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01 फ़रवरी 2012

फेसबुक के मालिक की संपत्ति का हुआ खुलासा...16 अरब डॉलर

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न्यूयॉर्क.सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक के मालिक माइक जुकरबर्ग इस धरती पर मौजूद 50 सबसे अमीर लोगों में शामिल हैं और वे इस एलीट क्लब के संभवत:सबसे युवा सदस्य हैं। मार्क की संपत्ति अब तक एक राज बनी हुई थी। लेकिन अब इस रहस्य से पर्दा उठ गया है। आईपीओ लाने की तैयारी में जुटे फेसबुक के कागजातों से माइकल जुकरबर्ग की संपत्ति का खुलासा हुआ है। जुकरबर्ग के पास करीब 16 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति है।

फेसबुक की ओर जमा किए दस्तावेजों से साफ हुआ है कि फेसबुक में मार्क की हिस्सेदारी करीब एक चौथाई है। जुकरबर्ग के पास फेसबुक के 534 मिलियन शेयर हैं और एक शेयर की कीमत करीब 29.73 अमेरिकी डॉलर है। आईपीओ के जरिए फेसबुक बाज़ार से 5 अरब डॉलर उगाहने की तैयारी में है।

आखिर क्या है खास, जो इन पेंटिग्स के करोड़ों के लगे दाम

मंडी . दो सदियों के अंतराल के बाद एक बार फिर से पहाड़ी चित्रकला का जादू छाने लगा है। क्रिएटिव इंडिया सीरीज के तहत देश के नामी नीलामी हाउस ओसियन की ओर से आयोजित नीलामी में पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग्स का जादू सिर चढ़ कर बोला।

दिल्ली में आयोजित आर्ट वर्क के काम की इस नीलामी में चित्रकार तोयब मेहता की 1966 में बनाई गई दो कांगड़ा पेंटिंग्स की बोली एक करोड़ पांच लाख से ज्यादा लगी। कांगड़ा स्कूल ऑफ पेंटिंग की हरिवंश खेल श्रंखला की एक पेंटिंग और गुलेर स्कूल ऑफ पेंटिंग की महाभारत श्रंखला की एक पेंटिंग शामिल है।

ओसियन नीलाम घर के अध्यक्ष नेविल तुली के अनुसार पहाड़ी मिनिएचर की इन दोनों कृतियों की बराबर बोली लगी और प्रति कृति 5 लाख 28 हजार रुपए की बोली लगी। इस नीलामी में सबसे महंगी बोली तोयब मेहता की ही कलाकृतियों के लिए लगी। नीलामी में शामिल उनकी कृतियों में पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग के अलावा पंजाब और दिल्ली और समकालीन चित्रकला पर आधारित आर्ट वर्क भी शामिल था।

तोयब मेहता की 1966 में निर्मित कृतियों के लिए कुल 2 करोड़ 28 लाख की बोली लगी । पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग अपने सुनहरे दिनों की ओर लौटने शुरू हो गई है। इसी साल देश की सरकार ने अपनी तरह की इस अनोखी कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए चंबा के चित्रकार विजय शर्मा को पदम श्री देने की घोषणा की है।

गीतकार गुलजार की फिल्मों पर मिनिएचर पेंटिंग्स की श्रंखला बन चुकी है। उधर आर्ट वर्क के कारोबार में भी मिनिएचर पेंटिंग्स के लिए दीवानगी बढ़ने लगी है।

पहाड़ी चित्रकला हिमालय के तराई में स्थित विभिन्न क्षेत्रों में विकसित हुई। पांच नदियों-सतलुज, रावी, ब्यास, झेलम और चिनाब का क्षेत्र पंजाब और अन्य पर्वतीय केंद्रों जैसे जम्मू, कांगड़ा, गढ़वाल में विकसित इस चित्रकला शैली के चित्रों में प्रेम का विशिष्ट चित्रण होता हैं।

कृष्ण-राधा के प्रेम के चित्रों के माध्यम से इनमें स्त्री-पुरुष प्रेम संबंधों को बड़ी बारीकी एवं सहजता से दर्शाने का प्रयास किया गया है। भागवत पुराण और गीत गोविंद के गीतात्मक पद्यों में अभिव्यक्त कृष्णलीलाओं के साथ अन्य हिंदू पौराणिक कथाएं, नायक-नायिकाएं रागमाला श्रंखलाएं और पहाड़ी मुखिया और उनके परिवार चित्रकला के आम विषय थे।

नशे के लिए साला कुछ भी करेगा...देखिए नशेड़ी का जुगाड़



लुधियाना. नशेड़ी नशे के लिए कुछ भी कर सकता है। इसका उदाहरण बुधवार को विश्वकर्मा चौक में देखने को मिला। रामगढ़िया स्कूल के बाहर उस समय हंगामा हो गया, जब लोगों ने करीब 25 फुट ऊंचे बिजली के खंभे पर एक व्यक्ति को चढ़ा देखा।

वह सरेआम बिजली की तारें तथा बल्ब उतार रहा था। मौके पर पहुंची पुलिस तथा मार्केट वालों ने उसे नीचे उतारने की बहुत कोशिश की। पर उसने किसी की बात नहीं सुनी। करीब एक घंटा चले ड्रामे का पटाक्षेप तब हुआ, जब मार्केट का ही एक व्यक्ति भी खंभे पर चढ़ने लगा। उसे देख नशेड़ी नीचे उतर आया। मार्केट वालों ने उसकी खूब धुनाई की।


इस 'खबर' ने खोली पोल, शर्म से झुक गया मप्र का सिर!


नई दिल्ली। मध्य प्रदेश एक बार फिर चर्चा में आ गया है, लेकिन बुरी खबर की वजह से है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) ने अपने ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया है कि देश में शिशु मृत्यु दर के सबसे ज्यादा मामले मप्र से सामने आए हैं। राज्य में जन्म लेने वाले प्रति एक हजार मासूमों में से 62 तुरंत बाद दम तोड़ देते हैं।

जबकि, पूरे देश में शिशु मृत्यु दर की औसतन 47 तक आ चुकी है। इससे भी ज्यादा दुखद यह है कि प्रदेश में मरने वाले इन मासूमों में लड़कियों की संख्या लड़कों से कहीं ज्यादा है। हालांकि रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पिछले एक साल के दौरान शिशु मृत्यु दर में पांच अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।

इसके उलट अभी भी बच्चों के पैदा होने के लिए सबसे उत्तम राज्य गोवा साबित हो रहा है। यहां पर प्रति हजार नवजातों में से मात्र 10 की ही मौत होती है। इसके बाद केरल का नंबर आता है जहां सिर्फ 13 नवजातों की मौत होती है।

गांव में हालत खराब

दिसंबर, 2011 तक मिले आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में शहरों के मुकाबले अभी भी ग्रामीण इलाकों में शिशु मृत्यु दर कहीं ज्यादा है। शहरों में प्रति हजार नवजातों में से 42 की मौत हो रही है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी लगभग 67 नवजात दम तोड़ रहे हैं।

नवजात शिशु मृत्यु दर इसलिए ज्यादा : -

लो बर्थ रेट - 2.5 किलोग्राम से कम उम्र के बच्चों का जन्म होना। - जन्म के समय सांस लेने में तकलीफ होने के कारण (एसफिक्सिया)। - संक्रमण (न्यूमोनिया, पीलिया)। - हायपोथर्मिया (जन्म के समय नवजात को उचित तापमान न मिलना)।

जन्म के 28 दिन बाद तक

संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवा डॉ. बीएस ओहरी ने बताया कि जन्म के 28 दिन तक बच्चा नवजात रहता है, जबकि 1 साल तक की उम्र तक उस बच्चे को शिशु माना जाता है। उन्होंने बताया कि राज्य में एक हजार जन्मे बच्चों में से 44 की मृत्यु 28 दिन के भीतर हो जाती है, जबकि 62 बच्चे अपना पहला जन्म दिन नहीं मना पाते। इन आंकड़ों को कम करने के लिए प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट खोले जा रहे हैं। 34 जिलों में एसएनसीयू में नवजात बच्चों का इलाज होना शुरु हो गया है।

बच्चियों की मृत्यु ज्यादा

रिपोर्ट के अनुसार पैदा होने के बाद मरने वाले बच्चों में औसतन 62 लड़के होते हैं, जबकि लड़कियों की संख्या लगभग 63 है। ग्रामीण और शहरी दोनों ही जगह लड़कों के मुकाबले लड़कियों के मरने की दर ज्यादा देखी गई है।

अन्य राज्यों से खराब हैं हमारी स्वास्थ्य सेवाएं

प्रदेश में गर्भवती महिलाओं की एंटीनेटल केयर सही ढंग से नहीं होने से बच्चे लो बर्थ रेट के पैदा होते हैं। यहां स्वास्थ्य सेवाएं अन्य राज्यों की अपेक्षा खराब है। अगली सर्वे बुलेटिन में प्रदेश की नवजात मृत्यु दर काफी कम होगी, क्योंकि 34 जिलों में सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट खोल दी गई हैं। -डॉ. केएल साहू, संयुक्त संचालक राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन

जनाब ने 'होशियारी' को दे दी मात, रूह को भेज दिया 'पैगाम'



आपने पढ़ा और सुना होगा कि ट्विटर और फेसबुक जैसी सोशल वेबसाइटों के ज़रिए अरब मुल्कों में इंक़लाब बरपा हुआ है, लेकिन यह शायद पहला मौक़ा है जब किसी रूह को ट्विटर के ज़रिए पैग़ाम दिया गया।

यह पैग़ाम पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे और पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ने 4 जनवरी 2012 को ट्विटर के ज़रिए दिया। जिसमें कहा गया था कि ‘सलमान तासीर हमें माफ़ कर दें, लोगों को माफ़ कर दें कि जब उन्हें बोलना चाहिए था तब वो ख़ामोश रहे।’ सलमान तासीर जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के दौर में पंजाब के गवर्नर थे। जब मुशर्रफ़ की हुकूमत रुख़सत हुई और पीपुल्स पार्टी की हुकूमत आई, उस व़क्त भी वो पंजाब के गवर्नर रहे। यह कहना ज्यादा दुरुस्त होगा कि वो अपनी आख़िरी सांस तक उस ओहदे पर रहे।

वह फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की सगी मौसी के बेटे थे। पंजाब के अदबी हलक़ों से उनकी पुरानी यारी थी। वो एक निहायत कामयाब कारोबारी श़ख्स थे। सियासत से उन्हें इश्क़था। वो इस मैदान में उतरे और इसमें भी कामयाब रहे। सियासत करते हुए वो उसूलों को ख़ातिर में नहीं लाए और वही किया जिसे वो व़क्त की ज़रूरत समझते थे।

यही वजह है कि उनकी श़िख्सयत विवादास्पद रही। एक डिक्टेटर का सख्त विरोध करने वाले मुझ जैसे लोगों को समझ में नहीं आता था कि जम्हूरियत पसंद होने का दावा करने के बावजूद जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ की हुकूमत में वो गवर्नर कैसे बने। यह बात भी मेरी समझ में नहीं आई कि जनरल मुशर्रफ़ की हुकूमत जाने और उनके मुल्क से रुख़सत होने के बाद वो पीपुल्स पार्टी के इतने क़रीब आख़िर कैसे हो गए कि पहले वाले रौब और दबदबे से पंजाब पर हुकूमत करते रहे।

उनकी श़िख्सयत के यही पहलू थे, जिनकी वजह से मुल्क का एक बड़ा तबक़ा उनको आलोचना का निशाना बनाता था। सलमान तासीर ने गवर्नर हाउस के दरवाज़े पीपुल्स पार्टी के कारकुनों के लिए खोल दिए और उन्होंने कभी ये ख्याल नहीं किया कि एक सूबे के गवर्नर को निष्पक्ष होना चाहिए। इन वजहों से वो विवादित श़िख्सयत रहे। उन्होंने अल्पसंख्यकों का खुलकर साथ दिया और पंजाब में जब भी कहीं ईसाई या हिंदू संप्रदाय के श़ख्स के साथ जयादती हुई, तो वे फ़ौरन उस समुदाय तक पहुंचे और उनकी मुश्किल हल करने की कोशिश की।

नवंबर 2010 में एक ईसाई औरत आसिया नूरीन गिऱफ्तार हुई। उसका किसी मुसलमान औरत से ज़ाती झगड़ा था। झगड़ा बढ़ा तो उसने आसिया बीबी पर ऐसा इल्ज़ाम लगाया कि उसे गिऱफ्तार कर लिया गया। उसे मौत की सज़ा सुना दी गई। सलमान तासीर इस सज़ा को ग़लत समझते थे। उनका ख्याल था कि वो सदर पाकिस्तान आसिफ़ अली ज़रदारी से आसिया बीबी को माफ़ी दिलवाएंगे।

इसी ख्याल की बुनियाद पर वो शेख़पुरा जेल गए, जहां आसिया बीबी सज़ा का इंतजार कर रही थी। आसिया बीबी पढ़ी-लिखी नहीं थी, सलमान तासीर ने दऱख्वास्त पर आसिया बीबी का अंगूठा लगवाया और उस काग़ज़ को लेकर सदर के पास गए। सदर रहम की इस दऱख्वास्त पर दस्तख़त के मामले को टालते रहे। यहां तक कि उस दऱख्वास्त पर सदर के दस्तख़त नहीं हुए और सलमान तासीर इस्लामाबाद में एक रेस्त्रां से बाहर आते हुए 4 जनवरी 2011 को दिनदहाड़े उनके ही सरकारी गार्ड के हाथों क़त्ल कर दिए गए।

उनके क़ातिल ने वहां मौजूद दर्जनों लोगों की मौजूदगी में सलमान के क़त्ल को स्वीकार किया और कहा कि यह श़ख्स ‘शातिमे-रसूल’ था इसलिए मैंने इसे क़त्ल कर दिया है। क़ातिल देखते ही देखते मज़हबी गिरोहों का हीरो बन गया। लोगों का ख्याल था कि सलमान तासीर ने जिस पीपुल्स पार्टी की बेपनाह और बढ़-चढ़कर हिमायत की थी, वो उनके हक़ में बोलेगी और लोगों को हक़ीक़त से आगाह करेगी। लेकिन वो ख़ामोश रही और उसने अपने गवर्नर के क़त्ल पर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया।

इस तमाम बहस से नज़र में आने वाली असल बात यही है कि पीपुल्स पार्टी ने सलमान के लिए कुछ नहीं किया। एक लंबी ख़ामोशी है जो पार्टी पर तारी है। 4 जनवरी को तासीर के क़त्ल को एक बरस पूरा हो चुका है। उस रोज़ उनके ख़ानदान और कुछ क़रीबी दोस्तों ने उनका सोग मनाया और बस।

ख़ुदा का शुक्र है कि चंद आलिम आज भी इस नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। मगर उनकी अपनी जमात (पीपुल्स पार्टी) ने जो सुलूक किया, उस पर इज़हारे-अफ़सोस के सिवा क्या किया जा सकता है। हद तो यह है कि उनकी पहली बरसी के मौक़े पर गवर्नर हाउस में उनके लिए दुआ तक नहीं हुई और न क़ौमी एसेंबली में किसी को सलमान तासीर की याद आई।’

5 जनवरी को सलमान तासीर के नाम बिलावल भुट्टो का ट्विटर पैगाम पढ़कर मुझे हैरत हुई, तो इसलिए कि साल भर बाद जब बिलावल को उनकी याद आई, तब भी वो पार्टी के लोगों से अपने इस गवर्नर के लिए एक छोटा-सा जलसा भी न करवा सके, जिसने पीपुल्स पार्टी की हिमायत नाजायज़ हद तक जाकर की थी। सलमान तासीर की रूह से माफ़ी मांगने और शर्मिदा होने का व़क्त तो अलबत्ता गुज़र चुका है।

जनाब ने 'होशियारी' को दे दी मात, रूह को भेज दिया 'पैगाम'



आपने पढ़ा और सुना होगा कि ट्विटर और फेसबुक जैसी सोशल वेबसाइटों के ज़रिए अरब मुल्कों में इंक़लाब बरपा हुआ है, लेकिन यह शायद पहला मौक़ा है जब किसी रूह को ट्विटर के ज़रिए पैग़ाम दिया गया।

यह पैग़ाम पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे और पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ने 4 जनवरी 2012 को ट्विटर के ज़रिए दिया। जिसमें कहा गया था कि ‘सलमान तासीर हमें माफ़ कर दें, लोगों को माफ़ कर दें कि जब उन्हें बोलना चाहिए था तब वो ख़ामोश रहे।’ सलमान तासीर जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के दौर में पंजाब के गवर्नर थे। जब मुशर्रफ़ की हुकूमत रुख़सत हुई और पीपुल्स पार्टी की हुकूमत आई, उस व़क्त भी वो पंजाब के गवर्नर रहे। यह कहना ज्यादा दुरुस्त होगा कि वो अपनी आख़िरी सांस तक उस ओहदे पर रहे।

वह फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की सगी मौसी के बेटे थे। पंजाब के अदबी हलक़ों से उनकी पुरानी यारी थी। वो एक निहायत कामयाब कारोबारी श़ख्स थे। सियासत से उन्हें इश्क़था। वो इस मैदान में उतरे और इसमें भी कामयाब रहे। सियासत करते हुए वो उसूलों को ख़ातिर में नहीं लाए और वही किया जिसे वो व़क्त की ज़रूरत समझते थे।

यही वजह है कि उनकी श़िख्सयत विवादास्पद रही। एक डिक्टेटर का सख्त विरोध करने वाले मुझ जैसे लोगों को समझ में नहीं आता था कि जम्हूरियत पसंद होने का दावा करने के बावजूद जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ की हुकूमत में वो गवर्नर कैसे बने। यह बात भी मेरी समझ में नहीं आई कि जनरल मुशर्रफ़ की हुकूमत जाने और उनके मुल्क से रुख़सत होने के बाद वो पीपुल्स पार्टी के इतने क़रीब आख़िर कैसे हो गए कि पहले वाले रौब और दबदबे से पंजाब पर हुकूमत करते रहे।

उनकी श़िख्सयत के यही पहलू थे, जिनकी वजह से मुल्क का एक बड़ा तबक़ा उनको आलोचना का निशाना बनाता था। सलमान तासीर ने गवर्नर हाउस के दरवाज़े पीपुल्स पार्टी के कारकुनों के लिए खोल दिए और उन्होंने कभी ये ख्याल नहीं किया कि एक सूबे के गवर्नर को निष्पक्ष होना चाहिए। इन वजहों से वो विवादित श़िख्सयत रहे। उन्होंने अल्पसंख्यकों का खुलकर साथ दिया और पंजाब में जब भी कहीं ईसाई या हिंदू संप्रदाय के श़ख्स के साथ जयादती हुई, तो वे फ़ौरन उस समुदाय तक पहुंचे और उनकी मुश्किल हल करने की कोशिश की।

नवंबर 2010 में एक ईसाई औरत आसिया नूरीन गिऱफ्तार हुई। उसका किसी मुसलमान औरत से ज़ाती झगड़ा था। झगड़ा बढ़ा तो उसने आसिया बीबी पर ऐसा इल्ज़ाम लगाया कि उसे गिऱफ्तार कर लिया गया। उसे मौत की सज़ा सुना दी गई। सलमान तासीर इस सज़ा को ग़लत समझते थे। उनका ख्याल था कि वो सदर पाकिस्तान आसिफ़ अली ज़रदारी से आसिया बीबी को माफ़ी दिलवाएंगे।

इसी ख्याल की बुनियाद पर वो शेख़पुरा जेल गए, जहां आसिया बीबी सज़ा का इंतजार कर रही थी। आसिया बीबी पढ़ी-लिखी नहीं थी, सलमान तासीर ने दऱख्वास्त पर आसिया बीबी का अंगूठा लगवाया और उस काग़ज़ को लेकर सदर के पास गए। सदर रहम की इस दऱख्वास्त पर दस्तख़त के मामले को टालते रहे। यहां तक कि उस दऱख्वास्त पर सदर के दस्तख़त नहीं हुए और सलमान तासीर इस्लामाबाद में एक रेस्त्रां से बाहर आते हुए 4 जनवरी 2011 को दिनदहाड़े उनके ही सरकारी गार्ड के हाथों क़त्ल कर दिए गए।

उनके क़ातिल ने वहां मौजूद दर्जनों लोगों की मौजूदगी में सलमान के क़त्ल को स्वीकार किया और कहा कि यह श़ख्स ‘शातिमे-रसूल’ था इसलिए मैंने इसे क़त्ल कर दिया है। क़ातिल देखते ही देखते मज़हबी गिरोहों का हीरो बन गया। लोगों का ख्याल था कि सलमान तासीर ने जिस पीपुल्स पार्टी की बेपनाह और बढ़-चढ़कर हिमायत की थी, वो उनके हक़ में बोलेगी और लोगों को हक़ीक़त से आगाह करेगी। लेकिन वो ख़ामोश रही और उसने अपने गवर्नर के क़त्ल पर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया।

इस तमाम बहस से नज़र में आने वाली असल बात यही है कि पीपुल्स पार्टी ने सलमान के लिए कुछ नहीं किया। एक लंबी ख़ामोशी है जो पार्टी पर तारी है। 4 जनवरी को तासीर के क़त्ल को एक बरस पूरा हो चुका है। उस रोज़ उनके ख़ानदान और कुछ क़रीबी दोस्तों ने उनका सोग मनाया और बस।

ख़ुदा का शुक्र है कि चंद आलिम आज भी इस नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। मगर उनकी अपनी जमात (पीपुल्स पार्टी) ने जो सुलूक किया, उस पर इज़हारे-अफ़सोस के सिवा क्या किया जा सकता है। हद तो यह है कि उनकी पहली बरसी के मौक़े पर गवर्नर हाउस में उनके लिए दुआ तक नहीं हुई और न क़ौमी एसेंबली में किसी को सलमान तासीर की याद आई।’

5 जनवरी को सलमान तासीर के नाम बिलावल भुट्टो का ट्विटर पैगाम पढ़कर मुझे हैरत हुई, तो इसलिए कि साल भर बाद जब बिलावल को उनकी याद आई, तब भी वो पार्टी के लोगों से अपने इस गवर्नर के लिए एक छोटा-सा जलसा भी न करवा सके, जिसने पीपुल्स पार्टी की हिमायत नाजायज़ हद तक जाकर की थी। सलमान तासीर की रूह से माफ़ी मांगने और शर्मिदा होने का व़क्त तो अलबत्ता गुज़र चुका है।

इस अद्भुत मंदिर के पीछे की कहानी बढ़ी मजेदार है भाई


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भोपाल। नॉलेज पैकेज के अंतर्गत आज हम आपको मध्यप्रदेश के ओरछा स्थित विश्व प्रसिद्ध चतुभरुज मंदिर के पीछे की कहानी बताने जा रहे हैं।

चतुभरुज मंदिर के अंदर और बाहर का नजारा काफी मनमोहक है। अंदर खुलापन है, जबकि बाहर प्राकृतिक खूबसूरती है। साथ ही भव्य मंदिर को देखने जो भी पर्यटक जाता है, वह उसकी यादों में खो जाता है। ओरछा ग्वालियर से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है और पर्यटकों का प्रमुख केंद्र है। इसलिए आप भी एकबार इस मनोरम जगह जाने के बारे में जरूर सोचें।

पर्यटन की दृष्टि से मध्यप्रदेश काफी समृद्ध राज्य है। यहां भारी संख्या में धार्मिक प्रवृत्ति के लोग आते हैं। ओरछा, मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित है। यहां स्थित चतुभरुज मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है।

लेकिन इसके पीछे एक बहुत ही मजेदार किस्सा है। इस मंदिर को 1558 ई. से 1573 ई. के बीच राजा मधुकर शाह द्वारा बनवाया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार ओरछा के तत्कालीन महाराज मधुकर शाह बांके बिहारी यानि भगवान कृष्ण के उपासक थे, जबकि महारानी भगवान राम की उपासना करते थे। इस बात को लेकर दोनों के बीच काफी विवाद होता था।

एक दिन महारानी ने यह निर्णय किया कि वे अपने प्रदेश में भगवान राम की स्थापना करवाएंगी। इसी कारण वे राजा को बिना बताए अयोध्या निकल गईं, जहां घोर तपस्या करने के बाद भगवान राम उनके साथ बाल अवस्था में चलने को राजी हो गए। ओरछा छोड़ने से पहले महारानी ने अपने सेवकों को चतुभरुज मंदिर का निर्माण करवाने का आदेश दिया था। उधर जब राजा को रानी के चले जाने का पता चला, तो उन्होंने उनकी अनुपस्थिति में चतुभरुज मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा करवाया।

कुछ साल बाद रानी भगवान राम को लेकर ओरछा पहुंची और अपने महल में रखा। जब चतुभरुज मंदिर में उनकी स्थापना की बात हुई, तो भगवान राम ने महल छोड़ने से इंकार कर दिया। इसके बाद उनकी स्थापना वहीं हुई और रानी का महल राम राज मंदिर बन गया। अब चूंकि चतुभरुज मंदिर बनकर तैयार हो गया था, तो वहां राजा और रानी ने मिलकर भगवान विष्णु की स्थापना करवाई। इसके बाद से वहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

गृह विभाग के उप सचिव अकील निलंबित

जयपुर.गृहमंत्री पद पर रहते हुए शांति धारीवाल के खिलाफ शिकायती पत्र को एसीबी में जांच के लिए भेजने पर गृह विभाग के उप सचिव अकील अहमद को निलंबित कर दिया गया है।

इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय के उप सचिव एसके सोलंकी तथा प्रमुख गृह सचिव जीएस संधू के वरिष्ठ निजी सहायक सुरेश सैनी को एपीओ किया गया है। गृह विभाग के सेक्शन ऑफिसर जगदीप सिंह कुशवाह को 17 सीसी की चार्जशीट देने का फैसला किया गया है। उधर, एसीबी ने धारीवाल के खिलाफ जांच को बंद कर दिया है।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एडीजी अजीत सिंह ने नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ किसी भी तरह की जांच विचाराधीन होने से इंकार किया है। एडीजी ने बताया कि धारीवाल के खिलाफ नियम विरुद्ध निर्माण कार्य कराने की शिकायत मिली थी।

जो जांच में गलत निकली। जिस बिल्डिंग के निर्माण के बारे में गलत अनुमति देने की शिकायत की गई थी, उसकी अनुमति वर्ष 2008 में दी गई थी। तब धारीवाल मंत्री नहीं थे। इस तरह उन पर कोई मामला नहीं बनता है।

उल्लेखनीय है कि धारीवाल और नगरीय विकास विभाग के अधिकारियों के खिलाफ पिछले दिनों मुख्यमंत्री कार्यालय को एक गुमनाम शिकायत मिली थी। बिना हस्ताक्षर वाले इस पत्र के बिंदु संख्या 8 में निर्माण की अनुमति दिए जाने में धारीवाल और विभागीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार करने का संदेह व्यक्त किया गया था।

गृह विभाग के उप सचिव अकील अहमद ने बिंदु संख्या 8 की ही जांच के लिए यह पत्र एसीबी को भिजवा दिया था। इस पर धारीवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर आपत्ति जताई और इसे गंभीर लापरवाही बताकर संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया था।

शिव-पार्वती संवाद दोहा : * जटा मुकुट सुरसरित सिर लोचन नलिन बिसाल। नीलकंठ लावन्यनिधि सोह बालबिधु भाल॥106॥ भावार्थ:-उनके सिर पर जटाओं का मुकुट और गंगाजी


दोहा :
* जटा मुकुट सुरसरित सिर लोचन नलिन बिसाल।
नीलकंठ लावन्यनिधि सोह बालबिधु भाल॥106॥
भावार्थ:-उनके सिर पर जटाओं का मुकुट और गंगाजी (शोभायमान) थीं। कमल के समान बड़े-बड़े नेत्र थे। उनका नील कंठ था और वे सुंदरता के भंडार थे। उनके मस्तक पर द्वितीया का चन्द्रमा शोभित था॥106॥
चौपाई :
* बैठे सोह कामरिपु कैसें। धरें सरीरु सांतरसु जैसें॥
पारबती भल अवसरु जानी। गईं संभु पहिं मातु भवानी॥1॥
भावार्थ:-कामदेव के शत्रु शिवजी वहाँ बैठे हुए ऐसे शोभित हो रहे थे, मानो शांतरस ही शरीर धारण किए बैठा हो। अच्छा मौका जानकर शिवपत्नी माता पार्वतीजी उनके पास गईं।
* जानि प्रिया आदरु अति कीन्हा। बाम भाग आसनु हर दीन्हा॥
बैठीं सिव समीप हरषाई। पूरुब जन्म कथा चित आई॥2॥
भावार्थ:-अपनी प्यारी पत्नी जानकार शिवजी ने उनका बहुत आदर-सत्कार किया और अपनी बायीं ओर बैठने के लिए आसन दिया। पार्वतीजी प्रसन्न होकर शिवजी के पास बैठ गईं। उन्हें पिछले जन्म की कथा स्मरण हो आई॥2॥
*पति हियँ हेतु अधिक अनुमानी। बिहसि उमा बोलीं प्रिय बानी॥
कथा जो सकल लोक हितकारी। सोइ पूछन चह सैल कुमारी॥3॥
भावार्थ:-स्वामी के हृदय में (अपने ऊपर पहले की अपेक्षा) अधिक प्रेम समझकर पार्वतीजी हँसकर प्रिय वचन बोलीं। (याज्ञवल्क्यजी कहते हैं कि) जो कथा सब लोगों का हित करने वाली है, उसे ही पार्वतीजी पूछना चाहती हैं॥3॥
*बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी। त्रिभुवन महिमा बिदित तुम्हारी॥
चर अरु अचर नाग नर देवा। सकल करहिं पद पंकज सेवा॥4॥
भावार्थ:-(पार्वतीजी ने कहा-) हे संसार के स्वामी! हे मेरे नाथ! हे त्रिपुरासुर का वध करने वाले! आपकी महिमा तीनों लोकों में विख्यात है। चर, अचर, नाग, मनुष्य और देवता सभी आपके चरण कमलों की सेवा करते हैं॥4॥
दोहा :
* प्रभु समरथ सर्बग्य सिव सकल कला गुन धाम।
जोग ग्यान बैराग्य निधि प्रनत कलपतरु नाम॥107॥
भावार्थ:-हे प्रभो! आप समर्थ, सर्वज्ञ और कल्याणस्वरूप हैं। सब कलाओं और गुणों के निधान हैं और योग, ज्ञान तथा वैराग्य के भंडार हैं। आपका नाम शरणागतों के लिए कल्पवृक्ष है॥107॥
चौपाई :
* जौं मो पर प्रसन्न सुखरासी। जानिअ सत्य मोहि निज दासी॥
तौ प्रभु हरहु मोर अग्याना। कहि रघुनाथ कथा बिधि नाना॥1॥
भावार्थ:-हे सुख की राशि ! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं और सचमुच मुझे अपनी दासी (या अपनी सच्ची दासी) जानते हैं, तो हे प्रभो! आप श्री रघुनाथजी की नाना प्रकार की कथा कहकर मेरा अज्ञान दूर कीजिए॥1॥
* जासु भवनु सुरतरु तर होई। सहि कि दरिद्र जनित दुखु सोई॥
ससिभूषन अस हृदयँ बिचारी। हरहु नाथ मम मति भ्रम भारी॥2॥
भावार्थ:-जिसका घर कल्पवृक्ष के नीचे हो, वह भला दरिद्रता से उत्पन्न दुःख को क्यों सहेगा? हे शशिभूषण! हे नाथ! हृदय में ऐसा विचार कर मेरी बुद्धि के भारी भ्रम को दूर कीजिए॥2॥
* प्रभु जे मुनि परमारथबादी। कहहिं राम कहुँ ब्रह्म अनादी॥
सेस सारदा बेद पुराना। सकल करहिं रघुपति गुन गाना॥3॥
भावार्थ:-हे प्रभो! जो परमार्थतत्व (ब्रह्म) के ज्ञाता और वक्ता मुनि हैं, वे श्री रामचन्द्रजी को अनादि ब्रह्म कहते हैं और शेष, सरस्वती, वेद और पुराण सभी श्री रघुनाथजी का गुण गाते हैं॥3॥
* तुम्ह पुनि राम राम दिन राती। सादर जपहु अनँग आराती॥
रामु सो अवध नृपति सुत सोई। की अज अगुन अलखगति कोई॥4॥
भावार्थ:-और हे कामदेव के शत्रु! आप भी दिन-रात आदरपूर्वक राम-राम जपा करते हैं- ये राम वही अयोध्या के राजा के पुत्र हैं? या अजन्मे, निर्गुण और अगोचर कोई और राम हैं?॥4॥
दोहा :
* जौं नृप तनय त ब्रह्म किमि नारि बिरहँ मति भोरि।
देखि चरित महिमा सुनत भ्रमति बुद्धि अति मोरि॥108॥
भावार्थ:-यदि वे राजपुत्र हैं तो ब्रह्म कैसे? (और यदि ब्रह्म हैं तो) स्त्री के विरह में उनकी मति बावली कैसे हो गई? इधर उनके ऐसे चरित्र देखकर और उधर उनकी महिमा सुनकर मेरी बुद्धि अत्यन्त चकरा रही है॥108॥
चौपाई :
* जौं अनीह ब्यापक बिभु कोऊ। कहहु बुझाइ नाथ मोहि सोऊ॥
अग्य जानि रिस उर जनि धरहू। जेहि बिधि मोह मिटै सोइ करहू॥1॥
भावार्थ:-यदि इच्छारहित, व्यापक, समर्थ ब्रह्म कोई और हैं, तो हे नाथ! मुझे उसे समझाकर कहिए। मुझे नादान समझकर मन में क्रोध न लाइए। जिस तरह मेरा मोह दूर हो, वही कीजिए॥1॥
* मैं बन दीखि राम प्रभुताई। अति भय बिकल न तुम्हहि सुनाई॥
तदपि मलिन मन बोधु न आवा। सो फलु भली भाँति हम पावा॥2॥
भावार्थ:-मैंने (पिछले जन्म में) वन में श्री रामचन्द्रजी की प्रभुता देखी थी, परन्तु अत्यन्त भयभीत होने के कारण मैंने वह बात आपको सुनाई नहीं। तो भी मेरे मलिन मन को बोध न हुआ। उसका फल भी मैंने अच्छी तरह पा लिया॥2॥
* अजहूँ कछु संसउ मन मोरें। करहु कृपा बिनवउँ कर जोरें॥
प्रभु तब मोहि बहु भाँति प्रबोधा। नाथ सो समुझि करहु जनि क्रोधा॥3॥
भावार्थ:-अब भी मेरे मन में कुछ संदेह है। आप कृपा कीजिए, मैं हाथ जोड़कर विनती करती हूँ। हे प्रभो! आपने उस समय मुझे बहुत तरह से समझाया था (फिर भी मेरा संदेह नहीं गया), हे नाथ! यह सोचकर मुझ पर क्रोध न कीजिए॥3॥
* तब कर अस बिमोह अब नाहीं। रामकथा पर रुचि मन माहीं॥
कहहु पुनीत राम गुन गाथा। भुजगराज भूषन सुरनाथा॥4॥
भावार्थ:-मुझे अब पहले जैसा मोह नहीं है, अब तो मेरे मन में रामकथा सुनने की रुचि है। हे शेषनाग को अलंकार रूप में धारण करने वाले देवताओं के नाथ! आप श्री रामचन्द्रजी के गुणों की पवित्र कथा कहिए॥4॥
दोहा :
* बंदउँ पद धरि धरनि सिरु बिनय करउँ कर जोरि।
बरनहु रघुबर बिसद जसु श्रुति सिद्धांत निचोरि॥109॥
भावार्थ:-मैं पृथ्वी पर सिर टेककर आपके चरणों की वंदना करती हूँ और हाथ जोड़कर विनती करती हूँ। आप वेदों के सिद्धांत को निचोड़कर श्री रघुनाथजी का निर्मल यश वर्णन कीजिए॥109॥
चौपाई :
* जदपि जोषिता नहिं अधिकारी। दासी मन क्रम बचन तुम्हारी॥
गूढ़उ तत्त्व न साधु दुरावहिं। आरत अधिकारी जहँ पावहिं॥1॥
भावार्थ:-यद्यपि स्त्री होने के कारण मैं उसे सुनने की अधिकारिणी नहीं हूँ, तथापि मैं मन, वचन और कर्म से आपकी दासी हूँ। संत लोग जहाँ आर्त अधिकारी पाते हैं, वहाँ गूढ़ तत्त्व भी उससे नहीं छिपाते॥1॥
* अति आरति पूछउँ सुरराया। रघुपति कथा कहहु करि दाया॥
प्रथम सो कारन कहहु बिचारी। निर्गुन ब्रह्म सगुन बपु धारी॥2॥
भावार्थ:-हे देवताओं के स्वामी! मैं बहुत ही आर्तभाव (दीनता) से पूछती हूँ, आप मुझ पर दया करके श्री रघुनाथजी की कथा कहिए। पहले तो वह कारण विचारकर बतलाइए, जिससे निर्गुण ब्रह्म सगुण रूप धारण करता है॥2॥
* पुनि प्रभु कहहु राम अवतारा। बालचरित पुनि कहहु उदारा॥
कहहु जथा जानकी बिबाहीं। राज तजा सो दूषन काहीं॥3॥
भावार्थ:-फिर हे प्रभु! श्री रामचन्द्रजी के अवतार (जन्म) की कथा कहिए तथा उनका उदार बाल चरित्र कहिए। फिर जिस प्रकार उन्होंने श्री जानकीजी से विवाह किया, वह कथा कहिए और फिर यह बतलाइए कि उन्होंने जो राज्य छोड़ा, सो किस दोष से॥3॥
* बन बसि कीन्हे चरित अपारा। कहहु नाथ जिमि रावन मारा॥
राज बैठि कीन्हीं बहु लीला। सकल कहहु संकर सुखसीला॥4॥
भावार्थ:-हे नाथ! फिर उन्होंने वन में रहकर जो अपार चरित्र किए तथा जिस तरह रावण को मारा, वह कहिए। हे सुखस्वरूप शंकर! फिर आप उन सारी लीलाओं को कहिए जो उन्होंने राज्य (सिंहासन) पर बैठकर की थीं॥4॥
दोहा :
* बहुरि कहहु करुनायतन कीन्ह जो अचरज राम।
प्रजा सहित रघुबंसमनि किमि गवने निज धाम॥110॥
भावार्थ:-हे कृपाधाम! फिर वह अद्भुत चरित्र कहिए जो श्री रामचन्द्रजी ने किया- वे रघुकुल शिरोमणि प्रजा सहित किस प्रकार अपने धाम को गए?॥110॥
चौपाई :
* पुनि प्रभु कहहु सो तत्त्व बखानी। जेहिं बिग्यान मगन मुनि ग्यानी॥
भगति ग्यान बिग्यान बिरागा। पुनि सब बरनहु सहित बिभागा॥1॥
भावार्थ:-हे प्रभु! फिर आप उस तत्त्व को समझाकर कहिए, जिसकी अनुभूति में ज्ञानी मुनिगण सदा मग्न रहते हैं और फिर भक्ति, ज्ञान, विज्ञान और वैराग्य का विभाग सहित वर्णन कीजिए॥1॥
* औरउ राम रहस्य अनेका। कहहु नाथ अति बिमल बिबेका॥
जो प्रभु मैं पूछा नहिं होई। सोउ दयाल राखहु जनि गोई॥2॥
भावार्थ:-(इसके सिवा) श्री रामचन्द्रजी के और भी जो अनेक रहस्य (छिपे हुए भाव अथवा चरित्र) हैं, उनको कहिए। हे नाथ! आपका ज्ञान अत्यन्त निर्मल है। हे प्रभो! जो बात मैंने न भी पूछी हो, हे दयालु! उसे भी आप छिपा न रखिएगा॥2॥
* तुम्ह त्रिभुवन गुर बेद बखाना। आन जीव पाँवर का जाना॥
प्रस्न उमा कै सहज सुहाई। छल बिहीन सुनि सिव मन भाई॥3॥
भावार्थ:-वेदों ने आपको तीनों लोकों का गुरु कहा है। दूसरे पामर जीव इस रहस्य को क्या जानें! पार्वतीजी के सहज सुंदर और छलरहित (सरल) प्रश्न सुनकर शिवजी के मन को बहुत अच्छे लगे॥3॥
* हर हियँ रामचरित सब आए। प्रेम पुलक लोचन जल छाए॥
श्रीरघुनाथ रूप उर आवा। परमानंद अमित सुख पावा॥4॥
भावार्थ:-श्री महादेवजी के हृदय में सारे रामचरित्र आ गए। प्रेम के मारे उनका शरीर पुलकित हो गया और नेत्रों में जल भर आया। श्री रघुनाथजी का रूप उनके हृदय में आ गया, जिससे स्वयं परमानन्दस्वरूप शिवजी ने भी अपार सुख पाया॥4॥
दोहा :
* मगन ध्यान रस दंड जुग पुनि मन बाहेर कीन्ह।
रघुपति चरित महेस तब हरषित बरनै लीन्ह॥111।
भावार्थ:-शिवजी दो घड़ी तक ध्यान के रस (आनंद) में डूबे रहे, फिर उन्होंने मन को बाहर खींचा और तब वे प्रसन्न होकर श्री रघुनाथजी का चरित्र वर्णन करने लगे॥111॥
चौपाई :
* झूठेउ सत्य जाहि बिनु जानें। जिमि भुजंग बिनु रजु पहिचानें॥
जेहि जानें जग जाइ हेराई। जागें जथा सपन भ्रम जाई॥1॥
भावार्थ:-जिसके बिना जाने झूठ भी सत्य मालूम होता है, जैसे बिना पहचाने रस्सी में साँप का भ्रम हो जाता है और जिसके जान लेने पर जगत का उसी तरह लोप हो जाता है, जैसे जागने पर स्वप्न का भ्रम जाता रहता है॥1॥
*बंदउँ बालरूप सोइ रामू। सब सिधि सुलभ जपत जिसु नामू॥
मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी॥2॥
भावार्थ:-मैं उन्हीं श्री रामचन्द्रजी के बाल रूप की वंदना करता हूँ, जिनका नाम जपने से सब सिद्धियाँ सहज ही प्राप्त हो जाती हैं। मंगल के धाम, अमंगल के हरने वाले और श्री दशरथजी के आँगन में खेलने वाले (बालरूप) श्री रामचन्द्रजी मुझ पर कृपा करें॥2॥
* करि प्रनाम रामहि त्रिपुरारी। हरषि सुधा सम गिरा उचारी॥
धन्य धन्य गिरिराजकुमारी। तुम्ह समान नहिं कोउ उपकारी॥3॥
भावार्थ:-त्रिपुरासुर का वध करने वाले शिवजी श्री रामचन्द्रजी को प्रणाम करके आनंद में भरकर अमृत के समान वाणी बोले- हे गिरिराजकुमारी पार्वती! तुम धन्य हो! धन्य हो!! तुम्हारे समान कोई उपकारी नहीं है॥3॥
* पूँछेहु रघुपति कथा प्रसंगा। सकल लोक जग पावनि गंगा॥
तुम्ह रघुबीर चरन अनुरागी। कीन्हिहु प्रस्न जगत हित लागी॥4॥
भावार्थ:-जो तुमने श्री रघुनाथजी की कथा का प्रसंग पूछा है, जो कथा समस्त लोकों के लिए जगत को पवित्र करने वाली गंगाजी के समान है। तुमने जगत के कल्याण के लिए ही प्रश्न पूछे हैं। तुम श्री रघुनाथजी के चरणों में प्रेम रखने वाली हो॥4॥
दोहा :
* राम कृपा तें पारबति सपनेहुँ तव मन माहिं।
सोक मोह संदेह भ्रम मम बिचार कछु नाहिं॥112॥
भावार्थ:-हे पार्वती! मेरे विचार में तो श्री रामजी की कृपा से तुम्हारे मन में स्वप्न में भी शोक, मोह, संदेह और भ्रम कुछ भी नहीं है॥112॥
चौपाई :
* तदपि असंका कीन्हिहु सोई। कहत सुनत सब कर हित होई॥
जिन्ह हरिकथा सुनी नहिं काना। श्रवन रंध्र अहिभवन समाना॥1॥
भावार्थ:-फिर भी तुमने इसीलिए वही (पुरानी) शंका की है कि इस प्रसंग के कहने-सुनने से सबका कल्याण होगा। जिन्होंने अपने कानों से भगवान की कथा नहीं सुनी, उनके कानों के छिद्र साँप के बिल के समान हैं॥1॥
* नयनन्हि संत दरस नहिं देखा। लोचन मोरपंख कर लेखा॥
तेसिर कटु तुंबरि समतूला। जे न नमत हरि गुर पद मूला॥2॥
भावार्थ:-जिन्होंने अपने नेत्रों से संतों के दर्शन नहीं किए, उनके वे नेत्र मोर के पंखों पर दिखने वाली नकली आँखों की गिनती में हैं। वे सिर कड़वी तूँबी के समान हैं, जो श्री हरि और गुरु के चरणतल पर नहीं झुकते॥2॥
* जिन्ह हरिभगति हृदयँ नहिं आनी। जीवत सव समान तेइ प्रानी॥
जो नहिं करइ राम गुन गाना। जीह सो दादुर जीह समाना॥3॥
भावार्थ:-जिन्होंने भगवान की भक्ति को अपने हृदय में स्थान नहीं दिया, वे प्राणी जीते हुए ही मुर्दे के समान हैं, जो जीभ श्री रामचन्द्रजी के गुणों का गान नहीं करती, वह मेंढक की जीभ के समान है॥3॥
* कुलिस कठोर निठुर सोइ छाती। सुनि हरिचरित न जो हरषाती॥
गिरिजा सुनहु राम कै लीला। सुर हित दनुज बिमोहनसीला॥4॥
भावार्थ:-वह हृदय वज्र के समान कड़ा और निष्ठुर है, जो भगवान के चरित्र सुनकर हर्षित नहीं होता। हे पार्वती! श्री रामचन्द्रजी की लीला सुनो, यह देवताओं का कल्याण करने वाली और दैत्यों को विशेष रूप से मोहित करने वाली है॥4॥
दोहा :
* रामकथा सुरधेनु सम सेवत सब सुख दानि।
सतसमाज सुरलोक सब को न सुनै अस जानि॥113॥
भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी की कथा कामधेनु के समान सेवा करने से सब सुखों को देने वाली है और सत्पुरुषों के समाज ही सब देवताओं के लोक हैं, ऐसा जानकर इसे कौन न सुनेगा!॥113॥
चौपाई :
* रामकथा सुंदर कर तारी। संसय बिहग उड़ावनिहारी॥
रामकथा कलि बिटप कुठारी। सादर सुनु गिरिराजकुमारी॥1॥
भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी की कथा हाथ की सुंदर ताली है, जो संदेह रूपी पक्षियों को उड़ा देती है। फिर रामकथा कलियुग रूपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी है। हे गिरिराजकुमारी! तुम इसे आदरपूर्वक सुनो॥1॥
* राम नाम गुन चरित सुहाए। जनम करम अगनित श्रुति गाए॥
जथा अनंत राम भगवाना। तथा कथा कीरति गुन नाना॥2॥
भावार्थ:-वेदों ने श्री रामचन्द्रजी के सुंदर नाम, गुण, चरित्र, जन्म और कर्म सभी अनगिनत कहे हैं। जिस प्रकार भगवान श्री रामचन्द्रजी अनन्त हैं, उसी तरह उनकी कथा, कीर्ति और गुण भी अनंत हैं॥2॥
* तदपि जथा श्रुत जसि मति मोरी। कहिहउँ देखि प्रीति अति तोरी॥
उमा प्रस्न तव सहज सुहाई। सुखद संतसंमत मोहि भाई॥3॥
भावार्थ:-तो भी तुम्हारी अत्यन्त प्रीति देखकर, जैसा कुछ मैंने सुना है और जैसी मेरी बुद्धि है, उसी के अनुसार मैं कहूँगा। हे पार्वती! तुम्हारा प्रश्न स्वाभाविक ही सुंदर, सुखदायक और संतसम्मत है और मुझे तो बहुत ही अच्छा लगा है॥3॥
* एक बात नहिं मोहि सोहानी। जदपि मोह बस कहेहु भवानी॥
तुम्ह जो कहा राम कोउ आना। जेहि श्रुति गाव धरहिं मुनि ध्याना॥4॥
भावार्थ:-परंतु हे पार्वती! एक बात मुझे अच्छी नहीं लगी, यद्यपि वह तुमने मोह के वश होकर ही कही है। तुमने जो यह कहा कि वे राम कोई और हैं, जिन्हें वेद गाते और मुनिजन जिनका ध्यान धरते हैं-॥4॥
दोहा :
* कहहिं सुनहिं अस अधम नर ग्रसे जे मोह पिसाच।
पाषंडी हरि पद बिमुख जानहिं झूठ न साच॥114॥
भावार्थ:-जो मोह रूपी पिशाच के द्वारा ग्रस्त हैं, पाखण्डी हैं, भगवान के चरणों से विमुख हैं और जो झूठ-सच कुछ भी नहीं जानते, ऐसे अधम मनुष्य ही इस तरह कहते-सुनते हैं॥114॥
चौपाई :
* अग्य अकोबिद अंध अभागी। काई बिषय मुकुर मन लागी॥
लंपट कपटी कुटिल बिसेषी। सपनेहुँ संतसभा नहिं देखी॥1॥
भावार्थ:-जो अज्ञानी, मूर्ख, अंधे और भाग्यहीन हैं और जिनके मन रूपी दर्पण पर विषय रूपी काई जमी हुई है, जो व्यभिचारी, छली और बड़े कुटिल हैं और जिन्होंने कभी स्वप्न में भी संत समाज के दर्शन नहीं किए॥1॥
* कहहिं ते बेद असंमत बानी। जिन्ह कें सूझ लाभु नहिं हानी॥
मुकुर मलिन अरु नयन बिहीना। राम रूप देखहिं किमि दीना॥2॥
भावार्थ:-और जिन्हें अपने लाभ-हानि नहीं सूझती, वे ही ऐसी वेदविरुद्ध बातें कहा करते हैं, जिनका हृदय रूपी दर्पण मैला है और जो नेत्रों से हीन हैं, वे बेचारे श्री रामचन्द्रजी का रूप कैसे देखें!॥2॥
* जिन्ह कें अगुन न सगुन बिबेका। जल्पहिं कल्पित बचन अनेका॥
हरिमाया बस जगत भ्रमाहीं। तिन्हहि कहत कछु अघटित नाहीं॥3॥
भावार्थ:-जिनको निर्गुण-सगुण का कुछ भी विवेक नहीं है, जो अनेक मनगढ़ंत बातें बका करते हैं, जो श्री हरि की माया के वश में होकर जगत में (जन्म-मृत्यु के चक्र में) भ्रमते फिरते हैं, उनके लिए कुछ भी कह डालना असंभव नहीं है॥3॥
* बातुल भूत बिबस मतवारे। ते नहिं बोलहिं बचन बिचारे॥
जिन्ह कृत महामोह मद पाना। तिन्ह कर कहा करिअ नहिं काना॥4॥
भावार्थ:-जिन्हें वायु का रोग (सन्निपात, उन्माद आदि) हो गया हो, जो भूत के वश हो गए हैं और जो नशे में चूर हैं, ऐसे लोग विचारकर वचन नहीं बोलते। जिन्होंने महामोह रूपी मदिरा पी रखी है, उनके कहने पर कान नहीं देना चाहिए॥4॥
सोरठा :
* अस निज हृदयँ बिचारि तजु संसय भजु राम पद।
सुनु गिरिराज कुमारि भ्रम तम रबि कर बचन मम॥115॥
भावार्थ:-अपने हृदय में ऐसा विचार कर संदेह छोड़ दो और श्री रामचन्द्रजी के चरणों को भजो। हे पार्वती! भ्रम रूपी अंधकार के नाश करने के लिए सूर्य की किरणों के समान मेरे वचनों को सुनो!॥115॥
चौपाई :
* सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा॥
अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बस सगुन सो होई॥1॥
भावार्थ:-सगुण और निर्गुण में कुछ भी भेद नहीं है- मुनि, पुराण, पण्डित और वेद सभी ऐसा कहते हैं। जो निर्गुण, अरूप (निराकार), अलख (अव्यक्त) और अजन्मा है, वही भक्तों के प्रेमवश सगुण हो जाता है॥1॥
* जो गुन रहित सगुन सोइ कैसें। जलु हिम उपल बिलग नहिं जैसें॥
जासु नाम भ्रम तिमिर पतंगा। तेहि किमि कहिअ बिमोह प्रसंगा॥2॥
भावार्थ:-जो निर्गुण है वही सगुण कैसे है? जैसे जल और ओले में भेद नहीं। (दोनों जल ही हैं, ऐसे ही निर्गुण और सगुण एक ही हैं।) जिसका नाम भ्रम रूपी अंधकार के मिटाने के लिए सूर्य है, उसके लिए मोह का प्रसंग भी कैसे कहा जा सकता है?॥2॥
* राम सच्चिदानंद दिनेसा। नहिं तहँ मोह निसा लवलेसा॥
सहज प्रकासरूप भगवाना। नहिं तहँ पुनि बिग्यान बिहाना॥3॥
भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी सच्चिदानन्दस्वरूप सूर्य हैं। वहाँ मोह रूपी रात्रि का लवलेश भी नहीं है। वे स्वभाव से ही प्रकाश रूप और (षडैश्वर्ययुक्त) भगवान है, वहाँ तो विज्ञान रूपी प्रातःकाल भी नहीं होता (अज्ञान रूपी रात्रि हो तब तो विज्ञान रूपी प्रातःकाल हो, भगवान तो नित्य ज्ञान स्वरूप हैं।)॥3॥
* हरष बिषाद ग्यान अग्याना। जीव धर्म अहमिति अभिमाना॥
राम ब्रह्म ब्यापक जग जाना। परमानंद परेस पुराना॥4॥
भावार्थ:-हर्ष, शोक, ज्ञान, अज्ञान, अहंता और अभिमान- ये सब जीव के धर्म हैं। श्री रामचन्द्रजी तो व्यापक ब्रह्म, परमानन्दस्वरूप, परात्पर प्रभु और पुराण पुरुष हैं। इस बात को सारा जगत जानता है॥4॥
दोहा :
* पुरुष प्रसिद्ध प्रकाश निधि प्रगट परावर नाथ।
रघुकुलमनि मम स्वामि सोइ कहि सिवँ नायउ माथ॥116॥
भावार्थ:-जो (पुराण) पुरुष प्रसिद्ध हैं, प्रकाश के भंडार हैं, सब रूपों में प्रकट हैं, जीव, माया और जगत सबके स्वामी हैं, वे ही रघुकुल मणि श्री रामचन्द्रजी मेरे स्वामी हैं- ऐसा कहकर शिवजी ने उनको मस्तक नवाया॥116॥
चौपाई :
* निज भ्रम नहिं समुझहिं अग्यानी। प्रभु पर मोह धरहिं जड़ प्रानी॥
जथा गगन घन पटल निहारी। झाँपेउ भानु कहहिं कुबिचारी॥1॥
भावार्थ:-अज्ञानी मनुष्य अपने भ्रम को तो समझते नहीं और वे मूर्ख प्रभु श्री रामचन्द्रजी पर उसका आरोप करते हैं, जैसे आकाश में बादलों का परदा देखकर कुविचारी (अज्ञानी) लोग कहते हैं कि बादलों ने सूर्य को ढँक लिया॥1॥
* चितव जो लोचन अंगुलि लाएँ। प्रगट जुगल ससि तेहि के भाएँ॥
उमा राम बिषइक अस मोहा। नभ तम धूम धूरि जिमि सोहा॥2॥
भावार्थ:-जो मनुष्य आँख में अँगुली लगाकर देखता है, उसके लिए तो दो चन्द्रमा प्रकट (प्रत्यक्ष) हैं। हे पार्वती! श्री रामचन्द्रजी के विषय में इस प्रकार मोह की कल्पना करना वैसा ही है, जैसा आकाश में अंधकार, धुएँ और धूल का सोहना (दिखना)। (आकाश जैसे निर्मल और निर्लेप है, उसको कोई मलिन या स्पर्श नहीं कर सकता, इसी प्रकार भगवान श्री रामचन्द्रजी नित्य निर्मल और निर्लेप हैं।) ॥2॥
* बिषय करन सुर जीव समेता। सकल एक तें एक सचेता॥
सब कर परम प्रकासक जोई। राम अनादि अवधपति सोई॥3॥
भावार्थ:-विषय, इन्द्रियाँ, इन्द्रियों के देवता और जीवात्मा- ये सब एक की सहायता से एक चेतन होते हैं। (अर्थात विषयों का प्रकाश इन्द्रियों से, इन्द्रियों का इन्द्रियों के देवताओं से और इन्द्रिय देवताओं का चेतन जीवात्मा से प्रकाश होता है।) इन सबका जो परम प्रकाशक है (अर्थात जिससे इन सबका प्रकाश होता है), वही अनादि ब्रह्म अयोध्या नरेश श्री रामचन्द्रजी हैं॥3॥
* जगत प्रकास्य प्रकासक रामू। मायाधीस ग्यान गुन धामू॥
जासु सत्यता तें जड़ माया। भास सत्य इव मोह सहाया॥4॥
भावार्थ:-यह जगत प्रकाश्य है और श्री रामचन्द्रजी इसके प्रकाशक हैं। वे माया के स्वामी और ज्ञान तथा गुणों के धाम हैं। जिनकी सत्ता से, मोह की सहायता पाकर जड़ माया भी सत्य सी भासित होती है॥4॥
दोहा :
*रजत सीप महुँ भास जिमि जथा भानु कर बारि।
जदपि मृषा तिहुँ काल सोइ भ्रम न सकइ कोउ टारि॥117॥
भावार्थ:-जैसे सीप में चाँदी की और सूर्य की किरणों में पानी की (बिना हुए भी) प्रतीति होती है। यद्यपि यह प्रतीति तीनों कालों में झूठ है, तथापि इस भ्रम को कोई हटा नहीं सकता॥117॥
चौपाई :
* एहि बिधि जग हरि आश्रित रहई। जदपि असत्य देत दुख अहई॥
जौं सपनें सिर काटै कोई। बिनु जागें न दूरि दुख होई॥1॥
भावार्थ:-इसी तरह यह संसार भगवान के आश्रित रहता है। यद्यपि यह असत्य है, तो भी दुःख तो देता ही है, जिस तरह स्वप्न में कोई सिर काट ले तो बिना जागे वह दुःख दूर नहीं होता॥1॥
* जासु कृपाँ अस भ्रम मिटि जाई। गिरिजा सोइ कृपाल रघुराई॥
आदि अंत कोउ जासु न पावा। मति अनुमानि निगम अस गावा॥2॥
भावार्थ:-हे पार्वती! जिनकी कृपा से इस प्रकार का भ्रम मिट जाता है, वही कृपालु श्री रघुनाथजी हैं। जिनका आदि और अंत किसी ने नहीं (जान) पाया। वेदों ने अपनी बुद्धि से अनुमान करके इस प्रकार (नीचे लिखे अनुसार) गाया है-॥2॥
* बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥
आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥3॥
भावार्थ:-वह (ब्रह्म) बिना ही पैर के चलता है, बिना ही कान के सुनता है, बिना ही हाथ के नाना प्रकार के काम करता है, बिना मुँह (जिव्हा) के ही सारे (छहों) रसों का आनंद लेता है और बिना ही वाणी के बहुत योग्य वक्ता है॥3॥
* तन बिनु परस नयन बिनु देखा। ग्रहइ घ्रान बिनु बास असेषा॥
असि सब भाँति अलौकिक करनी। महिमा जासु जाइ नहिं बरनी॥4॥
भावार्थ:-वह बिना ही शरीर (त्वचा) के स्पर्श करता है, बिना ही आँखों के देखता है और बिना ही नाक के सब गंधों को ग्रहण करता है (सूँघता है)। उस ब्रह्म की करनी सभी प्रकार से ऐसी अलौकिक है कि जिसकी महिमा कही नहीं जा सकती॥4॥
दोहा :
* जेहि इमि गावहिं बेद बुध जाहि धरहिं मुनि ध्यान।
सोइ दसरथ सुत भगत हित कोसलपति भगवान॥118॥
भावार्थ:-जिसका वेद और पंडित इस प्रकार वर्णन करते हैं और मुनि जिसका ध्यान धरते हैं, वही दशरथनंदन, भक्तों के हितकारी, अयोध्या के स्वामी भगवान श्री रामचन्द्रजी हैं॥118॥
चौपाई :
*कासीं मरत जंतु अवलोकी। जासु नाम बल करउँ बिसोकी॥
सोइ प्रभु मोर चराचर स्वामी। रघुबर सब उर अंतरजामी॥1॥
भावार्थ:-(हे पार्वती !) जिनके नाम के बल से काशी में मरते हुए प्राणी को देखकर मैं उसे (राम मंत्र देकर) शोकरहित कर देता हूँ (मुक्त कर देता हूँ), वही मेरे प्रभु रघुश्रेष्ठ श्री रामचन्द्रजी जड़-चेतन के स्वामी और सबके हृदय के भीतर की जानने वाले हैं॥1॥
* बिबसहुँ जासु नाम नर कहहीं। जनम अनेक रचित अघ दहहीं॥
सादर सुमिरन जे नर करहीं। भव बारिधि गोपद इव तरहीं॥2॥
भावार्थ:-विवश होकर (बिना इच्छा के) भी जिनका नाम लेने से मनुष्यों के अनेक जन्मों में किए हुए पाप जल जाते हैं। फिर जो मनुष्य आदरपूर्वक उनका स्मरण करते हैं, वे तो संसार रूपी (दुस्तर) समुद्र को गाय के खुर से बने हुए गड्ढे के समान (अर्थात बिना किसी परिश्रम के) पार कर जाते हैं॥2॥
* राम सो परमातमा भवानी। तहँ भ्रम अति अबिहित तव बानी॥
अस संसय आनत उर माहीं। ग्यान बिराग सकल गुन जाहीं॥3॥
भावार्थ:-हे पार्वती! वही परमात्मा श्री रामचन्द्रजी हैं। उनमें भ्रम (देखने में आता) है, तुम्हारा ऐसा कहना अत्यन्त ही अनुचित है। इस प्रकार का संदेह मन में लाते ही मनुष्य के ज्ञान, वैराग्य आदि सारे सद्गुण नष्ट हो जाते हैं॥3॥
* सुनि सिव के भ्रम भंजन बचना। मिटि गै सब कुतरक कै रचना॥
भइ रघुपति पद प्रीति प्रतीती। दारुन असंभावना बीती॥4॥
भावार्थ:-शिवजी के भ्रमनाशक वचनों को सुनकर पार्वतीजी के सब कुतर्कों की रचना मिट गई। श्री रघुनाथजी के चरणों में उनका प्रेम और विश्वास हो गया और कठिन असम्भावना (जिसका होना- सम्भव नहीं, ऐसी मिथ्या कल्पना) जाती रही!॥4॥
दोहा :
* पुनि पुनि प्रभु पद कमल गहि जोरि पंकरुह पानि।
बोलीं गिरिजा बचन बर मनहुँ प्रेम रस सानि॥119॥
भावार्थ:-बार- बार स्वामी (शिवजी) के चरणकमलों को पकड़कर और अपने कमल के समान हाथों को जोड़कर पार्वतीजी मानो प्रेमरस में सानकर सुंदर वचन बोलीं॥119॥
चौपाई :
* ससि कर सम सुनि गिरा तुम्हारी। मिटा मोह सरदातप भारी॥
तुम्ह कृपाल सबु संसउ हरेऊ। राम स्वरूप जानि मोहि परेऊ॥1॥
भावार्थ:-आपकी चन्द्रमा की किरणों के समान शीतल वाणी सुनकर मेरा अज्ञान रूपी शरद-ऋतु (क्वार) की धूप का भारी ताप मिट गया। हे कृपालु! आपने मेरा सब संदेह हर लिया, अब श्री रामचन्द्रजी का यथार्थ स्वरूप मेरी समझ में आ गया॥1॥
* नाथ कृपाँ अब गयउ बिषादा। सुखी भयउँ प्रभु चरन प्रसादा॥
अब मोहि आपनि किंकरि जानी। जदपि सहज जड़ नारि अयानी॥2॥
भावार्थ:-हे नाथ! आपकी कृपा से अब मेरा विषाद जाता रहा और आपके चरणों के अनुग्रह से मैं सुखी हो गई। यद्यपि मैं स्त्री होने के कारण स्वभाव से ही मूर्ख और ज्ञानहीन हूँ, तो भी अब आप मुझे अपनी दासी जानकर-॥2॥
* प्रथम जो मैं पूछा सोइ कहहू। जौं मो पर प्रसन्न प्रभु अहहू॥
राम ब्रह्म चिनमय अबिनासी। सर्ब रहित सब उर पुर बासी॥3॥
भावार्थ:-हे प्रभो! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं, तो जो बात मैंने पहले आपसे पूछी थी, वही कहिए। (यह सत्य है कि) श्री रामचन्द्रजी ब्रह्म हैं, चिन्मय (ज्ञानस्वरूप) हैं, अविनाशी हैं, सबसे रहित और सबके हृदय रूपी नगरी में निवास करने वाले हैं॥3॥
* नाथ धरेउ नरतनु केहि हेतू। मोहि समुझाइ कहहु बृषकेतू॥
उमा बचन सुनि परम बिनीता। रामकथा पर प्रीति पुनीता॥4॥
भावार्थ:-फिर हे नाथ! उन्होंने मनुष्य का शरीर किस कारण से धारण किया? हे धर्म की ध्वजा धारण करने वाले प्रभो! यह मुझे समझाकर कहिए। पार्वती के अत्यन्त नम्र वचन सुनकर और श्री रामचन्द्रजी की कथा में उनका विशुद्ध प्रेम देखकर-॥4॥
दोहा :
* हियँ हरषे कामारि तब संकर सहज सुजान।
बहु बिधि उमहि प्रसंसि पुनि बोले कृपानिधान॥120 क॥
भावार्थ:-तब कामदेव के शत्रु, स्वाभाविक ही सुजान, कृपा निधान शिवजी मन में बहुत ही हर्षित हुए और बहुत प्रकार से पार्वती की बड़ाई करके फिर बोले- ॥120 (क)॥

नवाह्न पारायण, पहला विश्राम
मासपारायण, चौथा विश्राम

कुरान का संदेश

फरवरी माह के त्योहार

फरवरी माह के त्योहार
दिऩांक प्रमुख त्योहार अन्य त्योहार हिंदी माह पक्ष तिथि
1 फरवरी महानंदा नवमी माघ शुक्ल नवमी (9)
2 फरवरी माघ शुक्ल दशमी (10)
3 फरवरी जया (अजा) एका. (वैष्णव, स्मार्त) माघ शुक्ल एकादशी (11)
4 फरवरी जया एका., भीष्म, तिल द्वादशी कवि रहीम ज. माघ शुक्ल द्वादशी (12)
5 फरवरी ईद मिलादुन्नबी विश्‍वकर्मा ज., प्रदोष व्रत माघ शुक्ल त्रयोदशी (13)
6 फरवरी चतुर्दशी व्रत पुष्य नक्षत्र (दिन 1.18 से) माघ शुक्ल चतुर्दशी (14)
7 फरवरी माघी पूर्णिमा, पुष्य नक्षत्र (दिन 1.36 तक) मा.स्ना.दा.व्र.नि.स., रविदास ज. माघ शुक्ल पूर्णिमा (15)
8 फरवरी गुरु गोलवलकर ज. फाल्गुन कृष्ण एकम (1)
9 फरवरी फाल्गुन कृष्ण द्वितीया (2)
10 फरवरी फाल्गुन कृष्ण तृतीया (3)
11 फरवरी संकष्टी गणेश चतुर्थी (चं.उ.रा.9.32) पं. दीनदयाल पु. फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी (4)
12 फरवरी फाल्गुन कृष्ण पंचमी (5)ᅠᅠᅠᅠ
13 फरवरी सरोजनी नायडू ज. फाल्गुन कृष्ण षष्ठी (6)
14 फरवरी सौर फाल्गुन मा.प्रा. वेलेन्टाइन डे फाल्गुन कृष्ण सप्तमी (7)
15 फरवरी जानकी ज. सीताष्टमी फाल्गुन कृष्ण अष्टमी (8)
16 फरवरी फाल्गुन कृष्ण नवमी (9)
17 फरवरी विजया एकादशी दयानंद सरस्वती जन्म. फाल्गुन कृष्ण दशमी-एकादशी (10/(11)
18 फरवरी विजया एकादशी (वैष्णव) फाल्गुन कृष्ण द्वादशी (12)
19 फरवरी प्रदोष व्रत शिवाजी ज. (नवीन मतानुसार) फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी (13)
20 फरवरी महाशिवरात्रि व्रत बैद्यनाथ जयंती फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी (14)
21 फरवरी पंचक प्रारंभ ( दिन 11.32) अमावस्या फाल्गुन कृष्ण अमावस्या (15)
22 फरवरी फाल्गुन शुक्ल एकम (1)
23 फरवरी फुलोरा दोज, चंद्रदर्शन रामकृष्ण परमसहंस ज. फाल्गुन शुक्ल द्वितीया (2)
24 फरवरी रवि उस्सानी मास प्रा. शबरी एवं लेखाराम जयंती फाल्गुन शुक्ल तृतीया (3)
25 फरवरी विनायकी चतुर्थी (चं.अ.रा.8.25) फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी (4)
26 फरवरी पंचक समाप्त (प्रात: 6.46) वीर सावरकर दि. फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी (4)
27 फरवरी चंद्रशेखर आजाद दि. फाल्गुन शुक्ल पंचमी (5)
28 फरवरी राजेंद्र प्रसाद दि राष्ट्रीय विज्ञान दि. फाल्गुन शुक्ल षष्ठी (6)
29 फरवरी फाल्गुन शुक्ल सप्तमी (7)

चमत्कारी उलटे हनुमान

चमत्कारी उलटे हनुमान

कवन सो काज कठिन जगमाहीं,
जो नहिं होइ, तात तुम पाहीं

धर्मयात्रा में इस बार हम आपको ले चलते हैं भगवान हनुमान के एक विशेष मंदिर तक जो साँवेर नामक स्थान पर स्थित है। इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें हनुमानजी की उलटी मूर्ति स्थापित है। और इसी वजह से यह मंदिर उलटे हनुमान के नाम से मालवा क्षेत्र में प्रसिद्ध है।



ऐतिहासिक धार्मिक नगरी उज्जैन से मात्र 30 किमी की दूरी पर स्थित इस मंदिर को यहाँ के निवासी रामायणकालीन बताते हैं। मंदिर में हनुमानजी की उलटे चेहरे वाली सिंदूर लगी मूर्ति है।

यहाँ के लोग एक पौराणिक कथा का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब अहिरावण भगवान श्रीराम व लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक ले गया था, तब हनुमान ने पाताल लोक जाकर अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की थी। ऐसी मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहाँ से हनुमानजी ने पाताल लोक जाने हेतु पृथ्वी में प्रवेश किया था।

कहते हैं भक्ति में तर्क के बजाय आस्था का महत्व अधिक होता है। यहाँ प्रतिष्ठित मूर्ति अत्यंत चमत्कारी मानी जाती है। यहाँ कई संतों की समाधियाँ हैं। सन् 1200 तक का इतिहास यहाँ मिलता है।

उलटे हनुमान मंदिर परिसर में पीपल, नीम, पारिजात, तुलसी, बरगद के पेड़ हैं। यहाँ वर्षों पुराने दो पारिजात के वृक्ष हैं। पुराणों के अनुसार पारिजात वृक्ष में हनुमानजी का भी वास रहता है। मंदिर के आसपास के वृक्षों पर तोतों के कई झुंड हैं। इस बारे में एक दंतकथा भी प्रचलित है। तोता ब्राह्मण का अवतार माना जाता है। हनुमानजी ने भी तुलसीदासजी के लिए तोते का रूप धारण कर उन्हें भी श्रीराम के दर्शन कराए थे।

साँवेर के उलटे हनुमान मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मणजी, शिव-पार्वती की मूर्तियाँ हैं। मंगलवार को हनुमानजी को चौला भी चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि तीन मंगलवार, पाँच मंगलवार यहाँ दर्शन करने से जीवन में आई कठिन से कठिन विपदा दूर हो जाती है। यही आस्था श्रद्धालुओं को यहाँ तक खींच कर ले आती है।

ये है इस महीने के सबसे खास मुहूर्त जो दिलाएंगे फायदा ही फायदा

इस महीने में शुभ योग और खास मुहूर्त आ रहे हैं। जो आपकी किस्मत और पैसों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इन शुभ योगों को ध्यान में रखें कोई भी मांगलिक या शुभ काम इन योग में करने से आपकी किस्मत भी आपका साथ देगी और पैसों की कमी कभी नहीं आएगी।
सर्वाथ सिद्धि योग-
पैसों और किस्मत का पूरा फायदा पाने के लिए ये मुहूर्त सबसे अच्छा होता है।
जानें किस दिन कब तक रहेगा ये मुहूर्त-
6 तारीख को दोपहर 1 बजकर 18 मिनट से रात अंत तक
7 तारीख को 1 बजकर 36 मिनट से रात अंत तक
12 तारीख को सूर्योदय से सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
15 तारीख को सूर्योदय से रात 2 बजकर 45 मिनट तक रहेेगा।
19 तारीख को सूर्योदय से रात 11 बजकर 9 मिनट तक रहेगा
20 तारीख को सूर्योदय से रात 11 बजकर 15 मिनट तक रहेगा
26 तारीख को सुबह 6 बजकर 45 मिनट से रात अंंत तक रहेगा।
28 तारीख को दोपहर 11 बजकर 56 मिनट से 29 तारीख की रात अंत तक
अमृत सिद्धि योग- यह शुभ मुहूर्त हर तरह के काम के लिए शुभ फल देने वाला होता है। यह योग 15 तारीख को दोपहर 11 बजकर 53 मिनट से रात 2 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
द्विपुष्कर योग- इस शुभ योग में पैसों से संबंधित किया गया कोई भी शुभ काम आपका दो गुना फायदा देने वाला होता है।
- यह शुभ योग 4 तारीख को सूर्योदय से दोपहर 11बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
त्रिपुष्कर योग- इस शुभ योग में किस्मत ओर पैसा तीन गुना बढ़ जाती है। यह योग 14 और 28 तारीख को बनेगा।
- 14 तारीख को सूर्योदय से दोपहर 2 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
- 28 तारीख को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से रात अंत तक

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कैबिनेट की बैठक में अहम फैसला, 90 बी धारा समाप्त

भू परिवर्तन के लिए 90 ए में सरलीकरण के साथ नए प्रावधान शामिल, बाबा कल्याणी और सेंट गोविन को करौली में खान आवंटन पर मुहर लगी, 27 से विधानसभा सत्र संभव
जयपुर.प्रदेश में भू रूपांतरण से संबंधित विवादित धारा 90 बी को समाप्त कर दिया गया है। इसके स्थान पर धारा 90 ए में रूपांतरण से संबंधित प्रावधानों को सरलीकरण के साथ शामिल किया जाएगा।
यह फैसला बुधवार को यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। नए प्रावधानों को किसानों के हित में शामिल किया गया है। बैठक में बाबा कल्याणी और सेंट गोविन को करौली में खान आवंटन, नर्सिंग कौंसिल और कन्वेंशन सेंटर सहित अन्य कई मुद्दों पर सहमति हुई है।
बैठक के बाद नगरीय विकास और आवासन मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि भू रूपांतरण से संबंधित धारा 90 बी को समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पिछली सरकार के दौरान इस धारा को लोगों की सुविधा के लिए शामिल किया गया था। इससे कई लोगों को लाभान्वित भी किया गया।
धारीवाल ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में इसका दुरुपयोग करते हुए इसे टकसाल बना दिया गया था। इसके चलते यह धारा बदनाम हो गई थी। उन्होंने बताया कि अब इस धारा को समाप्त कर रूपांतरण के प्रावधान 90 ए में शामिल किया जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए अधिसूचना जारी की जाएगी और उसी दिन से यह लागू हो जाएगी।
क्या किया सरलीकरण:धारीवाल ने बताया कि 90 बी के तहत भू रूपांतरण करवाने पर पहले किसान जमीन को जेडीए या अन्य किसी स्वायत्तशाषी को समर्पित करता था। उसमें अगर ले आउट प्लान में कोई गड़बड़ी होता या अन्य किसी कारण से मंजूरी नहीं होती तो जमीन जेडीए या उस संस्था के नाम रह जाती थी।
लेकिन नए प्रावधानों के मुताबिक अगर किसी कारण से ले आउट प्लान मंजूर नहीं हो पाता है तो उस दशा में किसान अपील करके वह जमीन फिर ले सकेगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले शहरी क्षेत्र में 90 बी की कार्रवाई करने के लिए एसडीओ अधिकृत होता है। अब नए प्रावधान में यूआईटी का सचिव या नगरीय निकाय का अधिशासी अधिकारी, आयुक्त या सीईओ इस कार्रवाई को कर सकेगा। धारीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस बारे में वादा किया था और चुनाव घोषणा पत्र में इसकी घोषणा भी की गई थी।
कन्वेंशन सेंटर को मंजूरी:बैठक के बाद उद्योग मंत्री राजेंद्र पारीक ने बताया कि कैबिनेट ने सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में विश्व स्तरीय कन्वेंशन सेंटर बनाने को भी मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि 10,000- 10,000 वर्ग मीटर में ये कन्वेंशन सेंटर बनेंगे। इनमें विश्व स्तरीय सुविधाएं होंगी और इनमें 1000 सीटों की व्यवस्था होगी। इससे राज्य सरकार और रीको को प्रतिवर्ष 7.80 करोड़ रुपए लीज के तौर पर मिलेंगे और हर तीन साल में 15 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी होगी। 60 साल बाद यह वापस रीको को सुपुर्द किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इसमें विवाद जैसा कुछ नहीं है, सब कुछ पारदर्शी है और नियमों में भी कोई संशोधन नहीं किया गया। इसके लिए इंटरनेशनल बिड्स की गई थी, जिसमें 19 बिड्स आई, जिनमें से 4-5 ही क्वालीफाइंग कर पाए। पारीक ने बताया कि कन्वेंशन सेंटर राज्य सरकार को प्राथमिकता के साथ और 15 से 30 दिन तक निशुल्क के रूप में मिलेगा।
दो कंपनियों को खान मंजूरी:पारीक ने बताया कि आयरनोर के लिए बाबा कल्याणी और ग्लास के लिए सेंट गोविन कंपनी को करौली में खान आवंटन की मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि बाबा कल्याणी 15,000 करोड़ रुपए का निवेश करने के साथ करौली में खान स्थल के निकट की प्लांट लगाएगी।
इस कंपनी में सीआरजीओ ग्रेड का स्टील उत्पादन होगा। अभी यह बाहर से आयात किया जा रहा है। इस प्लांट के निकट ही 700 मेगावाट क्षमता का कैप्टिव प्लांट लगाया जाएगा। सेंट गोविन का सिलिका सेंट प्लांट अलवर में लग चुका है, लेकिन इसके कच्चे माल की पूर्ति के लिए खान दी गई है। सेंट गोविन ने 500 करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है और 500 करोड़ रुपए का निवेश और करेगी।
नर्सिंग कौंसिल:बैठक के बाद चिकित्सा मंत्री ए.ए. खान (दुर्रू मियां) ने बताया कि नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण के लिए अब तक नर्सिंग कौंसिल के तीन सदस्यों की कमेटी ही जाती थी। लेकिन नई व्यवस्था में सरकारी प्रतिनिधि को भी इस कमेटी में शामिल किया

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