तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
08 मार्च 2012
अंधेर नगरी चोपट राजा की कहावत बदलना है तो आई पी एस और आई एस के प्रशिक्षण प्रक्रिया बदलना होगी ..इनके प्रशिक्षण कार्यकाल की निगरानी बढाना होगी
मुंहासे आउट करने के लिए करें दही-शहद का ये देसी प्रयोग
यौवन की दहलीज पर खड़े लड़के या लड़की के शरीर में होने वाले हार्मोन्स परिवर्तनों के कारण मुंहासों का होना आम बात है। कई बार हार्मोन्स परिवर्तन इतना असंतुलित रूप से होता है कि अत्यधिक मुंहासों के कारण अच्छे भले चेहरे की रंगत और रौनक बिगड़ जाती है। आइये जानें कुछ ऐसे आसान घरेलू उपायों के बारे में जो मुंहासे और उनसे बने दागों को जड़ से मिटाकर आपके चेहरे को फिर से आकर्षक और खूबसूरत बना सकते हैं-
छोटे व घरेलू प्रयोग
1. जामुन की गुठली को पानी में घिसकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे दूर होते हैं।
2. दही में कुछ बूंदें शहद की मिलाकर उसे चेहरे पर लेप करना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों में मुंहासे दूर हो जाते हैं।
3. तुलसी व पुदीने की पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें तथा थोड़ा-सा नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से भी मुंहासों से निजात मिलती है।
4. नीम के पेड़ की छाल को घिसकर मुंहासों पर लगाने से भी मुहांसे घटते हैं।
5. जायफल में गाय का दूध मिलाकर मुंहांसों पर लेप करना चाहिए।
6. हल्दी, बेसन का उबटन बनाकर चेहरे पर लगाने से भी मुंहासे दूर होते हैं।
7. नीम की पत्तियों के चूर्ण में मुलतानी मिट्टी और गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बना लें व इसे चेहरे पर लगाएं।
8. नीम की जड़ को पीसकर मुंहासों पर लगाने से भी वे ठीक हो जाते हैं।
9. काली मिट्टी को घिसकर मुंहासों पर लगाने से भी वे नष्ट हो जाते हैं।
श्री रामचरित् सुनने-गाने की महिमा
जात सराहत मनहिं मन मुदित गाधिकुलचंदु॥360॥
सुनि मुनि सुजसु मनहिं मन राऊ। बरनत आपन पुन्य प्रभाऊ॥1॥
जहँ तहँ राम ब्याहु सबु गावा। सुजसु पुनीत लोक तिहुँ छावा॥2॥
प्रभु बिबाहँ जस भयउ उछाहू। सकहिं न बरनि गिरा अहिनाहू॥3॥
तेहि ते मैं कछु कहा बखानी। करन पुनीत हेतु निज बानी॥4॥
रघुबीर चरित अपार बारिधि पारु कबि कौनें लह्यो॥
उपबीत ब्याह उछाह मंगल सुनि जे सादर गावहीं।
बैदेहि राम प्रसाद ते जन सर्बदा सुखु पावहीं॥
तिन्ह कहुँ सदा उछाहु मंगलायतन राम जसु॥361॥
इति श्रीमद्रामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने प्रथमः सोपानः समाप्तः।
कलियुग के सम्पूर्ण पापों को विध्वंस करने वाले श्री रामचरित मानस का यह पहला सोपान समाप्त हुआ॥
(बालकाण्ड समाप्त)
मुलायम के राज में मुलायम के गुंडे सख्त हो गये है और तोड़ फोड़ ..हमले ...आगजनी पर उतर आये है
फेसबुक बन रहा परेशानी का सबब
सोशल नेटवर्किंग साइट्स लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए है, लेकिन अब यह समाज में विकृतियां फैला रही हैं। फेसबुक की आभासी दुनिया मिले बगैर एक-दूसरे से जुड़ी रहती है। एक दूसरे के सपने, सुख-दुःख बांटती भी है और दूसरे ही पल रिश्तों को ब्लॉक कर आगे बढ़ जाती है।
अपने शहर में भी फेसबुक का ऐसा विश्व तैयार हो चुका है, जिसमें लाइक और शेयर का खेल चलता रहता है। शहर के युवाओं का एक बड़ा हिस्सा फेसबुक का एडिक्ट बन चुका है। यह एडिक्शन उनकी जिंदगी में ऐसा सूक्ष्म बदलाव ला रहा है, जिसका अंदाजा वे नहीं लगा पा रहे हैं। उनके लिए अब फेसबुक स्टेटस सिंबल बन चुका है।
दोस्त आमने-सामने मिले या ना मिले, लेकिन फेसबुक पर मुलाकात जरूरी होती है। ऐसा कहना भी गलत होगा कि इस पर केवल युवाओं का राज है। 35 से ज्यादा उम्र के यूजर्स भी रोज सैकड़ों की तादाद में फेसबुक का हिस्सा बन रहे हैं। फेसबुक के कारण युवाओं की मानसिकता में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।
स्टेटस सिंबल न बनाएं
कनाडा की गुलेफ यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक कम उम्र युवा फेसबुक पर होने को स्टेटस सिंबल मानने लगे हैं। यदि कोई बंदा फेसबुक पर न हो तो उसे आउट डेटेड कहने में देर नहीं की जाती। कभी मोबाइल, बाइक, गर्लफ्रेंड को स्टेटस सिंबल में शामिल किया जाता था, लेकिन अब इसमें फेसबुक भी जुड़ चुकी है। शोध में कहा गया है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ज्यादा समय बिताने से चिड़-चिड़ापन और गुस्सा बढ़ने लगता है। दोस्तों से रिश्ते भी पहले जैसे नहीं रहते। शोध यह भी कहता है कि फेसबुक पर रोज दो घंटे गुजारना मानसिक क्षमता पर गहरा प्रभाव डाल रहा है।
मत बनो एडिक्ट
मनोचिकित्सकों का कहना है कि फेसबुक समाज से जुड़ने का एक अच्छा माध्यम है, लेकिन अति हर चीज की बुरी होती है। वर्तमान में युवा फेसबुक पर ज्यादा समय बिता रहे हैं। एडिक्शन बढ़ने पर क्रिएटिविटी पर बुरा असर होता है। यहां बनने वाली रिलेशनशिप भी रियल लाइफ में उतनी कामयाब नहीं हो पाती।
रचनात्मकता पर है खतरा
यूथ के लिए फेसबुक एक नशे की तरह हो चुकी है। 18-30 साल के युवाओं से बात करने पर मालूम हुआ कि वे रोज दो से आठ घंटे तक फेसबुक से चिपके रहते हैं। इससे न केवल उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि कुछ नया करने की रचनात्मकता भी खत्म हो रही है। अधिकांश युवाओं के लिए फेसबुक गर्लफ्रेंड खोजने का माध्यम बना हुआ है।
याहू आंसर्स पर एक शिकायत
मैं बैगी हूं, कॉलेज गोइंग स्टूडेंट। मेरी परेशानी का कारण फेसबुक है। मेरे बायफ्रेंड और मेरी रिलेशनशिप बहुत स्मूथ चल रही थी जब तक कि वह फेसबुक यूजर नहीं बन गया। फेसबुक पर आने के कुछ महीनों बाद हमारा मिलना कम होता गया। वो पहले की तरह रोज मिलने नहीं आता था। फेसबुक पर ही बात कर लिया करता था। मैं अब भी उसे बहुत चाहती हूं, लेकिन मुझे लगता है कि उसका ध्यान मुझसे हट चुका है। मुझे लगता है कि मेरे और मेरे बायफ्रेंड के बीच फेसबुक आ गया है।
ऐसे तनाव देता है फेसबुक
- तनाव बढ़ने की शुरुआत फ्रेंड्स बढ़ने के साथ शुरू होती है। जितने ज्यादा दोस्त, उतनी स्ट्रेस।
- जब लिस्ट में 500 से ज्यादा दोस्त हो जाते हैं तो अच्छी व मनोरंजक पोस्ट डालने का प्रेशर बढ़ जाता है।
- स्टेटस पर जब मन मुताबिक लाइक नहीं मिलते तो भी बढ़ता है तनाव।
- मैसेज बॉक्स में अनचाहे लोगों के मैसेज देखकर मानसिक परेशानी होती है।
- प्रेमी या प्रेमिका के स्टेटस, मैसेज या लाइक का इंतजार करना फेसबुक युजर को जर्बदस्त तनाव में ले आता है।
- निजी रिलेशनशिप को फेसबुक पर बढ़ाने में कई तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे किसी तीसरे का बीच में घुस आना।
- ऐसे लोगों का डर हमेशा लगा रहता है, जिन्हें आप अपनी फ्रेंड लिस्ट में नहीं देखना चाहते।
गुंडाराजः अवैध खनन रोकने गए आईपीएस को ट्रैक्टर से कुचला
भोपालःमध्यप्रदेश के मुरैना में अवैध खनन रोकने गए एक आईपीएस अधिकारी की गुरुवार को हत्या कर दी गई। इलाके के एसडीओपी नरेंद्र कुमार को अवैध खनन के बारे में जानकारी मिली थी। वो अवैध खनन का काम रोकने के लिए गए थे जहां एक ट्रैक्टर चालक ने उनके ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। इससे नरेंद्र कुमार घायल हो गए। उन्हें उपचार के लिए ग्वालियर ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।
राज्य के गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रारंभिक जानकारी में सामने आया है कि अवैध खनन का पत्थर था जिसे पकड़ने अधिकारी पहुंचे थे। मुख्यमंत्री को भी घटना की जानकारी मिली है और उन्होंने मुझे और डीजीपी को सीधे वहां भेजा है। गृहमंत्री ने स्वीकार किया कि नरेंद्र कुमार की हत्या हुई है।
यूं हुई वारदात
मुरैना जिले के बोरबन कस्बे में एसडीओपी के पद पर तैनात नरेंद्र कुमार को एक ट्रैक्टर-ट्राली में अवैध खनन के पत्थर ले जाए जाने की खबर मिली थी। खबर मिलते ही नरेंद्र कुमार ट्रैक्टर ट्राली को पकड़ने गए। उन्होंने ट्रैक्टर के ड्राइवर से आगे चलने के लिए कहा और खुद अपनी जिप्सी से पीछे चलने लगे। कुछ दूर चलने पर ट्रैक्टर ड्राइवर ने ट्राली से जिप्सी को टक्कर मारने की कोशिश की जिस पर उन्होंने ओवरटेक किया और जिप्सी से उतरकर अपनी रिवॉल्वर निकाली और ट्रैक्टर को रोकने के लिए कहा लेकिन ड्राइवर ने उन पर ही ट्रैक्टर चढ़ा दिया।
32 वर्षीय नरेंद्र कुमार 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी थे उनकी पत्नी आईएएस अधिकारी है। गृहमंत्री ने बताया कि मामले में मनोज केशव सिंह नाम के आरोपी को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।