आपका-अख्तर खान

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01 मार्च 2012

इन्हें पेरों तले दबा कर


मेरे जज्बातों को
यूँ
अपने पेरों तले रोंद कर ॥
क्यूँ
मुस्कुरा रही हो तुम ॥
तुम्हे पता है
मेरे जज्बात
सिर्फ हाँ सिर्फ
तुम्हारे लियें थे ॥
अब जब
तुम ही मेरे साथ नहीं
तो ना
में हूँ
ना मेरे जज्बात
फिर तुम ही बताओं
क्यूँ
यूँ मेरी
और मेरे जज्बातों की
लाश को
इन्हें पेरों तले दबा कर
मुस्कुरा रही हो तुम .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इसीलियें तो वोटर मुझे चुनते हैं


क्यूँ
किस्लियें घबरा गए
तुम मेरा
यह वीभत्स
मुस्कुराता चेहरा देख कर ॥
में
आज की सियासत हूँ
आज की राजनीती हूँ
जी हाँ
में वही हूँ
जो वोटों के लियें
हजारों को मरवा देती हूँ
और उनकी लाशों पर बस
यूँ ही
मुस्कुराती हूँ
हाँ में वही हूँ
जो करोड़ों नहीं अरबों नहीं खरबों रूपये के
घोटाले करती हूँ
और बस यूँ ही मुस्कुराती हूँ ॥
में वही हूँ जो देश की इज्ज़त
देश की अस्मत
देश के मान सम्मान का
सोदा करती हूँ
देख लो
आज
मुझ में कहाँ है
इंसानियत कहाँ है मानवता
इसीलियें तो वोटर मुझे चुनते हैं
और में फिर अपना
वीभत्स मुस्कुराता चेहरा
आपके सामने लियें
शासन में आ जाती हूँ
क्यूँ के इसे ही राजनीति कहते है ..इसे ही राजनीति कहते है ......अख्तर कहाँ अकेला कोटा राजस्थान

तुम्हारा सूरज तुम्हे मुबारक


तेरे सूरज को
अपनी तपिश
अपने उजाले पर
बहुत बहुत गुमान था ॥
में सोचता था
कितनी बदगुमानी है
तेरे सूरज को
में कहता था
कितना गुरुर है तेरे सूरज को
लेकिन
तुम ने
मेरे कहने को कहां माना
देख लो
सिर्फ और सिर्फ तुम्हे
तुम्हारे इस सूरज की सच्चाई बताने के लियें
मुझे अपने चाँद को
मंज़र पर लाना पढ़ा है
देख लो
हाँ तुम गोर से देख लो
मेरे इस चाँद की एक लकीर ने
तुम्हारे तपा देने वाले
रौशनी देने का अभिमान करने वाले
सूरज को केसे
छुप जाने को मजबूर कर दिया है
इसी लियें कहता हूँ
तुम्हारा सूरज तुम्हे मुबारक
मुझे तो मेरा चाँद मिल गया
बस जिंदगी मिल गयी समझो ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जब भी कोई आये आंसू


मुझे पता है
तुम्हारी आँखों में
हाँ तुम्हारी आँखों में
में उतर गया हूँ
तुम्हारी आंख की
किरकिरी बन कर ॥
सोचता हूँ
जब तुम
तुम्हारी आँख से मुझे
दिल में ना उतार पति हो
तो तुम्ही बताओं
क्यूँ ना में एक
आंसू बनकर
तुम्हारी आँखों से बहकर
तुमसे रिश्ता तोड़ जाऊं
बस
खुदा से इल्तिजा यही है
के तुम्हारी आँख से
मेरा अक्स मेरी याद
बहा देने के लियें
जब भी कोई आये आंसू
वोह आंसू ख़ुशी का हो वोह आंसू ख़ुशी का हो .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

तुम्हारी हाँ का इन्तिज़ार है


मेरे जुर्म की
तुम
चाहो जो
मुझे सजा दे दो ॥
लो
में खुद ही
मेरे जुर्म की
सजा पा रही हूँ ॥
बस इल्तिजा है इतनी
यूँ न रूठों मुझ से
यूँ न पल में बन जाओ
पराया मुझ से
बस सुन लो मेरी पुकार
तुम मेरे थे
मेरे हो
मेरे ही रहोगे
फिर देख लो
मेरा मुर्गा आसन्न
शायद तुम्हे पिघला सके
देख लो ..सोच लो
मुझे बस एक बार फिर
हाँ एक बार फिर
तुम्हारी हाँ का इन्तिज़ार है ............ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ऐसी जिंदगी का क्या

क्या कहूँ
में तुमसे
आज मेरे दिल की
दास्तान ।
दिल का खून हुआ है
आँख से निकले हैं
खून के आंसू
क्या कहूँ
में तुमसे
आज मेरे दिल की
दास्ताँ
सोचा था
जब साथ था उसका
के जन्नत यहीं है यहीं है ।
लेकिन देख लो
आज वोह साथ भी है और दूर भी है
तुम ही बताओ
ऐसी जिंदगी का क्या .......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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