
होइ न बिमल बिबेक उर गुर सन किएँ दुराव॥45॥
भावार्थ:-हे प्रभो! संत लोग ऐसी नीति कहते हैं और वेद, पुराण तथा मुनिजन भी यही बतलाते हैं कि गुरु के साथ छिपाव करने से हृदय में निर्मल ज्ञान नहीं होता॥45॥
चौपाई :
* अस बिचारि प्रगटउँ निज मोहू। हरहु नाथ करि जन पर छोहू॥
राम नाम कर अमित प्रभावा। संत पुरान उपनिषद गावा॥1॥
भावार्थ:-यही सोचकर मैं अपना अज्ञान प्रकट करता हूँ। हे नाथ! सेवक पर कृपा करके इस अज्ञान का नाश कीजिए। संतों, पुराणों और उपनिषदों ने राम नाम के असीम प्रभाव का गान किया है॥1॥
* संतत जपत संभु अबिनासी। सिव भगवान ग्यान गुन रासी॥
आकर चारि जीव जग अहहीं। कासीं मरत परम पद लहहीं॥2॥
भावार्थ:-कल्याण स्वरूप, ज्ञान और गुणों की राशि, अविनाशी भगवान्‌ शम्भु निरंतर राम नाम का जप करते रहते हैं। संसार में चार जाति के जीव हैं, काशी में मरने से सभी परम पद को प्राप्त करते हैं॥2॥
*सोपि राम महिमा मुनिराया। सिव उपदेसु करत करि दाया॥
रामु कवन प्रभु पूछउँ तोही। कहिअ बुझाइ कृपानिधि मोही॥3॥
भावार्थ:-हे मुनिराज! वह भी राम (नाम) की ही महिमा है, क्योंकि शिवजी महाराज दया करके (काशी में मरने वाले जीव को) राम नाम का ही उपदेश करते हैं (इसी से उनको परम पद मिलता है)। हे प्रभो! मैं आपसे पूछता हूँ कि वे राम कौन हैं? हे कृपानिधान! मुझे समझाकर कहिए॥3॥
* एक राम अवधेस कुमारा। तिन्ह कर चरित बिदित संसारा॥
नारि बिरहँ दुखु लहेउ अपारा। भयउ रोषु रन रावनु मारा॥4॥
भावार्थ:-एक राम तो अवध नरेश दशरथजी के कुमार हैं, उनका चरित्र सारा संसार जानता है। उन्होंने स्त्री के विरह में अपार दुःख उठाया और क्रोध आने पर युद्ध में रावण को मार डाला॥4॥
दोहा :
* प्रभु सोइ राम कि अपर कोउ जाहि जपत त्रिपुरारि।
सत्यधाम सर्बग्य तुम्ह कहहु बिबेकु बिचारि॥46॥
भावार्थ:-हे प्रभो! वही राम हैं या और कोई दूसरे हैं, जिनको शिवजी जपते हैं? आप सत्य के धाम हैं और सब कुछ जानते हैं, ज्ञान विचार कर कहिए॥46॥
* जैसें मिटै मोर भ्रम भारी। कहहु सो कथा नाथ बिस्तारी॥
जागबलिक बोले मुसुकाई। तुम्हहि बिदित रघुपति प्रभुताई॥1॥
भावार्थ:-हे नाथ! जिस प्रकार से मेरा यह भारी भ्रम मिट जाए, आप वही कथा विस्तारपूर्वक कहिए। इस पर याज्ञवल्क्यजी मुस्कुराकर बोले, श्री रघुनाथजी की प्रभुता को तुम जानते हो॥1॥
* रामभगत तुम्ह मन क्रम बानी। चतुराई तुम्हारि मैं जानी॥
चाहहु सुनै राम गुन गूढ़ा कीन्हिहु प्रस्न मनहुँ अति मूढ़ा॥2॥
भावार्थ:-तुम मन, वचन और कर्म से श्री रामजी के भक्त हो। तुम्हारी चतुराई को मैं जान गया। तुम श्री रामजी के रहस्यमय गुणों को सुनना चाहते हो, इसी से तुमने ऐसा प्रश्न किया है मानो बड़े ही मूढ़ हो॥2॥
* तात सुनहु सादर मनु लाई। कहउँ राम कै कथा सुहाई॥
महामोहु महिषेसु बिसाला। रामकथा कालिका कराला॥3॥
भावार्थ:-हे तात! तुम आदरपूर्वक मन लगाकर सुनो, मैं श्री रामजी की सुंदर कथा कहता हूँ। बड़ा भारी अज्ञान विशाल महिषासुर है और श्री रामजी की कथा (उसे नष्ट कर देने वाली) भयंकर कालीजी हैं॥3॥

कुरान का संदेश


अख़बार ने हिस्ट्री शिटरों के नेताओं से सम्बन्ध तो छापे लेकिन नेताओं की हिस्ट्री शीट केसे गायब हो गयी इस बारे में कोई खबर ना जाने क्यूँ नहीं बनाई

कोटा के एक देनिक अख़बार ने राजस्थान पुलिस के वेबसाईट से कोटा के कुछ कथित हिस्ट्री शिटरों के फोटू और नाम छापे ..अख़बार ने इस खबर में यह भी बताने का प्रयास किया के कोन से हिस्ट्री शीटर किस नेता के साथ है पढ़ कर मेने भी वेबसाईट में इन लोगों के नाम देखे तो जनाब मुझे ताज्जुब हुआ के कुछ दिनों पहले कोटा के तीन बढ़े भाजपा के नेता जिनका नाम हिस्ट्री शिटरों की सूचि में सरे फेहरिस्त था उनका नाम हिस्ट्री शीट में से गायब था उनकी हिस्ट्री शीट बंद कर दी गयी थी ..और जिन लोगों के अख़बार में नाम छपे थे पुलिस वेबसाईट में उनके नाम पुरे सही नहीं थे फिर भी अख़बार ने उन नामों को सही तरह से प्रकाशित किया इससे एक बात तो साफ हो गयी के किसी पुलिस अधिकारी ने अख़बार जी को पढ़ाया था और इसीलियें यह खबर छपी ..ताज्जुब यह रहा के इन अख़बार जी ने दो नेताओं के नजदीकी हिस्ट्री शिटरों के नाम प्रकाशित नहीं किये केवल धारीवाल ..मोलाना फजले हक ..भवानी सिंह राजावत से जुड़े लोगों के ही नाम थे जबकि कोटा में अभी दो पूर्व मंत्री ..भाजपा और कोग्न्रेस के कई बढ़े नेता है कोंग्रेस के भी मंत्री संसद है भाजपा के पूर्व मंत्री विधायक है लेकिन खबर टार गेटिव थी और किसी पुलिस अधिकारी ने इसे लीड किया था ..मेने कुछ पुलिस मित्रों से सवाल किया के भाजपा और कोंग्रेस के पदों पर बेठे कई नेताओं के खिलाफ दर्जनों मुकदमे है उनकी पुलिस हिस्ट्री शीट कहां है मेने खुद ने पूर्व मंत्रियों और विधायकों की हिस्ट्री शीट देखी है लेकिन अब पुलिस के अधिकारीयों ने उन हिस्ट्री शीटों को वेबसाईट पर नहीं डाला एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने तो इस बात पर यकीन ही नहीं किया उनका कहना था के पुलिस अधिकारी जिंदा मक्खी नहीं निगल सकते लेकिन मेने जब वेबसाईट खोल कर दिखाया तब उन्हें यकीन आया के बाहुबली नेताओं इ कितना दम है और गरीब लोग जो कई वर्षों से झगड़े फसाद से दूर रहकर शांतिपूर्ण जीवन जी रहे है केवल शो पिस के रूप में हिस्ट्री शीट में उनके नाम है ..तो जनाब अख़बार जी को इस बारे में भी तो खबर बनाना चाहिए लेकिन शायद यह खबर नहीं बना सके कोई अख़बार इसीलिए मेने इसे खबर बना दी है ...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हसन पूरा जयपुर में रहने वाले सुलतान खान प्रोपर्टी डीलर ने एक पल एक क्षण में कोटा से गए लोगों का दिल जीत लिया

हसन पूरा जयपुर में रहने वाले सुलतान खान प्रोपर्टी डीलर ने एक पल एक क्षण में कोटा से गए लोगों का दिल जीत लिया ..हुआ यूँ के कोटा से में अख्तर खान अकेला ..हाजी अब्दुल अज़ीज़ ...एजाज़ अहमद अज्जू भाई ..नसरुद्दीन अंसारी राजस्थान मदरसा बोर्ड चेयरमेन मोलाना फजले हक साहब के साथ अल्प संख्यक आयोग के चेयरमेन राजस्थान माहिर आज़ाद साहब के यहाँ से काफी लम्बी चर्चा के बाद निकले... जयपुर में वकीलों की हडताल के कारन चक्का जाम और माहोल ग्राम था इसी बीच हसन पूरा जयपुर से मोलाना फजले हक साहब को कोंग्रेस कार्यकर्ताओं के स्नेहमिलन कार्यक्रम में हर हाल में आने का इसरार क्या गया पहले से कार्ड छपे थे इस लियें हालत को देखते हुए मोलाना साहब ने भी हसन पूरा जाने का फेसला किया वहां एक घर में कार्यकर्ता जमा थे कोंग्रेस के विधायक ..सिविल लाइंस विधानसभा के विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास विकास मामले में खुद के किस्से गिना रहे थे और साल निकल जाने पर पिछली कोई गलती हो तो उसके लियें माफ़ी नामा पढ़ रहे थे ॥ कोंग्रेस के नेता और पत्रकार रियाजुद्दीन शेख ने भी देश के हालातों और भाजपा की कारगुजारियों पर तंज़ किया ..मोलाना फजले हक बोलते अच्छा है इसलियें उनके भाषण को लोगों ने धेर्य संयम से सुना तालियाँ बजाई .हमने सभी ने एक दुसरे को मुबारकबाद दी खाना खाया और नीचे जब आये तो एक लम्बे गोरे चिट्टे सूटेड बुटेत भाई ने सभी से इसरार किया के चाय मेरे घर पीना है मोलाना ने उनके घर की दुरी पूंछी तो उन्होंने सामने ही घर होना कहा हम सभी इन जनाब के पीछे हो लिए मोलाना तो इन्हें पहले से जानते थे लेकिन हम लोगों की इनके साथ पहली मुलाक़ात थी .इन जनाब ने खुद को फतेहपुर निवासी बताया और नाम सुलतान खान बताया यह जनाब प्रोपर्टी डीलिंग के काम से जुड़े थे हमने हमारे रिश्तेदारों के बारे में इनसे पूंछा तो इन्होने उनसे पहचान से इंकार किया यकीन चाय तो सिर्फ बहाना था इन जनाब का खुलूस प्यार और मोहब्बत ने हम सभी कोटा के अनजान लोगों को अपने इतना नजदीक कर लिया और खातिर दारी का ऐसा उदाहरण पेश किया जो हमने शायद इसके पहले कभी नहीं देखा और हो सकता है के आगे भी ऐसा खुशगवार नज़र देखने को नहीं मिले .हम बरसों बाद भागमभाग के इस माहोल में आदमियों में कोई इंसान मिला था हम बहुत खुश थे और एक दुसरे से इन जनाब की तारीफों पर तारीफें कर रहे थे के अचानक एक सज्जन जो हमे पहले से ही जानते थे वोह बीच में ही बोल पढ़े अरे भाई यह हमारे शेखावटी लोगों का तहज़ीब है और आपकी इस तारीफ को सुनकर मेरा शेखावटी होने के कारण सीना चोडा हो गया है ..दोस्तों हम भी सोचते रहे काश हमे भी कोई हाडोती का कोई कोटा का ऐसा तहज़ीब याफ्ता प्यार बांटने वाला फ़रिश्ता मिले और उसकी इसी तरह तारीफों के पुल सुन कर हमारा भी एक हाडोती कोटा निवासी होने के नाते सीना गर्व से फूल जाए ................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मकर संक्रांति- जानिए सैकड़ों वर्षों के दुर्लभ योग और रोचक बातें...

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मकर संक्रांति और 14 जनवरी को एक-दूसरे का पर्याय माना जाता है। आमजन को यह मालूम है कि दीपावली, होली सहित कई पर्व की तारीख तय नहीं होती लेकिन मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। ऐसा क्यों? वह इसलिए क्योंकि सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश 14 को मध्यरात्रि के बाद होगा। पंडितों की मानें तो सन् 2047 के बाद ज्यादातर 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति आएगी। अधिकमास, क्षय मास के कारण कई बार 15 जनवरी को संक्रांति मनाई जाएगी।

इससे पहले सन् 1900 से 1965 के बीच 25 बार मकर संक्रांति 13 जनवरी को मनाई गई। उससे भी पहले यह पर्व कभी 12 को तो कभी 13 जनवरी को मनाया जाता था। पं. लोकेश जागीरदार (खरगोन) के अनुसार स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनकी कुंडली में सूर्य मकर राशि में था यानी उस समय 12 जनवरी को मकर संक्रांति थी। 20वीं सदी में संक्रांति 13-14 को, वर्तमान में 14 तो कभी 15 को मकर संक्रांति आती है। 21वीं सदी समाप्त होते-होते मकर संक्रांति 15-16 जनवरी को मनाने लगेंगे।

यह है कारण- सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करता है। एक राशि की गणना 30 अंश की होती है। सूर्य एक अंश की लंबाई 24 घंटे में पूरी करता है। पंचांगकर्ता डॉ. विष्णु कुमार शर्मा (जावरा) का कहना है अयनांश गति में अंतर के कारण 71-72 साल में एक अंश लंबाई का अंतर आता है। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से एक वर्ष 365 दिन व छह घंटे का होता है, ऐसे में प्रत्येक चौथा वर्ष लीप ईयर भी होता है। चौथे वर्ष में यह अतिरिक्त छह घंटे जुड़कर एक दिन होता है। इसी कारण मकर संक्रांति हर चौथे साल एक दिन बाद मनाई जाती है।

हर साल आधे घंटे की देरी- प्रतिवर्ष सूर्य का आगमन 30 मिनट के बाद होता है। हर तीसरे साल मकर राशि में सूर्य का प्रवेश एक घंटे देरी से होता है। 72 वर्ष में यह अंतर एक दिन का हो जाता है। हालांकि अधिकमास-क्षयमास के कारण समायोजन होता रहता है। (पंडितों के अनुसार)

संक्रांति की स्थिति- 13 जनवरी को : सन् 1900, 01, 02, 1905, 06, 09, 10, 13, 14, 17, 18, 21, 22, 25, 26, 29, 33, 37, 41, 45, 49, 53, 57, 61 1965 में।

इन वर्षो में 15 को आएगी- 2012, 16, 20, 21, 24, 28, 32, 36, 40, 44, 47, 48, 51, 52, 55, 56, 59, 60, 63, 64, 67, 68, 71, 72, 75, 76, 79, 80, 83, 84,86, 87, 88, 90, 91, 92, 94, 95, 99 और 2100 में। (पंचांगों और पंडितों से मिली जानकारी अनुसार।)

इस बार 15 को ही मनाना शास्त्र सम्मत- सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन संक्रांति है। सूर्य का धनु से मकर राशि में 14 जनवरी की रात 12.58 बजे प्रवेश हो रहा है। ऐसे में धर्म शास्त्रानुसार यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। पं. अरविंद पांडे के अनुसार इस साल 14 जनवरी को देर रात के बाद सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हो रहा है। ऐसे में संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा। पुण्यकाल का मतलब है, स्नान-दान आदि।

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