आपका-अख्तर खान

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12 फ़रवरी 2012

......जिनकी अक्ल पर पर्दा पढने लगा है इश्वर ऐसे पत्रकारों को सद्बुद्धि दे .

पत्रकार इन दिनों पत्रकारवार्ता में जिस तरह के सवाल पूंछते है उन पर कई बार हंसी आती है ...उनके सवालों से ऐसा लगता है के वोह किसी के कहने से ..किसी के प्रभाव में आकर बचकाने सवालात कर खुद की मर्यादा भंग कर रहे है ..कोटा में आज राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन माहिर आज़ाद का स्थानीय कोंग्रेसी नेता नईमुद्दीन गुड्डू के नेतृत्व में ऐतिहासिक स्वागत हुआ ..अपने ऐतिहासिक स्वागत से अभिभूत होने के बाद माहिर आज़ाद ने कोटा सर्किट हाउस में पत्रकारों को संबोधित किया ..भीड़ भरे माहोल में पत्रकारवार्ता अजीबो गरीब लग रही थी इसी बीच एक पत्रकार जी के कान में किसी ने कुछ कहा और बस पत्रकार जी ने अपनी मर्यादाएं लांघते हुए ..माहिर आज़ाद साहब से सवाल कर डाला के अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट नाम का भी कोई संगठन है क्या ......माहिर आज़ाद ने कहा मुझे तो अल्पसंख्यक आयोग की जानकारी है जिसमे एक चेयर में दो सदस्य मुस्लिम एक सिक्ख और एक इसाई सदस्य होते है फिर पत्रकार जी के साथ एक पत्रकार जी और लग गये और निजी तोर पर अल्प संख्यक मामलात फ्रंट के सन्गठन के बारे में पूंछने लगे ..माहिर आज़ाद तो खेर दुसरे सवालों का जवाब देने लगे लेकिन एक आयोग के चेयरमेन से किसी समाज सेवी संगठन के बारे में निजी तोर पर टार्गेट बनाकर सवाल पूंछना पत्रकार जी की नियत में खोट दर्शाता है उनकी कहीं न कहीं निजी रंजिश या फिर किसी के कहने पर उनके द्वारा ऐसा करना दर्शाता है आप खुद ही सोचिये कोई संगठन कोई समाजसेवी संस्था है या नहीं इस बारे में संस्था वालों से सवाल पूंछना चाहिए गेर जरूरी आदमी से इस तरह के सवाल बचकाने और पत्रकारिता की मर्यादाओं के खिलाफ तो है ही ..लेकिन क्या करें भाई वक्त बदल गया है अब तो ऐसे ही लोग पत्रकारिता में बचे है जो पत्रकारिता से अलग हट कर निजी तोर पर किसी न किसी की एजेंट शिप भी कर रहे है खुदा खेर करे इस पत्रकारिता की दुनिया का और कोटा के कुच्छ पत्रकारों का ......जिनकी अक्ल पर पर्दा पढने लगा है इश्वर ऐसे पत्रकारों को सद्बुद्धि दे ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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