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12 मार्च 2012

देसी रामबाण: इसे सिर्फ सूंघने से ही हो जाएगा सिरदर्द का इलाज


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नींबू का अनोखा गुण यह है कि इसकी खट्टी खुशबू खाने से पहले ही मुंह में पानी ला देती है। चांट हो या दाल कोई भी व्यंजन इसके प्रयोग से और भी सुस्वादु हो जाता है। यह फल खट्टा होने के साथ-साथ बेहद गुणकारी भी है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि नींबू के पत्ते भी बहुत उपयोगी होते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं नींबू के पत्तों के कुछ ऐसे ही रामबाण प्रयोगों के बारे में-

कृमि रोग-

10 ग्राम नींबू के पत्तों का रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जाते हैं। नींबू के बीजों के चूर्ण की फं की लेने से कीड़ों का विनाश होता है।

सिरदर्द या माइग्रेन-

नींबू के पत्तों का रस निकालकर नाक से सूंघे, जिस व्यक्ति को हमेशा सिरदर्द बना रहता है, उसे भी इससे शीघ्र आराम मिलता है।

नाक से खून आना-

ताजे नींबू का रस निकालकर नाक में पिचकारी देने से नाक से खून गिरता हो, तो बंद हो जाए

इस महिला के शरीर में आई बिजली, छूने पर लगता है करंट

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रामगढ़.झारखण्ड के रामगढ़ जिला स्थित गिद्दी निवासी सह रेलीगढ़ा सीसीएल कर्मी अमरिक सिंह की पत्नी सुखबिंदर कौर के शरीर को छूने से करंट का झटका लगना क्षेत्र में कौतूहल का विषय बन गया है। इसको लेकर तरह तरह की चर्चा शुरु हो गई है।

क्या है मामला ?

सीसीएल कर्मी अमरिक सिंह की पत्नी सुखविंदर कौर ने बताया कि 9 मार्च शुक्रवार को अचानक उसके पुत्र बलजीत सिंह व पुत्री ज्योति कुमारी ने शरीर को टच किया तो पुत्र को जोरदार करंट का झटका महशूस हुआ। यह बात पुत्र ने अपने पिता अमरिक सिंह को बताया। जब महिला के शरीर में टेस्टर सटा कर देखा गया तो टेस्टर भी जल उठा। जिसें देख सभी भौचक रह गए।

परंतु घरवालों ने इसे आम बात सोचकर कुछ नहीं किया। महिला में इस तरह के लक्षण को दो घंटे तक देखा गया। परंतु 10 मार्च को पुन: दस मिनट के लिए महिला को छूने से करंट का झटका महसूस हुआ। तब जाकर सीसीएल कर्मी पति ने इस बात की जानकारी पड़ोसियों को दी। पड़ोसियों ने डॉक्टर को दिखाने को कहा। तब सुखविंदर कौर ने सोमवार को इस बात की जानकारी गिद्दी अस्पताल के चिकित्सक डॉ एन पंडित को दी। जांच के क्रम में महिला के शरीर को छूने से करंट के झटका नहीं लग रहा था।

इस संबंध में चिकित्सक एन पंडित ने बताया कि महिला को छूने से अभी करंट का झटका नहीं लग रहा है। परंतु महिला के द्वारा छूने से करंट लगने की बात कही जा रही है। इस कारण महिला को जांच के लिए न्यूरो (नस) विभाग में नई सराय भेज दिया गया है। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने किया चमत्कार, बनाया बिजली उत्पाद का नया फंड़ा


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रोहतक.ब्रिटेन के संडरलैंड में बहने वाली वीयर नदी से वैज्ञानिकों को दोगुने बिजली उत्पादन का नया फंडा मिल गया है। दरअसल अब तक बेसिलस स्ट्रेटोफेरिकस नाम के बैक्टीरिया के पानी में मिलने से वैज्ञानिक खासे उत्साहित हैं। इस बैक्टीरिया को स्पेस बैक्टीरिया के नाम से भी पहचाना जाता है, क्योंकि यह पृथ्वी की सतह से 20 मील तक ऊपर रहने वाला माना जाता था।

न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को इस बैक्टीरिया के नदी में होने का पता चला तो उन्होंने अमेरिकन केमिकल सोसायटी से भी मदद ली। न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता ग्रांट बर्गस कहते हैं कि बायोफिल्म के जरिए माइक्रोबायल मिक्स में ये बैक्टीरिया परिवर्तन कर देते हैं।

जब नदी में माइक्रोबायल फ्यूल सेल बढ़ जाते हैं तो पानी का इलेक्ट्रिकल आउटपुट में 105 वाट मीटर प्रति क्यूबिक मीटर से बढ़कर 200 वाट प्रति क्यूबिक मीटर तक हो जाता है। इन बैक्टीरिया की एक खासियत यह भी है कि ये सीवेज पानी को भी काफी तेजी से साफ करते हैं।

कभी देखा है तीन फुट का आईएएस, कभी संपादक भी थे!


हिसार.भिवानी। 1991 बैच का आईएएस बनकर रोहतक के एक व्यक्ति ने दो लोगों से पौने दो लाख ठग लिए। सोमवार शाम ठगी के शिकार एक व्यक्ति ने इसे बस स्टैंड पर हिसार जाने वाली बस में धर दबोचा और पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने तीन फुट के फर्जी आईएएस के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।

डीएलएफ कालोनी रोहतक वासी राकेश भारद्वाज का बातचीत करने का तरीका आईएएस अधिकारी की तरह ही है। वह कभी अपने आपको किसी अंग्रेजी अखबार का एडिटर बताता तो कभी आईएएस आफिसर बन बातचीत करता। सोमवार शाम बस स्टैंड पर हिसार की प्राइवेट बस में सवार राकेश भारद्वाज को पीड़ित जयभगवान ने देख लिया।

उसने इसे पकड़ा और सिविल लाइन थाने लाया। यहां एक महिला ने भी इसके खिलाफ 15 हजार रु.ठगने की शिकायत की। पहला शिकार: उसने पहला शिकार दिल्ली-भिवानी प्राइवेट बस केकंडक्टर जयभगवान को बनाया। वह डेली अप-डाउन करता था। उसने बताया कि वह आईएएस आफिसर है।

27 फरवरी 2011 को इसने जयभगवान से डेढ़ लाख रु. उधार मांगे। बताया कि मेरी मां की तबीयत खराब है। दो-तीन दिन में वापस लौटा दूंगा। जयभगवान ने बताया कि उसने पैसे दे दिए। कुछ दिन बाद राकेश ने 15 हजार रुपये लौटाए। इसके बाद स वह गायब हो गया था।

जलती चिता से उतार लिया श्रीकृष्ण का शव, क्योंकि हुआ कुछ ऐसा...



रायपुर।छत्तीसगढ़ राज्य के चंपा-जांजगीर जिले में आने वाले शिवरी नारायण मंदिर को गुप्त तीर्थ स्थल भी कहा जाता है क्योंकि यहां भगवान नीलमाधव का नारायणी रूप गुप्तरूप से विराजमान हैं। इसके पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है। प्राचीनकाल में शिवरीनारायण श्रीसिंदूर गिरि का क्षेत्र था, जहां घने जंगल होते थे और इस क्षेत्र में शबर जाति का शासन हुआ करता था।

ऐसी मान्यता है द्वापरयुग के अंतिम चरण में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध खत्म होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण एक पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे। कृष्ण को श्रापवश एक जरा नाम के शबर का तीर लगा, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। वैदिक रीति से श्रीकृष्ण का दाह संस्कार किया गया, लेकिन उनका मृत शरीर नहीं जला।

इस कारण उनका मृत शरीर चिता से निकालकर समुद्र में प्रवाहित किया गया। इधर पश्चाताप की आग में जल रहे शबर को जब कृष्ण के मृत शरीर का समुद्र में प्रवाहित होने का समाचार मिला है तो वह तुरंत जाकर शरीर को समुद्र में से निकाल लाया।

इसी श्रीसिंदूरगिरि क्षेत्र में एक जलस्त्रोत के किनारे बांस के पेड़ के नीचे रखकर उनकी पूजा और तंत्र साधना करने लगता है। उनका मृत शरीर आगे चलकर नील माधव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वहीं इंद्रभूति नामक तांत्रिक नीलमाधव की मूर्ति को वहां से उठाकर ले जाता है और संभल पहाड़ी की गुफा में ले जाकर तंत्र साधना करने लगता है।

इधर, जरा शबर अपने नीलमाधव को न पाकर खूब रोता है और खाना पीना बंद कर देता है। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर नीलमाधव अपने नारायणी रूप के दर्शन देकर गुप्त रूप से यहां विराजमान होने का वरदान देते हैं। तब से भगवान नारायण इस मंदिर में विराजमान हैं, जो भक्त हर साल माघपूर्णिमा को भगवान नारायण के दर्शन करता है। वह मोक्ष पाकर स्वर्ग जाता है।

फिल्म 'नायक' के अनिल कपूर बन गए अखिलेश यादव!

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उत्तरप्रदेश के मनोनीत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव फिल्म ‘नायक’ (2001) से प्रभावित नजर आ रहे हैं। इसमें अनिल कपूर को एक दिन का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलता है। अखिलेश ने फेसबुक पर ‘वन एक्शन सीएम’ शीर्षक से एक पेज शुरू किया है।

इसमें उन्होंने यूपी के लोगों से पूछा है कि अगर वे राज्य के मुख्यमंत्री होते तो ऐसा कौन सा आइडिया है जो लागू करना चाहते। बहुत से लोगों ने एक से अधिक ‘आइडिया’ दिए हैं।

वहीं कुछ लोग तो बाकायदा पूरी योजना लेकर आए हैं कि उनका आइडिया कैसे लागू हो सकता है। हालांकि जाहिर है कि बिजली, पानी और सड़क की शिकायतों का अंबार लग गया है। लोग भ्रष्टाचार को लेकर भी गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। वहीं कई नए आइडिया भी आए हैं जो युवा मुख्यमंत्री लागू करना चाहेंगे।

अखिलेश के ‘वन एक्शन सीएम’ पेज पर लगभग 750 से ज्यादा कमेंट आ चुके हैं। अखिलेश तकनीक प्रेमी हैं। वे अपने ब्लैकबेरी फोन और आई-पैड से अलग नहीं होते। वे अपने आईपैड के जरिए अपने दोस्तों और प्रशंसकों से लगातार संपर्क में रहते हैं। उनके करीबी लोगों का कहना है कि चुनाव अभियान के दौरान भी वे समय निकालकर अपना स्टेटस अपडेट करते थे।

कैकेयी का कोपभवन में जाना

कैकेयी का कोपभवन में जाना
दोहा :
* बड़ कुघातु करि पातकिनि कहेसि कोपगृहँ जाहु।
काजु सँवारेहु सजग सबु सहसा जनि पतिआहु॥22॥॥
भावार्थ:-पापिनी मन्थरा ने बड़ी बुरी घात लगाकर कहा- कोपभवन में जाओ। सब काम बड़ी सावधानी से बनाना, राजा पर सहसा विश्वास न कर लेना (उनकी बातों में न आ जाना)॥22॥
चौपाई :
* कुबरिहि रानि प्रानप्रिय जानी। बार बार बुद्धि बखानी॥
तोहि सम हित न मोर संसारा। बहे जात कई भइसि अधारा॥1॥
भावार्थ:-कुबरी को रानी ने प्राणों के समान प्रिय समझकर बार-बार उसकी बड़ी बुद्धि का बखान किया और बोली- संसार में मेरा तेरे समान हितकारी और कोई नहीं है। तू मुझे बही जाती हुई के लिए सहारा हुई है॥1॥
* जौं बिधि पुरब मनोरथु काली। करौं तोहि चख पूतरि आली॥
बहुबिधि चेरिहि आदरु देई। कोपभवन गवनी कैकेई॥2॥
भावार्थ:-यदि विधाता कल मेरा मनोरथ पूरा कर दें तो हे सखी! मैं तुझे आँखों की पुतली बना लूँ। इस प्रकार दासी को बहुत तरह से आदर देकर कैकेयी कोपभवन में चली गई॥।2॥
* बिपति बीजु बरषा रितु चेरी। भुइँ भइ कुमति कैकई केरी॥
पाइ कपट जलु अंकुर जामा। बर दोउ दल दुख फल परिनामा॥3॥
भावार्थ:-विपत्ति (कलह) बीज है, दासी वर्षा ऋतु है, कैकेयी की कुबुद्धि (उस बीज के बोने के लिए) जमीन हो गई। उसमें कपट रूपी जल पाकर अंकुर फूट निकला। दोनों वरदान उस अंकुर के दो पत्ते हैं और अंत में इसके दुःख रूपी फल होगा॥3॥
* कोप समाजु साजि सबु सोई। राजु करत निज कुमति बिगोई॥
राउर नगर कोलाहलु होई। यह कुचालि कछु जान न कोई॥4॥
भावार्थ:-कैकेयी कोप का सब साज सजकर (कोपभवन में) जा सोई। राज्य करती हुई वह अपनी दुष्ट बुद्धि से नष्ट हो गई। राजमहल और नगर में धूम-धाम मच रही है। इस कुचाल को कोई कुछ नहीं जानता॥4॥
दोहा :
* प्रमुदित पुर नर नारि सब सजहिं सुमंगलचार।
एक प्रबिसहिं एक निर्गमहिं भीर भूप दरबार॥23।
भावार्थ:-बड़े ही आनन्दित होकर नगर के सब स्त्री-पुरुष शुभ मंगलाचार के साथ सज रहे हैं। कोई भीतर जाता है, कोई बाहर निकलता है, राजद्वार में बड़ी भीड़ हो रही है॥23॥
चौपाई :
* बाल सखा सुनि हियँ हरषाहीं। मिलि दस पाँच राम पहिं जाहीं॥
प्रभु आदरहिं प्रेमु पहिचानी। पूँछहिं कुसल खेम मृदु बानी॥1॥
भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी के बाल सखा राजतिलक का समाचार सुनकर हृदय में हर्षित होते हैं। वे दस-पाँच मिलकर श्री रामचन्द्रजी के पास जाते हैं। प्रेम पहचानकर प्रभु श्री रामचन्द्रजी उनका आदर करते हैं और कोमल वाणी से कुशल क्षेम पूछते हैं॥1॥
* फिरहिं भवन प्रिय आयसु पाई। करत परसपर राम बड़ाई॥
को रघुबीर सरिस संसारा। सीलु सनेहु निबाहनिहारा॥2॥
भावार्थ:-अपने प्रिय सखा श्री रामचन्द्रजी की आज्ञा पाकर वे आपस में एक-दूसरे से श्री रामचन्द्रजी की बड़ाई करते हुए घर लौटते हैं और कहते हैं- संसार में श्री रघुनाथजी के समान शील और स्नेह को निबाहने वाला कौन है?॥2॥
* जेहिं-जेहिं जोनि करम बस भ्रमहीं। तहँ तहँ ईसु देउ यह हमहीं॥
सेवक हम स्वामी सियनाहू। होउ नात यह ओर निबाहू॥3॥
भावार्थ:-भगवान हमें यही दें कि हम अपने कर्मवश भ्रमते हुए जिस-जिस योनि में जन्में, वहाँ-वहाँ (उस-उस योनि में) हम तो सेवक हों और सीतापति श्री रामचन्द्रजी हमारे स्वामी हों और यह नाता अन्त तक निभ जाए॥
* अस अभिलाषु नगर सब काहू। कैकयसुता हृदयँ अति दाहू॥
को न कुसंगति पाइ नसाई। रहइ न नीच मतें चतुराई॥4॥
भावार्थ:-नगर में सबकी ऐसी ही अभिलाषा है, परन्तु कैकेयी के हृदय में बड़ी जलन हो रही है। कुसंगति पाकर कौन नष्ट नहीं होता। नीच के मत के अनुसार चलने से चतुराई नहीं रह जाती॥4॥
दोहा :
* साँझ समय सानंद नृपु गयउ कैकई गेहँ।
गवनु निठुरता निकट किय जनु धरि देह सनेहँ॥24॥
भावार्थ:-संध्या के समय राजा दशरथ आनंद के साथ कैकेयी के महल में गए। मानो साक्षात स्नेह ही शरीर धारण कर निष्ठुरता के पास गया हो!॥24॥
चौपाई :
* कोपभवन सुनि सकुचेउ राऊ। भय बस अगहुड़ परइ न पाऊ॥
सुरपति बसइ बाहँबल जाकें। नरपति सकल रहहिं रुख ताकें॥1॥
भावार्थ:-कोप भवन का नाम सुनकर राजा सहम गए। डर के मारे उनका पाँव आगे को नहीं पड़ता। स्वयं देवराज इन्द्र जिनकी भुजाओं के बल पर (राक्षसों से निर्भय होकर) बसता है और सम्पूर्ण राजा लोग जिनका रुख देखते रहते हैं॥1॥
* सो सुनि तिय रिस गयउ सुखाई। देखहु काम प्रताप बड़ाई॥
सूल कुलिस असि अँगवनिहारे। ते रतिनाथ सुमन सर मारे॥2॥
भावार्थ:-वही राजा दशरथ स्त्री का क्रोध सुनकर सूख गए। कामदेव का प्रताप और महिमा तो देखिए। जो त्रिशूल, वज्र और तलवार आदि की चोट अपने अंगों पर सहने वाले हैं, वे रतिनाथ कामदेव के पुष्पबाण से मारे गए॥2॥
* सभय नरेसु प्रिया पहिं गयऊ। देखि दसा दुखु दारुन भयऊ॥
भूमि सयन पटु मोट पुराना। दिए डारि तन भूषन नाना॥3॥
भावार्थ:-राजा डरते-डरते अपनी प्यारी कैकेयी के पास गए। उसकी दशा देखकर उन्हें बड़ा ही दुःख हुआ। कैकेयी जमीन पर पड़ी है। पुराना मोटा कपड़ा पहने हुए है। शरीर के नाना आभूषणों को उतारकर फेंक दिया है।
* कुमतिहि कसि कुबेषता फाबी। अनअहिवातु सूच जनु भाबी॥
जाइ निकट नृपु कह मृदु बानी। प्रानप्रिया केहि हेतु रिसानी॥4॥
भावार्थ:-उस दुर्बुद्धि कैकेयी को यह कुवेषता (बुरा वेष) कैसी फब रही है, मानो भावी विधवापन की सूचना दे रही हो। राजा उसके पास जाकर कोमल वाणी से बोले- हे प्राणप्रिये! किसलिए रिसाई (रूठी) हो?॥4॥

कुरान का संदेश

















दोस्तों किसी ने कहा है के लाख दुश्मनों की हों बद्दुआए तो भी दोस्तों की दुआएं उन्हें बे असर कर देती है और में अपने दोस्तों पर गर्व करता हूँ के उन्हीं क

दोस्तों किसी ने कहा है के लाख दुश्मनों की हों बद्दुआए तो भी दोस्तों की दुआएं उन्हें बे असर कर देती है और में अपने दोस्तों पर गर्व करता हूँ के उन्हीं की दुआओं ने आज मुझे और मेरे परिवार को नई जिंदगी दी है ..दोस्तों ये सच है के मेरे सिद्धांतों के चलते हो सकता है कुछ लोग मुझ से नाराज़ होंगे और पेशे से में वकील हूँ ..किसी को छुड़ाता हूँ तो किसी को सजा कराता हूँ ..ऐसे में कुछ बद्दुआए तो मुझे भी मिलती है ....कल सुबह सवेरे में अपनी दिन चर्या के तहत कहीं जाने की तय्यारी कर रहा था मम्मी को विज्ञानं नगर जाना था उन्होंने कहा के विज्ञान नगर जा रही हूँ ........में उन्हें लेकर विज्ञान नगर पहुंचा और जब वापसी में कोटा एरोड्रम के पास से गुजर रहा था तो एक अधेड़ से सज्जन किनारे पर मोटर साइकल के नीचे पढ़े तड़प रहे थे ..मेने साइड में कार रोकी ..इन जनाब को उठाया बताया तो उनके पाँव पर गम्भीर चोटें थी मेने मोटर साइकल सीधी की.... लगाया चाबी उन्हें संभलाई ..इस बीच इन जनाब ने उनके घर वालों को फोन किया वोह घटना स्थल पर आना चाहते थे मेने फोन लेकर उनके परिजनों से कहा के आप घबराओ मत ..ज्यादा चोट नहीं आई है में ड्रेसिंग करवाकर खुद छोड़ दूंगा लेकिन उनके परिजनों ने कहा के अस्पताल तो हम दिखा देंगे आप तो इन्हें मेरिज होल तक छोड़ दें तो महरबानी होगी ..खेर मेने इन जनाब को कार में आगे बिठाया हिम्मत बंधाई और इन्हें लेकर बताये हुए पते पर लेकर चल दिया ..वहां घरवाले पहले से ही इन्तिज़ार में थे ..घायल सज्जन थे तो ड्राइवर लेकिन यहाँ किसी शादी में शामिल होने आये थे जो स्लिप होकर घायल थे में जेसे ही इन जनाब को लेकर पहुंचा तो उनके पुत्र और पुत्रियों ने उन्हें घेर लिया मुझे शुर्क्रिया अदा किया और लम्बी उम्र की दुआएं दी ..में उन्हें फिर अस्पताल छोड़ कर ड्रेसिंग कराने के बाद घर आ गया ...............दस मार्च मेरी शादी की सालगिरह थी ..मेने एक पोस्ट फेसबुक और ब्लोगर मित्रों के लियें डाली थी ....इस पोस्ट को जब मेने खोला तो यकीन मानिये मेरे फेसबुक बाइयों और बहनों का प्यार और स्नेह भरा आशीर्वाद देख कर मेरी आँखों से आंसू बह निकले ...मेरा सीना गर्व से छोड़ा हो गया ..यकीन कीजिये करीब दो हजार से भी अधिक लोगों ने कोटा ..राजस्थान ..हिन्दुस्तान और विदेशों में रह रहे लोगों ने मुझे दुआएं दी .और मेरी पोस्ट पर किसी न किसी तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई ..इतनी भारी संख्या में मेरे मित्रों का प्यार देख कर में फूला नहीं समा रहा था ......फिर मुझे एक विवाह समारोह में जाना था ॥ पहले हम बाबा के यहाँ गये ..मुजाविर बाबा ने हमे दुआएं दी और हम विवाह समारोह में शामिल होने चल दिए ... कल रात्री एक बस ने मेरी कार को ज़बरदस्त टक्कर दी लेकिन खुदा का शुक्र था में और मेरा परिवार बच गया ..कार का तो सत्यानास हो गया लेकिन शुक्र खुदा का यह था के हमारे किसी के भी कोई चोट या खरोंच नहीं आई .....म़ोत हमने नजदीक से देखी थी लेकिन म़ोत तो आप भाइयों और बहनों की दुआओं और आशीर्वाद से हमसे कोसों दूर जा चुकी थी हमारे सामने एक नई हंसती खेलती जिंदगी खड़ी थी ..हमने खुदा का शुक्रिया अदा किया ..हमारी पत्नी ने धर्म के एतेबार से सदके और शुक्राने की नमाज़ अदा की .हमने भी यह सब किया हमारी बच्ची और बच्चे और चाहने वालों ने भी यह सब किया ..और इस हादसे ने हमे एक सच का एहसास दिलाया के जानको राखे साइयां मार सके न कोई .और लोगों की दुआएं ..आशीर्वाद हो तो कोई तुम्हे या हमे छू भी नहीं सकता ..में शुक्रगुज़ार हूँ मेरे सभी भाइयों का जिन्होंने मुझे प्यार दिया मेरी ख़ुशी और फिर बाद में तकलीफ में भी हिस्से दार बने बस खुदा से मेरी यही दुआ है के आप लोगों का यह प्यार ..यह स्नेह मेरे ऊपर खुदा ..अल्लाह हमेशा बनाये रखे ,..हमेशा बनाये रखे और मुझे और मेरे परिवार को आपकी दुआओं की वजह से दुःख तकलीफों और हादसों से महफूज़ रखे ...........में चाहता हूँ के जब में गलती करूं तो आप मेरे कान उमेठे मुझे मेरी गलती का अहसास दिला कर मुझे रास्ते पर चलवायें ...में जब अच्छा काम करूं तो आप मेरी पीठ थपथपाए और मेरी होसला अफजाई करे ..शायद यही मेरे लियें दुनिया की सबसे बढ़ी खुदा की दी हुई दोलत होगी ..में एक बार फिर आपका और मेरे कोटा के फेसबुक मित्र भाइयों और बहनों सहित देश विदेश में बेठे मित्रों का शुक्र गुजार हूँ ........ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

लीक से हटकर:...इस अनोखी खोज के पूरे होते ही हम जानवरों से बात कर पाएंगे



संगीत एक ऐसा माध्यम है, जिससे इस दुनिया का हर जीव जुड़ा है। संगीत सीमाओं के पार ही हमें नहीं जोड़ता ,बल्कि इंसान और पशु पक्षियों के मध्य भी एक संवाद कायम करता है।अगर यह कहा जाय, कि चिडिय़ा की चहचहाट और कोयल की कूक में भी हमारे हकलाने और बोलने में अटकने का राज छुपा है ,तो आप इसे कुछ लीक से हटकर की गयी बात समझेंगे ....जी नहीं ये बात बिल्कुल सत्य है ,यू.सी.एल.ए. के जीव-वैज्ञानिकों का ऐसा ही मानना है।

वैज्ञानिकों ने एक पक्षी के दिमाग में एक ऐसे हिस्से को ढूढने में कामयाबी पायी है,जिसमें लगभग 2000 जीन स्थित हैं और इसे एरिया एक्स नाम दिया गया है, ऐसा पहली बार हुआ की किसी चिडिय़ा के दिमाग के किसी हिस्से में संगीत की धुनों से जुड़े 1500 जींस देखे गए हों। यू.सी एल.ए. के वैज्ञानिकों ने इससे से पहले भी एरिया एक्स के 400 जींस को चिडिय़ाओं के चहचहाट के साथ उनके स्तरों में होने वाले बदलाव को नोट किया था..यू.सी.एल.ए.के एसोसीएट प्रोफेसर स्टीफन व्हाईट का मानना है, कि इन 2000 में से कुछ जींस मानव मस्तिष्क में भी पाए जाते हैं, जिनका सम्बन्ध हमारे बोलने,गाने और गुनगुनाने से है। यह अध्ययन न्यूरोसाइंस के ऑनलाइन जर्नल न्यूरोन में प्रकाशित हुआ है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि ये जींस एक नेटवर्क से लयबद्ध होते हैं और एक दूसरे से सुरताल में मिलकर जुड़े रहते हैं इन्ही के कारण हर जीव अपनी भाषा एवं बोली से संवाद कायम करने में कामयाब होते हैं। इन्ही जींस में नयी आवाज पैदा करने से लेकर गीत-संगीत की धुनों को निकालने तक का राज छुपा है..यानि यह शोध सभी जीवों में गीत संगीत एवं धुनों की समानता को व्यक्त करता है ....शायद वह दिन दूर नहीं जब इन जींस में छुपे राज से हम पशु पक्षियों के बीच भी संवाद कायम कर सकें ..।

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