नींबू का अनोखा गुण यह है कि इसकी खट्टी खुशबू खाने से पहले ही मुंह में पानी ला देती है। चांट हो या दाल कोई भी व्यंजन इसके प्रयोग से और भी सुस्वादु हो जाता है। यह फल खट्टा होने के साथ-साथ बेहद गुणकारी भी है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि नींबू के पत्ते भी बहुत उपयोगी होते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं नींबू के पत्तों के कुछ ऐसे ही रामबाण प्रयोगों के बारे में-
कृमि रोग-
10 ग्राम नींबू के पत्तों का रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जाते हैं। नींबू के बीजों के चूर्ण की फं की लेने से कीड़ों का विनाश होता है।
सिरदर्द या माइग्रेन-
नींबू के पत्तों का रस निकालकर नाक से सूंघे, जिस व्यक्ति को हमेशा सिरदर्द बना रहता है, उसे भी इससे शीघ्र आराम मिलता है।
नाक से खून आना-
ताजे नींबू का रस निकालकर नाक में पिचकारी देने से नाक से खून गिरता हो, तो बंद हो जाए
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 मार्च 2012
देसी रामबाण: इसे सिर्फ सूंघने से ही हो जाएगा सिरदर्द का इलाज
इस महिला के शरीर में आई बिजली, छूने पर लगता है करंट
क्या है मामला ?
सीसीएल कर्मी अमरिक सिंह की पत्नी सुखविंदर कौर ने बताया कि 9 मार्च शुक्रवार को अचानक उसके पुत्र बलजीत सिंह व पुत्री ज्योति कुमारी ने शरीर को टच किया तो पुत्र को जोरदार करंट का झटका महशूस हुआ। यह बात पुत्र ने अपने पिता अमरिक सिंह को बताया। जब महिला के शरीर में टेस्टर सटा कर देखा गया तो टेस्टर भी जल उठा। जिसें देख सभी भौचक रह गए।
परंतु घरवालों ने इसे आम बात सोचकर कुछ नहीं किया। महिला में इस तरह के लक्षण को दो घंटे तक देखा गया। परंतु 10 मार्च को पुन: दस मिनट के लिए महिला को छूने से करंट का झटका महसूस हुआ। तब जाकर सीसीएल कर्मी पति ने इस बात की जानकारी पड़ोसियों को दी। पड़ोसियों ने डॉक्टर को दिखाने को कहा। तब सुखविंदर कौर ने सोमवार को इस बात की जानकारी गिद्दी अस्पताल के चिकित्सक डॉ एन पंडित को दी। जांच के क्रम में महिला के शरीर को छूने से करंट के झटका नहीं लग रहा था।
इस संबंध में चिकित्सक एन पंडित ने बताया कि महिला को छूने से अभी करंट का झटका नहीं लग रहा है। परंतु महिला के द्वारा छूने से करंट लगने की बात कही जा रही है। इस कारण महिला को जांच के लिए न्यूरो (नस) विभाग में नई सराय भेज दिया गया है। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने किया चमत्कार, बनाया बिजली उत्पाद का नया फंड़ा
न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को इस बैक्टीरिया के नदी में होने का पता चला तो उन्होंने अमेरिकन केमिकल सोसायटी से भी मदद ली। न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता ग्रांट बर्गस कहते हैं कि बायोफिल्म के जरिए माइक्रोबायल मिक्स में ये बैक्टीरिया परिवर्तन कर देते हैं।
जब नदी में माइक्रोबायल फ्यूल सेल बढ़ जाते हैं तो पानी का इलेक्ट्रिकल आउटपुट में 105 वाट मीटर प्रति क्यूबिक मीटर से बढ़कर 200 वाट प्रति क्यूबिक मीटर तक हो जाता है। इन बैक्टीरिया की एक खासियत यह भी है कि ये सीवेज पानी को भी काफी तेजी से साफ करते हैं।
कभी देखा है तीन फुट का आईएएस, कभी संपादक भी थे!
डीएलएफ कालोनी रोहतक वासी राकेश भारद्वाज का बातचीत करने का तरीका आईएएस अधिकारी की तरह ही है। वह कभी अपने आपको किसी अंग्रेजी अखबार का एडिटर बताता तो कभी आईएएस आफिसर बन बातचीत करता। सोमवार शाम बस स्टैंड पर हिसार की प्राइवेट बस में सवार राकेश भारद्वाज को पीड़ित जयभगवान ने देख लिया।
उसने इसे पकड़ा और सिविल लाइन थाने लाया। यहां एक महिला ने भी इसके खिलाफ 15 हजार रु.ठगने की शिकायत की। पहला शिकार: उसने पहला शिकार दिल्ली-भिवानी प्राइवेट बस केकंडक्टर जयभगवान को बनाया। वह डेली अप-डाउन करता था। उसने बताया कि वह आईएएस आफिसर है।
27 फरवरी 2011 को इसने जयभगवान से डेढ़ लाख रु. उधार मांगे। बताया कि मेरी मां की तबीयत खराब है। दो-तीन दिन में वापस लौटा दूंगा। जयभगवान ने बताया कि उसने पैसे दे दिए। कुछ दिन बाद राकेश ने 15 हजार रुपये लौटाए। इसके बाद स वह गायब हो गया था।
जलती चिता से उतार लिया श्रीकृष्ण का शव, क्योंकि हुआ कुछ ऐसा...
रायपुर।छत्तीसगढ़ राज्य के चंपा-जांजगीर जिले में आने वाले शिवरी नारायण मंदिर को गुप्त तीर्थ स्थल भी कहा जाता है क्योंकि यहां भगवान नीलमाधव का नारायणी रूप गुप्तरूप से विराजमान हैं। इसके पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है। प्राचीनकाल में शिवरीनारायण श्रीसिंदूर गिरि का क्षेत्र था, जहां घने जंगल होते थे और इस क्षेत्र में शबर जाति का शासन हुआ करता था।
ऐसी मान्यता है द्वापरयुग के अंतिम चरण में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध खत्म होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण एक पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे। कृष्ण को श्रापवश एक जरा नाम के शबर का तीर लगा, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। वैदिक रीति से श्रीकृष्ण का दाह संस्कार किया गया, लेकिन उनका मृत शरीर नहीं जला।
इस कारण उनका मृत शरीर चिता से निकालकर समुद्र में प्रवाहित किया गया। इधर पश्चाताप की आग में जल रहे शबर को जब कृष्ण के मृत शरीर का समुद्र में प्रवाहित होने का समाचार मिला है तो वह तुरंत जाकर शरीर को समुद्र में से निकाल लाया।
इसी श्रीसिंदूरगिरि क्षेत्र में एक जलस्त्रोत के किनारे बांस के पेड़ के नीचे रखकर उनकी पूजा और तंत्र साधना करने लगता है। उनका मृत शरीर आगे चलकर नील माधव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वहीं इंद्रभूति नामक तांत्रिक नीलमाधव की मूर्ति को वहां से उठाकर ले जाता है और संभल पहाड़ी की गुफा में ले जाकर तंत्र साधना करने लगता है।
इधर, जरा शबर अपने नीलमाधव को न पाकर खूब रोता है और खाना पीना बंद कर देता है। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर नीलमाधव अपने नारायणी रूप के दर्शन देकर गुप्त रूप से यहां विराजमान होने का वरदान देते हैं। तब से भगवान नारायण इस मंदिर में विराजमान हैं, जो भक्त हर साल माघपूर्णिमा को भगवान नारायण के दर्शन करता है। वह मोक्ष पाकर स्वर्ग जाता है।
फिल्म 'नायक' के अनिल कपूर बन गए अखिलेश यादव!
इसमें उन्होंने यूपी के लोगों से पूछा है कि अगर वे राज्य के मुख्यमंत्री होते तो ऐसा कौन सा आइडिया है जो लागू करना चाहते। बहुत से लोगों ने एक से अधिक ‘आइडिया’ दिए हैं।
वहीं कुछ लोग तो बाकायदा पूरी योजना लेकर आए हैं कि उनका आइडिया कैसे लागू हो सकता है। हालांकि जाहिर है कि बिजली, पानी और सड़क की शिकायतों का अंबार लग गया है। लोग भ्रष्टाचार को लेकर भी गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। वहीं कई नए आइडिया भी आए हैं जो युवा मुख्यमंत्री लागू करना चाहेंगे।
अखिलेश के ‘वन एक्शन सीएम’ पेज पर लगभग 750 से ज्यादा कमेंट आ चुके हैं। अखिलेश तकनीक प्रेमी हैं। वे अपने ब्लैकबेरी फोन और आई-पैड से अलग नहीं होते। वे अपने आईपैड के जरिए अपने दोस्तों और प्रशंसकों से लगातार संपर्क में रहते हैं। उनके करीबी लोगों का कहना है कि चुनाव अभियान के दौरान भी वे समय निकालकर अपना स्टेटस अपडेट करते थे।
कैकेयी का कोपभवन में जाना
काजु सँवारेहु सजग सबु सहसा जनि पतिआहु॥22॥॥
तोहि सम हित न मोर संसारा। बहे जात कई भइसि अधारा॥1॥
बहुबिधि चेरिहि आदरु देई। कोपभवन गवनी कैकेई॥2॥
पाइ कपट जलु अंकुर जामा। बर दोउ दल दुख फल परिनामा॥3॥
राउर नगर कोलाहलु होई। यह कुचालि कछु जान न कोई॥4॥
एक प्रबिसहिं एक निर्गमहिं भीर भूप दरबार॥23।
प्रभु आदरहिं प्रेमु पहिचानी। पूँछहिं कुसल खेम मृदु बानी॥1॥
को रघुबीर सरिस संसारा। सीलु सनेहु निबाहनिहारा॥2॥
सेवक हम स्वामी सियनाहू। होउ नात यह ओर निबाहू॥3॥
को न कुसंगति पाइ नसाई। रहइ न नीच मतें चतुराई॥4॥
गवनु निठुरता निकट किय जनु धरि देह सनेहँ॥24॥
सुरपति बसइ बाहँबल जाकें। नरपति सकल रहहिं रुख ताकें॥1॥
सूल कुलिस असि अँगवनिहारे। ते रतिनाथ सुमन सर मारे॥2॥
भूमि सयन पटु मोट पुराना। दिए डारि तन भूषन नाना॥3॥
जाइ निकट नृपु कह मृदु बानी। प्रानप्रिया केहि हेतु रिसानी॥4॥
दोस्तों किसी ने कहा है के लाख दुश्मनों की हों बद्दुआए तो भी दोस्तों की दुआएं उन्हें बे असर कर देती है और में अपने दोस्तों पर गर्व करता हूँ के उन्हीं क
लीक से हटकर:...इस अनोखी खोज के पूरे होते ही हम जानवरों से बात कर पाएंगे
संगीत एक ऐसा माध्यम है, जिससे इस दुनिया का हर जीव जुड़ा है। संगीत सीमाओं के पार ही हमें नहीं जोड़ता ,बल्कि इंसान और पशु पक्षियों के मध्य भी एक संवाद कायम करता है।अगर यह कहा जाय, कि चिडिय़ा की चहचहाट और कोयल की कूक में भी हमारे हकलाने और बोलने में अटकने का राज छुपा है ,तो आप इसे कुछ लीक से हटकर की गयी बात समझेंगे ....जी नहीं ये बात बिल्कुल सत्य है ,यू.सी.एल.ए. के जीव-वैज्ञानिकों का ऐसा ही मानना है।
वैज्ञानिकों ने एक पक्षी के दिमाग में एक ऐसे हिस्से को ढूढने में कामयाबी पायी है,जिसमें लगभग 2000 जीन स्थित हैं और इसे एरिया एक्स नाम दिया गया है, ऐसा पहली बार हुआ की किसी चिडिय़ा के दिमाग के किसी हिस्से में संगीत की धुनों से जुड़े 1500 जींस देखे गए हों। यू.सी एल.ए. के वैज्ञानिकों ने इससे से पहले भी एरिया एक्स के 400 जींस को चिडिय़ाओं के चहचहाट के साथ उनके स्तरों में होने वाले बदलाव को नोट किया था..यू.सी.एल.ए.के एसोसीएट प्रोफेसर स्टीफन व्हाईट का मानना है, कि इन 2000 में से कुछ जींस मानव मस्तिष्क में भी पाए जाते हैं, जिनका सम्बन्ध हमारे बोलने,गाने और गुनगुनाने से है। यह अध्ययन न्यूरोसाइंस के ऑनलाइन जर्नल न्यूरोन में प्रकाशित हुआ है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये जींस एक नेटवर्क से लयबद्ध होते हैं और एक दूसरे से सुरताल में मिलकर जुड़े रहते हैं इन्ही के कारण हर जीव अपनी भाषा एवं बोली से संवाद कायम करने में कामयाब होते हैं। इन्ही जींस में नयी आवाज पैदा करने से लेकर गीत-संगीत की धुनों को निकालने तक का राज छुपा है..यानि यह शोध सभी जीवों में गीत संगीत एवं धुनों की समानता को व्यक्त करता है ....शायद वह दिन दूर नहीं जब इन जींस में छुपे राज से हम पशु पक्षियों के बीच भी संवाद कायम कर सकें ..।