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27 जनवरी 2012

वसंत पंचमी: मां सरस्वती को प्रिय है यह स्तुति



ज्ञान की देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्र, स्तुति आदि की रचना की गई है। उन्हीं में से एक हैं मां सरस्वती की द्वादश नामावली स्तुति। यह स्तुति सुविख्यात है। दिन की तीन संध्याओं में इनका पाठ करने से भगवती सरस्वती अति प्रसन्न होती है तथा भक्त की हर मनोकामना पूरी करती है।
द्वादश नामावली
प्रथम भारती नाम द्वितीयं सरस्वती।
तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी।।
पंचमं जगती ख्याता षष्ठं वागीश्वरी तथा।
सप्तमं कुमुदी प्रोक्ता अष्टमं ब्रह्मचारिणी।
नवमं बुद्धिदात्री च दशमं वरदायिनी।
एकादशं चंद्रकान्तिद्र्वादशं भुवनेश्वरी।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं च: पठेन्नर:।
जिह्वाग्रे वसते नित्यं ब्रह्मरूपा सरस्वती।

यह 'भारतीय' नहीं होता तो पाकिस्तान में तड़प कर मर जाते हजारों!

पाकिस्तान में ये शख्स लाखों लोगों की उम्मीद है। बेसहारा को सहारा, महरूम की मदद में मशरूफ होकर पीड़ितों के घाव पर मरहम लगाना ही इनका मिशन है। इंसानी खिदमत ही इनका धर्म है।

मानवता का स्कूल, बेसहारा बच्चों के मां-बाप, अस्पताल और भी बहुत कुछ हैं 83 बरस के ये करूणा के देवदूत। मानवता की खिदमत को ही अपना धर्म बना चुके इस शख्स के दंगाग्रस्त इलाके में दस्तक देने मात्र से ही लड़ाइयां रूक जाती हैं। डाकूओं का दिल पिघल जाता है। मानवाता के लिए इनके प्रयास को देखकर आपका दिल भी इनके जज्बे को सलाम करेगा। अपनी सेवा के बदौलत ही ये 16 बार नोबल प्राइज के लिए नामांकित किए जा चुके हैं।

पाकिस्तान के 'फादर टेरेसा'....

अब्दुल सत्तार इदी..पाकिस्तान के 'फादर टेरेसा'....लाखों लोगों की जिन्दगियां इस नाम के साए में महफूज हैं। पाकिस्तान में इनकी प्रतिष्ठा का आलम ये है कि इदी फाउंडेशन की गाड़ियां पहुंचते ही गोलीबारी थम जाती है। कर्फ्यू में इनकी गाड़ियों को कोई खतरा नहीं रहता। दंगा थम जाता है। इनके साए में अमन चैन महफूज रहता है।

कराची, पेशावर हो चाहे ब्लूचिस्तान हर जगह इनको हर धर्म, जाति के लोग इज्जत बख्शते हैं। पर्दा में सदैव रहने वाली औरतें भी जब इनको देखती हैं तो हाथ मिलाकर इनके हाथों को चूम लेती हैं। वह ऐसा महसूस करती हैं कि इनसे मिलना जैसे अल्लाह का फजल हो। इनकी सादा तबियत और बेनियाजी लोगों को काफी प्रभावित करती है।

पाकिस्तान में दूसरे गांधी के नाम से मशहूर

कोई भी धर्म मानवता से बड़ा नहीं होता। यही संदेश देते हैं पाकिस्तान में दूसरे गांधी के नाम से मशहूर, अब्दुल सत्तार इदी। पाकिस्तान में कहीं भी, कभी भी, कोई भी हादसा हो, इदी का मेडिकल एंबुलेंस सबसे पहले पहुंचता है। यह महज संयोग कहें या मिट्टी का असर, पाकिस्तान के इस गांधी का जन्म स्थान भी गुजरात ही है। गुजरात के बंतावा गांव में इदी का जन्म 1928 में हुआ था।

सन् 1947 में भारत विभाजन के बाद उनका परिवार भारत से पाकिस्तान गया और कराची में बस गया। 1951 में आपने अपनी जमा पूंजी से एक छोटी सी दुकान ख़रीदी और उसी दुकान में इन्होंने एक डाक्टर की मदद से छोटी सी डिस्पेंसरी खोली। इसी जमांपूजी से जो भी कमाते खुद सड़क किनारे अपना बसर कर लेते लेकिन बचे हुए पैसों से गरीबों की मदद किया करते थे।

एक बार करांची में फ्लू की महामारी फैली इदी साहेब ने टेंट लगाया और मरीजों को मुफ्त दवाएं बांटी। इतना ही नहीं मरीजों की इतनी सेवा की कि लोगों ने इनके सेवा भाव को देखते हुए इनको बहुत पैसा दिया। इसके बाद अब्दुल सत्तर इदी ने इदी फाउण्डेशन बनाया। आज इदी फाउन्डेशन पाकिस्तान और दुनिया के करीब 13 देशों में कार्यरत है। गिनीज विश्व कीर्तिमान के अनुसार इदी फाउन्डेशन के पास संसार की सबसे बड़ी निजी एम्बुलेंस सेवा हैं।

इस फाउंडेशन के पास 1800 एंबुलेंस, 3 एयरोप्लेन और एक हेलीकॉप्टर है। पूरे देश में करीब 450 केंद्र हैं। इनकी संस्था अभावग्रस्त को सहारा, अनाथों के लिए अनाथालय, मुफ्त अस्पताल, पुनर्वास करना, विकलांग लोगों के लिए बैसाखी, व्ह्लील चेयर उपलब्ध कराना, प्राकृतिक आपदा से ग्रसित लोगों के लिए हर मदद उपलब्ध कराती हैं। इनकी संस्था लंदन और अमेरिका सहित दुनिया के 13 देशों में समाजहित में कार्य करती हैं।

इस संस्था ने करीब 40 हजार नर्सों को ट्रेनिंग दी है। पाकिस्तान में लोग करुणा का देवदूत और पाक का फ़ादर टेरेसा कहते हैं। इन्होंने लाखों अनजान लोगों का दाह संस्कार किया है। उनकी पत्नी बेगम बिलकिस इदी, बिलकिस इदी फाउन्डेशन की अध्यक्षा हैं। पति-पत्नी को सम्मिलित रूप से सन् 1986 का रमन मैगसेसे पुरस्कार समाज-सेवा के लिये प्रदान किया गया था। इन्हें गांधी शांति पुरस्कार 2007 में भारत सरकार ने दिया था। उन्हे लेनिन शान्ति पुरस्कार और बलजन पुरस्कार भी मिले हैं।

करांची की प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक प्राध्यापिका किरण बशीर अहमद के मुताबिक, पाकिस्तान में अब्दुल सत्तार इदी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। सादा तबियत और बेनियाजी के धनी इदी को इंसानी खिदमत ने काफी शोहरत दी है।

इदी सड़कों के किनारे पड़े हजारों शव का दाह-संस्कार करने के साथ मानवता के हर घाव पर मरहम लगाते हैं। इदी अनाथों की देखभाल सहित उनकी शादी तक का जिम्मा उठाते हैं। मानवता का यह देवदुत केवल पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि दुनिया में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आए सेवा में हाजिर रहता है। थोड़े शर्मीले इदी, चकाचौंध से दूर ही रहना पसंद करते हैं। पाकिस्तान के लोग शांति के नोबल प्राइज के लिए योग्य व्यक्ति मानते हैं।

आज इदी खानदान के पास जो कुछ भी है वह दुखी इन्सानों पर लुटाने के लिए ही है। इनकी झूला स्कीम.. ने हजारों मासूम बच्चों की जान बचा ली है। बेसहारा लड़कियों की शादी करते वक्त अब्दुल सत्तार इदी की पत्नी बिलकिस खुद छानबीन करती हैं। जब खुद उनको भरोसा हो जाता है तब अपने संस्था में रह रही अनाथ बच्चियों की शादी करती हैं। शादी के रस्मों रिवाज का खास ख्याल रखा जाता है।

शादी में शरीक होने पर ऐसा लगता है कि इनकी अपनी बेटी की ही शादी हो। सभी बच्चों को खुद अपने बच्चों जैसा प्रेम और भाव रखते हैं। एक बार अब्दुल सत्तार इदी के बेटे फैसल ने साइकिल मांगी। इदी साहब ने मना कर दिया। इसके बाद अपने बेटे को समझाते हुए कहा'' मैं सायकिल तभी दूंगा, जब सभी बच्चों को दे पाउं।'

इस भिखारी की असलियत जानकर चौंक उठेंगे आप!


सूरत।हाल ही में शहर के उनापाणी रोड पर एक भगवाधारी मुस्लिम भिखारी को क्राइम ब्रांच ने 1 पिस्तौल और 7 कार्टिज के साथ गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद जब क्राइम ब्रांच की टीम इसके घर पहुंची तो माजरा चौंका देने वाला था। क्योंकि क्राइम ब्रांच ने भिखारी के घर से 7 पिस्तौल और 58 कार्टिज बरामद किए। पुलिस पूछताछ में गिरफ्तार भिखारी ने अपना नाम जान मोहम्मद लियाकत अली बताया है।

पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार जान मोहम्मद लियाकत अली (रहवासी- मस्तान नगर, हनुमान मंदिर के पास, वीसनगर, जिला मेहसाणा) को 1 पिस्तौल और 7 कार्टिज के साथ बुधवार को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के बाद जब क्राइम ब्रांच की टीम उसके घर पहुंची तो यहां से और 9 पिस्तौल व 57 कार्टिज बरामद किए गए।

मोहम्मद जान द्वारा पुलिस को बताए अनुसार नवीन उर्फ नवीनराज आदिद्रविड नामक एक व्यक्ति दिल्ली से हथियार लेकर आता था और यह हथियार वह जान मोहम्मद को डिलीवर करता था। फिलहाल पुलिस जांच में लगी है कि इन हथियारों का मुख्य स्रोत कहां हैं, मसलन हथियार बनते कहां हैं और कहां-कहां सप्लाई होते हैं ? खबर लिखे जाने तक जान मोहम्मद से पूछताछ जारी है।

यहां होता है चमत्कार, हर मनोकामना होती है पूर्ण

भारत के जम्मू और कश्मीर प्रदेश में स्थित मां वैष्णव का धाम शक्ति आराधना का जाग्रत स्थल माना जाता है। यहां पर अन्य देवी मंदिरों की भांति देवी की साकार और श्रृंगारित प्रतिमा न होकर मां वैष्णवी तीन पिण्डियों के सामूहिक स्वरुप में दर्शन देती है। अनेक श्रद्धालुओं की जिज्ञासा का विषय है कि आखिर माँ वैष्णवी एक हैं तो फिर उनकी यहां तीन पिण्डियों के रुप में क्यों पूजा की जाती है। जानते हैं माता की इन्हीं तीन दिव्य पिण्डियों के धार्मिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पक्ष को।

धार्मिक मान्यता है कि माता वैष्णवी अधर्म और दुष्टों का नाश कर जगत कल्याण के लिए आज भी माँ वैष्णव धाम में वास करती है। माता की तीन पिण्डियों के संबंध में पुराण कथा अनुसार -

राक्षस महिषासुर के दुष्टता और आंतक से पीडि़त इन्द्र सहित सभी देवता ब्रह्मा और शिव के साथ जाकर वैकुण्ठ में विष्णु भगवान से मिले। देवताओं ने विष्णु भगवान से इस संकट से छुटकारा दिलाने की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने दिव्य-दृष्टि से जानकर बताया कि महिषासुर की मृत्यु केवल एक नारी के द्वारा ही संभव है, देवताओं द्वारा नहीं।

इसके बाद देवताओं द्वारा स्तुति करने पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव के सामुहिक तेज से एक नारी स्वरुप शक्ति की उत्पत्ति हुई। इस शक्ति में ब्रह्मा के अंश से महासरस्वती, विष्णु के अंश से महालक्ष्मी और शिव के अंश से महाकाली पैदा हुई। गुफा में तीन पिण्डियां इन तीन देवी रुपों का प्रतीक है। इनका सामूहिक स्वरुप ही मॉं वैष्णवी है। बाहरी रुप से अलग-अलग दिखाई देने पर भी इन तीन रुपों में कोई भेद नहीं है।


माना जाता है कि वैज्ञानिकों ने भी इन पिण्डियों के रहस्य को जानना चाहा। उनके द्वारा वैज्ञानिक निष्कर्षों में भी यह पाया कि गुफा में यह तीन पिण्डियाँ बिना आधार के स्थित है यानि दिव्य पिण्डियां बिना किसी सहारे के हवा में खड़ी है, जो अद्भुत है।

आध्यात्मिक दृष्टि से अलौकिक शक्ति का रुपयह तीन पिण्डियां इच्छाशक्ति, ज्ञान शक्ति और क्रियाशक्ति की प्रतीक है। इस तथ्य को व्यावहारिक जीवन से जोड़े तो पाते है कि जीवन में इच्छा, विद्या और कर्म के अभाव में किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती है। शाक्त ग्रंथों में भी आदिशक्ति वैष्णवी ने शक्ति के इन अवतारों का मुख्य उद्देश्य देवताओं की रक्षा, मानव-कल्याण, दानवों का नाश, भक्तों को निर्भय करना और धर्म की रक्षा बताया है।

माता वैष्णवी की चमत्कारिक पिण्डियों की भांति ही वैष्णव मां की पवित्र गुफा में बहने वाला जल भी रहस्य का विषय है। इस जल का स्त्रोत वैज्ञानिकों को भी नहीं मिला। यही कारण है कि माता के दरबार से धर्मावलंबी भक्तों का अटूट आस्था और विश्वास है। इस बहते जल को भी वह मां का आशीर्वाद और उसका सेवन समस्त पापों को नष्ट करने वाला मानते हैं।

ओह...तो यह है प्रियंका गांधी के रणथंभौर आने का 'राज'

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जयपुर.गांधी परिवार की लाडली प्रियंका गांधी राजस्थान के वन्य जीव अभयारण्य रणथंभौर में बार-बार बाघों और अन्य वन्य जीवों की फोटोग्राफी के लिए आती हैं।

रणथंभौर के बाघों और मृगछौनों सहित अन्य तरह के वन्यजीवों की फोटोग्राफी उनका पहला शौक है, जो उन्हें 13 साल की उम्र में लगा था। तब वे पहली बार अपने पिता राजीव गांधी के साथ रणथंभौर आई थीं और अपने बच्चों के लिए शिकार करती एक बाघिन का ब्लैक एंड व्हाइट फोटो लिया था।

प्रियंका गांधी के कैमरे से लिए गए फोटो पर आधारित एक मेगासाइज कॉफी टेबल बुक कुछ समय पहले प्रकाशित हुई है। इसकी कीमत 4800 रु. है। यह पुस्तक हाल ही जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में प्रदर्शित की गई थी।

‘रणथंभौर : दॅ टाइगर्स रीम’ शीर्षक से प्रकाशित यह पुस्तक कॉफी टेबल बुक से काफी हटकर है। इसमें होटेलियर और वन्यजीव तथा प्रियंका गांधी के मित्र जैसलसिंह और अंजलीसिंह का भी सहयोग है। यह पुस्तक इन तीनों के नाम से छपी है।

इसका डिजाइन खुद प्रियंका गांधी ने तैयार किया है। सुजॅन आर्ट से प्रकाशित और राजीव गांधी को समर्पित इस पुस्तक में रणथंभौर के खूबसूरत फोटो हैं, जिनमें बाघों की विभिन्न मुद्राओं को दर्शाया गया है। एक फोटो में मोटर साइकिल पर आ रहा परिवार बाघ को देखकर जान बचाने की कोशिश करता हुआ दिखाई दे रहा है। यह परिवार मोटर साइकिल सड़क पर ही छोड़ भागता है।

एस. अहमद और श्रीमत पांडे का भी जताया है आभार

प्रियंका के रणथंभौर दौरे का असर ब्यूरोक्रेसी पर भी साफ दिखता है। प्रियंका, जैसलसिंह और अंजली की ओर से पुस्तक में मुख्य सचिव एस. अहमद, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्रीमत पांडे, उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव सुनील अरोड़ा, सवाई माधोपुर कलेक्टर गिरिराजसिंह और एसपी अंशुमान भौमिया का विशेष आभार जताया गया है।

1 फोटो, 45 डिग्री पारा, 4 घंटे

रणथंभौर में बाघों के एक विशेष सीन के लिए प्रियंका गांधी एक दिन 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में चार घंटे लगातार तपीं और जब बाघ आए तो वे तीन घंटे उन्हें निहारती रहीं। वे ‘माई फैमिली एंड अदर ऐनिमल्स’ पुस्तक में छपे एक लेख में कहती हैं, ‘मैं समझती हूं कि वन्य जीवों के प्रति प्रेम का यह उपहार मुझे मेरे पिता से ही मिला है। उन्होंने ही मुझे फोटो लेना सिखाया। ..और कैमरा मेरे लिए डायरी का ही काम करता है।’

मौत का खौफनाक 'सपना', यमराज के घर पहुंचा पूरा परिवार



भोपाल। मां, ये दवाएं खा लो.., मीना और सीमा को भी दे देना। इससे डेंगू और मलेरिया नहीं होगा। नींद की गोलियां देने से पहले कुछ ऐसा ही कहा था आनंद ने। किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि जो बेटा रात-दिन अपनी बूढ़ी मां के लिए फिक्रमंद रहता था, बहनों का इकलौता आसरा था, वही उनकी जिंदगी छीन लेगा। तीनों की हत्या कर देगा।

हत्या की वजह भी कोई रंजिश या दुर्भावना नहीं, बल्कि रात-दिन आने वाला ये ख्याल कि अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी मां और बहनों का क्या होगा। एक जरा सी आशंका और सनक के भंवर में उलझे आनंद ने, जिस आंचल में दुनियादारी का सबक सीखा, उसी आंचल को फंदा बनाकर मां और दोनों बहनों की हत्या कर दी और खुद भी मौत का दामन थाम लिया।

दहशत, तीन कत्ल और खुदकुशी
सुभाष चौक स्थित जैन मंदिर ट्रस्ट के मकान में रहने वाले 45 वर्षीय आनंद जैन (45) सोने-चांदी की खरीद फरोख्त का काम करते थे। उन पर अपनी दो बहनों मीना (42), सीमा (32) और मां जतिन बाई (75) की भी जिम्मेदारी थी। एएसपी राजेश मिश्रा के मुताबिक शुक्रवार सुबह उसने अपनी मां और दोनों बहनों को नींद की गोलियां देने के बाद साड़ी से उनका गला घोंटा, फिर उसी साड़ी का फंदा बनाकर खुद की जान भी दे दी।

मौके पर पहुंची पुलिस ने पहले कमरे से दोनों बहनों की लाश बरामद की, दूसरे कमरे में जतिन बाई औंधे मुंह पड़ी थी और सीढ़ियों के पास आनंद फांसी पर लटका मिला। पुलिस ने एक कमरे से करीब 15 पेज का सुसाइड नोट भी बरामद किया है, जिसमें उसने अपनी इस करतूत को बयां किया है।

सुसाइड नोट के मुताबिक उसे अपनी हत्या की आशंका थी। उसने यह अंदेशा बीते आठ दिनों से नींद में आ रहे सपने के आधार जताया था। सुसाइड नोट में इस बात का भी जिक्र है कि परिवार के खत्म होने के बाद कौन, किसका दाह संस्कार करेगा। एएसपी के मुताबिक फिलहाल मर्ग कायम कर वारदात की असल वजह तलाशी जा रही है।

बहन की शादी से पहले ले ली जान!
पंकज ने बताया कि 10 फरवरी को आनंद की बहन मीना की शादी तय हुई थी। पूरे परिवार ने शादी की तैयारी भी कर ली थी। मीना का रिश्ता रायपुर के एक जैन परिवार में तय हुआ था, लेकिन घर में शादी की खुशियां गूंजती, इससे पहले ही आनंद ने वारदात को अंजाम दे दिया।

दोस्ती रखना है तो मेरा कारोबार मत पूछो
एएसपी ने बताया कि आनंद सोने-चांदी की खरीद फरोख्त करता था। वहीं उसके दोस्त नवीन जैन के मुताबिक उससे कारोबार के बारे में पूछने पर वह भड़क जाता था। कहता था कि दोस्ती रखनी है तो मेरे कारोबार के बारे में मत पूछो। मैं कोई गलत काम नहीं करता, तुम्हारे लिए इतना ही जानना काफी है।

मोबाइल इस्‍तेमाल किया तो मिलेगी सजा-ए-मौत!

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उत्तर कोरिया के दिवंगत नेता किम जोंग द्वितीय की मौत के बाद चल रहे 100 दिन के राष्ट्रीय शोक के दौरान देश में कड़े नियम लागू किए गए हैं। उत्तर कोरिया के नागरिकों को चेतावनी दी गई है कि यदि वो राष्ट्रीय शोक के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते पाए गए तो उन्हें युद्ध अपराधी माना जाएगा और आजीवन कारावास या मौत की सजा भी दी जा सकती है। कोरिया में मात्र पांच प्रतिशत लोगों के पास ही मोबाइल फोन है।
17 दिसंबर को कोरिया के नेता किम जोंग द्वितीय की मौत के बाद से ही देश में 100 दिन का राष्ट्रीय शोक है और इस दौरान बेहद कड़े नियम लागू किए गए हैं।
किम जोंग द्वितीय ने 1994 में उत्तरी कोरिया की सत्ता संभाली थी और इस दौरान देश की सेना का विकास बेहद तेज गति से किया था। किम जोंग के कार्यकाल में ही कोरिया ने विश्व की पांचवी सबसे बड़ी सेना का निर्माण किया। कोरिया में किम जोंग का मौत के बाद भी बेहद सम्मान है लेकिन बाहरी दुनिया ऐसे क्रूर शासक के रूप में जानती है जिसने कोरिया के लोगों की भलाई के मुकाबले सेना और ताकत के विकास को तरजीह दी।
किम जोंग के कार्यकाल में ही कोरिया ने परमाणु हथियार भी हासिल किए। साल 2006 में कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया था।

कुरान का संदेश

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