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22 फ़रवरी 2012

गुरु ग्रंथ साहिब की इस हकीकत में छिपा है सबसे बड़ा सबक

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पंजाब की भूमि वीर योद्धाओं के शौर्य गाथाओं और मानवता के लिए सर्वस्व त्याग देने वाले लोगों की कहानियों से भरी है। इसी प्रांत में सिख धर्म का उदय हुआ और यह देश- दुनिया तक फैला। इन कहानियों के स्वर्णभंडार से हम आपके लिए कुछ ऐसी कहानियां लेकर आए हैं जो सिख धर्म गुरुओं से संबंधित है। पेश है गुरु अर्जुन के जीवन की कुछ बातें-

अपने तीन पूर्ववर्तियों की तरह गुरु अर्जुन की राह भी कांटों-भरी ही थी। जैसे ही गुरु के रूप में उनके प्रतिस्थापन की घोषणा हुई, उनका बड़ा भाई पृथीचंद बुरी तरह उनका दुश्मन बन बैठा। यह अर्जुन का सौभाग्य था कि श्रद्धेय बुद्धा और भाई गुरदास उनके वफादार सहयोगी थे और उन्होंने उनके खिलाफ पृथीचंद की चालों को नाकाम कर दिया और इस प्रकार समुदाय में फूट पड़ने से रुकी।

अर्जुन सन् 1595 में अमृतसर लौटे और उन्होंने पाया कि पृथीचंद अपने नापाक इरादों को अंजाम देने की कोशिश में लगा था। वह पवित्र रचनाओं का एक संकलन तैयार कर रहा था, जिसमें उसने कुछ स्वरचित पद भी ठूंस लिए थे। अर्जुन एक नकली धर्मग्रंथ के समाज में प्रसारित होने के खतरे से परेशान थे।

उन्होंने अपने बाकी के कामों पर प्राथमिकता देते हुए, अपने पूर्ववर्ती गुरुओं की रचनाओं का संकलन करना प्रारंभ कर दिया। उनके पास अपने पिता की रचनाएं तो थीं ही। उन्होंने गुरु अमरदास के पुत्र मोहन से विनती की कि वह पहले तीन गुरुओं की रचनाएं उन्हें सौंप दें। देश-भर में उनकी प्रतियों की खोज में उन्होंने अपने शिष्यों को भेजा।

उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के विभिन्न संप्रदायों को भी अपना योगदान देने को कहा। और फिर वे रामसर तालाब के पास जाकर रहने लगे, जो कि अमृतसर के शोर-शराबे और गहमा-गहमी भरे बाजारों से दूर था। यहां वे पूरी तरह अपने काम में जुट गए। रचनाओं का चुनाव गुरु अजरुन करते थे और लिखने का काम भाई गुरदास ने किया। इस संकलन में ज्यादातर रचनाएं गुरु अजरुन की अपनी ही थी।

गुरु अर्जुन अपने काम में व्यस्त थे कि बादशाह अकबर को किसी ने यह भ्रामक खबर पहुंचाई कि अर्जुन जिस धार्मिक संकलन पर काम कर रहे थे, उसमें इस्लाम की निंदा वाले अंश थे। उत्तर की तरफ यात्रा के दौरान बादशाह रास्ते में रुके और उस संकलन को देखने की इच्छा व्यक्त करने लगे। भाई बुद्धा और गुरदास ने पांडुलिपि की एक प्रति बादशाह के सम्मुख रखी और उसमें से कुछ पद पढ़कर उन्हें सुनाए।

बादशाह का संदेह दूर हुआ और उसने पवित्र पुस्तक की तैयारी के लिए इक्यावन सोने की मोहरें दान दीं और गुरु को सम्मानस्वरूप एक लबादा भेंट किया तथा दो लबादे उनके शिष्यों को भेंट किए। गुरु की ही विनती पर उसने किसानों की हालत ठीक करने के लिए उस जिले का सालाना लगान भी माफ कर दिया, क्योंकि वहां के किसान सूखे के चलते परेशानी में थे।

अगस्त, 1604 में गुरु अर्जुन का यह पवित्र काम पूरा हुआ। गुरु ग्रंथ साहिब तैयार हो गया था। अब उसे औपचारिक रूप से अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में प्रतिष्ठित कर दिया गया। भाई बुद्धा को स्वर्ण मंदिर में गुरु ग्रंथ साहिब का प्रथम ग्रंथी नियुक्त किया गया।

बीमार बच्चे के लिए दी थी बलि, दफनाने के बाद वो हुआ जिंदा!


हजारीबाग.हजारीबाग में पिछले हफ्ते घटी एक घटना किसी हैरत अंगेज से कम नहीं। मृत्यु की आगोश में ढकेल देने के बाद भी एक प्राणी का सुरक्षित बच जाना इसकी चरमसीमा है। संवेदना और संवेदनहीनता की कसौटी पर खड़ी ये घटना जिले के कटकमसांडी की हैं।

15 फरवरी की देर रात कटकमसांडी में एक बीमार बच्चे की झाडफ़ूंक कराई गई। इसमें एक मेमने (बकरी का बच्चा) का संकल्प कराया गया। झाडफ़ूंक की प्रक्रिया पूरी होते ही मेमना मर गया। उसी रात उस मेमने को नदी के बालू में गाड़ दिया गया। 16 फरवरी की सुबह नदी की ओर शौच के लिए गए लोगों की नजर उस स्थल पर पड़ी, जहां मेमने को गाड़ा गया था। सबसे पहले गांव के दासो ठाकुर की नजर पड़ी।

उस स्थल पर मिट्टी बालू की उपरी परत पर हो रही हरकत से वह घबरा कर इसकी सूचना उसने गांव के मुखिया गिरिश सिंह व वार्ड सदस्य परमानंद पांडेय को दी। सभी मिलकर उस स्थल पर पहुंचकर मिट्टी हटाया, तो पाया कि मेमने की आवाज आ रही है। फिर उसे गड्ढे से निकाला गया। मेमना जैसे ही जमीन से निकला वह दौडऩे लगा। बाद में उसे गांव के कैलू भुइयां को सौंप दिया गया।

बांबे हाईकोर्ट ने पूछा 'पता करिए कहां गया वो बैल'


मुंबई. बांबे हाईकोर्ट में गायब बैल को खोजने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। अदालत ने इस मामले में मनपा व स्थानीय पुलिस को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में पूरे मामले की जानकारी मांगी है। याचिका में कहा गया है कि चार महीने पहले लापता इस बैल को कुर्बानी के लिए मुंबई लाया गया था।

मुंबई पहुंचने के बाद बैल अचानक गायब हो गया। पांच दिन बाद एक अजनबी ने बैल के उपद्रव से तंग आकर स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने बैल को हिरासत में लेकर उसके मालिक को इसकी सूचना दी।

इसके बाद गिरगांव की एक कोर्ट में बैल को ले जाया गया। जहां महानगरीय दंडाधिकारी ने बैल के मालिक को बैल ले जाने के लिए 30 हजार रुपए का बांड भरने के लिए कहा। यह रकम भी बैल के मालिक ने अदा कर दी। फिर भी उसे अब तक बैल नहीं मिला है।

हाईकोर्ट में दायर याचिका में यह खुलासा करते हुए मुजम्मिल महमूद अंसारी व मारुती सीताराम ने स्पष्ट किया है कि बैल के लिए मनपा व पुलिस अधिकारियों के यहां चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं।

बुधवार को न्यायमूर्ति वीएम कानडे व न्यायमूर्ति प्रमोद कोदे की खंडपीठ के समक्ष इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील फिरोज अंसारी ने खंडपीठ के समक्ष आशंका जाहिर की कि बैल को मुंबई महानगरपालिका ने अपनी हिरासत में रखा है।

जब मंच बन गया तू-तू-मैं-मैं का अखाड़ा, भाषण पर भिड़े मुख्यमंत्री-सांसद!



पाली/जालोर/सिरोही.जालोर के जसवंतपुरा में बुधवार को पंचायत समिति भवन में राजीव गांधी सेवा केंद्र के उद्घाटन के बाद सभा को संबोधित करने मंच पर पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वहां मौजूद भाजपा सांसद देवजी एम पटेल को भाषण देने से मना कर दिया।

इसके बाद सांसद नाराज होकर सभा से चले गए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी योजनाओं का बखान करते हुए कहा कि सरकार आमजन के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं। हर योजना में कई खामियां होती हैं, जिनका पता लगाने के लिए ही राज्य सरकार के मंत्री हर जिले में जाकर जनसुनवाई कर रहे हैं। वे पाली, जालोर व सिरोही में जनसभाओं को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कुछ यूं रोका भाजपा सांसद को

मुख्यमंत्री विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद जब मंच पर पहुंचे तो उन्होंने सीधे माइक थाम लिया। वे भाषण शुरू करते उससे पूर्व वहां मौजूद सांसद देवजी पटेल ने कहा कि पहले मुझे बोलने दिया जाए।

इस पर सीएम ने उनसे कहा कि मुझे अभी सिरोही जाना है और हम पहले ही लेट हो चुके हैं। मेरे साथ प्रदेशाध्यक्ष चंद्रभान और उप-मुख्य सचेतक रतन देवासी भी हैं, वे भी भाषण नहीं देंगे। ऐसे में आप भी भाषण न दें।

सांसद अपनी बात पर अड़े रहे और कहा कि वे किसानों की समस्याएं बताना चाहते हैं, लेकिन सीएम ने उन्हें दुबारा मना कर दिया। इसके बाद नाराज होकर सांसद मंच से चले गए।

सांसद के जाते ही, ये बोले गहलोत

सांसद देवजी पटेल के जाने के बाद सीएम ने कहा कि वह क्षेत्र के सांसद हैं, उन्हें ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सभी लोग आपसी सहयोग के साथ ईमानदारी से काम करेंगे, तभी विकास होगा।

हजारों किसानों ने सौंपा ज्ञापन

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जसवंतपुरा हेलीपेड पर पहुंचने पर हजारों किसानों ने हाथों में सूखी फसलें लेकर मुआवजे की मांग की। इन किसानों ने भाजपा सांसद देवजी पटेल, भीनमाल विधायक पूराराम चौधरी, सांचौर विधायक जीवाराम चौधरी और भाजपा जिलाध्यक्ष नारायणसिंह देवल के नेतृत्व में सीएम को ज्ञापन सौंपकर मुआवजे की मांग की।

सुनते रहेंगे आम लोगों की समस्याएं

पाली में बांगड़ स्कूल मैदान में आमसभा को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से चलाई गई जनकल्याणकारी योजनाओं का लेखा-जोखा करने के लिए मंत्रियों के साथ अधिकारी भी हर जिले के गांव-ढाणी में जा रहे हैं। आने वाले समय में हम गांवों में जाकर सरकारी योजनाओं की जानकारी के साथ आम लोगों की समस्याएं भी सुनेंगे।

इस दौरान कोई कमी नजर आई तो उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा। गहलोत ने कहा कि राजस्थान को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए हर प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। गहलोत ने जिले के काणतरा में उच्च प्राथमिक स्कूल को क्रमोन्नत करने की घोषणा करते हुए अपनी बात समाप्त कर दी।

इस दौरान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डा. चंद्रभान, सांसद बद्रीराम जाखड़, जिला प्रमुख खुशवीरसिंह जोजावर, विधायक ज्ञानचंद पारख, केंद्रीय बालश्रम सलाहकार बोर्ड के उपाध्यक्ष शिशुपालसिंह राजपुरोहित, नगर परिषद के सभापति केवलचंद गुलेच्छा, उप सभापति शमीम मोतीवाला, कांग्रेस जिलाध्यक्ष सीडी देवल तथा बीसूका उपाध्यक्ष अजीज दर्द समेत कई जनप्रतिनिधि व अफसर मौजूद थे।

जब मंच बन गया तू-तू-मैं-मैं का अखाड़ा, भाषण पर भिड़े मुख्यमंत्री-सांसद!



पाली/जालोर/सिरोही.जालोर के जसवंतपुरा में बुधवार को पंचायत समिति भवन में राजीव गांधी सेवा केंद्र के उद्घाटन के बाद सभा को संबोधित करने मंच पर पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वहां मौजूद भाजपा सांसद देवजी एम पटेल को भाषण देने से मना कर दिया।

इसके बाद सांसद नाराज होकर सभा से चले गए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी योजनाओं का बखान करते हुए कहा कि सरकार आमजन के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं। हर योजना में कई खामियां होती हैं, जिनका पता लगाने के लिए ही राज्य सरकार के मंत्री हर जिले में जाकर जनसुनवाई कर रहे हैं। वे पाली, जालोर व सिरोही में जनसभाओं को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कुछ यूं रोका भाजपा सांसद को

मुख्यमंत्री विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद जब मंच पर पहुंचे तो उन्होंने सीधे माइक थाम लिया। वे भाषण शुरू करते उससे पूर्व वहां मौजूद सांसद देवजी पटेल ने कहा कि पहले मुझे बोलने दिया जाए।

इस पर सीएम ने उनसे कहा कि मुझे अभी सिरोही जाना है और हम पहले ही लेट हो चुके हैं। मेरे साथ प्रदेशाध्यक्ष चंद्रभान और उप-मुख्य सचेतक रतन देवासी भी हैं, वे भी भाषण नहीं देंगे। ऐसे में आप भी भाषण न दें।

सांसद अपनी बात पर अड़े रहे और कहा कि वे किसानों की समस्याएं बताना चाहते हैं, लेकिन सीएम ने उन्हें दुबारा मना कर दिया। इसके बाद नाराज होकर सांसद मंच से चले गए।

सांसद के जाते ही, ये बोले गहलोत

सांसद देवजी पटेल के जाने के बाद सीएम ने कहा कि वह क्षेत्र के सांसद हैं, उन्हें ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सभी लोग आपसी सहयोग के साथ ईमानदारी से काम करेंगे, तभी विकास होगा।

हजारों किसानों ने सौंपा ज्ञापन

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जसवंतपुरा हेलीपेड पर पहुंचने पर हजारों किसानों ने हाथों में सूखी फसलें लेकर मुआवजे की मांग की। इन किसानों ने भाजपा सांसद देवजी पटेल, भीनमाल विधायक पूराराम चौधरी, सांचौर विधायक जीवाराम चौधरी और भाजपा जिलाध्यक्ष नारायणसिंह देवल के नेतृत्व में सीएम को ज्ञापन सौंपकर मुआवजे की मांग की।

सुनते रहेंगे आम लोगों की समस्याएं

पाली में बांगड़ स्कूल मैदान में आमसभा को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से चलाई गई जनकल्याणकारी योजनाओं का लेखा-जोखा करने के लिए मंत्रियों के साथ अधिकारी भी हर जिले के गांव-ढाणी में जा रहे हैं। आने वाले समय में हम गांवों में जाकर सरकारी योजनाओं की जानकारी के साथ आम लोगों की समस्याएं भी सुनेंगे।

इस दौरान कोई कमी नजर आई तो उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा। गहलोत ने कहा कि राजस्थान को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए हर प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। गहलोत ने जिले के काणतरा में उच्च प्राथमिक स्कूल को क्रमोन्नत करने की घोषणा करते हुए अपनी बात समाप्त कर दी।

इस दौरान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डा. चंद्रभान, सांसद बद्रीराम जाखड़, जिला प्रमुख खुशवीरसिंह जोजावर, विधायक ज्ञानचंद पारख, केंद्रीय बालश्रम सलाहकार बोर्ड के उपाध्यक्ष शिशुपालसिंह राजपुरोहित, नगर परिषद के सभापति केवलचंद गुलेच्छा, उप सभापति शमीम मोतीवाला, कांग्रेस जिलाध्यक्ष सीडी देवल तथा बीसूका उपाध्यक्ष अजीज दर्द समेत कई जनप्रतिनिधि व अफसर मौजूद थे।

शिवजी की विचित्र बारात और विवाह की तैयारी


दोहा :
* लगे सँवारन सकल सुर बाहन बिबिध बिमान।
होहिं सगुन मंगल सुभद करहिं अपछरा गान॥91॥
भावार्थ:-सब देवता अपने भाँति-भाँति के वाहन और विमान सजाने लगे, कल्याणप्रद मंगल शकुन होने लगे और अप्सराएँ गाने लगीं॥91॥
चौपाई :
* सिवहि संभु गन करहिं सिंगारा। जटा मुकुट अहि मौरु सँवारा॥
कुंडल कंकन पहिरे ब्याला। तन बिभूति पट केहरि छाला॥1॥
भावार्थ:-शिवजी के गण शिवजी का श्रृंगार करने लगे। जटाओं का मुकुट बनाकर उस पर साँपों का मौर सजाया गया। शिवजी ने साँपों के ही कुंडल और कंकण पहने, शरीर पर विभूति रमायी और वस्त्र की जगह बाघम्बर लपेट लिया॥1॥
* ससि ललाट सुंदर सिर गंगा। नयन तीनि उपबीत भुजंगा॥
गरल कंठ उर नर सिर माला। असिव बेष सिवधाम कृपाला॥2॥
भावार्थ:-शिवजी के सुंदर मस्तक पर चन्द्रमा, सिर पर गंगाजी, तीन नेत्र, साँपों का जनेऊ, गले में विष और छाती पर नरमुण्डों की माला थी। इस प्रकार उनका वेष अशुभ होने पर भी वे कल्याण के धाम और कृपालु हैं॥2॥
* कर त्रिसूल अरु डमरु बिराजा। चले बसहँ चढ़ि बाजहिं बाजा॥
देखि सिवहि सुरत्रिय मुसुकाहीं। बर लायक दुलहिनि जग नाहीं॥3॥
भावार्थ:-एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू सुशोभित है। शिवजी बैल पर चढ़कर चले। बाजे बज रहे हैं। शिवजी को देखकर देवांगनाएँ मुस्कुरा रही हैं (और कहती हैं कि) इस वर के योग्य दुलहिन संसार में नहीं मिलेगी॥3॥
* बिष्नु बिरंचि आदि सुरब्राता। चढ़ि चढ़ि बाहन चले बराता॥
सुर समाज सब भाँति अनूपा। नहिं बरात दूलह अनुरूपा॥4॥
भावार्थ:-विष्णु और ब्रह्मा आदि देवताओं के समूह अपने-अपने वाहनों (सवारियों) पर चढ़कर बारात में चले। देवताओं का समाज सब प्रकार से अनुपम (परम सुंदर) था, पर दूल्हे के योग्य बारात न थी॥4॥
दोहा :
* बिष्नु कहा अस बिहसि तब बोलि सकल दिसिराज।
बिलग बिलग होइ चलहु सब निज निज सहित समाज॥92॥
भावार्थ:-तब विष्णु भगवान ने सब दिक्पालों को बुलाकर हँसकर ऐसा कहा- सब लोग अपने-अपने दल समेत अलग-अलग होकर चलो॥92॥
चौपाई :
* बर अनुहारि बरात न भाई। हँसी करैहहु पर पुर जाई॥
बिष्नु बचन सुनि सुर मुसुकाने। निज निज सेन सहित बिलगाने॥1॥
भावार्थ:-हे भाई! हम लोगों की यह बारात वर के योग्य नहीं है। क्या पराए नगर में जाकर हँसी कराओगे? विष्णु भगवान की बात सुनकर देवता मुस्कुराए और वे अपनी-अपनी सेना सहित अलग हो गए॥1॥
* मनहीं मन महेसु मुसुकाहीं। हरि के बिंग्य बचन नहिं जाहीं॥
अति प्रिय बचन सुनत प्रिय केरे। भृंगिहि प्रेरि सकल गन टेरे॥2॥
भावार्थ:-महादेवजी (यह देखकर) मन-ही-मन मुस्कुराते हैं कि विष्णु भगवान के व्यंग्य-वचन (दिल्लगी) नहीं छूटते! अपने प्यारे (विष्णु भगवान) के इन अति प्रिय वचनों को सुनकर शिवजी ने भी भृंगी को भेजकर अपने सब गणों को बुलवा लिया॥2॥
* सिव अनुसासन सुनि सब आए। प्रभु पद जलज सीस तिन्ह नाए॥
नाना बाहन नाना बेषा। बिहसे सिव समाज निज देखा॥3॥
भावार्थ:-शिवजी की आज्ञा सुनते ही सब चले आए और उन्होंने स्वामी के चरण कमलों में सिर नवाया। तरह-तरह की सवारियों और तरह-तरह के वेष वाले अपने समाज को देखकर शिवजी हँसे॥3॥
* कोउ मुख हीन बिपुल मुख काहू। बिनु पद कर कोउ बहु पद बाहू॥
बिपुल नयन कोउ नयन बिहीना। रिष्टपुष्ट कोउ अति तनखीना॥4॥
भावार्थ:-कोई बिना मुख का है, किसी के बहुत से मुख हैं, कोई बिना हाथ-पैर का है तो किसी के कई हाथ-पैर हैं। किसी के बहुत आँखें हैं तो किसी के एक भी आँख नहीं है। कोई बहुत मोटा-ताजा है, तो कोई बहुत ही दुबला-पतला है॥4॥
छंद :
* तन कीन कोउ अति पीन पावन कोउ अपावन गति धरें।
भूषन कराल कपाल कर सब सद्य सोनित तन भरें॥
खर स्वान सुअर सृकाल मुख गन बेष अगनित को गनै।
बहु जिनस प्रेत पिसाच जोगि जमात बरनत नहिं बनै॥
भावार्थ:-कोई बहुत दुबला, कोई बहुत मोटा, कोई पवित्र और कोई अपवित्र वेष धारण किए हुए है। भयंकर गहने पहने हाथ में कपाल लिए हैं और सब के सब शरीर में ताजा खून लपेटे हुए हैं। गधे, कुत्ते, सूअर और सियार के से उनके मुख हैं। गणों के अनगिनत वेषों को कौन गिने? बहुत प्रकार के प्रेत, पिशाच और योगिनियों की जमाते हैं। उनका वर्णन करते नहीं बनता।
सोरठा :
* नाचहिं गावहिं गीत परम तरंगी भूत सब।
देखत अति बिपरीत बोलहिं बचन बिचित्र बिधि॥93॥
भावार्थ:-भूत-प्रेत नाचते और गाते हैं, वे सब बड़े मौजी हैं। देखने में बहुत ही बेढंगे जान पड़ते हैं और बड़े ही विचित्र ढंग से बोलते हैं॥93॥
चौपाई :
* जस दूलहु तसि बनी बराता। कौतुक बिबिध होहिं मग जाता॥
इहाँ हिमाचल रचेउ बिताना। अति बिचित्र नहिं जाइ बखाना॥1॥
भावार्थ:-जैसा दूल्हा है, अब वैसी ही बारात बन गई है। मार्ग में चलते हुए भाँति-भाँति के कौतुक (तमाशे) होते जाते हैं। इधर हिमाचल ने ऐसा विचित्र मण्डप बनाया कि जिसका वर्णन नहीं हो सकता॥1॥
* सैल सकल जहँ लगि जग माहीं। लघु बिसाल नहिं बरनि सिराहीं॥
बन सागर सब नदी तलावा। हिमगिरि सब कहुँ नेवत पठावा॥2॥
भावार्थ:-जगत में जितने छोटे-बड़े पर्वत थे, जिनका वर्णन करके पार नहीं मिलता तथा जितने वन, समुद्र, नदियाँ और तालाब थे, हिमाचल ने सबको नेवता भेजा॥2॥
* कामरूप सुंदर तन धारी। सहित समाज सहित बर नारी॥
गए सकल तुहिमाचल गेहा। गावहिं मंगल सहित सनेहा॥3॥
भावार्थ:-वे सब अपनी इच्छानुसार रूप धारण करने वाले सुंदर शरीर धारण कर सुंदरी स्त्रियों और समाजों के साथ हिमाचल के घर गए। सभी स्नेह सहित मंगल गीत गाते हैं॥3॥
* प्रथमहिं गिरि बहु गृह सँवराए। जथाजोगु तहँ तहँ सब छाए॥
पुर सोभा अवलोकि सुहाई। लागइ लघु बिरंचि निपुनाई॥4॥
भावार्थ:-हिमाचल ने पहले ही से बहुत से घर सजवा रखे थे। यथायोग्य उन-उन स्थानों में सब लोग उतर गए। नगर की सुंदर शोभा देखकर ब्रह्मा की रचना चातुरी भी तुच्छ लगती थी॥4॥
छन्द :
* लघु लाग बिधि की निपुनता अवलोकि पुर सोभा सही।
बन बाग कूप तड़ाग सरिता सुभग सब सक को कही॥
मंगल बिपुल तोरन पताका केतु गृह गृह सोहहीं।
बनिता पुरुष सुंदर चतुर छबि देखि मुनि मन मोहहीं॥
भावार्थ:-नगर की शोभा देखकर ब्रह्मा की निपुणता सचमुच तुच्छ लगती है। वन, बाग, कुएँ, तालाब, नदियाँ सभी सुंदर हैं, उनका वर्णन कौन कर सकता है? घर-घर बहुत से मंगल सूचक तोरण और ध्वजा-पताकाएँ सुशोभित हो रही हैं। वहाँ के सुंदर और चतुर स्त्री-पुरुषों की छबि देखकर मुनियों के भी मन मोहित हो जाते हैं॥
दोहा :
* जगदंबा जहँ अवतरी सो पुरु बरनि कि जाइ।
रिद्धि सिद्धि संपत्ति सुख नित नूतन अधिकाइ॥94॥
भावार्थ:-जिस नगर में स्वयं जगदम्बा ने अवतार लिया, क्या उसका वर्णन हो सकता है? वहाँ ऋद्धि, सिद्धि, सम्पत्ति और सुख नित-नए बढ़ते जाते हैं॥94॥
चौपाई :
* नगर निकट बरात सुनि आई। पुर खरभरु सोभा अधिकाई॥
करि बनाव सजि बाहन नाना। चले लेन सादर अगवाना॥1॥
भावार्थ:-बारात को नगर के निकट आई सुनकर नगर में चहल-पहल मच गई, जिससे उसकी शोभा बढ़ गई। अगवानी करने वाले लोग बनाव-श्रृंगार करके तथा नाना प्रकार की सवारियों को सजाकर आदर सहित बारात को लेने चले॥1॥
* हियँ हरषे सुर सेन निहारी। हरिहि देखि अति भए सुखारी॥
सिव समाज जब देखन लागे। बिडरि चले बाहन सब भागे॥2॥
भावार्थ:-देवताओं के समाज को देखकर सब मन में प्रसन्न हुए और विष्णु भगवान को देखकर तो बहुत ही सुखी हुए, किन्तु जब शिवजी के दल को देखने लगे तब तो उनके सब वाहन (सवारियों के हाथी, घोड़े, रथ के बैल आदि) डरकर भाग चले॥2॥
* धरि धीरजु तहँ रहे सयाने। बालक सब लै जीव पराने॥
गएँ भवन पूछहिं पितु माता। कहहिं बचन भय कंपित गाता॥3॥
भावार्थ:-कुछ बड़ी उम्र के समझदार लोग धीरज धरकर वहाँ डटे रहे। लड़के तो सब अपने प्राण लेकर भागे। घर पहुँचने पर जब माता-पिता पूछते हैं, तब वे भय से काँपते हुए शरीर से ऐसा वचन कहते हैं॥3॥
* कहिअ काह कहि जाइ न बाता। जम कर धार किधौं बरिआता॥
बरु बौराह बसहँ असवारा। ब्याल कपाल बिभूषन छारा॥4॥
भावार्थ:-क्या कहें, कोई बात कही नहीं जाती। यह बारात है या यमराज की सेना? दूल्हा पागल है और बैल पर सवार है। साँप, कपाल और राख ही उसके गहने हैं॥4॥
छन्द :
* तन छार ब्याल कपाल भूषन नगन जटिल भयंकरा।
सँग भूत प्रेत पिसाच जोगिनि बिकट मुख रजनीचरा॥
जो जिअत रहिहि बरात देखत पुन्य बड़ तेहि कर सही।
देखिहि सो उमा बिबाहु घर घर बात असि लरिकन्ह कही॥
भावार्थ:-दूल्हे के शरीर पर राख लगी है, साँप और कपाल के गहने हैं, वह नंगा, जटाधारी और भयंकर है। उसके साथ भयानक मुखवाले भूत, प्रेत, पिशाच, योगिनियाँ और राक्षस हैं, जो बारात को देखकर जीता बचेगा, सचमुच उसके बड़े ही पुण्य हैं और वही पार्वती का विवाह देखेगा। लड़कों ने घर-घर यही बात कही।
दोहा :
* समुझि महेस समाज सब जननि जनक मुसुकाहिं।
बाल बुझाए बिबिध बिधि निडर होहु डरु नाहिं॥95॥
भावार्थ:-महेश्वर (शिवजी) का समाज समझकर सब लड़कों के माता-पिता मुस्कुराते हैं। उन्होंने बहुत तरह से लड़कों को समझाया कि निडर हो जाओ, डर की कोई बात नहीं है॥95॥
चौपाई :
* लै अगवान बरातहि आए। दिए सबहि जनवास सुहाए॥
मैनाँ सुभ आरती सँवारी। संग सुमंगल गावहिं नारी॥1॥
भावार्थ:-अगवान लोग बारात को लिवा लाए, उन्होंने सबको सुंदर जनवासे ठहरने को दिए। मैना (पार्वतीजी की माता) ने शुभ आरती सजाई और उनके साथ की स्त्रियाँ उत्तम मंगलगीत गाने लगीं॥1॥
* कंचन थार सोह बर पानी। परिछन चली हरहि हरषानी॥
बिकट बेष रुद्रहि जब देखा। अबलन्ह उर भय भयउ बिसेषा॥2॥
भावार्थ:-सुंदर हाथों में सोने का थाल शोभित है, इस प्रकार मैना हर्ष के साथ शिवजी का परछन करने चलीं। जब महादेवजी को भयानक वेष में देखा तब तो स्त्रियों के मन में बड़ा भारी भय उत्पन्न हो गया॥2॥
* भागि भवन पैठीं अति त्रासा। गए महेसु जहाँ जनवासा॥
मैना हृदयँ भयउ दुखु भारी। लीन्ही बोली गिरीसकुमारी॥3॥
भावार्थ:-बहुत ही डर के मारे भागकर वे घर में घुस गईं और शिवजी जहाँ जनवासा था, वहाँ चले गए। मैना के हृदय में बड़ा दुःख हुआ, उन्होंने पार्वतीजी को अपने पास बुला लिया॥3॥
* अधिक सनेहँ गोद बैठारी। स्याम सरोज नयन भरे बारी॥
जेहिं बिधि तुम्हहि रूपु अस दीन्हा। तेहिं जड़ बरु बाउर कस कीन्हा॥4॥
भावार्थ:-और अत्यन्त स्नेह से गोद में बैठाकर अपने नीलकमल के समान नेत्रों में आँसू भरकर कहा- जिस विधाता ने तुमको ऐसा सुंदर रूप दिया, उस मूर्ख ने तुम्हारे दूल्हे को बावला कैसे बनाया?॥4॥
छन्द :
* कस कीन्ह बरु बौराह बिधि जेहिं तुम्हहि सुंदरता दई।
जो फलु चहिअ सुरतरुहिं सो बरबस बबूरहिं लागई॥
तुम्ह सहित गिरि तें गिरौं पावक जरौं जलनिधि महुँ परौं।
घरु जाउ अपजसु होउ जग जीवत बिबाहु न हौं करौं॥
भावार्थ:-जिस विधाता ने तुमको सुंदरता दी, उसने तुम्हारे लिए वर बावला कैसे बनाया? जो फल कल्पवृक्ष में लगना चाहिए, वह जबर्दस्ती बबूल में लग रहा है। मैं तुम्हें लेकर पहाड़ से गिर पड़ूँगी, आग में जल जाऊँगी या समुद्र में कूद पड़ूँगी। चाहे घर उजड़ जाए और संसार भर में अपकीर्ति फैल जाए, पर जीते जी मैं इस बावले वर से तुम्हारा विवाह न करूँगी।
दोहा :
* भईं बिकल अबला सकल दुखित देखि गिरिनारि।
करि बिलापु रोदति बदति सुता सनेहु सँभारि॥96॥।
भावार्थ:-हिमाचल की स्त्री (मैना) को दुःखी देखकर सारी स्त्रियाँ व्याकुल हो गईं। मैना अपनी कन्या के स्नेह को याद करके विलाप करती, रोती और कहती थीं-॥96॥
चौपाई :
* नारद कर मैं काह बिगारा। भवनु मोर जिन्ह बसत उजारा॥
अस उपदेसु उमहि जिन्ह दीन्हा। बौरे बरहि लागि तपु कीन्हा॥1॥
भावार्थ:-मैंने नारद का क्या बिगाड़ा था, जिन्होंने मेरा बसता हुआ घर उजाड़ दिया और जिन्होंने पार्वती को ऐसा उपदेश दिया कि जिससे उसने बावले वर के लिए तप किया॥1॥
* साचेहुँ उन्ह कें मोह न माया। उदासीन धनु धामु न जाया॥
पर घर घालक लाज न भीरा। बाँझ कि जान प्रसव कै पीरा॥2॥
भावार्थ:-सचमुच उनके न किसी का मोह है, न माया, न उनके धन है, न घर है और न स्त्री ही है, वे सबसे उदासीन हैं। इसी से वे दूसरे का घर उजाड़ने वाले हैं। उन्हें न किसी की लाज है, न डर है। भला, बाँझ स्त्री प्रसव की पीड़ा को क्या जाने॥2॥
* जननिहि बिकल बिलोकि भवानी। बोली जुत बिबेक मृदु बानी॥
अस बिचारि सोचहि मति माता। सो न टरइ जो रचइ बिधाता॥3॥
भावार्थ:-माता को विकल देखकर पार्वतीजी विवेकयुक्त कोमल वाणी बोलीं- हे माता! जो विधाता रच देते हैं, वह टलता नहीं, ऐसा विचार कर तुम सोच मत करो!॥3॥
* करम लिखा जौं बाउर नाहू। तौ कत दोसु लगाइअ काहू॥
तुम्ह सन मिटहिं कि बिधि के अंका। मातु ब्यर्थ जनि लेहु कलंका॥4॥
भावार्थ:-जो मेरे भाग्य में बावला ही पति लिखा है, तो किसी को क्यों दोष लगाया जाए? हे माता! क्या विधाता के अंक तुमसे मिट सकते हैं? वृथा कलंक का टीका मत लो॥4॥
छन्द :
* जनि लेहु मातु कलंकु करुना परिहरहु अवसर नहीं।
दुखु सुखु जो लिखा लिलार हमरें जाब जहँ पाउब तहीं॥
सुनि उमा बचन बिनीत कोमल सकल अबला सोचहीं।
बहु भाँति बिधिहि लगाइ दूषन नयन बारि बिमोचहीं॥
भावार्थ:-हे माता! कलंक मत लो, रोना छोड़ो, यह अवसर विषाद करने का नहीं है। मेरे भाग्य में जो दुःख-सुख लिखा है, उसे मैं जहाँ जाऊँगी, वहीं पाऊँगी! पार्वतीजी के ऐसे विनय भरे कोमल वचन सुनकर सारी स्त्रियाँ सोच करने लगीं और भाँति-भाँति से विधाता को दोष देकर आँखों से आँसू बहाने लगीं।
दोहा :
* तेहि अवसर नारद सहित अरु रिषि सप्त समेत।
समाचार सुनि तुहिनगिरि गवने तुरत निकेत॥97॥
भावार्थ:-इस समाचार को सुनते ही हिमाचल उसी समय नारदजी और सप्त ऋषियों को साथ लेकर अपने घर गए॥97॥
चौपाई :
* तब नारद सबही समुझावा। पूरुब कथा प्रसंगु सुनावा॥
मयना सत्य सुनहु मम बानी। जगदंबा तव सुता भवानी॥1॥
भावार्थ:-तब नारदजी ने पूर्वजन्म की कथा सुनाकर सबको समझाया (और कहा) कि हे मैना! तुम मेरी सच्ची बात सुनो, तुम्हारी यह लड़की साक्षात जगज्जनी भवानी है॥1॥
* अजा अनादि सक्ति अबिनासिनि। सदा संभु अरधंग निवासिनि॥
जग संभव पालन लय कारिनि। निज इच्छा लीला बपु धारिनि॥2॥
भावार्थ:-ये अजन्मा, अनादि और अविनाशिनी शक्ति हैं। सदा शिवजी के अर्द्धांग में रहती हैं। ये जगत की उत्पत्ति, पालन और संहार करने वाली हैं और अपनी इच्छा से ही लीला शरीर धारण करती हैं॥2॥
* जनमीं प्रथम दच्छ गृह जाई। नामु सती सुंदर तनु पाई॥
तहँहुँ सती संकरहि बिबाहीं। कथा प्रसिद्ध सकल जग माहीं॥3॥
भावार्थ:-पहले ये दक्ष के घर जाकर जन्मी थीं, तब इनका सती नाम था, बहुत सुंदर शरीर पाया था। वहाँ भी सती शंकरजी से ही ब्याही गई थीं। यह कथा सारे जगत में प्रसिद्ध है॥3॥
* एक बार आवत सिव संगा। देखेउ रघुकुल कमल पतंगा॥
भयउ मोहु सिव कहा न कीन्हा। भ्रम बस बेषु सीय कर लीन्हा॥4॥
भावार्थ:-एक बार इन्होंने शिवजी के साथ आते हुए (राह में) रघुकुल रूपी कमल के सूर्य श्री रामचन्द्रजी को देखा, तब इन्हें मोह हो गया और इन्होंने शिवजी का कहना न मानकर भ्रमवश सीताजी का वेष धारण कर लिया॥4॥
छन्द :
* सिय बेषु सतीं जो कीन्ह तेहिं अपराध संकर परिहरीं।
हर बिरहँ जाइ बहोरि पितु कें जग्य जोगानल जरीं॥
अब जनमि तुम्हरे भवन निज पति लागि दारुन तपु किया।
अस जानि संसय तजहु गिरिजा सर्बदा संकरप्रिया॥
भावार्थ:-सतीजी ने जो सीता का वेष धारण किया, उसी अपराध के कारण शंकरजी ने उनको त्याग दिया। फिर शिवजी के वियोग में ये अपने पिता के यज्ञ में जाकर वहीं योगाग्नि से भस्म हो गईं। अब इन्होंने तुम्हारे घर जन्म लेकर अपने पति के लिए कठिन तप किया है ऐसा जानकर संदेह छोड़ दो, पार्वतीजी तो सदा ही शिवजी की प्रिया (अर्द्धांगिनी) हैं।
दोहा :
* सुनि नारद के बचन तब सब कर मिटा बिषाद।
छन महुँ ब्यापेउ सकल पुर घर घर यह संबाद॥98॥
भावार्थ:-तब नारद के वचन सुनकर सबका विषाद मिट गया और क्षणभर में यह समाचार सारे नगर में घर-घर फैल गया॥98॥
चौपाई :
* तब मयना हिमवंतु अनंदे। पुनि पुनि पारबती पद बंदे॥
नारि पुरुष सिसु जुबा सयाने। नगर लोग सब अति हरषाने॥1॥
भावार्थ:-तब मैना और हिमवान आनंद में मग्न हो गए और उन्होंने बार-बार पार्वती के चरणों की वंदना की। स्त्री, पुरुष, बालक, युवा और वृद्ध नगर के सभी लोग बहुत प्रसन्न हुए॥1॥
* लगे होन पुर मंगल गाना। सजे सबहिं हाटक घट नाना॥
भाँति अनेक भई जेवनारा। सूपसास्त्र जस कछु ब्यवहारा॥2॥
भावार्थ:-नगर में मंगल गीत गाए जाने लगे और सबने भाँति-भाँति के सुवर्ण के कलश सजाए। पाक शास्त्र में जैसी रीति है, उसके अनुसार अनेक भाँति की ज्योनार हुई (रसोई बनी)॥2॥
*सो जेवनार कि जाइ बखानी। बसहिं भवन जेहिं मातु भवानी॥
सादर बोले सकल बराती। बिष्नु बिरंचि देव सब जाती॥3॥
भावार्थ:-जिस घर में स्वयं माता भवानी रहती हों, वहाँ की ज्योनार (भोजन सामग्री) का वर्णन कैसे किया जा सकता है? हिमाचल ने आदरपूर्वक सब बारातियों, विष्णु, ब्रह्मा और सब जाति के देवताओं को बुलवाया॥3॥
* बिबिधि पाँति बैठी जेवनारा। लागे परुसन निपुन सुआरा॥
नारिबृंद सुर जेवँत जानी। लगीं देन गारीं मृदु बानी॥4॥
भावार्थ:-भोजन (करने वालों) की बहुत सी पंगतें बैठीं। चतुर रसोइए परोसने लगे। स्त्रियों की मंडलियाँ देवताओं को भोजन करते जानकर कोमल वाणी से गालियाँ देने लगीं॥4॥
छन्द :
* गारीं मधुर स्वर देहिं सुंदरि बिंग्य बचन सुनावहीं।
भोजनु करहिं सुर अति बिलंबु बिनोदु सुनि सचु पावहीं॥
जेवँत जो बढ्यो अनंदु सो मुख कोटिहूँ न परै कह्यो।
अचवाँइ दीन्हें पान गवने बास जहँ जाको रह्यो॥
भावार्थ:-सब सुंदरी स्त्रियाँ मीठे स्वर में गालियाँ देने लगीं और व्यंग्य भरे वचन सुनाने लगीं। देवगण विनोद सुनकर बहुत सुख अनुभव करते हैं, इसलिए भोजन करने में बड़ी देर लगा रहे हैं। भोजन के समय जो आनंद बढ़ा वह करोड़ों मुँह से भी नहीं कहा जा सकता। (भोजन कर चुकने पर) सबके हाथ-मुँह धुलवाकर पान दिए गए। फिर सब लोग, जो जहाँ ठहरे थे, वहाँ चले गए।
दोहा :
*बहुरि मुनिन्ह हिमवंत कहुँ लगन सुनाई आइ।
समय बिलोकि बिबाह कर पठए देव बोलाइ॥99॥
भावार्थ:-फिर मुनियों ने लौटकर हिमवान्‌ को लगन (लग्न पत्रिका) सुनाई और विवाह का समय देखकर देवताओं को बुला भेजा॥99॥
चौपाई :
* बोलि सकल सुर सादर लीन्हे। सबहि जथोचित आसन दीन्हे॥
बेदी बेद बिधान सँवारी। सुभग सुमंगल गावहिं नारी॥1॥
भावार्थ:-सब देवताओं को आदर सहित बुलवा लिया और सबको यथायोग्य आसन दिए। वेद की रीति से वेदी सजाई गई और स्त्रियाँ सुंदर श्रेष्ठ मंगल गीत गाने लगीं॥1॥
* सिंघासनु अति दिब्य सुहावा। जाइ न बरनि बिरंचि बनावा॥
बैठे सिव बिप्रन्ह सिरु नाई। हृदयँ सुमिरि निज प्रभु रघुराई॥2॥
भावार्थ:-वेदिका पर एक अत्यन्त सुंदर दिव्य सिंहासन था, जिस (की सुंदरता) का वर्णन नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह स्वयं ब्रह्माजी का बनाया हुआ था। ब्राह्मणों को सिर नवाकर और हृदय में अपने स्वामी श्री रघुनाथजी का स्मरण करके शिवजी उस सिंहासन पर बैठ गए॥2॥
* बहुरि मुनीसन्ह उमा बोलाईं। करि सिंगारु सखीं लै आईं॥
देखत रूपु सकल सुर मोहे। बरनै छबि अस जग कबि को है॥3॥
भावार्थ:-फिर मुनीश्वरों ने पार्वतीजी को बुलाया। सखियाँ श्रृंगार करके उन्हें ले आईं। पार्वतीजी के रूप को देखते ही सब देवता मोहित हो गए। संसार में ऐसा कवि कौन है, जो उस सुंदरता का वर्णन कर सके?॥3॥
* जगदंबिका जानि भव भामा। सुरन्ह मनहिं मन कीन्ह प्रनामा॥
सुंदरता मरजाद भवानी। जाइ न कोटिहुँ बदन बखानी॥4॥
भावार्थ:-पार्वतीजी को जगदम्बा और शिवजी की पत्नी समझकर देवताओं ने मन ही मन प्रणाम किया। भवानीजी सुंदरता की सीमा हैं। करोड़ों मुखों से भी उनकी शोभा नहीं कही जा सकती॥4॥
छन्द :
* कोटिहुँ बदन नहिं बनै बरनत जग जननि सोभा महा।
सकुचहिं कहत श्रुति सेष सारद मंदमति तुलसीकहा॥
छबिखानि मातु भवानि गवनीं मध्य मंडप सिव जहाँ।
अवलोकि सकहिं न सकुच पति पद कमल मनु मधुकरु तहाँ॥
भावार्थ:-जगज्जननी पार्वतीजी की महान शोभा का वर्णन करोड़ों मुखों से भी करते नहीं बनता। वेद, शेषजी और सरस्वतीजी तक उसे कहते हुए सकुचा जाते हैं, तब मंदबुद्धि तुलसी किस गिनती में है? सुंदरता और शोभा की खान माता भवानी मंडप के बीच में, जहाँ शिवजी थे, वहाँ गईं। वे संकोच के मारे पति (शिवजी) के चरणकमलों को देख नहीं सकतीं, परन्तु उनका मन रूपी भौंरा तो वहीं (रसपान कर रहा) था।

कुरान का संदेश

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तीस्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट की गुजरात सरकार को फटकार



नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ गुजरात सरकार की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने एतराज जताया है। अदालत ने कहा है कि 2002 के दंगे में मारे गए लोगों की कब्रें खोदने के मामले में गुजरात सरकार जानबूझकर तीस्ता को परेशान कर रही है। इस तरह के फर्जी मामलों से गुजरात का मान नहीं बढ़ेगा।

मामले की सुनवाई जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की बेंच ने की। कोर्ट ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ को परेशान करने के लिए सरकार की ओर से सौ फीसदी फर्जी मामला गढ़ा गया है। गुजरात सरकार ने तीस्ता के खिलाफ दंगे संबंधी अन्य मामलों को लेकर भी आपराधिक शिकायतें दर्ज कराई हैं। हालांकि उन मामलों पर कोर्ट ने टिप्पणी नहीं की है।

अदालत ने गुजरात सरकार के वकील प्रदीप घोष और स्थायी वकील हेमंतिका वाही को एफआईआर का अध्ययन करने को कहा। सुझाव दिया कि राज्य सरकार को इन और इन जैसे मामलों पर आगे नहीं बढऩा चाहिए। अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी। कोर्ट गुजरात हाईकोर्ट के 27 मई 2011 के आदेश के खिलाफ तीस्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। गुजरात हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से मना कर दिया था।

साल 2002 में पाडरवाड़ा और खानपुर तालुका के आसपास के गावों में दंगों के दौरान मारे गए 28 लोगों के शव एक कब्रिस्तान में दफना दिए गए थे। शवों की शिनाख्त भी नहीं हुई थी। राज्य सरकार के मुताबिक 2006 में बिना अनुमति के उन कब्रों को खोदने की योजना तीस्ता ने ही बनाई थी। साथियों के साथ उसे अंजाम भी दिया था।

पुत्री की बलि देने वाले फांसी के केदी की सजा उम्र केद में बदली


रांची.प्रतिभा पाटिल देश के अब तक के राष्ट्रपतियों में सबसे ज्यादा दयालु रही हैं। उन्होंने झारखंड के सुशील मुर्मू समेत 23 याचिकाकर्ताओं की मृत्युदंड की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया है। सूचना के तहत राष्ट्रपति भवन ने बताया है कि नौ फरवरी को राष्ट्रपति ने सुशील मुर्मू की दया याचिका स्वीकार कर ली है।

यह 2004 से लंबित थी। झारखंड के सुशील को समृद्धि के लिए नौ साल की लड़की बलि चढ़ाने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी। साल 1981 से अब तक 91 लोगों ने माफी के लिए राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाया था। उनमें से कुल 31 याचिकाएं मंजूर हुई। इनमें भी 23 वर्तमान राष्ट्रपति के समय मंजूर हुई।


सुभाष अग्रवाल के इस आवेदन के जवाब में बताया गया है कि राष्ट्रपति के पास अब कुल 18 दया याचिकाएं लंबित हैं। पाटिल ने अलबत्ता अपवाद के तौर पर कुल पांच लोगों की दया याचिका नामंजूर कर दी। इनमें से तीन पूर्व राष्ट्रपति राजीव गांधी के हत्यारों संथानम, मुरुगन और अरवि की थी। इनके अलावा देविंदर पाल सिंह भुल्लर और महेंद्र नाथ दास के आवेदन खारिज किए गए हैं।


सुशील ने मां काली के सामने दी थी चिरकु बेसरा की बलि

11 दिसंबर 1996 जामताड़ा निवासी सोमलाल बेसरा की जिंदगी का सबसे दुखद: दिन था। इस दिन इनका नौ साल का बेटा चिरकु बेसरा लापता था। लोगों से पूछताछ में पता चला कि उनके बेटा को सुशील मुर्मू ने अपनी समृद्धि के लिए मां काली के समक्ष बलि चढ़ा दी है। प्रत्यक्षदर्शियों और गवाहों के अनुसार एक झोले में डालकर सुशील ने चिरकु के सिर को तलाब में फेंक दिया था।

इसके बाद चिरकु के सिर की बरामदगी तालाब से की गई थी। मामले की सुनवाई के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश जामताड़ा ने सुशील को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई। इस सजा को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा। इस आदेश के खिलाफ सुशील मुर्मू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद 11 जनवरी 2008 को अपना फैसला सुनाते हुए सुशील की फांसी की सजा को बरकरार रखा। इसके बाद सुशील की ओर से राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की गई थी।

इस बोतल में बंद है मुकद्दस बाल ..

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ढाका.यह छोटी सी बोतल जो आप देख रहे हैं यह कोई सामान्य बोतल नहीं है। ऐसा मानना है कि इसमें इस्लाम के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद पैगंबर की दाढ़ी का बाल है।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका की राष्ट्रीय मस्जिद में इस मुकद्दस बाल का लोगों के समक्ष बाकायदा प्रदर्शन किया गया।
महान पैगंबर मोहम्मद के पाक दाढ़ी के बाल को देखने के लिए द्देश के विभिन्न भागो से आए हजारों लोगों आए। यहां आए लोगों ने बाल को देखने के बाद भावुक हो अपनी अपनी राय व्यक्त की।

यह पाक बाल एक क्रिस्टल के अन्दर थी लिहाजा मस्जिद के अधिकारियों ने इसे दिखाने के लिए एक विशेष शीशे का इंतजाम किया था।

इस बाल को तुर्की के संग्रहालय से लाया गया है।

किस दिन कौन सा कलर आपके लिए रहेगा लकी?

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लकी कलर के उपयोग से किस्मत आप पर मेहरबान हो जाती है। अगर आप अपने लकी कलर का उपयोग करें तो आपको हमेशा किस्मत का साथ मिलेगा।
रंगों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है हमारे द्वारा किए गए रंगों का चयन ग्रहों को प्रभावित करता है इसलिए सप्ताह के हर दिन उस वार के आराध्य देव के अनुसार अपने कपड़े के रंगों का चयन करें।
सोमवार- सोमवार यानी शीतल चंद्रमा का दिन। इसलिए इस दिन का रंग है सफेद।
मंगलवार- यह हनुमानजी का दिन है। उनकी मूर्तियों में भगवा रंग होता है। इसलिए इस दिन का विशेष रंग है भगवा, जिसे अंग्रेजी में ऑरेंज कलर कहते हैं।
बुधवार- तीसरा दिन होता है देवों के देव गणपति का, जिन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है दूर्वा। इसलिए इस दिन हरे कलर का महत्व है।
गुरुवार- यानी हफ्ते का चौथा दिन, जो बृहस्पति देव और साईं बाबा का है। बृहस्पति देव स्वयं पीले हैं, तो इस दिन का रंग है पीला।
शुक्रवार- यह देवी माँ का दिन होता है, जो सर्वव्यापी जगतजननी हैं। इसलिए यह दिन सभी रंगों का मिक्स या प्रिंटेड कपड़ों का होता है।
शनिवार- शनि देवता को समर्पित इस दिन नीला कलर पहना जाता है।
रविवार- सूर्य की उपासना के इस दिन गुलाबी रंग का विशेष महत्व है।

बम का दंभ भूल जाता पाक, यदि उस दिन भारत दिखा देता औकात


लश्कर-ए-तैयबा और हूजी की आतंकी गतिविधि के बारे में खबरदार करने और जवाबी कार्रवाई की रणनीति बनाने में इजरायल की विश्व प्रसिद्ध खुफिया एजेंसी मोसाद भारतीय एजेंसियों से संपर्क में है। इजरायली राजनयिक पर हमले की जांच की सुई पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकी संगठनों की ओर इशारा कर रही है।

परोक्ष रूप से आतंकवाद का संचालन करने वाले पाकिस्तान की स्थिति ऐसी नहीं होती, यदि 1980 के दौर में भारत और इजरायल संयुक्त रूप से पाक के परमाणु ठिकानों पर हमला करने में कामयाब हो जाते। जी हां, भारत और इजरायल के बीच खुफिया संबंध बहुत पुराने हैं।

"एशियन एज" अखबार ने एक अमेरिकी पुस्तक के हवाले से लिखा है कि, 1982-83 में भारत और इजरायल पाक के परमाणु ठिकानों पर हमला करने वाले थे। उस समय पाकिस्तान परमाणु बम बनाने में लगा हुआ था। इसकी खुफिया सूचना भारत को मिल गई। इस खबर से भारत परेशान हो गया। तब इजरायल ने भारत को पाक के परमाणु ठिकानों पर हमला करने की सलाह दी। दोनों ने गुप्त रूप से इसकी तैयारी शुरू कर दी। 1983-84 में पाक के कहुता परमाणु रिसर्च सेंटर पर हमले की योजना बनाई गई।

किताब के मुताबिक, इजरायल और भारत के पाकिस्तान हमले की सूचना अमेरीका की खुफिया एजेंसी सीआईए के हाथ लग गई। उसने इस बात की जानकारी
पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक को दे दिया। पाकिस्तानी आर्मी भारत और इजरायल के संयुक्त हमले का जवाब देने के लिए तैयार हो गई।

किताब के मुताबिक, पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख के.एम आरिफ ने जवाबी हमले की पूरी तैयारी कर ली थी। उस समय अमेरिका ने भारत को चेतावनी जारी की कि यदि उसने पाकिस्तान पर हमला किया तो वह भी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान की तरफ से हिस्सा लेगा। पाक की तरफ से अमेरिका को खड़ा देख भारत ने इस ऑपरेशन को रद्द कर दिया। यदि उस समय सीआईए ने जानकारी लीक नहीं की होती, तो आज पाकिस्तान की स्थिति कुछ और ही होती।

लहसुन की अनोखी क्रीम: ऐसे बनाकर लगाएं तो मुंहासे साफ हो जाएंगें


लहसुन का उपयोग यूं तो भोजन का स्वाद बढ़ाने में किया जाता है, लेकिन यह औषधि के रूप में भी उतना ही फायदेमंद है। लहसुन कुदरती खूबियों से भरपूर है। लेकिन इसे उचित मात्रा में ही लेना चाहिए। लहसुन की तासीर काफी गर्म और खुश्क होती है। लेकिन इसके सही तरीके से सेवन से कई तरह की बीमारियां दूर होती है।

लहसुन का उपयोग सिर्फ खाकर ही नहीं बल्कि इसे लगाकर भी रोगों को दूर किया जा सकता है। मुंहासे भी एक ऐसी समस्या है जो अधिकतर युवाओं को परेशान करता है। हम आपको बताने जा रहे हैं लहसुन का अनोखा प्रयोग इसे अपनाएं तो मुहांसे साफ हो जाएंगे।

- मुंहासे के लिए लहसुन की दो कलियों को और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे मुहांसों पर और चेहरे पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।

- दो कलियां लहसुन की पीसकर एक गिलास दूध में उबाल ले व ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पिए हृदय के रोगों में आराम मिलता है।- लहसुन के नियमित सेवन पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना को कम कर देताहै।

- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित होता है। एसिडिटी और गैस्टिक ट्रबल में इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।

प्याज का अनोखा प्रयोग... ये खून की कमी जल्दी से दूर कर देगा


प्याज को शास्त्रों में तामसिक भोजन माना गया है। लेकिन हम आयुर्वेद व चिकित्सा शास्त्र की माने तो प्याज के सेवन का एक नुकसान सही पर इसके अनेकों फायदे हैं। प्याज के सेवन से हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स का खतरा कम हो जाता है। रोज प्याज का सेवन करने से शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है।

प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी बहुत जल्दी दूर होती है। यदि गठिया का दर्द सताए तो प्याज के रस की मालिश करें। उच्च रक्तचाप के रोगियों को कच्चे प्याज का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह ब्लडप्रेशर कम करता है। उल्टियां हो रही हों या जी मिचला रहा हो, तो प्याज के टुकड़े में नमक लगाकर खाने से राहत मिलती है। जिन्हें मानसिक तनाव बना रहता हो, उन्हें प्याज का सेवन करना चाहिए, क्योंकि प्याज में मौजूद एक विशेष रसायन मानसिक तनाव कम करने में सहायक है।

प्याज के सेवन से आंखों की ज्योति बढ़ती है। प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है। अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें। सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है।घर के बुजुर्ग गर्मियों में प्याज को साथ में रखने की सलाह देते हैं क्योंकि प्याज शरीर को गर्मी लगने से बचाता है।

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