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23 फ़रवरी 2012

भारत का एक ऐसा गांव जो कभी अंधेरे में नहीं डूबेगा


कुल्लू.अब प्राचीन लोकतंत्र वाला मलाणा कभी भी अंधेरे में नहीं डूबेगा क्योंकि गांव को दूधिया रोशनी से जगमगाने की योजना बनाई गई है। मलाणा गांव में सोलर लाइटें लगाने की योजना है। इसमें से कुछ सोलर लाइटें लगाई गई हैं और इसके अलावा और भी सोलर लाइटें लगाने की योजना है।

14 सोलर लाइटें लगाई जा चुकी हैं। अब जहां और लाइटों की आवश्यकता होगी वहां और सोलर लाइटें लगाने का प्रावधान है। इससे मलाणा गांव कभी भी अंधेरे में नहीं डूबेगा। चाहे सर्दी का मौसम हो या फिर भारी बरसात का समय हर रात को मलाणा दुधिया रोशनी में नहाता नजर आएगा।

हालांकि भारी बर्फबारी के चलते मलाणा गांव हर बार अंधेरे में डूब जाता है। बरसात में भी बिजली की लाइनें टूटने के कारण अंधेरे में डूबता है। लेकिन अब सोलर लाइटें लगने से यह गांव कभी अंधेरे में डूबता नजर नहीं आएगा।

गांव में बिजली जाने से गांववासियों को अपने घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है लेकिन सोलर लाइटें लगने से उन्हें इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। बताया जा रहा है कि अब तक इन सोलर लाइटों पर करीब साढ़े तीन लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके लिए लाडा ने धन खर्च किया है।

अदालत परिसर में ही मचा दिया हंगामा, पुलिस-वकील-मीडिया सब हुए शिकार


नई दिल्ली. कड़कड़डूमा अदालत परिसर में गुरुवार दोपहर वकीलों और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई, जिसमें करीब एक दर्जन लोग घायल हो गए। घायलों में मीडियाकर्मी भी शामिल हैं। विवाद की शुरुआत उस समय हुई, जब कुछ वकील अपने एक साथी वकील के घर की जा रही निगम की तोड़फोड़ की शिकायत लेकर आनंद विहार थाने पहुंचे।

उसी समय एमसीडी के अधिकारी भी अपनी शिकायत लेकर वहां पहुंच गए। देखते ही देखते वहां दोनों पक्षों में गहमागहमी और तीखी झड़प होने लगी, जिसमें पुलिस भी उलझ गई।

इसके बाद इसी मामले ने कड़कड़डूमा जिला अदालत परिसर में बड़ी झड़प का रूप ले लिया। इसमें पीसीआर वैन समेत कुछ अन्य वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए। देर रात तक अदालत के बाहर भारी संख्या में पुलिसबल तैनात रहा और तनाव का माहौल बना रहा।

जानकारी के अनुसार शाहदरा बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार दो वकील भाइयों के कड़कड़डूमा गांव स्थित इंद्रापुरी में एक प्लॉट पर निर्माण कार्य चल रहा था।

यहां गुरुवार दोपहर आए एमसीडी दस्ते ने इसे अवैध बताते हुए तोड़फोड़ की प्रकिया शुरू की। इसी बीच पता लगने पर उनके वकील साथी भी वहां पहुंच गए और उन्होंने 100 नंबर पर कॉल कर दी।

इसके बाद दोनों पक्ष आनंद विहार थाने पहुंचे और फिर वहां कहासुनी शुरू हो गई। जैसे ही यह बात अन्य वकीलों को पता चली तो सैंकड़ों की तादाद में वे भी थाने पहुंच गए और उन्होंने थाने का घेराव किया।

इसके बाद, पुलिस के व्यवहार से असंतुष्ट होकर वकील कड़कड़डूमा अदालत परिसर में पहुंच गए और अपना विरोध जताने लगे। इस पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया तो फिर हाथापाई और मारपीट होने लगी।

इस दौरान मीडिया के लोग भी वहां पहुंच गए थे। मारपीट के बीच अदालत परिसर में जमकर हंगामा हुआ और वहां मौजूद चौकी में में तोड़फोड़ की गई। इस झड़प में करीब एक दर्जन लोग घायल हो गए। मौके पर कवरेज करने के लिए आए मीडियाकर्मियों को भी चोटें लगी हैं और कुछ के कैमरे तोड़ दिए गए हैं।

इस बाबत पुलिस का कहना है कि 22 जनवरी को एमसीडी की ओर से एक अनुरोध आया था कि 23 फरवरी को वार्ड नंबर 225 और 228 में अवैध संपत्ति के खिलाफ सीलिंग व तोड़फोड़ का अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए पुलिस की सहायता मांगी गई थी।

तय कार्यक्रम के तहत जूनियर इंजीनियर (जेई) निशांत सिंह एमसीडी का दस्ता लेकर आनंद विहार थाना पुलिस के साथ कड़कड़डूमा गांव में कार्रवाई के लिए पहुंचे थे, लेकिन उनको वहां तोड़फोड़ करने से रोका गया। फिर यही विवाद कड़कड़डूमा अदालत परिसर तक पहुंच गया।

पुलिस का कहना है कि अदालत परिसर स्थित सीसीटीवी मॉनिटरिंग रूम में लगे एलसीडी स्क्रीन तथा सुरक्षा के लिहाजा से लगाए गए डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर तोड़ दिए गए। पुलिस के अनुसार मारपीट में एसएचओ विवेक विहार सहित दो एसएचओ, एक एसआई, दो सिपाही व एक हवलदार घायल हुए हैं।

इसमें हवलदार संजय की हालत गंभीर बनी हुई है। वहीं, विवेक विहार के एसीपी व एसएचओ की सरकारी गाड़ी के अलावा दो सरकारी मोटरसाइकिल भी क्षतिग्रस्त हुई है। फिलहाल, कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।

वकील आज तय करेंगे अपनी रणनीति

कड़कड़डूमा अदालत में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच हुई झड़प की इस घटना के संदर्भ में राजधानी की सभी बार एसोसिएशन की संयोजन समिति के अध्यक्ष आई एस सरोहा ने कहा है कि राजधानी की सभी बार एसोसिएशन के पदाधिकारी कल (शुक्रवार) को तीस हजारी अदालत में एक बैठक करेंगे।

चूंकि, अभी घटना के संदर्भ में सभी तथ्य पता नहीं चल सके हैं, लिहाजा सभी जानकारियां एकत्र होने के बाद कल होने वाली मीटिंग में आपसी विचार-विमर्श के बाद ही वह कोई निर्णय लेंगे।

सरोहा ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में दिल्ली पुलिस ने इस तरह वकीलों पर कोई बर्बर कार्रवाई की तो वे कानूनी कदम उठाएंगे।

हल्के में न लें भूलने की आदत,ये हो सकती है जानलेवा बीमारी का इशारा!



बहुत अधिक वजन बढऩा घटना या बार-बार भूलना ये कुछ ऐसी समस्याएं हैं। जिन्हें लोग सामान्य तरीके से लेते हैं। वजन बढ़ जाता है तो उसे घटाने की कोशिश करने लगते हैं, घटता है तो बढ़ाने की। लेकिन बहुत कम लोग इस बात पर ध्यान देते हैं कि ये किसी तरह की बीमारी के कारण भी हो सकते हैं। ये लक्षण थाइरॉइड के इशारे हो सकते हैं। वैसे तो थाइरॉइड ज्यादातर खानदानी पाया जाता है।

लेकिन आयोडीन की कमी, खान-पान में अव्यवस्थित व्यवस्था, चिंता जैसी वजह भी इस बीमारी का कारण बनती है। थाइरॉइड भी दो तरह की होती है हाइपो और हाइपर। हाइपो में वजन बढऩे लगता है और भूख कम लगती है। हाथ- पांव में सूजन आ जाती है।

मरीज सुस्ती और सर्दी से परेशान रहता है। उसका किसी काम में मन नहीं लगता। कभी-कभी मासिक स्त्राव और याददाश्त में कमी हो सकती है। हाइपोथाइरोडिज्म ऐसी स्थिति है, जब थाइरॉइड हार्मोन का स्त्राव बहुत ही कम मात्रा में होता है। ऐसी स्थिति में शरीर में भोजन की ऊर्जा को रासायनिक प्रक्रिया में बदलने की गति धीमी हो जाती है। आमतौर पर यह बीमारी पकड़ में नहीं आती। इसके लक्षणों को अन्य रूप में लिया जाता है। इसके उल्टे हाइपर में मरीज का वजन कम हो जाता है और भूख ज्यादा लगती है। मानसिक तनाव की शिकायत होती है। एकाग्रता में कमी, धड़कन और बीपी बढऩे की शिकायत हो जाती है।

थाइरॉइड का कार्य मानव शरीर के अंदर इन दोनो हार्मोन्स को सही मात्रा में पहुंचाना है, जिसके घटने या बढने से महिलाओं के अंदर बांझपन और पीरियड्स के बढऩे जैसी दिक्कतें पैदा हो जाती है। इस तरह से हमें पता चलता है कि थाइरॉइड का काम हर्मोन्स को नियत्रंण रखना होता है। थाइरॉइड द्वारा निकलने वाला हार्मोन्स टी-3 और टी-4 घटने या बढऩे वाली क्रिया को थाइरॉइड डिसआर्डर कहते हैं।

छत्तीसगढ़ के बारे में नया ज्ञान, यहां की महिलाओं के होते हैं 36 पति



रायपुर.देश-दुनिया में राज्य की तारीफ करने के लिए लेखिका लक्ष्मी शरथ को आमंत्रण देना छत्तीसगढ़ राज्य पर्यटन मंडल को भारी पड़ रहा है। राज्य का दौरा करने के बाद शरथ ने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे अपने लेख में छत्तीसगढ़ की महिलाओं के 36 पति होने का जिक्र किया है।

राज्य की महिलाओं के बारे में अभद्र टिप्पणी से बिफरे राज्य महिला आयोग ने लेखिका, अखबार को कानूनी नोटिस जारी कर तलब करने का फैसला किया है। आयोग की अध्यक्ष विभा राव का कहना है कि इस तरह की टिप्पणी से राज्य की महिलाओं के सम्मान और गरिमा को ठेस लगी है

आयोग की अध्यक्ष विभा राव ने गुरुवार को प्रेस कान्फ्रेंस में 17 फरवरी को प्रकाशित लेख की भाषा और तथ्यों पर नाराजगी जाहिर की। लेखिका को नोटिस जारी कर प्रकाशित तथ्य के आधार के बारे में पूछा जाएगा। आयोग लेखिका पर नोटिस जारी करने के लिए उनके बारे में पता लगा रहा है। नोटिस का जवाब देने के लिए लेखिका को राजधानी आना होगा। आयोग इस मुद्दे की शिकायत राज्य सरकार के साथ ही केंद्रीय महिला आयोग से भी करने जा रहा है।

सुश्री शरथ पिछले दिनों पर्यटन विभाग के आमंत्रण पर प्रदेश के दौरे पर आई थीं। अपने अनुभव को लिखते हुए शरथ ने प्रदेश की महिलाओं के बारे में उक्त टिप्पणी की। इस पर बवाल मच गया है। महिला आयोग के साथ ही विभिन्न महिला संगठनों ने विरोध दर्ज कराया है। कई लोगों ने ब्लॉग पर इस टिप्पणी की निंदा की है।

ड्राइवर और गाइड से जो सुना, लिख दिया

प्रश्न- अपने लेख में छत्तीसगढ़ी महिलाओं पर की गई शर्मनाक टिप्पणी पर आपका क्या कहना है?

उत्तर- मैं तो वही लिखा है, जो वहां लोग बातें कर रहे थे। और मुझे लंबे अरसे से पर्यटन विभाग बुला रहा था। तो इस संबंध में आप उनसे बात कीजिए।

प्रश्न- आपको नहीं लगता कि आपने यह सब फेम के लिए किया है?

उत्तर- नहीं मैंने जो उन लोगों की बात में सुना उसे लेकर लिखा है। जैसा कि मैं करती हूं।

प्रश्न- वो जो लोग थे अगर कुछ उल-जलूल टिप्पणी आपके बारे में कर रहे होते तो भी क्या आप लिखतीं?

उत्तर- मैं कुछ नहीं जानती, मुझे जो वहां पर मिला मैंने लिख दिया।

प्रश्न- छत्तीसगढ़ी महिलाओं पर इस तरह का कमेंट करने से पहले आपने नहीं सोचा आप खुद एक महिला हैं?

उत्तर- मैंने कुछ भी गलत नहीं लिखा। और मैंने स्वयं ने कुछ भी नहीं कहा, यह तो वहां मेरे गाइड और ड्रायवर के बीच की बात थी, जो मैंने अपने लेख में लिखी है।

अहल्या उद्धार


* आश्रम एक दीख मग माहीं। खग मृग जीव जंतु तहँ नाहीं॥
पूछा मुनिहि सिला प्रभु देखी। सकल कथा मुनि कहा बिसेषी॥6॥
भावार्थ:-मार्ग में एक आश्रम दिखाई पड़ा। वहाँ पशु-पक्षी, को भी जीव-जन्तु नहीं था। पत्थर की एक शिला को देखकर प्रभु ने पूछा, तब मुनि ने विस्तारपूर्वक सब कथा कही॥6॥
दोहा :
* गौतम नारि श्राप बस उपल देह धरि धीर।
चरन कमल रज चाहति कृपा करहु रघुबीर॥210॥
भावार्थ:-गौतम मुनि की स्त्री अहल्या शापवश पत्थर की देह धारण किए बड़े धीरज से आपके चरणकमलों की धूलि चाहती है। हे रघुवीर! इस पर कृपा कीजिए॥210॥
छन्द :
* परसत पद पावन सोकनसावन प्रगट भई तपपुंज सही।
देखत रघुनायक जन सुखदायक सनमुख होइ कर जोरि रही॥
अति प्रेम अधीरा पुलक शरीरा मुख नहिं आवइ बचन कही।
अतिसय बड़भागी चरनन्हि लागी जुगल नयन जलधार बही॥1॥
भावार्थ:-श्री रामजी के पवित्र और शोक को नाश करने वाले चरणों का स्पर्श पाते ही सचमुच वह तपोमूर्ति अहल्या प्रकट हो गई। भक्तों को सुख देने वाले श्री रघुनाथजी को देखकर वह हाथ जोड़कर सामने खड़ी रह गई। अत्यन्त प्रेम के कारण वह अधीर हो गई। उसका शरीर पुलकित हो उठा, मुख से वचन कहने में नहीं आते थे। वह अत्यन्त बड़भागिनी अहल्या प्रभु के चरणों से लिपट गई और उसके दोनों नेत्रों से जल (प्रेम और आनंद के आँसुओं) की धारा बहने लगी॥1॥
* धीरजु मन कीन्हा प्रभु कहुँ चीन्हा रघुपति कृपाँ भगति पाई।
अति निर्मल बानी अस्तुति ठानी ग्यानगम्य जय रघुराई॥
मैं नारि अपावन प्रभु जग पावन रावन रिपु जन सुखदाई।
राजीव बिलोचन भव भय मोचन पाहि पाहि सरनहिं आई॥2॥
भावार्थ:-फिर उसने मन में धीरज धरकर प्रभु को पहचाना और श्री रघुनाथजी की कृपा से भक्ति प्राप्त की। तब अत्यन्त निर्मल वाणी से उसने (इस प्रकार) स्तुति प्रारंभ की- हे ज्ञान से जानने योग्य श्री रघुनाथजी! आपकी जय हो! मैं (सहज ही) अपवित्र स्त्री हूँ, और हे प्रभो! आप जगत को पवित्र करने वाले, भक्तों को सुख देने वाले और रावण के शत्रु हैं। हे कमलनयन! हे संसार (जन्म-मृत्यु) के भय से छुड़ाने वाले! मैं आपकी शरण आई हूँ, (मेरी) रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए॥2॥
* मुनि श्राप जो दीन्हा अति भल कीन्हा परम अनुग्रह मैं माना।
देखेउँ भरि लोचन हरि भव मोचन इहइ लाभ संकर जाना॥
बिनती प्रभु मोरी मैं मति भोरी नाथ न मागउँ बर आना।
पद कमल परागा रस अनुरागा मम मन मधुप करै पाना॥3॥
भावार्थ:-मुनि ने जो मुझे शाप दिया, सो बहुत ही अच्छा किया। मैं उसे अत्यन्त अनुग्रह (करके) मानती हूँ कि जिसके कारण मैंने संसार से छुड़ाने वाले श्री हरि (आप) को नेत्र भरकर देखा। इसी (आपके दर्शन) को शंकरजी सबसे बड़ा लाभ समझते हैं। हे प्रभो! मैं बुद्धि की बड़ी भोली हूँ, मेरी एक विनती है। हे नाथ ! मैं और कोई वर नहीं माँगती, केवल यही चाहती हूँ कि मेरा मन रूपी भौंरा आपके चरण-कमल की रज के प्रेमरूपी रस का सदा पान करता रहे॥3॥
* जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।
सोई पद पंकज जेहि पूजत अज मम सिर धरेउ कृपाल हरी॥
एहि भाँति सिधारी गौतम नारी बार बार हरि चरन परी।
जो अति मन भावा सो बरु पावा गै पति लोक अनंद भरी॥4॥
भावार्थ:-जिन चरणों से परमपवित्र देवनदी गंगाजी प्रकट हुईं, जिन्हें शिवजी ने सिर पर धारण किया और जिन चरणकमलों को ब्रह्माजी पूजते हैं, कृपालु हरि (आप) ने उन्हीं को मेरे सिर पर रखा। इस प्रकार (स्तुति करती हुई) बार-बार भगवान के चरणों में गिरकर, जो मन को बहुत ही अच्छा लगा, उस वर को पाकर गौतम की स्त्री अहल्या आनंद में भरी हुई पतिलोक को चली गई॥4॥
दोहा :
* अस प्रभु दीनबंधु हरि कारन रहित दयाल।
तुलसिदास सठ तेहि भजु छाड़ि कपट जंजाल॥211॥
भावार्थ:-प्रभु श्री रामचन्द्रजी ऐसे दीनबंधु और बिना ही कारण दया करने वाले हैं। तुलसीदासजी कहते हैं, हे शठ (मन)! तू कपट-जंजाल छोड़कर उन्हीं का भजन कर॥211॥

कुरान का संदेश

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पदोन्नति में आरक्षण मामले में सरकार को झटका

हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार की11 सितंबर की अधिसूचना को हाईकोर्ट ने माना अवमानना , मुख्य सचिव व प्रमुख कार्मिक सचिव को दोषी मानते हुए अदालत में पेश होने के निर्देश

जयपुर। पदोन्नति में आरक्षण मामले में गुरुवार को हाईकोर्ट में राजस्थान सरकार को जबरदस्त झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सरकार की 11 सितंबर 2011 की अधिसूचना को और 5 फरवरी 2010 के आदेश के पालन नहीं करने को अवमानना माना है। साथ ही अदालत ने सरकार को आखिरी मौका देते हुए निर्देश दिया कि वह तीन दिन में 5 फरवरी के आदेश का पालन करे। न्यायाधीश एन.के.जैन व आर.एस.राठौड़ ने यह आदेश समता आंदोलन समिति व अन्य की अवमानना याचिका पर दिया।
खंडपीठ ने मुख्य सचिव एस.अहमद व प्रमुख कार्मिक सचिव खेमराज को अवमानना का दोषी मानते हुए उन्हें 27 फरवरी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। अदालत इस दिन इन दोनों अफसरों को सुनाने वाली सजा तय करेगी।

यह था 5 फरवरी का आदेश:

अदालत ने 5 फरवरी 2010 के आदेश से राज्य सरकार की 28 दिसंबर 02 एवं 25 अप्रैल 08 की अधिसूचनाओं को संविधान के विपरीत मानकर निरस्त कर दिया था। साथ ही आरएएस सेवा में सुपरटाइम स्केल व सलेक्शन स्केल की वरीयता सूची व आरक्षित वर्ग को पारिणामिक वरिष्ठता लाभ के आदेश सहित अन्य कार्रवाई निरस्त कर दी थी। अदालत के इस आदेश से जहां सामान्य वर्ग को पुन: अर्जित वरिष्ठता का लाभ मिल गया वहींं आरक्षित वर्ग को दिया जाने वाला पारिणामिक वरिष्ठता का लाभ निरस्त कर दिया। लेकिन सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया जिसे अवमानना याचिका में चुनौती दी गई।

मोलाना फजले हक ने पेरा टीचर्स प्रशिक्ष्ण शिविर में मदरसे नियमित संचालित करने की हिदायत दी

राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन मोलाना फजले हक ने आज यहाँ कोटा सर्किट हाउस में आयोजित मदरसा टीचर प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी पेरा टीचर्स को अपने अपने मदरसों को नियमित संचालित करने की हिदायत देते हुए कहा है के वोह उनका फर्ज़ निभाएं उनके लियें सरकार और मदरसा बोर्ड का जो कर्तव्य बनता है वोह सब उन्हें बिना मांगे तुरंत मिल जायेगा ...मोलाना फजले हक आज कोटा अल्प संख्यक मामलात विभाग और मदरसा पेरा टीचर्स सम्भागीय समिति के बेनर तले आयोजित मदरसा पेरा टीचर्स प्रशिक्ष्ण कार्यक्रम में बोल रहे थे .मोलन फजले हक ने कहा के हमने सरकार के सामने सभी मदरसा पेरा टीचर्स को दुसरे पेरा टीचर्स की तरह मदरसों के टीचर्स को भी वेतन देने की मांग रखी है उन्होंने कहा के दुसरे बेनर तले लगे शिक्षा सहयोगियों को जितना वेतन मिलता है कमसे कम उतना वेतन तो पेरातिचर्स को भी मिलना चाहिए .मोलाना फजले हक ने कहा के राजस्थान के सभी जिलों और ब्लोक मुख्यालयों पर राजस्थान सरकार से लडकियों और लडकों के लियें प्रथक प्रथक मोडल मदरसों की मांग भी सरकार के समक्ष रखी है ..उन्होंने कहा के जिन पेरा टीचर्स के वेतन के मामले अटके पढ़े है वोह ५ मार्च तक निस्तारित कर दिए जायेंगे ......कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कोंग्रेस के प्रदेश महासचिव पंकज मेहता ने कहा के सरकार से हम भी सिफारिश करेंगे के पेरा टीचर्स का मानदेय बढ़ा कर दिया जाए ..कार्यक्रम में प्रदेश कोंग्रेस कमेटी के सचिव डोक्टर जफर मोहम्मद ने भी पेरातिच्र्स की मांगों का समर्थन करते हुए उन्हें मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण की सलाह दी ...कार्यक्रम में कोटा सम्भाग के सेकड़ों मदरसा पेरा टीचर्स उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन अमीन खान ने किया जबकि पेरा टीचर्स संघर्ष समिति के सम्भागीय संयोजक अनवर खान ने पेरा टीचर्स की समस्याओं को रखा .कार्यक्रम को जिला वक्फ कमेटी के चेयरमेन हाजी अज़ीज़ अंसारी ..अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट के एजाज़ खान अज्जू भाई ..अल्पसंख्यक अधिकारी रोनक खान .वक्फ कमेटी के वाइस चेयरमेन एडवोकेट अख्तर खान अकेला ...वाहिद खान .....मोलन समी ने भी सम्बोधित किया .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

महीने में दो दिन बिना खाना खाए रहना चाहिए, क्योंकि...


क्या आप जानते हैं हमारे जीवन का पहला सुख क्या है? शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार पहला सुख निरोगी काया को बताया गया है। निरोगी काया का अर्थ है स्वस्थ शरीर। यदि किसी व्यक्ति का शरीर स्वस्थ नहीं होगा तो वह दुनिया के किसी भी सुख को नहीं भोग सकता। हमारे जीवन के समस्त सुखों का आनंद प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि हमारा शरीर पूरी तरह से निरोगी रहे। शास्त्रों के अनुसार शरीर को बीमारियों से दूर रखने के लिए कई उपाय बताए गए हैं इन्हीं उपायों में से एक है व्रत-उपवास।

अधिकांश बीमारियां खाने-पीने की वस्तुओं और पेट से संबंधित होती है, अत: इन बातों की विशेष ध्यान देने आवश्कता होती है। यदि हमारा पाचन तंत्र व्यस्थित और स्वस्थ रहेगा तो काफी हद तक हम बीमारियों पर रोक लगा सकते हैं। पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि हम एक महीने में कम से कम दो बिना खाना खाए रहें। इसी बात का ध्यान रखते हुए प्राचीन काल से ही व्रत-उपवास रखने की परंपरा बनाई गई है। ताकि व्यक्ति व्रत-उपवास के नाम पर शरीर के पाचन तंत्र को आराम दे।

व्रत-उपवास का धार्मिक महत्व भी है। व्रत का अर्थ है संकल्प या दृढ़ निश्चय तथा उपवास का अर्थ ईश्वर या इष्टदेव के समीप बैठना भारतीय संस्कृति में व्रत तथा उपवास का इतना अधिक महत्व है कि हर दिन कोई न कोई उपवास या व्रत होता ही है। सभी धर्मों में व्रत उपवास की आवश्यकता बताई गई है। इसलिए हर व्यक्ति अपने धर्म परंपरा के अनुसार उपवास या व्रत करता ही है। वास्तव में व्रत उपवास का संबंध हमारे शारीरिक एवं मानसिक शुद्धिकरण से है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।

कब करें व्रत-उपवास- हर महीने दो एकादशी रहती हैं, शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत अक्षय पुण्य प्रदान करता है। अत: हर माह में दोनों ही एकादशी का व्रत करना चाहिए। अर्थात् इन दो दिनों में बिना खाना खाए रहना चाहिए। फलाहार किया जा सकता है। इसके अलावा प्रति रविवार को बिना नमक का खाना खाएंगे तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी रहेगा। किसी-किसी दिन दूध और फलाहार करके भी रहना चाहिए।

व्रत उपवास से शरीर स्वस्थ रहता है। निराहार रहने, एक समय भोजन लेने अथवा केवल फलाहार से पाचनतंत्र को आराम मिलता है। इससे कब्ज, गैस, एसिडीटी अजीर्ण, अरूचि, सिरदर्द, बुखार, आदि रोगों का नाश होता है। आध्यत्मिक शक्ति बढ़ती है। ज्ञान, विचार, पवित्रता बुद्धि का विकास होता है। इसी कारण उपवास व्रत को पूजा पद्धति को शामिल किया गया है।

किन लोगों को व्रत-उपवास नहीं करना चाहिए- सन्यासी, बालक, रोगी, गर्भवती स्त्री, वृद्धों को उपवास करने पर छूट प्राप्त है।

जेठमलानी ने कहा, स्टूपिड हैं गृहमंत्री


नई दिल्ली. पिछले साल रामलीला मैदान में हुए लाठीचार्ज के मामले में सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए बाबा रामदेव ने कहा है कि सरकार कदम-कदम पर संविधान और कानून का उल्लंघन कर रही है। हर रोज सरकार लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है।

प्रेस कांफ्रेस में बाबा रामदेव के साथ ही मौजूद भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी करने वाले वकील राम जेठमलानी ने पी. चिदंबरम पर निशाना साधते हुए कहा, 'मैं जानना चाहता हूं कि इस नासमझ (स्टूपिड) गृह मंत्री को किसने यह अधिकार दे दिया कि वह तय करें कौन विरोध कर सकता है और कौन नहीं।' जेठमलानी ने कहा, 'मेरा सवाल यही है कि उस रात बवाल किसने शुरू किया था? तथ्य यही है कि 4 जून की उस रात जनता रामलीला मैदान में सो रही थी। जब उन पर हमला हुआ। मुझे आज इस बात की चिंता है कि इस मामले में गृह मंत्री की इस मामले में क्या भूमिका थी?'

देश के जाने माने वकील जेठमलानी ने तल्‍ख तेवर अपनाते हुए कहा, ‘स्‍टूपिड होम मिनिस्‍टर’ को यह ‘पॉवर’ किसने दिया कि रामदेव को प्रदर्शन और आमरण अनशन की इजाजत नहीं है और यदि वह ऐसा करते हैं तो उन्‍हें दिल्‍ली के बाहर उठा कर फेंक दिया जाए। देश का गृह मंत्री ही संविधान का दुश्मन है।’
जेठमलानी ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे। हमने देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तरफ से नोटिस जारी किया था। मेरे हिसाब से बाबा रामदेव ने मुकदमा जीता है।'

जेठमलानी ने आगे कहा, 'सब लोग जानते हैं कि बाबा रामदेव काले धन के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे। सरकार और सीबीआई ने काले धन के मुद्दे पर कुछ नहीं किया। स्विस पत्रिका ने उन लोगों के नाम छापे थे, जिन पर काले धन रखने का आरोप है। मुझे इस बात पर शर्म आती है कि उसमें राजीव गांधी का भी नाम था। लेकिन कांग्रेस ने इस पत्रिका को चुनौती नहीं दी?' जेठमलानी ने कहा कि वे काले धन की लड़ाई में बाबा रामदेव का साथ देते रहेंगे।

सोते हुए लोगों पर क्रूरता

बाबा रामेदव ने अपनी तरफ से सफाई देते हुए कहा, 'केंद्र के आदेश पर सोते हुए लोगों पर क्रूरता की गई थी। ताकत का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया। मैंने शांति की अपील की थी।'

रामदेव ने कहा, ‘केंद्र के कहने पर पुलिस ने क्रूरता की। राजबाला की मौत पर सरकार के संवेदना के एक शब्‍द भी नहीं कहे। यदि आंदोलन या विरोध प्रदर्शन करना अपराध है तो गांधी, जेपी ने भी अपराध किया। उस वक्‍त कई लोग मारे गए लेकिन सरकार ने गांधी या जेपी को जिम्‍मेदार नहीं ठहराया गया। यह (मौजूदा केंद्र) सरकार तो ब्रिटिश सरकार से भी क्रूर है।

रामदेव ने केंद्र सरकार पर रामलीला मैदान की घटना की वीडियो फुटेज कांट छांट कर अदालत में पेश करने का आरोप लगाया। योग गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार हिंदुओं को आतंकवादी और मुसलमानों को राष्‍ट्रविरोधी मानती है। काले धन के खिलाफ दिल्‍ली में फिर से प्रदर्शन होगा। अगले आंदोलन की घोषणा जल्‍द होगी और इस बार आर पार की लड़ाई होगी।
राजबाला की पुत्रवधु की प्रतिक्रिया

रामलीला मैदान में पुलिसिया कार्रवाई के दौरान घायल होकर दम तोड़ने वाली राजबाला की पुत्रवधु भी रामदेव के साथ प्रेस काफ्रेंस में मौजूद थीं। उन्‍होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम सम्‍मान करते हैं। उन्‍होंने कहा, ‘हम मुआवजा के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे। हमारी मांग है कि एक निष्‍पक्ष जांच कमेटी बनाई जाए जो रामलीला मैदान में हुई घटना का सच सामने आए। दोषी को सजा दी जाए। स्‍वामी जी का निजी आंदोलन नहीं था बल्कि देश की जनता के लिए था।’

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