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30 जनवरी 2012

शिवजी की विचित्र बारात और विवाह की तैयारी


दोहा :
* लगे सँवारन सकल सुर बाहन बिबिध बिमान।
होहिं सगुन मंगल सुभद करहिं अपछरा गान॥91॥
भावार्थ:-सब देवता अपने भाँति-भाँति के वाहन और विमान सजाने लगे, कल्याणप्रद मंगल शकुन होने लगे और अप्सराएँ गाने लगीं॥91॥
चौपाई :
* सिवहि संभु गन करहिं सिंगारा। जटा मुकुट अहि मौरु सँवारा॥
कुंडल कंकन पहिरे ब्याला। तन बिभूति पट केहरि छाला॥1॥
भावार्थ:-शिवजी के गण शिवजी का श्रृंगार करने लगे। जटाओं का मुकुट बनाकर उस पर साँपों का मौर सजाया गया। शिवजी ने साँपों के ही कुंडल और कंकण पहने, शरीर पर विभूति रमायी और वस्त्र की जगह बाघम्बर लपेट लिया॥1॥
* ससि ललाट सुंदर सिर गंगा। नयन तीनि उपबीत भुजंगा॥
गरल कंठ उर नर सिर माला। असिव बेष सिवधाम कृपाला॥2॥
भावार्थ:-शिवजी के सुंदर मस्तक पर चन्द्रमा, सिर पर गंगाजी, तीन नेत्र, साँपों का जनेऊ, गले में विष और छाती पर नरमुण्डों की माला थी। इस प्रकार उनका वेष अशुभ होने पर भी वे कल्याण के धाम और कृपालु हैं॥2॥
* कर त्रिसूल अरु डमरु बिराजा। चले बसहँ चढ़ि बाजहिं बाजा॥
देखि सिवहि सुरत्रिय मुसुकाहीं। बर लायक दुलहिनि जग नाहीं॥3॥
भावार्थ:-एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू सुशोभित है। शिवजी बैल पर चढ़कर चले। बाजे बज रहे हैं। शिवजी को देखकर देवांगनाएँ मुस्कुरा रही हैं (और कहती हैं कि) इस वर के योग्य दुलहिन संसार में नहीं मिलेगी॥3॥
* बिष्नु बिरंचि आदि सुरब्राता। चढ़ि चढ़ि बाहन चले बराता॥
सुर समाज सब भाँति अनूपा। नहिं बरात दूलह अनुरूपा॥4॥
भावार्थ:-विष्णु और ब्रह्मा आदि देवताओं के समूह अपने-अपने वाहनों (सवारियों) पर चढ़कर बारात में चले। देवताओं का समाज सब प्रकार से अनुपम (परम सुंदर) था, पर दूल्हे के योग्य बारात न थी॥4॥
दोहा :
* बिष्नु कहा अस बिहसि तब बोलि सकल दिसिराज।
बिलग बिलग होइ चलहु सब निज निज सहित समाज॥92॥
भावार्थ:-तब विष्णु भगवान ने सब दिक्पालों को बुलाकर हँसकर ऐसा कहा- सब लोग अपने-अपने दल समेत अलग-अलग होकर चलो॥92॥
चौपाई :
* बर अनुहारि बरात न भाई। हँसी करैहहु पर पुर जाई॥
बिष्नु बचन सुनि सुर मुसुकाने। निज निज सेन सहित बिलगाने॥1॥
भावार्थ:-हे भाई! हम लोगों की यह बारात वर के योग्य नहीं है। क्या पराए नगर में जाकर हँसी कराओगे? विष्णु भगवान की बात सुनकर देवता मुस्कुराए और वे अपनी-अपनी सेना सहित अलग हो गए॥1॥
* मनहीं मन महेसु मुसुकाहीं। हरि के बिंग्य बचन नहिं जाहीं॥
अति प्रिय बचन सुनत प्रिय केरे। भृंगिहि प्रेरि सकल गन टेरे॥2॥
भावार्थ:-महादेवजी (यह देखकर) मन-ही-मन मुस्कुराते हैं कि विष्णु भगवान के व्यंग्य-वचन (दिल्लगी) नहीं छूटते! अपने प्यारे (विष्णु भगवान) के इन अति प्रिय वचनों को सुनकर शिवजी ने भी भृंगी को भेजकर अपने सब गणों को बुलवा लिया॥2॥
* सिव अनुसासन सुनि सब आए। प्रभु पद जलज सीस तिन्ह नाए॥
नाना बाहन नाना बेषा। बिहसे सिव समाज निज देखा॥3॥
भावार्थ:-शिवजी की आज्ञा सुनते ही सब चले आए और उन्होंने स्वामी के चरण कमलों में सिर नवाया। तरह-तरह की सवारियों और तरह-तरह के वेष वाले अपने समाज को देखकर शिवजी हँसे॥3॥
* कोउ मुख हीन बिपुल मुख काहू। बिनु पद कर कोउ बहु पद बाहू॥
बिपुल नयन कोउ नयन बिहीना। रिष्टपुष्ट कोउ अति तनखीना॥4॥
भावार्थ:-कोई बिना मुख का है, किसी के बहुत से मुख हैं, कोई बिना हाथ-पैर का है तो किसी के कई हाथ-पैर हैं। किसी के बहुत आँखें हैं तो किसी के एक भी आँख नहीं है। कोई बहुत मोटा-ताजा है, तो कोई बहुत ही दुबला-पतला है॥4॥
छंद :
* तन कीन कोउ अति पीन पावन कोउ अपावन गति धरें।
भूषन कराल कपाल कर सब सद्य सोनित तन भरें॥
खर स्वान सुअर सृकाल मुख गन बेष अगनित को गनै।
बहु जिनस प्रेत पिसाच जोगि जमात बरनत नहिं बनै॥
भावार्थ:-कोई बहुत दुबला, कोई बहुत मोटा, कोई पवित्र और कोई अपवित्र वेष धारण किए हुए है। भयंकर गहने पहने हाथ में कपाल लिए हैं और सब के सब शरीर में ताजा खून लपेटे हुए हैं। गधे, कुत्ते, सूअर और सियार के से उनके मुख हैं। गणों के अनगिनत वेषों को कौन गिने? बहुत प्रकार के प्रेत, पिशाच और योगिनियों की जमाते हैं। उनका वर्णन करते नहीं बनता।

कुरान का संदेश

मन को शांति प्रदान करती हैं मां महागौरी


माघ मास की गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन (31 जनवरी, मंगलवार) मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है।

नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोमचक्र जागृत करने का दिन है। सोमचक्र उध्र्व ललाट में स्थित होता है। आठवें दिन साधना करते हुए अपना ध्यान इसी चक्रपर लगाना चाहिए। श्री महागौरी की आराधना से सोमचक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।
ध्यान मंत्र
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
अर्थात्: मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है महागौरी का। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी सफेद ही हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन बैल है। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है।

उत्तम संतान चाहिए तो आज करें भीष्म अष्टमी व्रत


माघ मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी को भीष्म अष्टमी कहते हैं। इस तिथि को व्रत करने का बड़ा महत्व है। यह बार यह व्रत 31 जनवरी, मंगलवार को है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन बाल ब्रह्मचारी भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण त्यागे थे। उनकी स्मृति में यह व्रत किया जाता है।

इस दिन प्रत्येक हिंदू को भीष्म पितामह के निमित्त कुश, तिल व जल लेकर तर्पण करना चाहिए, चाहे उसका माता-पिता जीवित ही क्यों न हों। इस व्रत के करने से मनुष्य सुंदर और गुणवान संतान प्राप्त करता है-

माघे मासि सिताष्टम्यां सतिलं भीष्मतर्पणम्।

श्राद्धं च ये नरा: कुर्युस्ते स्यु: सन्ततिभागिन:।।

(हेमाद्रि)

महाभारत के अनुसार जो मनुष्य माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म के निमित्त तर्पण, जलदान आदि करता है, उसके वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं-

शुक्लाष्टम्यां तु माघस्य दद्याद् भीष्माय यो जलम्।

संवत्सरकृतं पापं तत्क्षणादेव नश्यति।।

जानिए, कौन थे भीष्म, उन्होंने क्या प्रतिज्ञा ली थी



भीष्म पितामह हस्तिनापुर के राजा शांतनु तथा देवनदी गंगा के पुत्र थे। इनका वास्तविक नाम देवव्रत था। इनकी योग्यता देखकर शांतनु ने इन्हें युवराज बना दिया। एक दिन महाराज शांतनु जब शिकार खेलने गए तो उन्होंने नदी के किनारे एक सुंदर कन्या जिसका नाम सत्यवती था, को देखा। उसके रूप को देखकर शांतनु उस पर मोहित हो गए। उन्होंने उस कन्या के पिता निषादराज से उस कन्या से शादी करने का प्रस्ताव रखा। तब निषादराज ने यह शर्त रखी कि मेरी पुत्री से उत्पन्न संतान ही आपके राज्य की अधिकारी हो। लेकिन शांतनु ने यह शर्त अस्वीकार कर दी क्योंकि वे पहले ही देवव्रत को युवराज बना चुके थे।

इस घटना के बाद से शांतनु उदास रहने लगे। उदासी का कारण पुछने पर भी शांतनु ने यह बात देवव्रत को नहीं बताई। तब देवव्रत ने महाराज शांतनु के सारथि से पूरी बात जान ली और स्वयं निषादराज के पास गए और अपने पिता के लिए सत्यवती का हाथ मांगा। निषादराज ने वही शर्त दोहराई। तब देवव्रत ने प्रतिज्ञा ली कि इस कन्या से उत्पन्न पुत्र ही राज्य का अधिकारी होगा। तब निषादराज ने कहा कि यदि तुम्हारे पुत्र ने उसे मारकर राज्य छिन लिया तब क्या होगा? यह सुनकर भीष्म ने सभी दिशाओं और देवताओं को साक्षी मानकर आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा ली। इस भीष्म प्रतिज्ञा के कारण ही उनका नाम भीष्म पड़ा।

भीष्म की पितृभक्ति देखकर महाराज शांतनु ने उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान दिया था। अर्थात भीष्म की मृत्यु उनकी अपनी इच्छा पर निर्भर थी। महाभारत के युद्ध के बाद माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को उन्होंने अपने प्राण त्यागे थे।

यकीन मानिए बापू का ऐसा भक्त आपने नहीं देखा होगा!|

कोटा.कोटा जिले के सांगोद तहसील में गांधी चौक पर गांधीजी की प्रतिमा की लटूरी गांव निवासी मोतीलाल बैरवा प्रतिदिन सुबह 9 बजे पूजा-अर्चना करता है। पूजा-अर्चना व प्रतिमा के अभिषेक के बिना वह भोजन तक नहीं करता है।

मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करने वाला मोतीलाल 3 साल से यह पूजा-अर्चना कर रहा है। उसका कहना है कि वह एक बार दूधियाखेड़ी माताजी जा रहा था तभी गांधीजी की प्रतिमा पर धूल जमी देखी।

इसे देखकर उसे ग्लानि हुई। दूसरे दिन उसने गांधीजी की प्रतिमा को साफ कर पूजा-अर्चना की। इसके बाद तो यह दिनचर्या ही बन गई। मोतीलाल का कहना है कि बापू की सेवा से उनके मन को सुकून मिलता है।

प्रतिदिन 24 किमी का सफर बाद में भोजन

मोतीलाल बताते हैं कि वह नियमित लटूरी गांव से बस में जल लाकर यहां गांधीजी की प्रतिमा की पूजा-अर्चना करते हैं। वह प्रतिमा की साफ-सफाई करने के बाद माला पहनाकर, अगरबत्ती व दीप जलाकर पूजन करते हैं। इसके बाद एक परिक्रमा लगाकर गांव के लिए रवाना हो जाते हैं।

"मैं तीन साल से मोतीलाल को यहां पूजा-अर्चना व अभिषेक करते हुए देख रहा हूं। यह ऐसी लगन है कि वह सामान्य जीवन में भी सादगी पूर्वक रहता है।"

- हंसराज नागर, पूर्व पंचायत समिति सदस्य

कैमरे में कैद हुई महिलाओं की क्रूरता, पीट-पीटकर कर दी हत्या...

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उज्जैन। एक सनसनीखेज घटना में दो महिलाओं ने सोमवार शाम करीब 4.30 बजे अदालत के बाहर एक रिटायर्ड पटवारी की तमाचे और घूंसों से इतनी पिटाई की कि उसकी मौत हो गई। घटना के वक्त मौके पर मौजूद दर्जनों लोग तमाशबीन बने रहे। 65 वर्षीय मृतक हत्या के मामले में आरोपी था और पिटाई करने वाली महिलाएं फरियादी।

दोनों पक्ष जमीन के एक मामले की पेशी पर आए थे, तभी यह घटना हुई। अदालत भवन में ही कमिश्नर, कलेक्टर सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय भी हैं, बावजूद इसके सरेआम हुए इस घटनाक्रम को रोकने के लिए कोई आगे नहीं आया। मामले में पुलिस ने एक आरोपी महिला सहित उसके दोनों पुत्रों को हिरासत में ले लिया। एक महिला फरार है। सभी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है।

क्या हुआ उस दौरान
मृतक तराना निवासी रिटायर्ड पटवारी रमेश पिता मुकुट सिंह निगम (65) सोमवार को जमीन के एक मामले में पेशी पर आया था। इसी मामले में दूसरे पक्ष की नेहरूनगर नागझिरी निवासी शिवरानीबाई पति स्व.महेश निगम पुत्र दीपक, प्रशांत व बहू हेमलता भी कोर्ट आए थे।

पेशी के बाद शाम को निगम जैसे ही घर जाने के लिए कोर्ट से बाहर निकला। चारों ने उसे पकड़ा और सरेआम लात, घूंसों व चप्पल से उसकी पिटाई शुरू कर दी। रमेश के जमीन पर गिरते ही चारों भाग गए। बाद में मौके पर पहुंची पुलिस ने रमेश को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इधर पुलिस ने घेराबंदी कर आरोपी शिवरानी बाई, दीपक व प्रशांत को हिरासत में ले लिया, जबकि हेमलता फरार हो गई।

क्यों हुआ- रमेश ने की थी शिवरानी के पति और पुत्र की हत्या
शिवरानी बाई (60) ने बताया कि मृतक रमेश उसका जेठ था। रमेश से उनका जमीन विवाद चल रहा है। इसी जमीन के कारण रमेश ने अपने पुत्र श्याम व संजय के साथ मिलकर 18 मार्च 2011 को उसके पति महेश निगम (सेवानिवृत पुलिसकर्मी) व पुत्र प्रकाश निगम (मिलेट्री सैनिक) की हत्या कर दी थी। इस दोहरे हत्याकांड में श्याम व संजय अब तक फरार है और रमेश उन्हें धमकाता रहता था।

मुझे उसे मारने का कोई अफसोस नहीं
जमीन की पेशी के ही मामले में सामने आने पर मैंने रमेश को पकड़कर पीट दिया। उसके मरने का अफसोस नहीं। -शिवरानी बाई, आरोपी

तीन आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ हो रही है
पटवारी की मौत के मामले में हत्या का प्रकरण दर्ज कर तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है। पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. राजेश सहाय, सीएसपी

इतनी लंबी चुनरी आपने देखी है कभी? ..तो जरा इधर

मंडलेश्वर। नर्मदा जयंती पर बड़वाह, महेश्वर, मंडलेश्वर, माकड़खेड़ा स्थित नर्मदा तट पर त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे का जयघोष गूंजा। यहां विभिन्न संगठनों द्वारा 10 से अधिक स्थानों पर सामूहिक महोत्सव रखे गए। नर्मदा पूजा के साथ शोभायात्रा के साथ चुनरी चढ़ाई गई। इसमें दिनभर नर्मदा तटों पर श्रद्धालुओं के स्नान व पूजा-अर्चना का दौर चला। इस चुनरी की लंबाई 1001 से 1100 मी. है।

हो गया चमत्कार, 60 वर्षीय महिला बनी मां!

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जयपुर.शहर के एक निजी अस्पताल में परखनली शिशु तकनीक (आईवीएफ) से 60 वर्षीय महिला राजू बेन मां बनी है। बड़ौदा निवासी राजू ने 2 किलो 65 ग्राम वजनी बच्चे को जन्म दिया।

डॉक्टरों के अनुसार वर्ष 2003 में उड़ीसा की 65 वर्षीय सत्य भामा तथा वर्ष 2004 में तमिलनाडु की 64 वर्षीय तपतिया सुब्रह्मण्यम इस तकनीक से मां बनी थीं।

ये कैसी तस्वीर : सर्दी में बच्चे पर होता रहा ऐसा जुल्म

देवास। देवास में गणतंत्र दिवस के मुख्य आयोजन में पेयजल स्त्रोत दर्शाती नगर निगम की झांकी में कड़ाके की ठंड में एक आठ वर्षीय मासूम को नल के ठंडे पानी से नहाते हुए दिखाया गया। आधे शरीर पर कपड़े भी नहीं थे। मासूम कांपता रहा और लोग तालियां बजाते रहे। न कलेक्टर का ध्यान इस ओर गया और न नगर निगम के अफसरों का।

करीब आधे घंटे तक बच्चा इसी स्थिति में रहा। इस बीच आपत्ति आने पर बच्चे को झांकी से उतार दिया गया। किसी को अफसोस तक नहीं हुआ।

तेज हवा, पारा 12.9 ठिठुरता माहौल
जब बच्चा नल के नीचे नहा रहा था। तब देवास में तेज हवा के साथ पारा 12.9 डिग्री (न्यूनतम) पर था। दूसरी ओर साहब, मैम साहब व बाबा साब (बच्चे) गर्म शालों में लिपटे झांकियों का लुत्फ ले रहे थे।

एक और गजब.. झांकी को अवॉर्ड
नगर निगम की झांकी में बच्चे को आधे घंटे तक नहाते हुए दिखाकर एक तरह से पानी की फिजूलखर्ची का संदेश दिया गया। निर्णायक भी गजब के निकले। उन्होंने झांकी को तीसरा स्थान दे दिया।

महापौर बोलीं-कर्मचारी ने अपनी मर्जी से बैठा दिया बच्चे को
मैं मुख्य समारोह में मौजूद नहीं थीं, वैसे मुझे झांकी के संबंध में जानकारी मिली है। हमारी झांकी में नल के नीचे बच्चे को नहलाने का कोई दृश्य आयोजित करना तय नहीं था। यह तो संबंधित कर्मचारी ने अपनी मर्जी से किया है। हम ठंड में किसी बच्चे को नहलाने जैसे कार्य क्यों करेंगे और इससे क्या संदेश देना चाहेंगे। -रेखा वर्मा, महापौर देवास

निधीश त्यागी : बच्चों को तो बख्श़ दो!


गणतंत्र दिवस का इससे बड़ा मज़ाक और नहीं हो सकता था। मध्य प्रदेश के देवास जिले के सरकारी आयोजन में वहां के नगर निगम ने जिस झांकी पर इनाम जीता, उसमें आठ साल का बच्चा खुले में एक शॉवर के नीचे आधे घंटे से ज्यादा खड़ा रहा। सिर्फ निकर पहने इस कांपते बच्चे को देखते हुए गर्म कपड़ों में हंसते हुए साहब लोग तालियां बजाते रहे। देवास के कलक्टर उनमें से एक थे। अगर कोई बच्चे की तकलीफ़ देख कर ऐतराज न करता तो पता नहीं इस बच्चे को कितनी देर नगर निगम के पानी विभाग की अद्भुत क्षमता की नुमाइश करने के लिए 13 डिग्री सेल्सियस तापमान में ठिठुरते रहना पड़ता। गणतंत्र दिवस के इस घटिया मज़ाक और संवेदनहीनता की इस मिसाल पर अगर अभी तक किसी को जिम्मेदार नहीं माना गया है और कोई जवाबदेही तय नहीं हुई है, तो जाहिर है बुनियादी तौर पर ही हम सबके साथ कुछ गलत है। जैसा कि इस खबर से साफ हो जाता है, देवास की महापौर महोदया पहले ही इस वाकये से अपना पल्लू झाड़ चुकी हैं। किसी ने सोचा नहीं? किसी को गुस्सा नहीं आया? तरस भी नहीं! और तो और ऐसे बेवकूफाना आइडिया को इनाम से भी नवाज़ दिया गया। क्या कलक्टर, मेयर और इनाम देने वाले गणमान्य लोग खुद इस शॉवर के नीचे खड़े होकर देश का गणतंत्र दिवस मनाना पसंद करते? क्या वे अपने बच्चों से ऐसा करवाते और ऐसे ही तालियां बजाते, जैसे वे इस मौके पर बजाते देखे गए? क्या हमारा तंत्र हमारे गण की ऐसी भयानक और इनामी झांकी निकालेगा? क्या शर्म नाम की कोई चीज़ सरकार में बची है? अगर होती तो अब तक उस तमाशे के मजे लूटने वाले अफसर, नेता और कारिंदे इस आठ साल के बच्चे से सार्वजनिक माफी मांग चुके होते। बच्चे कहीं और किसी के भी हों उनका बुरा कोई नहीं चाहता। और किसी भी शिष्ट समाज की संरचना इस बात से तय होती है कि वह अपने बच्चों से कैसा बर्ताव करता है। एक और मिसाल गुजरात के अमरेली की है, जहां एक पूर्व सांसद की मौजूदगी में दो साल के जय और जिया की सगाई करवा दी गई। सांसद की चिंता है कि लेउवा पटेल समाज में लड़कों के मुकाबले लड़कियों का अनुपात काफी कम (750) है। वे दो साल के बच्चे हैं– एक बात है, तिस पर जय की मां जया की बुआ भी है। वैसे कई धर्मों और उप जातियों में इस तरह की शादियों का चलन है, पर लेउवा पटेल समाज के ठेकेदार दो साल की बच्ची पर उस अनुपात को ठीक करने का ठीकरा फोड़ रहे हैं, जिसके लिए वे सब खुद जिम्मेदार हैं। एक पुरुष प्रधान समाज पहले तो बेटियां चाहता नहीं, फिर ऊपर से अपनी गलतियों का ठीकरा बच्चियों पर फोड़ता है। और यह सब भी समुदाय की तरक्की के नाम पर। जैसे हरियाणा में ऑनर किलिंग को लेकर सियासी हस्तियों में सन्नाटा है, शायद अमरेली में भी होगा। जया जब बड़ी होगी, और जय से उसकी सगाई शादी में बदल जाएगी, तब क्या वह बेटी पैदा करना चाहेगी? वह बेटी जिसका बचपन और आज़ादी छीन कर नियति और तकदीर दो साल की उम्र में ही तय कर दी जाएगी। दो साल की बच्ची तो जानती भी नहीं होगी कि उसकी सगाई हो गई है। और जब वह जान जाएगी, तो क्या एक सामान्य जीवन जी पाएगी? क्या वह भी छह करोड़ लोगों में शामिल होगी, जिन्हें अपने गुजरात पर गर्व है? लेउवा पटेल समाज पता नहीं किस परम्परा, किस मजबूरी और किस बहाने से इस मज़ाक को संजीदगी से लेने पर तुला हुआ है! जो समाज अपनी दो साल के बच्चों को ज्यादतियों से नहीं बचा सकता, वह पता नहीं अपनी तरक्की और खुशहाली का रास्ता कैसे बना पाएगा

फ्रूट नहीं ये टॉनिक है, कुछ दिन इसे नाश्ते में लें तो सालभर सेहतमंद रहेंगे


आंवले को आयुर्वेद में गुणों की खान माना गया है। आंवले के पेड़ की ऊचांई लगभग 6 से 8 तक मीटर तक होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है। यह कई बीमारियों को दूर करता है। इसका अपना पौष्टिक महत्व भी है। संतरे से बीस गुना ज्यादा विटामिन सी इसमें पाया जाता हैं। आंवले को गूजबेरी के नाम से भी जाना जाता हैं।

आंवले का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसे पकाने के बाद भी इसमें मौजूद विटामिन सी खत्म नहीं होता। आंवले में क्रोमियम काफी मात्रा में होता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है। दरअसल, क्रोमियम इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को ऐक्टिवेट करता है और इस हॉर्मोन का काम शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करना होता है। आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ पुराना हो, इसके गुण नष्ट नहीं होते। इसकी अम्लता इसके गुणों की रक्षा करती है। आयुर्वेद में आंवले को रसायन माना जाता है। च्यवनप्राश आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन है, जो टॉनिक के रूप में आम आदमी भी प्रयोग करता है। यह शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ाता है। त्वचा, नेत्र रोग और बालों के लिए विटामिन बहुत उपयोगी है।
- आंवले के जूस में शहद मिलाकर पीएं। यह मोतियाबिंद की परेशानी में भी फायदेमंद रहता है।
- आंवला बॉडी की इम्युनिटी पावर बढ़ाकर उसे इंफेक्शंस से लडऩे की स्ट्रेंथ देता हैं।
- सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाने से आप सालभर स्वस्थ बने रहेंगे।
- आंवला हमारी आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
- आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता है।
- आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है।
- आंवला हमारे शरीर की त्वचा और हमारे बालों के लिए बहुत लाभकारी होता है।
- आंवला खाने से सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।
- दिल को सेहतमंद रखने के लिए रोजा आंवला खाने की आदत डालें। इससे आपके दिल की मांसपेशियां मजबूत होंगी, जिससे दिल शरीर को ज्यादा व साफ खून सप्लाई कर पाएगा। बेशक इससे आप सेहतमंद रहेंगे।
- आंवला बालों को मजबूत बनाता है, इनकी जड़ों को मजबूत करता है और बालों का झडऩा भी काफी हद तक रोकता है।
- आंवला खाने से कब्ज दूर होती है। यह डायरिया जैसी परेशानियों को दूर करने में बहुत फायदेमंद है।
- खाना खाने से पहले आंवले का पाउडर, शहद और मक्खन मिलाकर खाने से भूख अच्छी लगती है।
- एसीडिटी की समस्या है, तो एक ग्राम आंवला पाउडर और थोड़ी-सी चीनी को एक गिलास पानी या दूध में मिलाकर लें।
- आंवला खाने को अच्छी तरह पचाने में मदद करता है, जिससे आपको खाने के तमाम न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं।

तीन साल के बच्चे के पेट में पल रहा था उसका जुड़वा भाई

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लीमा।पेरू की राजधानी लीमा के लॉस मर्सीडिज हॉस्पीटल में एक तीन साल के बच्चे की पेट में उसका जुड़वा भाई मिला है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मेडिकल टीम के डॉक्टर कार्लोस एस्टोकोंडोर ने बताया कि इस बच्चे के पेट में मिला उसका जुड़वा भाई 700 ग्राम वजन का और 25 सेंटीमीटर लंबा है।
कार्लोस ने बताया कि पांच लाख बच्चों के जन्म के केसेज में से किसी एक में ऐसा हो सकता है कि कोई जुड़वा अपनी मां से अलग होकर अपने भाई के पेट में पलने लगे।
ऐसा तब होता है जब मां के पेट में विकसित हो रहे जुड़वा भ्रूण में से एक का विकास तेजी से होता है और वह दूसरे भ्रूण को अपने अंदर एब्जॉर्व कर लेता है। दूसरा भ्रूण अपने जीने के लिए पहले भ्रूण पर निर्भर हो जाता है।

आउटसोर्सिंग: प्रणब की अमेरिका को चेतावनी

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शिकागो. केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने चेतावनी देते हुए आज कहा कि अमेरिका में आउटसोर्सिंग बंद होने से अमेरिका और भारत दोनों को घाटा होगा। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिकी कंपनियों को आउटसोर्सिंग करने से रोका जाएगा तो दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। प्रणब मुखर्जी ने अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियों को लेकर चिंता जाहिर की।

अमेरिका के दो दिनों के दौरे के आखिरी दिन मुखर्जी ने कहा कि सभी देश इस बात के लिए आज़ाद हैं कि वे अपनी जरूरतों के हिसाब से नीतियां बनाएं, लेकिन ये नीतियां 'संरक्षणवाद' को बढ़ावा देने वाली नहीं होनी चाहिए। मुखर्जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि विश्व व्यापार संगठन इस कोशिश में लगा हुआ है कि पूरी दुनिया में आसानी से एक जगह से दूसरी जगह वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध कराया जाए। मुखर्जी ने कहा, 'टैरिफ और नॉन टैरिफ बाधाओं को दूर करके वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात को आसान बनाना चाहिए। इस नीति ने अच्छे नतीजे दिए हैं।'

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी संरक्षणवादी नीतियों पर जोर देते हुए कुछ दिनों पहले घोषणा की थी, 'उन कंपनियों को कर में छूट दी जाएगी जो अमेरिकी लोगों को नौकरियां देंगी, लेकिन जो कंपनियां आउटसोर्स कर रही हैं, उन्हें ज़्यादा कर चुकाना होगा।

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