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26 फ़रवरी 2012

सेक्सी का मतलब सुंदरता है, आकर्षण है और एक्साइटमेंट है'

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जयपुर.राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने कहा कि देश में महिलाओं की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। यदि महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करना है तो पंचायत और ब्लॉकस्तर पर करना होगा। बिना शिक्षा के महिला सशक्तिकरण संभव नहीं है।

अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल व श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में शनिवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में दिशाबोध के तहत राज्यस्तरीय महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के सुनहरे भविष्य को सुरक्षित करने के बारे में आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष की दो तरफा बयानबाजी भी दिखाई दी।

एक तरफ उन्होंने कहा कि युवतियां युवकों की टिप्पणियों से न डरें, बल्कि सकारात्मक रूप में लें। लड़कों द्वारा कहे जाने वाले सेक्सी शब्द को नकारात्मक सोच लेकर बुरा नहीं मानना चाहिए। इसका मतलब सुंदरता है, आकर्षण है और एक्साइटमेंट है। दूसरी तरफ तो उन्होंने कहा कि न्यूजपेपर में आने वाले अश्लील विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए।

मुख्य अतिथि दिल्ली दूरदर्शन की डायरेक्टर रेखा व्यास ने भी विचार व्यक्त किए। इससे पहले साध्वी आत्म प्रभा ने सेमिनार को संबोधित किया। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि भास्कर के संपादकीय सलाहकार महेंद्र सुराणा, संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष कोलकाता की सूरज बरड़िया, राष्ट्रीय महामंत्री पुष्पा बैद, प्रचार मंत्री सरिता डागा भी उपस्थित थी।

बवाल के बाद बयान वापस :

बयान पर विवाद होने के बाद रात को ममता शर्मा ने एक चैनल से बातचीत करते हुए बयान वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने बयान को गलत संदर्भ में लेने की बात कहते हुए इसे वापस लेने की बात कह दी।
बयान दुर्भाग्यपूर्ण-भाजपा : ममता के बयान को भाजपा ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। प्रदेश उपाध्यक्ष सुमन शर्मा ने केंद्र सरकार से ममता शर्मा को बर्खास्त करने की मांग की।

विधान सभा में चप्पल उछालने वाले राजावत हो गए बहाल


जयपुर.विधायक हनुमान बेनीवाल को भाजपा विधायक दल से निलंबित कर दिया गया। रविवार को विधानसभा की ना पक्ष लॉबी में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में यह फैसला किया गया। बेनीवाल को पार्टी नेताओं के खिलाफ बयानबाजी के लिए पहले ही भाजपा से निलंबित किया जा चुका है।

उधर, सदन से निलंबित भाजपा विधायक भवानीसिंह राजावत की बहाली पर विपक्ष की नेता वसुंधराराजे ने रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनके निवास पर जाकर बात की। राजावत पर विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान चप्पल उछालने का आरोप है।

सत्तापक्ष ने प्रस्ताव लाकर उन्हें सदन से निलंबित कर दिया था। सत्तापक्ष राजावत से सदन में माफी मंगवाने पर अड़ा है, वहीं राजावत माफी मांगने को तैयार नहीं हैं। उधर, भाजपा से निलंबन के बारे में बेनीवाल ने कहा कि उनकी वसुंधराराजे, राजेन्द्र राठौड़, डॉ. दिगंबरसिंह, प्रतापसिंह सिंघवी, ललित मोदी आदि के खिलाफ लड़ाई जारी है। जब तक दारासिंह एनकाउंटर मामले में राजेन्द्र राठौड़ जेल नहीं जाएंगे, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे। भाजपा को उनके निलंबन का खमियाजा उठाना पड़ेगा

कपड़े उतार पुलिस लगाती रही करंट, दर्द से चिल्लाता रहा सिकंदर


चंडीगढ़. 24 फरवरी, दोपहर 12.30 बजे। थाना 39 पुलिस ने डड्डूमाजरा कॉलोनी निवासी सिकंदर सिंह को उसके घर के पास से गिरफ्तार किया। आरोप है कि सिकंदर सिंह को सुबह पकड़ा गया और रात को उसे आवारागर्दी की धारा 109 के तहत गिरफ्तार किया गया। उसे थाना 39 के पिछले गेट से अंदर ले जाया गया, ताकि सीसीटीवी फुटेज में तस्वीर कैद न हो। इस बीच उसको करंट लगाकर टॉर्चर किया गया।
सिकंदर की याचिका पर रविवार को सुनवाई करते हुए जिला मेजिस्ट्रेट ने मेडिकल के आदेश दिए। इसमें उसके शरीर पर कई नीले दाग पाए गए। पिछले दिना मोबाइल थानों के उद्घाटन पर थाना 39 क्षेत्र में नशा बिकने का मामला अफसरों के सामने आया। पुलिस ने इसी केस में कार्रवाई की है।
पुलिस लगाती रही करंट
सिकंदर ने आरोप लगाया है कि एसएचओ चरणजीत सिंह ने अन्य पुलिसकर्मियों के साथ सिकंदर के हाथ-पांव बांधे। फिर उसके कपड़े उतार कर उसे करंट लगाया गया। सिकंदर के मुताबिक वह दर्द से चिल्लाता रहा, लेकिन पुलिस उसे करंट लगाती रही। पुलिस पूछ रही थी कि उसने कोई चोरी की है। जबकि वह मना करता रहा। बकौल सिकंदर जब पुलिस को कुछ न मिला, तो उस पर आवारागर्दी का केस दर्ज कर लिया।
मेजिस्ट्रेट को बताया सच
सिकंदर को 25 फरवरी को एसडीएम के समक्ष पेश किया गया। वहां उसे जमानत मिल गई। वह एसडीएम को सच बताना चाहता था। लेकिन उसे धमकी दी गई। फिर उसने वकील अरविंद ठाकुर के जरिए जिला अदालत में याचिका दायर की। रविवार को उसने जिला अदालत में ड्यूटी मजिस्ट्रेट आशीष अबरोल के सामने अपने साथ हुई ज्यादी के बारे में बताया। याचिका में उसने कहा कि उसे करंट लगाया गया है। इस पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने तुरंत उसका मेडिकल करवाने के लिए कहा।
मेडिकल में हुई पुष्टि
सेक्टर 16 जनरल अस्पताल में तीन डॉक्टर्स के पैनल ने सिकंदर का मेडिकल किया। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि सिकंदर के बाजू, टांग व प्राइवेट पार्ट्स पर नीले निशान हैं। वहां लाल धब्बे भी बने हुए हैं। डॉक्टर्स ने यह भी स्पष्ट किया कि नील के निशान पिछले 48 घंटे के बीच के हैं। सिकंदर के आरोपों के अनुसार ही पिछले 48 घंटे में वह पुलिस कस्टडी में था। अब सिकंदर इस मसले में आईजीपी प्रदीप श्रीवास्तव, एसएसपी नौनिहाल सिंह, ह्यूमन राइट काउंसिल और गवर्नर शिवराज पाटिल को शिकायत देगा।
किसी को भी टार्चर करना गलत है। पुलिस को इस तरह का टार्चर न करने के निर्देश है। मामला हमारे संज्ञान में नहीं है, कोर्ट के आदेशों से मेडिकल हुआ है। शिकायत आएगी तभी हम इसमें कार्रवाई करेंगे। -आलोक कुमार,डीआईजी सिटी
सिकंदर को रात के समय आवारागर्दी में पकड़ा गया, सुबह नहीं। हमने नशे पर नकेल कसनी शुरू की है। इस कारण बेवजह आरोप लग रहे हैं। हमने सिकंदर को कोई टॉर्चर नहीं किया।चरणजीत सिंह, एसएचओ 39
एसएचओ झूठ बोल रहे हैं। मुझे सुबह 12.30 बजे उठाया गया। पूरा मोहल्ला गवाह है। बेवजह टार्चर किया। मैंने कहा कि टार्चर की शिकायत करूंगा तो पुलिस ने आवारागर्दी का केस बना दिया।सिकंदर सिंह,पीड़ित
हम नेशनल ह्यूमन राइट काउंसिल और अफसरों के पास शिकायत करेंगे। कोर्ट में भी याचिका डाली जाएगी। इस तरह किसी को करंट लगाकर टार्चर नहीं किया जा सकता।अरविंद ठाकुर, वकील

भगवान शिव के घर में पहले पूजा जाता है रावण क्योंकि...


उदयपुर. यह स्थान है भगवान कमलनाथ महादेव, जो झीलों की नगरी उदयपुर से 80 किमी दूर झाड़ोल तहसील में स्थित है। कहा जाता है, इस मंदिर की स्थापना स्वयं लंकापति रावण ने की थी, यह वह स्थान है जहां भगवान शिव ने रावण की नाभि में अमृत कुण्ड स्थापित किया था। साथ ही ऐसी मान्यता है कि यदि भगवान शिव की पूजा से पहले रावण की पूजा ना की जाये तो सारा कर्म काण्ड व्यर्थ जाता है अर्थात पूजा का कोई फल नहीं मिलता।

भगवान कमलनाथ महादेव के इस अद्भुत मंदिर से सम्बंधित एक कथा प्रचलित है- एक बार लंकापति रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंचा और तपस्या करने लगा, उसके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा। रावण ने भगवान शिव से लंका चलने का वरदान मांग डाला।

भगवान शिव लिंग के रूप में उसके साथ जाने को तैयार हो गए, उन्होंने रावण को एक शिव लिंग दिया और यह शर्त रखी कि यदि लंका पहुंचने से पहले तुमने शिव लिंग को धरती पर कहीं भी रखा तो मैं वहीं स्थापित हो जाऊंगा। कैलाश पर्वत से लंका का रास्ता काफी लम्बा था, रास्ते में रावण को थकावट महसूस हुई और वह आराम करने के लिए एक स्थान पर रुक गया। और ना चाहते हुए भी शिव लिंग को धरती पर रखना पड़ा।

आराम करने के बाद रावण ने शिव लिंग उठाना चाहा लेकिन वह टस से मस ना हुआ, तब रावण को अपनी गलती का एहसास हुआ और पश्चाताप करने के लिए वह वहीं एक पैर पर खड़ा होकर तपस्या करने लगा। तप करते-करते उसे साढ़े बारह साल बीत गए, इस दौरान रावण ने अपना शीश अग्नि कुण्ड में अर्पित कर दिया। भगवान शिव रावण की इस कठोर भक्ति से फिर प्रसन्न हुए और वरदान स्वरुप उसकी नाभि में अमृत कुण्ड की स्थापना कर दी। साथ ही इस स्थान को कमलनाथ महादेव के नाम से घोषित कर दिया।

भयावहता का वो ‘चेहरा’ लेकिन आज जुदा है दास्तान



अहमदाबाद 2002 के गुजरात दंगों की भयावहता का ‘चेहरा’ बने कुतुबुद्दीन अंसारी अब इतिहास से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। वे यातनाओं के उन पलों और दंगों को भूलना चाहते हैं।

पूर्वी अहमदाबाद के ओढ़व सोनी की चाल के पास कुतुबुद्दीन का तीन मंजिला मकान है। वहां वे तीन बेटियों, पत्नी और वृद्ध मां के साथ रहते हैं। दस साल पहले कपड़े काटने का काम करने वाले ‘कटर मास्टर’ की खुद की रेडीमेड फैक्टरी है।

वे कहते हैं कि मेरी यह प्रगति सरकारी मदद के चलते नहीं हुई। हिंदू-मुस्लिम मित्रों ने सहयोग दिया। वह कहते हैं कि दंगों के बाद पश्चिम बंगाल ने मुझे आश्रय देने की पेशकश की थी। मैं गुजरात को भूल नहीं पाया। लौट आया। मकान की ऊपरी मंजिल पर कारखाना शुरू किया। पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज फैक्टरी में छह कारीगर है।

धनुषभंग

धनुषभंग
दोहा :
* राम बिलोके लोग सब चित्र लिखे से देखि।
चितई सीय कृपायतन जानी बिकल बिसेषि॥260॥
भावार्थ:-श्री रामजी ने सब लोगों की ओर देखा और उन्हें चित्र में लिखे हुए से देखकर फिर कृपाधाम श्री रामजी ने सीताजी की ओर देखा और उन्हें विशेष व्याकुल जाना॥260॥
चौपाई :
* देखी बिपुल बिकल बैदेही। निमिष बिहात कलप सम तेही।
तृषित बारि बिनु जो तनु त्यागा। मुएँ करइ का सुधा तड़ागा॥1॥
भावार्थ:-उन्होंने जानकीजी को बहुत ही विकल देखा। उनका एक-एक क्षण कल्प के समान बीत रहा था। यदि प्यासा आदमी पानी के बिना शरीर छोड़ दे, तो उसके मर जाने पर अमृत का तालाब भी क्या करेगा?॥1॥
* का बरषा सब कृषी सुखानें। समय चुकें पुनि का पछितानें॥
अस जियँ जानि जानकी देखी। प्रभु पुलके लखि प्रीति बिसेषी॥2॥
भावार्थ:-सारी खेती के सूख जाने पर वर्षा किस काम की? समय बीत जाने पर फिर पछताने से क्या लाभ? जी में ऐसा समझकर श्री रामजी ने जानकीजी की ओर देखा और उनका विशेष प्रेम लखकर वे पुलकित हो गए॥2॥
* गुरहि प्रनामु मनहिं मन कीन्हा। अति लाघवँ उठाइ धनु लीन्हा॥
दमकेउ दामिनि जिमि जब लयऊ। पुनि नभ धनु मंडल सम भयऊ॥3॥
भावार्थ:-मन ही मन उन्होंने गुरु को प्रणाम किया और बड़ी फुर्ती से धनुष को उठा लिया। जब उसे (हाथ में) लिया, तब वह धनुष बिजली की तरह चमका और फिर आकाश में मंडल जैसा (मंडलाकार) हो गया॥3॥
* लेत चढ़ावत खैंचत गाढ़ें। काहुँ न लखा देख सबु ठाढ़ें॥
तेहि छन राम मध्य धनु तोरा। भरे भुवन धुनि घोर कठोरा॥4॥
भावार्थ:-लेते, चढ़ाते और जोर से खींचते हुए किसी ने नहीं लखा (अर्थात ये तीनों काम इतनी फुर्ती से हुए कि धनुष को कब उठाया, कब चढ़ाया और कब खींचा, इसका किसी को पता नहीं लगा), सबने श्री रामजी को (धनुष खींचे) खड़े देखा। उसी क्षण श्री रामजी ने धनुष को बीच से तोड़ डाला। भयंकर कठोर ध्वनि से (सब) लोक भर गए॥4॥
छन्द :
* भे भुवन घोर कठोर रव रबि बाजि तजि मारगु चले।
चिक्करहिं दिग्गज डोल महि अहि कोल कूरुम कलमले॥
सुर असुर मुनि कर कान दीन्हें सकल बिकल बिचारहीं।
कोदंड खंडेउ राम तुलसी जयति बचन उचारहीं॥
भावार्थ:-घोर, कठोर शब्द से (सब) लोक भर गए, सूर्य के घोड़े मार्ग छोड़कर चलने लगे। दिग्गज चिग्घाड़ने लगे, धरती डोलने लगी, शेष, वाराह और कच्छप कलमला उठे। देवता, राक्षस और मुनि कानों पर हाथ रखकर सब व्याकुल होकर विचारने लगे। तुलसीदासजी कहते हैं (जब सब को निश्चय हो गया कि) श्री रामजी ने धनुष को तोड़ डाला, तब सब 'श्री रामचन्द्र की जय' बोलने लगे।
सोरठा :
* संकर चापु जहाजु सागरु रघुबर बाहुबलु।
बूड़ सो सकल समाजु चढ़ा जो प्रथमहिं मोह बस॥261॥
भावार्थ:-शिवजी का धनुष जहाज है और श्री रामचन्द्रजी की भुजाओं का बल समुद्र है। (धनुष टूटने से) वह सारा समाज डूब गया, जो मोहवश पहले इस जहाज पर चढ़ा था। (जिसका वर्णन ऊपर आया है।)॥261॥
चौपाई :
* प्रभु दोउ चापखंड महि डारे। देखि लोग सब भए सुखारे॥
कौसिकरूप पयोनिधि पावन। प्रेम बारि अवगाहु सुहावन॥1॥
भावार्थ:-प्रभु ने धनुष के दोनों टुकड़े पृथ्वी पर डाल दिए। यह देखकर सब लोग सुखी हुए। विश्वामित्र रूपी पवित्र समुद्र में, जिसमें प्रेम रूपी सुंदर अथाह जल भरा है,॥1॥
* रामरूप राकेसु निहारी। बढ़त बीचि पुलकावलि भारी॥
बाजे नभ गहगहे निसाना। देवबधू नाचहिं करि गाना॥2॥
भावार्थ:-राम रूपी पूर्णचन्द्र को देखकर पुलकावली रूपी भारी लहरें बढ़ने लगीं। आकाश में बड़े जोर से नगाड़े बजने लगे और देवांगनाएँ गान करके नाचने लगीं॥2॥
* ब्रह्मादिक सुर सिद्ध मुनीसा। प्रभुहि प्रसंसहिं देहिं असीसा॥
बरिसहिं सुमन रंग बहु माला। गावहिं किंनर गीत रसाला॥3॥
भावार्थ:-ब्रह्मा आदि देवता, सिद्ध और मुनीश्वर लोग प्रभु की प्रशंसा कर रहे हैं और आशीर्वाद दे रहे हैं। वे रंग-बिरंगे फूल और मालाएँ बरसा रहे हैं। किन्नर लोग रसीले गीत गा रहे हैं॥3॥
* रही भुवन भरि जय जय बानी। धनुषभंग धुनिजात न जानी॥
मुदित कहहिं जहँ तहँ नर नारी। भंजेउ राम संभुधनु भारी॥4॥
भावार्थ:-सारे ब्रह्माण्ड में जय-जयकार की ध्वनि छा गई, जिसमें धनुष टूटने की ध्वनि जान ही नहीं पड़ती। जहाँ-तहाँ स्त्री-पुरुष प्रसन्न होकर कह रहे हैं कि श्री रामचन्द्रजी ने शिवजी के भारी धनुष को तोड़ डाला॥4॥

कुरान का संदेश

केजरीवाल ने सांसदों के लियें सच कहा तो सभी सियासी लोग बुरा मान गये

लोकपाल बिल के नाम पर संघर्ष का बिगुल बजाने वाले अरविन्द केजरीवाल जो अन्ना की टीम के प्रमुख सदस्य है ..उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले चुनाव में अपनी टीम के साथ कोंग्रेस और दूसरी पार्टियों के खिलाफ चुनाव प्रचार की बात कर रहे थे लेकिन अचानक जनता को धोखा देकर या यूँ कहिये निराश कर बिमारी का बहना बना कर यह सब गायब हो गये और अब उत्तर प्रदेश चुनाव में जब केवल अंतिम चरण बचे है तब चुनावी प्रचार में आकर अरविन्द केजरीवाल सच बोलने का साहस कर रहे है ..वोह कहते हैं के संसद में बलात्कारी ..लुटेरे ..चोर .बेईमान लोग है और उन्होंने करीब १६३ सांसदों का आंकड़ा भी दिया है ..बात तो सही है लेकिन कहावत है के यह... झुन्ठों और मक्कारों की महफिल है ..सच बोले तो तुम भी निकाले जाओगे ..अरविन्द केजरीवाल ने चाहे संसद का सच कहा हो चाहे यह आंकड़े सबूत हो के संसद में बेठे लोगों के खिलाफ बलात्कार ..हत्या ..डकेती और न जाने कोन कोन से मुकदमे चल रहे है ..लेकिन जनता उन्हें चुनती है और ऐसे अपराधियों को चुनाव से रोकने के लियें कोई कानून नहीं बना है ..कितनी अजीब बात है के अगर आपको पासपोर्ट बनवाना हो ..बंदूक का लाइसेंस लेना हो ..अख़बार निकालना हो तो आपकी पूरी पुलिस जाँच होगी अगर गलती से एक आकस्मिक दुर्घटना का मामला भी निकल आया या साधारण पारिवारिक झगड़े का मामला निकल आया तो आपका कोई लाइसेस नहीं बनेगा ..आपको पासपोर्ट नहीं दिया जायेगा ..आपको सरकारी नोकरी नहीं दी जायेगी .लेकिन आप बलात्कारी हो ..आप लुटेरे हो ..आप डकेत हो ..आप घोतालेबज़ हो आपको चुनाव लड़ने का हक है आपको जनता को डर धमका कर या बहका फुसला कर विधायक सांसद बनकर अधिकारीयों कर्मचारियों पर हुकुमत करने का हक है ....अरविन्द केजरीवाल ने जो कहा वोह सच नही कडवा सच है और इस पर देश को देश की जनता को चिन्तन मंथन करना चाहिए आखिर संसद जहां देश की सुरक्षा देश के मान सम्मान देश के लोगों को न्याय देने के लियें कानून बनते है देश को एक आदर्श छवि देने वाला माहोल बनाया जाता है वहां अगर गुंडे बदमास और लुटेरे लोग चुनाव जीत कर जाने लगे तो बात तकलीफ की है देश और देश की जनता के लियें घातक है लेकिन चोर चोर मोसेरे भाई होने की वजह से देश में यह सब हो रहा है ..और इसीलियें देश में ऐसे लोगों को संसद में आने से रोकने के लियें कोई बंदिश कोई कानून कोई नेतिकता नहीं है ..कोलेजों के चुनाव में तो साफ़ छवि वाला आदमी चाहिए ..पार्षद और पंच के लियें साफ़ छवि वाला आदमी चाहिए लेकिन विधायक और सांसदों के लियें ना तो नेतिकता का कानून है ना ही मुकदमों का कानून है इतना ही नहीं इनके लियें तो दो बच्चों से ज्यादा बच्चे होने पर भी इन्हें चुनाव से रोकने के लियें कोई कानून नहीं है ....बस आज उत्तर प्रदेश के काफी चुनावी चरण निकलने के बाद अचानक अन्ना के केजरीवाल बरसती मेंडक की तरह से निकला और सच बोल गये और इतने दिनों बाद कहाँ से आये और अचानक उन्होंने यह क्या बोल दिया यह तो जाँच का विषय है लेकिन देश और देश के लोग जरा अपने दिलों पर हाथ रख कर देखे और कहें इश्वर खुदा को सामने रख कर के केजरीवाल ने जो कहा क्या वोह सच नहीं है लेकिन सब जानते है के केजरीवाल ने जो कहा वोह सच कहा लेकिन फिर भी घोटाले बाज़ सांसद ..घोटालेबाज राजनितिक पार्टियाँ ..संसद में रूपये लेकर वाक् आउट करने या फिर वोट डालने वाले लोग केजरीवाल की इस बात का बुरा मान गये कोई उन्हें जेल में भेजने की बात करता है तो कोई उन्हें पागल खाने भिजवाना चाहता है ..तो जनाब है न मजेदार बात एक मेच फिक्सिंग के तहत केजरीवाल और उनकी टीम अचानक देश से गायब हो जाती है और फिर किसी न किसी राजनीति के तहत अचानक सामने आ जाते है यह तो मेच फिक्सिंग है लेकिन जो भी केजरीवाल ने कहा है वोह दिल से कहा है सच कहा है और देश और देश की जनता को इस मामले में इस सच का साथ देना चाहिए एक चिन्तन एक मंथन करना चाहिए के ऐसा कानून बने ऐसा माहोल बने के संसद में निरपराध व्यक्ति जाये ऐसे व्यक्ति को संसद में पहुंचाया जाए जिस पर कोई मुकदमा विचाराधीन नहीं हो ..जिसके खिलाफ कोई जांच नहीं हो ताकि संसद दागियों की संसद नहीं रहे ..चोर और बलात्कारियों की संसद नहीं रहे और ऐसे लोगों से .ऐसे अपराधियों से देश क्या उम्मीद कर सकता है .यह लोग देश को क्या देते है सब जानते है इसलियें कहते हैं के केजरीवाल का साथ दो देश बचाओं संसद से चोर बेईमान सांसदों को भगाओ .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आज मिल गया दुनिया को सबसे छोटे कद का आदमी

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72 साल की उम्र में आखिर नेपाल के चंद्र बहादुर दांगी बन ही गए विश्व के सबसे छोटे कद के आदमी। आज उन्होंने फिलीपिंस के जुनरे बालाविंग के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारियों के सामने हुए उनके कद की माप की गई तो सिर्फ 21.5 इंच निकली। पिछले रिकॉर्डधारी जुनरे बालाविंग 23.5 इंच के थे।

चंद्र बहादुर दांगी ने दावा किया था कि उनकी लंबाई 22 इंच है लेकिन माप में वह उससे भी कम निकले।

नेपाल के दांग जिले के रीमखोली गांव के निवासी चंद्र बहादुर का सपना था विश्व रिकॉर्ड बनाना, जो आज पूरा हो गया।

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मन का स्वभाव चंचल माना गया है। यही कारण है कि इच्छा के पूरी होने या न होने पर दूसरी इच्छा जाग जाती है। यही सिलसिला आगे चलता रहता है। लेकिन मन की यह चंचलता और अस्थिरता इंसानी स्वभाव और विचारों में दोष भी पैदा करती है। खासतौर पर तब, जबकि व्यक्ति किसी बुरी घटना से गुजरे या उपेक्षित हुआ हो।

मन की चंचलता इन दोषों को और हवा देती - बाहरी वातावरण की नकारात्मक बातें। जिससे कई अवसरों पर इंसान बुरे और निराशाजनक विचारों का शिकार होता है। जिसके चलते वह हर बात में नकारात्मक पक्ष ही ढूंढने लगता है। एक अवस्था ऐसी भी आती है, जिसमें वह बुरी सोच से मिले बुरे नतीजों से बाहर निकलने के लिए जूझता है। इसलिए समय रहते अगर इस दोष पर नियंत्रण न किया जाए तो यह गंभीर निराशा और पतन का कारण बन सकता है।

जीवन में स्वभाववश या परिस्थितियों से पैदा हुई ऐसी ही समस्या का हल हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवतगीता में लिखे एक श्लोक से मिल सकता है। जानें क्या है यह बुरी और निराशाभरी सोच से बाहर आने का सूत्र -

लिखा गया है कि -

असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम्।

अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते।।

सरल शब्दों में समझें तो इस श्लोक में भगवान कृष्ण ने संकेत दिया है कि बुरे और नकारात्मक विचारों को रोकने का सबसे बेहतर तरीका यही है कि हर व्यक्ति को पक्के इरादों के साथ इस बात का संकल्प करना चाहिए कि वह हर हालात, बात और विचारों में अच्छी, शुभ और सकारात्मक पक्ष को ढूंढे और स्वीकार करेंगा। जिसके लिए अभ्यास जरूरी है।

जिसके लिए अहम है कि दु:ख, कष्टों और बुरी यादों के साथ बुरे विचार, दृश्यों और बातों से दूर रहने का संकल्प रख मन को मजबूत बनाएं। शुभ और मंगल को ढूंढने का ऐसा अभ्यास ही मन को सकारात्मक ऊर्जा से भरकर हमेशा स्वस्थ्य और सबल बनाए रखेगा।

25 साल की तपस्या और 15 साल की सोच से बना हमारा ताज!


जयपुर.25 वर्षो की तपस्या, 15 वर्षो की सोच व सपने और 4 वर्षो की कड़ी मेहनत में तैयार 24 गुना 20 इंच का वंडर-2 ताजमहल। इसमें समाए हैं 4 लाख राजा-महाराजा व सिपहसालार, 2 लाख हाथी व सवार, 2 महीन बॉर्डर पर उर्दू में नाम लिखे 10 हजार ताजमहल, 250 ऐतिहासिक इमारतें।

आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये क्या है? हम बात कर रहे हैं जयपुर के कलाकार नवीन शर्मा की बनाई गई मिनिएचर पेंटिंग ‘हिस्ट्री एंड इनोग्रेशन ऑफ ताजमहल’ की। यह आगरा में 15 मार्च से शुरू होने वाले ताज फेस्टिवल में जयपुर का प्रतिनिधित्व करेगी। इसमें मुगल बादशाह शाहजहां सफेद हाथी पर सवार होकर आते हैं।

दांयीं तरफ बादलों से मुमताज को झांकते हुए दिखाया गया है। बॉर्डर के पास देश की 250 ऐतिहासिक इमारतों बनी हैं। इसके बाद वाले ढाई इंच के बॉर्डर पर 20 अलग-अलग हिस्सों में ताजमहल की हिस्ट्री को उकेरा गया है। वहीं मुमताज को दफनाना, महल के निर्माण में संगमरमर ढोते मजदूर, अपने अंतिम समय में बेटी जहांआरा के साथ लाल किले के झरोखे से ताजमहल को निहारते शाहजहां और अंत में मुमताज की कब्र के पास दफन शाहजहां के मार्मिक दृश्य को शर्मा ने बखूबी दर्शाया है।

नवीन ने बताया कि यह मिनिएचर हैंडमेड कागज पर स्वयं की बनाई ब्रश से बनाया है। इसे देखने के लिए लैंस की जरूरत पड़ती है। सब कुछ देखने के लिए एक घंटे से ज्यादा समय चाहिए। मिनिएचर कला को प्रोत्साहन देने के लिए वर्ष 2006 में इसे बनाना शुरू किया था। मैंने इसे नेशनल अवॉर्ड के लिए भी भेजा है। अभी ऑरिजनल कॉपी कस्टडी में है। इसे बनाने में वाटर स्टोन कलर का इस्तेमाल किया गया है।

केजरीवाल बोले- संसद में हैं हत्‍यारे, बलात्‍कारी


नई दिल्ली. यूपी विधानसभा चुनावों में स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को चुनने के लिए जन जागृति अभियान चला रही टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि संसद में हत्यारे और बलात्कारी बैठे हैं। लालू, मुलायम और राजा जैसे लोग संसद में बैठ कर देश का कानून बना रहे हैं। इनसे संसद को निजात दिलाने की जरूरत है।

केजरीवाल के बयान पर राजनीतिक दलों से कड़ी प्रतिक्रिया मिल रही है। भाजपा, कांग्रेस, सपा और राजद ने केजरीवाल के बयान को संसद का अपमान बताया है। राजद ने कहा है कि केजरीवाल पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करके पागलखाने में डाल देना चाहिए। भाजपा ने केजरीवाल को अहंकारी बताया है।
ग्रेटर नोएडा में आयोजित एक जनसभा में उन्होंने कहा, लुटेरे और बलात्कारी सहित सभी प्रकार के बुरे तत्व संसद पर कब्जा जमाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि संसद से बुरे तत्वों को निकालने के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी। बुरे तत्व हम सभी के लिए एक बड़ी परेशानी बने हुए हैं।
केजरीवाल ने राजनीतिक दलों पर तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, "सभी राजनीतिक पार्टियां भ्रष्ट हैं। वे देश को लूटने के लिए जीत दर्ज करना चाहती हैं। पार्टियां देश के विकास के लिए चिंतित नहीं हैं। भाजपा भी भ्रष्टाचार करने वालों में शामिल है। उसने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए कुछ भी नहीं किया।"
केजरीवाल के इस बयान पर राजनीति गरम होने लगी है। कांग्रेस ने केजरीवाल के इस बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता रामकृपाल यादव ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल ने न केवल सांसदों का बल्कि संसद का अपमान किया है। इस पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। यदि यह व्यक्ति पागल हो गया है तो इसे पागलखाने में बंद कर देना चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ता संजय निरूपम ने कहा कि, हम मानते है कि संसद में आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग हैं। इसका मतलब ये नहीं कि कोई भी संसद की गरीमा के खिलाफ जा कर बोले। यह संसद के विशेषाधिकार का हनन है।

कोटा के विख्यात शायर शकुर अनवर की पथरीली झीलें कुछ अजब नजारा है

जी हाँ पथरीली झीलें और वोह भी कोटा राजस्थान के मशहूर शायर सकुर अनवर द्वारा लिखित गजलों का मजमुआ पथरीली झीलें जहां कहने को तो पत्थर है लिकिन उनकी खूबसूरती कश्मीर की वादियों और जन्नत सी दिखने वाली झीलों से भी ज्यादा खुबसूरत है ..हर अलफ़ाज़ में ताकत है ..लोगों को जोड़ने की ललक है और समाज को सीख देने वाली एक शिक्षक की परख है ..ऐसी नायब हस्ती शकुर अनवर का जन्म कोटा में १९५२ में हुआ उन्होंने ने उर्दू में स्त्नात्क कर उर्दू शिक्षक के रूप में अपने जीवन की शुरुआत की ..१९९६ में शुर अनवर की गजलों का मजमुआ हम समन्दर समन्दर गये ...राजस्थान साहित्य एकेडमी की मदद से मंज़रे आम पर आया .......२००६ में विकल्प के जरिये महवे सफर और फिर सेकड़ों रचनाये गजलों का प्रकाशन हुआ अआप लिखते है
उसकी आँखें नीली झीलें
प्यास लगी तो पी ली झीलें ।
शोर मचाते है जब पंछी
लगती रंग रंगीली झीलें ।
केसा पानी , केसी रंगत
किस्मत में पथरीली झीलें ।
तुमने लिखा सुखी आँखें
में लिखता रेतीली झीलें ।
अब न रहा आँखों में पानी
अब न रही शर्मीली झीलें ।
तुम सहरा में रहने वाले
दामन से क्यूँ सी लीं झीलें ।
मोसम की सख्ती से अनवर
बंटी है बर्फीली झीलें ।

प्रस्तुत करता .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दूसरों की इन बातों को देखकर न जलें, वरना..


इंसान का अच्छा स्वभाव, व्यवहार और कर्म ही अंतत: सफल और सुखी जीवन का कारण होते हैं। किंतु यह भी सत्य है कि हर व्यक्ति के विचार और स्वभाव में गुण-दोष होते हैं, जो व्यवहार और कर्म को नियत करते हैं। जहां गुण मान-प्रतिष्ठा और यश देते हैं, वहीं दोष से अपयश ही नहीं मिलता, बल्कि कुछ दोष तो गुणों को भी दफन कर देते हैं।

ईर्ष्या, डाह या जलन भी इंसान का ऐसा ही वैचारिक दोष है। ईष्र्या इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी बन जाती है। जिससे इंसान अपनी ही बुरी सोच की आग में अंदर ही अंदर खुद ही जलकर बर्बाद हो सकता है। यह बुरी लत की तरह अंतत: बुरे नतीजों से पहचान, प्रतिष्ठा को नुकसान ही नहीं पहुंचाती, बल्कि अविश्वास का कारण बनती है।

यही कारण है कि हिन्दू धर्म ग्रंथ महाभारत में ईर्ष्या, दाह या जलन को बुराई बताकर इससे यथासंभव दूर रहने की सीख दी गई है। चूंकि आज के दौर का सुख-सुविधाओं की चकाचौंध भरा जीवन हर किसी के मन को डांवाडोल कर सत्य, दया, परोपकार जैसी धर्म की राह से भटका देता है। इस नजरिए से यहां बताई जा रही बात न केवल आज के दौर के लिए सार्थक है, बल्कि सावधान करने की चेतावनी भी है। जानते हैं कि इंसान को किन-किन विषयों को लेकर ईर्ष्या का भाव मन में नहीं लाना चाहिए -

लिखा गया है कि -

य ईर्षु: परवित्तेषु रूपे वीर्ये कुलान्वये।

सुखसौभाग्यसत्कारे तस्य व्याधिरनन्तक:।।

सरल शब्दों में अर्थ है कि किसी के सुख, सौभाग्य, पराक्रम, धन, रूप, कुलीनता और मान-सम्मान को देखकर ईर्ष्या करने का दोष लाइलाज बीमारी है।

इसमें सुखी जीवन का सूत्र यही है कि दूसरों के सुखों को देखकर अपने प्राप्त सुखों को खोते रहना भी अभाव और दरिद्रता को खुला निमंत्रण है। इसलिए ईर्ष्या के बजाय अपने कर्म, काबिलियत और विचार शक्ति पर भरोसा रख सुखों को बंटोरते रहें।

यहां हार्ट और न्यूरो सर्जरी होती है बिलकुल मुफ्त



दिल और दिमाग की जटिल बीमारियां। इलाज और सर्जरी बिल्कुल मुफ्त। चाहे मरीज की उम्र और कमाई कितनी भी हो। ये है बेंगलुरु का सुपर स्पेश्यलिटी हॉस्पिटल 'सत्य साईं इंस्टिट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंस'। सारी सुविधाएं विश्वस्तरीय। यहां हर साल डेढ़ हजार हार्ट और सत्रह सौ न्यूरो सर्जरी होती हैं।

बेंगलुरु. जसपाल की हृदय गति सामान्य से आधी रह गई थी। दूसरे अस्पतालों ने ऑपरेशन का खर्च पांच लाख बताया,तो हमने उम्मीद छोड़ दी। भगवान की शुक्रगुजार हूं कि ऐसी भी कोई जगह इस दुनिया में है। यह बताते हुए फिरोजपुर से आईं जसपाल की मां परमजीत कहती हैं, बेटे के दिल का ऑपरेशन हो चुका है।

अब वह ठीक है। सुविधाएं ऐसी हैं कि एहसास नहीं होता है कि मुफ्त में इलाज करा रहे हैं। सत्यसाईं बाबा के डिवाइन हेल्थ मिशन से जुड़े इस अस्पताल के डॉक्टर और वालेंटियर भी अनूठे हैं।

न्यूयार्क के डॉ. माइकल रकॉफ साल में चार महीने यहीं रहते हैं। अपने खर्च पर आते हैं। मुफ्त सेवाएं देते हैं। वे इसे बाबा के विचारों का प्रभाव मानते हैं। कहते हैं यहां आकर मैं डॉक्टर के रूप में अपना असली कर्तव्य निभाता हूं।

एस. लोगांथन, इसरो में इंजीनियर थे। रिटायर होने के बाद अस्पताल में वालेंटियर हो गए। वे कभी चौकीदार की भूमिका में होते हैं तो कभी रिसेप्शनिस्ट की। लोगांथन कहते हैं, यहां आकर सुकून मिलता है। ऐसे वे अकेले नहीं हैं। सैकड़ों की तादाद में अफसर, बैंकर, गृहणी, साइंटिस्ट भी यहां सेवादार की भूमिका निभाते हैं। नीला स्कार्फ बांधे इन सेवादारों की जुबां पर होता है साईं राम।

सत्यसाईं अस्पताल परिसर में प्रवेश करते ही सामने दिखाई देता है विशाल शिखर। जैसे-जैसे भीतर प्रवेश करो, धीमी आवाज में भजन सुनाई देने लगेंगे। ये अस्पताल कम, मंदिर ज्यादा लगता है। दिन की शुरुआत भी प्रार्थना से ही होती है। इस अस्पताल को खास बनाती है जाने-माने ८० डॉक्टरों की टीम। इनमें से कई के पास है अमेरिका, यूरोप सहित दुनिया के कई देशों का अनुभव।

कार्डियेक विभाग के मुखिया हैं डॉ. वॉलेटी चौधरी। कई साल न्यूयॉर्क रहे, अब 18 साल से यहीं हैं। वेतन नहीं लेते। डॉ. चौधरी कहते हैं, यहां पूरब की देखभाल और पश्चिम की तकनीक का तालमेल है। जिससे संतुलन बनता है। मरीज की तकलीफ को समझने के लिए यहां अलग काउंसिलिंग विभाग है। इसमें विशेषज्ञ डॉक्टर और नर्स की टीम है।

मरीज परेशान न हो, इसलिए उसकी मदद करता है यहां का सेवादल। इस टीम के सदस्य मरीज को स्क्रीनिंग ब्लॉक तक ले जाते हैं। चेकअप के बाद मरीज को रजिस्ट्रेशन कार्ड दे दिया जाता है। जिस पर लिखा नंबर ही अस्पताल में उसकी पहचान होता है। फिर कोई लिखा-पढ़ी नहीं होती। यानी पर्चे और फाइलों का यहां कोई काम नहीं। सबकुछ कंप्यूटराइज्ड है। हर जांच रिपोर्ट, प्रिस्क्रिप्शन सब ऑनलाइन है।

डॉक्टर इन्हें कहीं से भी चैक कर सकते हैं। मरीज जब तक अस्पताल में है, उसे दी जाने वाली सलाह, दवाईयां और भोजन का कोई पैसा नहीं लिया जाता। अस्पताल के पीआरओ प्रो. अनंत रामन तो कहते हैं कि अस्पताल में मरीजों को पर्स की जरूरत ही नहीं पड़ती। यहां आने वाले मरीजों में 60 फीसदी तो ऐसे हैं, जो महीनेभर में डेढ़ हजार रुपए से ज्यादा नहीं कमा पाते।

करीब 50 हजार मरीज हर साल परामर्श के लिए यहां की कार्डियेक ओपीडी में आते हैं। पिछले दस सालों में इस अस्पताल में २८ हजार लोगों की हार्ट और न्यूरो सर्जरी मुफ्त हुई है। सर्जरी के बाद भी मरीजों का ख्याल रखा जाता है। आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और केरल में तो अस्पताल की एक टीम सर्जरी के बाद मरीजों के घर भी जाती है। यह देखने कि वे अपना ख्याल ठीक से रख रहे हैं या नहीं। इसे नाम दिया गया है साईं फॉलोअप प्रोग्राम।

पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मरीजों के लिए टेली मेडिसिन तकनीक का इस्तेमाल भी किया जाता है। इन राज्यों में दो नोडल सेंटर बनाए गए हैं जहां जाकर मरीज वीडियो कांफ्रेंसिंग से सीधे हॉस्पिटल के डॉक्टरों से सलाह लेते हैं। अब तक इससे करीब 6 हजार कंसल्टेशन किए जा चुके हैं। जिसके कारण करीब 75 फीसदी लोगों को हॉस्पिटल तक नहीं आना पड़ा।

अस्पताल की पूरी कोशिश यही है कि लोगों को बीमारी बोझ न लगे। ये अस्पताल जुटा है, लोगों को निरोगी बनाने के मिशन में। दिवंगत सत्यसाईं बाबा की मां ने उनसे यही तो कहा था। वे चाहती थीं कि सबको स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल की सुविधा मिले।

उन्हीं से प्रेरणा लेकर सबसे पहले खुला पुट्टपर्थी का अस्पताल। उसके दस साल बाद 2001 में बना बेंगलुरु का यह सुपर स्पेशलिटी अस्पताल। सत्यसाईं बाबा अब नहीं हैं, लेकिन पुट्टपर्थी और बेंगलुरु के अस्पतालों में यह काम निरंतर जारी है।

लंबी वेटिंग, लेकिन इमरजेंसी समझते हैं

'कार्डियेक सर्जरी के लिए हमारे यहां तीन और न्यूरो सर्जरी के लिए एक महीने की वेटिंग होती है। आखिर हमारे पास सीमित संसाधन है। मरीजों की संख्या के मान से देखें तो इसके लिएऐसे करीब 400 या 500 अस्पताल भी कम पड़ेंगे। फिर भी यदि इमरजेंसी केस होता है तो हम तुरंत एडमिट कर लेते हैं।' -डॉ. वॉलेटी चौधरी, चेअरमैन कार्डियेक साइंस विभाग

'सिर्फ इलाज नहीं, ईश्वर का आशीर्वाद भी मिलेगा'

ऐसे कई अस्पताल हैं जहां महंगे उपकरण और अनुभवी डॉक्टर हैं। भव्य बिल्डिंग हैं। लेकिन मरीजों के उपचार से ज्यादा वहां ध्यान मुनाफे पर है। हमारे अस्पताल में लोगों को आधुनिक मेडिकल सुविधाएं प्यार भरे वातावरण में मिलेंगी लेकिन उन्हें उसका कोई मूल्य नहीं चुकाना होगा। यहां सिर्फ इलाज ही नहीं, लोगों को ईश्वर का आशीर्वाद भी मिलेगा। -सत्यसाईं बाबा, 9 जनवरी 2001 को अस्पताल के शुभारंभ पर

सत्यसाईं अस्पताल

333 बेड, 8 ऑपरेटिंग रूम,6 आईसीयू, दो कार्डियेक केथलैब और 24 घंटे इमरजेंसी युनिट है। ब्लड बैंक, रेडियो डॉयग्नोस्टिक, लेबोरेटरी और टेली मेडिसिन की सुविधांए भी हैं।

मरीजों के लिए ये सुविधाएं

पूरी जांच के बाद तय होता है मरीज का वेटिंग नंबर। इमरजेंसी की जरूरत है तो तत्काल दाखिला। वेटिंग नंबर आने की सूचना अस्पताल पहुंचाता है। यहां सर्जरी के अलावा जांच, दवा और भोजन भी मुफ्त है।

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