बच्चों के लाड़ प्यार में मां-बाप अक्सर भूल जाते हैं कि उनके बच्चों के लिए क्या सही है और क्या गलत। बच्चों को अच्छी परवरिश देना, उन्हें हर तरह की सहूलियतें देना ठीक है लेकिन इस पर भी विचार किया जाए कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत। अक्सर लाड़-प्यार में भविष्य की परेशानियों को अनदेखा कर दिया जाता है। जहां तक बच्चों की शिक्षा और संस्कार देने का सवाल है, इसमें सख्ती बरती जानी चाहिए।
शिक्षा में बरती गई थोड़ी सी लापरवाही भविष्य में संतान और माता-पिता दोनों के लिए परेशानी का कारण बन जाती है। महाभारत इसका सबसे श्रेष्ठ उदाहरण है। गुरु द्रौण और उनके पुत्र अश्वत्थामा का रिश्ता ऐसा ही था। द्रौण को अपने पुत्र से बहुत प्यार था। शिक्षा में भी अन्य छात्रों से भेदभाव करते थे। जब उन्हें सभी कौरव और पांडव राजकुमारों को चक्रव्यूह की रचना और उसे तोडऩे के तरीके सिखाने थे, उन्होंने शर्त रख दी कि जो राजकुमार नदी से घड़ा भरकर सबसे पहले पहुंचेगा, उसे ही चक्रव्यूह की रचना सिखाई जाएगी। सभी राजकुमारों को बड़े घड़े दिए जाते लेकिन अश्वत्थामा को छोटा घड़ा देते ताकि वो जल्दी से भरकर पहुंच सके। सिर्फ अर्जुन ही ये बात समझ पाया और अर्जुन भी जल्दी ही घड़ा भरकर पहुंच जाते।
जब ब्रह्मास्त्र का उपयोग करने की बारी आई तो भी द्रौणाचार्य के पास दो ही लोग पहुंचे। अर्जुन और अश्वत्थामा। अश्वत्थामा ने पूरे मन से इसकी विधि नहीं सीखी। ब्रह्मास्त्र चलाना तो सीख लिया लेकिन लौटाने की विधि नहीं सीखी। उसने सोचा गुरु तो मेरे पिता ही हैं। कभी भी सीख सकता हूं। द्रौणाचार्य ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। जब महाभारत युद्ध के बाद अर्जुन और अश्वत्थामा ने एक-दूसरे पर ब्रह्मास्त्र चलाया। वेद व्यास के कहने पर अर्जुन ने तो अपना अस्त्र लौटा लिया लेकिन अश्वत्थामा ने नहीं लौटाया क्योंकि उसे इसकी विधि नहीं पता थी। जिसके कारण उसे शाप मिला। उसकी मणि निकाल ली गई और कलयुग के अंत तक उसे धरती पर भटकने के लिए छोड़ दिया गया।
अगर द्रौणाचार्य अपने पुत्र मोह पर नियंत्रण रखकर उसे शिक्षा देते, उसके और अन्य राजकुमारों के बीच भेदभाव नहीं करते तो शायद अश्वत्थामा को कभी इस तरह सजा नहीं भुगतनी पड़ती।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 फ़रवरी 2012
बच्चों को दिया गया ऐसा प्यार उनके लिए ही खतरा बनता है...
सावधान! अगले दिन पर न टालें काम, क्योंकि..
शांत, सुखी, संपन्न व सफल जीवन का एक अहम सूत्र है - वक्त की कद्र करना यानी जीवन से जुड़े अहम लक्ष्यों को बिना वक्त गंवाए सही सोच, योजना व चेष्टा के साथ पाते चले जाना। शास्त्रों में भी मन, वचन और कर्म से किसी भी तरह के आलस्य दरिद्रता माना गया है, जो असफलता व अनचाहे दु:ख का कारण बनती है।
आलसीपन या कर्महीनता में डूबे व्यक्ति को समय का मोल समझाने व जीवन को सफल बनाने के लिए संत कबीरदास ने बहुत ही सीधी नसीहत देकर चेताया है। लिखा गया है कि -
पाव पलक की सुधि नहीं, करै काल का साज।
काल अचानक मारसी, ज्यों तीतर को बाज॥
भाव यही है कि जीवन अनिश्चित है। जिसमें पल भर में क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसलिए किसी भी काम को टालने या अगले दिन करने की सोच या आदत बड़े नुकसान या पछतावे का कारण बन सकती है। क्योंकि मृत्यु भी अटल सत्य है, जो सांसों को अचानक वैसे ही थाम देती है, जैसे बाज, तीतर पर अचानक वार कर उसे ले उड़ता है।
संत कबीर का दर्शन यही है कि जीवन में कर्म, परिश्रम व पुरुषार्थ को महत्व दें व पल-पल का सदुपयोग करें। साथ ही जाने-अनजाने हुए अच्छे-बुरे कामों का मंथन करते रहें।
जानिए, विनाश से कैसे बचाती है मृत्युञ्जय की शक्ति?
शिव को अविनाशी भी पुकारा जाता है। यह शब्द और भाव ही शिव की अनंत शक्तियों, मंगलमयी रूप व नाम की महिमा प्रकट करता है। जब शिव ने विषपान किया तो नीलकंठ बने, गंगा को सिर पर धारण किया तो गंगाधर। वहीं भूतों के स्वामी होने से भूतभावन भी कहलाते हैं।
इसी कड़ी में शिव का एक अद्भुत स्वरूप हैं - मृत्युंजय। माना गया है कि इस शिव स्वरूप की दिव्य शक्तियों के आगे काल भी पराजित हो जाता है। मृत्यु्ञ्जय का मतलब भी होता है - मृत्यु को जीतने वाला। काल के अलावा यह शिव शक्ति सभी सांसारिक पीड़ा व भय को हर लेती है।
कैसा है मृत्यंञ्जय स्वरूप?
शास्त्रों के मुताबिक शिव का मृत्यंञ्जय स्वरुप अष्टभुजाधारी है। सिर पर बालचन्द्र धारण किए हुए हैं। कमल पर विराजित हैं। ऊपर के हाथों से स्वयं पर अमृत कलश से अमृत धारा अर्पित कर रहें हैं। बीच के दो हाथों में रुद्राक्ष माला व मृगमुद्रा। नीचे के हाथों में अमृत कलश थामें हैं।
कैसे मृत्युञ्जय के आगे काल भी हो जाता है पस्त ?
महामृत्युञ्जय के काल को पराजित करने के पीछे शास्त्रों के मुताबिक दर्शन यह भी है कि असल में यह स्वरुप आनंद, विज्ञान, मन, प्राण व वाक यानी शब्द, वाणी, बोल इन पांच कलाओं का स्वामी है। व्यावहारिक जीवन में भी जो इंसान इन कलाओं से दक्ष और पूर्ण हो जाता है, वह सुखी, निरोगी, पीड़ा और तनाव मुक्त हो लंबी आयु को प्राप्त करता है। यही नहीं माना जाता है कि इन पांच विद्याओं की शक्ति के बूते सृष्टि का चक्र चलता रहता है यानी ये संसार को विनाश से बचाती है।
इस तरह आनंद व प्राण स्वरूप महामृत्युञ्जय शिव की उपासना से जुड़ी ऐसी आस्था और विश्वास के आगे मौत ही मात नहीं खाती, बल्कि निर्भय व निरोगी जीवन भी प्राप्त होता है। जिसके लिए महामृत्युञ्जय मंत्र का स्मरण बेहद असरदार माना गया है।
आज से 20 तक शिव नवरात्रि..शुभ चाहें तो 9 दिन न चूकें ऐसी शिव पूजा
हिन्दू धर्म पंचांग के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी (20 फरवरी) महाशिवरात्रि के रूप में प्रसिद्ध है। क्योंकि यह शिव के दिव्य ज्योर्तिंलिंग के प्राकट्य की बड़ी ही शुभ रात्रि के साथ ही प्रकृति व पुरुष के मिलन की प्रतीकात्मक दृष्टि से शिव विवाह का मंगल अवसर भी। शिव भक्ति के इस विशेष काल में शिव भक्ति सभी सांसारिक इच्छाओं का पूरा करने वाली मानी गई है।
यह शिव भक्ति 9 दिन की जाती है। जिसकी शुरुआत फाल्गुन कृष्ण पंचमी (12 फरवरी से) से होती है। खासतौर पर उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योर्तिलिङ्ग में इस दौरान शिव के अनेक स्वरूपों के दर्शन होते हैं। यहां यह पुण्य काल शिव नवरात्रि के रूप में भी प्रसिद्ध है।
ऐसे काल में अगर आप भी जीवन में शुभ व मंगल चाहते हैं तो शिव नवरात्रि के हर दिन जल, बिल्वपत्र, दूध व दूध की मिठाई चढ़ा शिव पूजा कर भावना और आस्था के साथ एक विशेष शिव आरती कर जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। यह है गंगाधर की आरती ।
पौराणिक मान्यता है कि पवित्र गंगा जब पृथ्वी पर उतरी तो उसके तेज प्रवाह पर महादेव शिव की जटाओं ने काबू पाया। शिव की जटाओं में गंगा को धारण करना प्रतीकात्मक संदेश देता है कि जीवन की आपाधापी में सफल होने के लिए सोच, विचार और मन को गंगा की भांति पावन यानी साफ रखने के साथ ही महादेव की भांति धैर्य व बड़प्पन के साथ सभी की भलाई के भाव रखे जाएं। ऐसे ही भाव के साथ करें यह आरती -
ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा।
त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा॥
कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रुमविपिने।
गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने॥
कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता।
रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥
तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता।
तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता॥
क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम्।
इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम् ॥
बिबुधबधू बहु नृत्यत नामयते मुदसहिता।
किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता॥
धिनकत थै थै धिनकत मृदंग वादयते।
क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते ॥
रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता।
चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां॥
तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते।
अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥
कपूर्रद्युतिगौरं पंचाननसहितम्।
त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम्॥
सुन्दरजटायकलापं पावकयुतभालम्।
डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम् ॥
मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम्।
वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम्॥
सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम्।
इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं ॥
शंखनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते।
नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते॥
अतिमृदुचरणसरोजं हृत्कमले धृत्वा।
अवलोकयति महेशं ईशं अभिनत्वा॥
ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा।
रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा॥
संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते।
शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या यः श्रृणुते ॥
सौ साल के एक आम के पेड़ से बंधे हैं दो कुनबे!
60 साल पहले जागीरदार ने उस जमीन को एक किसान नबीबख्श को बेच दिया, जिस पर यह आम का पेड़ लगा था। लेकिन इस सौदे में यह शर्त डाल दी कि पेड़ शंकरलाल के परिवार का भी रहेगा। शंकरलाल और नबीबख्श के परिवारों ने इस पेड़ के आम का बंटवारा करना तय किया।
यह आज भी जारी है। नबीबख्श के पुत्र अख्तर हुसैन परमाणु बिजलीघर में नौकरी करते थे। वे कहते हैं आम का यह बंटवारा दोनों परिवारों में मेल-जोल का जरिया भी है। शंकरलाल के पुत्र रमेश दशोरा मानते हैं, कि यह दोनों परिवारों के बीच ऐसी परंपरा बन गई है, जिसे हमारी अगली पीढ़ी भी जारी रखना चाहेगी।
दिल की बात कहने का ये तरीका भी तो आजमाइए जनाब!
50 से 2000 रुपए के कार्ड मार्केट में एक बार फिर से ग्रीटिंग कार्डस की वैल्यू बढ़ी नजर आ रही है। हालांकि, बीच में ये Rेज खत्म सा हो गया था। इसे पसंद करने वाले वर्ग में ज्यादातर यूथ ही शामिल हैं, जो अपने दिल की बात कार्ड में लिखकर देने की तमन्ना रखते हैं। इसलिए वे गिफ्ट के साथ-साथ कार्ड भी ले रहे हैं। हालांकि, ग्रीटिंग कार्डस को लेकर यूथ की पसंद में एक बड़ा फर्क आया है, वह हैं हैंडमेड कार्डस। इनके अंदर में अंदर कैलिग्राफी राइटिंग की गई है और साइज थोड़ा बड़ा दिया गया है। साथ-साथ इसमें ऐसी स्याही का इस्तेमाल किया गया है, जो खुशबू दे। ये कार्ड 50 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक की रेंज में उपलब्ध हैं।
टेडीबियर डिमांड में सदाबहार सॉफ्ट टॉयज इस बार भी डिमांड में हैं। गल्र्स के लिए जहां पिंक वहीं, ब्वॉयज के लिए ब्लू टेडी मार्केट में छाए हुए हैं। हार्ट शेप के सॉफ्ट पिलो भी मार्केट में हैं। हालांकि, इसे वही लोग खरीद रहे है, जिनकी शादी या सगाई हो गई हो। इसके अलावा पर्स, डिजाइनर बैग, बैंगल्स, वैलेंटाइन-डे स्लोगन वाली टीशर्ट, काफी मग भी गिफ्ट के लिए पसंद किए जा रहे हैं।
एक्सीडेंट में एक ही परिवार के 5 जनों सहित 6 की मौत
परिवार के सदस्यों की मौत की सूचना के बाद खुशी के माहौल में एकाएक गम छा गया। कोटा के रिश्तेदार उनके घर के पास एकत्र हो गए और चर्चा करने लगे। सभी फोन लगाकर उनके बारे में जानकारी लेने लगे। कुछ का कहना था कि ट्रेन से जाते तो कम से कम यह हादसा तो नहीं होता। शुक्र है मझली बेटी तो ट्रेन से गई थी।
रिश्तेदार परमजीतसिंह ने बताया कि सिविल लाइन निवासी सीनियर एडवोकेट राजेन्द्रसिंह सलूजा की छोटी बेटी गुरप्रीत कौर का 6 फरवरी को कानपुर में विवाह हुआ था।
राजेन्द्रसिंह सलूजा (50) व उनकी पत्नी जीत कौर (46), सबसे बड़ी बेटी नीमच निवासी रिंकू (30), दामाद गुरजीत वाधवा (32), दोहिता मनन (11) व ड्राइवर रामप्रस इंडिका कार से छोटी बेटी गुरप्रीत के रिसेप्शन में शुक्रवार तड़के कोटा से झांसी के ललितपुर के लिए रवाना हुए थे।
वहां से रिसेप्शन के बाद शनिवार को घर लौट रहे थे। इसी दौरान बबीना के पास ट्रक ने सामने से कार को टक्कर मार दी। भिडंत इतनी जबर्दस्त थी कि दुर्घटना में कार में सवार 6 जनों की मौत हो गई।
कार में शव बुरी तरह से दब गए थे। कार की बॉडी को काटकर शव निकाले गए। शव का पोस्टमार्टम करा दिया गया है। झांसी से रिश्तेदार बबीना पहुंच गए है। कोटा में रविवार दोपहर करीब 3 बजे तक शव पहुंच जाएगा। सभी की हादसे को देखकर आंखें नम हो गई। पड़ोसी गुरदीपसिंह ने बताया कि राजेन्द्र के तीन बेटियां हैं। सभी बेटियों का विवाह कर दिया था। यह सबसे छोटी बेटी का विवाह हुआ था। मझली बेटी निक्की व उनका परिवार ट्रेन से वहां शामिल हुआ था।
वकीलों में गहरा शोक
कोटा बार एसोसिएशन के महासचिव बृजराजसिंह ने बताया कि वरिष्ठ वकील राजेन्द्र सलूजा की मौत से वकीलों में शोक छा गया। उनके अंतिम संस्कार के बाद ही अवकाश की घोषणा की जाएगी। रविवार को अगर उनका दाहसंस्कार होता है तो निर्णय लेकर सोमवार को शोक सभा रखकर न्यायिक कार्य स्थगित किया जाएगा।
रविवार को नीमच लौटने का था ट्रेन में रिजर्वेशन
राजेन्द्र सलूजा की बड़ी बेटी रिंकी व दामाद गुरजीतसिंह विवाह समारोह में सम्मिलित होने 3 फरवरी से कोटा आए हुए थे। उनका 12 फरवरी का नीमच लौटने का रिजर्वेशन था। इस दौरान झांसी कार में रिसेप्शन में सम्मिलित होने गए थे। राजेन्द्र सात भाइयों में छठे नंबर के थे। गुरमीत आरामशीन का कारोबार संभालता था। उसका इकलौता बेटा मनन भी हादसे में काल का ग्रास बन गया। गुरमीत के बड़े भाई गुरमीतसिंह वाधवा नगर पालिका उपाध्यक्ष और भाजपा के जिलाध्यक्ष के पद पर रहे है। शहर में भाजपा के वरिष्ठ नेता है।
खुर्शीद की होगी छुट्टी? पाटिल ने पीएम को भेजी चिट्ठी
नई दिल्ली. राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के बारे में चुनाव आयोग की ओर से की गई शिकायत की कॉपी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजकर उचित कार्रवाई करने को कहा है। कानून मंत्री ने आयोग को आंख दिखाकर सरकार को सवालों के घेरे में ला दिया है। विपक्ष के हमले के बाद ऐसा लग रहा है कि चुनाव आयोग को चुनौती देने वाले खुर्शीद की छुट्टी हो सकती है।
आयोग ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर कहा था कि अल्पसंख्यक कोटे संबंधी बयान सेंसर करने के बावजूद खुर्शीद बार-बार आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं। आयोग ने इस मामले में ‘फौरन निर्णायक कार्रवाई’ की मांग की है। अब तक के इतिहास में पहली बार चुनाव आयोग ने आचार संहिता तोड़ने के मामले में ऐसा सख्त कदम उठाया है।
दिग्विजय बचाव में
आचार संहिता मामले में चुनाव आयोग के निशाने पर आए कैबिनेट मंत्री सलमान खुर्शीद के बचाव में पार्टी के ही सीनियर नेता दिग्विजय सिंह आए हैं। दिग्विजय ने कहा कि यदि राजनेताओं को अपनी पार्टी के एजेंडे के बारे में नहीं बोलने दिया जाएगा तो पार्टी फेनिफेस्टो पर भी पाबंदी लगा देनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी के मेनिफेस्टो में अल्पसंख्यकों, पिछड़ी जाति के लिए आरक्षण का प्रावधान है।
आयोग के फैसले पर सवाल
इस मामले में भाजपा, वरिष्ठ वकीलों और पूर्व चुनाव अधिकारियों ने चुनाव आयोग के पत्र पर सवाल उठाए हैं। वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि कानून तोड़ना जुर्म है। खुर्शीद के खिलाफ कोर्ट में शिकायत करनी चाहिए थी। वैसे भी राष्ट्रपति के पास कोई अधिकार नहीं होता। वह केंद्रीय कैबिनेट के फैसले के बिना कोई कार्रवाई नहीं कर सकतीं। जेठमलानी का मानना है कि आयोग को राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखने के बजाय खुद ही ठोस कार्रवाई करनी चाहिए थी। वहीं सीनियर वकील हरीश साल्वे के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस मसले का कोई न कोई हल निकालना ही पड़ेगा।
वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी और पूर्व निर्वाचन अधिकारी केजे राव ने भी कहा कि आयोग को राष्ट्रपति को पत्र लिखने के बजाय कोर्ट जाने का विकल्प आजमाना था। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, जो लोग चुनावी माहौल को धर्म के नाम पर प्रदूषित कर रहे हैं, उन्हें तत्काल उत्तर प्रदेश से तड़ीपार किया जाए। नकवी ने मांग की है कि खुर्शीद को कैबिनेट मंत्री के पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है।
कश्मीर का हिस्सा चीन के हवाले करेगा पाकिस्तान
वाशिंगटन. पाकिस्तान कश्मीर के विवादास्पद गिलगिट बाल्टिस्तान क्षेत्र को 50 साल के लिए चीन को लीज पर देने पर विचार कर रहा है। अमेरिका के साथ चल रहे तनाव के बीच चीन से अपने रिश्ते और मजबूत करने के लिए वह यह कदम उठा रहा है। अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक टैंक मिडल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है।
रिपोर्ट में ऐसा गिलगिट बाल्टिस्तान के उर्दू अखबार में प्रकाशित खबरों के आधार पर कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, गिलगिट बाल्टिस्तान के लिए पाक-चीन सामरिक कार्यक्रम का यह फैसला संभवत: इस साल जनवरी में सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी की चीन यात्रा के दौरान लिया गया।
उर्दू अखबार 'रोजनामा बंग-ए-सहर' में प्रकाशित खबर में कहा गया कि पाकिस्तान में बिगड़ते हालात और अमेरिका से तनावपूर्ण रिश्तों के चलते गिलगिट बाल्टिस्तान को 50 सालों के लिए चीन को लीज पर देने पर विचार शुरू हो गया है। यह अखबार गिलगिट बाल्टिस्तान में 13 दिसंबर को वितरित हुआ था।
अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा कि पाकिस्तान सेना प्रमुख की पांच दिवसीय चीन यात्रा के मद्देनजर रोजनामा बंग-ए-सहर की यह खबर महत्वपूर्ण हो जाती है। बीजिंग में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के साथ बैठक में जनरल कयानी ने कहा था कि चीन-पाकिस्तान सामरिक साझेदारी दोनों देशों की नीतियों में महत्वपूर्ण है। चीनी प्रधानमंत्री का कहना था कि चीनी सरकार और सेना दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करना और ज्यादा से ज्यादा सैन्य आदान प्रदान जारी रखेगी। थिंक टैंक ने कहा कि पाकिस्तानी और चीनी सेना गिलगिट-बाल्टिस्तान के संयुक्त सैन्य प्रबंधन की दिशा की ओर बढ़ रहे हैं।
विकास परियोजनाओं का करेंगे बहाना
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन विकास परियोजनाओं के नाम पर गिलगिट बाल्टिस्तान में काम शुरू करेगा और फिर धीरे-धीरे इस क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ में लेगा। इसके बाद यह क्षेत्र को 50 साल के लिए पूरी तरह अपने कब्जे में ले लेगा और अपने सैनिकों को वहां तैनात करेगा।
रावणादि का जन्म, तपस्या और उनका ऐश्वर्य तथा अत्याचार
धूरि मेरुसम जनक जम ताहि ब्यालसम दाम॥175॥
दस सिर ताहि बीस भुजदंडा। रावन नाम बीर बरिबंडा॥1॥
सचिव जो रहा धरमरुचि जासू। भयउ बिमात्र बंधु लघु तासू॥2॥
रहे जे सुत सेवक नृप केरे। भए निसाचर घोर घनेरे॥3॥
कृपा रहित हिंसक सब पापी। बरनि न जाहिं बिस्व परितापी॥4॥
तदपि महीसुर श्राप बस भए सकल अघरूप॥176॥
गयउ निकट तप देखि बिधाता। मागहु बर प्रसन्न मैं ताता॥1॥
हम काहू के मरहिं न मारें। बानर मनुज जाति दुइ बारें॥2॥
पुनि प्रभु कुंभकरन पहिं गयऊ। तेहि बिलोकि मन बिसमय भयऊ॥3॥
सारद प्रेरि तासु मति फेरी। मागेसि नीद मास षट केरी॥4॥
तेहिं मागेउ भगवंत पद कमल अमल अनुरागु॥177॥
मय तनुजा मंदोदरि नामा। परम सुंदरी नारि ललामा॥1॥
हरषित भयउ नारि भलि पाई। पुनि दोउ बंधु बिआहेसि जाई॥2॥
सोइ मय दानवँ बहुरि सँवारा। कनक रचित मनि भवन अपारा॥3॥
तिन्ह तें अधिक रम्य अति बंका। जग बिख्यात नाम तेहि लंका॥4॥
कनक कोट मनि खचित दृढ़ बरनि न जाइ बनाव॥178 क॥
सूर प्रतापी अतुलबल दल समेत बस सोइ॥178 ख॥
अब तहँ रहहिं सक्र के प्रेरे। रच्छक कोटि जच्छपति केरे॥1॥
देखि बिकट भट बड़ि कटकाई। जच्छ जीव लै गए पराई॥2॥
सुंदर सहज अगम अनुमानी। कीन्हि तहाँ रावन रजधानी॥3॥
एक बार कुबेर पर धावा। पुष्पक जान जीति लै आवा॥4॥
मनहुँ तौलि निज बाहुबल चला बहुत सुख पाइ॥179॥
नित नूतन सब बाढ़त जाई। जिमि प्रतिलाभ लोभ अधिकाई॥1॥
करइ पान सोवइ षट मासा। जागत होइ तिहूँ पुर त्रासा॥2॥
समर धीर नहिं जाइ बखाना। तेहि सम अमित बीर बलवाना॥3॥
जेहि न होइ रन सनमुख कोई। सुरपुर नितहिं परावन होई॥4॥
एक एक जग जीति सक ऐसे सुभट निकाय॥180॥
दसमुख बैठ सभाँ एक बारा। देखि अमित आपन परिवारा॥1॥
सेन बिलोकि सहज अभिमानी। बोला बचन क्रोध मद सानी॥2॥
ते सनमुख नहिं करहिं लराई। देखि सबल रिपु जाहिं पराई॥3॥
द्विजभोजन मख होम सराधा। सब कै जाइ करहु तुम्ह बाधा॥4॥
तब मारिहउँ कि छाड़िहउँ भली भाँति अपनाइ॥181॥
जे सुर समर धीर बलवाना। जिन्ह कें लरिबे कर अभिमाना॥1॥
एहि बिधि सबही अग्या दीन्हीं। आपुनु चलेउ गदा कर लीन्ही॥2॥
रावन आवत सुनेउ सकोहा। देवन्ह तके मेरु गिरि खोहा॥3॥
पुनि पुनि सिंघनाद करि भारी। देइ देवतन्ह गारि पचारी॥4॥
रबि ससि पवन बरुन धनधारी। अगिनि काल जम सब अधिकारी॥5॥
ब्रह्मसृष्टि जहँ लगि तनुधारी। दसमुख बसबर्ती नर नारी॥6॥
मंडलीक मनि रावन राज करइ निज मंत्र॥182 क॥
जीति बरीं निज बाहु बल बहु सुंदर बर नारि॥182 ख॥
प्रथमहिं जिन्ह कहुँ आयसु दीन्हा। तिन्ह कर चरित सुनहु जो कीन्हा॥1॥
करहिं उपद्रव असुर निकाया। नाना रूप धरहिं करि माया॥2॥
जेहिं जेहिं देस धेनु द्विज पावहिं। नगर गाउँ पुर आगि लगावहिं॥3॥
नहिं हरिभगति जग्य तप ग्याना। सपनेहु सुनिअ न बेद पुराना॥4॥
आपुनु उठि धावइ रहै न पावइ धरि सब घालइ खीसा॥
अस भ्रष्ट अचारा भा संसारा धर्म सुनिअ नहिं काना।
तेहि बहुबिधि त्रासइ देस निकासइ जो कह बेद पुराना॥
हिंसा पर अति प्रीति तिन्ह के पापहि कवनि मिति॥183॥