तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
25 जनवरी 2012
नेता सब चोर ..नेता सब निकम्मे है यही हमारे इस लोकतंत्र की हार है ...
होमाई की नजर से कुछ यूं थी पहली गणतंत्र परेड
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद गवर्नमेंट हाउस (आज के राष्ट्रपति भवन) से छह घोड़ों वाली बग्घी में बैठकर दोपहर ढाई बजे समारोह स्थल के लिए रवाना हुए। यहां सिर्फ एक बार ही गणतंत्र दिवस परेड निकली है। यह तस्वीर देश की पहली महिला फोटो जर्नलिस्ट होमाई व्यारवाला ने खींची थी। उनका 15 जनवरी 2012 को 98 वर्ष की उम्र में निधन हुआ।
अजमेर की दरगाह शरीफ दीदार गरीब नवाज की मजार का
दरगाह अजमेर शरीफ...एक ऐसा पाक-शफ्फाक नाम है जिसे सुनने मात्र से ही रूहानी सुकून मिलता है। अजमेर शरीफ में हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलैह की मजार की जियारत कर दरूर-ओ-फातेहा पढ़ने की चाहत हर ख्वाजा के चाहने वाले की होती है, लेकिन हर कोई उनके द्वार पर दस्तक नहीं दे पाता ऐसे सभी श्रद्धालुओं के लिए धर्मयात्रा में हमारी यह प्रस्तुति खास तोहफा है।
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दरगाह अजमेर शरीफ का भारत में बड़ा महत्व है। खास बात यह भी है कि ख्वाजा पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है। यहाँ आने वाले जायरीन चाहे वे किसी भी मजहब के क्यों न हों, ख्वाजा के दर पर दस्तक देने के बाद उनके जहन में सिर्फ अकीदा ही बाकी रहता है। दरगाह अजमेर डॉट काम चलाने वाले हमीद साहब कहते हैं कि गरीब नवाज का का आकर्षण ही कुछ ऐसा है कि लोग यहाँ खिंचे चले आते हैं। यहाँ आकर लोगों को रूहानी सुकून मिलता है।
ख्वाजा साहब का जन्म ईरान में हुआ था अपने जीवन के कुछ पड़ाव वहाँ बिताने के बाद वे हिन्दुस्तान आ गए। एक बार बादशाह अकबर ने इनकी दरगाह पर पुत्र प्राप्ति के लिए मन्नत माँगी थी। ख्वाजा साहब की दुआ से बादशाह अकबर को पुत्र की प्राप्ति हुई। खुशी के इस मौके पर ख्वाजा साहब का शुक्रिया अदा करने के लिए अकबर बादशाह ने आमेर से अजमेर शरीफ तक पैदल ख्वाजा के दर पर दस्तक दी थी...
तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थित दरगाह शरीफ वास्तुकला की दृष्टि से भी बेजोड़ है...यहाँ ईरानी और हिन्दुस्तानी वास्तुकला का सुंदर संगम दिखता है। दरगाह का प्रवेश द्वार और गुंबद बेहद खूबसूरत है। इसका कुछ भाग अकबर ने तो कुछ जहाँगीर ने पूरा करवाया था। माना जाता है कि दरगाह को पक्का करवाने का काम माण्डू के सुल्तान ग्यासुद्दीन खिलजी ने करवाया था। दरगाह के अंदर बेहतरीन नक्काशी किया हुआ एक चाँदी का कटघरा है। इस कटघरे के अंदर ख्वाजा साहब की मजार है। यह कटघरा जयपुर के महाराजा राजा जयसिंह ने बनवाया था। दरगाह में एक खूबसूरत महफिल खाना भी है, जहाँ कव्वाल ख्वाजा की शान में कव्वाली गाते हैं। दरगाह के आस-पास कई अन्य ऐतिहासिक इमारतें भी स्थित हैं।
धार्मिक सद्भाव की मिसाल- धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले लोगों को गरीब नवाज की दरगाह से सबक लेना चाहिए...ख्वाजा के दर पर हिन्दू हों या मुस्लिम या किसी अन्य धर्म को मानने वाले, सभी जियारत करने आते हैं। यहाँ का मुख्य पर्व उर्स कहलाता है जो इस्लाम कैलेंडर के रजब माह की पहली से छठी तारीख तक मनाया जाता है। उर्स की शुरुआत बाबा की मजार पर हिन्दू परिवार द्वारा चादर चढ़ाने के बाद ही होती है।
कामदेव का देवकार्य के लिए जाना और भस्म होना
संभु बिरोध न कुसल मोहि बिहसि कहेउ अस मार॥83॥
पर हित लागि तजइ जो देही। संतत संत प्रसंसहिं तेही॥1॥
चलत मार अस हृदयँ बिचारा। सिव बिरोध ध्रुब मरनु हमारा॥2॥
कोपेउ जबहिं बारिचरकेतू। छन महुँ मिटे सकल श्रुति सेतू॥3॥
सदाचार जप जोग बिरागा। सभय बिबेक कटकु सबु भागा॥4॥
सदग्रंथ पर्बत कंदरन्हि महुँ जाइ तेहि अवसर दुरे॥
होनिहार का करतार को रखवार जग खरभरु परा।
दुइ माथ केहि रतिनाथ जेहि कहुँ कोपि कर धनु सरु धरा॥
ते निज निज मरजाद तजि भए सकल बस काम॥84॥
नदीं उमगि अंबुधि कहुँ धाईं। संगम करहिं तलाव तलाईं॥1॥
पसु पच्छी नभ जल थल चारी। भए काम बस समय बिसारी॥2॥
देव दनुज नर किंनर ब्याला। प्रेत पिसाच भूत बेताला॥3॥
सिद्ध बिरक्त महामुनि जोगी। तेपि कामबस भए बियोगी॥4॥
देखहिं चराचर नारिमय जे ब्रह्ममय देखत रहे॥
अबला बिलोकहिं पुरुषमय जगु पुरुष सब अबलामयं।
दुइ दंड भरि ब्रह्मांड भीतर कामकृत कौतुक अयं॥
जे राखे रघुबीर ते उबरे तेहि काल महुँ॥85॥
सिवहि बिलोकि ससंकेउ मारू। भयउ जथाथिति सबु संसारू॥1॥
रुद्रहि देखि मदन भय माना। दुराधरष दुर्गम भगवाना॥2॥
प्रगटेसि तुरत रुचिर रितुराजा। कुसुमित नव तरु राजि बिराजा॥3॥
जहँ तहँ जनु उमगत अनुरागा। देखि मुएहुँ मन मनसिज जागा॥4॥
सीतल सुगंध सुमंद मारुत मदन अनल सखा सही॥
बिकसे सरन्हि बहु कंज गुंजत पुंज मंजुल मधुकरा।
कलहंस पिक सुक सरस रव करि गान नाचहिं अपछरा
चली न अचल समाधि सिव कोपेउ हृदयनिकेत॥86॥
सुमन चाप निज सर संधाने। अति रिस ताकि श्रवन लगि ताने॥1॥
भयउ ईस मन छोभु बिसेषी। नयन उघारि सकल दिसि देखी॥2॥
तब सिवँ तीसर नयन उघारा। चितवन कामु भयउ जरि छारा॥3॥
समुझि कामसुख सोचहिं भोगी। भए अकंटक साधक जोगी॥4॥
रोदति बदति बहु भाँति करुना करति संकर पहिं गई॥
अति प्रेम करि बिनती बिबिध बिधि जोरि कर सन्मुख रही।
प्रभु आसुतोष कृपाल सिव अबला निरखि बोले सही॥
आज धरती तक पहुंचेगी सूरज की आंधी
अमेरिकी अंतरिक्ष केंद्र नासा के मुताबिक, इस घटना में सूर्य से दो हजार किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से सौर लपटें निकलेंगी। यह आमतौर पर सूर्य से निकलने वाली लपटों की रफ्तार से पांच गुना ज्यादा होंगी। रविवार को सूरज पर आई आंधी की वजह से यह सब होगा। नासा के भौतिक विज्ञानी आंती पुल्ककिनन के अनुसार, ‘जब सौर तूफान से निकलने वाले कण पृथ्वी से टकराते हैं तो वे उसके चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं। इससे इस क्षेत्र में जबरदस्त उतार-चढ़ाव होता है।’
उन्होंने बताया, ‘सौर तूफान से निकली ऊर्जा एअर लाइनों की रेडियो संचार प्रणाली को बाधित कर सकती है।
खून से सने इस गणतन्त्र को बचा लो यारों
नेचुरल तरीका: दस मिनट में हाइब्लडप्रेशर और टेंशन हो दूर
अधिकांशत: बीमारियों के उपचार के लिए लोग नियमित रूप से दवाईयों का सेवन करते हैं। लेकिन ब्लडप्रेशर और तनाव दोनों ही ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें दवाईयों से जड़ से मिटाना थोड़ा मुश्किल है। कहते हैं जिन रोगों को सिर्फ औषधीयों से नहीं मिटा जा सकता है उनका उपचार योग व ध्यान से संभव है। इसीलिए कान्स्टीपेशन, तनाव या हाई ब्लडप्रेशर को जड़ से मिटाने के लिए सिर्फ रोज दस मिनट के लिए नीचे लिखी विधि से ध्यान करें।
ध्यान विधि- शरीर को ढीला छोड़ दीजिए, ध्यान रहे कमर झुकनी नहीं चाहिए।
- बंद आंखों से अपना पूरा ध्यान मूलाधार क्षेत्र में ले आइए
- पूरा ध्यान बंद आंखों से वहीं एक जगह पर केन्द्रित करिए, गुदा द्वार को ढीला छोड़ दीजिए।
- लिंगमूल को ढीला छोड़ दीजिए।
- इससे सांस की गति अचनाक गहरी और तीव्र हो जाएगी।
- अपने सांस पर ध्यान दीजिए।
- अब अपना पूरा ध्यान नासिका पर ले आइए।
- इसके बाद अपनी सांस को गौर से देखिए।
- कम से कम 30 सांस तक आप इसी अवस्था में रहें।
- अब देखिए ध्यान में जाने से पहले और अब में कितना फर्क पड़ा है।
बीमार' अन्ना नहीं आएंगे दिल्ली
रालेगण सिद्धि. भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लोकपाल कानून की मांग कर रहे समाजसेवी अन्ना हजारे अब दिल्ली नहीं आएंगे। खराब स्वास्थ्य के चलते अन्ना हजारे का दौरा रद्द हुआ है। लेकिन सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल रालेगण सिद्धि जाएंगे। वह अन्ना को दिल्ली आने और चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे।
अन्ना का ताज़ा बयान विवादों में घिरता दिख रहा है। अपने गांव रालेगण सिद्धि में जल्द रिलीज होने वाली फिल्म 'गली गली में चोर है' को देखने के बाद फिल्म के कलाकारों से मुलाकात के दौरान अन्ना ने कहा, ' जब व्यक्ति की सहन की ताकत खत्म हो जाती है तो आपके सामने जो भी भ्रष्टाचारी हो, उसे तमाचा (थप्पड़) जड़ दिया जाए तो दिमाग ठिकाने आ जाता है। अब यही एक मात्र रास्ता बच गया है।'
खुद को गांधीवादी विचारधारा का अनुयायी मानने वाले अन्ना ने हमेशा ही अहिंसा में यकीन रखने की बात की है। लेकिन अन्ना के ताज़ा बयान ने उनके विरोधियों को उनकी आलोचना का नया हथियार दे दिया है।
अन्ना के बयान पर सपा नेता मोहन सिंह ने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर टीम अन्ना पर ही होगा और उन्हें ही सबसे ज्यादा थप्पड़ पड़ेंगे। सबसे अधिक जूते और चप्पल अन्ना के सहयोगियों पर फेंके गए हैं लेकिन इससे भी उन्होंने सबक नहीं लिया। वहीं, सपा नेता आजम खान ने कहा है कि अन्ना का लोकतंत्र में भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि जब कमांडर ही हिंसा की बात करता है तो टीम क्या करेगी।
भाजपा ने अन्ना के बयान को अलोकतांत्रिक करार दिया है। भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने कहा, 'मैं इससे सहमत नहीं हूं। एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था में मर्यादाओं का अतिक्रमण करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के आंदोलन का समर्थन करता हूं लेकिन आंदोलन में मर्यादाओं का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए।'
अन्ना की मुहिम में उनका साथ देने वाले योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा, ‘थप्पड़ से नहीं, वोट की मार से भ्रष्टाचारियों का बहिष्कार करना चाहिए।’
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘गांधीवादी के तौर पर अन्ना की छवि धूमिल हो गई है और ऐसा उनके बीजेपी-आरएसएस के साथ संबंधों की वजह से हुआ है। मीडिया ने अन्ना को खड़ा किया और अब उसी से अन्ना को नीचे भी गिराया। अन्ना का चुनावों पर कोई असर नहीं है।’ दिग्विजय ने कहा, ‘मैं अन्ना को गांधीवादी मानता था। मैं उन्हें अहिंसा का पुजारी मानता था। मेरे मन में उनके प्रति काफी प्रतिष्ठा थी लेकिन जब से उन्होंने ऐसा बयान दिया है, मेरे मन में उनके प्रति इज्जत कम हुई है। संगत का असर बुरा होता है। अन्ना जब से संघ और बीजेपी के साथ आए हैं तब से उनके विचार बदल गए हैं। संघ और बीजेपी हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ावा देते रहे हैं। अन्ना भी अब वैसा ही सोचने लगे हैं।’
कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि अन्ना सबसे पहले अपने सहयोगियों अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी को थप्पड़ मारें। गौरतलब है कि केजरीवाल और बेदी के दामन पर भी भ्रष्टाचार के छींटे पड़े। केजरीवाल पर आरोप लगे कि सरकारी सेवा में रहते हुए वह राजनीति करते रहे और एनजीओ के लिए पैसा बटोरते रहे। केजरीवाल पर गैर सरकारी संगठन इंडिया अंगेस्ट करप्शन (आईएसी) से सम्बंधित 70 से 80 लाख रूपए गलत तरीके से निकालने का आरोप लगा। बेदी पर आरोप लगा कि वह सेमीनार में हिस्सा लेने के लिए संस्थानों और एनजीओ से अपनी हवाई यात्रा का पूरा किराया वसूलती थीं जबकि वीरता पदक हासिल करने के चलते उन्हें खुद का टिकट कम कीमत पर मुहैया होता था।