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17 जनवरी 2012

2 मिनिट में जानिए अपना भविष्य, ये है सैकड़ों साल पुरानी अनोखी विधि


सभी के जीवन में कई ऐसे प्रश्न हैं जिनके जवाब हम जानना चाहते हैं। ये प्रश्न धन संबंधी हो सकते हैं या परिवार से जुड़े हुए या अन्य कोई परेशानी। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उसकी सफलता मिलेगी या नहीं, यह सभी सोचते हैं। ऐसे ही सभी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए एक माध्यम बहुप्रचलित है। यह माध्यम है रामशलाका प्रश्नावली।
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस में रामशलाका प्रश्नावली दी गई है। इससे हमारी सभी जिज्ञासाएं शांत हो जाती हैं। इस प्रश्नावली को उपयोग करने का एक विशेष तरीका है। रामशलाका से अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए सबसे पहले भगवान श्रीराम का ध्यान करें और प्रभु पर पूरा विश्वास करके अपने प्रश्न का विचार करें। अब रामशलाका प्रश्नावली पर अपने अंगुली या कोई पेन घुमाएं। इसके लिए आप यहां दी गई रामशलाका का प्रिंट निकाल सकते हैं या माउस के कर्शर पॉइंट को प्रश्नावली पर घुमाएं। इस दौरान अपनी आंखें बंद रखें और भगवान श्रीराम के नाम का जप करते रहें। कुछ समय बाद हाथ रोक लें। अब जिस शब्द पर आपकी अंगुली या पेन या कर्शर है उस शब्द को एक अन्य कागज पर लिख लें। इसके प्रश्नावली के उस शब्द से आगे नौवां शब्द फिर से लिखें। इसी प्रकार हर बार नौवें शब्द को दूसरे कागज पर लिखते जाएं। ऐसा तब तक करते रहें जब तक पूरी प्रश्नावली का एक राउंड न हो जाएं।
रामशलाका प्रश्नावली का एक राउंट पूरा होने के बाद दूसरे कागज पर लिखे सभी शब्दों को ध्यान से पढ़ें। इन शब्दों से यहां नीचे दिए गए कुछ चौपाइयों में से किसी एक की लाइन या शब्द बनेगा। यह चौपाई ही आपके प्रश्न का उत्तर है। ध्यान रहे एक बॉक्स में एक या दो शब्द लिखे हुए हैं, कहीं-कहीं केवल मात्राएं लिखी गई हैं अत: एक बॉक्स में लिखे शब्दों को एक ही जानिए।
उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की अंगुली प्रश्नावली में एक बॉक्स में बने इस चिन्ह * वाले अक्षर पर रुकती है तो यहां (म) लिखा हुआ है। इस बॉक्स से अब नौ-नौ नंबर के बॉक्स में लिखे अक्षरों को दूसरे कागज पर लिखेंगे तो यह चौपाई बन जाएगी-

हो इ हि सो इ जो रा म र चि रा खा।
को क रि त र्क ब ढ़ा वै सा खा।
इस चौपाई रामचरितमानस के बालकांड में शिवजी और पार्वतीजी के बीच संवाद में आई है। इसका अर्थ यह है कि सोचे गए कार्य में संदेह है अत: इसे भगवान पर छोड़ देना चाहिए।
इस चौपाई के अतिरिक्त श्रीरामशलाका से आठ चौपाइयां और बनती हैं जो इस प्रकार है-
1. सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी।।
उत्तर- यह चौपाई बालकांड में सीता द्वारा मां गौरी के पूजन प्रसंग की है। माता गौरी ने सीता को आशीर्वाद दिया है। इस चौपाई के बनने का अर्थ है कि प्रश्न करने वाले व्यक्ति का कार्य अवश्य ही पूरा होगा।

2. प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
हृदयँ राखि कोसलपुर राजा।।
उत्तर- यह चौपाई सुंदरकांड में हनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है। इसका अर्थ है कि भगवान का ध्यान करके, श्रीराम की पूजा करके कार्य आरंभ करें, सफलता मिलेगी।

3. उधरहिं अंत न होई निबाहू।
कालनेमि जिमि रावन राहू।।
उत्तर- यह चौपाई बालकांड के प्रारंभ में सत्संग वर्णन के प्रसंग की है। इसका अर्थ है कि इस कार्य में सफलता प्राप्त होने में संदेह है, कुछ बुरा हो सकता है।

4. बिधि बस सुजन कुसंगत परही।
फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।।
उत्तर- यह चौपाई बालकांड के प्रारंभ में सत्संग वर्णन के प्रसंग की है। इसका अर्थ है कि बुरे लोगों का साथ छोड़ दें, इस कार्य में सफलता प्राप्त होना मुश्किल है।

5. मुद मंगलमय संत समाजू।
जो जग जंगम तीरथराजू।।
उत्तर- यह चौपाई बालकांड में संत समाज के वर्णन के समय की है। सोचे गए कार्य में सफलता मिलने की पूरी संभावना है। श्रीराम का ध्यान करें।

6. गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपाद सिंधु अनल सितलाई।।
उत्तर- जब हनुमानजी ने लंका में प्रवेश किया उसी समय की यह चौपाई है। इसका अर्थ है कि कार्य अवश्य पूर्ण होगा। रामजी की पूजा करें।

7. बरुन कुबेर सुरेस समीरा।
रन सन्मुख धरि काहुं न धीरा।।
उत्तर- जब लंकाकांड में रावण मृत्यु को प्राप्त हुआ उस समय मंदोदरी के विलाप के प्रसंग में इस चौपाई का उल्लेख है। इसका अर्थ है कि सोचे हुए कार्य के पूर्ण होने की संभावनाएं बहुत कम है।

8. सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे।
रामु लखनु सुनि भए सुखारे।
उत्तर- बालकांड में पुष्पवाटिका से पुष्प लेकर आने पर विश्वामित्रजी का आशीर्वाद इस चौपाई में है। इसका अर्थ है कि आपका कार्य पूर्ण हो जाएगा।

लौटा कोहरे का कहर

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नई दिल्ली. पहाड़ी इलाकों में हो रही बर्फबारी ने उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। जहां एक ओर बीता मंगलवार इस सीज़न का सबसे सर्द दिन साबित हुआ है, वहीं आज भी ठंड आपको जमा देने पर आमादा है। आज सुबह दिल्ली में न्यूनतम तापमान 6 डिग्री तक गिर गया। लेकिन असली मुसीबत अधिकतम तापमान में आई गिरावट है। दिल्ली में आज अधिकतम तापमान महज 13 डिग्री रहा जो सामान्य से काफी कम है। मौसम विभाग ने आने वाले तीन दिनों में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के कई इलाकों में पारे के गिरने और जबर्दस्त ठंड पड़ने की आशंका जताई है।

आज कोहरे ने लोगों के सामने दोहरी मुश्किल खड़ी कर दी है। एक ओर तो इससे ठंड बढ़ी है, तो दूसरी तरफ इससे यातायात पर बुरा असर पड़ा है। कोहरे की वजह से आईजीआई एयरपोर्ट से 21 उड़ानों पर देरी की मार पड़ी है। एयरपोर्ट पर दृश्यता (विजीबिलीटी) 50 मीटर से भी कम है। 24 ट्रेनें देरी से चल रही हैं। बर्फबारी और खराब मौसम की वजह से जम्मू-श्रीनगर हाईवे आज दसवें दिन भी बंद है। उत्तर भारत तो ठिठुर ही रहा है। अब सर्दी दक्षिण भारत के राज्यों में भी लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर रही है। ठंड का आलम यह है कि कर्नाटक में भी पिछले 100 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। कर्नाटक के बेलगाम में न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री तो बेंगलुरु में 12 डिग्री दर्ज किया गया है।

लौटा कोहरे का कहर

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नई दिल्ली. पहाड़ी इलाकों में हो रही बर्फबारी ने उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। जहां एक ओर बीता मंगलवार इस सीज़न का सबसे सर्द दिन साबित हुआ है, वहीं आज भी ठंड आपको जमा देने पर आमादा है। आज सुबह दिल्ली में न्यूनतम तापमान 6 डिग्री तक गिर गया। लेकिन असली मुसीबत अधिकतम तापमान में आई गिरावट है। दिल्ली में आज अधिकतम तापमान महज 13 डिग्री रहा जो सामान्य से काफी कम है। मौसम विभाग ने आने वाले तीन दिनों में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के कई इलाकों में पारे के गिरने और जबर्दस्त ठंड पड़ने की आशंका जताई है।

आज कोहरे ने लोगों के सामने दोहरी मुश्किल खड़ी कर दी है। एक ओर तो इससे ठंड बढ़ी है, तो दूसरी तरफ इससे यातायात पर बुरा असर पड़ा है। कोहरे की वजह से आईजीआई एयरपोर्ट से 21 उड़ानों पर देरी की मार पड़ी है। एयरपोर्ट पर दृश्यता (विजीबिलीटी) 50 मीटर से भी कम है। 24 ट्रेनें देरी से चल रही हैं। बर्फबारी और खराब मौसम की वजह से जम्मू-श्रीनगर हाईवे आज दसवें दिन भी बंद है। उत्तर भारत तो ठिठुर ही रहा है। अब सर्दी दक्षिण भारत के राज्यों में भी लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर रही है। ठंड का आलम यह है कि कर्नाटक में भी पिछले 100 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। कर्नाटक के बेलगाम में न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री तो बेंगलुरु में 12 डिग्री दर्ज किया गया है।

लिव-इन रिश्ता पश्चिमी सभ्यता का कुख्यात उत्पाद है’ : न्यायाधीश



नई दिल्ली. कानूनी मान्यता के बावजूद लिव-इन रिश्तों को अनैतिक माना जाता है। यह एक सनक है, जो सिर्फ शहरी इलाकों में ही दिखाई देती है। दिल्ली की एक कोर्ट ने इसे ‘पश्चिमी सभ्यता का कुख्यात उत्पाद’ करार दिया।

विवादों को न्योता देने वाली टिप्पणी के रूप में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुरिंदर एस. राठी ने कहा, ‘परंपराओं को देखते हुए लिव-इन रिश्ते हमारे देश में लंबे अरसे तक दूसरे ग्रह से आई व्यवस्था के रूप में ही देखे गए। आज भी यह एक सनक है, जो सिर्फ शहरी क्षेत्रों में दिखाई देती है।’

कोर्ट ने यह टिप्पणी की हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान की। नाइजीरियाई युवक के साथ लिव-इन रिश्ता रखने वाली मिजोरम की एक महिला ने तीन साल पहले उत्तरी दिल्ली में उसकी हत्या कर दी थी। इस मामले में कोर्ट ने उसे सात साल की सजा सुनाई और सात लाख रुपए का जुर्माना लगाया।

शादी के एक दिन पहले सोनिया ने बांधी थी ‘बिग-बी’ को राखी

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शरद ठाकर। यह 1968 का वर्ष था। राजीव गांधी एक बार सीधे अमिताभ के घर पहुंच गए और तेजी से कहा ‘आंटी! इटली से मेरी एक दोस्त भारत आ रही है। मैं चाहता हूं कि वह जब तक भारत में है, उतने दिन आपके ही घर पर रुके।’
तेजी बच्चन ने मुस्कुराते हुए राजीव से पूछा.. ‘नाम क्या है उसका?’

‘सोनिया..सोनिया’ राजीव ने मात्र इतना ही परिचय दिया।

इधर तेजी ने तो इसकी अनुमति दे दी लेकिन कवि बच्चन कुछ सोच-विचार में पड़ गए.. राजीव की मेहमान है, वह भी विदेशी तो उसके लिए खास व्यवस्थाएं करनी पड़ेंगी। घर पूरी तरह से व्यवस्थित करना पड़ेगा।

इतना सोचना हुआ कि घर के लोग काम में लग गए। घर को नए सिरे से सजाया गया। ठंड का मौसम था तो बाथरूम में गीजर की व्यवस्था की गई। दरवाजे-खिड़कियों के परदे बदल दिए गए। इधर अमिताभ भी कुछ दिनों के लिए दिल्ली आ गए। अब पूरा परिवार सोनिया के आने का पलकें बिछाकर इंतजार कर रहा था।
सुबह साढ़े तीन बजे की फ्लाइट थी और देर रात का समय होने के कारण राजीव भी संकोच कर रहे थे कि इतनी रात में अमिताभ का पूरा घर परेशान होगा। उन्होंने अमिताभ से कह दिया कि आज की रात तू मेरे ही घर पर सो जा। आधी रात में तुझे उठाने के लिए तेरी फैमिली को परेशान नहीं करना चाहता।

अमिताभ ने भी इसके लिए हामी भर दी। इस समय भी देखिए कि राजीव छोटी-छोटी बातों का भी कितना ध्यान रखा करते थे। लेकिन अमिताभ समझ गए थे कि राजीव ने अपनी नर्वसनेस को दूर करने के लिए उन्हें घर पर रोका है।

यह नवंबर का महीना था। आधी रात को राजीव गांधी, अमिताभ बच्चन और अन्य दो दोस्त दो गाड़ियों से एयरपोर्ट के लिए निकल गए। सोनिया जी का आगमन हुआ। घर वापसी तक भी अभी ठंड कम नहीं हुई थी, बल्कि अब तो अपने पूरे जोर पर थी। सुबह के अभी चार ही बजे थे, इसलिए राजीव ने सोचा कि अमिताभ के घरवालों को इतनी सुबह-सुबह डिस्टर्ब करना ठीक नहीं रहेगा। यही ख्याल कर उन्होंने निश्चय किया कि सोनिया पहली बार दिल्ली आईं हैं तो क्यों न उन्हें दिल्ली के दर्शन करवा दिए जाएं। इसके बाद दोनों गाड़ियां दिल्ली की सुनसान सड़कों पर लगभग दो घंटे तक दौड़ती रहीं।

सोनिया का मिशन मैरिज...

दरअसल सोनिया ‘मिशन मैरिज’ के लिए ही भारत पधारी थीं। लेकिन इस संभावित संबंधों के बारे में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को खबर करने की जिम्मेदारी तेजी बच्चन को निभानी थी। इसमें लंबा समय लग गया। पूरे दो महीने तक सोनिया, बच्चन परिवार के घर में एक सदस्य की तरह रहीं। अंतत: इंदिरा गांधी जी भी इस रिश्ते के लिए तैयार हो गईं।

एक शुभ दिन विवाह का मुहूर्त तय कर दिया गया। इस समय तेजी के उत्साह का कोई पार न था। दरअसल उनकी महती इच्छा थी कि अमिताभ के जन्म के बाद उनके घर मंे एक बेटी का जन्म हो। लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी थी, पर आज सोनिया को लेकर उनकी यह इच्छा पूरी होती दिखाई दे रही थी।

तेजी बच्चन ने बंगले को सुंदर और सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाया था। पूरे बंगले को फूलों से ढंक दिया गया था। सोनिया के हाथों में मेहंदी लग चुकी थी और जब वे दुल्हन की पोशाक में आईं तो ऐसा लगता था,
मानो बंगले में किसी अप्सरा ने कदम रखा हो।
सोनिया का कन्यादान कवि हरिवंशराय बच्चन और तेजी बच्चन ने ही किया था और भाई के कर्तव्य अमिताभ ने पूरे किए थे। लेकिन अमिताभ तो वर राजा के दोस्त थे तो ऐसा कैसे चलता? इसलिए अमिताभ ने राजीव-सोनिया के विवाह के एक दिन पहले सोनिया से राखी बंधवा ली और अब वे हिंदू शास्त्रानुसार सोनिया के भाई बन गए।
इस राखी का संबंध दशकों तक अटूट रहा। सोनिया की बांधी हुई राखी अमिताभ पूरे प्रेम से सहेजते थे और यह राखी उनकी कलाई पर कई-कई महीनों तक बंधी रहती थी। अमिताभ को सोनिया की बांधी राखी से कितना लगाव था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 1982 मंे एक दुर्घटना क बाद अमिताभ ब्रीचकैंडी हॉस्पिटल मंे गंभीर अवस्था में थे, तब कई चिकित्सक क्रियाओं के लिए डॉक्टर्स ने उनकी कलाई से वह राखी हटाने की कोशिश की लेकिन अमिताभ टस से मस नहीं हुए। और अंतत: डॉक्टर्स को उनकी मर्जी के आगे हार माननी पड़ी। अमिताभ को विश्वास था कि उनकी कलाई पर बंधी यह राखी उनके जीवन की रक्षा करेगी।
वर्तमान समय :
समय का चक्र अब विपरीत दिशा में घूम चुका है। राजीव गांधी के स्वर्गवास के बाद इन भाई-बहन के रिश्ते में दरार कैसे आ गई, यह रहस्य ही है। लेकिन सुनने में जो भी आता है, वह बहुत खेदजनक है जो कि रक्षाबंधन की पवित्रता से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता।

सलमान रुश्दी के बच्चों और पत्नी का कहना है के यह पड़ोसी की ओलाद हैं

राजस्थान के पुस्तक मेले में अगले कल से सलमान रुश्दी के आने के मामले को लेकर राजनीती गरमा गयी है सभी जानते है के यह मेरा भारत महान है यहाँ कानून है यहाँ संविधान है कोई जंगल राज नहीं जो कोई भी किसी भी धर्म जाती का अपमान करता रहे और एक आज़ाद नागरिक की तरह घूमता रहे ऐसे लोगों को हमारे देश में पागल कुत्ता कहा जाता है और उसके काटने से बीमारी ना फ़ले इसलियें उन्हें या तो जेल भेज दिया जाता है या फिर दोडा दोडा कर मारा जाता है ..आज सलमान रुश्दी की भारत में आने की पेरवी करने वाले सभी लोग जानते है के हिदू धर्म की देवी देवताओं की अभद्र तस्वीरें मोडर्न आर्ट के नाम पर बनाने वाले प्रसिद्ध चित्रकार मकबूल फ़िदा हुसेन का हाल क्या हुआ आखरी वक्त आखरी लम्हे में उन्हें डर और खोफ के मरे विदेश में जाकर रहना पढ़ा हालात यह रहे के मरने के बाद भी उन्हें दो गज ज़मीं नहीं मिली कुचे यार में ..दोस्तों आप खुद ही बताओ में अगर आपके भगवान को गाली दूँ ..आप मेरे अल्लाह को गाली दो तो क्या हमारे में प्यार बरकरार रह सकता है ..इस देश में एक कानून है एक संविधान है यहाँ वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है तो किसी धर्म जाती को अपमान करने वाले को जेल भेजने का प्रावधान भी है जो किताब दंड प्रक्रिया संहिता के तहत पाबन्द कर दी गयी है उस किताब को बेचना तो दूर की बात उसे रखना भी अपराध है .... दोस्तों कोटा में हमारे एक जानकार पत्रकार ने उनकी मैगज़ीन में महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश की एक पुस्तक की कतरन जिसमे राम और सीता माता के लियें अश्लील और अभद्र बातें लिखी थी प्रकाशित की थी वोह कई साल हो गये आज भी जेल में है उन्हें आतंकवादी बताया गया है और अपने इस अपराध के लियें सिसक रहे है बात सही भी है किसी भी धर्म को अपमानित करने का किसी भी व्यक्ति को कोई हक नहीं दिया जा सकता कथित रूप से जो लोग बोलने और लिखने की स्वतन्त्रता के अलमबरदार बने है जरा पूंछिये उनसे अगर में या आप उनके माता पिता को चोर बेईमान गद्दार या आवारा बदमाश कहें तो उन्हें फर्क क्यूँ पढ़ता है जबकि वोह तो बोलने और लिखने की स्वतन्त्रता के अलमबरदार है जनाब कहना और बात है सुनना और समझना बर्दाश्त करना और बात है इसलियें दोहरे किरदार के लोग इस देश को बर्बाद करने में लगे हैं दुसरे व्यक्ति या दुसरे के धर्म के साथ हो तो मजे लेते है सियासत करते हैं और खुद के साथ या खुद के धर्म के साथ हो तो अपराधी को फांसी की सजा की मांग करते है ......................दोस्तों सलमान रुश्दी कोई बहुत बढ़ी चीज़ नहीं है एक पागल व्यक्ति है जो दूसरों को गाली लिख कर खुद को प्रचारित करवाता है लोग कहते है के उसके पिता जब बाहर चले जाते थे तब एक पड़ोसी उनकी मान के पास आते थे और यह उन्ही की सन्तान है धर्म और इमां के हिसाब से यह अवेध सन्तान है और इनकी हरकते तो हरामी वाली होंगी ही सही ऐसा में नहीं कहता खुद उनकी पत्नी बच्चे जो उन्हें छोड़ कर चले गये वोह लोग कहते है तो दोस्तों सलमान रुश्दी तो पड़ोसी अंकल की ओलाद है उनकी इस तरह की हरकतें तो समझ में आती है लेकिन हमारा भारतीय कोई अगर ऐसी हरकत करे या ऐसी हरकत का समर्थन करे तो फिर जनाब ऐसे लोगों को हम क्या पड़ोसी की ओलाद कहें ......सलमान पर भारत में कोंग्रेस और भाजपा की राजनीती शुरू हो गयी है भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के अमीन पठान ने जब सलमान का विरोध किया तो भाजपा पहले तो सकते में आगयी लेकिन फिर उल जलूल बयानों पर आ गयी है कोंग्रेस का तो कहना ही क्या वोह तो राजनीति की बिसात बिछाने लगी है एक प्रतिबंधित किताब को वितरित करवाना और अपराधी व्यक्ति को देश में निमंत्रित कर देश के हालातों को बिगाड़ने का प्रयास करना अपने आप में एक खतरनाक अपराध है जिन लोगों को सरकार को जेल भेजना चाहिए सरकार उनसे प्रार्थना कर रही है सरकार के पास कानून है डंडा है सलमान रुश्दी को देश में बुलाये और फिर गिरफ्तार कर जेल भेजे तब कहीं वोह इमानदार कहलाएगी क्योंकि यह अपराध देश के विधि विधान के खिलाफ है लेकिन कोंग्रेस और कोंग्रेस की केंद्र और राज्य की सरकार इस मामले में शतरंज की बिसात बिछा कर राजनीति खेल रही है ताज्जुब तो इस बात पर है जो लोग कोंग्रेस के टुकड़ों पर पल रहे है जो लोग कंग्रेस के तलवे चाट रहे हैं उन मुसलमानों के दिल भी सियाह हो गये है उनके विचार भी सलमान रुश्दी की तरह बन गये है और इसीलियें इतनी भयकंर समस्या पर भी वोह कोंग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से दो टुक बात नहीं कर पा रहे है ... इसीलियें तो कहते है के सियासत दुःख तकलीफ या समस्या हो उसका समाधान नहीं करती बलके इन मुद्दों पर नफा नुकसान देख कर सियासत सिर्फ सियासत करती है दोस्तों वेसे तो इस्लाम का नियम और सिद्धांत है के हुकुमत में रहकर इस्लामविरोधी क्र्त्यों को देख कर खामोश रहे या फिर सरकार या उस पार्टी के समर्थक बने रहे तो ऐसे मुसलमान मुसलमान नहीं शेतान कहलाते है और हमारे देश में इन शेतानों की कमी नहीं है ग़ालिब एक तलाशो हजार मिलते है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

रुश्दी नहीं आएंगे, पर जिसके कारण विवाद, आ गई वह किताब!


जयपुर.राज्य सरकार भले ही प्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आने से रोकने की कोशिशों में सफल हो गई हो, लेकिन अपनी जिस पुस्तक ‘सैटेनिक वर्सेज’ के कारण रुश्दी विवादों में आए, वह जयपुर में उपलब्ध है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने 1988 में इस विवादास्पद उपन्यास पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से यह पुस्तक देश में उपलब्ध नहीं है, लेकिन रुश्दी के फेस्टिवल में आने को लेकर विवाद शुरू हुआ तो उनकी यह विवादित पुस्तक जयपुर में कई जगह बिकने लगी।

इस पुस्तक की फोटो प्रति महज 200 से 350 रुपए में उपलब्ध है। अंग्रेजी साहित्य के प्रेमी कई युवाओं के पास इस पुस्तक की प्रतियां देखी गई हैं। ये इंटरनेट से डाउनलोड की गई हैं और फोटोस्टेट के जरिए एक से दूसरे व्यक्ति के तक पहुंच रही है।

‘सैटेनिक वर्सेज’ रुश्दी का चौथा उपन्यास है। यह पहली बार 1988 में अंग्रेजी में वाइकिंग प्रेस से छपा था।विदेशों में यह हार्ड बैक और पेपरबैक में उपलब्ध है। 547 पेज का यह उपन्यास छपकर आया तो इस्लामिक कट्टरपंथियों ने इसे ईशनिंदा का दोषी माना और पुस्तक की प्रतियां जलाईं।

भारत में उस समय आम चुनाव का माहौल था और इसे देखते हुए राजीव गांधी सरकार ने 1988 में इसे प्रतिबंधित घोषित कर दिया। तभी से अगर कोई इस उपन्यास की प्रति लाने की कोशिश करता है तो उसे एयरपोर्ट या बंदरगाह पर ही रोक दिया जाता है। इस उपन्यास के बाद ईरान के तत्कालीन धार्मिक नेता अयातुल्ला खुमैनी ने 14 फरवरी 1989 को रुश्दी की मौत का फतवा जारी कर दिया था।

रुश्दी के सभी कार्यक्रम रद्द

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजकों में से एक संजॉय रॉय ने भास्कर से कहा कि रुश्दी 20 जनवरी को भारत में ही नहीं आएंगे, इसलिए उनका जयपुर आ पाना संभव नहीं हो रहा है। इसके बाद रुश्दी के लिए आयोजन स्थल के दरवाजे खुले रहेंगे। आयोजक रुश्दी के आने और न आने के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं। लेकिन उनका नाम उन सभी कार्यक्रमों की सूची से हटा दिया है, जिनमें उन्हें शामिल होना था।


मुख्यमंत्री ने चिदंबरम को अवगत कराया

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को नई दिल्ली में गृह मंत्री पी. चिदंबरम से मुलाकात के बाद कहा कि हमें अभी तक आधिकारिक तौर पर रुश्दी के आने के बारे में कुछ नहीं बताया गया है, लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय के लोग उनके जयपुर आगमन को लेकर विरोध जता रहे हैं। मैंने केंद्रीय गृह मंत्री को हालात से अवगत करा दिया है। मुझे भरोसा है कि आयोजक ऐसा कुछ नहीं चाहेंगे, जिससे फेस्टिवल प्रभावित हो। मुझे उम्मीद है कि ऐसा कुछ नहीं होगा, जिससे हालात बिगड़ें। गहलोत विधि और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद से भी मिले।

सरकार का कदम सही

रुश्दी को आने से रोकने का सरकार का कदम सही है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी को किसी के मजहब का मजाक उड़ाने या जज्बातों को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है।

-हबीबुर्रहमान, अध्यक्ष, उर्दू साहित्य अकादमी राजस्थान

सरकार करे फैसला

किसी भी व्यक्ति को आने देना और कानून और व्यवस्था बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। अब यह उस पर है कि वह क्या फैसला करती है।

-वेदव्यास, अध्यक्ष, राजस्थान साहित्य अकादमी

रुश्दी ही नहीं, किसी भी व्यक्ति को आने से रोकना या ऐसा माहौल बनाना गलत है। ऐसा करना लोकतांत्रिक समाज की मर्यादाओं के अनुरूप नहीं है।बहुत से कट्टरवादी या रुढ़िवादी धमकी देते हैं तो फिर सरकारें होती ही किसलिए हैं? किसी को विरोध करना है तो वह उस व्यक्ति को नहीं पढ़े, पढ़े बिना नहीं रहे तो आलोचना करे, खिलाफ लिखे, विरोध प्रदर्शन करे, बायकाट करे या फिर अदालत जाए। रोकना तो अनुचित है। -

नंदकिशोर आचार्य, साहित्यकार

किसी को भी आने से रोक दिया जाता है तो फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या मूल्य है?हम अपने आपको लोकतंत्र कहते हैं, लेकिन मुझे तो यह सब झूठा आवरण लगता है।हमने स्वतंत्रता का मुखौटा ओढ़ रखा है।

-ऋतुराज, वरिष्ठ कवि

स्थानीय सलाहकार बरसे सरकार पर

फेस्टिवल के स्थानीय सलाहकार और साहित्यकार नंद भारद्वाज ने कहा है कि राज्य सरकार में रीढ़ की हड्डी ही नहीं है और वह हालात देखकर रंग बदलती है। केंद्र सरकार भी ऐसी ही है। ये किसी मुद्दे पर दृढ़ नहीं हैं। इन्होंने उप्र चुनावों को देखते हुए ऐसा किया है। इन्होंने यह समझने की भी कोशिश नहीं की कि आम मुस्लिम भी रुश्दी के आने से नाराज नहीं है। वह तो सिर्फ कुछ लोगों को भड़काया जा रहा है। मैंने खुद सैटेनिक वर्सेज पढ़ी है। उसमें विवादित कुछ भी नहीं है।

सती का दक्ष यज्ञ में जाना दोहा :

* दच्छ लिए मुनि बोलि सब करन लगे बड़ जाग।
नेवते सादर सकल सुर जे पावत मख भाग॥60॥
भावार्थ:-दक्ष ने सब मुनियों को बुला लिया और वे बड़ा यज्ञ करने लगे। जो देवता यज्ञ का भाग पाते हैं, दक्ष ने उन सबको आदर सहित निमन्त्रित किया॥60॥
चौपाई :
* किंनर नाग सिद्ध गंधर्बा। बधुन्ह समेत चले सुर सर्बा॥
बिष्नु बिरंचि महेसु बिहाई। चले सकल सुर जान बनाई॥1॥
भावार्थ:-(दक्ष का निमन्त्रण पाकर) किन्नर, नाग, सिद्ध, गन्धर्व और सब देवता अपनी-अपनी स्त्रियों सहित चले। विष्णु, ब्रह्मा और महादेवजी को छोड़कर सभी देवता अपना-अपना विमान सजाकर चले॥1॥
* सतीं बिलोके ब्योम बिमाना। जात चले सुंदर बिधि नाना॥
सुर सुंदरी करहिं कल गाना। सुनत श्रवन छूटहिं मुनि ध्याना॥2॥
भावार्थ:-सतीजी ने देखा, अनेकों प्रकार के सुंदर विमान आकाश में चले जा रहे हैं, देव-सुन्दरियाँ मधुर गान कर रही हैं, जिन्हें सुनकर मुनियों का ध्यान छूट जाता है॥2॥
* पूछेउ तब सिवँ कहेउ बखानी। पिता जग्य सुनि कछु हरषानी॥
जौं महेसु मोहि आयसु देहीं। कछु ‍िदन जाइ रहौं मिस एहीं॥3॥
भावार्थ:-सतीजी ने (विमानों में देवताओं के जाने का कारण) पूछा, तब शिवजी ने सब बातें बतलाईं। पिता के यज्ञ की बात सुनकर सती कुछ प्रसन्न हुईं और सोचने लगीं कि यदि महादेवजी मुझे आज्ञा दें, तो इसी बहाने कुछ दिन पिता के घर जाकर रहूँ॥3॥
* पति परित्याग हृदयँ दुखु भारी। कहइ न निज अपराध बिचारी॥
बोली सती मनोहर बानी। भय संकोच प्रेम रस सानी॥4॥
भावार्थ:-क्योंकि उनके हृदय में पति द्वारा त्यागी जाने का बड़ा भारी दुःख था, पर अपना अपराध समझकर वे कुछ कहती न थीं। आखिर सतीजी भय, संकोच और प्रेमरस में सनी हुई मनोहर वाणी से बोलीं- ॥4॥
दोहा :
* पिता भवन उत्सव परम जौं प्रभु आयसु होइ।
तौ मैं जाउँ कृपायतन सादर देखन सोइ॥61॥
भावार्थ:-हे प्रभो! मेरे पिता के घर बहुत बड़ा उत्सव है। यदि आपकी आज्ञा हो तो हे कृपाधाम! मैं आदर सहित उसे देखने जाऊँ॥61॥
चौपाई :
* कहेहु नीक मोरेहूँ मन भावा। यह अनुचित नहिं नेवत पठावा॥
दच्छ सकल निज सुता बोलाईं। हमरें बयर तुम्हउ बिसराईं॥1॥
भावार्थ:-शिवजी ने कहा- तुमने बात तो अच्छी कही, यह मेरे मन को भी पसंद आई पर उन्होंने न्योता नहीं भेजा, यह अनुचित है। दक्ष ने अपनी सब लड़कियों को बुलाया है, किन्तु हमारे बैर के कारण उन्होंने तुमको भी भुला दिया॥1॥
* ब्रह्मसभाँ हम सन दुखु माना। तेहि तें अजहुँ करहिं अपमाना॥
जौं बिनु बोलें जाहु भवानी। रहइ न सीलु सनेहु न कानी॥2॥
भावार्थ:-एक बार ब्रह्मा की सभा में हम से अप्रसन्न हो गए थे, उसी से वे अब भी हमारा अपमान करते हैं। हे भवानी! जो तुम बिना बुलाए जाओगी तो न शील-स्नेह ही रहेगा और न मान-मर्यादा ही रहेगी॥2॥
* जदपि मित्र प्रभु पितु गुर गेहा। जाइअ बिनु बोलेहुँ न सँदेहा॥
तदपि बिरोध मान जहँ कोई। तहाँ गएँ कल्यानु न होई॥3॥
भावार्थ:-यद्यपि इसमें संदेह नहीं कि मित्र, स्वामी, पिता और गुरु के घर बिना बुलाए भी जाना चाहिए तो भी जहाँ कोई विरोध मानता हो, उसके घर जाने से कल्याण नहीं होता॥3॥
* भाँति अनेक संभु समुझावा। भावी बस न ग्यानु उर आवा॥
कह प्रभु जाहु जो बिनहिं बोलाएँ। नहिं भलि बात हमारे भाएँ॥4॥
भावार्थ:-शिवजी ने बहुत प्रकार से समझाया, पर होनहारवश सती के हृदय में बोध नहीं हुआ। फिर शिवजी ने कहा कि यदि बिना बुलाए जाओगी, तो हमारी समझ में अच्छी बात न होगी॥4॥
दोहा :
* कहि देखा हर जतन बहु रहइ न दच्छकुमारि।
दिए मुख्य गन संग तब बिदा कीन्ह त्रिपुरारि॥62॥
भावार्थ:-शिवजी ने बहुत प्रकार से कहकर देख लिया, किन्तु जब सती किसी प्रकार भी नहीं रुकीं, तब त्रिपुरारि महादेवजी ने अपने मुख्य गणों को साथ देकर उनको बिदा कर दिया॥62॥
चौपाई :
* पिता भवन जब गईं भवानी। दच्छ त्रास काहुँ न सनमानी॥
सादर भलेहिं मिली एक माता। भगिनीं मिलीं बहुत मुसुकाता॥1॥
भावार्थ:-भवानी जब पिता (दक्ष) के घर पहुँची, तब दक्ष के डर के मारे किसी ने उनकी आवभगत नहीं की, केवल एक माता भले ही आदर से मिली। बहिनें बहुत मुस्कुराती हुई मिलीं॥1॥
* दच्छ न कछु पूछी कुसलाता। सतिहि बिलोकी जरे सब गाता॥
सतीं जाइ देखेउ तब जागा। कतहूँ न दीख संभु कर भागा॥2॥
भावार्थ:-दक्ष ने तो उनकी कुछ कुशल तक नहीं पूछी, सतीजी को देखकर उलटे उनके सारे अंग जल उठे। तब सती ने जाकर यज्ञ देखा तो वहाँ कहीं शिवजी का भाग दिखाई नहीं दिया॥2॥
* तब चित चढ़ेउ जो संकर कहेऊ। प्रभु अपमानु समुझि उर दहेऊ॥
पाछिल दुखु न हृदयँ अस ब्यापा। जस यह भयउ महा परितापा॥3॥
भावार्थ:-तब शिवजी ने जो कहा था, वह उनकी समझ में आया। स्वामी का अपमान समझकर सती का हृदय जल उठा। पिछला (पति परित्याग का) दुःख उनके हृदय में उतना नहीं व्यापा था, जितना महान्‌ दुःख इस समय (पति अपमान के कारण) हुआ॥3॥
* जद्यपि जग दारुन दुख नाना। सब तें कठिन जाति अवमाना॥
समुझि सो सतिहि भयउ अति क्रोधा। बहु बिधि जननीं कीन्ह प्रबोधा॥4॥
भावार्थ:-यद्यपि जगत में अनेक प्रकार के दारुण दुःख हैं, तथापि, जाति अपमान सबसे बढ़कर कठिन है। यह समझकर सतीजी को बड़ा क्रोध हो आया। माता ने उन्हें बहुत प्रकार से समझाया-बुझाया॥4॥

कुरान का संदेश ......

जिस घर में एक बच्चा है वोह मस्जिद में ग्यारह रूपये का चंदा दे ऐसी अफवाह कोटा में काजी ऐ शहर के नामा से उडाई

धर्म के नाम पर अफवाहों का बाज़ार केसे गर्म होता है इसकी बानगी में आप लोगों के सामने रखना चाहता हूँ आज कोटा शहर काजी अलहाज अनवर अहमद की अध्यक्षता में अल्लामा इकबाल लाइब्रेरी में राजस्थान की पवित्र धरती पर सलमान रुश्दी जेसे शेतान लेखक के अपवित्र पाँव पढने से केसे रोके जाए इस पर चर्चा चल रही थी की अचानक एक फोन की घंटी बजी काजी साहब से पूंछा गया के आपके नाम से एलान की अफवाह है के जिनके भी घर में एक लडका है वोह मस्जिद में ग्यारह रूपये का दान करे ..शहर काजी साहब ने ताज्जुब किया और कहा के ऐसा तो कहीं एलान नहीं करवाया गया है फिर दूसरा और तीसरा फोन आते गये ....बैठक में कोमरेड अब्दुल गफ्फार सद्र अंजुमन भीम गंज मंडी कोटा के बेठे थे उन्होंने तस्दीक की के उनसे भी दोपहर यानी जोहर की नमाज़ में कई लोगों ने इस मामले में जानकारी चाही थी ..अब आप देख लीजिये कोटा में किसी भी चंदे खोर ने मस्जिद में चंदा देने की अफवाह उढ़ा दी और लोग भ्रमित हो गये सभी जानते है के इस्लाम में ऐसी अफवाह बाज़ी का कोई स्थान नहीं है लेकिन इस्लाम धर्म के मानने वाले तो बहुत है लेकिन इस धर्म के बारे में जान्ने वाले बहुत कम है और इसी अनपढ़ पने का यह अफवाह बाज़ लोग फायदा उठाते है इसलियें कहते है के धर्म कोई भी हो उसे पूरा समझ कर पढो और उसका पालन करो वरना सभी धर्मों को कुछ मोका परस्त लोग तोड़ मरोड़ कर अफवाह बाज़ी से इसे मानने वालों को बहका बरगला कर परेशान करते है और अराजकता के हालात पैदा हो जाते है .......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आकांक्षा यादव को मानद डाक्टरेट की उपाधि


विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार के सोलहवें महाधिवेशन में युवा कवयित्री, साहित्यकार एवं चर्चित ब्लागर आकांक्षा यादव को मानद डाक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की उपाधि से विभूषित किया गया। आकांक्षा यादव को मानद डाक्टरेट की इस उपाधि के लिए उनकी सुदीर्घ हिंदी सेवा, सारस्वत साधना, शैक्षिक प्रदेयों, राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में महनीय शोधपरक लेखन के द्वारा प्राप्त प्रतिष्ठा के आधार पर अधिकृत किया गया। उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में उज्जैन विश्वविद्यालय के कुलपति ने यह उपाधि प्रदान की।

गौरतलब है कि आकांक्षा यादव की रचनाएँ देश-विदेश की शताधिक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित हो रही हैं। नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष रूचि रखने वाली आकांक्षा यादव के लेख, कवितायें और लघुकथाएं जहाँ तमाम संकलनों /पुस्तकों की शोभा बढ़ा रहे हैं, वहीं आपकी तमाम रचनाएँ आकाशवाणी से भी तरंगित हुई हैं। पत्र-पत्रिकाओं के साथ-साथ इंटरनेट पर भी सक्रिय आकांक्षा यादव की रचनाएँ तमाम वेब/ई-पत्रिकाओं और ब्लॉगों पर भी पढ़ी-देखी जा सकती हैं। व्यक्तिगत रूप से ‘शब्द-शिखर’(http://shabdshikhar.blogspot.com) और युगल रूप में ‘बाल-दुनिया’ (http://balduniya.blogspot.com),‘सप्तरंगी प्रेम’ (http://saptrangiprem.blogspot.com) व ‘उत्सव के रंग’ (http://utsavkerang.blogspot.com) ब्लॉग का संचालन करने वाली आकांक्षा यादव न सिर्फ एक साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित हैं, बल्कि सक्रिय ब्लागर के रूप में भी उन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। ’क्रांति-यज्ञ: 1857-1947 की गाथा‘ पुस्तक का कृष्ण कुमार यादव के साथ संपादन करने वाली आकांक्षा यादव के व्यक्तित्व-कृतित्व पर वरिष्ठ बाल साहित्यकार डा0 राष्ट्रबन्धु ने ‘बाल साहित्य समीक्षा‘ पत्रिका का एक अंक भी विशेषांक रुप में प्रकाशित किया है।

मूलतः उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और गाजीपुर जनपद की निवासी आकांक्षा यादव वर्तमान में अपने पतिदेव श्री कृष्ण कुमार यादव के साथ अंडमान-निकोबार में रह रही हैं और वहां रहकर भी हिंदी को समृद्ध कर रही हैं। श्री यादव भी हिंदी की युवा पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर हैं और सम्प्रति अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएँ पद पर पदस्थ हैं। एक रचनाकार के रूप में बात करें तो आकांक्षा यादव ने बहुत ही खुले नजरिये से संवेदना के मानवीय धरातल पर जाकर अपनी रचनाओं का विस्तार किया है। बिना लाग लपेट के सुलभ भाव भंगिमा सहित जीवन के कठोर सत्य उभरें यही आपकी लेखनी की शक्ति है। उनकी रचनाओं में जहाँ जीवंतता है, वहीं उसे सामाजिक संस्कार भी दिया है।

इससे पूर्व भी आकांक्षा यादव को विभिन्न साहित्यिक-सामाजिक संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। जिसमें भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’, ‘एस0एम0एस0‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार, इन्द्रधनुष साहित्यिक संस्था, बिजनौर द्वारा ‘साहित्य गौरव‘ व ‘काव्य मर्मज्ञ‘, श्री मुकुन्द मुरारी स्मृति साहित्यमाला, कानपुर द्वारा ‘साहित्य श्री सम्मान‘, मथुरा की साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘आसरा‘ द्वारा ‘ब्रज-शिरोमणि‘ सम्मान, मध्यप्रदेश नवलेखन संघ द्वारा ‘साहित्य मनीषी सम्मान‘ व ‘भाषा भारती रत्न‘, छत्तीसगढ़ शिक्षक-साहित्यकार मंच द्वारा ‘साहित्य सेवा सम्मान‘, देवभूमि साहित्यकार मंच, पिथौरागढ़ द्वारा ‘देवभूमि साहित्य रत्न‘, राजेश्वरी प्रकाशन, गुना द्वारा ‘उजास सम्मान‘, ऋचा रचनाकार परिषद, कटनी द्वारा ‘भारत गौरव‘, अभिव्यंजना संस्था, कानपुर द्वारा ‘काव्य-कुमुद‘, ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ‘शब्द माधुरी‘, महिमा प्रकाशन, दुर्ग-छत्तीसगढ द्वारा ’महिमा साहित्य भूषण सम्मान’, अन्तर्राष्ट्रीय पराविद्या शोध संस्था,ठाणे, महाराष्ट्र द्वारा ‘सरस्वती रत्न‘, अन्तज्र्योति सेवा संस्थान गोला-गोकर्णनाथ, खीरी द्वारा ’श्रेष्ठ कवयित्री’ की मानद उपाधि, जीवी प्रकाशन, जालंधर द्वारा ’राष्ट्रीय भाषा रत्न’ इत्यादि शामिल हैं।

विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार के इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों में कार्यरत हिन्दी सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्वान, शिक्षक-साहित्यकार, पुरातत्वविद्, इतिहासकार, पत्रकार और जन-प्रतिनिधि शामिल थे। उक्त जानकारी विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ के कुल सचिव डा. देवेंद्र नाथ साह ने दी।

दुर्गविजय सिंह ’दीप’
उपनिदेशक - आकाशवाणी (समाचार)
पोर्टब्लेयर, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह

इस जड़ का थोड़ा सा चूर्ण सभी की मिटा देगा कमजोरी बना देगा ताकतवर


अश्वगंधा एक झाड़ीदार पौधा है। आयुर्वेद में इस पौधे को बहुत ही उपयोगी माना गया है। इसकी जड़ें नर,नारी ,बालक ,बुजुर्ग सबके लिए एक टॉनिक का काम कर देती है। जड़ों के चूर्ण का सेवन अगर तीन महीने तक बच्चों को करवाया जाए तो कमजोर बच्चों के शरीर का सही विकास होने लगता है। यह जड़ी सभी प्रकार के वीर्य विकारों को मिटा करके बल-वीर्य बढाता है। साथ ही धातुओं को भी पुष्ट करती है।

साथ ही नसें भी सुगठित हो जाती हैं। लेकिन इससे मोटापा नहीं आता। गठिया, धातु, मूत्र तथा पेट के रोगों के लिए यह बहुत उपयोगी है। इससे आप खांसी, सांस फूलना तथा खुजली की भी दवा बना सकते हैं । इसका आप अगर नियमित सेवन शुरू कर दें तो आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ जायेगी जिसका दूर गामी परिरणाम यह होगा कि आप लंबे समय तक युवा बने रहेंगे बुढ़ापे के रोग आपसे काफी समय तक दूर रहेंगे।

महिलाओं कि बीमारी में यह जड़ काफी लाभकारी है। इसके नियमित उपयोग से नारी की गर्भ-धारण की क्षमता बढती है ,प्रसव हो जाने के उपरांत उनमें दूध कि मात्रा भी बढती है तथा उनकी श्वेत प्रदर,कमर दर्द एवं शारीरिक कमजोरी से जुड़ी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसके नियमित सेवन से हिमोग्लोबिन तथा लाल रक्त कणों की सख्या में वृद्धि होती है। व्यक्ति की सामान्य बुद्धि का विकास होता है।

समंदर के अंदर 'जंगी बेड़ों' को जल समाधि दे देगी 'ये' मिसाइल!



भारतीय वायुसेना में जल्द शामिल होने वाले हार्पून ब्लॉक-2 एंटी शिप मिसाइल के मार की धार से दुश्मन की कमर टूट जाती है। चीन और पाकिस्तान से जुड़े भारतीय समुद्री सीमा में यदि कोई हलचल होती है, तो दुश्मन के जंगी बेड़ों को संमदर में जल समधि दे देने में यह सक्षम है।

हार्पून उस भालानूमा हथियार को कहते हैं जिससे व्हेल का शिकार किया जाता है। इसके आधार पर ही इस एंटी शिप मिसाइल का नाम हार्पून रखा गया है। इसका अति आधुनिक सॉफ्टवेयर कमांड सेंटर के संपर्क में रहता है। लड़ाकु जहाज से दागे जाने वाले इस मिसाइल को दागने के लिए जहाज को दुश्मन के नजदीक जाने की आवश्यकता नहीं होती है। जहाज से 125 किलोमीटर दूर से ही लडाकु जहाज हार्पून मिसाइल को दाग कर वापस लौट सकता है।

हार्पून ब्लॉक-2 में जीपीएस सिस्टम लगा है। जिससे मिसाइल अपने स्थान और दुश्मन की जहाज के बदल रहे स्थान पर नज़र रखकर उस हिसाब से अपनी दिशा मोड सकती है। इसके अलावा इसमें इनर्शियल गाइडेंस सिस्टम भी लगा है जो मिसाइल को दुश्मन के द्वारा छोडी जा रही विकिरणों तथा रेडियो एक्टिव तरंगो की तरफ ध्यान देने से रोकता है।

आलाकमान तय करेगा राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री

जोधपुर.कांग्रेस ने 60 साल की राजनीति में कोई भी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री का नाम पहले घोषित करके नहीं लड़ा। ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा या नहीं? यह कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी तय करेंगी। साथ ही वहीं अगला मुख्यमंत्री तय करेंगी।


कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डॉ.चंद्रभान ने सोमवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस चुनाव घोषणा-पत्र, विचारधारा, योजनाओं और कार्यक्रमों के आधार पर चुनाव लड़ती है। लोकतंत्र में मुख्यमंत्री चुनने का काम विधायक दल करता है। वैसे मुख्यमंत्री का नाम पहले घोषित करने का काम बीजेपी करती है। उन्होंने माना कि प्रदेश में जनता से संवाद में कहीं न कहीं कमी रही है। जितनी मजबूत कांग्रेस को वर्तमान होना चाहिए वो उतनी नहीं है, लेकिन वे संगठन को सक्रिय कर रहे हैं।


उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगड़ी नहीं है। उन्होंने बिलाड़ा घटना की भत्र्सना करते हुए कहा कि बिलाड़ा उनका ससुराल है, लेकिन वहां पर जिस तरह से लोगों ने रिएक्ट किया, वो गलत है। कर्नल सोनाराम बयान मामले में उन्होंने कहा कि कर्नल ने स्पष्टीकरण दे दिया है, जबकि जोधपुर जिला शहर व देहात कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने भी अपनी रिपोर्ट मुझे सौंप दी है। इस पर शीघ्र ही निर्णय करेंगे। उन्होंने सीनियर नेताओं को संयमित भाषा और अनुशासन में रहने की नसीहत दी।


उन्होंने कहा कि अब वो पुराना समय नहीं रहा। समय के साथ लोगों के धैर्य व संयम में कमी आई है। ऐसे में अगर कहीं बिलाड़ा जैसी घटनाएं होती हैं तो फिर जनता का गुस्सा सबसे पहले पुलिस पर ही उतरता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 7 करोड़ जनता पर महज 75 हजार पुलिसकर्मियों की फोर्स है।

सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी की जांच अब हैड कांस्टेबल कर रहा है, इसलिए हमें पुलिसकर्मियों की दिक्कतों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। कर्नल सोनाराम बयान मामले में उन्होंने कहा कि कर्नल ने स्पष्टीकरण दे दिया है, जबकि जोधपुर जिला शहर व देहात कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने भी अपनी रिपोर्ट मुझे सौंप दी है। इस पर शीघ्र ही निर्णय करेंगे। उन्होंने सीनियर नेताओं को संयमित भाषा और अनुशासन में रहने की नसीहत दी।

बाबरी विध्वंस महज एक घटना'

नई दिल्ली। बाबरी ढांचा विध्वंस महज एक घटना है। इसमें 'ख्यात' या 'बदनाम' जैसी कोई बात नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात सीबीआई की अपील पर कही। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और शिवसेना चीफ बाल ठाकरे सहित 21 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप लगाने पर 27 मार्च को फैसला होगा।

जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस सीके प्रसाद की बेंच ने कहा, 'इसमें बहुचर्चित (फेमस) क्या है? यह महज एक घटना थी, जो घटी। अब सभी पक्ष हमारे सामने हैं।' इससे पहले कार्यवाही की शुरुआत पर अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल ने कहा था कि यह मामला 'फेमस' बाबरी ढांचा विध्वंस मामले से जुड़ा है।

बहरहाल, कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी, क्योंकि मामले में कुछ पक्षों ने अपने जवाब अब तक दाखिल नहीं किए हैं। इस वजह से सुनवाई मार्च तक स्थगित कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल चार मार्च को आडवाणी, ठाकरे सहित 21 लोगों को नोटिस जारी किए थे।

इनसे पूछा था कि उनके खिलाफ बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश रचने का आरोप क्यों न लगाया जाए? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 मई 2010 को विशेष कोर्ट के आदेश को कायम रखा था।

ये हैं आरोपी

लालकृष्ण आडवाणी, बाल ठाकरे, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान, सीआर बंसल, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया, महंत अवैद्यनाथ, आरवी वेदांती, परमहंस रामचंद्र दास, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धर्मदास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे।

ये मामले हैं दर्ज

> 6 दिसंबर 1992 को ध्वस्त हुए बाबरी ढांचे को लेकर दो मामले दर्ज हुए थे।

> एक मामला आडवाणी एवं अन्य के खिलाफ दर्ज हुआ था, जो मंच पर मौजूद थे। दूसरा मामला उन लाखों कारसेवकों के खिलाफ है, जो विवादित ढांचे के आसपास थे।

> सीबीआई ने आडवाणी एवं 20 अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (समुदायों में शत्रुता पैदा करना), 153बी (राष्ट्रीय एकता को ठेस पहुंचाना) और 505 (शांति में खलल डालने के लिए अफवाहें फैलाना) के तहत आरोप लगाए हैं।

> धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप की मांग विशेष कोर्ट ने 4 मई 2001 को खारिज की थी। फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 मई 2010 में बरकरार रखा।

> हाईकोर्ट ने कहा था कि सीबीआई न तो रायबरेली की विशेष कोर्ट में और न ही हाईकोर्ट में यह साबित कर सकी कि इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का अपराध बनता है।

> हाईकोर्ट ने साथ ही अन्य आरोपों पर रायबरेली की कोर्ट में मुकदमा जारी रखने की सीबीआई को अनुमति दी थी। विवादित ढांचा रायबरेली कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आता है।

बदन में ऐसी जगह गन छुपाई कि आप सोच भी नहीं सकते !

जॉर्जिया की एक जेल में टॉयलेट में गन मिलने की सूचना पुलिस को मिली तो अधिकारी तुरंत जेल में पहुंचे और उन्होंने सभी कैदियों को नंगा कर घुटने के बल बैठा दिया। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने सभी कैदियों को खांसने को कहा, ताकि मलद्वार में फंसी हुई अन्य वस्तुएं बाहर आ जाएं। सुनने में भले ही यह काफी अजीब लगे, लेकिन ये सच है। पुलिस अधिकारियों ने ऐसा जेल के टॉयलेट में गन मिलने के आधार पर किया। दरअसल एक कैदी ने अपने मलद्वार में बंदूक को छुपा रखा था।

किसी गैरकानूनी चीज की स्मगलिंग को रोकने के लिए जार्जिया पुलिस गहन तलाशी अभियान चला रही थी। जब जेन की तलाशी ली गई थी तब उसके पास ड्रग्स मिली जिसके कारण उसे गिरफ्तार कर लिया गया। तब उसके पास कोई गन नहीं मिला। जेन ने अपने शरीर में ऐसी जगह गन छुपाया था कि पुलिस को धोखा देने में वह कामयाब रहा। उसने अपने मलाशय (रेक्टम) में दस इंच की इस गन को छिपाया था। वह इस गन को लेकर जार्जिया के जेल में चला गया और टॉयलेट में छोड़ दिया।

पुलिस ने पाया कि वह गन खाली थी और उसमें गोली डालकर चलाए जाने पर वह ठीक से काम कर रही थी। गन मिलने के बाद जेन को हॉस्पिटल भेजा गया है ताकि उसके मलाशय को हुई क्षति की जांच हो सके। हत्या, डकैती सहित अनेक आपराधिक मामलों में पुलिस को इस खतरनाक स्मगलर की तलाश थी।

खुशखबरी: अब 15 साल तक चार्ज रहेगी मोबाइल बैटरी


स्पेयर मोबाइल की बैटरी पावर काफी अच्छी है। इस पर लगातार दस घंटे बातचीत की जा सकती है, तो स्विच ऑफ मोड में भी इसकी बैटरी में 15 साल तक चार्ज बरकरार रहेगा।

जैसे-जैसे मोबाइल फोन अत्याधुनिक तकनीक और फीचर्स से लैस होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे उनकी बैटरी लाइफ भी कम होती जा रही है। ऐसे में स्पेयर वन कंपनी एक उम्मीद की किरण दिखाती है। उसने लास वेगास के कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक शो में स्पेयर मोबाइल पेश किया है। कंपनी का दावा है कि इसका चार्ज 15 साल तक बरकरार रहेगा। इसे बैकअप प्लान के तौर पर बाजार में पेश किया जाएगा। यह मोबाइल एए बैटरी से चलता है।

क्या है खूबी

इन दिनों बाजार में प्रस्तुत मोबाइल अगर इस्तेमाल में नहीं लाए जा रहे हैं तो भी अपनी बैटरी पावर खो देते हैं। लेकिन स्पेयर वन कंपनी का दावा है कि बैकअप प्लान बतौर प्रस्तुत उसका गैजेट 15 साल तक चार्ज बरकरार रखेगा।

इमरजेंसी में आएगा काम

इस मोबाइल को किसी आपात स्थिति में प्रयोग में लाया जा सकता है। इसमें महत्वपूर्ण नंबरों को पहले से प्रोग्राम करके रखा जा सकता है। इनमें किसी भी स्थान की इमरजेंसी सेवाओं से जुड़े नंबर भी शामिल हैं। अगर फोन को सामान्य ढंग से इस्तेमाल में लाया जाता है, तो भी इसकी बैटरी दस घंटे तक चलेगी।

लोकेशन भी बताए

चूंकि यह फोन कंपनी ने बैकअप प्लान के बतौर प्रस्तुत किया है, तो उसने इसके अनुरूप खूबियां भी दी हैं। इनमें से प्रमुख है यूजर की लोकेशन की जानकारी देना। जीपीएस सुविधा से युक्त होने के कारण यह अपनी स्थिति के बारे में लगातार सर्वर को सिग्नल देता रहता है। इसमें एक टार्च भी दी गई है, जो एए बैटरी पर चलती है।

कीमत: लगभग 2,681 रुपए।

कहां मिलेगा:कंपनी स्पेयर वन को इस हफ्ते के अंत में लांच करेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह साल के अंत तक बाजार में उपलब्ध होगा।

मुसलमानों के विरोध के बाद सलमान ने टाला जयपुर दौरा



जयपुर. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का हिस्सा बनने से पहले ही विवादों में आए लेखक सलमान रुश्दी का यहां 20 जनवरी को आने का कार्यक्रम रद्द हो गया है। 'सैटनिक वर्सेज' नाम की विवादास्पद और भारत में प्रतिबंधित किताब लिखने वाले रुश्दी जयपुर में अंग्रेजी की बदलती तस्वीर पर चर्चा करने वाले थे।

डीएससी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजक संजॉय राय ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि 20 जनवरी का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के अन्य कार्यक्रमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

बताया जा रहा है कि राजस्थान सरकार के दबाव में ही जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजकों ने रुश्दी की प्रस्तावित यात्रा रद्द की है।

गौरतलब है कि सलमान रुश्दी के भारत आने को लेकर कई मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे थे। कई राजनीतिक दल भी इन संगठनों का समर्थन कर रहे थे। जयपुर में भी भारी विरोध चल रहा था। राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत इस मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री से भी मंगलवार को मिले। सूत्रों के हवाले से आई खबरों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने गहलोत से कहा है कि कानूनी तौर पर सरकार रुश्दी को भारत आने से नहीं रोका जा सकता है। मंत्रालय ने गहलोत से कहा है कि अगर रुश्दी राजस्थान जाते हैं तो सरकार उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराए।

फेस्टिवल इंग्लिश-एंगलिश-हिंगलिश विषय पर होने वाले सेशन में रुश्दी रीता कोठारी, पत्रकार तरुण तेजपाल के साथ रूबरू होने वाले थे। इसके अलावा एक अन्य सेशन मिड नाइट चाइल्ड में उन्हें हरी कुंजरू के साथ बातचीत करनी थी।

तीसरा सेशन शहर और सपना था जिसमें उनके साथ अमन सेठ, मीनल बघेल और उदय प्रकाश चर्चा करने वाले थे। आयोजकों का कहना है कि रुश्दी को लेकर विरोध करना ठीक नहीं। सबकी अपनी भावनाएं हैं, जिनकी वे कद्र करते हैं, लेकिन वे भी उनकी कद्र करें जो साहित्य के लिए जीवन समर्पित कर रहे हैं।

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