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21 फ़रवरी 2012

दिल तोड़ें..मगर धीरे-धीरे प्यार से दिव्यज्योति नंदन




दिल के रिश्तों में बढ़ती घुटन रिश्ता तोड़ने का कारण बन जाती है। जिंदगीभर कड़वाहट और दूरियों के साथ जीने से बेहतर भी यही है कि स्वस्थ मानसिकता के साथ सबंध खत्म कर लिए जाएं, लेकिन चोट पहुंचाकर नहीं। रिश्तों को तोड़ते समय भी विनम्रता और सहृदयता जैसे भाव बनाए रखना जरूरी है। ताकि कभी जिंदगी आपको दुबारा आमने-सामने होने का मौका दे तो होंठो पर मुस्कुराहट रहे, आंखों में दर्द नहीं।

प्रेमी-प्रेमिका बदलने के इस दौर में भी शालीनता और अच्छे व्यवहार का अपना महत्व बना हुआ है। इसलिए अगर आपका संबंध किसी निश्चित दिशा में नहीं जा रहा है और आप उसे जबरन घसीटने का प्रयास कर रहे हैं, तो बेहतर है कि उस पर आपसी सहमति से विराम लगा दें। दूसरे शब्दों में अगर दिल तोड़ना ही है तो एक सभ्य व्यक्ति के रूप में तोड़ें जिसमें शालीनता भी हो और संवेदनशीलता भी। अगर ब्रेकअप को ध्यानपूर्वक शालीनता के साथ अंजाम दिया जाए तो नुकसान को कम से कम किया जा सकता है।

ब्रेकअप को विज्ञापन न बनाएं
सुसंस्कृत होने का आज भी यही पैमाना है कि अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को अपने तक रहने दें और किसी तीसरे को बीच में न लाएं। गलती चाहे आपकी हो या आपके प्रेमी/प्रेमिका की, उसकी व्याख्या और दूसरे पर आरोप सबके सामने न लगाएं।

सही समय व जग
जब आप ब्रेकअप करने का फैसला कर लें तो केवल अपनी सुविधा के बारे में न सोचें। ऐसे समय और जगह का चयन करें जिसमें दूसरे व्यक्ति की भावनाओं का भी ख्याल रखा गया हो। छुट्टियां और खुशी के अवसर ऐसे नहीं हैं जिन पर बुरी खबर सुनाई जाए। सार्वजनिक स्थल पर कभी ब्रेकअप न करें। जब भावनाएं उफान पर होती हैं तो कोई ऐसा दृश्य बन सकता है जिस पर बाद में अफसोस हो।

साथी को संकेत अवश्य दे
अपने अपराध बोध को कम करने के लिए आप व्याख्या देने से बचें और उससे फासला बना लें। लेकिन संबंध पर विराम लगाना वैकल्पिक नहीं होता, अगर आप काम को सही ढंग से करना चाहते हैं। इसलिए कभी भी फोन, एसएमएस या सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए ब्रेकअप न करें। सबसे अच्छा तरीका आमने-सामने बैठकर बात करना है। संबंध विच्छेद करने के ठोस कारण दें ताकि लड़की या लड़के को ठुकराए जाने का अहसास न हो और वह अलग होने के तर्कपूर्ण कारणों को अच्छी तरह समझ जाए।

उसे पर्याप्त स्पेस दे
अगर आपने ब्रेकअप की बातचीत कर ली है और संबंध में विराम लगा दिया है तब अपने साथी को पर्याप्त स्पेस दें। कुछ समय उन स्थानों पर न जाएं जहां उनसे मुलाकात हो सकती है। अगर आपके जीवन में कोई नया व्यक्ति आ गया है तो उस डेट को उन हैंगआउट्स, रेस्तरां या कॉफी शॉप पर न लेकर जाएं जहां आप अपने एक्स के साथ जाते थे। कोई भी अपने ब्रेकअप को याद नहीं करना चाहता खासकर जब उनसे तकलीफ होती हो। स्पेस आप दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण हैं।


ब्रेकअप करने के बाद लाइफ को नए सिरे से शुरू करने का प्रयास करें। बाते करने के लिए भी अपने एक्स को कॉल न करें। ऐसा करने से दोनों को ही कठिनाई होगी। याद रखिए जब ब्रेकअप ताजा हों ‍तब दोस्ती का कोई अर्थ नहीं होता। ब्रेकअप को संवेदना के साथ निभाने से आपकी परिपक्वता जाहिर होती है। ब्रेकअप का यह अर्थ नहीं है कि दूसरा व्यक्ति खराब है बस आप दोनों एक-दूसरे के लिए नहीं हैं।

इसमें शक नहीं है कि ब्रेकअप दोनों ह‍ी पार्टनरों के लिए कठिन है लेकिन आप जितना अधिक उसे लटकाए रखेंगे और उसके बारे में इधर-उधर चर्चा करते फिरेंगे उतना ही संबंध पर बिना कड़वाहट विराम लगाना कठिन हो जाएगा। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप संबंध पर विराम लगाने में जल्दबाजी करें और अपने रिलेशन को विकसित होने का समय ही न दें, लेकिन अगर आपने अलग होने का मन बना ही लिया है तब रिलेशन जारी न रखें।

लव-मंत्र : धीरे-धीरे पकता है प्यार - मानसी




क्या आपने कभी यह उम्मीद या कल्पना की है कि बच्चा पैदा होते ही उछलता-कूदता खड़ा हो जाए। अपना काम खुद करने लगे। आपके साथ गुफ्तगू करने लगे। उसे आग से जल जाने की समझ हो और गहरे पानी में छलांग लगाने का क्या अंजाम होगा यह भी खबर हो। कड़वी सच्चाई को बयां करने की एवज में क्या जोखिम उठाना पड़ सकता है, इसका भी अनुमान हो।

आप कहेंगे ऐसी कोरी कल्पना, केवल भूत-पिशाच की कहानियों में रोमांचित करने के लिए की जा सकती है पर शिशु तो अपनी उम्र के अनुसार ही बड़ा होता है। आत्मनिर्भर बनने तक उसे मनुष्य की सहायता की जरूरत होती है। उसे जीवित रहने के लिए एक अच्छा पालक चाहिए ही होता है। सबसे बड़ी और अहम बात उसे चलने-फिरने, खाने-पीने और खतरों से बचना सीखने के लिए एक विशेष उम्र की दरकार होती है।

शायद आपने कभी विचार किया है कि रिश्तों को भी समझदार बनने के लिए एक उम्र की जरूरत होती है। लड़खड़ाता व गिरता रिश्ता एक उम्र पाकर ही संभलकर मजबूती से खड़ा होता है। किसी को पसंद करना, दोस्त बनाना और दोस्ती को प्यार में बदलने के लिए भी समय की जरूरत पड़ती है। प्यार होते ही कोई यह समझ बैठे कि वे दोनों अब एक-दूसरे का हर तेवर व मिजाज समझते हैं, यह नादानी होगी। जो यह नादानी करेगा वह समय-समय पर दुख व अवसाद के भंवर में डूबने को मजबूर होगा।


ऐसे ही अवसाद से डूबने व उबरने को अभिशप्त है रागिनी (बदला हुआ नाम)। रागिनी पिछले चार वर्षों से युगल (बदला हुआ नाम) को प्यार करती है पर आज भी युगल के बारे में ठीक या पक्के तौर पर उसके मन का कोई अनुमान नहीं लगा पाती है। उससे एक जैसे व्यवहार की अपेक्षा नहीं कर पाती है।

उसे महसूस होता है उसके प्रेम पर भी युगल को शायद पूरा भरोसा नहीं है और वह खुद भी उस पर बिल्कुल अपनों की तरह भरोसा नहीं कर सकती है। वह इस रिश्ते में भावनाओं के उतार-चढ़ाव से थक चुकी है। वह तटस्थ व दूरी बनाए रखना चाहती है पर अपनी भावुक प्रवृत्ति के कारण उससे संभव नहीं हो पाता है।

रागिनी जी, यूं तो दो लोग एक ही रिश्ते को बनाते और जीते हैं पर दोनों की जरूरतों, गंभीरता, समझ व शिद्दत में काफी फर्क हो सकता है। रिश्ते की एक उम्र होकर भी दोनों की परिपक्वता की उम्र भिन्न हो सकती है। अपनी आवश्यकता के अनुसार आप एक-दूसरे से अपेक्षा करते हैं इसलिए एक ही व्यवहार बार-बार दोहराए जाने पर भी आप उसे सीखना नहीं चाहते हैं। जिसके रिश्ते का आधार भावना होती है उसके लिए व्यावहारिक बनना या दूरी बनाए रखना मुश्किल होता है। जो साथी आकर्षण व समय बिताने को बुनियाद बनाता है उसके लिए मनचाहा व्यवहार करना आसान होता है।

समझदारी का यही तकाजा है कि समय बीतने के साथ-साथ हर मनुष्य को यह सीख जाना चाहिए कि बहुत सारी कही जाने वाली बातों का कोई अर्थ नहीं होता है। हर बात को दिल से लगाएंगे और उसे जीवन में रूपांतरित होता देखना चाहेंगे तो निराशा ही हाथ लगेगी क्योंकि एक तो बहुत कुछ संभव नहीं होता, दूसरा सामने वाला कितना गंभीर है वह भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है।

ND
कई बार आप अपने मन पर इतना भरोसा करते हैं कि उसे सही साबित करने के लिए दूसरे पर भरोसा करते जाते हैं। आपको लगता है कि आपका मासूम व सच्चा मन कैसे गलत हो सकता है। जैसे एक बच्चा जान-पहचान वालों बड़े की चिकनी-चुपड़ी बातों पर भरोसा किए बिना नहीं रह पाता है चाहे उसके साथ कुछ भी अनहोनी घटने वाली हो, ठीक उसी प्रकार कुछ लोग अपने रिश्ते में कभी बड़े नहीं हो पाते हैं। वह अपने साथी पर भरोसा करते हैं, उसे दिल व जान से अपना मानते हैं और सामने वाले से समय-समय पर उदासीनता व अलगाव के कारण आहत होते हैं।

कोशिश करनी चाहिए कि रिश्ते की उम्र के अनुसार परिपक्वता लाएं ताकि रिश्ता निभाने के साथ-साथ उसका मजा लेना भी सीख पाएं। रिश्ते की उम्र में जितनी ज्यादा परिपक्वता आएगी, उतनी जल्दी लड़ाई, झगड़े, मन-मुटाव, गलतफहमियों से आप ऊपर उठ पाएंगे। कोशिश होनी चाहिए कि रिश्ते में दोनों साथी एक साथ बड़े हों ताकि शिकवे-शिकायत की अधिक गुंजाइश न हो

शिव चालीसा




शिव पुराण के अनुसार शिव-शक्ति का संयोग ही परमात्मा है। शिव की जो पराशक्ति है उससे चित्‌ शक्ति प्रकट होती है। चित्‌ शक्ति से आनंद शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, आनंद शक्ति से इच्छाशक्ति का उद्भव हुआ है। ऐसे आनंद की अनुभूति दिलाने वाले भगवान भोलेनाथ का शिवरात्रि में शिव चालीसा पढ़ने का अलग ही महत्व है। शिव चालीसा के माध्यम से अपने सारे दुखों को भूला कर शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

।।दोहा।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥


जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

भगवान शिव सृष्टि के सुप्रीम पावर शिव कृपा से चल रहा संसार





इस सृष्टि का संचालन भगवान शंकर की कृपा से ही हो रहा है, जिन्हें वे अपनी जटाओं के माध्यम से करते हैं। कोई व्यक्ति यदि यह मानकर चल रहा है कि आज जो कुछ भी वह कर रहा है वो उसके पुरुषार्थ के कारण हो रहा है तो यह उसका भ्रम या अहंकार है, क्योंकि सृष्टि के संचालन पालन और सहांर का कार्य तो स्वयं शिव कर रहे हैं।

बिना शिव की कृपा के न तो यह संसार चल रहा है और न ही कोई व्यक्ति कुछ करने में समर्थ है। परमात्मा शिव की शक्ति ही है जो प्रत्येक व्यक्ति को कुछ करने का सामर्थ्य प्रदान करती है। इसीलिए सभी को शिव की आराधना में जुटे रहना चाहिए। शिव को भूल यदि कोई यह सोचता है कि वह अपने पुरुषार्थ से कुछ कर रहा है तो यह उसका अहंकार है, जो उसके विकृति और विनाश का कारण बनता है।

जिस तरह आपके घर में विद्युत प्रवाह खंबे से खिंचकर आए तार से हो रहा है और खंबे में प्रवाह पावर हाऊस से आ रहा है। आपके घर में विद्युत से संचालित तरह-तरह के उपकरण भी रखे हुए हैं किंतु यदि विद्युत का प्रवाह फिर चाहे वह खंबे से आपके घर में हो या पावर हाऊस से खंबे तक बंद हो तो आपके घर में रखे वे सारे यंत्र उपकरण निरूपयोगी हो जाएंगे।

आपका घर विद्युत प्रवाह के चलते उपयोगी तो हो सकता है किंतु यह पावर हाऊस नहीं बन सकता। पावर हाऊस तो कहीं और ही रहता है। इसी तरह भगवार शंकर इस सृष्टि के पावर हाऊस है।


व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने को शिव स्वरूप उस पावर (शक्ति) से जोड़कर रखे। योगी और ज्ञानी सतपात्र होते हैं, इसी तरह जो ब्राह्मण मां गायत्री की पुर्नश्चरण करते हैं, उन्हें भी सतपात्र माना गया है। भगवान सदाशिव संपूर्ण सृष्टि के प्रचलन के लिए हैं। उनसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर की उत्पत्ति होती है। उन्हीं भगवान सदाशिव की आज्ञा को शिरोधार्य करके ये त्रिदेव सृष्टि का निर्माण पालन और संहार करते हैं।

भगवान सदाशिव ने ही सप्ताह के सात दिनों का निर्माण किया है और प्रत्येक दिवस का एक अधिपति भी नियुक्त किया है। इसमें सूर्य को रविवार का अधिदेव बनाया गया है, जो आरोग्य को प्रदान करते हैं। उसी तरह सोमवार को शिव की माया का अधिपति बनाया गया है, जो लोगों को सम्पत्ति प्रदान करती हैं। इसी तरह अन्य दिनों के अधिपतियों और उनकी विशेषताओं का निर्माण भी भगवान शिव ने ही किया है।

जांच से चलेगा पता, कब तक जिएंगे आप!




अगर आप जानना चाहते हैं कि आप कब तक जिएंगे और आपकी उम्र बढ़ने की रफ्तार क्या होगी यानी आप कब तक बूढ़े होंगे, तो आपकी यह तमन्ना जल्द ही पूरी होने वाली है। एक सामान्य-सा ब्लड टेस्ट आपके ऐसे सभी सवालों का जवाब दे देगा।

इस ब्लड टेस्ट में टेलोमिअर्स की पड़ताल के आधार पर यह नतीजा निकाला जाता है कि व्यक्ति की बायलॉजिकल एज क्या होगी। यह टेस्ट भारत में इसी साल मुहैया होने लगेंगे। टेलोमिअर्स वे प्रोटेक्टिव कैप्स हैं जो क्रोमोसोम्स के अंत में पाई जाती हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि इनकी लंबाई के आधार पर व्यक्ति की जैविक उम्र का पता लगाया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने पाया कि व्यक्ति के छोटे टेलोमिअर्स की जांच परख से यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसके शरीर में क्या-क्या बदलाव हो सकते हैं, जैसे कैंसर, कार्डियो बीमारियों के बारे में इससे पता लगाया जा सकता है।

यहां दीगर बात यह है कि लोगों की जीवनशैली संबंधी आदतें जैसे मोटापा और व्यायाम से टेलोमिअर्स की लंबाई पर असर पड़ रहा है। टेलोमिअर्स के क्रोमोसोम्स को प्रोटेक्ट करने वाली खोज को 2009 में नोबेल प्राइज मिला था।

इस ब्लड टेस्ट को अंजाम देने वाली टीम के महत्वपूर्ण सदस्य यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की सेल बायोलॉजी के प्रो. डॉ. जेरी शेय का कहना है कि भारत में भी अब लोग हेल्दी लिविंग को लेकर सजग हैं। लोग जानना चाहते हैं कि उनकी कोशिकाएं (सेल्स) कितनी हेल्दी हैं और वह कितना जिएगा। इस ब्लड टेस्ट से टेलोमिअर्स की लंबाई का पता चलेगा।

दुनिया का सबसे साहसिक कारनामा करेगा यह शख्स





कनाडा में विश्व प्रसिद्ध नियाग्रा के धुँआधार जलप्रपात को देखने तो पर्यटकों का हुजूम हमेशा ही लगा रहता है। मगर इस बार यह जलप्रपात अलग ही सुर्खियाँ बटोरेगा। हर पल करोड़ों घन लीटर पानी उडेलने वाले दुनिया के सबसे बड़े झरने पर साहसिक एवं अभूतपूर्व कारनामा कर इतिहास में नाम दर्ज कराने का प्रयास करने वाले निक वालेंडा (33) ने छः वर्ष की उम्र से ही यह सपना देखा था।

इस कारनामे की तारीख फिलहाल तय नहीं की गई है। गवर्नर एंड्रयू कुओमो ने बताया कि निक दो इंच की मोटाई वाली रस्सी को क्रेन की मदद से जल प्रपात के एक ओर से दूसरी ओर बाँधेंगे। नियाग्रा का पानी लगभग 187 फुट की गहराई में गिरता है। ऐसे में अगर निक ने रस्सी पर से अपना संतुलन खोया तो वे सीधे 187 फुट नीचे जा गिरेंगे। इसमें उनकी जान भी जा सकती है।

निक इस 187 फुट गहरे जलप्रपात पर से 1800 फुट लंबी रस्सी पर चलकर एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचने का सपना साकार होने जा रहा है। इसके लिए कानून में संशोधन तक करना पड़ा है।

पहली बार इस तरह के किसी कारनामे के लिए अमेरिका और कनाडा को अपने कानूनों में संशोधन करना पड़ा है। निक को अमेरिका से तो उसे पहले ही इसकी अनुमति मिल गई थी लेकिन कनाडा सरकार ने बुधवार को यह अहम फैसला किया। देश के इतिहास में पहली बार किसी व्यक्ति को यह रोमांचकारी साहस करने की अनुमति दी गई है।

बहुत खुश हैं निक: यह अद्भुत करतब दिखाने की मंजूरी मिलने के बाद निक ने बेहद प्रसन्नाता जताते हुए कहा कि मेरे बचपन का यह एक ऐसा सपना है, जो अधिकांश लोगों की नजर में असंभव है। मैं भाग्यशाली हूँ कि दो देशों ने अपने कानूनों में बदलाव करके मुझे यह अवसर दिया है।

बताइए ऐसे धर्म गुरुओं का क्या करे कोई

दोस्तों मजहब के नाम पर झगड़े और ठगी की दास्ताने तो आम है लेकिन अगर मजहब के नाम पर ब्लेकमेलिंग और गुमराही के खेल शुरू हो जाएँ तो फिर तो मजहबी गुरुओं के पतन की पराकाष्ठा ही कही जायेगी ...जी हाँ दोस्तों पिछले दिनों आपने पढ़ा होगा के टी वी कार्यक्रम सुंवंवर की विना मालिक के खिलाफ एक दारुल उलूम ने फतवा जारी कर उसकी भ्तर्सना की थी ..लेकिन अन्दर की खबर यह है के अब वोह दारुल उलूम के मालिक अपनी बात पर कायम नहीं है सुनते है के टी वी कार्यक्रम बनाने वाले ने उनसे सम्पर्क किया और बस दारुल उलूम मालिक ने उन्हें काम बताया टी वी कार्यक्रम के मालिक ने उनकी बात कराई बस धर्म की बात खत्म फतवे में फेर फार हो गया तो जनाब आप ही बताइए ऐसे धर्म गुरुओं का क्या करे कोई ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

रामजी ने रामेश्चर ज्योर्तिलिंग क्यों स्थापित की?


ममता में फंसे हुए मनुष्य को ज्ञान की कथा सुनाने का, अत्यंत लोभी से वैराग्य का वर्णन, क्रोधी से शम शान्ति की बात और कामी को भगवान की कथा सुनाने का, कोई फल नहीं होता है। ऐसा कहकर रघुनाथजी धनुष चढ़ाया। यह बात लक्ष्मणजी के मन को बहुत अच्छा लगी अब आगे....


समुद्र ने भयभीत होकर रामजी के चरण पकड़ लिए और कहा- मेरे सब अवगुण क्षमा कीजिए। समुद्र की ऐसी बात सुनकर कृपालु श्रीरामजी ने मुस्कुराकर कहा- जिस तरह वानर सेना पार उतर जाए वह उपाय बताओ। समुद्र ने कहा नील और नल दो वानर भाई हैं। उन्होंने आशीर्वाद पाया था कि उनके स्पर्श कर लेने से भारी से भारी पहाड़ भी नदी पर तैर जाएगा। समुद्र की बात सुनकर रामजी बोले मंत्रियों को बुलाकर ऐसा कहा- अब विलंब किसलिए हो रहा है। जल्दी सेतु तैयार करो, जिसमें सेना उतरे।

तब जांबवान ने नल-नील दोनों भाइयों को बुलाकर उन्हें सारी कथा सुनाई। फिर सुग्रीव ने वानरों का समुह बुला लिया और बोले आप सब लोग मेरी विनती सुनिए सब भालू और वानर एक काम कीजिए। पर्वतों के समुह को उखाड़ लाइए। तब सभी वानर बहुत ऊंचे वृक्षों और पर्वतों को उठा लाते और लाकर नल नील को दे देते है।

रामजी बोले में यहां शिवजी की स्थापना करूंगा। श्रीरामजी की बात सुनकर सुग्रीव ने बहुत सारे दूत भेजे और मुनियों को बुलवाकर शिवलिंग की स्थापना क रके विधिपूर्वक उसका पूजन किया।रामजी बोले- जो शिवद्रोह करता है और मेरा भक्त कहलाता है, वह स्वप्र में भी मुझें नहीं पाता। शंकरजी से विमुख होकर जो मेरी भक्ति चाहता है, वह नरकगामी, मुर्ख और अल्पबुद्धि है। जो मनुष्य रामेश्चरजी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएंगे। जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ावेगा, वह मनुष्य मुक्ति पावेगा।

गुरु नानक की जिंदगी का यह सच नहीं होगा आपको पता!


पंजाब की भूमि वीर योद्धाओं के शौर्य गाथाओं और मानवता के लिए सर्वस्व त्याग देने वाले लोगों की कहानियों से भरी है। इसी प्रांत में सिख धर्म का उदय हुआ और यह देश- दुनिया तक फैला। इन कहानियों के स्वर्णभंडार से हम आपके लिए कुछ ऐसी कहानियां लेकर आए हैं जो सिख धर्म गुरुओं से संबंधित है। पेश है गुरु नानक के जीवन की कुछ बातें-
नानक एक असाधारण रूप से विकसित शक्तियों वाले बालक थे। बारह वर्ष की आयु में उनका विवाह बटाला के मूलचंद चोना की बेटी सुलखनी से हो गया। नानक की उम्र उन्नीस साल की थी, जब उनकी पत्नी उनके साथ रहने आ गई। कुछ समय के लिए तो वह उनका ध्यान अपनी तरफ करने में कामयाब हो गई और उसने दो पुत्रों को जन्म दिया, श्रीचंद को वर्ष 1494 में और लखमीदास को तीन साल बाद। उनकी शायद कोई बेटी या बेटियां भी हुईं, जो बचपन में ही मर गईं।
उसके बाद नानक का मन पुन: आध्यात्मिक समस्याओं की ओर मुड़ गया और फिर वे दर-दर भटकते साधुओं का साथ खोजने लगे। उनके पिता ने उन्हें अपने पशुओं की देखभाल करने में लगाने और उनके लिए व्यवसाय-धंधा खोलने की बड़ी कोशिश की, लेकिन कुछ भी काम न आया। उनकी बहन उन्हें अपने घर सुल्तानपुर ले आई और अपने पति के प्रभाव से उनकी नौकरी बतौर खजांची नवाब दौलत खान लोदी के यहां लगवा दी, जो कि दिल्ली के सुल्तान के कोई दूर के रिश्तेदार थे। यद्यपि नानक ने बेमन से ही यह नौकरी करना स्वीकार किया, लेकिन अपना फर्ज उन्होंने बाकायदा भली-भांति निभाया और अपने मालिकों का दिल जीत लिया।
सुल्तानपुर में एक मुस्लिम भांड मरदाना नानक के साथ हो लिया और दोनों मिलकर शहर में सबद गाने का आयोजन करने लगे। जन्मसाखी में सुल्तानपुर में बिताए उनके जीवन का ब्यौरा है, हर रात वे गुरुबानी गाते थे, जो भी आता, वे उसे भोजन कराते, सूर्योदय से सवा घंटे पहले उठ वे नदी में नहाने जाते और दिन निकलने तक दरबार में जाकर अपने काम में जुट जाते।
नदी पर सुबह-सुबह ऐसे ही एक स्नान के दौरान, नानक को अपना प्रथम रहस्यवादी अनुभव हुआ। जन्मसाखी में इसे ईश्वर के साथ आध्यात्मिक संवाद कहा गया है। ईश्वर ने उन्हें पीने के लिए अमृत का भरा प्याला दिया और धर्मोपदेश देने का जिम्मा सौंपते हुए कहा:
नानक, मैं तुम्हारे साथ हूं। तुम्हारे जरिए मेरा नाम बढ़ेगा। जो भी तुम्हारा अनुसरण करेगा, मैं उसकी रक्षा करूंगा। प्रार्थना करने के लिए दुनिया में जाओ और लोगों को प्रार्थना का ढंग सिखाओ। दुनिया के ढंग देखकर घबराना नहीं। अपने जीवन को नाम की स्तुति में, दान, स्नान, सेवा और सिमरन में समर्पित कर दो। नानक, मैं तुम्हें अपना वायदा देता हूं। इसे अपने जीवन का लक्ष्य बन जाने दो।
रहस्यमय वाणी ने फिर कहा:
नानक, जिसे तुम आशीष दोगे, वह मेरे द्वारा आशीषा जाएगा, जिस पर तुम अनुग्रह करोगे, वह मेरा अनुग्रह प्राप्त करेगा। मैं परमात्मा हूं, परम- सर्जक। तुम गुरु हो, परमात्मा के परम गुरु।
कहते हैं नानक को ईश्वर ने अपने हाथों से दिव्य सिरोपा दिया। नानक तीन दिन और तीन रातों तक गुम रहे और यह समझ लिया गया था कि वे नदी में डूब गए। वे चौथे दिन पुन: प्रकट हुए। जन्मसाखी में इस नाटकीय वापसी का वर्णन इस प्रकार है:
लोग बोले, मित्रों, ये नदी में खो गए थे, कहां से पुन: प्रकट हुए हैं? नानक घर लौटे और जो भी उनके पास था, सब लोगों में बांट दिया। उनके तन पर केवल उनकी लंगोटी बची थी, बाकी कुछ नहीं। उनके गिर्द भीड़ जुटनी शुरू हो गई। खान भी आया और पूछने लगा, नानक, तुमको हुआ क्या है? नानक मूक बने रहे। जवाब लोगों ने दिया, यह नदी में रहा है और इसका दिमाग खराब हो गया है। खान बोला, मित्रो, यह तो बड़ी परेशानी की बात है, और दुखी होकर वापस चला गया।
नानक फकीरों के साथ जा मिले। उनके साथ भाट मरदाना भी गया। एक दिन बीत गया। अगले दिन वे उठे और बोले, कोई हिंदू नहीं है, न ही कोई मुसलमान। इसके बाद तो जब भी बोलते, यही करते, कोई न हिंदू है, न ही कोई मुसलमान है।
यह घटना संभवत: सन् 1499 में घटी, जब नानक अपनी उम्र के तीसवें वर्ष में थे। यह उनके जीवन के प्रथम अध्याय को चिह्न्ति करता है-सच की खोज हो चुकी थी, वे दुनिया को इसकी घोषणा करने के लिए तैयार हो चुके थे।

तेरी, जुबान खींचकर सड़क पर डाल दूंगा, आइंदा एक शब्द बोला तो...!

जयपुर.खादी राज्यमंत्री बाबूलाल नागर पर भाजपा के एक कार्यकर्ता ने जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है। इसे लेकर कोर्ट में इस्तगासा पेश किया गया है। इसके साथ ही भाजपा कार्यकर्ता दिनेशचंद्र शर्मा ने धमकियों की एक ऑडियो सीडी भी पेश की है।

इसकी कॉपी मीडिया को भी उपलब्ध कराई गई है। उधर बाबूलाल नागर का कहना है कि उन्होंने धमकी नहीं दी। इस्तगासा राजनीति से प्रेरित है। दिनेश ने इस्तगासे में कहा है कि 15 फरवरी को पंचायत समिति दूदू में जन सुनवाई और समस्या समाधान का कार्यक्रम था।

नागर स्थानीय विधायक होने के बावजूद वहां नहीं आए थे। इस पर स्थानीय लोग नागर के आटा पिसाई और खरीद ठेकों में गड़बड़ी आदि खबरों की चर्चा कर रहे थे। दिनेशचंद्र भी वहां मौजूद था।

वहां चर्चाएं सुन रहे नागर के करीबी शिवजीराम खुरडिया ने नागर से इसकी शिकायत कर दी। इस्तगासे के मुताबिक 17 फरवरी को शिवजीराम खुरडिया का दिनेश के पास फोन आया। उसने खादी राज्यमंत्री नागर से बात कराई। फोन रिसीव करते ही नागर ने उन्हें गालियां व धमकियां देना शुरू कर दिया। थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने गया तो मंत्री का नाम देखकर पुलिस ने इनकार कर दिया।

मंत्री का व्यवहार गैर जिम्मेदाराना : पूनिया

भाजपा के प्रदेश महामंत्री सतीश पूनिया ने नागर के इस व्यवहार की निंदा की है। उन्होंने कहा कि एक मंत्री के रूप में किसी व्यक्ति से इस तरह अभद्र भाषा में बात करना नागर को शोभा नहीं देता। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेकर नागर पर कार्रवाई करनी चाहिए।

मैंने गालियां नहीं दीं, शरारत है : नागर

बाबूलाल नागर का कहना है कि मैंने किसी को न तो फोन पर गालियां दीं और न ही धमकाया। मेरे खिलाफ इस्तगासा राजनीतिक कारणों से पेश किया गया है। शिकायतकर्ता के खिलाफ दूदू में समुदाय विशेष के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल का मुकदमा दर्ज है। जिस दिनेश की बात हो रही है, उसने 15 फरवरी को जनसुनवाई के दौरान कांग्रेस के दिल्ली व राज्य के वरिष्ठ नेताओं के लिए असभ्य भाषा बोलने के साथ ही मुझे भी गालियां दी थीं। मैं मौके पर नहीं था, वहीं के कुछ लोगों ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

सीडी में आपत्तिजनक भाषा

.‘‘हैलो, बाबूलाल नागर बोल रहा हूं। तेरा क्या चुरा लिया रे मैंने? तेरी, जुबान खींचकर सड़क पर डाल दूंगा। आइंदा एक शब्द बोला तो जान निकाल दूंगा तेरी..?।

भगवान की भक्ति में 'दीवार' बन गई इंसान की चालाकी!


महासमुंद.घी में मिलावट को देखते हुए महामाया मंदिर समिति के सदस्यों ने चैत्र नवरात्र से घी के ज्योत नहीं जलाने का निर्णय लिया है, यहां केवल तेल के ज्योत ही जलेंगे, केवल मुख्य ज्योत ही शुद्ध घी का जलाया जाएगा। अभी हाल ही में महामाया मंदिर समिति की बैठक हुई, जिसमें सदस्यों ने मिलावटी घी का मुद्दा जोरशोर से उठाया।

इस पर सभी सदस्यों ने सहमति व्यक्त करते हुए यह निर्णय लिया है कि नवरात्र पर्व पर घी के ज्योत नहीं जलाए जाएंगे। सदस्यों ने बताया कि मिलावटी घी का तथ्य कई बार सामने आ चुका है और मिलावटखोरों पर सरकार द्वारा कार्रवाई की गई है। आस्था स्वरूप लोग मंदिरों में घी के ज्योत जलाते हैं, उन्हें ज्यादा तकलीफ तब पहुंचता है जब घी के मिलावटी होने के बात सामने आती है।

शुद्ध घी नहीं मिलता और ब्रांडेड कंपनियों के घी महंगे होने के कारण यह संभव नहीं हो पाता कि कम लागत में श्रद्धालुओं की भावनाओं का ख्याल रखा जा सके। इस कारण से यहां केवल मनोकामना के तेल के ज्योत प्रज्जवलित होंगे।

समिति के अध्यक्ष दुर्गा चंद्राकर ने बताया कि बैठक में सभी सदस्यों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है, महंगाई को देखते हुए तेल ज्योति के दाम भी बढ़ाए जा सकते हैं। यहां यह बताना लाजमी होगा कि श्रद्धालुओं की संख्या दिनो-दिन बढ़ती जा रही है, पहले यहां 500 के आस-पास मनोकामना के ज्योत जलाए जाते थ। धीरे-धीरे संख्या बढ़ते-बढ़ते दो हजार के आसपास पहुंच गई है। इसमें 500 के आसपास घी के ज्योत जलाने वालों की संख्या है, अधिकांश श्रद्धालु प्रतिवर्ष मनोकामना के ज्योत जलाते हैं।

नगर के मध्य विराजित मां महामाया को नगर की कुलदेवी के रूप में जाना जाता है, इसलिए इस मंदिर पर लोगों की अगाध श्रद्धा है। चैत्र व क्वांर नवरात्र में मनोकामना के अखंड ज्योति जलाए जाते हैं। चैत्र नवरात्र 23 मार्च से शुरू हो रहा है। इसे लेकर तैयारियां शुरू की जा रही है, श्री चंद्राकर ने बताया कि 1 मार्च को पुन: समिति की बैठक होगी, जिसमें अनेक निर्णय लिए जाएंगे। जब से घी में चर्बी मिलाने की बात सामने आई है तब से श्रद्धालुओं का बाजार में मिलने वाले घी से विश्वास उठ गया है और वे केवल ब्रांडेड कंपनियों पर ही भरोसा कर रहे हैं। कई दिवालियों में सस्ते दाम पर मिलने वाले घी से ज्योत जलाए जा रहे थे।

चंडी मंदिर बिरकोनी में नहीं जलते घी के ज्योत

डेढ़-दो साल पूर्व घी में चर्बी मिलाए जाने की घटना प्रकाश में आने के बाद चंडी मंदिर बिरकोनी समिति प्रबंधन ने निर्णय लेकर नवरात्रियों में मनोकामना के जलने वाले घी के अखंड ज्योति पर प्रतिबंध लगा दिया है।

यहां अब घी के ज्योत नहीं जलाए जाते, श्रद्धालुओं से केवल तेल ज्योत के लिए ही निवेदन किया जाता है, यहां बताना लाजमी होगा कि चंडी मंदिर बिरकोनी में करीब ढाई दशक पूर्व घी से ही ज्योत जलाना शुरू हुआ था और यहां केवल घी के ही ज्योत जलते थे, बाद में श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ने के साथ-साथ भावना के अनुरूप तेल के ज्योत शुरू किया गया।

अनेक मंदिर समिति द्वारा भी मिलावटी घी को देखते हुए घी के ज्योत नहीं जलाने पर विचार किया जा रहा है। कुछ समितियों का यह भी कहना है कि जिन श्रद्धालुओं को घी के ज्योत जलाना हो उन्हें स्वयं शुद्ध घी की व्यवस्था कर सकते हैं, इसके लिए घी के अलावा उन्हें प्रबंधन समिति के निर्धारित शुल्क देना होगा।

पांच लाख तक है आय तो खत्‍म हुआ रिटर्न भरने का झंझट




अलग से आयकर रिटर्न भरने की छूट तभी मिलेगी जब नियोक्ता द्वारा दिया गया कर कटौती वाला फॉर्म 16 होगा। हां, आयकर रिफंड लेना हो तो अलग से भी रिटर्न भरना पड़ेगा। इस अधिसूचना के जारी होने से पहले तक आयकर कानून 1961 के तहत सभी वेतनभोगियों को अलग से भी आयकर रिटर्न भरना पड़ता था। सूत्रों के अनुसार यह माना गया कि जिनकी आय वेतन के अलावा कहीं और से नहीं है उन्हें एक ही जानकारी दो अलग अलग रिटर्न में भरनी पड़ती थी।

नई दिल्ली. अब एक साल में पांच लाख रुपए तक की आय वालों को अलग से आयकर रिटर्न भरने की जरूरत नहीं होगी। मंगलवार को इस आशय की अधिसूचना वित्त मंत्रालय ने जारी कर दी। यह नियम कराधान वर्ष 2012-13 से लागू होगा। इससे उन 85 लाख से ज्यादा लोगों को लाभ होगा जिनकी आय केवल वेतन अथवा वेतन और बैंक में जमा राशि से प्रतिवर्ष 10 हजार या उससे कम ब्याज से होती है। तथा वह एक साल में कुल मिला कर पांच लाख रुपए से ज्यादा नहीं होती।

अभी आयकर स्लैब के अनुसार 1.80 से 5 लाख रुपए तक की आय पर 10 प्रतिशत, 5 से 8 लाख तक की आय पर 20 प्रतिशत तथा 8 लाख से अधिक आय वालों को 30 प्रतिशत आयकर जमा करवाना होता है।

भगवान्‌ का वरदान

बालकाण्ड
भगवान्‌ का वरदान
दोहा :
* जानि सभय सुर भूमि सुनि बचन समेत सनेह।
गगनगिरा गंभीर भइ हरनि सोक संदेह॥186॥
भावार्थ:-देवताओं और पृथ्वी को भयभीत जानकर और उनके स्नेहयुक्त वचन सुनकर शोक और संदेह को हरने वाली गंभीर आकाशवाणी हुई॥186॥
चौपाई :
* जनि डरपहु मुनि सिद्ध सुरेसा। तुम्हहि लागि धरिहउँ नर बेसा॥
अंसन्ह सहित मनुज अवतारा। लेहउँ दिनकर बंस उदारा॥1॥
भावार्थ:-हे मुनि, सिद्ध और देवताओं के स्वामियों! डरो मत। तुम्हारे लिए मैं मनुष्य का रूप धारण करूँगा और उदार (पवित्र) सूर्यवंश में अंशों सहित मनुष्य का अवतार लूँगा॥1॥
* कस्यप अदिति महातप कीन्हा। तिन्ह कहुँ मैं पूरब बर दीन्हा॥
ते दसरथ कौसल्या रूपा। कोसलपुरीं प्रगट नर भूपा॥2॥
भावार्थ:-कश्यप और अदिति ने बड़ा भारी तप किया था। मैं पहले ही उनको वर दे चुका हूँ। वे ही दशरथ और कौसल्या के रूप में मनुष्यों के राजा होकर श्री अयोध्यापुरी में प्रकट हुए हैं॥2॥
* तिन्ह कें गृह अवतरिहउँ जाई। रघुकुल तिलक सो चारिउ भाई॥
नारद बचन सत्य सब करिहउँ। परम सक्ति समेत अवतरिहउँ॥3॥
भावार्थ:-उन्हीं के घर जाकर मैं रघुकुल में श्रेष्ठ चार भाइयों के रूप में अवतार लूँगा। नारद के सब वचन मैं सत्य करूँगा और अपनी पराशक्ति के सहित अवतार लूँगा॥3॥
* हरिहउँ सकल भूमि गरुआई। निर्भय होहु देव समुदाई॥
गगन ब्रह्मबानी सुनि काना। तुरत फिरे सुर हृदय जुड़ाना॥4॥
भावार्थ:-मैं पृथ्वी का सब भार हर लूँगा। हे देववृंद! तुम निर्भय हो जाओ। आकाश में ब्रह्म (भगवान) की वाणी को कान से सुनकर देवता तुरंत लौट गए। उनका हृदय शीतल हो गया॥4॥
* तब ब्रह्माँ धरनिहि समुझावा। अभय भई भरोस जियँ आवा॥5॥
भावार्थ:-तब ब्रह्माजी ने पृथ्वी को समझाया। वह भी निर्भय हुई और उसके जी में भरोसा (ढाढस) आ गया॥5॥
दोहा :
* निज लोकहि बिरंचि गे देवन्ह इहइ सिखाइ।
बानर तनु धरि धरि महि हरि पद सेवहु जाइ॥187॥
भावार्थ:-देवताओं को यही सिखाकर कि वानरों का शरीर धर-धरकर तुम लोग पृथ्वी पर जाकर भगवान के चरणों की सेवा करो, ब्रह्माजी अपने लोक को चले गए॥187॥
चौपाई :
* गए देव सब निज निज धामा। भूमि सहित मन कहुँ बिश्रामा॥
जो कछु आयसु ब्रह्माँ दीन्हा। हरषे देव बिलंब न कीन्हा॥1॥
भावार्थ:-सब देवता अपने-अपने लोक को गए। पृथ्वी सहित सबके मन को शांति मिली। ब्रह्माजी ने जो कुछ आज्ञा दी, उससे देवता बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने (वैसा करने में) देर नहीं की॥1॥
*बनचर देह धरी छिति माहीं। अतुलित बल प्रताप तिन्ह पाहीं॥
गिरि तरु नख आयुध सब बीरा। हरि मारग चितवहिं मतिधीरा॥2॥
भावार्थ:-पृथ्वी पर उन्होंने वानरदेह धारण की। उनमें अपार बल और प्रताप था। सभी शूरवीर थे, पर्वत, वृक्ष और नख ही उनके शस्त्र थे। वे धीर बुद्धि वाले (वानर रूप देवता) भगवान के आने की राह देखने लगे॥2॥

कुरान का संदेश

अमेरिकी सैनिकों पर 'कुरान' जलाने का आरोप, अफगानों का प्रदर्शन'


बगराम.अफगानिस्तान में मंगलवार को कुरान के अपमान का मामला काफी तूल पकड़ गया। आरोप है कि अमेरिकी सैन्य अड्डे में अमेरिकी सैनिकों ने कुरान का अपमान किया।

कुरान जलाए जाने की भी अपुष्‍ट खबरें आईं। ऐसी खबरों के बाद बड़ी संख्या में अफगान लोगों ने अमेरिका के मुख्य सैन्य अड्डे के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
विदेशी सैनिकों ने बड़ी संख्या में कुरान की प्रतियों तथा अन्य धार्मिक सामग्री को अनुचित तरीके से इधर-उधर किया। इसके बाद हुए प्रदर्शन से घबराए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल के कमांडर जनरल जान अलेन ने अपने सैनिकों की करतूत के लिए माफी मांगी।

प्रांतीय गर्वनर के प्रवक्ता रोशन खालिद ने आरोप लगाया कि अमेरिकी सैन्य अड्डे के अंदर मुसलमानों के पवित्र ग्रंथ कुरान की प्रतियां जलाई गईं तथा कुछ अन्य धार्मिक सामग्री को अड्डे से बाहर निकाला गया।


जनरल अलेन ने कहा 'हमें जैसे ही इस कार्रवाई का पता लगा,हमने मामले में हस्तक्षेप किया और सैनिकों को ऐसा करने से रोक दिया।' उन्होंने आश्वासन दिया कि अड्डे से मिली सामग्री को उचित धार्मिक संस्था ठीक तरीके से रखेगी । उन्होने सफाई दी कि यह सबकुछ जानबूझकर नहीं किया गया। जनरल अलेन ने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी।
बड़ी संख्या में अफगानियों ने बगराम हवाई अड्डे के बाहर अमेरिकी सैनिकों की कारस्तानी विरोध में प्रदर्शन किया। प्रशासन ने बताया कि प्रदर्शन कुल मिला कर शांतिपूर्ण रहा।

अमेरिका के फ्लोरिडा में पिछले वर्ष अप्रैल में एक पादरी के कुरान की प्रतियां जलाने के बाद समूचे अफगानिस्तान में तीन माह तक विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान मजारे शरीफ शहर में प्रदर्शनकारियों के संयुक्त राष्ट्र के एक परिसर में घुसने के बाद हुई हिंसा में 11 लोग मारे गए थे जिनमें संयुक्त राष्ट्र के सात विदेशी कर्मी शामिल थे। कंधार में भी हिंसा हुई थी जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी तथा 80 से ज्यादा घायल हुए थे।

तस्वीरों में देखिए पटना सिटी एसपी की दबंगई!

पटना। बिहार की राजधानी पटना की एसपी (सिटी) मिस किम ने दबंगई दिखाते हुए एक महिला की सरेआम पिटाई कर दी। इस घटना की जमकर निंदा हो रही है। बता दें कि सोमवार की शाम राजधानी के कंकड़बाग इलाके में बिजली का करंट लगने से दो लड़कों की मौत हो गई थी। घटना से गुस्‍साए लोगों ने सड़क जाम कर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। जाम हटाने पहुंची पुलिस पर लोगों ने पथराव शुरू कर दिया।



हंगामा बढ़ने की सूचना मिलते ही एसपी भी मौके पर पहुंच गईं और मामला शांत करने की कोशिश करने लगीं। इसी बीच एक महिला उनसे उलझने लगी तो एसपी ने उन्हे तमाचा जड़ दिया। तस्वीरों में देखिए सीटी एसपी के रौद्र रुप को.....















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