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19 जनवरी 2012

शर्मसार हुई इंसानियत लेकिन कुत्ते की वफादारी देख दंग रह गए लोग

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होशियारपुर. समय दोपहर बाद तीन बजे। स्थान रेलवे रोड का बालकृष्ण चौक। कार सवार युवकों ने सड़क पर अपने वफादार कुत्ते के साथ मस्ती से चल रहे नागा साधु बंगाली बाबा पर सैंकड़ों लोगों के सामने बेसबेट मार-मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया और मौके से फरार हो गए।

नागा साधु बंगाली बाबा का कसूर बस इतना था कि कार सवार युवकों द्वारा बार-बार हार्न बजाने के बावजूद बाबा रोजाना की तरह अपने पेट की आग बुझाने के लिए रास्ते से गुजरने के दौरान युवकों की कार को आगे बढ़ने के लिए साइड नहीं दे रहा था। बेसबेट से जिस समय नागा साधु बंगाली बाबा पर बेरहमी से प्रहार किया जा रहा था, वह मारे दर्द से लोगों से मदद की गुहार लगा रहे थे, उसे बचाने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई।

उस समय बाबा के साथ साये की तरह रहने वाले वफादार कुत्ते ने अपने मालिक को बचाने की भरसक कोशिश की लेकिन उसका प्रयास काफी नहीं था। समाचार लिखे जाने तक बंगाली बाबा घायलावस्था में सिविल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में जीवन व मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। घटना के बाद तमाम दुकानदारों व राहगीरों ने फौरन ही पुलिस व इमरजेंसी वैन 108 को सूचना दी। इमरजेंसी वैन में बेहोशी की हालत में बंगाली बाबा को प्राथमिक उपचार के बाद इलाज के लिए सिविल अस्पताल पहुंचा दिया गया।

कुत्ते की वफादारी देख लोग हुए अचंभित

मुहल्ला ऋषि नगर में बंगाली बाबा के साथ रहने वाले वफादार कुत्ता हमलावरों से बाबा को बचाने के लिए भरसक प्रयास किया लेकिन बाबा को घायल कर हमलावर चंद सैकेंड के बाद ही अपनी कार से वहां से गायब हो गए।

कार सवार युवकों के चले जाने के बाद काफी देर तक कुत्ता अपने घायल मालिक के चारों तरफ चक्कर लगाता रहा और रोने की आवाजें निकालता रहा। यही नहीं जब बाबा को एमरजेंसी वैन में ले जाया जा रहा था तो वह भी वैन में सवार होने की कोशिश करने लगा। बाद में वैन के जाते ही काफी देर तक कुत्ता वैन के पीछे दौड़ता रहा, पर सिविल अस्पताल तक पहुंचते-पहुंचते रास्ते में एंबुलेंस के तेज गति की वजह से रास्ता ही भटक गया

पुलिस कर रही है मामले की जांच

रेलवे रोड पर दिनदहाड़े इस तरह के वारदात की सूचना मिलते ही सिटी पुलिस व पीसीआर कर्मी तत्काल ही मौके पर पहुंच गए। आसपास के दुकानदारों व प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि सफेद रंग की गाड़ी में सवार युवकों ने बाबा पर बेसबाल से हमला कर घायल किया है। सिटी पुलिस ने रेलवे रोड होशियारपुर में प्रत्यक्षदर्शियों से फरार कार चालकों के संबंध में जानकारी लेकर हमलावरों की तलाश शुरू कर दी है।

प्रकृति के इस चमत्कार को देखने उमड़ा जनसैलाब

सिवाना .उपखंड के जीनपुर गांव में एक गाय ने अदभुत बछड़े को जन्म दिया। दो मुंह, चार आंखें व दो कान का यह बछड़ा कौतूहल बना है।

इसकी सूचना मिलने के बाद ग्रामीणों का उसे देखने के लिए तांता लग गया। जीनपुर निवासी हरीराम मेघवाल की एक गाय ने गुरुवार को बछड़े को जन्म दिया।

इस बछड़े के दो मुंह, चार आंखें व दो कान है। इस अनोखे बछड़े को देखने के लिए भीड़ उमड़ी। इधर, सूचना मिलने पर पशुपालन विभाग के चिकित्सक भी मौके पर पहुंचे ओर बछड़े के स्वास्थ्य की जांच की।

खून से नहाई हुई थी राजकुमारी, हाथ में लहरा रही थी कटा सिर

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कटनी। यहां से 30 किमी दूर मझौली और बहोरीबंद थाना क्षेत्रों की सीमा पर स्थित ग्राम अमोदा निवासी 40 वर्षीय राजकुमारी सेन जब रूपनाथ के मेले में हाथ में एक कटा सिर झुलाकर लाते हुए देखी गई, तो मेले में सनसनी दहशत और भगदड़ मच गई। महिला खुद खून से नहाई थी और अपनी साड़ी के जिस छोर से वह कटे सर को ढंके थी, वह खून से तरबतर था।

कटा हुआ सिर महिला के गांव के ही 50 वर्षीय श्यामलाल यादव का था। बाद में उसकी सिर कटी लाश मेले से 6 किमी दूर एक खेत से बरामद हुई। बालों से पकड़कर कटा सिर वह महिला 6 किमी तक झुलाते हुए बहोरीबंद थाने ले जा रही थी। बीच में ही मेला पड़ जाने से उसे वहीं पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उसके चेहरे पर एक अजीब सा वीभत्स भाव था। वह चेतना में रहते हुए भी चेतना शून्य सी नजर आ रही थी। उसे इस तरह खौफनाक अंदाज में कटा सिर लेकर आते देख ग्रामीणों ने तत्काल पुलिस को खबर दी।

पुलिस कर्मियों ने वहां पहुंचकर पहले मृतक का सिर अपने कब्जे में लिया फिर धड़ की तलाश में महिला को लेकर उसके बताए अनुसार 6 किमी दूर खेत पहुंची और सिर कटा धड़ भी बरामद किया। घटनास्थल चूंकि मझौली थाना क्षेत्र में आता है अत: मामला उक्त थाने के हवाले कर दिया।

जुनून में होशोहवास खो बैठी महिला ने खून से तरबतर मृतक का सिर बालों से उठाकर साड़ी के छोर से ढंका और उसी उन्मादी हाल में मेले की तरफ आ गई। इस सनसनीखेज घटना से पूरा इलाका सन्न रह गया और अब हर गांव करने में लोग सिर्फ इसी भयानक घटना की चीरफाड़ कर रहे हैं। मझौली पुलिस ने महिला को हिरासत में लेकर उसके खिलाफ दफा 302 के तहत कत्ल का मामला दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है।

नींद से जागी एनआरआई महिला, तब हुआ कुछ गलत का अहसास


नई दिल्ली. वसंत विहार इलाके में स्थित एक फाइव स्टार होटल के मसाज सेंटर में एनआरआई महिला के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। महिला का आरोप है कि मसाजर ने मसाज के बहाने उसके साथ छेड़छाड़ की, जब उसने इसकी शिकायत होटल प्रबंधन से की तो बात अनसुनी कर दी गई, जिसके बाद मामला पुलिस के पास ले जाना पड़ा।

पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के अनुसार लगभग ३५ वर्ष की भारतीय मूल की यह महिला अमेरिका निवासी है। कुछ दिन पहले वह भारत भ्रमण के लिए मां के साथ आई थी। १२ जनवरी को वह वसंत विहार इलाके में स्थित एक फाइव स्टार होटल में ठहरी थी।

13 जनवरी को उसे सिर दर्द व तनाव महसूस हुआ, जिसके बाद वह होटल में ही स्थित मसाज सेंटर में चली गई। वहां एक पुरुष मसाजर ने मसाज के दौरान महिला की कोई ऐसी नस दबाई, जिससे उसे नींद आ गई। जब वह उठी तो उसने महसूस किया कि पुरुष मसाजर ने उसके साथ छेड़छाड़ की है।

महिला ने तुरंत मामले की शिकायत होटल प्रबंधन से की लेकिन उसकी बात अनसुनी कर दी गई, जिसके बाद उसने मामले की शिकायत पुलिस से की। शिकायत के आधार पर पुलिस ने महिला का मेडिकल कराया और आरोपी मसाजर के खिलाफ आईपीसी की धारा ३५४ के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। आरोपी का नाम संजय कुमार है, वह करोल बाग का रहने वाला है और पिछले एक वर्ष से होटल में काम कर रहा है।

पढ़िए फेसबुक और ट्विटर पर आईं कुछ मजेदार टिप्पणियां

कॉमनवेल्थ घोटाले में जेल में बंद भारतीय ओलंपिक संघ के मुखिया सुरेश कलमाड़ी 19 जनवरी को पांच लाख रुपए की जमानत पर जेल से बाहर आए। पढ़िए फेसबुक और ट्विटर पर आईं कुछ मजेदार टिप्पणियां... #सुरेश कलमाड़ी को पांच लाख रुपए की जमानत पर जेल से बाहर निकालना ऐसा है जैसे किसी से जान के बदले पांच रुपए मांगना # कलमाड़ी जेल से बाहर आए, ऐसा लग रहा है जैसे भ्रष्टाचार मेरे चेहरे से गंदगी साफ कर रहा है # सुरेश कलमाड़ी को भारतीय ओलंपिक संघ का फिर से मुखिया बनाना ऐसा है जैसे शाइनी आहूजा को घरेलू नौकरानियों के उत्थान के लिए गठित आयोग का मुखिया बनाना # सुरेश कलमाड़ी जेल से बाहर आ गए हैं, जनता को अब जनलोकपाल नहीं जन-ठोकपाल चाहिए। # ये सुरेश कलमाड़ी जेल से बाहर नहीं आए हैं बल्कि भ्रष्टाचार कह रहा है भारत की ऐसी-तैसी, तुम ट्विटर पर शोर मचाते रहो, हम देश का बलात्कार करते रहेंगे। # नरेंद्र मोदी को पांच साल तो वो गुजरात को सिंगापुर जैसा बना देंगे, कलमाड़ी को पांच साल दो वो सिंगापुर को ही खरीद लेंगे (नोटः ये सोशल मीडिया पर आई टिप्पणियां हैं, इन्हें सिर्फ मजाक ही समझें)

किसान ने हाथ में पकड़ा चीता का पंजा, करने लगा ढिशुम..


सवाई माधोपुर.फलौदी क्वारी गांव से करीब तीन किमी दूर खेत पर रखवाली कर रहे फलौदी निवासी एक किसान देवीलाल गुर्जर पर बुधवार रात को पैंथर ने हमला कर दिया।

किसान जख्मी हालात में वह खेत से 3 किमी पैदल चलकर घर पहुंचा। घर पहुंचने पर परिजनों ने उसे सामान्य चिकित्सालय में भर्ती कराया। गुर्जर ने बताया कि वह खेत की रखवाली के लिए मेड पर बैठा हुआ था।

रात करीब 11 बजे किसी जानवर ने उस पर अचानक हमला कर दिया। वह जमीन पर गिर गया। पलट कर देखा तो सामने पैंथर दिखाई दिया। उसने हिम्मत नहीं हारी। पैंथर को दुबारा हमला करता देख उसने अपने हाथों से पंजों को कसकर पकड़ लिया। इस दौरान करीब आधे घंटे तक पैंथर व उसके बीच गुत्थमगुत्था होती रही। बाद में वह भाग गया।

सामान्य चिकित्सालय के आपातकालीन वार्ड में भर्ती पैंथर के हमले में गंभीर घायल हुए फलौदी निवासी देवीलाल गुर्जर ने बताया कि वह खेत की रखवाली के लिए मेड पर बैठा हुआ था। इसी दौरान रात करीब 11 बजे किसी जानवर ने उस पर अचानक हमला कर दिया।

हमला किए जाने से वह जमीन पर गिर गया। इसके बाद उसने तुरंत संभलकर देखा तो सामने पैंथर दिखाई दिया। पैंथर के अचानक हमला किए जाने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी। पैंथर को दुबारा हमला करता देख उसने बिना समय गंवाए अपने हाथों से उसके पंजों को कसकर पकड़ लिया। इस दौरान करीब आधे घंटे तक पैंथर व उसके बीच गुत्थमगुत्था होती रही।

जरा सा मजाक, तबाह कर सकता है आपका भविष्य

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सोशल नेटवर्किग साइट्स अकाउंट से छेड़छाड़ पर पांच साल की कैद और 10 लाख रुपए तक हो सकता है जुर्माना, पकड़ा जाना भी तय है, वैज्ञानिक सबूत के आईने में सजा भी होगी जरूर...


1 - फेसबुक पर अश्लील तस्वीर डालने के मामले में 23 नवम्बर को सूरजपोल थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। यह मामला इलेक्ट्रॉनिक सामान से छेड़छाड़ करने व धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के तहत आईटी एक्ट की धारा 65, 66 और 67 और आईपीसी की धारा 295 में दर्ज हुआ।

2 - सितम्बर में कलड़वास स्थित एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के 20 छात्र-छात्राओं की फेसबुक आईडी हैक करने का मामला सामने आया था। प्रतापनगर थाना पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 65, 66, 67 के तहत मामला दर्ज कर दो जनों को गिरफ्तार किया।

3 - एक जनवरी को देवाली क्षेत्र में युवती की फेसबुक आईडी हैक कर अश्लील मैसेज भेजने और दुष्प्रचार करने का मामला आया। अम्बामाता पुलिस ने आईटी एक्ट के 65, 66, 67 व 77 के तहत मामला दर्ज कर एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया है।

4 - भारतीय क्रिकेट टीम ए के पूर्व कप्तान अशोक मेनारिया के नाम पर फेसबुक पर फर्जी आईडी बनाकर 800 से अधिक मित्र बना लिए गए। करीब एक माह से मेनारिया के नाम से दूसरों से अश्लील व आपत्तिजनक कमेंट किए गए। इस संबंध में अशोक मेनारिया के पिता ने केस दर्ज कराया था।

उदयपुर.महज जरा-सा मजा लेने या किसी को परेशान करने की नीयत से अगर आप किसी सोशल नेटवर्किग साइट पर किसी के अकाउंट से छेड़छाड़ कर रहे हैं तो रुकिए, यह गंभीर अपराध है। यह हरकत न केवल आपका भविष्य चौपट कर देगी, बल्कि आप जेल के सीखचों के पीछे होंगे।

जुर्माना इतना भारी भरकम कि अदा करने में घरवालों की भी कमर टूट जाएगी। हाल ही शहर में कुछ सोशल नेटवर्किग साइट्स अकाउंट की छेड़छाड़ के बाद जेल के सीखचों के पीछे पहुंचे युवा इस भयावह हकीकत की जीती-जागती नजीर हैं। हाल ही हुई घटनाओं के मद्देनजर युवाओं को जागरूक करने के लिएविधि विशेषज्ञों से बातचीत कर यह तथ्य पाठकों के सामने रख रहा है।

यह खतरा इसलिए और ज्यादा गंभीर है कि शायद ही कोई युवा हो जिसका किसी सोशल नेटवर्किग साइट पर अकाउंट न हो। युवाओं के कई घंटे इन पर गुजर रहे हैं, खुराफाती युवा मन इसके रचनात्मक इस्तेमाल के साथ इसका दुरुपयोग करने से नहीं बाज आ रहा है।

शहर के विभिन्न थानों पर दर्ज इस तरह के मामले इसकी नजीर हैं। इन मामलों में किसी का अकाउंट हैक कर लिया गया। प्रोफाइल से छेड़छाड़ कर दी गई और अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट कर दी गई। कुछ कारणों में रंजिश भी सामने आई, लेकिन ज्यादातर मामलों में मौज-मस्ती या सामान्य बातें ही सामने आईं। अधिकतर मामलों में युवतियों को निशाना बनाया गया।

सजा का प्रावधान

एडवोकेट मनीष शर्मा ने बताया कि आईडी हैक करने पर अधिकतर मामले आईटी एक्ट की धारा 65, 66, 67 के तहत दर्ज किए जाते हैं। अपराध सिद्ध होने पर धारा 67 के तहत तीन साल की सजा और 5 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। दूसरी बार पकड़े जाने पर 5 साल की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना होता है।

ठोस होते हैं वैज्ञानिक सबूत

आईजी गोविंद गुप्ता स्वीकारते हैं कि इस तरह के मामले बढ़े हैं। आईटी एक्ट के तहत दर्ज अपराध ज्यादा गंभीर श्रेणी में आते हैं। आईटी एक्ट के साथ अपराध की किस्म के अनुसार आईपीसी की धाराएं भी जोड़ते हैं। चूंकि इस मामले में वैज्ञानिक सबूत ठोस होते हैं, इसलिए अभियुक्त को सजा मिलना भी करीब तय होता है।

अधिकतर इस तरह के मामलों में पीड़ित और आरोपी दोनों ही युवा होते हैं और किसी न किसी लिंक से एक दूसरे के परिचित भी होते हैं।

इन मामलों की जांच के दौरान सबसे ज्यादा समय संबंधित वेबसाइट से सूचना प्राप्त करने में लगता है। वेबसाइट को नियंत्रण करने वालों से संबंधित व्यक्ति और कम्प्यूटर के बारे में सूचना मांगी जाती है। कभी कभार यह सूचना जल्दी मिल जाती है तो कभी सूचना मिलने में काफी समय लग जाता है। लेकिन सूचना मिलती जरूर है और इसके बाद आरोपी जेल के सीखचों के पीछे होता है।

वेड पुराण

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बालकाण्ड पति के अपमान से दुःखी होकर सती का योगाग्नि से जल जाना, दक्ष यज्ञ विध्वंस




दोहा :
* सिव अपमानु न जाइ सहि हृदयँ न होइ प्रबोध।
सकल सभहि हठि हटकि तब बोलीं बचन सक्रोध॥63॥
भावार्थ:-परन्तु उनसे शिवजी का अपमान सहा नहीं गया, इससे उनके हृदय में कुछ भी प्रबोध नहीं हुआ। तब वे सारी सभा को हठपूर्वक डाँटकर क्रोधभरे वचन बोलीं-॥63॥
चौपाई :
* सुनहु सभासद सकल मुनिंदा। कही सुनी जिन्ह संकर निंदा॥
सो फलु तुरत लहब सब काहूँ। भली भाँति पछिताब पिताहूँ॥1॥
भावार्थ:-हे सभासदों और सब मुनीश्वरो! सुनो। जिन लोगों ने यहाँ शिवजी की निंदा की या सुनी है, उन सबको उसका फल तुरंत ही मिलेगा और मेरे पिता दक्ष भी भलीभाँति पछताएँगे॥1॥
* संत संभु श्रीपति अपबादा। सुनिअ जहाँ तहँ असि मरजादा॥
काटिअ तासु जीभ जो बसाई। श्रवन मूदि न त चलिअ पराई॥2॥
भावार्थ:-जहाँ संत, शिवजी और लक्ष्मीपति श्री विष्णु भगवान की निंदा सुनी जाए, वहाँ ऐसी मर्यादा है कि यदि अपना वश चले तो उस (निंदा करने वाले) की जीभ काट लें और नहीं तो कान मूँदकर वहाँ से भाग जाएँ॥2॥
*जगदातमा महेसु पुरारी। जगत जनक सब के हितकारी॥
पिता मंदमति निंदत तेही। दच्छ सुक्र संभव यह देही॥3॥
भावार्थ:-त्रिपुर दैत्य को मारने वाले भगवान महेश्वर सम्पूर्ण जगत की आत्मा हैं, वे जगत्पिता और सबका हित करने वाले हैं। मेरा मंदबुद्धि पिता उनकी निंदा करता है और मेरा यह शरीर दक्ष ही के वीर्य से उत्पन्न है॥3॥
* तजिहउँ तुरत देह तेहि हेतू। उर धरि चंद्रमौलि बृषकेतू॥
अस कहि जोग अगिनि तनु जारा। भयउ सकल मख हाहाकारा॥4॥
भावार्थ:-इसलिए चन्द्रमा को ललाट पर धारण करने वाले वृषकेतु शिवजी को हृदय में धारण करके मैं इस शरीर को तुरंत ही त्याग दूँगी। ऐसा कहकर सतीजी ने योगाग्नि में अपना शरीर भस्म कर डाला। सारी यज्ञशाला में हाहाकार मच गया॥4॥
दोहा :
* सती मरनु सुनि संभु गन लगे करन मख खीस।
जग्य बिधंस बिलोकि भृगु रच्छा कीन्हि मुनीस॥64॥ ॥
भावार्थ:-सती का मरण सुनकर शिवजी के गण यज्ञ विध्वंस करने लगे। यज्ञ विध्वंस होते देखकर मुनीश्वर भृगुजी ने उसकी रक्षा की॥64॥
चौपाई :
* समाचार सब संकर पाए। बीरभद्रु करि कोप पठाए॥
जग्य बिधंस जाइ तिन्ह कीन्हा। सकल सुरन्ह बिधिवत फलु दीन्हा॥1॥
भावार्थ:-ये सब समाचार शिवजी को मिले, तब उन्होंने क्रोध करके वीरभद्र को भेजा। उन्होंने वहाँ जाकर यज्ञ विध्वंस कर डाला और सब देवताओं को यथोचित फल (दंड) दिया॥1॥
* भै जगबिदित दच्छ गति सोई। जसि कछु संभु बिमुख कै होई॥
यह इतिहास सकल जग जानी। ताते मैं संछेप बखानी॥2॥
भावार्थ:-दक्ष की जगत्प्रसिद्ध वही गति हुई, जो शिवद्रोही की हुआ करती है। यह इतिहास सारा संसार जानता है, इसलिए मैंने संक्षेप में वर्णन किया॥2॥

कुरान का संदेश

तुम जियो हजारो साल और साल के दिन हो हजार ...तुम्हे दुनिया की हर ख़ुशी हर कामयाबी मिले ..आमीन

दोस्तों आदाब सलाम ..आप सोच रहे होंगे के यह बेवक्त आदाब और सलाम क्यूँ ..जनाब हर चीज़ का एक पहलु एक जरूरत और एक वक्त होता है आज का दिन मेरे लियें और मेरी जिंदगी के लियें एक अहमियत वाला दिन है ..दोस्तों आज की रात राजस्थान के नवाबों के नगर टोंक में ठिठुरती सर्दी में एक गर्म मिजाज़ लडकी का जन्म हुआ जी हाँ यह वही लडकी है जो मेरी बगल में मेरी जीवन साथी बनी है.... मेरे साथ कदम दर कदम मिला कर चल रही है ...लगभग बीस साल से हम दोनों एक दुसरे को भुगत रहे है.. कभी यह मुझ से रूठती है.. कभी में इससे रूठता हूँ.. कभी यह मुझे मनाती है.. कभी में इन्हें मनाता हूँ ..में अपनी जिंदगी में अकेला था ..और यकीन मानिए अकेले रहने का एहसास रखना चाहता हूँ... लेकिन यह जीवन संगिनी जो है इसने मेरे अकेलेपन को दूर किया ..... एक प्यारा सा राजकुमार.. दो प्यारी सी बिटियों का तोहफा दिया है ..आज मेरी इसी जीवन संगिनी ..जीवन साथी ..अहलिया आली जनाब मोहतरमा साहबजादी टोंक स्टेट श्रीमती रिजवाना अख्तर का जन्म दिन है... दोस्तों यह ओरत है... में इनकी मजबूरी समझता हूँ.. इनका जन्म किस साल में हुआ.. यह तो बताकर में इनके बुढापे की पोल नहीं खोलूँगा... लेकिन बीस जनवरी को इनका जन्म दिन है.. और मेरी तरफ से इन्हें आज का दिन इनका जन्म दिन मुबारक हो ..सालगिरह मुबारक हो ..यह हमेशा इनके शोहर की गुलाम उनकी गुलाब रहे ..उनके साथ यह और इनके साथ इनके शोहर रहे... बच्चे इनके फरमाबरदार और तहज़ीब याफ्ता होकर ऊँचे ओहदे दारान बने .. इन्हें अपनी जिंदगी में सभी सुख मिले ..इज्ज़त मिले ..धन मिले ..शोहरत मिले.. सुकून मिले ..लम्बी उम्र मिले.. सह्त्याबी मिले ..इनके सर पर हमेशा सास ससुर माँ बाप का साया बना रहे ..इनकी हर ख्वाहिश पूरी हो ..इनकी गोद इनकी हर मुराद पूरी करे ...इनकी जवानी बरकरार रहे... दुश्मनों के फरेब से इन्हें खुदा हमेशा बचाए ..दुनिया की हर ख़ुशी इन्हें मिले .आमीन सुम्मा आमीन ........ दोस्तों वेसे तो मेने यह ब्लॉग लिखना जब शुरू किया था ..तो मेरे मन में मेरी अहलिया को जन्म दिन की मुबारकबाद देने के साथ साथ शरारत का मुड था ...में मजाहिया अंदाज़ में उन्हें मुबारकबाद देना चाहता था लेकिन न जाने एक लम्हे में मेरे दिमाग के तार क्यूँ तार बिखर गये और में अब इस अंदाज़ में मेरी अर्द्धांगनी को मुबारकबाद दे बेठा हूँ ..एक और खास बात है..... कम्प्यूटर और ब्लोगिग्न को पिछले एक साल से कोस रही . मेरी बीवी के लियें में यह छ हजारवीं पोस्ट लिख रहा हूँ ..मेरे लियें यह गोरव की बात है के मेरी पत्नी के पहले जन्म दिन पर में यह छ हजारवीं पोस्ट उन्हें समर्पित कर रहा हूँ ..एक बर फिर जन्म दिन .सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो ................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मिलावटी दूध की बिक्री पर रोक लगाए सरकार : हाईकोर्ट

मिलावटी दूध पर कोर्ट ने लिया संज्ञान, 15 दिन में रिपोर्ट पेश करने को कहा
जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मिलावटी दूध की बिक्री को गंभीरता से लिया हैं। अदालत ने राज्य सरकार और जिम्मेदार अफसरों को निर्देश देते हुए कहा कि मिलावटी दूध की ब्रिकी पर पूर्णतया रोक सुनिश्चित की जाए।
कोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख नागरिक और आपूर्ति सचिव, राज्य के सभी जिला कलेक्टर्स और सीएमएचओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायाधीश एन.के.जैन की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश अखबारों में प्रकाशित खबरों पर संज्ञान लेते हुए दिया।
अदालत ने कलेक्टर्स और सीएमएचओ को निर्देश दिया कि वे हर जिले में रोजाना दूध के सौ नमूने लें और 15 दिन में अदालत में रिपोर्ट पेश करें।

यह 1 बात है बिगड़े रिश्तों को सुधारने का आसान उपाय

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जीवन में समाज, कार्यक्षेत्र में मेल-मिलाप या अपनों के बीच ही उठने-बैठने के दौरान बातों, विचारों या व्यवहार को लेकर दूसरों से मतभेद पैदा होते हैं। स्वार्थ पूर्ति न होना भी इसका कारण हो सकता है। लेकिन इससे आख़िर में व्यक्ति ही नहीं उससे जुड़े लोग भी एक-दूसरों को दोषी मानकर मन में दुर्भाव बना लेते हैं। ऐसी भावना असल में व्यक्ति विशेष को ही ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। क्योंकि खराब मनोदशा व्यक्ति को अपने कार्य और लक्ष्य से दूर कर बुरे नतीजे देती है।

सवाल यह बनता है कि क्या ऐसा संभव है कि व्यक्ति व्यावहारिक जीवन में ऐसी स्थितियों से बचकर संतुलित और सफल जीवन बीता सके? इस बात का हल रामचरित मानस में लिखे एक प्रसंग में मिल सकता है। जानते हैं वह चौपाई और प्रसंग का संदेश -

बोले लखन मधुर मृदु बानी, ग्यान बिराग भगति रस सानी।

काहु न कोउ सुख दुख कर दाता, निज कृत करम भोग सबु भ्राता।।

इस प्रसंग के मुताबिक राम, लक्ष्मण और सीता को वनवास के दौरान कष्ट में देख जब निषादराज माता कैकई को दोषी ठहराते हैं। तब लक्ष्मण निषादराज को ज्ञान, वैराग्य और भक्ति से भरी बात कहते हुए समझाते हैं कि कोई किसी को सुखी या दु:खी नहीं करता बल्कि सभी अपने किए गए कर्मों का फल भोगते हैं।

इस चौपाई में संदेश यही है कि स्वार्थ या हितपूर्ति की सोच में व्यक्ति या समूह एक-दूसरे को दोषी मानकर कुछ भी फैसला या प्रतिक्रिया करने से पहले यह जरूर सोच-विचार करे कि उस बात के लिए वह स्वयं कितने जिम्मेदार है। ऐसा करने से मन में आए क्रोध, द्वेष या कटु भावना घटती है। मन अशांत नहीं होता, सोच सही दिशा में जाती है और संबंधों में मिठास आती है।

आल्हा के विरता की कहानी सुनने के बाद अपने आप फड़कने लगेंगी बांहें

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आरा। हमारे शहर आरा की ह्रदय स्थली रमना मैदान में लगभग हर शाम बुलंद आवाज़ में एक लोकगीत गूंजने लगता है.....इस गीत का जादू ऐसा की देखते ही देखते चारो ओर भीड़ इकट्ठी हो जाती है....तालियाँ बजने लगती है ....वो हुंकार भरता है -

"रन में दपक -दप बोले तलवार,
पनपन-पनपन तीर बोलत है,
कहकह कहे अगिनिया बाण,
कटकट मुंड गिरे धरती पर,

जोश भर देनेवाली इस गायिकी को 'आल्हा' कहते है. इसे गानेवाले गायक का नाम है 'भोला'. इस लोक गायक का 'आल्हा' जब अपने चरम पर होता है तो सुननेवाले की भुजाएं फड़कने लगती है ...खून की गति बढ़ जाती है....देश पर बलिदान हो जाने की इच्छा बलवती हो जाती है...... कहते है की इन गीतों के नायक आल्हा और ऊदल ने अपना सर्वस्व मातृभूमि को अर्पित कर दिया. उनका प्रण था की दुश्मन के हाथ देश की एक अंगुल धरती नहीं जाने देंगे-

"एक अंगुली धरती न देहब
चाहे प्राण रहे चली जाये "

जगनिक के लोककाव्य “आल्ह-खण्ड” की लोकप्रियता देशव्यापी है. महोबा के शासक परमाल के शूरवीर आल्हा और ऊदल की शौर्य-गाथा केवल बुन्देलखण्ड तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि क्षेत्रों की बोलियों में भी विकसित हुईं. मुख्य रूप से यह बुन्देली और अवधी का एक महत्त्वपूर्ण छन्दबद्ध काव्य है, जिसे लगभग सन 1250 में लिखा गाया था . 'आल्हा' लोक गाथा है, जिसे भारत के लगभग सारे हिंदी प्रदेश में गाया जाता है..... हालांकि क्षेत्रीय भाषा का प्रभाव इनपर पड़ा है....भोजपुर में इनमे भोजपुरी मिली होती है...मगध में मगही.....अन्य दूसरे प्रदेशों में भी कुछ ऐसा ही हाल है. लोकगाथा में कथा तत्व मुख्य रूप से और गेयता गौड़ रूप से विद्यमान होती है. मतलब ये कि वह गाथा जिसे गा कर सुनाया जाये लोकगाथा कहलाती है.

आल्हा ऊदल 11वीं सदी में चंदेल शासक के सेनानायक थे, जिनकी वीरता का वर्णन कालिंजर के परमार राजाओं के दरबारी कवि जयनिक ने गेय काव्य के रूप में किया है. इन्होने महोबे के विख्यात वीर आल्हा - ऊदल की कथा 'आल्हा' नामक छंद में लिखी है. यह छंद इतना लोकप्रिय हो गया कि पुस्तक का नाम ही 'आल्हा' पड़ गया. इसके बाद जो भी कविता इस छंद में लिखी गयी उसे 'आल्हा' कहा जाने लगा.वीर रस से ओत-प्रोत भोजपुरी प्रदेशों में आल्हा गाने की प्रथा बड़ी पुरानी है. दोनों वीर भाइयों आल्हा और ऊदल ने किस प्रकार अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए पृथ्वीराज से भीषण युद्ध किया.

पावस ऋतु के अन्तिम चरण से लेकर पूरे शरद ऋतु तक सामूहिक रूप से अथवा व्यक्तिगत स्तर पर इन दोनों प्रदेशों में आल्हा-गायन होता है. आल्हा के अनेक संस्करण उपलब्ध हैं, जिनमें कहीं 52 तो कहीं 56 लड़ाइयां वर्णित हैं. इस लोकमहाकाव्य की गायिकी की अनेक पद्धतियाँ प्रचलित हैं. आल्हा या वीर छन्द अर्द्धसम मात्रिक छन्द है, जिसके हर पद (पंक्ति) में क्रमशः 16-16 मात्राएँ, चरणान्त क्रमशः दीर्घ-लघु होता है. यह छन्द वीररस से ओत-प्रोत होता है. इस छन्द में अतिशयोक्ति अलंकार का प्रचुरता से प्रयोग होता है। एक लोककवि ने आल्हा के छन्द-विधान को इस प्रकार समझाया है-

आल्हा मात्रिक छन्द, सवैया, सोलह-पन्द्रह यति अनिवार्य।
गुरु-लघु चरण अन्त में रखिये, सिर्फ वीरता हो स्वीकार्य।
अलंकार अतिशयताकारक, करे राई को तुरत पहाड़।
ज्यों मिमयाती बकरी सोचे, गुँजा रही वन लगा दहाड़।

आल्हा-गायन में प्रमुख संगति वाद्य ढोलक, झांझ, मंजीरा आदि है। विभिन्न क्षेत्रों में संगति-वाद्य बदलते भी हैं। ब्रज क्षेत्र की आल्हा-गायकी में सारंगी के लोक-स्वरूप का प्रयोग किया जाता है, जबकि अवध क्षेत्र के आल्हा-गायन में सुषिर वाद्य का प्रयोग भी किया जाता है। आल्हा का मूल छन्द कहरवा ताल में होता है। प्रारम्भ में आल्हा गायन विलम्बित लय में होता है। धीरे-धीरे लय तेज होती जाती है। आल्हा गानेवाले गायक के पास एक ढोल होता है..... गाने की गति ज्यों-ज्यों तीव्र होती जाती है, ढोल बजने की गति में वैसा ही परिवर्तन होता जाता है.

युद्ध भूमि में आल्हा और ऊदल के अद्भुत शौर्य के कारनामों के प्रसंग के समय गायकों की मुखाकृति देखते ही बनती है.............कभी कभी ये जोश में आकर ढोलक पर ही चढ़ जाते हैं और उसे घुटनों से दबाकर "हई जवान"की हुंकार के साथ युद्ध वर्णन करने लगते है. आल्हा गानेवालों की खूबी होती है की अपने लम्बे गायन के क्रम में ये अपने श्रोताओं को जैसे बहा ले जाते है.... वो भी गायक के साथ एकत्व का अनुभव करने लगता है...वैसी ही उद्दाम भावना...वैसा ही जोश....देश पर मर मिटने कि वैसे ही अभिलाषा जाग जाती है जैसी कभी आल्हा और ऊदल कि रही होगी.

किन्तु देशप्रेम कि भावना को जगाने वाले आल्हा गायकों कि स्थिति बहुत दयनीय है. इनकी बदतर आर्थिक स्थिति इन्हें इस से मुह मोरने पर बाध्य कर रही है. कोई भी आल्हा गायक अपने बच्चों को यह हुनर नहीं सिखाता. अपने शहर के जिस भोला उर्फ आकाश राज बादल के बारे में मै बता रही थी उनकी हालत भी बहुत ख़राब है. इन्होने कभी लाल कृष्ण आडवानी, गवर्नर हाऊस, लालू यादव के यहाँ गायिकी का प्रदर्शन किया तो कोलकाता, रामेश्वरम, लखनऊ के बड़े मंचो पर अपना जोहर दिखाकर तालियाँ बटोरी....आज ये रमना मैदान में मजमा लगाकर गाते है और पेट भरने कि कोशिश करते है.......हम सब ने भी इसकी आदत बना ली है...इसे सुनते हुए गुज़र जाते है...थोड़ी बहुत चर्चा भी कर लेते है.....बहुत हुआ तो ऐसे ही लिख मारते है.....पर मदद के लिए कुछ नहीं करते........कुछ भी नहीं करते.......अपनी परंपरा को यु ही मिटने के लिए छोड़ देते है ........

बहुत प्राचीन है ये धरोहर, अब इसे बचाने में जुटा पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग

पटना। बिहार के गौरवशाली इतिहास और आधुनिक पटना की पहचान बने गोलघर की मरम्मत 226 साल बाद हो रही है। इसके पूर्वी और दक्षिणी दरवाजे के ऊपर दीवारों पर पड़ी लंबी व खतरनाक दरारों को सुर्खी, चूना, गुड़ और गोंद से भरा जा रहा है। मरम्मत में लगी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम गोलघर को ऐतिहासिक बनाए रखने के लिए किसी नए तत्व का इस्तेमाल नहीं कर रही। यहां तक कि दरारों को भरने के लिए निकाली जा रही ईंटों और पुरानी सुर्खी को पुन: इस्तेमाल में लाया जा रहा है। विशेषज्ञों को दो वर्षो में इसकी मरम्मत कर देनी है। इसके लिए राज्य सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को एक करोड़, 38 लाख, 55 हजार रुपये का भुगतान किया है।
पत्थरों से बना है शिखर
गोलघर की मरम्मत के लिए शिखर से नींव तक का प्लास्टर हटाया गया। इसी दौरान पता चला कि शिखर पर लगभग तीन मीटर तक ईंट की जगह पत्थरों का प्रयोग किया गया है।
कमजोर हुई राज्य संरक्षित स्मारक की नींव
गोलघर को 1979 में राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया। 1786 में निर्मित गोलघर की 12 फीट 4 इंच चौड़ी नींव कमजोर हो गई है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. संजय कुमार मंजुल ने बताया कि सरकार ने 226 वर्षो तक अपेक्षित ध्यान नहीं दिया। स्मारक के चारों ओर बढ़ी आबादी और सड़कों के निर्माण से स्मारक के आसपास जल-जमाव होता रहा। भवनों के निर्माण के दौरान हुए कंपनी से भी गोलघर की नींव व दीवारें प्रभावित हुईं।
अनाज रखने के लिए बनाया गया था
अंग्रेजों ने गोलघर का निर्माण अनाज रखने के लिए किया था। अनाज का प्रयोग आपातकाल में किया जाता। 1770 के आपदा में लगभग एक करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हुए तो गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई। इंजीनियर जॉन गेस्टीन ने 20 जनवरी 1784 में निर्माण शुरू कराया और 20 जुलाई 1786 को पूरा कर दिया। इसके शीर्ष पर दो फीट 7 इंच व्यास का छिद्र अनाज डालने के लिए छोड़ा गया था जिसे बाद में भर दिया गया।
स्थापत्य कला का है अद्भुत नमूना
गोलघर स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। इसके निर्माण में कहीं भी स्तंभ नहीं है। गुम्बदाकार आकृति के कारण इसकी तुलना 1627-55 में बने मोहम्मद आदिल शाह के मकबरे से की जाती है। 142 फीट व्यास का यह मकबरा भारत का सबसे बड़ा गुंबद है। गोलघर के अंदर एक आवाज 27 बार प्रतिध्वनित होती है।

षटतिला एकादशी आज, काले तिल का दान करें


हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। पद्मपुराण में एकादशी व्रत का बहुत ही महात्मय बताया गया है एवं उसकी विधि-विधान का भी उल्लेख किया गया है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षट्तिला एकादशी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 19 जनवरी, गुरुवार को है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार षट्तिला एकादशी के दिन हमें पद्मपुराण के ही एक अंश का श्रवण और ध्यान करना चाहिए। इस दिन छ: प्रकार के तिलों का व्यवहार किया जाता है इसलिए इसे षट्तिला एकादशी कहते हैं।

इस दिन तिलों के जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिल मिले जल को पीने, तिल का भोजन तथा तिल का दान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है-

तिलस्नायी तिलोद्वार्ती तिलहोमी तिलोद्की।

तिलभुक् तिलदाता च षट्तिला: पापनाशना:।।

इस दिन काले तिल व काली गाय दान करने का विशेष महत्व है।


नौ महीने बाद जेल से बाहर आएंगे सुरेश कलमाड़ी



नई दिल्ली। कॉमनवेल्थ घोटाले में आरोपी सुरेश कलमाड़ी को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। पिछले 9 महिने से जेल में बंद कलमाडी को 5-5 लाख के दो निजी मुचलके पर रिहा किया गया है। कलमाडी के साथ कॉमनवेल्थ कमेटी के पूर्व महानिदेशक वी के वर्मा को भी जमानत मिली है।

सुरेश कलमाड़ी घोटाले के आरोप में पिछले नौ महीने से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे। कॉमनवेल्थ खेलों में घोटाले के आरोपी और भारतीय ओलंपिक संघ के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी वकील ने उनके स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत की मांग की थी।

कलमाडी को जमानत दिए जाने पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि, 'चार्जशीट पूरा होते ही जांच पूरी हो जाती है। ऐसे में आरोपी का अधिकार है कि उसे जमानत दे दी जाए।'

सीबीआई द्वारा दाखिल चार्जशीट के मुताबिक कलमाड़ी ने टाइम, स्कोर और नतीजे दिखाने वाली मशीन लगाने के लिए एक स्विस कंपनी ओमेगा को बाजार भाव से ज्यादा कीमत पर कॉन्ट्रैक्ट दिया। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक इस कॉन्ट्रैक्ट की वजह से देश को करीब 90 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

कॉमनवेल्थ खेलों की आयोजन समिति के अधिकारियों पर आरोप हैं कि ओमेगा नाम की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट देने के लिए इस तरह के हालात पैदा किए गए कि उस कंपनी के अलावा और किसी को वह सौदा न मिल पाए।

इन्हीं आरोपों के चलते कलमाड़ी को पिछले साल जनवरी में आयोजन समिति के अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया गया था। 25 अप्रैल को सीबीआई ने गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया था।

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