आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

09 मार्च 2012

दोस्तों कोटा में इन दिनों मुस्लिम कल्याण कार्यों को लेकर कुछ लोगों द्वारा एतराज़ जता कर काम रुकवा दिया गया है और इन हालातों में सच क्या है क्या काम रु

दोस्तों कोटा में इन दिनों मुस्लिम कल्याण कार्यों को लेकर कुछ लोगों द्वारा एतराज़ जता कर काम रुकवा दिया गया है और इन हालातों में सच क्या है क्या काम रुकवाना सही है या गलत इसका फेसला आपको करना है.. क्योंकि किसी भी कोम का कोई एक या गिनती के लोग ठेकेदार नहीं होते और कोम के फायदों को निजी लड़ाई ..नफरत या सियासत की भेंट नहीं चडाया जा सकता ,,दोस्तों कोटा में स्टेशन क्षेत्र में एक कब्रिस्तान जहां सरकार सुविधाएँ उपलब्ध कराने जा रही है और पासमें ही आवश्यकता को देखते हुए लाखों रूपये बीघा के मूल्य के साधे छ बीघा जमीन नये कब्रिस्तान के लियें आवंटित करने जा रही है ......नयापुरा क्षेत्र के कब्रिस्तान जहाँ हालात बुरे है वहां अब पैदल चलने के स्थान के साथ साथ निर्माण कार्य पर सहमती बन गयी है ,,,हजीरा सब्जीमंडी ..किशोरपुरा ..अनंतपुर ..छावनी ..बोरखेडा ..घंटाघर सहित सभी कब्रिस्तानों में मिटटी और बाउंड्री के कार्य चलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है ......जन्ग्लिशाह बाबा के यहाँ मुस्लिम मेरिज होल के लियें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित बढा शादी घर बनाया जा रहा है .....रंगबाड़ी मेडिकल कोलेज के पचास बीघा के कब्रिस्तान को वक्फ के रिकोर्ड में दर्ज कर वक्फ की सुपुर्दगी में देने पर सहमती बनी है ...महावीर नगर बालाकुंड के कब्रिस्तान की पूरी भूमि पर सभी पुराने हद बंदी के विवाद खत्म कर दस दस फुट की चारदीवारी करने और वहन सुविधाएँ उपलब्ध कराने के कार्य शुरू होने वाले हैं ..कोटा में आधारशिला क्षेत्र जहाँ एक गंदी तलाई है वहां शहर भर की गंदगी पढ़ी रहती है जिसे साफ़ कर किशोरपुरा लेजाना और इस तलाई में जो बारिश का पानी भरा जाता है उसे एक पाइप के जरिये नदी में डाल कर उक्त स्थल का समतलीकरण करा कर चारदीवारी कराकर शादी घर के रूप ..... में आम मुसलमानों के उपयोग के लियें सहमती बनी है ......कोटा में लडकों का हॉस्टल सही नहीं है इसलियें करीब पांच हजार वर्ग फिट का प्लाट लडकों के छात्रावास के लियें आवंटित करने के लियें सरकार ने स्वीक्रति दे दी है .....लडकियों का छात्रावास खुद सरकार अपने खर्चे से बनाने के लियें सहमत हो गयी है .....जिसे बस्ती में कोई जगह या तो नगर विकास न्यास या फिर वक्फ द्वारा दी जायेगी ......द्वारका बस्ती के लोगों को वेम्बे योजना में शिफ्ट किया है जहाँ मदरसे के लिएँ जगह नहीं है इसलियें वहन सो बाई सो का प्लाट आवंटित किये जाने पर सहमती बनी है ..जे के नगर वेम्बे योजना में मदरसे के लियें जमीन आवंटन की बात हुई है ...बरकत उद्ध्यान जो झालावाड रोड पर है वहां एक एलिवेटेड रोड बनाया जा रहा है जो पार्क और मस्जिद के काम आ रहा है वर्ष १९७६ में इस का सोंद्र्य्करण एक समझोते के तहत सरकार ने करवाया था इस स्थान का एक बेकार सा कोना जहाँ गत दो वर्षों पूर्व सरकार ने केबलें भी डाल दी थीं वहां कोने पर दो फिट सड़क की सरकारी जमीन और दो फिट इस उद्ध्यान की जमीन लेकर पिलर एलिवेटेड रोड ज्नुप्योगी सेवा के लियें बनाया गया है ..वहां बरकत उद्द्यान वक्फ संपत्ति पर सरकार बेहिसाब सोंद्र्य्करण कार्य करवा कर इस सम्पत्ति को और उपयोगी बनाने पर सहमत है इसके आलावा अभी कई काम है जो होने जा रहे है ..यह सब सरकार की योजनायें हवा में नहीं बनी है बलके लिखित में सरकार ने इकरार किया है अब जब यह काम चल रहे है तो फिर अचानक कुछ लोग लोगों को गुमराह कर इन कार्यों को रुकवाना चाहते है रुकवाना किया चाहते है जिद करके कुछ लोगों ने इस कार्य को रुकवा भी दिया है बहाना है बरकत उद्ध्यान के दो फिट पिलर का ..दोस्तों इस मामले में कुछ तो वोह लोग है जो भाजपा के निति निर्धारक मुस्लिम समाज के ठेकेदार बनकर राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच बनाने वाले इन्द्रेश कुमार जी के स्वागत सत्कार में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है उनके साथ बैठकें आयोजित करते है .........और कुछ नोजवान है जिन पर हमे नाज़ है जो हमारी ताकत है जो मोके पर हर वक्त कोम की खिदमत के लियें खड़े मिलते है लेकिन वोह इन सब कल्याणकारी योजनाओं को समझे बगेर कथित रूप से विरोध का बिगुल बजा रहे है ..गलत काम का विरोध करना अच्छी बात है लेकिन जहाँ पूरे समाज का बहुत बढ़ा फायदा है वहां अगर हमे दो कदम पीछे भी हटना पढ़े निजी लड़ाई या सियासत को एक तरफ भी रखना पढ़े तो क्या बुरी बात है ..दोस्तों अभी यह सब काम हमारे भाइयों के विरोध के कारण रोक दिए गए है और जब तक उनकी रजामंदी नहीं होगी चालू भी नहीं किये जाना चाहिए लेकिन यह लोग भी जरा अपने जमीर पर हाथ रख कर देखे के उनकी एकता उनकी ताक़त का कुछ लोग कहीं किसी के इशारे पर दुरूपयोग तो नहीं कर रहे है .........फिर समाज का फेसला है ..फेसला तो समाज को ही लेना है अगर यह सब काम गलत है तो क्या इन्हें रोक देना चाहिए या इन कामों को जो रुकवाना चाहते है उन्हें भाईचारा और सद्भावना के साथ समझाइश कर सत्यता से अवगत करना चाहिए कुछ समझ में नहीं आता इस कोम के लियें क्या करा जाए ..मुझे याद है में पत्रकारिता के वक्त जब एक नेता से सवाल पूंछ रहा था के आप मुस्लिम कल्याणकारी योजनाओं का विरोध क्यूँ करते है तब मुझ से कहा गया था के जनाब वोह दिन गए जब हमारे समाज और विचारधारा के लोग मुस्लिम कल्याणकारी कार्यों का विरोध करते थे अब तो हमने ऐसी टीम बना दी है जो खुद तुम्हारे समाज के लोगों को गुमराह कर यह विरोध करेगी उनके होते हुए हमारे समाज के लोगों को आगे आने की जरूरत नहीं है .......खेर खुदा से यही दुआ है यह बिखरा समाज फिर से एक हो अगर कहीं गलत हो रहा है तो उसपर खुलेमन से टेबल टोक हो वार्ता हो भीड़ और शोर शराबे के बदले तसल्ली से बात हो और जो गलत है उसमे सुधार हो चाहे वोह गलती किसी से भी हो रही हो .......

मंत्रीजी को कीचड़ में उतार, उनके कपड़े को किया दागदार!



सीकर.शहर के मोचीवाड़ा में शुक्रवार सुबह शहर विधायक व उद्योग मंत्री राजेंद्र पारीक को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। जलभराव की समस्या से आक्रोशित भीड़ ने करीब एक घंटे तक मंत्री को घेरे रखा। उनसे हाथापाई की गई। मंत्री को गाड़ी रुकवाकर पानी के बीच ही उतार लिया गया। इससे पारीक के कपड़े कीचड़ से सन गए। पथराव कर उनकी गाड़ी का शीशा तोड़ दिया गया।

करीब 40 मिनट बाद मौके पर पहुंची पुलिस और मंत्री के समर्थकों ने उन्हें बमुश्किल बाहर निकाला। बाद में उन्हें पुलिस की जीप से आवास तक पहुंचाया गया। घटना के बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में ले लिया। इस पर नाराज उनके परिजनों ने शहर कोतवाली पर प्रदर्शन किया। उधर, मंत्री ने मामले में माकपा का हाथ बताया है।

मंत्री को कीचड़ में उतारा

मामला सुबह करीब 9 बजे का है। जैसलमेर में सड़क हादसे में मारे गए सीकर के सात युवकों में से चार के शव अंतिम संस्कार के लिए बुच्याणी श्मशान घाट लाए गए थे। श्मशान घाट के सामने पानी भरा था। लोगों को कीचड़ से गुजरना पड़ रहा था। इस बीच, माकपा विधायक अमराराम वहां पहुंचे तो लोगों ने उनका विरोध किया। कुछ देर बाद वे श्मशान घाट के अंदर चले गए। तभी उद्योग मंत्री राजेंद्र पारीक निजी गाड़ी में वहां पहुंचे।
श्मशान घाट के बाहर भीड़ ने उनकी गाड़ी पर पथराव कर दिया और नारेबाजी की। भीड़ ने कार रुकवा ली और पारीक को पानी के बीच उतार लिया। भाजपा पार्षद रामावतार सांखला ने मंत्री से मारपीट की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हाथ पकड़ लिया। जैसे-तैसे पारीक अंत्येष्टि स्थल पहुंचे। वहां भीड़ ने पारीक को घेर लिया। पुलिस ने पारीक को अपनी जीप में घर पहुंचाया। बाद में कलेक्टर व एसपी मंत्री के घर गए।

यह जनता का आक्रोश नहीं, बल्कि राजनीति है : पारीक

"यह सुनियोजित षड्यंत्र है। जिस सड़क को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, उसके टेंडर हो चुके हैं। काम शीघ्र ही शुरू होने वाला है। माकपा विधायक अमराराम की इसमें शह है। यह जनता का आक्रोश नहीं, बल्कि राजनीति हुई है। कार्रवाई को लेकर इतना ही कहना है कि जिन्होंने यह किया है उन्हें सद्बुद्धि मिले। बदसलूकी करने वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।"

-राजेंद्र पारीक, उद्योग मंत्री
मामला सुबह करीब 9 बजे का है। जैसलमेर में सड़क हादसे में मारे गए सीकर के सात युवकों में से चार के शव अंतिम संस्कार के लिए बुच्याणी श्मशान घाट लाए गए थे। श्मशान घाट के सामने पानी भरा था। लोगों को कीचड़ से गुजरना पड़ रहा था। इस बीच, माकपा विधायक अमराराम वहां पहुंचे तो लोगों ने उनका विरोध किया। कुछ देर बाद वे श्मशान घाट के अंदर चले गए। तभी उद्योग मंत्री राजेंद्र पारीक निजी गाड़ी में वहां पहुंचे।

श्मशान घाट के बाहर भीड़ ने उनकी गाड़ी पर पथराव कर दिया और नारेबाजी की। भीड़ ने कार रुकवा ली और पारीक को पानी के बीच उतार लिया। भाजपा पार्षद रामावतार सांखला ने मंत्री से मारपीट की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हाथ पकड़ लिया। जैसे-तैसे पारीक अंत्येष्टि स्थल पहुंचे। वहां भीड़ ने पारीक को घेर लिया। पुलिस ने पारीक को अपनी जीप में घर पहुंचाया।









जी हां सच में, यहां स्वयं सूर्यदेव करते हैं शिवलिंग के दर्शन


| Email Print
कोटा.738वीं ईस्वी में निर्मित कंसुआ धाम मंदिर के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है स्वयं सूर्यदेव यहां स्थित शिवलिंग के दर्शन करते हैं। मुख्य मंदिर के दो दरवाजों के बाद यहां गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है।

बावजूद इसके आज भी सूर्य की पहली किरण शिवलिंग पर गिरती है। यही नहीं गर्भगृह में तीन स्थान ऐसे हैं जहां से इसमें हवा पहुंचती है। हवा कहां से आती है, इसके बारे में किसी को पता नहीं है।

कंसुआ धाम सिर्फ इसलिए ही ख्यात नहीं कि यहां महर्षि कण्व का आश्रम है। इतिहास यहां की कड़ियां दुष्यंत-शकुंतला की प्रणय कथा और प्रतापी सम्राट भरत की जन्मस्थली के रूप में भी जोड़ता है। हालांकि जैसी दुर्दशा इस धरोहर की हुई कमोबेश वैसे ही हाल यहां के इतिहास को लेकर भी है। न तो भारतीय पुरातत्व विभाग ने कभी इस बारे में पहल की और न ही किसी शहरवासी ने।

विभाग ने इसे अपने अधिकार में ले लिया लेकिन, इसके विकास के लिए कोई कार्य नहीं किया। जिस स्थान पर उनका कार्यालय है, वहां जरूर उन्होंने पार्क विकसित किया हुआ है। लेकिन, जिस स्थान पर शिवमंदिर व कुंड तथा एक हजार शिवलिंग वाला स्तंभ है, उसकी देखभाल व संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया। वे आज भी इंतजार कर रहे हैं कोई उनकी सुध लेने वाला आएगा।

शिवमंदिर में पहली सूर्य की किरण

शिवमंदिर में करीब 20 फीट अंदर गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग का महत्व यह है कि सूर्य की पहली किरण सीधे उन पर गिरती है। जबकि मंदिर में प्रवेश करने के बाद बीच में नंदी स्थापित है। उससे भी दस फीट की दूरी पर गर्भगृह में शिवलिंग है। जहां बैठकर देखने पर उगते सूर्य की किरण दिखाई देती है। पुजारी का कहना है कि बीच में कुछ पेड़ उगने से इसमें बाधा आ रही है लेकिन, फिर भी परंपरा बनी हुई है।

कुटिल लिपि का शिलालेख

मंदिर में संस्कृत भाषा एवं कुटिल लिपि में लिखे 795 विक्रमी के उत्कीर्ण शिलालेख के अनुसार शस्त्र-शास्त्र में पारंगत राज शिवगण की आज्ञा पर उनके अधिकारी गोमिक के पुत्र धर्मशील एवं सदाचरणी प्रियवंद कायस्थ ने मंदिर निर्माण बनवाकर यह लेख स्थापित कराया था। लेख के अनुसार कृष्ण का पुत्र णाणक मंदिर का प्रमुख शिल्पी था। भट्ट सुरभि के पुत्र देवट ने इस लेख के मधुर श्लोक लिखे। द्वारशिव के पुत्र शिवनाग ने लेख को उत्कीर्ण किया था। कुटिल लिपि में लिखे ये शिलालेख सारे देश में प्रसिद्ध हैं। महाकवि जयशंकर प्रसाद ने इस लेख का अपने नाटक चंद्रगुप्त की भूमिका में उल्लेख किया है। इसमें दो स्थानों पर इस जगह को कण्वाश्रम बताया गया है।

कहां से आती है हवा, पता नहीं

मंदिर के गर्भगृह में तीन स्थान ऐसे बने हुए हैं जहां से उसमें हवा प्रवेश करती है और मंदिर के तापमान को सामान्य बनाए रखती है। इसमें हवा कहां से आती है किसी को पता नहीं है। इन स्थान पर जब अगरबत्ती लगाई जाती है तो उसका धुआं या तो इस स्थान के अंदर की ओर जाता है या फिर वह हवा के कारण मंडराता है। यहां के पुजारी भी यह पता नहीं कर पाए कि यह हवा कहां से आती है।

ऑफिस के पास हरियाली मंदिर के पास उजाड़

कंसुआ धाम का एक इलाका ऐसा है जिसमें हरियाली छाई हुई है। यहां स्थित भैंरूजी अपना अलग ही महत्व रखते हैं, जबकि इसके सामने वाला हिस्सा उजाड़ बना हुआ है। इसके एक हिस्से पर लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है। गंदा नाला बह रहा है। एक हजार शिवलिंग वाला स्तंभ देखरेख के अभाव में उजाड़ बना हुआ है।

...और इस समाधि पर ध्यान में खो जाते हैं

मंदिर के सामने की ओर एक समाधि बनी हुई है। जिसमें छतरी के साथ ही शिवलिंग कुंड के अंदर स्थापित हैं। यहां के बारे में मान्यता है कि जब कोई भी व्यक्ति यहां बैठकर ध्यान लगाता है तो वह दीन दुनिया से बेखबर हो जाता है। इस स्थान का भी यहां काफी महत्व बताया जाता है। हालांकि यहां 10 से 15 के बीच समाधियां बनी हुई हैं। जिनके ऊपर शिवलिंग बने हुए हैं।

...और गुप्त शिवलिंग पर लगा दी जाली

इस बीच प्रशासन तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यहां कमरे में स्थित गुप्त शिवलिंग के चारों ओर लोहे की जाली लगा दी है। अब 11 व 12 मार्च को होने वाले दर्शनों के दौरान श्रद्धालु जाली में से ही गुप्त शिवलिंग के दर्शन कर सकेंगे। विभाग की ओर से शुक्रवार को भी यहां सफाई कार्य जारी था।

जी हां सच में, यहां स्वयं सूर्यदेव करते हैं शिवलिंग के दर्शन


| Email Print
कोटा.738वीं ईस्वी में निर्मित कंसुआ धाम मंदिर के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है स्वयं सूर्यदेव यहां स्थित शिवलिंग के दर्शन करते हैं। मुख्य मंदिर के दो दरवाजों के बाद यहां गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है।

बावजूद इसके आज भी सूर्य की पहली किरण शिवलिंग पर गिरती है। यही नहीं गर्भगृह में तीन स्थान ऐसे हैं जहां से इसमें हवा पहुंचती है। हवा कहां से आती है, इसके बारे में किसी को पता नहीं है।

कंसुआ धाम सिर्फ इसलिए ही ख्यात नहीं कि यहां महर्षि कण्व का आश्रम है। इतिहास यहां की कड़ियां दुष्यंत-शकुंतला की प्रणय कथा और प्रतापी सम्राट भरत की जन्मस्थली के रूप में भी जोड़ता है। हालांकि जैसी दुर्दशा इस धरोहर की हुई कमोबेश वैसे ही हाल यहां के इतिहास को लेकर भी है। न तो भारतीय पुरातत्व विभाग ने कभी इस बारे में पहल की और न ही किसी शहरवासी ने।

विभाग ने इसे अपने अधिकार में ले लिया लेकिन, इसके विकास के लिए कोई कार्य नहीं किया। जिस स्थान पर उनका कार्यालय है, वहां जरूर उन्होंने पार्क विकसित किया हुआ है। लेकिन, जिस स्थान पर शिवमंदिर व कुंड तथा एक हजार शिवलिंग वाला स्तंभ है, उसकी देखभाल व संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया। वे आज भी इंतजार कर रहे हैं कोई उनकी सुध लेने वाला आएगा।

शिवमंदिर में पहली सूर्य की किरण

शिवमंदिर में करीब 20 फीट अंदर गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग का महत्व यह है कि सूर्य की पहली किरण सीधे उन पर गिरती है। जबकि मंदिर में प्रवेश करने के बाद बीच में नंदी स्थापित है। उससे भी दस फीट की दूरी पर गर्भगृह में शिवलिंग है। जहां बैठकर देखने पर उगते सूर्य की किरण दिखाई देती है। पुजारी का कहना है कि बीच में कुछ पेड़ उगने से इसमें बाधा आ रही है लेकिन, फिर भी परंपरा बनी हुई है।

कुटिल लिपि का शिलालेख

मंदिर में संस्कृत भाषा एवं कुटिल लिपि में लिखे 795 विक्रमी के उत्कीर्ण शिलालेख के अनुसार शस्त्र-शास्त्र में पारंगत राज शिवगण की आज्ञा पर उनके अधिकारी गोमिक के पुत्र धर्मशील एवं सदाचरणी प्रियवंद कायस्थ ने मंदिर निर्माण बनवाकर यह लेख स्थापित कराया था। लेख के अनुसार कृष्ण का पुत्र णाणक मंदिर का प्रमुख शिल्पी था। भट्ट सुरभि के पुत्र देवट ने इस लेख के मधुर श्लोक लिखे। द्वारशिव के पुत्र शिवनाग ने लेख को उत्कीर्ण किया था। कुटिल लिपि में लिखे ये शिलालेख सारे देश में प्रसिद्ध हैं। महाकवि जयशंकर प्रसाद ने इस लेख का अपने नाटक चंद्रगुप्त की भूमिका में उल्लेख किया है। इसमें दो स्थानों पर इस जगह को कण्वाश्रम बताया गया है।

कहां से आती है हवा, पता नहीं

मंदिर के गर्भगृह में तीन स्थान ऐसे बने हुए हैं जहां से उसमें हवा प्रवेश करती है और मंदिर के तापमान को सामान्य बनाए रखती है। इसमें हवा कहां से आती है किसी को पता नहीं है। इन स्थान पर जब अगरबत्ती लगाई जाती है तो उसका धुआं या तो इस स्थान के अंदर की ओर जाता है या फिर वह हवा के कारण मंडराता है। यहां के पुजारी भी यह पता नहीं कर पाए कि यह हवा कहां से आती है।

ऑफिस के पास हरियाली मंदिर के पास उजाड़

कंसुआ धाम का एक इलाका ऐसा है जिसमें हरियाली छाई हुई है। यहां स्थित भैंरूजी अपना अलग ही महत्व रखते हैं, जबकि इसके सामने वाला हिस्सा उजाड़ बना हुआ है। इसके एक हिस्से पर लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है। गंदा नाला बह रहा है। एक हजार शिवलिंग वाला स्तंभ देखरेख के अभाव में उजाड़ बना हुआ है।

...और इस समाधि पर ध्यान में खो जाते हैं

मंदिर के सामने की ओर एक समाधि बनी हुई है। जिसमें छतरी के साथ ही शिवलिंग कुंड के अंदर स्थापित हैं। यहां के बारे में मान्यता है कि जब कोई भी व्यक्ति यहां बैठकर ध्यान लगाता है तो वह दीन दुनिया से बेखबर हो जाता है। इस स्थान का भी यहां काफी महत्व बताया जाता है। हालांकि यहां 10 से 15 के बीच समाधियां बनी हुई हैं। जिनके ऊपर शिवलिंग बने हुए हैं।

...और गुप्त शिवलिंग पर लगा दी जाली

इस बीच प्रशासन तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यहां कमरे में स्थित गुप्त शिवलिंग के चारों ओर लोहे की जाली लगा दी है। अब 11 व 12 मार्च को होने वाले दर्शनों के दौरान श्रद्धालु जाली में से ही गुप्त शिवलिंग के दर्शन कर सकेंगे। विभाग की ओर से शुक्रवार को भी यहां सफाई कार्य जारी था।

कैसे 'भयावह' तरीके से काम करता है अवैध खनन का तंत्र, जानिए पूरा सच


भोपाल। खनन माफिया द्वारा मुरैना में आईपीएस अफसर की हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या लालच की खदानें इतनी गहरी हो गई हैं कि नियम-कायदे, कानून का खौफ सबकुछ इसमें समा गया है? अवैध उत्खनन के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं। यदा कदा प्रकरण ही बनते हैं लेकिन माफिया के कदम थमते नहीं। प्रदेश में कैसे काम कर रहा है अवैध खनन का तंत्र और इसे रोकने में प्रशासन क्यों नाकाम है, इसे एक नजर में समझाने की हमारी कोशिश है यह..

हकीकत है भयावह
नकली रॉयल्टी बुक छपवा लेते हैं माफिया
खनिज माफिया नकली रॉयल्टी बुक तक छपवा लेते हैं। ऐसा प्रकरण जुलाई २क्११ में हुआ था। चांदपुर थाना क्षेत्र के बिजोरिया खदान से भरी रेत की गाड़ी में फर्जी पास था। आरोपी वेरसिंह अलसिंह को पुलिस ने मामले में गिरफ्तार किया था। खनिज इंस्पेक्टर देविका परमार ने बताया विभाग द्वारा रायल्टी बुक छपवाई जाती है जो ठेकेदार को देते हैं। प्राप्त रसीदें विभाग द्वारा दी गई रॉयल्टी बुक की नहीं थी। कागज अलग था और सीरियल नंबर भी डुप्लीकेट।

3 करोड़ की वसूली नहीं
पिपलौदा तहसील के ग्राम चौरासी बड़ायला में फोरलेन निर्माण कंपनी ने फोरलेन निर्माण के दौरान पूरी पहाड़ी से पत्थर और मुरम खोद डाली। 3 करोड़ रु से ज्यादा की रॉयल्टी बकाया है। विभाग कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया।

नहीं भरने दिया जुर्माना
जिले के पहले खनिज अधिकारी वी.के. सांखला ने नयागांव क्षेत्र से अवैध तरीके से गिट्टी ले जा रहे १क् ट्रैक्टर पकड़े और प्रकरण दर्ज कर ४७ लाख का जुर्माना किया। एक भाजपा नेता चौकी से बिना रॉयल्टी भरे ट्रैक्टर छुड़ा ले गए।

लोगों को भी धमका चुके हैं रेत माफिया
धरमपुरी मंे नर्मदा किनारे रेत उत्खनन के लिए स्वीकृत खदानों में अब रेत नहीं रह गई है। इसके बावजूद हर साल भौतिक सत्यापन के बगैर ही खदानें नीलाम कर दी जाती हैं। ऐसे में ठेकेदार और रेत माफिया कई बार रेत नहीं होने पर अनाधिकृत स्थानों पर खुदाई करते पकड़े गए हैं। इसके विरोध में कुछ नागरिकों ने आवाज उठाई तो उनके धमकाने का मामला सामने आने लगे। इसके बाद लोगों ने एकजुट होकर मोर्चा खोला तब ठेकेदार नरम पड़ा।

न जांच, न नपती
नेमावर रोड और रंगवासा में खदान मालिक स्वीकृत जमीन से दो गुना खुदाई करते हैं। अफसर न तो नपती करते हैं और न जांच। रेत माफियाओं ने नेमावर रोड के उमरिया खुर्द व तरह रेणुका टेकरी को भी नहीं छोड़ा हैं।

नहीं होती चेकिंग
बकौल विधायक जितेंद्र डागा कोलार में बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन व परिवहन हुआ है। इसमें खनिज अफसरों की भी मिलीभगत के कारण कोई चेकिंग नहीं होती। शिकायत कलेक्टर से लेकर प्रभारी मंत्री तक को की है।

क्या है अवैध खनन
- चिह्नित क्षेत्र से अधिक में या किसी अन्य स्थान पर खुदाई करना।
- कई ट्रालियों को एक ही नंबर की रायल्टी रसीद दे देना और ट्रालियों को अलग-अलग समय व दिशा में रवाना करना।
- कोई भी उत्खनन जो ऐसी जगह किया जा रहा हो] जिसके लिए सरकार ने अनुमति न दी हो
- अवैध उत्खनन की श्रेणी में आता है।
- जिस खनिज पर सरकार को रायल्टी न दी जाती हो।
- आवंटित भूमि से लगी हुई भूमि व वन भूमि पर उत्खनन करना।

खनन माफियाओं का गणित
- रायल्टी - 810 रु
- मजदूरी - 200 रु
- ईधन व वाहन खर्च- 250 रु
- कुल- 1260 रुपए प्रति ट्राली
- बाजार मूल्य- 1300 से 1500 रु
(मानक : एक ट्राली रेत)

होशंगाबाद में इस वर्ष की नीलामी के मुताबिक ठेकेदार को प्रति रेत ट्राली पर 810 रु की रायल्टी चुकाना होगी। ठेकेदार अवैध उत्खनन करे तो वह पूरी राशि बचा लेता है। उसे प्रति ट्राली 1000 रु की बचत होती है। बकौल आरटीआई कार्यकर्ता रमजान शेख उत्खनन का एक चौथाई से अधिक हिस्सा अवैध होता है। जुर्माना भले ही बाजार मूल्य से चार गुना हो लेकिन माफिया को फर्क नहीं पड़ता।

मुरैना में पहले भी हो चुके हैं हमले
- 2007 में बानमोर के बटेश्वरा क्षेत्र में तत्कालीन कलेक्टर व एसपी पर फायरिंग की थी।
- 2010 में रिठौरा क्षेत्र में पत्थर माफिया ने वन विभाग के कर्मचारियों व अफसरों पर फायरिंग की थी। तब चार लोग घायल हुए थे।
- 2011 दिसंबर में सेलटैक्स बैरियर के पास शिवनगर में टास्कफोर्स पर फायरिंग की थी।
- 2012 जनवरी में भाजपा नेता ने अफसर से अवैध पत्थर से भरे दो ट्रैक्टर लूट लिए थे।

दबंगों ने मां-बेटी को गांव में घुमाया निर्वस्त्र


फरीदाबाद .बल्लभगढ़ .रायपुरकलां गांव में कुछ दबंगों ने एक विधवा और उसकी बेटी को निर्वस्त्र घुमाया। शर्मसार कर देने वाली इस घटना के बाद से गांव में सन्नाटा छाया हुआ है।


गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पुलिस ने विधवा की शिकायत पर 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पीड़ित मां-बेटी को बीके अस्पताल में दाखिल कराया गया है। पीड़ित लड़की की 12 मार्च को शादी होने वाली थी।

मिली जानकारी के अनुसार 50 वर्षीय सिमरन (बदला हुआ नाम) का तीन महीने पहले गांव के ही ईश्वर सिंह से विवाद हो गया था। उस समय गांव के लोगों ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया था। दो माह पहले ईश्वर सिंह अपनी नाबालिग बेटी की शादी करवा रहा था, जिसे प्रशासन ने मौके पर पहुंच रुकवा दिया था। ईश्वर सिंह का मानना था कि सिमरन ने प्रशासन को शादी की सूचना दी थी।

होली के दिन गुरुवार दोपहर दो बजे सिमरन अपनी ननद और बेटी के साथ घर में थी। इसी दौरान ईश्वर सिंह, रेशम सिंह, गुरुदेव, सोनू, मालो बाई, बंटो बाई, इशहार सिंह, प्रेम सिंह, फोमन सिंह, बींद्र सिंह, गुरुदयाल व गुलजार लाठी डंडों से लैस होकर सिमरन के घर में घुस गए। आरोपी सिमरन और उसकी बेटी को घर से खींचकर बाहर लाए और उनके कपड़े फाड़ दिए। इसके बाद मां-बेटी को गांव में निर्वस्त्र घुमाया। आरोपियों ने विधवा के बेटे पर भी हमला किया, लेकिन ग्रामीणों ने उसे बचा लिया।

मामले की जांच कर रहे छांयसा थाने के एएसआई महेंद्र सिंह के अनुसार आरोपियों के खिलाफ घर में घुसकर मारपीट का मामला दर्ज कर लिया गया है। नग्न किए जाने और गुप्तांग में चोट पहुंचाए जाने के मामले की तहकीकात जारी है।

द्वितीय सोपान-मंगलाचरण

द्वितीय सोपान-मंगलाचरण
श्लोक :
* यस्यांके च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके
भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट्।
सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा
शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्री शंकरः पातु माम्‌॥1॥
भावार्थ:-जिनकी गोद में हिमाचलसुता पार्वतीजी, मस्तक पर गंगाजी, ललाट पर द्वितीया का चन्द्रमा, कंठ में हलाहल विष और वक्षःस्थल पर सर्पराज शेषजी सुशोभित हैं, वे भस्म से विभूषित, देवताओं में श्रेष्ठ, सर्वेश्वर, संहारकर्ता (या भक्तों के पापनाशक), सर्वव्यापक, कल्याण रूप, चन्द्रमा के समान शुभ्रवर्ण श्री शंकरजी सदा मेरी रक्षा करें॥1॥
* प्रसन्नतां या न गताभिषेकतस्तथा न मम्ले वनवासदुःखतः।
मुखाम्बुजश्री रघुनन्दनस्य मे सदास्तु सा मंजुलमंगलप्रदा॥2॥
भावार्थ:-रघुकुल को आनंद देने वाले श्री रामचन्द्रजी के मुखारविंद की जो शोभा राज्याभिषेक से (राज्याभिषेक की बात सुनकर) न तो प्रसन्नता को प्राप्त हुई और न वनवास के दुःख से मलिन ही हुई, वह (मुखकमल की छबि) मेरे लिए सदा सुंदर मंगलों की देने वाली हो॥2॥
* नीलाम्बुजश्यामलकोमलांग सीतासमारोपितवामभागम्‌।
पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्‌॥3॥
भावार्थ:-नीले कमल के समान श्याम और कोमल जिनके अंग हैं, श्री सीताजी जिनके वाम भाग में विराजमान हैं और जिनके हाथों में (क्रमशः) अमोघ बाण और सुंदर धनुष है, उन रघुवंश के स्वामी श्री रामचन्द्रजी को मैं नमस्कार करता हूँ॥3॥
दोहा :
* श्री गुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥
भावार्थ:-श्री गुरुजी के चरण कमलों की रज से अपने मन रूपी दर्पण को साफ करके मैं श्री रघुनाथजी के उस निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फलों को (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को) देने वाला है।
चौपाई :
* जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥
भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥1॥
भावार्थ:-जब से श्री रामचन्द्रजी विवाह करके घर आए, तब से (अयोध्या में) नित्य नए मंगल हो रहे हैं और आनंद के बधावे बज रहे हैं। चौदहों लोक रूपी बड़े भारी पर्वतों पर पुण्य रूपी मेघ सुख रूपी जल बरसा रहे हैं॥1॥
* रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥
मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥2॥
भावार्थ:-ऋद्धि-सिद्धि और सम्पत्ति रूपी सुहावनी नदियाँ उमड़-उमड़कर अयोध्या रूपी समुद्र में आ मिलीं। नगर के स्त्री-पुरुष अच्छी जाति के मणियों के समूह हैं, जो सब प्रकार से पवित्र, अमूल्य और सुंदर हैं॥2॥
* कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥3॥
भावार्थ:-नगर का ऐश्वर्य कुछ कहा नहीं जाता। ऐसा जान पड़ता है, मानो ब्रह्माजी की कारीगरी बस इतनी ही है। सब नगर निवासी श्री रामचन्द्रजी के मुखचन्द्र को देखकर सब प्रकार से सुखी हैं॥3॥
* मुदित मातु सब सखीं सहेली। फलित बिलोकि मनोरथ बेली॥
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ॥4॥
भावार्थ:-सब माताएँ और सखी-सहेलियाँ अपनी मनोरथ रूपी बेल को फली हुई देखकर आनंदित हैं। श्री रामचन्द्रजी के रूप, गुण, शील और स्वभाव को देख-सुनकर राजा दशरथजी बहुत ही आनंदित होते हैं॥4॥

कुरान का संदेश

दोस्तों हंसना मत प्लीज़ मेरी शादी के इक्कीसवें काले दिवस पर ..........



दोस्तों आज मेरी जिंदगी का इक्कीसवां काला दिवस हे आज ही के दिन ही मुझे एक खतरनाक महिला के साथ बेड़ियों में जकड़ा गया था... हंसी हंसी में में खुद उम्र केद की सजा मंज़ूर कर रहा हूँ.... यह में सपने में भी नहीं सोच पा रहा था... मीठा लड्डू खाने के चक्कर में में धोखे में आ गया ...
१० मार्च १९९१ का वोह काला दिन ...मुझे मोत के मुंह में धकेलने , मेरी जिंदगी उम्र भर के लियें केद करने के लियें लोग एकत्रित हुए.. नाचे गाये.. मुझे घोड़ी पर बिठाया गया ..और फिर हमें राजस्थान के ही नवाबों की नगरी टोंक ले जाया गया वहां एक रिजवाना नाम की खतरनाक एब्दार लडकी को मेरा इन्तिज़ार था.. जी हाँ इस महिला का नाम रिजवाना स्कुल का हे ...लेकिन अकिकी नाम रईसुन्निसा रखा गया था ... निकाह इसी नाम से हुआ.... मेरा भी निकाह अकिकी नाम अजहर से हुआ... अब मेरा नाम तो अख्तर खान अकेला और जो मेरे साथ जेलर बना कर उम्र केद की सजा भुगताने के लियें भेजी गयी... उसका नाम रिजवाना ....हमारे पास निकाहनामा अजहर और रईसुन्निसा का .....अब बताओ हम क्या करें .....खेर रस्मों के नाम पर मुझे उल्लू बनाया गया ..सालियों और सलेजों ने बेवकूफ बनाकर ....बीवी मुट्ठी खोल में तेरा गुलाम कहलवाया और बस ...तबसे आज तक में भुगत रहा हूँ . ....
मेरी यह जो जेलर हे कहने को तो टोंक की साहबजादी हैं .......... माशा अल्लाह तीन भाई और चार बहनें और हें ..सभी खतरनाक हे ...मेरी इस बर्बादी के बाद मेरे दो छोटे साले कमर और फर्रुख कुंवारे थे .....सो मेने भी उन्हें बर्बाद करने की ठानी ...जयपुर के हमारे साडू इकबाल खान साहब और सलेज रुखसाना ,टोंक के साडू बड़े दादा और रिसर्च ऑफिसर सलेज नादिरा ने मिल कर षड्यंत्र किया और साले कमर को एक खतरनाक सलेज वफरा से फंसा दिया..... बेचारे एक हंसते खेलते साले की बोलती बंद हे... सलेज जादूगरनी हे हजारा पढती हें सो उन्होंने हमारे साले पर पढ़ कर फूंका ....अब वोह हुक्म के गुलाम हे ....मुझे लगा मेरे आंसू पोंछने वालों में अब एक और शामिल हो गये हें.... फिर दुसरा छोटा साला फर्रुख थे ...बस उनके खिलाफ भी षड्यंत्र रचा और उन्हें मिस यूनिवर्स तबस्सुम से उलझा दिया ...अब इस बेचारे की तो क्या कहूँ .... आप खुद ही समझ जाओ मेरे पास कहने के लियें अलफ़ाज़ नहीं हे बढ़े साले हें जिन्हें भय्या कहते हें..... बाहर पुरे टोंक में शेर समझे जाते हें... जिला वक्फ कमेटी के चेयरमेन हैं लेकिन घर में हमारी सबसे बढ़ी सलेज अफशां के सामने उनकी घिग्घी बन जाती हे... कुल मिला कर हम सभी साडू और साले बहनोई एक ही दर्द के मारे हें...हमारे एक और साडू जनाब हाजी मियाँ को हमारी बढ़ी साली शाहिदा ने बीमार कर दिया जो अभी माशा अल्लाह दिल का इलाज करा कर ठीक हो गये है अल्लाह उन्हें श्त्यब रखे और उम्र दराज़ करे .......... हमारे सास ससुर बाल ठाकरे और मुल्लानी जी हमारे इस हाल पर हमारा मजाक उड्हाते रहते हें हम खामोश गर्दन झुकाए बेठे रहते हें ।

इस खतरनाक जेलर के बारे में में आपको बताऊं... यह कोटा में उर्दू की लेक्चरार हें और बच्चों को पढाती हे ..इसलियें वही लहजा ...वही डांटने का अंदाज़ ...घर में चलता हे... आप अंदाजा लगायें ...में किन हालातों में सांस ले रहा होउंगा... मेरी बोलती बंद हे... इसी उठा पटक में मेरे इस जेलर ने मूल के साथ तीन ब्याज दिए ... पहला लडका शाहरुख खान जो अमिटी नोइडा से बी टेक कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर रहा है .., एक बच्ची जवेरिया टेंथ में हे जबकि एक प्यारी बिटिया सदफ अख्तर जो अभी सेकंड में पढ़ रही हे .
जेलर जिसके हंटर से मेरी बोलती बंद हे उसकी जुबां कभी अगर चलती हे तो केंची से भी खतरनाक होती हे ...मोहल्ले और परिवारों में उसने जादू करके खुद को अच्छा साबित कर रखा हे .... मेरे पापा हाजी असगर अली खान को भी उसने वक्त पर खाना.. चाय नाश्ता... दे कर पटा रखा हे... हमारी मम्मी रशीदा खानम हे बस इस जेलर की केंची के आगे उनकी तो बोलती बंद हे... एक भाई परवेज़ खान जो सुधा अस्पताल में मेनेजर हे उसकी बीवी रूबी भी टोंक की हे ...इसलियें इनकी यूनियन जिंदाबाद हो रही हे.... और दोस्तों में अकेला पढ़ जाने से अख्तर खान अकेला हो गया हूँ ....और इसीलियें यह जेलर मुझ पर हावी हे... अब मेरे लियें तो खुदा खेर करे... हे ना मेरी दर्द भरी कहानी जो आज काला दिवस के दिन नई हो गयी हे । दोस्तों यह है मेरी दर्द भरी कहानी जो पिछले इक्कीस सालों से बदस्तूर चली आ रही है... और मेरी खुदा से यही इल्तिजा है के मुझे हर बार यही खतरनाक जेलर मिले ..यही जेलर हर पल हर क्षण मेरे साथ रहे ..मेरे बच्चे आप लोगों की दुआ से उनके सपने साकार करें ..मेरे माँ बाप .सास ससुर सह्त्याब रहे .......... मेरी जेलर ज़िंदा बाद जिसने मुझे खुली जेल के केदी की तरह से जेल में रखा है जिसे सुबह जेल से छोड़ दिया जाता है और उसे हुकम होता है के रात को उसे वापस जेल में ही केद खाने में आना है तो भाई यह उम्र केद की सज़ा में भुगत रहा हूँ और इस खुबसूरत मजेदार सजा से माफ़ी का दिल ही नहीं चाहता है मन करता है के जेलर इस केदी के साथ हमेशा रहे ........................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सत्ताधारी नेता ने कहा- नरेंद्र को 'कंट्रोल' करो



मुरैना.आईपीएस नरेन्द्र कुमार ने बानमोर एसडीओपी के रूप में 16 जनवरी को आमद दी थी। यानि अभी करीब 55 दिन ही बानमोर में काम कर पाए थे।पिछले डेढ़ माह से वे लगातार पत्थर के अवैध उत्खनन को रोकने का प्रयास कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई कार्रवाईयां भी थी। कार्रवाईयों की वजह से वे पत्थर माफिया के निशाने पर भी थे। पिछले दिनों सत्ताधारी दल के एक बड़े नेता ने प्रशासनिक अफसरों से नरेन्द्र कुमार को समझाने के लिए कहा था। जिससे वे अधिक कार्रवाई न करें।

आरोपी को नहीं है नरेंद्र की मौत का अफसोस
एसडीओपी आईपीएस नरेन्द्र कुमार की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या करने वाला चालक मनोज गुर्जर बानमोर थाने में बंद हैं। थाने में मनोज के चेहरे को देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि उसे घटना का कोई अफसोस है। मनोज ने बताया कि वह अपना घर बनाने के लिए पत्थर ले जा रहा था। यदि ट्रैक्टर पकड़ जाता तो ट्रैक्टर राजसात हो जाता। थाने में बंद आरोपी मनोज गुर्जर ने बताया कि वह लंका पहाड़ की खदान से अपना घर बनाने के लिए पत्थर ला रहा था। लेकिन रास्ते में एसडीओपी ने पकडऩे का प्रयास किया। ट्रैक्टर को बचाने के लिए उसने अपने ट्रैक्टर को भगाया। इसी दौरान एसडीओपी ने ट्रैक्टर पर चढ़कर उसे पकडऩे का प्रयास किया था और वे ट्रैक्टर के नीचे आ गए। उल्लेखनीय है कि अवैध रूप से उत्खनित पत्थर व रेत का परिहवन करने वाले वाहन पकड़े जाते हैं तो वन्य अधिनियम के मुताबिक वे राजसात हो जाते हैं।
परिवार के लोग गायब:आरोपी मनोज गुर्जर के गिरफ्तार होने की सूचना जब पहाड़ी गांव में उसके परिवार के लोगों को मिली। वे सभी गायब हो गए। सूत्रों को मुताबिक उन्हें डर था कि घटना से आक्रोशित पुलिस कहीं उन्हें पकड़ न ले।

लंका पहाड़ की अवैध खदान से ला रहा था पत्थर
आरोपी मनोज गुर्जर बानमोर क्षेत्र में आने वाले कलींदे के पुरा के लंकापहाड़ से पत्थर ला रहा था। लंका पहाड़ में पत्थर की अवैध खदान हैं। आरोपी के पास पत्थर की न तो कोई रायल्टी रसीद थी और न ही कोई अन्य दस्तावेज।
ट्रैक्टर का मालिक, लेकिन बीमा व लाइसेंस नहीं:आरोपी मनोज गुर्जर टै्रक्टर का मालिक है। लेकिन उसके ट्रैक्टर का बीमा है और न ही उसके पास चलाने का लाइसेंस।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...