आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

25 फ़रवरी 2012

कुरान का संदेश

विनायकी चतुर्थी व्रत आज, ऐसी पूजा से प्रसन्न होंगे श्रीगणेश


भगवान गणेश सभी दु:खों को हरने वाले हैं। इनकी कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रत किया जाता है, इसे विनायकी चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार यह व्रत 25 फरवरी, शनिवार को है। विनायकी चतुर्थी का व्रत इस प्रकार करें-

- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्म से शीघ्र ही निवृत्त हों।

- दोपहर के समय अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दुर्वा दल चढ़ाएं।

- गुड़ या बूंदी के 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।

- पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।

-ब्राह्मण भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करने के पश्चात् संध्या के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें। संभव हो तो उपवास करें।

व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर श्री गणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।

और नरक से भी बदतर हो गई इन दो मासूमों की जिंदगी



कोटा.सीलन भरे कमरे में खिड़की की जालियों से बंधे दो मासूम बच्चे वहां उठती दुर्गंध की परवाह किए बिना अपनी ही धुन में अठखेलियां कर रहे थे। पास की रसोई में एक बुजुर्ग उनके लिए भोजन की व्यवस्था कर रहा था। दी- दुनिया से बेखबर दो युवतियां कभी तालियां बजा रही हैं तो कभी जोर-जोर से हंसने लगती हैं।

इसी बीच एक बच्चे ने गंदगी कर दी तो बुजुर्ग काम छोड़कर उसकी सफाई में लग गया। बावजूद उसके चेहरे पर किसी से कोई शिकायत नहीं थी बल्कि जीने और जीवनदान का जज्बा था। यह हृदयविदारक हाल है कैथूनीपोल मोखापाड़ा में काका भतीजे के मंदिर के पास रहने वाले 70 वर्षीय अमृतलाल के परिवार का। इस परिवार पर कुदरत का जो कहर बरपा है उसने हालात बद से बदतर कर दिए।

कभी हंसता खेलता परिवार था। धूमधाम से बड़ी बेटी हीरू की शादी घर से कुछ ही दूर पर की थी। उसके बाद से ही एक के बाद एक मुसीबतें शुरू हो गई। बेटी के दो बेटे हुए शंकर व सेवक। दोनों की मानसिक स्थिति बचपन में आए बुखार के कारण बिगड़ गई। अचानक बेटी की मौत हो गई।

दोनों बच्चे अमृतलाल के पास छोड़ दिए गए। उसके कुछ समय बाद दो और बेटियों 26 वर्षीय निर्मला व 24 वर्षीय सुलोचना की भी मानसिक स्थिति बिगड़ गई। घर में दो बच्चे व दो बड़ी बेटियां मानसिक रोग से पीड़ित और अमृतलाल की ढलती उम्र। पत्नी पहले ही चल बसी। घर में केवल एक अमृतलाल ही बचा। जिसके बुजुर्ग कंधों पर उन चारों के इलाज और उनके पेट भरने की जिम्मेदारी है।

अमृतलाल बताते हैं कि फेरी लगाकर गोली-बिस्किट बेचने से जो भी आय होती है उससे ही जैसे-तैसे गुजारा कर रहे हैं। चारों का काफी इलाज करवाया। प्राइवेट मनोचिकित्सक से लेकर एमबीएस अस्पताल तक में इलाज करवाया। जब तक रुपए थे तो खूब इलाज करवाया।

रुपए खत्म होगए तो मानसिक रोगी का सर्टिफिकेट बनाकर डॉक्टर ने यह कहते हुए दवा बंद कर दी कि यह तो ऐसे ही रहेंगे। बावजूद इन सबके अमृतलाल ने कभी किसी से शिकायत नहीं की। शुक्रवार को उस मकान में केबल कनेक्शन ठीक करने जब आपरेटर महेंद्र वर्मा व व्यापारी राकेश आचार्य पहुंचे तो उन्होंने बच्चों को बंधे हुए देखा।

पिता ने भी पल्ला झाड़ लिया

शंकर व सेवक के पिता घर से कुछ ही दूरी पर रहते हैं, लेकिन पत्नी की मौत के बाद उन्होंने इन बच्चों का इलाज करवाना तो दूर परवरिश तक करना मुनासिब नहीं समझा। उन दोनों को नाना के हवाले कर दिया।

इसलिए बांधकर रखना पड़ता है

इन बच्चों को बांधकर रखने के पीछे बुजुर्ग का दर्द यह है कि बड़ी बेटियां तो कोई नुकसान नहीं करती, लेकिन दोनों बच्चे काफी नुकसान कर देते हैं। कभी सामान उठाकर दूसरी मंजिल ने नीचे फेंक देते हैं तो कभी खाना उठाकर बाहर फेंक देते हैं। दरवाजा खुला देख इधर-उधर निकल जाते हैं।

फिर उन्हें तलाश करना पड़ता है। यदि इन बच्चों के पास ही रहूं तो फिर रोजी रोटी का जुगाड़ नहीं कर सकता। इसलिए बांध देता हूं ताकि वे घर में ही घूमते रहे। यदि कोई कोई संस्था उन बच्चों को अपने यहां रख सकें तो उनकी जिंदगी सुधर सकती है, वरना मेरे बाद क्या होगा..।

हनुमान चालीसा में चालीस दोहे ही क्यों हैं?

| Email Print Comment

श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी हमेशा से ही सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक हैं। शास्त्रों के अनुसार माता सीता के वरदान के प्रभाव से बजरंग बली को अमर बताया गया है। ऐसा माना जाता है आज भी जहां रामचरित मानस या रामायण या सुंदरकांड का पाठ पूरी श्रद्धा एवं भक्ति से किया जाता है वहां हनुमानजी अवश्य प्रकट होते हैं। इन्हें प्रसन्न करने के लिए बड़ी संख्या श्रद्धालु हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि हनुमान चालिसा में चालीस ही दोहे क्यों हैं?
केवल हनुमान चालीसा ही नहीं सभी देवी-देवताओं की प्रमुख स्तुतियों में चालिस ही दोहे होते हैं? विद्वानों के अनुसार चालीसा यानि चालीस, संख्या चालीस, हमारे देवी-देवीताओं की स्तुतियों में चालीस स्तुतियां ही सम्मिलित की जाती है। जैसे श्री हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, शिव चालीसा आदि। इन स्तुतियों में चालीस दोहे ही क्यों होती है? इसका धार्मिक दृष्टिकोण है। इन चालीस स्तुतियों में संबंधित देवता के चरित्र, शक्ति, कार्य एवं महिमा का वर्णन होता है। चालीस चौपाइयां हमारे जीवन की संपूर्णता का प्रतीक हैं, इनकी संख्या चालीस इसलिए निर्धारित की गई है क्योंकि मनुष्य जीवन 24 तत्वों से निर्मित है और संपूर्ण जीवनकाल में इसके लिए कुल 16 संस्कार निर्धारित किए गए हैं। इन दोनों का योग 40 होता है। इन 24 तत्वों में 5 ज्ञानेंद्रिय, 5 कर्मेंद्रिय, 5 महाभूत, 5 तन्मात्रा, 4 अन्त:करण शामिल है। सोलह संस्कार इस प्रकार है- 1. गर्भाधान संस्कार
2. पुंसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जातकर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. चूड़ाकर्म संस्कार
9. विद्यारम्भ संस्कार
10. कर्णवेध संस्कार
11. यज्ञोपवीत संस्कार
12. वेदारम्भ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. पाणिग्रहण संस्कार
16. अन्त्येष्टि संस्कार
भगवान की इन स्तुतियों में हम उनसे इन तत्वों और संस्कारों का बखान तो करते ही हैं, साथ ही चालीसा स्तुति से जीवन में हुए दोषों की क्षमायाचना भी करते हैं। इन चालीस चौपाइयों में सोलह संस्कार एवं 24 तत्वों का भी समावेश होता है। जिसकी वजह से जीवन की उत्पत्ति है।

सरकार को सोने ने किया मालामाल

| Email Print Comment

1991 में जब भारत के पास आयात के लिए पैसे नहीं बचे तो भारत सरकार ने 67 टन सोना विदेशों में गिरवी रखा था जिसमे से 47 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और 20 टन सोना यूनियन बैंक ऑफ स्विटजरलैंड के पास गिरवी रखा था। उस समय भारत के पास सिर्फ तीन हफ्तो के आयात के लिए कैश रिजर्व था। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है अब भारत सरकार के पास कुल 558 टन सोना है।

आर्थिक मोर्चे पर सरकार के लिए एक अच्छी खबर आई है। यह खबर न केवल सरकार बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छी है। आईबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी तिजोरी में रखे सोने की कीमत पिछले दो साल के भीतर ही 1 लाख करोड़ रुपए बढ़ गई है। सोने की कीमतों में अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू बाजार में तेजी के कारण सरकार की तिजोरी में रखे सोने की कीमत भी बढ़ गई है।

आईबी चीफ नेहचल संधू द्वारा प्रधामंत्री को भेजी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘सोने की कीमतों में उछाल का फायदा सरकार को भी मिल रहा है सरकार द्वारा आईएमएफ से 200 टन खरीदे गए सोने की कीमत भी बढ़ गई है’।


आपको बता दें कि सरकार ने आईएमएफ से नवंबर 2009 में 1045 डॉलर प्रति औंस की दर से 200 टन सोना खरीदा था जिसकी उस समय कीमत सात अरब डॉलर के आसपास थी लेकिन अब वहीं सोना 1781 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया है।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...