न्यूयॉर्क.सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक के मालिक माइक जुकरबर्ग इस धरती पर मौजूद 50 सबसे अमीर लोगों में शामिल हैं और वे इस एलीट क्लब के संभवत:सबसे युवा सदस्य हैं। मार्क की संपत्ति अब तक एक राज बनी हुई थी। लेकिन अब इस रहस्य से पर्दा उठ गया है। आईपीओ लाने की तैयारी में जुटे फेसबुक के कागजातों से माइकल जुकरबर्ग की संपत्ति का खुलासा हुआ है। जुकरबर्ग के पास करीब 16 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति है।
फेसबुक की ओर जमा किए दस्तावेजों से साफ हुआ है कि फेसबुक में मार्क की हिस्सेदारी करीब एक चौथाई है। जुकरबर्ग के पास फेसबुक के 534 मिलियन शेयर हैं और एक शेयर की कीमत करीब 29.73 अमेरिकी डॉलर है। आईपीओ के जरिए फेसबुक बाज़ार से 5 अरब डॉलर उगाहने की तैयारी में है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 फ़रवरी 2012
फेसबुक के मालिक की संपत्ति का हुआ खुलासा...16 अरब डॉलर
आखिर क्या है खास, जो इन पेंटिग्स के करोड़ों के लगे दाम
दिल्ली में आयोजित आर्ट वर्क के काम की इस नीलामी में चित्रकार तोयब मेहता की 1966 में बनाई गई दो कांगड़ा पेंटिंग्स की बोली एक करोड़ पांच लाख से ज्यादा लगी। कांगड़ा स्कूल ऑफ पेंटिंग की हरिवंश खेल श्रंखला की एक पेंटिंग और गुलेर स्कूल ऑफ पेंटिंग की महाभारत श्रंखला की एक पेंटिंग शामिल है।
ओसियन नीलाम घर के अध्यक्ष नेविल तुली के अनुसार पहाड़ी मिनिएचर की इन दोनों कृतियों की बराबर बोली लगी और प्रति कृति 5 लाख 28 हजार रुपए की बोली लगी। इस नीलामी में सबसे महंगी बोली तोयब मेहता की ही कलाकृतियों के लिए लगी। नीलामी में शामिल उनकी कृतियों में पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग के अलावा पंजाब और दिल्ली और समकालीन चित्रकला पर आधारित आर्ट वर्क भी शामिल था।
तोयब मेहता की 1966 में निर्मित कृतियों के लिए कुल 2 करोड़ 28 लाख की बोली लगी । पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग अपने सुनहरे दिनों की ओर लौटने शुरू हो गई है। इसी साल देश की सरकार ने अपनी तरह की इस अनोखी कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए चंबा के चित्रकार विजय शर्मा को पदम श्री देने की घोषणा की है।
गीतकार गुलजार की फिल्मों पर मिनिएचर पेंटिंग्स की श्रंखला बन चुकी है। उधर आर्ट वर्क के कारोबार में भी मिनिएचर पेंटिंग्स के लिए दीवानगी बढ़ने लगी है।
पहाड़ी चित्रकला हिमालय के तराई में स्थित विभिन्न क्षेत्रों में विकसित हुई। पांच नदियों-सतलुज, रावी, ब्यास, झेलम और चिनाब का क्षेत्र पंजाब और अन्य पर्वतीय केंद्रों जैसे जम्मू, कांगड़ा, गढ़वाल में विकसित इस चित्रकला शैली के चित्रों में प्रेम का विशिष्ट चित्रण होता हैं।
कृष्ण-राधा के प्रेम के चित्रों के माध्यम से इनमें स्त्री-पुरुष प्रेम संबंधों को बड़ी बारीकी एवं सहजता से दर्शाने का प्रयास किया गया है। भागवत पुराण और गीत गोविंद के गीतात्मक पद्यों में अभिव्यक्त कृष्णलीलाओं के साथ अन्य हिंदू पौराणिक कथाएं, नायक-नायिकाएं रागमाला श्रंखलाएं और पहाड़ी मुखिया और उनके परिवार चित्रकला के आम विषय थे।
नशे के लिए साला कुछ भी करेगा...देखिए नशेड़ी का जुगाड़
वह सरेआम बिजली की तारें तथा बल्ब उतार रहा था। मौके पर पहुंची पुलिस तथा मार्केट वालों ने उसे नीचे उतारने की बहुत कोशिश की। पर उसने किसी की बात नहीं सुनी। करीब एक घंटा चले ड्रामे का पटाक्षेप तब हुआ, जब मार्केट का ही एक व्यक्ति भी खंभे पर चढ़ने लगा। उसे देख नशेड़ी नीचे उतर आया। मार्केट वालों ने उसकी खूब धुनाई की।
इस 'खबर' ने खोली पोल, शर्म से झुक गया मप्र का सिर!
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश एक बार फिर चर्चा में आ गया है, लेकिन बुरी खबर की वजह से है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) ने अपने ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया है कि देश में शिशु मृत्यु दर के सबसे ज्यादा मामले मप्र से सामने आए हैं। राज्य में जन्म लेने वाले प्रति एक हजार मासूमों में से 62 तुरंत बाद दम तोड़ देते हैं।
जबकि, पूरे देश में शिशु मृत्यु दर की औसतन 47 तक आ चुकी है। इससे भी ज्यादा दुखद यह है कि प्रदेश में मरने वाले इन मासूमों में लड़कियों की संख्या लड़कों से कहीं ज्यादा है। हालांकि रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पिछले एक साल के दौरान शिशु मृत्यु दर में पांच अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।
इसके उलट अभी भी बच्चों के पैदा होने के लिए सबसे उत्तम राज्य गोवा साबित हो रहा है। यहां पर प्रति हजार नवजातों में से मात्र 10 की ही मौत होती है। इसके बाद केरल का नंबर आता है जहां सिर्फ 13 नवजातों की मौत होती है।
गांव में हालत खराब
दिसंबर, 2011 तक मिले आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में शहरों के मुकाबले अभी भी ग्रामीण इलाकों में शिशु मृत्यु दर कहीं ज्यादा है। शहरों में प्रति हजार नवजातों में से 42 की मौत हो रही है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी लगभग 67 नवजात दम तोड़ रहे हैं।
नवजात शिशु मृत्यु दर इसलिए ज्यादा : -
लो बर्थ रेट - 2.5 किलोग्राम से कम उम्र के बच्चों का जन्म होना। - जन्म के समय सांस लेने में तकलीफ होने के कारण (एसफिक्सिया)। - संक्रमण (न्यूमोनिया, पीलिया)। - हायपोथर्मिया (जन्म के समय नवजात को उचित तापमान न मिलना)।
जन्म के 28 दिन बाद तक
संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवा डॉ. बीएस ओहरी ने बताया कि जन्म के 28 दिन तक बच्चा नवजात रहता है, जबकि 1 साल तक की उम्र तक उस बच्चे को शिशु माना जाता है। उन्होंने बताया कि राज्य में एक हजार जन्मे बच्चों में से 44 की मृत्यु 28 दिन के भीतर हो जाती है, जबकि 62 बच्चे अपना पहला जन्म दिन नहीं मना पाते। इन आंकड़ों को कम करने के लिए प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट खोले जा रहे हैं। 34 जिलों में एसएनसीयू में नवजात बच्चों का इलाज होना शुरु हो गया है।
बच्चियों की मृत्यु ज्यादा
रिपोर्ट के अनुसार पैदा होने के बाद मरने वाले बच्चों में औसतन 62 लड़के होते हैं, जबकि लड़कियों की संख्या लगभग 63 है। ग्रामीण और शहरी दोनों ही जगह लड़कों के मुकाबले लड़कियों के मरने की दर ज्यादा देखी गई है।
अन्य राज्यों से खराब हैं हमारी स्वास्थ्य सेवाएं
प्रदेश में गर्भवती महिलाओं की एंटीनेटल केयर सही ढंग से नहीं होने से बच्चे लो बर्थ रेट के पैदा होते हैं। यहां स्वास्थ्य सेवाएं अन्य राज्यों की अपेक्षा खराब है। अगली सर्वे बुलेटिन में प्रदेश की नवजात मृत्यु दर काफी कम होगी, क्योंकि 34 जिलों में सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट खोल दी गई हैं। -डॉ. केएल साहू, संयुक्त संचालक राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
जनाब ने 'होशियारी' को दे दी मात, रूह को भेज दिया 'पैगाम'
यह पैग़ाम पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे और पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ने 4 जनवरी 2012 को ट्विटर के ज़रिए दिया। जिसमें कहा गया था कि ‘सलमान तासीर हमें माफ़ कर दें, लोगों को माफ़ कर दें कि जब उन्हें बोलना चाहिए था तब वो ख़ामोश रहे।’ सलमान तासीर जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के दौर में पंजाब के गवर्नर थे। जब मुशर्रफ़ की हुकूमत रुख़सत हुई और पीपुल्स पार्टी की हुकूमत आई, उस व़क्त भी वो पंजाब के गवर्नर रहे। यह कहना ज्यादा दुरुस्त होगा कि वो अपनी आख़िरी सांस तक उस ओहदे पर रहे।
वह फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की सगी मौसी के बेटे थे। पंजाब के अदबी हलक़ों से उनकी पुरानी यारी थी। वो एक निहायत कामयाब कारोबारी श़ख्स थे। सियासत से उन्हें इश्क़था। वो इस मैदान में उतरे और इसमें भी कामयाब रहे। सियासत करते हुए वो उसूलों को ख़ातिर में नहीं लाए और वही किया जिसे वो व़क्त की ज़रूरत समझते थे।
यही वजह है कि उनकी श़िख्सयत विवादास्पद रही। एक डिक्टेटर का सख्त विरोध करने वाले मुझ जैसे लोगों को समझ में नहीं आता था कि जम्हूरियत पसंद होने का दावा करने के बावजूद जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ की हुकूमत में वो गवर्नर कैसे बने। यह बात भी मेरी समझ में नहीं आई कि जनरल मुशर्रफ़ की हुकूमत जाने और उनके मुल्क से रुख़सत होने के बाद वो पीपुल्स पार्टी के इतने क़रीब आख़िर कैसे हो गए कि पहले वाले रौब और दबदबे से पंजाब पर हुकूमत करते रहे।
उनकी श़िख्सयत के यही पहलू थे, जिनकी वजह से मुल्क का एक बड़ा तबक़ा उनको आलोचना का निशाना बनाता था। सलमान तासीर ने गवर्नर हाउस के दरवाज़े पीपुल्स पार्टी के कारकुनों के लिए खोल दिए और उन्होंने कभी ये ख्याल नहीं किया कि एक सूबे के गवर्नर को निष्पक्ष होना चाहिए। इन वजहों से वो विवादित श़िख्सयत रहे। उन्होंने अल्पसंख्यकों का खुलकर साथ दिया और पंजाब में जब भी कहीं ईसाई या हिंदू संप्रदाय के श़ख्स के साथ जयादती हुई, तो वे फ़ौरन उस समुदाय तक पहुंचे और उनकी मुश्किल हल करने की कोशिश की।
नवंबर 2010 में एक ईसाई औरत आसिया नूरीन गिऱफ्तार हुई। उसका किसी मुसलमान औरत से ज़ाती झगड़ा था। झगड़ा बढ़ा तो उसने आसिया बीबी पर ऐसा इल्ज़ाम लगाया कि उसे गिऱफ्तार कर लिया गया। उसे मौत की सज़ा सुना दी गई। सलमान तासीर इस सज़ा को ग़लत समझते थे। उनका ख्याल था कि वो सदर पाकिस्तान आसिफ़ अली ज़रदारी से आसिया बीबी को माफ़ी दिलवाएंगे।
इसी ख्याल की बुनियाद पर वो शेख़पुरा जेल गए, जहां आसिया बीबी सज़ा का इंतजार कर रही थी। आसिया बीबी पढ़ी-लिखी नहीं थी, सलमान तासीर ने दऱख्वास्त पर आसिया बीबी का अंगूठा लगवाया और उस काग़ज़ को लेकर सदर के पास गए। सदर रहम की इस दऱख्वास्त पर दस्तख़त के मामले को टालते रहे। यहां तक कि उस दऱख्वास्त पर सदर के दस्तख़त नहीं हुए और सलमान तासीर इस्लामाबाद में एक रेस्त्रां से बाहर आते हुए 4 जनवरी 2011 को दिनदहाड़े उनके ही सरकारी गार्ड के हाथों क़त्ल कर दिए गए।
उनके क़ातिल ने वहां मौजूद दर्जनों लोगों की मौजूदगी में सलमान के क़त्ल को स्वीकार किया और कहा कि यह श़ख्स ‘शातिमे-रसूल’ था इसलिए मैंने इसे क़त्ल कर दिया है। क़ातिल देखते ही देखते मज़हबी गिरोहों का हीरो बन गया। लोगों का ख्याल था कि सलमान तासीर ने जिस पीपुल्स पार्टी की बेपनाह और बढ़-चढ़कर हिमायत की थी, वो उनके हक़ में बोलेगी और लोगों को हक़ीक़त से आगाह करेगी। लेकिन वो ख़ामोश रही और उसने अपने गवर्नर के क़त्ल पर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया।
इस तमाम बहस से नज़र में आने वाली असल बात यही है कि पीपुल्स पार्टी ने सलमान के लिए कुछ नहीं किया। एक लंबी ख़ामोशी है जो पार्टी पर तारी है। 4 जनवरी को तासीर के क़त्ल को एक बरस पूरा हो चुका है। उस रोज़ उनके ख़ानदान और कुछ क़रीबी दोस्तों ने उनका सोग मनाया और बस।
ख़ुदा का शुक्र है कि चंद आलिम आज भी इस नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। मगर उनकी अपनी जमात (पीपुल्स पार्टी) ने जो सुलूक किया, उस पर इज़हारे-अफ़सोस के सिवा क्या किया जा सकता है। हद तो यह है कि उनकी पहली बरसी के मौक़े पर गवर्नर हाउस में उनके लिए दुआ तक नहीं हुई और न क़ौमी एसेंबली में किसी को सलमान तासीर की याद आई।’
5 जनवरी को सलमान तासीर के नाम बिलावल भुट्टो का ट्विटर पैगाम पढ़कर मुझे हैरत हुई, तो इसलिए कि साल भर बाद जब बिलावल को उनकी याद आई, तब भी वो पार्टी के लोगों से अपने इस गवर्नर के लिए एक छोटा-सा जलसा भी न करवा सके, जिसने पीपुल्स पार्टी की हिमायत नाजायज़ हद तक जाकर की थी। सलमान तासीर की रूह से माफ़ी मांगने और शर्मिदा होने का व़क्त तो अलबत्ता गुज़र चुका है।
जनाब ने 'होशियारी' को दे दी मात, रूह को भेज दिया 'पैगाम'
यह पैग़ाम पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे और पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ने 4 जनवरी 2012 को ट्विटर के ज़रिए दिया। जिसमें कहा गया था कि ‘सलमान तासीर हमें माफ़ कर दें, लोगों को माफ़ कर दें कि जब उन्हें बोलना चाहिए था तब वो ख़ामोश रहे।’ सलमान तासीर जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के दौर में पंजाब के गवर्नर थे। जब मुशर्रफ़ की हुकूमत रुख़सत हुई और पीपुल्स पार्टी की हुकूमत आई, उस व़क्त भी वो पंजाब के गवर्नर रहे। यह कहना ज्यादा दुरुस्त होगा कि वो अपनी आख़िरी सांस तक उस ओहदे पर रहे।
वह फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की सगी मौसी के बेटे थे। पंजाब के अदबी हलक़ों से उनकी पुरानी यारी थी। वो एक निहायत कामयाब कारोबारी श़ख्स थे। सियासत से उन्हें इश्क़था। वो इस मैदान में उतरे और इसमें भी कामयाब रहे। सियासत करते हुए वो उसूलों को ख़ातिर में नहीं लाए और वही किया जिसे वो व़क्त की ज़रूरत समझते थे।
यही वजह है कि उनकी श़िख्सयत विवादास्पद रही। एक डिक्टेटर का सख्त विरोध करने वाले मुझ जैसे लोगों को समझ में नहीं आता था कि जम्हूरियत पसंद होने का दावा करने के बावजूद जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ की हुकूमत में वो गवर्नर कैसे बने। यह बात भी मेरी समझ में नहीं आई कि जनरल मुशर्रफ़ की हुकूमत जाने और उनके मुल्क से रुख़सत होने के बाद वो पीपुल्स पार्टी के इतने क़रीब आख़िर कैसे हो गए कि पहले वाले रौब और दबदबे से पंजाब पर हुकूमत करते रहे।
उनकी श़िख्सयत के यही पहलू थे, जिनकी वजह से मुल्क का एक बड़ा तबक़ा उनको आलोचना का निशाना बनाता था। सलमान तासीर ने गवर्नर हाउस के दरवाज़े पीपुल्स पार्टी के कारकुनों के लिए खोल दिए और उन्होंने कभी ये ख्याल नहीं किया कि एक सूबे के गवर्नर को निष्पक्ष होना चाहिए। इन वजहों से वो विवादित श़िख्सयत रहे। उन्होंने अल्पसंख्यकों का खुलकर साथ दिया और पंजाब में जब भी कहीं ईसाई या हिंदू संप्रदाय के श़ख्स के साथ जयादती हुई, तो वे फ़ौरन उस समुदाय तक पहुंचे और उनकी मुश्किल हल करने की कोशिश की।
नवंबर 2010 में एक ईसाई औरत आसिया नूरीन गिऱफ्तार हुई। उसका किसी मुसलमान औरत से ज़ाती झगड़ा था। झगड़ा बढ़ा तो उसने आसिया बीबी पर ऐसा इल्ज़ाम लगाया कि उसे गिऱफ्तार कर लिया गया। उसे मौत की सज़ा सुना दी गई। सलमान तासीर इस सज़ा को ग़लत समझते थे। उनका ख्याल था कि वो सदर पाकिस्तान आसिफ़ अली ज़रदारी से आसिया बीबी को माफ़ी दिलवाएंगे।
इसी ख्याल की बुनियाद पर वो शेख़पुरा जेल गए, जहां आसिया बीबी सज़ा का इंतजार कर रही थी। आसिया बीबी पढ़ी-लिखी नहीं थी, सलमान तासीर ने दऱख्वास्त पर आसिया बीबी का अंगूठा लगवाया और उस काग़ज़ को लेकर सदर के पास गए। सदर रहम की इस दऱख्वास्त पर दस्तख़त के मामले को टालते रहे। यहां तक कि उस दऱख्वास्त पर सदर के दस्तख़त नहीं हुए और सलमान तासीर इस्लामाबाद में एक रेस्त्रां से बाहर आते हुए 4 जनवरी 2011 को दिनदहाड़े उनके ही सरकारी गार्ड के हाथों क़त्ल कर दिए गए।
उनके क़ातिल ने वहां मौजूद दर्जनों लोगों की मौजूदगी में सलमान के क़त्ल को स्वीकार किया और कहा कि यह श़ख्स ‘शातिमे-रसूल’ था इसलिए मैंने इसे क़त्ल कर दिया है। क़ातिल देखते ही देखते मज़हबी गिरोहों का हीरो बन गया। लोगों का ख्याल था कि सलमान तासीर ने जिस पीपुल्स पार्टी की बेपनाह और बढ़-चढ़कर हिमायत की थी, वो उनके हक़ में बोलेगी और लोगों को हक़ीक़त से आगाह करेगी। लेकिन वो ख़ामोश रही और उसने अपने गवर्नर के क़त्ल पर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया।
इस तमाम बहस से नज़र में आने वाली असल बात यही है कि पीपुल्स पार्टी ने सलमान के लिए कुछ नहीं किया। एक लंबी ख़ामोशी है जो पार्टी पर तारी है। 4 जनवरी को तासीर के क़त्ल को एक बरस पूरा हो चुका है। उस रोज़ उनके ख़ानदान और कुछ क़रीबी दोस्तों ने उनका सोग मनाया और बस।
ख़ुदा का शुक्र है कि चंद आलिम आज भी इस नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। मगर उनकी अपनी जमात (पीपुल्स पार्टी) ने जो सुलूक किया, उस पर इज़हारे-अफ़सोस के सिवा क्या किया जा सकता है। हद तो यह है कि उनकी पहली बरसी के मौक़े पर गवर्नर हाउस में उनके लिए दुआ तक नहीं हुई और न क़ौमी एसेंबली में किसी को सलमान तासीर की याद आई।’
5 जनवरी को सलमान तासीर के नाम बिलावल भुट्टो का ट्विटर पैगाम पढ़कर मुझे हैरत हुई, तो इसलिए कि साल भर बाद जब बिलावल को उनकी याद आई, तब भी वो पार्टी के लोगों से अपने इस गवर्नर के लिए एक छोटा-सा जलसा भी न करवा सके, जिसने पीपुल्स पार्टी की हिमायत नाजायज़ हद तक जाकर की थी। सलमान तासीर की रूह से माफ़ी मांगने और शर्मिदा होने का व़क्त तो अलबत्ता गुज़र चुका है।
इस अद्भुत मंदिर के पीछे की कहानी बढ़ी मजेदार है भाई
चतुभरुज मंदिर के अंदर और बाहर का नजारा काफी मनमोहक है। अंदर खुलापन है, जबकि बाहर प्राकृतिक खूबसूरती है। साथ ही भव्य मंदिर को देखने जो भी पर्यटक जाता है, वह उसकी यादों में खो जाता है। ओरछा ग्वालियर से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है और पर्यटकों का प्रमुख केंद्र है। इसलिए आप भी एकबार इस मनोरम जगह जाने के बारे में जरूर सोचें।
पर्यटन की दृष्टि से मध्यप्रदेश काफी समृद्ध राज्य है। यहां भारी संख्या में धार्मिक प्रवृत्ति के लोग आते हैं। ओरछा, मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित है। यहां स्थित चतुभरुज मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है।लेकिन इसके पीछे एक बहुत ही मजेदार किस्सा है। इस मंदिर को 1558 ई. से 1573 ई. के बीच राजा मधुकर शाह द्वारा बनवाया गया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार ओरछा के तत्कालीन महाराज मधुकर शाह बांके बिहारी यानि भगवान कृष्ण के उपासक थे, जबकि महारानी भगवान राम की उपासना करते थे। इस बात को लेकर दोनों के बीच काफी विवाद होता था।
एक दिन महारानी ने यह निर्णय किया कि वे अपने प्रदेश में भगवान राम की स्थापना करवाएंगी। इसी कारण वे राजा को बिना बताए अयोध्या निकल गईं, जहां घोर तपस्या करने के बाद भगवान राम उनके साथ बाल अवस्था में चलने को राजी हो गए। ओरछा छोड़ने से पहले महारानी ने अपने सेवकों को चतुभरुज मंदिर का निर्माण करवाने का आदेश दिया था। उधर जब राजा को रानी के चले जाने का पता चला, तो उन्होंने उनकी अनुपस्थिति में चतुभरुज मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा करवाया।
कुछ साल बाद रानी भगवान राम को लेकर ओरछा पहुंची और अपने महल में रखा। जब चतुभरुज मंदिर में उनकी स्थापना की बात हुई, तो भगवान राम ने महल छोड़ने से इंकार कर दिया। इसके बाद उनकी स्थापना वहीं हुई और रानी का महल राम राज मंदिर बन गया। अब चूंकि चतुभरुज मंदिर बनकर तैयार हो गया था, तो वहां राजा और रानी ने मिलकर भगवान विष्णु की स्थापना करवाई। इसके बाद से वहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
गृह विभाग के उप सचिव अकील निलंबित
इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय के उप सचिव एसके सोलंकी तथा प्रमुख गृह सचिव जीएस संधू के वरिष्ठ निजी सहायक सुरेश सैनी को एपीओ किया गया है। गृह विभाग के सेक्शन ऑफिसर जगदीप सिंह कुशवाह को 17 सीसी की चार्जशीट देने का फैसला किया गया है। उधर, एसीबी ने धारीवाल के खिलाफ जांच को बंद कर दिया है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के एडीजी अजीत सिंह ने नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ किसी भी तरह की जांच विचाराधीन होने से इंकार किया है। एडीजी ने बताया कि धारीवाल के खिलाफ नियम विरुद्ध निर्माण कार्य कराने की शिकायत मिली थी।
जो जांच में गलत निकली। जिस बिल्डिंग के निर्माण के बारे में गलत अनुमति देने की शिकायत की गई थी, उसकी अनुमति वर्ष 2008 में दी गई थी। तब धारीवाल मंत्री नहीं थे। इस तरह उन पर कोई मामला नहीं बनता है।
उल्लेखनीय है कि धारीवाल और नगरीय विकास विभाग के अधिकारियों के खिलाफ पिछले दिनों मुख्यमंत्री कार्यालय को एक गुमनाम शिकायत मिली थी। बिना हस्ताक्षर वाले इस पत्र के बिंदु संख्या 8 में निर्माण की अनुमति दिए जाने में धारीवाल और विभागीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार करने का संदेह व्यक्त किया गया था।
गृह विभाग के उप सचिव अकील अहमद ने बिंदु संख्या 8 की ही जांच के लिए यह पत्र एसीबी को भिजवा दिया था। इस पर धारीवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर आपत्ति जताई और इसे गंभीर लापरवाही बताकर संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया था।
शिव-पार्वती संवाद दोहा : * जटा मुकुट सुरसरित सिर लोचन नलिन बिसाल। नीलकंठ लावन्यनिधि सोह बालबिधु भाल॥106॥ भावार्थ:-उनके सिर पर जटाओं का मुकुट और गंगाजी
नीलकंठ लावन्यनिधि सोह बालबिधु भाल॥106॥
पारबती भल अवसरु जानी। गईं संभु पहिं मातु भवानी॥1॥
बैठीं सिव समीप हरषाई। पूरुब जन्म कथा चित आई॥2॥
कथा जो सकल लोक हितकारी। सोइ पूछन चह सैल कुमारी॥3॥
चर अरु अचर नाग नर देवा। सकल करहिं पद पंकज सेवा॥4॥
जोग ग्यान बैराग्य निधि प्रनत कलपतरु नाम॥107॥
तौ प्रभु हरहु मोर अग्याना। कहि रघुनाथ कथा बिधि नाना॥1॥
ससिभूषन अस हृदयँ बिचारी। हरहु नाथ मम मति भ्रम भारी॥2॥
सेस सारदा बेद पुराना। सकल करहिं रघुपति गुन गाना॥3॥
रामु सो अवध नृपति सुत सोई। की अज अगुन अलखगति कोई॥4॥
देखि चरित महिमा सुनत भ्रमति बुद्धि अति मोरि॥108॥
अग्य जानि रिस उर जनि धरहू। जेहि बिधि मोह मिटै सोइ करहू॥1॥
तदपि मलिन मन बोधु न आवा। सो फलु भली भाँति हम पावा॥2॥
प्रभु तब मोहि बहु भाँति प्रबोधा। नाथ सो समुझि करहु जनि क्रोधा॥3॥
कहहु पुनीत राम गुन गाथा। भुजगराज भूषन सुरनाथा॥4॥
बरनहु रघुबर बिसद जसु श्रुति सिद्धांत निचोरि॥109॥
गूढ़उ तत्त्व न साधु दुरावहिं। आरत अधिकारी जहँ पावहिं॥1॥
प्रथम सो कारन कहहु बिचारी। निर्गुन ब्रह्म सगुन बपु धारी॥2॥
कहहु जथा जानकी बिबाहीं। राज तजा सो दूषन काहीं॥3॥
राज बैठि कीन्हीं बहु लीला। सकल कहहु संकर सुखसीला॥4॥
प्रजा सहित रघुबंसमनि किमि गवने निज धाम॥110॥
भगति ग्यान बिग्यान बिरागा। पुनि सब बरनहु सहित बिभागा॥1॥
जो प्रभु मैं पूछा नहिं होई। सोउ दयाल राखहु जनि गोई॥2॥
प्रस्न उमा कै सहज सुहाई। छल बिहीन सुनि सिव मन भाई॥3॥
श्रीरघुनाथ रूप उर आवा। परमानंद अमित सुख पावा॥4॥
रघुपति चरित महेस तब हरषित बरनै लीन्ह॥111।
जेहि जानें जग जाइ हेराई। जागें जथा सपन भ्रम जाई॥1॥
मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी॥2॥
धन्य धन्य गिरिराजकुमारी। तुम्ह समान नहिं कोउ उपकारी॥3॥
तुम्ह रघुबीर चरन अनुरागी। कीन्हिहु प्रस्न जगत हित लागी॥4॥
सोक मोह संदेह भ्रम मम बिचार कछु नाहिं॥112॥
जिन्ह हरिकथा सुनी नहिं काना। श्रवन रंध्र अहिभवन समाना॥1॥
तेसिर कटु तुंबरि समतूला। जे न नमत हरि गुर पद मूला॥2॥
जो नहिं करइ राम गुन गाना। जीह सो दादुर जीह समाना॥3॥
गिरिजा सुनहु राम कै लीला। सुर हित दनुज बिमोहनसीला॥4॥
सतसमाज सुरलोक सब को न सुनै अस जानि॥113॥
रामकथा कलि बिटप कुठारी। सादर सुनु गिरिराजकुमारी॥1॥
जथा अनंत राम भगवाना। तथा कथा कीरति गुन नाना॥2॥
उमा प्रस्न तव सहज सुहाई। सुखद संतसंमत मोहि भाई॥3॥
तुम्ह जो कहा राम कोउ आना। जेहि श्रुति गाव धरहिं मुनि ध्याना॥4॥
पाषंडी हरि पद बिमुख जानहिं झूठ न साच॥114॥
लंपट कपटी कुटिल बिसेषी। सपनेहुँ संतसभा नहिं देखी॥1॥
मुकुर मलिन अरु नयन बिहीना। राम रूप देखहिं किमि दीना॥2॥
हरिमाया बस जगत भ्रमाहीं। तिन्हहि कहत कछु अघटित नाहीं॥3॥
जिन्ह कृत महामोह मद पाना। तिन्ह कर कहा करिअ नहिं काना॥4॥
सुनु गिरिराज कुमारि भ्रम तम रबि कर बचन मम॥115॥
अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बस सगुन सो होई॥1॥
जासु नाम भ्रम तिमिर पतंगा। तेहि किमि कहिअ बिमोह प्रसंगा॥2॥
सहज प्रकासरूप भगवाना। नहिं तहँ पुनि बिग्यान बिहाना॥3॥
राम ब्रह्म ब्यापक जग जाना। परमानंद परेस पुराना॥4॥
रघुकुलमनि मम स्वामि सोइ कहि सिवँ नायउ माथ॥116॥
जथा गगन घन पटल निहारी। झाँपेउ भानु कहहिं कुबिचारी॥1॥
उमा राम बिषइक अस मोहा। नभ तम धूम धूरि जिमि सोहा॥2॥
सब कर परम प्रकासक जोई। राम अनादि अवधपति सोई॥3॥
जासु सत्यता तें जड़ माया। भास सत्य इव मोह सहाया॥4॥
जदपि मृषा तिहुँ काल सोइ भ्रम न सकइ कोउ टारि॥117॥
जौं सपनें सिर काटै कोई। बिनु जागें न दूरि दुख होई॥1॥
आदि अंत कोउ जासु न पावा। मति अनुमानि निगम अस गावा॥2॥
आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥3॥
असि सब भाँति अलौकिक करनी। महिमा जासु जाइ नहिं बरनी॥4॥
सोइ दसरथ सुत भगत हित कोसलपति भगवान॥118॥
सोइ प्रभु मोर चराचर स्वामी। रघुबर सब उर अंतरजामी॥1॥
सादर सुमिरन जे नर करहीं। भव बारिधि गोपद इव तरहीं॥2॥
अस संसय आनत उर माहीं। ग्यान बिराग सकल गुन जाहीं॥3॥
भइ रघुपति पद प्रीति प्रतीती। दारुन असंभावना बीती॥4॥
बोलीं गिरिजा बचन बर मनहुँ प्रेम रस सानि॥119॥
तुम्ह कृपाल सबु संसउ हरेऊ। राम स्वरूप जानि मोहि परेऊ॥1॥
अब मोहि आपनि किंकरि जानी। जदपि सहज जड़ नारि अयानी॥2॥
राम ब्रह्म चिनमय अबिनासी। सर्ब रहित सब उर पुर बासी॥3॥
उमा बचन सुनि परम बिनीता। रामकथा पर प्रीति पुनीता॥4॥
बहु बिधि उमहि प्रसंसि पुनि बोले कृपानिधान॥120 क॥
नवाह्न पारायण, पहला विश्राम
मासपारायण, चौथा विश्राम
फरवरी माह के त्योहार
दिऩांक | प्रमुख त्योहार | अन्य त्योहार | हिंदी माह | पक्ष | तिथि |
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1 फरवरी | महानंदा नवमी | माघ | शुक्ल | नवमी (9) | |
2 फरवरी | माघ | शुक्ल | दशमी (10) | ||
3 फरवरी | जया (अजा) एका. (वैष्णव, स्मार्त) | माघ | शुक्ल | एकादशी (11) | |
4 फरवरी | जया एका., भीष्म, तिल द्वादशी | कवि रहीम ज. | माघ | शुक्ल | द्वादशी (12) |
5 फरवरी | ईद मिलादुन्नबी | विश्वकर्मा ज., प्रदोष व्रत | माघ | शुक्ल | त्रयोदशी (13) |
6 फरवरी | चतुर्दशी व्रत | पुष्य नक्षत्र (दिन 1.18 से) | माघ | शुक्ल | चतुर्दशी (14) |
7 फरवरी | माघी पूर्णिमा, पुष्य नक्षत्र (दिन 1.36 तक) | मा.स्ना.दा.व्र.नि.स., रविदास ज. | माघ | शुक्ल | पूर्णिमा (15) |
8 फरवरी | गुरु गोलवलकर ज. | फाल्गुन | कृष्ण | एकम (1) | |
9 फरवरी | फाल्गुन | कृष्ण | द्वितीया (2) | ||
10 फरवरी | फाल्गुन | कृष्ण | तृतीया (3) | ||
11 फरवरी | संकष्टी गणेश चतुर्थी (चं.उ.रा.9.32) | पं. दीनदयाल पु. | फाल्गुन | कृष्ण | चतुर्थी (4) |
12 फरवरी | फाल्गुन | कृष्ण | पंचमी (5)ᅠᅠᅠᅠ | ||
13 फरवरी | सरोजनी नायडू ज. | फाल्गुन | कृष्ण | षष्ठी (6) | |
14 फरवरी | सौर फाल्गुन मा.प्रा. | वेलेन्टाइन डे | फाल्गुन | कृष्ण | सप्तमी (7) |
15 फरवरी | जानकी ज. | सीताष्टमी | फाल्गुन | कृष्ण | अष्टमी (8) |
16 फरवरी | फाल्गुन | कृष्ण | नवमी (9) | ||
17 फरवरी | विजया एकादशी | दयानंद सरस्वती जन्म. | फाल्गुन | कृष्ण | दशमी-एकादशी (10/(11) |
18 फरवरी | विजया एकादशी (वैष्णव) | फाल्गुन | कृष्ण | द्वादशी (12) | |
19 फरवरी | प्रदोष व्रत | शिवाजी ज. (नवीन मतानुसार) | फाल्गुन | कृष्ण | त्रयोदशी (13) |
20 फरवरी | महाशिवरात्रि व्रत | बैद्यनाथ जयंती | फाल्गुन | कृष्ण | चतुर्दशी (14) |
21 फरवरी | पंचक प्रारंभ ( दिन 11.32) | अमावस्या | फाल्गुन | कृष्ण | अमावस्या (15) |
22 फरवरी | फाल्गुन | शुक्ल | एकम (1) | ||
23 फरवरी | फुलोरा दोज, चंद्रदर्शन | रामकृष्ण परमसहंस ज. | फाल्गुन | शुक्ल | द्वितीया (2) |
24 फरवरी | रवि उस्सानी मास प्रा. | शबरी एवं लेखाराम जयंती | फाल्गुन | शुक्ल | तृतीया (3) |
25 फरवरी | विनायकी चतुर्थी (चं.अ.रा.8.25) | फाल्गुन | शुक्ल | चतुर्थी (4) | |
26 फरवरी | पंचक समाप्त (प्रात: 6.46) | वीर सावरकर दि. | फाल्गुन | शुक्ल | चतुर्थी (4) |
27 फरवरी | चंद्रशेखर आजाद दि. | फाल्गुन | शुक्ल | पंचमी (5) | |
28 फरवरी | राजेंद्र प्रसाद दि | राष्ट्रीय विज्ञान दि. | फाल्गुन | शुक्ल | षष्ठी (6) |
29 फरवरी | फाल्गुन | शुक्ल | सप्तमी (7) |
चमत्कारी उलटे हनुमान
जो नहिं होइ, तात तुम पाहीं।
धर्मयात्रा में इस बार हम आपको ले चलते हैं भगवान हनुमान के एक विशेष मंदिर तक जो साँवेर नामक स्थान पर स्थित है। इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें हनुमानजी की उलटी मूर्ति स्थापित है। और इसी वजह से यह मंदिर उलटे हनुमान के नाम से मालवा क्षेत्र में प्रसिद्ध है।
ऐतिहासिक धार्मिक नगरी उज्जैन से मात्र 30 किमी की दूरी पर स्थित इस मंदिर को यहाँ के निवासी रामायणकालीन बताते हैं। मंदिर में हनुमानजी की उलटे चेहरे वाली सिंदूर लगी मूर्ति है।
यहाँ के लोग एक पौराणिक कथा का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब अहिरावण भगवान श्रीराम व लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक ले गया था, तब हनुमान ने पाताल लोक जाकर अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की थी। ऐसी मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहाँ से हनुमानजी ने पाताल लोक जाने हेतु पृथ्वी में प्रवेश किया था।
कहते हैं भक्ति में तर्क के बजाय आस्था का महत्व अधिक होता है। यहाँ प्रतिष्ठित मूर्ति अत्यंत चमत्कारी मानी जाती है। यहाँ कई संतों की समाधियाँ हैं। सन् 1200 तक का इतिहास यहाँ मिलता है।
उलटे हनुमान मंदिर परिसर में पीपल, नीम, पारिजात, तुलसी, बरगद के पेड़ हैं। यहाँ वर्षों पुराने दो पारिजात के वृक्ष हैं। पुराणों के अनुसार पारिजात वृक्ष में हनुमानजी का भी वास रहता है। मंदिर के आसपास के वृक्षों पर तोतों के कई झुंड हैं। इस बारे में एक दंतकथा भी प्रचलित है। तोता ब्राह्मण का अवतार माना जाता है। हनुमानजी ने भी तुलसीदासजी के लिए तोते का रूप धारण कर उन्हें भी श्रीराम के दर्शन कराए थे।
साँवेर के उलटे हनुमान मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मणजी, शिव-पार्वती की मूर्तियाँ हैं। मंगलवार को हनुमानजी को चौला भी चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि तीन मंगलवार, पाँच मंगलवार यहाँ दर्शन करने से जीवन में आई कठिन से कठिन विपदा दूर हो जाती है। यही आस्था श्रद्धालुओं को यहाँ तक खींच कर ले आती है।
ये है इस महीने के सबसे खास मुहूर्त जो दिलाएंगे फायदा ही फायदा
इस महीने में शुभ योग और खास मुहूर्त आ रहे हैं। जो आपकी किस्मत और पैसों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इन शुभ योगों को ध्यान में रखें कोई भी मांगलिक या शुभ काम इन योग में करने से आपकी किस्मत भी आपका साथ देगी और पैसों की कमी कभी नहीं आएगी।
सर्वाथ सिद्धि योग-
पैसों और किस्मत का पूरा फायदा पाने के लिए ये मुहूर्त सबसे अच्छा होता है।
जानें किस दिन कब तक रहेगा ये मुहूर्त-
6 तारीख को दोपहर 1 बजकर 18 मिनट से रात अंत तक
7 तारीख को 1 बजकर 36 मिनट से रात अंत तक
12 तारीख को सूर्योदय से सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
15 तारीख को सूर्योदय से रात 2 बजकर 45 मिनट तक रहेेगा।
19 तारीख को सूर्योदय से रात 11 बजकर 9 मिनट तक रहेगा
20 तारीख को सूर्योदय से रात 11 बजकर 15 मिनट तक रहेगा
26 तारीख को सुबह 6 बजकर 45 मिनट से रात अंंत तक रहेगा।
28 तारीख को दोपहर 11 बजकर 56 मिनट से 29 तारीख की रात अंत तक
अमृत सिद्धि योग- यह शुभ मुहूर्त हर तरह के काम के लिए शुभ फल देने वाला होता है। यह योग 15 तारीख को दोपहर 11 बजकर 53 मिनट से रात 2 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
द्विपुष्कर योग- इस शुभ योग में पैसों से संबंधित किया गया कोई भी शुभ काम आपका दो गुना फायदा देने वाला होता है।
- यह शुभ योग 4 तारीख को सूर्योदय से दोपहर 11बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
त्रिपुष्कर योग- इस शुभ योग में किस्मत ओर पैसा तीन गुना बढ़ जाती है। यह योग 14 और 28 तारीख को बनेगा।
- 14 तारीख को सूर्योदय से दोपहर 2 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
- 28 तारीख को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से रात अंत तक
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कैबिनेट की बैठक में अहम फैसला, 90 बी धारा समाप्त
भू परिवर्तन के लिए 90 ए में सरलीकरण के साथ नए प्रावधान शामिल, बाबा कल्याणी और सेंट गोविन को करौली में खान आवंटन पर मुहर लगी, 27 से विधानसभा सत्र संभव
जयपुर.प्रदेश में भू रूपांतरण से संबंधित विवादित धारा 90 बी को समाप्त कर दिया गया है। इसके स्थान पर धारा 90 ए में रूपांतरण से संबंधित प्रावधानों को सरलीकरण के साथ शामिल किया जाएगा।
यह फैसला बुधवार को यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। नए प्रावधानों को किसानों के हित में शामिल किया गया है। बैठक में बाबा कल्याणी और सेंट गोविन को करौली में खान आवंटन, नर्सिंग कौंसिल और कन्वेंशन सेंटर सहित अन्य कई मुद्दों पर सहमति हुई है।
बैठक के बाद नगरीय विकास और आवासन मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि भू रूपांतरण से संबंधित धारा 90 बी को समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पिछली सरकार के दौरान इस धारा को लोगों की सुविधा के लिए शामिल किया गया था। इससे कई लोगों को लाभान्वित भी किया गया।
धारीवाल ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में इसका दुरुपयोग करते हुए इसे टकसाल बना दिया गया था। इसके चलते यह धारा बदनाम हो गई थी। उन्होंने बताया कि अब इस धारा को समाप्त कर रूपांतरण के प्रावधान 90 ए में शामिल किया जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए अधिसूचना जारी की जाएगी और उसी दिन से यह लागू हो जाएगी।
क्या किया सरलीकरण:धारीवाल ने बताया कि 90 बी के तहत भू रूपांतरण करवाने पर पहले किसान जमीन को जेडीए या अन्य किसी स्वायत्तशाषी को समर्पित करता था। उसमें अगर ले आउट प्लान में कोई गड़बड़ी होता या अन्य किसी कारण से मंजूरी नहीं होती तो जमीन जेडीए या उस संस्था के नाम रह जाती थी।
लेकिन नए प्रावधानों के मुताबिक अगर किसी कारण से ले आउट प्लान मंजूर नहीं हो पाता है तो उस दशा में किसान अपील करके वह जमीन फिर ले सकेगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले शहरी क्षेत्र में 90 बी की कार्रवाई करने के लिए एसडीओ अधिकृत होता है। अब नए प्रावधान में यूआईटी का सचिव या नगरीय निकाय का अधिशासी अधिकारी, आयुक्त या सीईओ इस कार्रवाई को कर सकेगा। धारीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस बारे में वादा किया था और चुनाव घोषणा पत्र में इसकी घोषणा भी की गई थी।
कन्वेंशन सेंटर को मंजूरी:बैठक के बाद उद्योग मंत्री राजेंद्र पारीक ने बताया कि कैबिनेट ने सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में विश्व स्तरीय कन्वेंशन सेंटर बनाने को भी मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि 10,000- 10,000 वर्ग मीटर में ये कन्वेंशन सेंटर बनेंगे। इनमें विश्व स्तरीय सुविधाएं होंगी और इनमें 1000 सीटों की व्यवस्था होगी। इससे राज्य सरकार और रीको को प्रतिवर्ष 7.80 करोड़ रुपए लीज के तौर पर मिलेंगे और हर तीन साल में 15 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी होगी। 60 साल बाद यह वापस रीको को सुपुर्द किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इसमें विवाद जैसा कुछ नहीं है, सब कुछ पारदर्शी है और नियमों में भी कोई संशोधन नहीं किया गया। इसके लिए इंटरनेशनल बिड्स की गई थी, जिसमें 19 बिड्स आई, जिनमें से 4-5 ही क्वालीफाइंग कर पाए। पारीक ने बताया कि कन्वेंशन सेंटर राज्य सरकार को प्राथमिकता के साथ और 15 से 30 दिन तक निशुल्क के रूप में मिलेगा।
दो कंपनियों को खान मंजूरी:पारीक ने बताया कि आयरनोर के लिए बाबा कल्याणी और ग्लास के लिए सेंट गोविन कंपनी को करौली में खान आवंटन की मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि बाबा कल्याणी 15,000 करोड़ रुपए का निवेश करने के साथ करौली में खान स्थल के निकट की प्लांट लगाएगी।
इस कंपनी में सीआरजीओ ग्रेड का स्टील उत्पादन होगा। अभी यह बाहर से आयात किया जा रहा है। इस प्लांट के निकट ही 700 मेगावाट क्षमता का कैप्टिव प्लांट लगाया जाएगा। सेंट गोविन का सिलिका सेंट प्लांट अलवर में लग चुका है, लेकिन इसके कच्चे माल की पूर्ति के लिए खान दी गई है। सेंट गोविन ने 500 करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है और 500 करोड़ रुपए का निवेश और करेगी।
नर्सिंग कौंसिल:बैठक के बाद चिकित्सा मंत्री ए.ए. खान (दुर्रू मियां) ने बताया कि नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण के लिए अब तक नर्सिंग कौंसिल के तीन सदस्यों की कमेटी ही जाती थी। लेकिन नई व्यवस्था में सरकारी प्रतिनिधि को भी इस कमेटी में शामिल किया