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27 फ़रवरी 2012

सोशल नेटवर्किग साइट्स पर हो रहा है महात्मा गांधी का अपमान!

कोटा. सोशल नेटवर्किग साइट्स पर महात्मा गांधी का अपमान किया जा रहा है। उनके चित्रों से छेड़छाड़ और आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही हैं। यह सब खुलेआम हो रहा है। शिकायत के बावजूद न तो पुलिस और न ही सरकार कुछ कर पा रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब राष्ट्रपिता की गरिमा की यह स्थिति हो रही है तो आम आदमी इंटरनेट पर कैसे सुरक्षित रह सकता है।

सोशल नेटवर्किग साइट ऑरकुट के सर्च पार्ट में इसके लिए बाकायदा महात्मा गांधी हेट क्लब और गांधी हेट ऑप्शन बने हुए हैं। एमके गांधी वॉज रीयल महात्मा (महात्मा गांधी वाकई महात्मा थे), डिड यू थिंक दैट गांधी इज गॉड फादर इन अवर नेशन (क्या आप सोचते हैं गांधी देश के गॉड फादर हैं), डिड गांधी रीयल सैड-हे राम बिफोर डाइंग (क्या आपको लगता है गांधी ने मरने से पहले-हे राम कहा था) आदि ऑप्शंस हैं। इसमें कमेंट्स करने वाले गांधीजी के खिलाफ भड़ास निकालते हैं।

पुलिस कमिश्नर तक गंभीर नहीं

सोशल वेबसाइट गांधी की आजादी और गांधी फैन क्लब से जुड़े गौरव तिवारी बताते हैं कि उन्होंने जयपुर में पुलिस कमिश्नर को पिछले साल जुलाई में लिखित शिकायत की थी। इसमें उन्होंने ऐसे तत्वों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से भी नहीं लिया।

दो साल की सजा का प्रावधान

एडवोकेट अख्तर खान अकेला के मुताबिक राष्ट्रपिता की मूर्ति-तस्वीर से छेडख़ानी करने, उन्हें नुकसान पहुंचाने और बापू के बारे में अपशब्द इस्तेमाल करने पर संविधान में एमबेलमेंट एक्ट बना हुआ है। इसके तहत दो साल की सजा का प्रावधान है। संविधान में इन्हें राष्ट्रीय धरोहर माना गया है।

यहां शादी पूरी करने के लिए निभानी पड़ती है ऐसी रस्म कि कांप जाते हैं लोग

पाकुड़. एक ओर सरकार जहां लुप्त प्राय हो रहे आदिम जनजाति पहाडिय़ा को मुख्य धारा से जोडऩे के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च कर रही है वहीं, कुछ ऐसी सामाजिक मान्यताएं इस राह में आज भी रोड़ा बनीं हुई हैं। सुदूरवर्ती पहाड़ों में रहने वाले इन पहाडिय़ों में विवाह व भोज को ले एक अनोखी परंपरा है जो बाद में इन्हें सामाजिक मान्यता प्रदान करती है।

क्या है मान्यता ?

पहाडिय़ा समाज में पुरुष व महिला बिना विवाह किए वर्षों तक एक दूसरे के साथ पति-पत्नी की तरह रहते हैं। इस कारण से इनके कई बच्चे भी हो जाते हैं परन्तु, बिना सामाजिक भोज के न ही महिलाएं सिंदूर लगा सकती हैं और न ही इन्हें वैवाहिक मान्यता ही मिलती है। हाशिए पर खड़े और गरीबी का दंश झेल रहे इन पहाडिय़ा परिवारों द्वारा भोज न दे पाने की स्थिति में जीवन के आखिरी दौर में ही भोज देने के कारण वैवाहिक मान्यता मिल पाती है। रीति-रिवाज के मुताबिक भोज में कम से कम भात व हडिय़ा दारू आवश्यक है। परंपरा के अनुसार विवाह से पूर्व ये जोड़े वर्षों तक केवल आपसी सामंजस्य बिठाने के लिए एक दूसरे के साथ रहते हैं। यदि किसी कारण वश इनके बीच का तालमेल ठीक नहीं बैठता है तो ये जोड़े कई बार एक दूसरे से अलग भी हो जाते हैं और फिर उसी परंपरा के अनुसार नए जोड़े बना लिए जाते हैं।

भोज के बाद ही महिलाएं पहनती हैं सिंदूर

पाकुड़ के अमड़ापाड़ा के पहाडिय़ा बहुल सिंगारसी गांव की सुरजी पहाडिऩ, कमली पहाडिऩ सहित न जाने ऐसी कितनी महिलाएं हैं जो कई वर्षों से अपने पति के साथ रहती हैं परन्तु, भोज न देने के अभाव में इन्हें समाज में वैवाहिक मान्यता नहीं मिली है। इन महिलाओं को अन्य महिलाओं की भांति सिंदूर नहीं लगाने लगाने का दर्द तो है ही पुरूषों में भी यह डर व्याप्त रहता है कि कहीं बिना वैवाहिक मान्यता के उनके जीवन संगिनी को किसी और के माथे न थोप दिया जाए।

सेवानिवृत सैनिक ने उठाया बीड़ा

सदियों से चली आ रही पहाडिय़ों की इस परंपरा को सामाजिक मान्यता देने का बीड़ा एक पूर्व सैनिक ने उठाया है। पाकुड़ के पूर्व सैनिक विश्वनाथ भगत स्वयं सेवी संस्था सेवा भारती के सौजन्य से बीते दो वर्षों में लगभग चार जोड़ों का सामूहिक विवाह व भोज करा चुके हैं। इस विवाह में दर्जनों ऐसे जोड़े मौजूद रहते हैं जो कई बच्चों के माता-पिता होते हैं या फिर अपने जीवन के आखिरी पड़ाव रहते हैं। श्री भगत ने बताया कि शिक्षा व सुविधाओं के अभाव पहाडिय़ा समाज में ऐसे कई कुरीति व्याप्त हैं।

खुला है सरकारी खजाना

जिले के कुल दस हजार से अधिक पहाडिय़ों के लिए सरकार की ओर से कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। सरकार द्वारा इनके लिए प्रत्येक माह मुफ्त 35 किलो अनाज दिया जाता है जबकि इनके बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा के लिए न सिर्फ दिवाकालीन स्कूल बल्कि आवासीय विद्यालय भी खोले गए हैं। दसवीं पास पहाडिय़ा युवकों का सीधी नियुक्ति, मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के अलावे दर्जनों योजनाएं कार्यान्वित हैं।

भोपाल गैस कांड: डाउ करवा रही जासूसी!


भोपाल/लंदन।भोपाल गैस त्रासदी के लिए कुख्यात डाउ इंटरनेशनल का यह कारनामा बेहद ही चौंकाने वाला है। डाउ विश्व भर में भोपाल गैस पीड़ितों के हक में उठने वाली हर आवाज, हर गतिविधि की जासूसी कराने का काम करती है। उसने इसके लिए अमेरिकन कंपनी स्ट्रैटफोर की सेवाएं ली हैं। डाउ खासतौर पर लंदन ओलंपिक में उसकी स्पांसरशिप का विरोध करने वाली हर गतिविधि पर इस कंपनी के जरिए नजर बनाए हुए है।

विकीलीक्स ने ग्लोबल इंटेलीजेंस फाइल्स के नाम से जुलाई 2004 से दिसंबर 2011 के बीच करीब 50 लाख ई-मेल सार्वजनिक की हैं, जिनमें डाउ का यह काला सच सामने आया है।

अमेरिका के टेक्सास स्थित कंपनी स्ट्रैटफोर न सिर्फ डाउ को सेवाएं देती है बल्कि यूएस मैरीन, यूएस डिफेंस इंटेलीजेंस एजेंसी, यूएस होमलैंड सिक्योरिटी को भी खुफिया जानकारियां मुहैया कराती है। विकीलीक्स की ओर से ताजा जारी फाइलों में से 40फाइलें सीधे तौर पर भोपाल और डाउ केमिकल से जुड़ी हुई हैं।

इसमें भोपाल गैस पीड़ितों के हक में आवाज उठाने वाले एक एक एक्टीविस्ट से लेकर हड़ताल, रेल रोको, चक्काजाम और मीडिया कवरेज तक की बारीक जानकारियां शामिल हैं। इन फाइलों में भारत सहित दुनिया भर के देशों में भोपाल गैस त्रासदी और ओलंपिक में डाउ की भागीदारी को लेकर जारी विचार विमर्श व गतिविधियों की पूरी जानकारी दी गई है।

इन फाइलों में खासतौर पर 3 दिसंबर 2011 को भोपाल गैस त्रासदी की 27 वीं सालगिरह पर देश दुनिया में इस सिलसिले में हुई प्रमुख गतिविधियों की जानकारी दी गई है। स्कॉटलैंड की सरकार ने इसी दिन डाउ को फटकार लगाई थी, इसका भी जिक्र इन फाइलों में है। स्ट्रैटफोर ने भोपाल गैस पीड़ितों के हक में लड़ने वाले इंटरनेशनल कैंपेन फॉर जस्टिस इन भोपाल (आईसीजेबी) और स्टूडेंट्स फॉर भोपाल जैसे संगठनों और उनके सदस्यों से जुड़ेअहम ब्योरे भी डाउ की खातिर इकट्ठा किए हैं। भोपाल त्रासदी से जुड़े अधिकतर ब्योरे ‘भोपाल अपडेट’ नाम के शीर्षक से दिए गए हैं।

मीडिया में भोपाल त्रासदी को लेकर छपी खबरों और गतिविधियों पर स्ट्रैटफोर ने डाउ की खातिर कई बार बाकायदा गोपनीय ‘भोपाल मॉनीटरिंग रिपोर्ट’ भी तैयार की थी। इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण से जुड़े सवालों पर काम करने वाले ‘यस मैन समूह’ की भी मानिंटरिंग स्ट्रैटफोर ने की। स्ट्रैटफोर ने आईएसआई के पूर्व मुखिया हामिद गुल को अपनी मानद सदस्यता भी दे रखी है। इस कंपनी के सा खुलासे से साफ हुआ है कि डाउ को खासतौर पर ओलंपिक स्पांसर शिप से जुड़ी खबरों की चिंता रहती है।

विकीलीक्स के खुलासे के मुताबिक स्ट्रैटफोर ने डाउ की खातिर इस काम को अंजाम देने के लिए खबरचियों का एक अंतरराष्ट्रीय जाल बिछा रखा है जिसे मोटी रकम और साथ ही मनोवैज्ञानिक तरीकों दोनों ही से ‘मैनेज’ किया जाता है।

कुरान का संदेश

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इसी पेड़ से गिरा सेब और न्यूटन को मिला बहुत बड़ा ज्ञान


आप इस सेब के पेड़ को जानते हैं। बचपन में फिजिक्स की किताब में पढ़ा है इसके बारे में।

यही वह पेड़ है जिसने भौतिकी विज्ञान को बहुत बड़ा ज्ञान दिया। गुरूत्वाकर्षण का सिद्धांत। न्यूटन ने इसी पेड़ से गिरते सेब को देखकर सिद्धांत के बारे में सोचना शुरू किया था।

न्यूटन ने सेब के गिरने से प्रेरणा लेने की बात अपने मित्र फ्रेंच दार्शनिक वॉल्टेयर को बताई थी। अन्य लोगों के अलावा न्यूटन ने यह बात अपने एसिस्टेंट जॉन कनड्युट को भी बताई थी जिन्होंने 1726 में इस बात का जिक्र एक पत्र में किया।

इस पत्र में लिखा था- न्यूटन के अंदर गुरूत्वाकर्षण का विचार तब आया जब उन्होंने एक सेब को पेड़ से गिरते देखा।

पेड़ से सेब गिरने की घटना 1666 में हुई थी। सबसे पहले 1752 में छपे अपने बॉयोग्राफी में न्यूटन के दोस्त विलियम स्टुकेले ने इस घटना को लिखा।

एडमंड टर्नर ने 1806 में अपनी किताब, 'ए हिस्टरी ऑफ द टाउन एंड सोक ऑफ ग्रांथम' में लिखा कि- वह सेब का पेड़ अभी भी है जिसे लोग देखने आते हैं।

उस पेड़ का रेखाचित्र एडमंड टर्नर के भाई चार्ल्स टर्नर ने 1820 में बनाई जो यह बताती है कि लिंकोनशायर के वुल्सथोर्प मैनर हाउस के पास वह सेब का पेड़ है। इसी घर में न्यूटन का जन्म हुआ था।

हलांकि न्यूटन ने यह नहीं बताया था कि किस पेड़ से सेब गिरते उन्होंने देखा था। लेकिन, वुल्सथोर्फ मैनर हाउस के पास सिर्फ एक ही सेब का पेड़ था इसलिए इसमें किसी को शक नहीं रहा कि यही वह पेड़ था।

इस पेड़ की रखवाली 1733 से 1947 तक मैनर हाउस में रहनेवाले वूलरटन फैमिली करती रही। अब यह जगह इंग्लैंड के नेशनल ट्रस्ट के पास है।

दुकानदार से मारपीट के बाद सांप्रदायिक तनाव!

मावली (उदयपुर).जिले के मावली कस्बे में रविवार को एक दुकानदार से मारपीट के बाद सांप्रदायिक तनाव हो गया। इससे आक्रोशित युवाओं ने पुलिस पर पथराव कर कुछ गुमटियों में आग लगाने की कोशिश की। घटना के बाद कस्बे में सभी बाजार बंद हो गए। स्थिति को काबू करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।

आरोपी समुदाय विशेष के होने और घटना स्थल के पास ही समुदाय विशेष के संगठन का प्रतिभा सम्मान समारोह होने से स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। समारोह में शामिल लोग छह घंटे तक स्कूल में ही बंद रहे। पुलिस के अनुसार स्थिति तनावपूर्ण लेकिन काबू में बताई जा रही है। कस्बे में धारा 144 लगा दी गई है।

पुलिस के मुताबिक मावली कस्बे में मोबाइल शॉप पर विवाद के बाद समुदाय विशेष के युवाओं ने दुकानदार की पिटाई कर दी। इससे गांव के युवा एकत्रित हुए और आक्रोश व्यक्त किया। इन युवाओं का आरोप था कि मारपीट करने वाले युवा स्कूल में हो रहे प्रतिभा सम्मान समारोह में शामिल हैं। भीड़ ने स्कूल में प्रवेश का प्रयास किया तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस पर पुलिस और लोगों के बीच कहासुनी हो गई।

आक्रोशित युवाओं ने पुलिस पर पथराव कर दिया। स्थिति को काबू करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। कस्बे में पूरा दिन तनाव की स्थिति रही। इस बीच शाम साढ़े तीन बजे फिर भीड़ द्वारा स्कूल में प्रवेश का प्रयास करने के दौरान पुलिस पर पथराव किया। इस दौरान मावली एसडीएम लालसिंह देवड़ा के पांव में चोट आई।

पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। सूचना मिलने पर कलेक्टर हेमंत गेरा, एसपी आलोक वशिष्ठ, एएसपी सुधीर जोशी भी मावली पहुंचे। स्थिति पर नजर रखने के लिए कस्बे में पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस के घेरे के बीच स्कूल में मौजूद लोगों को बाहर निकालकर घर भिजवाया गया।

आरएसएस में होगा बड़ा बदलाव!


भोपाल। होली के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नई अखिल भारतीय कार्यकारिणी सामने आ जाएगी। मार्च के दूसरे सप्ताह में नागपुर में होने वाली अभा प्रतिनिधि सभा की बैठक में चुनाव की औपचारिकता निभाई जाएगी। सरसंघचालक के बाद सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले सरकार्यवाह के पद पर सभी की निगाहें हैं। यह नई कार्यकारिणी परदे के पीछे से भाजपा की 2014 लोकसभा चुनाव की रणनीति और राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी का भविष्य तय करेगी।

सूत्रों के अनुसार प्रचारक प्रमुख की जिम्मेदारी निभा रहे संघ के वरिष्ठ प्रचारक मदनदास देवी के रिटायरमेंट की घोषणा बैठक में हो जाएगी। यदि वरिष्ठता के आधार पर मौजूदा सरकार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी को यह जिम्मेदारी दी गई तो सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी और दत्तात्रय होसबोले में से किसी एक को सरकार्यवाह बनाया जा सकता है। संघ के भीतर एक समूह सोनी को उनकी वरिष्ठता, पूर्व सर संघचालक केएस सुदर्शन से निकटता और उत्तर भारतीय होने के कारण इसका प्रबल दावेदार बता रहा है। कहा जा रहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले संघ का उत्तर भारत में ताकतवर होना राजनीतिक दृष्टि से जरूरी है। संघ के भीतर ही दूसरा समूह सोनी की विवादित छवि के कारण उन्हें यह जिम्मेदारी देने के पक्ष में नहीं है।

दूसरी तरफ पिछले दो-तीन साल में दत्तात्रय होसबोले ने अपनी श्रेष्ठता को साबित किया है। वे मौजूदा संघ प्रमुख मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह जोशी के करीबी और चहेते भी हैं। यह समूह सोनी को देवी के स्थान पर प्रचारक प्रमुख बनाने की वकालत कर रहा है। यदि ऐसा हुआ तो जोशी सरकार्यवाह बने रहेंगे और होसबोले को सह सरकार्यवाह के साथ कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य और सेवा प्रमुख सीताराम केदिलाय को सह सरकार्यवाह बना कर मुख्य धारा में शामिल किए जाने की चर्चा है।

17 मार्च को होगी घोषणा

आरएसएस में हर तीन साल में अभा प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की बैठक में सरकार्यवाह के चुनाव की औपचारिकता निभाई जाती है। 15 मार्च से नागपुर में शुरू हो रही एबीपीएस की बैठक में भाजपा की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी और संगठन महामंत्री रामलाल शामिल होंगे। तीन दिन पहले यानी 12 मार्च से संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठकों का दौर शुरू हो जाएगा। इन्हीं बैठकों में अगले तीन साल की कार्यकारिणी तय हो जाएगी और 17 मार्च को एबीपीएस की बैठक के अंतिम दिन इसकी घोषणा कर दी जाएगी। बताया जाता है कि मध्य क्षेत्र (मप्र और छग) के प्रचारक विनोद कुमार के स्थान पर सह क्षेत्र प्रचारक रामदत्त को यह जिम्मेदारी दी सकती है।

तय होगा गडकरी का भविष्य

एबीपीएस की इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी का भविष्य तय हो जाएगा। दिसंबर 2012 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है। बताया जाता है कि संघ का एक बड़ा धड़ा 2014 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ने के पक्ष में है। बैठक में सीधे तौर पर इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी लेकिन संघ का नया राष्ट्रीय नेतृत्व ही भाजपा के नए अध्यक्ष का चयन करेगा।

पदोन्नति में आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने लगाई हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक

जयपुर. पदोन्नति में आरक्षण मामले में अवमानना का सामना कर रहे मुख्य सचिव एस अहमद और प्रमुख कार्मिक सचिव खेमराज को राहत मिली है। दोनों अवमानना के मामले में सजा से बच गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद हाईकोर्ट में दोनों की सजा के बिंदुओं पर सुनवाई नहीं हो सकेगी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश की पालना नहीं होने पर 23 फरवरी को एस. अहमद व खेमराज को अवमानना का दोषी ठहराया था। न्यायाधीश अल्तमश कबीर की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई।

कोर्ट ने बजरंग लाल शर्मा व समता आंदोलन समिति को तीन हफ्ते में अपना पक्ष रखने को कहा है। साथ ही राज्य सरकार को दो सप्ताह में रीज्वाइंडर पेश करना होगा। मामले पर अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी। राज्य सरकार ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने पैरवी की।

अब तक क्या हुआ

हाईकोर्ट ने 23 फरवरी को अपने फैसले में पदोन्नति में आरक्षण मामले में मुख्य सचिव एस. अहमद और कार्मिक सचिव खेमराज को अवमानना का दोषी माना। हाईकोर्ट ने 5 फरवरी 2010 के फैसले का पालन करने को कहा तथा अवमानना के लिए 27 फरवरी को सजा पर सुनवाई का आदेश दिया।

सरकार ने इस फैसले को चुनौती देने के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें तकनीकी खामियां रहने से मामला अटक गया। फिर शनिवार को खामियां दूर कर अवकाशकालीन न्यायधीश के समक्ष याचिका लगाई गई। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने सरकार की याचिका की जल्द सुनवाई का आग्रह मान लिया।

अगले हफ्ते पांच रुपया महंगा हो जाएगा पेट्रोल?



नई दिल्‍ली. पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव अपने आखिरी दौर में है, ऐसे में पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक बार फिर बढ़ने की आहट मिलने लगी है। मीडिया में सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक पेट्रोल की कीमत में चार से पांच रुपये प्रति लीटर और डीजल दो रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो सकता है।

पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव का आखिरी दौर तीन मार्च को खत्‍म हो रहा है। उम्‍मीद है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का ऐलान इसके तुरंत बाद किया जाएगा।

इंडियन ऑयल के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने भी हाल में ही पेट्रोल की कीमतें बढ़ाने के संकेत दिए थे। सीएमडी आरएस बुटोला ने कहा था, 'अभी प्रति लीटर पेट्रोल पर 3 रुपए से अधिक का घाटा हो रहा है। सरकार से पेट्रोल की मद में हो रहे घाटे का हवाला देते हुए अप्रैल से दिसंबर तक की अवधि के लिए 12 सौ करोड़ रुपए मांगे गए हैं। अगर सरकार यह पैसा नहीं देती है तो मजबूरन दाम बढ़ाने होंगे।'
इस तरह की खबरें आने के बाद डीलरों ने बताया कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ाए जाने से कच्‍चे तेल की बढ़ती कीमतों से निपटना आसान हो जाएगा। इस वक्‍त अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेल की कीमतें 125 डॉलर प्रति बैरल के करीब हैं।
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को प्रति लीटर पेट्रोल की बिक्री पर चार रुपये और प्रति लीटर डीजल पर 13 रुपये का घाटा हो रहा है। ऑयल इं‍डस्‍ट्री को इस घाटे से उबरने के लिए मार्च 2012 तक एक लाख 39 हजार करोड़ यानी हर दिन करीब चार करोड़ की जरूरत होगी।
पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में बढ़ोतरी की उम्‍मीद के चलते विपरीत माहौल में भी आज एचपीसीएल और बीपीसीएल के शेयरों के दाम बढ़े। शेयर बाजार में आज एक ओर जहां कई बड़ी कंपनियों के शेयर गिरे वहीं बीपीसीएल के शेयर करीब दो फीसदी और एचपीसीएल के शेयर करीब साढ़े तीन फीसदी चढ़े।

दारिया मुठभेड़ः भगौड़े एडीजे जैन ने किया सरेंडर, सीबीआई कोर्ट ने भेजा जेल


जयपुर। दारा सिंह उर्फ दारिया मुठभेड़ मामले में आरोपी एडीजी एके जैन ने सीबीआई की विशेष मामलों की अदालत के समझ सोमवार शाम चार बजे समर्पण (सरेंडर) कर दिया। अनुसंधान अधिकारी नहीं होने के कारण अदालत ने जैन को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने के निर्देश दिए है। सोमवार सुबह से ही इस तरह की खबरें आ रही थी कि जैन आज सीबीआई के समक्ष सरेंडर करेंगे और शाम होते-होते जैन ने सरेंडर कर दिया। जैन पिछले साल जून से फरार चल रहे थे। जैन पर दस लाख का इनाम घोषित किया गया था जबकि अन्य चार आरोपियों पर पांच-पांच लाख का इनाम ईनाम घोषित था।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था। इसके बाद सीबीआई ने जैन और चार अन्य आरोपियों के पोस्टर छपवा कर शहर में अलग-अलग स्थानों पर लगवाए थे। दारिया उर्फ दारा सिंह की 2006 में जयपुर में एक मुठभेड़ में कथित रूप से हत्या कर दी गई थी। उस वक्त जैन एडीजी(क्राइम)पद पर तैनात थे। मामले आरोपी बनाए जाने के बाद जैन पिछले साल 4 जून को फरार हो गए थे। जैन को सीबीआई ने भगोड़ा घोषित कर दिया था। इसके बाद जैन पर 10 लाख का ईनाम भी घोषित किया गया था।

राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष ममता जी तो संस्कारवान है वोह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं का सम्मान ही करती है


दोस्तों ममता शर्मा ..जी हाँ राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ..बूंदी से दो बार विधायक रह चुकी ममता शर्मा जो राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव भी थी ..एक दिग्गज परिवार की लडकी ..एक दिग्गज परिवार की बहु है ..यह आधुनिक राजस्थान के निर्माता हाडोती के शेर पंडित ब्रिज सुदंर शर्मा की पुत्र वधु और राजस्थान के जाने माने वकील एडवोकेट कमलाकर साहब की धर्म पत्नी है ..इतना ही नहीं कोटा के छोटे देवता जी की पुत्री भाजपा के वरिष्ठ नेता हरिकुमार ओदिच्य की बहन है .इनके संस्कार में कूट कूट कर भारतीय संस्क्रती भरी है ..पढ़ी लिखी काबिल महिला होने के बाद भी इन्होने गाँव में जाकर बुज़ुर्ग महिलाओं की खिदमत की है ..पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लियें संघर्ष किया है ..ममता शर्मा जी ब्राह्मण परिवार की पढ़ी लिखी धर्म पर और भारतीय संस्क्रती पर अटूट विशवास रखने वाली ऐसी महिला हैं जिनकी जिंदगी और रहन सहन में ही भारतीयता झलकती है ..वोह महिला कोंग्रेस की अध्यक्ष भी रही है और हमेशा महिलाओं के मान सम्मान के लियें संघर्ष करती रही हैं ..ऐसी महिला के जुमले को पकड़ कर हव्वा खड़ा करना देश की कोनसी संस्क्रती है ..सारा देश जानता है के स्लिप ऑफ़ टंग यानी मुहावरों में कुछ कहना अर्थ का अनर्थ नहीं करता है ममता जी ने सेक्सी मामले में जो कहा वोह कहने को तो सब दिल से जानते है के उनका मन्तव्य क्या था वोह क्या कहना चाहती थीं लेकिन हमारे देश के विपक्ष से जुड़े लोग और मिडिया ने बात का बतंगड़ बना दिया आखिर में ममता शर्मा ने फिर अपनी महानता देश की महिलाओं के मान सम्मान के लियें अपनी ममता दिखाई और अपना बढ़प्पन दिखाकर इस विवादास्पद बयान को वापस लेने की घोषणा की फिर भी कुछ लोग बेचें है और अनावश्यक बात को तूल दे रहे है तो जनाब में ममता शर्मा जी के स्वभाव उनके भारतीय संस्क्रती और भारतीय विधान की तरफ झुकाव विश्वास साबित करने के लियें ही यह पोस्ट लिख रहा हूँ ..इसलियें कहता हूँ के जो बात आप लोगों को करना है वोह करो एक महिला का साथ दो उन्हें देश की महिलाओं की स्थिति ..उनके विषम हालातो दुःख तकलीफों के बारे में बताओ ताके उनकी समस्याओं का समाधान हो सके ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा के पत्रकार जहां आपस में प्यार कम तकरार ज्यादा होने लगी है ..इश्वर इन्हें सद्बुद्धि दे

दोस्तों अप और हम सभी जानते हैं के जानवर जानवर को नहीं काटता ..सांप सांप को नहीं डसता ..कुत्ते कुत्ते को नहीं काटते इंसान इंसान को नहीं काटते लेकिन इंसानों में ही एक ज़ात पत्रकारों की ऐसी है जो बातें तो बढ़ी बढ़ी करते है लेकिन जब वक्त पढ़ता है तब सब गेर हो जाते है और एक दुसरे को उपेक्षित करने ..एक दुसरे को निचा दिखाने के बारे में सोचने लगते है ..ऐसा कहीं हो या ना हो हमारे कोटा राजस्थान में तो खूब हो रहा है यहाँ वेसे तो दो बढ़े अख़बारों की लड़ाई में काफी पत्रकार पिस रहे है ....लेकिन कई ऐसे भी मामले है जो पत्रकारों की कोई खास सार सम्भाल नहीं है ..अभी पिछले दिनों कोटा के एक वरिष्ठ लेकिन गरीब पत्रकार जनाब अजित मधुकर जी की अस्पताल में म़ोत हो गयी ..लोग उनकी शव यात्रा में गये नहीं गये लेकिन अब सब उन्हें भूल गये ..उनकी म़ोत की खबर कुछ अख़बारों में छपी कुछ में नहीं छपी ..प्रेस क्लब के कार्यक्रम होते है ..पत्रकार संगठनों के कार्यक्रम होते है कुछ छपते है कुछ को छापा नहीं जाता .......अभी हाल ही में कोटा के एक वरिष्ठ पत्रकार देनिक जन्धारना पक्ष के जनाब मनोहर परिक के साथ हादसा हुआ ..वोह बस स्टेंड पर खड्डे में गिरे उनके पाँव की हड्डियाँ टूट गयी वोह इधर से उधर अस्पतालों में चक्कर लगाते रहे लेकिन उनकी कोई पत्रकार मदद करने नहीं आया ...खुद अपने स्तर पर उन्होंने इलाज करवाया अस्पताल के क्यूबिकल वार्ड में रहे वोह प्रेस क्लब के पदाधिकारी भी रहे और उन्होंने झारखंड रिश्वत काण्ड का खुलासा किया था इसलियें विभिन्न पत्रकारिता पुरस्कारों से उन्हें नवाज़ा गया लेकिन बेचारे सभी के सुक्ख दुक्ख में काम आने वाले भाई मनोहर परिक की इस दुक्ख की घड़ी में उनसे मिलने गिनती के पत्रकार गये उनके साथ घटित दुर्घटना की खबर भी किसी पत्रकार ने नहीं छापी ..जबकि किसी का कुत्ता भी अगर बीमार हो जाये तो वोह खबर अख़बारों में छपती है ...........लेकिन हमारे मनोहर परिक साहब काफी दिनों तक अस्पताल में तड़पते रहे उनके परिवार और मित्रों के आलावा किसी भी पत्रकार ने उनकी सुद्ध नहीं ली ....अभी पिछले दिनों भास्कर के एक पत्रकार जनाब स्लिम शेरी साहब को फोटो पत्रकारिता के लियें जिला प्रशासन ने पुरस्कर्त किया उनके लियें और कोटा के पत्रकारों के लियें यह गोरव की बात थी .लेकिन जनाब एक अख़बार में भी उनकी खबर नहीं छपी किसी ने उन्हें बधाई नही दी इतना ही नहीं अभी पिच्छले दिनों एक खबर के मामले में फोटोग्राफी करते वक्त गुजरों ने उन पर हमला कर उनका हाथ तोड़ दिया ..उनके अख़बार के अलावा दुसरे अख़बारों में खबर नदारद थी ..कुल मिलाकर पत्रकारिता की कोटा की दुनिया में तेरी मेरी ..की लड़ाई चल रही है ना जाने कितने गुट बने है दो बढ़े अख़बारों के झगड़े तो जग ज़ाहिर हैं लेकिन छोटे अख़बार भी एक नहीं है एक दुसरे को निचा दिखाने का काम कर रहे है कुछ तो राजनितिक पार्टियों के जनसम्पर्क कर्मचारी बने है कुछ राजनेताओं के मुखबिर बनकर काम कर रहे है कोटा में कोई भी अख़बार या संस्था हो पत्रकारिता के आधुनिकीकरण मामले में कोई भी सेमिनार या प्रशिक्ष्ण कार्यक्रम का आयोजन किसी ने भी नहीं किया है यानी पत्रकारिता के हालातों को सूधारने की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं है ..पत्रकार छोटे बढ़े ..देनिक साप्ताहिक पाक्षिक ..इलेक्ट्रोनिक ... प्रिंट ..रिटायर्ड ....बिना रिटायर्ड ..कोंग्रेस.... भाजपा में बंट गए है और इन हालातों में यहाँ पत्रकारिता का व्यवसाय तो हो रहा है लेकिन पत्रकारिता के नाम पर समाज सेवा समाज के प्रति ज़िम्मेदारी नहीं निभाई जा रही है ऐसे में तो बस खुदा से यही दुआ है के कोटा जहाँ देश के सभी इलेक्ट्रोनिक टीवी चेनल और देनकी ..साप्ताहिक..पाक्षिक अख़बार पत्रिकाओं के संवाददाता है उनका कोटा से प्रकाशन है उन्हें खुदा सद्बुद्धि दे और पत्रकार एक जुट होकर कोटा में ही नहीं राजस्थान में ही नहीं विश्व भर में कोटा की पत्रकारिता का आज़ादी की लड़ाई जेसा इतिहास बनाये देखते हैं इन्तिज़ार करते हैं आने वाला कल कोटा की पत्रकारिता के लियें केसा होता है ........ खान अकेला कोटा राजस्थान
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