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29 जनवरी 2012

जब देवराज इंद्र बन गए थे बैल क्योंकि...

यह कथा पुरातन काल की है। तब स्वर्ग के भोग-विलास में डूबे देवता शक्तिहीन हो चुके थे। जबकि दैत्यगुरु शुक्राचार्य के मार्ग दर्शन में दैत्य अपना सैन्य व आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ा रहे थे। जब शुक्राचार्य को लगा कि अब दैत्यों के पास पर्याप्त शक्तियां एकत्रित हो गई हैं तो उन्होंने दैत्यों को स्वर्ग पर आक्रमण करने का आदेश दिया। पराक्रमी दैत्यों ने गुरु का आदेश मिलते ही स्वर्ग पर धावा बोल दिया। इससे सर्वत्र हाहाकार मच गया। शक्तिहीन देवता दैत्यों के आगे कयादा समय तक टिक न सके तथा स्वर्ग छोड़ कर भाग निकले।

पराजित व तेजहीन देवता, देवराज इन्द्र के साथ अपनी व्यथा सुनाने भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे। उनकी कातर प्रार्थना सुन कर भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागे तथा उन्होंने देवताओं से आने का कारण पूछा। तब देवता दोनों हाथ जोड़ कर बोले 'भगवन्। आप सर्वशक्तिमान और भक्तों की रक्षा करने वाले हैं। सृष्टि के आरम्भ में आपने ही देवगणों को राज्य सौंप दिया।

दैत्यों ने हमें पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया है। हमें आपकी कृपादृष्टि की आवश्यकता है।' भगवान विष्णु बोले- देवेन्द्र। यह सत्य है कि सृष्टि के समस्त प्राणी मेरे ही अंशावतार हैं। यह भी अटल सत्य है कि देवता और दैत्य मुझे समान रूप से प्रिय हंै। जिस प्रकार विभिन्न स्तुतियों से आप देवगण मुझे प्रसन्न करने का प्रयत्न करते रहते हैं, ठीक उसी प्रकार दैत्य भी नियम पूर्वक तथा कठिन तपस्या कर मुझे प्रसन्न करने का प्रयास निरन्तर करते रहते हैं। फिर मैं एक भक्त के लिए दूसरे का अहित कैसे कर सकता हूं?

इसलिए मैं आपकी कोई सहायता नहीं कर सकता। भगवान विष्णु के श्रीमुख से यह वचन सुनते ही देव दुखी हो गए। देवताओं को अत्यंत निराश देख देवराज इन्द्र ने सोचा अगर कुछ न किया तो देवताओं का उनके ऊपर से विश्वास उठ जाएगा। यह सोचकर इन्द्र पुन: श्री विष्णु भगवान से प्रार्थना करने लगे, 'हे भगवन, आपके सिवा इस सृष्टि में ऐसा कोई नहीं हैं, जो हमारी सहायता कर सकता है।'

भगवान विष्णु के परामर्श से इन्द्र और देवता राजा पुरंजय के पास गए। पुरंजय इक्ष्वाकु के पौत्र थे। वह बड़े वीर, पराक्रमी और बलशाली राजा थे। इन्द्र ने राजा पुरंजय से देवगुरु संग्राम में उनकी सहायता करने की प्रार्थना की। तब राजा पुरंजय बोले- 'देवेन्द्र, मैं आपकी सहायता को तैयार हूं। किन्तु मैं युद्ध तभी करूंगा, जब आप मेरे वाहन बनें।'

इन्द्र ने राजा पुरजंय के वाहन बैल का रूप धारण करने की शर्त स्वीकार कर ली। तब देवताओं ने राजा पुरंजय के नेतृत्व में दैत्यों पर आक्रमण कर दिया। वीर पुरजंय ने बैल रूपी इन्द्र पर सवार हो दैत्यों का संहार किया। शीघ्र ही उन्होंने दैत्यों को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार इन्द्र को वाहन बनाने के कारण पुरजंय 'इन्द्र वाहक' और बैल के कुकुद (पीठ) पर बैठने के कारण ककुत्स्थ नाम से प्रसिद्ध हुए।

ठीक 64 साल पहले यहीं घटी थी भारतीय इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना

नई दिल्ली. गांधी स्मृति को पहले बिरला हाउस या बिरला भवन के नाम से जाना जाता था. ये वही जगह है जहां 'नाथूराम गोडसे' ने राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के सीने पर गोली दागी थी. नई दिल्ली में यह घटना 30 जनवरी 1948 को हुई थी. यही कारण है कि जिस मार्ग पर बिरला हाउस स्थित है उस मार्ग को 30 जनवरी मार्ग कहा जाता है. फिलहाल इस भवन को संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है.


गौरतलब, है कि यह भवन मशहूर उधोगपति घराने बिरला का निवास स्थान था जहां महात्मा गांधी ने अपने जीवन के आखिरी 144 दिन गुजारे थे. तस्वीरों के माध्यम से हम आपको उस घर और स्थान के दर्शन कराने जा रहे हैं जो उस महान आत्मा और उनके उन मूल्यों की याद दिलाती है जो हमेशा के लिए अमर हो चुके हैं...










क्या आप जानते हैं क्यों गोली लगने के बाद भी अस्पताल नहीं पहुंचे राष्ट्रपिता


दिल्ली. महात्मा गांधी जिन्हें देश 'बापू' कहकर संबोधित करता है, रोज शाम को प्रार्थना किया करते थे. 30 जनवरी 1948 की शाम जब वो संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे नाम के शख्स ने पहले उनके पैर छुए और फिर सामने से उनपर तीन गोलियां दाग दीं. उस वक़्त बापू अपने सम्बन्धियों और अनुचरों से घिरे हुए थे.

नाथूराम इससे पहले भी बापू के हत्या की तीन बार (1934, मई और सितम्बर 1944 में ) कोशिश कर चुका था, लेकिन असफल होने पर वह अपने दोस्त 'नारायण आप्टे' के साथ वापस मुंबई चला गया. इन दोनों ने 'दत्तात्रय परचुरे' और 'गंगाधर दंडवते' के साथ मिलकर 'बेरेत्ते' (Beretta) नामक पिस्टल खरीदी. असलहे के साथ ये दोनों 29 जनवरी 1948 को वापस दिल्ली पहुंचे और दिल्ली स्टेशन के रिटायरिंग रूम नंबर 6 में ठहरे.

30 जनवरी 1948 की शाम जब बापू प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी गोडसे ने उन्हें रोकने की कोशिश की जिसपर बापू को सहारा दे रही एक स्त्री ने गोडसे से कहा "भाई, बापू को पहले ही देर हो चुकी है"गोडसे ने उस स्त्री को धक्का दिया और .38 बेरेत्ते पिस्टल से उनके सीने पर एक के बाद एक तीन गोलियां दाग दीं.

बापू की हत्या के बाद नन्द लाल मेहता द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक़ उनके मुख से निकला अंतिम शब्द 'हे राम' था. हालांकि इस बात की कोई जानकारी नहीं मिलती की क्यों गोली लगने के बाद भी उन्हें अस्पताल ले जाने की जगह बिरला हाउस में ही वापस ले जाया गया.

शिवजी की विचित्र बारात और विवाह की तैयारी

बालकाण्ड
दोहा :
* लगे सँवारन सकल सुर बाहन बिबिध बिमान।
होहिं सगुन मंगल सुभद करहिं अपछरा गान॥91॥
भावार्थ:-सब देवता अपने भाँति-भाँति के वाहन और विमान सजाने लगे, कल्याणप्रद मंगल शकुन होने लगे और अप्सराएँ गाने लगीं॥91॥
चौपाई :
* सिवहि संभु गन करहिं सिंगारा। जटा मुकुट अहि मौरु सँवारा॥
कुंडल कंकन पहिरे ब्याला। तन बिभूति पट केहरि छाला॥1॥
भावार्थ:-शिवजी के गण शिवजी का श्रृंगार करने लगे। जटाओं का मुकुट बनाकर उस पर साँपों का मौर सजाया गया। शिवजी ने साँपों के ही कुंडल और कंकण पहने, शरीर पर विभूति रमायी और वस्त्र की जगह बाघम्बर लपेट लिया॥1॥
* ससि ललाट सुंदर सिर गंगा। नयन तीनि उपबीत भुजंगा॥
गरल कंठ उर नर सिर माला। असिव बेष सिवधाम कृपाला॥2॥
भावार्थ:-शिवजी के सुंदर मस्तक पर चन्द्रमा, सिर पर गंगाजी, तीन नेत्र, साँपों का जनेऊ, गले में विष और छाती पर नरमुण्डों की माला थी। इस प्रकार उनका वेष अशुभ होने पर भी वे कल्याण के धाम और कृपालु हैं॥2॥
* कर त्रिसूल अरु डमरु बिराजा। चले बसहँ चढ़ि बाजहिं बाजा॥
देखि सिवहि सुरत्रिय मुसुकाहीं। बर लायक दुलहिनि जग नाहीं॥3॥
भावार्थ:-एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू सुशोभित है। शिवजी बैल पर चढ़कर चले। बाजे बज रहे हैं। शिवजी को देखकर देवांगनाएँ मुस्कुरा रही हैं (और कहती हैं कि) इस वर के योग्य दुलहिन संसार में नहीं मिलेगी॥3॥
* बिष्नु बिरंचि आदि सुरब्राता। चढ़ि चढ़ि बाहन चले बराता॥
सुर समाज सब भाँति अनूपा। नहिं बरात दूलह अनुरूपा॥4॥
भावार्थ:-विष्णु और ब्रह्मा आदि देवताओं के समूह अपने-अपने वाहनों (सवारियों) पर चढ़कर बारात में चले। देवताओं का समाज सब प्रकार से अनुपम (परम सुंदर) था, पर दूल्हे के योग्य बारात न थी॥4॥
दोहा :
* बिष्नु कहा अस बिहसि तब बोलि सकल दिसिराज।
बिलग बिलग होइ चलहु सब निज निज सहित समाज॥92॥
भावार्थ:-तब विष्णु भगवान ने सब दिक्पालों को बुलाकर हँसकर ऐसा कहा- सब लोग अपने-अपने दल समेत अलग-अलग होकर चलो॥92॥
चौपाई :
* बर अनुहारि बरात न भाई। हँसी करैहहु पर पुर जाई॥
बिष्नु बचन सुनि सुर मुसुकाने। निज निज सेन सहित बिलगाने॥1॥
भावार्थ:-हे भाई! हम लोगों की यह बारात वर के योग्य नहीं है। क्या पराए नगर में जाकर हँसी कराओगे? विष्णु भगवान की बात सुनकर देवता मुस्कुराए और वे अपनी-अपनी सेना सहित अलग हो गए॥1॥
* मनहीं मन महेसु मुसुकाहीं। हरि के बिंग्य बचन नहिं जाहीं॥
अति प्रिय बचन सुनत प्रिय केरे। भृंगिहि प्रेरि सकल गन टेरे॥2॥
भावार्थ:-महादेवजी (यह देखकर) मन-ही-मन मुस्कुराते हैं कि विष्णु भगवान के व्यंग्य-वचन (दिल्लगी) नहीं छूटते! अपने प्यारे (विष्णु भगवान) के इन अति प्रिय वचनों को सुनकर शिवजी ने भी भृंगी को भेजकर अपने सब गणों को बुलवा लिया॥2॥
* सिव अनुसासन सुनि सब आए। प्रभु पद जलज सीस तिन्ह नाए॥
नाना बाहन नाना बेषा। बिहसे सिव समाज निज देखा॥3॥
भावार्थ:-शिवजी की आज्ञा सुनते ही सब चले आए और उन्होंने स्वामी के चरण कमलों में सिर नवाया। तरह-तरह की सवारियों और तरह-तरह के वेष वाले अपने समाज को देखकर शिवजी हँसे॥3॥
* कोउ मुख हीन बिपुल मुख काहू। बिनु पद कर कोउ बहु पद बाहू॥
बिपुल नयन कोउ नयन बिहीना। रिष्टपुष्ट कोउ अति तनखीना॥4॥
भावार्थ:-कोई बिना मुख का है, किसी के बहुत से मुख हैं, कोई बिना हाथ-पैर का है तो किसी के कई हाथ-पैर हैं। किसी के बहुत आँखें हैं तो किसी के एक भी आँख नहीं है। कोई बहुत मोटा-ताजा है, तो कोई बहुत ही दुबला-पतला है॥4॥
छंद :
* तन कीन कोउ अति पीन पावन कोउ अपावन गति धरें।
भूषन कराल कपाल कर सब सद्य सोनित तन भरें॥
खर स्वान सुअर सृकाल मुख गन बेष अगनित को गनै।
बहु जिनस प्रेत पिसाच जोगि जमात बरनत नहिं बनै॥
भावार्थ:-कोई बहुत दुबला, कोई बहुत मोटा, कोई पवित्र और कोई अपवित्र वेष धारण किए हुए है। भयंकर गहने पहने हाथ में कपाल लिए हैं और सब के सब शरीर में ताजा खून लपेटे हुए हैं। गधे, कुत्ते, सूअर और सियार के से उनके मुख हैं। गणों के अनगिनत वेषों को कौन गिने? बहुत प्रकार के प्रेत, पिशाच और योगिनियों की जमाते हैं। उनका वर्णन करते नहीं बनता।

कुरान का संदेश


जब खुद पर पढ़ी तो श्रीमती जी इन्ना लिल्लाहे माँ अस्साबेरिन का फार्मूला भूल गयीं

दोस्तों सभी लोग ...दूसरों को दुःख की घड़ी में तसल्ली के लियें शिक्षा देते है॥ कहते है के सब्र करो ...लेकिन खुद पर पढने पर खुद ही भूल गये ....इन्ना ल्लिल्लाह माँ अस्साबेरिन का फार्मूला ....जी हाँ दोस्तों यह सच्चाई कल मुझे मेरे खुद के घर में देखने को मिली ....हमारी श्रीमती जी को किसी विवाह समारोह में टोंक जाना था उन्होंने कहा के में सामान जमा लुंगी तब फोन कर दूंगी हमे बस स्टेंड तक छोड़ देना ....अदालत में अचानक हमारी श्रीमती जी का फोन आया में समझा शायद तय्यार हो गयी है ..बुलावा आया है फोन उठाया तो रोने और चीखने की आवाज़ आने लगी ... मेने पूंछा क्या हुआ तो बस इतना कह कर फोन काट दिया के मेरे सोने के कड़े गुम गए.. तुम जल्दी आ जाओ ....... में घर पहुंचा तो सामान बिखरा पढ़ा था ..सोने के चार कड़े जो करीब छह तोला के थे.... दो साल पहले ही श्रीमती जी ने अपनी पसंद से बनवाये थे ..कल जब टोंक जाने के लियें जेवर सम्भाला... और जाने की तय्यारी में जुटीं ....तो सारा जेवर तो सुरक्षित था ..लेकिन सोने के कड़े गायब थे ....खूब ढूंढें मेने भी ढूंढें लेकिन नतीजा सिफर रहा ....इधर श्रीमती जी का रोना धोना और उधर कड़ों की तलाश हमारी अम्मी वगेरा सबने समझाने की कोशिश की लेकिन बेकार ..में देखता था के हर संकट की घड़ी में हमारी यही रोने धोने वाली श्रीमती जी दूसरों को सब्र करो अल्लाह सब ठीक करेगा इन्ना लिल्लाह ऐ माँ अस्साबेरिन पढो का सबक सिखाती थी लेकिन खुद पर पढ़ी तो खुद इस अल्लाह के हम को मानने को तय्यार नहीं सब्र ही नहीं आ रहा था ..खेर आज फिर कुछ रिश्तेदारों के सामने कड़ों का ज़िक्र आते ही हमारी श्रीमती जी की रुलाई फुट पढ़ी.... में अगर चुप करने की कोशिश भी करता तो सब बेकार रहता इसलियें में भी जोर से बोल कर यह पोस्ट लिखने लगा .यकीन मानिये इस पोस्ट को सुन कर पहले तो उन्होंने मजाक समझा... लेकिन जब देखा के में मजाक नहीं कर रहा... सच में ही लिख रहा हूँ.. पहले तो विनम्र निवेदन किया के प्लीज़... इस पोस्ट को लिख कर ब्लॉग या फेसबुक पर पोस्ट मत करना... लोग मेरा मजाक उड़ायेंगे.... लेकिन उनके रोते हुए चेहरे को देख कर में भी जिद पर अड़ गया के जब तुम्हे खुदा की कुदरत पर भरोसा नहीं ..अल्लाह बेहतर जानता है इस शिक्षा का ज्ञान नहीं ..सब्र और इन्ना लिल्लाह ऐ माँ अस्साबेरिन का फार्मूला समझ में नहीं ..आता ..इसलियें में तो तुम्हारी यह हरकत मेरे मित्रों तक पहुंचाऊंगा ..दोस्तों यकीन मानिये हमारी श्रीमती जी इन कड़ों के गुम जाने पर डेढ़ लाख का नुकसान गिनाते गिनाते नहीं थक रही थीं.... के अचानक आँखों के सूखे आंसू पोंछ कर दृडता से बोली.... के चलो जो होना था...सो .. हो गया अल्लाह और देगा... इंशा अल्लाह ....अल्लाह और देगा.... बस कड़े गुमने का गम... जब श्रीमती जी के चेहरे से जब गायब हुआ... और उनके दिलो दिमाग को खुदा ने सब्र दिया.... तब मुझे भी सुकून मिला और सोचने लगा के सच कुदरत का भी इन्ना लिल्लाहे माँ अस्सबेरिन का अजब कामयाब फार्मूला है.... और अल्लाह इसी तरह सभी पीड़ित परेशां लोगों को भी सब्र दे ... आमीन ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जानें, क्या है दुर्गा शब्द का अर्थ?



गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा की जाती है। मां दुर्गा सभी दु:खों को हरने वाली है। वे अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती तथा उनकी हर मनोकामना पूरी करती है। इतना ही नहीं दुर्गा मां का नाम लेने से ही सारे कष्टों का निवारण स्वत: ही हो जाता है। देवीपुराण में दुर्गा शब्द का व्यापक अर्थ बताया गया है उसके अनुसार-
दैत्यनाशार्थवचनो दकार: परिकीर्तित:।
उकारो विघ्ननाशस्य वाचको वेदसम्मत:।।
रेफो रोगघ्नवचनो गच्छ पापघ्नवाचक:।
भयशत्रुघ्नवचनश्चाकार: परिकीर्तित:।।
इस श्लोक के अनुसार दुर्गा शब्द में द अक्षर दैत्यनाशक, उ अक्षर विघ्ननाशक, रेफ रोगनाशक, ग कार पापनाशक तथा आ कार शत्रुनाशक है। इसीलिए मां दुर्गा को दुर्गतिनाशिनी भी कहते है। जो भी मां दुर्गा की सच्चे मन से भक्ति करता है माता उसके सभी दु:ख दूर कर उसे अपनी शरण में ले लेती हैं।


एक साथ पैदा हुए 14 बच्चे, बना अनोखा रिकार्ड

नई दिल्ली/बुलंदशहर। एक फर्टिलिटी सेन्टर ने टेस्ट ट्यूब बेबी के जन्म का रिकॉर्ड बनाया है। यहां 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के दिन एक साथ 7 जुड़वां टेस्ट ट्यूब बेबी पैदा हुए हैं। यह सभी स्वस्थ है। वाकया यूपी के बुलंदशहर का है।

दुनिया में सात स्वस्थ टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इससे पहले अमेरिका के वॉशिंगटन में सात जुड़वां पैदा तो हुए लेकिन उनकी सांसें लंबी नहीं चल सकी।

बताते चलें कि टेस्ट ट्यूब बेबी यानी बांझपन में संतान-सुख पाने का बेहतर तरीका। दुनिया में टेस्ट ट्यूब बेबी के नतीजे महज बीस फीसदी रहते हैं।
बन गया विश्व रिकार्ड

दुनियां में सात स्वस्थ टेस्ट ट्यूब बेबी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इससे पहले अमेरिका के वॉशिंगटन में सात जुड़ा पैदा तो हुए लेकिन उनकी सांसे लंबी लंबी नहीं चल सकी। ऐसा करने वाले डॉक्टर आकाश की यह उपलब्धि अहम है।

टेस्ट ट्यूब बेबी का बढता चलन

तकनीक के विकास के साथ ही दुनिया भर में माताओं की सूनी गोद को हरा-भरा करने के लिए टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म दिलाने का चलन बढ़ा है। अमेरिका में टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म एक उद्योग का रूप ले चुका है और अब यह तेजी से बढ़ रहा है।

अमेरिका में टेस्ट ट्यूब बेबी के 'उद्योग' का सालाना टर्नओवर तीन बिलियन डॉलर है। दुनिया में पहला टेस्ट ट्यूब बेबी अस्तित्व में लाने वाले महान वैज्ञानिक प्रो. बॉब एडवर्ड को इसके लिए नोबल पुरस्कार दिया जा चुका है।

सेना प्रमुख उम्र विवाद पर सरकार ने लिखा पत्र


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नई दिल्ली. जन्मदिवस विवाद पर सेना प्रमुख वीके सिंह की सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई से एक सप्ताह पहले रविवार को रक्षा मंत्रालय ने सेना के एजी (एडजुटेंट जनरल) को पत्र लिखकर रिकॉर्ड में सेनाप्रमुख की जन्मतिथि ठीक करने के लिए कहा है। सेना का एजी ब्रांच अधिकारिक तौर पर सेना के अधिकारियों का रिकार्ड रखता है।

एजी के रिकार्ड के मुताबिक वीके सिंह की जन्म 1951 में हुआ जबकि मिलिट्री सेक्रेटरी ब्रांच के अनुसार 1950 में। रिकार्ड में इसी गड़बड़ी ने सेनाप्रमुख और सरकार के बीच विवाद खड़ा कर दिया है। रक्षामंत्रालय के पत्र में ऐजी से कहा गया है कि चूंकि मिलिट्री सेक्रेटरी के रिकार्ड में जन्म वर्ष 1950 दिख रहा है इसलिए रिकार्ड को दोबारा दुरुस्त करके उसमें भी वर्ष 1950 किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि वीके सिंह ने अपनी उम्र के लेकर हुए विवाद में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। इस पर फरवरी के पहले सप्ताह में सुनवाई होनी है। सरकार ने अपने ही रिकार्ड में सेनाप्रमुख की अलग-अलग उम्र से बचने के लिए ही दोनों रिकार्डों में उम्र को एक करने के लिए यह पत्र लिखा है।

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