तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 मार्च 2012
दोस्तों कोटा में इन दिनों मुस्लिम कल्याण कार्यों को लेकर कुछ लोगों द्वारा एतराज़ जता कर काम रुकवा दिया गया है और इन हालातों में सच क्या है क्या काम रु
मंत्रीजी को कीचड़ में उतार, उनके कपड़े को किया दागदार!
करीब 40 मिनट बाद मौके पर पहुंची पुलिस और मंत्री के समर्थकों ने उन्हें बमुश्किल बाहर निकाला। बाद में उन्हें पुलिस की जीप से आवास तक पहुंचाया गया। घटना के बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में ले लिया। इस पर नाराज उनके परिजनों ने शहर कोतवाली पर प्रदर्शन किया। उधर, मंत्री ने मामले में माकपा का हाथ बताया है।
मंत्री को कीचड़ में उतारा
मामला सुबह करीब 9 बजे का है। जैसलमेर में सड़क हादसे में मारे गए सीकर के सात युवकों में से चार के शव अंतिम संस्कार के लिए बुच्याणी श्मशान घाट लाए गए थे। श्मशान घाट के सामने पानी भरा था। लोगों को कीचड़ से गुजरना पड़ रहा था। इस बीच, माकपा विधायक अमराराम वहां पहुंचे तो लोगों ने उनका विरोध किया। कुछ देर बाद वे श्मशान घाट के अंदर चले गए। तभी उद्योग मंत्री राजेंद्र पारीक निजी गाड़ी में वहां पहुंचे।
श्मशान घाट के बाहर भीड़ ने उनकी गाड़ी पर पथराव कर दिया और नारेबाजी की। भीड़ ने कार रुकवा ली और पारीक को पानी के बीच उतार लिया। भाजपा पार्षद रामावतार सांखला ने मंत्री से मारपीट की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हाथ पकड़ लिया। जैसे-तैसे पारीक अंत्येष्टि स्थल पहुंचे। वहां भीड़ ने पारीक को घेर लिया। पुलिस ने पारीक को अपनी जीप में घर पहुंचाया। बाद में कलेक्टर व एसपी मंत्री के घर गए।
यह जनता का आक्रोश नहीं, बल्कि राजनीति है : पारीक
"यह सुनियोजित षड्यंत्र है। जिस सड़क को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, उसके टेंडर हो चुके हैं। काम शीघ्र ही शुरू होने वाला है। माकपा विधायक अमराराम की इसमें शह है। यह जनता का आक्रोश नहीं, बल्कि राजनीति हुई है। कार्रवाई को लेकर इतना ही कहना है कि जिन्होंने यह किया है उन्हें सद्बुद्धि मिले। बदसलूकी करने वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।"
-राजेंद्र पारीक, उद्योग मंत्री
श्मशान घाट के बाहर भीड़ ने उनकी गाड़ी पर पथराव कर दिया और नारेबाजी की। भीड़ ने कार रुकवा ली और पारीक को पानी के बीच उतार लिया। भाजपा पार्षद रामावतार सांखला ने मंत्री से मारपीट की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हाथ पकड़ लिया। जैसे-तैसे पारीक अंत्येष्टि स्थल पहुंचे। वहां भीड़ ने पारीक को घेर लिया। पुलिस ने पारीक को अपनी जीप में घर पहुंचाया।
जी हां सच में, यहां स्वयं सूर्यदेव करते हैं शिवलिंग के दर्शन
बावजूद इसके आज भी सूर्य की पहली किरण शिवलिंग पर गिरती है। यही नहीं गर्भगृह में तीन स्थान ऐसे हैं जहां से इसमें हवा पहुंचती है। हवा कहां से आती है, इसके बारे में किसी को पता नहीं है।
कंसुआ धाम सिर्फ इसलिए ही ख्यात नहीं कि यहां महर्षि कण्व का आश्रम है। इतिहास यहां की कड़ियां दुष्यंत-शकुंतला की प्रणय कथा और प्रतापी सम्राट भरत की जन्मस्थली के रूप में भी जोड़ता है। हालांकि जैसी दुर्दशा इस धरोहर की हुई कमोबेश वैसे ही हाल यहां के इतिहास को लेकर भी है। न तो भारतीय पुरातत्व विभाग ने कभी इस बारे में पहल की और न ही किसी शहरवासी ने।
विभाग ने इसे अपने अधिकार में ले लिया लेकिन, इसके विकास के लिए कोई कार्य नहीं किया। जिस स्थान पर उनका कार्यालय है, वहां जरूर उन्होंने पार्क विकसित किया हुआ है। लेकिन, जिस स्थान पर शिवमंदिर व कुंड तथा एक हजार शिवलिंग वाला स्तंभ है, उसकी देखभाल व संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया। वे आज भी इंतजार कर रहे हैं कोई उनकी सुध लेने वाला आएगा।
शिवमंदिर में पहली सूर्य की किरण
शिवमंदिर में करीब 20 फीट अंदर गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग का महत्व यह है कि सूर्य की पहली किरण सीधे उन पर गिरती है। जबकि मंदिर में प्रवेश करने के बाद बीच में नंदी स्थापित है। उससे भी दस फीट की दूरी पर गर्भगृह में शिवलिंग है। जहां बैठकर देखने पर उगते सूर्य की किरण दिखाई देती है। पुजारी का कहना है कि बीच में कुछ पेड़ उगने से इसमें बाधा आ रही है लेकिन, फिर भी परंपरा बनी हुई है।
कुटिल लिपि का शिलालेख
मंदिर में संस्कृत भाषा एवं कुटिल लिपि में लिखे 795 विक्रमी के उत्कीर्ण शिलालेख के अनुसार शस्त्र-शास्त्र में पारंगत राज शिवगण की आज्ञा पर उनके अधिकारी गोमिक के पुत्र धर्मशील एवं सदाचरणी प्रियवंद कायस्थ ने मंदिर निर्माण बनवाकर यह लेख स्थापित कराया था। लेख के अनुसार कृष्ण का पुत्र णाणक मंदिर का प्रमुख शिल्पी था। भट्ट सुरभि के पुत्र देवट ने इस लेख के मधुर श्लोक लिखे। द्वारशिव के पुत्र शिवनाग ने लेख को उत्कीर्ण किया था। कुटिल लिपि में लिखे ये शिलालेख सारे देश में प्रसिद्ध हैं। महाकवि जयशंकर प्रसाद ने इस लेख का अपने नाटक चंद्रगुप्त की भूमिका में उल्लेख किया है। इसमें दो स्थानों पर इस जगह को कण्वाश्रम बताया गया है।
कहां से आती है हवा, पता नहीं
मंदिर के गर्भगृह में तीन स्थान ऐसे बने हुए हैं जहां से उसमें हवा प्रवेश करती है और मंदिर के तापमान को सामान्य बनाए रखती है। इसमें हवा कहां से आती है किसी को पता नहीं है। इन स्थान पर जब अगरबत्ती लगाई जाती है तो उसका धुआं या तो इस स्थान के अंदर की ओर जाता है या फिर वह हवा के कारण मंडराता है। यहां के पुजारी भी यह पता नहीं कर पाए कि यह हवा कहां से आती है।
ऑफिस के पास हरियाली मंदिर के पास उजाड़
कंसुआ धाम का एक इलाका ऐसा है जिसमें हरियाली छाई हुई है। यहां स्थित भैंरूजी अपना अलग ही महत्व रखते हैं, जबकि इसके सामने वाला हिस्सा उजाड़ बना हुआ है। इसके एक हिस्से पर लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है। गंदा नाला बह रहा है। एक हजार शिवलिंग वाला स्तंभ देखरेख के अभाव में उजाड़ बना हुआ है।
...और इस समाधि पर ध्यान में खो जाते हैं
मंदिर के सामने की ओर एक समाधि बनी हुई है। जिसमें छतरी के साथ ही शिवलिंग कुंड के अंदर स्थापित हैं। यहां के बारे में मान्यता है कि जब कोई भी व्यक्ति यहां बैठकर ध्यान लगाता है तो वह दीन दुनिया से बेखबर हो जाता है। इस स्थान का भी यहां काफी महत्व बताया जाता है। हालांकि यहां 10 से 15 के बीच समाधियां बनी हुई हैं। जिनके ऊपर शिवलिंग बने हुए हैं।
...और गुप्त शिवलिंग पर लगा दी जाली
इस बीच प्रशासन तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यहां कमरे में स्थित गुप्त शिवलिंग के चारों ओर लोहे की जाली लगा दी है। अब 11 व 12 मार्च को होने वाले दर्शनों के दौरान श्रद्धालु जाली में से ही गुप्त शिवलिंग के दर्शन कर सकेंगे। विभाग की ओर से शुक्रवार को भी यहां सफाई कार्य जारी था।
जी हां सच में, यहां स्वयं सूर्यदेव करते हैं शिवलिंग के दर्शन
बावजूद इसके आज भी सूर्य की पहली किरण शिवलिंग पर गिरती है। यही नहीं गर्भगृह में तीन स्थान ऐसे हैं जहां से इसमें हवा पहुंचती है। हवा कहां से आती है, इसके बारे में किसी को पता नहीं है।
कंसुआ धाम सिर्फ इसलिए ही ख्यात नहीं कि यहां महर्षि कण्व का आश्रम है। इतिहास यहां की कड़ियां दुष्यंत-शकुंतला की प्रणय कथा और प्रतापी सम्राट भरत की जन्मस्थली के रूप में भी जोड़ता है। हालांकि जैसी दुर्दशा इस धरोहर की हुई कमोबेश वैसे ही हाल यहां के इतिहास को लेकर भी है। न तो भारतीय पुरातत्व विभाग ने कभी इस बारे में पहल की और न ही किसी शहरवासी ने।
विभाग ने इसे अपने अधिकार में ले लिया लेकिन, इसके विकास के लिए कोई कार्य नहीं किया। जिस स्थान पर उनका कार्यालय है, वहां जरूर उन्होंने पार्क विकसित किया हुआ है। लेकिन, जिस स्थान पर शिवमंदिर व कुंड तथा एक हजार शिवलिंग वाला स्तंभ है, उसकी देखभाल व संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया। वे आज भी इंतजार कर रहे हैं कोई उनकी सुध लेने वाला आएगा।
शिवमंदिर में पहली सूर्य की किरण
शिवमंदिर में करीब 20 फीट अंदर गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग का महत्व यह है कि सूर्य की पहली किरण सीधे उन पर गिरती है। जबकि मंदिर में प्रवेश करने के बाद बीच में नंदी स्थापित है। उससे भी दस फीट की दूरी पर गर्भगृह में शिवलिंग है। जहां बैठकर देखने पर उगते सूर्य की किरण दिखाई देती है। पुजारी का कहना है कि बीच में कुछ पेड़ उगने से इसमें बाधा आ रही है लेकिन, फिर भी परंपरा बनी हुई है।
कुटिल लिपि का शिलालेख
मंदिर में संस्कृत भाषा एवं कुटिल लिपि में लिखे 795 विक्रमी के उत्कीर्ण शिलालेख के अनुसार शस्त्र-शास्त्र में पारंगत राज शिवगण की आज्ञा पर उनके अधिकारी गोमिक के पुत्र धर्मशील एवं सदाचरणी प्रियवंद कायस्थ ने मंदिर निर्माण बनवाकर यह लेख स्थापित कराया था। लेख के अनुसार कृष्ण का पुत्र णाणक मंदिर का प्रमुख शिल्पी था। भट्ट सुरभि के पुत्र देवट ने इस लेख के मधुर श्लोक लिखे। द्वारशिव के पुत्र शिवनाग ने लेख को उत्कीर्ण किया था। कुटिल लिपि में लिखे ये शिलालेख सारे देश में प्रसिद्ध हैं। महाकवि जयशंकर प्रसाद ने इस लेख का अपने नाटक चंद्रगुप्त की भूमिका में उल्लेख किया है। इसमें दो स्थानों पर इस जगह को कण्वाश्रम बताया गया है।
कहां से आती है हवा, पता नहीं
मंदिर के गर्भगृह में तीन स्थान ऐसे बने हुए हैं जहां से उसमें हवा प्रवेश करती है और मंदिर के तापमान को सामान्य बनाए रखती है। इसमें हवा कहां से आती है किसी को पता नहीं है। इन स्थान पर जब अगरबत्ती लगाई जाती है तो उसका धुआं या तो इस स्थान के अंदर की ओर जाता है या फिर वह हवा के कारण मंडराता है। यहां के पुजारी भी यह पता नहीं कर पाए कि यह हवा कहां से आती है।
ऑफिस के पास हरियाली मंदिर के पास उजाड़
कंसुआ धाम का एक इलाका ऐसा है जिसमें हरियाली छाई हुई है। यहां स्थित भैंरूजी अपना अलग ही महत्व रखते हैं, जबकि इसके सामने वाला हिस्सा उजाड़ बना हुआ है। इसके एक हिस्से पर लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है। गंदा नाला बह रहा है। एक हजार शिवलिंग वाला स्तंभ देखरेख के अभाव में उजाड़ बना हुआ है।
...और इस समाधि पर ध्यान में खो जाते हैं
मंदिर के सामने की ओर एक समाधि बनी हुई है। जिसमें छतरी के साथ ही शिवलिंग कुंड के अंदर स्थापित हैं। यहां के बारे में मान्यता है कि जब कोई भी व्यक्ति यहां बैठकर ध्यान लगाता है तो वह दीन दुनिया से बेखबर हो जाता है। इस स्थान का भी यहां काफी महत्व बताया जाता है। हालांकि यहां 10 से 15 के बीच समाधियां बनी हुई हैं। जिनके ऊपर शिवलिंग बने हुए हैं।
...और गुप्त शिवलिंग पर लगा दी जाली
इस बीच प्रशासन तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यहां कमरे में स्थित गुप्त शिवलिंग के चारों ओर लोहे की जाली लगा दी है। अब 11 व 12 मार्च को होने वाले दर्शनों के दौरान श्रद्धालु जाली में से ही गुप्त शिवलिंग के दर्शन कर सकेंगे। विभाग की ओर से शुक्रवार को भी यहां सफाई कार्य जारी था।
कैसे 'भयावह' तरीके से काम करता है अवैध खनन का तंत्र, जानिए पूरा सच
हकीकत है भयावह
नकली रॉयल्टी बुक छपवा लेते हैं माफिया
खनिज माफिया नकली रॉयल्टी बुक तक छपवा लेते हैं। ऐसा प्रकरण जुलाई २क्११ में हुआ था। चांदपुर थाना क्षेत्र के बिजोरिया खदान से भरी रेत की गाड़ी में फर्जी पास था। आरोपी वेरसिंह अलसिंह को पुलिस ने मामले में गिरफ्तार किया था। खनिज इंस्पेक्टर देविका परमार ने बताया विभाग द्वारा रायल्टी बुक छपवाई जाती है जो ठेकेदार को देते हैं। प्राप्त रसीदें विभाग द्वारा दी गई रॉयल्टी बुक की नहीं थी। कागज अलग था और सीरियल नंबर भी डुप्लीकेट।
3 करोड़ की वसूली नहीं
पिपलौदा तहसील के ग्राम चौरासी बड़ायला में फोरलेन निर्माण कंपनी ने फोरलेन निर्माण के दौरान पूरी पहाड़ी से पत्थर और मुरम खोद डाली। 3 करोड़ रु से ज्यादा की रॉयल्टी बकाया है। विभाग कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया।
नहीं भरने दिया जुर्माना
जिले के पहले खनिज अधिकारी वी.के. सांखला ने नयागांव क्षेत्र से अवैध तरीके से गिट्टी ले जा रहे १क् ट्रैक्टर पकड़े और प्रकरण दर्ज कर ४७ लाख का जुर्माना किया। एक भाजपा नेता चौकी से बिना रॉयल्टी भरे ट्रैक्टर छुड़ा ले गए।
लोगों को भी धमका चुके हैं रेत माफिया
धरमपुरी मंे नर्मदा किनारे रेत उत्खनन के लिए स्वीकृत खदानों में अब रेत नहीं रह गई है। इसके बावजूद हर साल भौतिक सत्यापन के बगैर ही खदानें नीलाम कर दी जाती हैं। ऐसे में ठेकेदार और रेत माफिया कई बार रेत नहीं होने पर अनाधिकृत स्थानों पर खुदाई करते पकड़े गए हैं। इसके विरोध में कुछ नागरिकों ने आवाज उठाई तो उनके धमकाने का मामला सामने आने लगे। इसके बाद लोगों ने एकजुट होकर मोर्चा खोला तब ठेकेदार नरम पड़ा।
न जांच, न नपती
नेमावर रोड और रंगवासा में खदान मालिक स्वीकृत जमीन से दो गुना खुदाई करते हैं। अफसर न तो नपती करते हैं और न जांच। रेत माफियाओं ने नेमावर रोड के उमरिया खुर्द व तरह रेणुका टेकरी को भी नहीं छोड़ा हैं।
नहीं होती चेकिंग
बकौल विधायक जितेंद्र डागा कोलार में बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन व परिवहन हुआ है। इसमें खनिज अफसरों की भी मिलीभगत के कारण कोई चेकिंग नहीं होती। शिकायत कलेक्टर से लेकर प्रभारी मंत्री तक को की है।
क्या है अवैध खनन
- चिह्नित क्षेत्र से अधिक में या किसी अन्य स्थान पर खुदाई करना।
- कई ट्रालियों को एक ही नंबर की रायल्टी रसीद दे देना और ट्रालियों को अलग-अलग समय व दिशा में रवाना करना।
- कोई भी उत्खनन जो ऐसी जगह किया जा रहा हो] जिसके लिए सरकार ने अनुमति न दी हो
- अवैध उत्खनन की श्रेणी में आता है।
- जिस खनिज पर सरकार को रायल्टी न दी जाती हो।
- आवंटित भूमि से लगी हुई भूमि व वन भूमि पर उत्खनन करना।
खनन माफियाओं का गणित
- रायल्टी - 810 रु
- मजदूरी - 200 रु
- ईधन व वाहन खर्च- 250 रु
- कुल- 1260 रुपए प्रति ट्राली
- बाजार मूल्य- 1300 से 1500 रु
(मानक : एक ट्राली रेत)
होशंगाबाद में इस वर्ष की नीलामी के मुताबिक ठेकेदार को प्रति रेत ट्राली पर 810 रु की रायल्टी चुकाना होगी। ठेकेदार अवैध उत्खनन करे तो वह पूरी राशि बचा लेता है। उसे प्रति ट्राली 1000 रु की बचत होती है। बकौल आरटीआई कार्यकर्ता रमजान शेख उत्खनन का एक चौथाई से अधिक हिस्सा अवैध होता है। जुर्माना भले ही बाजार मूल्य से चार गुना हो लेकिन माफिया को फर्क नहीं पड़ता।
मुरैना में पहले भी हो चुके हैं हमले
- 2007 में बानमोर के बटेश्वरा क्षेत्र में तत्कालीन कलेक्टर व एसपी पर फायरिंग की थी।
- 2010 में रिठौरा क्षेत्र में पत्थर माफिया ने वन विभाग के कर्मचारियों व अफसरों पर फायरिंग की थी। तब चार लोग घायल हुए थे।
- 2011 दिसंबर में सेलटैक्स बैरियर के पास शिवनगर में टास्कफोर्स पर फायरिंग की थी।
- 2012 जनवरी में भाजपा नेता ने अफसर से अवैध पत्थर से भरे दो ट्रैक्टर लूट लिए थे।
दबंगों ने मां-बेटी को गांव में घुमाया निर्वस्त्र
फरीदाबाद .बल्लभगढ़ .रायपुरकलां गांव में कुछ दबंगों ने एक विधवा और उसकी बेटी को निर्वस्त्र घुमाया। शर्मसार कर देने वाली इस घटना के बाद से गांव में सन्नाटा छाया हुआ है।
गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पुलिस ने विधवा की शिकायत पर 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पीड़ित मां-बेटी को बीके अस्पताल में दाखिल कराया गया है। पीड़ित लड़की की 12 मार्च को शादी होने वाली थी।
मिली जानकारी के अनुसार 50 वर्षीय सिमरन (बदला हुआ नाम) का तीन महीने पहले गांव के ही ईश्वर सिंह से विवाद हो गया था। उस समय गांव के लोगों ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया था। दो माह पहले ईश्वर सिंह अपनी नाबालिग बेटी की शादी करवा रहा था, जिसे प्रशासन ने मौके पर पहुंच रुकवा दिया था। ईश्वर सिंह का मानना था कि सिमरन ने प्रशासन को शादी की सूचना दी थी।
होली के दिन गुरुवार दोपहर दो बजे सिमरन अपनी ननद और बेटी के साथ घर में थी। इसी दौरान ईश्वर सिंह, रेशम सिंह, गुरुदेव, सोनू, मालो बाई, बंटो बाई, इशहार सिंह, प्रेम सिंह, फोमन सिंह, बींद्र सिंह, गुरुदयाल व गुलजार लाठी डंडों से लैस होकर सिमरन के घर में घुस गए। आरोपी सिमरन और उसकी बेटी को घर से खींचकर बाहर लाए और उनके कपड़े फाड़ दिए। इसके बाद मां-बेटी को गांव में निर्वस्त्र घुमाया। आरोपियों ने विधवा के बेटे पर भी हमला किया, लेकिन ग्रामीणों ने उसे बचा लिया।
मामले की जांच कर रहे छांयसा थाने के एएसआई महेंद्र सिंह के अनुसार आरोपियों के खिलाफ घर में घुसकर मारपीट का मामला दर्ज कर लिया गया है। नग्न किए जाने और गुप्तांग में चोट पहुंचाए जाने के मामले की तहकीकात जारी है।
द्वितीय सोपान-मंगलाचरण
श्लोक :
भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट्।
सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा
शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्री शंकरः पातु माम्॥1॥
मुखाम्बुजश्री रघुनन्दनस्य मे सदास्तु सा मंजुलमंगलप्रदा॥2॥
पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्॥3॥
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥
भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥1॥
मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥2॥
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥3॥
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ॥4॥
दोस्तों हंसना मत प्लीज़ मेरी शादी के इक्कीसवें काले दिवस पर ..........
इस खतरनाक जेलर के बारे में में आपको बताऊं... यह कोटा में उर्दू की लेक्चरार हें और बच्चों को पढाती हे ..इसलियें वही लहजा ...वही डांटने का अंदाज़ ...घर में चलता हे... आप अंदाजा लगायें ...में किन हालातों में सांस ले रहा होउंगा... मेरी बोलती बंद हे... इसी उठा पटक में मेरे इस जेलर ने मूल के साथ तीन ब्याज दिए ... पहला लडका शाहरुख खान जो अमिटी नोइडा से बी टेक कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर रहा है .., एक बच्ची जवेरिया टेंथ में हे जबकि एक प्यारी बिटिया सदफ अख्तर जो अभी सेकंड में पढ़ रही हे .
सत्ताधारी नेता ने कहा- नरेंद्र को 'कंट्रोल' करो
मुरैना.आईपीएस नरेन्द्र कुमार ने बानमोर एसडीओपी के रूप में 16 जनवरी को आमद दी थी। यानि अभी करीब 55 दिन ही बानमोर में काम कर पाए थे।पिछले डेढ़ माह से वे लगातार पत्थर के अवैध उत्खनन को रोकने का प्रयास कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई कार्रवाईयां भी थी। कार्रवाईयों की वजह से वे पत्थर माफिया के निशाने पर भी थे। पिछले दिनों सत्ताधारी दल के एक बड़े नेता ने प्रशासनिक अफसरों से नरेन्द्र कुमार को समझाने के लिए कहा था। जिससे वे अधिक कार्रवाई न करें।
आरोपी को नहीं है नरेंद्र की मौत का अफसोस
एसडीओपी आईपीएस नरेन्द्र कुमार की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या करने वाला चालक मनोज गुर्जर बानमोर थाने में बंद हैं। थाने में मनोज के चेहरे को देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि उसे घटना का कोई अफसोस है। मनोज ने बताया कि वह अपना घर बनाने के लिए पत्थर ले जा रहा था। यदि ट्रैक्टर पकड़ जाता तो ट्रैक्टर राजसात हो जाता। थाने में बंद आरोपी मनोज गुर्जर ने बताया कि वह लंका पहाड़ की खदान से अपना घर बनाने के लिए पत्थर ला रहा था। लेकिन रास्ते में एसडीओपी ने पकडऩे का प्रयास किया। ट्रैक्टर को बचाने के लिए उसने अपने ट्रैक्टर को भगाया। इसी दौरान एसडीओपी ने ट्रैक्टर पर चढ़कर उसे पकडऩे का प्रयास किया था और वे ट्रैक्टर के नीचे आ गए। उल्लेखनीय है कि अवैध रूप से उत्खनित पत्थर व रेत का परिहवन करने वाले वाहन पकड़े जाते हैं तो वन्य अधिनियम के मुताबिक वे राजसात हो जाते हैं।
परिवार के लोग गायब:आरोपी मनोज गुर्जर के गिरफ्तार होने की सूचना जब पहाड़ी गांव में उसके परिवार के लोगों को मिली। वे सभी गायब हो गए। सूत्रों को मुताबिक उन्हें डर था कि घटना से आक्रोशित पुलिस कहीं उन्हें पकड़ न ले।
लंका पहाड़ की अवैध खदान से ला रहा था पत्थर
आरोपी मनोज गुर्जर बानमोर क्षेत्र में आने वाले कलींदे के पुरा के लंकापहाड़ से पत्थर ला रहा था। लंका पहाड़ में पत्थर की अवैध खदान हैं। आरोपी के पास पत्थर की न तो कोई रायल्टी रसीद थी और न ही कोई अन्य दस्तावेज।
ट्रैक्टर का मालिक, लेकिन बीमा व लाइसेंस नहीं:आरोपी मनोज गुर्जर टै्रक्टर का मालिक है। लेकिन उसके ट्रैक्टर का बीमा है और न ही उसके पास चलाने का लाइसेंस।