आपकी कार्यक्षमता इस बात निर्भर करती हैं कि आप सही पोश्चर में रहते हैं या नहीं। कम्प्यूटर वर्क करने वालों और ज्यादातर बैठकर कर कार्य वालों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है कि वे कैसे बैठकर कार्य करते हैं? पोश्चर का मतलब है आपके कार्य करने मुद्रा या शैली। आप किसी भी कार्य को किस ढंग से करते हैं वहीं पोश्चर है।
कम्प्यूटर वर्किंग वालों के लिए सही पोश्चर
- कम्प्यूटर पर कार्य करने वालों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनके बैठने की चेयर कैसी है? चेयर पूरी तरह सुविधाजनक होनी चाहिए।
- कार्य करते समय कमर एकदम सीधी रखें।
- कम्प्यूटर रखने के लिए कम्प्यूटर टेबल का ही उपयोग करें।
- की-बोर्ड इतनी ऊंचाई पर रखें कि टाइप करने में बिल्कुल परेशानी ना हो।
- मॉनीटर ऐसे रखें कि आंखें उसे बिना अतिरिक्त मेहनत के अच्छे से देख सके।
- लगातार अधिक समय तक चेयर पर ना बैठे रहे, बीच-बीच में थोड़ी देर उठकर थोड़ा घूम लें। जिससे आपकी बॉडी को आराम मिलेगा।
- कम्प्यूटर पर वर्क करने वाले के लिए छोटे-छोटे व्यायाम पिछले लेखों में बताए गए हैं उन्हें अवश्य करें।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
13 फ़रवरी 2012
आपको कम्प्यूटर के सामने कैसे बैठना चाहिए?
Love इज एक्चुअली ‘माइंड गेम’ देखिए क्या है पूरी परिभाषा
यानी दिल का ये रिश्ता बनता भी दिमाग से है और चलता भी दिमाग से है। प्यार की पूरी प्रक्रिया के पीछे गहरे तक विज्ञान जुड़ा हुआ है, जिसे ‘साइंस ऑफ लव’ कहा जाता है। फिर चाहे बात केमिस्ट्री ऑफ लव (न्यूरोकेमिकल), फिजिकल एपीरियंस साइकोलॉजी ऑफ लव (सोच) की हो।
प्यार कराते हैं न्यूरोकेमिकल्स
ये केमिकल्स कराते हैं लव
टेस्टोस्टीरॉन, ऑक्सीटोसिन, सिरोटोनिन और एड्रिनालिन जैसे न्यूरोकेमिकल प्यार कराते हैं। न्यूरोकेमिकल प्यार को प्रभावित भी करते हैं, जैसे मिलने की इच्छा होना, गुस्से या नफरत का भाव आना इन्हीं से होता है।
प्यार की शुरुआत केमिस्ट्री से ही होती है। ब्रेन में पाए जाने वाले न्यूरोकेमिकल ही प्यार के होने का अहसास कराते हैं। साइकैट्रिस्ट डॉ. आरएन साहू बताते हैं कि दिमाग का लिम्बिक सिस्टम प्यार को संचालित करता है।
न्यूरो केमिकल और उसके प्रभाव : एड्रिनालिन और ऑक्सीटोसिन - यह दोनों एक्साइटमेंट लाते हैं। इसमें मिलने की उत्सुकता, उसके इंतजार में तड़प, उसे सामने देखकर हाथ-पैर कांपना, धड़कन तेज होने जैसे प्रभाव इन्हीं से होते हैं।
सिरोटोनिन :यह पूरी तरह मूड रेगुलेटर है। अपने पार्टनर के साथ अच्छा रिलेशनशिप होना यानी प्यार को लेकर फील गुड कराता है।
टेस्टोस्टीरॉन :यह शारीरिक आकर्षण के लिए जिम्मेदार है। यह पार्टनर के करीब जाने की इच्छा जगाता है।
साइकोलॉजी ऑफ लव : थ्री स्टेजेस
धीरे-धीरे होता है गहरा
पार्टनर को इंप्रेस करने की कोशिश, फिर उसकी पसंद-नापसंद का ख्याल रखना और अंत में ईगो खत्म हो जाना लव की तीन स्टेजस हैं। प्यार होने से उसके परिपक्व होने तक मानसिकता में आए बदलाव साइकोलॉजी ऑफ लव हैं।
पहली स्टेज में अपने पार्टनर को इंप्रेस करने की भरसक कोशिश होती है। लेकिन, यह मैच्योर होते प्यार के साथ कम होती जाती है। मनोचिकित्सक और काउंसलर डॉ. रूमा भट्टाचार्य कहती हैं कि मोटे तौर पर प्यार की तीन स्टेज होती हैं। किशोरावस्था के प्यार में लड़का-लड़की की साइकोलॉजी एक-दूसरे को इंप्रेस करने, अच्छा दिखने की होती है।
चाहे वह इनर साइड (अपने आपको इंटेलिजेंट, कूल दिखाना) हो या आउटर साइड (कपड़ों, हेयर स्टाइल, एसेसरीज, लुक)। प्यार थोड़ा मैच्योर होने पर बात पार्टनर की पसंद के मुताबिक खुद को ढालने या अच्छा बनने की कोशिश करना। अपनी आदतें बदलना, कॅरिअर या स्टडी में अच्छा परफार्मेस देना, जबकि पूरी तरह परिपक्वप्यार एक-दूसरे को एक्सेप्ट करने, विश्वास, समर्पण को तवज्जो देता है।
बदल जाता है फिजिकल बिहेवियर
हो जाते हैं केयरिंग
लव होते ही फिजिकल बिहेवियर भी चेंज हो जाता है। लड़कियां ज्यादा केयरिंग हो जाती हैं और लड़के ज्यादा ग्रेसफुल हो जाते हैं। मनोचिकित्सक बताते हैं कि लव, लाइफ में बहुत सारे पॉजिटिव बदलाव लाता है।
मूड जॉली हो जाता है, सबकुछ खुशनुमा लगने लगता है और आप उसी तरह बिहेव करते हैं। फस्र्ट लव की फीलिंग किसी को थ्रिलिंग, तो किसी को एक्साइंिटंग या कूल लगती है। मनोचिकित्सक शिव गौतम बताते हैं कि लाइफस्टाइल में पॉजीटिव चेंजेज आते हैं। अपोजिट जेंडर के साथ बिहेवियर बदल जाता है।
खुद को सुंदर दिखाने की चाह के कारण पर्सनल केयर और मेकअप में ज्यादा टाइम खर्च होने लगता है। हैबिट्स को पार्टनर की पसंद के मुताबिक आइडियल बनने की कोशिश करते हैं। उठने-बैठने का तरीका अट्रैक्टिव या पार्टनर की पसंद के मुताबिक बदला है।
आउटर चेंजेस : ड्रेसिंग सेंस और गेटअप चेंज करते हैं पार्टनर की पसंद के मुताबिक एसेसरीज-मेकअप में बदलाव हर काम में ग्रेसफुलनेस दिखने लगती है। ज्यादा केयरिंग हो जाते हैं।
..और बैलेंसशीट लड़कियों के फेवर में
आउटिंग, डेटिंग, पार्टी
आंखों के रास्ते होता हुआ प्यार आखिर में जेब पर जाकर ठहरता है। अकाउंट्स ऑफ लव की बैलेंस शीट अक्सर लड़कियों के पक्ष में रहती है। लव शो करने में आउटिंग, डेटिंग, पार्टीज, गिफ्ट्स में खासा पैसा खर्च होता है।
मौके जब वैलेंटाइंस डे, फ्रें डशिप डे, न्यू ईयर जैसे हों तो जेब का और ढीला होना लाजिमी हो जाता है। सिटी के यूथ के खर्च का एवरेज लें तो पार्टी में 500से 1,500 रु. तक, मूवी में 300 से 800 रु. तक आउटिंग में 2,000 से 20,000 रु., गिफ्ट में १,क्क्क् से 50,000 रु. तक खर्च हो सकते हैं।
कहीं रिटर्न ज्यादा तो कहीं जेब खाली: बीई स्टूडेंट अभिजीत दासगुप्ता कहते हैं कि पॉकेटमनी के पैसे जोड़कर और बाकी कुछ दूसरे खर्चो में कटौती से ही प्यार चलता है। खास मौकों पर तो उधारी ही एक सहारा होती है। फरवरी का महीना तो बहुत ही महंगा पड़ता है चॉकलेट डे, टैडी डे, वैलेंटाइंस डे यानी खर्चो की बारात होती है। पार्टी भी दो और गिफ्ट भी। वहीं आयुषी जैन का कहना है कि खर्च कितना भी हो रिटर्न ज्यादा ही मिलता है।
दिक्कत देता है केमिकल लोचा
कई बार प्यार में उपजी गड़बड़ियों जैसे बहुत पजेसिव हो जाना, ओवर रिएक्ट करना इन्हीं केमिकल्स के इंबैलेंस से होता है।
इसे कहते हैं मैच्योर लव
एक-दूसरे को उसी रूप में दोनों एक्सेप्ट करते हैं जैसे वो असल में होते हैं। यही वह स्टेज है जिसमें आकर प्यार लांग टर्म चलता है।
ये होते हैं पर्सनॉलिटी में इनर चेंज
पार्टनर की पसंद के मुताबिक स्मोकिंग या ऐसी ही हैबिट्स बदलते हैं और पार्टनर के रुटीन के जैसा रुटीन मेंटेन करना।
20 प्रति बिजनेस एक ही दिन में
दुनियाभर में वैलेंटाइंस डे पर साल भर में खरीदे जाने वाले ग्रीटिंग कार्डस के 20 प्रतिशत खरीदे जाते हैं।
ख़त्म होकर भी भारत-पाक की फिजाओं में गूंजती है यह प्रेम कहानी!
यह प्रेम कहानी है राजकुमारी मूमल और राणा महेंद्र सिंह की, जो जैसलमेर के इतिहास में आज भी अमर है, आज भी जब यहां हर साल मरू उत्सव मनाया जाता है और राजकुमारी मूमल की याद में मिस मूमल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है इतना ही नहीं यहां एक होटल का नाम भी राजकुमारी मूमल की याद में ही रखा गया है।
पाकिस्तान के घोटकी जिले के मीरपुर कस्बे मूमल जे मारी के खंडहरों पर राजकुमारी मूमल और राणा महेंद्र सिंह की याद में एक सांस्कृतिक परिसर का निर्माण भी किया गया है| जिसके निर्माण कार्य के लिए सिंध सांस्कृतिक विभाग ने सौ करोड़ रूपये आबंटित किये|कहानी कुछ इस प्रकार है, काक नदी के किनारे जो कि इंडस नदी के समान ही बड़ी थी, एक राज्य हुआ करता था जहां आज मीरपुर मथालो है| उस राज्य के शासक राजा नन्द की नौ बेटियां थीं|
इन नौ बेटियों में राजकुमारी मूमल जहां सुन्दरता की मिसाल थीं वहीँ उनकी बहन सूमल की बुद्धि का कोई सानी नहीं था| एक बार जब राजा नन्द शिकार के लिए गए हुए थे तो उन्हें जंगल में एक जादुई हाथी दांत मिला जो नदी में प्रवेश कर खजाने को छुपा सकता था लेकिन तभी एक जादूगर महल में आया और राजकुमारी मूमल ने वह हाथी दांत उस जादूगर को दे दिया,और उसके बाद पिता के डर से राजकुमारी मूमल और सूमल ने महल छोड़ दिया और एक जादुई स्थान बनवाया जहां उनकी मुलाकात महेंद्र सिंह से हुई जो कि अमरकोट के राजकुमार थे|
राजकुमारी मूमल की सुन्दरता को देखकर हर कोई उनकी ओर आकर्षित हो रहा था लेकिन राजकुमारी ने किसी को भाव तक नहीं दिया| जब उनकी मुलाकात राणा महेंद्र सिंह से हुई तो वे उनकी ओर आकर्षित हो गईं वहीं राणा भी राजकुमारी पर मोहित हो गए और उनके महल में प्रवेश के लिए उन्होंने राजकुमारी की दासी को रिश्वत दी, और राजकुमारी का दिल जीतने में लग गए और सफल भी हो गए|
दोनों की प्रेम कहानी परवान चढ़ ही रही थी कि एक छोटी सी गलत फहमी के चलते दोनों ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली| यह दर्दनाक प्रेम कहानी बाद में पारंपरिक कथा के रूप में प्रसिद्द हुई|
यहां दिखा 10 फन वाला दुर्लभ शेषनाग, ग्रामीणों ने खींची फोटो!
एक तो इसकी तस्वीर भी खींचने का दावा कर रहा है। जो तस्वीर हम यहां दिखा रहे हैं वो उसी ग्रामीण की खींची बताई जा रही है। यह तस्वीर फेसबुक पर भी बड़ी तेज़ी से फ़ैल रही है। इस शेषनाग के दस फन हैं।
अब ग्रामीण टोली बनाकर इस नाग को देखने के लिए इलाके की खाक छान रहे हैं। इस अदभुत शेषनाग की चर्चा यहां हर किसी की जुबान पर है। इस इलाके में इससे पहले भी कई दुर्लभ सांप लगातार देखे गए हैं।
मालूम हो कि एक से अधिक फन वाले नागराज का अस्तित्व दुर्लभ माना जाता है। मंगलोर में पिछले दिनों एक मकान में अचानक प्रकट हुए पांच फन वाले नागराज ने यह सिद्ध कर दिया था कि पारलौकिक सहस्रफनीय शेषनाग के पंचफनीय वंशज का अस्तित्व अभी भी पृथ्वी पर है। चांडिल में 10 फन वाले नागराज के दर्शन के बाद तो कोई संदेह ही नहीं रहा।
सलामत रहे जोड़ी तुम्हारी ..शादी की सालगिरह मुबारक हो जनाब
दोस्तों कहते है के १४ फरवरी प्रेम दिवस ..प्यार के इज़हार का दिन ..मोहब्बत का दिन होता है कुछ लोग इस दिन को वेलेंटाइन डे के नाम से भी जानते है लेकिन इसी दिन हमारे टोंक के साले साहब साहिबजादे कमर खान का साहिबजादी वफरा खान के साथ अटूट बंधन बंधा था ..और अल्लाह के फ्ज्लों करम से यह बंधन अटूट ही बना रहेगा इंशा अल्लाह यह जोड़ी सलामत रहेगी ऐसी सभी की दुआएं है ..अपनी नेक हिदायतों से हमारी सलेज ने अपने शोहर को माशा अल्लाह ऐसी मुट्ठी में लिया है के हमारे साले साहब बीवी बोल तेरी मुट्ठी में तेरा गुलाम का नारा दे रहे हैं ..रिश्तेदारों को ही नहीं पुरे टोंक को ताज्जुब है के खतरनाक गुस्से का रोल करने वाले इस हीरों का गुस्सा कहाँ गया यह खुद पत्थर से हिरा केसे बन गया लेकिन सभी जानते है के पर्दे के पीछे कोई हजारा दुआ है ..लेकिन सच तो यह है के नेक अमली और प्यार से सब कुछ बदला जा सकता है और यह जादू हमारी सलेज ने कर दिखाया है आज इनकी शादी की सालगिरह है अल्लाह इनकी हर दिली ख्वाहिश पूरी करे ..इनके हर ख्वाव पुरे हों .इनके प्यार का बंधन और अटूट बना रहे ..यह ऐसे ही सभी की आँखों के तारे राज दुलारे बने रहे और जिंदगी की हर खुशिया ..आखिरत के हर सवाब इन्हें मिले बस खुदा से यही दुआ है जनाब के यह ता उम्र यूँ ही सह्त्याब होकर ..लम्बी उम्र लेकर खिलखिलाते रहे मुस्कुराते रहे आमीन सुम्मा आमीन ......अख्तर कहाँ अकेला कोटा राजस्थान
कोटा में शहर काजी अनवार अहमद और मोलाना फजले हक को एक ही गाडी में देख कर लोग हेरान थे
महाशिवरात्रि: जानिए, क्या है शिव के अर्द्ध नारीश्वर स्वरूप का रहस्य
भगवान शंकर ने जगत कल्याण के लिए कई अवतार लिए। उन्हीं में से एक अवतार है अर्द्ध नारीश्वर का। इस अवतार में भगवान शंकर का आधा शरीर स्त्री का तथा आधा पुरुष का है। भगवान के इस रूप के पीछे वैज्ञानिक कारण भी निहित है।
जीव विज्ञान के अनुसार मनुष्य में 46 गुणसूत्र पाए जाते हैं। गर्भाधान के समय पुरुष के आधे क्रोमोजोम्स(23) तथा स्त्री के आधे क्रोमोजोम्स(23) मिलकर संतान की उत्पत्ति करते हैं। इन 23-23 क्रोमोजोम्स के मिलन से ही संतान उत्पन्न होती है। अर्थात मनुष्य के शरीर में आधा हिस्सा पुरुष(पिता) तथा आधा स्त्री(माता) का होता है।
हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य स्त्री के बिना पूर्ण नहीं माना जाता क्योंकि वह उसका आधा अंग है। अकेला पुरुष अधूरा है, स्त्री यानी पत्नी के बिना वह संपूर्ण नहीं हो सकता। इसी कारण स्त्री को अर्द्धांगी कहा जाता है। यही शिव के अर्द्ध नारीश्वर स्वरूप का मूल सार है।
1993 के बाद अब आएगा भादौ का अधिकमास, 5 महीने तक सोएंगे भगवान
हिंदू पंचांग में अधिकमास हर 3 साल में एक बार आता है लेकिन इस बार 19 साल बाद भादौ का अधिकमास आ रहा है। भादौ भगवान विष्णु का मास होने से इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाएगी। अधिकमास लगने से चातुर्मास की अवधि 1 माह ज्यादा होगी। इस कारण इस बार 5 माह तक देव शयन करेंगे।
देवताओं का शयन काल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकदाशी तक 4 महीने का होता है। लेकिन इस बार 18 अगस्त से 16 सितंबर तक अधिकमास होने से चातुर्मास 5 माह का होगा। भादौ का अधिकमास होने से इस बार दो भादौ होंगे। ज्योतिषियों के अनुसार 1993 के बाद अब भादौ में अधिकमास के योग बने हैं। इसके बाद 2031 में भादौ में अधिकमास आएगा।
शादियों में होगी देरी
अधिकमास होने से पर्व, त्योहारों की तिथियां आगे बढ़ेंगी। शादी-ब्याह, मांगलिक कार्य देर से शुरु होंगे क्योंकि 24 नवंबर को देव उठने के बाद ही शुभ कार्य प्रारंभ होंगे।
ऐसे लगता है अधिकमास
ज्योतिष के अनुसार एक चंद्र वर्ष 354 दिन का व सूर्य वर्ष 365 दिन का होता है। इन दोनों वर्षों में हर वर्ष 11 दिन का अंतर होने से हर 3 वर्ष में एक मास (33 दिन) ज्यादा होने पर अधिकमास आता है।
अजब-गजब : यहां देवताओं के बीच भी होता है चुनावी प्रचार!
बनारस के बड़े कर्मकांडी पंडितों में से एक पंडित रविशंकर शर्मा ने बीबीसी को बताया कि चुनावों के समय नेता कई किस्म की पूजाएँ कराते हैं.
इस तरह की मनोकामना पूरा करने के लिए वे राज राजेश्वरी की पूजा करते हैं, महामृत्युंजय का जाप करते हैं, बगुलामुखी देवी का यज्ञ करते हैं, रुद्राभिषेक कराते हैं.
उन्होंन ने यह भी स्वीकार किया कि वो ऐसे ही दो राजनेताओं के लिए एक विशेष पूजा बुधवार से कर रहे हैं जो मतदान के दो दिन बाद तक चलेगी. उन्होंने उन नेताओं के नाम बताने से इनकार कर दिया.
मतलबी नेता
बनारस के बहुत पुराने मंदिरों में से एक महामृत्युंजय महादेव मंदिर के महंत कनक दत्त दीक्षित ने बताया कि पिछले चुनावों के दौरान इलाहाबाद से बहुजन समाज पार्टी के नेता नंद गोपाल नंदी चुनावों के पहले उनके पास आ कर बड़ी पूजा करवा कर गए.
दीक्षित बोले, "चुनावों के पहले बाबा पूजा कराओ पूजा कराओ कह कह कर जान ख़ा ली लेकिन चुनाव जीतने और मंत्री बनने के बाद पलट कर देखा भी नहीं कि बाबा ज़िंदा हैं या मर गए."
दीक्षित ही की तरह शर्मा ने भी स्वीकार किया कि नेता लोग काम निकाल जाने पर याद नहीं करते. दीक्षित ठंडी सांस लेकर कहते हैं, "भाई डॉक्टर को तभी याद करते हैं जब बीमार पड़ते हैं वरना कौन याद करता है."
आपने आप को श्री रमण जी कहने वाले एक ज्योतिषी ने बताया कि पंडितों के अलावा नेता तांत्रिकों के पास भी जा रहे हैं.
हालाँकि सबने एक मत से स्वीकार किया कि नेता स्वार्थी होते हैं लेकिन सब एक स्वर में यह भी कहते हैं कि उनकी पूजाएँ बहुत ही शक्तिशाली होती हैं और उनसे लोगों के स्वार्थ सिद्ध होते हैं.
आप कोई और प्रश्न पूछें, उसके पहले महंत दीक्षित कहते हैं कि ब्राह्मण इस तरह की पूजाएँ दूसरों के लिए कर सकता है, उसी से संतुष्ट होना पड़ता है.
स्वर्ग' की यह खासियत आपका दिल मोह लेगी!
जम्मू-कश्मीर के पर्यटन की जानकारी और राज्य के बारे में नालेज पैकेज का हम सीरिज चला रहे हैं। इसके तहत आज हम आपको वहां के कई मंदिरों और मस्जिदों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
हजरतबल मस्जिद जम्मू- कश्मीर के श्रीनगर में स्थित प्रसिद्ध डल झील के किनारे है। इसको पैगम्बर मोहम्मद मोई-ए-मुक्कादस के सम्मान में बनाया गया था। इस मस्जिद को कई अन्य नामों जैसे हजरतबल, अस्सार-ए-शरीफ, मादिनात-ऊस-सेनी, दरगाह शरीफ और दरगाह आदि के नाम से भी जाना जाता है। इस मस्जिद के समीप ही एक खूबसूरत बगीचा और इश्रातत महल है। जिसका निर्माण 1623 ई. में सादिक खान ने करवाया था।
शंकराचार्य मंदिर - यह मंदिर शंकराचार्य पर्वत पर स्थित है। शंकराचार्य मंदिर समुद्र तल से 1100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसे तख्त-ए-सुलेमन के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कश्मीर स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण राजा गोपादात्य ने 371 ई. पूर्व करवाया था। डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर तक पंहुचने के लिए सीढ़िया बनवाई थी। इसके अलावा मंदिर की वास्तुकला भी काफी खूबसूरत है।
जामा मस्जिद- जामा मस्जिद कश्मीर की सबसे पुरानी और बड़ी मस्जिदों में से है। मस्जिद की वास्तुकला काफी अदभूत है। माना जाता है कि जामा मस्जिद की नींव सुल्लान सिकंदर ने 1398 ई. में रखी थी। इस मस्जिद की लंबाई 384 फीट और चौड़ाई 38 फीट है। इस मस्जिद में तीस हजार लोग एक-साथ नमाज अदा कर सकते हैं।
खीर भवानी मंदिर - जिले के तुल्लामुला में स्थित खीर भवानी मंदिर यहां के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर माता रंगने देवी को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष जेष्ठ अष्टमी (मई-जून) के अवसर पर मंदिर में वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर काफी संख्या में लोग देवी के दर्शन के लिए विशेष रूप से आते हैं।
चट्टी पदशाही- चेत्ती पदशाही कश्मीर के प्रमुख सिख गुरूद्वारों में से एक है। सिखों के छठें गुरू कश्मीर घूमने के लिए आए थे, उस समय वह यहां कुछ समय के लिए ठहरें थे। यह गुरूद्वारा हरी पर्वत किले से बस कुछ ही दूरी पर स्थित है।
पाताल में बसा एक ऐसा गांव, जहां कभी नहीं होती है सुबह
नाम से ही स्पष्ट है कि यह पाताल में बसा हुआ है। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से 78 किमी. दूर स्थित यह स्थान 12 गांवों का समूह है। प्रकृति की गोद में बसा यह पाताललोक सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच 3000 फुट ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं से तीन ओर से घिरा हुआ है। इस अतुलनीय स्थान पर दो-तीन गांव तो ऐसे हैं जहां आज भी जाना नामुमकिन है। ऐसा माना जाता है कि इन गांवों में कभी सवेरा नहीं होता।
पैराणिक कथाओं के अनुसार यह वही स्थान है, जहां से मेघनाथ, भगवान शिव की आराधना कर पाताल लोक में गया था। यही नहीं, यहां के स्थानीय लोग आज भी शहर की चकाचौंध से दूर हैं। उन्हें तो पूरी तरह से यह भी नहीं मालूम की शहर जैसी कोई भी चीज भी है। पातालकोट में ऐसी बेहतरीन जड़ी-बूटियां हैं, जिससे कई जानलेवा बीमारियों का आसानी से इलाज होता है। यहां के स्थानीय लोग इन्हीं जड़ी-बूटियों का प्रयोग करते हैं।
क्या आप जानते है श्री कृष्ण ने कलयुग में किस नाम से अवतार लिया!
नासिक. भारत पूरी दुनिया में अपनी सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक आस्थाओं के लिए जाना जाता है. जिस तरह काशी और प्रयाग देश और दुनिया में रहने वाले हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए परम श्रद्धा के केंद्र हैं उसी तरह आधुनिक भारत में शिर्डी सभी धर्मावलम्बियों के लिए अपार श्रद्धा और कौतुहल का केंद्र बन चुका है.
दरअसल, यही वह जगह है जिसके बारे में मान्यता है कि यहीं पर श्रीकृष्ण ने कलयुग में अवतार लिया और साईं बाबा के नाम से प्रसिद्धी पाई. हालांकि एक दूसरी मान्यता के मुताबिक साईं, दत्तात्रेय का अवतार माने जाते हैं.
संभवतः यही एक ऐसे संत, महापुरुष और अवतार हैं जिनकी उपासना भारत में रहने वाले सभी सम्प्रदाय करते हैं. यहां तक की मुस्लिम सम्प्रदाय में भी साईं बाबा को पीर या फ़कीर कह कर उनका सम्मान किया जाता है.
श्री साईं का जन्म कहां हुआ और उनका वास्तविक नाम क्या था इसकी कोई प्रमाणिक जानकरी उपलब्ध नहीं है. माना जाता है कि जब वह शिर्डी पधारे तभी उन्हें साईं की उपाधि मिली.
मान्यता ये भी है कि साईं एक पर्शियन शब्द है जिसका अर्थ 'पीर' या 'फ़कीर' होता है, जबकि संस्कृत में इसी शब्द का अर्थ है 'साक्षात ईश्वर'. 'सबका मालिक एक है' यह एक ऐसा वाक्य है जो साईं बाबा का पर्याय माना जाता है.
दरअसल बाबा के उपदेशों में सभी धर्मों का सार था और संभवतः इसीलिए उन्होंने किसी एक धर्म को मानने की जगह मानव सेवा और उत्थान को ही सबसे बड़ा धर्म माना. कहते है साईं बाबा ने अपना जीवन एक मस्जिद में बिताया और उसी स्थान को आज 'द्वारकामाई' के नाम से संबोधित किय जाता है.
मुंह के छालों से छुटकारा चाहिए तो अपनाएं ये 6 उपाय...
आज असंतुलित खान-पान की वजह से मुंह में छाले होना, पेट का खराब होना आम समस्या हो गई है। कई तरह की दवाइयां इस्तेमाल करने के बाद भी लोगों के मुंह के छाले ठीक नहीं हो पाते हैं। ऐसे में घबराइए नहीं जो छाले किसी भी दवा से ठीक नहीं हो रहे हैं नीचे दिए जा रहे नुस्खों से निश्चित ही ठीक हो जाएंगे।
1. छोटी हरड़ को बारीक पीसकर छालों पर दिन में दो तीन बार लगाने से मुंह तथा जिव्हा दोनों के छाले ठीक हो जाते हैं।
2. छाले होने पर तुलसी की चार पांच पत्तियां रोजना सुबह और शाम को चबाकर ऊपर से थोड़ा पानी पी लें (ऐसा चार पांच दिनों तक करें)।
3. करीब दो ग्राम सुहागे का पावडर बनाकर थोड़ी सी ग्लिसरीन में मिलाकर छालों पर दिन में दो तीन बार लगाएं छालों में जल्दी फायदा होगा।
4. छाले होने पर प्रतिदिन रात को सोने से पहले शहद और हरड़ का चूर्ण मिलाएं और इसे खा लें।
5. छाले होने पर थोड़ी-थोड़ी देर में चमेली के पत्ते चबाएं और मुंह में बनने वाली लार थूक दें।
विशेष- जिन लोगों को बार-बार छाले होने की शिकायत रहती उन्हें टमाटर ज्यादा खाने चाहिए।
सीबीआई को झटका, नहर से मिली हड्डियां भंवरी की नहीं
जोधपुर। भंवरी देवी अपहरण और हत्या मामले में आज सीबीआई को एक बड़ा झटका लगा है। जोधपुर के जाड़ोल के पास नहर में मिली हडि्डयां भंवरी की नहीं बल्कि जानवरों की है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)के फोरेंसिक विशेषज्ञों ने सीबीआई की ओर से सौंपे गए सबूतों की जांच में पाया है कि अधिकांश हडि्डयां पालतू जानवरों की हैं। हालांकि हडि्डयों में दो टुकड़े इंसानी भी हैं, लेकिन वे इतने अधिक जले हुए हैं कि उनकी डीएनए जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा सकती।
ऎसे में डाक्टरों की टीम ने जांच को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है। साथ ही सारे अवशेष जांच एजेंसी को लौटा दिए। सीबीआई ने जोधपुर के पास नहर से भंवरी की घड़ी, लाकेट और बिछिया बरामद करने का दावा किया था। यहां तक कि भंवरी के बेटे ने यह पहचान भी कर ली थी कि ये सामान उसी की मां का है। सीबीआई ने यहीं से भंवरी देवी के शव के अवशेष भी जुटाए थे।
जांच में हड्डियों के जानवरों के होने की बात सामने आने से सीबीआई को बड़ा झटका लगा है, अब तक इन हड्डियों को बड़े सबूत के रूप में माना जा रहा था।