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31 जनवरी 2012

एडवोकेट आबिद अब्बासी भाई को उनके जन्म दिन पर हार्दिक बधाई .....लोगों के दुक्ख दर्द में काम कार मानव सेवा का पाठ पढ़ा रहे हैं आबिद भाई


दोस्तों यह है मेरे बचपन के साथी जनाब आबिद अब्बासी एडवोकेट कल दो फरवरी को इनका जन्म दिन है यह है इनकी प्यारी बिटिया जिसके लियें यह दुसरे बच्चों से बेईमानी कर उनके हिस्से का प्यार उसे देते है खेर बिटिया सायमा है ही इतनी प्यारी के उसे आबिद अब्बासी जी तो क्या उनकी पत्नी और छोटी बढ़ी बहने सभी प्यार करती है .............. दोस्तों आबिद भाई को जन्म दिन मेरी तरफ से और आप सभी की तरफ से बहुत बहुत मुबारक हो .............. जनाब आबिद अब्बासी इन मेरे बचपन याने जबसे मेने होश सम्भाला है तबसे ही मित्र है हम साथ पढ़े ..साथ घुमे ..साथ बढ़े हुए और अब साथ वकालत करते है इतना ही नहीं कोटा जिला वक्फ कमेटी में यह सेक्रेटरी है तो में इसी कमेटी में उपाध्यक्ष और विधि परामर्शदाता हूँ ..यह ह्युमन रिलीफ सोसाइटी के अध्यक्ष है तो में इस सोसाइटी में महा सचिव हूँ इन्होने एल एल बी किया ..मेने भी एल एल बी क्या ...उर्दू में एक ऐ दोनों ने ही किया है दोस्तों पत्रकारिता की पढाई भी हमने साथ ही की है ..दफ्तर और अदालत में काफी लम्बा साथ है इसलियें हाल यह है के दिल की बातें बगेर कहे बगेर सुने एक दुसरे के समझ में आ जाती है ....हालत यह है के लोग दो जिस्म एक जान कहते है ...कई लोग मुझे आबिद अब्बासी और आबिद भाई को अख्तर खान अकेला समझते है ....अनेकों बार एक ही व्यक्ति किसी भी मामले में अगर दो अलग अलग स्थानों पर हम दोनों से परामर्श करता है तो जवाब और स्टाइल एक ही पाकर यह सोचता है के आखिर ऐसी कोनसी टेलीपेथी है जो यह दोनों एक दुसरे की बात बिना कहे बिना सुने समझ लेते है कई लोग अब तो इस पर रिसर्च करने लगे है और कई लोग इस अटूट दोस्ती बंधन से प्रेषण होकर इसे तोड़ने के प्रयासों में तन्त्र मन्त्र विद्या भी करने लगे है लेकिन खुदा का शुक्र है के हमारी दोस्ती को अभी तक कोई नज़र नहीं लगी है आप भी खुदा से दुआ करें के हमारी दोस्ती हमारा अटूट बंधन यूँ ही ता उम्र प्यार मोहब्बत सलीके से बना रहे ..आबिद भाई का ससुराल मध्य प्रदेश में है पिछले दिनों इनके ससुर कोंग्रेस के शासन में बारह साल तक मध्यप्रदेश में मंत्री और मंत्री दर्जे के अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन रहे है ..इसके बावजूद भी ससुराल वाले सभी दामादों में इनके लोगों के दुक्ख दर्द में काम आने के आचरण से इनसे सबसे ज्यादा प्यार करते है ...इनकी पत्नी परवीन अब्बासी भी इन्हें हर काम में मदद करती है ..बिटिया फरहीन मेरी बिटिया जवेरिया के साथ एक ही स्कुल एक ही क्लास में पद्धति है जबकि दूसरी बिटिया इन्जिला मेरी बिटिया सदफ के साथ एक ही स्कुल और एक ही क्लास में पद्धति है ,,,,इनकी पत्नी भी लेक्चरार है तो मेरी पत्नी भी लेक्चरार है तो दोस्तों आज हमारे आबिद भाई अब्बासी जो लोगों के दुक्ख दर्द में अपने सभी काम काज छोड़ कर काम आने के लियें उनकी सेवा करने के लियें मशहूर होकर मानवसेवा का पाठ पढ़ा रहे है ऐसे भाई आबिद अब्बासी जी को उनके जन्म दिन पर शुभकामनाये और बधाई खुदा से दुआ करों के हमारा अटूट बंधन बिना किसी नज़र के ऐसे ही बना रहे और अटूट बनता जाये ..आमीन के साथ एक बार फिर आबिद भाई को उनके जन्म दिन पर हार्दिक बधाई ...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

माइग्रेन के दर्द से यूं पा सकते हैं निजात

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माइग्रेन सिरदर्द का ऐसा प्रकार है, जिसमें पीड़ित को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। यह दर्द केवल सिर को ही नहीं, बल्कि माथे, जबड़ों और साइनस को भी अपनी चपेट में ले लेता है। आइए जानते हैं इसे नियंत्रित करने के कुछ आसान तरीके..
हर्बल टी: इसका सेवन माइग्रेन के लिए बहुत लाभकारी है। इसमें मौजूद नैचुरल तत्व जैसे अदरक, तुलसी, कैमोमाइल और पुदीना चिंता से निजात दिलाने और मांसपेशियों को तनावरहित करने में कारगर है। वहीं, ध्यान रहे कि कैफीन से परहेज करना जरूरी है, क्योंकि इससे रक्तचाप और माइग्रेन की पीड़ा और भी बढ़ सकती है।
कुनकुने पानी से स्नान: माइग्रेन का मुख्य कारण अधिक चिंता या तनाव करना है। ऐसे में पीड़ित को जब भी तेज दर्द होता है, तो उसे कुनकुने पानी से स्नान कर लेना चाहिए। इससे शरीर की सभी इंद्रियों की सक्रियता बढ़ जाती है, वहीं आप तरोताजा महसूस करेंगे और दर्द में भी राहत मिलेगी।
ब्रीदिंग: माइग्रेन की पीड़ा नियंत्रित करने के लिए पीड़ित को शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर मजबूत होना जरूरी है। विशेषज्ञ कहते हैं कि पीड़ित की आंख, गर्दन और कंधों की मांसपेशियां स्ट्रेस्ड होती हैं, इसलिए गर्दन व कंधे की स्ट्रेचिंग करना जरूरी है। वहीं, कम्प्यूटर पर काम करते समय बीच-बीच में ब्रेक लेते रहना जरूरी है। दो-तीन घंटों के अंतर से १५ मिनट गहरी सांस लें, ताकि आप रिलैक्स हो सकें।
बर्फ: दर्द होने की स्थिति में बर्फ के कुछ टुकड़े टॉवल में रखकर सिकाई करने से भी पीड़ित को आराम मिलता है। ध्यान रखें कि सिकाई उतनी ही करें, जितनी ठंडक बर्दाश्त की जा सके।

सिर्फ सुविधाओं से नहीं आते बच्चों में संस्कार, ये भी जरूरी है...


गृहस्थी में जो काम सबसे मुश्किल होता है, वह है संतानों को संस्काररी बनाना। अक्सर लोग ये शिकायत करते हैं कि हम कितनी भी सुविधाएं और साधन जुटा दें, बच्चों पर कितना ही स्नेह लुटा दें लेकिन फिर भी कहीं न कहीं ये लगता है कि बच्चों में वे संस्कार नहीं हैं जो हम उन्हें देना चाहते थे।

बच्चों ने हमारे लाड़-प्यार का ज्यादा फायदा उठाया।

वास्तव में चूक हम से होती है, दोषारोपण हम संतानों पर करते हैं। संतानें हमारे जीवन की पूंजी हैं, इन्हें कैसे बड़ा किया जाए ये हमारे हाथ में होता है। ये बात पूरी तरह गलत है कि बच्चों को संस्कारी और योग्य बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा संसाधनों और पूंजी की जरूरत होती है।

अभाव में भी संतानों को योग्य बनाया जा सकता है। एक तरह से देखा जाए तो सिर्फ सुख ही नहीं, कभी-कभी हमें बच्चों को थोड़े अभाव में भी रखना चाहिए। तभी उन्हें जीवन के मूल्य का पता चलता है।

महाभारत में दो तरह की संतानें हैं। पहली कौरव जो पूरे जीवन राजमहलों में रहे, सुविधाएं भोगीं। दूसरी पांडव जिनका जन्म और लालन-पालन जंगल में हुआ। पांडव और माद्री के देह त्यागने के बाद कुंती ने पांडवों को जंगल में अकेले पाला। वो सारे संस्कार दिए जो कौरवों में राजकीय सुविधाओं के बावजूद नहीं थे।

दुर्योधन और उसके ९९ भाई, सभी धूर्त और कुसंस्कारी निकले। लेकिन युधिष्ठिर और उसके चारों भाई सभी धर्मात्मा थे। कुंती ने अकेले उनको वो संस्कार दिए जो कौरवों को महल में भीष्म सहित सारे कौरव परिजन मिलकर भी नहीं दे पाए।

अगर आप ये सोचते हैं कि सुविधाओं से बच्चों में संस्कार आते हैं तो यह गलत है। संस्कार हमारे विचारों से आते हैं। हम हमेशा सिर्फ सुविधाओं की ना सोचें, कभी-कभी उन्हें अभावों में भी रखने का प्रयास करें लेकिन अभावों में सुविधाओं के स्थान पर आपका प्यार और संस्कार साथ होने चाहिए। फिर कभी संतानें भटकेंगी नहीं।

गुप्त नवरात्रि का आज अंतिम दिन, ऐसे होगी हर इच्छा पूरी

देवी शक्ति की उपासना यदि नवरात्र में पूरे विधि-विधान से की जाए तो ऐसा कोई सुख नहीं है जो वे अपने भक्तों को नहीं दे सकती। शास्त्रों में विभिन्न प्रकार से देवी की पूजा के बारे में उल्लेख किया गया है। देवी भागवत (स्कंध 11, अध्याय 12) में कहा गया है कि श्रीमाता के विधिपूर्वक स्नान से भक्त अपने इच्छित फलों को प्राप्त कर सकता है।
उसके अनुसार-
- माता जगदंबिका को आम अथवा गन्ने के रस से स्नान करवाया जाए तो लक्ष्मी और सरस्वती ऐसे भक्त का घर छोड़कर कभी नहीं जातीं। वहां नित्य ही संपत्ति और विद्या का वास रहता है।
- द्राक्षा (एक प्रकार की वनस्पति) के रस से यदि माता जगदंबिका को स्नान करवाया जाए तो भक्तगण पर देवी की कृपा बनी रहती है।
- वेद पाठ के साथ यदि कर्पूर, अगरु, केसर, कस्तूरी व कमल के जल से देवी को स्नान करवाया जाए तो सभी प्रकार के पापों का नाश हो जाता है तथा साधक को थोड़े प्रयासों से ही सफलता मिलती है।
- इसी प्रकार यदि देवी को दूध से भरे कलश से स्नान करवाया जाए तो व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-समृद्धि का स्वामी बनता है।
- देवी के लिए रत्नाभूषणों का दान करने पर भक्त निश्चित ही धन-संपदा प्राप्त करता है, वह अनेक प्रकार की विशेष संपत्तियों का स्वामी होता है।

पहले यह बताओ, यह खून हिंदू का है या मुसलमान का.....कोटा के जाकिर रिज़वी चलते फिरते ब्लड बेंक ज्निहोने बचाई है सभी जाती के लोगों की जिंदगियां

कोटा के जाकिर रिज़वी चलते फिरते ब्लड बेंक ने दी लोगों को नई दिशा ..........जी हाँ दोस्तों यह सच है के खून का कोई धर्म कोई जाती कोई समाज नहीं होता खून तो लाल होता है और लाल रंग से यमदूत भी आकर ठिठक कर रुक जाते है यानि थमती हुई साँसों को यही खून वापस से जिला देता है .......दोस्तों कोटा में हमारे जाकिर रिज़वी इसी तरह से चलता फिरता ब्लड बेंक है अल्फ्लाह सोसाइटी से जुड़े जनाब जाकिर रिज़वी ठेलिसिमिया रोगियों के लियें भगवान तो नहीं लेकिन जिंदगी के फ़रिश्ते साबित हुए है दिन हो या रात सुबह हो या शाम जिस किसी को भी खून की जरूरत हो तो जाकिर रिज़वी कोटा वालों की पुकार लगती है और उनकी सेवा को देखते हुए राजस्थान सरकार ने उन्हें लोगों की जिंदगियां बचाने के लियें अस्पताल में ही संविदा पर ठेलेसेमिया के बच्चों की देख रेख के लियें रखा है .....जाकिर रिज़वी अपने इस अनूठे जीवन दान कार्यक्रम के लियें कई बार जिला प्रशासन और कई संस्थाओं से सम्मानित हो चुके है ......इसी तरह कोटा प्रेस क्लब के अध्यक्ष धीरज गुप्ता है जो कहीं भी आवाज़ पढ़े खून देने पहुंच जाते है ..जनकी कोटा प्रेस क्लब के प्रशांत सक्सेना भी सेकड़ों बार खून देकर लोगों की जिंदगियां बचा चुके है दोस्तों खून का यह खेल खून का यह गोरख धंधा खून का यह फलसफा ..एक ही संदेश संदेश देता है के खून तो सिर्फ खून होता है इसमें कोई मुसलमान नहीं होता जाती ..धर्म कोई भी हो लेकिन खून का रंग तो सिर्फ लाल होता है यह बह जाए तो म़ोत होती है और इसे बचा कर किसी मरते हुए को दे दिया जाए तो जिंदगी होती है इसीलियें कहते है के खून के रिश्ते से ज्यादा मानवता का रिश्ता होता है और यही रिश्ता भाई जाकिर रिज़वी कोटा में निभा रहे है उन्हें अल्फ्लाह के भाई रफ़ीक बेलियम और सभी साथी हर मोके पर इस काम में सराहते रहते है ................ इसलियें कहते है खून दो दुआएं लो मरते हुए लोगों को बचाओ और फरिश्ते कहलाओ इन्दोर में भी कुछ ऐसा ही नजारा है जनाब .....................रगों में दौड़ने वाले खून का रंग भले ही लाल हो लेकिन सोच अभी भी काली है। तभी तो मौत से जूझते इंसान को जीवन देने वाले रक्त पर आज भी यह सवाल किया जा रहा है कि यह खून हिंदू का है या मुसलमान का। कई परिजन समाज विशेष में अधिक पाई जाने वाली थैलेसीमिया से बचाव के बारे में भी पूछताछ करते हैं। इस सोच को खत्म करने के साथ ही एमवाय अस्पताल के ब्लड बैंक में बार कोडिंग व्यवस्था लागू की जाएगी। संभवत: यह प्रदेश का पहला ब्लड बैंक होगा, जहां यह व्यवस्था लागू होगी।

फिलहाल यहां रक्त लेते वक्त रक्तदाता का नाम लिखा जाता है और नंबरिंग कर दी जाती है। इसके बावजूद व्यवस्था उतनी पुख्ता नहीं है। इसे व्यवस्थित करने के लिए ब्लड बैंक डायरेक्टर ने अधीक्षक को पत्र लिखा है। हालांकि अभी प्रोजेक्ट प्राथमिक स्तर पर है। इस सॉफ्टवेयर को लागू करने के लिए आईआईटी के शोधार्थियों या किसी भी प्रोफेशनल कॉलेज के एमसीए विद्यार्थियों की मदद लेने पर विचार किया जा रहा है। उधर, चोइथराम अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर में भी ब्लड बैग या बोतल पर बारकोडिंग की तैयारी की जा रही है।

अभी ऐसे होता है काम
- रक्तदाता का नाम के आगे नंबरिंग कर दी जाती है।
- जितनी बार जांच, उतनी जगह नंबरिंग और रक्तदाता के नाम के साथ सारा विवरण लिखना पड़ता है।
- रजिस्टर मैन्युअली ऑपरेट होता है।

बार कोडिंग में यह होगी व्यवस्था :
- रक्तदाता के नाम व विवरण के साथ ही बार कोड नंबर डाल दिया जाएगा।
- बार कोड रीडर के बगैर मरीज का डिटेल कोई नहीं पढ़ सकता।
- कम्प्यूटराइज्ड होने से रिकॉर्ड रखना आसान होगा और मानवीय भूल की संभावना नगण्य होगी।

पूछते हैं पर हम बताते नहीं
बार कोडिंग पर विचार किया जा रहा है। परिजन को यह कभी खुलासा नहीं किया जाता कि मरीज को किसका ब्लड दिया गया है। मरीज को वही ब्लड दिया जाता है जिसकी उसे मेडिकली जरूरत है।ञ्जञ्ज -डॉ. वीरसिंह भाटिया, अधीक्षक, एमवाय अस्पताल

परिजन दबाव डालते हैं
कई बार परिजन दबाव डालते हैं कि हमने जो ब्लड दिया है, वही चढ़ाया जाए। तब उन्हें समझाना पड़ता है कि हम जो ब्लड मरीजों को दे रहे हैं वह सुरक्षित है। हम भी बार कोडिंग की तैयारी कर रहे हैं।
डॉ. डी.एस. चिटनीस, विभागाध्यक्ष, पैथोलॉजी डिपार्टमेंट, चोइथराम अस्पताल

बार कोडिंग से लगेगी रोक
कई बार खून चढ़ाने से पहले परिजन जानना चाहते हैं कि यह खून किस धर्म या जाति के व्यक्तिने दिया है। बार कोडिंग से इस तरह की सोच पर रोक लगेगी। - डॉ. अशोक यादव, डायरेक्टर, ब्लड बैंक, एमवाय अस्पताल

चारा घोटाला में 64 अभियुक्तों को सजा, लालू-जगन्नाथ को हाजिर होने का आदेश

रांची। सीबीआई के विशेष जज एनएन सिंह की कोर्ट ने चारा घोटाला के 64 अभियुक्तों को तीन से छह साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। कांड संख्या आरसी 35(ए)/96 के इन सभी अभियुक्तों पर डोरंडा ट्रेजरी से 12 करोड़ 98 लाख रुपए की फर्जी निकासी का आरोप था।
सीबीआई जांच में पुष्टि हुई कि सितंबर 1995 से नवंबर 95 के मात्र तीन माह की अवधि में पशुपालन विभाग के अफसरों ने ट्रेजरी अफसरों और आपूर्तिकर्ताओं की मिलीभगत से जाली बजट आवंटन पत्र के आधार पर राशि की निकासी कर ली। उन्होंने चारा आपूर्ति और जानवरों की दवाओं का फर्जी बिल बनाकर ट्रेजरी से पैसे निकाल कर उसकी बंदरबांट की।
79 पर हुआ था चार्जशीट
सीबीआई ने 79 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था। इनमें से 13 की ट्रायल के दौरान मौत हो गई। एक को सरकारी गवाह बना लिया गया और एक ने जुर्म स्वीकार कर लिया था। शेष 64 अभियुक्तों को मंगलवार को सजा सुनाई गई।
लालू और जगन्नाथ को हाजिर होने का आदेश
चारा घोटाला के कांड संख्या आरसी 20(ए)/96 के आरोपी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, डॉ. जगन्नाथ मिश्र सहित अन्य 46 अभियुक्त सीबीआई के विशेष जज पीके सिंह की कोर्ट में हाजिर होंगे। अदालत 13 से 15 फरवरी के बीच इनका बयान दर्ज करेगी। इसके लिए आरोपियों की कोर्ट में सशरीर उपस्थिति अनिवार्य है।
चाईबासा ट्रेजरी से 37.50 करोड़ की फर्जी निकासी से जुड़े मामले में सीबीआई ने गवाही का काम मंगलवार को पूरा कर लिया। लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने 350 गवाहों की गवाही कलमबद्ध कराई। अब धारा 313 के तहत आरोपियों का बयान दर्ज किया जाएगा। इसके बाद बचाव पक्ष के गवाहों का बयान दर्ज होगा। मामले में 56 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया गया था।

ब्‍लैकमेलिंग से परेशान 'प्रेमी' ने भाई को दीवार में चुनवाया


रामगंजमंडी / सिंगोली (नीमच)।ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर एक टेलर ने अपने मौसेरे भाई की गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद उसकी लाश को दुकान में बने सीमेंट के काउंटर में चुन दिया। काउंटर में दफन लाश फूलने से बदबू फैली तो आरोपी टेलर ने थाने में जाकर आत्मसमर्पण कर दिया। रोंगटे खड़े करने वाला यह हत्याकांड सिंगोली के पुराना बस स्टैंड स्थित अशोका टेलर की दुकान में घटित हुआ।
पुलिस के मुताबिक दुकान मालिक बंटू (32) पुत्र राजकुमार दर्जी ने 22 जनवरी की रात अपने मौसेरे भाई रामगंजमंडी (कोटा) निवासी अजय (25) पुत्र ओमप्रकाश दर्जी की गला घोंटकर हत्या कर दी। हत्या के बाद सीमेंट के काउंटर में लाश को दफना कर पट्टी रख सीमेंट-रेत से पैक कर दिया। यह काउंटर भी साजिश के तहत कुछ दिन पूर्व ही बनाया गया था। इसके बाद आरोपी निश्चिंत होकर कुछ दिन तक इसी काउंटर पर कपड़े काटता रहा।
दो-तीन दिन पहले लाश फूली और बदबू आने लगी तो बंटू घबराने लगा। सोमवार रात उसने काउंटर कुछ हिस्सा तोड़कर लाश को देखा तो वह सड़ चुकी थी और चमड़ी हाथ में आने लगी। घबराकर रात 11.30 बजे वह थाने पहुंचा और आत्मसमर्पण कर पूरे हत्याकांड का खुलासा कर दिया। अजय नीमच कैसे पहुंचा पुलिस इसकी जांच कर रही है। मंगलवार दोपहर फारेंसिक टीम के साथ जावद एसडीओपी व्हीएस अरोरा सिंगोली पहुंचे। सीमेंटेड काउंटर को तोड़कर शव को बाहर निकला और पीएम के लिए नीमच भेजा।
दुकान सील कर दी
हत्याकांड के खुलासे के बाद रात को ही हमने दुकान सील कर दी थी। सुबह शव निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। हत्याकांड में अवैध संबंध और ब्लैकमेलिंग सामने आई है। मामले की जांच कर रहे हैं। वीएस अरोरा, एसडीओपी(पुलिस अधिकारी), जावद।
ऐसे खुला राज
शव जमीन की ज्यादा गहराई में नहीं था, इसलिए जब फूला तो बदबू मारने लगा। - दो दिन पहले बंटू ने इसे दूसरी जगह ठिकाने लगाने की योजना बनाई लेकिन सफल नहीं हो पाया। - सोमवार रात उसने पट्टी हटाकर शव देखा तो चमड़ी शरीर से टपक रही थी। ऐसे में वह घबराया। - भाग जाने के बजाय उसने आत्मसमर्पण का निर्णय लिया और सीधे थाने पहुंच गया।
अवैध संबंध बड़ा कारण
हत्याकांड में अवैध संबंध बड़ा कारण बनकर सामने आए हैं। बंटू के वर्ष 2007 से अवैध संबंध थे। बाद में ब्लैकमेलिंग का खेल चला तो वह परेशान हो गया और मर्डर करने की योजना बना ली। बीएस कन्नोजे, थाना प्रभारी, सिंगोली।
भाई करता था ब्लैक मेल
अजय की हत्या का कारण बंटू ने ब्लैकमेलिंग बताया। पुलिस के मुताबिक बंटू के अजय की बहन से अवैध संबंध थे। उसके द्वारा खींचें गए कुछ फोटो अजय के हाथ लग गए तो वह बंटू को ब्लैक मेल कर धमकियां देने लगा। इन धमकियों से डर कर बंटू अब तक 23 हजार रुपए दे चुका था, बाद में अजय ने 20 हजार रुपए की और डिमांड की। इससे परेशान होकर उसने अजय की हत्या कर दी।

सात फीसदी बढ़ेगा सरकारी कर्मियों का डीए!


नई दिल्ली. केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी एक जनवरी, 2012 से ही सात प्रतिशत अतिरिक्त महंगाई भत्ते के हकदार बन गए हैं। सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना जारी होने भर की देर है। श्रम ब्यूरो सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि औद्योगिक कर्मचारियों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में पिछले 12 महीनों के दौरान हुई आनुपातिक वृद्धि के कारण यह बढ़ोतरी हुई है। कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में इसी औसत वृद्धि के हिसाब से हर छह महीने में महंगाई भत्ते को संशोधित किया जाता है। गौरतलब है कि केंद्रीय कर्मचारियों को इस समय 58 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलता है। इस तरह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर जनवरी में सात प्रतिशत बढ़ जाने के बाद जनवरी से 65 प्रतिशत महंगाई भत्ता देय होगा।

बहरहाल, खाद्य उत्पादों के सस्ता होने से दिसंबर 2011 में औद्योगिक कामगारों से संबंधित खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति गिरकर 6.49 फीसदी हो गई। नवंबर में यह 9.34 प्रतिशत पर थी। इसी दौरान औद्योगिक कामगारों संबंधी खाद्य मुद्रास्फीति दिसंबर में 1.97 फीसदी रही जो नवंबर में 7.61 फीसदी थी। दिसंबर में स्थानीय सूचकांकों में गाजियाबाद और जमशेदपुर में सबसे अधिक आठ-आठ अंक की गिरावट आई। मैसूर, बोकारो, हटिया और रांची में सात-सात अंक की गिरावट दर्ज की गई।

शिवजी का विवाह

बालकाण्ड

दोहा :
* मुनि अनुसासन गनपतिहि पूजेउ संभु भवानि।
कोउ सुनि संसय करै जनि सुर अनादि जियँ जानि॥100॥
भावार्थ:-मुनियों की आज्ञा से शिवजी और पार्वतीजी ने गणेशजी का पूजन किया। मन में देवताओं को अनादि समझकर कोई इस बात को सुनकर शंका न करे (कि गणेशजी तो शिव-पार्वती की संतान हैं, अभी विवाह से पूर्व ही वे कहाँ से आ गए?)॥100॥
चौपाई :
* जसि बिबाह कै बिधि श्रुति गाई। महामुनिन्ह सो सब करवाई॥
गहि गिरीस कुस कन्या पानी। भवहि समरपीं जानि भवानी॥1॥
भावार्थ:-वेदों में विवाह की जैसी रीति कही गई है, महामुनियों ने वह सभी रीति करवाई। पर्वतराज हिमाचल ने हाथ में कुश लेकर तथा कन्या का हाथ पकड़कर उन्हें भवानी (शिवपत्नी) जानकर शिवजी को समर्पण किया॥1॥
* पानिग्रहन जब कीन्ह महेसा। हियँ हरषे तब सकल सुरेसा॥
बेदमन्त्र मुनिबर उच्चरहीं। जय जय जय संकर सुर करहीं॥2॥
भावार्थ:-जब महेश्वर (शिवजी) ने पार्वती का पाणिग्रहण किया, तब (इन्द्रादि) सब देवता हृदय में बड़े ही हर्षित हुए। श्रेष्ठ मुनिगण वेदमंत्रों का उच्चारण करने लगे और देवगण शिवजी का जय-जयकार करने लगे॥2॥
* बाजहिं बाजन बिबिध बिधाना। सुमनबृष्टि नभ भै बिधि नाना॥
हर गिरिजा कर भयउ बिबाहू। सकल भुवन भरि रहा उछाहू॥3॥
भावार्थ:-अनेकों प्रकार के बाजे बजने लगे। आकाश से नाना प्रकार के फूलों की वर्षा हुई। शिव-पार्वती का विवाह हो गया। सारे ब्राह्माण्ड में आनंद भर गया॥3॥
* दासीं दास तुरग रथ नागा। धेनु बसन मनि बस्तु बिभागा॥
अन्न कनकभाजन भरि जाना। दाइज दीन्ह न जाइ बखाना॥4॥
भावार्थ:-दासी, दास, रथ, घोड़े, हाथी, गायें, वस्त्र और मणि आदि अनेक प्रकार की चीजें, अन्न तथा सोने के बर्तन गाड़ियों में लदवाकर दहेज में दिए, जिनका वर्णन नहीं हो सकता॥4॥
छन्द :
* दाइज दियो बहु भाँति पुनि कर जोरि हिमभूधर कह्यो।
का देउँ पूरनकाम संकर चरन पंकज गहि रह्यो॥
सिवँ कृपासागर ससुर कर संतोषु सब भाँतिहिं कियो।
पुनि गहे पद पाथोज मयनाँ प्रेम परिपूरन हियो॥
भावार्थ:-बहुत प्रकार का दहेज देकर, फिर हाथ जोड़कर हिमाचल ने कहा- हे शंकर! आप पूर्णकाम हैं, मैं आपको क्या दे सकता हूँ? (इतना कहकर) वे शिवजी के चरणकमल पकड़कर रह गए। तब कृपा के सागर शिवजी ने अपने ससुर का सभी प्रकार से समाधान किया। फिर प्रेम से परिपूर्ण हृदय मैनाजी ने शिवजी के चरण कमल पकड़े (और कहा-)।
दोहा :
* नाथ उमा मम प्रान सम गृहकिंकरी करेहु।
छमेहु सकल अपराध अब होइ प्रसन्न बरु देहु॥101॥
भावार्थ:-हे नाथ! यह उमा मुझे मेरे प्राणों के समान (प्यारी) है। आप इसे अपने घर की टहलनी बनाइएगा और इसके सब अपराधों को क्षमा करते रहिएगा। अब प्रसन्न होकर मुझे यही वर दीजिए॥101॥
चौपाई :
* बहु बिधि संभु सासु समुझाई। गवनी भवन चरन सिरु नाई॥
जननीं उमा बोलि तब लीन्ही। लै उछंग सुंदर सिख दीन्ही॥1॥
भावार्थ:-शिवजी ने बहुत तरह से अपनी सास को समझाया। तब वे शिवजी के चरणों में सिर नवाकर घर गईं। फिर माता ने पार्वती को बुला लिया और गोद में बिठाकर यह सुंदर सीख दी-॥1॥
* करेहु सदा संकर पद पूजा। नारिधरमु पति देउ न दूजा॥
बचन कहत भरे लोचन बारी। बहुरि लाइ उर लीन्हि कुमारी॥2॥
भावार्थ:-हे पार्वती! तू सदाशिवजी के चरणों की पूजा करना, नारियों का यही धर्म है। उनके लिए पति ही देवता है और कोई देवता नहीं है। इस प्रकार की बातें कहते-कहते उनकी आँखों में आँसू भर आए और उन्होंने कन्या को छाती से चिपटा लिया॥2॥
* कत बिधि सृजीं नारि जग माहीं। पराधीन सपनेहूँ सुखु नाहीं॥
भै अति प्रेम बिकल महतारी। धीरजु कीन्ह कुसमय बिचारी॥3॥
भावार्थ:-(फिर बोलीं कि) विधाता ने जगत में स्त्री जाति को क्यों पैदा किया? पराधीन को सपने में भी सुख नहीं मिलता। यों कहती हुई माता प्रेम में अत्यन्त विकल हो गईं, परन्तु कुसमय जानकर (दुःख करने का अवसर न जानकर) उन्होंने धीरज धरा॥3॥
* पुनि पुनि मिलति परति गहि चरना। परम प्रेमु कछु जाइ न बरना॥
सब नारिन्ह मिलि भेंटि भवानी। जाइ जननि उर पुनि लपटानी॥4॥
भावार्थ:-मैना बार-बार मिलती हैं और (पार्वती के) चरणों को पकड़कर गिर पड़ती हैं। बड़ा ही प्रेम है, कुछ वर्णन नहीं किया जाता। भवानी सब स्त्रियों से मिल-भेंटकर फिर अपनी माता के हृदय से जा लिपटीं॥4॥
छन्द :
* जननिहि बहुरि मिलि चली उचित असीस सब काहूँ दईं।
फिरि फिरि बिलोकति मातु तन तब सखीं लै सिव पहिं गईं॥
जाचक सकल संतोषि संकरु उमा सहित भवन चले।
सब अमर हरषे सुमन बरषि निसान नभ बाजे भले॥
भावार्थ:-पार्वतीजी माता से फिर मिलकर चलीं, सब किसी ने उन्हें योग्य आशीर्वाद दिए। पार्वतीजी फिर-फिरकर माता की ओर देखती जाती थीं। तब सखियाँ उन्हें शिवजी के पास ले गईं। महादेवजी सब याचकों को संतुष्ट कर पार्वती के साथ घर (कैलास) को चले। सब देवता प्रसन्न होकर फूलों की वर्षा करने लगे और आकाश में सुंदर नगाड़े बजाने लगे।
दोहा :
* चले संग हिमवंतु तब पहुँचावन अति हेतु।
बिबिध भाँति परितोषु करि बिदा कीन्ह बृषकेतु॥102॥
भावार्थ:-तब हिमवान्‌ अत्यन्त प्रेम से शिवजी को पहुँचाने के लिए साथ चले। वृषकेतु (शिवजी) ने बहुत तरह से उन्हें संतोष कराकर विदा किया॥102॥
चौपाई :
* तुरत भवन आए गिरिराई। सकल सैल सर लिए बोलाई॥
आदर दान बिनय बहुमाना। सब कर बिदा कीन्ह हिमवाना॥1॥
भावार्थ:-पर्वतराज हिमाचल तुरंत घर आए और उन्होंने सब पर्वतों और सरोवरों को बुलाया। हिमवान ने आदर, दान, विनय और बहुत सम्मानपूर्वक सबकी विदाई की॥1॥
* जबहिं संभु कैलासहिं आए। सुर सब निज निज लोक सिधाए॥
जगत मातु पितु संभु भवानी। तेहिं सिंगारु न कहउँ बखानी॥2॥
भावार्थ:-जब शिवजी कैलास पर्वत पर पहुँचे, तब सब देवता अपने-अपने लोकों को चले गए। (तुलसीदासजी कहते हैं कि) पार्वतीजी और शिवजी जगत के माता-पिता हैं, इसलिए मैं उनके श्रृंगार का वर्णन नहीं करता॥2॥
* करहिं बिबिध बिधि भोग बिलासा। गनन्ह समेत बसहिं कैलासा॥
हर गिरिजा बिहार नित नयऊ। एहि बिधि बिपुल काल चलि गयऊ॥3॥
भावार्थ:-शिव-पार्वती विविध प्रकार के भोग-विलास करते हुए अपने गणों सहित कैलास पर रहने लगे। वे नित्य नए विहार करते थे। इस प्रकार बहुत समय बीत गया॥3॥
* जब जनमेउ षटबदन कुमारा। तारकु असुरु समर जेहिं मारा॥
आगम निगम प्रसिद्ध पुराना। षन्मुख जन्मु सकल जग जाना॥4॥
भावार्थ:-तब छ: मुखवाले पुत्र (स्वामिकार्तिक) का जन्म हुआ, जिन्होंने (बड़े होने पर) युद्ध में तारकासुर को मारा। वेद, शास्त्र और पुराणों में स्वामिकार्तिक के जन्म की कथा प्रसिद्ध है और सारा जगत उसे जानता है॥4॥
छन्द :
* जगु जान षन्मुख जन्मु कर्मु प्रतापु पुरुषारथु महा।
तेहि हेतु मैं बृषकेतु सुत कर चरित संछेपहिं कहा॥
यह उमा संभु बिबाहु जे नर नारि कहहिं जे गावहीं।
कल्यान काज बिबाह मंगल सर्बदा सुखु पावहीं॥
भावार्थ:-षडानन (स्वामिकार्तिक) के जन्म, कर्म, प्रताप और महान पुरुषार्थ को सारा जगत जानता है, इसलिए मैंने वृषकेतु (शिवजी) के पुत्र का चरित्र संक्षेप में ही कहा है। शिव-पार्वती के विवाह की इस कथा को जो स्त्री-पुरुष कहेंगे और गाएँगे, वे कल्याण के कार्यों और विवाहादि मंगलों में सदा सुख पाएँगे।
दोहा :
* चरित सिंधु गिरिजा रमन बेद न पावहिं पारु।
बरनै तुलसीदासु किमि अति मतिमंद गवाँरु॥103॥
भावार्थ:-गिरिजापति महादेवजी का चरित्र समुद्र के समान (अपार) है, उसका पार वेद भी नहीं पाते। तब अत्यन्त मन्दबुद्धि और गँवार तुलसीदास उसका वर्णन कैसे कर सकता है? ॥103॥
चौपाई :
* संभु चरित सुनि सरस सुहावा। भरद्वाज मुनि अति सुखु पावा॥
बहु लालसा कथा पर बाढ़ी। नयनन्हि नीरु रोमावलि ठाढ़ी॥1॥
भावार्थ:-शिवजी के रसीले और सुहावने चरित्र को सुनकर मुनि भरद्वाजजी ने बहुत ही सुख पाया। कथा सुनने की उनकी लालसा बहुत बढ़ गई। नेत्रों में जल भर आया तथा रोमावली खड़ी हो गई॥1॥
* प्रेम बिबस मुख आव न बानी। दसा देखि हरषे मुनि ग्यानी॥
अहो धन्य तब जन्मु मुनीसा। तुम्हहि प्रान सम प्रिय गौरीसा॥2॥
भावार्थ:-वे प्रेम में मुग्ध हो गए, मुख से वाणी नहीं निकलती। उनकी यह दशा देखकर ज्ञानी मुनि याज्ञवल्क्य बहुत प्रसन्न हुए (और बोले-) हे मुनीश! अहा हा! तुम्हारा जन्म धन्य है, तुमको गौरीपति शिवजी प्राणों के समान प्रिय हैं॥2॥
* सिव पद कमल जिन्हहि रति नाहीं। रामहि ते सपनेहुँ न सोहाहीं॥
बिनु छल बिस्वनाथ पद नेहू। राम भगत कर लच्छन एहू॥3॥
भावार्थ:-शिवजी के चरण कमलों में जिनकी प्रीति नहीं है, वे श्री रामचन्द्रजी को स्वप्न में भी अच्छे नहीं लगते। विश्वनाथ श्री शिवजी के चरणों में निष्कपट (विशुद्ध) प्रेम होना यही रामभक्त का लक्षण है॥3॥
* सिव सम को रघुपति ब्रतधारी। बिनु अघ तजी सती असि नारी॥
पनु करि रघुपति भगति देखाई। को सिव सम रामहि प्रिय भाई॥4॥
भावार्थ:-शिवजी के समान रघुनाथजी (की भक्ति) का व्रत धारण करने वाला कौन है? जिन्होंने बिना ही पाप के सती जैसी स्त्री को त्याग दिया और प्रतिज्ञा करके श्री रघुनाथजी की भक्ति को दिखा दिया। हे भाई! श्री रामचन्द्रजी को शिवजी के समान और कौन प्यारा है?॥4॥
दोहा :
* प्रथमहिं मैं कहि सिव चरित बूझा मरमु तुम्हार।
सुचि सेवक तुम्ह राम के रहित समस्त बिकार॥104॥
भावार्थ:-मैंने पहले ही शिवजी का चरित्र कहकर तुम्हारा भेद समझ लिया। तुम श्री रामचन्द्रजी के पवित्र सेवक हो और समस्त दोषों से रहित हो॥104॥
चौपाई :
*मैं जाना तुम्हार गुन सीला। कहउँ सुनहु अब रघुपति लीला॥
सुनु मुनि आजु समागम तोरें। कहि न जाइ जस सुखु मन मोरें॥1॥
भावार्थ:-मैंने तुम्हारा गुण और शील जान लिया। अब मैं श्री रघुनाथजी की लीला कहता हूँ, सुनो। हे मुनि! सुनो, आज तुम्हारे मिलने से मेरे मन में जो आनंद हुआ है, वह कहा नहीं जा सकता॥1॥
*राम चरित अति अमित मुनीसा। कहि न सकहिं सत कोटि अहीसा॥
तदपि जथाश्रुत कहउँ बखानी। सुमिरि गिरापति प्रभु धनुपानी॥2॥
भावार्थ:-हे मुनीश्वर! रामचरित्र अत्यन्त अपार है। सौ करोड़ शेषजी भी उसे नहीं कह सकते। तथापि जैसा मैंने सुना है, वैसा वाणी के स्वामी (प्रेरक) और हाथ में धनुष लिए हुए प्रभु श्री रामचन्द्रजी का स्मरण करके कहता हूँ॥2॥
*सारद दारुनारि सम स्वामी। रामु सूत्रधर अंतरजामी॥
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥3॥
भावार्थ:-सरस्वतीजी कठपुतली के समान हैं और अन्तर्यामी स्वामी श्री रामचन्द्रजी (सूत पकड़कर कठपुतली को नचाने वाले) सूत्रधार हैं। अपना भक्त जानकर जिस कवि पर वे कृपा करते हैं, उसके हृदय रूपी आँगन में सरस्वती को वे नचाया करते हैं॥3॥
* प्रनवउँ सोइ कृपाल रघुनाथा। बरनउँ बिसद तासु गुन गाथा॥
परम रम्य गिरिबरु कैलासू। सदा जहाँ सिव उमा निवासू॥4॥
भावार्थ:-उन्हीं कृपालु श्री रघुनाथजी को मैं प्रणाम करता हूँ और उन्हीं के निर्मल गुणों की कथा कहता हूँ। कैलास पर्वतों में श्रेष्ठ और बहुत ही रमणीय है, जहाँ शिव-पार्वतीजी सदा निवास करते हैं॥4॥
दोहा :
* सिद्ध तपोधन जोगिजन सुर किंनर मुनिबृंद।
बसहिं तहाँ सुकृती सकल सेवहिं सिव सुखकंद॥105॥
भावार्थ:-सिद्ध, तपस्वी, योगीगण, देवता, किन्नर और मुनियों के समूह उस पर्वत पर रहते हैं। वे सब बड़े पुण्यात्मा हैं और आनंदकन्द श्री महादेवजी की सेवा करते हैं॥105॥
चौपाई :
* हरि हर बिमुख धर्म रति नाहीं। ते नर तहँ सपनेहुँ नहिं जाहीं॥
तेहि गिरि पर बट बिटप बिसाला। नित नूतन सुंदर सब काला॥1॥
भावार्थ:-जो भगवान विष्णु और महादेवजी से विमुख हैं और जिनकी धर्म में प्रीति नहीं है, वे लोग स्वप्न में भी वहाँ नहीं जा सकते। उस पर्वत पर एक विशाल बरगद का पेड़ है, जो नित्य नवीन और सब काल (छहों ऋतुओं) में सुंदर रहता है॥1॥
* त्रिबिध समीर सुसीतलि छाया। सिव बिश्राम बिटप श्रुति गाया॥
एक बार तेहि तर प्रभु गयऊ। तरु बिलोकि उर अति सुखु भयऊ॥2॥
भावार्थ:-वहाँ तीनों प्रकार की (शीतल, मंद और सुगंध) वायु बहती रहती है और उसकी छाया बड़ी ठंडी रहती है। वह शिवजी के विश्राम करने का वृक्ष है, जिसे वेदों ने गाया है। एक बार प्रभु श्री शिवजी उस वृक्ष के नीचे गए और उसे देखकर उनके हृदय में बहुत आनंद हुआ॥2॥
*निज कर डासि नागरिपु छाला। बैठे सहजहिं संभु कृपाला॥
कुंद इंदु दर गौर सरीरा। भुज प्रलंब परिधन मुनिचीरा॥3॥
भावार्थ:-अपने हाथ से बाघम्बर बिछाकर कृपालु शिवजी स्वभाव से ही (बिना किसी खास प्रयोजन के) वहाँ बैठ गए। कुंद के पुष्प, चन्द्रमा और शंख के समान उनका गौर शरीर था। बड़ी लंबी भुजाएँ थीं और वे मुनियों के से (वल्कल) वस्त्र धारण किए हुए थे॥3॥
* तरुन अरुन अंबुज सम चरना। नख दुति भगत हृदय तम हरना॥
भुजग भूति भूषन त्रिपुरारी। आननु सरद चंद छबि हारी॥4॥
भावार्थ:-उनके चरण नए (पूर्ण रूप से खिले हुए) लाल कमल के समान थे, नखों की ज्योति भक्तों के हृदय का अंधकार हरने वाली थी। साँप और भस्म ही उनके भूषण थे और उन त्रिपुरासुर के शत्रु शिवजी का मुख शरद (पूर्णिमा) के चन्द्रमा की शोभा को भी हरने वाला (फीकी करने वाला) था॥4॥

कुरान का संदेश

कोटा के अख़बारों के लियें छ माह पहले रीको भ्रष्टाचार की जो खबर नहीं थी वोह अचानक अख़बारों की लीड खबर बन गयी और इलेक्ट्रोनिक मिडिया भी उसे खबर बनाने लगे

आइये दोस्तों ,,,इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर चर्चा करते हैं चार पंक्तियों के साथ
''नशे की महफ़िलों में हुस्न का जलवा दिखाते है
महज़ नोटों की खातिर झूठ को सच्चा दिखाते हैं
हमारे मुल्क के चौथे धड़े, ये मीडिया वाले
इन्हें क्या कुछ दिखाना था ,मगर ये क्या दिखाते हैं... मेरी फसबूक फ्रेंड बहन ज़ारा रिज़वी का यह कथन जब मेरे सामने आया तो जनाब में भी कोटा की खबरों के बारे में सोचने लगा ..मेने और मेरे एक मित्र पक्षकार भाई पंकज लोढ़ा ने कोटा के रीको अधिकारीयों द्वारा बेईमानी भ्रष्टाचार फेला कर पहले तो उद्द्योगों की ज़मीं को होस्टल में बदलवाने के अख़बारों से शिकायत की फिर बारा के विधायक प्रमोद भाया जो राजस्थान सरकार में पी डब्ल्यू डी मंत्री थे उनके विशिष्ठ अधिकारी राजेन्द्र जी द्वारा आउट ऑफ़ टर्न बिना विधि नियमों के रीको से राख की इंटें बनाने के लियें जो प्लाट प्राप्त किये थे उसकी भी अख़बारों .इलेक्ट्रोनिक मिडिया में शिकायत की छ माह पूर्व एक इलेक्ट्रोनिक मिडिया ने खबर भी बनाई कोटा के दो बढ़े अख़बारों के छोटे से संवाददाता से बढ़े सम्पादक तक यह सारी जानकारी पहुंचाई गयी लेकिन अख़बार के सम्पादक जी इस घोटाले भ्रष्टाचार को खबर ही नहीं मान रहे थे अभी पिच्छले दिनों बिना किसी विवाद के कोटा से मंत्री बने शांति कुमार धारीवाल जी के खिलाफ उनके पुत्र के कोलेज तक रास्ते का विवाद उठाया गया बे वजह के बदनामी हुई और बस अख़बार जी को छ महीने पहले जिसमे खबर नज़र नहीं आ रही थी अचानक उन दस्तावेजों की याद आ गयी और इस खबर को सेकंड लीड के रूप में प्रमुखता से प्रकाशन किया ..जब इस खबर का प्रकाशन सेकंड लीड के रूप में हुआ तो में और मेरे मित्र पंकज लोढ़ा सकते में थे लेकिन बाद में पता चला के मंत्रियों की लड़ाई हो और किसी की खिलाफत और किसी का सपोर्ट करना हो तो सभी तरह की खबरें अख़बार के लियें खबर हो जाती है सुबह हम एक इलेक्ट्रोनिक मिडिया से यही चर्चा कर रहे थे के अचानक इलेक्ट्रोनिक संवाददाता के पास नोयडा से हेड का फोन आया और कहा गया के तुरंत रीको मामले में मंत्री रहे प्रमोद भाया और उनके औ एस डी का भ्रष्टाचार लाओ और खबर बनाओ ..तो जनाब यह सच है के एक दलित एक परेशान पीड़ित या समाजसेवक खबरें लेकर अखबरों में चक्कर काटता रहता है लेकिन यह सब उनके लियें खबर नहीं होती हाँ अचानक जरूरत पढने पर यही सब उनके लिए निजी विवाद होने से बढ़ी खबरें बन जाती है ..जनाब यह रीको के प्लोतों के घोटाले की खबर जो अख़बार में लीड खबर बनाई गयी है यह खबर पूरी इसी तरह से आज से छ माह पहले कोटा ब्यूरो देनिक अख़बार में प्रकाशित हो चुकी है लेकिन खबर तो बढ़े अख़बार की ही पढ़ी जाती है जनाब और ऐसे में बस ज़ारा रिज़वी बहन की यह लेने प्रासंगिक हो जाती है ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ममी के अध्ययन से हुआ कैंसर के बारे में नया खुलासा

लिसबन.पुर्तगाल के एक संग्राहलय में रखे 2200 वर्ष पुराने मानव की ममी पर शोध कर वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कैंसर रोग का संबंध हमारे शरीरों पर प्रभाव डालने वाले औद्योगिक रसायनों या वायुमंडलीय प्रदूषण से नहीं है बल्कि आनुवांशिकता से है।

इंटरनेशनल जर्नल आफ् पैलियोपैथोलौजी में प्रकाशित इस ताजा शोध में प्रोफ़ेसर सलीमा अकरम ने बताया कि प्राचीनकाल में मानव का रहन-सहन अब से बिल्कुल अलग था। उस समय न तो अब जितना प्रदूषण था और न जैविक रूप से परिष्कृत खाद्य पदार्थ तो इससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि कैंसर होने के पीछे औद्योगिक कारक ही जिम्मेदार नहीं हैं।

पुर्तगाल की राजधानी लिसबन स्थित राष्ट्रीय पुरातत्व संग्राहलय में रखी 285 से 230 ईसा पूर्व काल की इस ममी के कूल्हे और रीढ़ की हड्डी के बीच कई रसौलियां (ट्यूमर) पाए गए हैं। इस व्यक्ति की मौत 51 से 60 वर्ष की अवस्था के दौरान प्रोस्टेट कैंसर से हो गई थी।

वैज्ञानिकों ने बताया कि इस ममी का डिजीटल एक्स-रे निकालने से पता चला कि ट्यूमर इसकी हड्डियों तक फ़ैल चुका था। कैंसर के फैलने को मेटास्टेटिक चरण करार दिया जाता है जो बेहद जानलेवा होता है।

शनि के बुरे समय बचने का ये है अचूक उपाय...


धर्म-ज्योतिष को मानने वाले लोग शनिदेव और शनि के प्रभावों को अच्छे से जानते हैं। यदि किसी व्यक्ति से जाने-अनजाने कोई पाप या गलत कार्य हो गया है तो शनिदेव ऐसे लोगों को निश्चित समय पर इन कर्मों का फल प्रदान करते हैं। ज्योतिष के अनुसार शनि को न्यायाधिश का पद प्राप्त है। इसी वजह से इन्हें क्रूर देवता माना जाता है। हमारे द्वारा किए गए कर्मों का फल शनिदेव साढ़ेसाती और ढैय्या के समय में प्रदान करते हैं।

यदि किसी व्यक्ति को अत्यधिक कष्ट भोगना पड़ रहे हैं तो इन अशुभ फलों के प्रभावों को कम करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय बताए गए हैं।

कुछ लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हो तो उसे जीवनभर कई प्रकार के कष्ट उठाने पड़ते हैं। ऐसे में प्रति शनिवार यह उपाय अपनाएं-

शनिवार को प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि करके पवित्र हो जाएं। इसके बाद जल, दूध, तिल्ली के तेल का दीपक लेकर किसी पीपल के वृक्ष के समीप जाएं। अब पीपल पर जल और दूध अर्पित करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष के नीचे तिल्ली के तेल के दीपक को प्रज्जवलित करें। शनिदेव प्रार्थना करें कि आपकी सभी समस्याएं दूर हो और बुरे समय से पीछा छुट जाए। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा करें।

घर लौट कर एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखकर इस तेल का दान करें। ऐसा करने पर कुछ ही समय में आपको सकारात्मक फल प्राप्त होने लगेंगे। इसके प्रभाव से आपके घर की पैसों से जुड़ी समस्त समस्याएं दूर होने लगेंगी और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलेगी।

तांत्रिकों की इन घिनौनी करतूतों से सहम गए लोग


बांकुरा/नई दिल्ली। 21वीं सदी में भी तांत्रिकों का मायाजाल फैला हुआ है। अंधविश्वास के इस दलदल में जहां भोले-भाले लोग फंसते रहे हैं, वहीं कुछ लोग तंत्र-मंत्र का झांसा देकर लूट-पाट और रेप जैसी हरकतें करते रहते हैं। कल पश्चिम बंगाल में नरबलि देने का सनसनीखेज मामला सामने आया, तो आज राजधानी दिल्ली में तांत्रिक के द्वारा लूटने और रेप की कोशिश करने का।

जानकारी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में लक्खीकांतो करमाकर नाम के तांत्रिक को ग्रामीणों ने एक बच्चे के सिर के साथ काली मां के मंदिर में कुछ क्रिया कलाप करते हुए देख लिया।

ग्रामीणों का कहना है कि तांत्रिक ने बच्चे के सिर का हार बनाकर मूर्ति के गले में लटका दिया था। यह देख ग्रामीणों ने उसे पकड़ लिया और जमकर पिटाई की। बाद में पुलिस को घटना की सूचना दी गई। पुलिस ने तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया है। बच्चे के शव की तलाश की जा रही है।

वहीं, राजधानी दिल्ली में महिला इलाज करने के बहाने एक तांत्रिक ने पहले लूट लिया फिर उसके साथ बलात्कार करने का प्रयास किया। किसी तरह महिला उसके चंगुल से निकली। बाद में महिला ने इसकी शिकायत थाने में की। पुलिस ने इस आरोप में तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया है।

कांग्रेस के मंच पर पित्रोदा ने बताई अपनी जाति



नई दिल्ली. प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के सलाहकार सैम पित्रोदा ने मंगलवार को नया विवाद खड़ा कर दिया। लखनऊ में कांग्रेस की ओर से चुनावी घोषणापत्र जारी होते समय केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और कांग्रेस की उत्तर प्रदेश ईकाई की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के साथ मंच पर बैठे पित्रोदा ने खुद को बढ़ई का बेटा बताया और कहा कि मुझे इस पर गर्व है।

पित्रोदा ने कहा कि इस देश में सभी के पास विकास का मौका है। पित्रोदा के इस बयान और उनकी मंच पर मौजूदगी को कांग्रेस की आरक्षण की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में अति दलित, अति पिछड़े और अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने का वादा किया है...

पित्रोदा के इस बयान की राजनीतिक हलकों में आलोचना हो रही है। समाजवादी पार्टी के नेता शाहिद सिद्दीकी ने पित्रोदा द्वारा अपनी जाति बताने पर ऐतराज जाहिर करते हुए इसे मंडल-कमंडल के दौर की राजनीति करार दिया है।
69 साल के सैम पित्रोदा का मूल नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। उनका जन्म उड़ीसा में हुआ था। वे राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं। सैम पित्रोदा देश में कंप्यूटर क्रांति के जनक माने जाते हैं। पित्रोदा के नाम करीब 70 पेटेंट हैं। पित्रोदा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बुलावे पर अमेरिका से भारत आए थे। अमेरिका में कई कंप्यूटर कंपनियों को खड़ा करने में उनकी अहम भूमिका रही है।

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