तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 फ़रवरी 2012
राजस्थान हाई कोर्ट के बाहर न्याय में देरी को लेकर एक व्यक्ति के जहर खाने की घटना को गम्भीरता से नहीं लिया तो अराजकता के हालात से नहीं बच सकेंगे हम लोग
इन्हें हल्के में मत लीजिएगा, नाम है - कड़कनाथ, कमाल की है विशेषता
इस पंजीयन के बाद कड़कनाथ को पालने और इसके विपणन से जुड़े लोगों के लिए व्यापार के नए आयाम खुल जांएगे। दूसरी ओर भारत सरकार भी इस विलुप्त होती प्रजाती को बचाने के लिए प्रयास कर रही है। आपूर्ति के मुकाबले इसकी मांग काफी कम होने से खुले बाजार में कड़कनाथ 550 रुपये से 600 रुपये प्रति किलो के दर से बिक रहा है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विकास मंत्रालय और सीआईआई के सहयोग से इंदौर में स्थापित बौद्धिक संपदा सुगमता केन्द्र (आईपीएफसी) के अधिकारियों का कहना है कि हमारा काम बौद्धिक संपदा के बारे में एमएसएमई एवं लोगों की जागरुकता बढ़ाना है ताकि प्रदेश के लघु और मध्यम उद्योग विश्व बाजार में अपनी पैठ जमा सकें।
इसी के तहत आईपीएफसी झाबुआ जिले में पाई जाने वाली मुर्गे की अनोखी प्रजाती कड़कनाथ चिकन का ज्योग्राफिकल पंजीयन कराने जा रहा है। स्थानिय भाषा में कड़कनाथ चिकन को कालामासी कहा जाता है। आईपीएफसी का कहना है कि इसका ज्योग्राफिकल इंडीकेशन पंजीयन हो जाने से मध्यप्रदेश को अंतराष्ट्रीय ख्याती मिलेगी वहीं इसके व्यवसाय में भी जोरदार विकास होगा।
स्वाद के साथ बेहतर सेहत भी
केंद्रीय खाद्य परीक्षण एवं अनुसंधान संस्थान मैसूर ने एक कड़कनाथ पर एक शोध किया था। जिसके अनुसार कड़कनाथ पक्षी का मांस स्वादिष्ट होने के साथ आसानी से पचने वाला होता है।
इसे हृदय रोगियों के लिए भी श्रेष्ठ आहार माना जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा 25.47 व चर्बी महज 3.4 प्रतिशत होती है। वहीं आर्दता 70.33 प्रतिशत पाई गई। इसके चलते कड़कनाथ मुर्गे की मांग काफी अधिक रहती है। मांग के मुकाबले इसकी आपूर्ति कम रहने से इस प्रजाती के विलुप्त होने का खतरा रहता है। इस जाती को बचाने के लिए सरकार भी प्रयास कर रही है।
मध्यप्रदेश में झाबुआ सहित 16 स्थानों पर कड़कनाथ कुक्कुट प्रक्षेत्र बनाया गया है जहां पर इस प्रजाती का संरक्षण कर विकास किया जा रहा है। शासकीय कड़कनाथ कुक्कुट प्रक्षेत्र झाबुआ के प्रबंधक डॉ एनएस अखाड़े का कहना है कि विशेष तौर से झाबुआ जिले में पाई जोन वाली इस प्रजाती का विकास अब मध्यप्रदेश के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी किया जा रहा है।
वर्तमान में कड़कनाथ कुक्कुट प्रक्षेत्र झाबुआ में कड़कनाथ मुर्गे-मुर्गियों की संख्या-992 है। जबकि प्रतिदिन 220 अंडों का उत्पादन हो रहा है। यहां पर दो माह पहले सेटर व हेचर मशीन लगाई गई है जिसकी सहायता से अंडे से चूजों का उत्पादन किया जा रहा है। मशीन में तापमान व आद्रता मैंटेन करनी पड़ती है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि मार्च अंत तक झाबुआ में प्रतिदिन 400-450 अंडों का उत्पादन किया जा सकेगा।
कर रहे हैं हजयात्रा पर जाने की तैयारी तो पहले पढ़ें यह खबर!
यह बताना होगा :
लकवा, बेहोशी, दिल का दौरा, अपंगता, मधुमेह, टीबी, अस्थमा, एलर्जी, छोटी-बड़ी सर्जरी, ब्लड प्रेशर, हृदय की बीमारी आदि की पूरी जानकारी देनी होगी। यह भी बताना होगा कि बीमारी कब से है, कौनसा इलाज चल रहा है। सेंट्रल हज कमेटी के पीआरओ कमर अब्बास ने बताया कि हजयात्री की बीमारी का पता रहा तो यात्रा के दौरान तबीयत बिगड़ने पर तुरंत इलाज मिल पाएगा।
शर्मशार हुआ शिक्षा का मंदिर, दलित बच्चों गर ऐसा अत्याचार
अम्बाला. पाई.सौंगल गांव में मिडडे मील बनाने वाले वर्करों ने दलित बच्चों के जूठे बर्तनों को साफ करने से इंकार कर दिया। जिस कारण से राजकीय प्राथमिक पाठशाला में मिड-डे मील की वितरित करने की समस्या उत्पन्न हो गई है। इस बात का खुलासा गांव की सरपंच सुशीला देवी एवं उनके पति कृष्ण बांगड, पंचों तथा गांव के कई गणमान्य व्यक्तियों ने किया।
इन्होंने बताया कि जब वे मिड डे मील का जायजा लेने के लिए विद्यालय में गए तो वहां पर जाकर देखा कि स्कूल में पिछले 3 दिनों के जूठे बर्तन पड़े हुए है। इस पर उन्होंने मिड डे मील का ठेका लेने वाले स्वयं सहायता समूह के प्रधान ओमप्रकाश से पूछा तो उन्होंने बताया कि कुक सत्या, धर्मपाल व बाला ने अनुसूचित जाति के बच्चों के बर्तन साफ करने से साफ इंकार कर दिया है।
यह भी देखने में आया कि बच्चों को कागजों पर रखकर मिड डे मील का भोजन दिया जा रहा है। ग्राम पंचायत को स्वयं सहायता समूह के प्रधान ओमप्रकाश ने बताया कि उसे डेढ़ वर्ष पहले जब ठेका दिया गया था तो अनुदान न आने के कारण बच्चे तब से अपने घर से बर्तन लेकर आते थे।
मिड डे मील में 400 बच्चों के लिए भोजन बनता है। अब 3 फरवरी को अनुदान आने पर बर्तन मंगवाए गए है। बर्तनों को साफ करने के लिए राजरानी को नियुक्त किया गया था। राजरानी की निगरानी में बर्तनों को साफ करने का कार्य दर्शना देवी भी करती थी। अब इसने भी बर्तन साफ करने से इंकार कर दिया है।
खाना बनाने के लिए ही मिलता वेतन : इस बारे में जब कूक धर्मपाल, सत्या और बाला से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनको सिर्फ मिड डे मील बनाने के लिए ही वेतन मिलता है। जो सिर्फ 1000 रुपए प्रति महीना है। इतने कम वेतन पर वे मिड डे मील बनाने के साथ-साथ बर्तन मांजने का कार्य नहीं कर सकते।
नहीं बरती जाएगी कोताही: दर्शना
इस बारे में जब जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी संतोष देवी से जाना गया तो उसने बताया कि यदि स्कूल में जाति पाति के आधार पर मिड डे मील बांटा जा रहा है और दलितों के बच्चों के बर्तन साफ नहीं किए जा रहे तो वे इसकी कल ही स्वयं जाकर जांच करेंगी। मिड डे मील के बर्तन साफ करने में कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं होगी।
दशरथजी के पास जनकजी का दूत भेजना, अयोध्या से बारात का प्रस्थान
बूझि बिप्र कुलबृद्ध गुर बेद बिदित आचारु॥286॥
मुदित राउ कहि भलेहिं कृपाला। पठए दूत बोलि तेहि काला॥1॥
हाट बाट मंदिर सुरबासा। नगरु सँवारहु चारिहुँ पासा॥2॥
रचहु बिचित्र बितान बनाई। सिर धरि बचन चले सचु पाई॥3॥
बिधिहि बंदि तिन्ह कीन्ह अरंभा। बिरचे कनक कदलि के खंभा॥4॥
रचना देखि बिचित्र अति मनु बिरंचि कर भूल॥287॥
कनक कलित अहिबेलि बनाई। लखि नहिं परइ सपरन सुहाई॥1॥
मानिक मरकत कुलिस पिरोजा। चीरि कोरि पचि रचे सरोजा॥2॥
सुर प्रतिमा खंभन गढ़ि काढ़ीं। मंगल द्रब्य लिएँ सब ठाढ़ीं॥3॥
हेम बौर मरकत घवरि लसत पाटमय डोरि॥288॥
मंगल कलश अनेक बनाए। ध्वज पताक पट चमर सुहाए॥1॥
जेहिं मंडप दुलहिनि बैदेही। सो बरनै असि मति कबि केही॥2॥
जनक भवन कै सोभा जैसी। गृह गृह प्रति पुर देखिअ तैसी॥3॥
जो संपदा नीच गृह सोहा। सो बिलोकि सुरनायक मोहा॥4॥
तेहि पुर कै सोभा कहत सकुचहिं सारद सेषु॥289॥
भूप द्वार तिन्ह खबरि जनाई। दसरथ नृप सुनि लिए बोलाई॥1॥
बारि बिलोचन बाँचत पाती। पुलक गात आई भरि छाती॥2॥
पुनि धरि धीर पत्रिका बाँची। हरषी सभा बात सुनि साँची॥3॥
पूछत अति सनेहँ सकुचाई। तात कहाँ तें पाती आई॥4॥
सुनि सनेह साने बचन बाची बहुरि नरेस॥290॥
प्रीति पुनीत भरत कै देखी। सकल सभाँ सुखु लहेउ बिसेषी॥1॥
भैया कहहु कुसल दोउ बारे। तुम्ह नीकें निज नयन निहारे॥2॥
पहिचानहु तुम्ह कहहु सुभाऊ। प्रेम बिबस पुनि पुनि कह राऊ॥3॥
कहहु बिदेह कवन बिधि जाने। सुनि प्रिय बचन दूत मुसुकाने॥4॥
रामु लखनु जिन्ह के तनय बिस्व बिभूषन दोउ॥291॥
जिन्ह के जस प्रताप कें आगे। ससि मलीन रबि सीतल लागे॥1॥
सीय स्वयंबर भूप अनेका। समिटे सुभट एक तें एका॥2॥
तीनि लोक महँ जे भटमानी। सभ कै सकति संभु धनु भानी॥3॥
जेहिं कौतुक सिवसैलु उठावा। सोउ तेहि सभाँ पराभउ पावा॥4॥
भंजेउ चाप प्रयास बिनु जिमि गज पंकज नाल॥292॥
देखि राम बलु निज धनु दीन्हा। करिबहु बिनय गवनु बन कीन्हा॥1॥
कंपहिं भूप बिलोकत जाकें। जिमि गज हरि किसोर के ताकें॥2॥
दूत बचन रचना प्रिय लागी। प्रेम प्रताप बीर रस पागी॥3॥
कहि अनीति ते मूदहिं काना। धरमु बिचारि सबहिं सुखु माना॥4॥
कथा सुनाई गुरहि सब सादर दूत बोलाइ॥293॥
जिमि सरिता सागर महुँ जाहीं। जद्यपि ताहि कामना नाहीं॥1॥
तुम्ह गुर बिप्र धेनु सुर सेबी। तसि पुनीत कौसल्या देबी॥2॥
तुम्ह ते अधिक पुन्य बड़ काकें। राजन राम सरिस सुत जाकें॥3॥
तुम्ह कहुँ सर्ब काल कल्याना। सजहु बरात बजाइ निसाना॥4॥
भूपति गवने भवन तब दूतन्ह बासु देवाइ॥294॥
सुनि संदेसु सकल हरषानीं। अपर कथा सब भूप बखानीं॥1॥
मुदित असीस देहिं गुर नारीं। अति आनंद मगन महतारीं॥2॥
राम लखन कै कीरति करनी। बारहिं बार भूपबर बरनी॥3॥
दिए दान आनंद समेता। चले बिप्रबर आसिष देता॥4॥
चिरु जीवहुँ सुत चारि चक्रबर्ति दसरत्थ के॥295॥
समाचार सब लोगन्ह पाए। लागे घर-घर होन बधाए॥1॥
सुनि सुभ कथा लोग अनुरागे। मग गृह गलीं सँवारन लागे॥2॥
तदपि प्रीति कै प्रीति सुहाई। मंगल रचना रची बनाई॥3॥
कनक कलस तोरन मनि जाला। हरद दूब दधि अच्छत माला॥4॥
बीथीं सींचीं चतुरसम चौकें चारु पुराइ॥296॥
बिधुबदनीं मृग सावक लोचनि। निज सरूप रति मानु बिमोचनि॥1॥
भूप भवन किमि जाइ बखाना। बिस्व बिमोहन रचेउ बिताना॥2॥
कतहुँ बिरिद बंदी उच्चरहीं। कतहुँ बेद धुनि भूसुर करहीं॥3॥
बहुत उछाहु भवनु अति थोरा। मानहुँ उमगि चला चहु ओरा॥4॥
जहाँ सकल सुर सीस मनि राम लीन्ह अवतार॥297॥
चलहु बेगि रघुबीर बराता। सुनत पुलक पूरे दोउ भ्राता॥1॥
रचि रुचि जीन तुरग तिन्ह साजे। बरन बरन बर बाजि बिराजे॥2॥
नाना जाति न जाहिं बखाने। निदरि पवनु जनु चहत उड़ाने॥3॥
सब सुंदर सब भूषनधारी। कर सर चाप तून कटि भारी॥4॥
जुग पदचर असवार प्रति जे असिकला प्रबीन॥298॥
फेरहिं चतुर तुरग गति नाना। हरषहिं सुनि सुनि पनव निसाना॥1॥
चवँर चारु किंकिनि धुनि करहीं। भानु जान सोभा अपहरहीं॥2॥
सुंदर सकल अलंकृत सोहे। जिन्हहि बिलोकत मुनि मन मोहे॥3॥
अस्त्र सस्त्र सबु साजु बनाई। रथी सारथिन्ह लिए बोलाई॥4॥
होत सगुन सुंदर सबहि जो जेहि कारज जात॥299॥
चले मत्त गज घंट बिराजी। मनहुँ सुभग सावन घन राजी॥1।
तिन्ह चढ़ि चले बिप्रबर बृंदा। जनु तनु धरें सकल श्रुति छंदा॥2॥
बेसर ऊँट बृषभ बहु जाती। चले बस्तु भरि अगनित भाँती॥3॥
चले सकल सेवक समुदाई। निज निज साजु समाजु बनाई॥4॥
कबहिं देखिबे नयन भरि रामु लखनु दोउ बीर॥300॥
निदरि घनहि घुर्म्मरहिं निसाना। निज पराइ कछु सुनिअ न काना॥1॥
चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नारीं। लिएँ आरती मंगल थारीं॥2॥
तब सुमंत्र दुइ स्यंदन साजी। जोते रबि हय निंदक बाजी॥3॥
राज समाजु एक रथ साजा। दूसर तेज पुंज अति भ्राजा॥4॥
आपु चढ़ेउ स्यंदन सुमिरि हर गुर गौरि गनेसु॥301॥
करि कुल रीति बेद बिधि राऊ। देखि सबहि सब भाँति बनाऊ॥1॥
हरषे बिबुध बिलोकि बराता। बरषहिं सुमन सुमंगल दाता॥2॥
सुर नर नारि सुमंगल गाईं। सरस राग बाजहिं सहनाईं॥3॥
करहिं बिदूषक कौतुक नाना। हास कुसल कल गान सुजाना॥4॥
नागर नट चितवहिं चकित डगहिं न ताल बँधान॥302॥
चारा चाषु बाम दिसि लेई। मनहुँ सकल मंगल कहि देई॥1॥
सानुकूल बह त्रिबिध बयारी। सघट सबाल आव बर नारी॥2॥
मृगमाला फिरि दाहिनि आई। मंगल गन जनु दीन्हि देखाई॥3॥
सनमुख आयउ दधि अरु मीना। कर पुस्तक दुइ बिप्र प्रबीना॥4॥
जनु सब साचे होन हित भए सगुन एक बार॥303॥
राम सरिस बरु दुलहिनि सीता। समधी दसरथु जनकु पुनीता॥1॥
एहि बिधि कीन्ह बरात पयाना। हय गय गाजहिं हने निसाना॥2॥
बीच-बीच बर बास बनाए। सुरपुर सरिस संपदा छाए॥3॥
नित नूतन सुख लखि अनुकूले। सकल बरातिन्ह मंदिर भूले॥4॥
सजि गज रथ पदचर तुरग लेन चले अगवान॥304॥
मासपारायण दसवाँ विश्राम
अरविन्द केजरीवाल का वोटर लिस्ट से नाम गायब ..चुनाव आयोग हा हा हा हा
कम वक्त में भी गहरी नींद चाहें, तो अमल करें इन 5 बातों पर..
मानव शरीर की एक सबसे अहम क्रिया है - नींद, शयन या सोना। नींद शरीर के लिए उतनी ही जरूरी है, जितना भोजन या पानी। सुखी और खुशहाल जीवन गुजारने के लिए जरूरी यही होता है कि शरीर की इस क्रिया को कुदरत से तालमेल बैठाकर चला जाए। किंतु भागदौड़ भरे जीवन में कर्म, वचन और व्यवहार के दोष और असंतुलित जीवनशैली शयन क्रिया में खलल डालते हैं। इससे शरीर समस्या, दु:ख और रोग का घर बन जाता है।
हिन्दू धर्मशास्त्र महाभारत में भी जीवन और व्यवहार से जुड़े ऐसे ही पांच कारण बताए गए हैं, जिससे इंसान सो नहीं पाता। अगर आप भी चैन की नींद सोना चाहते हैं तो कारणों को जानें और साधें अपने जीवन को -
महाभारत में लिखा गया है कि -
अभियुक्तं बलवता दुर्बलं हीनसाधनम्।
हृतस्वं कामिनं चोरमाविशन्ति प्रजागरा:।।
सरल शब्दों में इस श्लोक का अर्थ समझें तो नीचे बताए पांच कारणों से इंसान रात में भी जागने का रोगी हो जाता है -
- पहला किसी व्यक्ति को अपने से अधिक शक्तिशाली और मजबूत व्यक्ति से विरोध, मतभेद हो जाए तो टकराव की उधेड़बुन में मन-मस्तिष्क रातों में भी बेचैन रहता है। इसके हल के लिए प्रेम और सहयोग का रास्ता चुनें।
- दूसरा अभावग्रस्त या सुख-साधनों से वंचित इंसान चिंता से जागता रहता है। संतोष और मेहनत का भाव उतारना इस समस्या से निजात दिलाता है।
- तीसरा जीवन जीने के सुख-साधन छिन जाने पर व्यक्ति सो नहीं पाता। इसके लिए धैर्यवान और आशावादी बनें।
- चौथा काम भाव यानी काम वासना से पीडि़त व्यक्ति। इससे बचने के लिए जीवन में संयम रखकर सोने से पहले अच्छे विचारों व देव स्मरण करें।
- पांचवा चोरी करने वाला। चोरी शब्द अन्य अर्थो में यह भी संकेत देता है कि आलस्य यानी कामचोरी या कर्महीनता भी सुकून भरी नींद छिनने वाली होती है। इसके लिये अकर्मण्यता और लालच से बचें।
कैद से आजाद न हो सके भगवान, प्रशासन को आया पसीना
तीन साल से इसे शिवरात्रि पर भी नहीं खोला जा रहा। शहर के प्रबुद्धजन व राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि एक स्वर में इसका विरोध कर रहे हैं। मंगलवार को कलेक्टर जीएल गुप्ता ने प्रबुद्ध नागरिकों व मंदिर-मठ बचाओ समिति के सदस्यों के साथ दो बार बात की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अब समाधान के लिए 11 सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो बुधवार को बैठकर समस्या का हल ढूंढेंगी।
हटा दिए इतिहास बताने वाले बोर्ड
राज्य सरकार की किताबों में को देश को नाम देने वाले भरत की जन्मस्थली माना है, लेकिन केन्द्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस ऐतिहासिक सच को ही दबा दिया। कंसुआ के रघुराजसिंह जादौन, शिवनारायण शर्मा, बच्चूसिंह, शंकरलाल अग्रवाल ने कहा कि यहां इतिहास दर्शाने वाले बोर्ड जून-11 तक लगे थे। विभाग ने उन्हें हटाकर अपने बोर्ड लगा दिए।
सांसद ने कहा- ताला खुलवाओ
विवाद के चलते सांसद इज्यराजसिंह एडीएम (सिटी) पोखरमल के साथ मंगलवार को पहुंचे। उन्होंने कमरे का ताला खुलवाकर स्थिति देखी। पुरातत्व विभाग के अधिकारी सुरेश कुमावत से जानकारी लेकर उन्होंने एडीएम को कमरे का ताला खुलवाने और कमरे में रखे स्टोर के सामान को दूसरी जगह शिफ्ट कराने को कहा। इस कमरे में एक कुंड में शिवलिंग है, शेष कमरे में कबाड़ भरा पड़ा है। सांसद भी पुरानी जैसी स्थिति चाहते हैं।
आज फिर होगी बैठक
कलेक्टर जीएल गुप्ता द्वारा बुलाई गई बैठक दो बार बेनतीजा रहने पर मंगलवार को फिर सुबह 11 बजे बैठक होगी। इसके लिए 11 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है।
कौन है जिम्मेदार, सहायक संरक्षक से सीधी बातचीत
>कमरे पर ताला किसने लगाया?
- पता नहीं, मैं तो डेढ़ साल से यहां हूं, ताला पहले से लगा है।
>यहां तीन साल पहले पूजा होती थी, अब क्यों नहीं?
- यहां पूजा नहीं होती थी, ताला 20 साल से लगा हुआ है।
>ताला खोलने में क्या आपत्ति है?
- कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसके लिए अनुमति लेनी होती है।
>क्या अनुमति लेकर ही ताला लगाया था?
- यह पुरानी बात है, नियमों के अनुसार ही ताला लगाया गया होगा।
>लोग ताला खोलने की मांग कर रहे हैं?
- हां, हम भी माहौल खराब नहीं करना चाहते। मुख्यालय व प्रशासन स्तर पर बात चल रही है।
>यहां की दुर्दशा पर विभाग क्या कर रहा है?
- विभाग मरम्मत कर सकता है, इसमें फेरबदल नहीं कर सकता।
>पूरा परिसर जीर्ण-क्षीर्ण हो रहा है, इसे सुधारने के क्या प्रयास है?
- जैसे-जैसे बजट आता है, वैसे ही कार्य कराते हैं। प्रस्ताव भेजे हैं।
>यह भरत की जन्मभूमि है। यह ऐतिहासिक जानकारी यहां नहीं दर्शाई गई?
- इसकी बुकलेट तैयार कराई जा रही है, शीघ्र ही उसे लोगों को उपलब्ध करा देंगे।
गुमराह करते रहे, जबकि चाबी कोटा में
शिवरात्रि से एक दिन पहले तक विभाग के अधिकारी यह कहकर कि कमरे की चाबी जयपुर मुख्यालय पर है। इसका ताला खोलने में असमर्थता जताते रहे, जबकि चाबी कोटा में ही है। शिवरात्रि के बाद से तीन बार इस कमरे का ताला विभाग की ओर से खोला गया। इससे साबित हो गया कि विभाग के अधिकारी स्थानीय नागरिकों व अधिकारियों को भी गुमराह करते रहे।
शहरवासियों से मिला समर्थन
मंदिर-मठ बचाओ समिति के सदस्य क्रांति तिवारी के अनुसार, चौपाटी पर 60 फीट लंबे बैनर पर महिलाओं व पुरुषों ने हस्ताक्षर कर मंदिर के कमरे का ताला खोलने की मांग की। उनका कहना है कि प्रशासन जनभावनाओं को आहत कर रहा है। भोले शंकर को कैद करने वाले विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
पुलिस में दर्ज कराई रिपोर्ट
बेमियादी धरने पर बैठे नेता खंडेलवाल ने सहायक संरक्षक सुरेश कुमावत के खिलाफ उद्योगनगर थाने में प्रकरण दर्ज कराया। उन्होंने शिवलिंग स्थित कमरे का ताला लगाकर उसके वास्तविक स्वरूप से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। यहां दूसरे दिन भी धरना जारी रहा। भाजपा अध्यक्ष श्याम शर्मा भी शाम को धरनास्थल पर पहुंचे।
करकरे पर आरएसएस की हुई किरकिरी
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर कड़ा रुख अख्तियार किया है जिसमें उसमें उन्होंने कहा था कि एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे पर मालेगांव धमाके में हिंदू संगठनों को फंसाने का दबाव था।
26 नंबवर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले में एटीएस प्रमुख करकरे सहित तीन बड़े पुलिस अधिकारी शहीद हो गए थे।
कोर्ट ने मालेगांव धमाकों में आरोपी श्रीकांत पुरोहित की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आज कहा कि आरएसएस प्रमुख को गैर जिम्मेदार बयान नहीं देना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जब मामले की जांच चल रही है तो ऐसे बयान का कोई मतलब नहीं है। पुरोहित की जमानत मामले की सुनवाई 14 मार्च तक टल गई है।
एक अखबार को दिए इंटरव्यू में भागवत ने कहा कि मुंबई हमले से पांच दिन पहले करकरे ने उनसे कहा था कि ब्लास्ट के जुड़े अनसुलझे मामलों में संघ के लोगों को ‘फंसाने’ के लिए उनपर काफी दबाव पड़ रहा है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय ने भागवत के बयान पर कहा कि संघ ने महाराष्ट्र के एक सिपाही की बेइज्जती की है।
मालेगांव सहित कई बम धमाकों की जांच कर रही एनआईए ने आज अदालत के संज्ञान में जब यह बात लाई गई तो कोर्ट ने संघ प्रमुख के बयान की आलोचना की। हालांकि जजों ने कहा कि उन्होंने अभी तक इस तरह का इंटरव्यू नहीं पढ़ा है। लेकिन कहा कि इस तरह के बयान नहीं दिए जाने चाहिए क्योंकि ऐसे बयान अपमानजनक हैं।