आपका-अख्तर खान

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08 मार्च 2012

अंधेर नगरी चोपट राजा की कहावत बदलना है तो आई पी एस और आई एस के प्रशिक्षण प्रक्रिया बदलना होगी ..इनके प्रशिक्षण कार्यकाल की निगरानी बढाना होगी

दोस्तों आपने देखा है होली के दिन मध्यप्रदेश में भाजपा शासन में एक आई पी एस की कर्तव्यों निर्वहन के दोरान निर्मम हत्या और ऐसे मामले में ना तो आई पी एस लोबी कुछ बोल रही है और ना ही जिस आई ऐ एस महिला को विधवा बनाया गया है उसकी आई ऐ एस लोबी कुछ सोच रही है .....डियूटी के दोरान पुलिस अधिकारीयों का मर जाना कोई बढ़ी बात नहीं है पुलिस अधिकारी और पुलिस कर्मचारी अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दोरान शहीद होते रहे है ..लेकिन यह शहादत ऐसी शहादत है जिसने सिस्टम को झकझोर दिया है और एक नई प्रशासनिक सोच बनाने पर मजबूर किया है .... मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय शिवराज जी के लियें तो यह एक मामूली रोज़ होने वाली घटना है ...शिवराज जी ने इसे गंभीरता से भी लिया ..आरोपी को गिरफ्तार किया हत्या का मामला दर्ज किया लेकिन सरकारी प्रतिनिधि गृह सचिव जी साफ़ कहते है के यह जान बुझ कर की गयी हत्या नहीं है ..सरकार द्वारा दर्ज मुकदमे और उसके बयान में यह विरोधाभास साबित करता है के सरकार का कहीं ना कहीं अपराधियों के प्रति सोफ्ट कोर्नर है ..अवेध खनन मध्यप्रदेश ..कर्नाटक और राजस्थान सहित कई राज्यों की एक प्रमुख समस्या है और इसी कारण से इन लोगों के पास काला धन होने से यह समाज में गुंडागर्दी बरपा रहे है ऐसे हालातों में अवेध खनन तो रुकना ही चाहिए .......यह तो हुई बात एक घटना और उस पर तबसरे की लेकिन दोस्तों जरा हम यह भी तो सोचे के नये अधिकारी आई पी एस हो चाहे आई ऐ एस आखिर उनके प्रशासन में क्या कमी होती है जो उनकी जनता और जनप्रतिनिधियों से टकराहट होती है ...आप सभी जानते है पुलिस के सभी वरिष्ठ अधिकारी जानते हैं ...अख़बार वाले तो खूब अच्छी तरह से जानते है ..जब भी किसी आई पी एस की प्रशिक्षु के रूप में नियुक्ति होती है उस थाने और सर्किल में कहर बरपा कर दिया जाता है आप इतिहास उठा कर देख लें ,कोई भी नया आई पी एस ......काम सीखने के लियें पीटा एक्ट यानी वेश्यावृत्ति निरोधक कानून .....कोपी राईट एक्ट ....स्मेक .....सट्टा .... अवेध पिस्तोल ..चाकू और तलवार की बरामदगी के मुकदमे बनाते है हर आई पी एस के प्रशिक्ष्ण के दोरान यह मुकदमे उनसे बनवाये जाते है जरा यह लोग अपने जमीर से पूंछे क्या वोह मुकदमे सही व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज होते है या फिर केवल कागज़ी कार्यवाही और प्रेक्टिकल के लियें इन लोगों को टास्क के नाम पर बली का बकरा बनाया जाता है .......कई मामलों में तो यह आई पी एस मुकदमा बनाने के बाद जब महत्वपूर्ण पोस्टों पर लग जाते हैं तो अदालतों में बयान देने तक नहीं आते है और अपराधी बरी हो जाते हैं ..एक तरफ तो इमानदारी की बात और दूसरी तरफ मुकदमा बनाना सीखने के लियें टेबल पर बेठ कर किसी को भी पुराना रिकोर्ड देख कर अपराधी बनाने की बात क्या सही कहा जा सकता है ..दूसरी बात नये आई ऐ एस साहब जनता से सीधे मुंह बात नहीं करना चाहते वही पर्ची दो फिर मीलों और खुद को सीनियर अधिकारी से बढ़ा साबित करने की इनकी बीमारी इन्हें और खूंखार बना देती है ..खुद को इमानदार साबित करने के चक्कर में यह कई लोगों से झगड़ा मोल ले लेते है ....यह एक बीमारी होती है जो इन्हें विवादों में डाल देती है ..ऐसी स्थिति में अब एक नये चिन्तन की जरूरत है सिस्टम को बदलना चाहिए आज के इस इंटरनेट आधुनिक युग में आई ऐ एस और आई पी एस को प्रशिक्षण के दोरान उनके कोर्स में बदलाव लाना चाहिए उन्हें व्यवहारिक और जनता से सीधे सम्पर्क स्थापित रखने के बारे में सिखाना चाहिए आप जानते है एक आई पी एस और पुलिस अधिकारीयों को सिखाया जाता है के अभियुक्त की दाई जेब से ही कोई भी आपत्तिजनक वास्तु बरामद करना है कई बार तो इसरेट रटे रटाये जुमले में वोह यह भी भूल जाते है के कुछ अपराधी ऐसी पेंट ही नहीं पहनते जिनके दाई जेब हो ..कई अपराधियों का दायाँ हाथ ही नहीं होता लेकिन पुलिस तहरीर में यह सब एक सेट लेंग्वेज होने के कारण लिखा होता है ..में खुद आपराधिक मामलों की वकालत करता हूँ आज तक मुझे पुलिस की ऐसी कोई तहरीर नहीं मिली जिसमे अपराधी से पुलिस अधिकारी ने दायीं के स्थान पर बायीं जेब से आपत्तिजनक वस्तु बरामद की है ..तो दोस्तों यह एक ऐसा चिंतन है जो हमे सोचने पर मजबूर करता है के अब आई पी एस और आई ऐ एस के ट्रेनिंग के सिस्टम को बदलना चाहिए उन्हें कानून की हदों में रहकर काम करने की हिदायत देना चाहिए इतना ही नहीं इनके प्रशिक्षण कार्यकाल के कानून इतने सख्त हों के जनता से इनके व्यवहार के बारे में अगर शिकायत मिले तो उसकी तस्दिके हो जाँच हो और अगर इनके खिलाफ साबुत हों तो फिर सख्ती से इनके कार्यवाही हो ताके यह लोग जो आने वाले कल के ब्यूरोक्रेट कहलाते है मर्यादाएं सीखे जनता का जनता के लियें जनता द्वारा शासन के तहज़ीब सीखें और एक नये भारत का निर्माण हो यही लोग हैं जो नेताओं की चापलूसी चमचागिरी से ऊपर उठ कर देश को बेईमान और भ्रष्ट नेताओं से बचा सकते है और ऐसा में अकेला नहीं आप अकेले नहीं हम सब मिलकर माहोल बनाये तो ही किया जाना सम्भव है वरना तो बस जेसा चल रहा है वेसी ही अंधेर नगरी और चोपट राजा का माहोल रहेगा ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुंहासे आउट करने के लिए करें दही-शहद का ये देसी प्रयोग





यौवन की दहलीज पर खड़े लड़के या लड़की के शरीर में होने वाले हार्मोन्स परिवर्तनों के कारण मुंहासों का होना आम बात है। कई बार हार्मोन्स परिवर्तन इतना असंतुलित रूप से होता है कि अत्यधिक मुंहासों के कारण अच्छे भले चेहरे की रंगत और रौनक बिगड़ जाती है। आइये जानें कुछ ऐसे आसान घरेलू उपायों के बारे में जो मुंहासे और उनसे बने दागों को जड़ से मिटाकर आपके चेहरे को फिर से आकर्षक और खूबसूरत बना सकते हैं-
छोटे व घरेलू प्रयोग
1. जामुन की गुठली को पानी में घिसकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे दूर होते हैं।
2. दही में कुछ बूंदें शहद की मिलाकर उसे चेहरे पर लेप करना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों में मुंहासे दूर हो जाते हैं।
3. तुलसी व पुदीने की पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें तथा थोड़ा-सा नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से भी मुंहासों से निजात मिलती है।
4. नीम के पेड़ की छाल को घिसकर मुंहासों पर लगाने से भी मुहांसे घटते हैं।
5. जायफल में गाय का दूध मिलाकर मुंहांसों पर लेप करना चाहिए।
6. हल्दी, बेसन का उबटन बनाकर चेहरे पर लगाने से भी मुंहासे दूर होते हैं।
7. नीम की पत्तियों के चूर्ण में मुलतानी मिट्टी और गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बना लें व इसे चेहरे पर लगाएं।
8. नीम की जड़ को पीसकर मुंहासों पर लगाने से भी वे ठीक हो जाते हैं।
9. काली मिट्टी को घिसकर मुंहासों पर लगाने से भी वे नष्ट हो जाते हैं।

श्री रामचरित्‌ सुनने-गाने की महिमा


दोहा :
* राम रूपु भूपति भगति ब्याहु उछाहु अनंदु।
जात सराहत मनहिं मन मुदित गाधिकुलचंदु॥360॥
भावार्थ:-गाधिकुल के चन्द्रमा विश्वामित्रजी बड़े हर्ष के साथ श्री रामचन्द्रजी के रूप, राजा दशरथजी की भक्ति, (चारों भाइयों के) विवाह और (सबके) उत्साह और आनंद को मन ही मन सराहते जाते हैं॥360॥
चौपाई :
* बामदेव रघुकुल गुर ग्यानी। बहुरि गाधिसुत कथा बखानी॥
सुनि मुनि सुजसु मनहिं मन राऊ। बरनत आपन पुन्य प्रभाऊ॥1॥
भावार्थ:-वामदेवजी और रघुकुल के गुरु ज्ञानी वशिष्ठजी ने फिर विश्वामित्रजी की कथा बखानकर कही। मुनि का सुंदर यश सुनकर राजा मन ही मन अपने पुण्यों के प्रभाव का बखान करने लगे॥1॥
* बहुरे लोग रजायसु भयऊ। सुतन्ह समेत नृपति गृहँ गयऊ॥
जहँ तहँ राम ब्याहु सबु गावा। सुजसु पुनीत लोक तिहुँ छावा॥2॥
भावार्थ:-आज्ञा हुई तब सब लोग (अपने-अपने घरों को) लौटे। राजा दशरथजी भी पुत्रों सहित महल में गए। जहाँ-तहाँ सब श्री रामचन्द्रजी के विवाह की गाथाएँ गा रहे हैं। श्री रामचन्द्रजी का पवित्र सुयश तीनों लोकों में छा गया॥2॥
* आए ब्याहि रामु घर जब तें। बसइ अनंद अवध सब तब तें॥
प्रभु बिबाहँ जस भयउ उछाहू। सकहिं न बरनि गिरा अहिनाहू॥3॥
भावार्थ:-जब से श्री रामचन्द्रजी विवाह करके घर आए, तब से सब प्रकार का आनंद अयोध्या में आकर बसने लगा। प्रभु के विवाह में आनंद-उत्साह हुआ, उसे सरस्वती और सर्पों के राजा शेषजी भी नहीं कह सकते॥3॥
* कबिकुल जीवनु पावन जानी। राम सीय जसु मंगल खानी॥
तेहि ते मैं कछु कहा बखानी। करन पुनीत हेतु निज बानी॥4॥
भावार्थ:-श्री सीतारामजी के यश को कविकुल के जीवन को पवित्र करने वाला और मंगलों की खान जानकर, इससे मैंने अपनी वाणी को पवित्र करने के लिए कुछ (थोड़ा सा) बखानकर कहा है॥4॥
छन्द :
* निज गिरा पावनि करन कारन राम जसु तुलसीं कह्यो।
रघुबीर चरित अपार बारिधि पारु कबि कौनें लह्यो॥
उपबीत ब्याह उछाह मंगल सुनि जे सादर गावहीं।
बैदेहि राम प्रसाद ते जन सर्बदा सुखु पावहीं॥
भावार्थ:-अपनी वाणी को पवित्र करने के लिए तुलसी ने राम का यश कहा है। (नहीं तो) श्री रघुनाथजी का चरित्र अपार समुद्र है, किस कवि ने उसका पार पाया है? जो लोग यज्ञोपवीत और विवाह के मंगलमय उत्सव का वर्णन आदर के साथ सुनकर गावेंगे, वे लोग श्री जानकीजी और श्री रामजी की कृपा से सदा सुख पावेंगे।
सोरठा :
* सिय रघुबीर बिबाहु जे सप्रेम गावहिं सुनहिं।
तिन्ह कहुँ सदा उछाहु मंगलायतन राम जसु॥361॥
भावार्थ:-श्री सीताजी और श्री रघुनाथजी के विवाह प्रसंग को जो लोग प्रेमपूर्वक गाएँ-सुनेंगे, उनके लिए सदा उत्साह (आनंद) ही उत्साह है, क्योंकि श्री रामचन्द्रजी का यश मंगल का धाम है॥361॥
* मासपारायण, बारहवाँ विश्राम
इति श्रीमद्रामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने प्रथमः सोपानः समाप्तः।
कलियुग के सम्पूर्ण पापों को विध्वंस करने वाले श्री रामचरित मानस का यह पहला सोपान समाप्त हुआ॥

(बालकाण्ड समाप्त)

कुरान का संदेश

मुलायम के राज में मुलायम के गुंडे सख्त हो गये है और तोड़ फोड़ ..हमले ...आगजनी पर उतर आये है

मुलायम के राज में मुलायम के गुंडे सख्त हो गये है और तोड़ फोड़ ..हमले ...आगजनी पर उतर आये है ..उत्तर प्रदेश को उग्र प्रदेश बनाने वाले इन समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का शासन आये हुए चोबीस घंटे भी नहीं हुए है .......यहाँ तक के मुख्यमंत्री ने अभी तक कार्यभार भी नहीं सम्भाला है फिर भी चुन चुन कर दूसरी पार्टी के मतदाताओं पर हमले और उनके घरों को जलाना गुंडा राज नहीं तो और क्या है ..........ताज्जुब तो यह है के जहां जहाँ राहुल गान्धी कोंग्रेस के प्रचार के लियें गये और जिन घरों में राहुल गाँधी को पारिवारिक स्नेह मिला उन घरों में ही समाजवादी पार्टी के गुंडों का आतंक बरपा है और आग जनी हुई है ..सही मायनों में तो ऐसे हालातों में अगर पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करती है तो फिर तो केंद्र के पास अराजकता की स्थिति के नाम पर राष्ट्रपति शासन लगाने के आलावा कोई चारा नहीं बचेगा ...सभी जानते है के समाजवादी पार्टी के गुंडों को मायावती ने बकरी बना कर रखा हुआ था और जेसे ही राज गया इन गुंडों ने माया वती के नेताओं की मूर्तियाँ भी तोडना शुरू कर दी है ..मूर्ति भी डोक्टर भीमराव आंबेडकर की तोड़ी है जो संविधान के निर्माता रहे है ऐसे में अगर दलितों ने अंगडाई ली तो समाजवादी पार्टी के गुंडों को छुपने के लियें ज़मीं भी कम पढ़ जायेगी ..दोस्तों आप निगरानी कीजिये इन गुंडों को इनके किये की सजा मिलती है या नहीं क्योंकि आम तोर पर राजनितिक इशारे पर की जाने वाली गुंडागर्दी जो सत्ता के पक्ष में हो उसमे दिखावे के तोर पर कार्यवाही होती है और अगर कार्यवाही होकर मुकदमे चला भी दिए जाएँ तो सरकारे जनहित के नाम पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ३२० का दुरूपयोग कर ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमे वापस ले लेती है ..और यह सरकारे ऐसे गुंडों को कहीं का चेयरमेन तो कहीं का विधायक बना देती है शायद हमारी चुप्पी और सरकारों की इन हरकतों की वजह से ही उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के सभी प्रदेशों में कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी है तो दोस्तों अब हमारी ज़िम्मेदारी है के उत्तर प्रदेश के इन सपा के गुंडों को हम सजा दिलवाएं और अगर सरकार इनके खिलाफ दर्ज मुकदमे कमजोर बनाये ..अपराधियों की जमानत करवाने में मदद करे या फिर मुक़दमे वापस ले तो ऐसी सरकार के साथ हमे क्या करना है कहने की जरूरत नहीं कहने को तो यह मामूली बात है लेकिन संविधान में इतनी ताकत है के इस मुद्दे पर ही सरकार गिर सकती है और वहन राष्ट्रपति शासन लागु किया जा सकता है वेसे भी जिस सरकार के शासन में आम आदमी सुरक्षित नहीं है और हमलावर सत्तापक्ष के गुंडे हो तो इर ऐसी सरकार को तो दंड मिलना ही चाहिए ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

फेसबुक बन रहा परेशानी का सबब




अमेरिका में फेसबुक यूजर्स पर हुई एक रिसर्च बता रही है कि फेसबुक पर ज्यादा समय बिताना अवसाद बढ़ा रहा है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स की ये आभासी दुनिया यूजर्स को वास्तविकता से परे ले जा रही है। यदि युवाओं को अपनी क्रिएटिविटी और फिटनेस बनाए रखना है तो इस वर्चुअल दुनिया से बाहर आना होगा। अब फेसबुक पर समय बिताने की सीमाएं निर्धारित करने की जरूरत है। जो फेसबुक को ही अपनी दुनिया मान बैठे हैं, उन युवाओं को अब आत्ममंथन करना चाहिए।

सोशल नेटवर्किंग साइट्स लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए है, लेकिन अब यह समाज में विकृतियां फैला रही हैं। फेसबुक की आभासी दुनिया मिले बगैर एक-दूसरे से जुड़ी रहती है। एक दूसरे के सपने, सुख-दुःख बांटती भी है और दूसरे ही पल रिश्तों को ब्लॉक कर आगे बढ़ जाती है।

अपने शहर में भी फेसबुक का ऐसा विश्व तैयार हो चुका है, जिसमें लाइक और शेयर का खेल चलता रहता है। शहर के युवाओं का एक बड़ा हिस्सा फेसबुक का एडिक्ट बन चुका है। यह एडिक्शन उनकी जिंदगी में ऐसा सूक्ष्म बदलाव ला रहा है, जिसका अंदाजा वे नहीं लगा पा रहे हैं। उनके लिए अब फेसबुक स्टेटस सिंबल बन चुका है।

दोस्त आमने-सामने मिले या ना मिले, लेकिन फेसबुक पर मुलाकात जरूरी होती है। ऐसा कहना भी गलत होगा कि इस पर केवल युवाओं का राज है। 35 से ज्यादा उम्र के यूजर्स भी रोज सैकड़ों की तादाद में फेसबुक का हिस्सा बन रहे हैं। फेसबुक के कारण युवाओं की मानसिकता में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।

स्टेटस सिंबल न बनाएं
कनाडा की गुलेफ यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक कम उम्र युवा फेसबुक पर होने को स्टेटस सिंबल मानने लगे हैं। यदि कोई बंदा फेसबुक पर न हो तो उसे आउट डेटेड कहने में देर नहीं की जाती। कभी मोबाइल, बाइक, गर्लफ्रेंड को स्टेटस सिंबल में शामिल किया जाता था, लेकिन अब इसमें फेसबुक भी जुड़ चुकी है। शोध में कहा गया है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ज्यादा समय बिताने से चिड़-चिड़ापन और गुस्सा बढ़ने लगता है। दोस्तों से रिश्ते भी पहले जैसे नहीं रहते। शोध यह भी कहता है कि फेसबुक पर रोज दो घंटे गुजारना मानसिक क्षमता पर गहरा प्रभाव डाल रहा है।

मत बनो एडिक्ट
मनोचिकित्सकों का कहना है कि फेसबुक समाज से जुड़ने का एक अच्छा माध्यम है, लेकिन अति हर चीज की बुरी होती है। वर्तमान में युवा फेसबुक पर ज्यादा समय बिता रहे हैं। एडिक्शन बढ़ने पर क्रिएटिविटी पर बुरा असर होता है। यहां बनने वाली रिलेशनशिप भी रियल लाइफ में उतनी कामयाब नहीं हो पाती।

रचनात्मकता पर है खतरा
यूथ के लिए फेसबुक एक नशे की तरह हो चुकी है। 18-30 साल के युवाओं से बात करने पर मालूम हुआ कि वे रोज दो से आठ घंटे तक फेसबुक से चिपके रहते हैं। इससे न केवल उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि कुछ नया करने की रचनात्मकता भी खत्म हो रही है। अधिकांश युवाओं के लिए फेसबुक गर्लफ्रेंड खोजने का माध्यम बना हुआ है।

याहू आंसर्स पर एक शिकायत
मैं बैगी हूं, कॉलेज गोइंग स्टूडेंट। मेरी परेशानी का कारण फेसबुक है। मेरे बायफ्रेंड और मेरी रिलेशनशिप बहुत स्मूथ चल रही थी जब तक कि वह फेसबुक यूजर नहीं बन गया। फेसबुक पर आने के कुछ महीनों बाद हमारा मिलना कम होता गया। वो पहले की तरह रोज मिलने नहीं आता था। फेसबुक पर ही बात कर लिया करता था। मैं अब भी उसे बहुत चाहती हूं, लेकिन मुझे लगता है कि उसका ध्यान मुझसे हट चुका है। मुझे लगता है कि मेरे और मेरे बायफ्रेंड के बीच फेसबुक आ गया है।

ऐसे तनाव देता है फेसबुक
- तनाव बढ़ने की शुरुआत फ्रेंड्स बढ़ने के साथ शुरू होती है। जितने ज्यादा दोस्त, उतनी स्ट्रेस।

- जब लिस्ट में 500 से ज्यादा दोस्त हो जाते हैं तो अच्छी व मनोरंजक पोस्ट डालने का प्रेशर बढ़ जाता है।

- स्टेटस पर जब मन मुताबिक लाइक नहीं मिलते तो भी बढ़ता है तनाव।

- मैसेज बॉक्स में अनचाहे लोगों के मैसेज देखकर मानसिक परेशानी होती है।

- प्रेमी या प्रेमिका के स्टेटस, मैसेज या लाइक का इंतजार करना फेसबुक युजर को जर्बदस्त तनाव में ले आता है।

- निजी रिलेशनशिप को फेसबुक पर बढ़ाने में कई तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे किसी तीसरे का बीच में घुस आना।

- ऐसे लोगों का डर हमेशा लगा रहता है, जिन्हें आप अपनी फ्रेंड लिस्ट में नहीं देखना चाहते।

गुंडाराजः अवैध खनन रोकने गए आईपीएस को ट्रैक्टर से कुचला





भोपालःमध्यप्रदेश के मुरैना में अवैध खनन रोकने गए एक आईपीएस अधिकारी की गुरुवार को हत्या कर दी गई। इलाके के एसडीओपी नरेंद्र कुमार को अवैध खनन के बारे में जानकारी मिली थी। वो अवैध खनन का काम रोकने के लिए गए थे जहां एक ट्रैक्टर चालक ने उनके ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। इससे नरेंद्र कुमार घायल हो गए। उन्हें उपचार के लिए ग्वालियर ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।

राज्य के गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रारंभिक जानकारी में सामने आया है कि अवैध खनन का पत्थर था जिसे पकड़ने अधिकारी पहुंचे थे। मुख्यमंत्री को भी घटना की जानकारी मिली है और उन्होंने मुझे और डीजीपी को सीधे वहां भेजा है। गृहमंत्री ने स्वीकार किया कि नरेंद्र कुमार की हत्या हुई है।
यूं हुई वारदात
मुरैना जिले के बोरबन कस्बे में एसडीओपी के पद पर तैनात नरेंद्र कुमार को एक ट्रैक्टर-ट्राली में अवैध खनन के पत्थर ले जाए जाने की खबर मिली थी। खबर मिलते ही नरेंद्र कुमार ट्रैक्टर ट्राली को पकड़ने गए। उन्होंने ट्रैक्टर के ड्राइवर से आगे चलने के लिए कहा और खुद अपनी जिप्सी से पीछे चलने लगे। कुछ दूर चलने पर ट्रैक्टर ड्राइवर ने ट्राली से जिप्सी को टक्कर मारने की कोशिश की जिस पर उन्होंने ओवरटेक किया और जिप्सी से उतरकर अपनी रिवॉल्वर निकाली और ट्रैक्टर को रोकने के लिए कहा लेकिन ड्राइवर ने उन पर ही ट्रैक्टर चढ़ा दिया।
32 वर्षीय नरेंद्र कुमार 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी थे उनकी पत्नी आईएएस अधिकारी है। गृहमंत्री ने बताया कि मामले में मनोज केशव सिंह नाम के आरोपी को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

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